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Sanskrit Slokas
Sanskrit Slokas
1. गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः
गरु
ु र्देवो महे श्वरः।
अर्थ : गरु
ु ब्रह्मा है ,
गरु
ु ही साक्षात ् परम ् ब्रह्म है ;
उन सद्गुरु को प्रणाम.
तत्र सर्वाफलक्रियाः॥
अर्थ : जहाँ नारी की पज
ू ा होती है ,
जहाँ इनकी पज
ू ा नहीं होती है ,
वहां सब व्यर्थ है .
विद्वान्सर्वत्र पूज्यते॥
मखि
ु या की अपने गाँव में पज
ू ा होती है ,
विद्वान ् की सब जगह पज
ू ा होती है .
4. ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्ष
शान्ति:पथि
ृ वी शान्तिराप:
शान्तिर्विश्वेदेवा: शान्तिर्ब्रह्म
शान्ति:सर्वँ शान्ति:
शान्तिरे व शान्ति:सामा
शान्तिरे धि सुशान्तिर्भवतु।
पथ्
ृ वी पर शान्ति हो,
मझ
ु े शान्ति प्राप्त हो,
ग्लानिर्भवति भारत: ।
अभ्युथानम अधर्मस्य
तदात्मानं सज
ृ ाम्यहम ॥
अधर्म की वद्धि
ृ होती है ,
तब-तब मैं अपने रूप को रचता हूँ
हातव्या भति
ू मिच्छता।
आलस्यं दीर्घसत्र
ू ता।।
किन्नु हित्वा सख
ु ी भवेत ्।।
सुखी होता है ?
व्यक्ति सख
ु ी होता है।
9. आलस्यं हि मनुष्याणां
नास्त्युद्यमसमो बन्धुः
कृत्वा यं नावसीदति ।।
शत्र
ु होता है , तथा परिश्रम जैसा
उदारचरितानां तु