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Topic - Suchak (KP) : Rahul Maheshwari - 7566722730
Topic - Suchak (KP) : Rahul Maheshwari - 7566722730
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Rahul Maheshwari -7566722730
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वितीय- तुला03:09°-वृविक03:35°
तृतीय- वृविक03:35°-धनु04:30°
चतुथ-थ धनु04:30°-मकर05:23°
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सप्तम- मींन04:31°-मेष03:09°
अष्टम- मेष03:09°-वषथभ03:35°
नवम- वषथभ03:35°-वमथुन04:30°
िादश- ससंह05:46°-कन्या04:31°
जैसे मन्दसौर जातक के चार्थ में ककसी भी ग्रह ने जगह नही बदली cusp चार्थ में
वसर्थ सूयथ को छोड़कर क्योकक सूयथ मींन रावश मे 2° का है , ओर मींन रावश की
4° तक भाव 6 मे ही आ रही है इसवलए सूयथ भाव ववस्तार से 6 में आ गया ।
Cusp चार्थ की गणना भाव आरम्भ से की जाती है कवह बार वहााँ रावश लुप्त या
ररपीर् हो जाती है इसका कारण यह होता है जो भाव आरं भ से रावश शुरू होती
है अगर वह अंत तक भी खत्म न हो और अगले भाव मे भी उसके कु छ अंश रह
जाते हो तो वह भाव की शुरवात भी वही रावश कर लेती है ऐसे सेमी arc
वसस्र्म कहते है ।
वैकदक में रावश गायब इसवलए नही होती क्योंकक इसकी गणना भाव मध्य से की
जाती है जो रावश को लुप्त पर गायब नही होने देती है ।
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हमने अधथ चाप पद्धवत से ग्रह का भाव ववस्तार देखा है वही श्री पवत पद्धवत से
रावश स्थावपत करर है ।
हमे वसर्थ यह 4 बातें कुं डली मे देखना होता है इसके अलावा पांचवी बात पूरे
ज्योवतष में कु छ भी नही है ।इन्ही चार बातों को हम दो कुं डवलयों से समझते है :-
(1) लग्न कुं डली हमारी मुख्य कुं डली होती है, लग्न कुं डली से ही हम *भाव की
रावश*, लग्न कुं डली से ही हम *ग्रह की रावश*, लग्न कुं डली से ही हम *ग्रह ककस
नक्षत्र में वस्थत है* हम देखते है...
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(2) जबकक कस्प चार्थ से हमको वसर्थ यह देखना है कक *ग्रह वावस्तवकता में
ककस भाव मे बैठा है ।*
कस्प चार्थ से हम वसर्थ D वाला पॉइंर् वक्लयर कर रहे है, इसके अलावा कस्प
चार्थ में कु छ भी वलखा हो वो हमारे वबल्कु ल काम का नही है ������
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(2) इस बार आर्थथक मंदी है इनकम या अथथव्यवस्था मंदी के चपेर् में है , लोग
मनमाकर्क खचथ नही कर पायंग।े
*(A) सूचना देने वाले पर:-* सूचना वही देता है जो अवस्तत्त्व में है एक जगह से
दूसरी जगह पहुच जाता है वही सूचना देता है, उसका माध्यम कु छ भी हो सकता
है.......
ज्योवतष में वसर्थ ग्रह ही गवतमान है हम सभी जानते है ग्रह के अलावा रावश और
नक्षत्र तो वस्थर है तो हमे सूचना वसर्थ ओर वसर्थ *ग्रह* ही देता है ।
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हम वसर्थ ग्रह के सूचक को वसखेंगे , वजसने ग्रह के सूचक अच्छे से वसख वलए
उसको अपने आप भाव के सूचक याद जो जायंगे वो हमको करने की जरूरत ही
नही है।
*(A) ग्रह के सूचक :-* ग्रह के सूचक ही मुख्य होते है ग्रह क्या कहना चाहता है
ककस ककस भाव के र्ल देगा हमको सब ग्रह के बनाये हुए सूचक से मालूम हो
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*(B) भाव के सूचक:-* भाव के सूचक का मतलब होता है कक कोनसे कोनसे ग्रह
ककस भाव का र्ल देंगे ।
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(a) भाग -1
(b) भाग-2
*भाग -1*
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*(A) ग्रह का नक्षत्र स्वामी जहा वस्थत हो वो वाला भाव:-* यह सबसे स््ांग
सूचक होता ककसी भी ग्रह का नक्षत्र ककसी भी भाव मे बैठा होगा, जब जब भी
अमुक ग्रह की दशा चलेगी; वह ग्रह सबसे पहले अपने नक्षत्र स्वामी का र्ल देगा
जहा वह भाव ववस्तार मतलब कस्प चार्थ में बैठा है वहा का र्ल सबसे तेजी से
ओर पहले देगा ।
*(B) ग्रह स्वयं जहा वस्थत हो वो वाला भाव:-* यह दूसरे नंबर का मजबूत
सूचक होता है कोई भी ग्रह अपने नक्षत्र स्वामी के बाद सीधा वहां का मजबूती से
र्ल देता है जहां वह कस्प चार्थ में बैठा हुआ है, यह B लेवल का सूचक कहलाता
है ।
*(C) नक्षत्र स्वामी के रावश वाले भाव:-* नक्षत्र स्वामी के रावश वाले भाव का
मतलब यह है कक कोई भी xyz ग्रह वजस भी नक्षत्र में होता है और उस नक्षत्र की
जो रावशया होती है वही C लेवल का सूचक कहलाता है ।
*(D) ग्रहो के रावश वाले भाव:-* यह होता है लास्र् D लेवल का सबसे कमजोर
सूचक इसमे ग्रह की जो रावश होती है ग्रह उसका भी र्ल देता है लेककन सबसे
कमजोर स्तर पर ।
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*भाग -2*
(1) ऐसे ग्रह वजनके नक्षत्र में कोई ग्रह नही है वह ग्रह D लेवल का भी स््ांग
सूचक बन जाता है , इसे हम untainted ग्रह कहते है।
(2) ऐसे ग्रह वजनके नक्षत्र में भी कोई ग्रह होता है तो वह ग्रह उस नक्षत्र में बैठे
वाले ग्रह का प्रभाव वलया होता है , उसे tainted ग्रह कहा जाता है यह ग्रह
लेवल D के कमजोर सूचक होते है।
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र्ंर्ेड ग्रह के सूचक सामान्य ही बनते है लेककन इनके र्वलत में उनके नक्षत्र में बैठे
वाले ग्रह का प्रभाव ववशेष तौर पर ध्यान रखना होता है ।
ग्रह A B C D
सूयथ 9 6 4,7 12
चंद्र* 9 10 4,7 11
मंगल* 6 9 12 8,3
बुध* 6 6 - 10,1
गुरु 6 9 12 4,7
राहु 6 6 - -
के तु 12 12 - -
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