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Rahul Maheshwari - 7566722730

TOPIC – VIDESH YATRA

*घर से दूररया/विदेश यात्रा*

छोटी यात्रा - भाि 3

लम्बी यात्रा - भाि 9

विदेश यात्रा - भाि 12

छोटी यात्रा के कारक :- मङ्गल , बुध ।

बड़ी लम्बी विदेश यात्रा के कारक:- शन ,िं राहु, गुरु ।

विरोधी भाि - 2&8

भाि- 3,9&12 के स्िामी अगर विदेश जा े िाले भाि के सूचक ब ाता है तो जातक के
विदेश के योग प्रबल होते है ।

कोई भी ग्रह ककसी भी तरह से 3,9&12 का सूचक ब जाये तो उसकी दशा अन्तरदशा में
व्यवि को काफी ट्रेिनलिंग होती रहती है ।

विदेश यात्रा भी देश काल माहौल पर आधाररत है , आजकल वजत ा क्रेज विदेश यात्राओं
का चल रहा है पहले इत ा ही था देश काल के अ स ु ार व्यवि के माहौल में बदलाि होता
है लेकक ग्रह बल अप ी घट ा देता ही है.......पहले के जमा े मे जब 3,9&12 के सूचक
एवटटि होते थे तो व्यवि का एक शहर से दूसरे शहर में जा ा होता है लम्बी दूररया देश के

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अिंदर ही होती रहती थी, आज भी होती है विदेश यात्रा को हम लम्बी यात्रा के रूप में कह
सकते है........आज साध ओर माहौल को देखते हुए विदेश जा ा बेहद सामान्य बात हो
गयी है ।

विदेश के कारक ग्रह :- शव , राहु और गुरु इ ग्रहो की दशा अिंतरा व्यवि को विदेश जा े के
बहुत मौके कदलिाते है और घर से बाहर जा े में सहयोग देते है ।

अष्टम भाि - समुद्री यात्रा का मा ा जाता है यहािं बैठा हुआ राहु विदेश यात्रा में बड़ा
सहायक होता है ।

विदेश यात्रा के कॉवम्ब श


े :- 3,9&12 ; 3&12 , 9&12 , 3&9

अगर 3,9&12 के साथ 2&8 भी रहता है तो विदेश जा े में परे शा ी आती है ।

भाि- 11 विदेश का मुख्य भाि- 12 से बाहरिा जरूर होता है लेकक यह सबसे


लाभदायक भाि मे वग ा जाता है अगर 11 का सम्बन्ध 3,9&12 से जुड़ेगा तो व्यवि को
विदेश(घर से दूररया)जाकर लाभ वमलता है ।

वस्थर रूप से विदेश(घर से लम्बी दूरी) रह े के योग :- 3,9&12 के सूचक के साथ भाि-4
पर क्रूर ग्रह का प्रभाि हो या भाि 4 का स्िामी भी शन /िं राहु/गुरु से सूचक ब ाते हुए
3,8,9&12 का दशााये तो मजबूत रूप से घर से दूररया ब जाती है स्थाई रूप से घर से
विदाई हो जाती है ।

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3,9&12 के सूचक चर रावश द्वारा ब े तो जातक एक जगह से दूसरी जगह पर पहुचता


रहता है , स्थाई रूप से कही ही रटक पाता ।

3,9&12 के सूचक वस्थर रावश द्वारा ब े तो जातक घर से बाहर जहााँ जाएगा िही स्थाई
रूप से रटक जाता है ।

वद्वस्िभाि में दो ो का वमटसअप रहता है ।

बेवसक वशक्षा के वलए विदेश जा ा :- 3,9,12 (विदेश) + 4&11

उच्च वशक्षा के विदेश जा ा :- 3,9,12 (विदेश) + 6,9&11 (उच्च वशक्षा/प्रवतयोवगता


परीक्षा)

कै ररयर के वलए विदेश जा ा :- 3,9,12 (विदेश) + 6&10 (कै ररअर)

*पढ़ाई के वलए विदेश जा ा :-* भाि 12 का स्िामी अप े क्षत्र द्वारा 3,9,12 (विदेश)+
6&11(परीक्षा में सफलता ) का सूचक ब ाये तो व्यवि विदेश पड़ े जाता है ।

Note:- भाि 9 भी 3,9&12 में से ककसी भाि को सूवचत करें तो आसा ी से विदेश में
पढ़ाई हो जाती है ।

*कै ररयर के वलए विदेश जा ा:-* भाि 12 का स्िामी अप े क्षत्र द्वारा 3,9,12 (विदेश)
+ 6&10 (कै ररयर) के सूचक ब ाये तो व्यवि विदेश में रोजगार प्राप्त करता है ।

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Note :- भाि 10 भी 3,9&12 में से ककसी का सूचक ब े तो आसा ी से जॉब विदेश में
वमल जाती है।

विदेश कारक ग्रह :- राहु, शव , गुरु

इ ग्रहो की दशा में जातक ज्यादातर विदेश चला जाता है ।

धमा वत्रकोण(1-5-9) के सूचक साथ + 3,9&12 एवटटि हो तो जातक धार्माक यात्राएिं


करता है ,दा पुण्य , कथा भागित जैसे काम धार्माक गरी जाकर करिाता है ।

अथावत्रकोंण (2-6-10) के सूचक के साथ 3,9&12 एवटटि हो तो जातक वसफा पैसे


कमा े के ऑब्जेटट से ही विदेश जाता है ।

काम वत्रकोण(3-7-11) के साथ 3,9&12 एवटटि हो तो जातक घूम े कफर े एन्जॉय


कर े विदेश जाता है ।

मोक्ष वत्रकोण(4-8-12) के सूचक के साथ 3,9&12 एवटटि हो तो जातक को सन्यासी


होता है , ककसी तरह का मोह इच्छा ही रहती उसकी , भौवतक सिंसार में उसका म ही
लगता आध्यावममक विकास होता है ।

*घर िापसी कब होगी -* 2 , 4 , 8 &11 के सूचकों की दशा में जातक की घर िापसी हो


जाती है ।

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2,8&11 - विदेश(घर से दूर ही रह ा) के विरोधी भाि ।


4 - घर पररिार का ।

टॉवपक - विदेश ( मन्दसौर जातक )

ग्रह P N
सूया 9 -
चिंद्र 9 -
मङ्गल 9&12 3&8
बुध - -

गुरु 9&12 -
शुक्र 9 -
शन िं 9 2&4
राहु 9 2&4
के तु 9&12 -

P - Positive
N- Negative

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(1) लगभग सभी ग्रह े भाि 9 कदया है यह विदेश का सहयक भाि है ।
(2) मङ्गल की दशा ेगरे टि ओर भटकाि िाली सावबत होगी ।

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(3) राहु और शव े रे टि कॉम्बो के साथ भाि 9 कदया है यह काफी


े कारक ग्रह होकर ग
विलम्ब ओर साँघर्ा के बाद विदेश दे सकता है ।

(4) सबसे स्ट्रािंग ग्रह विदेश के के तु ओर गुरु ब े है ।


(5) मङ्गल के अलािा लगभग सभी ग्रह विदेश के सहायक हो रहे है ।(मङ्गल यात्रा देगा
तो कष्टदायक)

(6) एक से ज्यादा प्ले टे के पास भाि 4 आया है जातक का जन्मस्थल से प्रेम या लगाि
बताता है ।

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जातक शव में राहु की अिंतदाशा में विदेश गया 15 अप्रैल 2012 को , राहु विदेश का
कारक ग्रह है और ग े रे टि कॉम्बो के साथ भाि 9 भी कदया है साँघर्ा के साथ विदेश पहुचा े
में कामयाब हुआ है , िही राहु के गुरु की अिंतदाशा शुरू हो े िाली थी जो विदेश का स्ट्रािंग
सूचक में था ग्रह अप े आ े िाले दशा के वहसाब भी एक प्लेटफ़ॉमा ब ाते है राहु इसवलए
भी विदेश दे गया है , ज्यादातर ग्रह विदेश के सहायक ब रहे है जातक का विदेश या घर से
दूर जाकर काम ब े का योग वलखा हुआ था यही भाग्य है ।

वजस समय जातक विदेश गया उस िक़्त गुरु या सूया का स्ट्रािंग सूचक के रावश या क्षत्र में
हो ा जरूरी है सूया के तु के क्षत्र में था ओर गुरु शुक्र के क्षत्र में था ओर चिंद्र शव की रावश
मे था जातक विदेश गया ।

टाइनमिंग ऑफ इिेंट के वलए सबसे पहले अन्तदाशा को पकड़ ा जरूरी है उसके बाद हम
सटीक टाइम को पकड़ े के वलए हमे 2 या 3 ऑप्श का सहारा ले ा पड़ता ही है.........

फरिरी में भी गुरु के तु के क्षत्र से गोचर कर रहा था हम यह समय भी विदेश के वलए ले


सकते है इस तरह के ऑप्श ही टाइनमिंग ऑफ इिेंट में ले ा चावहए ।

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Rahul Maheshwari, MANASA Dist - Neemuch (MP) Falit


Jyotish -Research
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