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धनु लग्न लग्न और विशेष योग :-

जो योग बताये जा रहे हैं , वे हर कुं डली में नहीं मिलेंगे इस लिये अपनी कुं डली से मिलाकर प्रश्न ना करे , धन्यवाद।है।

१. यदि शनि ११ वे भाव में होतो , पत्नी दीर्घायु होती है , तथा जातक स्वयं की मेहनत से सफलता पाता है , तथा धनवान बनता है।

२. पंचम भाव में शनि होतो, जातक की पत्नी की उम्र काम होती है। साथ ही वह लगातार रोगग्रस्त रहती है।

३. पंचम भाव में गुरू जातक का प्रबल भाग्योदय करता करता है। साथ ही यह जातक धनी तथा परोपकारी होता है।

४. सप्तम भाव में मंगल होतो, जातक शौकीन तथा परस्त्री गामी होता है।

५. अष्टम भाव में मंगल योग कारक होता है

६. यदि नवम भाव में मंगल होतो, उसका धन पुत्रो द्वारा नष्ट कर दिया जाता है।

७. नवम भाव में राहू+मंगल की युति जातक के पुत्र को कष्ट पहुँचाती है।

८. सप्तम भाव में मंगल+शुक्र की युति होतो, जातक की पत्नी की मृत्यु घावों के कारण होती हो।

९. अष्टम भाव में मंगल+शुक्र की युति जातक को अकाल मृत्यु देती है।

१०. शुक्र+शनि की युति पंचम भाव में होतो, जातक को उदर रोग होता है।

११. दशम भाव में शुक्र जातक को धनवान बनाता है।

१२. धनु लग्न में शुक्र जितना कमजोर होगा , वह उतने ज्यादा शुभ फल देगा , तथा जातक को धनवान बनायेगा।

१३. यदि गुरू सप्तम भाव में तथा लग्न में शनि+राहू होतो, उस स्त्री का दाम्पत्य जीवन सुखहीन होता है।

१४. यदि सप्तम भाव में बुध हो तथा उस पर कोई पाप प्रभाव होतो उसका शीघ्र विवाह नहीं होता है।

१५. यदि सूर्य +गुरू की युति १० भाव में होतो, जातक उच्च शासनाधिकारी बनता है।

१६. यदि १० भाव में बुध हो, तथा चतुर्थ भाव में राहू या शनि होतो जातक राज्य सेवा में उच्च अधिकारी बनता है।
धनु लग्न और राजयोग :-

१. यदी गुरु और शनी की युती लग्नमें होतो, जातक स्वयं के प्रयासो से धन कमाता है , २रे भाव में होतो अचानक धनलाभ होता है , ३ रे भाव में भाई से , ४ थे भाव में होने पर
माता से , ५ वे भाव में होने पर पुत्र से , ७ वे भाव में होने पर ससुराल से , ९ वे भाव होने पर भाग्य तथा कर्म से , १० भाव में होने पर राज्य से ११ वे भाव में होने पर व्यापार से
धन लाभ , यदी दोनों ग्रह ६ ठे भाव में होतो, शत्रुओं द्वारा धन नाश होता है। ८ भाव में होने पर जीवन भर निर्धनता तथा १२ वे भाव में होने पर खूब खर्च कर जातक निर्धन हो
जाता है।

२. कें द्र में चार पाप ग्रह सूर्य,मंगल, शनी , राहू , तथा धन भाव में पाप ग्रह हो, अथवा धन भाव में सूर्य, शनी या शनी , मंगल होतो, जातक गरीब होता है।

३. गुरु लग्न में , शुक्र ११ वे भाव में तथा बुध १० वे भाव में होतो, जातक कु लीन , व्यापारी तथा महादानी तथा सुखी होता है।

४. यदी ७ वे भाव में सूर्य, मंगल की युती होतो, दूसरे विवाह की सम्भावना होती है।

५. यदी ९ वे भाव में चंद्रमा हो, तथा १० वे भाव में कोई भी ग्रह न होतो, जातक गरीब होता है।

६. यदी सूर्य ११ वे भाव में हो , तथा १२ वे तथा १० वे भाव में कोई ग्रह न होतो, जातक गरीब होता है।

७. यदी सूर्य, बुध की युती ५ वे भाव में होतो, जातक धनवान होता है।

८. यदी गुरु ५ वे भाव में या ११ वे भाव में होतो, जातक दीर्घायु होता है।

९. यदी शुक्र ११ वे भाव में और १२ वे या ७वे भाव में गुरु हो तथा ६ ठे भाव में होतो, जातक धनवान होता है।

१०. यदी चन्द्रमा से १, ८, ७, ४, १२ वे भाव में राहू, मंगल, शनी होतो , स्त्री का नाश होता है।

और योग कल बतायेगे

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