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!! श्रीगणेशायनम: !!
ऄस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्त्रस्य ।
बुधकौशशक ऊशष: ।
श्रीसीतारामचंद्रोदेवता ।
ऄनुष्टुप् छन्त्द: । सीता शशि: ।
श्रीमद्हनुमान् कीलकम् ।
श्रीसीतारामचंद्रप्रीत्यथे मम अत्मरक्षणाथे च पाठे शवशनयोग: ॥
ऄथथ: — आस राम रक्षा स्तोत्र मंत्र के रचशयता बुध कौशशक ऊशष हैं, सीता और रामचंद्र देवता
हैं, ऄनुष्टुप छंद हैं, सीता शशि हैं, हनुमान जी कीलक है तथा श्री रामचंद्र जी की प्रसन्नता के
शलए राम रक्षा स्तोत्र के जप में शवशनयोग ककया जाता हैं |
॥ ऄथ ध्यानम् ॥
॥ आशत ध्यानम् ॥
पातालभूतलव्योम चाररणश्छद्मचाररण: ।
न द्र्ष्ष्टुमशप शिास्ते रशक्षतं रामनामशभ: ॥११॥
जो जीव पाताल, पृथ्वी और अकाश में शवचरते रहते हैं ऄथवा छद्दम वेश में घूमते रहते हैं , वे
राम नामों से सुरशक्षत मनुष्य को देख भी नहीं पाते |
॥ श्री सीतारामचंद्रापथणमस्तु ॥