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हं स योग

हं स योग को वै दक यो तष के अनस ु ार कसी कंु डल म बनने वाले बहुत शभ


ु योग! म से एक माना जाता है तथा यह
योग पंचमहाप'
ु ष योग म से एक है । पंच महाप'
ु ष योग म आने वाले शेष चार योग मा*वय योग, ,चक योग, भ- योग
एवम शश योग ह.। वै दक यो तष म हं स योग क/ 0च1लत प2रभाषा के अनस
ु ार बह
ृ 4प त अथा5त ग'
ु य द कसी कंु डल
म ल6न से अथवा च7-मा से के7- के घर! म ि4थत ह! अथा5त बह
ृ 4प त य द कसी कंु डल म ल6न अथवा च7-मा से
1, 4, 7 अथवा 10व घर म कक5, धनु अथवा मीन रा1श म ि4थत ह! तो ऐसी कंु डल म हं स योग बनता है िजसका शभ

0भाव जातक को सख
ु , समAृ B, संपिCत, आDयािCमक Aवकास तथा कोई आDयिCमक शिFत भी 0दान कर सकता है । हंस
योग के 0बल 0भाव म आने वाले कुछ जातक कसी धा1म5क अथवा आDयािCमक सं4था म उIच पद पर आसीन हो
सकते ह. जब क इस योग के 0भाव म आने वाले कुछ अ7य जातक Kयवसाय, उCतराLधकार, वसीयत अथवा कसी अ7य
माDयम से बहुत धन संपिCत 0ाMत कर सकते ह. तथा ऐसे जातक सामा7यतया सख
ु तथा ऐNवय5 से भरपरू जीवन जीते ह.
तथा साथ ह साथ ऐसे जातक समाज क/ भलाई तथा जन क*याण के 1लए भी नरं तर काय5रत रहते ह. तथा इन जातको
म भी 0बल धा1म5क अथवा आDयािCमक अथवा दोन! ह 'Lचयां दे खीं जातीं ह.। अपने उCतम गण
ु ! तथा Aवशेष च2रQ के
चलते हं स योग के 0बल 0भाव म आने वाले जातक समाज म सRमान तथा 0 तSठा 0ाMत करते ह.।

हं स योग क/ 0च1लत प2रभाषा का य द Dयानपव


ू क
5 अDययन कर तो यह नSकष5 नकाला जा
सकता है क लगभग हर 12वीं कंु डल म हं स योग का नमा5ण होता है । कंु डल म 12 घर तथा 12 रा1शयां होती ह. तथा
इनम से कसी भी एक घर म ग'
ु के ि4थत होने क/ संभावना 12 म से 1 रहे गी तथा इसी 0कार 12 रा1शय! म से भी
कसी एक रा1श म ग'
ु के ि4थत होने क/ संभावना 12 म से एक ह रहे गी। इस 0कार 12 रा1शय! तथा बारह घर! के
संयोग से कसी कंु डल म ग'
ु के कसी एक Aवशेष रा1श म ह कसी एक Aवशेष घर म ि4थत होने का संयोग 144 म
से एक कंु ड1लय! म बनता है जैसे क लगभग 0Cयेक 144वीं कंु डल म ग'
ु पहले घर म मीन रा1श म ि4थत होते ह.।
हं स योग के नमा5ण पर Dयान द तो यह दे ख सकते ह. क कंु डल के पहले घर म ग'
ु तीन रा1शय! कक5, धनु तथा मीन
म ि4थत होने पर हं स योग बनाते ह.। इसी 0कार ग'
ु के कसी कंु डल के चौथे, सातव अथवा दसव घर म भी हं स योग
का नमा5ण करने क/ संभावना 144 म से 3 ह रहे गी तथा इन सभी संभावनाओं का योग 12 आता है जो कुल
संभावनाओं अथा5त 144 का 12वां भाग है िजसका अथ5 यह हुआ क हं स योग क/ 0च1लत प2रभाषा के अनस
ु ार लगभग
हर 12वीं कंु डल म इस योग का नमा5ण होता है ।
हं स योग वै दक यो तष म वYण5त एक अ त शभ
ु तथा दल
ु भ
5 योग है तथा इसके Zवारा 0दान कए
जाने वाले शभ
ु फल 0Cयेक 12व KयिFत म दे खने को नह ं 1मलते िजसके कारण यह कहा जा सकता है क केवल
बह
ृ 4प त क/ कंु डल के कसी घर तथा कसी रा1श Aवशेष के आधार पर ह इस योग के नमा5ण का नण5य नह ं कया
जा सकता तथा कसी कंु डल म हं स योग के नमा5ण के कुछ अ7य नयम भी होने चा हएं। कसी भी अ7य शभ
ु योग के
नमा5ण के भां त ह हं स योग के नमा5ण के 1लए भी यह अ त आवNयक है क/ कंु डल म ग'
ु शभ
ु ह! Fय! क कंु डल म
ग'
ु के अशभ
ु होने से ग'
ु के उपर बताए गए Aवशेष घर! तथा रा1शय! म ि4थत होने पर भी हं स योग नह ं बनेगा अAपतु
इस ि4थ त म ग'
ु कंु डल म कसी गंभीर दोष का नमा5ण कर सकते ह.। उदाहरण के 1लए कसी कंु डल म अशभ
ु ग'
ु के
दसव घर म कक5, धनु अथवा मीन रा1श म ि4थत होने पर बनने वाले दोष के 0भाव म आने वाला जातक कपट अथवा
बगल
ु ा भगत हो सकता है जो धम5 आ द के नाम पर लोग! को ठगने म AवNवास रखता हो, जो उपर से तो धा1म5क
KयिFत अथवा संत होने का दखावा करता हो क7तु वा4तव म कोई ठग अथवा छ1लया ह हो। इसी 0कार कंु डल म
अशभ
ु ग'
ु के Aव1भ7न घर! तथा Aव1भ7न रा1शय! म ि4थत होने से कंु डल म 1भ7न 1भ7न 0कार के दोष बन सकते ह.।
इस1लए कसी कंु डल म हं स योग का नमा5ण करने के 1लए कंु डल म ग'
ु का शभ
ु होना अ त आवNयक है । कंु डल म
ग'
ु के शभ
ु होने का नण5य लेने के पNचात यह भी दे खना चा हए क कंु डल म ग'
ु को कौन से शभ
ु अथवा अशभ
ु ]ह
0भाAवत कर रहे ह. Fय! क कसी कंु डल म शभ
ु ग'
ु पर अशभ
ु ]ह! का 0भाव ग'
ु Zवारा बनाए जाने वाले हं स योग के
शभ
ु फल! को कम कर सकता है तथा कसी कंु डल म शभ
ु ग'
ु पर दो या दो से अLधक अशभ
ु ]ह! का 0बल 0भाव
कंु डल म बनने वाले हं स योग को 0भावह न भी बना सकता है । इसके Aवपर त कसी कंु डल म शभ
ु ग'
ु पर शभ
ु ]ह!
का 0भाव कंु डल म बनने वाले हं स योग के शभ
ु फल! को और भी बढ़ा सकता है जैसे क कसी कंु डल म शभ
ु ग'
ु के
साथ शभ
ु च7-मा के कंु डल के 1, 4, 7 अथवा 10व घर म कक5 रा1श म ि4थत होने से कंु डल म हं स योग के साथ
साथ शिFतशाल गज केसर योग का नमा5ण भी हो जाएगा िजससे जातक को 0ाMत होने वाले शभ
ु फल! म बहुत वAृ B
हो जाएगी।
इसके अ त2रFत कंु डल म बनने वाले अ7य शभ
ु अशभ
ु योग! अथवा दोष! का भी भल भां त
अDययन करना चा हए Fय! क कंु डल म बनने वाले AपQ दोष, मांग1लक दोष तथा काल सप5 दोष जैसे दोष हं स योग के
0भाव को कम कर सकते ह. जब क कंु डल म बनने वाले अ7य शभ
ु योग इस योग के 0भाव को और अLधक बढ़ा सकते
ह.। इस1लए कसी कंु डल म हं स योग के नमा5ण तथा इसके शभ
ु फल! का नण5य करने से पहले इस योग के नमा5ण
तथा फलादे श से संबLं धत सभी नयम! का उLचत ,प से अDययन कर लेना चा हए। कंु डल के पहले घर म बनने वाला
हं स योग जातक को उसके Kयवसाय, धन, संपिCत, 0 तSठा तथा आDयाCम से संबLं धत शभ
ु फल 0दान कर सकता है ।
कंु डल के चौथे घर म बनने वाला हं स योग जातक को कसी धा1म5क अथवा आDयािCमक सं4था म कसी 0 तSठा तथा
0भCु व वाले पद क/ 0ािMत करवा सकता है तथा ऐसे जातक आDयािCमक ,प से भी बहुत Aवक1सत हो सकते ह.। सातव
घर का हं स योग जातक को एक धा1म5क तथा नSठावान पिCन 0दान कर सकता है तथा ऐसा जातक अपनी धा1म5क
अथवा आDयािCमक उपलि`धय! के चलते राSa य अथवा अंतर राSa य 4तर पर bया त 0ाMत कर सकता है । दसव घर
का हं स योग जातक को उसके Kयवसा यक cेQ म बहुत अIछे प2रणाम दे सकता है तथा इस योग के 0भाव म आने
वाले जातक अपने Kयवसा यक cेQ! म नई उं चाईय! को छूते ह. और नए क/ त5मान 4थाAपत करते ह.।

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