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अनुकर्म

बबब बबबबबबब
बबबबबबब
बब
बबबबबबबबबबबब
बबब बालकों के भीतर सामथ्यर् का असीम भण्डार छुपा हुआ है, िजसे
पर्कट करने के िलए जरूरी है – उत्तम संस्कारों का िसंचन, उत्तम
च ा िर ित क िशक ा ए वं भ ा र ती य सं स कृित के ग ौ र व का प िर च य ।
पूज्य बापू जी
'बबब बबबबबबब बबबबबबबब' बब
बबबबबबबबबबबब बबब
बालक को संस्कार पर्ाप्त होते हैं – पिरवार से, पाठशाला स े एवं उसके आस-पास
के वातावरण से। पर्ाचीन समय में इन तीनों का सामंजस्य था। गुरूकुल में िक् श षभा ी
तदनुसार ही होती थी एवं बाहर के वातावरण में वे ही आचार-िवचारदेखनेकोिमलतेथे , िजनकी
ि क्
उषान्हें
श घरतथागुरूकुल में िमलतीथी।
परंतु आज की िस्थित इसके सवर्था िवपरीत है। आज बालक घर में कुछ और ही
देखता है, पाठशालाओंम ें कुछ दूसरा ही पढ़ता है और बाहरी, संसार का अनुभव कुछ िभन्न
ही होता है। िजसके कारण वह अपने गौरवमय अतीत से न तो पिरिचत हो पाता है और न ही
उसका अनुसरण करके एक शर्ेष्ठ नागिरक ही बन पाता है।
आजकल के दूिषत वातावरण में मांसाहार, व्यसनोंकेपर्ितआकषर्ण , अश् लीलता
क ो
भड़काने वाले दृश् य आिद को पर्ोत्साहन िमलता है लेिकन जीवन के उत्थान, नीितपूणर्
आचरण, सफलता के सुलभ उपाय, आज के गितमान युग में बढ़ रहे िचन्ता-तनावों से
बचने के नुस्खे, माता-िपता अध्यापक, सबके िपर्य बनने की युिक्तयाँ आिद बातों का
वत्तर्मानिक्
शम
षा ेंिनतांतअभावहै।
हमारे देश के बालकों में सुसंस्कार िसंचन हेतु, उनके जीवन के सवार्ंगीण
िवकास हेतुशर्ोितर्
यबर्ह्मिनष्ठसंतशर्ीआसारामजीबापूकेपावन-पर्ेरक मागर्दश
र् म
न ें अनेक कायर्कर्म
आयोिजत िकये जाते हैं, जैसे िक 'बबबबबबबबबब बबबबबबबबब बबबबब
बबबबब', बबबबबब बबबबबबब बबबबबब, िवद्यालयोंमेबबबबबबबबब ं बबबबब
बबबबबबबबब एवं पूज्य शर्ी के सत्सािहत्य पर आधािरत पर्ितयोिगताओं का आयोजन
आिद। इसी शर्ंृ खला में एक कड़ी है बबब बबबबबबब बबबबबबबब
सभी सज्जनों, साधकों, देशवािसयों
स े अनुरोध है िक वे इसका लाभ अिधक-से-
अिधक बालकों को िदलायें एवं सेवा के इस स्वणर्-अवसर का लाभ उठाकर अपना जीवन
धन्य बनायें।
शर्य
ी ोगवेदान्सेवा
त सिमित
, संत शर्ी आसारामजी आशशश
र्श
म, अमदावाद।
अनुकर्म
ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

बबबबबबब
बाल संस्कार केन्दर् एक महत्त्वपूणर् कदम
हर घर हो बाल संस्कार केन्दर् अिभयान
बाल संस्कार केन्दर् की आवश् यकताएवं पिरचय
बाल संस्कार केन्दर् की शर ु आ
ू त कैसे करें ?
कायर् पर्णाली
पूज्य शर्ी की कृपा से सफलता
सारस्वत्य मंतर्दीक्षा का पर्भाव
संस्कार िसंचन अिभयान
अिभयान का पर्ारूप
िवद्यालयोंमेइंस अिभयानको कैसेचलाये?ं
िवद्यालयोंको इस कायर्कर्मसेहोनेवालेअिद्वतीयलाभ
कायर्कर्म की रूप रेखा
ितलक की मिहमा
बुिद्धवधर्क पर्योग
मेधाशप िक्तवधर्क र्योग
योगासन
पर्ेरणादायक कथा-पर्संग
ज्ञान के चुटकुले
बाल संस्कार केन्दर् के 21 अनमोल रत्न
ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ
'बब बब बब बबब बबबबबबब बबबबबबब'
बबबबबब
पूज्य सदगुरूदेव की पर्ेरणा एवं मागर्दशर् दन ्वारा भारत भर में पूज्य बापू जी के
सेवाभावी साधकों द्वारा अनेक 'बाल संस्कार केन्दर्' चलाय े जा रह े ह ै । इन बाल
संस्कार केन्दर्ों में गुरूदेव द्वारा बताये गये उपदेशों ए वं अनोखे पर्योगों से
बच्चों की सुषपु ्त शिक्तयों को जागर्त िकया जाता है तािक उनके व्यिक्तत्व का सवार्ंगीण
िवकास होऔरउनका जीवनगुलाबकी तरहमहकउठे।
क्या आप भी अपने बच्चों के जीवन में संस्कार-िसंचन की जरूरत महसूस करते
हैं ?
क्या आप भी अपने घर अथवा आस-पास के क्षेतर् में 'बाल संस्कार केन्दर्' चलान ा
चाहत े ह ै ?
क्या आप 'बाल संस्कार केन्दर्' चलान े ह े त ु मागर द शर न एवं प िश क ण पाना चाहत े
हैं ?
गुरप
ू िू णर्माकेशभ
ु पवर्
परपूज्यबापूजीकेआशीव
सार्दे राष्टर्ीयस्तरपरबब बब बब बबब
बबबबबबब बबबबबबब बबबबबब का शभ ु ारंभ हुआ है। िजसके अंतगर्त भारतभर में
एक लाख 'बाल संस्कार केन्दर्' खोलने का संकल्प िलया गया। यह महासंकल्प पूरा होने
हेतु पूज्य बापू जी ने आशीवार् क द े पुषप ् बरसाये। इस अिभयान के तहत पूज्य शर्ी से
दीिक्षत साधक भाई-बहन अपने घर या आस-पास के क्षेतर् में बबब बबबबबबब
बबबबबबब स्वयं भी खोलें और अपने संपकर् में आने वाले योग्य साधकों को केन्दर्
खोलने हेतु पर्ेिरत करें। 'बाल संस्कार केन्दर्' की सेवा आपके द्वारा सुचारू रूप से
चल े और समय -समय पर मुख्यालय द्वारा उिचत मागर्दर्शन िमलता रहे , इस हेतु सभी साधक
अपना 'बाल संस्कार केन्दर्' अमदावाद आशम र्म ें अवश् य प ंजीकृत करायें।
अनुकर्म
ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ
'बबब बबबबबबब बबबबबबब' बब बबबबबबबब
बबब बबबबबब
बाल्यकाल के संस्कार एवं चिरतर्िनमार्ण ही मनुष्य के भावी जीवन की आधारश िला
हैं।
बालक ही देश शशक ा अ स ल ीधनहै।भारतकाभिवष्
, िवशव
्क
ा गौरवऔरअपन
य ेमाता-िपता की
शानहैं। बच्चदेेशकेभावीनागिरकहैं औरआगे चलकरउन्हके ीं कंधों परदेशकी स्वतंतर्, संस्
ता कृित की रक्षा
तथा उसकी पिरपुिष्ट का भार पड़ने वाला है।
आज पर्त्येक माता-िपता यह चाहते हैं िक उनके बच्चे न केवल स्कूली िवद्या में
ही सफल हों, अिपतु अन्य कलाओं जैसे – खेलकूद, वक्तृत्वआिदतथािविभन्नसामािजकपर्वृत्तयोम ं ेभ
ंी
आगे आयें और सफल बनें। िवद्यालय में िक् श षएक वं पर्धानाचायर् भी अपने
िवद्यािथर्
योसं ेअपेक्षरा खतेहैिंक उनकी बुिद्धकश ु ागर्बनेएवंवेपरीक्षामेअ
ं च्छेपिरणामलायेतािकसमाजम
ं ेउ
ं नकीसंस्था
का गौरव बढ़े। िकंतु दुभार्ग्य की बात है िक आज पाश् चात्यसंस्कृित के अन्धानुकरण के
दौर में िवदेशीटी .वी. च ै न ल ो , चलिच त ो , व्यसनों , अशु द्
खध ान -पान आिद ने वातावरण इतना
दूिषत बना िदया है िक हमारे बच्चे अगर जीवन में अच्छे संस्कार पाना भी चाहें तो
उन्हें ऐसी कोई राह ही नहीं िदखती, िजस पर चलकर वे सुसंस्कारी बालक बन सकें।
ऐसे समय मे बहिनष संत शी आसाराम जी बापू के मागरदशरन से हो रही िविभन सेवा-पर्वृित्तयों द्वारा
बच्चों को ओजस्वी, तेजस्वी, यशस् ब वी नाने हेतु भारतीय संस्कृित की अनमोल कुंिजयाँ
पर्दान की जा रही हैं। इन्हीं सत्पर्वृित्तयों में मुख्य भूिमका िनभा रहे हैं देशमें शशश
व्यापकस्तरपरचलरहेबबब बबबबबबब बबबबबबबब
बबब बबबबबबब बबबबबबब माता िपता एवं गुरूजनों का आदर व आज्ञापालन
जैसे उच्च संस्कार, पर्ाणायाम, योगासन, सूयर्नमस्कार, ध्यान, स्मरणशब िक्त ढ़ाने की
युिक्तयाँ, बाल कथाएँ, पवर्-मिहमा, देशभक् व तों स ंतों -महापुरूषों के िदव्य जीवनचिरतर्
बताना, शर्ीमद् भगवद्गीताकेश्लोक , संतों द्वारा कही गयी सािखयाँ, िभन्न-िभन्न स्पधार्एँ, खेल,
वािषर्कोत्सवआिदकेद्वारािवद्यािथर्योक
ं ी सुषुप्तशिक्तयोंको जागृतकरकेउनकेशारीिरक, मानिसक, बौिद्धक-
सवार्ंगीण िवकास की कुंिजयाँ पर्दान की जाती हैं। अभ्यासकर्म पूरा होने के बाद बालक
को पर्माणपतर् भी िदया जाता है।
बबबब बबबबबब बब बबबबबब बबबबबब बब बबबबबबब बबबब बबबबबब
बबब बबबबबबबबब बबबबब बबबब बब बबबब बबबबब बबबबबबबबब बबब
बबबबब बबबब बब
अनुकर्म
ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ
बबब बबबबबबब बबबबबबब बब बबबबबब बबबब
बबबब ?
बबब बबबबबबब बबबबबबब का कायर्कर्म सप्ताह में एक बार (रिववार, शिनवार
अथवा संचालक और बच्चों की सुिवधानुसार कोई भी िदन) दो घंटे की अविध में करना है।
आवश् यकतानुसारसप्ताह में अिधक बार एवं कोई पवर् आने पर भी आयोजन कर सकते हैं।
केन्दर् संचालक अथवा अन्य साधक का घर, मिन्दर का पिरसर, स्कूल की कक्षा अथवा िकसी
सावर्जिनक स्थल पर 'बाल संस्कार केन्दर्' का शभ ु ारंभ िकया जा सकता है। 6 से 15 वषर्के
भीतर के बच्चों को इसमें पर्वेश िदया जाच सकता है। बालव एवं बािलकाओं को अलग-
अलग िबठायें तथा उनके अिभभावकों और अन्य साधकों को पीछे िबठाया जाये।
बबबबबबबबब बब बबबबबबब पूज्य सदगुरूदेव एवं भगवान के फोटो के समक्ष
धूप दीप, अगरबत्ती आिद करके वातावरण को साित्त्वक बनायें एवं फूल-मालािद से सजावट
करें। सभी बच्चों को एवं अिभभावकों को यथायोग्य स्थान पर िबठाने के बाद थोड़ी देर
हिरनाम-उच्चारण एवं गुरव ू ंदना करें। केन्दर् के शुभारंभ के िदवस पर बच्चों एवं
अिभभावकों का अिभवादन करते हुए उन्हें मुख्य संस्था के उद्देश् शश य, 'बाल संस्कार
केन्दर्' के उद्देश् शश
य, कायर्कर्म-पर्णाली आिद की जानकारी दें एवं आशक र्म े अन्य
सेवाकायोर्ं का िववरण तथा आशक र्म ा पता भी बतायें। िववरण संिक्षप्त एवं स्पष्ट हो।
अंत में बालकों के नाम पूज्यशक र्ी ा संदेश शशशश शशस ु न ा त ेहुएअपनावक्तव्यसम
बच्चों के कायर्कर्म की शुरूआत करें।
सभी बाल संस्कार केन्दर्ों के संचालन में एकरूपता व उच्च कायर्दक्षता लाने
हेतु कायर्पर्णाली तैयार की गयी है। बच्चे केन्दर् में िनयिमतरूप से आयें, इसिलए
यह आवश् यकहै िक बच्चों को हर सतर् में कुछ नया जानने, सीखने व करने को िमले।
इसके अभाव में कभी-कभी केन्दर् के आरम्भ होने के कुछ समय बाद बच्चों की संख्या
में कमी िदखाई पड़ती है। इसिलए दो घंटे की समयाविध को िभन्न-िभन्न िकर्याओं में
बाँट िदया गया है तािक बच्चों की रूिच वह िजज्ञासा बनी रहे तथा उनका सवार्ंगीण िवकास
हो।
अनुकर्म
ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ
बबबबबबबबबबबब
बबबबबबबबब (10 बबबब)- हिरनाम उच्चारणः हिर ॐ का 7 अथवा 11 बार दीघर्
उच्चारण करवायें। मंतर्ोच्चारण। ॐ गं गणपतये नमः। ॐ शर्ी सरस्वत्यै नमः। ॐ शर्ी
गुरभ
ू ्योनमः। इसकेपश ् चात
गुरव
ू न्दना, सरस्वती वंदना करायें।
बबबबबबबबब (5 बबबब)- (भर्ामरी, अनुलोम, िवलोम, ऊजार्यी) महत्त्व, िविध,
पर्ायोिगक पर्श िक्षण।बच्चों के िलए िवशेष उपयोगी भर्ामरी पर्ाणायाम हर सतर् में 5-7
बार करवायें तथा इसे घर भी िनयिमत रूप से करने के िलए पर्ेिरत करें। अनुलोम-िवलोम
पर्ाणायाम और ऊजार्यी पर्ाणायाम का भी अभ्यास करवायें।
बबबबबब, बबबबबबबबबबबब, बबबबबबबब (15 बबबब)- महत्त्व, िविध,
पर्ायोिगक पर् िक्

शषण। र्मशद व ् ारा पर्का ित
पश ुस्तकों योगासन और बालसंस्कार से आसन,
सूयर्नमस्कार एवं मुदर्ायें िसखाएँ। िवद्यािथर्यों के सवार्ंगीण िवकास के िलए 2 सूयर्
नमस्कार, ताड़ासन, शशांकासन , पादपशि ्चमोत्तानासन एवं अंत में श्वासन िनयिमत रूप से
करने जैसे हैं।
बबबब बबबबब, बबबबबबबब (10 बबबब)- िविभन्नपवोर्परउनका ं सामािजक, धािमर्क,
नैितक एवं आध्याित्मक महत्त्व कथासिहत रूिचपूणर् ढंग से बतायें। वत्तर्मान ऋतु के
अनुसार बच्चों को जानकारी दें िक िकस ऋतु में खान-पान, रहन सहन से सम्बिन्धत क्या-
क्या सावधािनयाँ रखनी हैं, कौन-सा आहार स्वास्थ्य के िलए िहतकारी है और कौन सा
हािनकारक है।
बबबबब, बबबबबबबबबब, बबबबबबब, बबबबबबबब बबबबबबबबब (10
बबबब)- बाल संस्कार पुस्तक में से सािखयाँ एवं पर्ाणायाम पंिक्तयाँ िसखायें तथा
साथ ही उनसे जुड़ी कुछ वातार् अथवा कथा सुनायें एवं चचार् करें। बालक इन्हें जीवन
में गहरा उतार लें ऐसा पर्यास केन्दर् संचालक करें। शर्ीमद् भगवद् गीता के 2-5 श्लोकों
का उच्चारण करवायें और अथर् बतायें। गुवर्ष्टकम का पाठ भी कंठस्थ करा सकते हैं।
बबब बबबबबब, बबबब बबबबबबबबबबबब बबबब (25 बबबब)- देशशश भक्शश
तों
शश
एवं संतों के पर्ेरक जीवन-पर्संग बताकर बच्चों को अपने जीवन में िदव्य गुण अपनाने
की पर्ेरणा दें।
बबबबब बबबबबब एकागर्ता, संयम, सत्यिपर्यता, शर्द,्धदया, ा परोपकार, धमर्-रक्षा,
बर्ह्मचयर्, देशशशशपर्े
शशम, अिडगता, भिक्त, त्याग, सेवा, अिहंसा, ईमानदारी, सत्संग शर्वण आिद
सदगुण कथाओं एवं पर्संगों के द्वारा समझायें।
बबबबबबब बबबबबबब दुगुर्णों से होने वाली हािन यथासंभव कथा द्वारा
बतायें तथा दुव्यर्सनों के घातक पर्भाव पर पर्काश डालकर बच्चों को उनसे सावधान
करें। उन्हें अपने जीवन में कभी भी न अपनाने का संकल्प करायें।
बबबबबबब बबबबबबबब बबबबब बब बबबबबबब मौन, तर्ाटक, जप, ध्यान,
संध्या-वंदनआिद।
िशष्ट
काचारे कुछिनयम , िदनचयार्, आदर्शब ालक की पहचान , मातृ-िपतृ भिक्त, सदगुर-ू
मिहमा, मंतर्-मिहमा, यौिगक चकर्, भारतीय संस्कृित की परंपराओं का महत्त्व, परीक्षा में
सफलता कैसे पायें ? िवद्याथीर् छुिट्टयाक
ँ ैसेमनाये
?ं जन्मिदन कैसे मनायें ?
बबबबबबबबबबबबब (10 बबबब)- कायर्कर्म के अंत में अथवा बीच-बीच में
िसखाये हुए िवषयों पर पर्श् न प ूछें।
बबबबबबब बब बबब बबबबब (20 बबबब)- इसमें िविभन्न पर्कार के खेल,
ज्ञानपर्द चुटकुले, पहेिलयाँ, शौयर्गतथाभजन ीत -कीतर्न के माध्यम से बच्चों का
ज्ञानवधर्न एवं मनोरंजन भी करायें।
बबबबबबबबबब-बबबबब बब बबबबबब- वक्तृत्वस्पधार् , लेखन स्पधार्, िच त क ल ा
पर्ितयोिगता इत्यािद के द्वारा बालक की छुपी हुई योग्यता िवकिसत हो ऐसा पर्यास करें।
बबबबबबबबब बबबबबबब (5 बबबब) ऋिष पर्साद, लोक कल्याण सेतु, तथा
आरोग्यिनिध 1, 2 से बालकोपयोगी स्वास्थ्यपर्द बातें, सरल व सचोट घरेलु नुस्खे बच्चों
को बतायें।
बबबब, बबबबबब-बबबबब (10 बबबब)- पूज्य शर्ी की आरती तथा पर्साद िवतरण
करके कायर्कर्म की पूणार्हूित करें।
बबबब यह सारणी मागर्दश र् ह न ेतु ,है आवश् यकतानु
स सार मय कम-ज्यादा कर सकते
हैं। आशद र्म व
् ारा पर्का ितहश मारे ,आदर्
तू गुशशश
लाब होकर महक, परम तप, जीवन िवकास,
मधुर व्यवहार, योगलीला, मन को सीख, नशे स े सावधान, योगयातर्ा-4, पुरष ू ाथर् परमदेव,
यौवन-सुरक्षा- भाग 1 व 2 आिद पुस्तकों का अध्ययन करें। िवद्यािथर्यों से सम्बिन्धत
ऑिडयो कैसेट िवद्यािथर्यों के िलए – भाग 1 से 5, भाग 6 से 10, िवनोदमेव ंेदान्त, बाल-भक्तों
की कहािनयाँ – भाग 1 व 2, ज्ञान के चुटकुले – भाग 1 व 2, सफलता के सूतर्, आिद का िनत्य
शर्वणकरें
तथाकभी-कभी इस कायर्कर्म में बच्चों को भी 15 से 20 िमनट तक पूज्यशक र्ी ा
सत्संग सुनाकर पर्श् न प ूछें। िवद्यािथर्यों के िलए भाग 1 से 5 िविडयोसी.डी. भी िदखा सकते
उत्साही एवं जागरूक साधकों द्वारा िकया गया पर्यास एवं उनकी िनःस्वाथर्
सेवापरायणता उन्हें इस िदशामें कायर्रत करके पूज्यशक र्ी े दैवी कायोर्ं में सहभागी
बनने का सुअवसर पर्दान कर रही है। तो आप भी इस सेवाकायर् में जुडकर बब बब बब
बबब बबबबबबब बबबबबबब बबबबबब में सिम्मिलत होकर अपना तथा भारत के
नौिनहालों, हमारे देश शश क े इ न भ ा वीकणर्धारोंकाभिवष्यउज्जवलबनायें।
अिधक जानकारी हेतु अहमादबाद आशम र्म ें संपकर् करें।
अनुकर्म
ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ
बबबबब बबबब बब बबबब बब बबबबब
परम पूज्य बापू के शर्ीचरणों में कोिट-कोिट पर्णाम।
पूज्य बापूजी की कृपा से मुझे िसतंबर 18 में पुष्कर ध्यानयोग ि िव शमर ें सारस्वत्य
मंतर् की दीक्षा िमली।
मैं िनत्य सुबह जल्दी उठकर स्नानािद करके पर्ाणायाम, शर्ग ी ुरूगीताएवंर्
शआ ी सारामायण का
पाठ तथा सारस्वत्य मंतर् का जप करता हूँ। िजसके फलस्वरूप तथा पूज्य गुरूदेव की असीम
कृपा से मैंने 10 वींकक्षामे9ं3.33% अंक पर्ाप्त करके राजस्थान राज्य की बोडर् की वरीयता
सूची में 11 वाँस्थानपर्ाप्तिकयाहै।
मैं पर्त्येक रिववार सत्संग में जाता हूँ तथा ऋिष पर्साद पितर्का एवं बाल
संस्कार पुस्तक का पठन-मनन करता हूँ। िनत्य पर्ाणायाम करने से मेरी एकागर्ता में
वृिद्ध
हईु हैव आत्मबलबढ़ाहै।मुझे8 वींकक्षासेस्कूल द्वाराछातर्वृित्पर्
ताप्तहोरहीहै।
च े त न कु म ार मौयर
ए-22, बालनगर, करतारपुरा, जयपुर (राज.)।
अनुकर्म
ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ
बबबबबबबबब बबबबब बबबबबब बब बबबबबब
मैं पढ़ने में बचपन से ही कमजोर थी। डॉक्टर का कहना था िक मेरे िदमाग की
नसों में आवश् यकमातर्ा में खून नहीं पहुँच पाता है।
कक्षा 10 वींमेक
ं ठोरपिरशकेर्म बावजूदपिरणामसंतोषकारकनथा। मैह ं ताशशा-िनराशा के बीच झूल
रही थी, तभी चमत्कार हुआ ! कक्षा 11 वींमेम ं ुझेसूरतमेप
ं ूज्यबापूजीसेसारस्वत्यमंतर् लेनेका अवसर
िमला। उसके बाद मेरा भाग्योदय शर ु ू हो गया।
पूज्य गुरूदेव से पर्ाप्त सारस्वत्य मंतर् का िनयिमत जप करने के बाद मैं पढ़ने
में सदैव आगे रही हूँ। कक्षा 12 वींमेिडिस् ं टंक्शनकेसाथ पासहुई औरमुझेपर्माणपतर्ोक ं ेसाथ दोटर्ािफयाँ
भी िमली।
पर्ाध्यापक बनने के इरादे से मैंने आटर्स में एडिमशन ि ल या। पर्थम-िद्वतीय
वषर्
मेत
ं ोपर्थमशर्ेणीसेपासहुई िकंतुअंितमवषर्मेमं ुझेिचंताहोनेलगी। मैंनऔ े रमाता-िपता ने बड़-बादशाह की
मनौती मानी और उस वषर् चमत्कार हो गया।
पर्थम शर्ेणी के साथ मुझे पूरे िवश् विवद् म यालय ें िद्वतीय स्थान िमला ! मुझे
कालेज की तरफ से 5 स्वणर्पदक और 1 कांस्यपदक तथा 8 रजत पदक गाँधीनगर, पाटण तथा
चा द ख े ड ा क े त ो म े प थ म स थान प ा प त करन े क े िल ए िम ल े । इस प क ा र मु झ े कुल
14 पदक पर्ाप्त हुए।
पूज्य बापू जी की कृपा से पर्ाप्त मेरी िजंदगी का यह खुशनसीब ि द न मैं कभी नहीं भूल
पाऊँगी....
िशल्डपााह्याभाईधारवा,
छातर्ा – एम.ए. (समाजशश ास्
शशशतर्
), चा द ख े ड ा , अमदावाद (गुज.)।
शश
अनुकर्म
ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ
बबबबबबब बबबबब बबबबबब
बाल्यकाल ही जीवन की नींव है और बालक-बािलकाएँ ही घर, समाज व देश शशकीधरोहर
हैं। नींव सँभली तो सब सँभला, बाल्यकाल को सँवारा तो समझो जीवन सँवरा। अतः बालकों
में सुसंस्कारों का िसंचन करना हम सबका राष्टर्ीय कत्तर्व्य है।
िजस दीपक में तेल नहीं वह पर्का ित नश हीं हो सकता, इसी पर्कार िजस शरीर में
संयम-बल नहीं, ओज-वीयर् नहीं, उसकी इिन्दर्यों, मन, बुिद्ध में िवशेष
ि न खार नहीं आ पाता।
अतः हर व्यिक्त का कत्तर्व्य है िक वह अपनी युवावस्था में संयम-सदाचारपूवर्क रहकर
अपनी शारीिरक, मानिसक, बौिद्धक एवं आित्मक शिक्त का िवकास करे।
भारत का सवार्ंगीण िवकास व उज्जवल भिवष्य सुसंस्कारी बालकों व चािरत्र्यवान
एवं संयमी युवानों पर आधािरत है। अपने देश के िवद्यािथर्यों में सुसंस्कार िसंचन
हेतु, उनका िववेक जागर्त करने हेतु एवं उनके जीवन को संयमी, सदाचारी, स्वस्थ व सुखी
बनाकर उनके सुंदर भिवष्य िनमार्ण हेतु परम पूज्य संत शर्ी आसाराम जी बापू के पावन
पर्ेरक मागर्दर्शन में देशभर में संस्कार िसंचन अिभयान व्यापक रूप से चलाया जा रहा
है।
संत शर्ी आसाराम जी आशद र्म व
् ारा बाल संस्कार व युवाधन सुरक्षा पुस्तकें आज
लाखों िवद्यािथर्यों को सवार्ंगीण िवकास की कुंिजयाँ पर्दान कर रही हैं। संस्कार िसंचन
अिभयान के अंतगर्त इन दो पुस्तकों को िवद्यािथर्यों तक पहुँचाया जाता है। आप भी इस
अिभयान में, राष्टर्-जागृित के दैवी कायर् में सहभागी होकर ऋिषज्ञान की पावन गंगा
िवद्यािथर्
योक
ं ेजीवनमेब
ं हायें।
अनुकर्म
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बबबबबब बब बबबबबबब
साधकों को इस अिभयान के अंतगर्त बाल संस्कार व युवाधन सुरक्षा पुस्तकें
िवद्यािथर्
योत
ं क पहुँचानेका दैवीकायर्
करनाहै।
200 पुस्तकें (बाल संस्कार व युवाधन सुरक्षा िमलाकर) खरीदने पर एक रजत काडर्
िदया जायेगा और ऐसे 10 रजत काडर् जमा करने पर एक स्वणर् काडर् िदया जायेगा।
स्वणर् काडर् धारक को पूज्यशक र्ी े सािन्नध्य में होने वाले एक सत्संग कायर्कर्म
अथवा ध्यान योग ि िव शमर ें आगे बैठने का लाभ पर्ाप्त होगा। ध्यान दें -
एक स्वणर् काडर् धारक एक ही कायर्कर्म या ि िव शमर ें इस व्यवस्था का लाभ ले
सकता है।
ध्यान योग ि िव शमर ें काडर् धारकों हेतु िवशेष ब ैठक व्यवस्था मयार्िदत रहेगी ,
अतः वे अमदावाद मुख्यालय का संपकर् कर अपना स्थान सुिनशि ्चत कर लें। सत्संग-
कायर्कर्मों में यह व्यवस्था िवस्तृत रूप में उपलब्ध होगी।
गुरपू िू णर्माकेसमययहसुिवधाउपलब्धनहींहोगी।
पर्ितयोगी को स्वणर् काडर् अमदावाद मुख्यालय अथवा सत्संग स्थल पर लगी बाल
संस्कार पर्दश र् म नी ें ही पर्ाप्त हो सकेगा।
भारत को 10 पिरक्षेतर्ों में िवभािजत कर हर पिरक्षेतर् में सवार्िधक स्वणर्
काडर् पाने वाले 3 धारकों को सन् 2006 की गुरूपूिणर्मा के अवसर पर पूज्य शर्ी के कर
कमलों द्वारा पर्माणपतर् एवं कर्मशःसव ् णर् , रजत व कांस्य पदक पर्ाप्त होगा।
इस स्विणर्म अवसर के साथ-साथ इन पुस्तकों पर िवशेष छ ूट योजना का भी लाभ इस
अिभयान में सहभागी होने वालों को िमल सकेगा। योजना इस पर्कार हैः
साधक अगर 200 पुस्तकें (बाल संस्कार व युवाधन सुरक्षा िमलाकर) िकसी भी आशशश र्श

से खरीदता है तो उसे बाल संस्कार पर 15 % एवं युवाधन सुरक्षा पर 28.5 % छूट पर्ाप्त
होगी। िजन भाषाओं में युवाधन सुरक्षा पुस्तक नहीं छपी है, उन भाषाओं में अगर यौवन
सुरक्षा पुस्तक उपलब्ध है तो उस पर 15 % छूट पर्ाप्त होगी।
रजत काडर् पर्ाप्त करने हेतु खरीदी जाने वाली हर 200 पुस्तकों में युवाधन सुरक्षा
पुस्तक की संख्या कम से कम 50 होना अिनवायर् है।
इस अिभयान के पर्चार पर्सार हेतु घर घर व िवद्यालयों में जाकर इन पुस्तकों की
िबकर्ी की जा सकती है। बैंकों, कंपिनयों, शासकीय , अधर्शश
ासकीय,
शशशश िनजी व अन्य व्यापािरक
पर्ितष्ठानों एवं स्वयंसेवी संस्थानों आिद में भी इन पुस्तकों की िबकर्ी की जा सकती है।
इसमें शैक्षिणक संस्थाओं व िवद्यालयों पर िवशेष ध ्यान िदया जाये।
अनुकर्म
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बबबबबबबबबब बबब बब बबबबबब बब बबबब
बबबबबब ?
सवर्पर्थम िवद्यालय के पर्धानाचायर् से भेंट कर अपनी संस्था का पिरचय देते
हुए उन्हें संस्कार िसंचन कायर्कर्म के बारे में बतायें। उनसे कायर्कर्म के िलए 30-
40 िमनट का समय व पुस्तकें िवतिरत करने हेतु अनुमित ले लें। उन्हें युवाधन सुरक्षा व
बाल संस्कार पुस्तकें भेंटरूप में दे सकते हैं।
अनुमित िमलने पर संस्कार िसंचन कायर्कर्म के अन्तगर्त िवद्यािथर्यों को नैितक
मूल्यों तथा आसन-पर्ाणायाम आिद की ि क्
शपषा र्दान करें।
अनुकर्म
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बबबबबबबबबब बब बब बबबबबबबबब बब बबबब
बबबब बबबबबबबब बबब
इस कायर्कर्म से िवद्यािथर्यों में संयम सदाचार बढ़ेगा, िजससे िवद्यालय में
अनुशासन
क ा स्तर भी बढ़ेगा।
िवद्यािथर्योक
ं ा सवार्ंगीणिवकास होगाऔरवेअध्ययनकेअितिरक्तखेलकूद, वक्तृत्व-स्पधार् आिद अन्य
िविवधक्षेतर्

ोंेभं ीिवद्यालयका नामरोशन करने मेस
ं क्षमबनेंगे।
उनमें अपनी संस्कृित के पर्ित पर्ेम पैदा होने से वे अपनी संस्कृित की िविवध
परंपराओं का अनुसरण करते हुए गुरूजनों एवं माता-िपता का आदर करना शर ु ू करेंगे।
कायर्कर्म में िसखाये जाने वाले पर्ाणायाम, पर्ाणवान पंिक्तयों आिद के माध्यम
से वे पर्ाणबल-संपन्न बनेंगे एवं कायर्कर्म में सेवा की महत्ता जानकर परोपकारमय
जीवन जीने की ओर अगर्सर होंगे।
उन्हें पुरूषाथीर् बनने की पर्ेरणा िमलेगी, िजससे वे जीवन के उच्च लक्ष्यों को
पर्ाप्त करने में सफल हो सकेंगे।
कायर्कर्म में राष्टर्भक्तों के जीवन के पर्ेरक पर्संग सुनकर उनमें
राष्टर्भिक्त की भावना जागर्त हो जायगी।
अनुकर्म
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बबबबबबबबब बब बबब बबबब
पूज्य बापू जी द्वारा सत्संग में बतायी गयी िवद्याथीर्-जीवन के िवकास में उपयोगी
बातें बताकर उनके द्वारा कराये जाने वाले यौिगक पर्योगों का पिरचय दें।
िवद्यािथर्
योक
ं ेजीवनमेइंनसेहोनेवालेचमत्कािरकलाभोंकी जानकारीदेते हुएकायर्कर्मकी शु रूआत करें।
हिरनाम उच्चारण व पर्ाथर्ना (गुरूबर्रह्मगु
् ा रूिवर्ष्णुः......संक्षेप में) करें।
अनुकर्म
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बबबब बब बबबबब
बबबबबबबबबबब बबबबबब बबबब बबब बबबब बबबबबबबबबबबबब ब।
बबबबबबबब बबबबबबब बबबब बबबबब बबबबब बबबबबब
'ललाट पर ितलक िकये िबना स्नान, दान, तपस्या, होम, देव-पूजन, िपतृकमर् – सब
िनष्फल हो जाते हैं।'
बर्ह्मवैवतर् पुराण
वैज्ञािनकतथ्यःललाटपरदोनोंभौहोंकेबीचआज्ञाचकर्
(ि शश
वनेतर्
है और उसके पीछे के भाग में
श शश)शश
दो महत्त्वपूणर् अंतः सर्ावी गर्ंिथयाँ िस्थत हैं- पीिनयल गर्ंथी, पीयूष गर्न्थी।
ितलक लगाने से इन दोनों गर्ंिथयों का पोषण होता है। फलतः िवचारशिक्त का
िवकास होताहै।इससेनािड़योंका शोधनभीहोताहै।
बबबबबबबबबबब बबबबबबब
बबबबब सीधे खड़े होकर दोनों हाथों की मुिट्ठयाँ बंद करके हाथों को शरीर से
सटाकर अपना िसर पीछे की तरफ ले जायें और दृिष्ट आसमान की ओर रखें। इस िस्थित
में तेजी से 25 बार शव् ास लें और छोड़ें। िफर मूल िस्थित में आ जायें। इस पर्योग
के िनयिमत अभ्यास से ज्ञानतंतु पुष्ट होते हैं। चोटी के स्थान के नीचे गाय के खुर
के आकारवाला बुिद्धमंडल होता है, िजस पर इस पर्योग का िवशेषप र्भाव पड़ता है और
बुिद्धशक
िक्त ा िवकास होता है।
बबबबबबबबब बबबबबबब
बबबबब सीधे खड़े होकर दोनों हाथों की मुिट्ठयाँ बंद करके हाथों को शरीर से
सटाकर रखें। आँखें बन्द करके िसर को नीचे की तरफ इस तरह झुकायें िक ठोढ़ी कंठकूप
से लगी रहे और कंठकूप पर हलका सा दबाव पड़े। अब इस िस्थित में उपरोक्त िविध से 25
बार शव
् ास लें और छोड़ें। िफर मूल िस्थित में आ जायें। इस पर्योग से मेधाशशशशश
िक्त
बढ़ती है।
अनुकर्म
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बबबबबबब ताड़ासन – िवद्यािथर्यों को इस आसन के लाभ बतायें एवं इसे
करना िसखायें।
बबबबबबबबबबब बबब-बबबबबबब 5 वींव 6 वींकक्षाकेिवद्यािथर्यों
को लालबहादुर शास्तर्ी जी के जीवन पर्संग साहिसक लड़का (हमारे आदर् श प ुस्तक देखें )
जैसा एक पर्ेरणादायक पर्संग बता सकते हैं।
7 वींसे12 वींकक्षाकेिवद्यािथर्
योक
ं ो संयम-सदाचार की मिहमा बताते हुए युवाधन सुरक्षा अथवा
यौवन सुरक्षा भाग 1 व 2 से कोई पर्ेरणादायक दृष्टांत दें। जैसे स्वामी िववेकानन्द का
आँखों में िमचर् वाला पर्संग बता सकते हैं।
अनुकर्म
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बबबबब बब बबबबबबबब एक युवान शाम के समय तेजी से स्कूटर
चलाकर आ रहा था। स कू टर की ह े ड लाइट नही थी। सामन े स े पुिल स अिध कारी न े उस े
रोकते हुए कहाः "रूक, तेरे स्कूटर पर लाइट नहीं है, मैं चालान करूँगा, रूक जा !"
युवान ने कहाः "पुिलसवाले ! हट जा मेरे स्कूल में बर्ेक भी नहीं है, तुम पर
िगरूँगा।"
हमारे जीवनरूपी स्कूटर में ज्ञान के पर्काश शशक ी ह े ड ल ाइटऔरसंयमकीबर
चािह ए।
बालकों को इस पर्कार के ज्ञानवधर्क चुटकुले सुनायें। (ज्ञान के चुटकुले
कैसेट सुनें।)
वक्तृत्वसंक्षेप
मेप
ंरू ाकरनेकेबादिवद्यािथर्
योक
ं ो युवाधनसुरक्षाऔरबालसंस्कारपुस्तकोंका पिरचयव मिहमा
बताते हुए उन्हें ये पुस्तकें खरीदने हेतु पर्ेिरत करें। वहाँ पर िबकर्ी हेतु यथासंभव
उसी िदन पुस्तकें साथ ले जायें। कायर्कर्म की अविध 30-40 िमनट से अिधक न हो।
यह पर्ारूप मातर् मागर्दश र् ह
न ेतु ,है आवश् यकतानु
स सार मय तथा वक्तृत्व में बदलाव
ला सकते हैं।
अपने क्षेतर् में संस्कार िसंचन अिभयान को सफल बनाने हेतु सभी साधक
व्यापकरू प सेदोनोंपुस्तकोंका पर्चार-पर्सार करें। स्वणर् काडर् पर्ाप्त कर पूज्य शर्ी का सािन्नध्य-
लाभ पायें व अपनी आध्याित्मक उन्नित करें। इस अिभयान के द्वारा इन दो पुस्तकों के
माध्यम से पूज्य शर्ी की अमृतवाणी अिधक से अिधक िवद्यािथर्यों तक पहुँचाने के पुनीत
कायर् में सभी सहयोगी बनें।
यौवन-सुरक्षा अथार्त् अपने सवर्सव ् की सुरक्षा.... सवेर्श् वर
क ो पाने की योग्यता की
सुरक्षा और बाल संस्कार अथार्त् बालकों के उन्नत जीवन का आधार.... अतः 'बबबबबबब
बबबबब बबबबबब' चलान े वाल े पु ण या त म ा ओं क े साथ आप भी कं ध े -से-कंधा िमलाकर
मानवता की सेवा और सुरक्षा में साझीदार बनें। आप भी इन पुस्तकों को इस ढंग से
बेचें या बाँटें िक सामने वाला व्यिक्त 'बबबबबब बबबबबबब' पुस्तक पाँच बार
पढ़ने को सहमत हो जाय और बालक एवं अिभभावक 'बाल संस्कार' पुस्तक का लाभ लें।
अनुकर्म
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अिधक जानकारी हेतु संपकर् करें- 'बाल संस्कार केन्दर् िवभाग
शर्अ
ी िखलभारतीययोगवेदान्सेवात सिमित ,
संत शर्ी आसाराम जी आशशश र्श
म,
संत शर्ी आसाराम जी बापू आशम र्म ागर् ,
अमदावाद – 380005, फोनः 079- 27505010,11
Email: balsanskar@ashram.org
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बबब बबबबबबब बबबबबबब बब 21 बबबबब
बबबब
बबबबबबबब बबबबबब बबबब
1. सूयोर्दय से पहले बर्ह्ममुहूतर् में उठना।
2. पर्ातः शुभ िचंतन, शुभ संकल्, पइष्टदेव अथवा गुरूदेव का ध्यान।
3. करदर् शशशश नश।
4. पर्ाथर्ना, जप, ध्यान, आसन, पर्ाणायाम।
5. सूयर् को अघ्यर् एवं सूयर्नमस्कार।
6. तुलसी के 5 पत्तों का सेवन कर 1 िगलासपानीपीना।
7. माता-िपता एवं गुरूजनों को पर्णाम।
8. िनयिमत अध्ययन।
9. अच्छी संगत।
10. भोजन से पूवर् गीता के पंदर्हवें अध्याय का पाठ व साित्त्वक, सुपाच्य तथा
स्वास्थ्कर भोजन।
11. ितर्काल संध्या।
12. सत्शशास्
शशश तर्
-पठन और सत्संग-शर्वण।
शश
13. सेवा, कत्तर्व्यपालन व परोपकार।
14. सत्य एवं मधुर भाषण, अिहंसा, अस्तेय (चोरी न करना )।
15. समय का सदुपयोग।
16. परगुणदर् शशशश (नदूसरों के अच्छे गुणों पर दृिष्ट रखना)।
17. घरकाममेम ं ददऔरस्वच्छता।
18. खेलकूद।
19. तर्ाटक, मौन।
20. जल्दी सोना-जल्दी उठना।
21. सोने से पहले आत्मिनरीक्षण, ईशर-गुरद ू ेवका िचंतन, धन्यवाद।
अनुकर्म
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