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ऊँ शीगणेशाय नम:

मंगलाचरण

बंदं हंु ं वीणा वािदनी, चरण कमल िचतलाय।


माता बुिद िवदायनी, किरयो मोर सहाय।।

गौरी-सुत गणराज को, बारमबार पणाम।


िवघ हरन मंगल करन, सुख दाता सुख धाम।।

परिननदा ईषाZ जलन, कोध मोह मद मान।


मानव जीवन मे गढ़त सदा दुखद सोपान।।

िमत-शतु कोई नही, जेिह जस लेविहं मान।


समय परे पर कीिजये, िमत-शतु पहचान।।

कोई बड़ा छोटा नही, सब जन एक समान।


करनी से नृप रंक हो, िनधरन हो धनवान।।

न कोउ दुबरल न बली, न कोउ बाज बटेर।


समय होत बलवान अित, िबगड़त बनत न देर।।

बोल चाल मे घोिलए, पेम और सदभाव।


जो चाहो कलयाण सुख, शतुिह-िमत बनाव।।

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