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बबबबबब बबब बबबबबबब बबबब बबबबब ?

(पूजय बापू जी के सतसंग पवचन से)


हमारी बुिद के पकाशक भगवान है, जो हमे बुिद देते है। समझो, हम ईशर, गुर या देवता की उपासना करते
है तो उनसे हमे बिढया बुिद िमलती है। उस बुिद से जो बिढया काम होता है, हम समझते है िक हमने वह िकया और
बिढया बुिद देने वाले इषदेव को, भगवतसता को भूल जाते है तो वह बिढया बुिद आगे चलके राजसी हो जाती है।
बबबबबबबबबबबबबबबब बबबबबबबबबब बबबबबब।
अहंकारी अपने को कता मानता है। हम कुछ भी देखते है तो सूयर के सहयोग से देखते है, सूयर के सहयोग
के िबना हम देख नही सकते है। चाहे राित को भी देखते है तो सूयर का सहयोग है कयोिक बती या लाइट का पकाश
घूम िफर के सूयर की िकरणो का रपातरमात है। जैसे जो भी तरंगे है उनके मूल मे पानी है, ऐसे ही जो भी बुिदया है
उनके मूल मे ईशर की सता है।
ईशर एक है और बुिद िभन-िभन कयो ? तामसी संसकार, राजसी संसकार, सािततवक संसकार, ईशरपसादजा
संसकार, तततवपसादजा संसकार – इस पकार अनेक तरह के संसकार, पाथरना, खानपान के अनुसार हमारी बुिद एक
दूसरे से िभन है। जैसे तामसी बुिद है तो अधमर को मानेगी, अचछाई को बुराई मानेगी, बुराई को अचछाई मानेगी। पान-
मसाला खा िलया, दुराचार कर िलया, शराब पी ली, संगह कर िलया, दूसरो को फँसाने के िलए उन पर झूठे आरोप
लगा िदये – यह तामसी बुिद का काम है। बुिद जो आती है वह तो ईशर देता है लेिकन तामस, रजस भाव होने से
अमुक पकार की बुिद हो जाती है। कोई ठीक िनणरय न कर सके, ऐसी बुिद हो जाती है। जब जप धयान होता है और
सािततवक आभा बनती है तो ईशरपसादजा बुिद िमलती है। इस पकार की बुिद ईशरपािपतवाली हो जाती है। तो बुिद
का पेरक, पकाशक और अिधषान तो परमातमा ही है।
आप िकसी देवता की उपासना करते है और उससे आपके कायर मे आये िवघ अथवा आपका जो दुःख है वह
िमट गया तो देवता ने जाकर वहा दुःख िमटाया नही अथवा दुःख देने वाले को देवता ने मारपीट कर भगाया नही
लेिकन आपके अंतःकरण मे उस देवता की भावना के बल ऐसी बुिद िमली की आप उसके चंगुल से बच गये और आपने
पाथरना की तो ईशर की पेरणा से दुशमन की बुिद ऐसी िवपरीत हुई िक उसने झूठमूठ मे आरोप लगाये और जो सेिटंग
वह करता रहा वह उलटी हो गयी। जैसे शंकराचायर जयेनद सरसवती को फँसाने वाले लोगो ने खूब बुिद लगायी और
महाराज जेल तक पहुँच गये, िफर उनकी बुिद मे भगवदभाव, भगवतपाथरना आयी तो िफर हम लोगो की बुिद मे भगवान
ने वही उतसाह िदया िक हम उनके पक मे सतयागह मे आये नही तो खूब पचार िकया जा रहा था िक 'इनहोने अपराध
िकया है, करवाया है, मडरर करवाया है, फलाना करवाया है, मडरर करवाया है, फलाना करवाया, िढमका करवाया
है.....' न जाने िकतने िकतने आरोप लगवाये ! तामसी बुिदयो का खूब पचार-पसार हो गया था लेिकन उनकी पाथरना
ने सािततवक बुिदयो को जागृित दी तो अटल जी भी आ गये मैदान मे, भूतपूवर पधानमंती चनदशेखर भी आ गये, हम भी
रहे मैदान मे, दूसरे भूतपूवर राषटपित भी आ गये थे। तो बुिद तो फँसाने वालो को भगवान ने दी और छुडानेवालो के भी
भगवान ने दी। जयेनद सरसवती महाराज ने जेल मे शात होकर जो पाथरना की थी, उनकी पाथरना ईशर ने सवीकार
करके ऐसा खेल कर िदया िक फँसाने वाले ही बुरी तरह फँस गये। िकसी की तो हालत बुरी हो गयी, िकसी का राजय
चला गया, िकसी का कुछ हो गया....। तो ईशर की लीला है। कौरवो की बुिद के अिधषान भी परमातमा है और
पाणडवो की बुिद के अिधषान भी परमातमा है और परमातमसवरप मे पकट हुए शीकृषण की बुिद के अिधषान भी वही
बह-परमातमा से जुडे है, कौरव तामसी, राजसी बुिद के दारा जुडे है और पाणडव जुडे है राजसिमिशत सािततवक बुिद
के दारा। उनकी बुिद सािततवक कयो बनी रही ? कयोिक उनके साथ युिधिषर महाराज थे, भगवान शीकृषण उनके
सलाहकार, आजा देने वाले थे। इसीिलए वे राजसी बुिद मे भी फँसे नही, तामसी मे फँसे नही, सािततवक बुिद का
आशय िमलते-िमलते वे युद मे भी िवजयी हुए और संसार के भोगो मे भी अनासकत रहे। तो यह है असंग बुिद।
बबबबबबबबबबबबबबबबबबबबब।बबबबबबब बबबब बबब
'समबुिदरप योग का अवलमबन लेकर मेरे परायण और िनरंतर मुझमे िचत वाला हो।'
(भगवदगीताः 18.47)
तो आप भी अपनी बुिद मे भगवदयोग ले आओ।
सोत लोक कलयाण सेतु जनवरी 2010.
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