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IMPORTANT NEWSCLIPPINGS (05-July-18)
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Date: 05-07-18

End The Mistrust


Prevention of Corruption Act needs to be amended, BJP must take the initiative

TOI Editorials

In the run-up
up to a general election, it is customary for corruption to dominate political discourse.
However, Union minister Arun Jaitley made a refreshing departure from the usual round of allegations by
arguing that the three decade old Prevention
revention of Corruption Act (PCA) is out of sync with the times.
According to Jaitley, the Act is counterproductive and has ended up as a “charter for bringing government
to a standstill”. We agree. This legislation is not only badly drafted but is clearly at odds with policies
governments have pursued since 1991. It certainly deserves to be amended.

Following reforms of 1991, government began to invite private sector to partner it in building
infrastructure. The vehicle for it, public private partnership ((PPP),
PPP), results in the supply of a public asset
or service by a private player on a commercial basis. PPP took off in the last decade, with new
international airports and ports being the most visible examples. Private sector investment in hard
infrastructure,, in partnership with government, surged. But PCA remains stuck in the past, penalising
even honest decisions by public servants which, with the passage of time, may not have worked out as
intended.

Not amending PCA is not an option. India needs infrastruc


infrastructure
ture for development and PPP is essential. The
political class understands this imperative and over the last five years two bills have been introduced, by
UPA and NDA respectively, to actualise it. Yet it remains unchanged. In the recent past, CBI has arrested
arre
or charge sheeted half a dozen public sector bankers over decisions on loans which turned out to be
wrong. In the current environment where the distinction between genuine if wrong by hindsight and
mala fide decisions has been erased, decision making in government can indeed be brought to a standstill.

Jaitley and his colleagues in Parliament must make the first move to change things. The political class has
brought about this situation by lowering the threshold of evidence whenever it flings charges of o
corruption. It has created an environment of rampant mistrust, where even a much needed amendment
to PCA cannot be passed because of negative optics. This logjam can end only if the main political parties
reach an understanding to engender trust, with BJ
BJP
P taking the lead. This will allow Parliament to amend
PCA and also catalyse an improvement in CBI’s capabilities and actions.

Date: 05-07-18

The Supreme Court Boosts Democracy


ET Editorials
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IMPORTANT NEWSCLIPPINGS (05-July-18)

The Constitution bench of the Supreme Court of India has given


a shot in the arm for democracy, for clarity on the role and
responsibility of the lieutenant governor of the National Capital
Territory (NCT) of Delhi and to the Aam Admi Party government
of Delhi in its perpetual confrontation with the Centre.

However, in the judgment penned by Chief Justice Dipak Misra,


there is also gentle cajoling of the leaders of the Delhi
government to give up anarchic tactics. However, the judgment
does not resolve the question as to whether Delhi, which is a Union territory with a legislature and a
council of ministers, should have full statehood or not. That is not a judicial matter, but a political one, on
which the court has legitimately refused to weigh in.

In the cabinet form of government, the advice of the council of ministers has primacy, even in a Union
territory that Parliament can technically choose to govern through the President. This primacy prevails in
areas marked out in the States List of the Constitution, other than those that have been specifically
omitted, as in Delhi’s case: land, police and public order.

It is not necessary for the lieutenant governor to concur with every decision of the government of NCT,
although every decision must necessarily be communicated to the lieutenant governor. Delhi CM Arvind
Kejriwal will find himself vindicated on a number of counts, in his stand-off with the lieutenant governor
acting as the representative of the central government.

While the lieutenant governor has the power to refer to the President any decision of the government he
finds problematic, the court is clear that the lieutenant governor has no powers himself, unless faced with
an emergency, and that if every decision is referred to the President, that would vitiate the purpose of
having a council of ministers in Delhi. Ideally, the NCT should shrink to the New Delhi Municipal Area
where the Union government is located. Other parts of Delhi should have the right to belong to a
fullfledged state, in which the citizens decide on all State List subjects, including land and law and order.

Date: 05-07-18

अपया त राहत

संपादक य

सरकार ने खर फ क फसल के लए िजस नए यन


ू तम समथन मू य (एमएसपी) क घोषणा क है वह काफ हद तक
उस घोषणा के अनु प ह है िजसम उसने उ पादन लागत से 50 फ सद अ धक एमएसपी दे ने क बात कह थी। परं तु
इससे कसान को अपया त राहत ह मलेगी। हर उ पादक को ये दर मल, इसके लए एक ऐसी यव था कायम करनी
होगी िजसम कोई चूक न हो। दभ
ु ा यवश आज क घोषणा म इस अहम मु दे पर भी खामोशी बरती गई है। इसम केवल
मौजद
ू ा बाजार समथन यव था को जार रखने क बात क गई है । परं तु यह यव था बहुत सी मत कसान तक ह
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पह
हुंचती है। सरकार का कहना है क क मत म कए जाने वाले इस इजाफे से सरकार पर कर ब 335 अरब पये का
अ त र त व ीय बोझ पड़ेगा। यह सकल घरे लू उ पाद (जीडीपी) के 0.2 फ सद के बराबर है । परं तु चूं क यह अनम
ु ान
केवल खर फ क फसल का है इस लए कहा जा सकता है क जब आ
आगामी
गामी रबी सीजन क फसल के लए भी ऐसी ह
बढ़ोतर क जाएगी तो सरकार पर सालाना व ीय बोझ बहु त अ धक बढ़ जाएगा। अभी यह प ट
टï नह ं है क इस कदम
का खा य मु ा फ त पर या असर होगा। हालां क शायद इनका उतना असर नह ं हो य क ये क मत चु नंदा फसल
पर लागू होती
ती ह और वह भी सी मत इलाक म।

ामीण े क नराशा दे खते हु ए सरकार क को शश यह है क एमएसपी म क गई बढ़ोतर कसान क आय म


बढ़त के प म नजर आए। इसके लए यह आव यक है क कसान को सभी फसल के लए यह दर मले और वह भी
दे श के सभी इलाक म। कृ ष उपज का अ धकांश ह सा
सा, खासतौर पर उन इलाक म जहां सरकार खर द एज सयां काम
नह ं करती ह, वहां फसल कटाई के बाद के समय म फसल एमएसपी से काफ कम दाम पर बक जाती है । ऐसी ब
अ वाभा वक नह ं ह। पछले बजट म भी सरकार ने वादा कया था वह कसान को उनक उपज का अ छा मू य दलाने
क यव था सु नि चत करे गी। इस वषय पर नणय नए एमएसपी क घोषणा के साथ ह सामने आ जाना चा हए था।

नी त आयोग पहले ह इस बारे म संभा वत वक प तत


ु कर चक
ु ा है । खुल खर द क यव था को सभी फसल पर
लागू करना एमएसपी के वतन का सबसे अ छा तर का है ले कन इस े म कई ऐसी द कत ह िज ह हल करना
असंभव तो नह ं ले कन मिु कल अव य है । खर द क पर बहु त यापक बु नयाद ढांचे क आव यकता होगी। इस बढ़
हुई खर द के लए प रवहन और भंडारण मता रातोरात नह ं व वक
क सत क जा सकती है । चावल और गेहूं के अलावा
अ य कृ ष िजंस के नपटान के तर के और उपाय भी रातोरात नह ं तलाश कए जा सकते। चावल और गेहूं को तो भार
सि सडी के साथ सावज नक वतरण णाल से बेचा जा सकता है ।

नी त आयोग ने खुल खर द पर आधा रत बाजार समथन यव था के थानाप न के प म जो वक प सझ


ु ाए ह उनम
मू य अंतर के भग
ु तान क यव था सबसे अ धक उ चत तीत होती है। इस यव था म बाजार म ह त ेप के लए
खर द नह ं करनी होती है। इसम दो राय नह ं क म य दे श म शु आती अनभ
ु व बहु त सकारा मक नह ं रहे ह। हालां क
उसके बाद कई रा य ने इसे दोहराया है । परं तु अ धकांश द कत यावहा रक कृ त क ह िज ह हल कया जा सकता
है । क सरकार एमएसपी के या वयन को लेकर जो भी अं तम नणय ले वह उसे शी लेना चा हए। अगर ऐसा नह ं
कया गया तो एमएसपी म इतनी बढ़ोतर करने से भी कोई खास लाभ नह ं होगा।

Date: 05-07-18

पु लस सध
ु ार
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सु ीम कोट ने डीजीपी क नयिु त म बांधे रा य के हाथ

मु य संपादक य

सु ीम कोट ने पु लस सध
ु ार पर अपने दशा नदश क अनदे खी का सं ान लेकर
ब कुल सह कया। अ छा होता क वह समय रहते यह दे खता क उसके
दशा नदश पर अमल य नह ं हो रहा है ? कम से कम अब तो उसे यह
सु नि चत करना चा हए क न केवल पु लस मख
ु क नयिु त उसके वारा द
गई यव था के हसाब से हो, बि क उसके परु ाने दशा नदश पर भी सह तरह
से अमल हो। ऐसा इस लए, य क 2006 म पु लस सध
ु ार को लेकर दए गए
उसके सात सू ीय दशा नदश से बचने क को शश त काल न क सरकार ने भी
क और रा य सरकार ने भी। एक-दो रा य को छोड़कर बाक सबने पु लस सध
ु ार क दशा म आगे बढ़ने के बजाय
तरह-तरह के बहाने ह बनाए। इस बहानेबाजी के मल
ू म थी पु लस का मनमा फक इ तेमाल करने क आदत। दरअसल
राजनी तक दल क इस आदत ने ह पु लस सध
ु ार क राह रोके रखी। राजनी तक दल क इसी वृ के चलते पु लस
सध
ु ार संबध
ं ी दशा नदश एक तरह से ठं डे ब ते म पड़े रहे ।

कायदे से मोद सरकार को पु लस सध


ु ार को अपने एजडे पर लेना चा हए था, ले कन उसने शासन तं को द ु त करने
क अपनी तब धता के बावजूद ऐसा नह ं कया। ऐसे हालात म इसके अलावा और कोई उपाय नह ं था क खुद सु ीम
कोट अपने एक मह वपण
ू फैसले क अनदे खी पर गौर करता। चूं क क सरकार समेत रा य सरकार पु लस सध
ु ार के
त गंभीर नह ं थीं इस लए सु ीम कोट ने कायवाहक पु लस मख
ु क नयिु त पर रोक लगाकर ब कुल सह कया।
यह अजीब है क सु ीम कोट के दशा नदश म कायवाहक पु लस मख
ु का कोई िज न होने के बाद भी कई रा य
इस पद पर नयिु त करने म लगे हुए थे। सु ीम कोट के ताजा आदे श के तहत अब सभी रा य पु लस मख ु यानी
डीजीपी क नयिु त के तीन माह पहले शीष पु लस अ धका रय के नाम संघ लोक सेवा आयोग को भेजगे। यह आयोग
इनम से तीन अ धका रय का एक पैनल बनाएगा। इसी पैनल से कसी एक नाम का चयन करने क सु वधा रा य
सरकार के पास होगी।

य द एक बार पु लस मख
ु क नयिु त सह तरह से हो जाती है और उसका कायकाल भी कम से कम दो वष तय हो
जाता है तो फर यह उ मीद क जा सकती है क वह पु लस क काय णाल को द ु त करने के कुछ ठोस उपाय कर
सकता है। अभी तो पु लस मख
ु अपनी कुस बचाने क चंता म ह अ धक रहते ह। उ ह इस चंता से मु त होकर
कानन
ू एवं यव था को द ु त करने पर यान क त करना चा हए। स ा ढ़ नेताओं को भी यह समझना होगा क
पु लस सध
ु ार से और अ धक समय तक बचा नह ं जा सकता। सु ीम कोट का यह फैसला एक बार फर यह बता रहा है
क कस तरह जो काम कायपा लका को करने चा हए वे यायपा लका को करने पड़ रहे ह। पु लस सध
ु ार क अनदे खी के
इस मामले म आ खर राजनी तक दल कस मह
ुं से यह कह सकते ह क यायपा लका अपनी सीमा लांघ रह है ? यह भी
यान रहे क जहां स ा ढ़ दल पु लस सध
ु ार से क नी काटते रहे वह ं वप ी दल भी इस पर मौन साधे रहे।
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Date: 05-07-18

द ल के दज के मु दे पर कानून व सं वधान क जीत

यायालय ने साफ कया - उपरा यपाल मं मंडल के फैसले को मानने को बा य ह ले कन


द ल को पण
ू रा य का दजा संभव नह

संपादक य

द ल के मु यमं ी और उपरा यपाल के बीच छड़े घमासान म सु ीम कोट ने समु चत याय दे कर दो पाट म पस
रह द ल क जनता को राहत द है। यायालय ने यह कहकर दध
ू का दध
ू पानी का पानी कर दया है क उपरा यपाल
मं मंडल के फैसले को मानने को बा य ह ले कन, द ल को पण
ू रा य का दजा दे ना संभव नह ं है , इस लए पा टय
को यह मांग छोड़ दे नी चा हए। इस फैसले क यह या या हो सकती है क मु यमं ी केजर वाल ने उपरा यपाल अ नल
बैजल से लड़ाई जीत ल है ले कन, हक कत म इस फैसले म सं वधान और कानन
ू का राज जीता है ।

मु य यायाधीश द पक म के नेत ृ व म ग ठत पांच सद यीय खंडपीठ ने प ट श द म कहा है क संवध


ै ा नक पद
पर बैठे लोग का दा य व संवध
ै ा नक िज मेदा रय का पालन होता है और इस दौरान कसी कार क अराजकता नह ं
पैदा होनी चा हए। इसी लए अदालत ने 69व सं वधान संशोधन के मा यम से लाए गए अनु छे द 239 एए क एक
मक
ु मल या या कर द है, िजसे द ल हाई कोट नह ं कर पाया था। एक तरह से सु ीम कोट ने हाई कोट के फैसले
को पलटते हुए साफ कह दया है क उपरा यपाल कोई वतं स ा के अ धकार नह ं ह और वे मं मंडल के काम म
बाधा डालने क बजाय उसके नणय से बंधे हुए ह। अगर कसी मामले पर मतभेद उ प न होता है तो उसे मल बैठकर
सलु झाना चा हए और अगर न सल
ु झे तो रा प त क राय सव प र है ।

अदालत वारा था पत व ध इस मामले म प ट है क बेवजह का ववाद उठाकर सं वधान का मजाक बनाना उ चत


नह ं है । नि चत तौर पर रा य राजधानी े का शासन और वकास केजर वाल बनाम मोद और आप बनाम भाजपा
क नाक क लड़ाई म ऐसा उलझ गया था क कोई कामकाज होने क बजाय हर दो चार मह ने पर कोई नाटक खड़ा हो
जाता था। इससे द ल क जनता क भावनाओं का भी मजाक हो रहा था और सं वधान का भी। एक तरह से इन दो
नेताओं और दल के बीच द ल शंकु होकर रह गई थी। सु ीम कोट ने एक स धांत तपा दत कर दया है और
अनु छे द 239 एए क एक रचना मक या या तत
ु कर द है । आशा क जानी चा हए क राजनी तक दल अपने
अहं कार से ऊपर उठकर सं वधान क भावना को समझगे और उसका मजाक उड़ाने से बचगे।
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IMPORTANT NEWSCLIPPINGS (05-July-18)

Date: 04-07-18

अटके पु लस सध
ु ार

क सरकार व रा य सरकार पु लस सध
ु ार के त गंभीर नह ,ं इस लए सु ीम कोट ने
कायवाहक पु लस मख
ु क नयिु त पर रोक लगाकर सह कया।

संपादक य

सु ीम कोट ने पु लस सध
ु ार पर अपने दशा- नदश क अनदे खी का सं ान लेकर ब कुल सह कया। अ छा होता क
वह समय रहते यह दे खता क उसके दशा- नदश पर अमल य नह ं हो रहा है ? कम से कम अब तो उसे यह
सु नि चत करना चा हए क न केवल पु लस मख
ु क नयिु त उसके वारा द गई यव था के हसाब से हो, बि क
उसके परु ाने दशा- नदश पर भी सह तरह से अमल हो। ऐसा इस लए, य क 2006 म पु लस सध
ु ार को लेकर दए
गए उसके सात सू ीय दशा- नदश से बचने क को शश त काल न क सरकार ने भी क और रा य सरकार ने भी।
एक-दो रा य को छोड़कर बाक सबने पु लस सध
ु ार क दशा म आगे बढ़ने के बजाय तरह-तरह के बहाने ह बनाए। इस
बहानेबाजी के मल
ू म थी पु लस का मनमा फक इ तेमाल करने क आदत। दरअसल राजनी तक दल क इस आदत ने
ह पु लस सध
ु ार क राह रोके रखी। राजनी तक दल क इसी वृ के चलते पु लस सध
ु ार संबध
ं ी दशा- नदश एक तरह
से ठं डे ब ते म पड़े रहे । कायदे से मोद सरकार को पु लस सध
ु ार को अपने एजडे पर लेना चा हए था, ले कन उसने
शासन तं को द ु त करने क अपनी तब धता के बावजद
ू ऐसा नह ं कया। ऐसे हालात म इसके अलावा और कोई
उपाय नह ं था क खद
ु सु ीम कोट अपने एक मह वपण
ू फैसले क अनदे खी पर गौर करता। चूं क क सरकार समेत
रा य सरकार पु लस सध
ु ार के त गंभीर नह ं थीं, इस लए सु ीम कोट ने कायवाहक पु लस मख
ु क नयिु त पर
रोक लगाकर ब कुल सह कया।

यह अजीब है क सु ीम कोट के दशा- नदश म कायवाहक पु लस मख


ु का कोई िज न होने के बाद भी कई रा य
इस पद पर नयिु त करने म लगे थे। सु ीम कोट के ताजा आदे श के तहत अब सभी रा य पु लस मख
ु यानी डीजीपी
क नयिु त के तीन माह पहले शीष पु लस अ धका रय के नाम संघ लोक सेवा आयोग को भेजगे। यह आयोग इनम से
तीन अ धका रय का एक पैनल बनाएगा। इसी पैनल से कसी एक नाम का चयन करने क सु वधा रा य सरकार के
पास होगी। य द एक बार पु लस मख
ु क नयिु त सह तरह से हो जाती है और उसका कायकाल भी कम से कम दो
वष तय हो जाता है , तो फर यह उ मीद क जा सकती है क वह पु लस क काय णाल को द ु त करने के कुछ ठोस
उपाय कर सकता है । अभी तो पु लस मख
ु अपनी कुस बचाने क चंता म ह अ धक रहते ह। उ ह इस चंता से मु त
होकर कानन
ू एवं यव था को द ु त करने पर यान क त करना चा हए। स ा ढ़ नेताओं को भी यह समझना होगा
क पु लस सध
ु ार से और अ धक समय तक बचा नह ं जा सकता। सु ीम कोट का यह फैसला एक बार फर यह बता
रहा है क कस तरह जो काम कायपा लका को करने चा हए, वे यायपा लका को करने पड़ रहे ह। पु लस सध
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अनदे खी के इस मामले म आ खर राजनी तक दल कस मह


ुं से यह कह सकते ह क यायपा लका अपनी सीमा लांघ
रह है ? यह भी यान रहे क जहां स ा ढ़ दल पु लस सध
ु ार से क नी काटते रहे , वह ं वप ी दल भी इस पर मौन
साधे रहे ।

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