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ईदगाह

चााँ द की रात मसरर त है सभी के ददल में

ईद है सु ब्ह अमीना पड़ी है मुश्किल में

कल वो हादमद को नया वस्त्र ददलाये कैसे

सब की मादनिंद वो भी जश्न मनाए कैसे

आया ददन ईद का हादमद भी चला है सजकर

पािं व में जूते नही िं टोपी फटी है दसर पर

हाथ में तीन ही पैसे का खज़ाना है बस

ईद का जश्न इसी में ही मनाना है बस

ददल में आया दक कोई खास श्कखलौना ले ले

खूब सुिं दर से लगे झूले में वो भी झूले

याद आई है मगर हाथ जलाती दादी

उसकी रोटी को तवे पर वो पकाती दादी

ले दलया दचमटा सभी शौक को क़ुरबान दकया

अपनी दादी को खुशी का बड़ा इनआम ददया

अि आिं खोिं में दलए प्यार से चूमा उसको

उसकी दादी ने ददया प्यार का तोहफ़ा उसको

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