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च ाँ दनी की प ाँ च परतें ,

हर परत अज्ञ त है ।

एक जल में,

एक थल में,

एक नील क श में ।

एक आाँ ख ों में तु म्ह रे झिलझमल ती,

एक मेरे बन रहे झिश्व स में ।

क्य कहाँ , कैसे कहाँ .....

झकतनी जर सी ब त है ।

च ाँ दनी की प ाँ च परतें ,

हर परत अज्ञ त है ।

एक ज मैं आज हाँ ,

एक ज मैं ह न प य ,

एक ज मैं ह न प ऊाँग कभी भी,

एक ज ह ने नही ों द गी मुिे तु म,

एक झजसकी है हम रे बीच यह अझभशप्त छ य ।

क्य ों सहाँ ,कब तक सहाँ ....

झकतन कझिन आघ त है ।

च ाँ दनी की प ाँ च परतें ,

हर परत अज्ञ त है ।

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