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This Book is Translated By

Akash Suryavanshi,
President Bheem Sangh

जोतीयाव गोववॊदयाव पुरे

जन्भ : 11 अप्रैर 1827

बाषा : भयाठी, अॊग्रेजी

ववधाएॉ :च त
ॊ न, कवलता, नाटक, ननफॊध

प्रभुख कृततमाॉ : तत
ृ ीम यत्न, ऩॉलाड़ा : छत्रऩनत शळलाजी बोवरे का, ऩॉलाड़ा : शळषा वलबाग के ब्राह्भण अध्माऩक का, ब्राह्भणों की
ाराकी, गुराभगीयी, ककवान का कोड़ा, ग्राभजोळी के वॊफध
ॊ भें, वत्म-ळोधक वभाज के शरए भॊगरगाथा औय
ऩूजावलचध, वालवजननक वत्मधभव

तनधन : 28 नलॊफय 1890

ववशेष : भशात्भा जोनतफा पुरे ऐवे भशान वल ायक, वभाज वेली तथा क्ाॊनतकायी कामवकताव थे जजन्शोंने बायतीम वाभाजजक
वॊय ना की जड़ता को ध्लस्त कयने का काभ ककमा। भहशराओॊ,दशरतों एलॊ ळूद्रों की अऩभानजनक जीलन जस्थनत भें
ऩरयलतवन राने के शरए ले आजीलन वॊघऴवयत यशे । वन 1848 भें उन्शोंने ऩण
ु े भें अछूतों के शरए ऩशरा स्कूर ोरा।
मश बायत के सात इनतशाव भें अऩनी तयश का ऩशरा स्कूर था। इवी तयश वन 1857 भें उन्शोंने रड़ककमों के शरए
स्कूर ोरा जो बायत भें रड़ककमों का ऩशरा स्कूर शुआ। उव स्कूर भें ऩनाने के शरए कोई शळषक न शभरने ऩय
जोनतफा पुरे की ऩत्नी वावलत्री आगे आईं। अऩने इन क्ाॊनतकायी कामों की लजश वे पुरे औय उनके वशमोचगमों को
तयश-तयश के कष्ट उठाने ऩड़े। उन्शें फाय-फाय घय फदरना ऩड़ा। पुरे की शत्मा कयने की बी कोशळळ की गई। ऩय ले
अऩनी याश ऩय डटे यशे । अऩने इवी भशान उद्दे श्म को वॊस्थागत रूऩ दे ने के शरए जोनतफा पुरे ने वन 1873 भें
भशायाष्र भें सत्म शोधक सभाज नाभक वॊस्था का गठन ककमा। उनकी एक भशत्लऩण
ू व स्थाऩना मश बी थी
कक भशाय, कुनफी, भारी आहद ळद्र
ू कशी जानेलारी जानतमाॉ कबी षत्रत्रम थीॊ, जो जानतलादी ऴड्मॊत्र का शळकाय शो कय
दशरत कशराईं।
प्रस्तावना

वैकड़ों वार वे आज तक ळूद्राहद-अनतळूद्र (अछूत) वभाज, जफ वे इव दे ळ भें ब्राह्भणों की वत्ता कामभ शुई तफ वे
रगाताय जुल्भ औय ळोऴण वे शळकाय शैं। मे रोग शय तयश की मातनाओॊ औय कहठनाइमों भें अऩने हदन गुजाय यशे
शैं। इवशरए इन रोगों को इन फातों की ओय ध्मान दे ना ाहशए औय गॊबीयता वे वो ना ाहशए। मे रोग अऩने
आऩको ब्राह्भण-ऩॊडा-ऩुयोहशतों की जुल्भ-ज्मादनतमों वे कैवे भुक्त कय वकते शैं, मशी आज शभाये शरए वफवे
भशत्लऩूणव वलार शैं। मशी इव ग्रॊथ का उद्दे श्म शै । मश कशा जाता शै कक इव दे ळ भें ब्राह्भण-ऩुयोहशतों की वत्ता
कामभ शुए रगबग तीन शजाय वार वे बी ज्मादा वभम फीत गमा शोगा। ले रोग ऩयदे ळ वे मशाॉ आए। उन्शोंने इव
दे ळ के भूर ननलाशवमों ऩय फफवय शभरे कयके इन रोगों को अऩने घय-फाय वे, जभीन-जामदाद वे लॊच त कयके अऩना
गुराभ (दाव) फना शरमा। उन्शोंने इनके वाथ फड़ी अभालनीमता का यलैमा अऩनामा था। वैकड़ों वार फीत जाने के
फाद बी इन रोगों भें फीती घटनाओॊ की वलस्भनृ तमाॉ ताजी शोती दे कय कक ब्राह्भणों ने मशाॉ के भर
ू ननलाशवमों को
घय-फाय, जभीन-जामदाद वे फेद र कय इन्शें अऩना गुराभ फनामा शै , इव फात के प्रभाणों को ब्राह्भण-ऩॊडा-ऩुयोहशतों
ने तशव-नशव कय हदमा। दपना कय नष्ट कय हदमा।

उन ब्राह्भणों ने अऩना प्रबाल, अऩना ल स्


व ल इन रोगों के हदरो-हदभाग ऩय कामभ य ने के शरए,
ताकक उनकी स्लाथवऩूनतव शोती यशे , कई तयश के शथकॊडे अऩनाए औय ले बी इवभें काभमाफ बी शोते यशे । ॉकू क
उव वभम मे रोग वत्ता की दृजष्ट वे ऩशरे शी ऩयाधीन शुए थे औय फाद भें ब्राह्भण-ऩॊडा-ऩयु ोहशतों ने उन्शें
सानशीन-फुद्चधशीन फना हदमा था, जजवका ऩरयणाभ मश शुआ कक ब्राह्भण-ऩॊडा-ऩुयोहशतों के दाॉल-ऩें , उनकी
जारवाजी इनभें वे ककवी के बी ध्मान भें नशीॊ आ वकी। ब्राह्भण-ऩुयोहशतों ने इन ऩय अऩना ल स्
व ल कामभ
कयने के शरए, इन्शें शभेळा-शभेळा शरए अऩना गुराभ फना कय य ने के शरए, केलर अऩने ननजी हशतों को शी
भद्दे नजय य कय, एक वे अचधक फनालटी ग्रॊथो की य ना कयके काभमाफी शाशवर की। उन नकरी ग्रॊथो भें
उन्शोंने मश हद ाने की ऩयू ी कोशळळ की कक, उन्शें जो वलळेऴ अचधकाय प्राप्त शैं, ले वफ ईश्लय द्लाया प्रदत्त शैं।
इव तयश का झूठा प्र ाय उव वभम के अनऩन रोगों भें ककमा गमा औय उव वभम के ळद्र
ू ाहद-अनतळूद्रों भें
भानशवक गुराभी के फीज फोए गए। उन ग्रॊथो भें मश बी शर ा गमा कक ळद्र
ू ों को (ब्रह्भ द्लाया) ऩैदा कयने का
उद्दे श्म फव इतना शी था कक ळद्र
ू ों को शभेळा-शभेळा के शरए ब्राह्भण-ऩुयोहशतों की वेला कयने भें शी रगे यशना
ाहशए औय ब्राह्भण-ऩुयोहशतों की भजी के ख राप कुछ बी नशीॊ कयना ाहशए। भतरफ, तबी इन्शें ईश्लय प्राप्त
शोंगे औय इनका जीलन वाथवक शोगा।

रेककन अफ इन ग्रॊथो के फाये भें कोई भाभर


ू ी ढॊ ग वे बी वो े कक, मश फात कशाॉ तक वशी शै, क्मा ले
व भु ईश्लय द्लाया प्रदत्त शैं, तो उन्शें इवकी वच् ाई तयु ॊ त वभझ भें आ जाएगी। रेककन इव प्रकाय के ग्रॊथो
वे वलवळजक्तभान, वजृ ष्ट का ननभावता जो ऩयभेश्लय शै, उवकी वभानत्ललादी दृजष्ट को फड़ा गौणत्ल प्राप्त शो
गमा शै । इव तयश के शभाये जो ब्राह्भण-ऩॊडा-ऩुयोहशत लगव के बाई शैं, जजन्शें बाई कशने भें बी ळभव आती शै ,
क्मोंकक उन्शोंने ककवी वभम ळूद्राहद-अनतळूद्रों को ऩूयी तयश वे तफाश कय हदमा था औय ले शी रोग अफ बी धभव
के नाभ ऩय, धभव की भदद वे इनको व
ू यशे शैं। एक बाई द्लाया दव
ू ये बाई ऩय जल्
ु भ कयना, मश बाई का
धभव नशीॊ शै । कपय बी शभें, शभ वबी को उत्ऩन्नकताव के रयश्ते वे, उन्शें बाई कशना ऩड़ यशा शै । ले बी र
ु े रूऩ
वे मश कशना छोड़ेंगे नशीॊ, कपय बी उन्शें केलर अऩने स्लाथव का शी ध्मान न य ते शुए न्मामफद्
ु चध वे बी
वो ना ाहशए। महद ऐवा नशीॊ कयें गे। तो उन ग्रॊथो को दे कय-ऩन कय फद्
ु चधभान अॊग्रेज, फ्रें , जभवन,
अभेरयकी औय अन्म फद्
ु चधभान रोग अऩना मश भत हदए त्रफना नशीॊ यशें गे कक उन ग्रॊथो को (ब्राह्भणों ने)
केलर अऩने भतरफ के शरए शर य ा शै । उन ग्रॊथो को भें शय तयश वे ब्राह्भण-ऩयु ोहशतों का भशत्ल फतामा
गमा शै । ब्राह्भण-ऩुयोहशतों का ळद्र
ू ाहद-अनतळद्र
ू ों के हदरो-हदभाग ऩय शभेळा-शभेळा के शरए ल स्
व ल फना यशे
इवशरए उन्शें ईश्लय वे बी श्रेष्ठ वभझा गमा शै। ऊऩय जजनका नाभ ननदे ळ ककमा गमा शै, उनभें वे कई अॊग्रेज
रोगों ने इनतशावाहद ग्रॊथो भें कई जगश मश शर य ा शै कक ब्राह्भण-ऩॊडा-ऩुयोहशतों ने अऩने ननजी स्लाथव के
शरए अन्म रोगों को मानी ळूद्राहद-अनतळूद्रों को अऩना गुराभ फना शरमा शै । उन ग्रॊथो द्लाया ब्राह्भण-ऩुयोहशतों
ने ईश्लय के लैबल को ककतनी ननम्न जस्थनत भें रा य ा शै , मश वशी भें फड़ा ळो नीम शै । जजव ईश्लय ने
ळूद्राहद-अनतळूद्रों को औय अन्म रोगों को अऩने द्लाया ननशभवत इव वजृ ष्ट की वबी लस्तुओॊ को वभान रूऩ वे
उऩबोग कयने की ऩूयी आजादी दी शै, उव ईश्लय के नाभ ऩय ब्राह्भण-ऩॊडा-ऩुयोहशतों एकदभ झूठ-भूठ ग्रॊथो की
य ना कयके, उन ग्रॊथो भें वबी के (भानली) शक को नकायते शुए स्लमॊ भाशरक शो गए।

इव फात ऩय शभाये कुछ ब्राह्भण बाई इव तयश प्रश्न उठा वकते शैं कक महद मे तभाभ ग्रॊथ झूठ-भूठ
के शैं, तो उन ग्रॊथों ऩय ळद्र
ू ाहद-अनतळूद्रों के ऩल
ू ज
व ों ने क्मों आस्था य ी थी? औय आज इनभें वे फशुत वाये
रोग क्मों आस्था य े शुए शैं? इवका जलाफ मश शै कक आज के इव प्रगनत कार भें कोई ककवी ऩय जल् ु भ नशीॊ
कय वकता। भतरफ, अऩनी फात को राद नशीॊ वकता। आज वबी को अऩने भन की फात, अऩने अनुबल की
फात स्ऩष्ट रूऩ वे शर ने मा फोरने की छूट शै ।

कोई धूतव आदभी ककवी फड़े व्मजक्त के नाभ वे झूठा ऩत्र शर कय राए तो कुछ वभम के शरए उव
ऩय बयोवा कयना शी ऩड़ता शै । फाद भें वभम के अनुवाय लश झूठ उजागय शो शी जाता शै । इवी तयश, ळूद्राहद-
अनतळद्र
ू ों का, ककवी वभम ब्राह्भण-ऩॊडा-ऩुयोहशतों के जल्
ु भ औय ज्मादनतमों के शळकाय शोने की लजश वे, अनऩन
गॉलाय फना कय य ने की लजश वे, ऩतन शुआ शै। ब्राह्भणों ने अऩने स्लाथव के शरए वभथव (याभदाव)[2] के नाभ
ऩय झूठे-ऩाॊ डी ग्रॊथों की य ना कयके ळद्र
ू ाहद-अनतळद्र
ू ों को गुभयाश ककमा औय आज बी इनभें वे कई रोगों को
ब्राह्भण-ऩुयोहशत रोग गुभयाश कय यशे शैं, मश स्ऩष्ट रूऩ वे उक्त कथन की ऩुजष्ट कयता शै।

ब्राह्भण-ऩॊडा-ऩुयोहशत रोग अऩना ऩेट ऩारने के शरए, अऩने ऩा ड


ॊ ी ग्रॊथो द्लाया, जगश-जगश फाय-फाय
असानी ळद्र
ू ों को उऩदे ळ दे ते यशे , जजवकी लजश वे उनके हदरों-हदभाग भें ब्राह्भणों के प्रनत ऩज्
ू मफद्
ु चध उत्ऩन्न
शोती यशी। इन रोगों को उन्शोंने (ब्राह्भणों ने) इनके भन भें ईश्लय के प्रनत जो बालना शै , लशी बालना अऩने
को (ब्राह्भणों को) वभवऩवत कयने के शरए भजफयू ककमा। मश कोई वाधायण मा भाभर
ू ी अन्माम नशीॊ शै। इवके
शरए उन्शें ईश्लय के जलाफ दे ना शोगा। ब्राह्भणों के उऩदे ळों का प्रबाल अचधकाॊळ असानी ळद्र
ू रोगों के हदरो-
हदभाग ऩय इव तयश वे जड़ जभाए शुए शै कक अभेरयका के (कारे) गुराभों की तयश जजन दष्ु ट रोगों ने शभें
गुराभ फना कय य ा शै, उनवे रड़ कय भुक्त (आजाद) शोने की फजाए जो शभें आजादी दे यशे शैं, उन रोगों के
वलरुद्ध कपजूर कभय कव कय रड़ने के शरए तैमाय शुए शैं। मश बी एक फड़े आश् मव की फात शै कक शभ रोगों
ऩय जो कोई उऩकाय कय यशे शैं, उनवे कशना कक शभ ऩय उऩकाय भत कयो, कपरशार शभ जजव जस्थनत भें शैं
लशी जस्थनत ठीक शै, मशी कश कय शभ ळाॊत नशीॊ शोते फजल्क उनवे झगड़ने के शरए बी तैमाय यशते शैं , मश
गरत शै। लास्तल भें शभको गुराभी वे भक्
ु त कयनेलारे जो रोग शैं, उनको शभें आजाद कयाने वे कुछ हशत
शोता शै, ऐवा बी नशीॊ शै, फजल्क उन्शें अऩने शी रोगों भें वे वैकड़ों रोगों की फशर नानी ऩड़ती शै। उन्शें फड़ी-
फड़ी जोख भें उठा कय अऩनी जान ऩय बी तया झेरना ऩड़ता शै ।

अफ उनका इव तयश वे दव
ू यों के हशतों का यषण कयने के शरए अगुलाई कयने का उद्दे श्म क्मा शोना
ाहशए, महद इव वॊफॊध भें शभने गशयाई वे वो ा तो शभायी वभझ भें आएगा कक शय [i] भनष्ु म को आजाद
शोना ाहशए, मशी उवकी फुननमादी जरूयत शै। जफ व्मजक्त आजाद शोता शै तफ उवे अऩने भन के बालों औय
वल ायों को स्ऩष्ट रूऩ वे दव
ू यों के वाभने प्रकट कयने का भौका शभरता शै। रेककन जफ वे आजादी नशीॊ शोती
तफ लश लशी भशत्लऩूणव वल ाय, जनहशत भें शोने के फालजूद दव
ू यों के वाभने प्रकट नशीॊ कय ऩाता औय वभम
गुजय जाने के फाद ले वबी रुप्त शो जाते शैं। आजाद शोने वे भनुष्म अऩने वबी भानली अचधकाय प्राप्त कय
रेता शै औय अवीभ आनॊद का अनब
ु ल कयता शै । वबी भनष्ु मों को भनष्ु म शोने के जो वाभान्म अचधकाय, इव
वजृ ष्ट के ननमॊत्रक औय वलववाषी ऩयभेश्लय द्लाया हदए गए शैं, उन तभाभ भानली अचधकायों को ब्राह्भण-ऩॊडा-
ऩुयोहशत लगव ने दफो कय य ा शै । अफ ऐवे रोगों वे अऩने भानली अचधकाय छीन कय रेने भें कोई कवय
फाकी नशीॊ य नी ाहशए। उनके शक उन्शें शभर जाने वे उन अॊग्रेजों को ळ
ु ी शोती शै । वबी को आजादी दे
कय, उन्शें जल्
ु भी रोगों के जुल्भ वे भक्
ु त कयके वु ी फनाना, मशी उनका इव तयश वे तया भोर रेने का
उद्दे श्म शै। लाश! लाश! मश ककतना फड़ा जनहशत का कामव शै !

उनका इतना अच्छा उद्दे श्म शोने की लजश वे शी ईश्लय उन्शें , ले जशाॉ गए, लशाॉ ज्मादा वे ज्मादा
काभमाफी दे ता यशा शै। औय अफ आगे बी उन्शें इव तयश के अच्छे काभों भें उनके प्रमाव वपर शोते यशे , उन्शें
काभमाफी शभरती यशे , मशी शभ बगलान वे प्राथवना कयते शैं।

दक्षषण अभेरयका औय अफ्रीका जैवे ऩथ्


ृ ली के इन दो फड़े हशस्वो भें वैकड़ो वार वे अन्म दे ळों वे रोगों
को ऩकड़-ऩकड़ कय मशाॉ उन्शें गर
ु ाभ फनामा जाता था। मश दावों को यीदने-फे ने की प्रथा मयू ोऩ औय तभाभ
प्रगनतळीर कशराने लारे याष्रों के शरए फड़ी रज्जा की फात थी। उव करॊक को दयू कयने के शरए अॊग्रेज,
अभेरयकी आहद उदाय रोगों ने फड़ी-फड़ी रड़ाइमाॉ रड़ कय अऩने नुकवान की फात तो दयककनाय, उन्शोंने अऩनी
जान की ऩयलाश नशीॊ की औय गुराभों की भुजक्त के शरए रड़ते यशे । मश गुराभी प्रथा कई वारों वे री आ
यशी थी। इव अभानलीम गर
ु ाभी प्रथा को वभूर नष्ट कय दे ने के शरए अवॊख्म गर
ु ाभों को उनके ऩयभवप्रम
भाता-वऩता वे, बाई-फशनों वे, फीली-फच् ों वे, दोस्त-शभत्रों वे जद
ु ा कय दे ने की लजश वे जो मातनाएॉ वशनी
ऩड़ीॊ, उववे उन्शें भुक्त कयने के शरए उन्शोंने वॊघऴव ककमा। उन्शोंने जो गुराभ एक दव
ू ये वे जुदा कय हदए गए
थे, उन्शें एक-दव
ू ये के वाथ शभरा हदमा। लाश! अभेरयका आहद वदा ायी रोगों ने ककतना अच्छा काभ ककमा शै!
महद आज उन्शें इन गयीफ अनाथ गुराभों की फदतय जस्थनत दे कय दमा न आई शोती तो मे गयीफ फे ाये
अऩने वप्रमजनों वे शभरने की इच्छा भन-शी-भन भें य कय भय गए शोते।

दव
ू यी फात, उन गुराभों को ऩकड़ कय रानेलारे दष्ु ट रोग उन्शें क्मा अच्छी तयश य ते बी मा नशीॊ?
नशीॊ, नशीॊ! उन गर
ु ाभों ऩय ले रोग जजव प्रकाय वे जल्
ु भ ढाते थे, उन जल्
ु भों, की कशानी वन
ु ते शी ऩत्थयहदर
आदभी की आॉ े बी योने रगें गी। ले रोग उन गुराभों को जानलय वभझ कय उनवे शभेळा रात-जत
ू ों वे काभ
रेते थे। ले रोग उन्शें कबी-कबी रशरशाती धऩ
ू भें शर जुतला कय उनवे अऩनी जभीन जोत-फो रेते थे औय
इव काभ भें महद उन्शोंने थोड़ी वी बी आनाकानी की तो उनके फदन ऩय फैरों की तयश छाॉटे वे घाल उताय दे ते
थे। इतना शोने ऩय बी क्मा ले उनके ान-ऩान की अच्छी व्मलस्था कयते शोंगे? इव फाये भें तो कशना शी क्मा!
उन्शें केलर एक वभम का ाना शभरता था। दव
ू ये वभम कुछ बी नशीॊ। उन्शें जो बी ाना शभरता था, लश
बी फशुत शी थोड़ा-वा। इवकी लजश वे उन्शें शभेळा आधे बू े ऩेट शी यशना ऩड़ता था। रेककन उनवे छाती यू -
ूय शोने तक, भुॉश वे न
ू पेंकने तक हदन बय काभ कयलामा जाता था औय यात को उन्शें जानलयों के कोठे भें
मा इव तयश की गॊदी जगशों भें वोने के शरए छोड़ हदमा जाता था, जशाॉ थक कय आने के फाद ले गयीफ फे ाये
उव ऩथयीरी जभीन ऩय भद
ु ों की तयश वो जाते थे। रेककन आॉ ों भें ऩमावप्त नीॊद कशाॉ वे शोगी? फे ायों को
आख य नीॊद आएगी बी कशाॉ वे? इवभें ऩशरी फात तो मश थी के ऩता नशीॊ भाशरक को ककव वभम उनकी
गयज ऩड़ जाए औय उवका फर
ु ाला आ जाए, इव फात का उनको जफयदस्त डय रगा यशता था। दव
ू यी फात तो
मश थी कक ऩेट भें ऩमावप्त भात्रा भें बोजन नशीॊ शोने की लजश वे जी घफयाता था औय टाॉग रड़ ड़ाने रगती
थी। तीवयी फात मश थी कइ हदन-बय-फदन ऩय छाॉटे के लाय फयवते यशने वे वाया फदन रशूरुशान शो जाता
औय उवकी मातनाएॉ इतनी जफदव स्त शोती थीॊ कक ऩानी भें भछरी की तयश यात-बय तड़पड़ाते शुए इव कयलट
ऩय शोना ऩड़ता था। ौथी फात मश थी कक अऩने रोग ऩाव न शोने की लजश वे उव फात का ददव तो औय बी
बमॊकय था। इव तयश फातें भन भें आने वे मातनाओॊ के ढे य ड़े शो जाते थे औय आॉ े योने रगती थीॊ। ले
फे ाये बगलान वे दआ
ु भाॉगते थे कक 'शे बगलान! अफ बी तुझको शभ ऩय दमा नशीॊ आती! तू अफ शभ ऩय
यशभ कय। अफ शभ इन मातनाओॊ को फदावश्त कयने के बी कात्रफर नशीॊ यशे शैं। अफ शभायी जान बी ननकर
जाए तो अच्छा शी शोगा।' इव तयश की मातनाएॉ वशते-वशते, इव तयश वे वो ते-वो ते शी वायी यात गज
ु य
जाती थी। उन रोगों को जजव-जजव प्रकाय की ऩीड़ाओॊ को, मातनाओॊ को वशना ऩड़ा, उनको महद एक-एक
कयके कशा जाए तो बाऴा औय वाहशत्म के ळोक-यव के ळब्द बी पीके ऩड़ जाएॉगे, इवभें कोई वॊदेश नशीॊ।
तात्ऩमव, अभेरयकी रोगों ने आज वैकड़ों वार वे री आ यशी इव गुराभी की अभानलीम ऩयॊ ऩया को वभाप्त
कयके गयीफ रोगों को उन ॊड रोगों के जल्
ु भ वे भक्
ु त कयके उन्शें ऩयू ी तयश वे वु की जजॊदगी फख्ळी शै।
इन फातों को जान कय ळद्रू ाहद- अनतळद्र
ू ों को अन्म रोगों की तुरना भें फशुत शी ज्मादा ळ
ु ी शोगी, क्मोंकक
गुराभी की अलस्था भें गुराभ रोगों को, गुराभ जानतमों को ककतनी मातनाएॉ फदावश्त कयनी ऩड़ती शैं, इवे
स्लमॊ अनब
ु ल ककए त्रफना अॊदाज कयना नाभुभककन शै । जो वशता शै, लशी जानता शै

अफ उन गर
ु ाभों भें औय इन गर
ु ाभों भें पकव इतना शी शोगा कक ऩशरे प्रकाय के गर
ु ाभों को ब्राह्भण-
ऩुयोहशतों ने अऩने फफवय शभरों वे ऩयाजजत कयके गुराभ फनामा था औय दव
ू ये प्रकाय के गुराभों को दष्ु ट रोगों
ने एकाएक जल्
ु भ कयके गर
ु ाभ फनामा था। ळेऴ फातों भें उनकी जस्थनत वभान शै । इनकी जस्थनत औय गर
ु ाभों
की जस्थनत भें फशुत पकव नशीॊ शै । उन्शोंने जजव-जजव प्रकाय की भुवीफतों को फदावश्त ककमा शै; ले वबी भुवीफतें
ब्राह्भण-ऩॊडा-ऩुयोहशतों द्लाया ढाए जल्
ु भों वे कभ शैं। महद मश कशा जाए कक उन रोगों वे बी ज्मादा ज्मादनतमाॉ
इन ळद्र
ू ाहद-अनतळद्र
ू ों को फदावश्त कयनी ऩड़ी शैं, तो इवभें ककवी तयश का वॊदेश नशीॊ शोना ाहशए। इन रोगों को
जो जल्
ु भ वशना ऩड़ा, उवकी एक-एक दास्तान वन
ु ते शी ककवी बी ऩत्थयहदर आदभी को शी नशीॊ फजल्क
वाषात ऩत्थय बी वऩघर कय उवभें वे ऩीड़ाओॊ के आॉवओ
ु ॊ की फान ननकर ऩड़ेगी औय उव फान वे धयती ऩय
इतना फशाल शोगा कक जजन ऩूलज
व ों ने ळद्र
ू ाहद-अनतळद्र
ू ों को गुराभ फनामा, उनके आज के लॊळज जो ब्राह्भण,
ऩुयोहशत बाई शैं उनभें वे जो अऩने ऩूलज
व ों की तयश ऩत्थयहदर नशीॊ, फजल्क जो अऩने अॊदय के भनुष्मत्ल को
जाग्रत य कय वो ते शैं, उन रोगों को मश जरूय भशवूव शोगा कक मश एक जरप्ररम शी शै। शभायी दमारु
अॊग्रेज वयकाय को, ळूद्राहद-अनतळूद्रों ने ब्राह्भण-ऩॊडा-ऩुयोहशतों वे ककव-ककव प्रकाय का जुल्भ वशा शै औय आज
बी वश यशे शैं, इवके फाये भें कुछ बी भारूभात नशीॊ शै । ले रोग महद इव वॊफॊध भें ऩूछ्ताछ कयके कुछ
जानकायी शाशवर कयने की कोशळळ कयें गे तो उन्शें मश वभझ भें आ जाएगा कक उन्शोंने हशॊदस्
ु थान का जो बी
इनतशाव शर ा शै उवभें एक फशुत फड़े, फशुत बॊमकय औय फशुत शी भशत्लऩण ू व हशस्वे को नजयअॊदाज ककमा शै।
उन रोगों को एक फाय बी ळूद्राहद्र-अनतळद्र
ू ों के द ु -ददों की जानकायी शभर जाए तो वच् ाई वभझ भें आ
जाएगी औय उन्शें फड़ी ऩीड़ा शोगी। उन्शें अऩने (धभव) ग्रॊथों भें , बमॊकय फुयी अलस्था भें ऩशु ाए गए औय ॊड
रोगों द्लाया वताए शुए, जजनकी ऩीड़ाओॊ की कोई वीभा शी नशीॊ शै , ऐवे रोगों की दयु ालस्था को उऩभा दे ना शो
तो ळूद्राहद-अनतळद्र
ू ों की जस्थनत की शी उऩभा उच त शोगी, ऐवा भुझे रगता शै । इववे कवल को फशुत वलऴाद
शोगा। कुछ को अच्छा बी रगेगा कक आज तक कवलताओॊ भें ळोक यव की ऩूयी तवलीय श्रोताओॊ के भन भें
स्थावऩत कयने के शरए कल्ऩना की ऊॉ ी उड़ाने बयनी ऩड़ती थीॊ, रेककन अफ उन्शें इव तयश की काल्ऩननक
हदभागी कवयत कयने की जरूयत नशीॊ ऩड़ेगी, क्मोंकक अफ उन्शें मश स्लमॊबोचगमों का जजॊदा इनतशाव शभर गमा
शै । महद मशी शै तो आज के ळूद्राहद-अनतळद्र
ू ों के हदर औय हदभाग अऩने ऩूलज
व की दास्तानें वन
ु कय ऩीड़ड़त
शोते शोंगे, इवभें कुछ बी आश् मव नशीॊ शोनााहशए, क्मोंकक शभ जजनके लॊळ भें ऩैदा शुए शैं, जजनवे शभाया न ू
का रयश्ता शै, उनकी ऩीड़ा वे ऩीड़ड़त शोना स्लाबावलक शै । ककवी वभम ब्राह्भणों की याजवत्ता भें शभाये ऩलू ज
व ों
ऩय जो बी कुछ ज्मादनतमाॉ शुईं, उनकी माद आते शी शभाया भन घफया कय थयथयाने रगता शै । भन भें इव
तयश के वल ाय आने ळरूु शो जाते शैं कक जजन घटनाओॊ की माद बी इतनी ऩीड़ादामी शै, तो जजन्शोंने उन
अत्मा ायों को वशा शै, उनके भन कक जस्थनत ककव प्रकाय की यशी शोगी, मश तो ले शी जान वकते शैं। इवकी
अच्छी शभवार शभाये ब्राह्भण बाइमों के (धभव) ळास्त्रों भें शी शभरती शै । लश मश कक इव दे ळ के भूर ननलावी
षत्रत्रम रोगों के वाथ ब्राह्भण-ऩुयोहशत लगव के भखु मा ऩयळुयाभ जैवे व्मजक्त ने ककतनी क्ूयता फयती, मशी इव
ग्रॊथ भें फताने का प्रमाव ककमा गमा शै । कपय बी उवकी क्ूयता के फाये भें इतना वभझ भें आमा शै कक उव
ऩयळयु ाभ ने कई षत्रत्रमों को भौत के घाट उताय हदमा था। औय उव (ब्राह्भण) ऩयळयु ाभ ने षत्रत्रमों की अनाथ
शुई नारयमों वे, उनके छोटे -छोटे ाय- ाय ऩाॉ -ऩाॉ भाश के ननदोऴ भावूभ फच् ों को जफयदस्ती छीन कय अऩने
भन भें ककवी प्रकाय की हश कक ाशट न य ते शुए फड़ी क्ूयता वे उनको भौत के शलारे कय हदमा था। मश उव
ब्राह्भण ऩयळुयाभ का ककतना जघन्म अऩयाध था। लश ड
ॊ इतना शी कयके ुऩ नशीॊ यशा, अऩने ऩनत के भौत
वे व्मचथत कई नारयमों को, जो अऩने ऩेट के गबव की यषा कयने के शरए फड़े दखु त भन वे जॊगरों-ऩशाड़ों भें
बागे जा यशी थीॊ, लश उनका कानतर शळकायी की तयश ऩीछा कयके, उन्शें ऩकड़ कय रामा औय प्रवनू त के
ऩश् ात जफ उवे मश ऩता रता कक ऩुत्र की प्राजप्त शुई शै , तो लश ड
ॊ शो कय आता औय प्रवनू तळद
ु ा नारयमों
का कत्र कय दे ता था। इव तयश की कथा ब्राह्भण ग्रॊथों भें शभरती शै । औय जो ब्राह्भण रोग उनके वलयोधी
दर के थे, उनवे उव वभम की वशी जस्थनत वभझ भें आएगी, मश तो शभें वऩने भें बी नशीॊ वो ना ाहशए।
शभें रगता शै कक ब्राह्भणों ने उव घटना का फशुत फड़ा हशस्वा यु ामा शोगा। क्मोंकक कोई बी व्मजक्त अऩने
भॉश
ु वे अऩनी गरनतमों को कशने की हशम्भत नशीॊ कयता। उन्शोंने उव घटना को अऩने ग्रॊथ भें शर य ा शै,
मशी फशुत फड़े आश् मव की फात शै । शभाये वाभने मश वलार आता शै कक ऩयळुयाभ ने इक्कीव फाय षत्रत्रमों को
ऩयाजजत कयके उनका वलवनाळ क्मों ककमा औय उनकी अबागी नारयमों के अफोध, भावभ ू फच् ों का बी कत्र
क्मों ककमा? ळामद इवभें उवे फड़ा ऩरु
ु ऴाथव हद ता शो औय उवकी मश फशादयु ी फाद भें आनेलारी ऩीहनमों को
बी भारूभ शो, इवशरए ब्राह्भण ग्रॊथकायों ने इव घटना को अऩने ळास्त्रों भें शर य ा शै । रोगों भें एक
कशालत प्र शरत शै कक शथेरी वे वयू ज को नशीॊ ढका जा वकता। उवी प्रकाय मश शकीकत, जफकक उनको
ळशभिंदा कयनेलारी थी, कपय बी उनकी इतनी प्रशवद्चध शुई कक उनवे कक ब्राह्भणों ने उव घटना ऩय, जजतना
ऩयदा डारना वॊबल शुआ, उतनी कोशळळ उन्शोंने की, औय जफ कोई इराज शी नशीॊ फ ा तफ उन्शोंने उव घटना
को शर कय य हदमा। शाॉ, ब्राह्भणों ने इव घटना की जजतनी शकीकत शर कय य दी, उवी के फाये भें
महद कुछ वो -वल ाय ककमा जाए तो भन को फड़ी ऩीड़ा शोती शै क्मोंकक ऩयळयु ाभ ने जफ उन षत्रत्रम
गबवधारयनी नारयमों का ऩीछा ककमा तफ उन गशबवननमों को ककतनी मातनाएॉ वशनी ऩड़ी शोंगी! ऩशरी फात तो
मश कक नारयमों को बाग-दौड़ कयने की आदत फशुत कभ शोती शै। उवभें बी कई नारयमाॉ भोटी औय कुरीन शोने
की लजश वे, जजनको अऩने घय की दशरीज ऩय नना बी भारूभ नशीॊ था, घय के अॊदय उन्शें जो कुछ जरूयत
शोती, लश वफ नौकय रोग रा कय दे ते थे। भतरफ जजन्शोंने फड़ी वशजता वे अऩने जीलन का ऩारन-ऩोऴण
ककमा था, उन ऩय जफ अऩने ऩेट के गबव के फोझ को रे कय वयू ज की रशरशाती धऩ
ू भें टे ने-भेने यास्तों वे
बागने की भुवीफत आई, इवका भतरफ शै कक ले बमॊकय आऩवत्त के शळकाय थीॊ। उनको दौड़-बाग कयने की
आदत त्रफरकुर शी नशीॊ शोने की लजश वे ऩाॉल वे ऩाॉल टकयाते थे औय कबी धड़ल्रे वे ट्टान ऩय तो कबी
ऩशाड़ की ाइमों भें चगयती शोंगी। उववे कुछ नारयमों के भाथे ऩय, कुछ नारयमों की कुशनी को, कुछ नारयमों के
घुटनों को औय कुछ नारयमों के ऩाॉल को ठे व- यों रग कय न
ू की धायाएॉ फशती शोंगी। औय ऩयळुयाभ ऩीछे -
ऩीछे दौड़ कय आ यशा शै, मश वन
ु कय औय बी तेजी वे बागने-दौड़ने रगती शोंगी। यास्ते भें बागते-दौड़ते
वभम उनके नाजक
ु ऩाॉलों भें काॉटे, कॊकड़ ुबते शोंगे। कॊटीरे ऩेड़-ऩौधों वे उनके फदन वे कऩड़े बी पट गए
शोंगे औय उन्शें काॉटे बीब
ु े शोंगे। उवकी लजश वे उनके नाजक
ु फदन वे रशू बी फशता शोगा। रशरशाती धऩ

भें बागते-बागते उनके ऩाॉल भें छारे बी ऩड़ गए शोंगे। औय कभर के डॊठर के वभान नाजुक नीरलणव काॊनत
भुयझा गई शोगी। उनके भुॉश वे पेन फशता शोगा। उनकी आॉ ों भें आॉवू बय आए शोंगे। उनके भुॉश को एक
एक-हदन, दो-दो हदन ऩानी बी नशीॊ छुआ शोगा। इवशरए फेशद थकान वे ऩेट का गबव ऩेट भें शी ळोय भ ाता
शोगा। उनको ऐवा रगता शोगा कक महद अफ धयती पट जाए तो ककतना अच्छा शोता। भतरफ उवभें ले अऩने -
आऩको झोंक दे ती औय इव ॊड वे भक्
ु त शो जाती। ऐवी जस्थनत भें उन्शोंने आॉ ें पाड़-पाड़ कय बगलान की
प्राथवना ननजश् त रूऩ वे की शोगी कक 'शे बगलान! तूने शभ ऩय मश क्मा जल्
ु भ ढाएॉ शैं? शभ स्लमॊ फरशीन शैं,
इवशरए शभको अफरा कशा जाता शैं। शभें शभाये ऩनतमों का जो कुछ फर प्राप्त था, लश बी इव ॊड ने छीन
शरमा शै। मश वफ भारूभ शोने ऩय बी तू फुजहदर शो कय कामय की तयश शभायी ककतनी इजम्तशान रे यशा शै !
जजवने शभाये ळौशय को भाय डारा औय शभ अफराओॊ ऩय शचथमाय उठाए शुए शै औय इवी भें जो अऩना ऩुरूऴाथव
वभझता शै, ऐवे ॊड के अऩयाधों को दे कय तू वभथव शोने ऩय बी भॉश
ु भें उॉ गरी दफाए ऩत्थय जैवा फशया
अॊधा क्मों फन फैठा शैं?' इव तयश ले नारयमाॉ फेवशाया शो कय ककवी के वशाये की तराळ भें भुॉश उठाए ईश्लय की
मा ना कय यशी थीॊ। उवी वभम ॊड ऩयळुयाभ ने लशाॉ ऩशुॉ कय उन अफराओॊ को नशीॊ बगामा शोगा? कपय तो
उनकी मातनाओॊ की कोई वीभा शी नशीॊ यशी शोगी। उनभें वे कुछ नारयमों ने फेहशवाफ च ल्रा-च ल्रा कय, ी
ी कय अऩनी जान गॉलाई शोगी? औय ळेऴ नारयमों ने फड़ी वलनम्रता वे उव ॊड ऩयळुयाभ वे दमा की बी
नशीॊ भाॉगी शोगी कक 'शे ऩयळयु ाभ, शभ आऩवे इतनी शी दमा की बी भाॉगना ाशते शैं कक शभाये गबव वे ऩैदा
शोनेलारे अनाथ फच् ों की जान फख्ळो! शभ वबी आऩके वाभने इवी के शरए अऩना आॉ र ऩवाय यशें शैं। आऩ
शभ ऩय इतनी शी दमा कयो। अगय आऩ ाशते शो तो शभायी जान बी रे वकते शो, रेककन शभाये इन भावूभ
फच् ों की जान न रो! आऩने शभाये ळौशय को फड़ी फेयशभी वे भौत के घाट उताय हदमा शै , इवशरए शभें फेवभम
लैधव्म प्राप्त शुआ शै । औय अफ शभ वबी प्रकाय के वु ों वे कोवों दयू रे गए शैं। अफ शभें आगे फार-फच् ों
शोने की बी कोई उम्भीद नशीॊ यशी। अफ शभाया वाया ध्मान इन फच् ों की ओय रगा शुआ शै । अफ शभें इतना
शी वु ाहशए। शभाये वु की आळा स्लरूऩ शभाये मे जो भावूभ फच् े शैं, उनको बी जान वे भाय कय शभें
आऩ क्मों तड़पड़ाते दे ना ाशते शो? शभ आऩवे इतनी शी बी भाॉगते शैं। लैवे तो शभ आऩके धभव की शी
वॊतान शैं। ककवी बी तयश वे क्मों न शो, आऩ शभ ऩय यशभ कीजजए। इतने करूणाऩण
ू ,व बालऩूणव ळब्दों वे उव
ॊड ऩयळयु ाभ का हदर कुछ न कुछ तो वऩघर जाना ाहशए था, रेककन आख य ऩत्थय-ऩत्थय शी वात्रफत शुआ।
लश उन्शें प्रवत
ू शुए दे कय उनवे उनके नलजात शळळु छीनने रगा। तफ मे उन नलजात शळळओ ु ॊ की यषा के
शरए उन ऩय औॊधी चगय ऩड़ी शोंगी औय गदव न उठा कय कश यशी शोंगी के 'शे ऩयळुयाभ, आऩको महद इन
नलजात शळळुओॊ की शी जान रेनी शै तो वफवे ऩशरे मशी फेशतय शोगा कक शभाये शवय काट रो, कपय शभाये
ऩश् ात आऩ जो कयना ाशें वो कय रो, ककॊ तु शभायी आॉ ों के वाभने शभाये उन नन्शें -भुन्शें फच् ों की जान न
रो! 'रेककन कशते शैं न, कुत्ते की दभ
ु टे नी की टे नी शी यशती शै । उवने उनकी एक बी न वन
ु ी। मश ककतनी
नी ता! उन नारयमों को गोद भें ेर यशे उन नलजात शळळुओॊ को जफदव स्ती छीन शरमा गमा शोगा, तफ उन्शें
जो मातनाएॉ शुई शोंगी, जो भानशवक ऩीड़ाएॉ शुई शोंगी, उव जस्थनत को ळब्दों भें व्मक्त कयने के शरए शभाये
शाथ की करभ थयथयाने रगती शै । यै , उव जल्राद ने उन नलजात शळळओ ु ॊ की जान उनकी भाताओॊ की
आॉ ों के वाभने री शोगी। उव वभम कुछ भाताओॊ ने अऩनी छाती को ऩीटना, फारों को नों ना औय जभीन
को कूदे यना ळरू
ु कय हदमा शोगा। उन्शोंने अऩने शी शाथ वे अऩने भश
ुॉ भें शभट्टी के ढरे ठूॉव-ठूॉव कय अऩनी
जान बी गॉला दी शोगी। कुछ भाताएॉ ऩुत्र ळोक भें फेशोळ शो कय चगय ऩड़ी शोंगी। उनके शोळ-शलाव बूर गए
शोंगे। कुछ भाताएॉ ऩत्र
ु ळोक के भाये ऩागर-वी शो गई शोंगी। 'शाम भेया फच् ा, शाम भेया फच् ा!' कयते-कयते
दय-दय, गाॉल-गाॉल, जॊगर-जॊगर बटकती शोंगी। रेककन इव तयश वायी शकीकत शभें ब्राह्भण-ऩुयोहशतों वे शभर
वकेगी, मश उम्भीद रगाए यशना कपजूर की फातें शैं।

इव तयश ब्राह्भण-ऩुयोहशतों के ऩूलज


व , अचधकायी ऩयळुयाभ ने वैकड़ों षत्रत्रमों को जान वे भाय कय उनके
फीली-फच् ों के बमॊकय फयु े शार ककए औय उवी को आज के ब्राह्भणों ने ळद्र
ू ाहद-अनतळद्र
ू ों का वलवळजक्तभान
ऩयभेश्लय, वायी वजृ ष्ट का ननभावता कशने के शरए कशा शै, मश ककतने फड़े आश् मव की फात शैं! ऩयळुयाभ के
ऩश् ात ब्राह्भणों ने इन्शें कभ ऩये ळान नशीॊ ककमा शोगा। उन्शोंने अऩनी ओय वे जजतना वतामा जा वकता शै ,
उतना वताने भें कोई कवय फाकी छोड़ी नशीॊ शोगी। उन्शोंने घण
ृ ा वे इन रोगों भें वे अचधकाॊळ रोगों के बमॊकय
फुये शार ककए। उन्शोंने इनभें वे कुछ रोगों को इभायतों-बलनों की नीॊल भें जजॊदा गाड़ दे ने भें बी कोई
आनाकानी नशीॊ की, इव फाये भें इव ग्रॊथ भें शर ा गमा शै ।

उन्शोंने इन रोगों को इतना नी वभझा था कक ककवी वभम कोई ळद्र


ू नदी के ककनाये अऩने कऩड़े
धो यशा शो औय इवत्तपाक वे लशाॉ महद कोई ब्राह्भण आ जाए, तो उव ळूद्र को अऩने वबी कऩड़े वभेट कयके
फशुत दयू , जशाॉ वे ब्राह्भण के तन ऩय ऩानी का एक भाभूरी कतया बी ऩड़ने की कोई वॊबालना न शो, ऐवे
ऩानी के फशाल के नी े की जगश ऩय जा कय अऩने कऩड़े धोना ऩड़ता था। महद लशाॉ वे ब्राह्भण के तन ऩय
ऩानी की फद
ूॉ का एक कतया बी छू गमा, मा उवको इव तयश का वॊदेश बी शुआ, तो ब्राह्भण-ऩॊडा आग के
ळोरे की तयश रार शो जाता था औय उव वभम उवके शाथ भें जो बी शभर जाए मा अऩने शी ऩाव के फतवन
को उठा कय, न आल दे ा न ताल, उव ळद्र
ू के भाथे को ननळाना फना कय फड़े जोय वे पेंक कय भायता था
उववे उव ळद्र
ू का भाथा न
ू वे बय जाता था। फेशोळी भें जभीन ऩय चगय ऩड़ता था। कपय कुछ दे य फाद शोळ
आता था तफ अऩने न
ू वे बीगे शुए कऩड़ों को शाथ भें रे कय त्रफना ककवी शळकामत के, भुॉश रटकाए अऩने
घय रा जाता था। महद वयकाय भें शळकामत कयो तो, ायों तयप ब्राह्भणळाशी का जार पैरा शुआ था; फजल्क
शळकामत कयने का तया मश यशता था कक द
ु को शी वजा बोगने का भौका न आ जाए। अपवोव!
अपवोव!! शे बगलान, मश ककतना फड़ा अन्माम शै !

यै , मश एक ददव बयी कशानी शै , इवशरए कशना ऩड़ यशा शै । ककॊ तु इव तयश की औय इववे बी बमॊकय
घटनाएॉ घटती थीॊ, जजवका ददव ळद्र
ू ाहद-अनतळद्र
ू ों को त्रफना शळकामत के वशना ऩड़ता था। ब्राह्भणलादी याज्मों भें
ळूद्राहद-अनतळूद्रों को व्माऩाय-लाखणज्म के शरए मा अन्म ककवी काभ के शरए घूभना शो तो फड़ी कहठनाइमों का
वाभना कयना ऩड़ता था, फड़ी कहठनाइमाॉ फदावश्त कयनी ऩड़ती थीॊ। इनके वाभने भुवीफतों का ताॉता रग जाता
था। उवभें बी एकदभ वुफश के वभम तो फशुत बायी हदक्कतें ड़ी शो जाती थीॊ, क्मोंकक उव वभम वबी ीजों
की छामा कापी रॊफी शोती शै । महद ऐवे वभम ळामद कोई ळद्र
ू यास्ते भें जा यशा शो औय वाभने वे ककवी
ब्राह्भण की वलायी आ यशी शै , मश दे कय उव ब्राह्भण ऩय अऩनी छामा न ऩड़े, इव डय वे कॊवऩत शो कय
उवको ऩर-दो-ऩर अऩना वभम कपजूर फयफाद कयके यास्ते वे एक ओय शो कय लशीॊ फैठ जाना ऩड़ता था। कपय
उव ब्राह्भण के रे जाने के फाद उवको अऩने काभ के शरए ननकरना ऩड़ता था। भान रीजजए, कबी-कबाय
फगैय मार के उवकी छामा उव ब्राह्भण ऩय ऩड़ी तो ब्राह्भण तुयॊत क्ोचधत शो कय ॊड फन जाता था औय
उव ळूद्र को भयते दभ तक भायता-ऩीटता औय उवी लक्त नदी ऩय जा कय स्नान कय रेता था।

ळूद्रों वे कई रोगों को (जानतमों को) यास्ते ऩय थक


ू ने की बी भनाशी थी। इवशरए उन ळूद्रों को
ब्राह्भणों की फजस्तमों वे गज
ु यना ऩड़ा तो अऩने वाथ थक
ू ने के शरए शभट्टी के ककवी एक फयतन को य ना
ऩड़ता था। वभझ रो, उवकी थूक जभीन ऩय ऩड़ गई औय उवको ब्राह्भण-ऩॊडों ने दे शरमा तो उव ळद्र
ू के
हदन बय गए। अफ उवकी यै नशीॊ। इव तयश मे रोग (ळूद्राहद-अनतळूद्र जानतमाॉ) अनचगनत भुवीफतों को
वशते-वशते भहटमाभेट शो गए। रेककन अफ शभें ले रोग इव नयक वे बी फदतय जीलन वे कफ भजु क्त दे ते शैं,
इवी का इॊतजाय शै । जैवे ककवी व्मजक्त ने फशुत हदनों तक जेर के अॊदय जजॊदगी गज ु ाय दी शो, लश कैदी अऩने
वाथी शभत्रों वे फीली-फच् ों वे बाई-फशन वे शभरने के शरए मा स्लतॊत्र रूऩ वे आजाद ऩॊछी की तयश घभ ू ने के
शरए फड़ी उत्वक
ु ता वे जेर वे भुक्त शोने के हदन का इॊतजाय कयता शै, उवी तयश का इॊतजाय, फेवब्री इन
रोगों को बी शोना स्लाबावलक शी शै । ऐवे वभम फड़ी ळ
ु ककस्भत कहशए कक ईश्लय को उन ऩय दमा आई, इव
दे ळ भें अॊग्रेजों की वत्ता कामभ शुई औय उनके द्लाया मे रोग ब्राह्भणळाशी की ळायीरयक गुराभी के भक्
ु त शुए।
इवीशरए के रोग अॊग्रेजी याजवत्ता का ळकु क्मा अदा कयते शैं। मे रोग अॊग्रेजों के इन उऩकायों को कबी बूरेंगे
नशीॊ। उन्शोंने इन्शें आज वैकड़ों कार वे री आ यशी ब्राह्भणळाशी की गर
ु ाभी की पौरादी जॊजीयों को तोड़
कयके भुजक्त की याश हद ाई शै । उन्शोंने इनके फीली-फच् ों को वु के हदन हद ाए शैं। महद ले मशाॉ न आते तो
ब्राह्भणों ने, ब्राह्भणळाशी ने इन्शें कबी वम्भान औय स्लतॊत्रता की जजॊदगी न गज
ु ायने दी शोती। इव फात ऩय
कोई ळामद इव तयश का वॊदेश उठा वकता शै कक आज ब्राह्भणों की तुरना भें ळूद्राहद-अनतळूद्रों की वॊख्मा
कयीफन दव गन
ु ा ज्मादा शै। कपय बी ब्राह्भणों ने ळद्र
ू ाहद-अनतळद्र
ू ों को कैवे भहटमाभेट कय हदमा? कैवे गुराभ
फना शरमा? इवका जलाफ मश शै कक एक फद्
ु चधभान, तयु आदभी इव असानी रोगों के हदरो-हदभाग को
अऩने ऩाव चगयली य ा वकता शै। उन ऩय अऩना स्लाशभत्ल राद वकता शै । औय दव
ू यी फात मश शै कक दव
अनऩन रोग महद एक शी भत के शोते तो ले उव फद्
ु चधभान, तुय आदभी की दार ना गरने दे ते, एक न
रने दे ते; ककॊ तु ले दव रोग दव अरग-अरग भतों के शोने की लजश वे ब्राह्भणों-ऩुयोहशतों जैवे धत
ू ,व ऩा ड
ॊ ी
रोगों को उन दव शबन्न-शबन्न भतलादी रोगों को अऩने जार भें पॉवाने भें कुछ बी कहठनाई नशीॊ शोती।
ळद्र
ू ाहद-अनतळद्र
ू ों की वल ाय प्रणारी, भत भान्मताएॉ एक दव
ू ये वे भेर-शभराऩ न कये , इवके शरए प्रा ीन कार
भें ब्राह्भण-ऩुयोहशतों ने एक फशुत फड़ी धत ू त
व ाऩूणव औय फदभाळीबयी वल ायधाया ोज ननकारी। उन ळद्र ू ाहद-
अनतळद्र ू ों के वभाज की वॊख्मा जैवे-जैवे फनने रगी, लैवे-लैवे ब्राह्भणों भें डय की बालना उत्ऩन्न शोने रगी।
इवीशरए उन्शोंने ळद्र
ू ाहद-अनतळद्र
ू ों के आऩव भें घण
ृ ा औय नपयत फनती यशे , इवकी मोजना तैमाय की। उन्शोंने
वभाज भें प्रेभ के फजाम जशय के फीज फोए। इवभें उनकी ार मश थी के महद ळद्र
ू ाहद-आनतळद्र
ू (वभाज)
आऩव भें रड़ते-झगड़ते यशें गे तफ कशीॊ मशाॉ अऩने हटके यशने की फनु नमाद भजफूत यशे गी औय शभेळा-शभेळा के
शरए उन्शें अऩना गुराभ फना कय फगैय भेशनत के उनके ऩवीने वे प्राप्त कभाई ऩय त्रफना ककवी योक-टोक के
गुरछये उड़ाने का भौका शभरेगा। अऩनी इव ार, वल ायधाया को काभमाफी दे ने के शरए जानतबेद की पौरादी
जशयीरी दीलायें ड़ी कयके, उन्शोंने इवके वभथवन भें अऩने जानत-स्लाथवशवद्चध के कई ग्रॊथ शर डारे। उन्शोंने
उन ग्रॊथों के भाध्मभ वे अऩनी फातों को असानी रोगों के हदरों-हदभाग ऩय ऩत्थय की रकीय तयश शर हदमा।
उनभें वे कुछ रोग जो ब्राह्भणों के वाथ फड़ी कड़ाई औय दृनता वे रड़े, उनका उन्शोंने एक लगव शी अरग कय
हदमा। उनवे ऩूयी तयश फदरा ुकाने के शरए उनकी जो फाद की वॊतान शुई, उवको उन्शें छूना नशीॊ ाहशए, इव
तयश की जशयीरी फातें ब्राह्भण-ऩॊडा-ऩुयोहशतों ने उन्शीॊ रोगों के हदरो-हदभाग भें बय दी कपरशार जजन्शें भारी,
कुनफी (कुभी आहद) कशा जाता शै। जफ मश शुआ तफ इवका ऩरयणाभ मश शुआ कक उनका आऩवी भेर-शभराऩ
फॊद शो गमा औय ले रोग अनाज के एक-एक दाने के शरए भोशताज शो गए। इवीशरए इन रोगों को जीने के
शरए भये शुए जानलयों का भाॊव भजफयू शो कय ाना ऩड़ा। उनके इव आ ाय-व्मलशाय को दे कय आज के ळद्र ू
जो फशुत शी अशॊकाय वे भारी, कुनफी, वुनाय, दयजी, रुशाय फनई (तेरी, कुभी) आहद फड़ी-फड़ी वॊसाएॉ अऩने
नाभ के वाथ रगाते शैं, ले रोग केलर इव प्रकाय का व्मलवाम कयते शैं। कशने का भतरफ मशी शै कक ले रोग
एक शी घयाने के शोते शुए बी आऩव भें रड़ते-झगड़ते शैं औय एक दव ू ये को नी वभझते शैं। इन वफ रोगों के
ऩूलज
व स्लदे ळ के शरए ब्राह्भणों वे फड़ी ननबवमता वे रड़ते यशे , इवका ऩरयणाभ मश शुआ के ब्राह्भणों ने इन
वफको वभाज के नन रे स्तय ऩय रा कय य हदमा औय दय-दय के शब ायी फना हदमा। रेककन अपवोव मश
शै कक इवका यशस्म ककवी के ध्मान भें नशीॊ आ यशा शै। इवशरए मे रोग ब्राह्भण-ऩॊडा-ऩयोहशतों के फशकाले भें
आ कय आऩव भें नपयत कयना वी गए। अपवोव! अपवोव!! मे रोग बगलान की ननगाश भें ककतने फड़े
अऩयाधी शै ! इन वफका आऩव भें इतना फड़ा नजदीकी वॊफॊध शोने ऩय बी ककवी त्मोशाय ऩय मे उनके दयलाजे
ऩय ऩका-ऩकामा बोजन भाॉगने के शरए आते शैं तो ले रोग इनको नपयत की ननगाश वे शी नशीॊ दे ते शैं ,
कबी-कबी तो डॊडा रे कय इन्शें भायने के शरए बी दौड़ते शैं। यै , इव तयश जजन-जजन रोगों ने ब्राह्भण-ऩॊडा-
ऩुयोहशतों वे जजव-जजव तयश वे वॊघऴव ककमा, उन्शोंने उवके अनुवाय जानतमों भें फाॉट कय एक तयश वे वजा
वुना दी मा जानतमों का हद ालटी आधाय दे कय वबी को ऩूयी तयश वे गुराभ फना शरमा। ब्राह्भण-ऩॊडा-
ऩुयोहशतों वफ भें वलवश्रेष्ठ औय वलावचधकाय वॊऩन्न शो गए, शै न भजे की फात! तफ वे उन वबी के हदरो
हदभाग आऩव भें उरझ गए औय नपयत वे अरग-अरग शो गए। ब्राह्भण-ऩुयोहशतों अऩने ऴड्मॊत्र भें काभमाफ
शुए। उनको अऩना भन ाशा व्मलशाय कयने की ऩयू ी स्लॊतत्रता शभर गई। इव फाये भें एक कशालत प्रशवद्ध शै कक
'दोनों का झगड़ा औय तीवये का राब' भतरफ मश शै कक ब्राह्भण-ऩॊडा-ऩुयोहशतों ने ळद्र
ू ाहद-अनतळद्र
ू ों के आऩव भें
नपयत के फीज जशय की तयश फो हदए औय द
ु उन वबी की भेशनत ऩय ऐळोआयाभ कय यशे शैं।

वॊषेऩ भें, ऊऩय कशा शी गमा शै कक इव दे ळ भें अॊग्रेज वयकाय आने बी लजश वे ळद्र
ू ाहद-अनतळद्र
ू ों की
जजॊदगी भें एक नई योळनी आई। मे रोग ब्राह्भणों की गुराभी वे भुक्त शुए, मश कशने भें ककवी प्रकाय का
वॊको नशीॊ शै । कपय बी शभको मश कशने भें फड़ा ददव शोता शै कक अबी बी शभायी दमारु वयकाय के, ळूद्राहद-
अनतळद्र
ू ों को शळक्षषत फनाने की हदळा भें, गैय-जजम्भेदायीऩूणव यलैमा अजख्तमाय कयने की लजश वे मे रोग
अनऩन शी यशे । कुछ रोग शळक्षषत, ऩने शर े फन जाने ऩय बी ब्राह्भणों के नकरी ऩा ड
ॊ ी (धभव) ग्रॊथों के
ळास्त्रऩयु ाणों के अॊध बक्त फन कय भन वे, हदरो-हदभाग वे गर
ु ाभ शी यशे ।

इवशरए उन्शें वयकाय के ऩाव जा कय कुछ परयमाद कयने, न्माम भाॉगने का कुछ आधाय शी नशीॊ यशा
शै । ब्राह्भण-ऩॊडा-ऩुयोहशतों रोग अॊग्रेज वयकाय औय अन्म वबी जानत के रोगों के ऩारयलारयक औय वयकायी
काभों भें ककतनी रट
ू - वोट कयते शैं, गुरछये उड़ाते शै, इव फात की ओय शभायी अॊग्रेज वयकाय का अबी तक
कोई ध्मान नशीॊ गमा शै । इवशरए शभ ाशते शै कक अॊग्रेज वयकाय को वबी जनों के प्रनत वभानता का बाल
य ना ाहशए औय उन तभाभ फातों की ओय ध्मान दे ना ाहशए जजववे ळद्र
ू ाहद-अनतळद्र
ू वभाज के रोग
ब्राह्भणों की भानशवक गर
ु ाभी वे भक्
ु त शो वकें। अऩनी इव वयकाय वे शभाये मशी प्राथवना शै ।

इव ककताफ को शर ते वभम भेये शभत्र वलनामक याल फाऩू जी बॊडायकय औय वा0 याजन्नशरॊगू ने भझ
ु े
जो उत्वाश हदमा, इवके शरए भैं उनको फशुत-फशुत धन्मलाद दे ता शूॉ।

जोतीयाल गोवलॊदयाल
ब्राह्भणवादी धभम की छत्रच्छामा भें

गुराभगीयी

[जोतीयाव औय धोंडीयाव-सॊवाद]

ऩरयच्छे द : एक

[ब्रह्भा की व्मुत्ऩवि, सयस्वती औय इयाणी मा आमम रोगों के सॊफध


ॊ भें।]

धोंडीयाल : ऩजश् भी दे ळों भें अॊग्रेज, फ्रें आहद दमार,ु वभ्म याज्मकतावओॊ ने इकट्ठा शो कय गुराभी
प्रथा ऩय कानूनन योक रगा दी शै । इवका भतरफ मश शै कक उन्शोंने ब्रह्भा के (धभव) नीनत-ननमभों को ठुकया
हदमा शै। क्मोंकक भनुवॊहशता भें शर ा गमा शै कक ब्रह्भा (वलयाट ऩरु
ु ऴ) ने अऩने भुॉश वे ब्राह्भण लणव को ऩैदा
ककमा शै औय उवने इन ब्राह्भणों की वेला (गर
ु ाभी) कयने की शरए शी अऩने ऩाॉल वे ळद्र
ू ों को ऩैदा ककमा शै ।

जोतीयाल : अॊग्रेज आहद वयकायों ने गुराभी प्रथा ऩय ऩाफॊदी रगा दी शै, इवका भतरफ शी मश शै कक
उन्शोंने ब्रह्भा की आसा को ठुकया हदमा शै, मशी तम्
ु शाया कशना शै न! इव दनु नमा भें अॊग्रेज आहद कई प्रकाय
के रोग यशते शैं, उनको ब्रह्भा ने अऩनी कौन-कौन वी इॊहद्रमों वे ऩैदा ककमा शै औय इव वॊफॊध भें भनुवहॊ शता भें
क्मा-क्मा शर ा गमा शै?

धोंडीयाल : इवके वॊफॊध भें वबी ब्राह्भण, भतरफ फद्


ु चधभान औय फद्
ु चधशीन मश जलाफ दे ते शैं कक
अॊग्रेज आहद रोगों के अधभ, दयु ा ायी शोने की लजश वे उन रोगों वे फाये भें भनुवहॊ शता भें कुछ बी शर ा नशीॊ
गमा।

जोतीयाल : तम्
ु शाये इव तयश के कशने वे मश ऩता रता शै कक ब्राह्भणों भें अधभ, नी , दष्ु ट,
दयु ा ायी रोग त्रफरकुर शै शी नशीॊ?

धोडीॊयाल: अनब
ु ल वे मश ऩता रता शै कक अन्म जानतमों की तर
ु ना भें ब्राह्भणों भें वफवे ज्मादा
अधभ, नी , दष्ु ट औय दयु ा ायी रोग शैं।

जोतीयाल : कपय मश फताओ के इव तयश के अधभ, नी , दष्ु ट, ब्राह्भणों के फाये भें भनु की वॊहशता
भे ककव प्रकाय वे शर ा गमा शै ?

धोंडीयाल : इव फात वे मश प्रभाखणत शोता शै कक भनु ने अऩनी वॊहशता भें जो व्मुत्ऩवत्त शवद्धाॊत
प्रनतऩाहदत ककमा शै, लश एकदभ तथ्मशीन, ननयाधाय शै; क्मोंकक लश शवद्धाॊत वबी भानल वभाज ऩय रागू नशीॊ
शोता।

जोतीयाल : इवीशरए अॊग्रेज आहद रोगों के जानकायों ने ब्राह्भण ग्रॊथकायों की फदभाळी को ऩश ान कय


गुराभ फनाने की प्रथा ऩय कानन
ू न ऩाफॊदी रगा दी। महद मश ब्रह्भा तभाभ भानल वभाज की व्मत्ु ऩवत्त के शरए
वशी भें कायण शोता तो उन्शोंने गुराभी प्रथा ऩय ऩाफॊदी शी नशीॊ रगाई शोती। भनु ने ाय लणों की उत्ऩवत्त
शर ी शै। महद इव व्मत्ु ऩवत्त को कुर शभरा कय वबी वजृ ष्ट-क्भों वे तर
ु ना कयके दे ा जाए तो लश तुभको ऩूयी
तयश तथ्मशीन, ननयाधाय शी हद ाई दे गी।

धोंडीयाल : भतरफ, मश ककव प्रकाय वे?

जोतीयाल : ब्राह्भणों का कशना शै ब्राह्भण ब्रह्भा के भु वे ऩैदा शुए रेककन कुर शभरा कय वबी
ब्राह्भणों की आहदभाता ब्राह्भणी ब्रह्भा के ककव अॊग वे उत्ऩन्न शुई, इवके फाये भें भनु ने अऩनी वॊहशता भें
कुछ बी नशी शर य ा शै । आख य ऐवा क्मों?

धोंडीयाल : क्मोंकक लश उन वलद्लान ब्राह्भणों के कशने के अनुवाय भू व दयु ा ायी शोगी। इवशरए
कपरशार उवे म्रेच्छ [3] मा वलधशभवमों की ऩॊजक्त भें य हदमा जाए।

जोतीयाल : शभ बद
ू े ल शैं, शभ वबी लणों भें श्रेष्ठ शैं, मश शभेळा फड़े गलव वे कशनेलारे इन ब्राह्भणों को
जन्भ दे नेलारी आहदभाता ब्राह्भणी शी शै न? कपय तभ
ु उवको म्रेच्छों की ऩॊजक्त भें ककवशरए य ते शो?
उवको लशाॉ की ळयाफ औय भाॊव की फदफू कैवे ऩवॊद आएगी? फेटे, तू मश फड़ी गरत फात कय यशा शै।

धोंडीयाल : आऩने शी कई फाय वये आभ वबाओॊ भें, व्माख्मानों भें कशा शै कक ब्राह्भणों के आहदलॊळज
जो ऋवऴ थे, ले श्राद्ध [4] के फशाने गौ की शत्मा कयके गाम के भाॊव वे कई प्रकाय के ऩदाथव फनला कयके
ाते थे। औय अफ आऩ कशते शै कक उनकी आहदभाता को फदफू आएगी, इवका भतरफ क्मा शै ? आऩ अॊग्रेजी
याज के दीघवजीली शोने की काभना कीजजए, औय कुछ हदन के शरए रूक जाइए। तफ आऩको हद ाई दे गा कक
आज के अचधकाॊळ भाॊगशरक[5] शबषुक ब्राह्भण इव तयश का प्रमाव कयें गे कक ये शवडेंट, गलवनय आहद
अचधकारयमों की उन ऩय ज्मादा-वे-ज्मादा भेशयफानी शो, इवशरए मे ब्राह्भण उनकी भेज ऩय के फ े- ु े गोश्त
के टुकड़े फट
ु े रय [6] ब्राह्भणों के नाभ वे अॊदय-शी-अॊदय पुवपुवाने रगे शैं? भनु भशायाज ने आहदब्राह्भणी की
व्मुत्ऩवत्त के फाये भें कुछ बी नशीॊ शर ा शै। इवशरए इव दोऴ की वायी जजम्भेदायी उवी के शवय ऩय डार
दीजजए। उवके फाये भें आऩ भुझे क्मों दोऴ दे यशे शैं कक भैं गरत-वरत फोर यशा शूॉ? छोड़ड़ए इन फातों को,
आगे फताइए।

जोतीयाल : अच्छा, जैवी तुम्शायी इच्छा, लशी व क्मों ना शो। अफ ब्राह्भण को ऩैदा कयनेलारे ब्रह्भा
का जो भुॉश शै, लश शय भाश भाशवक धभव (भाशलाय) आने ऩय तीन- ाय हदन के शरए अऩवलत्र (फहशष्कृत) शोता
था मा शरॊगामत[7] नारयमों की तयश बस्भ रगा कय ऩवलत्र (ळद्
ु ध) शो कय घय के काभ-धॊधे भें रग जाता था,
इव फाये भें भनु ने कुछ शर ा बी शै मा नशीॊ?

धोंडीयाल : नशीॊ। ककॊ तु ब्राह्भणों की उत्ऩवत्त का आहद कायण ब्रम्शा शी शै। औय उवको शरॊगामत नायी
का उऩदे ळ कैवे उच त रगा शोगा? क्मोंकक आज के ब्राह्भण रोग शरॊगामतों वे इवशरए घण
ृ ा कयते शैं क्मोंकक
ले इवभें छुआछूत नशीॊ भानते।
जोतीयाल : इववे तुभ वो शी वकते शो कक ब्राह्भण का भुॉश, फाॉशें, जाॉघे औय ऩाॉल - इन ाय अॊगों
की मोनन, भाशलाय (यजस्लरा) के कायण, उवको कुर शभरा कय वोरश हदन के अळद्
ु ध शो कय दयू -दयू यशना
ऩड़ता शोगा। कपय वलार उठता शै कक उवके घय का काभ-धॊधा कौन कयता शोगा? क्मा भनु भशायाज ने अऩनी
भनस्
ु भनृ त भें इवके वॊफध
ॊ भें कुछ शर ा बी शै मा नशीॊ?

धोंडीयाल : नशीॊ।

जोतीयाल : अच्छा। लश गबव ब्रह्भा के भुॉश भें जजव हदन वे ठशया, उव हदन वे रे कय नौ भशीने
फीतने तक ककव जगश ऩय यश कय फनता यशा, इव फाये भें भनु ने कुछ कशा बी शै मा नशी?

धोंडीयाल : नशीॊ।

जोतीयाल : अच्छा। कपय जफ मश ब्राह्भण फारक ऩैदा शुआ, उव नलजात शळळु को ब्रह्भा ने अऩने
स्तन का दध
ू वऩरा कय छोटे वे फड़ा ककमा, इव फाये भें बी भनु भशायाज ने कुछ शर ा शै मा नशीॊ?

धोंडीयाल : नशीॊ।

जोतीयाल : वावलत्री ब्रह्भा की औयत शोने ऩय बी उवने उव नलजात शळळु के गबव का फोझ अऩने भुॉश
भें नौ भशीने तक वॉबार कय य ने, उवे जन्भ दे ने औय उव की दे बार कयने का झभेरा अऩने भाथे ऩय
क्मों रे शरमा? मश ककतना फड़ा आश् मव शै !

धोंडीयाल : उवके (ब्रह्भा के) ळेऴ तीन शवय उव झभेरे वे दयू थे मा नशीॊ? आऩकी याम इव भाभरे भें
क्मा शै? उव यॊ डीफाज को इव तयश वे भाॉ फनने की इच्छा क्मों ऩैदा शुई शोगी?

जोतीयाल : अफ महद उवे यॊ डीफाज कशा जाए तो उवने वयस्लती नाभ की अऩनी कन्मा वे शी वॊबोग
(व्मशब ाय) ककमा था। इवीशरए उवका उऩनाभ फेटी ोद शो गमा शै। इवी फुये कभव के कायण कोई बी व्मजक्त
उवका भान-वम्भान (ऩज
ू ा) नशीॊ कय यशा शै।

धोंडीयाल : महद व भु भें ब्रह्भा को ाय भश


ुॉ शोते तो उवी हशवाफ वे उवे आठ स्तन, ाय नाशबमाॉ,
ाय मोननमाॉ औय ाय भरद्लाय शोने ाहशए। ककॊ तु इव फाये भें वशी जानकायी दे नेलारा कोई शरख त प्रभाण
नशीॊ शभर ऩामा शै । कपय, उवी तयश ळेऴनाग की ळैमा ऩय वोनेलारे को, रक्ष्भी नाभ की स्त्री शोने ऩय बी,
उवने अऩनी नाशब वे ाय भुॉशलारे फच् े को कैवे ऩैदा ककमा? इव फाये भें महद वो ा जाए तो उवकी बी
जस्थनत ब्रह्भा की तयश शी शोगी।

जोतीयाल : लास्तल भें, शय दृजष्ट वे वो ने के फाद शभ इव ननणवम ऩय ऩशुॉ ते शै कक ब्राह्भण रोग


वभुद्रऩाय जो इयाण नाभ का दे ळ शै, लशाॉ के भूर ननलावी शै । ऩशरे जभाने भें उन्शें इयाणी मा आमव कशा जाता
था। इव भत का प्रनतऩादन कई अॊग्रेजी ग्रॊथकायों ने उन्शीॊ के ग्रॊथों के आधाय ऩय ककमा शै । वफवे ऩशरे उन
आमव रोगों ने फड़ी-फड़ी टोशरमाॉ फना कयके दे ळ भें आ कय कई फफवय शभरे ककए। मशाॉ के भूर ननलावी याजाओॊ
के प्रदे ळों ऩय फाय-फाय शभरे कयके फड़ा आतॊक पैरामा। कपय (फटू) लाभन के फाद आमव (ब्राह्भण) रोगों का
ब्रह्भा नाभ का भुख्म अचधकायी शुआ। उवका स्लबाल फशुत जजद्दी था। उवने अऩने कार भें मशाॉ के शभाये
आहदऩल ू ज
व ों को अऩने फफवय शभरों भें ऩयाजजत कय उन्शें अऩना गर
ु ाभ फनामा। फाद भें उवने अऩने रोग औय
इन गर
ु ाभों भें शभेळा-शभेळा के शरए बेद-बाल फना यशे , इवशरए कई प्रकाय के नीनत ननमभ फनलाए। इन वबी
घटनाओॊ की लजश वे ब्रह्भा की भत्ृ मु के फाद आमव रोगों का भूर नाभ अऩने-आऩ रुप्त शो गमा औय उनका
नमा नाभ ऩड़ गमा 'ब्राह्भण'।

कपय भनु भशायाज जैवे (ब्राह्भण) अचधकायी शुए। ऩशरे वे फने शुए औय अऩने फनाए शुए नीनत-ननमभों
का षम फाद भें कोई न कय ऩाए, इव डय की लजश वे उवने ब्रह्भा के फाये भें नई नई तयश की कल्ऩनाएॉ
पैराई। कपय उवने इव तयश के वल ाय उन गर
ु ाभ रोगों के हदरों-हदभाग भें ठूॉव-ठूॉव कय बय हदए कक मे फातें
ईश्लय की इच्छा वे शुई शैं। कपय उवने ळेऴनाग ळैमा की दव ू यी अॊधी कथा (ऩुयाण कथा) गनी औय वभम दे
कय, कुछ वभम के फाद, उन वबी ऩा ड ॊ ों के ग्रॊथळास्त्र फनाए गए। उन ग्रॊथों के फाये भें ळद्र
ू गुराभों को नायद
जैवे धूत,व तुय, वदा औयतों भें यशनेलारे छ्छोये के तारी ऩीट-ऩीट कय उऩदे ळ कयने की लजश वे मूॉ शी ब्रह्भा
का भशत्ल फन गमा। अफ शभ इव ब्रह्भा के फाये भें, ळेऴनाग ळैमा कयनेलारे के फाये भें ोज कयने रगें तो
उववे शभें छदाभ का पामदा तो शोगा नशीॊ क्मोंकक उवने जान फझ
ू कय उव फे ाये को वीधा रेटा शुआ दे
कय उवकी नाशब वे मश ाय भुॉशलारे फच् े को ऩैदा कयलामा। भुझे ऐवा रगता शै कक ऩशरे वे शी औॊधाच त
शुए गयीफ ऩय ऊऩय वे ऩाॉल दे ना, इवभें अफ कुछ भजा नशीॊ शै।
ऩरयच्छे द : दो

[भत्स्म औय शॊखासयु के सॊफध


ॊ भें]

धोंडीयाल : इव दे ळ भें (फटू) लाभन के ऩशरे इयाण वे आमव रोगों के कुर शभरा कय ककतने जत्थे
आए शोगें ?

जोतीयाल : इव दे ळ भें आमव रोगों के कई जत्थे जरभागव वे आए।

धोंडीयाल : उनभें वे ऩशरा जत्था जरभागव वे रड़ाकू नौका वे आमा था मा ककवी औय भागव वे?

जोतीयाल : रड़ाकू नौकाएॉ उव कार भें नशीॊ थी। इवशरए ले जत्थे छोटी-छोटी नौकाओॊ ऩय आए थे
औय ले नौकाएॉ भछ्शरमों की तयश तेजी वे ऩानी के ऊऩय रती थीॊ। इवशरए उव जत्थे के अचधकायी का
उऩनाभ भत्स्म शो गमा शोगा।

धोंडीयाल : कपय ब्राह्भण इनतशावकायों ने बागलत आहद ग्रॊथों भें इव तयश शर ा शै कक उव जत्थे का
भखु मा भत्स्म वे ऩैदा शुआ था, इवका क्मा भतरफ शोगा?

जोतीयाल : उवके फाये भें तभ


ु शी वो ो कक भनष्ु म औय भछरी इनके इॊहद्रमों भें, आशाय भें, ननद्रा भें,
भैथुन भें औय ऩैदा शोने की प्रककमा भें ककतना अॊतय शै? उवी प्रकाय उनके भजस्तष्क भें , भेधा भें, करेजे भें,
पेंपड़े भें, अॊतड़डमों भें, गबव ऩारने-ऩोवने की जगश भें औय प्रवनू त शोने के भागव भें ककतना भत्कारयक अॊतय
शै । भनुष्म जभीन ऩय यश कय अऩनी जजॊदगी फवय कयनेलारा प्राणी शै। लश जया-वी अवालधानी वे ऩानी भें
चगयने ऩय तैयना न आए तो डूफ कय भय जाता शै; ककॊ तु भछरी शभेळा शी ऩानी भें यशती शै। रेककन भछरी को
ऩानी वे फाशय ननकार कय जभीन ऩय य ते शी नतरशभरा कय भय जाती शै । नायी स्लाबावलक रूऩ भें एक
वभम एक शी फच् े को जन्भ दे ती शै । रेककन भछरी वफवे ऩशरे कई अॊडे दे ती शै। उवके कुछ हदनों फाद उन
अॊडों को पोड़ कय उवभें वे अऩने वबी फच् ों को फाशय ननकारती शै। अफ जजव अॊडे भें मश भत्स्म-फारक था,
उवको उवने ऩानी वे फाशय ननकार कय जभीन ऩय पोड़ा शोगा उव अॊडे वे उवने उव भत्स्म-फारक को फाशय
ननकारा शोगा। महद मश कशा जाए, तो उव भछरी की जान ऩानी वे फाशय जभीन ऩय कैवे फ ी शोगी? कोई
आदभी इव तयश का वलार उठा वकता शै कक भनष्ु मों भें वे ककवी भॉजे शुए गोता ोय ने ऩानी के अॊदय गशयी
डुफकी रगा कय भत्स्म-फारक जजव अॊडे भें था, उव अॊडे को ऩश ान कय उवने उवको जभीन ऩय रामा शोगा।
यै , मश बी व भान रीजजए। रेककन फाद भें ककव तुय भदव ने भछ्री के उव अॊडे को पोड़ कय उवभें वे
उव भत्स्म-फारक को फाशय ननकारा शोगा, क्मोंकक मूयोऩ औय अभेरयकी दे ळों भें कापी वलकाव शुआ शै औय
फड़े-फड़े ख्मानतप्राप्त वलद्लान च ककत्वाळास्त्र भें वलस शुए शैं, कपय बी उनभें वे ककवी एक ने बी अऩनी छाती
ऩय शाथ य कय मश दाला नशीॊ ककमा शै कक भैं भछ्री के अॊडे को पोड़ कयके उवभें वे फच् े को जजॊदा फाशय
ननकार दे ता शूॉ। यै , लश अॊडा ऩानी भें शै , इव तयश का भशत्लऩूणव वॊदेळ ककव अभय भछरी ने ऩानी वे फाशय
आ कय उव गोता ोय को फतामा शोगा औय उव जर य वॊदेळलाशक की बाऴा भानल को कैवे वभझ भें आई
शोगी? इव प्रकाय की एक वे अचधक ळॊकाओॊ वे बये उन रे ों भें वे वशी वभाधान शोना त्रफरकुर अवॊबल शै।
इवशरए उवके फाये भें मश अनुभान प्रभाखणत शोता शै कक, फाद भें कुछ भू व रोगों ने भौका शभरते शी अऩने
प्रा ीन ग्रॊथों भें इव तयश की काल्ऩननक कथाओॊ को घुवेड़ हदमा शोगा।

धोंडीयाल : अच्छा, कपय वलार मश उठता शै कक उव जत्थे का नामक अऩने रोगों वे वाथ ककव जगश
ऩय आ कय रूका शोगा?

जोतीयाल : ऩजश् भ के वभुद्र को ऩाय कयते शुए लश एक फॊदयगाश ऩय उतया।

धोंडीयाल : उव फॊदयगाश ऩय उतयने के फाद उवने क्मा ककमा?

जोतीयाल : उवने ळॊ ावुय नाभ के षेत्रऩनत को जान वे भाय डारा औय उवके याज्म को छीन शरमा।
फाद भें ळॊ ावयु का लश याज्म भत्स्म के भयते शी ळॊ ावयु के रोगों ने अऩना याज्म लाऩव रेने के उद्दे श्म वे
भत्स्म के कफीरे ऩय फड़ा शी तयनाक शभरा फोर हदमा।

धोंडीयाल : फाद भें इव तयनाक शभरे का क्मा ऩरयणाभ शुआ?

जोतीयाल : उव कयायी शभरे भें भत्स्म के कफीरे की कयायी शाय शुई। इवशरए उवने मद्
ु धबशू भ वे शी
बाग जाना फेशतय वभझा औय बाग ननकरा। फाद भें ळॊ ावुय के रोगों द्लाया उवका ऩीछा कयने की लजश वे
लश अॊत भें ककवी ऩशाड़ी ऩय जा कय घने जॊगर भें छुऩ गमा। उवी वभम इयाण वे आमव रोगों का दव
ू या एक
फड़ा कफीरा क ले वे फॊदयगाश ऩय आ ऩशुॉ ा औय ले क ले भछले वे कुछ फड़े शोने की लजश वे ऩानी ऩय
कछुए की तयश धीये -धीये र यशे थे। इवी की लजश वे उव कफीरे के भखु मा का उऩनाभ कच्छ शो गमा।
ऩरयच्छे द : तीन

[कच्छ, बूदेव,बूऩतत, ऺत्रत्रम, द्ववज औय कश्मऩ याजा के सॊफॊध भें]

धोंडीयाल : भछरी औय कछुला, इन वबी फातों भें तर


ु ना कयने ऩय कुछ फातों भें ननजश् त रूऩ वे पकव
हद ाई ऩड़ता शै। रेककन कुछ फातों भें जैवे ऩानी भें यशना, अॊडे दे ना, उन्शें पोड़ना आहद भें उनभें वभानता बी
हद ाई दे ती शै । इवशरए बागलत आहद ऩुयाणकतावओॊ ने मश शर य ी शै कक कच्छ कछुए वे ऩैदा शुआ शै।
इवके फाये भें बी वो ने ऩय ऩरयणाभ भत्स्म जैवा शी शोगा औय अऩना वाया वभम व्मथव भें व शोगा, ऐवा
भुझे रगता शै । इवशरए भैं आऩवे आगे की फात ऩछ
ू ना ाशता शूॉ कक कच्छ ने फॊदयगाश ऩय उतयने के फाद
क्मा ककमा?

जोतीयाल : वफवे ऩशरे उव फॊदयगाश की जजव ऩशाड़ी ऩय भस्मों का कफीरा भव


ु ीफत भें ऩड़ गमा था,
लशाॉ के भूर षेत्रलावी रोगों को बगा कय उवने अऩने रोगों को भुक्त ककमा औय लश स्लमॊ उव षेत्र का बूदेल
मानी बऩ
ू नत फन गमा।

धोंडीयाल : कपय जजनको कच्छ ने दे ड़ा था, ले षत्रत्रम रोग ककव ओय रे गए?

जोतीयाल : वलदे ळी इयाणी मा आमव रोगों का कफीरा वभुद्र के यास्ते वे आमा दे कय, घफया कय
'द्वलज आए' च ल्राते शुए ऩशाड़ी के उव ऩाय कश्मऩ नाभ के षेत्रऩनत के ऩीछे -ऩीछे ननकर ऩड़े। कच्छ ने
उनको इव तयश ऩीछे -ऩीछे जाते शुए दे कय अऩने वाथ कुछ पौज रे कय उव ऩशाड़ी के एक छोय वे नी े
उतया। उवने उव ऩशाड़ी को ऩीठ ऩय रे कय, भतरफ ऩीछे छोड़ कय कश्मऩ के याज्म के षत्रत्रमों को इयाण की
भदद वे कष्ट दे ने रगा। फाद भें कश्मऩ ने उव ऩशाड़ी को कच्छ वे लाऩव रेने के इयादे वे जॊग की तैमायी
की, रेककन कच्छे ने अऩनी भत्ृ मु तक उव ऩशाड़ी को उव षेत्रऩनत के शाथ नशीॊ रगने हदमा औय अऩनी
मद्
ु धबशू भ छोड़ कय एक कदभ ऩीछे बी नशीॊ शटा।
ऩरयच्छे द : चाय

[वयाह औय हहयण्मगबम के सॊफॊध भें।]

धोंडीयाल : कच्छ के भयने के फाद द्वलजों का भखु मा कौन शुआ?

जोतीयाल : लयाश।

धोंडीयाल : बागलत आहद इनतशावकायों ने मश शर कय य ा शै कक लयाश की ऩैदाइळ वुअय वे शुई शै।


इवभें आऩकी क्मा भान्मता शै ?

जोतीयाल : लास्तल भें वशी फात मश शैं कक भनुष्म औय वुअय भें ककवी बी दृजष्ट वे भत्कारयक
शबन्नता शै। अऩनी फात को अचधक स्ऩष्ट कयने के शरए औय तम्
ु शाया ऩूया वभाधान शो, इवशरए मशाॉ उदाशयण
के तौय ऩय शवपव एक शी फात कशना ाशता शूॉ कक ले अऩने फच् ों को ऩैदा कयने के फाद उनके ककव तयश का
व्मलशाय कयते शैं, मशी शवपव शभें दे ना शै। भनुष्म जानत की नायी अऩने फच् ों को ऩैदा कयते शी लश उव
फच् े को ककवी बी तयश का कष्ट नशीॊ शोने दे ती औय उवे फडे प्माय वे ऩारती-ऩोवती शै । रेककन वुअयी
कुनतमा की तयश अऩने ऩैदा ककए ऩशरे फच् े को एकदभ ा रेती शै । उवके फाद दव
ू ये फच् े को ऩैदा कयती शै।
इववे मश शवद्ध शोता शै कक लयश कक वुअयी भाता ने वफवे ऩशरे अऩने वअ
ु य जानत के फच् े को ा कय फाद
भें उव भानल वअ
ु य को ऩैदा ककमा शोगा। ककॊ तु बागलत आहद ग्रॊथकायों के अनव
ु ाय, लयाश महद आहदनायामण
का अलताय शै तो उवकी वलवसता औय वभान दृजष्ट को दाग रगा मा नशीॊ? क्मोंकक लयाश आहदनायामण का
अलताय शोने की लजश वे, उवको ऩैदा कयनेलारी वअ
ु यी को उवके फड़े वुअय बाई को भाय कय नशीॊ ाना
ाहशए। उवने इवके ऩशरे वे शी कुछ फॊदोफस्त क्मों नशीॊ कयके य ा था? शाम! ऩद्भा वअ
ु यी लयाश
आहदनायामण की भाॉ शी तो शै न! औय उवने इव तयश वे अऩने नन्शे -भुन्ने अफोध फारक की शत्मा क्मों की?
'फारशत्मा' ळब्द का अथव शवपव फच् ों को जान वे भायना शी शोता शै , कपय लश फच् ा ककवी का बी क्मों न शो।
ककॊ तु इवने अऩने ऩैदा ककए शुए अफोध फच् े की शी शत्मा कयके उवको ा शरमा। इव तयश के अन्माम का
अच्छा अथवफोध शो, ऐवा ळब्द ककवी ळब्दकोळ भें ोजने वे बी नशीॊ शभरेगा। महद इवको डाककनी कशा जाए
तो डाककनी बी अऩने फच् ों को नशीॊ ाती, मश एक ऩयु ानी कशालत शै। उव लयाश की ऩद्भा भाता को इव
तयश का अघोय कभव कयने की लजश वे नयक की मातनाएॉ बोगने वे भुजक्त शभरे, इवशरए उवने ऐवा ऩाऩ
भजु क्त का कभव ककमा, इवका कशीॊ कोई जजक् बी नशी शभरता, इवका शभें फड़ा अपवोव शै ।

धोंडीयाल : लयाश की वअ
ु यी भाता का नाभ महद ऩद्भा था तो इववे मश शवद्ध शोता शै कक उवके
वुअय ऩनत का कुछ ना कुछ नाभ शोना शी ाहशए कक नशीॊ?

जोतीयाल : ऩद्भा वुअयी के ऩनत का नाभ ब्रह्भा था।

धोंडीयाल : इववे मशी वभझ भें आ यशा शै कक प्रा ीन कार भें जानलय भनुष्मों की तयश आऩव भें
एक दव
ू ये को ब्रह्भा, नायद औय भन,ु इव तयश के नाभ दे ते थे। उनके नाभ इन गऩोड़ी ग्रॊथकायों को कैवे
वभझ भें आए शोंगे? दव
ू यी फात मश कक ऩद्भा वअ
ु यी ने लयाश को उवके फ ऩन भें अऩने स्तन वे दध

वऩरामा शी शोगा, इवभें कोई वॊदेश नशीॊ। ककॊ तु फाद भें उवके कुछ फड़ा शोने ऩय गाॉल के

ॊ शयों भें फशुत शी
कोभर पूर ऩौधों का ाया यने की उवे आदत रगी शोगी कक नशीॊ, मश तो लशी लयाश आहदनायामण शी जाने।
इव तयश वे उनके (धभव) ग्रॊथों भें कई तयश के भशत्लऩण
ू व वलारों के प्रभाण नशीॊ शभरते। इवशरए भझ
ु े रगता
शै कक धभवग्रथ ॊ ों भें शर ा मश वफ झूठ शै कक लयाश वुअयी वे ऩैदा शुआ शै औय इव तयश की झूठ-भूठ की फातें
ळास्त्रों भें शर ते वभम उन ग्रॊथकायों को रज्जा बी नशीॊ आई शोगी?

जोतीयाल : मश कैवी फेतुकी फात शै कक तम्


ु शाये जैवे शी रोग तयश के झठ
ू -भूठ के ग्रॊथों की शळषा की
लजश वे ब्राह्भण-ऩॊडा-ऩुयोहशतों औय उनकी वॊतानो के ऩाॉलों को धो कय ऩानी बी ऩीते शैं। अफ तुभ शी फताओ,
इवभें तुभ ननरवज्ज शो मा ले?

धोंडीयाल : यै , इन वफ फातों को अफ छोड़ दीजजए। आऩके शी कशने के अनुवाय, उव भुख मा का


नाभ लयाश कैवे ऩड़ा?

जोतीयाल : क्मोंकक उवका स्लबाल, उवका आ ाय-व्मलशाय, उवका यशन-वशन फशुत शी गॊदा था औय
लशा जशाॉ बी जाता था, लशी जॊगरी वअ ु य की तयश झऩट्टा भाय कय अऩना कामव शवद्ध कयता था। इवी की
लजश वे भशाप्रताऩी हशयण्मगबव औय हशयण्मकश्मऩ नाभ के जो दो षत्रत्रम थे, उन्शोंने उवका नाभ अऩनी ननऴेध
की बालना व्मक्त कयने के शरए वअ
ु य अथावत लयाश य ा। इववे लश औय फौ रा गमा शोगा औय उवने अऩने
भन भें उनके प्रनतळोध की बालना य ते शुए उनके प्रदे ळों ऩय फाय-फाय शभरे कयके, लशाॉ के वबी षेत्रलाशवमों
को तकरीपें दे कयके, अॊत भें उवने एक मद्
ु ध भें (हशयण्माष) हशयण्मगबव को भाय डारा। इवका ऩरयणाभ मश
शुआ कक दे ळ के वबी षेत्रऩनतमों भें घफयाशट ऩैदा शो गई औय ले कुछ रड़ ड़ाने रगे औय इवी वभम लयाश
भय गमा।
ऩरयच्छे द : ऩाॉच

[नयससॊह, हहयण्मकश्मऩ, प्रह्राद, ववप्र, ववयोचन आहद के सॊफॊध भें।]

धोंडीयाल : लयाश के भयने के फाद द्वलज रोगों का भखु मा कौन शुआ?

जोतीयाल : नयशवॊश।

धोंडीयाल : नयशवॊश स्लबाल वे कैवा था?

जोतीयाल : नयशवॊश, स्लबाल वे रार ी, धो ेफाज, वलश्लावघात कयनेलारा, वलनाळकायी, क्ूय औय भ्रष्ट
था। लश ळयीय वे फशुत भजफत
ू औय फरलान था।

धोंडीयाल : उवने क्मा-क्मा ककमा था?

जोतीयाल : वफवे ऩशरे उवके भन भें हशयण्मकश्मऩ की शत्मा कयने का वल ाय आमा। उवने मश
अच्छी तयश वभझ शरमा था कक उवकी शत्मा ककए फगैय उवका याज्म उवे शभरनेलारा नशीॊ था। उवका अऩना
दष्ु ट उद्दे श्म वपर शो, इवके शरए उवने गुप्त शयकतें कयना ळुरू कय हदमा। उवने अऩने एक द्वलज शळषक
के भाध्मभ वे हशयण्मकश्मऩ के फेटे प्रह्राद के अफोध भन ऩय अऩने धभव-शवद्धाॊत थोऩना प्रायॊ ब ककमा। इवकी
लजश वे प्रह्राद ने अऩने शय-शय नाभ के कुरस्लाभी की ऩूजा कयना त्माग हदमा। फाद भें हशयण्मकश्मऩ ने
प्रह्राद के भ्रष्ट शुए भन को ऩुन: अऩने कुरस्लाभी की ऩूजा कयने के शरए अनक
ु ू र कयने की दृजष्ट वे शय
तयश की कोशळळ की, रेककन नयशवॊश की ओय वे प्रह्राद को बीतय वे भदद शोने के कायण हशयण्मकश्मऩ के
वाये प्रमाव फेकाय गए। अॊत भें नयशवॊश ने उव अफोध फारक को अऩने फशकाले भें रा कय उवका भन इव
तयश वे भ्रष्ट कय हदमा कक लश अऩने वऩता की शत्मा कय दे । रेककन इव तयश का अभानलीम कृत्म कयने के
शरए उव रड़के की हशम्भत नशीॊ शुई। इवशरए नयशवॊश ने भौका दे कय ताजजमा वे फाघ के फनालटी स्लाॉग की
तयश अऩने वाये फदन को यॊ गलामा, भशुॉ भें फड़े-फड़े नकरी दाॉत रगलाए, औय रॊफ-े रॊफे लारों की दानी-भूॉछे
रगलाई औय लश एक तयश वे (नकरी) बमॊकय शवॊश फन गमा। मश वाया स्लाॉग छुऩाने के शरए नयशवॊश ने जयी
वे फनु ी शुई ऊॉ े ककस्भ की वाड़ी (ऩातर) ऩशन शरमा औय वती की तयश अऩने भश ुॉ ऩय रॊफा- ौंड़ा घघ
ूॉ ट डार
कय फड़े शी न यै र ढॊ ग वे झभ ू ते-रशयाते शुए फच् े की भदद वे एक हदन उवके वऩता द्लाया फनलाए वलळार
भॊहदय भें जशाॉ फ ॊ ों का ताॉता रगा शुआ था, लशाॉ जा कय ुऩके वे ड़ा शो गमा। उवी दयम्मान हशयण्मकश्मऩ
वाये हदन के ळावन-बाय वे थका अऩने भॊहदय भें आ कय आयाभ कयने के उद्दे श्म वे ज्मों शी ऩरॊग ऩय रेटा,
नयशवॊश ने फड़ी तेजी के वाथ शवय का घघ
ूॉ ट ोर कय, आॉ र को कभय भें रऩेट कय, उन फ
ॊ ों की ओट वे
ननकर कय हशयण्मकळऩ के फदन ऩय कानतराने ढॊ ग वे टूट ऩड़ा। उवने अऩने शाथ की भुठ्ठी भें छुऩाए शुए
फघनघा वे उवके ऩेट को पाड़ हदमा। इव तयश उवने हशयण्मकश्मऩ की शत्मा कय दी। फाद भें नयशवॊश लशाॉ वे
वबी द्वलजों को रे कय यात औय हदन एक कय के अऩने भुल्क भें बाग गमा। इधय नयशवॊश ने प्रह्राद को तो
बर
ु ाले भें य हदमा था; रेककन जफ षत्रत्रमों को मश ध्मान भें आमा कक नयशवॊश ने अभानलीम कभव ककमा शै
तफ उन्शोंने आमव रोगों को द्वलज कशना त्रफरकुर त्माग हदमा औय नयशवॊश को वलवप्रम[8] कशने रगे। इवी
वलवप्रम ळब्द वे फाद भें उवका नाभ वलप्र ऩड़ा शोगा। फाद भें षत्रत्रमों ने नयशवॊश मानी शवॊश की औयत कश कय
कोवना ळुरू कय हदमा। अॊत भें हशयण्मकश्मऩ के फच् ों भें वे कइमों ने नयशवॊश को ऩकड़ कय उवको उच त दॊ ड
दे ने की कोशळळ की, ककॊ तु नयशवॊश हशयण्मकश्मऩ की याजवत्ता शड़ऩने की इच्छा छोड़ कय केलर अऩने भल्
ु क
औय अऩनी जान को वॉबारते शुए, ककवी प्रकाय का ऩन
ु :प्रमाव न कयते शुए भय गमा।

धोंडीयाल : कपय नयशवॊश के इव तयश के अभानलीम कृत्मों की लजश वे उवके नाभ को रे कय फाद भें
कोई उवकी छी-थू न कये , इव डय वे वलप्र इनतशावकायों ने कुछ वभम के फाद उच त वभम को जान कय
नयशवॊश के फाये भें मश शवद्ध कयने की कोशळळ की कक लश तो फ
ॊ े वे ऩैदा शुआ। इव तयश उवके नाभ के
वाथ कई झूठ-भूठ की कल्ऩनाएॉ गन कय इनतशाव भें घव
ु ेड़ दी गई शोंगी।

जोतीयाल : शाॉ, इवभें बी कोई वॊदेश नशीॊ, क्मोंकक महद लश



ॊ े वे ऩैदा शुआ, मश कशा जाए, तफ
उवकी गबव की नार दव
ू ये ककव व्मजक्त ने काटी शोगी औय उवके भुॉश भें दध
ू का स्तन हदए फगैय मश कैवे
जजमा शोगा? फाद भें लश ककवी न ककवी दाई का मा फाशय का दध ू वऩए, फगैय छोटे वे फड़ा कैवे शुआ शोगा?
ळामद मश बी शो वकता शै , महद मश कशा जाए, रेककन वजृ ष्ट भें इव तयश वे कुछ बी घटते शुए नशीॊ हद ाई
दे ता। मश तो वजृ ष्टक्भ के वलरुद्ध शी शै। इन राऩयलाश वलप्र ग्रॊथकायों ने नयशवॊश को एकदभ रकड़ड़मों के फ
ॊ ों
वे ऩैदा कयलाते शी फगैय ककवी की वशामता के अऩने-आऩ शी इतना ळजक्तळारी दानी भछ
ूॉ लारा, अक्र का
दश्ु भन फना हदमा कक उवने तुयॊत शी हशयण्मकश्मऩ की शत्मा कय डारी। शाम, जो वऩता अऩनी वभझ के
अनव
ु ाय, वऩतध
ृ भव की बालना को अऩने भन भें जगा कय, केलर ळद्
ु ध भभता वे अऩने स्लमॊ के ऩत्र
ु का भन
वच् े धभव भें रगाने का प्रमाव कय यशा था, उव वऩता को आहदनायामण के अलताय द्लाया भाय हदमा जाना
क्मा वशी भें उच त था? इव तयश का अभानलीम कुकभव असानी भनुष्म का अलताय बी ळामद शी कये गा।
आहदनायामण का अलताय शोने की लजश वे उवे ाहशए था कक लश हशयण्मकश्मऩ को दळवन दे कय मश वलश्लाव
हदराता कक लश आहदनायामण का अलताय शै , औय लश वऩता ऩुत्र भें वुरश कयलाने आमा शै; रेककन ऐवा न कय
उवने हशयण्मकश्मऩ को उऩदे ळ दे कय उवको वभझा नशीॊ ऩामा तो कपय लश उव वफकी फद्
ु चध का दाता कैवे?
इववे मश शवद्ध शोता शै कक नयशवॊश भें ककवी वाभान्म स्त्री वे बी कभ अक्र थी।

कपरशार हशॊदस्
ु थान भें अभेरयकी औय मूयोवऩमन शभळनरयमों ने मशाॉ के कई मल
ु कों को खिस्ती फना
शरमा; ककॊ तु उनभें वे ककवी ने बी ककवी (खिस्ती) मुलक के वऩता की शत्मा नशीॊ की, मश ककतना फड़ा आश् मव
शै !

धोंडीयाल : नयशवॊश की इव तयश दद


ु व ळा शोने ऩय वलप्रों ने प्रह्राद का याज्म रेने के शरए कुछ कोशळळ
बी की मा नशीॊ?

जोतीयाल : वलप्रों ने प्रह्राद का याज्म शड़ऩने के शरए कई तयश के रुके-नछऩे प्रमाव ककए, ककॊ तु उन
रोगों को इवभें कोई काभमाफी नशीॊ शभरी। ॉकू क, फाद भें प्रह्राद की आॉ े र
ु गई औय उवको वलप्रों की
कुहटरता स्ऩष्ट रूऩ वे हद ाई दे ने रगी। तफ वे प्रह्राद ने वलप्रों ऩय ककवी बी तयश का बयोवा कयना छोड़
हदमा औय वबी रोगों वे केलर ऊऩयी हद ाले का स्नेश य कय अऩने याज्म की उच त व्मलस्था, मोग्म
प्रनतफॊध कयके भय गमा। उवके भयने के फाद उवी के फेटे वलयो न ने अऩने याज्म को वॉबारते शुए, उव याज्म
को फरळारी फनाते शुए अॊनतभ वाॉव री। वलयो न का फेटा 'फरी' फशुत शी मोद्धा ननकरा। उवने वफवे ऩशरे
अऩने शी ऩड़ोव भें यशनेलारे छोटे -फड़े षेत्रऩनतमों को धष्ृ ट दॊ गा ोयो की ज्मादनतमों वे भुक्त ककमा औय उन ऩय
अऩना अचधकाय कामभ ककमा। फाद भें उवने अऩने याज्म को फनाने की हदनोंहदन कोशळळ की। उव वभम वलप्रों
का भखु मा (फटू) लाभन था। उवको मश वफ फदावश्त नशीॊ शो यशा था। इवशरए उवने फरी का याज्म रड़-झगड़
कय रेने के उद्दे श्म वे शी गुप्त रूऩ वे फशुत पौज तैमाय की ओय अ ानक फरी के याज्म की वीभा ऩय आ
ऩशुॉ ा। लाभन फशुत शी रोबी, वाशवी औय अड़ड़मर हदभागलारा था।
ऩरयच्छे द : छह

[फरी याजा, ज्मोनतफा, भयाठे , ड


ॊ ोफा, भशावूफा, नल ड
ॊ ों का न्मामी, बैयोफा, वात आचश्रत, डेया डारना,
यवललाय को ऩवलत्र भानना, लाभन, श्राद्ध कयना, वलॊध्मालरी, घट य ना, फरी याजा की भत्ृ म,ु वती जाना,
आयाधी रोग, शळरॊगण, भ्रात का फरी याजा फनाना, दव
ू ये फरी याजा के आने की बवलष्मलाणी, फाणावुय,
कुजागयी, लाभन की भत्ृ म,ु उऩाध्मे, शोरी, लीय ऩुय ों की बजक्त, फशर प्रनतऩदा, बाई-दज
ू आहद के वॊफॊध भें।]

धोंडीयाल : कपय फरी याजा ने क्मा ककमा?

जोतीयाल : फरी याजा ने अऩने याज्म के कयीफ-कयीफ वबी वयदायों को ऩड़ोवी षेत्रऩनतमों की ओय
तुयॊत बेज हदमा औय इव तयश की ताकीद की कक उन वबी रोगों को ककवी बी तयश की दरीर न दे ते शुए
अऩनी वायी पौज रे कय उवकी भदद के शरए आना ाहशए।

धोडीयाल: इव दे ळ का इतना फड़ा प्रदे ळ फरी के अचधकय भें था।

जोतीयाल : इव दे ळ भें कई प्रदे ळ फरी याजा के अचधकाय भें थे। इवके अराला शवॊशरद्लीऩ आहद
ऩड़ोव के कई प्रदे ळ इवके अचधकाय भें थे, ऐवा बी कशा जाता शै । ॉकू क लशाॉ फरी नाभ का एक द्लीऩ बी शै।
इव प्रदे ळ के दक्षषण भें कोल्शाऩुय की ऩजश् भ हदळा भें फरी के अचधकाय भें कोंकण औय भालरा [9] प्रदे ळ के
कुछ षेत्र थे। लशाॉ ज्मोनतफा नाभ का भुख मा था। उवके यशने का भख्
ु म स्थान कोल्शाऩुय के उत्तय भें यत्नचगयी
नाभ का ऩशाड़ था। इवी प्रकाय दक्षषण भें फरी के अचधकाय भें दव
ू या एक औय प्रदे ळ था, उवको भशायाष्र कशा
जाता था। औय लशाॉ के वबी भूर षेत्रलाशवमों को भशायाष्री कशा जाता था। फाद भें उवी का अऩभ्रॊळ रूऩ शो
गमा भयाठे । मश भशायाष्र प्रदे ळ फशुत फड़ा शोने वे फरी याजा ने उव प्रदे ळ को नौ षेत्रों भें फाॉट हदमा था। इवी
के कायण उव शय षेत्र के भखु मा का नाभ ड ॊ ोफा ऩड़ गमा था, इव तयश का उल्रे शभरता शै। शय ड ॊ के
भुख मा को मोग्मता, के अनव
ु ाय उनके शाथ के नी े कशीॊ एक, तो कशीॊ दो प्रधान यशते थे। उवी प्रकाय शय एक

ॊ ोफा के शाथ के नी े फशुत भल्र (ऩशरलान) थे। इवशरए उवको भरू ान कशते शैं।

उन नौ भें जेजोयी का ड
ॊ ोफा एक था।[10] मश ड
ॊ ोफा नाभ का भुख मा अऩने ऩाव-ऩड़ोव के
षत्रऩनतमों के अचधकाय भें यशनेलारे भल्रों को ठीक कयके उन्शें अऩने ल स्
व ल भें य ता था। इवशरए उवका मश
दव
ू या नाभ भल्रअयी ऩड़ गमा था। भल्शायी [11] इवी का अऩभ्रॊळ शै। उवकी मश वलळेऴता थी कक लश धभव के
अनुवाय शी रड़ता था। उवने कबी बी ऩीठ हद ा कय बागनेलारे ककवी बी ळत्रु ऩय लाय नशीॊ ककमा। इवशरए
उवका नाभ भायतोंड ऩड़ गमा था, जजवका अऩभ्रॊळ भातिंड[12] शो गमा। उवी प्रकाय लश दीन रोगों का दाता
था। उवको गाने का फड़ा ळौक था। उवके द्लाया स्थावऩत मा उवके नाभ ऩय प्रशवद्ध भल्शाययाग शै। मश याग
इतना अच्छा शै कक उवी के वशाये वे तानवेन नाभ का भुवशरभों भें जो प्रशवद्ध गामक शुआ शै, उवने बी एक
दव
ू या भल्शाय याग फनामा शै । इवके अराला फरी याजा ने, भशायाष्र भें भशावफ
ू ा औय नौ ड
ॊ ों के न्मामी के रूऩ
भें दो भखु मा लवूरी औय न्माम कयने के शरए ननमुक्त ककए थे। उनके शाथ के नी े अन्म कई भजदयू थे,
इव प्रकाय का बी उल्रे शभरता शै। कपरशार उव भशावूफे का अऩभ्रॊळ म्शवोफा शुआ शै । लश वभम-वभम ऩय
रोगों की े ी-फाड़ी की जाॉ -ऩड़तार कयता था औय उवी के आधाय ऩय छूट-वशूशरमत दे कय वबी को ळ
त ु
य ता था। इवशरए भयाठों भें एक बी कुर (ककवान) ऐवा नशीॊ शभरेगा जो अऩनी ेतों-फाड़ी के वभम ककवी
बी ऩत्थय को भशावूफे के नाभ ऩय शवॊदयू की शरऩा-ऩोती कय, उवको धूऩ जरा कय उवका नाभ शरए फगैय ेत
फोएगा। ले तो उवका नाभ शरए फगैय ेत को शैशवमा बी नशीॊ रगा वकते। उवके नाभ का स्भयण ककए फगैय
शरशान भें य े अनाज के ढे य को तौर बी नशीॊ वकते। उव फरी याजा ब्राह्भण वफ
ू े (प्रदे ळ) फना कयके
ककवानों वे लवूरी कयने का तयीका मलन रोगों ने अऩनामा शोगा, इव प्रकाय का तकव हदमा जा वकता शै।
क्मोंकक उव वभम मलन रोग शी नशीॊ, फजल्क शभस्त्र वे कई वलद्लान मशाॉ आ कय, सान ऩन कय जाते थे, उव
तयश के बी प्रभाण शभरते शैं। तीवयी फात मश शै कक अमोध्मा के ऩड़ोव भें काळीषेत्र के इदव -चगदव कुछ षेत्र
फरी याजा के अचधकाय भें थे। उव प्रदे ळ को दवलाॉ ड
ॊ कशा जाता था। लशाॉ के भुख मा कुछ हदन ऩशरे काळी
ळशय का कोतलार था, इवके बी प्रभाण शभरते शैं। लश गामन-करा भें इतना कुळर था कक उवने अऩने नाभ
ऩय एक स्लतॊत्र याग फनामा। उव बैयल याग को वुन कय तानवेन जैवे ख्मानतप्राप्त भशागामक बी नतभस्तक
शुए। उवने अऩनी शी कल्ऩना वे डौय नाभ के एक लाद्म का बी ननभावण ककमा। इव डौय नाभ के लाद्म की
य ना इतनी वलरषणीम शै कक उवके तार-वुय भें भद
ृ ॊ ग, तफरा आहद लाद्म बी उवकी फयाफयी नशीॊ कय वकते।
रेककन उवकी ओय ध्मान न दे ने वे, उवको जजतनी प्रशवद्चध शभरनी ाहशए थी, उतनी नशीॊ शभर वकी। उवके
जो वेलक शैं, उन्शें बैयलाड़ी कशते शैं जजवका अऩभ्रॊळ बयाड़ी शै। इवभें इव फात का ऩता रता शै कक फरी
याजा का याज्म इव दे ळ भें आजऩार मानन याजा दळयथ के वऩता जैवे कई षेत्रऩनतमों के याज्म वे बी फड़ा था।
इवीशरए वबी षेत्रऩनत उवी की नीनत का अनव
ु यण कयते थे। इतना शी नशी, उनभें वे वात षेत्रऩनत फरी याजा
को रगान दे कय उवी के आश्रम भें यशते थे। इवशरए उवका नाभ वात-आचश्रत ऩड़ गमा था, इव प्रकाय का
उल्रे शभरता शै। तात्ऩमव, उक्त वबी कायणों वे फरी का याज्म वलळार था औय लश फशुत फरळारी था, इव
फात को प्रभाखणत कयनेलारी एक रोक कशालत बी शै । मश कशालत मश शै कक 'जजवकी राठी उवकी बैव' (फऱी
तो कान वऩऱी) इवका भतरफ शै, जो फरलान शै उवी का याज। फरी याजा कुछ वलळेऴ भशत्लऩूणव काभ अऩने
वयदायों ऩय वौंऩ दे ता था। उव वभम फरी याजा अऩना दयफाय बयलाता था। लशाॉ वफके वाभने एक उरटी थारी
य दे ता था। उव थारी भें शरदी का ूणव औय नारयमर के पर के वाथ ऩान, का फीड़ा य ला कय कशता था
कक जजवभें मश काभ कयने की हशम्भत शै , लश मश फात ऩान का फीड़ा उठा रे। फरी याजा के इव तयश कशने
ऩय जजवभें इव तयश के काभ हशम्भत शोती थी, लशी 'लशी शय-शय भशालीय' [13] की कवभ ा कय, शरदी का
नतरक भाथे ऩय रगा कय, नारयमर औय ऩान के फीड़े को शाथ भें उठा कय, अऩने भाथे ऩय य कय फाद भें
अऩने दऩ
ु ट्टे भें फाॉध रेता था। उवी लीय को फरी याजा उव काभ की जजम्भेदायी वौंऩ दे ता था। फाद भें लश
लीय फरी याजा की आसा रे कय अऩनी पौज के वाथ ऩूयी ळजक्त रगा कय ळत्रु की पौज ऩय शभरा फोर दे ता
था। इवी की लजश वे उव वॊस्काय का नाभ तड़ उठाना (तऱ उ रने) ऩड़ा शोगा। उवका अऩभ्रॊळ 'तड़ी उठाना'
(तड़ी उ रणे) शो गमा। फशर याजा के भशालीयों भें बैयोंफा, ज्मोनतफा तथा नल ड
ॊ ोफा अऩनी यै मत की वु -
वुवलधा के शरए इवी तयश के ळनतवमा प्रमाव कयते थे। आज बी भयाठों ने कोई बी अच्छा कामव प्रायॊ ब कयने वे
ऩशरे तड़ी उठाने का वॊस्काय अऩना य ा शै। उन्शोंने अऩने इव वॊस्कय के तशत फहशयोफा, जोनतफा औय ड
ॊ ोफा
को दे लता-स्लरूऩ कफूर कय शरमा औय उनके नाभ वे तड़ी उठाने रगे। ले रोग 'शय-शय भशादे ल' फहशयोफा ा मा
जोनतफा ा ाॊग बरा - इव प्रकाय का मद्
ु धघोऴ कयते थे औय फहशयोफा अथला ज्मोनत का स्तनु तगान कयते थे।
इतना शी नशीॊ, फरी याजा अऩनी वायी प्रजा के वाथ भशादे ल के नाभ वे यवललाय के हदन को ऩवलत्र हदन के रूऩ
भें भानता था। इवकी ऩष्ृ ठाबूशभ भें आज के भयाठे मानन भातॊग, भशाय, कुनफी औय भारी आहद रोग शय
यवललाय के हदन, अऩने-अऩने घय के उव कुरस्लाभी की प्रनतभा को जरस्नान कयला कय, उवको बोजन अऩवण
ककए फगैय ले अऩने भुॉश भें ऩानी की एक फूॉद बी नशीॊ डारते शैं।
धोंडीयाल : फरी याजा के याज्म की वयशद ऩय आने के फाद लाभन ने क्मा ककमा?

जोतीयाल : लाभन अऩनी वायी पौज को रे कय फरी याजा के याज्म भें वीधे-वीधे घव
ु आमा। उवने
फरी याजा की प्रजा को भायते-ऩीटते,
दे ड़ते शुए शाशाकाय भ ा हदमा था औय इव तयश वे लश फरी की
याजधानी तक आ ऩशुॉ ा। इवशरए फरी अऩनी दे ळबय भें पैरी शुई पौज को इकट्ठा कयने वे ऩशरे शी, फेफव
शो कय, अऩनी ननजी पौज को वाथ भें रे कय लाभन वे भुकाफरा कयने के शरए मुद्धबशू भ ऩय उतय ऩड़ा।
फरी याजा (फरी) बाद्रऩद लद्म 1 ऩद वे लद्म 30 तक, शय हदन लाभन औय उवकी पौज के वाथ रड़ कय
ळाभ को आयाभ के शरए अऩने भशर भें आता था। इवी की लजश वे दोनों ओय के जजतने रोग उव ऩ लाड़े
भें एक-दव
ू ये वे रड़ते शुए भय गए, उनके भयने की नतचथमाॉ ध्मान भें यशी। इवशरए शय वार बाद्रऩद भाश भें
उव नतचथ को श्राद्ध कयने की ऩॊयऩया ऩड़ गई शोगी, इव तयश का तकव ननकरता शै। आजश्लन ळद् ु ध 1 ऩद वे
ळुद्ध अष्टभी तक फरी याजा लाभन के वाथ रड़ाई भें इतना व्मस्त था कक लश वफ कुछ बूर गमा था औय
उव दयम्मान अऩने भशर भें आयाभ के शरए बी नशीॊ आ वका। इधय फरी याजा की वलॊध्मालरी यानी ने अऩने
हशजड़े ऩॊडे वेलक के द्लाया एक गड्ढा द
ु लामा। उवने उवभें उव ऩॊडे वेलक के द्लाया जराल रकड़ड़माॉ डरलाईं
औय लश उव गड्ढे के ऩाव आठ यात आठ हदन तक त्रफना कुछ ाए-वऩए फैठी यशी। उवने लशाॉ अऩने वाथ
ऩानी का एक करळ य ा था। यानी इव तयश त्रफना ाए-वऩए ऩानी के वशाये इव काभना की ऩनू तव की वलजम
शो औय लाभन की फरा टर जाए। इवशरए यानी मशाॉ फैठ कय भशालीय की प्राथवना कय यशी थी। इव दयम्मान
आजश्लन ळुद्ध अष्टभी की यात भें फरी याजा के मद्
ु ध भें भाये जाने की फय शभरते शी उवने गड्ढे भें ऩशरे
वे य ी गई रकड़ड़मों को आग रगा कय अऩने-आऩको उवभें झोंक हदमा। उवी हदन वे वती शोने की रूहन र
ऩड़ी शोगी, मश तकव ककमा जा वकता शै। जफ यानी वलॊध्मालरी अऩने ऩनत के त्रफछोश के कायण आग भें कूद
कय भय गई, तफ उवकी वेला भें यशनेलारी औयतों औय हशजड़े ऩॊडो ने अऩने-अऩने फदन के कऩड़ों को नों -
नों कय पाड़ डारा शोगा औय उव आग भें जरा हदमा शोगा। उन्शोंने अऩनी-अऩनी छाती को ऩीट कय, जभीन
ऩय अऩने शाथों को वऩटते शुए, ताशरमाॉ वऩटते शुए, यानी के गुणों का लणवन कयते शुए, उव गड्ढे के ईदव -चगदव
घूभ कय अऩना ळोक प्रकट ककमा शोगा कक 'शे यानी, तेया हढॊढोया घभघभामा, आहद। द ु की च त ॊ ा के मे ळोरे
लशी ळाॊत शो जाएॉ, पैरे नशीॊ इवशरए ब्राह्भणों के धत
ू व ग्रॊथकायों ने फाद भें भौका तराळ कय, उव गड्ढे का
शोभ (कॊु ड) फनला कय उवके वॊफॊध भें कई गरत-वरत फदभाळी-बयी घटनाएॉ गॉथ
ू कय अऩने ग्रॊथों भें शर कय
य ी शोंगी, इवभें कोई ळक नशीॊ। उधय फरी याजा के मद्
ु धबशू भ भें भयने के फाद फाणावुय ने ऩूये एक हदन शय
तयश की भव ु ीफतों का भक
ु ाफरा कयते शुए लाभन की पौज रे कय बाग गमा। इव मद् ु ध भें वलजम की भस्ती
भें लाभन इतना फदभस्त शुआ कक फरी याजा की भख् ु म याजधानी भें कोई बी ऩरु
ु ऴ नशीॊ शै, मश वन
ु शया भौका
दे कय उव याजधानी ऩय शभरा फोर हदमा। लाभन अऩने वाथ ऩूयी पौज रे कय आजश्लन ळुद्ध दळभी को
फड़ी वुफश शी उव ळशय भें ऩशुॉ ा। उवने लशाॉ के अॊगणों भें रगा शुआ जजतना वोना था, वफ रट ू शरमा। उव
ळब्द का अऩभ्रॊळ 'शळरॊगण का वोना रट ू शरमा', मश शो गमा। इव रट ू के फाद के लाभन तयु ॊ त अऩने घय
(प्रदे ळ) रौट गमा। जफ लश अऩने घय ऩशुॉ ा, तो ऩशरे वे शी उवकी औयत ने भजाक के ानतय कनकी
( ालर) का एक फरी याजा कयके अऩने दयलाजे की दशरीज ऩय य ा था। लाभन के घय ऩशुॉ ने ऩय उवने
लाभन वे कशा कक मश दे ो, फरी याजा आऩके वाथ ऩन
ु :मद्
ु ध कयने के शरए आमा शै । मश वन
ु ते शी उवने
उव कनकी के फरी याजा को अऩने रात की ठोकय वे पेंक हदमा औय कपय घय के अॊदय प्रवलष्ट ककमा। उव
हदन वे आज तक ब्राह्भणों के घयों भें शय वार आजश्लन भशीने भें वलजमादळभी (दळशया) को ब्राह्भण औयतें
कनकी मा बात का फरी याजा फना कय अऩने-अऩने दयलाजे की दशरीज ऩय य ती शैं। फाद भें अऩना फामाॉ
ऩाॉल उव कनकी के फरी याजा के ऩेट ऩय य कय क नाय की रकड़ी वे उवका ऩेट पाड़ती शैं। फाद भें उव
भत
ृ फरी याजा को राॉघ कय अऩने घय भें प्रवलष्ट शोती शैं। मशी उनभें वहदमों वे री आ यशी ऩरयवाटी शै।
(ब्राह्भण-ऩॊडा-ऩुयोहशतों के घयों भें मश त्मोशाय फडे उत्वाश के वाथ भनामा जाता शै, इवशरए इव त्मोशाय को
ब्राह्भणों का त्मोशाय कशते शैं। अनु.) इवी तयश फाणावुय के रोग आजश्लन ळुद्ध दळभी की यात भें अऩने-अऩने
घय गए। उव वभम उनकी औयतों ने उनके वाभने दव
ू यें फरी याजा की प्रनतभा य कय औय मश बवलष्मलाणी
जान कय कक दव
ू या फरी याजा ईश्लय के याज्म की स्थाऩना कये गा, अऩने घय की दशरीज भें ड़े शो कय
उवकी आयती उतायी शोगी औय मश कशा शोगा की 'अरा फरा जाले औय फरों का याज आले (इडा वऩडा जालो
आखण फऱी याज्म मेलो)।' उव हदन वे रे कय आज तक वैकड़ों वार फीत गए, कपय बी फरी के याज्म के कई
षेत्रों भें षत्रत्रम लॊळ की औयतों ने शय वार आजश्लन ळद्
ु ध दळभी को ळाभ के वभम अऩने-अऩने ऩनत औय ऩुत्र
की आयती उताय कय आगे फरी का याज्म आले, इव इच्छा का त्माग नशीॊ ककमा शै। इवभें ऩता रता शै कक
आगे आनेलारा फरी याजा ककतना अच्छा शोगा। धन्म शै लश फरी याजा औय धन्म शै लश याजननष्ठा। रेककन
आज के तथाकचथत भाॊगशरक हशॊद ू रोग अॊग्रेज ळावकों की भेशयफानी ऩाने के शरए कक उनको अॊग्रेजी वत्ता भें
फड़े-फड़े ऩद औय प्रनतष्ठा के स्थान शभरें, इवशरए मे रोग यानी के जन्भ ऩय, आभ वबाओॊ भे रॊफे-रॊफे बाऴण
दे ते शैं। रेककन वभा ाय-ऩत्रों भें मा आऩवी फात ीत भें उनके ख राप अऩना योऴ व्मक्त कयने का हद ाला
कयते शैं।

धोंडीयाल : उव वभम फरी याजा द्लाया फुराए गए वयदाय क्मा उवकी भदद के शरए आए शी नशीॊ?

जोतीयाल : फाद भें कोई छोटे -भोटे वयदाय अऩनी-अऩनी पौज के वाथ आजश्लन ळुद्ध ौदशलीॊ को आ
कय फाणावुय वे शभरे। उनके फाणावुय वे शभरने की फय वन
ु ते शी फरी याज्म के कुर शभरा कय वबी
ब्राह्भण अऩनी जान फ ा कय लाभन की ओय बाग गए। उनको इव तयश बाग कय आते दे ा तो लाभन फशुत
शी घफया गमा। उवने वबी ब्राह्भणों को इकट्ठा ककमा। आजश्लन ळद्
ु ध ऩॊद्रशलीॊ को ले वबी इकट्ठा शो कय
वायी यात जाग कय, अऩने बगलान के वाभने प्रवाद स्लरूऩ दाॉल-ऩें तम कयने रगे कक फाणावुय वे अऩना
वॊयषण कैवे ककमा जाए। दव
ू ये हदन लाभन अऩने फार-फच् ों के वाथ वायी पौज को वाथ रे कय अऩने प्रदे ळ
की वीभा ऩय ऩशुॉ कय फाणावुय का इॊतजाय कय यशा था।

धोंडीयाल : फाद भें फाणवुय ने क्मा ककमा?

जोतीयाल : फाणावुय ने न आल दे ा न ताल, उवने एकदभ लाभन ऩय शभरा फोर हदमा। फाणावुय ने
फाद भें उवको ऩयाजजत कय हदमा औय उवके ऩाव जो कुछ था लश वफ रट
ू शरमा। कपय उवने लाभन को उवके
वबी रोगों के वाथ अऩनी बूशभ वे दे ड़ कय हशभारम की ऩशाड़ी ऩय बगा हदमा। कपय उवने उव लाभन को
दाने-दाने के शरए इतना भोशताज फना हदमा कक उवके कई रोग केलर बू वे भयने रगे। अॊत भें इवे च त
ॊ ा
भें लशी ऩय लाभन-अलताय का वलवनाळ शुआ। भतरफ, लाभन बी भय गमा। लाभन के भयने वे फाणवयु के रोगों
को फड़ी ळ ु ी शुई। ले कशने रगे की वबी ब्राह्भणों भें लाभन एक फशुत फड़ा वॊकट था। उवके भयने वे, उवके
नष्ट शो जाने वे शभाया ळोऴण, उत्ऩीड़न वभाप्त शो गमा। उवी वभम वे ब्राह्भणों को उऩाध्म कशने की
ऩारयऩाटी री आ यशी शोगी, इव तयश का तकव ननकारा जा वकता शै । फाद भें उन उऩाध्मों ने अऩने-अऩने
घयों भें मद्
ु ध भें भये अऩने वबी रयश्तेदायों के नाभ वे च ता (जजवको आजकर शोरी कशा जाता शै ) जरा कय
उनकी दाशकक्मा की; क्मोंकक उनभें ऩशरे वे शी भत
ृ आदभी को जराने का रयलाज था। उवी प्रकाय फाणावुय
औय अन्म तभाभ षत्रत्रम इव मद्
ु ध भें भये अऩने-अऩने वबी रयश्तेदायों के नाभ वे पाल्गन
ु लद्म 1 ऩद को
लीय फन कय, शाथ भें नॊगी तरलायें शरए फड़े उत्वाश भें ना े, कूदे औय उन्शोंने भत
ृ लीयों का वम्भान ककमा।
षत्रत्रमों भें भत
ृ आदभी के ळयीय को जभीन भें दपनाने की फशुत ऩुयानी ऩयॊ ऩया हद ाई दे ती शै। अॊत भें
फाणावुय ने उव उऩाध्मे के यषण के शरए कुछ रोगों को लशाॉ य ा। ळेऴ वबी को अऩने वाथ रे कय अऩनी
याजधानी भें ऩशुॉ ा। फाणावुय के अऩनी भख्
ु म याजधानी भें ऩशुॉ ने के फाद जो ळु ी शुई, उवका लणवन कयने वे
ग्रॊथ का वलस्ताय शोगा, इव डय की लजश वे मशाॉ भैं उव घटना का वॊक्षषप्त इनतशाव दे यशा शूॉ। फाणावयु अऩने
वाये जामदाद की चगनती कयके आजश्लन लद्म त्रमादे ळी को उवकी ऩज
ू ा की। कपय उव नेलद्म तद
ु व ळी औय
लद्म 30 को अऩने वबी वयदायों को फहनमा-फहनमा ाना ख रामा औय वबी ने भौज भनाई। फाद भें कानतवक
ळुद्ध 1 को अऩने कई वयदायों को उनकी मोग्मता के अनुवाय इनाभ औय उनको अऩने-अऩने भल्
ु क भें जा कय
काभ भें रग जाने का शुक्भ बी हदमा गमा। इववे लशाॉ की वबी जस्त्रमों को बी ळ
ु ी शुई। उन्शोनें कानतवक
ळद्
ु ध 2 को अऩने-अऩने बाइमों को मथावाभथ्मव बोजन ख रामा। उन्शोंने उनको बोजन ख रा कय उनका ऩयू ी
तयश वे वभाधान ककमा। फाद भें उन्शोंने उनकी आयती उतायी औय कशा कक, 'अरा फरा जाले औय फरी का
याज्म आले (इडा वऩडा जालो आखण फऱी े याज्म मेलो)।' इव तयश उन्शोंने आनेलारे फरी[14] के याज्म स्भयण
हदरामा। उव वभम वे आज तक शय वार दीलारी को, बैमादज
ू (बाउफीज) के हदन षत्रत्रम रड़ककमाॉ अऩने-
अऩने बाई को आनेलारे फरी याज्म का शी स्भयण हदराती शैं। रेककन उऩाध्मे कुर भें इव तयश का स्भयण
हदराने का रयलाज त्रफरकुर शी नशीॊ शै ।

धोंडीयाल : रेककन फरी याजा को ऩातार भें गाड़ने के शरए आहदनायामण ने लाभन अलताय शरमा। उव
लाभन ने शब ायी का रूऩ धायण ककमा औय उवने फरी याजा को अऩने छ्रकऩट भें पॉवामा। उवने फरी याजा
वे तीन कदभ धयती का दान भाॉगा। फरी याजा ने अऩने बोरेऩन भें उवको दान दे ने का ल न दे हदमा। दान
का ल न शभरने के फाद उवने शब ायी का रूऩ त्माग ककमा औय इतना वलळार आदभी फन गमा कक उवने
फरी याजा वे ऩूछा कक अफ भुझे तीवया कदभ कशाॉ य ना ाहशए? उवका मश वलळारकाम रूऩ दे कय फरी
याजा फेफव शुआ। उवने उव लाभन को मश जलाफ हदमा कक अफ तभ ु अऩना तीवया ऩाॉल भेये शवय ऩय य दो।
फरी याजा का मश कशना वनु ते शी उव गरीजगें डे ने अऩना तीवया ऩाॉल फरी याजा के शवय ऩय य हदमा औय
उवने फरी याजा को ऩातार भें दपना कय अऩना इयादा ऩयू ा कय शरमा। इव तयश की फात ब्राह्भण उऩाध्मों ने
बागलत आहद ऩुयाणों भें शर य ी शै । रेककन आऩने जजव शकीकत का लणवन ककमा शै, उववे मश ऩुयाण-कथा
झूठ वात्रफत शोती शै । इवशरए इव फाये भें आऩका भत क्मा शै, मशी शभ जानना ाशते शैं।

जोतीयाल : इववे अफ तम्


ु शीॊ वो ो कक जफ उव गरीजगें डे ने अऩने दो कदभों वे वायी धयती औय
आकाळ को घेय शरमा था, तफ उवके ऩशरे शी कदभ के नी े कई गाॉल, गाॉल के रोग दफ गए शोंगे औय
उन्शोंने अऩनी ननदोऴ जानें गॉलाई शोंगी कक नशीॊ? दव
ू यी फात मश कक उव गरीगगें डे ने जफ अऩना दव
ू या कदभ
आकाळ भें य ा शोगा, उव वभम आकाळ भें शवतायों की फशुत बीड़ शोने वे कई शवताये एक दव ू ये वे टकया गए
शोंगे कक नशीॊ? तीवयी फात मश कक उव गरीजगें डे ने अऩने दव
ू ये कदभ वे महद वाये आकाळ को शड़ऩ शरमा
शोगा, तफ उववे कभय के ऊऩय के ळयीय का हशस्वा कशाॉ यशा शोगा? इव ग्रीजगें डे को कभय के ऊऩय भाथे
तक आकाळ ळेऩ फ ा शोगा। तफ उव गरीजगें डे को अऩने शी भाथे ऩय अऩना तीवया कदभ य ना ाहशए था
औय अऩना इयादा ऩूया कयना ाहशए था। रेककन उवने अऩना इयादा ऩूया कयने की फात अरग य दी औय
उवने केलर छ्रकऩट वे अऩना तीवया कदभ फरी याजा के भाथे ऩय य हदमा औय उवको ऩातार भें दपना
हदमा, उवकी इव नीनत को क्मा कशना ाहशए!

धोंडीयाल : क्मा व भु भें लश गरीजगें डा आहदनायामण का अलताय शै? उवने इव तयश की वये आभ
धो ेफाजी कैवे की? जो रोग ऐवे धूत,व दष्ु ट आदभी को आहदनायामण भानते शैं, उव इनतशावकायों को छी: छी:
कयते शुए, शभ उनका ननऴेध कयते शै : क्मोंकक उन्शीॊ के रे ों वे लाभन छरी, धो ेफाज, वलनाळकायी औय
शयाभ ोय वात्रफत शोता शै । उवने अऩने दाता को शी, जजवने उव ऩय उऩकाय ककमा था, दमा हद ाई थी, उवी
को ऩातार भें दपना हदमा!

जोतीयाल : ौथी फात मश शै कक उव गरीजगें डे का शवय जफ आकाळ को ऩाय कयके स्लगव भें गमा
शोगा, तफ उवको लशाॉ फड़े जोय वे च ल्राते शुए फरी वे ऩूछना ऩड़ा शोगा कक अफ भेये दो कदभों भें वायी
धयती औय आकाळ वभेट गए, कपय अफ आऩ शी फताइए कक भैं तीवया कदभ कशाॉ य ूॉ औय अऩना इयादा तथा
आऩके इयादे को कैवे ऩूया करूॉ? क्मोंकक आकाळ भें उव गरीजगें डे का भुॉश औय ऩथ्ृ ली ऩय फरी याजा - इवभें
अनगननत कोवों का पावरा यशा शी शोगा, औय आश् मव की फात मश शै कक यशळमन, फ्रें , अॊग्रेज औय
अभेरयकी आहद रोगों भें ककवी एक को बी उव वॊलाद का एक ळब्द बी वन
ु ाई नशीॊ हदमा, मश कैवी अजीफ
फात शै ! उवी प्रकाय धयती के भानल फरी याजा ने उव लाभन नाभ के गरीजगें डे को उत्तय हदमा कक तभ
ु अऩना
तीवया कदभ भेये भाथे ऩय य दो, कपय मश फात उवने वुनी शोगी, मश बी फड़े आश् मव की फात शै । क्मोंकक
फरी याजा उवके जैवा फेढॊगा आदभी फना नशीॊ था। ऩाॉ ली फात मश शै कक उव गरीजगें डे के फोझ वे धयती की
कुछ बी शानन नशीॊ शुई, मश कैवी आश् मव की फात शै !

धोंडीयाल : महद धयती की शानन शुई शोती तफ शभ मश हदन कशाॉ वे दे ते! उव गरीजगें डे ने क्मा-क्मा
ा कय अऩनी जान फ ाई शोगी? कपय जफ लश गरीजगें डे भया शोगा तफ उवके उव वलळार राळ को श्भळान
भें रे जाने के शरए कॊधा दे नेलारे ाय रोग कशाॉ वे शभरे शोंगे? लश उवी जगश भय गमा शोगा, मश कशा जाए,
तफ उवको जराने के शरए ऩमावप्त रकड़ड़माॉ कशाॉ वे शभरी शोगी? महद उव तयश की वलळारकाम राळ को को
जराने के शरए ऩमावप्त रकड़ड़माॉ नशीॊ शभरी शोगा, मश कशा जाए, तफ उवको लशीॊ के लशीॊ कुत्ते शवमायों ने
नों -नों कय ा शरमा शोगा औय उवका शरला ऩस्त ककमा शोगा कक नशीॊ? ताप्तमव मश कक बागलत आहद
वबी (ऩुयाण) ग्रॊथों भें उक्त प्रकाय की ळॊका का वभाधान नशीॊ शभरता शै। इवका भतरफ स्ऩष्ट शै कक उऩाध्मों
ने फाद भें वभम दे कय वबी ऩयु ाण कथाओॊ के इव तयश के ग्रॊथों की य ना की शोगी, मशी शवद्ध शोता शै।

जोतीयाल : तात, आऩ इव बागलत ऩुयाण को एक फाय ऩन रें। कपय आऩको शी उव बागलत ऩुयाण वे
ज्मादा इवऩ नीनत अच्छी रगेगी।
ऩरयच्छे द : सात

[ब्रह्भा, ताड़ के ऩत्तों ऩय शर ने का रयलाज, जादभ


ू ॊत्र, वॊस्कृत का भूर, अटक नदी के उव ऩाय जाने
ऩय योक, प्रा ीन कार भें ब्राह्भण रोग घोड़ी आहद जानलयों का भाॊव ाते थे, ऩुयोहशत, याषव, मस, फाणावयु
की भत्ृ म,ु अछूत (ऩयलायी), धागे की गें डरी का ननळान भूरभॊत्र, भशाय, ळूद्र, कुरकणी, कुनफी, ळूद्रों वे नपयत,
अस्ऩळवनीम बाल, भाॊगल्म (वोलऱे ), धभवळास्त्र, भनु, ऩुयोहशतों की ऩनाई-शर ाई का ऩरयणाभ, प्रजाऩनत की
भत्ृ म,ु ब्राह्भण आहद के वॊफध
ॊ भें।]

धोंडीयाल : लाभन की भत्ृ मु के फाद उऩाध्मों का भखु मा कौन शुआ?

जोतीयाल : लाभन की भत्ृ मु के फाद उन रोगों को कुरीन भुख मा की ननमजु क्त के शरए वभम शी नशी
शभरा शोगा। इवशरए ब्रह्भा नाभ का एक तुय- ाराक दप्तयी था, लशी वाया याज्म ळावन वॉबारने रगा : लश
फशुत शी कल्ऩना-फशादयु था। उवको जैवे-जैवे भौका शभरता था, लश उव तयश वे काभ कयके अऩना भतरफ
वाध रेता था। उवके कशने ऩय, उवकी फात ऩय रोगों का त्रफरकुर शी वलश्लाव नशीॊ था। इवशरए उवको
ौभश
ॉु ा कश कय ऩक
ु ायने का प्र रन र ऩड़ा। भतरफ मश कक फशुत शी तयु शठीरा, धत
ू ,व दस्
ु वाशवी औय
ननदव मी था।

धोंडीयाल : ब्रह्भा ने वफवे ऩशरे क्मा ककमा शोगा?

जोतीयाल : ब्रह्भा ने वफवे ऩशरे ताड़लष


ृ के वू े ऩत्तों ऩय कीर वे कुये द कय शर ने को तयकीफ ोज
ननकारी औय उवको जो कूछ इयाणी जादभ
ू ॊत्र औय व्मथव की नीयव कशाननमाॉ माद थीॊ, उनभें वे कुछ कशाननमाॉ
उवभें शभरा कय, उव कार की वलवकृत (जजवका अऩभ्रॊळ 'वॊस्कृत' ळब्द शै ) ारू बाऴा भें आज की ऩायवी
फमती जैवी छोटी-छोटी कवलताओॊ (छॊ दों) की य ना की औय वफका वाय ताड़लष
ृ के ऩत्तों ऩय शर हदमा। फाद
भें इवकी फशुत प्रळॊवा बी शुई। उवी की लजश वे मश धायणा प्र शरत शुई कक ब्रह्भा के भुॉश वे ब्राह्भणों के
शरए जादभू ॊत्र वलद्मा का प्रादब
ु ावल शुआ शै । उव वभम उऩाध्मे रोग त्रफना बोजन ऩानी के भयने रगे थे। इवी
की लजश वे ले रोग रक
ु े -नछऩे इयाण भें बाग गए। इवके फाद उन्शोंने मश ननमभ फना शरमा था कक अटक
नदी मा वभद्र
ु को राॉघ कय उव ऩाय ककवी को नशीॊ जाना ाहशए, औय इवका उन्शोंने ऩयू ा फॊदोफस्त कय शरमा
था।

धोंडीयाल : कपय उन्शोंने उव जॊगर भे क्मा-क्मा ा कय अऩनी जान फ ाई?

जोतीयाल : उन्शोंने लशाॉ के पर, ऩत्ती, कॊदभूर औय उव जॊगर के कई तयश के ऩॊछी औय जानलयों को
शी नशीॊ, फजल्क कई रोगों ने अऩने ऩारतू घोड़ी की बी शत्मा कयके उन्शें बून कयके ामा औय अऩनी जान
फ ाई। इवीशरए उनके यषक उन्शें भ्रष्ट कशने रगे। फाद भें उन ऩॊडों ने कई तयश की कहठनाइमों भें पॉव जाने
की लजश वे कई तयश के जानलयों के भाॊव ाए। रेककन जफ उन्शें उव फात कक रज्जा आने रगी तफ उन्शोंने
ककवी बी प्रकाय का भाॊव ाने ऩय योक रगा दी शोगी। रेककन जजन ब्राह्भणों को ऩशरे वे शी भाॊव ाने की
आदत रगी थी, उव आदत को एकदभ वे छुड़ाना फड़ी भजु श्कर फात थी। उन्शोंने कुछ वभम फीत जाने के फाद
वभम दे कय उव ननम्न कभव का दोऴ छुऩाने के शरए ऩळुओॊ की शत्मा कयके उनका भाॊव ाने भें वफवे फड़ा
ऩुण्म भान शरमा औय ाने मोग्म ऩळुओॊ की शत्मा को ऩळुमस, अश्लभेध मस आहद प्रनतजष्ठत नाभों वे
वॊफोचधत कय उनके फाये भें उन्शोंने अऩने ग्रॊथों भें शर कय य ा। (उवभें उन्शोंने मसों का ऩूयी तयश वे
वभथवन ककमा। उनका धभव अथावत ् ब्राह्भण-धभवलाद फाद भें 'मसों का धभव' कशरामा। उनके मस ऩयू ी तयश वे
हशॊवक शी थे। त्रफना हशॊवा के लैहदकों का ब्राह्भणों का मस शोता शी नशीॊ था-अनु.)।

धोंडीयाल : फाद भें ब्रह्भा ने क्मा ककमा?

जोतीयाल : फरी याजा के ऩुत्र फाणावुय के भयने के फाद उवके याज्म भें कोई भुख मा नशीॊ यशा। प्रजा
ऩय जो ननमॊत्रण था, लश बी ढीरा ऩड़ गमा। जजधय दे ख ए, उधय फेफवी का लातालयण था। शय कोई अऩने-
आऩको याजा वभझ कय र यशा था। वबी रोग ऐळोआयाभ की जजॊदगी भें ऩयू ी तयश वे भगळर
ू थे। मशी
वुनशया, उच त वभम वभझ कय ब्रह्भा ने अऩने वाथ उन वबी बू वे त्रस्त थे, व्माकुर ब्राह्भण ऩरयलायों को
(जजवका अऩभ्रॊळ आज 'ऩरयलायी' शै ) शरमा। कपय उवने याषवों ऩय (यषक-जो अब्राह्भणों के मशाॉ के भूर
ननलाशवमों के यषक थे, उन्शें याषव कशा गमा शोगा। याषव ळब्द भूरत: यषक अथावत यषण कयनेलारा शोना
ाहशए-अनु.) यात भें एकाएक शभरा फोर हदमा औय उनका ऩूयी तयश वे वलनाळ ककमा। फाद भें उवने फाणवुय
के याज्म भें घव
ु ने के ऩशरे इव तयश वो ा शोगा कक आगे न जाने ककव तयश की भव
ु ीफत अऩने ऩय आ जाए
औय शभ वबी को इधय-उधय नततय-त्रफतय शोना ऩड़े, उवभें शभको अऩने-अऩने ऩरयलाय को ऩश ानने भें कहठनाई
शो जाएगी रेककन नततय-त्रफतय शोने के फाद बी शभ अऩने-अऩने ऩरयलाय के रोगों को ऩश ान वकें, इवशरए
ब्रह्भा ने अऩने ऩरयलाय के वबी रोगों के गरे भें छश वपेद धागों वे फने यस्वे को अथावत जानतननदे शळत
ननळान, भतरफ, जजवको आज (ब्राह्भण रोग) ब्रह्भ-वूत्र कशते शैं (जनेऊ) उवको उवने शय ब्राह्भण के गरे भें
ऩशना हदमा। उव जनेऊ के शरए उवने उनको एक जानतननदे शळत भूरभॊत्र हदमा, जजवको गामत्री भॊत्र[15] कशा
जाता शै । उन ऩय ककवी प्रकाय की भुवीफत आने ऩय बी उन्शें उव गामत्री भॊत्र को षत्रत्रमों को नशीॊ फताना
ाहशए, इव तयश की ळऩथ हदराई। इवी की लजश वे ब्राह्भण रोग अऩने-अऩने ऩरयलाय के रोगों को फड़ी
आवानी वे ऩश ान कय अरग-अरग कयने रगे।

धोडीयाल: उवके फाद ब्रह्भा ने औय क्मा-क्मा ककमा?

जोतीयाल : ब्रह्भा ने अऩने उन वबी ऩारयलारयक ब्राह्भणों को वाथ भें रे कय फाणावुय के याज्म भें
घुवऩैठ की, कपय शभरा ककमा। उवने लशाॉ के कई छोटे -फड़े वयदायों के शौवरे नाउम्भेद कय हदमा। उवने
अचधकाॊळ बष
ू ेत्र अऩने अचधकाय के शरए शरमा औय मद्
ु ध भें कभय कव कय रड़नेलारे भशाअयी (आज उव
ळब्द का अऩभ्रॊळ रूऩ भशाय शै ) षत्रत्रमों के अराला जो रोग उवकी ॊगुर भें आ गए थे, उनका वफ कुछ उवने
छीन शरमा। फाद भें उवने वत्ता की गयभी भें उव वफ षुद्र रोगों (जजवका अऩभ्रॊळ रूऩ 'ळूद्र' शै ) को अऩना
गुराभ फनामा। उवने उनभें के कई रोगों को गुराभस्लरूऩ वेला के शरए अऩने रोगों के घय-घय फाॉट हदमा।
कपय उवने गाॉल-गाॉल भें एक एक ब्राह्भण-वेलक बेज कय उनके द्लाया बष
ू ेत्र वलबाजन कयलामा औय उन ळेऴ
वबी ळद्र
ू ों को कृवऴकामव कयने के शरए भजफयू ककमा। उवने इन कृऴक-ळद्र
ू ों को जजॊदा यशने के शरए जभीन की
उऩज का कुछ हशस्वा स्लमॊ रे कय ळेऴ बाग इन स्लाशभमों को दे दे ने का ननमभ फनामा। इवी की लजश वे
उन ग्राभ वेलक ब्राह्भण कभव ारयमों का नाभ कुरे कयणी (जजवका अऩभ्रॊळ रूऩ शै कुरकणी) शो गमा औय उवी
प्रकाय उन ळद्र
ू कुरों का (ककवान) नाभ कुरलाड़ी (जजवका अऩभ्रॊळ ळब्द शै कुरॊफी, कुऱॊ फी मा कुनफी [16]) शो
गमा। रेककन उन दाव कुनत्रफमों औयतों को शभेळा शी ेती का काभ नशीॊ शभर ऩाता था। उनको कबी-कबी
ब्राह्भणों के घय का काभ कयने के शरए, भजफूय शो कय शी क्मों न वशी रेककन जाना ऩड़ता था। इवशरए
कुनफी औय दावी इन दो ळब्दों भें कोई अथव शबन्नता नशीॊ हद ाई दे ती। उक्त प्रकाय के फनु नमादी आधाय के
अनुवाय फाद भें वबी ब्राह्भण हदन-फ-हदन भस्ती भें आ कय ळद्र
ू ों को इतना नी भानने रगे कक उवके वॊफध

भें महद वायी शकीकत शर ी जाए तो उवका अरग वे ग्रॊथ शो जाएगा। इव तयश की कुछ फातें आज बी
वभाज भें प्र शरत शैं। ग्रॊथ वलस्ताय के डय के उन फातों की ाव मशाॉ भैं वॊषऩ
े भें शी कय यशा शूॉ। उवी प्रकाय
आजकर के ब्राह्भण बी ( ाशे ले झाड़ू रगानेलारे भाॊतग-भशायों की तयश अनऩन शी क्मों न शों।) बू े भयने
रगे, इवशरए जो नशीॊ कयना ाहशए, लश नी कभव कयने ऩय आभादा शुए शैं। ले रोग ऩाऩ-ऩण् ु म की कल्ऩना
ककवी बी प्रकाय का वलचध-ननऴेध नशीॊ य ते शैं असानी ळूद्रों को अऩने जार भें पॉवाने के शरए शय तयश की
तयकीफें ोजते यशते शैं। अॊत भें जफ उनका फव न रता शै तफ ले ळद्र
ू ों के दयलाजे-दयलाजे ऩय धभव के नाभ
ऩय बी भाॉग कय जैवे-तैवे अऩना ऩेट ऩारते शैं। रेककन ळूद्रों के घय के नौकय (वेलक) फन कय उनके ेत के
जानलयों की दे बार कयने के शरए याजी नशीॊ शोंगे। जानलयों के कोठे भें ऩड़े गोफय को उठाने के शरए, कोठे
की वाप वपाई कयने के शरए, गोफय की टोकयी शवय ऩय उठाने के शरए तैमाय नशीॊ शोंगे। गोफय की टोकयी
उठा कय गड्ढे भें डारने के शरए तैमाय नशीॊ शोंगे। ले रोग ककवान के ेत भें शर जोतने के शरए, भोट को
जोत कय ेतों को, पर वजब्जमों के फागों को ऩानी दे ने के शरए तैमाय नशीॊ शोंगे। ले रोग शरशान भें काभ
कयने के शरए याजी नशीॊ शोंगे। ले रोग ेतों को ोदने, कुदारी-पालड़ा राने के शरए ेत वे घाव शवय ऩय
ढोने के शरए तैमाय नशीॊ शोंगे। ले रोग शाथ भें रठ रे कय यात-यात बय ेतों भें शॉशवमा वे घाव काट कय फैरों
के शरए ेत वे घाव शवय ऩय ढोने के शरए तैमाय नशीॊ शोंगे। ले रोग शाथ भें रठ रे कय यात-यात बय ेतों
की दे -ये कयने के शरए याजी नशीॊ शोंगे। ले रोग ककवी बी प्रकाय का ळायीरयक श्रभ कयने के शरए ळयभाते
शैं। ले रोग ळद्र
ू ों के घयों भें नौकय फन कय, उनकी घोड़ड़मों की वाप वपाई कयने के शरए, दाना ख राने के
शरए, घोड़ों को आगे-ऩीछे दौड़ने के शरए ळयभाते शैं। ले रोग ळद्र
ू ों की जूनतमों को फगर भें दफा कय, वॉबार
कय य ने के शरए याजी नशीॊ शोंगे। ले रोग ळूद्रों वे घयों की वाप-वपाई कयने के शरए, उनके घय वे जठ
ू े
फतवनों की वाप-वपाई कयने के शरए, उनके घय की रारटे न वाप कयके जराने के शरए तैमाय नशीॊ शोंगे। ले
ळूद्रों के घय ऩय रीऩा-ऩोती का काभ कयने के शरए तैमाय नशीॊ शोंगे। ले रोग ये रले स्टे ळनों ऩय, फव स्टे ळनों
ऩय, भार-धक्के ऩय कुरी, कफाड़ी का काभ कयने के शरए ळयभाते शैं। इवी प्रकाय ब्राह्भण औयतें ळद्र
ू ों की
नौकयाननमाॉ शो कय ळद्र
ू ननमों को नशराएॉगी नशीॊ, उनके फार कॊघी नशीॊ कय दें गी। ळद्र
ू ों के घय वाप-वपाई का
काभ नशीॊ कये गी। ळद्र
ू ाननमों के शरए त्रफछाना नशीॊ रगा कय दें गी। उनकी वाड़ड़माॉ, उनके कऩड़े धोने के शरए
याजी नशीॊ शोंगी। उनकी जूनतमाॉ वॉबारने के शरए तैमाय नशीॊ शोंगी, ळयभाती शैं।

कपय जफ ले भशाअरय (भशाय) रोग अऩने ळद्र


ू बाइमों को ब्राह्भणों के जार वे भुक्त कयने की इच्छा
वे ब्राह्भणों वे प्रनतलाद कयने रगे, उन ऩय शभरे कयने रगे कक ले ळद्रू का छुआ शुआ बोजन बी ाने वे
इनकाय कयते थे। उवी नपयत की लजश वे आजकर के ब्राह्भण ळद्र ू ों द्लाया छुआ शुआ बोजन तो क्मा, ऩानी
बी नशीॊ ऩीते शैं। ब्राह्भणों की ककवी ळद्र
ू के द्लाया छुई शुई कोई बी लस्तु नशीॊ रेनी ाहशए, इवशरए भाॊगशरक
(वोलऱे -ओलऱे ) शोने की वॊकल्ऩना को जन्भ हदमा गमा औय उनभें मश आभ रयलाज शो गमा। कपय अचधकाॊळ
ळूद्र-वलयोधी ब्राह्भण ग्रॊथकायों ने, दव
ू यों की फात छोड़ड़ए, अऩने भन भें बी थोड़ी रज्जा नशीॊ य ी। उन्शोंने
भाॊगशरक शोने के रयलाज का इतना भशत्ल फनामा कक भाॊगशरक ब्राह्भण ककवी ळद्र
ू का स्ऩळव शोते शी अऩवलत्र
(नाऩाक), अभाॊगशरक शो जाता था। इवके वभथवन के शरए उन्शोंने धभवळास्त्र जैवी कई अऩवलत्र, भ्रष्ट ककताफे
शर ी शैं। ब्राह्भणों ने इव फात की बी ऩूयी वालधानी य ी कक ळद्र
ू ों को ककवी बी तयश ऩनना-शर ना नशीॊ
शव ाना ाहशए। उन्शें सान-ध्मान नशीॊ दे ना ाहशए, क्मोंकक कुछ वभम फीत जाने के फाद मदी ळद्र
ू ों को अऩने
फीते शुए कार के श्रेष्ठत्ल की स्भनृ तमाॉ शो गई तफ ले कबी-न-कबी उनकी छाती नों ने के शरए कोई बी कवय
फाकी नशीॊ य ेंगे। उनके ख राप फगालत, वलद्रोश कयें गे, इवशरए उन्शोंने ळद्र
ू ों को ऩनने-शर ने वे, सान ध्मान
की फातों वे दयू य ने के ऩयू ा ऴड्मॊत्र य ा था। उन्शोंने अऩने धभवळास्त्रों भें ळद्र
ू ों के ऩनने-शर ने के ख राप
वलधान फनामा। उन्शोंने इतना शी नशीॊ ककमा फजल्क कोई ब्राह्भण महद धभवग्रथ
ॊ का अध्ममन कय यशा शो, तो
उवके अध्ममन का एक ळब्द बी ळद्रू ों के कान तक नशीॊ ऩशुॉ ना ाहशए, इव फात की बी ऩयू ी व्मलस्था
उन्शोंने की थी औय इव तयश का वलधान बी उन्शोंने अऩने धभवळास्त्रों भें शर य ा था। इव फात के कई
प्रभाण भनस्
ु भनृ त भें भौजद
ु शैं। इवी आधाय ऩय आजकर के भाॊगशरक ब्राह्भण बी उवी तयश की अऩवलत्र, भ्रष्ट
ककताफों को ळद्र
ू ों के वाभने नशीॊ ऩनते। रेककन अफ वभम भें कुछ ऩरयलतवन आ गमा शै । अफ जफ कक इवाई
वभझी जानेलारी अॊग्रेज वयकाय की धाक वे शळषा वलबाग के ऩेटू ब्राह्भणों को अऩने भुॉश वे मश कशने की
हशम्भत शी नशीॊ शोगी कक ले ळद्र
ू ों को ऩनना-शर ना नशीॊ शव ाएॉगे। कपय बी ले रोग अऩने ऩल
ू ज
व ों का
रुच् ाऩन, शयाभ ोयी रोगों के वाभने य ने की हशम्भत नशीॊ हद ाएॉगे। उनभें आज बी मश हशम्भत नशीॊ शै कक
ळद्र
ू ों को वशी वभझ दे कय अऩने ऩल
ू ज
व ों की गरनतमों को स्लीकाय कयें औय अलास्तवलक भशत्ल न फताएॉ।
उनको आज बी अऩने झूठे इनतशावकाय ऩय गलव शै। ले स्कूरों भें ळद्र
ू ों के फच् ों को शवपव काभ राऊ
व्मालशारयक सान की फातें बी नशीॊ ऩनाते, रेककन ले ळूद्रों के फच् ों के भन भें शय तयश की पारतू दे ळ
अशबभान, दे ळ गलव की फातें ऩढाते यशते शैं औय उनको ऩक्के अॊग्रेज 'याजबक्त' फनलाते शैं। कपय ले अॊत भें उन
ळूद्रों के फच् ों को शळलाजी जैवे धभवबोरे, असानी ळूद्र याजा के फाये भें गरग-वरत फातें शव ाते यशते शैं।
शळलाजी याजा ने अऩना दे ळ म्रेच्छों वे (भव
ु रभान) भक्
ु त कयला कय गौ-ब्राह्भणों का कैवे यषण ककमा, इव
वॊफॊध भें झठ
ू ी, भनगनी कशाननमाॉ ऩना कय उन्शें ो रे स्लधभव (ब्राह्भण-धभव) के अशबभानी फनाते शैं।
ब्राह्भणों के इवी ऴड्मॊत्र की लजश वे ळद्र
ू -वभाज की ळजक्त के अनुवाय जोख भ के काभ कयने रामक वलद्लान
नशीॊ फन ऩाते। इवका ऩरयणाभ मश शोता शै कई वबी वयकायी वलबागों भें ब्राह्भण कभव ायी, अचधकारयमों की
शी बीड़ वभा जाती शै । वबी वयकायी वेलाओॊ का राब इन्शीॊ ब्राह्भणों को शभर जाता शै । औय ळद्र
ू वभाज के
रोग इन वयकायी नौकरयमों भें, वयकायी वेलाओॊ भें न आ ऩाएॉ, इवशरए इतनी वपाई वे, तयु ाई वे जल्
ु भ-
ज्मादानतमाॉ कयते शैं कक महद इव वॊफॊध भें ऩूयी-ऩूयी शकीकत शर ी जाए, तो करकत्ते भें नीर की ेती के
फागानों भें काभ कयनेलारे भजदयू ों ऩय अॊग्रेज रोग जो जल्
ु भ कयते शैं, लश शजाय भें एक अधन्ना बी नशीॊ बय
ऩाएगा। अॊग्रेजी याज भें बी ायों ओय ब्राह्भणों के शाथ भें (नाभ भात्र के शरए टोऩीलारे) वत्ता शोने की लजश वे
ले असानी औय ळद्र ू यै मत को शी नशीॊ फजल्क वयकाय को बी नक ु वान ऩशुॉ ाते शैं। औय ले रोग आगे वयकाय को
नकु वान नशीॊ ऩशुॉ ाएॉगे, इवके फाये भें ननजश् त रूऩ वे बी नशीॊ कशा जा वकता। ब्राह्भणों के इव व्मलशाय के
फाये भें वयकाय को बी जानकायी शै , कपय बी अॊग्रेज वयकाय अॊधे का स्लाॉग रे कय केलर ब्राह्भण अचधकायी
कभव ारयमों के कॊधों ऩय अऩना शाथ य कय उनकी नीनत वे र यशी शै। रेककन अॊग्रेज वयकाय को ब्राह्भणों
को इवी नीनत वे गॊबीय तया ऩैदा शोने की वॊबालना शै , इव फात को कोई नकाय नशीॊ वकता। तात्ऩमव मश
कक ब्रह्भा ने मशाॉ के भूर षेत्रलाशवमों को अऩना गुराभ फना रेने के फाद इतनी भस्ती भें न गमा था कक
उऩशाव कयने की दृजष्ट वे भशाआरयमों का नाभ 'प्रजाऩनत' य ा हदमा, मश तकव ननकारा जा वकता शै। ककॊ तु
ब्रह्भा के फाद आमव रोगों का भूर नाभ 'बट्ट' रुप्त शो गमा औय फाद भें उनका नाभ 'ब्राह्भण' शो गमा।
ऩरयच्छे द : आठ

[ ऩयळुयाभ, भातश
ृ त्मा, इक्कीव फाय शभरे, याषव, ड
ॊ ये ाल ने यालण की भदद री, नल ड
ॊ ों की जाणाई,
वात दे वलमाॉ (वप्त आवया), भशायों के गरे का कारा धागा, अनतळूद्र, अछूत, भातॊग, ाॊडार, भशायों को ऩाॉलों
तरे यौंदना, ब्राह्भणों को गॊधलव ब्माश कयने की भनाशी, षत्रत्रम फच् ों की शत्मा, प्रबु, याभोळी, जजनगय आहद
रोग, ऩयळुयाभ की शाय शो जाने ऩय उवने अऩनी शी जान दे दी, औय च यॊ जील ऩयळयु ाभ को ननभॊत्रण आहद के
वॊफॊध भें।]

धोंडीयाल : प्रजाऩनत (ब्रह्भा) के भयने के फाद ब्राह्भणों का भुख मा कौन था?

जोतीयाल : ब्राह्भणों का भखु मा ऩयळुयाभ था।

धोंडीयाल : ऩयळुयाभ स्लबाल वे कैवा था?

जोतीयाल : ऩयळुयाभ स्लबाल वे उऩद्रली, वाशवी, वलनाळी, ननदव मी, भू व औय नी प्रलवृ त्त का था। उवने
जन्भ दे नेलारी अऩनी भाता ये णक
ु ा की गयदन काटने भें बी कोई वॊको भशवूव नशीॊ ककमा। ऩयळुयाभ ळयीय वे
भजफत
ू औय नतयॊ दाज था।

धोंडीयाल : उवके ळावनकार भें क्मा शुआ?

जोतीयाल : प्रजाऩनत (ब्रह्भा) के भयने के फाद ळेऴ भशाअरयमों ने ब्राह्भणों के जार भें पॉवे शुए अऩने
बाइमों को गुराभी वे भुक्त कयने के शरए ऩयळुयाभ वे इक्कीव फाय मद् ु ध ककमा। ले इतनी दृनता वे मद् ु ध
रड़ते यशे कक अॊत भें उनका नाभ द्लैती ऩड़ गमा औय उव ळब्द का फाद भें अऩभ्रॊळ 'दै त्म' शो गमा। जफ
ऩयळयु ाभ ने वबी भशाअरयमों को ऩयाजजत ककमा तफ उनभें वे कई भशालीयों ने ननयाळ शो कय, अऩने स्नेहशमों
के प्रदे ळों भें जा कय अऩने आख यी हदन त्रफताए। भतरफ, जेजोयी के ड
ॊ ये ाल ने जजव तयश यालण का वशाया
शरमा, उवी प्रकाय नल ड
ॊ ों के न्मामी औय वात आश्रम आहद वबी कोंकण के नन रे बूप्रदे ळ भें जा कय छुऩ
गए औय उन्शोंने लशाॉ अऩने आख यी हदन त्रफताए। इवभें ब्राह्भणों भें नपयत की बालना औय बी गशयी शो गई।
उन्शोंने नल ड
ॊ ों का जो न्मामी था, उवका नाभ स्त्री के नाभ ऩय ननॊदावू क अथव भें 'नल च थड़ोंलारी दे ली'
(नऊ णा ी जानाई)[17] य हदमा औय वात आश्रमों का नाभ 'वात ऩत्र
ु ोंलारी भाता' (वाती अवया) [18] य
हदमा। ळेऴ जजतने भशाअरयमों को ऩयळुयाभ ने मुद्ध बशू भ भें कैद कयके य ा, उन ऩय उवने कड़े प्रनतफॊध रगा
कय य ा था। उन भशअरयमों को कबी बी ब्राह्भणों के वलरुद्ध कभय नशीॊ कवनी ाहशए, ऐवी ळऩथ उनको
हदराई गई। उवने वबी के गरे भें कारे धागे की ननळानी फॉधलाई औय उन्शें अऩने ळूद्र बाइमों को छूना नशीॊ
ाहशए ऐवा वाभाजजक प्रनतफॊध रगामा। फाद भें ऩयळुयाभ ने उन भशाअयी षत्रत्रमों को अनतळद्र
ू , भशाय, अछूत,
भातॊग औय ाॊडार आहद नाभों वे ऩुकायने की प्रथा प्र शरत की। इव तयश के गॊदे प्र रन के शरए दनु नमा भें
कोई शभवार शी नशीॊ शै । इव ळत्रत
ु ाऩूणव बालना वे भशाय, भातॊग आहद रोगों वे फदरा ुकाने के शरए उवने शय
तयश वे घहटमा वे घहटमा तयकीफें अऩनाईं। उवने अऩने जानत-त्रफयादयी के रोगों की फड़ी-फड़ी इभायतों की नीॊल
के नी े कई भातॊगों को उनकी औयतों के वाथ ड़ा कयके, उनके फेवशाम च ल्राने वे ककवी की अनुकॊऩा
शोगी, इवके शरए उनके भुॉश भें तेर औय शवॊदयू डार कय उन रोगों को जजॊदा अलस्था भें शी दपनाने की
ऩयॊ ऩया ळुरू की। जैव-े जैवे भुवशरभों की वत्ता इव दे ळ भें भजफत
ू शोती गई, लैवे-लैवे ब्राह्भणों द्लाया ळरु
ु की
गई मश अभानलीम ऩयॊ ऩया वभाप्त शोती गई। रेककन इधय भशाअरयमों वे रड़ते-रड़ते ऩयळुयाभ के इतने रोग
भाये गए कक ब्राह्भणों की अऩेषा ब्राह्भण वलधलाओॊ की व्मलस्था ककव तयश वे की जाए, इवकी बमॊकय
वभस्मा ब्राह्भणों के वाभने ड़ी शो गई। तफ कशीॊ जा कय उनकी गाड़ी यास्ते ऩय आई। ऩयळुयाभ अऩने
ब्राह्भण रोगों की शत्मा वे इतना ऩागर शो गमा था कक उवने फाणावुय के वबी याज्मों के षत्रत्रमों को वभूर
नष्ट कया दे ने के इयादे वे अॊत भें उन भशाअयी षत्रत्रमों की ननयाधाय गबवलती वलधला औयतों को, जो अऩनी
जान फ ाने के शरए जशाॉ-तशाॉ छुऩ गई थीॊ, उन औयतों को ऩकड़-ऩकड़ कय राने की भहु शभ ळरु
ु कय दी। इव
अभानलीम ळत्रत ु ाऩणू व भहु शभ वे नजय फ ा कय फ े शुए नन्शें फच् ों द्लाया ननशभवत कुछ कुर (लॊळ) इधय
प्रब[ु 19] रोगों भें शभरते शैं। इवी तयश ऩयळुयाभ की इव धूभधाभ भें याभोळी, जजनगय, तॊफ ु डीलारे औय कुम्शाय
आहद जानत के रोग शोने ाहशए, क्मोंकक कई यस्भ-रयलाज भें उनका ळद्र
ू ों के भेर शोता शै। तात्ऩमव,
हशयण्मकश्मऩ वे फरी याजा के ऩुत्र का ननलिंळ शोने तक उव कुर को ननस्तेज कयके उनके रोगों को ऩूयी तयश
वे तशव-नशव कय हदमा था। इववे असानी षेत्रऩनतमों के हदभाग ऩय इव तयश कक धाक जभ गई कक ब्राह्भण
रोग जाद ू वलद्मा भें भाहशय शैं। ले रोग ब्राह्भणों के भॊत्रों वे फशुत शी डयने रगे। ककॊ तु इधय ऩयळयु ाभ की
भु त
व ा की लजश वे, उवके धीॊगाभस्ती वे ब्राह्भणों की फड़ी शानन शुई। इवकी लजश वे, वबी ब्राह्भण रोग
ऩयळयु ाभ के नाभ वे घण
ृ ा कयने रगे। मशी नशीॊ, उव वभम लशाॉ के एक षेत्रऩनत के याभ ॊद्र नाभ के ऩत्र
ु ने
ऩयळुयाभ के धनुऴ को जनक याजा के घय भें बयी वबा भें तोड़ हदमा। इववे ऩयळुयाभ के भन भें उव याभ द्र

के प्रनत प्रनतळोध की बालना घय कय गई। उवने याभ द्र ॊ को अऩने घय जानकी को रे जाते शुए दे ा तो उवने
याभ ॊद्र वे यास्ते भें शी मुद्ध छे ड़ हदमा। उव मद्
ु ध भें ऩयळुयाभ की कयायी शाय शुई। उव ऩयाजम वे ऩयळयु ाभ
इतना ळशभिंदा शो गमा कक उवने अऩने वबी याज्मों का त्माग कयके अऩने ऩरयलायों तथा कुछ ननजी वॊफचॊ धमों
को वाथ शरमा औय कोंकण के नन रे बाग भें जा कय यशने रगा। लशाॉ ऩशुॉ ने के फाद उवको उवके द्लाया
ककए गए वबी फुये कभों का ऩश् ाताऩ शुआ। उव ऩश् ाताऩ का ऩरयणाभ उव ऩय इतना फुया शुआ कक उवने
अऩनी जान कशाॉ, कफ, औय कैवे ो दी, इवका ककवी को कोई ऩता नशीॊ रग वका।

धोंडीयाल : वबी ब्राह्भण-ऩॊड़डत-ऩुयोहशत अऩने धभवळास्त्रों (धभवग्रॊथ) के आधाय ऩय मश कशते शैं कक


ऩयळयु ाभ आहदनायामण का अलताय शै। लश च यॊ जीली शै। लश कबी बी भयता नशी। औय आऩ कशते शैं कक
ऩयळुयाभ ने आत्भशत्मा की शै। इवका अथव क्मा शै?

जोतीयाल : दो वार ऩशरे भैंने शळलाजी भशायाज के नाभ एक ऩॉलाड़ा[20] शर ा था। उव ऩॉलाड़े के
ऩशरे छॊ द भें भैंने कशा था कक वबी ब्राह्भणों को अऩने ऩयळुयाभ को न्मोता दे कय फुराना ाहशए औय उवकी
उऩजस्थनत भें भेये वाभने इव फात का ल्
ु रभ ल्
ु रा र
ु ावा कयना ाहशए कक आजकर के भातॊग-भशायों के
ऩूलज
व ऩयळुयाभ वे इक्कीव फाय रड़नेलारे भशाअयी षत्रत्रम थे मा नशीॊ। इवकी वू ना ब्राह्भणों को दी गई,
रेककन लास्तवलकता मश शै कक उन्शोंने ऩयळयु ाभ को न्मोता दे कय नशीॊ फर
ु ामा था। इववे मश फात स्ऩष्ट शोती
शै कक ऩयळुयाभ व भु भें आहदनायामण का अलताय शोता औय च यॊ जीली शोता शो ब्राह्भण ने उवको कफ का
ोज ननकारा शोता। औय भेयी फात तो क्मा, वायी दनु नमा के खिस्ती औय भशम्भदी रोगों के भन का वभाधान
कयके, वबी म्रेच्छ रोगों के वलद्रोश को अऩनी भॊत्रवलद्मा की वाभवथ्म वे तशव-नशव कयने भें कोई कवय नशीॊ
छोड़ता।
धोडीयाल: भेये वल ाय वे आऩको स्लमॊ शी एक फाय ऩयळुयाभ को मशाॉ फुराना ाहशए। महद ऩयळुयाभ
व भु भें जजॊदा शै तो लश ननजश् त रूऩ वे रा आएगा। आजकर के ब्राह्भण अऩने-आऩको ककतना बी
वलवलध सानी शोने का दाला कयते शों, कपय बी उनको ऩयळयु ाभ के भतानव
ु ाय, भ्रष्र औय ऩनतत शी भानना
ाहशए। इव फात के शरए प्रभाण मश शै कक अबी अबी कई ब्राह्भणों ने ळास्त्रवलचध के अनुवाय कये रे ाने का
ननऴेध ककमा शै । रेककन धभव-ळास्त्रों द्लाया ननवऴद्ध ठशयाए गए भाशरमों के द्लाया वीॊ े गए ऩानी वे उत्ऩन्न
गाजयों को छुऩ-छुऩ कय ाने की शोड़ ब्राह्भणों ने रगा दी थी।

जोतीयाल : ठीक शै। जो बी कुछ क्मों न शो।

भक
ु ाभ वफ जगश

चचयॊ जीव ऩयशुयाभ अथामत आहदनायामण के अवताय को

तात, ऩयळुयाभ!

तुभ ब्राह्भणों के ग्रॊथों की लजश वे च यॊ जीली शो। कये रा कड़ला क्मों न शो, ककॊ तु तुभने वलचधऩूलक

कये रे ाने का ननऴेध नशीॊ ककमा शै । ऩयळयु ाभ, तभ
ु को ऩशरे जैवे भछुओॊ की राळ वे दव
ू ये नए ब्राह्भण ऩैदा
कयने की गयज नशीॊ ऩड़ेगी, क्मोंकक आज मशाॉ तुम्शाये द्लाया ऩैदा ककए गए जो ब्राह्भण शैं, उनभें कई ब्राह्भण
वलवलधसानी शो गए शैं। अफ तम्
ु शें उनको फशुत ज्मादा सान दे ने की बी आलश्मकता नशीॊ यशे गी। इवशरए शे
ऩयळुयाभ! तभ
ु मशाॉ आ जाओ औय जजन ब्राह्भणों ने ळूद्र भाशरमों द्लाया ेत भें उत्ऩन्न गाजयों को छुऩ-छुऩ
कय ामा शै, उन वबी ब्राह्भणों को द्र
ॊ ामन प्रामजश् त दे कय, उन ऩय तुभ लेदभॊत्रों के जाद ू की वाभथ्मव वे
ऩशरे जैवे कुछ भत्काय अॊग्रेज, फ्रें आहद रोगों का हद ा दो, फव शो जाएगा। शे ऩयळयु ाभ, तभ
ु इव तयश
भुॉश छुऩा कय, बगोड़ा फन कय भत घूभा कयो। तुभ इव नोहटव की तायी वे छश भाश के बीतय-बीतय मशाॉ
ऩय उऩजस्थत शो वके, तफ भैं शी नशीॊ, वायी दनु नमा के रोग, तुभ व भु भें आहदनयामण के अलताय शो, ऐवा
वभझेंगे औय रोग तम्
ु शाया वम्भान कयें गे। रेककन महद तुभ ऐवा न कय वके तो मशाॉ के भशाय-भातॊग शभाये
म्शवोफा[21] के ऩीछे छुऩ कय फैठे शैं। ले रोग तुम्शाये वलवलधसानी कशरानेलारे ब्राह्भण फच् ों को ीॊ कय
फाशय रे आएॉगे औय उनके बाॊडो के इकताया (तन
ु तन
ु ा, एकतायी लाद्म)का ताय टूट जाएगा औया उनकी झोरी
भें ऩत्थय चगय जाएॉगे। कपय उन्शें वलश्लाशभत्र जैवे बू े, कॊगार यशने ऩय इतनी भजफयू ी का वाभना कयना ऩड़ेगा
कक उनको कुत्ते का भाॊव बी ाना ऩड़ वकता शै। इवशरए शे ऩयळुयाभ, तुभ अऩने वलवलधसानी ब्राह्भणों ऩय
यशभ ाओ, ताकक उन ऩय वलऩवत्त के ऩशाड न टूट ऩड़े।
तम्
ु शाया वत्मरूऩ दे नेलारा

जोतीयाल गोवलॊदयाल पुरे

तायी 1 री

भशीना अगस्त

वन 1872

ऩूना, जन
ू ागॊज

भकान नॊ. 527

ऩरयच्छे द : नौ

[लेदभॊत्र, जाद ू का प्रबाल, अनछय ऩन कय भायना, बजक्त का हद ाला कयना, जऩ, ाय लेद, ब्रह्भजार,
नायदळाशी, नमा ग्रॊथ, ळूद्रों को ऩनने-ऩनाने ऩय ऩाफॊदी, बागलत औय भनुवॊहशता भें अवभानता आहद के वॊफॊध
भें।]

धोंडीयाल : व भु भें आऩने उनके भर


ू ऩय शी प्रशाय ककमा शै। आऩके कशने के अनव
ु ाय ऩयळयु ाभ भय
गमा औय षेत्रऩनतमों के भन ऩय ब्राह्भणों के भॊत्रों का प्रबाल कैवे ऩड़ा, कृऩमा आऩ इव फात को शभें जया
वभझाइए।

जोतीयाल : क्मोंकक उव वभम ब्राह्भण रोग मद्


ु ध भें शय एक ळस्त्र ऩय भॊत्रवलचध कयके उन ळस्त्रों भें
प्रशाय की षभता राए फगैय उनका प्रमोग ळत्रु ऩय कयते नशीॊ थे। उन्शोंने इव तयश वे जफ कई दाल-ऩें रड़ा
कय फाणावुय की प्रजा औय उवके याजकुर को धुर भें शभरा हदमा, उव वभम फड़ी आवानी वे ळेऴ वबी बोरे-
बारे षेत्रऩनतमों के हदरो-हदभाग ऩय ब्राह्भणों की वलद्मा का डय पैर गमा था। इवका प्रभाण इव तयश वे
हदमा जा वकता शै कक 'बग
ृ ु नाभ के ऋवऴ ने जफ वलष्णु की छाती ऩय रात भायी, तफ वलष्णु ने (उनके
भतानुवाय आहदनायामण) ऋवऴ के ऩाॉल को तकरीप शो गई शोगी, मश वभझ कय उवने ऋवऴ के ऩाॉल की
भाशरळ कयना ळरु
ु ककमा। अफ इवका वीधा-वा अथव स्लाथव वे जुड़ा शुआ शै। लश मश शै कक, जफ वाषात
आहदनायामण शी, जो स्लमॊ वलष्णु शै, ब्राह्भण की रात को फदावश्त कयके उवके ऩाॉल की भाशरळ की अथावत
वेला की, तफ शभ जो ळद्र
ू रोग शैं, (उनके कशने के अनव
ु ाय ळद्र
ू प्राणी) महद ब्राह्भण अऩने शाथों वे मा रातों
वे भाय-ऩीट कय शभायी जान बी रे रे, तफ बी शभें वलयोध नशीॊ कयना ाहशए।

धोंडीयाल : कपय आज जजन नी ी जानत के रोगों के ऩाव जो कुछ जादभ


ू ॊत्र वलद्मा शै , उवको उन्शोंने
कशाॉ वे वी शरमा शोगा?
जोतीयाल : आजकर के रोगों के ऩाव जो कुछ अनछय ऩनने की, भोहशनी दे ने की फॊगारी जादभ
ू त्र

वलद्मा शै, उवको उन्शोंने केलर लेदों के जादभ
ू ॊत्र वलद्मा वे नशीॊ शरमा शोगा, ऐवा कोई बी नशीॊ कश वकता शै :
क्मोंकक अफ जफ उवभें फशुत शे य-पेय शुई शै, फशुत ळब्दों के उच् ायणों का अऩभ्रॊळ शुआ शै, कपय बी उवके
अचधकाॊळ भॊत्रो औय तॊत्रों भें 'ओभ ् नभो, ओभ ् नभ: ओभ ् ह्ीॊ ह्ीॊ नभ:' आहद लेदभॊत्रों के लाक्मों की बयभाय शै।
इववे मश प्रभाखणत शोता शै कक ब्राह्भणों के भूर ऩूलज
व ों ने इव दे ळ भें आने के फाद फॊगार भें वफवे ऩशरे
अऩनी फस्ती फवाई शोगी। उवके फाद उनकी जाद ू भॊत्र-वलद्मा लशाॉ वे ायों ओय पैरी शोगी। इवशरए इव
वलद्मा का नाभ फॊगारी वलद्मा ऩड़ा शोगा। इतना शी नशीॊ, फजल्क आमों के ऩल
ू ज
व आज के अनऩन रोगों की
तयश अरौककक ( भत्काय) ळजक्त का (दे व्शाया घुभवलणाये ) प्रदळवन कयनेलारे रोगों को ब्राह्भण कशा जाता था।
ब्राह्भण-ऩुयोहशत रोग वोभयव नाभ की ळयाफ ऩीते थे औय उव ळयाफ के नळे भें फड़फड़ाते थे औय कशते थे कक
'शभ रोगों के वाथ ईश्लय (ऩयभात्भा, दे ल) फात कयता शै ।' उनके इव तयश के कशने ऩय अनाड़ी रोगों का
वलश्लाव जभ जाता था, उनके प्रनत श्रद्धा उत्ऩन्न शोती थी, थोड़ा डय बी उत्ऩन्न शोता था। इव तयश ले इन
अनाड़ी रोगों को डया-धभका कय उनको रट
ू ते थे। इव तयश की फातें उनके शी लेद-ळास्त्रों वे शवद्ध शोती शै ।
[22] उवी अऩयाधी वलद्मा के आधाय ऩय इव प्रगनतळीर, आधनु नक मग
ु भें आज के ब्राह्भण ऩॊड़डत ऩयु ोहशत
अऩना औय अऩने ऩरयलाय का ऩेट ऩारने कक शरए जऩ, अनष्ु ठान, जाद−
ू भॊत्र वलद्मा के द्लाया अनाड़ी भारी,
कुनत्रफमों को जाद ू का धागा फाॉध कय उनको रट
ू ते शैं, कपय बी उन अनाड़ी अबागे रोगों को उन ऩा ड
ॊ ी, धत
ू व
भदारयमों की (ब्राह्भण-ऩॊड़डत-ऩुयोहशतों की) जारवाजी ऩश ानने के शरए वभम बी कशाॉ शभर यशा शै । क्मोंकक मे
अनाड़ी रोग हदन-बय अऩने ेत भें काभ भें जत
ु े यशते शैं औय अऩने फार-फच् ों का ऩेट ऩारते शुए वयकाय को
रगान दे ते-दे ते उनकी नाक भें दभ न जाता शै ।

धोंडीयाल : भतरफ, जो ब्राह्भण मश ळे ी फघायते शैं कक भश


ॉु वे ाय लेद ननकरे शैं, लेद स्लमॊबू शै,
उनके कशने भें औय आऩके कशने भें कोई तारभेर नशीॊ शै ?

जोतीयाल : तात, इन ब्राह्भणों का मश भत ऩूयी तयश वे शभथ्मा शै; क्मोंकक महद उनका कशना वशी
भान शरमा जाए, तफ ब्रह्भा के भयने के फाद ब्राह्भणों के कई ब्रह्भावऴवमों मा दे लावऴवमों द्लाया य े गए वूक्त
ब्रह्भा के भुॉश वे स्लमॊबू ननकरे शुए लेदों भें क्मों शभरते शैं? उवी प्रकाय ाय लेदों की य ना एक शी कताव
द्लाया एक शी वभम भें शुई शै , मश फात बी शवद्ध नशीॊ शोती। इव फात का भत कई मयू ोवऩमन ऩयोऩकायी
ग्रॊथकायों ने शवद्ध कयके हद ामा शै।

धोंडीयाल : तात, कपय ब्राह्भण ऩॊड़डतों ने मश ब्रह्भघोटारा कफ ककमा शै ?

जोतीयाल : ब्रह्भा के भयने के फाद कई ब्रह्भवऴवमों ने ब्रह्भा के रे को तीन हशस्वों भें वलबाजजत
ककमा। भतरफ, उन्शोंने उवके तीन लेद फनाए। कपय उन्शोंने उन तीन लेदों भें बी कई प्रकाय की शे यापेयी की।
उनको ऩशरे की जो कुछ गरग-वरत व्मथव की फातें भारूभ थीॊ, उन ऩय उन्शोंने उवी यॊ ग-ढॊ ग की कवलताएॉ य
कय उनका एक नमा ौथा लेद फनामा। इवी कार भें ऩयळयु ाभ ने फाणावयु की प्रजा को फेयशभी वे धर
ू ख राई
थी। इवीशरए स्लाबावलक रूऩ वे ब्राह्भण-ऩुयोहशतों के लेदभॊत्राहद जाद ू का प्रबाल अन्म वबी षेत्रऩनतमों के हदरो-
हदभाग ऩय ऩड़ा। मशी भौका दे कय नायद जो हशजड़ों की तयश औयतों भें शी अक्वय फैठता उठता था, उवने
याभ ॊद्र औय यालण, कृष्ण औय कॊव तथा कौयल औय ऩाॊडल आहद वबी बोरे-बारे षेत्रऩनतमों के घय-घय भें यात
औय हदन क्कय रगाना ळुरू कय हदमा था। उवने उनके फीली फच् ों को कबी अऩने इकताये (लीणा) वे
आकवऴवत ककमा तो वबी इकताये के ताय को तुनतन
ु फजा कय औय उनके वाभने थइ थइ ना ते शुए ताशरमाॉ
फजाई औय उनको आकवऴवत ककमा। इव तयश का स्लाॉग य कय औय इन षेत्रऩनतमों को, उनके ऩरयलायों को
सान का उऩदे ळ दे ने का हद ाला कयके अॊदय शी अॊदय उनभें आऩव भें एक दव
ू ये की ुगशरमाॉ रगा कय झगड़े
रगला हदमा औय वबी ब्राह्भण ऩुयोहशतों को उवने आफाद-आजाद कया हदमा। इवका ऩरयणाभ मश शुआ कक
ब्राह्भण ग्रॊथकायों ने उव कार भें वबी रोगों की नजयों भें धूर झोंक कय लेदभॊत्रों के जाद ू औय उववे वॊफॊचधत
वायी व्मथव फातों का शभराऩ कयला कय कई स्भनृ तमाॉ, वॊहशताएॉ, धभवळास्त्र, ऩुयाण आहद फड़े-फड़े ग्रॊथों भें उन्शोंने
अऩने घयों की ायदीलायों के अॊदय फैठ कय के शी शर डारा औय उन ग्रॊथों भें उन्शोंने ळद्र
ू ों ऩय ब्राह्भण रोगों
के स्लाशभत्ल का वभथवन ककमा शै । उन्शोंने उन ग्रॊथों भें शभाये ानदानी शवऩाशगयी के यास्ते भें कटीरा फ
ॊ ा
गाड़ हदमा औय अऩनी नकरी धाशभवकता का रेऩ रगा हदमा। कपय उन्शोंने मश वाया ब्रह्भच्छर फाद भें कपय
कबी ळद्र
ू ों के ध्मान भें बी न आने ऩाए, इव डय वे उन ग्रॊथों भें भन ाशे ऩरयलतवन कयने की ववु लधा शो,
इवशरए ळूद्रों को सान-ध्मान वे ऩूयी तयश दयू य ा। ऩातार भें दपनाए गए ळद्र
ू ाहद रोगों भें वे ककवी को बी
ऩनना-शर ना नशीॊ शव ाना ाहशए, इव तयश का वलधान भनव
ु हॊ शता जैवे ग्रॊथों भें फशुत शी वझ
ू -फझ
ू औय
प्रबाली ढॊ ग वे शर कय य ा शै ।

धोंडीयाल : तात, क्मा बागलत बी उवी वभम भें शर ा गमा शोगा?

जोतीयाल : महद बागलत उवी वभम शर ा गमा शोता तो वफके ऩीछे शुए अजन
ुव के जन्भेजम नाभ के
ऩड़ऩोते की शकीकत उवभें कबी न आई शोती।

धोंडीयाल : तात, आऩका कशना वशी शै। क्मोंकक उवी बागलत भें कई ऩुयातन कजल्ऩत व्मथव की
ऩयु ाणकथाएॉ ऐवी शभरती शैं कक उववे इवऩ-नीनत शजायों गण
ु ा अच्छी शै, मश भानना ऩड़ेगा। इवऩ नीनत भें
फच् ों के हदरो-हदभाग को भ्रष्ट कयनेलारी एक बी फात नशीॊ शभरेगी।

जोतीयाल : उवी तयश भनुवहॊ शता बी बागलत के फाद शर ी गई शोगी, मश शवद्ध ककमा जा वकता शै।

धोंडीयाल : तात, इवका भतरफ मश कैवे शोगा कक भनुवहॊ शता बागलत के फाद भें शर ी गई शोगी?

जोतीयाल : क्मोंकक बागलत के लशळष्ठ ने, इव तयश की ळऩथ री कक भैंने शत्मा नशीॊ की शै। वद
ु ाभन
याजा के वाभने रेने की ळऩथ भनु ने अऩने ग्रॊथ के 8लें अध्माम के 110 लें श्रोक भें कैवे री शै ? उवी प्रकाय
वलश्लशभत्र ने आऩातकार भें कुत्ते का भाॊव ाने के वॊफॊध भें जो कशा शै, उवी ग्रॊथ के 10लें अध्माम के 108लें
श्रोक भें क्मों शर ा शै? इवके अराला बी भनुवहॊ शता भें कई अवॊगत फातें शभरती शैं।
ऩरयच्छे द : दस

[दस
ू या फसर याजा, ब्राह्भण धभम की दद
ु म शा, शॊकयाचामम की फनावटी फातें , नास्स्तक भान्मता, तनदम मता,
प्राकृत ग्रॊथकताम, कभम औय ऻानभागम, फाजीयाव ऩेशवा, भुससरभों से नपयत औय अभेरयकी तथा स्कॉच उऩदे शकों
ने ब्राह्भणों के कृत्रत्रभ ककरे की दीवायें तोड़ दीॊ, आहद के सॊफॊध भें।]

धोंडीयाल : तात, अफ तो यभ वीभा शो गई, क्मोंकक आऩने शळलाजी के ऩॉलाड़े की प्रस्तालना भें मश
शर ा था औय शवद्ध ककमा था कक ाय घय की ाय ग्रॊथकताव ब्राह्भण रड़ककमों ने शभर कय घय की कोठयी भें
झूठ-पये फी का ेर ेरा।

जोतीयाल : ककॊ तु आगे जफ एक हदन (दशरतों) का दाता; वभथवक, भशाऩवलत्र, वत्मसानी, वत्मलक्ता
फशर याजा इव दनु नमा भें ऩैदा शुआ, तफ उवने शभ वबी को ऩैदा कयनेलारा, शभ वफका ननभावणकताव भशावऩता
जो शै, उवका उद्दे श्म जान शरमा। ननभावणकताव द्लाया हदए गए वत्मभम ऩवलत्र सान औय अचधकाय को उऩबोग
कयने का वभान अलवय वफको प्राप्त शो, इवशरए उव फशर याजा ने अऩने दीन, दफ
ु र
व औय ळोवऴत बाइमों को
वबी ब्राह्भणों की अथावत फनालटी, दष्ु ट, धत
ू ,व भतरफी फशे शरमों की गर
ु ाभी वे भक्
ु त कयके, न्माम ऩय
आधारयत याज्म की स्थाऩना कयके अऩनी जेष्ठ भहशराओॊ के बवलष्म की आकाॊषाओॊ को कुछ शद तक ऩूया
ककमा, मश कशा जा वकता शै। तात, जशाॉ शभस्टय टॉम्व ऩें व जैवे फड़े-फड़े वलद्लानों के ऩूलज
व ों ने इव फशर याजा
के प्रबाल भें आ कय अऩने ऩीछे की वायी फराएॉ दयू कयके वु ी शुए, अॊत भें जफ उव फशर याजा को (ईवा
भवीश) ाय दष्ु ट रोगों ने वर
ू ी ऩय नामा, उव वभम वाये मूयोऩ भें फड़ा तशरका भ गमा था। कयोड़ों रोग
उवके अनम
ु ामी शो गए औय ले अऩने ननभावणकताव के ळावन के अनव
ु ाय इव दनु नमा भें केलर उन्शीॊ का वत्ता
कामभ शो, इव हदळा भें यात औय हदन प्रमत्नळीर यशे । रेककन इवी वभम इव षेत्र भें कुछ स्लस्थ लातालयण
शोने की लजश वे मशाॉ के कई फुद्चधभान ेनतशयों औय ककवानों ने उव घय की कोठयी के अॊदय की नादान
रड़ककमों के झूठ-पये फी ेर को शी तशव-नशव कय हदमा। भतरफ वाॊख्मभुनन जैवे फद्
ु चधभान वत्ऩरु
ु ऴों ने
ब्राह्भणों के लेदभॊत्र, जादवू लचध के अनुवाय भत्काय का प्रदळवन ककमा। उवने उन ब्राह्भणों को बी अऩने धभव
का अनम
ु ामी फनामा जो ऩळओ
ु ॊ की फशर ना कयके उत्वल मात्रा के फशाने गोभाॊव-बषण कयते थे। उवी प्रकाय
जो ब्राह्भण घभॊडी, ऩा ड
ॊ ी, स्लाथी, दयु ा ायी आहद दग
ु ण
ुव ों वे मक्
ु त थे औय जजन ग्रॊथों भें जादभ
ू ॊत्रों के अराला
औय कुछ नशीॊ था, ऐवे ग्रॊथों ऩय तेर काजर का रेऩ रगा कय अथावत ् उन ग्रॊथों को नकायते शुए उवने
अचधकाॊळ ब्राह्भणों को शोळ भें रामा। रेककन उनभें वे फ े- ु े ळेऴ कुतकी ब्राह्भण कनावटक भें बाग जाने के
फाद उन रोगों भें ळॊकया ामव नाभ अऩना कय एक तयश वे वलतॊडालादी वलद्मा जाननेलारा भशाऩॊड़डत ऩैदा शुआ।
उव ब्राह्भणलादी ऩॊड़डत ने जफ मश दे ा कक अऩने ब्राह्भण जानत के दष्ु ट कभव की धत
ू त
व ा की वबी ओय ननॊदा
शो यशी शै, थ-थू शो यशी शै औय फद्
ु ध के धभव का ायों ओय प्र ाय शो यशा शै, तो उवने मश बी दे ा कक अऩने
रोगों का (ब्राह्भण-ऩॊड़डत-ऩयु ोहशत) ऩेट ऩारने का धॊधा ठीक वे नशीॊ रा यशा शै , इवशरए उवने नमा ब्रह्भजार
ोज ननकारा। जजन दष्ु ट कभों की लजश वे उनके लेदों वहशत वबी ग्रॊथों का फौद्ध जनता ने ननऴेध ककमा
था, उवका उव ळॊकया ामव ने फड़ी गशयाई वे अध्ममन ककमा औय फौद्धों ने जजन फातों के शरए ब्राह्भणों की
आरो ना की थी, उवने उनभें केलर गोभाॊव ाना औय ळयाफ ऩीना ननवऴद्ध भान शरमा। रेककन उवने फाद भें
अऩने वबी ग्रॊथों भें थोड़ी फशुत शे यापेयी कयके उन वबी भें भजफत
ू ी राने के शरए एक नए भत-लाद की
स्थाऩना की। ळॊकाया ामव की उव वल ायधाया को लेदाॊत का सानभागव कशा जाता शै।
फाद भें उवने लशाॉ शळलशरॊग की स्थाऩना की। इव दे ळ भें जो तक
ु व आए थे, उवने हशॊदओ
ु ॊ के एक लणव
षत्रत्रमों भें उन्शें ळाशभर कय शरमा। कपय उवने उनकी भदद वे भुवशरभों की तयश तरलाय के फर ऩय फौद्धों
को ऩयाजजत ककमा औय कपय ऩन
ु : उवने अऩनी उव ळेऴ जाद-ू भॊत्र वलद्मा औय बागलत की व्मथव की ऩयु ाण
कथाओॊ का प्रबाल असानी ळूद्रों के हदरों-हदभाग ऩय थोऩ हदमा। ळॊकया ामव के इव शभरे भें उवके रोगों ने
फौद्ध धभव के कई रोगों को तेरी के कोल्शू भें ठूॉव-ठूॉव कयके भौत के घाट उताय हदमा। इतना शी नशीॊ,
ळॊकया ामव के रोगों ने फौद्धों के अवॊख्म भौशरक औय अच्छे -अच्छे ग्रॊथों को जरा हदमा। उवने उनभें वे केलर
अभयकोळ जैवा ग्रॊथ अऩने उऩमोग के शरए फ ामा। फाद भें जफ उव ळॊकया ामव के डयऩोक ेरे ऩॊड़डत-ऩुयोहशतों
की तयश हदन भें शी भळारों को जरा कय, डोरी भें वलाय शो कय, ायों ओय वधला नायी की तयश नोक-झोंक
कयके ना ते शुए घूभने रगे तो ब्राह्भणों को नॊगा ना कयने की ऩूयी स्लतॊत्रता शभर गई। उवी वभम
भुकॊु दयाज, सानेश्लय, याभदाव आहद जैवे ऩामरी के ऩ ाव ग्रॊथकाय शुए औय फेहशवाफ, फेबाल त्रफक गए। रेककन
उन ब्राह्भण ग्रॊथकायों भें ककवी एक ने बी ळद्र
ू ाहद-अनतळद्र
ू ों के गरे की गुराभी की जॊजीये तोड़ने की हशम्भत
नशीॊ हद ाई, क्मोंकक उनभें उन वबी दष्ु ट कभों का र
ु ेआभ त्माग कयने की हशम्भत नशीॊ थी। इवशरए उन्शोंने
उन वबी दष्ु ट कभों को कभव भागव औय नाजस्तक भतों का सानभागव - इव तयश के दो बेद कयके उन ऩय कई
ऩा ड
ॊ ी, ननयथवक ग्रॊथों की य ना की। इव तयश उन्शोंने अऩनी जानत के स्लाथों का जी-जान वे यषण ककमा औय
असानी ळद्र
ू ों वे रट
ू - वोट कयके अऩनी जानत को फ
ू ख रामा-वऩरामा। रेककन फाद भें उन्शोंने ऩयू ी रज्जा-
ळभव छोड़ दी औय शय यात को जो कुकभव नशीॊ कयना ाहशए, उवको बी कयने रगे। कपय ब्राह्भण रोगों को
हदन के एक ौथाई वभम गुजयने तक भुवशरभों का भश
ुॉ न दे ना ाहशए, यजस्लरा स्त्री की तयश घय भें शी
भाॊगशरक अलस्था भें यशनेलारे ऐवे रोग फाजीयाल के दयफाय भें इकठ्ठे शोते थे। रेककन अफ वभम ने कयलट
रे री थी। ऩशरे हदन के फीतने औय दव
ू ये हदन के प्रायॊ ब भें वबी भेशनत ोय ब्राह्भणों को ऐमाळी औय गर
ु छये
उड़ाने के शरए जो वु −ववु लधाएॉ शभरनेलारी थीॊ, उवके ऩशरे शी अॊग्रेज फशादयु ों का झॊडा ायों ओय रशयाने
रगा। उवी वभम उव फशर याजा के अचधकाॊळ अनुमामी अभेरयकी औय स्कॉ उऩदे ळ ने (शभळनयी) अऩने-अऩने
दे ळ की वयकायों की ककवी बी प्रकाय की ऩयलाश न कयते शुए इव दे ळ भें आए। फशर याजा ने जो वशी उऩदे ळ
हदमा था, उवे वबी नकरी, दष्ु ट, धूतव ब्राह्भणों को प्रभाण द्लाया शवद्ध कयके हद ामा औय उन्शोंने कई ळद्र
ू ों
को ब्राह्भणों की इव अत्मॊत अभानलीम गुराभी वे भुक्त ककमा। उन्शोंने ळद्र
ू ों के (ळूद्राहद अनतळद्र
ू ) गरे भें
ब्राह्भणों द्लाया वहदमों वे टाॉगी शुई गर
ु ाभी की फेड़ड़मों को तोड़ हदमा औय उन गर
ु ाभी की फेड़ड़मों को ब्राह्भणों
के भुॉश ऩय पेंक भाया। उव वभम अचधकाॊळ ब्राह्भण वभझ गए कक, अफ ले खिस्ती उऩदे ळक (शभळनयी) उनका
प्रबाल अन्म ळद्र
ू ों ऩय त्रफरकुर हटकने नशीॊ दें गे। ले उनके वाये ढोर के ऩोर ोर के य दें गे, मश उनकी
ऩक्की वभझ शो गई थी। इवी डय की लजश वे उन्शोंने फशर याजा के अनुमामी उऩदे ळकों औय असानी ळद्र
ू ों भें
वाॉठ-वाॉठ, भेर-शभराऩ शो औय उन दोनों भें गशयी ऩश ान फने, इववे ऩशरे शी फशर याजा के अनुमामी
उऩदे ळकों औय अॊग्रेज वयकाय को इव दे ळ वे शी बगा दे ने के इयादे वे कई शथकॊडे अऩनाए। कई ब्राह्भणों ने
अऩनी ानदानी ऩा ड
ॊ ी (लेद) वलद्मा कक भदद वे असानी ळद्र
ू ों को उऩदे ळ दे ना ळरू
ु कय हदमा, जजववे उनके
भन भें अॊग्रेज वयकाय के प्रनत घण
ृ ा औय नपयत की बालना जाग जाए। रेककन दव
ू यी तयप कुछ ब्राह्भणों ने
वलद्मा प्राप्त की औय उवके भाध्मभ वे ब्राह्भणों के कुछ रोग फाफ,ू क्रकव शुए औय अन्म अन्म वयकायी
वेलाओॊ भें गए। इव तयश वे ब्राह्भण रोग कई प्रकाय का वयकायी काभ अऩना कय वबी प्रकाय की वयकायी
नौकरयमों भें ऩशुॉ े। अॊग्रेजों का वयकायी मा घये रू ऐवा एक बी काभ नशीॊ शै जशाॉ ब्राह्भण न ऩशुॉ े शों।
ऩरयच्छे द : ग्मायह

[ऩयु ाण सन
ु ाना, झगड़ाखोयी का ऩरयणाभ, शद्र
ू , सॊस्थातनक, कुरकणी, सयस्वती की प्राथमना, जऩ,
अनुष्ठान, दे वस्थान, दक्षऺणा, फड़े कुरनाभों की सबाएॉ आहद के सॊफॊध भें]

धोंडीयाल : तात, मश फात ऩूयी तयश वत्म शै कक इन अधभी भदारयमों के (ब्राह्भणों के) झगड़ारू ऩल
ू ज
व ों
ने इव दे ळ भें आ कय शभाये आहद ऩूलज
व ों को (भूर ननलाशवमों को) ऩयाजजत ककमा। कपय उन्शोंने उनको अऩना
गरु ाभ फनामा। कपय उन्शोंने अऩनी फाशुओॊ को प्रजाऩनत फनामा औय उनके भाध्मभ वे उन्शोंने जशाॉ-तशाॉ दशळत
पैराई। इवभें उन्शोंने अऩना कोई फशुत फड़ा ऩरू ु ऴाथव हद ामा शै, इव फात को भैं कदावऩ स्लीकाय नशीॊ कय
वकता। महद शभाये ऩूलज
व ों ने ब्राह्भणों के ऩूलज
व ों को ऩयाजजत ककमा शोता, तफ शभाये ऩूलज
व ब्राह्भणों के ऩूलज
व ों
को अऩना गुराभ फनाने भें क्मा व भु भें कुछ आनाकानी कयते? तात, छोड़ दीजजए इव फात को। फाद भें
कपय जफ ब्राह्भणों ने अऩने उन ऩूलज
व ों की धीॊगाभस्ती को, भौका दे कय ईश्लयी धभव का रूऩ दे हदमा औय
उव नकरी धभव की छामा भें कई ब्राह्भणों ने तभाभ असानी ळद्र
ू ों के हदरो-हदभाग भें शभायी दमार,ु अॊग्रेज
वयकाय के प्रनत ऩूयी तयश वे नपयत ऩैदा कयने की कोशळळ की, भतरफ ले कौन वी फातें थीॊ?

जोतीयाल : कई ब्राह्भणों ने वालवजननक स्थानों ऩय फनलाए गए शनुभान भॊहदयों भें यात-यात फैठ कय
फड़ी धाशभवकता का प्रदळवन ककमा। लशाॉ उन्शोंने हद ाले के शरए बागलत जैवे ग्रॊथों की दककमानुवी फातें अनऩन
ळूद्रों को ऩनाई औय उनके हदरो-हदभाग भें अॊग्रेजों के प्रनत नपयत की, घण
ृ ा की बालना ऩैदा की। इन ब्राह्भण
ऩॊड़डतों ने उन अनऩन ळूद्रों को भॊहदयों के भाध्मभ वे मशी ऩनामा कक फशर के भतानुमानममों की छामा भें बी
ड़े नशीॊ यशना ाहशए। उनका इव तयश का नपयत बया उऩदे ळ क्मा व भु भें अकायण था? नशीॊ, त्रफरकुर
अकायण नशीॊ था; फजल्क उन ब्राह्भणों ने वभम का ऩूया राब उठा कय उवी ग्रॊथ की फेतक
ु ी फातें ऩना कय वबी
अनऩन ळूद्रों के भन भें अॊग्रेजी याज के प्रनत नपयत की बालना के फीज फो हदए। इव तयश उन्शोंने इव दे ळ भें
फड़ी-फड़ी धीॊगाभस्ती को ऩैदा ककमा शै मा नशीॊ?

धोंडीयाल : शाॉ, तात, आऩका कशना वशी शै। क्मोंकक आज तक जजतनी बी धीॊगाभस्ती शुई शै, उवभें
बीतय वे कशो मा फाशय वे, ब्राह्भण-ऩॊड़डत-ऩुयोहशत लगव के रोग अगल
ु ाई नशीॊ कय यशे थे, ऐवा शो शी नशीॊ
वकता। इव द्रोश का ऩयू ा नेतत्ृ ल ले शी रोग कय यशे थे। दे ख ए, उभा जी याभोळी [23] की धीॊगाभस्ती भें कारे
ऩानी की वजा बोगनेलारे धोंडोऩॊत नाभ के एक (ब्राह्भण) व्मजक्त का नाभ आता शै। उवी प्रकाय कर-ऩयवों के
ऩाती वॊग्राभ भें ऩयदे ळी ब्राह्भण ऩाॊड,े कोंकण का नाना (ऩेळले), तात्मा टोऩे आहद कई दे ळस्थ [24] ब्राह्भणों
के शी नाभ शभरते शैं।

जोतीयाल : रेककन उवी वभम ळूद्र वॊस्थाननक शळॊदे, शोरकय आहद रोग नाना पड़णीव वे कुछ शद
तक वेलक की शैशवमत वे वॊफॊचधत थे। उन्शोंने उव धीॊगाभस्ती कयनेलारों की कुछ बी ऩयलाश नशीॊ की औय
उव भव
ु ीफत भें शभायी अॊग्रेज वयकाय को ककतनी वशामता की, इव फात को बी दे ख ए। रेककन अफ इवे छोड़
दीजजए। इन फातों वे शभायी वयकाय को ब्राह्भणों की उव धीॊगाभस्ती को तशव-नशव कयने की शरए फड़े बायी
कजव का फोझ बी उठाना ऩड़ा शोगा औय उव कजव के फोझ को क
ु ाने के शरए ऩलवती [25] जैवे कपजूर वॊस्थान
की आम को शाथ रगाने की फजाम शभायी वयकाय ने नए कयों का फोझ ककव ऩय डार हदमा? अऩयाधी कौन शैं
औय अऩयाध न कयनेलारे रोग कौन शैं? इवकी ऩश ान ककए फगैय शी वयकाय ने वायी जनता ऩय कय (रगान)
रगा हदमा; ककॊ तु मश इन फे ाये अनऩन ळद्र
ू ों वे लवूर कयने का काभ शभायी इव भू व वयकाय ने ककवके शाथों
भें वौंऩ हदमा, इव फात ऩय बी शभको वो ना ाहशए। ब्राह्भण रोग अॊदय शी अॊदय ळद्र
ू वॊस्थाननकों वे जी-
जान वे इवशरए गारी-गरौज कय यशे थे क्मोंकक उन्शोंने इनकी जानत के नाना पड़णीव को उच त वभम ऩय
भदद नशीॊ की, जजवकी लजश वे उवकी अॊग्रेजों के वाथ रड़ते शुए ऩयाजम शुई। अॊग्रेज वयकाय ने उन रोगों के
शाथ भें कय-लवूरी का काभ वौंऩ हदमा, जो ळद्र
ू वॊस्थाननकों वे जी बय कय गारी-गरौज कयनेलारे थे, हदन भें
तीन फाय स्नान कयके भाॊगल्मता का हढॊढोंया वऩटनेलारे थे, धनरोरऩ
ु औय ब्रह्भननष्ठ ब्राह्भण कुरकणी थे।
अये , इन काभ ोय ग्राभयाषवों को (ब्राह्भण कभव ायी), इन भर
ू ब्रह्भयाषवों को जजव हदन वे वयकायी काभ की
जजम्भेदायी दे दी गई, उव हदन वे उन्शोंने ळद्र
ू ों की कोई ऩयलाश नशीॊ की। ककवी वभम भुवशरभ याजाओॊ ने
गाॉल के वबी ऩळुओॊ ऩक्षषमों की गयदनों को छुयी वे काट कय उनको शरार कयने का शुक्भ अऩनी जानत के
भौरानाओॊ को वौंऩ हदमा था। रेककन उनकी तुरना भें दे ा जाए तो स्ऩष्ट रूऩ वे ऩता र जाएगा कक
ब्राह्भण-ऩॊड़डतों ने अऩने करभ की नोक ऩय ळूद्रों की गयदनें छाॉटने भें उव भौराना को बी कापी ऩीछे धकेर
हदमा शै, इवभें कोई दो याम नशीॊ शै। इवीशरए तभाभ रोगों ने वयकाय की त्रफना ऩयलाश ककए इन ग्राभयषवों
को (ब्राह्भणों) को 'करभ कवाई' की जो उऩाचध दी शै, लश आज बी प्र शरत शै । औय अऩनी भू व वयकाय
उनका अन्म वबी काभगायों की तयश तफादरा कयने की फजाम उनकी याम रे कय असानी रोगों ऩय रगान
(कय) भक
ु यव य कयने की कायण नोहटव तैमाय कयती शै। फाद भें उवी कुरकणी को वबी ळद्र
ू ककवानों के घय-घय
ऩशुॉ ाने के फाद उनवे शभरनेलारे कुरकखणमों की शवपव स्लीकृनत रे कय वयकाय उनभें वे कई नोहटवों को
ारयज कय दे ती औय अनऩन रोगों ऩय रगान फशार कय दे ती शै। अफ इवको कशें बी क्मा?

धोंडीयाल : क्मा, ऐवा कयने वे कुरकखणवमों को कुछ राब बी शोता शोगा?

जोतीयाल : उववे उन कुरकखणवमों को कुछ पामदा शोता शोगा मा नशीॊ, मश ले शी जानते शैं। रेककन
उनको महद ककवी लाहशमात पतरू यमा वे कुछ राब न बी शोता शो, कपय बी ले उन ऩय इव तयश की नोहटव
शबजला कय कभ वे कभ ाय आठ हदन की रूकालट ननजश् त रूऩ वे ऩैदा कयते शोंगे औय आने जाने भें वायी
ळजक्त व कयलाते शोंगे, इवभें कोई वॊदेश नशीॊ। ले उन ऩय अऩना रुतफा जभा कयके काभों की उऩेषा कयते
शोंगे। फाद भें उन्शोंने ळेऴ वबी काभ फगुरा बगत कक तयश ऩूयी आत्भीमता वे ककमा शोगा। इवशरए वबी
अनऩन छोटे -फड़े रोगों औय ळॊकया ामव जैवे रोगों ने रक्ष्भी की स्तनु त की कक 'शे शभायी वयकायी वयस्लती
भैमा, तू अऩने कानन
ू वे योकती शै औय रा ानेलारों को औय उवी तयश रा ाय शो कय रा दे नेलारे को
दॊ ड दे ती शै, इवशरए तू धन्म शै ।' इवशरए कई रोग प्रवन्न शुए औय उन्शोंने कुछ कुरकखणवमों के घयों ऩय कई
हदनों तक रगाताय ऩैवों की फारयळ फयवाई। कुछ रोगों ने इवके ख राप ळोय भ ामा। महद मश फात व शै
तफ उवकी ऩूयी जाॉ -ऩड़तार कयनी ाहशए औय ऐवे शयाभ ोय कुरकखणवमों को ककवी गधे ऩय फैठा कय उनको
गाॉलों के तभाभ यास्तों वे घभ
ु ाने का काभ अऩनी वयकाय का शै।

धोंडीयाल : तात, वनु नए। ब्राह्भणों ने जो टे नी-भेनी शर र ळरू


ु की थी, उवको कुछ फद्
ु चधभान गश
ृ स्थों
ने अफ अच्छी तयश ऩश ान शरमा शै , औय उव फशर याजा (अॊग्रेज वयकाय) को अचधकारयमों को, भुख मा को
इव ारफाजी वे अलगत कयामा गमा। कपय बी वयकाय उन ऩशये दायों की आॉ ों भें धूर झोंक कय ऐवे करभ-
कवाइमों को प्रवन्न कयने भें रगी शुई शै। आज के ब्राह्भणों भें कई रोग ऐवे शैं जो ळद्र
ू ों के श्रभरुऩ रगान
की लजश वे फड़े-फड़े वलद्लान शुए शैं। रेककन ले इव उऩकाय के शरए ळद्रू ों के प्रनत ककवी बी प्रकाय की कृतसता
प्रदशळवत नशीॊ कयते; फजल्क उन्शोंने कुछ हदनों तक भन ाशे भौजभस्ती की शै औय अॊत भें अऩनी भाॊगल्मता का
हद ाला कयके मश बी शवद्ध कयने की कोशळळ की शै कक उनकी लेदभॊत्राहद जादवू लद्मा वशी शै। इव तयश कक
झूठी फातों वे उन्शोंने ळूद्रों के हदरो हदभाग ऩय प्रबाल कामभ ककमा। ळद्र
ू ों को उनका वऩछरग्गू फनना ाहशए,
इवके शरए न जाने ककव-ककव तयश के ऩाॉवे पेंके शोंगे। उन्शोंने ळद्र
ू ों को अऩने वऩछरग्गू फनाने की इच्छा वे
उन्शीॊ के भुॉश वे मश कशरलामा कक ळादालर के शरॊगवऩॊड के आगे मा ऩीछे फैठ कय ककयाए ऩय फुराए गए
ब्राह्भण ऩुयोहशतों के द्लाया जऩ, अनुष्ठान कयलाने की लजश वे इव वार फशुत फारयळ शुई, औय भशभायी का
उऩद्रल बी फशुत कभ शुआ। इव जऩ, अनष्ु ठान के शरए आऩव भें रूऩमा ऩैवा बी इकट्ठा ककमा था। इव तयश
उन्शोंने जऩ, अनुष्ठान के आख यी हदन फैरफॊडी ऩय बात का फरी याजा फनला कय वबी प्रकाय के असानी
रोगों को फड़ी-फड़ी, रॊफी ौड़ी झूठी फयें हदरला कय, फड़ी मात्राओॊ का आमोजन कयलामा। कपय उन्शोंने वफवे
ऩशरे अऩनी जानत के इल्रत ोय ब्राह्भण ऩुयोहशतों को फेहशवाफ बोजन ख रामा औय फाद भें जो बोजन ळेऴ
फ ा उवको वबी प्रकाय के असानी ळद्र
ू ों की ऩॊजक्तमाॉ त्रफठा कय ककवी को केलर भुट्ठी बय बात, ककवी को
केलर दार का ऩानी, औय कइमों को केलर पाल्गन
ु की योहटमाॉ शी ऩयोवी गईं। ब्राह्भणों को बोजन वे तप्ृ त
कयाने के फाद उनभें वे कई ब्राह्भण ऩुयोहशतों ने उन असानी ळद्र
ू ों के हदरो हदभाग ऩय अऩने लेदभॊत्र जाद ू का
प्रबाल कामभ य ने के शरए उऩदे ळ दे ना ळरू
ु ककमा शो, तो इवभें कोई वॊदेश नशीॊ। रेककन ले रोग ऐवे भौके
ऩय अॊग्रेज रोगों को प्रवाद रेने के शरए आभॊत्रत्रत क्मों नशीॊ कयते?

जोतीयाल : अये , ऐवे ऩा ड


ॊ ी रोगों ने इव तयश ालर के ाय दाने पेंक हदए औय थ-ू थू कयके इकठ्ठे
ककए शुए ब्राह्भण-ऩुयोहशतों ने महद शय तयश का रूद्र नत्ृ म कयके बों बों ककमा, तफ उन्शें अऩने अॊग्रेज फशादयु ों
को प्रवाद दे ने की हशम्भत शोगी?

धोंडीयाल : तात, फव यशने दीजजए। इववे ज्मादा औय कुछ कशने की आलश्मकता नशीॊ शै । एक कशालत
शै कक 'दध
ू का जरा छाॉछ बी पूॉक-पूॉक कय ऩीता शै।' उवी तयश इव फात को बी वभझ रीजजए।

जोतीयाल : ठीक शै। वभझ अऩनी-अऩनी, मार अऩना-अऩना। रेककन आजकर के ऩने शर े ब्राह्भण
अऩनी जादभ
ू ॊत्र वलद्मा औय उववे वॊफचधत जऩ अनुष्ठान का ककतना बी प्र ाय क्मों न कयें , उव भटभैरे को
करई नाने का ककतना बी प्रमाव क्मों न कयें औय तभाभ गरी कू ों भें वे बोंकते शुए क्मों न कपयते यशें .
रेककन अफ उनवे ककवी का कुछ बी कभ ज्मादा शोनेलारा नशीॊ शै। रेककन अऩने भाशरक के ानदान को
वाताया के ककरे भें कैद कयके य नेलारे नभकशयाभ फाजीयाल(ऩेळले) जैवे हशजड़े ब्राह्भणों ने यात औय हदन
ेती भें काभ कयनेलारे ळद्र
ू ों की भेशनत का ऩैवा रे कय भुॉशदे ी ऩशरे दजें के जलाॊभदव ब्राह्भण वयदायों को
वयॊ जाभ फनामा। उन जैवे रोगों को हदए शुए अचधकायऩत्र (वनद) के कायणों को दे कय पस्टव वॉटव टयक्काॊड
वाशफ जैवे ऩवलत्र नेक कशभळनय को बी ळ ु ी शोगी, कपय लशाॉ दव
ू ये रोगों के फाये भें कशना शी क्मा? उन्शोंने
ऩालवती जैवे कई वॊस्थानों का ननभावण कयके, उन वॊस्थानों भें अन्म वबी जानतमों के अॊधे, दफ
ु र
व रोगों तथा
उनके फार-फच् ों की त्रफना ऩयलाश ककए, उन्शोंने (ब्राह्भणों) अऩनी जानत के भोटे -ताजे आरवी ब्राह्भणों को शय
हदन का भीठा अच्छा बोजन ख राने की ऩॊयऩया ळुरू की। उवी प्रकाय ब्राह्भणों के स्लाथी नकरी ग्रॊथों का
अध्ममन कयनेलारे ब्राह्भणों को शय वार मथामोग्म दक्षषणा दे ने की बी ऩॊयऩया ळरू
ु कय दी। रेककन ेद इव
फात का शै कक ब्राह्भणों ने जो ऩॊयऩयाएॉ ळुरू की शैं, केलर अऩनी जानत के स्लाथव के शरए। उन वबी ऩॊयऩयाओॊ
को अऩनी (अॊग्रेज) वयकाय ने जव के तव अबी तक कामभ य ा शै । इवभें शभको मश कशने भें क्मा कोई
आऩवत्त शो वकती शै कक उवने अऩनी प्रौनता औय याजनीनत को फड़ा धब्फा रगा शरमा शै ? उक्त प्रकाय के
कपजर
ू व वे ब्राह्भणों के अराला अन्म ककवी बी जानत को कुछ बी पामदा नशीॊ शैं; फजल्क उनके फाये भें
मश कशा जा वकता शै कक ले शयाभ का ा कय भस्ताए शुए कृतघ्न वाॉड़ शैं। औय मे रोग शभाये अनऩन ळद्र ू
दाताओॊ को अऩने ुड़र
ै धभव के गॊदे ऩानी वे अऩने ऩाॉल धो कय लशी ऩानी वऩराते शैं। अये , कभवननष्ठ ब्राह्भणों
के ऩूलज
व ों ने अऩने शी धभवळास्त्रों औय भनुस्भनृ त के कई लाक्मों को काजर ऩोत कय ऐवे फुये कभव कभव कैवे
ककए? रेककन अफ तो उन्शें शोळ भें आना ाहशए औय इव काभ के शरए अऩनी बोरी-बारी वयकाय कुछ न
वनु ते शुए ऩालवती जैवे वॊस्थानों भें इन स्लाथी ब्राह्भणों भें वे ककवी को बी ळद्र
ू ों के ऩवीने वे ऩकनेलारी
योहटमाॉ नशीॊ ानी ाहशए। इवके शरए एक जफदव स्त वालवजननक ब्राह्भण वबा की स्थाऩना कयके उनकी
वशामता वे इव ऩय ननमॊत्रण य ना ाहशए; जजववे उनके ग्रॊथों का कुछ न कुछ दफाल ऩुनवलवलाश उत्तेजक भॊडरी
ऩय ऩड़ेगा, मशी शभायी बालना थी। ककॊ तु उन्शोंने इव तयश की फड़े-फड़े उऩनाभों की वबाएॉ स्थावऩत कयके उनके
भाध्मभ वे अऩनी आॉ ों का भोनतमात्रफॊद ठीक कयना तो छोड़ हदमा औय असानी रोगों को वयकाय की आॉ ों
के दोऴ हद ाने की कोशळळ भें रगे यशे । मश शुई न फात कक 'उरटा ोय कोतलार को डाॉटे' इवको अफ क्मा
कश वकते शैं! अफ शभाये असानी वबी ळद्र ू ों की उव फरी याजा के वाथ गशयी दोस्ती शोनी ाहशए, इवका
प्रमाव कयना ाहशए औय उव फरी याजा के वशाये वे शी इनकी गर
ु ाभी की जॊजीयें टूटनी ाहशए। ब्राह्भणों की
गुराभी वे ळद्र
ू ों को भजु क्त कयने के शरए अभेरयकी स्कॉ औय अॊग्रेज बाइमों के वाथ जो दोस्ती शोने जा यशी
शै , उवभें उन्शें कुछ द रॊदाजी कयने की कोशळळ नशीॊ कयनी ाहशए। अफ उनकी दौड़धूऩ फशुत शो गई शै। अफ
शभ उनकी गुराभी का ननऴेध कयते शैं।
ऩरयच्छे द : फायह

[इनाभदाय ब्राह्भण कुरकणी, मयू ोवऩमन रोगों ने उऩतनवेशों की आवश्मकता, सशऺा ववबाग के भॉह
ु ऩय
कारा धब्फा, मूयोवऩमन कभमचारयमों का हदभाग कॊु ठाग्रस्त क्मों होता है, आहद के सॊफध
ॊ भें]

धोंडीयाल : तात, रेककन आऩने ऩशरे कशा था कक ऐवा कोई वलबाग नशीॊ शै जजवभें ब्राह्भण न शो,
कपय ाशे लश वयकायी वलबाग शो मा गैयवयकायी औय इन वफभें भखु मा ब्राह्भण कौन शै?

जोतीयाल : मे वयकायी ऩटलायी (लतनदाय) ब्राह्भण कुरकणी[26] शैं औय इनकी जारवाजी के फाये भें
अचधकाॊळ दमारु मयू ोवऩमन करेक्टयों को ऩयू ी जानकायी शै । इवशरए जफ उवको असानी ळद्र
ू ों ऩय दमा आई तो
उन्शोंने वयकाय को रयऩोटव के फाद रयऩोटव बेज कयके वबी कानन
ू ों के द्लाया कुरकखणवमों के कदभ-कदभ ऩय
फॊधनों भें फाॉधने की कोशळळ की। उनको कानूनों के भाध्मभ वे ननमॊत्रत्रत य कय उनके अननमॊत्रत्रत व्मलशाय को
ननमॊत्रत्रत ककमा गमा। कपय बी इन करभ-कवाइमों का उनके भतरफी धभव वे ळद्र
ू ों के वॊफध
ॊ शोने की लजश वे
ळूद्रों ऩय प्रबाल था। इवशरए मे ळैतान की तयश अऩने स्लाथी झूठे धभव की छत्रछामा भें र
ु े रूऩ भें ौऩार भें
फैठ कय उव फशर याजा के वल ायों की आरो ना कयके फे ायें अनऩन ळद्र
ू ों के भन को क्मा ले रोग दवू ऴत नशीॊ
कयते शोंगे? अगय ऐवा ना कशें , तो ळद्र
ू ों को तो त्रफरकुर शी न शर ना आता शै औय न ऩनना, कपय ले ककव
लजश वे मा ककव कायण वयकाय वे इतनी नपयत कयने रगे शैं ? इववे फाये भें महद तुम्शें कुछ अन्म कायण
भारूभ शो तो भझ
ु े जया वभझ दो। इतना शी नशीॊ, तो ले रोग भौका दे कय उवी ौऩार भें ( ालड़ी) फैठ
कयके ककवी गैयलाजफी वयकायी कानन
ू को रे कय उव ऩय कई तयश के ऩैने कुतकव नशीॊ दे ते शोंगे? औय ळूद्रों
को वयकाय वे नपयत कयनी ाहशए, इवशरए उनको क्मा ोयी- ोयी ऩाठ नशीॊ ऩनाते शोंगे? औय उनका एक
ळब्द बी अऩनी वजग वयकाय के कान भें डार दे ने के शरए ळद्र
ू रोग क्मा कॉऩकॉऩाते[27] नशीॊ शोंगे? ॉकू क
वबी ऊऩयी दप्तयों के कभव ायी ब्राह्भण जानत के शैं, इवशरए अफ तो अऩनी वयकाय को वॉबारना ाहशए।
वफवे ऩशरे शय एक गाॉल भें इनाभ दे कय, उन्शें उऩदे ळकों का काभ वौंऩ दे ना ाहशए, वाथ भें मश हशदामत बी
कक ले उव उव गाॉल की शकीकत के फाये भें कयीफ-कयीफ वार भें एक रयऩोटव वयकाय को बेजते यशें । महद इवके
अनक
ु ू र कानन
ू फनला कय फॊदोफस्त ककमा गमा, तफ आगे ककवी वभम नाना ऩेळले जैवे ब्राह्भण को ऩन
ु : जफ
ककवी ऩीय ने शभन्नत भाॉगी मा उवने ककवी शळलशरॊग कक मात्रा कयके उवके द्लाया यवीरा बोजन ख राने की
फजाम भत्कारयक ढॊ ग वे तैमाय की गई योहटमाॉ ननजश् त वभम ऩय गाॉल-गाॉल भें एक वाथ ऩशुॉ ा कय, लश
प्रवाद अनऩन ळूद्रों को ख रा कय वयकाय के वलरुद्ध वलद्रोश कयलाने की फात वूझी तो इन ऩटलायी (लतनदाय)
कुरकखणवमों की एकता त्रफरकुर ककवी काभ नशीॊ आएगी। इव तयश ककए फगैय वबी अनऩन ळूद्रों का अजस्तत्ल
शी नशीॊ यशे गा, उनके ऩाॉल उव धयती ऩय नशीॊ हटके यशें गे। इतना शी नशीॊ, जफ ले मयू ोवऩमन उऩदे ळक वबी ळद्र
ू ों
को वशी सान दें गे औय इनकी आॉ े ोर दें गे, तफ मे रोग इन ग्राभयाषवों के नजदीक बी ड़े नशीॊ यशें गे।
दव
ू यी फात मश शै कक वयकाय को अऩने ग्राभ कभव ायी (नौकय), ऩटे र ( ौधयी) वे रे कय कुरकखणवमों तक के
काभ की ऩयीषा रेनी ाहशए औय इव तयश के भशत्लऩण
ू व काभों को एक शी जानत मा वलशळष्ट जानत के रोगों
के शाथ नशीॊ वौंऩना ाहशए। इवका ऩरयणाभ मश शोगा कक पौज की तयश इव काभ भें कुछ वलळेऴ अचधकाय
की फात ऩैदा नशीॊ शोगी; फजल्क उवका ऩूयी तयश वे फॊदोफस्त शो जाएगा औय वबी रोगों को ऩनने-शर ने की
इच्छा अऩने-आऩ ऩैदा शोगी। महद आलश्मकता शो तो वायी शभायी दमारु वयकाय को ाहशए कक शळषा वलबाग
का कपजर
ू व एकदभ फॊद कय दे औय मश वाया ऩैवा करेक्टय के ाते भें जभा कय दे ना ाहशए। कपय एक
मूयोवऩमन करेक्टय की ओय वे, जॉयवलव वाशफ की तयश ककवी बी प्रकाय का ऩषऩात न कयते शुए, वबी जानत
के शोशळमाय छात्रों भें वे कुछ छात्रों का ुनाल कयके, उनको केलर रू ा-वू ा ाना औय छोटे -भोटे कऩड़ों की
व्मलस्था कयके, उनके शरए शय करेक्टय वाशफ के फॊगरे के कयीफ ऩाठळारा ारानी ाहशए औय उन छात्रों को
ऩटे र, कुरकणी तथा ऩॊतोजी' (ऩटलायी, ऩुशरव, ऩटे र, ग्राभवेलक आहद) के नाभ की रे ननॊग दे कय, कपय ऩयीषा
रे कय, इव तयश के काभ वौंऩ दे ने ाहशए। इवका ऩरयणाभ मश शोगा कक मे रोग वबी (ब्राह्भण) कुरकखणवमों
की एकता के शरए फदनाभ नाना ऩेळले जैवे ब्राह्भणों के काभ नशीॊ आएॉगे, फजल्क जो रोग असानी ळद्र
ू ों को
पॉवा कयके उनके ेत (लतन) शड़ऩते शोंगे औय उन रोगों वे शय तयश के झगड़े पवाद कयलाते शोंगे, उनको
लैवा कयने के शरए लक्त शी नशीॊ शभरेगा। आज तक रा ों रुऩमा शळषा वलबाग के भाध्मभ वे व शुआ शै ,
कपय बी उववे ळद्र
ू वभाज की वॊख्मा की तुरना भें उनभें वलद्लानों की वॊख्मा नशीॊ फन वकी। इतना शी नशीॊ,
भशाय, भातॊग औय भाय आहद जानतमों भें वे एक बी ऩना शर ा कभव ायी नशीॊ हद ाई दे यशा शै। कपय मशाॉ
एभ.ए. मा फी.ए. ऩने शर े रोग दला के शरए बी नशीॊ शभरेंगे। अये -ये ! अऩनी इव वयकाय के इतने वलळार
शळषा वलबाग के गोये ेशये ऩय इन कारे भुॉशलारे ब्राह्भण ऩॊड़डतों ने मश ककतना फड़ा कारा दाग रगामा शै?
अये , मश कड़ले कये रे शभायी वयकाय ने इतने घी भें तर कय, ळक्कय भें घोर कय ऩकाए, कपय बी उन्शोंने
अऩने जानत, स्लबाल छोड़ा नशीॊ औय अॊत भें ले कड़ले कये रे की तयश कड़ले शी यशे ।

धोंडीयाल : तात, आऩका कशना वशी शै। रेककन मे कुरकणी अनऩन ळूद्रों की बशू भ (लतन) को ककव
प्रकाय का पाॉवा डार कय शड़ऩते शोंगे?

जोतीयाल : जजन ळूद्रों को ऩनना शर ना त्रफरकुर शी नशीॊ आता, ऐवे अनऩन ळद्र
ू ों को मे कुरकणी
ोजते यशते शैं औय कपय स्लमॊ उनके वाशूकाय शो कय ले उनवे जफ चगयली ाता शर ला रेते शैं, उव वभम ले
अऩनी जानत के अजवनलीव वे भेर-शभराऩ कयके उनभें एक तयश की ळतें शर ला रेते शै जो उन ळद्र ू ककवानों
के ख राप शों औय इव कुरकणी वाशूकाय के पामदे की शों। कपय जो ळतें शर ी जाती शैं, उनको न ऩनने शुए
गरती-वरती फातें ऩन कय वुनाई जाती शैं। कपय उव कागज ऩय उनके शाथ के अगूॊठे के ननळान रगा कय
अऩना लशी ाता ऩूया कय रेते शैं। कपय कुछ हदनों के फाद जारवाजी वे उन ळूद्रों की जभीन-जामजाद शर ी
गई ळतों के अनुवाय शड़ऩते शोंगे कक नशीॊ?

धोंडीयाल : तात, आऩका कशना त्रफरकुर वशी शै । मे रोग जानत वे शी करभ-कवाई शैं। रेककन मे
रोग अनऩन ळद्र
ू ों भें ककव प्रकाय के झगड़े ऩैदा कयते शोंगे?

जोतीयाल : ेती-फाड़ी, जभीन-जामदाद आहद के वॊफॊध भें, वन-त्मोशाय, ऩोरा आहद भें औय शोरी के
हदन शोरी के फाॉव को ऩशरे ऩूयी आहद कौन फाॉधेगा, इव वॊफॊध भें ळूद्रों के आऩव भें जो झगड़े-पवाद शोते शैं,
इनभें ब्राह्भण कुरकखणवमों का शाथ नशीॊ शोता शैं, ले रोग इन झगड़े-पवादों को कयलाने भें जजम्भेदाय नशीॊ शोते,
इव तयश के कुछ उदाशयण तुभ लास्तल भें हद ा ऩाओगे?

धोंडीयाल : तात, आऩकी फात वे भैं इनकाय नशीॊ कय वकता, रेककन ळद्र
ू ों के आऩव भें इव तयश के
झगड़े-पवाद कयलाने भें इन ब्राह्भण कुरकणी आहद करभ-कवाइमों को क्मा शभरता शोगा?
जोतीयाल : अये , जफ कई घयॊ दाज अनऩन ळद्र
ू ों के घयाने भन-शी-भन द्लेऴ की अजग्न भें जर कय
आऩव भें एक दव
ू ये वे रड़ते शोंगे, तफ अॊदय शी अॊदय वे इन करभ-कवाइमों वहशत अन्म ब्राह्भणों कभव ारयमों
के घय इव आग भें तऩते-तऩते जर कय क्मा नष्ट नशीॊ शुए शोंगे? अये , इन करभ-कवाइमों के नायदळाशी की
लजश वे स्थानीम (भल्
ु की) पौजदायी औय हदलाणी वलबाग ( ाता) का व फेशद फन गमा शै औय लशाॉ के
अचधकाॊळ कभव ायी, भाभरेदाय वे रे कय ग्राभवेलक तक, वबी अऩने 'तत्ववलतुलयव े ण्मभ ् बगो दे लस्म धीभाहश
चधमो मो न: प्र ोदमात' इव अवरी गामॊत्री भॊत्र वे फेईभानी कयते शैं। इवके वॊफॊध भें 'च यी शभयी दे ल, च यी
शभयी दे ल' इव मलनी (वलदे ळी) गामत्री का उऩदे ळ उन ऩवलत्र ऩुयोहशतों के अऩनाने की लजश वे ब्राह्भण लकीरों
की दरारी कापी फन गमी शै । कपय मश फताओ कक कक ले फड़ी-फड़ी कोटव -क शरयमों भें फैठ कय जोय-जोय वे
शॉवी के पव्लाये छोड़ते शुए घूभते शै कक नशीॊ? इवके अराला भशुॊ वप नलाफ के वयॊ जाभ ककतने फड़े शैं, इवका
हशवाफ दो। इतना फॊदोफस्त शोने के फालजद ू बी गयीफ रोगों को न्माम वस्ता औय आवानी वे शभरता बी मा
नशीॊ? इवी लजश वे गाॉल- ेड़ों के वबी रोगों को शभरा कय एक कशालत प्रशवद्ध शुई शै । लश कशालत मश शै
कक 'वयकायी वलबागों वे अऩना काभ कयलाना शो तो काभ कयनेलारे ब्राह्भणों कभव ारयमों के शाथ भें अभक
ु -
तभक
ु हदए फगैय ले शभ जैवे गयीफों के काभ शाथ शी नशीॊ रगाते। उनकी झोरी भें डारने के शरए घय वे कुछ
न कुछ वाथ भें रे रो, तफ कशीॊ काभ के शरए फाशय ननकरो।'

धोंडीयाल : तात, महद ऐवा शी शोता शो, तफ तो गाॉल- ेड़ों के तभाभ ळद्र
ू रोगों को मूयोवऩमन करेक्टयों
वे अकेरे भें शभर कय उनको अऩनी शळकामतें क्मों नशीॊ फतानी ाहशए?

जोतीयाल : अये , जजनको फेय की गाॊड़ ककधय शोती शै , मश भारूभ नशीॊ, ऐवे डयऩोक ख रौनों को ऐवे
भशान कभव ारयमों के वाभने ड़े शोने की हशम्भत कैवे शोगी? औय मे रोग अऩनी शळकामत वशी ढॊ ग वे उनके
वाभने क्मा फता ऩाएॉगे? ऐवी शारत भें ककवी रॉ गोट फशादयु ने फड़ी हशम्भत वे, ककवी फट
ु रेय की भदद वे,
मयू ोवऩमन करेक्टय वे अकेरे भें शभर कय औय उनके वाभने ड़े शो कय मश कशे कक 'ब्राह्भण कभव ारयमों के
वाभने शभायी कोई वन
ु लाई नशीॊ शोतीॊ', तफ इतने ाय ळब्द कशने की इन करभ-कवाइमों को बनक बी रग
गई तो वभझ रो, शो गमा इवका काभ तभाभ। कपय उव अबागे आदभी के नवीफ शी पूट गए, वभझ रेना
ाहशए, क्मोंकक ले रोग करेक्टय, क शयी के अऩनी जानत के ब्राह्भण कभव ायी (फाफ)ू वे रे कय ये व्शे न्मू के मा
जज के ब्राह्भण कभव ायी तक वबी के वबी अॊदय शी अॊदय उव मलनी गामत्री की लयदी घुभा दे ते शैं, कपय
आधे करभ-कवाई तयु ॊ त शय तयश के दस्तालेजों के वाथ ऩयु ाले रे कय लादी के (वाषीदाय) गलाशदाय फन जाते
शैं। मे रोग उनके झगड़े भें इतनी उरझन ऩैदा कय दे ते शैं कक उवभें वत्म क्मा शै , मश ऩश ान ऩाना बी
भुजश्कर शो जाता शै । इव वत्म-अवत्म को ोज ननकारने के शरए फड़े-फड़े वलद्लान मूयोवऩमन करेक्टय औय
जज रोग अऩनी वायी अक्र व कय दे ते शैं, कपय बी उनको नछऩे शुए यशस्म का कुछ बी ऩता नशीॊ रता,
औय न शी कुछ शाथ रगता शै ; फजल्क ले उव शळकामत कयनेलारे रॉ गोटीधायी को मश कशने भें रज्जा का
अनब
ु ल नशीॊ कयते कक 'तू शी फड़ा ळयायती शै'। औय अॊत भें उवके शाथ भें नारयमर कक ारी टोकयी दे कय
उवको पजीशत शोने के शरए घय ऩय बेज दे ते शोंगे कक नशीॊ? अॊत भें ब्राह्भण कभव ारयमों की इवी प्रकाय की
प्रलवृ त्त की लजश वे कई गयीफ ककवान ळद्र
ू ों के भन भें मश फात आती शोगी कक मशाॉ शभाये ककवी शळकामत ऩय
कोई वुनलाई नशीॊ शै। इनभें वे कई रोगों ने डाकू औय रट
ु े यों का जीलन अऩनामा शोगा औय अऩनी शी जान को
तफाश ककमा शोगा कक नशीॊ? इनभें वे कइमों के हदरो हदभाग भें अवॊतोऴ की बालना बड़क उठी शोगी औय कपय
ले ऩागरऩन के शळकाय फन गए शोंगे कक नशीॊ? औय इनभें वे कइमों ने अऩनी दानी-भूॉछे फनाई शोंगी औय
अधऩगरे शो कय यास्ते भें जो बी कोई शभर जाए उवको अऩनी शळकामत वुनाते कशते कपयते शोंगे कक नशीॊ?
ऩरयच्छे द : तेयह

[तहसीरदाय, करेक्टय, ये व्हे न्म,ू जज औय इॊजीतनमरयॊग ववबाग के ब्राह्भण कभमचायी आहद के सॊफध
ॊ भें]

धोंडीयाल : तात, इवका भतरफ मश शुआ कक ब्राह्भण रोग भाभरेदाय आहद शोने की लजश वे अनऩन,
असानी ळद्र
ू ों को नुकवान ऩशुॉ ाते शैं?

जोतीयाल : आज तक जो बी ब्राह्भण भाभरेदाय शुए शैं, उनभें वे कई भाभरेदाय अऩने फयु े कयतत
ू ों की
लजश वे वयकाय की नजय भें अऩयाधी शवद्ध शुए शैं औय वजा ऩाने के कात्रफर शुए शैं। ले ब्राह्भण भाभरेदाय
काभ कयते वभम इतनी दष्ु टता वे फतावल कयते थे औय गयीफ रोगों ऩय इतना अभानली जल्
ु भ ढाते थे कक उन
दास्तानों का एक ग्रॊथ शर ा जा वकता शै । अये , इव ऩूना जैवे ळशय भें ब्राह्भण भाभरेदाय कुरकणी वे शर ला
कय राई शुई रामकी हद ाए फगैय फड़े-फड़े वाशूकायों की बी जभानत स्लीकाय नशीॊ कयते। कपय रोग रामकी का
प्रभाणऩत्र दे ते वभम क्कय राते शोंगे कक नशीॊ? उवी प्रकाय इव ळशय की म्मनु नशवऩाशरटी ककवी भकान
भाशरक को उवके ऩुयाने भकान की जगश ऩय नमा भकान फनाने की तफ तक अनुभनत नशीॊ दे ती जफ तक
ब्राह्भण भाभरेदाय द्लाया उव नगय के कुरकणी का अशबप्राम वभझ नशीॊ शरमा जाता। अये , उव कुरकणी वे
ऩाव उव नगय का नक्ळा शोने के फालजद
ू नई यीदी कयनेलारों के नाभ शभरा कयके शय वार उवकी एक
नकर भाभरेदाय के दप्तय भें शर ला कय य ने का कोई रयलाज शी नशीॊ शै औय न कोई कायण बी। कपय उव
जगश के वॊफध
ॊ भें कुरकणी का अशबप्राम आलश्मक औय व शै, मश कैवे भानना ाहशए? इन तभाभ फातों वे
इव तयश की ळॊका ऩैदा शोती शै कक ब्राह्भण भाभरेदायों ने अऩनी जानत के करभ-कवाइमों का हशत वाधने के
शरए इव व्मलस्था को फयकयाय य ा शोगा। इववे तभ
ु शी वो कयके दे ो कक जशाॉ मयू ोवऩमन रोगों की
फजस्तमों के कयीफ ऩन
ू ा जैवे ळशय भें ब्राह्भण भाभरेदाय इव प्रकाय की फेऩयलाशी वे अऩनी जानत के करभ-
कवाइमों की योटी ऩकाते शैं, तफ गाॉल- ेड़ों भें उनका जफदव स्त जल्
ु भ यशता शोगा? महद इव फात को शभ रोग
व न भाने तफ मे जो अचधकाॊळ दे शातों के असानी, अनऩन ळद्र
ू ों के वभूश अऩने फगर भें अऩने कऩड़े-रत्ते
दफा कय ब्राह्भण कभव ारयमों के नाभ वे च ल्राते शुए घभ
ू ते हद ाई दे ते शैं, क्मा मश वफ झूठ शै? इन्शीॊ रोगों
भें वे कुछ रोग कशते शैं कक 'ब्राह्भण कुरकणी की लजश वे शी ब्राह्भण भाभरेदायों ने भेया अजव वभम ऩय
स्लीकाय नशीॊ ककमा। इवीशरए प्रनतलादी ने भेये ऩष के वबी गलाश फदर हदए औय भेयी शी जभानत कयलाई
गई।' कुछ रोग कशते शैं कक 'ब्राह्भण भाभरेदाय ने भेयी अजी रे री औय कुछ वभम के शरए उवने भेयी अजी
दव
ू ये हदन रे कय भेये र यशे काभ वे भुझे उजाड़ हदमा। औय इव तयश उवने भझ
ु े शब ायी फना हदमा।' कोई
कशता शै कक 'ब्राह्भण भाभरेदाय ने, भैं जैवा फोर यशा था, उव प्रकाय वे शर ा शी नशीॊ औय फाद भें उवी
जफानी वे भेये वाये झगड़े को इव तयश ाना याफ कय हदमा कक अफ भैं ऩागर शोने की जस्थनत भें ऩशुॉ
गमा शूॉ।' कोई कशता शै कक 'भेये प्रनतलादी ने ब्राह्भण भाभरेदाय की वराश ऩय भेये अच्छी तयश र यशे काभ
को फॊद कयला हदमा औय उवके भेये ेत भें अऩना शर जोतने का काभ ळरु
ु कयते शी भैं केलर उवके शाथ भें
अऩनी अजी दे दी औय तुयॊत ाय-ऩाॉ कदभ ऩीछे शट गमा। भैं उवके वाभने अऩने दोनों शाथ जोड़ कय फड़े शी
दीन वु ी बाल भें काॉऩते शुए ड़ा यशा। कपय कुछ शी दे य भें उव दष्ु ट ने भेयी ओय ऊऩय-नी े दे कय झट वे
उव अजी को भेयी ओय पेंक हदमा मश कायण हद ा कय कक भैंने कोटव का अऩभान ककमा शै , उवने भुझे शी
दॊ ड़डत ककमा। रेककन उव दॊ ड याशळ को दे ने की भेयी षभता नशीॊ शोने की लजश वे भझ
ु े कुछ हदन के शरए जेर
भें फॊद यशना ऩड़ा। इधय प्रनतलादी ने फोने के शरए तैमाय ककए शुए भेये ेत भें अऩना अनाज फो हदमा औय उव
ेत को अऩने अचधकाय भें रे शरमा, जजवकी लजश वे भैंने फाद भें करेक्टय वाशफ को दो तीन अजजवमाॉ दीॊ
औय उनको शय फात वे वूच त ककमा, रेककन वबी अजजवमाॉ लशाॉ के ब्राह्भण क्रकव ने कशाॉ दफा कयके य दी
कक कुछ ऩता शी नशीॊ र यशा शै। अफ इवका क्मा ककमा जा वकता शै?' कोई कशता शै कक 'ब्राह्भण क्रकव ने
भेयी अजी करेक्टय को ऩन कय हद ाते वभम लशाॉ की भुख्म फातों को शटा कयके, ब्राह्भण भाभरेदाय द्लाया दी
गई अजी ननकार कय लशाॉ जव का तव य ला हदमा।' कोई कशता शै कक 'भेयी अजी के आधाय ऩय करेक्टय ने
भौख क रुऩ भें जो फातें शर ने के शरए उव ब्राह्भण क्रकव को कशा था, उवने करेक्टय के फताए आदे ळ के
वलरुद्ध आडवय शर ा। रेककन उव आडवय को करेक्टय के वाभने ऩनते वभम उवने करेक्टय के फताए अनुवाय
शी फयाफय ऩन कय वन
ु ा हदमा औय कपय उव ननकारऩत्र ऩय उवके शस्ताषय रे कय, लश ननकारऩत्र जफ भझ
ु े
भाभरेदाय के द्फाया प्राप्त शुआ, तफ उव ऩत्र को दे कय भैं अऩने भाथे को ऩीटता शी यश गमा औय भैंने भन-
शी-भन भें कशा कक शे ब्राह्भण कभव ायी,तुभ रोग अऩना रक्ष्म ऩूया ककए फगैय ऩ ु नशीॊ यश वकते।' कोई
कशता शै कक 'जफ भेयी करेक्टय वाशफ के ऩाव कुछ बी वुनलाई नशीॊ शुई, तफ भैंने ये व्शे न्मू वाशफ को दो-तीन
अजजवमाॉ बेज दीॊ। रेककन भेयी ले वबी अजजवमाॉ लशाॉ के ब्राह्भण क्रकव रोगों ने कोशळळ कयके कपय उव वाशफ
कक ओय वे ऩन
ु : करेक्टय के शी अशबप्राम के शरए रौटा दीॊ। फाद भें करेक्टय के ब्राह्भण कभव ारयमों ने भेयी
वबी कागजात घुभा-कपया कय करेक्टय वाशफ को ऩन कय वन
ु ा हदए औय मश कश कय कक भैं फड़ा
शळकामत ोय आदभी शूॉ, उन्शोंने भेयी अजी के वऩछरे ऩन्ने ऩय उव करेक्टय वे अशबप्राम शर ला कय ये व्शे न्मू
वाशफ को गरत जानकायी दी। अफ तुभ शी फताओ, ऐवे कयनेलारों के वाथ क्मा कयना ाहशए?' कोई कशता शै
कक 'भेया केव ळुरु शोते शी, अटव नी द्लाया फी भें शी भुॉश भायने की लजश वे जज वाशफ कशने रगे, ' ुऩ यशो
फी भें भत फोरो'। फाद भें उन्शोंने स्लमॊ शी भेये वबी कागजात ऩन शरए। रेककन कागजातों को लश फे ाये
क्मा कयें गे? क्मोंकक ऩशरे कक करेक्टय क शयी के वबी ब्राह्भण कभव ारयमों ने कुरकखणवमों की वू ना के
अनव
ु ाय भेये ऩयू े केव का स्लरुऩ शी फदर हदमा था।' कोई कशता शै कक 'आज तक वबी ब्राह्भण कभव ारयमों के
दे लऩूजा के कभये के भॊत्रोच् ायों के अनुवाय उनके घय बयते-बयते शभाये घय उजड़ गए, शभ फफावद शो गए।
शभाये ेत नीराभ ककए गए। शभायी जभीन-जामजाद री गई। शभाया अनाज गमा, शभाया अनाज वे बया
फायदाना रट
ू गमा। शभाये घय की शय ीज रट
ू री गई औय शभाये फीली-फच् ों के फदन ऩय वोने का पुटा बी
नशीॊ फ ा। अॊत भें शभ वफ रोग बू औय प्माव वे भयने रगे। तफ भेये छोटे बाइमों ने शभट्टी-गाड़े का काभ
ोजा औय शभ वबी वड़क के काभ ऩय जा कय शाजजयी दे ते थे। फाद भें ककवी घहटमा भयाठी अ फाय भें
अॊग्रेज वयकाय मा उवके धभव की महद आरो ना, नुक्ता ीनी की गई शो, तो उवका भतरफ जाते-जाते शभ
असानी, अनऩन ळद्र
ू भजदयू ों को वभझामा कयते औय फाद भें अऩने घय रौट जाते थे। औय वयकाय बी ऐवे
घहटमा रोगों कक भेशनत कयनेलारे भजदयू ों वे बी ज्मादा, डफर तनख्माश दे ती शै , कपय बी भजदयू ने तनख्माश
(भजदयू ी) रेने के फाद उव ब्राह्भण कभव ायी के शाथ ऩय कुछ रुऩमा-ऩैवा य हदमा, तफ तो कोई फात नशीॊ,
महद उवने उवके शाथ ऩय कुछ बी रुऩमा ऩैवा न छोड़ा तो उवकी यै नशीॊ। लश ब्राह्भण कभव ायी दव
ू ये हदन
वे शी अऩने वे फड़े वाशफ को उव भजदयू के फाये भें गरत-वरत फातें फता कयके उव भजदयू के नाॉगे रगाए
जाते शैं। इतना शी नशीॊ, कोई ब्राह्भण कभव ायी उव भजदयू वे कशता शै कक, तू वयकायी काभ कयने के फाद
ऩत्राशरमों के शरए फड़े औय ऩरव के ऩान मा ऩान की डाशरमाॉ ळाभ को घय रौटते वभम रा कय भेये घय ऩय
डार दे ना । कोई ब्राह्भण कभव ायी कशता शै कक आभ डाशरमाॉ ळाभ को भेये घय डार दे ना। कोई कशता शै कक
भझ
ु े ऩत्ते रा कय दे ना। कोई कशता शै कक आज यात को भैं गाॉल भें उव रेन−दे न कयनेलारी वलधला के घय भें
नाश्ता-ऩानी कयने के शरए जानेलारा शूॉ। इवशरए, तू ाना ा कय भेये ननलाव ऩय आ कय भेये ऩरयलाय के
वाथ वायी यात यश कय, लशीॊ वो जाना; रेककन दव
ू ये हदन काभ ऩय जाने के शरए बूरना नशीॊ; क्मोंकक कर
ळाभ को शी फड़े इॊजीननमय वाशफ मशाॉ अऩना काभ दे ने के शरए आनेलारे शैं , इव प्रकाय का इवत्तरा याल
वाशफ ने शर कय बेजा शै।' इव तयश वे ब्राह्भणों द्लाया अॊदय-शी-अॊदय जो ऩये ळननमाॉ बोगनी ऩड़ती शैं, उववे
फाये भें भझ
ु े भेये बाई भेये घय आ कय फताते यशते शैं औय आॉ ों भें आॉवू फशाते यशते शैं।

ले कशते शै कक 'तात, शभ क्मा कयें ! मे वबी ब्राह्भण अठायश जानत के गुरु शैं। मे रोग अऩने-आऩको
वबी लणों के गरु
ु वभझते शैं। इवशरए मे जैवा बी फतावल कयें , शभ ळद्र
ू ों को उनको एक बी ळब्द नशीॊ कशना
ाहशए। ळद्र
ू ों को उनकी नक्
ु ता ीनी नशीॊ कयनी ाहशए। मश अचधकाय उनको नशीॊ शै, मशी उनके धभवळास्त्रों का
कशना शै । धभवळास्त्र कुछ बी कशे , रेककन शभाये ऩाव इव भजव का कोई इराज नशीॊ शै। महद भैं अॊग्रेजी फोरना
वी गमा शोता तो भैं ब्राह्भणों वे वबी कायनाभें, कयतत
ू ें, रफ्पाजी ठगी आहद वबी फातें अॊग्रेज वाशफ के
रोगों को फोर हदमा शोता औय उनके द्लाया इन रोगों को भजा ामा शोता।'

इवके अराला इॊजीननमय वलबाग के वबी ब्राह्भण कभव ारयमों की रुच् ागीयी के फाये भें ठे केदाय रोग
इतना कुछ फताते शै कक उव ऩय एक स्लतॊत्र ककताफ शर ी जा वकती शै। इवशरए इव फात को भैं मशीॊ
वभाप्त कय दे ता शूॉ।

तात्ऩमव, ऊऩय शर ी गई तभाभ दरीरों भें जो बी आऩको व रगे, उवके फाये भें गॊबीय रुऩ वे
वो ना ाहशए औय उवका ऩयू ी तयश वे फॊदोफस्त बी कयना ाहशए तथा उन तभाभ कुयीनतमों को जड़-भूर वे,
वाभाजजक जीलन वे वभाप्त कय दे ना ाहशए, मशी शभायी वयकाय का धभव शै।
ऩरयच्छे द : चौदह

[मयू ोवऩमन कभमचारयमों का तनस्ष्िम फनना, साभॊतों (ब्राह्भण खोत) का वचमस्व, ऩें शन रे कय सयकायी
नौकयी से भुक्त हुए मूयोवऩमन कभमचारयमों द्वाया सयकाय के दयफाय भें गाॉव-गाॉव की हकीकत फताए जाने की
आवश्मकता, धभम औय जातत के अहॊ काय आहद के सॊफॊध भें]

धोंडीयाल : तात, महद इव प्रकाय का अथव वबी वयकायी वलबागों के ब्राह्भण कभव ारयमों का ल स्
व ल
शोने की लजश वे शो यशा शो, तफ मयू ोवऩमन करेक्टय लशाॉ फैठ कय क्मा कय यशे शैं? ले ब्राह्भणों की रच्
ु ागीयी
के वॊफध
ॊ भें वयकाय को रयऩोटव क्मों नशीॊ कय यशे शैं?

जोतीयाल : अये , इन ब्राह्भण कभव ारयमों के इव यलैमे के कायण उनकी टे फर ऩय इतना काभ ऩड़ा
शुआ यशता शै कक ले रोग उवभें कुछ जरूयी काभ कय रेते शैं? केलर भयाठी कागजातों ऩय दस्त त कयते-कयते
उनकी नाक भें दभ आ जाता शै । इवशरए उन फे ायों को इन तभाभ अनथों की ोज-फीन कयके उव वॊफध ॊ भें
वयकाय को रयऩोटव कयने के शरए वभम बी कशाॉ शैं? इतना वफ शोने ऩय बी, भैं मश वुन यशा शूॉ कक कोंकण के
अचधकाॊळ दमारु मयू ोवऩमन करेक्टयों ने असानी ळद्र
ू ों ऩय ब्राह्भण जभीॊदायों ( ोत) [28] की ओय वे जो जल्
ु भ
ढाए जा यशे शैं, उन्शें वभाप्त कयने के शरए असानी ळद्र
ू ों के ऩष भें स्लमॊ ब्राह्भण जभीदायों के ( ोत) प्रनतलादी
शो कय ले वयकाय भें उव वॊफॊध भें प्रमाव कय यशे शैं। रेककन इवी वभम वबी ब्राह्भण जभीदायों ने ( ोत)
अभेरयकी स्रेव्श (गुराभ) शोल्डय का अनक
ु यण कयते शुए अऩने भतरफी धभव की वशामता वे असानी, अनऩन
ळूद्रों भें वयकाय के वलयोध भें गरत-वरत फातें प्र शरत कीॊ। इवकी लजश वे अचधकाॊळ असानी ळद्र
ू ों ने
मयू ोवऩमन करेक्टयों के वलयोध भें वॊघऴव कयने की तैमायी की। उन्शोंने वयकाय को कशा कक शभ रोगों ऩय
ब्राह्भण जभीदायों का ( ोत) जो अचधकाय शै , उवको लैवे शी यशने हदमा जाए। मशाॉ के ब्राह्भण जभीदायों ने
असानी, अनऩन ळद्र
ू ों को ळैतानों की तयश अऩनी भठ्
ु ठी भें य ा औय अऩनी इव बोरी-बारी वयकाय को
असानी, अनऩन ळूद्रों के वलयोध भें भानशवक रुऩ भें ड़ा कय हदमा। ब्राह्भण ोतों की इव तयश की ारफाजी
की लजश वे उव ऩयहशतकायी मूयोवऩमन करेक्टय ऩय ककव तयश की जस्थनत गुजय यशी शै , लश दे ख ए।

धोंडीयाल : इव तयश असानी ळूद्र ब्राह्भणों के फशकाले भें आ कय अऩना ायों ओय वे नुकवान कय
रेते शैं, मश अच्छी फात नशीॊ शै । इवी तयश वे आगे ककवी वभम उन्शोंने ब्राह्भणों के फशकाले भें आ कय
वयकाय के वलयोध भें अऩना शाथ ड़ा ककमा तफ उनकी फड़ी शानन शोगी, क्मोंकक ळद्र
ू ों को ब्राह्भण-ऩॊड़डत-
ऩुयोहशतों की दावता वे भुक्त शोने का इववे अच्छा भौका ऩुन: प्राप्त शोना फशुत शी भुजश्कर शै । इवशरए ळद्र
ू ों
के शाथ वे इव तयश का अनथव न शो, इवशरए आऩको कुछ उऩाम वूझ यशे शों, तो एक फाय जा कय अऩनी
दमारु वयकाय को वभझा कय दे ख ए, क्मोंकक असानी अनऩन ळद्र
ू ों को फताने वे कोई पामदा नशीॊ। महद इवके
उऩयाॊत बी ळद्र
ू वभाज के रोग भू व के भू व शी फने यशना ाशते शैं तो उवके शरए आऩ बी क्मा कयें गे?

जोतीयाल : इवके शरए उऩाम के तौय ऩय भेया मश बी कशना नशीॊ शै कक अऩनी दमारु वयकाय को
वफवे ऩशरे ब्राह्भण वभाज की (जन) वॊख्मा के अनुऩात भें वबी वलबागों भें ब्राह्भण कभव ारयमों की ननमजु क्त
नशीॊ कयनी ाहशए, रेककन भेया कशना मश शै कक महद उवी अनुऩात भें ळेऴ वबी जानतमों के कभव ारयमों न
शभरते शों तो वयकाय को ाहशए कक लश उनके स्थान ऩय केलर मूयोवऩमन कभव ारयमों की ननमुजक्तमाॉ कये । भेये
कशने का भतरफ मश शै कक कपय वबी ब्राह्भण कभव ारयमों को वयकाय औय असानी ळद्र
ू ों का नुकवान कयने
का भौका बी नशीॊ शभरेगा। दव
ू यी फात मश शै कक वयकाय को केलर उन मूयोवऩमन करेक्टयों को, जजन्शें अच्छी
तयश वे भशायाष्र बाऴा (भयाठी बाऴा) फोरना आता शै , उन वबी को उम्र बय के शरए ऩें ळन दे कय लशीॊ तभाभ
गाॉल- ेड़ों भें यशनेलारे असानी, अनऩन डयऩोक औय ब्राह्भण-ऩॊड़डत-ऩुयोहशतों के शाथ के ख रौंने फने शुए ळद्र
ू ों भें
शभर-जुर कय यशने के शरए प्रेरयत कयना ाहशए औय कपय उन्शें वबी ब्राह्भण कुरकणी आहद कभव ारयमों की
ाराकी ऩय कड़ी नजय य नी ाहशए। ऩेंळन प्राप्त आहद अचधकारयमों के द्लाया शभेळा लशाॉ की छोटी-भोटी
गनतवलचधमों की रयऩोटव भॉगलानी ाहशए। इवका ऩरयणाभ मश शोगा कक लशाॉ के वयकायी शळषा वलबाग के
ब्राह्भण कभव ारयमों की रब
ु ालनी ाराकी का तो ऩदावपाळ शो शी जाएगा, वाथ शी वऩछरे कुछ हदनों भें वाये
शळषा वलबाग की जो बी दद ु व ळा शुई शै, उवका बी ऩूयी तयश वे फॊदोफस्त शो जाएगा। इव तयश तभाभ असानी
ळोवऴत ळूद्रों को मथाथव का ऩता रते शी ले रोग इन ब्राह्भण ऩयु ोहशतों के कुतकी अचधकायों का ऩूयी तयश वे
ननऴेध कयें गे औय मे असानी ळूद्र रोग अऩनी अॊग्रेजी वयकाय के उऩकायों को कबी बूरेंगे नशीॊ, इव फात का
भुझे ऩूया वलश्लाव शै । क्मोंकक शभ ळद्र
ू ों के गरे भें वहदमों वे इन ब्राह्भण-ऩॊड़डत-ऩुयोहशतों द्लाया फाॉधी गई
गर
ु ाभी की जॊजीये जल्दी शी ककवी के द्लाया र
ु जाना वॊबल नशीॊ शै।

धोंडीयाल : तात, कपय आऩ अऩने फ ऩन भें अ ाड़े ेरने औय ननळाने ऩय गोरी दागने की कवयत
ककवशरए कय यशे थे?

जोतीयाल : अऩनी दमारु अॊग्रेज वयकाय को भाय बगाने के शरए।

धोंडीयाल : तात, रेककन आऩने इव तयश की दष्ु ट भवरशत कशाॉ वे वी ी?

जोतीयाल : दो- ाय ऩने -शर े, वुधये शुए ब्राह्भण वलद्फानों वे रे कय आज के वुधायणालादी (रेककन घय
भें ल्
ू शे के ऩाव) ब्राह्भणों तक वबी रोग इवका इवका कायण मश फताते शैं कक 'अऩने भें शी अचधकाॊळ जानत
के रोग अनाहद शवद्ध धभव के फाये भें असानी शैं। इवशरए अऩने वबी रोगों की एकता वभाप्त शो गई शै।
इवी की लजश वे अऩने शी कई प्रकाय के जानत बेद ऩैदा शो गए। अऩने भें शी इव तयश का त्रफ याल आने की
लजश वे अऩना याजकाज अॊग्रेजों के शाथ भें रा गमा औय ले रोग अफ शभाये असानी बोरे -बारे रोगों का
अऩने दे ळ के प्रनत जो अशबभान शै , लश वभाप्त शो, इवशरए उनको अऩने भतरफी धभव का आधाय हद ा कय
अऩने गरु
ु बाई (धभवफॊधु) फना यशे शैं। इवशरए शभ वबी जानत के रोगों भें अऩनी एकता कामभ शोनी ाहशए।
इवके फगैय इन अॊग्रेज रोगों को अऩने दे ळ वे ननकार फाशय कयने की ळजक्त शभ रोगों भें आएगी नशीॊ औय
इव तयश ककए फगैय शभ रोगों का अभेरयकी, फ्राॊव औय यशळमन रोगों की फयाफयी भें आना कदावऩ वॊबल नशीॊ
शै ।' मश उन्शोंने भुझे टॉम्व ऩेन्व [29]आहद ग्रॊथकायों की ककताफों के कई लाक्म उद्धयण स्लरुऩ दे कय शवद्ध
कयके हद ामा शै। इवी की लजश वे इव तयश वे भू त
व ाऩण
ू व आ ाय कुछ हदनों तक अऩने फ ऩन भें कयता यशा
था। रेककन फाद भें उन्शीॊ ग्रॊथों के वशाये गॊबीय रुऩ वे वो ने रगा, तफ कशीॊ इन ऩने -शर े ब्राह्भणों वे
भतरफी भरशभऩट्टी का वशी अथव भेये ध्मान भें आमा। लशी वशी अथव मश शै कक 'शभ वबी ळद्र
ू रोग अॊग्रेजों
के गुरुबाई (धभवफध
ॊ ु) शोते शी उनके ऩल
ू ज
व ों के तभाभ ग्रॊथों का (धभवळास्त्रों) का ननऴेध कयें गे औय उववे उनके
जानत अशॊ काय को ठे व ऩशुॉ ेगी। इव तयश का उवका तुयॊत ऩरयणाभ मश शोगा कक उनके शयाभी रोगों को शभ
ळूद्रों के श्रभ की योहटमाॉ ाने को नशीॊ शभरेंगी। इव प्रकाय ब्रह्भा के फाऩ को बी मश कशने कक हशम्भत नशीॊ
शोगी कक ळूद्रों वे ब्राह्भण ऊॉ े लणव के शैं। अये , जजन रोगों के ऩूलज
व ों को शी दे ळाशबभान ळब्द त्रफरकुर भारूभ
नशीॊ था, उन रोगों ने उव ळब्द का इव तयश वे अथव ककमा, इवके शरए शभको फशुत आश् मव कयने की
आलळमकता नशीॊ शै। अॊग्रेज रोगों ने लास्तल भें फशर याजा के आने के ऩशरे दे ळाशबभान ळब्द का अथव ग्रीक
रोगों वे ऩना था। रेककन फाद भें जफ ले उव फशर याजा के अनुमामी शुए, तफ वे उनभें मश वद्गुण इतना फना
कक उनकी फयाफयी अन्म ककवी बी धभव का स्लाशबभानी व्मजक्त नशीॊ कय वकता था। महद उनको दे ना शी शै
तो अभेरयका के फशर याजा के भतानुमामी जॉजव लाशळॊगटन की तुरना (मोग्मता) का आदभी दे ना ाहशए।
महद ऐवे भशाऩुरुऴ की मोग्मता आदभी दे ना वॊबल न शो तो तफ उन्शें फ्राॊव के फशर याजा के भतानम
ु ामी
रपेटे की मोग्मता का आदभी दे ना ाहशए। अये , महद इन ऩने -शर े वलद्लानों के ऩल
ू ज
व ों को स्लदे ळाशबभान
लास्तल भें भारूभ शोता, तो अऩनी ककताफों भें, अऩने धभवळास्त्रों भें अऩने शी दे ळफॊधओ
ु ॊ (ळूद्रों) को ऩळु वे बी
नी वभझने के फाये भें रे नशी शर े शोते। ले ब्राह्भण-ऩॊड़डत-ऩुयोहशत लगव के रोग भैरा ानेलारे ऩळु का
गोभूत्र ऩी कय ऩवलत्र शोते शैं, रेककन ळद्र
ू ों के शाथ का वाप-वुथया झयने का ऩानी ऩीने वे अऩने-आऩको अऩवलत्र
वभझते शैं। दे ख ए, इन ऩने -शर े वलद्लानों के ऩूलज
व ों द्लाया कक्जश् मन रोगों के ऩवलत्र दे ळाशबभान के वलरुद्ध
उऩजस्थत ककमा शुआ अऩवलत्र दे ळाशबभान! शभको महद ककवी की फदौरत वभझा शोगा, तो लश अॊग्रेजों की
फदौरत। औय ऐवे ऩयोऩकायी रोगों को भतरफ, शभ वफी को ब्राह्भणों की गर
ु ाभी वे भुक्त कयनेलारे रोगों
को, अऩने दे ळ वे बगा दे ने की उन ब्राह्भणों की कवयत भें ऐवा कौन शै जो ळाशभर शोना ाशे गा? अये , ऐवा
कौन भू व आदभी शै जो अऩने यषकों के वलरुद्ध शी अऩना शाथ उठाने की हशम्भत कये गा? रेककन भैं तुभको
इतना स्ऩष्ट रुऩ वे फता दे ना ाशता शूॉ कक अॊग्रेज रोग आज शैं, कर नशीॊ यशें गे। ले रोग शभेळा-शभेळा के
शरए शभ रोगों का वाथ दें गे, ऐवी फात नशीॊ शै। इवशरए जफ तक उन अॊग्रेज रोगों की वत्ता इव दे ळ भें शै ,
तफ तक शभ वबी ळद्र
ू रोगों को जजतनी जल्दी शो वकी उतनी जल्दी ब्राह्भण-ऩॊड़डत-ऩुयोहशतों की ऩॊयऩयागत
(धाशभवक-वाभाजजक-वाॊस्कृनतक) गर
ु ाभी वे भक्
ु त शोना ाहशए, औय इवी भें शभ वबी की फद्
ु चधभानी शै।
बगलान ने एक फाय ळूद्रों ऩय दमा कयके अॊग्रेज फशादयु ों के शाथ वे ब्राह्भण नाना वाशे फ ऩेळला के वलद्रोश को
कना ूय कयला हदमा, मश अच्छा शुआ, लयना उन ळादालर के शरॊग के इदव -चगदव रुद्र कयनेलारे ऩने -शर े
ब्राह्भणों ने आज तक कई भशायों को ब्राह्भणी ढॊ ग की धोती ऩशनने की लजश वे मा कीतवनों भें वॊस्कृत श्रोकों
का ऩठन-ऩाठन कयने की लजश वे कारा ऩानी हद ा हदमा शोता, इवभें कोई वॊदेश नशीॊ।
ऩरयच्छे द : ऩॊद्रह

[सयकायी सशऺा ववबाग, म्मुतनससऩासरटी, दऺणा प्राइज कसभटी औय ब्राह्भण अखफाय वारों की एकता
तथा शूद्रों−अछुतों के फच्चों को सरखना−ऩढ़ना नहीॊ सीखना चाहहए, इससरए ब्राह्भणों द्वाया यचाए गए षड्मॊत्र
आहद के सॊफध
ॊ भें।]

धोंडीयाल : वयकायी फनु नमादी शळषा वलबाग के ब्राह्भण कभव ायी गुराफी फेईभानी कयते शैं, इवका क्मा
भतरफ शै?

जोतीयाल : कपरशार जजव ककताफ की लजश वे ब्राह्भणों के वबी ग्रॊथों भें , ळास्त्रों भें, वाहशत्म भें जो
फेईभानीऩूणव फातें शर ी गई शैं, उवका यशस्म र
ु जाएगा औय उनके ऩूलज
व ों का बॊडापोड़ शोगा; उनकी
फेइज्जती शोगी, इव फात वे ले रोग बमग्रस्त शो गए शैं। उन्शोंने अऩनी बोरी−बारी वयकाय वे कबी−कबी
अकेरे भें शभर कय औय कबी−कबी अ फायों के द्लाया तयश−तयश की गुराफी, यॊ गीन भवरनें दे कय उनके
अचधकाय भें जजतनी वयकायी ऩाठळाराएॉ शैं, उन वबी भें वयकायी फनु नमादी शळषा वलबाग वे उव तयश की
भशत्लऩूणव ककताफ को ऩाठ्मक्भ के ननकार फाशय ककमा, तफ शभ क्मा कशें ? ऩशरे के जभाने भें ककन्शीॊ असानी
अचधकारयमों ने ाय धभवभ्रष्ट, ऩा ड
ॊ ी ऩुयोहशतों के आग्रश के ानतय उव तयश का उऩदे ळ दे नेलारे उऩदे ळक को
वर
ू ी ऩय ना हदमा था, इवशरए ब्राह्भण−ऩॊडा−ऩयु ोहशतों की, फशर धभवळास्त्रों की ऩोर ोरनेलारी ककताफ को
स्कूरों के ऩाठ्मक्भ वे फहशष्कृत कया हदमा, तफ शभें बी क्मों आश्लमव रगना ाहशए?

धोंडीयाल : तात, रेककन इवभें वयकाय का क्मा दोऴ शै , इवके फाये भें जया वभझाए।

जोतीयाल : इव फात को शभ कैवे भाने कक इवभें वयकाय का कुछ बी दोऴ नशीॊ शै? वयकाय ने जजन
तथाकचथत प्रगनतळीर ब्राह्भणों की दरीर ऩय उव तयश के वत्म को कशनेलारी ककताफ को स्कूरों के
ऩाठ्मक्भ वे ननकार फाशय ककमा, उव ककताफ का वलयोध कयनेलारे रोगों द्लाया तैमाय की शुई ककताफें वयकायी
शळषा वलबाग के द्लाया स्कूरों के अभ्मावक्भों भें रगला कय, कपय उन्शीॊ रोगों को शी ळद्र
ू ों के स्कूरों भें
शळषक के रूऩ भें ननमुक्त कयना, क्मा मश उच त शै ? ॉकू क इवके फाये भें वो −वल ाय कयने के फाद मश
शवद्ध शोता शै कक कर तक उव ककताफ को जजन प्रनतलाहदमों ने वयकायी शळषा वलबाग वे फहशष्कृत कयलाई,
उन्शीॊ रोगों को शी वबी वयकायी स्कूरों भें शळषक के रुऩ भें ननमुक्त कयके उनको उव ऩवलत्र ककताफ के
वलरुद्ध ळद्र
ू ों के भश
ुॉ वे उऩदे ळ दे ने का अलवय क्मों दे यशी शै? इवशरए शभायी बोरी−बारी वयकाय के शरए
उव ऩवलत्र वयकायी शळषा वलबाग के उन वबी प्रनतबाचगमों को उनकी ककताफों के वाथ ननकार फाशय कयना
वॊबल न शो तो शभायी वयकाय को कृऩमा वबी शळषा वलबाग एक वाथ फॊद कय दे ना ाहशए। जजववे मे रोग
अऩने-अऩने घयों भें जा कय आयाभ वे फैठ जाएॉगे औय कभ−वे −कभ मश शोगा कक शभ ळूद्रों ऩय जो कयों का
फोझ रदता जाता शै, लश कभ शो जाएगा। क्मोंकक शळषा वलबाग के एक प्रभु ब्राह्भण कभव ायी को शय वार
कभ−वे−कभ वात शजाय रुऩमा तनख्माश दे नी ऩड़ती शै । अफ वुरतानी यशी नशीॊ; ककॊ तु अवभानी भेशय शुई तफ
फताइए कक इतनी यकभ तैमाय कयने के शरए ळूद्रोंके ककतने ऩरयलयों को एक वार तक हदन-यात ेती भें जत ु े
यशना ऩड़ता शोगा? कभ-वे-कभ एक शजाय ळद्र
ू ऩरयलाय इवभें जत
ु ते शी शोंगे!
दव
ू यी फात, इव भुआलजे के प्रभाण भें इव फश
ृ स्ऩनत (ब्राह्भण) वे ळूद्रों को वशी भें कुछ राब बी
शोता शै? अये , शय हदन ाय ऩैवा कभानेलारे ळद्र
ू भजदयू ों को रशरशाती धूऩ भें वूयज के ननकरने के वभम वे
रे कय वयू ज के डूफने तक वड़क ऩय शभट्टी को टोकरयमाॉ शवय ऩय ढोनी ऩड़ती शैं। उव फे ाये को कशी फाशय
जाने के शरए एक ऩर की बी पुयवत नशीॊ शभरती औय दव
ू यी ओय त्रफना काभ ककए, फगैय ळायीरयक श्रभ के
शय हदन फीव रुऩए शभरनेलारे ब्राह्भण कभव ारयमों को स्कूरों भे र
ु ी जगश ऩय कुवीं भें फैठने का काभ
कयना ऩड़ता शै । ले रोग म्मुननशवऩाशरटी के भेशभान फन कय शय हदन वुफश औय ळाभ को धऩ
ू , गयभी का
भाशौर वभाप्त शो जाने के फाद फाशय घूभने के शरए ननकर ऩड़ते शैं। उनके फाशय घभ
ू ने के शरए ननकरने का
उद्दे श्म उन्शें अऩने वबी ऩरयच तों वे भेर-शभराऩ के शरए जाना शोता शै। इवशरए ले रोग वज-धज के, फड़े
न ये भें घोड़े की गाड़ी भें वलाय शो कय ळशय के यास्तों ऩय रोगों की दशरीज− शरशान दे ते शुए अऩनी
अकड़ हद ाते यशते शैं। रेककन उनको मश वफ अकड़ हद ाने के शरए पुयवत कशाॉ वे शभर जाती शै? अये ,
उन्शोंने ळशय के रोगों को अबी तक मश नशी फतामा कक शळषा वे क्मा−क्मा राब शोते शैं; रेककन घूभने भें
फड़ा भजा आता शै, फड़ा गौयल रगता शै । रेककन कपय बी शभळनरयमों का शय भाश दव रुऩए भाशलाय ऩानेलारा
उऩदे ळक इन ब्राह्भण−ऩॊड़डत−ऩयु ोहशतों वे शजाय गन
ु ा अच्छा शै। मे रोग उव शभळनयी उऩदे ळक के ऩाॉल की धर

की बी फयाफयी कयने मोग्म नशीॊ शैं; क्मोंकक जजव ळशय भें लश (खिस्ती) शभळनयी उऩदे ळक यशता शै , उव ळशय
के वबी छोटे -फड़े को मश भारभ
ू यशता शै कक लश एक धभोऩदे ळक शै।ककॊ तु मश ब्राह्भण शळषक जजव भकान भें
यशता शै, उव भकान के नी े के भकान भें यशनेलारे ककयाएदाय को बी भारभ
ू नशीॊ यशता शै कक कौन
नतस्भाय ाॉ शै । अये , ब्राह्भण शळषक अऩने ऊऩयलारे मूयोवऩमन कभव ायी के ऩाव शय हदन इधय−उधय की ाय
गप्ऩें रगा कय, भन ाशे तफ घॊटा−दो−घॊटा स्कूर भें फच् ों को ऩना कय, उनको वार भें दो− ाय शरख त
रयऩोटव कय दे ता शै । भतरफ, उवका काभ शो गमा। औय ऐवे रोगों को शी ाय ऩने शर े रोग ईनाभदाय नौकय
औय दे ळबक्त कशते शैं। अये , इन त्रफकाऊ ब्राह्भण नौकयों ने आज तक शळषा वलबाग के रा ों रुऩए ा शरए
शैं। रेककन व कशता शूॉ, उनके शाथ वे न तो ककवी अछूत को शळषा शभरी औय न ळूद्रों को। उन्शोंने उनभें वे
ककवी एक को बी आज तक म्मनु नशवऩाशरटी का वदस्म नशीॊ फनामा। इववे अफ तभ
ु शी वो ो कक इव शळषा
वलबाग भें जजतने ब्राह्भण कभव ायी शैं, ले वबी लपादाय नौकय अऩने दे ळ के असानी अछूतों के प्रनत ककतनी
शभददी हद ातें शैं। इतना शी नशी, मे दे ळबक्त, म्मनु नशवऩाशरटी भें भुख्म अचधकायी शोने ऩय बी, वऩछरे वार
के ऩानी के अकार भें अछूतों को ऩीने के शरए वयकायी फालरी का ऩानी बयने भें कोई भदद नशीॊ की। इवशरए
अछूतों का म्मुननशवऩाशरटी भें वदस्म शोना ककतना आलश्मक शै, इवके भें अफ तम्
ु शीॊ वो वकते शो।

धोंडीयाल : तात, आऩका कशना एकदभ व । इवभें कोई दो याम नशीॊ शो वकती। ककॊ तु भैंने वुना शै
कक म्मनु नशवऩाशरटी भें कपरशार ळूद्रों भें वे कई वदस्म इतने वलद्लान शैं कक ले अऩना भत दे ते वभम 'अये
गोवलॊदा'[30] कशरानेलारे मॊत्र की तयश अऩनी गयदन हशरा कय उनकी शाॉ भें शाॉ शभरा दे ते शैं, क्मोंकक लशाॉ द

के शस्ताषय कयनेलारों की शी ऩशरे कभी, कपय लशाॉ ळेऴ वबी इने−चगने ऩूज्म कशे जानेलारे रोग यशे । कपय
ळद्र
ू वदस्मों की कशभटी भें कुयवी ऩय फैठ कय अऩनी गयदन हशरा कय शस्ताषय कयने मोग्म कुछ रोग क्मा
अछूतों भें शभर जाएॉग?

जोतीयाल : ऐवे ळद्र


ू वदस्मों वे बी कई गुना अच्छी तयश शर ने−फोरनेलारे कई अछूत रोग शभरेंगे।
रेककन ब्राह्भणों के स्लाथी, नकरी, ऩा ड
ॊ ी धभवग्रॊथों, धभवळास्त्रों की लजश वे वबी अछूतों को छूना ऩाऩ वभझा
गमा। इवकी लजश वे स्लाबावलक रूऩ ने उन वल ायों को ळद्र
ू वदस्मों की तयश वबी रोगों भें शभर−जर
ु कय
अभीय शोने की वुवलधा कशाॉ उऩरब्ध शो वकती शै ! उनको आज बी गधों ऩय फोझ राद कय अऩना, अऩने
ऩरयलाय का ऩेट ऩारना ऩड़ यशा शै ।

धोंडीयाल : तात, वबी जानतमों का अरग−अरग वॊख्मा प्रभाण दे ने वे म्मनु नशवऩाशरटी भें वलळेऴ रूऩ
वे ककव जानत के वदस्मों की वॊख्मा ज्मादा हद ाई दे ती शै ?

जोतीयाल : ब्राह्भण जानत की।

धोंडीयाल : तात, इवीशरए इव म्मुननशवऩाशरटी भें फेगरयमों औय बाॊचगमों को छोड़ कय ब्राह्भण


कभव ारयमों की शी वॊख्मा ज्मादा शै। इनभें वे कुछ जरप्रदाम वलबाग भें काभ कयनेलारे ब्राह्भण कभव ायी थे।
ले बमॊकय गयभी के हदनों भें अऩनी जानत के ब्राह्भणों के घयों के टॊ ककमों भें (शौद) भन ाशे ऩानी बयते थे औय
उव ऩानी का उऩमोग लशाॉ वे इदव −चगदव के वबी ऩड़ोंवी ब्राह्भणों के धोती−कऩड़े फतवन आहद धोने के शरए शोता
था औय ढे य वाया ऩानी व्मथव भें शी फशता था। रेककन जशाॉ−जशाॉ गयीफों की फजस्तमाॉ शैं जजन-जजन भोशल्रोंभें
गयीफ ळद्र
ू ों की फजस्तमाॉ शैं, उन वबी भौशल्रों की टॊ ककमों भें (शौद) दोशऩय के फाद बी ऩानी की फद
ूॉ नशीॊ
चगयती थी। दोशऩय भें याश रते याशगीय को अऩनी प्माव फुझाने के शरए ऩानी लशाॉ शभरना बी दयककनाय।
कपय लशाॉ के रोगों को कऩड़ा−रत्त्ता धोने के शरए, फार− फच् ों वहशत नशाने के शरए ऩानी कशाॉ शभरेगा?
इवके अराला ब्राह्भणों की फजस्तमों भें नई टाॊककमाॉ ककतनी गई शैं! उधय जन
ू ागॊज ऩेठ [31] (भॊडी) आहद
भोशल्रों के रोगों ने कई वारों वे भाॉग कय यशे थे कक उनके भोशल्रे भें ऩानी की टॊ की फनलाई जाए, रेककन
म्मनु नशवऩाशरटी ने उनकी फात ऩय, उनके च ल्राने ऩय कोई ध्मान नशीॊ हदमा। मशाॉ ब्राह्भण वदस्मों की वॊख्मा
ज्मादा शोने की लजश वे उन फे ाये गयीफों की कई लऴों तक कुछ वन
ु लाई शी नशीॊ शुई। रेककन अॊत भें,
भतरफ, वऩछरे वार जफ ऩानी का अकार ऩड़ा, तफ भीठगॊज के भशाय−भातॊगों ने कारे शौद को छू कय लशाॉ वे
ऩानी बयना ळरु
ु कय हदमा। तफ कशीॊ उव म्मनु नशवऩाशरटी को शोळ आमा औय उवने इन रोगों की वचु ध री।
इव म्मनु नशवऩाशरटी ने इतना फेरगाभी व उव काभ ऩय ककमा कक लश उव म्मुननशवऩाशरटी के भखु मा की
वभझफूझ को औय उवके शारात को ळोबा शी नशीॊ दे ता। छोड़ड़ए इन फातों को, रेककन म्मुननशवऩाशरटी भें
इतनी फेफॊदळाशी शोने ऩय बी उवके फाये भें भयाठी अ फायों के ऩत्रकाय वयकाय को क्मों आगाश नशीॊ कय यशे
शैं?।

जोतीयाल : अये , वबी भयाठी अ फायों के वॊऩादक ब्राह्भण शोने की लजश वे उनको अऩनी जानत के
रोगों के वलरूद्ध शर ने के शरए शाथ नशीॊ र यशा शै । जफ मयू ोवऩमन भखु मा था, उव वभम लश इन
ब्राह्भणों कक तुयाई रने नशीॊ दे ता था! उव वभम वबी ब्राह्भण वॊगहठत शो कय उन ऩय मश आयोऩ रगाने
रगते थे कक उनके ऐवा कयने वे वबी प्रजा का इव तयश वे नक
ु वान शुआ शै । इव प्रकाय मे ब्राह्भण रोग
उनके वलरुद्ध इव तयश गरत−वरत अपलाएॉ पैरा कय उनको इतना त्रस्त कय दे ते थे कक उनको अऩने
भुख मा−ऩद वे इस्तीपा दे ने के शरए भजफूय शोना ऩड़ता था औय ले आगे इव म्मुननशवऩाशरटी का नाभ रेना
बी छोड़ दे ते थे। रेककन अऩनी दमारु वयकाय बी उन वबी ब्राह्भण अ फायों की फात वन
ु कयके, उन फयों
को व भान कयके कश दे ती थी कक उव रे भें ळद्र
ू ों औय अछूतों की फातें व्मक्त शो गई शैं। रेककन ऐवा
वभझने भें शभायी बोरी−बारी वयकाय की फशुत फड़ी गरती शै। उवको इतना बी भारूभ नशीॊ कक वबी ब्राह्भण
अ फायलारों औय ळद्रू तथा अछूतों की जनभ−जनभ भें बी ऐवे काभ भें भुराकात नशीॊ शोती। उनभें वे
अचधकाॊळ अछूत ऐवे शैं जजनको मशी नशीॊ भारूभ कक आख य अ फाय ककव फरा का नाभ शै, शवमार मा कुत्ता,
मा फॊदय, मश वफ कुछ बी भारूभ नशीॊ। कपय ऐवे अऩरयच त अनजान अछूतों के वल ाय इन वबी भाॊगशरक
अ फायों को कशाॉ वे औय कैवे भारभ
ू शोते शैं? उन्शोंने वयकाय का भजाक कयके अनऩन रोगों के हदरो को
आकवऴवत कयने के शरए, उनके प्रनत झूठी शभददी हद ा कय, अऩने ऩेट ऩारने के शरए उन्शोंने इव तयश का
नमा तयीका ोज ननकारा शै ! महद ऐवा न कशें , तफ तभाभ वयकायी वलबागों भें ब्राह्भण जानत के कभव ारयमों
की शी बयती शोने की लजश वे वबी ळूद्रों औय अछूतों का बमॊकय नक
ु वान शो यशा शै। रेककन उनको इवके फाये
भें जाॉ −ऩड़तार कयने की पुयवत शी नशीॊ शभर यशी शै, इव फात को क्मा शभ व भान वकते शैं? नशीॊ।
क्मोंकक वात वभद्र
ु ऩाय रॊदन ळशय की यानी वयकाय के भख्
ु म प्रधान अऩने वऩने भें हशॊदस्
ु थान के फाये भें
ककव-ककव प्रकाय की फातें फयगराते यशे शैं, इव वॊफॊध भें छोटी−भोटी फयें अ फायों भें छ्ऩती यशती शैं। शभाया
कशने का भतरफ मश शै कक मश वफ कशने के शरए उनको कशाॉ वे पुयवत शभरती शै ! छोड़ड़ए इन फातों को बी
कपय बी ककवी भयाठी ईवाई अ फायलारों ने मश शर ा कक म्मुननशवऩाशरटी भें गयीफों को दाद नशीॊ दी जाती,
उनकी लशाॉ कोई वन
ु लाई नशीॊ शोती। इव तयश की फय फय छ्ऩने के फाद वबी भयाठी अ फायों की इव
तयश की फयें वायाॊळ रूऩ भें अॊगेजी भें अनल
ु ाद कयके वयकाय को हद ाने का काभ म्मनु नशवऩाशरटी के शी
ककवी एक ब्राह्भण वदस्म को वौंऩ हदमा गमा शै। रेककन ले रोग इव तयश की रयऩोटव को म्मनु नशवऩाशरटी भें
अऩने कॊधे−वे−कॊधा शभरा कय फैठनेलारे जानत बाइमों की ऩयलाश न कयते शुए उनके (अऩनी जानत के रोगों
के) वलरूद्ध वयकाय के वाभने क्मा य ऩाएॉगे?

धोंडीयाल : तात, इव
ायों ओय वबी षेत्रों भें ब्राह्भणों का ल स्
व ल, फशुरता शोने की लजश वे शी ळेऴ
वबी जानत कक रोगों का नक
ु वान शो यशा शै । इवशरए महद आऩ इव वॊफॊध भें एक छोटी−वी ककताफ शर कय
'दषणाप्राइज' कशभटी को ऩेळ कय दीजजए। भतरफ, उव ककताफ की लजश वे वयकाय की फॊद आॉ ें र

जाएॉगी।

जोतीयाल : ब्राह्भण−ऩॊडा−ऩयु ोहशत (जोळी) अऩने भतरफ, धभव के गऩोड़े वे असानी ळूद्रों कक
ककव−ककव तयश फशकाले भें रा कय, पुवरा कयके ाते−ऩीते शैं औय ईवाई शभळनयी अऩने ननस्लाथव धभव की
वशामता वे असानी ळद्र
ू ों वशी सान दे कय उनको ककव प्रकाय वे वत्म के भागव ऩय रने की प्रेयणा दे ते शैं,
आहद तभाभ फातों के फाये भें भैंने एक छोटा−वा नाटक शर ा शै । लश नाटक वन 1855 भें 'दषणा प्राइज'
कशभटी को बेजा था; रेककन लशाॉ बी इवी प्रकाय के जजद्दी ब्राह्भण वदस्मों के दयु ाग्रश की लजश वे मयू ोवऩमन
वदस्मों की एक बी न र वकी। तफ उव कशभटी ने भेये इव नाटक को नाऩवॊद ककमा। अये , इव
'दषणा−प्राइज' कशभटी को म्मनु नशवऩाशरटी की शी छोटी फशन कशने भें भझ
ु े कोई आऩवत्त नशीॊ शोगी। उव
'दक्षषणा−प्राइज' कशभटी को ळूद्रों को प्रेरयत कयना ाहशए था। ळूद्रों को शर ने की प्रेयणा शभरे इवशरए ककतनी
जगश ऩय वशमोग हदमा, मश ोजने के शरए आऩ च याग रे कय बी जाएॉ तो कुछ शभरनेलारा नशीॊ शै। अॊत भें
भैंने उव ककताफ को अरग य हदमा औय कुछ वार फीत जाने के फाद दव
ू यी छोटी−वी ककताफ भें भैंने
ब्राह्भणों की ाराकी के वॊफध
ॊ भें शर ा था औय भैंने स्लमॊ के ऩैवों वे शी उव ककताफ को छऩला कय प्रशवद्ध
ककमा था। उव वभम ऩन
ू ा के भेये एक शभत्र ने अचधकारयमों को, उव ऩुस्तक की यीद के शरए, वू ना ऩत्र के
वाथ शबजलाई; रेककन उनभें वे ककवी एक बी अचधकायी ने ब्राह्भण−ऩॊड़डतों के डय की लजश वे एक बी ककताफ
यीद कय अऩने नाभ को ककवी बी प्रकाय दोऴायोऩण नशीॊ रगने हदमा।
धोंडीयाल : तात, व फात मश शै कक आऩको अऩने शरए रोगों के आगे−ऩीछे कयने की आदत शै नशीॊ,
इवशरए आऩकी ककताफें त्रफकतीॊ नशीॊ।

जोतीयाल : अये , भेये फाऩ, अच्छे काभ को वपर फनाने के शरए फुये इराज नशीॊ ोजने ाहशए, लयना
इव काभ के अच्छे ऩन को शी धब्फा रग जाता शै। उन्शोनें भेयी एक ककताफ नशीॊ यीदी, इवशरए क्मा उववे
भेया फशुत कुछ नुकवान शुआ शै? नशीॊ, रेककन अफ इवके फाद भैं इव तयश के घहटमा रोगों के वाभने ककवी
बी प्रकाय की अजी कयना ऩवॊद नशीॊ करूॉगा। भैं उनका ननऴेध करूॉगा। भैंने ऩना शै कक तयश वे शभें अऩने
उत्ऩन्नकताव वऩता ऩय ननबवय यशना ाहशए। इवशरए भैं उवका तीन फाय धन्मलाद कयता शूॉ।

धोंडीयाल : तात, आऩने जफ ब्राह्भण जानत की रड़ककमों के स्कूर की स्थाऩना की थी, उव वभम
वयकाय ने भेशयफान शो कय आऩको फड़े वत्काय के वाथ एक ळॉर बेंट की थी। फाद भें उवी तयश आऩने
अछूतों के शरए बी स्कूर की स्थाऩना कयके उवके शरए कई ब्राह्भणों की वशामता री थी। औय उन वबी
स्कूरों भें फड़े जोय-ळोय के वाथ ऩनाई−शर ाई ळरु
ु शो गई थी। रेककन फी भें शी लश अ ानक फॊद शो गमा।
कुछ वार फीत जाने के फाद आऩने मूयोवऩमन रोगों के घय भें आना−जाना बी एक तयश वे फॊद जैवा शी कय
हदमा था। इवकी लजश क्मा शो वकती शै ?

जोतीयाल : ब्राह्भण जानत की रड़ककमों के शरए स्कूर ळरु


ु कय दे ने की लजश वे वयकाय को फड़ा
आनॊद शुआ औय उवने भुझे एक ळॉर बेंट की, मश फात त्रफरकुर व शै, रेककन भुझे जफ अछूतों के रड़के
रड़ककमों के शरए स्कूर ळरु
ु कयने की आलश्मकता भशवूव शुई, तफ भैंने उव काभ के शरए कई ब्राह्भणों को
वदस्म फनामा औय ले वबी स्कूर ब्राह्भणों के शाथों भें वौंऩ हदए। जफ भैंने अछूतों के रड़के−रड़ककमों के शरए
स्कूर ळरु
ु ककए, उव वभम वबी मूयोवऩमन गश
ृ स्थों भें ये व्शे न्मू कशभळनय यीव्शज ् वाशफ ने जो अथव-वशामता
की, उवको भैं कबी बी बर
ू नशीॊ वकता। उन उदाय गश
ृ स्थों ने भझ
ु े शवपव अथव की वशामता शी की शै, ऐवी बी
फात नशीॊ; फजल्क ले अऩना भशत्लऩूणव धॊधा वॉबारतें शुए बी उन अछूतों के स्कूर भें फाय-फाय आ कय इव फाये
भें फाय-फाय ऩछ्
ू ताछ कयते थे कक छात्रों ने ऩढाई-शर ाई भें ककतनी तयक्की की शै । उवी प्रकाय छात्रों को
ऩननेकेशरए प्रेरयत कयने की ले फड़ी कोशळळ कयते थे। इवशरए उनके उऩकाय अछूतों के छात्रों के यग-यग भें
वभाए शुए शैं। उनके इन उऩकायों वे भुक्त शोने के शरए महद ले अऩने भड़े की जूनतमाॉ फना कय बी उनके
ऩाॉल भें ऩशनाएॉ, तफ बी ले उनके उऩकायों वे भक्
ु त नशीॊ शो वकते।

इवी प्रकाय अन्म कुछ मयू ोवऩमन गश


ृ स्थों ने भझ
ु े इव काभ के शरए कापी वशामता की शै , इवशरए भैं
उनका आबायी शूॉ। उव वभम उव काभ भें भुझे ब्राह्भण वदस्मों को रेने की जरूयत भशवूव शुई। इवके अॊदय
की फात ककवी वभम भैं जरुय फताऊॉगा। रेककन फाद भें जफ भैंने उन स्कूरों भें ब्राह्भणों के ऩूलज
व ों के फनालटी
धभवळास्त्रों भें शर ी गई धत
ू त
व ाऩूणव फातों के वॊफध
ॊ भें उन छात्रों को ऩनाना−वभझाना ळरु
ु कय हदमा, तफ उन
ब्राह्भणों औय भेये अॊदय−शी−अॊदय फोर ार भें रु ाऩन फनता गमा। उनके कशने का रु इव तयश हद ाई हदमा
कक उन अछूतों के फच् ों को त्रफरकुर शी नशीॊ ऩनना−शर ना−शव ाना ाहशए। रेककन महद उनको
ऩनना−शर ना−शव ाना जरूयी शै तफ उनको केलर अषयों का सान शो, फव! इतना शी ऩनना−शर ना−शव ाना
ाहशए, इववे ज्मादा त्रफरकुर नशीॊ। रेककन भेया कशना मश था कक उन अछूत फच् ों को अच्छे दजे तक
ऩनना−शर ना−शव ा कय उनभें षभता ऩैदा कय दे नी ाहशए कक ले अऩना हशत अहशत स्लमॊ जान वके। अफ
अछूतों को ऩनना−शर ना नशीॊ शव ाना ाहशए, मश कशने भें उनका स्लाथव क्मा शो वकता शै ? उनके भन की
फात को ननजश् त रुऩ वे वभझ रेना आवान नशीॊ शै। रेककन मश शो वकता शै कक मे रोग ऩन−शर कय
फद्
ु चधभान फनेंग,े ऐवा उनको रगता शोगा। औय मश बी रगता शोगा कक 'शभायी तयश शी इनको बी
ऩनने−शर ने का भौका शभरा, वशी सान प्राप्त शुआ, औय उनको व औय झूठ भें पयक वभझ भें आमा तफ
ले रोग शभाया ननऴेध कयें गे। औय वयकाय के लपादाय अनम
ु ाई फन कय शभाये ऩल
ू ज
व ों ने उन ऩय औय उनके
ऩूलज
व ों ऩय जो जल्
ु भ ककए, जो ज्मानतमाॉ की शैं, उव इनतशाव के ऩन्ने ऩन कय शभाया ऩूयी तयश वे ननऴेध
कयें गे।' मशी उनकी बालना शो वकती शै । इव तयश जफ उनके औय भेये वल ायों भें पकव ऩड़ने रगा तफ भैंने उन
ब्राह्भण−ऩॊड़डतों के नकरी, स्लाथी स्लरुऩ को ऩश ान शरमा औय उन दोनों वॊस्थाओॊ वे एक ओय शट गमा।
इवी दयम्मान ब्राह्भण ऩाॊडे (भॊग़र ऩाॊड,े 1857 का वलद्रोश) का वलद्रोश ळरु
ु शो गमा। उवी वभम वे वबी
मूयोवऩमन वभ्म रोग भेये वाथ ऩशरे की तयश र
ु कय फात ीत नशीॊ कयते; फजल्क भुझे दे ते शी उनके ेशये
ऩय भामूवी छाने रगती। तफ वे भैंने बी एक तयश वे उनके घय ऩय आना−जाना एकदभ फॊद कय हदमा।

धोंडीयाल : तात, ब्राह्भण ऩाॊडे शी फदभस्ती की लजश वे उन मूयोवऩमन रोगों ने शभ जैवे ननयऩयाचधमों
को नजयअॊदाज ककमा शैं औय ले रोग शभको दे ते शी अऩने ेशये ऩय भामव
ू ी राने रगे शैं। मश उनकी
उदायलादी दृजष्ट औय उनकी फद्
ु चधभानी को ळोबा नशीॊ दे ता। उवी प्रकाय शभें ब्राह्भणों की वलधला नारयमों के
गबवऩात आहद जघन्म अऩयाधी कृत्म नशीॊ कयना ाहशए। उन ब्राह्भण वलधला गबवधारयनी नारयमों को गुप्त वे
ऩवूत शोना ाहशए, इवके शरए शभने अऩने घय भें शी ऩूयी व्मलस्था की शै औय उव काभ के शरए शभने अऩनी
वयकाय वे ककवी बी प्रकाय की वशामता नशीॊ भाॉगी। उव काभ भें नाभभात्र के शरए बी ब्राह्भण वदस्मों वे
कुछ न रेते शुए, मश कामव शभने अऩने स्लमॊ के े वे रामा शै ।

जोतीयाल : अऩनी वयकाय के फाये भें कशा जा वकता शै कक जजधय दभ, उधय शभ। क्मोंकक अछूतों को
छूने का अचधकाय नशीॊ शोने की लजश वे स्लाबावलक रुऩ वे शी उनके वबी प्रकाय के काभ−धॊधों कयने के
दयलाजे फॊद शो गए शैं औय उवी की लजश वे उवके वाभने ऩेट की आग को फुझाने के शरए ोयी−डकैती आहद
अलैध काभों को कयने की नौफत आती शै। रेककन उन्शें ोयी डकैती आहद अलैध काभ नशी कयने ाहशए,
इवशरए शभायी वयकाय ने उनको नजदीक के ऩशु रव थाने भें जा कय शाजजयी रगाने का दस्तूय ळरु
ु ककमा शै,
मश अच्छा काभ ककमा शै । रेककन ब्राह्भणों की अनाथ, ननयाधाय वलधला जस्त्रमों को दव
ू या वललाश कयने की
भनाशी शोने की लजश वे उन ब्राह्भण जस्त्रमों को व्मशब ाय कयने के शरए भजफयू शोना ऩड़ता शै। इवका
ऩरयणाभ कबी−कबी मश बी शोता शै कक गबवऩात औय भ्रूणशत्मा (फारशत्मा) बी कयने के शरए भजफूय शोना
ऩड़ता शै । इन तभाभ फातों को शभायी न्मामी वयकाय अऩने र
ु ी आॉ ों वे दे ती यशती शै । कपय बी
भातॊग−याभोशळमों की तयश उन ऩय ननगयानी नशीॊ य यशी शै , मश ककतना फड़ा आश्लमव शै ! क्मा मश अन्माम
नशीॊ शै? शभायी वयकाय गबवऩात औय भ्रूणशत्मा कयनेलारी वलधला जस्त्रमों की अऩेषा ोयी−डकैती कयनेलारे
भातॊग़−भशाय रोग ज्मादा दोऴी हद ाई दे ते शैं। दव
ू यी फात मश कक ब्राह्भणों की 'काभ कभ औय फकलाव
ज्मादा' यशती शै । अये , जो रोग वभझदाय शो कय अऩनी छोटी नावाभझ फशन की शजाभत कयनेलारे शज्जाभ
के शाथ को योकने के शरए अऩना शाथ आगे नशी फना वकते, फुजहदर रोगों को ऐवे योकने के शरए वदस्म
फना कयके क्मा पर शोगा?
धोंडीयाल : तात, कोई फात नशीॊ। रेककन आऩने ऩशरे कशा था कक वबी वयकायी शळषा वलबागों भें
कुछ अव्मलस्था पैरी शुई शै, उवका क्मा भतरफ शै?

जोतीयाल : इन वयकायी शळषा आहद वलबागों भें जो शय तयश की अव्मलस्था शै , उवके फाये भें महद
शर ा जाए, तफ उवकी एक स्लतॊत्र ककताफ शी शो जाएगी। इवी डय की लजश वे उवभें वे एक-दो फातें उदाशयण
स्लरुऩ मशाॉ रे यशा शूॉ। ऩशरी फात मश शै कक ळूद्र औय अछूतों के फच् ों के स्कूरों के शरए शळषक तैमाय कयने
की कोई हदर स्ऩी नशीॊ शै, उनको इव काभ भें ऩूयी अनास्था शै ।

धोंडीयाल : तात, ऐवा कैवे कशा जा वकता शै ? वयकाय ने वबी जानत के फच् ों को ऩनाने के शरए
शळषक (ऩॊड़डत) प्रशळक्षषत कयने के शरए एक स्लतॊत्र प्रशळषण स्कूर ळरु
ु ककमा शै। वयकाय के भन भें कोई
बेदबाल की बालना नशीॊ हद ाई दे ती।

जोतीयाल : महद तभ
ु ऐवा कशते शो, तफ मश फताओ कक आज तक उन प्रशळक्षषत शळषकों ने (ऩॊड़डत)
अछूतों के ककतने फच् ों को ऩनना−शर ना−शव ामा शै? अफ तुभ नी े क्मों दे यशे शो? इवका भुझे जफाफ
दो।

धोंडीयाल : तात, वबी ब्राह्भण ऩॊड़डत रोग ऐवा कशते शैं कक अछूत के फच् ों को स्कूर भें दाख र
कयते शी, हशॊदस्
ु थान भें फड़ी अव्मलस्था ऩैदा शोगी। फड़ा अवॊतोऴ ऩैदा शोगा। इवशरए वयकाय घफयाती शै ।

जोतीयाल : अये , वयकाय अऩनी पौज भें वबी जानत के रोगों को बयती कयती शै। कपय हशॊदस्
ु थान के
रोग क्मों अव्मलस्था ऩैदा नशीॊ कय यशे शैं? मश वफ वयकाय कपय की राऩयलाशी शै । क्मोंकक वबी जानत के
रोगों को पौज भें बयती कयते वभम वयकाय उव काभ को स्लमॊ कय रेती शै औय शळषक (ऩॊड़डत) प्रशळक्षषत
कयने का काभ उव पारतू ककवी शयाभी गोफयगणेळ को वौंऩ दे ती शै, औय महद उवको इव काभ की कुछ बी
जानकायी शोती, तफ उवने वफवे ऩशरे अछूतों के फच् ों को शळषक के रूऩ भें तैमाय (प्रशळक्षषत) कयने का काभ
ककवी बी प्रकाय वे आनाकानी न की शोती। उवी प्रकाय उन स्कूरों भें केलर ब्राह्भणों के फच् ों की शी इतनी
पारतू बयती न की शोती।

धोंडीयाल : तात, कपय वयकाय को इवके शरए क्मा कयना ाहशए?

जोतीयाल : इवका एक शी ऩमावम शै कक वयकाय भेशयफान शो कय इव काभ को वबी मूयोवऩमन


करेक्टयों के शाथ भें वौंऩ दे । तफ शी मश शळषा के प्र ाय का कामव वपर शोगा, लयना नशीॊ। क्मोंकक इन्शीॊ
रोगों का ळूद्र औय अछूतों वे ननकट का वॊफध
ॊ शोने की लजश वे ब्राह्भण कभव ारयमों ऩय ककवी बी प्रकाय का
बयोवा नशीॊ कयना ाहशए। उन्शें शय गाॉल− ेड़ों भें एक−एक फाय जा कय लशाॉ मश वभझाना ाहशए कक
कुरकखणवमों की त्रफना भदद वे गाॉल के वबी फुजुग−
व फार−फच् ों को ऩनना−शर ना शव ाने वे क्मा−क्मा राब
शोते शैं। उनके इव तयश वे वभझाने वे गाॉल− ेड़े के रोग अऩने वबी शोशळमाय फच् ों को ऩनना−शर ना
शव ाने के शरए फशुत शी ळ ु ी वे करेक्टय वाशफ के शलारे कय दें गे। इव तयश मूयोवऩमन करेक्टयों के कशने
वे शळषा वे प्र ाय प्रवाय का काभ जजतना वपर शोगा, उव तयश ऐवे नावभझ (ब्राह्भण ऩॊड़डत) कभव ारयमों वे
न वपर शुआ औय न शोगा, मशी शभायी धायणा शै । इव वॊफॊध भें एक कशालत शै कक 'जेनो काभ तेनो थाम,
त्रफजा कये तो गोता ाम'। इववे अफ तम्
ु शीॊ वो ो कक ळूद्र औय अछूत जानत के ऩने −शर े रोगों की आज
ककतनी जरूयत शै। क्मोंकक जफ उव जानत के रोग ऩन−शर कय तैमाय शोंगे , तफ उनको अऩनी जानत का
अशबभान शोगा औय ले रोग अऩनी−अऩनी जानत के फच् ों को ऩनना−शर ना शव ाएॉगे, उनको ऩनने−शर ने
के शरए प्रेरयत कयें गे। ले रोग अऩनी−अऩनी जानत के फच् ों को शाथ भें डॊडा रे कय जानलयों को शाॉकते शुए
उनके ऩीछे −ऩीछे जाने वे ऩशरे, शळषा के प्रनत उनके भन भें इतना प्रेभ ऩैदा कयें गे कक जफ ले फच् े फड़े शो
जाएॉगे तफ ले अऩने भें वे एक फच् े को फायी-फायी ेत ऩय जानलयों को वॉबारने के शरए य ेंगे औय ळेऴ वबी
रड़कों को गाॉल के भैदान ऩय चगल्री−डॊडा ेरने वे योकेंगे। उनको गाॉल भें रा कय, अध्माऩक के ऩाव फैठा कय
ऩनना−शर ना वी ने के शरए, कोई कवय फाकी नशीॊ य ेंगे। दनु नमा भें वफवे प्रगनतळीर याष्र अभेरयका के
रोगों भें आधे वे ज्मादा रोगों ने अऩने लणव के फॊधुओॊ के वलयोध भें तीन वार तक रगाताय जॊग कयने के
फाद अऩने शाथ के गुराभों को छोड़ हदमा था। तफ ऐवे भु व ब्राह्भण स्कूरों भें ळद्र
ू ाहद अछूतों को वशी सान
ऩना कय उनको अऩनी गुराभी वे भुक्त शोने की प्रेयणा कैवे दे वकेंगे? अये , जजव एक ब्राह्भण प्रोपेवय की
तनख्माश भें छ: ळद्र
ू मा नौ अछूत प्रोपेवय कभ तनख्लाश भें प्राप्त शोने की ऩूयी वॊबालना शोने ऩय बी अऩनी
वयकाय इव काभ के शरए ब्राह्भणों के ऩीछे रगी शुई शै औय अऩने असानी बाइमों की कभाई का रुऩमा−ऩैवा
इव तयश फेहशवाफी व कय यशी शै । इवशरए महद शभने अऩने वयकाय को बयी नीॊद वे जगामा नशीॊ, तफ तो
इव अनथव का दोऴ शभाये भाथे ऩय रगेगा। इवी प्रकाय ौधरयमों की शलेशरमों के यवोईघयों भें अछूतों के ककतने
फच् े काभ कयते शैं, इवके वॊफॊध भें जया कुछ फताइए।

धोंडीयाल : तात, जशाॉ ळूद्रों के फच् ों को शी कोई दे ने वॉबारनेलारा नशीॊ शै, लशाॉ अछूतों के फच् ों की
फात शी दयककनाय।

जोतीयाल : आख य ऐवा क्मों? तुभ शी कशते शो न कक, वयकाय बेदबाल नशीॊ कयती, कपय मश जो
कुछ शो यशा शै, इवकी लजश क्मा शै?

धोंडीयाल : इवका कायण लशाॉ वबी ब्राह्भण कभव ारयमों का शोना शी प्रतीत शोता शै । आऩने एक फात
भुझे एक हदन प्रत्मष रूऩ वे फताई थी। लश फात मश थी कक जो ब्राह्भण व्मजक्त ऩशरे आऩके ऩाव नौकयी के
शरए था, लश अछूतों के स्कूर भें आ कय ककवी बी प्रकाय का छुआछूत नशीॊ भानता था औय स्कूर के वबी
छात्रों को अच्छी तयश ऩनना−शर ना शव ाता था। रेककन लशी ब्राह्भण जफ यवोइमा फना, तफ लश इतना
छुआछूत भानता था कक उवने एक गयीफ वुनाय को ौयाशे ऩय ीॊ रे आमा था; क्मोंकक उव वन
ु ाय ने गयभी
के हदनों भे उव टॊ की वे ऩानी ननकार कय वऩमा था औय अऩनी प्माव फझ
ु ाई थी।

जोतीयाल : अये , इन भशाभू व ब्राह्भणों द्लाया य े गए गीतों को आज बी वबी नए वभाजों भे गामा


जाता शै, औय उन्शोंने अफ तक अऩने भतरफी धभव के अनुवाय ऩत्थयों के बगलान को ऩूजना छोड़ा नशीॊ शै ।
लशी ब्राह्भण अऩने घय की टॊ की को ळद्र
ू ों को नशीॊ छुना ाहशए इवशरए उवे ढाॉक कय काळी जा कय लशीॊ
स्थामी शोने की फात कय यशा शै । रेककन शभाये ननष्ऩष म्मनु नशवऩाशरटी भें ब्राह्भण वदस्मों की वॊख्मा वफवे
ज्मादा शोने की लजश वे उन्शोंने उव टॊ की के इदव −चगदव के घेये को लैवे शी कामभ य ा शै । रेककन उन्शोंने त्रफना
वो −वल ाय ककए शी ळक्
ु लायी के दजी की टॊ की के घेये को एकदभ चगया हदमा। लशाॉ के कई ब्राह्भणों ने शवपव
अऩने उऩमोग के शरए उव टॊ की के ऊऩयी बाग भें औय उववे रगा कय एक छोटी−वी ोय टॊ की फाॉध दी शै
औय उवका ऩानी अऩने स्नान के शरए, अऩने ऩाऩों को धोने के शरए भनभानी व कयते शैं। ब्राह्भण जानत भें
जन्भ रे कय इव तयश की ऩा ड
ॊ ी शयकतें न कयें , तफ उव जानत की कीभत शी क्मा शै?
ऩरयच्छे द : सोरह

[ब्रह्भायाऺसों के उत्ऩीड़न की ऺम]

धोंडीयाल : तात, आऩके वाथ जो वॊलाद शुआ, उववे मश शवद्ध शोता शै कक वबी ब्राह्भणों ने अऩने
नकरी धभव के नाभ ऩय शभायी बोरी−बारी वयकाय की आॉ ों भें धर
ू झोंकी शै औय शभ वबी ळूद्राहद−अछूतों
का अभेरयका के (कारे) गुराभों वे ज्मादा ळोऴण ककमा। ले आज बी कय यशे शैं। इवशरए शभ वबी रोगों को
शभर कय इन ब्राह्भणों के फनालटी धभव का ननऴेध कयना ाहशए औय अऩने अनऩन बाइमों को बी इव वॊफॊध
भें जागत
ृ कयना ाहशए। आऩ इव फाये भें क्मों नशीॊ वो यशे शैं? ओय इन रोगों भें जाग़नृ त राने का कामव
क्मों नशीॊ कय यशे शैं?

जोतीयाल : भैंने कर शी ळाभ को इवके शरए एक ऩ ाव तैमाय ककमा शै। भैंने उवे अऩने एक वाथी को
वौंऩ कय उववे मश कशा शै कक उव ऩ े भें ह्र्सस्ल−दीघव की जो बी गरनतमाॉ शों, उनको ठीक कय के, उवकी
एक-एक प्रनत तैमाय कय के वबी ब्राह्भण औय ईवाई अ फायलारों के अशबप्राम के शरए बेज दीजजए। उव ऩ े
का स्लरुऩ इव प्रकाय शै;

ळद्र
ू ों को ब्रह्भयाषवों की गर
ु ाभी वे

इव प्रकाय भक्
ु त शोना ाहशए

भर
ू ब्राह्भणों के (इयाणी) ऩल
ू ज
व ों ने इव दे ळ के भर
ू ननलाशवमों ऩय शभरा ककमा। उन्शोंने मशाॉ के
शभाये भूर षेत्रलावी ऩूलज
व ों को मुद्ध भें ऩयाजजत ककमा औय उनको अऩना गुराभ फना शरमा। फाद भें उनको
जजव तयश का भौका प्राप्त शोता यशा, उव तयश उन्शोंने अऩनी वत्ता की भस्ती भें कई तयश के भतरफी−नकरी
धभव ग्रॊथ शर लाए औय उन वफकी एक भजफत
ू ककरा फना कय उवभें उन वबी ऩयाजजतों को लॊळ−ऩयॊ ऩया वे
फॊदी फना कय के य ा हदमा। लशाॉ उन्शोंने उनको कई तयश की मातनाएॉ दे कय आज तक ले ब्राह्भण-ऩॊडा-
ऩयु ोहशतों फड़ी भौज−भस्ती भें अऩना जीलन गज
ु ाय यशे शैं। इवी दयम्मान जफ अॊग्रेज फशादयु ों का याज इव दे ळ
भें कामभ शुआ तफ वे अचधकाॊळ दमारु मूयोवऩमन औय अभेरयकी बरे रोगों को शभाया उत्ऩीड़न अऩनी आॉ ों
वे दे ा नशीॊ गमा। तफ उन्शोंने शभाये इव जेर ाने भें फाय-फाय आ कय शभ रोगों को इव प्रकाय का उऩदे ळ
हदमा कक 'ऐ भेये बाइमो, आऩ वबी रोग शभायी तयश शी इॊवान शै । आऩका औय शभाया जन्भदाता औय
ऩारनकताव एक शी शै। इवशरए आऩ वबी रोग शभायी तयश शी तभाभ भानली शकों के शकदाय शोने के फालजद
ू ,
आऩ रोग इन ब्राह्भणों के नकरी ल स्
व ल को क्मों भान यशे शैं ?' आहद इव तयश की कई भशत्लऩण
ू व वू नाओॊ
का अध्ममन कयने ऩय भुझे भेये स्लाबावलक औय वशी भानली अचधकाय वभझ भें आते शी भैंने उव जेर ाने के
नकरी भख्
ु म ब्रह्भ दयलाजे के ककलाड़ों को रात भाया औय उव जेक ाने वे फाशय ननकर आमा। इव ब्राह्भण
कैद ान वे ननकरने के फाद भैंने अऩने ननभावता के प्रनत आबाय व्मक्त ककमा।

अफ भैं उन ऩयोऩकायी मूयोवऩमन उऩदे ळकों के आॉगन भें अऩना डेया डार कय कुछ आयाभ कयने वे
ऩशरे मश प्रनतसा कयता शूॉ कक :
ब्राह्भणों के जजन प्रभु धभवग्रॊथों के आधाय ऩय शभ (ळूद्राहद−अनतळद्र
ू ) रोग ब्राह्भणों के गुराभ शै
औय उनके अन्म कई ग्रॊथों−ळास्त्रों भें शभायी गुराभी का वभथवन भें रेशर े शुए शभरते शैं, उन वबी ग्रॊथों
का, धभवळास्त्रों का औय उवका जजन−जजन धभवळास्त्रों के वॊफध
ॊ भें शोगा, उन वबी धभवग्रॊथों का शभ ननऴेध
कयते शैं। उवी तयश जजन धभवग्रॊथों के आधाय ऩय (कपय लश ककवी बी दे ळ का मा धभव के वल ायलान व्मजक्त
द्लाया तैमाय ककमा शुआ क्मों न शो) वबी रोगों को वभान रूऩ वे वबी लस्तुओॊ का, वबी भानली अचधकायों
का वभान रूऩ वे उऩबोग रेने की इजाजत शो, उव तयश के ग्रॊथकताव को भैं अऩने ननभावता के वॊफॊध भें छोटा
बाई वभझ कय उव तयश अऩना आ यण य ग
ुॉ ा।

दव
ू यी फात मश शै कक रोग अऩनी एकतयपी वो के अशॊ काय भें जफदव स्ती ककवी को बी नी वभझने
रामक आ यण कयने रगते शैं, उन रोगों को उव तयश का आ यण कयने का भौका दे कय भैं अऩने ननभावता
द्लाया ननशभवत ऩवलत्र अचधकायों के ननमभों को धब्फा नशीॊ रगाऊॉगा।

तीवयी फात मश शै कक जो गुराभ (ळूद्र, दाव, दस्मु) केलर अऩने ननभावता को भान कय नीनत के
अनुवाय वाप-वुथया उद्मोग कय ने का ननश् म कय के उवके अनुवाय आ यण कय यशे शैं, इव फात का भझ
ु े
ऩयू ा मकीन शोने ऩय, भैं उनको केलर ऩरयलाय के बाई की तयश भान कय उनके वाथ प्माय वे ाना−ऩीना
करुॉ गा, कपय लश आदभी, ले रोग ककवी बी दे ळ के यशनेलारे क्मों न शों।

आगे ककवी वभम असान के अॊधकाय भें वताए शुए भेये ळूद्र बाइमों भें वे ककवी को बी ब्राह्भणों की
गुराभी (दावता) वे भुक्त शोने की इच्छा शोने ऩय, एक फाय बी क्मों न शो, कृऩमा अऩना नाभ−ऩता ऩत्र के
द्लाया शर कय भुझे बेज दें । भुझे इव काभ भें फड़ी ताकत शभरेगी औय भैं उनका फशुत शी ळक्
ु गुजाय यशूॉगा।

- जोतीयाल गोवलॊदयाल पुरे

तायी [32]: 5 हदवफय, 1872

ऩन
ू , जन
ू ागॊज नॊ0 527

जनकल्माण की काभना वे

शभाये अऩने प्रशवद्ध भशासानी, भशाच त


ॊ क औय भशान वॊळोधक, दाळवननक जोतीयाल गोवलॊदयाल पुरे ने
एक फड़े गश
ृ स्थ की शवपारयळ ऩय एक अप्रमोजक, आत्भस्तुनतमुक्त औय ब्राह्भणों की फदनाभी कयनेलारा एक
ऩत्र शभायी ओय बेजा शै। उनके उव ऩत्र को शभाये अ फाय भें स्थान शभरने की कोई वॊबालना नशीॊ शै। इवशरए
शभ प्रस्तत
ु ऩत्र के रे क पुरे वे षभा ाशते शैं।

कोल्शाऩयु , ता0 1 पयलयी, 1873

ळुब लतवभान दळवक औय व के वॊफॊध भें वलशबन्न वॊग्रश


ऩूना के अ फायलारे उक्त ऩरयच्छे द को अऩने अ फाय भें प्रकाशळत नशीॊ कय यशे शैं, इवशरए इव ऩत्र
को शभायी ओय बेजा गमा शै। मश ऩरयच्छे द ायों ओय प्रशवद्ध कयना ाहशए, इव तयश की जोतीयाल गोवलॊदयाल
पुरे की इच्छा शोनी की लजश वे उनके इव ऩरयच्छे द को शभ अऩने अॊक भें प्रकाशळत कय यशे शैं। शभाये हशॊद ू
शभत्रों को मश ऩरयच्छे द कुछ भात्रा भें फदनाभी कयनेलारा रगेगा, कपय बी इवभें जो अशबप्राम व्मक्त शुआ शै,
लश फशुत शी प्रळॊवनीम शै, ऐवा भझ ु े रगता शै । क्मोंकक लास्लल भें दे ा जाए तो ब्राह्भणों की भान्मता के
अनुवाय जानत−बेद नशीॊ शै, इव फात को 'जो बी व्मजक्त शभाये ध्मान भें रा कय दे गा, उव व्मजक्त वे भैं तुयॊत
ऩत्र के द्लाया वॊऩकव स्थावऩत करूॉगा,' 'इव फात को उन्शोंने फड़ी हशम्भत के वाथ कशी शै औय इव तयश की
हशम्भत य नेलारे रोग इव दे ळ भें फशुत फड़ी वॊख्मा भें शोने ाहशए।'

धोंडीयाल : तात, आऩने ऊऩय जो वु नाऩत्र हदमा शै, उवकी वबी धायाएॉ फशुत शी ऩवॊद आई शैं औय भैं
उवी के अनव ु ाय अऩना आ यण य ग ुॉ ा। भैं आज शजायों वार के ब्राह्भणों के फनालटी औय ददव नाक धभव के
जेर ाने वे ऩूयी तयश भुक्त शुआ शूॉ। इवीशरए आज भझ ु े फशुत ळ
ु ी शो यशी शै। भैं व भु भें आऩका कृतस
शूॉ। वॊषेऩ भें, आऩके शय तयश के वलश्रेऴण को वन
ु ने के फाद हशॊद ु धभव (ब्राह्भण धभव) के ऩा ड
ॊ ी, फनालटी
स्लरुऩ के फाये भें भेया मश स्ऩष्ट भत फन क
ु ा शै । रेककन शभ रोग जजव एक ऩयभेश्लय को, जो वफको
दे नेलारा औय वलवस शोने ऩय बी, शभ ळद्र
ू ाहद−अनतळद्र
ू ों की मातनाएॉ, शभाया ळोऴण−उत्ऩीड़न उवको आज तक
क्मा व भु भें नशीॊ हद ाई हदमा शोगा?

जोतीयाल : इवके वॊफॊध भें फाद भें ककवी ऐवे शी भौके ऩय तुभको वाया र
ु ावा कयके फता दॉ ग
ू ा,
जजववे तुभको ऩूया वलश्लाव शो जाएगा औय भन का वभाधान बी।

[1] A most remarkable and striking corroboration of these views is to be found in


the religious rites observed on some of the grand festivals which have a reference to Bali
Raja, the great king who appears to have reigned once in the hearts and affection of the
Shoodras and whom the Brahmin rulers displaced. On the day of Dushhara, the wife and
sisters of a Shoodra, when he returns from his worship of the Shumi Tree and after the
distribution of its leaves, which are regarded on that day as equivalent to gold, amongst
his friends, relations and acquaintances, he is greeted at home with a welcome " अरा फरा
जाले औय फरी का याज आले" "Let all troubles and misery go, and the kingdom of Bali come."
Whereas the wife and sisters of a Brahmins place on that day in the foreground of the
house an image of Bali, made generally of wheaten or other flour, and when the Brahmin
returns from his worship of the Shumi Tree he takes the stalk of it, pokes with it the belly
of the image and then passes into the house. This contrariety, in the religious customs
and usages obtaining amongst the Shoodras and the Brahmins and of which many more
examples might be adduced, can be explained on no other supposition but that which I
have tried to confirm and elucidate in these pages

[2] . वभथव याभदाव − भयाठी वॊत कवल। ब्राह्भण जानत भें ऩैदा शुए औय फे ब्राह्भणलाद के कट्टय
वभथवक थे।

[3] अनामव, लश भानल-वभाज, जो ब्राह्भणों के ातल


ु ण्
व मव वभाज वे फाशय का शै ।

[4] हशॊदओ
ु ॊ भें (ब्राह्भणों भें) वऩतयों के वम्भान औय उनकी तजृ प्त के शरए ळास्त्र के अनुवाय मा
धाशभवक यस्भ-रयलाजों के अनव
ु ाय ककमा जानेलारा धाशभवक अनष्ु ठान, जैवे-तऩवण, वऩॊडदान, ब्राह्भणों को बोजन
कयाना। मश श्राद्ध वाॊस्कृनतक ऩयॊ ऩया नशी, फजल्क हशॊदओ
ु ॊ की धाशभवक वलचध शै । इवका प्रायॊ ब ब्राह्भण-ऩुयोहशतों
ने अऩने स्लाथव के शरए ककमा था।

[5] भाॊगशरक − भयाठी भें इवके शरए, 'वोंलऱे ओलऱे ' ळब्द का प्रमोग ककमा जाता शै।

[6] फुटेरय - अॊग्रेजों के घय भें ाना ऩकानेलारा - ानवाभा।

[7] शरॊगामत - एक ळैल वॊप्रदाम, जजवका प्रवाय दक्षषण बायत भें शुआ शै।

[8] वलवप्रम - अवप्रम, धो ेफाज, छरी-कऩटी, दष्ु ट।

[9] भालरा - भयाठी भें भालऱा। भशायाष्र के अॊतगवत ऩन


ू ा के इदव -चगदव का प्रदे ळ।

[10] जेजोयी का ड
ॊ ोफा − भशायाष्र का एक प्रशवद्ध दे लस्थान शै। मश स्थान ऩूना की आग्नेम हदळा
भें कयीफन तीव भीर की दयू ी ऩय शै । जेजोयी की ऩशाड़ी ऩय कई ऩठाय औय गनकोट शैं। इन दो जगशों ऩय

ॊ ोफा के भॊहदय शैं। इनभें कई शळरारे शै । मशाॉ वफवे ऩुयाना शळरारे ई0 वॊ0 1246 का शै । जेजोयी भें
ॊऩाऴष्ठी, वोभलती अभालस्मा, ैत्री, श्रालणी, ऩौऩी औय भाघी ऩूखणवभा को वलळेऴ उत्वल शोते शै । ॊऩाऩॊष्ठी मशाॉ
का वफवे फड़ा उत्वल शै।

[11] भल्शायी − शळल का एक अलताय भाना जाता शै । एक दे लता।

[12] भातिंड − इव दे लता को 'भल्शायी भातिंड' नाभ वे बी जानते ऩक


ु ायते शै। भशायाष्र की रोककराओॊ
भें मश नाभ फशुत शी प्र शरत शै।

[13] शय-शय - इव ळब्द का अऩभ्रॊळ 'शुयाव-शुयाव' शै , मश ननकरता शै , क्मोंकक अॉग्रेज रोगों भें एक ऩुयाना
रयलाज शै कक ले 'शुयाव-शुयाव' कयके च ल्राए फगैय दश्ु भन ऩय टूॉट ऩड़ने की आसा शी नशीॊ दे ते। मश फात उनके
इनतशाव भें कशी गई शै । "Hurrah Boys! Loose the saddle or win the horse!"
[14] . फरी − (फरय, फेदगु) फरी कन्नड़ ळब्द शै। इवका ताशभर अनल
ु ाद 'फरय' तथा तेरुगु 'फेयग'ु शै।
इवका अथव शै फाशयी जानत। फशर का उल्रे अनेकों फाय ऋग्लेद भें एक दे लता तथा एक याजा के रूऩ भें शुआ
शै । फशर एक प्रशवद्ध दानल याजा था। उवने तीनों रोकों को जीत शरमा था। दे लता (ब्राह्भण) उवने त्रस्त थे।
ऩुयाणों भें कशा गमा शै कक फरी याजा दान दे ने के शरए प्रशवद्ध था। वलष्णु दमा कयके कश्मऩ औय आहद वे
लाभन रूऩ भें उत्ऩन्न शुए औय ब्राह्भण का रूऩ धायण कय फरी याजा के ऩाव गए। लाभन ने छर-कऩट वे
फरी याजा वे तीन ऩग बशू भ भाॉगी।

[15] गामत्री भॊत्र − 'गामत्री' ऋग्लेद भें एक छॊ द का नाभ शै । गामत्री का अथव शै 'गामॊत त्रामते इनत'
अथावत 'गानेलारे की यषा कयनेलारी'। वबी द्वलजों के शरए प्रात: औय वॊध्माकार की प्राथवना भें इव भॊत्र का
ऩाठ कयना अननलामव भाना गमा शै।

[16] कुनफी - हशॊदओ


ु ॊ की एक ळद्र
ू जानत जो प्राम: ेती कयती शै।

[17] बयाडी के ऩॉग


ू ी औय लाध्मा के बॊडायी को कारा धागा शै, उवे दे ख ए। जाणाई दे ली को वटलाई,
भामयाणी, कारकाई की तयश ळूद्र दे ली कशते शैं।

[18] आवया - जरदे ली। मे वात शैं।

[19] फाणावयु की कन्मा उऴा कृष्ण के प्रद्मम्


ु न नाभ के ऩत्र
ु को दी गई थी। ऩयबू मा प्रब,ु गैय
ब्राह्भणों की एक जानत - जजवको भशायाष्र भें वी. के. ऩी. कशते शैं। मशी उत्तय-ऩूलव बायत की कामस्थ जानत
शै । ब्राह्भण रोग इव जानत के रोगों वे बी ळद्र
ू जैवा शी व्मलशाय कयते थे।

[20] ऩॉलाड़ा - गीयगाथा।

[21] म्शवोफा − अथावत म्शऴावुय, भहशऴावुय। दे ली द्लाया भाया गमा एक दै त्म। भहशऴ एक अवुय का
नाभ, जो तभोगण
ु का प्रतीक शै औय दग
ु ाव अऩनी ळजक्त वे इवी का छे दन कयती शै ।

[22] कई मयू ोवऩमन ग्रॊथकायों की बी मशीॊ भान्मता शै ।

[23] उभा जी याभोळी - भशायाष्र नाईक नाभ का एक आदभी था। लश फड़ा रड़लैमा था। उवने अॊग्रेजों
वे बी भुकाफरा ककमा था। रेककन उभा जी नाईक याभोळी ळद्र ू जानत भें ऩैदा शुआ था, इवशरए उवको कोई
ळशीद नशीॊ भानता। रेककन जो ब्राह्भण वशी भें डाकू थे औय अॉग्रेजों वे रड़े, उन्शें ळशीद भाना गमा।

[24] दे ळस्थ - भशायाष्र के ब्राह्भणों भें दे ळस्थ ब्राह्भण नाभ की एक उऩजानत शै।

[25] ऩालवती - ऩूना का ऩालवती दे लस्थान, एक वॊस्थान। इवकी ऩज


ू ा द्लाया प्राप्त आम केलर ब्राह्भणों
ऩय व शोती थी। मशाॉ शभेळा ब्राह्भणों को दान हदमा जाता था। मशाॉ शभेळा ब्राह्भण बोज- रता था।
[26] कुरकणी - कुरकणी, कखणवक, ऩटलायी, तराहट आहद ळब्द वभानाथवक शैं। गाॉल के ौधयी मा
प्रधान का कायकुन। गाॉल की जभीन औय उवके रगान का हशवाफ य नेलारा एक छोटा वयकायी कभव ायी। कुर
का भतरफ जभीन ( ेत) का हशस्वा औय कायण का भतरफ शै भेशनताना। उव वभम ऊॉ ी जानत के शी रोग
कुरकणी, ऩटलायी आहद शोते थे। आज ब्राह्भणों तथा कामस्थों भें कुरकणी, कखणवक वयनेभ (कुरनाभ) शैं।

[27] Chapter IV, The Sepoy Revolt by Henry mead.

[28] भशायाष्र भें भयाठा ळावनकार भें औय ाव तौय ऩय ऩेळलाई के कार भें ोती-ऩद्धनत का उदम
शुआ शै । इवभें ोत ब्राह्भण शोता था जो एक गाॉल मा इव तयश कई गाॉलों की बशू भ का स्लाभी शोता था। इव
ोत का काभ मशी था कक ळद्र ू ों को जभीन जोतने-फोने के शरए दे ना औय पवर के वभम ककवानों वे तीन
ौथाई अनाज जफयन रे रेना। ळद्र
ू ककवानों ऩय इवका अऩना ल स्
व ल रता था। इतना शी नशीॊ, फजल्क मश
बी कशा जाता शै कक ळूद्र ककवानों की फशुओॊ को ळादी के फाद की ऩशरी यात इवी ोत के फॊगरे ऩय गज
ु ायनी
ऩड़ती थी। इवशरए इव अभानलीम ोती-प्रथा के वलरुद्ध भ. जोतीयाल पुरे वे रे कय ळाशू भशायाज तक वबी
ने आलाज फर
ु ॊद की थी औय डॉ. फाफावाशे फ अॊफेडकय ने फॊफई अवेंफरी भें इव ोती-प्रथा के वलरुद्ध कानन

फनलामा था।

[29] टॉम्व ऩेन एक फशुत फड़ा क्ाॊनतकायी वल ायक। उनके 'भनष्ु म के शक (याइट ऑप भॅन) नाभ के
ग्रॊथ वे भ. जोतीयाल पुरे फशुत शी प्रबावलत थे।

[30] गयदन हशरानेलारे नॊदी फैरों की तयश।

[31] ऩूना ळशय की एक फस्ती का नाभ।

[32] प्रस्तत
ु ऩत्र के वॊफॊध भें अ फायलारों के जो−जो अशबप्राम प्राप्त शुए शैं, उनकी मोग्मता जानने
के शरए उनको शभ अऩने ऩाठकों के शरए मशाॉ दे यशे शैं: ऩूना, ळननलाय, ता0 4 जनलयी, 1873

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