Professional Documents
Culture Documents
64 यो ग नय केमं न न कार ह –
(1) ॐ ी काली न य स माता वाहा।
(2) ॐ ी कप लनी नागल मी वाहा।
(3) ॐ ी कु ला देवी वणदे हा वाहा।
(4) ॐ ी कुकुला रसनाथा वाहा।
(5) ॐ ी वरो धनी वला सनी वाहा।
(6) ॐ ी व च ा र या वाहा।
(7) ॐ ी उ र भोग पा वाहा।
(8) ॐ ी उ भा शुनाथा वाहा।
(9) ॐ ी द पा मु ः र ा दे हा वाहा।
(10) ॐ ी नीला भु र पशा वाहा।
(11) ॐ ी घना महा जगद बा वाहा।
(12) ॐ ी बलाका काम से वता वाहा।
(13) ॐ ी मातृ देवी आ म व ा वाहा।
(14) ॐ ी मुा पू णा रजतकृ पा वाहा।
(15) ॐ ी मता तं कौला द ा वाहा।
(16) ॐ ी महाकाली स ेरी वाहा।
(17) ॐ ी कामेरी सवश वाहा।
(18) ॐ ी भगमा लनी ता रणी वाहा।
(19) ॐ ी न यकल ना तंा पता वाहा।
(20) ॐ ी भैड त व उ मा वाहा।
(21) ॐ ी व वा सनी शा स न वाहा।
(22) ॐ ी महव ेरी र दे वी वाहा।
(23) ॐ ी शव ती आ द श वाहा।
(24) ॐ ी व रता ऊ वरे तादा वाहा।
(25) ॐ ी कुलसुंदरी का मनी वाहा।
(26) ॐ ी नीलपताका स दा वाहा।
(27) ॐ ी न य जनन व पणी वाहा।
(28) ॐ ी वजया दे वी वसु
दा वाहा।
(29) ॐ ी सवमङ् गला त दा वाहा।
(30) ॐ ी वालामा लनी ना गनी वाहा।
(31) ॐ ी च ा दे वी र पुजा वाहा।
(32) ॐ ी ल लता क या शुदा वाहा।
(33) ॐ ी डा कनी मदसा लनी वाहा।
(34) ॐ ी रा कनी पापरा शनी वाहा।
(35) ॐ ी ला कनी सवत े सी वाहा।
(36) ॐ ी का कनी नागना तक वाहा।
(37) ॐ ी शा कनी म पणी वाहा।
(38) ॐ ी हा कनी मनोहा रणी वाहा।
(39)ॐ ी तारा योग र ा पू णा वाहा।
(40)ॐ ी षोडशी ल तका दे वी वाहा।
(41)ॐ ी भुवनेरी मंणी वाहा।
(42)ॐ ी छ नम ता यो नवे गा वाहा।
(43)ॐ ी भैरवी स य सु क रणी वाहा।
(44)ॐ ी धू
म ावती कुड लनी वाहा।
(45)ॐ ी बगलामु खी गु मू त वाहा।
(46)ॐ ी मातंगी कांट ा यु
वती वाहा।
(47)ॐ ी कमला शुल संथता वाहा।
(48)ॐ ी कृत े दे वी वाहा।
(49)ॐ ी गाय ी न य च णी वाहा।
(50)ॐ ी मो हनी माता यो गनी वाहा।
(51)ॐ ी सर वती वगदे वी वाहा।
(52)ॐ ी अ नपू ण शवसं गी वाहा।
(53)ॐ ी नार सही वामदे वी वाहा।
(54)ॐ ी गं
गा यो न व पणी वाहा।
(55)ॐ ी अपरा जता समा तदा वाहा।
(56)ॐ ी चामुडंा प र अं गनाथा वाहा।
(57)ॐ ी वाराही स ये का कनी वाहा।
(58)ॐ ी कौमारी या श न वाहा।
(59)ॐ ी इ ाणी मु नय णी वाहा।
(60)ॐ ी ाणी आन दा मू त वाहा।
(61)ॐ ी वैणवी स य पणी वाहा।
(62)ॐ ी माहेरी पराश वाहा।
(63)ॐ ी ल मी मनोरमायो न वाहा।
(64)ॐ ी गा स चदानं द वाहा।
मं जप केबाद भगवान शव क आरती कर तथा साधना समा त होनेकेबाद शव लग पर चढ़ाएं
चावल अलग से रख ल तथा अगलेदन बहते जल यथा नद म वा हत कर द।
64 यो गनी साधना केलाभ :
जब भा यवश काफ यास केबाद भी कोई काम नह बन रहा हैया बल श ु केवश म होकर
जीवन क आशा छोड़ द हो तो इस साधना सेइन सभी क सेसहज ही मु पाई जा सकती है । इस
साधना के ारा वा तुदोष, पतृ दोष, कालसप दोष तथा कु ं
डली केअ य सभी दोष बड़ी आसाना से र
हो जातेह। इनकेअलावा द ( कसी का भी भू त, भ व य या वतमान जान ले
ना) जै
सी कई
स यांब त ही आसानी सेसाधक केपास आ जाती है । पर तुइन स य का भू ल कर भी पयोग
नह करना चा हए। अ यथा अ न होने क आशं का रहती है।
यं का मतलब वशे
ष दे
वीय अंक, अ र या च का कसी कागज, धातु , अ धातुकेप , प थर या
सोने
केप पर लखा जाना या उकेरा जाना। अ सरा यं कसी द तांक केपास उपल ध हो सकता
है
।
अ सरा मंहै -
ओम रं ं रं
भे आग छ आग छ ं रंओम नम:
नयम संयम से साधना करने
पर अ सरा अपनेपू
ण स दय और व प म गट होती है। उस समय साधक
मोगरेकेफूल क माला और मठाई भट करे । वह उपहार म साधक को अपनेप रधान भट करती है
।
उस समय साधक को चा हए क वह ाथना करेक जब वह चाहे अ सरा स न होकर गट हो।
चे
तावनी – यह एक ती साधना हैइस लए इसेगु आ ा सेही करे
! कसी भी तरह केफायदेऔर
नुसान क ज मेदारी हमारी नह है
!
द ण का लका केम और पू
जा व ध :
द ण का लका केम :
,
ॐ ंं द ण का लके ंं ।
ंं द ण का लके ंं वाहा।
नमः का लकायैवाहा।
नमः आं ां
आं फट वाहा का ल का लके ।ं
ंंद ण का लके ंंवाहा।
इनम से
क सी भी म का जप कया जा सकता है
।
पू
जा - व ध:
दै
नक कृय नान- ाणायम आ द सेनवृ त होकर व छ व धारण कर, सामा य पू
जा- व ध सेकाली -
य का पू
जन कर। त प ात ॠ या द- यास एं
व कराग यास करकेभगवती का इस कार यान कर:-
इसकेउपरा त मू
ल- म ारा ापक- यास करकेयथा व ध मुा- दशन पू
वक पु
नः यान करना चा हए।
पु
र रण :
का लका म केपु र रण म दो लाख क संया म म -जप कया है । कु
छ म के वल एक लाख क
संया म भी जपेजातेहै
। जप का दशां
श होम घृ
त ारा करना चा हए । होम का दशां
श तपण, त ण का
दशां
श अ भषेक तथा अ भषे
क का दशां
श ा ण – भोजन कराने का नयम है ।
वशे
ष:
”द णा का लका ” दे
वी केम रा केसमय जप करनेसेशी स दान करतेहै
। जप केप ात
ोत, कवच, दय आ द उपल ध है, उनम सेचाह जनका पाठ करना चा हए । वेसभी साधक केलए
स दायक है ।
पु ा त केलए हनु
म ान साधना
पां
चवांघर कु
ं
डली म सं
तान का कारक होता है| ऐसा माना जाता हैक पचम भाव पर ी ह का
अ धक भाव होने सेक या स तान अ धक होती ह | पर तु
मनेब त सी कुंड लयाँ
देख ह जनमेकेवल
पु कारक ह का भाव पं चम भाव और गु पर था फर भीपु सं तान केलए लोग तरसतेरहे
| इस
स दभ म उन सभी लोग क कु ं
ड लय का गहराई सेअ ययन अ वे षण कया गया जो पु सुख सेवंचत
रहेथे|
कह प त क कुं
डली म कमी दखाई देती तो कभी प नी क कु
ं
डली म | फर जो बात मे
र ी समझ म
आई वह येहैक ज म मरण के वषय म भ व यवाणी करना और बात हैपर तुकुदरत हर कदम पर
हमारेनयम को ठु
करा सकती है| हम कतना भी ग णत लगाय पर ज म और मृ युपर भ व यवाणी
करनेकेलए गणना क नह स क आव यकता होती है |
पर तुहनु
म ान जी क साधना आसान नह है| जब भी हनु
म ान जी क पू
जा का संक प लया जाता है
तो सव थम शत होती है चय | य द आप न त दन केलए अपनेमन पर सं यम रख सकतेह
तो यह साधना आप कर सकतेह | इस साधना केलए मू ग
ंेक माला का योग कर तो अ छा है नह
तो ा क माला भी चले गी | शुल प केमं
गलवार से ार भ करकेहनुम ान चालीसा का एक सौ
आठ बार जप रोजाना कर |
लाल रं
ग का आसन लगाकर हनु
म ान जी केसम बैठ कर धु
प द प आ द सेपू
जनोपरां
त प शु कर |
चालीस दन केबाद आप केअ दर इतनी श आ जाये
गी क हर चीज तुछ लगनेलगेगी |
सु
ले
म ान पै
ग बर साधना :
सु
लेम ान पै
ग बर को भला कौन नह जनता ? सु ले
म ान पै
ग बर परीय केबादशाह कहेजातेहै!उनक
साधना करने केबाद परीया आसानी सेस क जा सकती है ! सफ परीया ही नह सु
ले
म ान पै
ग बर के
स हो जानेकेबाद आप भू त े त और ज नातो सेभी अपना मनचाहा काय बलपू वक करवा
सकते है! यह साधना ब त पाक साफ़ रहकर क जाती है !
।। म ।।
सात आसमान से आया हजरत सु लेम ान साथ आई छेप रया
लाल परी, इं
द परी, र परी, नू
र परी, शाह परी, सफ़े द परी केसाथ अदब सेखडी हाथो म करामात क
छ डया , कै
सी कै
सी करामात दखाए, आ शक माशू क को वश कर लाये , भू
त े
त को मार भगाए,
दे
व दानव को संगल पाए,चार कूट क खबर लगाये ,
चले म फु रेबादशाह दे
खां सु
ले
म ान पै ग बर ते
र ी कलाम का तमाशा !
बोल भाई अ लाह ही अ लाह !
।। व ध ।।
यह म शुल प के कसी भी गुवार या शुवार सेशु कया जा सकता है! साधना केदौरान
आप लाल कपडेपहनेऔर लाल आसन पर बै ठकर सरस केते ल का द पक जलाये! लाल हक क क
माला सेइस म का सात माला जाप करे !पहले और आखरी दन सवा कलो पीले चावल बनाकर बां
टे!
यह या आपको 41 दन करनी है ! य द सुले
म ान पै
ग बर दशन देतो इ छत वर मां
गले!
चे
तावनी – यह एक ती साधना हैइस लए इसेगु आ ा सेही करे
! कसी भी तरह केफायदेऔर
नुसान क ज मेदारी हमारी नह है
!
भू
तनी साधना :
तु
त एक दवसीय योग एक अचरज पू ण योग है, जसेस पन करने पर साधक को भुतनी को व
केमा यम से य कर उसेदे ख सकता हैतथा उसकेसाथ वातालाप भी कर सकता है. साधको के
लए यह योग एक कार से इस लए भी मह वपू
ण है क इसकेमा यम से अपनेव म भु तनी
सेकोई भी का जवाब ा त कर सकता है. यह योग भु तनी केतामस भाव केसाधन का योग
नह है, अतः को भुतनी सौ य व प म ही यमान होगी.
मं– ंंं
भुतेरी ंंं
फट्
मंजाप पू ण होने पर जल रहे द पक सेउस य को जला दे ना है. य क जो भ म बने गी उस भ म
सेललाट पर तलक करना है तथा तन बार उपरो मंका उ चारण करना है . इसकेबाद साधक अपने
मन म जो भी हैउसकेमन ही मन ३ बार उ चारण करे तथा सो जाए. साधक को रा ी काल म
भु तनी व म दशन दे ती हैतथा उसके का जवाब देती है
. जवाब मलने पर साधक क न द खु ल
जाती है, उस समय ा त जवाब को लख ले ना चा हए अ यथा भूल जानेक सं भावना रहती है . साधक
द पक को तथा माला को कसी और साधना म योग न करेले कन इसी साधना को बारा करनेके
लए इसका योग कया जा सकता है . जस पा म य रखा गया हैउसको धो ले ना चा हए. उसका
उपयोग कया जा सकता है . अगर य क राख बची ई है तो उस राख को तथा जस लकड़ी सेय
का अं कन कया गया है उस लकड़ी को भी साधक वा हत कर दे . साधक सरेदन सु बह उठ कर उस
तलक को चे हरा धो कर हटा सकता है लेकन तलक को सु बह तक रखना ही ज़ री है .
चेतावनी – यह एक ती साधना हैइस लए इसेगु आ ा सेही करे ! कसी भी तरह केफायदेऔर
नुसान क ज मे दारी हमारी नह है!
कापा लक और शव साधना :
।। “ ंं का लकेघोरदंे चं
डेचं
डना यके
दानवान ाराय हन हन शव शरीरे
महा व न छे
दय छे
दय
वाहा ं
फट “।।
“ ं फुर फुर फु
र घोर घोतर तनुप चट चट पचट कह शकह वन वन बं
ध बं
ध घतपय घातय ं
फट अघोर मं
“
“ॐ वीरेश मानं
द शवनं
द कु
लेर, आनं
द भै
रवाकर दे
वी पयकशं
कर। वीरोहं वंप धा म उ च
चंडकारतने
“
सभी याए शव क सहम त सेही सं भव है। र च दन केबाद कोई साधक डर भी सकता हैऔर
उसक मृ युभी हो सकती है। इस अव था मे शव र वण हो जाता है। य द ऐसा हो रहा हो तो साधक
को त काल अपनी सु र ा मु
क मल कर लेनी चा हए अ यथा शव उसका भ ण कर सकता है ।
अतएव अपनेझोलेमे सेसे
व नकाल कर ‘र ो य द दे
वे
शी भ ये
त कुलसाधकम’ मं पढ़ते ए शव
केमुख मे डाले। फर ता बूल खलाये। कलो पीठ मंव ‘ॐ फट’ का उ चारण करे , इसकेबाद
शव को कं बल सेअ छ तरह ढँ क देऔर शव को कमर सेउठाये। इतनेमेही आसमान मेबजली
कड़क उठट है या फर उठ सकती है । अब यह मंपढे–
‘ग वा शत ु
सा व यं
धारये
त क टदे
शत। यद यु
प ावये
त दा, दया ी वनं
शवे
’
यह मंसे ही शव शां
त हो जाता है। इसकेबाद दश दशाओ और द पाल क पु जा करे । फर अनार
का ब ल दे। इसकेबाद मंपढे‘ फट शवासनाय नमः’। कहकर शव क अचना करे । शव को क जे
मेलेनेके लयेउसक घोड़ेक तरह सवारी भी करनी पड़ती है । इस लए उसक सवारी भी क जा न
चा हये। सवारी केबाद शव केके शो क चु टया बांधे। फर अपनेगु एवंगणप त का यान करे ,
फर शव को णाम करे । फर शव केस मु ख खड़े होकर यह मंपढे-
“अ यै याद अमु
क गो ी अमु
क शमा दे
वताया : सं
दशनम ाम: अमु
क म ा यामु संयक जपमहं
क र ये“ और सं
क प साधे
।
“ॐ वशेमे
भव दे
वे
श वीर स म दे
ही दे
ही महाभग कृ
ता य“
“ ंं
बंधय बं
धय स म कु कु फट“
फर मू
लमंसे
शव को जकड़ ले
-
ॐ म शोभव दे
वे
श तीर स कृ
ता पद। ॐ भीमभव भचाव भावमोरान भावु
क। जहाही मांदे
व दे
वे
श।
श नामा धपद पः
ॐ नमो भगवती ॐ नमो वीर ताप वजय भगव त बगलामु ख मम सव न दकानां सव ानां
वाचंमुखं
पदंत भय- त भय ा मुय-मुय, बु वनाशय- वनाशय, अपरबु कु-कु, आ म वरो धनांश ु णां
शरो-ललाट-मुख-ने-कण-ना सको -पद-अणु रश
ेु-द तो - ज ां
-तालु
- गु-गु
द-क ट-जानू-सवागेषु
-
केशा दपादपय तं-पादा दकेशपय तंत भय त भय, ख ख मारय मारय परम परय परत ा ण छे दय -
छेदय, आ मम -य -त ा ण र -र , हंनवारय- नवारय, ा ध वनाशय- वनाशय, ःखंहर-हर, दा र यं
नवारय- नवारय, सवम व पणी, सवत व पणी, सव श प योग व पणी, सव त व व पणी,
ह-भूत ह-आकाश ह-पाषाण ह-सवचा डाल ह-य क नर क पुष ह, भू त े त पशाचानां
शा कनी डा कनी हाणांपू
व दशांब धय-ब धय, वाता ल मांर -र , द ण दशांब धय-ब धय
करातवाताली मांर -र , प म दशंब धय-ब धय व वाता ल मांर -र , उ र दशांब धय-ब धय
का ल मां र -र , उ व दशंब धय-ब धय उ का ल मां र -र , पाताल दशंब धय-ब धय बगला परमेर
मांर -र , सकल रोगान्वनाशय- वनाशय, सवश ुपलायनाय पं चयोजन म ये, राज-जन- ी -वशतांकु-
कु, श ु न्दह-दह, पच-पच, त भय- त भय, मोहय-मोहय, आकषय-आकषय, मम श ू न्उ चाटय-उ चाटय
ं फट्वाहा ।
कसी भी टोने-टोटके
, मं एं
व तांक साधना अथवा अ य योग करनेसेपहलेकुशल गु या अनुभवी
सेम रा कर ल। के वल पढ़कर इस े म कदम रखना घातक हो सकता है
। यहां
यह बात प
प सेबता देना अपना नैतक कत समझते ह क कसी भी योग म आपक सफलता आपकेव ास
और यास पर ही नभर करे गी। य द आप कसी योग म असफल हो जातेह, या कसी कार क
हा न होती है
तो उसकेलए ले खक, काशक, लेशमा भी ज मेदार नह होगे
।
कसी भी टोने-टोटके
, मं एं
व तांक साधना अथवा अ य योग करनेसेपहलेकुशल गु या अनुभवी
सेम रा कर ल। के वल पढ़कर इस े म कदम रखना घातक हो सकता है
। यहां
यह बात प
प सेबता देना अपना नैतक कत समझते ह क कसी भी योग म आपक सफलता आपकेव ास
और यास पर ही नभर करे गी। य द आप कसी योग म असफल हो जातेह, या कसी कार क
हा न होती है
तो उसकेलए ले खक, काशक, लेशमा भी ज मेदार नह होगे
।
पुप दे
हा अ सरा साधना :
पुपदे
हा अ सरा अ य त कोमल जसकेकपोल गु लाबी रंग लए ए और जसक दे ह इतनी सु
दर क
जरा सा छू
ने भर सेमै
ली होजाय पू
र ा शरीर
गु
लाब सेभी यादा कोमल और गु ण म अ यं त गु
णवान कसी भी काय को तु र त करनेक मता एक
थान से सरेथान पर पलक झपकतेही प चनेक मता सेस प न येअ सरा वभाव सेभी अ यं त
कोमल है जब ये
हसेतो मानो कई कई बज लया सी क ध जाती है इसकेपास खे चरी व ा हैजसकेकारण सेयेहवा
म कही भी काय संप न कर वा पस आ जा सकती है पु
प देहा अपनेसाधक का साथ कभी नह छोड़ती
अगर उसे कोई तकलीफ होती है तो उसे ठ क करकेही दम ले ती है
|
ॐ अनं ग पुपदे
हा वर वरद यै अनं ग ा य नमः |
इस म को व ध वधान केसाथ जपनेपर पु पदे हा पू
ण ग ंार करकेसाधक केसामनेआती ही है
ृ
इसम कसी भी कार क शं का नह है |
हा अगर आपकेमन म कोई शं का होगी तो साधना पू र ी नह होगी यो क शं का करनेवालेको तो
भगवान भी नह मलता यह तो अ सरा है |
इस लए पाठको से कहना चा ग
ँा क साधना करे तो न छल भाव से करे
अपने मन म कसी कार का मै ल न रखेफर दे खे अ सरा कै सेखची चली
आती हैकसी को े मका बनाना या कसी का े मका होना कोई कलं क नह है पर तु इसकेलए हमारी
भावनाए प व और शु होनी चा हए उसमे कही भी घ टयापन या ओछापन न हो ,येसब बताने केपीछे
कारण यही हैक आप साधना म पू ण सफलता पा सके।
(1) इस साधना म कसी भी कार केव पहनेजा सकते हैधोती या पट कमीज कु छ भी ।
(2 )शरीर पर इ लगाये पुप क माला धारण करे |
(3 )अ सरामला से मंजाप करे |
(4 )51 माला उपरो म क जाप करे |
म जाप केही बीच म अगर अ सरा कट हो तो म जापकरतेरहे उसेदे
ख कर रोकेनह वरन 51
माला पूर ी होनेपर ही उठेऔर अपने गलेक माला उसकेगलेम डाल देऔर पू रेजीवन साथ रहने का
वचन ले ले वह भी आपकेगले म अपनी माला डाल दे गी और इस तरह अ सरा स हो जाएगी |
ऐसी अ सरा जो फू लो सेभी कोमल हैउसकेयौवन का ,मधु रता का वेग इतना हैक पू र ेसमु को
अपनेआप म समा हत कर लेऐसी अ सरा अगर कसी को मल जाए तो पोरेजीवन भर
यौवनवान बना रह सकता है और अपना जीवन आनं द केसाथ तीत कर सकता है |
हनु म ान चालीसा स :-
जो सत् बार पाठ करे कोई, छू टही बं
द महासुख होई”
जो हनु म ान चालीसा का 100 बार पाठ कर ले ता हैतो बं धन सेमु होता हैतथा महासु ख को ा त
होता है . ले कन यह सहज ही सं भव नह होता है , भौ तक अथ इसका भलेही कु छ और हो ले कन
आ या मक प सेयहाँपर बं धन का अथ आतं रक तथा शारी रक दोन बं धन सेहै . तथा महासुख
अथात शां त चत क ा त होना है . लेकन कोई भी थ त क ा त केलए साधक को एक न त
या को करना अ नवाय हैय क एक न त या ही एक न त प रणाम क ा त को सं भव
बना सकती है .
हनु म ान चालीसा सेसबं धत एक योग उ ह नेही मु झेबताया था, उसका उ ले ख यहाँ पर कया जा रहा
है. ले कन उससे पहले इससे सबंधत कु छ अ नवाय त य भी जानने यो य है.
हनु म ान चालीसा का यह योग सकाम योग तथा न काम कार दोन प म होता है . इस लए साधक
को अनुान करनेसेपू व अपनी कामना का सं क प ले ना आव यक है . अगर कोई वशे ष इ छा केलए
योग कया जा रहा हो तो साधक को सं क प ले ना चा हए क “ म अमु क नाम का साधक यह योग
____काय केलए कर रहा ँ , भगवान हनुम ान जी मु झेइस हे तुसफलता केलए श तथा आशीवाद
दान करे ”
अगर साधक न काम भाव से यह योग कर रहा है तो संक प ले ना आव यक नह है .
साधक अगर सकाम प सेसाधना कर रहा है तो साधक को अपने सामने भगवान हनु म ान का वीर भाव
सेयु च था पत करना चा हए. अथात जसमे वह पहाड़ को उठा कर लेजा रहेहो या असु र का
नाश कर रहेहो. ले कन अगर न काम साधना करनी हो तो साधक को अपनेसामनेदास भाव यु
हनु म ान का च था पत करना चा हए अथात जसमे वह यान म न हो या फर ीराम केचरण म बै ठे
वे हो.
साधक को यह म एकां त म करना चा हए, अगर साधक अपनेकमरे म यह म कर रहा हो तो जाप
केसमय उसकेसाथ कोई और सरा नह होना चा हए.
ी सा धका हनु म ान चालीसा या साधना नह कर सकती यह मा म या धारणा है . कोई भी सा धका
हनु म ान साधना या योग स पन कर सकती है . रज वला समय म यह योग या कोई साधना नह क
जा सकती है . साधक सा धकाओ को यह योग करनेसेएक दन पू व, योग के दन तथा योग के
सरेदन अथात कु ल 3 दन चय पालन करना चा हए.
सकाम उपासना म व लाल रहेन काम म भगवेरं ग केव का योग होता है . दोन ही काय म
दशा उ र रहे . साधक को भोग म गु ड तथा उबले वेचनेअ पत करनेचा हए. कोई भी फल अ पत
कया जा सकता है . साधक द पक ते ल या घी का लगा सकता है . साधक को आक केपु प या लाल रं
ग
केपु प सम पत करने चा हए.
यह योग साधक कसी भी मं गलवार क रा को करेतथा समय 9 बजेकेबाद का रहे . सव थम
साधक नान आ द सेनवृ त हो कर व धारण कर केलाल आसान पर बै ठ जाये. साधक अपने पास
ही आक के100 पु प रखले . अगर कसी भी तरह से यह सं भव न हो तो साधक कोई भी लाल रं ग के
100 पु प अपने पास रख ले . अपनेसामनेकसी बाजोट पर या पू जा थान म लाल व बछा कर उस
पर हनुम ानजी का च या य या व ह को था पत करे . उसकेबाद द पक जलाये . साधक गु पू जन
गु मंका जाप कर हनु म ानजी का सामा य पूजन करे. इस या केबाद साधक “हं ” बीज का उ चारण
कुछ देर करे तथा उसकेबाद अनु लोम वलोम ाणायाम करे . ाणायाम केबाद साधक हाथ म जल ले
कर संक प करे तथा अपनी मनोकामना बोले . इसकेबाद साधक “रां रामाय नमः ” का यथा सं भव जाप
करे. जाप केबाद साधक अपनी तीन नाडी अथात इडा पगला तथा सु षुना म ी हनु म ानजी को
था पत मान कर उनका यान करे . तथा हनु
म ान चालीसा का जाप शु कर दे . साधक को उसी रा म
100 बार पाठ करना है . हर एक बार पाठ पू ण होनेपर एक पु प हनु म ानजी केयं/ च / व ह को
सम पत करे . इस कार 100 बार पाठ करने पर 100 पु प सम पत करनेचा हए. 100 पाठ पु रे होनेपर
साधक वापस ‘हं ’ बीज का थोड़ी दे र उ चारण करे तथा जाप को हनु म ानजी केचरण म सम पत कर दे .
ीहनुमत्
-म -चम कार-अनुान :-
( तु
त वधान के ये क म के११००० ‘जप‘ एवंदशां श ‘हवन’ सेस होती है
। हनुम ान जी के
म दर म, ‘ ा ’ क माला से , चय-पू वक ‘जप कर। नमक न खाए तो उ म है । क ठन-से
-क ठन काय
इन म क स से सु
चा प से होते ह।)
१॰ ॐ नमो हनु मते ावताराय, वायु -सुताय,
अ जनी-गभ-स भू ताय, अख ड- चय-
त-पालन-त पराय, धवली -कृ त-जगत् - तयाय,
वलद न-सू य-को ट-सम भाय, कट-परा माय,
आ ा त- दग् -म डलाय, यशो वतानाय, यशोऽलं कृ ताय, शो भताननाय,
महा-साम याय, महा-ते ज-पुजः- वराजमानाय,
ीराम-भ -त पराय, ीराम-ल मणान द-कारणाय,
क व-सै य- ाकाराय, सुीव-स य-कारणाय,
सुीव-साहा य-कारणाय, ा - -श - सनाय,
ल मण-श -भे द- नवारणाय, श य- वश यौष ध-समानयनाय,
बालो दत-भानु-म डल- सनाय,अ कु मार-छे दनाय,
वन-र ाकर-समू ह- वभ जनाय, ोण-पवतो पाटनाय,
वा म-वचन-स पा दताजु न, संयुग-संामाय,
ग भीर-श दोदयाय, द णाशा -मात डाय, मे-पवत-पी ठकाचनाय,
दावानल-काला न- ाय,समु -लं घनाय, सीताऽऽ ासनाय,
सीता-र काय, रा सी -संघ- वदारणाय,
अशोक-वन- वदारणाय, लं का -पु
र ी-दहनाय,
दश- ीव- शरः-कृ काय, कुभकणा द-वध-कारणाय,
बा ल- नवहण-कारणाय, मे घनाद-होम- व वं सनाय,
इ जत-वध-कारणाय, सव-शा -पारं गताय, सव- ह- वनाशकाय,
सव- वर-हराय, सव-भय- नवारणाय, सव-क - नवारणाय,
सवाप - नवारणाय, सव- ा द- नबहणाय, सव-श ु छेद
नाय, भूत- े
त- पशाच-डा कनी-शा कनी- वं सकाय, सव-काय-साधकाय,
ा ण-मा -र काय, राम- ताय- वाहा।।
२॰ ॐ नमो हनु मते
, ावताराय, व - पाय, अ मत- व माय, कट-परा माय, महा-बलाय, सू य-को ट-
सम भाय,राम- ताय- वाहा।।
उवशी अ सरा य ीकरण साधना :
नारायण क जं
घ ा सेउवशी क उ प मानी जाती है
। प पु
र ाण केअनुसार कामदे
व केऊ सेइसका
ज म आ था। ीम ागवत केअनु सार यह वग क सवसु दर अ सरा थी।शा म कई थान पर
अ सरा का उ ले ख आता है।
अ सराएंब त ही सु ं
दर, मनमोहक, कसी क भी तप या भंग करनेम स म क याएंहोती बताई गई ह।
जब भी कोई असु र, राजा, ऋ ष या अ य कोई मनु
य भगवान को स न करनेकेलए कठोर तप करता
हैवहां दे
वराज इंअ सरा को भे जकर उनका तप भं
ग करवानेक चेा करतेह। ऐसा ही उ लेख वे
द-
पु
र ाण म ब त सेथान पर आया है ।
सौ दय, सु
ख े म क पूणता हेतुर भा, उवशी और मेनका तो दे
वता क अ सराएंरही ह, और ये क
दे
वता इ हे ा त करनेकेलए य नशील रहा है । य द इन अ सरा को दे
वता ा त करनेकेलए
इ छुक रहे ह, तो मनु
य भी इ हेे मका प म ा त कर सकतेह। इस साधना को स करने म कोई
दोष या हा न नह है तथा जब अ सरा म े उवशी स होकर वश म आ जाती है , तो वह े मका
क तरह मनोरं जन करती है
, तथा संसार क लभ व तु एंऔर पदाथ भे
ट व प लाकर दे ती है
। जीवन
भर यह अ सरा साधक केअनु कू
ल बनी रहती है, वा तव म ही यह साधना जीवन क े एवंमधुर
साधना है।
साधना वधान:-
इस साधना को कसी भी शुवार से ार भ कया जा सकता है। यह रा काल साधना है। नान आ द
कर पीलेआसन पर उ र क ओर मु हंकर बैठ जाएं
। सामनेपीलेव पर ‘उवशी यं’ (ताबीज) था पत
कर द तथा सामनेपां
च गु
लाब केपु
प रख द। फर पांच घी केद पक लगा द और अगरब ी व लत
कर द। फर उसकेसामने‘सोनव ली’ रख द और उस पर के सर सेतीन ब दयाँलगा ल और म य म
न न श द अं
कत कर -
॥ ॐ उवशी य वशंकरी ं
॥
इस मं केनीचेके
सर सेअपना नाम अं
कत कर। फर उवशी माला सेन न मं क १०१ माला जप
कर -
सोनव ली :
जो साधक पारद केअठारह सं कार जानतेहैउनकेलयेयह कोइ नया नाम नही है।पारद तं मेवण
नमाण या मेअगर सोनव ली का सही योग कया जायेतो या मेपुण सफलता ा त होता है
कतुसफ सोनव ली केआधार पर या नही कर सकतेहै
,इसकेलये अ य ज डयो का भी महत होता
है
। आज केसमय मे ओ र जनल सोनव ली मलना आसान काय नही है
।