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64 यो गनी साधना :

64 यो ग नय क साधना सोमवार अथवा अमाव या / पू


णमा क रा सेआरं भ क जाती है। साधना
आरंभ करने सेपहलेनान- यान आ द सेनवृ
त होकर अपनेपतृगण, इ दे
व तथा गु का आशीवाद ल।
त प ात्गणे
श मं तथा गुमं का जप कया जाता हैता क साधना म कसी भी कार का व न न
आएं।

इसकेबाद भगवान शव का पूजा करते ए शव लग पर जल तथा अ गं ध यु अ त (चावल) अ पत


कर। इसकेबाद आपक पूजा आरं भ होती है
। अं
त म जस भी यो ग न को स करना चाहतेह, उसके
मंक कम से कम एक माला (108 मं) अथवा यारह माला (1100 मं) जप कर।

64 यो ग नय केमं न न कार ह –
(1) ॐ ी काली न य स माता वाहा।
(2) ॐ ी कप लनी नागल मी वाहा।
(3) ॐ ी कु ला देवी वणदे हा वाहा।
(4) ॐ ी कुकुला रसनाथा वाहा।
(5) ॐ ी वरो धनी वला सनी वाहा।
(6) ॐ ी व च ा र या वाहा।
(7) ॐ ी उ र भोग पा वाहा।
(8) ॐ ी उ भा शुनाथा वाहा।
(9) ॐ ी द पा मु ः र ा दे हा वाहा।
(10) ॐ ी नीला भु र पशा वाहा।
(11) ॐ ी घना महा जगद बा वाहा।
(12) ॐ ी बलाका काम से वता वाहा।
(13) ॐ ी मातृ देवी आ म व ा वाहा।
(14) ॐ ी मुा पू णा रजतकृ पा वाहा।
(15) ॐ ी मता तं कौला द ा वाहा।
(16) ॐ ी महाकाली स ेरी वाहा।
(17) ॐ ी कामेरी सवश वाहा।
(18) ॐ ी भगमा लनी ता रणी वाहा।
(19) ॐ ी न यकल ना तंा पता वाहा।
(20) ॐ ी भैड त व उ मा वाहा।
(21) ॐ ी व वा सनी शा स न वाहा।
(22) ॐ ी महव ेरी र दे वी वाहा।
(23) ॐ ी शव ती आ द श वाहा।
(24) ॐ ी व रता ऊ वरे तादा वाहा।
(25) ॐ ी कुलसुंदरी का मनी वाहा।
(26) ॐ ी नीलपताका स दा वाहा।
(27) ॐ ी न य जनन व पणी वाहा।
(28) ॐ ी वजया दे वी वसु
दा वाहा।
(29) ॐ ी सवमङ् गला त दा वाहा।
(30) ॐ ी वालामा लनी ना गनी वाहा।
(31) ॐ ी च ा दे वी र पुजा वाहा।
(32) ॐ ी ल लता क या शुदा वाहा।
(33) ॐ ी डा कनी मदसा लनी वाहा।
(34) ॐ ी रा कनी पापरा शनी वाहा।
(35) ॐ ी ला कनी सवत े सी वाहा।
(36) ॐ ी का कनी नागना तक वाहा।
(37) ॐ ी शा कनी म पणी वाहा।
(38) ॐ ी हा कनी मनोहा रणी वाहा।
(39)ॐ ी तारा योग र ा पू णा वाहा।
(40)ॐ ी षोडशी ल तका दे वी वाहा।
(41)ॐ ी भुवनेरी मंणी वाहा।
(42)ॐ ी छ नम ता यो नवे गा वाहा।
(43)ॐ ी भैरवी स य सु क रणी वाहा।
(44)ॐ ी धू
म ावती कुड लनी वाहा।
(45)ॐ ी बगलामु खी गु मू त वाहा।
(46)ॐ ी मातंगी कांट ा यु
वती वाहा।
(47)ॐ ी कमला शुल संथता वाहा।
(48)ॐ ी कृत े दे वी वाहा।
(49)ॐ ी गाय ी न य च णी वाहा।
(50)ॐ ी मो हनी माता यो गनी वाहा।
(51)ॐ ी सर वती वगदे वी वाहा।
(52)ॐ ी अ नपू ण शवसं गी वाहा।
(53)ॐ ी नार सही वामदे वी वाहा।
(54)ॐ ी गं
गा यो न व पणी वाहा।
(55)ॐ ी अपरा जता समा तदा वाहा।
(56)ॐ ी चामुडंा प र अं गनाथा वाहा।
(57)ॐ ी वाराही स ये का कनी वाहा।
(58)ॐ ी कौमारी या श न वाहा।
(59)ॐ ी इ ाणी मु नय णी वाहा।
(60)ॐ ी ाणी आन दा मू त वाहा।
(61)ॐ ी वैणवी स य पणी वाहा।
(62)ॐ ी माहेरी पराश वाहा।
(63)ॐ ी ल मी मनोरमायो न वाहा।
(64)ॐ ी गा स चदानं द वाहा।
मं जप केबाद भगवान शव क आरती कर तथा साधना समा त होनेकेबाद शव लग पर चढ़ाएं
चावल अलग से रख ल तथा अगलेदन बहते जल यथा नद म वा हत कर द।
64 यो गनी साधना केलाभ :
जब भा यवश काफ यास केबाद भी कोई काम नह बन रहा हैया बल श ु केवश म होकर
जीवन क आशा छोड़ द हो तो इस साधना सेइन सभी क सेसहज ही मु पाई जा सकती है । इस
साधना के ारा वा तुदोष, पतृ दोष, कालसप दोष तथा कु ं
डली केअ य सभी दोष बड़ी आसाना से र
हो जातेह। इनकेअलावा द ( कसी का भी भू त, भ व य या वतमान जान ले
ना) जै
सी कई
स यांब त ही आसानी सेसाधक केपास आ जाती है । पर तुइन स य का भू ल कर भी पयोग
नह करना चा हए। अ यथा अ न होने क आशं का रहती है।

वग क अ सरा क स नता केलए योग :-

यह योग साधना का ही प है। वा तव म साधना एक अनु


शा सत आ या मक अ यास होता है
। अ सरा
साधना के लए जपमाला , इ , मोगरेकेफू ल क माला , दो गु
लाब, मठाई और अ सरा यं क
आव यकता होती है

यं का मतलब वशे
ष दे
वीय अंक, अ र या च का कसी कागज, धातु , अ धातुकेप , प थर या
सोने
केप पर लखा जाना या उकेरा जाना। अ सरा यं कसी द तांक केपास उपल ध हो सकता
है

अ सरा साधना कसी भी शुवार क रात सेशु क जा सकती है


। सबसेपहलेनान कर। पता बरी
या न पीलेव पहन। अ सरा यं पर गं
ध, पु
प सेपूजा कर। पां
च घी केद पक जलाएं। इसकेबाद
१०८ मनक क अ सरा जपमाला ले कर अ सरा मं बोलकर त दन १०१ माला फे र। यह साधना ८०
दन तक करना चा हए।

अ सरा मंहै -
ओम रं ं रं
भे आग छ आग छ ं रंओम नम:
नयम संयम से साधना करने
पर अ सरा अपनेपू
ण स दय और व प म गट होती है। उस समय साधक
मोगरेकेफूल क माला और मठाई भट करे । वह उपहार म साधक को अपनेप रधान भट करती है

उस समय साधक को चा हए क वह ाथना करेक जब वह चाहे अ सरा स न होकर गट हो।

चे
तावनी – यह एक ती साधना हैइस लए इसेगु आ ा सेही करे
! कसी भी तरह केफायदेऔर
नुसान क ज मेदारी हमारी नह है
!

द ण का लका केम और पू
जा व ध :

भगवती का लका अथात काली केअने


क व प, अनेक म तथा अने क उपासना व धयांहै
। यथा- यामा,
द णा का लका (द ण काली ) गु काली , भ काली , महाकाली आ द । दशमहा व ा तगत भगवती
द णा काली (द ण कालीका ) क उपासना क जाती है।

द ण का लका केम :

भगवती द ण का लका केअने


क म है
, जसम से
कुछ इस कार है

,
ॐ ंं द ण का लके ंं ।
ंं द ण का लके ंं वाहा।
नमः का लकायैवाहा।
नमः आं ां
आं फट वाहा का ल का लके ।ं
ंंद ण का लके ंंवाहा।
इनम से
क सी भी म का जप कया जा सकता है

पू
जा - व ध:

दै
नक कृय नान- ाणायम आ द सेनवृ त होकर व छ व धारण कर, सामा य पू
जा- व ध सेकाली -
य का पू
जन कर। त प ात ॠ या द- यास एं
व कराग यास करकेभगवती का इस कार यान कर:-

शवा ढांमहाभीमांघोर ंांवर दाम्



हा य युां नेां च कपाल कतृ काकराम्।
मु के शी लल ज ांपबं ती धरं मु:।
चतुबा यु
तांदे
व वराभयकरांमरे त्
॥”

इसकेउपरा त मू
ल- म ारा ापक- यास करकेयथा व ध मुा- दशन पू
वक पु
नः यान करना चा हए।

पु
र रण :
का लका म केपु र रण म दो लाख क संया म म -जप कया है । कु
छ म के वल एक लाख क
संया म भी जपेजातेहै
। जप का दशां
श होम घृ
त ारा करना चा हए । होम का दशां
श तपण, त ण का
दशां
श अ भषेक तथा अ भषे
क का दशां
श ा ण – भोजन कराने का नयम है ।

वशे
ष:

”द णा का लका ” दे
वी केम रा केसमय जप करनेसेशी स दान करतेहै
। जप केप ात
ोत, कवच, दय आ द उपल ध है, उनम सेचाह जनका पाठ करना चा हए । वेसभी साधक केलए
स दायक है ।

पु ा त केलए हनु
म ान साधना

पां
चवांघर कु

डली म सं
तान का कारक होता है| ऐसा माना जाता हैक पचम भाव पर ी ह का
अ धक भाव होने सेक या स तान अ धक होती ह | पर तु
मनेब त सी कुंड लयाँ
देख ह जनमेकेवल
पु कारक ह का भाव पं चम भाव और गु पर था फर भीपु सं तान केलए लोग तरसतेरहे
| इस
स दभ म उन सभी लोग क कु ं
ड लय का गहराई सेअ ययन अ वे षण कया गया जो पु सुख सेवंचत
रहेथे|

कह प त क कुं
डली म कमी दखाई देती तो कभी प नी क कु

डली म | फर जो बात मे
र ी समझ म
आई वह येहैक ज म मरण के वषय म भ व यवाणी करना और बात हैपर तुकुदरत हर कदम पर
हमारेनयम को ठु
करा सकती है| हम कतना भी ग णत लगाय पर ज म और मृ युपर भ व यवाणी
करनेकेलए गणना क नह स क आव यकता होती है |

पु स तान न होनेकेपीछेकारण चाहेजो भी ह जस उपाय क चचा म यहाँकर रहा ँवह


आ यजनक प सेकाम करता हैऔर इस उपाय को कई लोग नेआजमाया है| नयम सेकरनेपर
इस उपाय सेपु स तान अव य होती है
|

पर तुहनु
म ान जी क साधना आसान नह है| जब भी हनु
म ान जी क पू
जा का संक प लया जाता है
तो सव थम शत होती है चय | य द आप न त दन केलए अपनेमन पर सं यम रख सकतेह
तो यह साधना आप कर सकतेह | इस साधना केलए मू ग
ंेक माला का योग कर तो अ छा है नह
तो ा क माला भी चले गी | शुल प केमं
गलवार से ार भ करकेहनुम ान चालीसा का एक सौ
आठ बार जप रोजाना कर |

जप रा ी म कया जाए तो उ म है| नान यान और शु का यान रख | ी पश,मांसाहार और


म दरा का से
वन साधनाकाल केदौरान और साधना केबाद साठ दन तक व जत है
|

लाल रं
ग का आसन लगाकर हनु
म ान जी केसम बैठ कर धु
प द प आ द सेपू
जनोपरां
त प शु कर |
चालीस दन केबाद आप केअ दर इतनी श आ जाये
गी क हर चीज तुछ लगनेलगेगी |

साहस उ साह और फूत का एहसास तीसरेदन सेहोने लगे


गा | चालीस दन बाद कर काय भी आप
आसानी से कर पायगे
| कु
छ साधक को हनु
म ान जी के व म दशन भी होते ह |

एक बात का यान रख क हनु


म ान जी क पू
जा से
पहले ीराम जी का यान अव य कर ल |

इस साधना केफल व प आपकेवीय म पु उ प न करनेक मता का वकास कई गु ना हो जाएगा |


त भन श भी पहलेसेकई गु
ना बढ़ जाये
गी | आव यकता हैचालीस दन केपरहे ज क, ढ़
संक प और इ छा श क | कसी भी तरह क वधा और सं
कोच मन म हो तो ईमे
ल / whatsapp
ारा स पक कर |

सु
ले
म ान पै
ग बर साधना :

सु
लेम ान पै
ग बर को भला कौन नह जनता ? सु ले
म ान पै
ग बर परीय केबादशाह कहेजातेहै!उनक
साधना करने केबाद परीया आसानी सेस क जा सकती है ! सफ परीया ही नह सु
ले
म ान पै
ग बर के
स हो जानेकेबाद आप भू त े त और ज नातो सेभी अपना मनचाहा काय बलपू वक करवा
सकते है! यह साधना ब त पाक साफ़ रहकर क जाती है !

।। म ।।
सात आसमान से आया हजरत सु लेम ान साथ आई छेप रया
लाल परी, इं
द परी, र परी, नू
र परी, शाह परी, सफ़े द परी केसाथ अदब सेखडी हाथो म करामात क
छ डया , कै
सी कै
सी करामात दखाए, आ शक माशू क को वश कर लाये , भू
त े
त को मार भगाए,
दे
व दानव को संगल पाए,चार कूट क खबर लगाये ,
चले म फु रेबादशाह दे
खां सु
ले
म ान पै ग बर ते
र ी कलाम का तमाशा !
बोल भाई अ लाह ही अ लाह !

।। व ध ।।
यह म शुल प के कसी भी गुवार या शुवार सेशु कया जा सकता है! साधना केदौरान
आप लाल कपडेपहनेऔर लाल आसन पर बै ठकर सरस केते ल का द पक जलाये! लाल हक क क
माला सेइस म का सात माला जाप करे !पहले और आखरी दन सवा कलो पीले चावल बनाकर बां
टे!
यह या आपको 41 दन करनी है ! य द सुले
म ान पै
ग बर दशन देतो इ छत वर मां
गले!

चे
तावनी – यह एक ती साधना हैइस लए इसेगु आ ा सेही करे
! कसी भी तरह केफायदेऔर
नुसान क ज मेदारी हमारी नह है
!

भू
तनी साधना :

तु
त एक दवसीय योग एक अचरज पू ण योग है, जसेस पन करने पर साधक को भुतनी को व
केमा यम से य कर उसेदे ख सकता हैतथा उसकेसाथ वातालाप भी कर सकता है. साधको के
लए यह योग एक कार से इस लए भी मह वपू
ण है क इसकेमा यम से अपनेव म भु तनी
सेकोई भी का जवाब ा त कर सकता है. यह योग भु तनी केतामस भाव केसाधन का योग
नह है, अतः को भुतनी सौ य व प म ही यमान होगी.

यह योग साधक कसी भी अमाव या को करे


तो उ म है
, वै
सेयह योग कसी भी बु
धवार को कया
जा सकता है
.

साधक को यह योग रा ी काल म १० बजेकेबाद करे . सव थम साधक को नान आ द सेनवृत हो


कर लाल व पहे न कर लाल आसान पर बैठ जाए. गु पूजन तथा गु मंका जाप करने
केबाद दए
गए य को सफ़ेद कागज़ पर बनाना चा हए. इसके लए साधक को के लेके छलकेको पस कर
उसका घोल बना कर उसमेकु मकुम मला कर उस याही का योग करना चा हए. साधक वट वृ के
लकड़ी क कलम का योग करे . य बन जाने पर साधक को उस य को अपने सामनेकसी पा म
रख दे
ना हैतथा ते
ल का द पक लगा कर मंजाप शु करना चा हए.

साधक को न न मंक ११ माला मंजाप करनी है


इसकेलए साधक को ा क माला का योग
करना चा हए.

मं– ंंं
भुतेरी ंंं
फट्
मंजाप पू ण होने पर जल रहे द पक सेउस य को जला दे ना है. य क जो भ म बने गी उस भ म
सेललाट पर तलक करना है तथा तन बार उपरो मंका उ चारण करना है . इसकेबाद साधक अपने
मन म जो भी हैउसकेमन ही मन ३ बार उ चारण करे तथा सो जाए. साधक को रा ी काल म
भु तनी व म दशन दे ती हैतथा उसके का जवाब देती है
. जवाब मलने पर साधक क न द खु ल
जाती है, उस समय ा त जवाब को लख ले ना चा हए अ यथा भूल जानेक सं भावना रहती है . साधक
द पक को तथा माला को कसी और साधना म योग न करेले कन इसी साधना को बारा करनेके
लए इसका योग कया जा सकता है . जस पा म य रखा गया हैउसको धो ले ना चा हए. उसका
उपयोग कया जा सकता है . अगर य क राख बची ई है तो उस राख को तथा जस लकड़ी सेय
का अं कन कया गया है उस लकड़ी को भी साधक वा हत कर दे . साधक सरेदन सु बह उठ कर उस
तलक को चे हरा धो कर हटा सकता है लेकन तलक को सु बह तक रखना ही ज़ री है .
चेतावनी – यह एक ती साधना हैइस लए इसेगु आ ा सेही करे ! कसी भी तरह केफायदेऔर
नुसान क ज मे दारी हमारी नह है!

कापा लक और शव साधना :

यह साधना रा ी काल कृण प क अमाव या मे ,या कृ णप या शुलप क चतु दशी और दन


मं
गलवार हो तो शव साधना काफ मह वपू
ण हो जाती है,शव साधना केपूव ही येजान लेना आव यक है
केशव कस कोट का है , योक शव साधना केलयेकसी चां डाल या अकारण गए युवा (२०-३५)
अथवा घटना सेमरे का शव यादा उपयु मानतेहै ,वृ रोगी ये
सेलोगो केशव कोई काम मे
नह आते है

सव थम पू व दशा क ओर अ भमुख होकर ‘फट मं’ पढ़ना है


, इसकेबाद चारो दशाए क लनेकेलये
पूव दशा मेअपनेगु, प म मे बटु
क भैरव , उ र मे
यो गनी और द ण मेव न वनाशक गणे श को
वराजमान करनेकेलयेआराधना करनी है। शमशान क भू म पर यह मंअं कत करना है-

।। “ ंं का लकेघोरदंे चं
डेचं
डना यके
दानवान ाराय हन हन शव शरीरे
महा व न छे
दय छे
दय
वाहा ं
फट “।।

इसकेबाद तीन बार वीरादन मंका उ चारण करते ए पु पां


ज ल अ पत करे (यहा पर वीरादान मंनही
देरहा ,उसेगोपनीय रख है )। इसकेउपरां
त बड़ेव ध- वधान सेपूवा दशा मेमशाना धप त, द ण मे
भै
रव,प म मेकाल भै रव तथा उ र दशा मेमहाकाल भै रव क पु जा स प न कर और कालेमु ग का
ब ल दान करे । इसकेतु रत
ं बाद ‘ॐ सह वरे ंफट’ मं सेशखाबं धन करना पड़ेगा । साधक य द
अपनी सुर ा करना नह जानता तो ‘शव-साधना’ पू
र ी नह हो सकती। इसी लए आ मर ा केलयेअमोघ
मंपढ़ना है-

“ ं फुर फुर फु
र घोर घोतर तनुप चट चट पचट कह शकह वन वन बं
ध बं
ध घतपय घातय ं
फट अघोर मं

फर शव केसर केपास खड़ेहोकर सफ़े


द तल का तपण करना है। प र मा भी करनी हैऔर ‘ॐ
फट’ मंसे
शव को अ भमंत कया। फर यह मंपढ़ना है
‘ॐ ंमृतकाय नमः फट’और उसेपश करे ,
पु
पां
ज ल दे
कर मंपढे
-

“ॐ वीरेश मानं
द शवनं
द कु
लेर, आनं
द भै
रवाकर दे
वी पयकशं
कर। वीरोहं वंप धा म उ च
चंडकारतने

और शव को णाम करे । ‘ॐ ंमृ


तकाय नमः’ मंसे ालन कर उसेसु
गं
धत जल सेनान कराये,
शव को व सेप छे
, फर उस पर र च दन का लेप करे
’।

सभी याए शव क सहम त सेही सं भव है। र च दन केबाद कोई साधक डर भी सकता हैऔर
उसक मृ युभी हो सकती है। इस अव था मे शव र वण हो जाता है। य द ऐसा हो रहा हो तो साधक
को त काल अपनी सु र ा मु
क मल कर लेनी चा हए अ यथा शव उसका भ ण कर सकता है ।
अतएव अपनेझोलेमे सेसे
व नकाल कर ‘र ो य द दे
वे
शी भ ये
त कुलसाधकम’ मं पढ़ते ए शव
केमुख मे डाले। फर ता बूल खलाये। कलो पीठ मंव ‘ॐ फट’ का उ चारण करे , इसकेबाद
शव को कं बल सेअ छ तरह ढँ क देऔर शव को कमर सेउठाये। इतनेमेही आसमान मेबजली
कड़क उठट है या फर उठ सकती है । अब यह मंपढे–

‘ग वा शत ु
सा व यं
धारये
त क टदे
शत। यद यु
प ावये
त दा, दया ी वनं
शवे

यह मंसे ही शव शां
त हो जाता है। इसकेबाद दश दशाओ और द पाल क पु जा करे । फर अनार
का ब ल दे। इसकेबाद मंपढे‘ फट शवासनाय नमः’। कहकर शव क अचना करे । शव को क जे
मेलेनेके लयेउसक घोड़ेक तरह सवारी भी करनी पड़ती है । इस लए उसक सवारी भी क जा न
चा हये। सवारी केबाद शव केके शो क चु टया बांधे। फर अपनेगु एवंगणप त का यान करे ,
फर शव को णाम करे । फर शव केस मु ख खड़े होकर यह मंपढे-

“अ यै याद अमु
क गो ी अमु
क शमा दे
वताया : सं
दशनम ाम: अमु
क म ा यामु संयक जपमहं
क र ये“ और सं
क प साधे

इसकेबाद ‘ आधार श कमलासनाय नमः’। मंसेआसन क पु


जा करे। महाशं
ख क माला (मनुय
शरीर क अ थय सेबनी माला ) सेजप करना है। फर मुख मेसु
गंधत डालकर दे
वी का तपण
करे । त प ात शव केसामनेखड़ेहोकर-

“ॐ वशेमे
भव दे
वे
श वीर स म दे
ही दे
ही महाभग कृ
ता य“

परायण मंका पाठ करे


। सू
त के ारा शव को बां
धेऔर मंबोले
-

“ ंं
बंधय बं
धय स म कु कु फट“

फर मू
लमंसे
शव को जकड़ ले
-

ॐ म शोभव दे
वे
श तीर स कृ
ता पद। ॐ भीमभव भचाव भावमोरान भावु
क। जहाही मांदे
व दे
वे
श।
श नामा धपद पः

तीन बार प र मा कर सर मेगुदे


व, दय मे इ देवी का चतन करते ए महाशं
ख क माला पर मं
का जप करे । स केबाद शव क चुटया खोल दे। शव केपैर खोल देएवंशरीर को बं
धन मु
कर दे। शव को नद मेवा हत कर पुजा साम ी को भी नद मेवा हत कर दे। याद रखे
कापा लक
हमेशा शव साधना मनु
य क भलाई केलये ही करता है।

कापा लक’ वही, जो इस नया के :खो को अपने


कपाल ( सर) पर लये
घूमता है

यह व ध यहा पे देरहा परं


तुइसमे
कुछ गोपनीय मंएवंमुायेगुत रखी है, फर भी अगर कोई यह
साधना करना चाहेतो गुसेसं
पक करके ा त कर सकता है
,इस साधना सेकई लाभ उटायेजा सकते
है

शव साधना सेपु व “शव स द ा” ा त करनेसेसाधक बना शव केभी साधना स प न कर सकता


हैयु केद ा केबाद साधना गली म का शव बनाकर भी कर सकतेहै । गली म सेबने ए शव
केमा यम सेशव स करनी हो तो इतना व ध- वधान करनेका कोइ आव यकता नही हैपरं तुयह
आसान वधान तो तब करना स भव है जब “शव स द ा” को ा त कया जायेअ यथा शव साधना
शमशान मे शव पर बै ठकर ही कया जा सकता ह।
कसी भी टोने-टोटके, मं एं
व तांक साधना अथवा अ य योग करनेसेपहलेकु शल गु या अनु भवी
सेम रा कर ल। के वल पढ़कर इस े म कदम रखना घातक हो सकता है । यहां
यह बात प
प सेबता देना अपना नै तक कत समझते ह क कसी भी योग म आपक सफलता आपकेव ास
और यास पर ही नभर करे गी। य द आप कसी योग म असफल हो जातेह, या कसी कार क
हा न होती है
तो उसकेलए ले खक, काशक, ले शमा भी ज मेदार नह होगे

सव बाधा नवारण : बगलामलाम

माँबगला का यह मला मंकाफ लाभदयक है


, इस मंको सव क नवारण मंभी कहा जाता है|
आप इस मंका जप सम त बाधा को र करने केलए, आप म, भय नवारण केलए, ऊपरी दोष
र करनेकेलए ,रोग नवारण केलए कर सकते है|

ॐ नमो भगवती ॐ नमो वीर ताप वजय भगव त बगलामु ख मम सव न दकानां सव ानां
वाचंमुखं
पदंत भय- त भय ा मुय-मुय, बु वनाशय- वनाशय, अपरबु कु-कु, आ म वरो धनांश ु णां
शरो-ललाट-मुख-ने-कण-ना सको -पद-अणु रश
ेु-द तो - ज ां
-तालु
- गु-गु
द-क ट-जानू-सवागेषु
-
केशा दपादपय तं-पादा दकेशपय तंत भय त भय, ख ख मारय मारय परम परय परत ा ण छे दय -
छेदय, आ मम -य -त ा ण र -र , हंनवारय- नवारय, ा ध वनाशय- वनाशय, ःखंहर-हर, दा र यं
नवारय- नवारय, सवम व पणी, सवत व पणी, सव श प योग व पणी, सव त व व पणी,
ह-भूत ह-आकाश ह-पाषाण ह-सवचा डाल ह-य क नर क पुष ह, भू त े त पशाचानां
शा कनी डा कनी हाणांपू
व दशांब धय-ब धय, वाता ल मांर -र , द ण दशांब धय-ब धय
करातवाताली मांर -र , प म दशंब धय-ब धय व वाता ल मांर -र , उ र दशांब धय-ब धय
का ल मां र -र , उ व दशंब धय-ब धय उ का ल मां र -र , पाताल दशंब धय-ब धय बगला परमेर
मांर -र , सकल रोगान्वनाशय- वनाशय, सवश ुपलायनाय पं चयोजन म ये, राज-जन- ी -वशतांकु-
कु, श ु न्दह-दह, पच-पच, त भय- त भय, मोहय-मोहय, आकषय-आकषय, मम श ू न्उ चाटय-उ चाटय
ं फट्वाहा ।
कसी भी टोने-टोटके
, मं एं
व तांक साधना अथवा अ य योग करनेसेपहलेकुशल गु या अनुभवी
सेम रा कर ल। के वल पढ़कर इस े म कदम रखना घातक हो सकता है
। यहां
यह बात प
प सेबता देना अपना नैतक कत समझते ह क कसी भी योग म आपक सफलता आपकेव ास
और यास पर ही नभर करे गी। य द आप कसी योग म असफल हो जातेह, या कसी कार क
हा न होती है
तो उसकेलए ले खक, काशक, लेशमा भी ज मेदार नह होगे

शव को ा त करने केलए अघोर साधना :-


अघोर साधनाएं जीवन क सबसे अ तुसाधनाएं ह
अघोरेर महादे व क साधना उन लोग को करनी चा हए जो सम त सां सा रक बं
धन सेमु होकर शव
गण बननेक इ छा रखतेह. इस साधना सेआप को सं सार सेधीरेधीरेवर होनी शु हो जाये गी
इस लए ववा हत और ववाह सु ख केअ भलाषी लोग को यह साधना नह करनी चा हए.
यह साधना अमाव या से ारं भ होकर अगली अमाव या तक क जाती है .
एकांत कमरे म साधना होगी. ी सेसं पक तो र क बात है बात भी नह करनी है.भोजन कम से कम
और खु द पकाकर खाना है .यथा सं
भव मौन रहना है.
ोध, ववाद, लाप, न करे
.गोबर केकंडेजलाकर उसक राख बना ल. नान करनेकेबाद बना शरीर पोछे
साधना क म वे श कर.अब राख को अपनेपू रे शरीर म मल ल.जमीन पर बै ठकर मं जाप कर.माला
या य क आव यकता नह है .जप क संया अपने मता केअनु सार तय कर.आँ ख बं द करकेदोन
ने केबीच वालेथान पर यान लगानेका यास करते ए जाप कर.जाप केबाद भू म पर सोय.उठने
केबाद नान कर सकतेह.य द एकां त उपल ध हो तो पू रेसाधना काल म दगंबर रह. य द यह संभव न
हो तो काले रं
ग का व पहन.
साधना केदौरान ते ज बुखार, भयानक य और आवाज आ सकती ह. इस लए कमजोर मन वालेसाधक
और ब चे इस साधना को कसी हालत म न कर.
गु द ा ले चु
केसाधक ही अपने गु सेअनुम त ले कर इस साधन को कर.
जाप से पहले कम से कम १ माला गु म का जाप अ नवाय है .
मं:-
आदल चलेबादल चलेजाय परेसीता केवा र ! सीता द हनी शाप !जाय परा समु केपार ! वाचा
म आ वाचेचार , हाकेहनु, वरावेभीम ! और न परेहमारेसीम ! इ र महादे व क हाई ॐ नमः
शवाय !

कसी भी टोने-टोटके
, मं एं
व तांक साधना अथवा अ य योग करनेसेपहलेकुशल गु या अनुभवी
सेम रा कर ल। के वल पढ़कर इस े म कदम रखना घातक हो सकता है
। यहां
यह बात प
प सेबता देना अपना नैतक कत समझते ह क कसी भी योग म आपक सफलता आपकेव ास
और यास पर ही नभर करे गी। य द आप कसी योग म असफल हो जातेह, या कसी कार क
हा न होती है
तो उसकेलए ले खक, काशक, लेशमा भी ज मेदार नह होगे

पुप दे
हा अ सरा साधना :
पुपदे
हा अ सरा अ य त कोमल जसकेकपोल गु लाबी रंग लए ए और जसक दे ह इतनी सु
दर क
जरा सा छू
ने भर सेमै
ली होजाय पू
र ा शरीर
गु
लाब सेभी यादा कोमल और गु ण म अ यं त गु
णवान कसी भी काय को तु र त करनेक मता एक
थान से सरेथान पर पलक झपकतेही प चनेक मता सेस प न येअ सरा वभाव सेभी अ यं त
कोमल है जब ये
हसेतो मानो कई कई बज लया सी क ध जाती है इसकेपास खे चरी व ा हैजसकेकारण सेयेहवा
म कही भी काय संप न कर वा पस आ जा सकती है पु
प देहा अपनेसाधक का साथ कभी नह छोड़ती
अगर उसे कोई तकलीफ होती है तो उसे ठ क करकेही दम ले ती है
|
ॐ अनं ग पुपदे
हा वर वरद यै अनं ग ा य नमः |
इस म को व ध वधान केसाथ जपनेपर पु पदे हा पू
ण ग ंार करकेसाधक केसामनेआती ही है

इसम कसी भी कार क शं का नह है |
हा अगर आपकेमन म कोई शं का होगी तो साधना पू र ी नह होगी यो क शं का करनेवालेको तो
भगवान भी नह मलता यह तो अ सरा है |
इस लए पाठको से कहना चा ग
ँा क साधना करे तो न छल भाव से करे
अपने मन म कसी कार का मै ल न रखेफर दे खे अ सरा कै सेखची चली
आती हैकसी को े मका बनाना या कसी का े मका होना कोई कलं क नह है पर तु इसकेलए हमारी
भावनाए प व और शु होनी चा हए उसमे कही भी घ टयापन या ओछापन न हो ,येसब बताने केपीछे
कारण यही हैक आप साधना म पू ण सफलता पा सके।
(1) इस साधना म कसी भी कार केव पहनेजा सकते हैधोती या पट कमीज कु छ भी ।
(2 )शरीर पर इ लगाये पुप क माला धारण करे |
(3 )अ सरामला से मंजाप करे |
(4 )51 माला उपरो म क जाप करे |
म जाप केही बीच म अगर अ सरा कट हो तो म जापकरतेरहे उसेदे
ख कर रोकेनह वरन 51
माला पूर ी होनेपर ही उठेऔर अपने गलेक माला उसकेगलेम डाल देऔर पू रेजीवन साथ रहने का
वचन ले ले वह भी आपकेगले म अपनी माला डाल दे गी और इस तरह अ सरा स हो जाएगी |
ऐसी अ सरा जो फू लो सेभी कोमल हैउसकेयौवन का ,मधु रता का वेग इतना हैक पू र ेसमु को
अपनेआप म समा हत कर लेऐसी अ सरा अगर कसी को मल जाए तो पोरेजीवन भर
यौवनवान बना रह सकता है और अपना जीवन आनं द केसाथ तीत कर सकता है |

हनु म ान चालीसा स :-
जो सत् बार पाठ करे कोई, छू टही बं
द महासुख होई”
जो हनु म ान चालीसा का 100 बार पाठ कर ले ता हैतो बं धन सेमु होता हैतथा महासु ख को ा त
होता है . ले कन यह सहज ही सं भव नह होता है , भौ तक अथ इसका भलेही कु छ और हो ले कन
आ या मक प सेयहाँपर बं धन का अथ आतं रक तथा शारी रक दोन बं धन सेहै . तथा महासुख
अथात शां त चत क ा त होना है . लेकन कोई भी थ त क ा त केलए साधक को एक न त
या को करना अ नवाय हैय क एक न त या ही एक न त प रणाम क ा त को सं भव
बना सकती है .
हनु म ान चालीसा सेसबं धत एक योग उ ह नेही मु झेबताया था, उसका उ ले ख यहाँ पर कया जा रहा
है. ले कन उससे पहले इससे सबंधत कु छ अ नवाय त य भी जानने यो य है.
हनु म ान चालीसा का यह योग सकाम योग तथा न काम कार दोन प म होता है . इस लए साधक
को अनुान करनेसेपू व अपनी कामना का सं क प ले ना आव यक है . अगर कोई वशे ष इ छा केलए
योग कया जा रहा हो तो साधक को सं क प ले ना चा हए क “ म अमु क नाम का साधक यह योग
____काय केलए कर रहा ँ , भगवान हनुम ान जी मु झेइस हे तुसफलता केलए श तथा आशीवाद
दान करे ”
अगर साधक न काम भाव से यह योग कर रहा है तो संक प ले ना आव यक नह है .
साधक अगर सकाम प सेसाधना कर रहा है तो साधक को अपने सामने भगवान हनु म ान का वीर भाव
सेयु च था पत करना चा हए. अथात जसमे वह पहाड़ को उठा कर लेजा रहेहो या असु र का
नाश कर रहेहो. ले कन अगर न काम साधना करनी हो तो साधक को अपनेसामनेदास भाव यु
हनु म ान का च था पत करना चा हए अथात जसमे वह यान म न हो या फर ीराम केचरण म बै ठे
वे हो.
साधक को यह म एकां त म करना चा हए, अगर साधक अपनेकमरे म यह म कर रहा हो तो जाप
केसमय उसकेसाथ कोई और सरा नह होना चा हए.
ी सा धका हनु म ान चालीसा या साधना नह कर सकती यह मा म या धारणा है . कोई भी सा धका
हनु म ान साधना या योग स पन कर सकती है . रज वला समय म यह योग या कोई साधना नह क
जा सकती है . साधक सा धकाओ को यह योग करनेसेएक दन पू व, योग के दन तथा योग के
सरेदन अथात कु ल 3 दन चय पालन करना चा हए.
सकाम उपासना म व लाल रहेन काम म भगवेरं ग केव का योग होता है . दोन ही काय म
दशा उ र रहे . साधक को भोग म गु ड तथा उबले वेचनेअ पत करनेचा हए. कोई भी फल अ पत
कया जा सकता है . साधक द पक ते ल या घी का लगा सकता है . साधक को आक केपु प या लाल रं

केपु प सम पत करने चा हए.
यह योग साधक कसी भी मं गलवार क रा को करेतथा समय 9 बजेकेबाद का रहे . सव थम
साधक नान आ द सेनवृ त हो कर व धारण कर केलाल आसान पर बै ठ जाये. साधक अपने पास
ही आक के100 पु प रखले . अगर कसी भी तरह से यह सं भव न हो तो साधक कोई भी लाल रं ग के
100 पु प अपने पास रख ले . अपनेसामनेकसी बाजोट पर या पू जा थान म लाल व बछा कर उस
पर हनुम ानजी का च या य या व ह को था पत करे . उसकेबाद द पक जलाये . साधक गु पू जन
गु मंका जाप कर हनु म ानजी का सामा य पूजन करे. इस या केबाद साधक “हं ” बीज का उ चारण
कुछ देर करे तथा उसकेबाद अनु लोम वलोम ाणायाम करे . ाणायाम केबाद साधक हाथ म जल ले
कर संक प करे तथा अपनी मनोकामना बोले . इसकेबाद साधक “रां रामाय नमः ” का यथा सं भव जाप
करे. जाप केबाद साधक अपनी तीन नाडी अथात इडा पगला तथा सु षुना म ी हनु म ानजी को
था पत मान कर उनका यान करे . तथा हनु
म ान चालीसा का जाप शु कर दे . साधक को उसी रा म
100 बार पाठ करना है . हर एक बार पाठ पू ण होनेपर एक पु प हनु म ानजी केयं/ च / व ह को
सम पत करे . इस कार 100 बार पाठ करने पर 100 पु प सम पत करनेचा हए. 100 पाठ पु रे होनेपर
साधक वापस ‘हं ’ बीज का थोड़ी दे र उ चारण करे तथा जाप को हनु म ानजी केचरण म सम पत कर दे .

ीहनुमत्
-म -चम कार-अनुान :-
( तु
त वधान के ये क म के११००० ‘जप‘ एवंदशां श ‘हवन’ सेस होती है
। हनुम ान जी के
म दर म, ‘ ा ’ क माला से , चय-पू वक ‘जप कर। नमक न खाए तो उ म है । क ठन-से
-क ठन काय
इन म क स से सु
चा प से होते ह।)
१॰ ॐ नमो हनु मते ावताराय, वायु -सुताय,
अ जनी-गभ-स भू ताय, अख ड- चय-
त-पालन-त पराय, धवली -कृ त-जगत् - तयाय,
वलद न-सू य-को ट-सम भाय, कट-परा माय,
आ ा त- दग् -म डलाय, यशो वतानाय, यशोऽलं कृ ताय, शो भताननाय,
महा-साम याय, महा-ते ज-पुजः- वराजमानाय,
ीराम-भ -त पराय, ीराम-ल मणान द-कारणाय,
क व-सै य- ाकाराय, सुीव-स य-कारणाय,
सुीव-साहा य-कारणाय, ा - -श - सनाय,
ल मण-श -भे द- नवारणाय, श य- वश यौष ध-समानयनाय,
बालो दत-भानु-म डल- सनाय,अ कु मार-छे दनाय,
वन-र ाकर-समू ह- वभ जनाय, ोण-पवतो पाटनाय,
वा म-वचन-स पा दताजु न, संयुग-संामाय,
ग भीर-श दोदयाय, द णाशा -मात डाय, मे-पवत-पी ठकाचनाय,
दावानल-काला न- ाय,समु -लं घनाय, सीताऽऽ ासनाय,
सीता-र काय, रा सी -संघ- वदारणाय,
अशोक-वन- वदारणाय, लं का -पु
र ी-दहनाय,
दश- ीव- शरः-कृ काय, कुभकणा द-वध-कारणाय,
बा ल- नवहण-कारणाय, मे घनाद-होम- व वं सनाय,
इ जत-वध-कारणाय, सव-शा -पारं गताय, सव- ह- वनाशकाय,
सव- वर-हराय, सव-भय- नवारणाय, सव-क - नवारणाय,
सवाप - नवारणाय, सव- ा द- नबहणाय, सव-श ु छेद
नाय, भूत- े
त- पशाच-डा कनी-शा कनी- वं सकाय, सव-काय-साधकाय,
ा ण-मा -र काय, राम- ताय- वाहा।।
२॰ ॐ नमो हनु मते
, ावताराय, व - पाय, अ मत- व माय, कट-परा माय, महा-बलाय, सू य-को ट-
सम भाय,राम- ताय- वाहा।।
उवशी अ सरा य ीकरण साधना :

नारायण क जं
घ ा सेउवशी क उ प मानी जाती है
। प पु
र ाण केअनुसार कामदे
व केऊ सेइसका
ज म आ था। ीम ागवत केअनु सार यह वग क सवसु दर अ सरा थी।शा म कई थान पर
अ सरा का उ ले ख आता है।

अ सराएंब त ही सु ं
दर, मनमोहक, कसी क भी तप या भंग करनेम स म क याएंहोती बताई गई ह।
जब भी कोई असु र, राजा, ऋ ष या अ य कोई मनु
य भगवान को स न करनेकेलए कठोर तप करता
हैवहां दे
वराज इंअ सरा को भे जकर उनका तप भं
ग करवानेक चेा करतेह। ऐसा ही उ लेख वे
द-
पु
र ाण म ब त सेथान पर आया है ।

शा केअनु सार देवराज इं के वग म 11 अ सराएंमुय प सेबताई गई ह। इन सभी अ सरा


का प ब त ही सु ं
दर बताया गया है। ये11 अ सराएं
ह- कृत थली , पु

जक थला , मे
नका , रं
भा, लोचा,
अनुलोचा, घृ
ताची, वचा, उवशी , पू
व च और तलो मा। वेद-पु
र ाण म कई थान म इन अ सरा केनाम
आए ह, जहां इ ह ने घोर तप या म लीन भ केतप को भी भं ग कर दया।

सौ दय, सु
ख े म क पूणता हेतुर भा, उवशी और मेनका तो दे
वता क अ सराएंरही ह, और ये क
दे
वता इ हे ा त करनेकेलए य नशील रहा है । य द इन अ सरा को दे
वता ा त करनेकेलए
इ छुक रहे ह, तो मनु
य भी इ हेे मका प म ा त कर सकतेह। इस साधना को स करने म कोई
दोष या हा न नह है तथा जब अ सरा म े उवशी स होकर वश म आ जाती है , तो वह े मका
क तरह मनोरं जन करती है
, तथा संसार क लभ व तु एंऔर पदाथ भे
ट व प लाकर दे ती है
। जीवन
भर यह अ सरा साधक केअनु कू
ल बनी रहती है, वा तव म ही यह साधना जीवन क े एवंमधुर
साधना है।

साधना वधान:-

इस साधना को कसी भी शुवार से ार भ कया जा सकता है। यह रा काल साधना है। नान आ द
कर पीलेआसन पर उ र क ओर मु हंकर बैठ जाएं
। सामनेपीलेव पर ‘उवशी यं’ (ताबीज) था पत
कर द तथा सामनेपां
च गु
लाब केपु
प रख द। फर पांच घी केद पक लगा द और अगरब ी व लत
कर द। फर उसकेसामने‘सोनव ली’ रख द और उस पर के सर सेतीन ब दयाँलगा ल और म य म
न न श द अं
कत कर -

॥ ॐ उवशी य वशंकरी ं

इस मं केनीचेके
सर सेअपना नाम अं
कत कर। फर उवशी माला सेन न मं क १०१ माला जप
कर -

मं:-॥ ॐ उवशी मम य मम च ानु


रज
ंन क र क र फट ॥

यह मा सात दन क साधना हैऔर सातव दन अ य धक सु ंदर व प हन यौवन भार सेदबी ई


उवशी य उप थत होकर साधक केकान म गु ं
ज रत करती हैक जीवन भर आप जो भी आ ा दगे ,
म उसका पालन क ंगी । तब पहलेसेही लाया आ गु लाब केपु प वाला हार अपनेसामनेमान सक
प से े
म भाव उवशी केस मु ख रख देना चा हए। इस कार यह साधना स हो जाती है और बाद म
जब कभी उपरो मंका तीन बार उ चारण कया जाता है तो वह य उप थत होती है तथा साधक
जै
सेआ ा देता हैवह पू
र ा करती है
। साधना समा त होनेपर ‘उवशी यं (ताबीज)’ को धागेम परोकर
अपने गल म धारण कर लेना चा हए। सोनव ली को पीलेकपड़े
म लपे
ट कर घर म कसी थान पर रख
दे
ना चा हए, इससे
उवशी जीवन भर वश म बनी रहती है ।

सोनव ली :
जो साधक पारद केअठारह सं कार जानतेहैउनकेलयेयह कोइ नया नाम नही है।पारद तं मेवण
नमाण या मेअगर सोनव ली का सही योग कया जायेतो या मेपुण सफलता ा त होता है
कतुसफ सोनव ली केआधार पर या नही कर सकतेहै
,इसकेलये अ य ज डयो का भी महत होता
है
। आज केसमय मे ओ र जनल सोनव ली मलना आसान काय नही है

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