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रोग-दोष र करने

केलए जप माता च घ टा के
मं

तृ
तीया त थ माता च घ टा क मानी जाती है
। रोग-दोष र करने
केलए इनक कृ
पा ा त क जाती है
। मंजप।

'ॐ च घ टायै
नम:।।'

माता क कृ
पा ा त करने
हे
तुन न मंजपा जा सकता हैजससे का च म
ंखुी वकास होता है

नमो देै
महादेैशवायै
सततं
नम:।

नम: कृयै
भ ायैनयता: णता: मताम्।।

या

शरणागत द नात प र ाण परायणे


सव या तहरे
दे
व नाराय ण नमोऽ तु
ते
।।

जन य को मन से
भय हो, वे
द ण कालीजी का मं न य जप-

ॐ ंं द ण का लके

ंं वाहा।।

ान, मो तथा श ु
नाश करने
क अ ध ा ी दे
वी ह। इनक कृ
पा से
सम त भा य र हो जाते
ह।

अपने
मा लक से
परे
शान या समाज म जनका ब ह कार समय-समय पर होता हो, जप।

ा नना प चे
तां
स दे
वी भगवती ह सा। बलादाकृय मोहाय महामाया य छ त।।।

इस मंक अ ध ा ी दे
वी महाकाली ह।

मनु
य का या कह, जीव-जं
तु
का भी आकषण होता है
। हवन म इलायची, ब वप , तल, घृ
त का योग कर।
अचानक संकट उप थत हो तथा कोई रा ता न दख रहा हो तो मंजप कर घृ
त, काली मच, गु
गल क आ त द। भगवती
क कृपा से
माग मल जाएगा।

ॐ इ थं
यदा-यदा बाधा दानवो था भ व य त।तदा तदावतीया क र या य रसंयम् ॐ ।।

थान दोष, वा तु
दोष, े
त बाधा केथान पर मंजप कर गु
गल, घी, सरस से
हवन कर।

ॐ वृानामशे
षाणां
बलहा न करं
परम्। र ोभू
त पशाचानां
पठनादे
व नाशनम् ॐ।।

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