You are on page 1of 2

आठ लक्ष्ममी कका ध्यकान

आददिलक्ष्ममी
ससमनस ववंददित सवंदि
स ररि मकाधवव, चवंद्र सहहोदिररि हहे ममयहे
मसननगण ववंददित महोक्षप्रदिकायनन, मवंजसल भकावषिणण वहेदिनत
स हे ।
पवंकजवकाससनन दिहे व सप
स जप जत, सद्गसण ववषिर्षिणण शकावंनतयत
स हे
जय जयहहे मधस
स पदिन ककासमनन, आददिलजक्ष्म पररिपकालय मकाम म ॥ १ ॥

धकान्यलक्ष्ममी
अनयकसल कल्मषि नकासशनन ककासमनन, ववैददिक रूवपणण वहेदिमयहे
क्षमीरि समसद्भव मवंगल रूवपणण, मवंत्रननवकाससनन मवंत्रनसतहे ।
मवंगलदिकानयनन अवंबसजवकाससनन, दिहे वगणकाशश्रित पकादियसतहे
जय जयहहे मधससपदिन ककासमनन, धकान्यलजक्ष्म पररिपकालय मकाम म ॥ २ ॥

धवैयल
र्षि क्ष्ममी
जयवरिववषिर्षिणण ववैष्णवव भकागर्षिवव, मवंत्र स्वरूवपणण मवंत्रमयहे
ससरिगण पजप जत शमीघ्र फलप्रदि, जकान ववककाससनन शकास्त्रनसतहे ।
भवभयहकाररिणण पकापववमहोचनन, सकाधस जनकाशश्रित पकादियसतहे
जय जयहहे मधस सपधन ककासमनन, धवैयल
र्षि क्ष्ममी पररिपकालय मकाम म ॥ ३ ॥

गजलक्ष्ममी
जय जय दिग
स नर्षि त नकासशनन ककासमनन, सवर्षिफलप्रदि शकास्त्रमयहे
रिधगज तसरिगपदिकानत समकावत
व , पररिजन मवंडडित लहोकनसतहे ।
हररिहरि ब्रह्म ससपजप जत सहेववत, तकाप ननवकाररिणण पकादियसतहे
जय जयहहे मधससपदिन ककासमनन, गजलक्ष्ममी रूपहेण पकालय मकाम म ॥ ४ ॥

सवंतकानलक्ष्ममी
अनयखग वकादहनन महोदहनन चकक्रिणण, रिकागवववशधर्षिनन जकानमयहे
गसणगणवकारिशध लहोकदहतवैवषिणण, सप्तस्वरि भपवषित गकाननसतहे ।
सकल ससरिकाससरि दिहे व मसनमीश्वरि, मकानव ववंददित पकादियसतहे
जय जयहहे मधससपदिन ककासमनन, सवंतकानलक्ष्ममी पररिपकालय मकाम म ॥ ५ ॥
ववजयलक्ष्ममी
जय कमलकाससनन सद्गनत दिकानयनन, जकानववककाससनन गकानमयहे
अनदस दिन मशचर्षित कवंस कसम धस
प रि, भवप षित वकाससत वकाद्यनत
स हे ।
कनकधरिकास्तनस त ववैभव ववंददित, शवंकरिदिहे सशक मकान्यपदिहे
जय जयहहे मधस
स पदिन ककासमनन, ववजयलक्ष्ममी पररिपकालय मकाम म ॥ ६ ॥

ववद्यकालक्ष्ममी
प्रणत ससरिहेश्वररि भकारिनत भकागर्षिवव, शहोकववनकासशनन रित्नमयहे
मणणमय भपवषित कणर्षिववभपषिण, शकावंनत समकावत
व हकास्यमसखहे ।
नवननशध दिकानयनन कसलमलहकाररिणण, ककासमत फलप्रदि हस्तयसतहे
जय जयहहे मधससपदिन ककासमनन, ववद्यकालक्ष्ममी सदिका पकालय मकाम म ॥ ७ ॥

धनलक्ष्ममी
शधसमशधसम शधवंशधसम शधवंशधसम-ददिवंशधसम, दिवं ध
स ससभ नकादि ससपपणम
र्षि यहे
घसमघसम घसवंघसम घसवंघसम घसवंघसम, शवंख नननकादि ससवकाद्यनसतहे ।
वहेदि पपरिकाणहेनतहकास ससपपजजत, ववैददिक मकागर्षि प्रदिशर्षियसतहे
जय जयहहे मधससपदिन ककासमनन, धनलजक्ष्म रूपहेणका पकालय मकाम म ॥ ८ ॥

फलशनव त
श्लहो॥ अष्टलक्ष्ममी नमस्तसभ्यवं वरिदिहे ककामरूवपणण ।
ववष्णसवक्षक्षः स्थलका रूढहे भक्त महोक्ष प्रदिकानयनन ॥

श्लहो॥ शवंख चक्रिगदिकाहस्तहे ववश्वरूवपणणतहे जयक्षः ।


जगन्मकात्रहे च महोदहन्यवै मवंगलवं शसभ मवंगलम म ॥

जहो भक्त प्रनतददिन प्रकात:ककाल स्नकानआददिसहे शसद्ध हहो यथकाशक्तमी


महकालक्ष्ममी जमीकका पज
प न करिकहे अष्टलक्ष्ममी स्तहोत्र कका पकाठ करितका
हवै भगवनतककी कवपकासहे समस्त सस ख ससौभकाग्य ससौयर्षि धवैयर्षि ववद्यका ककीनतर्षि
सन्तकान ववजयश्रिमी तथका प्रचपरि धन धकान्य ककी प्रकाजप्त एववं अवंत महे अनका
यकास महोक्ष प्रकाप्त करिलहेतकाहवै ।।

You might also like