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बारह पंथ

नाथ सम्प्रदाय के अनुयायी मुख्यतः बारह शाखाओं में विभक्त हैं , विसे बारह पंथ कहते हैं । इन बारह पंथ ं
के कारण नाथ सम्प्रदाय क ‘बारह-पंथी’ य गी भी कहा िाता है । प्रत्येक पंथ का एक-एक विशे ष स्थान
है , विसे नाथ ल ग अपना पुण्य क्षेत्र मानते हैं । प्रत्येक पंथ एक पौरावणक दे िता अथिा वसद्ध य गी क
अपना आवद प्रिततक मानता है । नाथ सम्प्रदाय के बारह पंथ ं का संवक्षप्त पररचय इस प्रकार है -
१॰ सत्यनाथ पंथ - इनकी संख्या 31 बतलायी गयी है । इसके मूल प्रिततक सत्यनाथ (भगिान् ब्रह्मािी) थे
। इसीवलये सत्यनाथी पंथ के अनुयायवयय ं क “ब्रह्मा के य गी” भी कहते हैं । इस पंथ का प्रधान पीठ
उडीसा प्रदे श का पाताल भुिनेश्वर स्थान है ।
२॰ धमतनाथ पंथ – इनकी संख्या २५ है । इस पंथ के मूल प्रिततक धमतराि यु वधविर माने िाते हैं । धमतनाथ
पंथ का मुख्य पीठ नेपाल राष्ट्र का दु ल्लुदेलक स्थान है । भारत में इसका पीठ कच्छ प्रदे श वधन धर स्थान
पर हैं ।
३॰ राम पंथ - इनकी संख्या ६१ है । इस पंथ के मूल प्रितत क भगिान् श्रीरामचन्द्र माने गये हैं । इनका
प्रधान पीठ उत्तर-प्रदे श का ग रखपुर स्थान है ।
४॰ नाटे श्वरी पंथ अथिा लक्ष्मणनाथ पंथ – इनकी संख्या ४३ है । इस पंथ के मूल प्रिततक लक्ष्मणिी माने
िाते हैं । इस पंथ का मुख्य पीठ पंिाब प्रांत का ग रखवटल्ला (झेलम) स्थान है । इस पंथ का सम्बन्ध
दररयानाथ ि तुलनाथ पंथ से भी बताया िाता है ।
५॰ कंथड पंथ - इनकी संख्या १० है । कंथड पंथ के मूल प्रितत क गणेशिी कहे गये हैं । इसका प्रधान
पीठ कच्छ प्रदे श का मानफरा स्थान है ।
६॰ कवपलानी पंथ - इनकी संख्या २६ है । इस पंथ क गढ़िाल के रािा अियपाल ने चलाया । इस पंथ
के प्रधान प्रितत क कवपल मुवनिी बताये गये हैं । कवपलानी पंथ का प्रधान पीठ बं गाल प्रदे श का गं गासागर
स्थान है । कलकत्ते (क लकाता) के पास दमदम ग रखिं शी भी इनका एक मुख्य पीठ है ।
७॰ िै राग्य पंथ - इनकी संख्या १२४ है । इस पंथ के मूल प्रितत क भततत हररिी हैं । िै राग्य पंथ का प्रधान
पीठ रािस्थान प्रदे श के नागौर में राताढुं ढा स्थान है । इस पंथ का सम्बन्ध भ तं गनाथी पंथ से बताया िाता
है ।
८॰ माननाथ पंथ - इनकी संख्या १० है । इस पंथ के मूल प्रितत क रािा ग पीचन्द्रिी माने गये हैं । इस
समय माननाथ पंथ का पीठ रािस्थान प्रदे श का ि धपुर महा-मन्दिर नामक स्थान बताया गया है ।
९॰ आई पंथ - इनकी संख्या १० है । इस पंथ की मूल प्रवर्ति का गुरु गोरखनाथ की र्िष्या भगवती
र्वमला दे वी हैं । आई पंथ का मुख्य पीठ बंगाल प्रदे ि के र्दनाजपुर र्जले में जोगी गु फा या
गोरखकुई नामक स्थान हैं । इनका एक पीठ हररद्वार में भी बताया जाता है । इस पंथ का सम्बन्ध
घोडा चौली से भी समझा जाता है ।
१०॰ पागल पंथ – इनकी संख्या ४ है । इस पंथ के मूल प्रिततक श्री चौरं गीनाथ थे । ि पूरन भगत के
नाम से भी प्रवसद्ध हैं । इसका मुख्य पीठ पंिाब-हररयाणा का अब हर स्थान है ।
११॰ ध्विनाथ पंथ - इनकी संख्या ३ है । इस पंथ के मूल प्रिततक हनुमानिी माने िाते हैं । ितत मान में
इसका मुख्य पीठ सम्भितः अम्बाला में है ।
१२॰ गं गानाथ पंथ - इनकी संख्या ६ है । इस पंथ के मूल प्रिततक श्री भीष्म वपतामह माने िाते हैं ।
इसका मुख्य पीठ पंिाब में गुरुदासपुर विले का िखबार स्थान है ।
कालान्तर में नाथ सम्प्रदाय के इन बारह पंथ ं में छह पंथ और िु डे - १॰ रािल (संख्या-७१), २॰ पंक
(पंख), ३॰ िन, ४॰ कंठर पंथी, ५॰ ग पाल पंथ तथा ६॰ हे ठ नाथी ।
इस प्रकार कुल बारह-अठारह पंथ कहलाते हैं । बाद में अनेक पंथ िुडते गये , ये सभी बारह-अठारह पंथ ं
की उपशाखायें अथिा उप-पंथ है । कुछ के नाम इस प्रकार हैं - अद्धत नारी, अमरनाथ, अमापंथी। उदयनाथी,
कावयकनाथी, काममि, काषाय, गै नीनाथ, चपतटनाथी, तारकनाथी, वनरं िन नाथी, नायरी, पायलनाथी, पाि पंथ, वफल
नाथी, भतंगनाथ आवद ।

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