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(2005 का अधिधियम संख्ांक 22)

(15 जूि, 2005)

प्रत्येक लोक प्राधिकारी के काययकरण में पारदधशयता और उत्तरदाधयत्व के संवियि के धलये ,


लोक प्राधिकाररयों के धियंत्रणािीि सूचिा तक पहुँच सुधिधित करिे के धलये िागररकों
के सूचिा के अधिकार की व्यावहाररक शासि पद्धधत स्थाधपत करिे, एक केन्द्रीय सूचिा
आयोग तथा राज्य सूचिा आयोग का गठि करिे और उिसे सम्बंधित या उिके
आिुषंधगक धवषयों का उपबंि करिे के धलये अधिधियम

भारत के संविधान ने लोकतंत्रात्मक गणराज्य की स्थापना की है ;

और लोकतंत्र विवित नागररक िगग तथा ऐसी सू चना की पारदविगता की अपेिा करता है , जो
उसके कार्ग करण तथा भ्रष्टाचार को रोकने के वलर्े भी और सरकारों तथा उनके पररकरणों को
िासन के प्रवत उत्तरदार्ी बनाने के वलर्े अवनिार्ग है ;

और िास्तविक व्यिहार में सूचना के प्रकटन से संभितः अन्य लोक वहतों, वजनके अंतगगत
सरकारों के दि प्रचालन, सीवमत राज्य वित्तीर् संसाधनों के अवधकतम उपर्ोग और संिेदनिील
सूचना की गोपनीर्ता को बनाए रखना भी है , के साथ विरोध हो सकता है ;

और लोकतंत्रात्मक आदिग की प्रभुता को बनाए रखते हुए इन विरोधी वहतों के बीच सामंजस्य
बनाना आिश्यक है ;

अतः अब र्ह समीचीन है वक ऐसे नागररकों को, कवतपर् सूचना दे ने के वलर्े , जो उसे पाने के
इच्छु क हैं , उपबंध वकर्ा जाए;

भारत गणराज्य के छप्पनिें िर्ग में संसद द्वारा वनम्नवलखखत रूप में र्ह अवधवनर्वमत हो :-

अध्याय 1
प्रारम्भिक

1. संधिप्त िाम, धवस्तार और प्रारि-(1) इस अवधवनर्म का संविप्त नाम सूचना का अवधकार


अवधवनर्म, 2005 है ।

(2) इसका विस्तार जम्मू -कश्मीर राज्य के वसिार् सम्पूणग भारत पर है ।

(3) धारा 4 की उपधारा (1), धारा 5 की उपधारा (1) और उपधारा (2), धारा 12, धारा 13, धारा
15, धारा 16, धारा 24, धारा 27 और धारा 28 के उपबंध तुरन्त प्रभािी होंगे और इस अवधवनर्म
के िेर् उपबंध इसके अवधवनर्म के एक सौ बीसिें वदन को प्रिृत्त होंगे।
2. पररभाषाएं - इस अवधवनर्म में, जब तक वक संदभग से अन्यथा अपेवित न हो,-
(क) “समुवचत सरकार” से वकसी ऐसे लोक प्रावधकरण के सम्बंध में जो –

(i) केन्द्रीर् सरकार र्ा सं घ राज्य िेत्र प्रिासन द्वारा स्थावपत, गवित, उसके स्वावमत्वाधीन,
वनर्ंत्रणाधीन र्ा उसके द्वारा प्रत्यि रूप से र्ा अप्रत्यि रूप से उपलब्ध कराई गई वनवधर्ों
द्वारा सारभूत रूप से वित्तपोवर्त वकर्ा जाता है , केन्द्रीर् सरकार अवभप्रेत है ;

(ii) राज्य सरकार द्वार स्थावपत, गवित उसके स्वावमत्वाधीन, वनर्ंत्रणाधीन र्ा उसके द्वारा प्रत्यि
रूप से र्ा अप्रत्यि रूप से उपलब्ध कराई गई वनवधर्ों द्वारा सारभूत रूप से वित्तपोवर्त
वकर्ा जाता है , राज्य सरकार अवभप्रेत है ;

(ख) “केन्द्रीर् सूचना आर्ोग” से धारा 12 की उपधारा (1) के अधीन गवित केन्द्रीर् सूचना
आर्ोग अवभप्रेत है ;

(ग) “केन्द्रीर् लोक सूचना अवधकारी” से उपधारा (1) के अधीन पदावभवहत केन्द्रीर् लोक सूचना
अवधकारी अवभप्रेत है और इसके अंतगगत धारा 5 की उपधारा (2) के अधीन इस प्रकार
पदावभवहत कोई केन्द्रीर् सहार्क लोक सूचना अवधकारी भी है ;

(घ) “मुख्य सूचना आर्ुक्त” और “सूचना आर्ुक्त” से धारा 12 की उपधारा (3) के अधीन वनर्ुक्त
मुख्य सूचना आर्ुक्त और सूचना आर्ुक्त अवभप्रेत हैं ;

(ड.) “सिम प्रावधकारी” से अवभप्रेत है -

(i) लोक सभा र्ा वकसी राज्य की विधान सभा की र्ा वकसी ऐसे संघ राज्यिेत्र की, वजसमें
ऐसी सभा है , दिा में अध्यि और राज्य सभा र्ा वकसी राज्य की विधान पररर्द की दिा में
सभापवत;

(ii) उच्चतम न्यार्ालर् की दिा में भारत का मुख्य न्यामूवतग ;


(iii) वकसी उच्च न्यार्ालर् की दिा में उच्च न्यार्ालर् का मुख्य न्यार्मूवतग ;
(iv) संविधान द्वारा र्ा उसके अवधन स्थावपत र्ा गवित अन्य प्रावधकरणों की दिा में, र्थाखस्थवत,
राष्टरपवत र्ा राज्यपाल;
(v) संविधान के अनुच्छेद 239 के अधीन वनर्ुक्त प्रिासक;

(च) “सूचना” से वकसी इलेक्ट्रॉवनक रूप में धाररत अवभलेख, दस्तािेज, ज्ञापन, ई-मेल, मत, सलाह,
प्रेस विज्ञखप्त, पररपत्र, आदे ि, लॉगबुक, संविदा, ररपोटग कागजपत्र, नमूने, मॉडल, आँ कडों सम्बंधी
सामग्री और वकसी प्राइिे ट वनकार् से सम्बंवधत ऐसी सूचना सवहत, वजस तक तत्समर् प्रिृत्त
वकसी अन्य विवध के अधीन वकसी लोक प्रावधकारी की पहुँ च हो सकती है , वकसी रूप में कोई
सामग्री अवभप्रेत है ;

(छ) “विवहत” से, र्थाखस्थवत, समुवचत सरकार र्ा सिम प्रावधकारी द्वार इस अवधवनर्म के अधीन
बनाए गए वनर्मों द्वारा विवहत अवभप्रेत है ;
(ज) “लोक प्रावधकारी” से,-

(क) संविधान द्वार र्ा उसके अधीन;


(ख) संसद द्वारा बनाई गई वकसी अन्य विवध द्वारा;
(ग) राज्य विधान-मंडल द्वारा बनाई गई वकसी अन्य विवध द्वारा;
(घ) समुवचत सरकार द्वार जारी की गई अवधसूचना र्ा वकए गए आदे ि द्वारा, स्थावपत र्ा
गवित कोई प्रावधकारी र्ा वनकार् र्ा स्वार्त्त सरकारी संस्था अवभप्रेत है ,

और इसके अन्तगगत,-
(i) कोई ऐसा वनकार् है जो समुवचत सरकार के स्वावमत्वाधीन, वनर्ंत्रणाधीन र्ा उसके द्वार
प्रत्यि र्ा अप्रत्यि रूप से उपलब्ध कराई गई वनवधर्ों द्वारा सारभूत रूप से वित्तपोवर्त है ;
(ii) कोई ऐसा गैर-सरकारी संगिन है जो समुवचत सरकार, द्वारा प्रत्यि र्ा अप्रत्यि रूप से
उपलब्ध कराई गई वनवधर्ों द्वारा सारभूत रूप से वित्तपोवर्त है ।

(झ) “अधभलेख” में धिम्नधलम्भखत सम्भिधलत हैं -

(क) कोई दस्तावेज, पाण्डु धलधप और फाइल;


(ख) धकसी दस्तावेज की कोई माइक्रोधफल्म, माइक्रोधफशे और प्रधतकृधत प्रधत;
(ग) ऐसी माइक्रोधफल्म में सधिधवष्ट प्रधतधबम्ब या प्रधतधबम्बों का पुिरूत्पादि (चाहे वधियत
रूप में हो या ि हो) ; और
(घ) धकसी कम्प्यूटर द्वारा या धकसी अन्य युम्भि द्वारा उत्पाधदत कोई अन्य सामग्री;

(ञ) “सूचिा का अधिकार” से इस अधिधियम के अिीि पहुँच योग्य सूचिा का, जो धकसी
लोक प्राधिकारी द्वारा या उसके धियंत्रणािीि िाररत है , अधिकार अधभप्रेत है और धजसमें
धिम्नधलम्भखत का अधिकार सम्भिधलत है -

(i) कृधत, दस्तावेजों, अधभलेखों का धिरीिण;


(ii) दस्तावेजों या अधभलेखों के धटप्पण, उद्धरण या प्रमाधणत प्रधतधलप लेिा;
(iii) सामग्री के प्रमाधणत िमूिे लेिा;
(iv) धिस्केट, फ्लॉपी, टे प, वीधियो कैसेट के रूप में या धकसी अन्य इलेक्ट्रॉधिक रीधत में या
धप्रंटआउट के माध्यम से सूचिा को, जहाुँ ऐसी सूचिा धकसी कम्प्यूटर या धकसी अन्य
युम्भि में भण्डाररत है , अधभप्राप्त करिा;

(ट) “राज्य सूचना आर्ोग” से धारा 15 की उपधारा (1) के अधीन गवित राज्य सूचना आर्ोग
अवभप्रेत है ;

(ि) “राज्य मुख्य सूचना आर्ुक्त” और “राज्य सूचना आर्ुक्त” से धारा 15 की उपधारा (3) के
अधीन वनर्ुक्त राज्य मुख्य सूचना आर्ुक्त और राज्य सूचना आर्ुक्त अवभप्रेत है ;
(ड) “राज्य लोक सूचना अवधकारी” से उपधारा (1) के अधीन पदावभवहत राज्य लोक सूचना
अवधकारी अवभप्रेत है और इसके अंतगगत धारा 5 की उपधारा (2) के अधीन उस रूप में
पदावभवहत राज्य सहार्क लोक सूचना अवधकारी भी है ;

(ढ) “पर व्यखक्त” से सूचना के वलर्े अनुरोध करने िाले नागररक से वभन्न कोई व्यखक्त अवभप्रेत
है , और इसके अंतगगत कोई लोक प्रावधकारी भी है ।

अध्याय-2
सूचिा का अधिकार और लोक प्राधिकाररयों की बाध्यताएं

3. सूचिा का अधिकार- इस अधिधियम के उपबंिों के अिीि रहते हए, सभी िागररकों


को सूचिा का अधिकार होगा।

4. लोक प्राधिकाररयों की बाध्यताएं - (1) प्रत्येक लोक प्रावधकारी-

(क) अपने सभी अवभलेखों को सम्यक रूप से सूचीपवत्रत और अनुक्रमवणकाबद्ध ऐसी रीवत
और रूप में रखेगा, जो इस अवधवनर्म के अधीन सूचना के अवधकार को सुकर बनाता है
और सुवनवित करे गा वक ऐसे सभी अवभलेख, जो कंप्यूटरीकृत वकए जाने के वलर्े समुवचत हैं ,
र्ुखक्तर्ुक्त समर् के भीतर और संसाधनों की उपलभ्यता के अधीन रहते हुए, कंप्यूटरीकृत और
विवभन्न प्रणावलर्ों पर संपूणग दे ि में नेटिकग के माध्यम से संबद्ध हैं वजससे वक ऐसे अवभलेख
तक पहुँ च को सुकर बनार्ा जा सके;

(ख) इस अवधवनर्म के अवधवनर्मन से एक सौ बीस वदन के भीतर-

(i) अपने संगिन की विविवष्टर्ाँ , कृत्य और कतगव्य;


(ii) अपने अवधकाररर्ों और कमगचाररर्ों की िखक्तर्ाँ और कतगव्य;
(iii) विवनिर् करने की प्रवक्रर्ा में पालन की जाने िाली प्रवक्रर्ा वजसमें पर्गिेिण और
उत्तरदावर्त्व के माध्यम सखम्मवलत हैं ;
(iv) अपने कृत्यों के वनिगहन के वलर्े स्वर्ं द्वारा स्थावपत मानदं ड;
(v) अपने द्वारा र्ा अपने वनर्ंत्रणाधीन धाररत र्ा अपने कमगचाररर्ों द्वारा अपने कृत्यों के वनिगहन
के वलर्े प्रर्ोग वकए गए वनर्म, विवनर्म, अनुदेि, वनदे विका और अवभलेख;
(vi) ऐसे दस्तािेजों के, जो उसके द्वारा धाररत र्ा उसके वनर्ंत्रणाधीन हैं , प्रिगों का वििरण;
(vii) वकसी व्यिस्था की विविवष्टर्ां , जो उसकी नीवत की संरचना र्ा उसके कार्ाग न्वर्न के
सम्बंध में जनता के सदस्यों से परामिग के वलर्े र्ा उनके द्वारा अभ्यािे दन के वलर्े विद्यमान
हैं ;
(viii) ऐसे बोडों, पररर्दों, सवमवतर्ों और अन्य वनकार्ों के, वजनमें दो र्ा अवधक व्यखक्त हैं ,
वजनका उसके भागरूप में र्ा इस बारे में सलाह दे ने के प्रर्ोजन के वलर्े गिन वकर्ा गर्ा
है और इस बारे में वक क्या उन बोडों, पररर्दों सवमवतर्ों और अन्य वनकार्ों की बैिकें जनता
के वलर्े खुली होंगी र्ा ऐसी बैिकों के कार्गिृत्त तक जनता की पहुँ च होगी, वििरण;
(ix) अपने अवधकाररर्ों और कमगचाररर्ों की वनदे विका;
(x) अपने प्रत्येक अवधकारी और कमगचारी द्वारा प्राप्त मावसक पाररश्रवमक, वजसके अन्तगगत
प्रवतकर की प्रणाली भी है , जो उसके विवनर्मों में र्था उपबंवधत हो;
(xi) सभी र्ोजनाओं, प्रस्तावित व्यर्ों और वकए गए संवितरणों पर ररपोटों की विविवष्टर्ां ,
उपदविगत करते हुए अपने प्रत्येक अवभकरण को आिंवटत बजट;
(xii) सहावर्की कार्गक्रमों के वनष्पादन की रीवत वजसमें आिंवटत रावि और ऐसे कार्गक्रमों के
फार्दाग्रावहर्ों के ब्यौरे सखम्मवलत हैं ;
(xiii) अपने द्वारा अनुदत्त ररर्ार्तों, अनुज्ञापत्रों र्ा प्रावधकारों के प्राखप्तकताग ओं की विविवष्टर्ां ;
(xiv) वकसी इलेक्ट्रॉवनक रूप में सूचना के संबंध में ब्यौरे , जो उसको उपलब्ध हों र्ा उसके
द्वारा धाररत हों;
(xv) सूचना अवभप्राप्त करने के वलर्े नागररकों को उपलब्ध सुविधाओं की विविवष्टर्ां , वजनमें
वकसी पुस्तकालर् र्ा िाचन कि के, र्वद लोक उपर्ोग के वलर्े अनुरवित हैं तो, कार्गकरण
घंटे सखम्मवलत हैं ;
(xvi) लोक सूचना अवधकाररर्ों के नाम, पदनाम और अन्य विविवष्टर्ां ;
(xvii) ऐसी अन्य सूचना, जो विवहत की जाए, प्रकावित करे गा और तत्पिात इन प्रकािनों को
प्रत्येक िर्ग में अद्यतन करे गा;

(ग) महत्त्वपूणग नीवतर्ों की विरचना करते समर् र्ा ऐसे विवनिर्ों की घोर्णा करते समर्, जो
जनता को प्रभावित करते हों, सभी सुसंगत तथ्ों को प्रकावित करे गा;
(घ) प्रभावित व्यखक्तर्ों को अपने प्रिासवनक र्ा न्यावर्कल्प विवनिर्ों के वलर्े कारण उपलब्ध
कराएगा।

(2) प्रत्येक लोक अवधकारी का वनरं तर र्ह प्रर्ास होगा वक िह उपधारा (1) के खंड (ख) की
अपेिाओं के अनुसार, स्वप्रेरणा से , जनता को वनर्वमत अन्तरालों पर संसूचना के विवभन्न साधनों
के माध्यम से, वजनके अन्तगगत इं टरनेट भी है , इतनी अवधक सूचना उपलब्ध कराने के वलर्े
उपार् करे वजससे वक जनता को सूचना प्राप्त करने के वलर्े इस अवधवनर्म का कम से कम
अिलंब लेना पडे ।

(3) उपधारा (1) के प्रर्ोजन के वलर्े, प्रत्येक सूचना को विस्तृत रूप से और ऐसे प्रारूप और
रीवत में प्रसाररत वकर्ा जाएगा, जो जनता के वलर्े सहज रूप से पहुँ च र्ोग्य हो।

(4) सभी सामग्री को, लागत प्रभाििीलता, स्थानीर् भार्ा और उस िेत्र में संसूचना की अत्यंत
प्रभािी पद्धवत को ध्यान में रखते हुए, प्रसाररत वकर्ा जाएगा तथा सूचना, र्थाखस्थवत, केन्द्रीर् लोक
सूचना अवधकारी र्ा राज्य लोक सूचना अवधकारी के पास इलेक्ट्रॉवनक रूप में संभि सीमा
तक वनःिुल्क र्ा माध्यम की ऐसी लागत पर र्ा ऐसी मुद्रण लागत कीमत पर, जो विवहत की
जाए, सहज रूप से पहुँ च र्ोग्य होनी चावहए।

स्पष्टीकरण- उपधारा (3) और उपधारा (4) के प्रर्ोजनों के वलर्े , “प्रसाररत” से सूचना पट्ों,
समाचारपत्रों, लोक उद् घोर्णाओं, मीवडर्ा प्रसारणों, इं टरनेट र्ा वकसी अन्य माध्यम से , वजसमें
वकसी लोक प्रावधकारी के कार्ाग लर्ों का वनरीिण सखम्मवलत है , जनता को सूचना की जानकारी
दे ना र्ा संसूवचत कराना अवभप्रेत है ।
5. लोक सूचिा अधिकाररयों का पदिाम- (1) प्रत्येक लोक प्रावधकारी, इस अवधवनर्म के
अवधवनर्मन के सौ वदन के भीतर सभी प्रिासवनक एककों र्ा उसके अधीन कार्ाग लर्ों में,
र्थाखस्थवत, केन्द्रीर् लोक सूचना अवधकाररर्ों र्ा राज्य लोक सूचना अवधकाररर्ों के रूप में उतने
अवधकाररर्ों को अवभवहत करे गा, वजतने इस अवधवनर्म के अधीन सूचना के वलर्े अनुरोध करने
िाले व्यखक्तर्ों को सूचना प्रदान करने के वलर्े आिश्यक हों।

(2) उपधारा (1) के उपबंधों पर प्रवतकूल प्रभाि डाले वबना, प्रत्येक लोक प्रावधकारी, इस
अवधवनर्म के सौ वदन के भीतर वकसी अवधकारी को प्रत्येक उपमंडल स्तर र्ा अन्य उप
वजला स्तर पर, र्थाखस्थवत, केंद्रीर् सहार्क लोक सूचना अवधकारी र्ा वकसी राज्य सहार्क लोक
सूचना अवधकारी के रूप में इस अवधवनर्म के अधीन सूचना के वलर्े आिेदन र्ा अपील
प्राप्त करने और उसे तत्काल, र्थाखस्थवत, केंद्रीर् लोक सूचना अवधकारी र्ा राज्य लोक सूचना
अवधकारी र्ा धारा 19 की उपधारा (1) के अधीन विवनवदग ष्ट िररष्ठ अवधकारी र्ा केंद्रीर् सूचना
आर्ोग अथिा राज्य सू चना आर्ोग को भेजने के वलर्े , पदावभवहत करे गाः

परं तु र्ह वक जहाँ सूचना र्ा अपील के वलर्े कोई आिेदन, र्थाखस्थवत, वकसी केन्द्रीर् सहार्क
लोक सूचना अवधकारी र्ा वकसी राज्य सहार्क लोक सूचना अवधकारी को वदर्ा जाता है , िहाँ
धारा 7 की उपधारा (1) के अधीन विवनवदग ष्ट उत्तर के वलर्े अिवध की संगणना करने में पाँ च
वदन की अिवध जोड दी जाएगी।

(3) र्थाखस्थवत, प्रत्येक केन्द्रीर् लोक सूचना अवधकारी र्ा राज्य लोक सू चना अवधकारी, सूचना की
मां ग करने िाले व्यखक्तर्ों के अनुरोधों पर कारग िाई करे गा और ऐसी सूचना की मां ग करने
िाले व्यखक्तर्ों को र्ुखक्तर्ुक्त सहार्ता प्रदान करे गा।

(4) र्थाखस्थवत, केन्द्रीर् लोक सूचना अवधकारी, ऐसे वकसी अन्य अवधकारी की सहार्ता की मां ग
कर सकेगा, वजसे िह अपने कृत्यों के समुवचत वनिगहन के वलर्े आिश्यक समझे।

(5) कोई अवधकारी, वजसकी उपधारा (4) के अधीन सहार्ता चाही गई है , उसकी सहार्ता चाहने
िाले र्थाखस्थवत, केन्द्रीर् लोक सूचना अवधकारी र्ा राज्य लोक सूचना अवधकारी को सभी
सहार्ता प्रदान करे गा और इस अवधवनर्म के उपबंधों के वकसी उल्लंघन के प्रर्ोजनों के वलर्े
ऐसे अन्य अवधकारी को, र्थाखस्थवत, केन्द्रीर् लोक सूचना अवधकारी र्ा राज्य लोक सूचना
अवधकारी समझा जाएगा।

6. सूचिा अधभप्राप्त करिे के धलये अिुरोि- (1) कोई व्यम्भि, जो इस अधिधियम के अिीि
कोई सूचिा अधभप्राप्त करिा चाहता है , धलम्भखत में या इलेक्ट्रॉधिक युम्भि के माध्यम से
अंग्रेजी या धहन्दी में या उस िेत्र की, धजसमें आवेदि धकया जा रहा है, राजभाषा में ऐसी
फीस के साथ, जो धवधहत की जाए,-

(क) सम्बंधित लोक प्राधिकरण के, यथाम्भस्थधत, केन्द्रीय लोक सूचिा अधिकारी या राज्य
लोक सूचिा अधिकारी;
(ख) यथाम्भस्थधत, केन्द्रीय सहायक लोक सूचिा अधिकारी या राज्य सहायक लोक सूचिा
अधिकारी, को, उसके द्वारा मांगी गई सूचिा की धवधशधष्टयां धवधिधदय ष्ट करते हए अिुरोि
करे गााः

परं तु जहाुँ ऐसा अिुरोि धलम्भखत में िही ं धकया जा सकता है , वहाुँ , यथाम्भस्थधत, केन्द्रीय
लोक सूचिा अधिकारी या राज्य लोक सूचिा अधिकारी अिुरोि करिे वाले व्यम्भि को
सभी युम्भियुि सहायता मौम्भखक रूप से दे गा, धजससे धक उसे लेखबद्ध धकया जा सके।

(2) सूचिा के धलये अिुरोि करिे वाले आवेदक से सूचिा का अिुरोि करिे के धलये
धकसी कारण को या धकसी अन्य व्यम्भिगत ब्यौरे को, धसवाय उसके जो उससे संपकय
करिे के धलये आवश्यक हों, दे िे की अपेिा िही ं की जाएगी।

(3) जहाुँ , कोई आवेदि धकसी लोक प्राधिकारी को धकसी ऐसी सूचिा के धलये अिुरोि
करते हए धकया जाता है ,-

(i) जो धकसी अन्य लोक प्राधिकारी द्वारा िाररत है ; या


(ii) धजसकी धवषय-वस्तु धकसी अन्य लोक प्राधिकारी के कृत्यों से अधिक धिकट रूप से
सम्बंधित है, वहाुँ , वह लोक प्राधिकारी, धजसको ऐसा आवेदि धकया जाता है , ऐसे आवेदि
या उसके ऐसे भाग को, जो समुधचत हो, उस अन्य लोक प्राधिकारी को अंतररत करे गा
और ऐसे अंतरण के बारे में आवेदक को तुरंत सूचिा दे गा:

परं तु यह धक इस उपिारा के अिुसरण में धकसी आवेदि का अंतरण यथासाध्य शीघ्रता


से धकया जाएगा, धकंतु धकसी भी दशा में आवेदि की प्राम्भप्त की तारीख से पाुँच धदिों के
पिात िही ं धकया जाएगा।

7. अिुरोि का धिपटारा- (1) धारा 5 की उपधारा (2) के परं तुक र्ा धारा 6 की उपधारा (3)
के परं तुक के अधीन रहते हुए, धारा 6 के अधीन अिुरोि के प्राप्त होिे पर,
यथाम्भस्थधत, केन्द्रीय लोक सूचिा अधिकारी या राज्य लोक सूचिा अधिकारी,
यथासंभव शीघ्रता से, और धकसी भी दशा में अिुरोि की प्राम्भप्त के तीस
धदि के भीतर, ऐसी फीस के संदाय पर, जो धवधहत की जाए, या तो सूचिा
उपलब्ध कराएगा या िारा 8 और िारा 9 में धवधिधदय ष्ट कारणों में से धकसी
कारण से अिुरोि को अस्वीकार करे गा:

परं तु जहाुँ मांगी गई जािकारी का सम्बंि धकसी व्यम्भि के जीवि या


स्वतं त्रता से है , वहाुँ वह अिुरोि प्राप्त होिे के अड़तालीस घंटे के भीतर
उपलब्ध कराई जाएगी।

(2) यधद, यथाम्भस्थधत, केन्द्रीय लोक सूचिा अधिकारी या राज्य लोक सूचिा अधिकारी
उपिारा (1) के अिीि धवधिधदय ष्ट अवधि के भीतर सूचिा के धलये अिुरोि पर धवधििय
करिे में असफल रहता है तो, यथाम्भस्थधत, केन्द्रीय लोक सूचिा अधिकारी या राज्य लोक
सूचिा अधिकारी के बारे में यह समझा जाएगा धक उसिे अिुरोि को िामंजूर कर धदया
है।

(3) जहाँ , सूचना उपलब्ध कराने की लागत के रूप में वकसी और फीस के संदार् पर सूचना
उपलब्ध कराने का विवनिर् वकर्ा जाता है , िहाँ र्थाखस्थवत, केन्द्रीर् लोक सूचना अवधकारी र्ा
राज्य लोक सूचना अवधकारी अनुरोध करने िाले व्यखक्त को,-

(क) उसके द्वारा र्थाअिधाररत सूचना उपलब्ध कराने की लागत के रूप में और फीस
के ब्यौरे , वजनके साथ उपधारा (1) के अधीन विवहत फीस के अनुसार रकम वनकालने के वलर्े
की गई संगणनाएं होंगी, दे ते हुए उससे उस फीस को जमा करने का अनुरोध करते हुए कोई
संसूचना भेजेगा और उक्त संसूचना के प्रेर्ण और फीस के संदार् के बीच मध्यिती अिवध
को उस धारा में वनवदग ष्ट तीस वदन की अिवध की संगणना करने के प्रर्ोजन के वलर्े
अपिवजगत वकर्ा जाएगा;
(ख) प्रभाररत फीस की रकम र्ा उपलब्ध कराई गई पहुँ च के प्ररूप के बारे में, वजसके
अंतगगत अपील प्रावधकारी की विविवष्टर्ां , समर्-सीमा, प्रवक्रर्ा और कोई अन्य प्ररूप भी हैं ,
विवनिर् करने का पुनविगलोकन करने के संबंध में उसके अवधकार से सं बंवधत सूचना दे ते हुए,
कोई संसूचना भेजेगा।

(4) जहाँ , इस अवधवनर्म के अधीन अवभलेख र्ा उसके वकसी भाग तक पहुँ च अपेवित है और
ऐसा व्यखक्त, वजसको पहुँ च उपलब्ध कराई जानी है , संिेदनात्मक रूप से वनःिक्त है , िहाँ
र्थाखस्थवत, केन्द्रीर् लोक सूचना अवधकारी र्ा राज्य लोक सूचना अवधकारी सूचना तक पहुँ च को
समथग बनाने के वलर्े सहार्ता उपलब्ध कराएगा, वजसमें वनरीिण के वलर्े ऐसी सहार्ता कराना
भी सखम्मवलत है , जो समुवचत हो।

(5) जहाँ , सूचना तक पहुँ च मुवद्रत र्ा वकसी इलेक्ट्रॉवनक रूपविधान में उपलब्ध कराई जानी है ,
िहाँ आिेदक, उपधारा (6) के अधीन रहते हुए, ऐसी फीस का संदार् करे गा, जो विवहत की
जाए:

परं तु धारा 6 की उपधारा (1) और धारा 7 की उपधारा (1) और उपधारा (5) के अधीन विवहत
फीस र्ुखक्तर्ुक्त होगी और ऐसे व्यखक्तर्ों से , जो गरीबी की रे खा के नीचे हैं , जैसा समुवचत
सरकार द्वारा अिधाररत वकर्ा जाए, कोई फीस प्रभाररत नहीं की जाएगी।

(6) उपधारा (5) में वकसी बात के होते हुए भी, जहाँ कोई लोक प्रावधकारी उपधारा (1) में
विवनवदग ष्ट समर्-सीमा का अनुपालन करने में असफल रहता है , िहाँ सूचना के वलर्े अनुरोध
करने िाले व्यखक्त को प्रभार के वबना सूचना उपलब्ध कराई जाएगी।

(7) उपधारा (1) के अधीन कोई विवनिर् करने से पूिग, र्थाखस्थवत, केन्द्रीर् लोक सूचना अवधकारी
र्ा राज्य लोक सूचना अवधकारी धारा 11 के अधीन पर व्यखक्त द्वारा वकए गए अभ्यािेदन को
ध्यान में रखेगा।
(8) जहाँ , वकसी अनुरोध को उपधारा (1) के अधीन अस्वीकृत वकर्ा गर्ा है , िहाँ , र्थाखस्थवत,
केन्द्रीर् लोक सूचना अवधकारी र्ा राज्य लोक सू चना अवधकारी अनुरोध करने िाले व्यखक्त
को,-

(i) ऐसी अस्वीकृवत के वलर्े कारण;


(ii) िह अिवध, वजसके भीतर ऐसी अस्वीकृवत के विरूद्ध कोई अपील की जा सकेगी; और
(iii) अपील प्रावधकारी की विविवष्टर्ां , संसूवचत करे गा।

(9) वकसी सूचना को साधारणतर्ा उसी प्रारूप में उपलब्ध करार्ा जाएगा, वजसमें उसे मां गा
गर्ा है , जब तक वक िह लोक प्रावधकारी के स्रोतों को अननुपाती रूप से विचवलत न करता
हो र्ा प्रश्नगत अवभलेख की सुरिा र्ा संरिण के प्रवतकूल न हो।

8. सूचिा के प्रकट धकए जािे से छूट- (1) इस अवधवनर्म में अंतविगष्ट वकसी
बात के होते हुए भी, वकसी नागररक को वनम्नवलखखत सूचना दे ने की बाध्यता नहीं
होगी-

(क) सूचिा, धजसके प्रकटि से भारत की प्रभुता और अखण्डता, राज्य की


सुरिा, रणिीधत, वैज्ञाधिक या आधथयक धहत, धवदे श से सम्बंि पर प्रधतकूल
प्रभाव पड़ता हो या धकसी अपराि को करिे का उद्दीपि होता हो;
(ख) सूचिा, धजसके प्रकाशि को धकसी न्यायालय या अधिकरण द्वारा
अधभव्यि रूप से धिधषद्ध धकया गया है या धजसके प्रकटि से न्यायालय
का अवमाि होता है;

(ग) सूचिा, धजसके प्रकटि से संसद या धकसी राज्य के धविाि-मंिल के


धवशेषाधिकार का भंग काररत होगा;
(घ) सूचिा, धजसमें वाधणम्भज्यक धवश्वास, व्यापार गोपिीयता या बौम्भद्धक संपदा
सम्भिधलत है , धजसके प्रकटि से धकसी पर व्यम्भि की प्रधतयोगी म्भस्थधत को
िुकसाि होता है , जब तक धक सिम प्राधिकारी का यह समािाि िही ं हो
जाता है धक ऐसी सूचिा के प्रकटि से धवस्तृ त लोक धहत का समथयि होता
है ;

(ि.) धकसी व्यम्भि को उसकी वैश्वाधसक िाते दारी में उपलब्ध सूचिा, जब
तक धक सिम प्राधिकारी का यह समािाि िही ं हो जाता है धक ऐसी
सूचिा के प्रकटि से धवस्तृ त लोक धहत का समथयि होता है ;

(च) धकसी धवदे शी सरकार से धवश्वास में प्राप्त सूचिा;


(छ) सूचिा धजसको प्रकट करिा धकसी व्यम्भि के जीवि या शारीररक
सुरिा को खतरे में िालेगा या जो धवधि प्रवतय ि या सुरिा प्रयोजिों के धलये
धवश्वास में दी गई धकसी सूचिा या सहायता के स्रोत की पहचाि करे गा;

(ज) सूचिा, धजससे अपराधियों के अन्वेषण, पकड़े जािे या अधभयोजि की


प्रधक्रया में अड़चि पड़े गी;

(झ) मंधत्रमंिल के कागजपत्र, धजसमें मंत्रपररषद, सधचवों और अन्य


अधिकाररयों के धवचार-धवमशय के अधभले ख सम्भिधलत हैं ाः

परन्तु यह धक मंधत्रपररषद के धवधििय, उिके कारण तथा वह सामग्री, धजसके


आिार पर धवधििय धकए गए थे, धवधििय धकए जािे और धवषय के पू रा या
समाप्त होिे के पिात जिता को उपलब्ध कराए जाएं गे ाः

परन्तु यह और धक वे धवषय, जो इस िारा में धवधियधदष्ट छूटों के अंतगयत


आते हैं , प्रकट िही ं धकए जाएं गे ;

(ञ) सूचिा, जो व्यम्भिगत सूचिा से सम्बंधित है , धजसका प्रकटि धकसी


लोक धक्रयाकलाप या धहत से सम्बंि िही ं रखता है या धजससे व्यधष्ट की
एकांतता पर अिावश्यक अधतक्रमण होगा, जब तक धक, यथाम्भस्थधत, केन्द्रीय
लोक सूचिा अधिकारी या राज्य लोक सूचिा अधिकारी या अपील प्राधिकारी
का यह समािाि िही ं हो जाता है धक ऐसी सूचिा का प्रकटि धवस्तृत लोक
धहत में न्यायोधचत है:

परन्तु ऐसी सूचिा के धलये, धजसको, यथाम्भस्थधत, संसद या धकसी राज्य


धविाि-मंिल को दे िे से इं कार िही ं धकया जा सकता है , धकसी व्यम्भि को
इं कार िही ं धकया जा सकेगा।

(2) शासकीय गु प्त बात अधिधियम, 1923 (1923 का 19) में, उपिारा (1) के
अिुसार अिुज्ञेय धकसी छूट में धकसी बात के होते हए भी, धकसी लोक
प्राधिकारी को सूचिा तक पहुँ च अिुज्ञात की जा सकेगी, यधद सूचिा के
प्रकटि में लोक धहत, संरधित धहतों के िुकसाि से अधिक है ।

(3) उपिारा (1) के खण्ड (क), खण्ड (ग) और खण्ड (झ) के उपबंिों के
अिीि रहते हए, धकसी ऐसी घटिा, वृत्तांत या धवषय से सम्बंधित कोई
सूचिा, जो उस तारीख से, धजसको िारा 6 के अिीि कोई अिुरोि धकया
जाता है , बीस वषय पूवय घधटत हई थी या हआ था, उस िारा के अिीि
अिुरोि करिे वाले धकसी व्यम्भि को उपलब्ध कराई जाएगीाः

परन्तु यह धक जहाुँ उस तारीख के बारे में, धजससे बीस वषय की उि


अवधि को संगधणत धकया जाता है , कोई प्रश्न उद् भूत होता है , वहाुँ इस
अधिधियम में उसके धलये उपबंधित प्राधयक अपीलों के अिीि रहते हए
केन्द्रीय सरकार का धवधििय अंधतम होगा।

9. कधतपय मामलों में पहुँ च के धलये अस्वीकृधत के आिार- िारा 8 के


उपबन्ों पर प्रधतकूल प्रभाव िाले धबिा, यथाम्भस्थधत, कोई केन्द्रीय लोक सूचिा
अधिकारी या कोई राज्य लोक सूचिा अधिकारी सूचिा के धकसी अिुरोि
को वहाुँ अस्वीकार कर सकेगा, जहाुँ पहुँ च उपलब्ध करािे के धलये ऐसा
अिुरोि राज्य से धभि धकसी व्यम्भि के अम्भस्तत्वयुि प्रधतधलयाधिकार का
उल्लंघि अन्तवयधलत करे गा।

10. पृथक्करणीयता- (1) जहाुँ सूचिा तक पहुँ च के अिुरोि को इस आिार पर


अस्वीकार धकया जाता है धक वह ऐसी सूचिा के सम्बंि में है , जो प्रकट
धकए जािे से छूट प्राप्त है , िहाँ इस अवधवनर्म में वकसी बात के होते
हुए भी, पहुँच अवभलेख के उस भाग तक उपलब्ध कराई जा सकेगी वजसमें कोई
ऐसी सूचना अन्तविगष्ट नहीं है , जो इस अवधवनर्म के अधीन प्रकट वकए जाने से
छूट प्राप्त है और जो वकसी ऐसे भाग से, वजसमें छूट प्राप्त सूचना अन्तविगष्ट है ,
र्ुखक्तर्ुक्त रूप से पृथक की जा सकती है ।

(2) जहाँ उपधारा (1) के अधीन अवभलेख के वकसी भाग तक पहुँ च अनुदत्त की जाती है , िहाँ ,
र्थाखस्थवत, केन्द्रीर् लोक सूचना अवधकारी र्ा राज्य लोक सूचना अवधकारी वनम्नवलखखत सूचना
दे ते हुए, आिेदक को एक सूचना दे गा वक-

(क) अनुरोध वकए गए अवभलेख का केिल एक भाग ही, उस अवभलेख से उस सूचना को, जो
प्रकटन से छूट प्राप्त है पृथक करने के पिात उपलब्ध करार्ा जा रहा है ;

(ख) विवनिर् के वलर्े कारण, वजनके अंतगगत तथ् के वकसी महत्त्वपूणग प्रश्न पर उस सामग्री के
प्रवत, वजस पर िे वनष्कर्ग आधाररत थे , वनदे ि करते हुए कोई वनष्कर्ग भी हैं ;

(ग) विवनिर् करने िाले व्यखक्त का नाम और पदनाम;


(घ) उसके द्वारा संगवणत फीस के ब्यौरे और फीस की िह रकम वजसकी आिेदक से वनिेप
करने की अपेिा की जाती है ; और

(ड.) सूचना के भाग को प्रकट न वकए जाने के सम्बंध में विवनिर् के पुनविगलोकन के बारे
में उसके अवधकार, प्रभाररत फीस की रकम र्ा उपलब्ध करार्ा गर्ा पहुँ च का प्ररूप, वजसके
अन्तगगत, र्थाखस्थवत, धारा 19 की उपधारा (1) के अधीन विवनवदग ष्ट िररष्ठ अवधकारी र्ा केन्द्रीर्
सूचना अवधकारी र्ा राज्य सूचना अवधकारी की विविवष्टर्ां , समर्-सीमा, प्रवक्रर्ा और कोई अन्य
पहुँ च का प्ररूप भी है ।

11. पर व्यम्भि सूचिा-(1) जहाँ , र्थाखस्थवत, वकसी केन्द्रीर् लोक सूचना अवधकारी र्ा राज्य लोक
सूचना अवधकारी का, इस अवधवनर्म के अधीन वकए गए अनुरोध पर कोई ऐसी सूचना र्ा
अवभलेख र्ा उसके वकसी भाग को प्रकट करने का आिर् है , जो वकसी पर व्यखक्त से
सम्बंवधत है र्ा उसके द्वारा इसका प्रदार् वकर्ा गर्ा है और उस पर व्यखक्त द्वारा उसे
गोपनीर् माना गर्ा है , िहाँ र्थाखस्थवत, केन्द्रीर् लोक सूचना अवधकारी र्ा राज्य लोक सूचना
अवधकारी अनुरोध प्राप्त होने से पाँ च वदन के भीतर, ऐसे पर व्यखक्त को अनुरोध की और इस
तथ् की वलखखत रूप में सूचना दे गा वक, र्थाखस्थवत, केन्द्रीर् लोक सूचना अवधकारी र्ा राज्य
लोक सूचना अवधकारी का उक्त सूचना र्ा अवभलेख र्ा उसके वकसी भाग को प्रकट करने
का आिर् है , और इस बारे में वक सूचना प्रकट की जानी चावहए र्ा नहीं, वलखखत में र्ा
मौखखक रूप से वनिेदन करने के वलर्े पर व्यखक्त को आमंवत्रत करे गा तथा सूचना के प्रकटन
के बारे में कोई विवनिर् करते समर् पर व्यखक्त के ऐसे वनिेदन को ध्यान में रखा जाएगा:

परन्तु विवध द्वारा संरवित व्यापार र्ा िावणखज्यक गुप्त बातों की दिा के वसिार्, र्वद ऐसे
प्रकटन में लोकवहत, ऐसे व्यखक्त के वहतों की वकसी संभावित अपहावन र्ा िवत से अवधक
महत्त्वपूणग है तो प्रकटन अनुज्ञात वकर्ा जा सकेगा।

(2) जहाँ उपधारा (1) के अधीन, र्थाखस्थवत, केन्द्रीर् लोक सूचना अवधकारी र्ा राज्य लोक सूचना
अवधकारी द्वारा व्यखक्त पर वकसी सूचना र्ा अवभलेख र्ा उसके वकसी भाग के बारे में वकसी
सूचना की तामील की जाती है , िहाँ ऐसे व्यखक्त को, ऐसी सूचना की प्राखप्त की तारीख से दस
वदन के भीतर, प्रस्तावित प्रकटन के विरुद्ध अभ्यािेदन करने का अिसर वदर्ा जाएगा।

(3) धारा 7 में वकसी बात के होते हुए भी, र्थाखस्थवत, केन्द्रीर् लोक सूचना अवधकारी र्ा राज्य
लोक सूचना अवधकारी धारा 6 के अधीन अनुरोध प्राप्त होने के पिात चालीस वदन के भीतर,
र्वद पर व्यखक्त को उपधारा (2) के अधीन अभ्यािेदन करने का अिसर दे वदर्ा गर्ा है , तो
इस बारे में विवनिर् करे गा वक उक्त सूचना र्ा अवभलेख र्ा उसके भाग का प्रकटन वकर्ा
जाए र्ा नहीं और अपने विवनिर् की सूचना वलखखत में पर व्यखक्त को दे गा।

(4) उपधारा (3) के अधीन दी गई सूचना में र्ह कथन भी सखम्मवलत होगा वक िह पर व्यखक्त,
वजसे सूचना दी गई है , धारा 19 के अधीन उक्त विवनिर् के विरुद्ध अपील करने का हकदार
है ।

अध्याय-3
केन्द्रीय सूचिा आयोग

12. केन्द्रीय सूचिा आयोग का गठि- (1) केन्द्रीर् सरकार, राजपत्र में अवधसूचना द्वारा, केन्द्रीर्
सूचना आर्ोग के नाम से ज्ञात एक वनकार् का गिन करे गी, जो ऐसी िखक्तर्ों का प्रर्ोग और
ऐसे कृत्यों का पालन करे गा, जो उसे इस अवधवनर्म के अधीन सौंपे जाएं ।

(2) केन्द्रीर् सूचना आर्ोग वनम्नवलखखत से वमलकर बनेगा-


(क) मुख्य सूचना आर्ु क्त; और
(ख) दस से अनवधक उतनी संख्या में केन्द्रीर् सू चना आर्ुक्त, वजतने आिश्यक समझे जाएं ।

(3) मुख्य सूचना आर्ुक्त और सूचना आर्ुक्तों की वनर्ुखक्त, राष्टरपवत द्वारा वनम्नवलखखत से वमलकर
बनी सवमवत की वसफाररि पर की जाएगी-
(i) प्रधानमंत्री, जो सवमवत का अध्यि होगा;
(ii) लोक सभा में विपि का नेता; और
(iii) प्रधानमंत्री द्वारा नामवनवदग ष्ट संघ मंवत्रमण्डल का एक मंत्री।

स्पष्टीकरण- िंकाओं के वनिारण के प्रर्ोजन के वलर्े र्ह घोवर्त वकर्ा जाता है वक जहाँ
लोक सभा में विपि के नेता को उस रूप में मान्यता नहीं दी गई है , िहाँ लोक सभा में
सरकार के विपिी एकल सबसे बडे समूह के ने ता को विपि का नेता समझा जाएगा।

(4) केन्द्रीर् सूचना आर्ोग के कार्ों का साधारण अधीिण, वनदे िन और प्रबंधन, मुख्य सूचना
आर्ुक्त में वनवहत होगा, वजसकी सहार्ता सूचना आर्ुक्तों द्वारा की जाएगी और िह ऐसी सभी
िखक्तर्ों का प्रर्ोग और ऐसे सभी कार्ग और बातें कर सकेगा, वजनका केन्द्रीर् सूचना आर्ोग
द्वारा स्वतंत्र रूप से इस अवधवनर्म के अधीन वकसी अन्य प्रावधकारी के वनदे िों के अधीन रहे
वबना प्रर्ोग वकर्ा जा सकता है र्ा जो की जा सकती है ।

(5) मुख्य सूचना आर्ुक्त और सूचना आर्ुक्त विवध, विज्ञान और प्रौद्योवगकी, समाज सेिा, प्रबंध
पत्रकाररता, जनसंपकग माध्यम र्ा प्रिासन तथा िासन का व्यापक ज्ञान और अनुभि रखने िाले
जनजीिन में प्रख्यात व्यखक्त होंगे।

(6) मुख्य सूचना आर्ुक्त र्ा कोई सूचना आर्ुक्त, र्थाखस्थवत, संसद का सदस्य र्ा वकसी राज्य
र्ा संघ राज्य िेत्र के विधान-मंडल का सदस्य नहीं होगा र्ा कोई अन्य लाभ का पद धाररत
नहीं करे गा र्ा वकसी राजनैवतक दल से संबद्ध नहीं होगा अथिा कोई कारोबार नहीं करे गा र्ा
कोई िृवत्त नहीं करे गा।

(7) केन्द्रीर् सूचना आर्ोग का मुख्यालर्, वदल्ली में होगा और केन्द्रीर् सूचना आर्ोग, केन्द्रीर्
सरकार के पूिग अनुमोदन से, भारत में अन्य स्थानों पर कार्ाग लर् स्थावपत कर सकेगा।

13. पदावधि और सेवा-शतें- (1) मुख्य सूचना आर्ुक्त, उस तारीख से , वजसको िह अपना पद
ग्रहण करता है , पाँ च िर्ग की
अिवध के वलर्े पद धारण करे गा और पुनवनगर्ुखक्त के वलर्े पात्र नहीं होगा:
परन्तु र्ह वक कोई मुख्य सूचना आर्ुक्त 65 िर्ग की आर्ु प्राप्त करने के पिात उस रूप में
पदधारण नहीं करे गा।

(2) प्रत्येक सूचना आर्ुक्त, उस तारीख से, वजसको िह अपना पद ग्रहण करता है , पाँ च िर्ग की
अिवध के वलर्े र्ा 65 िर्ग की आर्ु प्राप्त करने तक इनमें से जो भी पूिगतर हो, पद धारण
करे गा और सूचना आर्ुक्त के रूप में पुनवनगर्ुखक्त के वलर्े पात्र नहीं होगाः

परन्तु प्रत्येक सूचना आर्ुक्त, इस उपधारा के अधीन अपना पद ररक्त करने पर, धारा 12 की
उपधारा (3) में विवनवदग ष्ट रीवत से मुख्य सूचना आर्ुक्त के रूप में वनर्ुखक्त के वलर्े पात्र होगा:

परन्तु र्ह और वक जहाँ सूचना आर्ुक्त को मुख्य सूचना आर्ुक्त के रूप में वनर्ुक्त वकर्ा
जाता है िहाँ उसकी पदािवध सूचना आर्ुक्त और मुख्य सूचना आर्ुक्त के रूप में कुल
वमलाकर पाँ च िर्ग से अवधक नहीं होगी।

(3) मुख्य सूचना आर्ुक्त र्ा कोई सूचना आर्ुक्त, अपना पद ग्रहण करने से पूिग राष्टरपवत र्ा
उसके द्वारा इस वनवमत्त प्रावधकृत वकसी अन्य व्यखक्त के समि, पहली अनु सूची में इस प्रर्ोजन
के वलर्े उपिवणगत प्ररूप के अनुसार एक िपथ र्ा प्रवतज्ञान लेगा और उस पर हस्तािर
करे गा।

(4) मुख्य सूचना आर्ुक्त र्ा कोई सूचना आर्ुक्त, वकसी भी समर्, राष्टरपवत को संबोवधत अपने
हस्तािर सवहत लेख द्वारा अपना पद त्याग सकेगा:

परन्तु मुख्य सूचना आर्ुक्त र्ा वकसी सूचना आर्ुक्त को धारा 14 में विवनवदग ष्ट रीवत से हटार्ा
जा सकेगा।

(5) संदेर् िेतन और भत्ते तथा सेिा के अन्य वनबंधन ितें -


(क) मुख्य सूचना आर्ु क्त की िहीं होंगी, जो मुख्य वनिाग चन आर्ुक्त की है ;
(ख) सूचना आर्ुक्त की िहीं होंगी, जो वनिाग चन आर्ुक्त की हैं :

परन्तु र्वद मुख्य सूचना आर्ुक्त र्ा कोई सूचना आर्ुक्त, अपनी वनर्ुखक्त के समर्, भारत
सरकार के अधीन र्ा वकसी राज्य सरकार के अधीन वकसी पूिग सेिा के सम्बंध में कोई
पेंिन, अिमता र्ा िवत पेंिन से वभन्न, प्राप्त कर रहा है तो मुख्य सूचना आर्ुक्त र्ा सूचना
आर्ुक्त के रूप में सेिा के सम्बंध में उसके िे तन में से, उस पेंिन की, वजसके अंतगगत पेंिन
का ऐसा कोई भाग, वजसे संराविकृत वकर्ा गर्ा था और सेिावनिृवत्त उपदान के समतुल्य पेंिन
को छोडकर, सेिावनिृवत्त फार्दों के अन्य रूपों के समतुल्य पेंिन भी है , रकम को कम कर
वदर्ा जाएगाः

परन्तु र्ह और वक र्वद मुख्य सूचना आर्ुक्त र्ा कोई सूचना आर्ुक्त, अपनी वनर्ुखक्त के
समर्, वकसी केन्द्रीर् अवधवनर्म र्ा राज्य अवधवनर्म द्वारा र्ा उसके अधीन स्थावपत वकसी
वनगम में र्ा केन्द्रीर् सरकार र्ा राज्य सरकार के स्वावमत्वाधीन र्ा वनर्ंत्रणाधीन वकसी सरकारी
कंपनी में की गई वकसी पूिग सेिा के सम्बंध में सेिावनिृवत्त फार्दे प्राप्त कर रहा है तो मुख्य
सूचना आर्ुक्त र्ा सूचना आर्ुक्त के रूप में से िा के सम्बंध में उसके िेतन में से, सेिावनिृवत्त
फार्दों के समतुल्य पेंिन की रकम कम कर दी जाएगीः

परन्तु र्ह भी वक मुख्य सूचना आर्ुक्त और सूचना आर्ुक्त के िेतन, भत्तों और सेिा की अन्य
ितों में उसकी वनर्ुखक्त के पिात उसके अलाभकर रूप में कोई पररितगन नहीं वकर्ा जाएगा।

(6) केन्द्रीर् सरकार, मुख्य सूचना आर्ुक्त और सूचना आर्ुक्तों को उतने अवधकारी और
कमगचारी उपलब्ध कराएगी, वजतने इस अवधवनर्म के अधीन उनके कृत्यों के दि पालन के
वलर्े आिश्यक हों और इस अवधवनर् के प्रर्ोजन के वलर्े वनर्ुक्त वकए गए अवधकाररर्ों और
अन्य कमगचाररर्ों को संदेर् िेतन और भत्ते तथा सेिा के वनबंधन और ितें ऐसी होंगी जो
विवहत की जाएं ।

14. सूचिा आयुि या मुख् सूचिा आयुि का हटाया जािा- (1) उपधारा (3) के उपबंधों
के अधीन रहते हुए, मुख्य सूचना आर्ुक्त र्ा वकसी सूचना आर्ुक्त को राष्टरपवत के आदे ि द्वारा
सावबत कदाचार र्ा असमथगता के आधार पर उसके पद से तभी हटार्ा जाएगा, जब उच्चतम
न्यार्ालर् ने, राष्टरपवत द्वारा उसे वकए गए वकसी वनदे ि पर जाँ च के पिात र्ह ररपोटग दी हो
वक, र्थाखस्थवत, मुख्य सूचना आर्ुक्त र्ा सूचना आर्ुक्त को उस आधार पर हटा वदर्ा जाना
चावहए।

(2) राष्टरपवत, उस मुख्य सू चना आर्ुक्त र्ा सूचना आर्ुक्त को, वजसके विरुद्ध उपधारा (1) के
अधीन उच्चतम न्यार्ालर् को वनदे ि वकर्ा गर्ा है , ऐसे वनदे ि पर उच्चतम न्यार्ालर् की ररपोटग
प्राप्त होने पर राष्टरपवत द्वारा आदे ि पाररत वकए जाने तक पद से वनलंवबत कर सकेगा और
र्वद आिश्यक समझे तो, जाँ च के दौरान कार्ाग लर् में उपखस्थत होने से भी प्रवतबखद्धत कर
सकेगा।

(3) उपधारा (1) में अंतविग ष्ट वकसी बात के होते हुए भी राष्टरपवत, मुख्य सूचना आर्ुक्त र्ा वकसी
सूचना आर्ुक्त को आदे ि द्वार पद से हटा सकेगा, र्वद, र्थाखस्थवत, मुख्य सूचना आर्ुक्त र्ा
सूचना आर्ुक्त,-

(क) वदिावलर्ा न्यार्वनणीत वकर्ा गर्ा है ; र्ा


(ख) िह ऐसे अपराध के वलर्े दोर्वसद्ध िहरार्ा गर्ा है , वजसमें राष्टरपवत की रार् में, नैवतक
अधमता अन्तिगवलत है ; र्ा
(ग) अपनी पदािवध के दौरान, अपने पद के कतग व्यों से परे वकसी िैतवनक वनर्ोजन में लगा
हुआ है ; र्ा
(घ) राष्टरपवत की रार् में, मानवसक र्ा िारीररक अिमता के कारण पद पर बने रहने के
अर्ोग्य है ; र्ा
(ड.) उसने ऐसे वित्तीर् और अन्य वहत अवजगत वकए हैं , वजनसे मुख्य सू चना आर्ुक्त र्ा वकसी
सूचना आर्ुक्त के रूप में उसके कृत्यों पर प्रवतकूल प्रभाि पडने की संभािना है ।
(4) र्वद मुख्य सूचना आर्ुक्त र्ा कोई सूचना आर्ुक्त, वकसी प्रकार भारत सरकार द्वारा र्ा
उसकी ओर से की गई वकसी संविदा र्ा करार से संबद्ध र्ा उसमें वहतबद्ध है र्ा वकसी
वनगवमत कंपनी के वकसी सदस्य के रूप में से अन्यथा और उसके अन्य सदस्यों के साथ
सामान्यतः उसके लाभ में र्ा उससे प्रोद् भूत होने िाले वकसी फार्दे र्ा पररलखब्धर्ों में वहस्सा
लेता है तो िह, उपधारा (1) के प्रर्ोजनों के वलर्े , कदाचार का दोर्ी समझा जाएगा।

अध्याय 4
राज्य सूचिा आयोग

15. राज्य सूचिा आयोग का गठि- (1) प्रत्येक राज्य सरकार राजपत्र में अवधसूचना
द्वारा......... (राज्य का नाम) सूचना आर्ोग के नाम से ज्ञात एक वनकार् का गिन
करे गी, जो ऐसी िखक्तर्ों का प्रर्ोग और ऐसे कृत्यों का पालन करे गा, जो उसे इस अवधवनर्म
के अधीन सौंपे जाएं ।

(2) राज्य सूचना आर्ोग वनम्नवलखखत से वमलकर बनेगा-


(क) राज्य मुख्य सूचना आर्ुक्त; और
(ख) दस से अनवधक उतनी संख्या में राज्य सूचना आर्ुक्त वजतने आिश्यक समझे जाएं ।

(3) राज्य मुख्य सूचना आर्ुक्त और राज्य सूचना आर्ुक्तों की वनर्ुखक्त राज्यपाल द्वारा
वनम्नवलखखत से वमलकर बनी वकसी सवमवत की वसफाररि पर की जाएगी,-

(i) मुख्यमंत्री, जो सवमवत का अध्यि होगा;


(ii) विधान सभा में विपि का नेता; और
(iii) मुख्यमंत्री द्वारा नामवनदे वित वकर्ा जाने िाला मंवत्रमंडल का सदस्य।

स्पष्टीकरण- िंकाओं को दू र करने के प्रर्ोजनों के वलर्े र्ह घोवर्त वकर्ा जाता है वक जहाँ
विधान सभा में विपिी दल के नेता को उस रूप में मान्यात नहीं दी गई है , िहाँ विधान सभा
में सरकार के विपिी एकल सबसे बडे समूह के नेता को विपिी दल का नेता समझा
जाएगा।

(4) राज्य सूचना आर्ोग के कार्ों का साधारण अधीिण, वनदे िन और प्रबंध राज्य मुख्य सूचना
आर्ुक्त में वनवहत होगा, वजसकी राज्य सूचना आर्ुक्तों द्वारा सहार्ता की जाएगी और िह सभी
ऐसी िखक्तर्ों का प्रर्ोग कर सकेगा और सभी ऐसे कार्ग और बातें कर सकेगा जो राज्य
सूचना आर्ोग द्वारा इस अवधवनर्म के अधीन वकसी अन्य प्रावधकारी के वनदे िों के अध्यधीन
रहे वबना स्वतंत्र रूप से प्रर्ोग की जा सकती हैं र्ा की जा सकती हैं ।

(5) राज्य मुख्य सूचना आर्ुक्त और राज्य सूचना आर्ु क्त विवध, विज्ञान और प्रौद्योवगकी,
समाजसेिा, प्रबंध, पत्रकाररता जनसंपकग माध्यम र्ा प्रिासन और िासन में व्यापक ज्ञान और
अनुभि िाले समाज में प्रख्यात व्यखक्त होंगे।
(6) राज्य मुख्य सूचना आर्ुक्त र्ा राज्य सूचना आर्ुक्त, र्थाखस्थवत, संसद का सदस्य र्ा वकसी
राज्य र्ा संघ राज्यिेत्र के विधान-मंडल का सदस्य नहीं होगा र्ा कोई अन्य लाभ का पद
धारण नहीं करे गा र्ा वकसी राजनीवतक दल से संबद्ध नहीं होगा र्ा कोई कारोबार नहीं करे गा
र्ा कोई िृवत्त नहीं करे गा।

(7) राज्य सूचना आर्ोग का मुख्यालर् राज्य में ऐसे स्थान पर होगा, वजसे राज्य सरकार राजपत्र
में अवधसूचना द्वारा विवनवदग ष्ट करे और राज्य सूचना आर्ोग, राज्य सरकार के पूिग अनुमोदन से ,
राज्य में अन्य स्थानों पर अपने कार्ाग लर् स्थावपत कर सकेगा।

16. पदावधि और सेवा की शतें- (1) राज्य मुख्य सूचना आर्ुक्त उस तारीख से , वजसको िह
अपना पद ग्रहण करता है , पाँ च िर्ग की अिवध के वलर्े पद धारण करे गा औ पुनवनगर्ुखक्त के
वलर्े पात्र नहीं होगाः

परन्तु कोई राज्य मुख्य सूचना आर्ुक्त पैंसि िर्ग की आर्ु प्राप्त करने के पिात उस रुप में
पद धारण नहीं करे गा।

(2) प्रत्येक राज्य सूचना आर्ुक्त उस तारीख से , वजसको िह अपना पद ग्रहण करता है , पाँ च
िर्ग की अिवध के वलर्े र्ा पैंसि िर्ग की आर्ु प्राप्त करने तक, इनमें से जो भी पूिगतर हो,
पद धारण करे गा और राज्य सूचना आर्ुक्त के रूप में पुनवनगर्ुखक्त के वलर्े पात्र नहीं होगाः

परन्तु प्रत्येक राज्य सूचना आर्ुक्त, इस उपधारा के अधीन पद ररक्त करने पर, धारा 15 की
उपधारा (3) में विवनवदग ष्ट रीवत से राज्य मुख्य सूचना आर्ुक्त के रूप में वनर्ुखक्त के वलर्े पात्र
होगाः

परन्तु र्ह और वक जहाँ राज्य सूचना आर्ुक्त की राज्य मुख्य सूचना आर्ुक्त के रूप में
वनर्ुखक्त की जाती है , िहाँ उसकी पदािवध राज्य सूचना आर्ुक्त और राज्य मुख्य सूचना
आर्ुक्त के रूप में वमलाकर पाँ च िर्ग से अवधक नहीं होगी।

(3) राज्य मुख्य सूचना आर्ुक्त र्ा कोई राज्य सूचना आर्ुक्त अपना पद ग्रहण करने से पूिग
राज्यपाल र्ा इस वनवमत्त उसके द्वारा वनर्ुखक्त वकए गए वकसी अन्य व्यखक्त के समि पहली
अनुसूची में इस प्रर्ोजन के वलर्े उपिवणगत प्ररूप के अनुसार िपथ र्ा प्रवतज्ञान लेगा और
उस पर अपने हस्तािर करे गा।

(4) राज्य मुख्य सूचना आर्ुक्त र्ा कोई राज्य सूचना आर्ुक्त, वकसी भी समर्, राज्यपाल को
संबोवधत अपने हस्तािर सवहत लेख द्वारा अपने पद का त्याग कर सकेगाः

परन्तु राज्य मुख्य सूचना आर्ुक्त र्ा वकसी राज्य सूचना आर्ुक्त को धारा 17 में विवनवदग ष्ट रीवत
से हटार्ा जा सकेगा।

(5) संदेर् िेतन और भत्ते तथा सेिा के अन्य वनबंधन और ितें -


(क) राज्य मुख्य सूचना आर्ुक्त की िही होंगी, जो वकसी वनिाग चन आर्ुक्त की हैं ;
(ख) राज्य सूचना आर्ुक्त की िहीं होंगी, जो राज्य सरकार के मुख्य सवचि की हैं ः

परन्तु र्वद राज्य मुख्य सूचना आर्ुक्त र्ा कोई राज्य सूचना आर्ुक्त अपनी वनर्ुखक्त के समर्
भारत सरकार के अधीन र्ा वकसी राज्य सरकार के अधीन वकसी पूिग से िा के सम्बंध में कोई
पेंिन, अिमता र्ा िवत पेंिन से वभन्न, प्राप्त कर रहा है तो राज्य मुख्य सूचना आर्ुक्त र्ा
राज्य सूचना आर्ुक्त के रूप में सेिा के सम्बंध में उसके िेतन में से उस पेंिन की रकम
को, वजसके अंतगगत पेंिन का ऐसा भाग वजसे संराविकृत वकर्ा गर्ा था और सेिावनिृवत्त
उपदान के समतुल्य पेंिन को छोडकर अन्य प्रकार के सेिावनिृवत्त फार्दों के समतुल्य पेंिन
भी है , कम कर वदर्ा जाएगाः

परन्तु र्ह और वक जहाँ राज्य मुख्य सूचना आर्ुक्त र्ा राज्य सूचना आर्ुक्त, अपनी वनर्ुखक्त
के समर्, वकसी केन्द्रीर् अवधवनर्म र्ा राज्य अवधवनर्म द्वारा र्ा उसके अधीन स्थावपत वकसी
वनगम र्ा केन्द्रीर् सरकार र्ा राज्य सरकार के स्वावमत्वाधीन र्ा वनर्ंत्रणाधीन वकसी सरकारी
कंपनी में की गई वकसी पूिग सेिा के सम्बंध में सेिावनिृवत्त फार्दे प्राप्त कर रहा है िहाँ
राज्य मुख्य सूचना आर्ुक्त र्ा राज्य सूचना आर्ुक्त के रूप में सेिा के सम्बंध में उसके िेतन
में से सेिावनिृवत्त फार्दों के समतुल्य पेंिन की रकम कम कर दी जार्े गीः

परन्तु र्ह और वक राज्य मुख्य सूचना आर्ुक्त और राज्य सूचना आर्ुक्तों के िेतन, भत्तों और
सेिा की अन्य अन्य ितों में उनकी वनर्ुखक्त के पिात उनके वलर्े अलाभकारी रूप में
पररितगन नहीं वकर्ा जाएगा।

(6) राज्य सरकार, राज्य मुख्य सूचना आर्ुक्त और राज्य सूचना आर्ुक्तों को उतने अवधकारी
और कमगचारी उपलब्ध कराएगी, वजतने इस अवधवनर्म के अधीन उनके कृत्यों के दि पालन
के वलर्े आिश्यक हों और इस अवधवनर्म के प्रर्ोजन के वलर्े वनर्ुक्त वकए गए अवधकाररर्ों
और अन्य कमगचाररर्ों को संदेर् िेतन और भत्ते तथा सेिा के वनबंधन और ितें ऐसी होंगी, जो
विवहत की जाएं ।

17. राज्य मुख् सूचिा आयुि या राज्य सूचिा आयुि का हटाया जािा- (1) उपधारा (3)
के उपबंधों के अधीन रहते हुए, राज्य मुख्य सूचना आर्ुक्त र्ा वकसी राज्य सूचना आर्ुक्त को
राज्यपाल के आदे ि द्वारा सावबत कदाचार र्ा असमथगता के आधार पर उसके पद से तभी
हटार्ा जाएगा, जब उच्चतम न्यार्ालर् ने , राज्यपाल द्वारा उसे वकए गए वकसी वनदे ि पर जाँ च
के पिात र्ह ररपोटग दी हो वक, र्थाखस्थवत, राज्य मुख्य सूचना आर्ुक्त र्ा राज्य सूचना आर्ुक्त
को उस आधार पर हटा वदर्ा जाना चावहए।

(2) राज्यपाल, उस राज्य मुख्य सूचना आर्ुक्त र्ा राज्य सूचना आर्ुक्त को, वजसके विरुद्ध
उपधारा (1) के अधीन उच्चतम न्यार्ालर् को वनदे ि वकर्ा गर्ा है , ऐसे वनदे ि पर उच्चतम
न्यार्ालर् की ररपोटग की प्राखप्त पर राज्यपाल द्वारा आदे ि पाररत वकए जाने तक, पद से
वनलंवबत कर सकेगा और र्वद आिश्यक समझे तो ऐसी जाँ च के दौरान कार्ाग लर् में उपखस्थत
होने से प्रवतवसद्ध भी कर सकेगा।
(3) उपधारा (1) में अंतविगष्ट वकसी बात के होते हुए भी राज्यपाल, राज्य मुख्य सूचना आर्ुक्त
र्ा वकसी राज्य सूचना आर्ुक्त को, आदे ि द्वारा, पद से हटा सकेगा, र्वद, र्थाखस्थवत, राज्य मुख्य
सूचना आर्ुक्त र्ा राज्य सूचना आर्ुक्त-

(क) वदिावलर्ा न्यार्वनणीत वकर्ा गर्ा है ; र्ा


(ख) िह ऐसे वकसी अपराध के वलर्े दोर्वसद्ध िहरार्ा गर्ा है , वजसमें राज्यपाल की रार् में
नैवतक अधमता अंतिगवलत है ; र्ा
(ग) िह अपनी पदािवध के दौरान अपने पद के कतगव्यों से परे वकसी िैतवनक वनर्ोजन में
लगा हुआ है ; र्ा
(घ) राज्यपाल की रार् में, मानवसक र्ा िारीररक अिमता के कारण पद पर बने रहने के
अर्ोग्य है ; र्ा
(ड.) उसने ऐसे वित्तीर् र्ा अन्य वहत अवजगत वकए हैं , वजनसे , राज्य मुख्य सूचना आर्ुक्त र्ा
राज्य सूचना आर्ुक्त के रूप में उसके कृत्यों पर प्रवतकूल प्रभाि पडने की संभािना है ।

(4) र्वद राज्य मुख्य सूचना आर्ुक्त र्ा कोई राज्य सूचना आर्ुक्त, वकसी प्रकार, राज्य सरकार
द्वारा र्ा उसकी ओर से की गई वकसी संविदा र्ा करार से संबद्ध र्ा उसमें वहतबद्ध है र्ा
वकसी वनगवमत कंपनी के वकसी सदस्य को वकसी रूप में से अन्यथा और उसके अन्य सदस्यों
के साथ सामान्यतः उसके लाभ में र्ा उससे प्रोद् भूत होने िाले वकसी फार्दे र्ा पररलखब्धर्ों में
वहस्सा लेता है तो िह उपधारा (1) के प्रर्ोजनों के वलर्े कदाचार का दोर्ी समझा जाएगा।

अध्याय 5
सूचिा आयोगों की शम्भियां और कृत्य, अपील तथा शाम्भस्तयां

18. सूचिा आयोगों की शम्भियां और कृत्य- (1) इस अवधवनर्म के उपबंधों के अधीन रहते
हुए, र्थाखस्थवत, केन्द्रीर् सू चना आर्ोग र्ा राज्य आर्ोग का र्ह कतगव्य होगा वक िह
वनम्नवलखखत वकसी ऐसे व्यखक्त से विकार्त प्राप्त करे और उसकी जां च करे -
(क) जो, र्थाखस्थवत, वकसी केन्द्रीर् लोक सूचना अवधकारी र्ा राज्य लोक सूचना अवधकारी को,
इस कारण से अनुरोध प्रस्तुत करने में असमथग रहा है वक इस अवधवनर्म के अधीन ऐसे
अवधकारी की वनर्ुखक्त नहीं की गई है र्ा, र्थाखस्थवत, केन्द्रीर् सहार्क लोक सूचना अवधकारी
र्ा राज्य सहार्क लोक सूचना अवधकारी ने इस अवधवनर्म के अधीन सू चना र्ा अपील के
वलर्े धारा 19 की उपधारा (1) में विवनवदग ष्ट केन्द्रीर् लोक सूचना अवधकारी र्ा राज्य लोक
सूचना अवधकारी अथिा ज्येष्ठ अवधकारी र्ा, र्थाखस्थवत, केन्द्रीर् सूचना आर्ोग र्ा राज्य सूचना
आर्ोग को उसके आिेदन को भेजने के वलर्े स्वीकार करने से इं कार कर वदर्ा है ;
(ख) वजसे इस अवधवनर्म के अधीन अनुरोध की गई जानकारी तक पहुँ च के वलर्े इं कार कर
वदर्ा गर्ा है ;
(ग) वजसे इस अवधवनर्म के अधीन विवनवदग ष्ट समर्-सीमा के भीतर सूचना के वलर्े र्ा सूचना
तक पहुँ च के वलर्े अनुरोध का उत्तर नहीं वदर्ा गर्ा है ;
(घ) वजससे ऐसी फीस की रकम का सं दार् करने की अपेिा की गई है , जो िह अनुवचत
समझता है र्ा समझती है ;
(ड.) जो र्ह विश्वास करता है वक उसे इस अवधवनर्म के अधीन अपूणग, भ्रम में डालने िाली
र्ा वमथ्ा सूचना दी गई है ; और
(च) इस अवधवनर्म के अधीन अवभलेखों के वलर्े अनुरोध करने र्ा उन तक पहुँ च प्राप्त
करने से सम्बंवधत वकसी अन्य विर्र् के सम्बंध में।

(2) जहाँ , र्थाखस्थवत, केन्द्रीर् सूचना आर्ोग र्ा राज्य सूचना आर्ोग का र्ह समाधान हो जाता है
वक उस विर्र् में जाँ च करने के वलर्े र्ुखक्तर्ुक्त आधार हैं , िहाँ िह उसके सम्बंध में जाँ च
आरम्भ कर सकेगा।

(3) र्थाखस्थवत, केन्द्रीर् सू चना आर्ोग र्ा राज्य सूचना आर्ोग को, इस धारा के अधीन वकसी
मामले में जाँ च करते समर् िही िखक्तर्ां प्राप्त होंगी, जो वनम्नवलखखत मामलों के सम्बंध में
वसविल प्रवक्रर्ा संवहता, 1908 (1908 का 5) के अधीन वकसी िाद का विचारण करते समर्
वसविल न्यार्ालर् में वनवहत होती हैं , अथाग त :-

(क) वकन्ीं व्यखक्तर्ों को समन करना और उन्ें उपखस्थत कराना तथा िपथ पर मौखखक र्ा
वलखखत साक्ष्य दे ने के वलर्े और दस्तािेज र्ा चीजें पेि करने के वलर्े उनको वििि करना;
(ख) दस्तािेजों के प्रकटीकरण और वनरीिण की अपेिा करना;
(ग) िपथपत्र पर साक्ष्य को अवभग्रहण करना;
(घ) वकसी न्यार्ालर् र्ा कार्ाग लर् से वकसी लोक अवभलेख र्ा उसकी प्रवतर्ां मंगाना;
(ड.) साविर्ों र्ा दस्तािेजों की परीिा के वलर्े समन जारी करना; और
(च) कोई अन्य विर्र्, जो विवहत वकर्ा जाए।

(4) र्थाखस्थवत, संसद र्ा राज्य विधान-मंडल के वकसी अन्य अवधवनर्म में अंतविगष्ट वकसी
असंगत बात के होते हुए भी, र्थाखस्थवत, केन्द्रीर् सूचना आर्ोग र्ा राज्य सूचना आर्ोग इस
अवधवनर्म के अधीन वकसी विकार्त की जाँ च करने के दौरान, ऐसे वकसी अवभलेख की परीिा
कर सकेगा, वजसे र्ह अवधवनर्म लागू होता है और जो लोक प्रावधकारी के वनर्ंत्रण में है और
उसके द्वारा ऐसे वकसी अवभलेख को वकन्ीं भी आधारों पर रोका नहीं जाएगा।

19. अपील- (1) ऐसा कोई व्यखक्त, वजसे धारा 7 की उपधारा (1) र्ा उपधारा (3) के खंड (क)
में विवनवदग ष्ट समर् के भीतर कोई विवनिर् प्राप्त नहीं हुआ है र्ा जो र्थाखस्थवत, केन्द्रीर् लोक
सूचना अवधकारी र्ा राज्य लोक सूचना अवधकारी के वकसी विवनिर् से व्यतीत है उस अिवध
की समाखप्त से र्ा ऐसे वकसी विवनिर् की प्राखप्त से 30 वदन के भीतर ऐसे अवधकारी को
अपील कर सकेगा, जो प्रत्येक लोक प्रावधकरण में, र्था खस्थवत केखन्द्रर् लोक सूचना अवधकारी
र्ा राज्य लोक सूचना अवधकारी की पंखक्त से ज्ये ष्ठ पंखक्त का है ः

परन्तु ऐसा अवधकारी, तीस वदन की अिवध की समाखप्त के पिात अपील को ग्रहण कर
सकेगा, र्वद उसका र्ह समाधान हो जाता है वक अपीलाथी समर् पर अपील फाइल करने में
पर्ाग प्त कारण से वनिररत वकर्ा गर्ा था।

(2) जहाँ अपीन धारा 11 के अधीन, र्थाखस्थवत, वकसी केन्द्रीर् लोक सूचना अवधकारी र्ा वकसी
राज्य लोक सूचना अवधकारी द्वारा पर व्यखक्त की सूचना प्रकट करने के वलर्े वकए गए वकसी
आदे ि के विरुद्ध की जाती है िहाँ सम्बंवधत पर व्यखक्त द्वारा अपील, उस आदे ि की तारीख
से तीस वदन के भीतर की जाएगी।

(3) उपधारा (1) के अधीन विवनिर् के विरुद्ध दू सरी अपील उस तारीख से , वजसको विवनिर्
वकर्ा जाना चावहए था र्ा िास्ति में प्राप्त वकर्ा गर्ा था, नब्बे वदन के भीतर केन्द्रीर् सूचना
आर्ोग र्ा राज्य सूचना आर्ोग को होगीः

परन्तु, र्थाखस्थवत, केन्द्रीर् सूचना आर्ोग र्ा राज्य सूचना आर्ोग नब्बे वदन की अिवध की
समाखप्त के पिात अपील को ग्रहण कर सकेगा, र्वद उसका र्ह समाधान हो जाता है वक
अपीलाथी समर् पर अपील फाइल करने से पर्ाग प्त कारण से वनिाररत वकर्ा गर्ा था।

(र्वद, र्थाखस्थवत, केन्द्रीर् लोक सूचना अवधकारी र्ा राज्य लोक सूचना अवधकारी का विवनिर्,
वजसके विरुद्ध अपील की गई है , पर व्यखक्त की सूचना से सम्बंवधत है तो, र्थाखस्थवत, केन्द्रीर्
सूचना आर्ोग र्ा राज्य सूचना आर्ोग उस पर व्यखक्त को सुनिाई का र्ुखक्तर्ुक्त अिसर
दे गा।

(5) अपील सम्बंधी वकन्ीं कार्गिावहर्ों में र्ह सावबत करने का भार वक अनुरोध को अस्वीकार
करना न्यार्ोवचत था, र्थाखस्थवत, केन्द्रीर् लोकसूचना अवधकारी र्ा राज्य लोक सूचना अवधकारी
पर, वजसने अनुरोध से इं कार वकर्ा था, होगा।

(6) उपधारा (1) र्ा उपधारा (2) के अधीन वकसी अपील का वनपटारा, ले खबद्ध वकए जाने िाले
कारणों से, अपील की प्राखप्त के तीस वदन के भीतर र्ा ऐसी विस्ताररत अिवध के भीतर, जो
उसके फाइल वकए जाने की तारीख से कुल पैंतालीस वदन से अवधक न हो, वकर्ा जाएगा।

(7) र्थाखस्थवत, केन्द्रीर् सू चना आर्ोग र्ा राज्य सूचना आर्ोग का विवनिर् आबद्धकर होगा।

(8) अपने विवनिर् में, र्थाखस्थवत, केन्द्रीर् सूचना आर्ोग र्ा राज्य सूचना आर्ोग को वनम्नवलखखत
की िखक्त है -

(क) लोक प्रावधकरण से ऐसे उपार् करने की अपेिा करना, जो इस अवधवनर्म के उपबंधों
का अनुपालन सुवनवित करने के वलर्े आिश्यक हो, वजनके अंतगगत वनम्नवलखखत भी हैं ः-
(i) सूचना तक पहुँ च उपलब्ध कराना, र्वद विविष्ट प्ररूप में ऐसा अनुरोध वकर्ा गर्ा है ;
(ii) र्थाखस्थवत, केन्द्रीर् लोक सूचना अवधकारी र्ा राज्य लोक सूचना अवधकारी को वनर्ुक्त
करना;
(iii) कवतपर् सूचना र्ा सूचना के प्रिगों को प्रकावित करना;
(iv) अवभलेखों के अनुरिण, प्रबंध और विनाि से सम्बंवधत अपनी पद्धवतर्ों में आिश्यक
पररितगन करना;
(v) अपने अवधकाररर्ों के वलर्े सूचना के अवधकार के सम्बंध में प्रवििण के उपबंध को
बढाना;
(vi) धारा 4 की उपधारा (1) के खंड (ख) के अनुसरण में अपनी एक िावर्गक ररपोटग उपलब्ध
कराना;
(ख) लोक प्रावधकारी से विकार्तकताग को, उसके द्वारा सहन की गई वकसी हावन र्ा अन्य
नुकसान के वलर्े प्रवतपूररत करने की आपेिा करना;
(ग) इस अवधवनर्म के अधीन उपबंवधत िाखस्तर्ों में से कोई िाखस्त अवधरोवपत करना;
(घ) आिेदन को नामंजूर करना।

(9) र्थाखस्थवत, केन्द्रीर् सू चना आर्ोग र्ा राज्य सूचना आर्ोग विकार्तकताग और लोक प्रावधकारी
को, अपने विवनिर् की, वजसके अंतगगत अपील का कोई अवधकार भी है , सूचना दे गा।

(10) र्थाखस्थवत, केन्द्रीर् सू चना आर्ोग र्ा राज्य सूचना आर्ोग, अपील का विवनिर् ऐसी प्रवक्रर्ा
के अनुसार करे गा, जो विवहत की जाए।

20. शाम्भस्त- (1) जहाँ वकसी विकार्त र्ा अपील का विवनिर् करते समर्, र्थाखस्थवत, केन्द्रीर्
सूचना आर्ोग र्ा राज्य सूचना आर्ोग की र्ह रार् है वक, र्थाखस्थवत, केन्द्रीर् लोक सूचना
अवधकारी र्ा राज्य लोक सूचना अवधकारी ने , वकसी र्ुखक्तर्ुक्त कारण के वबना सूचना के वलर्े ,
कोई आिेदन प्राप्त करने से इं कार वकर्ा है र्ा धारा 7 की उपधारा (1) के अधीन विवनवदग ष्ट
समर् के भीतर सूचना नहीं दी है र्ा असद्भािपूिगक सूचना के वलर्े अनुरोध से इं कार वकर्ा
है र्ा जानबूझकर गलत, अपूणग र्ा भ्रामक सूचना दी है र्ा उस सूचना को नष्ट कर वदर्ा है ,
जो अनुरोध का विर्र् थी र्ा वकसी रीवत से सूचना दे ने में बाधा डाली है , तो िह ऐसे प्रत्येक
वदन के वलर्े, जब तक आिेदन प्राप्त वकर्ा जाता है र्ा सूचना दी जाती है , दो सौ पचास
रुपए की िाखस्त अवधरोवपत करे गा, तथावप ऐसी िाखस्त की कुल रकम पच्चीस हजार रुपए से
अवधक नहीं होगीः

परन्तु र्थाखस्थवत, केन्द्रीर् लोक सूचना अवधकारी र्ा राज्य लोक सूचना अवधकारी को, उस पर
कोई िाखस्त अवधरोवपत वकए जाने के पूिग, सुनिाई का र्ुखक्तर्ुक्त अिसर वदर्ा जाएगाः

परन्तु र्ह और वक र्ह सावबत करने का भार वक उसने र्ुखक्तर्ुक्त रूप से और तत्परतापूिगक
कार्ग वकर्ा है , र्थाखस्थवत, केन्द्रीर् लोक सूचना अवधकारी र्ा राज्य लोक सू चना अवधकारी पर
होगा।

(2) जहाँ वकसी विकार्त र्ा अपील का विवनिर् करते समर्, र्थाखस्थवत, केन्द्रीर् सूचना आर्ोग
र्ा राज्य सूचना आर्ोग की र्ह रार् है वक, र्थाखस्थवत, केन्द्रीर् लोक सूचना अवधकारी र्ा राज्य
लोक सूचना अवधकारी, वकसी र्ुखक्तर्ुक्त कारण के वबना और लगातार सूचना के वलर्े कोई
आिेदन प्राप्त करने में असफल रहा है र्ा उसने धारा 7 की उपधारा (1) के अधीन विवनवदग ष्ट
समर् के भीतर सूचना नहीं दी है र्ा असद्भािपूिगक सूचना के वलर्े अनुरोध से इं कार वकर्ा
है र्ा जानबूझकर गलत, अपूणग र्ा भ्रामक सूचना दी है र्ा ऐसी सूचना को नष्ट कर वदर्ा है ,
जो अनुरोध का विर्र् थी र्ा वकसी रीवत से सूचना दे ने में बाधा डाली है िहाँ िह, र्थाखस्थवत,
ऐसे केन्द्रीर् लोक सूचना अवधकारी र्ा राज्य लोक सूचना अवधकारी के विरुद्ध उसे लागू सेिा
वनर्मों के अधीन अनुिासवनक कारग िाई के वलर्े वसफाररि करे गा।

अध्याय 6
प्रकीणय

21. सद्भावपवयक की गई कारय वाई के धलये संरिण- कोई िाद, अवभर्ोजन र्ा अन्य विवधक
कार्गिाही वकसी भी ऐसी बात के बारे में, जो इस अवधवनर्म र्ा उसके अधीन बनाए गए
वकसी वनर्म के अधीन सद्भािपूकग की गई है र्ा की जाने के वलर्े आिवर्त है , वकसी व्यखक्त
के विरुद्ध न होगी।

22. अधिधियम का अध्यारोही प्रभाव होिा- इस अवधवनर्म के उपबंध, िासकीर् गुप्त बात
अवधवनर्म, 1923 (1923 का 19) और तत्समर् प्रिृत्त वकसी अन्य विवध में र्ा इस अवधवनर्म से
अन्यथा वकसी विवध के आधार पर प्रभाि रखने िाली वकसी वलखत में, उससे असंगत वकसी
बात के होते हुए भी, प्रभािी होंगे।

23. न्यायालयों की अधिकाररता का वजयि- कोई न्यायालय, इस


अधिधियम के अिीि धकए गए धकसी आदे श के सम्बंि में कोई
वाद, आवे दि या अन्य काययवाही ग्रहण िही ं करे गा और ऐसे धकसी
आदे श को, इस अधिधियम के अिीि धकसी अपील के रूप के
धसवाय धकसी रूप में प्रश्नगत िही ं धकया जाएगा।
24. अधिधियम का कधतपय संगठिों को लागू ि होिा- (1) इस अधिधियम में अंतधवयष्ट
कोई बात, केन्द्रीय सरकार द्वारा स्थाधपत आसूचिा और सुरिा संगठिों को, जो दू सरी
अिुसूची में धवधिधदय ष्ट है या ऐसे संगठिों द्वारा उस सरकार को दी गई धकसी सूचिा को
लागू िही ं होगीाः

परन्तु भ्रष्टाचार और मािव अधिकारों के अधतक्रमण के अधभकथिों से सम्बंधित सूचिा


इस उपिारा के अिीि अपवधजयत िही ं की जाएगीाः

परन्तु यह और धक यधद मांगी गई सूचिा मािवाधिकारों के अधतक्रमण के अधभकथिों से


सम्बंधित है तो सूचिा, केन्द्रीय सूचिा आयोग के अिुमोदि के पिात ही दी जाएगी और
धारा 7 में वकसी बात के होते हुए भी, ऐसी सूचना अनुरोध की प्राखप्त के पैंतालीस वदन के
भीतर दी जाएगी।

(2) केन्द्रीर् सरकार, राजपत्र में वकसी अवधसूचना द्वारा, अनुसूची का उस सरकार द्वारा स्थावपत
वकसी अन्य आसूचना र्ा सुरिा संगिन को उसमें सखम्मवलत करके र्ा उसमें पहले से
विवनवदग ष्ट वकसी संगिन का उससे लोप करके, सं िोधन कर सकेगी और ऐसी अवधसूचना के
प्रकािन पर ऐसे संगिन को अनुसूची में, र्थाखस्थवत, सखम्मवलत वकर्ा गर्ा र्ा उसका उससे
लोप वकर्ा गर्ा समझा जाएगा।

(3) उपधारा (2) के अधीन जारी की गई प्रत्येक अवधसूचना, संसद के प्रत्येक सदन के समि
रखी जाएगी।
(4) इस अवधवनर्म की कोई बात ऐसे आसूचना और सुरिा संगिनों को लागू नहीं होगी, जो
राज्य सरकार द्वारा स्थावपत ऐसे संगिन हैं , वजन्ें िह सरकार समर्-समर् पर, राजपत्र में
अवधसूचना द्वारा, विवनवदग ष्ट करे ः

परन्तु भ्रष्टाचार और मानि अवधकारों के अवतक्रमण के अवभकथनों से सम्बंवधत सूचना इस


उपधारा के अधीन अपिवजगत नहीं की जाएगीः

परन्तु र्ह और वक र्वद मां गी गई सूचना मानि अवधकारों के अवतक्रमण अवभकथनों से


सम्बंवधत है तो सूचना राज्य सूचना आर्ोग के अनुमोदन के पिात ही दी जाएगी और धारा 7
में वकसी बात के होते हुए भी, ऐसी सूचना अनुरोध की प्राखप्त के पैंतालीस वदनों के भीतर दी
जाएगी।

(5) उपधारा (4) के अधीन जारी की गई प्रत्येक अवधसूचना राज्य विधान-मंडल के समि रखी
जाएगी।

25. मॉिीटर करिा और ररपोटय करिा- (1) र्थाखस्थवत, केन्द्रीर् सूचना आर्ोग र्ा राज्य सूचना
आर्ोग, प्रत्येक िर्ग के अं त के पिात र्थासाध्यिीघ्रता से उसे िर्ग के दौरान इस अवधवनर्म के
उपबंधों के कार्ाग न्वर्न के सम्बंध में एक ररपोटग तैर्ार करे गा और उसकी एक प्रवत समुवचत
सरकार को भेजेगा।

(2) प्रत्येक मंत्रालर् र्ा विभाग, अपनी अवधकाररता के भीतर लोक प्रावधकाररर्ों के सम्बंध में,
ऐसी सूचना एकवत्रत करे गा और उसे, र्थाखस्थवत, केन्द्रीर् सूचना आर्ोग र्ा राज्य सूचना आर्ोग
को उपलब्ध कराएगा, जो इस धारा के अधीन ररपोटग तैर्ार करने के वलर्े अपेवित है और इस
धारा के प्रर्ोजनों के वलर्े , उस सूचना को दे ने तथा अवभलेख रखने से सम्बंवधत अपेिाओं का
पालन करे गा।

(3) प्रत्येक ररपोटग में, उस िर्ग के सम्बंध में, वजससे ररपोटग सम्बंवधत है , वनवम्नवलखखत के बारे में
कथन होगा,-

(क) प्रत्येक लोक प्रावधकारी से वकए गए अनुरोधों की संख्या;


(ख) ऐसे विवनिर्ों की संख्या, जहाँ आिेदक अनु रोधों के अनुसरण में दस्तािेजों तक पहुँ च के
वलर्े हकदार नहीं थे , इस अवधवनर्म के िे उपबंध, वजनके अधीन र्े विवनिर् वकए गए थे और
ऐसे समर्ों की संख्या, जब ऐसे उपबंधों का अिलंब वलर्ा गर्ा था;
(ग) पुनविगलोकन के वलर्े , र्थाखस्थवत, केन्द्रीर् सूचना आर्ोग र्ा राज्य सूचना आर्ोग को वनवदग ष्ट
की गई अपीलों की सं ख्या, अपीलों की प्रकृवत और अपीलों के वनष्कर्ग ;
(घ) इस अवधवनर्म के प्रिासन के सम्बंध में वकसी अवधकारी के विरुद्ध की गई
अनुिासवनक कारग िाई की विविवष्टर्ां ;
(ड.) इस अवधवनर्म के अधीन प्रत्येक लोक प्रावधकारी द्वारा एकवत्रत की गई प्रभारों की
रकम;
(च) कोई ऐसे तथ्, जो इस अवधवनर्म की भािना और आिर् को प्रिावसत और कार्ाग खन्वत
करने के वलर्े लोक प्रावधकाररर्ों के वकसी प्रर्ास को उपदविगत करते हैं ;
(छ) सुधार के वलर्े वसफाररिें , वजनके अंतगगत इस अवधवनर्म र्ा अन्य विधान र्ा सामान्य विवध
के विकास, समुन्नवत, आधुवनकीकरण, सुधार र्ा संिोधन के वलर्े विविष्ट लोक प्रावधकाररर्ों के
सम्बंध में वसफाररिें र्ा सूचना तक पहुँ च के अवधकार को प्रितगनिील बनाने से सुसंगत कोई
अन्य विर्र् भी हैं ।

(4) र्थाखस्थवत, केन्द्रीर् सरकार र्ा राज्य सरकार प्रत्येक िर्ग के अंत के पिात, र्थासाध्यिीघ्रता
से, उपधारा (1) में वनवदग ष्ट, र्थाखस्थवत, केन्द्रीर् सूचना आर्ोग र्ा राज्य सूचना आर्ोग की ररपोटग
की एक प्रवत संसद के प्रत्येक सदन के समि र्ा जहाँ राज्य विधान-मंडल के दो सदन हैं ,
िहाँ प्रत्येक सदन के समि और जहाँ राज्य विधान-मंडल का एक सदन है िहाँ उस सदन
के समि रखिाएगी।

(5) र्वद केन्द्रीर् सूचना आर्ोग र्ा राज्य सूचना आर्ोग को ऐसा प्रतीत होता है वक इस
अवधवनर्म के अधीन अपने कृत्यों का प्रर्ोग करने के सम्बंध में वकसी लोक प्रावधकारी की
पद्धवत इस अवधवनर्म के उपबंधों र्ा भािना के अनुरूप नहीं है तो िह प्रावधकारी को ऐसे
उपार् विवनवदग ष्ट करते हुए, जो उसकी रार् में ऐसी अनुरूपता को बढाने के वलर्े वकए जाने
चावहए, वसफाररि कर सकेगा।

26. समुधचत सरकार द्वारा काययक्रम तैयार धकया जािा- (1) समुवचत सरकार, वित्तीर् और
अन्य संसाधनों की उपलब्धता की सीमा तक-

(क) जनता की, वििेर् रूप से, उपेवित समुदार्ों की इस बारे में समझ की िृखद्ध करने के
वलर्े वक इस अवधवनर्म के अधीन अनुध्यात अवधकारों का प्रर्ोग कैसे वकर्ा जाए िैविक
कार्गक्रम बना सकेगी और आर्ोवजत कर सकेगी;
(ख) लोक प्रावधकाररर्ों को, खंड (क) में वनवदग ष्ट कार्गक्रमों को बनाने और उनके आर्ोजन में
भाग लेने और ऐसे कार्ग क्रमों का स्वर्ं वजम्मा लेने के वलर्े प्रोत्सावहत कर सकेगी;
(ग) लोक प्रावधकाररर्ों द्वारा उनके वक्रर्ाकलापों के बारे में सही जानकारी का समर् से और
प्रभािी रूप में प्रसाररत वकए जाने को बढािा दे सकेगी;
(घ) लोक प्रावधकरणों के, र्थाखस्थवत, केन्द्रीर् लोक सूचना अवधकाररर्ों र्ा राज्य लोक सूचना
अवधकाररर्ों को प्रविवित कर सकेगी और लोक प्रावधकरणों द्वारा स्वर्ं के उपर्ोग के वलर्े
सुसंगत प्रवििण सामवग्रर्ों का उत्पादन कर सकेगी।

(2) समुवचत सरकार, इस अवधवनर्म के प्रारम्भ से अिारह मास के भीतर, अपनी राजभार्ा में,
सहज व्यापक रूप और रीवत से ऐसी सूचना िाली एक मागगदविगका सं कवलत करे गी, वजसकी
ऐसे वकसी व्यखक्त द्वारा र्ुखक्तर्ुक्त रूप में अपेिा की जाए, जो अवधवनर्म में विवनवदग ष्ट वकसी
अवधकार का प्रर्ोग करना चाहता है ।
(3) समुवचत सरकार, र्वद आिश्यक हो तो, उपधारा (2) में वनवदग ष्ट मागगदिी वसद्धां तों को
वनर्वमत अंतरालों पर अद्यतन और प्रकावित करे गी, वजनमें विविष्टतर्ा और उपधारा (2) की
व्यापकता पर प्रवतकूल प्रभाि डाले वबना वनम्नवलखखत सखम्मवलत होगा-

(क) इस अवधवनर्म के उद्दे श्य;


(ख) धारा 5 की उपधारा (1) के अधीन वनर्ुक्त प्रत्येक लोक प्रावधकरण के, र्थाखस्थवत, केन्द्रीर्
लोक सूचना अवधकारी र्ा राज्य लोक सूचना अवधकारी का डाक और गली का पता, फोन
और फैक्स नंबर और र्वद उपलब्ध हो तो उसका इलेक्ट्रॉवनक डाक पता;
(ग) िह रीवत और प्ररूप, वजसमें, र्थाखस्थवत, वकसी केन्द्रीर् लोक सूचना अवधकारी र्ा राज्य
लोक सूचना अवधकारी से वकसी सूचना तक पहुँ च का अनुरोध वकर्ा जाएगा;
(घ) इस अवधवनर्म के अधीन लोक प्रावधकरण के, र्थाखस्थवत, वकसी केन्द्रीर् लोक सूचना
अवधकारी र्ा राज्य लोक सूचना अवधकारी से उपलब्ध सहार्ता और उसके कतगव्य;
(ड.) र्थाखस्थवत, केन्द्रीर् सूचना आर्ोग र्ा राज्य सूचना आर्ोग से उपलब्ध सहार्ता;
(च) इस अवधवनर्म द्वारा प्रदत्त र्ा अवधरोवपत वकसी अवधकार र्ा कतग व्य के सम्बंध में कोई
कार्ग करने र्ा करने में असफल रहने के बारे में विवध में उपलब्ध सभी उपचार, वजनके
अंतगगत आर्ोग को अपील फाइल करने की रीवत भी है ;
(छ) धारा 4 के अनुसार अवभलेखों के प्रिगों के स्वैखच्छक प्रकटन के वलर्े प्रािधान करने िाले
उपबंध;
(ज) वकसी सूचना तक पहुँ च के वलर्े अनुरोधों के सम्बंध में संदत्त की जाने िाली फीसों से
सम्बंवधत सूचनाएं ; और
(झ) इस अवधवनर्म के अनुसार वकसी सूचना तक पहुँ च प्राप्त करने के सम्बंध में बनाए गए
र्ा जारी वकए गए कोई अवतररक्त विवनर्म र्ा पररपत्र।

(4) समुवचत सरकार को, र्वद आिश्यक हो, वनर्वमत अंतरालों पर मागगदिी वसद्धां तों को अद्यतन
और प्रकावित करना चावहए।

27. धियम बिािे की समुधचत सरकार की शम्भि- (1) समुवचत सरकार, इस अवधवनर्म के
उपबंधों को कार्ाग खन्वत करने के वलर्े, राजपत्र में अवधसूचना द्वारा, वनर्म बना सकेगी।

(2) विविष्टतर्ा और पूिगगामी िखक्त की व्यापकता पर प्रवतकूल प्रभाि डाले वबना, ऐसे वनर्म
वनम्नवलखखत सभी र्ा वकसी विर्र् के वलर्े उपबंध कर सकेंगे, अथाग त :-

(क) धारा 4 की उपधारा (4) के अधीन प्रसाररत की जाने िाली सामवग्रर्ों के माध्यम की
लागत र्ा वप्रन्ट लागत मूल्य;
(ख) धारा 6 की उपधारा (1) के अधीन संदेर् फीस;
(ग) धारा 7 की उपधारा (1) और उपधारा (5) के अधीन संदेर् फीस;
(घ) धारा 13 की उपधारा (6) और धारा 16 की उपधारा (6) के अधीन अवधकाररर्ों और अन्य
कमगचाररर्ों को संदेर् िेतन और भत्ते तथा उनकी सेिा के वनबंधन और ितें ;
(ड.) धारा 19 की उपधारा (10) के अधीन अपीलों का विवनिर् करते समर्, र्थाखस्थवत, केन्द्रीर्
सूचना आर्ोग र्ा राज्य सूचना आर्ोग द्वारा अपनाई जाने िाली प्रवक्रर्ा;
(च) कोई अन्य विर्र्, जो विवहत वकए जाने के वलर्े अपेवित हो र्ा विवहत वकर्ा जाए।

28. धियम बिािे की सिम प्राधिकारी की शम्भि- (1) सिम प्रावधकारी, इस अवधवनर्म के
उपबंधों को कार्ाग खन्वत करने के वलर्े, राजपत्र में अवधसूचना द्वारा, वनर्म बना सकेगा।

(2) विविष्टतर्ा और पूिगगामी िखक्त की व्यापकता पर प्रवतकूल प्रभाि डाले वबना, ऐसे वनर्म
वनम्नवलखखत सभी र्ा वकसी विर्र् के वलर्े उपबंध कर सकेंगे, अथाग त :-

(i) धारा 4 की उपधारा (4) के अधीन प्रसाररत की जाने िाली सामवग्रर्ों के माध्यम की लागत
र्ा वप्रन्ट लागत मूल्य;
(ii) धारा 6 की उपधारा (1) के अधीन संदेर् फीस;
(iii) धारा 7 की उपधारा (1) के अधीन संदेर् फीस; और
(iv) कोई अन्य विर्र् जो विवहत वकए जाने के वलर्े अपेवित हो र्ा विवहत वकर्ा जाए।

29. धियमों का रखा जािा-(1) इस अवधवनर्म के अधीन केन्द्रीर् सरकार द्वारा बनार्ा गर्ा
प्रत्येक वनर्म, बनाए जाने के पिात, र्थािीघ्र, संसद के प्रत्येक सदन के समि, जब िह ऐसी
कुल तीस वदन की अिवध के वलर्े सत्र में हो, जो एक सत्र में अथिा दो र्ा अवधक
आनुक्रवमक सत्रों में पूरी हो सकती है , रखा जाएगा और र्वद उस सत्र के र्ा पूिोक्त
आनुक्रवमक सत्रों के िीक बाद के सत्र के अिसान के पूिग दोनों सदन उस वनर्म में कोई
पररितगन करने के वलर्े सहमत हो जाएं र्ा दोनों सदन इस बात से सहमत हो जाएं वक ऐसा
वनर्म नहीं बनार्ा जाना चावहए तो ऐसा वनर्म तत्पिात, र्थाखस्थवत, केिल ऐसे उपां तररत रूप
में ही प्रभािी होगा र्ा उसका कोई प्रभाि नहीं होगा। तथावप, उस वनर्म के ऐसे उपां तररत र्ा
वनष्प्रभाि होने से उसके अधीन पहले की गई वकसी बात की विवधमान्यता पर प्रवतकूल प्रभाि
नहीं पडे गा।

(2) इस अवधवनर्म के अधीन वकसी राज्य सरकार द्वारा बनार्ा गर्ा प्रत्ये क वनर्म अवधसूवचत
वकए जाने के पिात र्थािीघ्र, राज्य विधान-मंडल के समि रखा जाएगा।

30. कधठिाइयों को दू र करिे की शम्भि- (1) र्वद इस अवधवनर्म के उपबंधों को प्रभावित


करने में कोई कविनाई उत्पन्न होती है तो केन्द्रीर् सरकार, राजपत्र में प्रकावित आदे ि द्वारा
ऐसे उपबंध बना सकेगी, जो इस अवधवनर्म के उपबंधों से असंगत न हों, जो उसे कविनाई को
दू र करने के वलर्े आिश्यक और समीचीन प्रतीत होते होंः

परन्तु कोई ऐसा आदे ि इस अवधवनर्म के प्रारम्भ से दो िर्ग की अिवध की समाखप्त के पिात
नहीं वकर्ा जाएगा।

(2) इस धारा के अधीन वकर्ा गर्ा प्रत्येक, आदे ि, वकए जाने के पिात र्थािीघ्र, संसद के
प्रत्येक सदन के समि रखा जाएगा।

31. धिरसि- सूचना स्वातंत्र्य अवधवनर्म, 2002 (2003 का 5) इसके द्वारा वनरवसत वकर्ा जाता है ।
पहली अनुसूची

[िारा 13(3) और िारा 16(3) दे म्भखए]


मुख् सूचिा आयुि/सूचिा आयुि/राज्य मुख् सूचिा आयुि/राज्य सूचिा आयुि द्वारा
ली जािे वाली शपथ या धकए जािे वाले प्रधतज्ञाि का प्ररूप

“मैं_______________ जो मुख्य सूचना आर्ुक्त/सूचना आर्ुक्त/राज्य मुख्य सूचना आर्ुक्त/राज्य


सूचना आर्ुक्त वनर्ुक्त हुआ हँ , ईश्वर की िपथ लेता हँ /सत्यवनष्ठा से प्रवतज्ञान लेता हँ वक मैं
विवध द्वारा स्थावपत भारत के संविधान के प्रवत सच्ची श्रद्धा और वनष्ठा रखूंगा, मैं भारत की
प्रभुता और अखंडता अिुण्ण रखूंगा तथा मैं सम्यक प्रकार से और श्रद्धापूिगक तथा अपनी पूरी
र्ोग्यता, ज्ञान और वििेक से अपने पद के कतग व्यों का भर् र्ा पिपात, अनुराग र्ा द्वे र् के
वबना पालन करू ं गा तथा मैं संविधान और विवधर्ों की मर्ाग दा बनाए रखूं गा।”

दू सरी अनुसूची

(िारा 24 दे म्भखए)

केन्द्रीय सरकार द्वारा स्थाधपत आसूचिा और सुरिा संगठि

1. आसूचिा ब्यूरो।
2. मंधत्रमंिल सधचवालय के अिुसंिाि और धवश्लेषण खंि।
3. राजस्व आसूचिा धिदे शालय।
4. केन्द्रीय आधथयक आसूचिा ब्यूरो।
5. प्रवतयि धिदे शालय।
6. स्वापक धियंत्रण ब्यरो।
7. वैमाधिक अिुसंिाि केन्द्र।
8. धवशेष सीमान्त बल।
9. सीमा सुरिा बल।
10. केन्द्रीय आरधित पुधलस बल।
11. भारत-धतब्बत सीमा बल।
12. केन्द्रीय औद्योधगक सुरिा बल।
13. राष्टरीय सुरिा गािय ।
14. असम राइफल्स।
15. सशस्त्र सीमा बल।
16. आय-कर महाधिदे शालय (अन्वेषण)।
17. राष्टरीय तकिीकी अिुसंिाि संगठि।
18. धवत्तीय आसूचिा यूधिट, भारत।
19. धवशेष संरिा ग्रुप।
20. रिा अिुसंिाि और धवकास संगठि।
21. सीमा सड़क धवकास बोिय ।
22. राष्टरीय सुरिा पररषद सधचवालय।

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