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Share या होता है | Share in Hindi

या आप जानते है ? शेयर या है ?( What is Share ?) और शेयर या काम आता है ? कोई क पनी Share Market म शेयर
य बेचती है ?
शेयर या है -सरल भाषा म बज़नस -जब भी कोई कंपनी कु छ समान या स वसेस बनाती है और उसे बेचती है तो उसे बज़नस
कहते है |Share व बज़नस का या कने शन है ? शेयर बज़नस का एक ह सा होता है अथात कसी बज़नेस का छोटा सा टु कड़ा
है , ले कन कोई क पनी शेयर को शेयर माकट म य बेचती है , या ऐसा एक क पनी अपने यापार को बढ़ाने के लए करती है ?
जब कसी क पनी को अपने नये ांच व यापार को बढ़ाने के लए बहु त यादा पैसे क ज रत होती है तो ऐसे म क पनी आम
जनता से पैसे लेकर अपना यापार करती है |
िजसके लए Share market एक बाज़ार का काम करता है | जहाँ पर उन कंप नय के शेयर उपल ध रहते है जो क पनी अपना शेयर
ल ट कराती है ता क आम पि लक क पनी के शेयर को खर द सके|
जैसेः आइचस मोटस, पेज इंड आ द|

Share य खर दा जाता है
कोई यि त कसी क पनी का Share इस लए खर दता है ता क उसे मु नाफा हो मतलब क जब आप एक क पनी के Share
खर दते है तो आप उस क पनी के ह सेदार हो जाते है और जब क पनी ोथ ( यापार बढ़ना ) करती है तो उसका लाभ शेयर
धारक के बीच म बांटा जाता है |
जब भी आप Share खर दते है तो आपको क पनी म ह से दार का डॉ यू मट दया जाता है जो आज कल डिजटल प म आता है |
िजस आपके डीमैट अकाउं ट म रखा जाता है |
अगर आपने ने कसी क पनी का शेयर 500 पये के भाव म ख़र दा है तो इसका मतलब है क आपने उस क पनी का थोड़ा सा
ह सा ख़र दा है और जब कंपनी ोथ करती है तो उसके साथ Share का भाव भी बढ़ता है (जैसेः 600, 750 , 900, 1000 आ द )
ऐसे म आपने क पनी के 50 शेयर 500 पये के दाम पर 25000 पये म खर दा था िजसका भाव बढ़कर 900 हो गया है मतलब
आपको त शेयर 400 पये का मु नाफा होगा |
50 शेयर X 900 पये = 45000 पये
45000 - 25000 = 20000 पये (लाभ हु आ )
यहाँ आप दे ख सकते है क कस कार 25000 पये का शेयर 45000 पये का हो जाता है िजसमे आपको 20000 पये का शु
लाभ होता है

EPS in Hindi - EPS या है ?

EPS Full Form - इसका पू रा नाम Earnings Per Share है , कसी भी कंपनी के आ थक सेहत जानने के लए आप उस कंपनी
के EPS को पता करे इससे आपको क पनी के तमाह , वा षक ोथ का अंदाजा लग जायेगा |
EPS(Earnings Per Share) को समझने के लए हम इसके सारे श द को अलग करगे |
अ न स (Earnings ) = कतना कमाई हु आ
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पर (Per) = त/ येक /हरे क /हरएक


शेयर (Share) = क पनी का शेयर
अब आप इनके अथ को एक साथ मला कर अ न स पर शेयर (Earnings Per Share) को आसानी से समझ सकते है
EPS = कंपनी के येक शेयर ने कतना कमाई कया |

" यह कंपनी के शु लाभ का वह भाग होता है जो जार कये गए येक शेयर ( तभू त) पर दखाया जाता है । यह कंपनी के लाभ को
त शेयर के अनु सार दशाता है ।
सामा य श द म समझ तो अ नग त शेयर का संबंध त शेयर होने वाल आमदनी से होता है । यह शेयरधारक को होने वाले त
शेयर शु लाभ या हा न को य त करता है । कंपनी के शेयर मू य नधारण म इसका अहम रोल होता है ।"

EPS Calculation

EPS Formula का योग करके आप आसानी से कसी भी कंपनी का EPS Calculation कर सकते है |
शु लाभ / कु ल शेयर क सं या

Net Profit / Total Number of Shares


मान ल िजये एक कंपनी ABC है िजसके मा लक ने 1 लाख शेयर टॉक माकट म ल ट करा रखे है |
पहले वष क पनी ने अपने यापर से 40 लाख पये का अ न स (Earnings) या शु लाभ(Net profit) करती है अथात इस वष
कंपनी का Earnings Per Share 40 पय रहे गा |
40 लाख / 1 लाख = 40 पय
दु सरे वष कंपनी को यापर म घाटा होता है िजससे क पनी केवल 20 लाख पये का अ न स (Earnings) ह करती इस लए कंपनी
का अ न स पर शेयर घटकर 20 पय हो जाता है |
20 लाख / 1 लाख = 20 पय
तीसरे वष कंपनी के मा लक से स पर फोकस करते है िजससे क पनी क अ न स (Earnings) बढ़कर 60 लाख पये हो जाती है
इस लए कंपनी का अ न स पर शेयर भी बढ़कर 60 पय हो जाता है |
60 लाख / 1 लाख = 60 पय
आपने दे खा कंपनी क अ न स पर शेयर कंपनी के शु लाभ(Net profit) म उतार चढ़ाव के साथ घटती बढती रहती है |

PE Ratio या है | Price Earnings Ratio in Hindi

PE Ratio या है ? Price Earnings Ratio को कैसे कैलकु लेट कया जाता है ? इसे "फाइन सयल रे यो सु पर टार " य कहते
है |
अगर आप दो शेयर , दो उ योग , दो दे श के बाजार क तु लना करना चाहते है तो Price Earnings Ratio बहु त ह काम का है ।

आप इसक सहायता से बहु त आसानी से अंदाजा लगा सकते है क शेयर का भाव बढ़ने क कतनी संभावना है |
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PE Ratio या है -

PE रे यो या न क Price Earnings Ratio सबसे पोपु लर रे यो है और सब कोई इसे जानना पसंद करते है |
इसक पॉपु लै रट के कारण इसे "फाइन सयल रे यो सु पर टार " भी कहते है | हम EPS क मदद से PE रे यो

Market Price / EPS = PE Ratio


शेयर क बाजार म क मत/ त शेयर आय = PE रे यो
आप कसी भी क पनी का PE रे यो तबतक नह ं जान सकते है जबतक आप उसक EPS नह जान लेते है |
आइये इसे उदहारण क सहायता से समझने क को शश करे , एक कंपनी JKL है िजसके 10 लाख शेयर से कंपनी को 20
लाख Earnings (शु लाभ ) हु आ और इस क पनी के शेयर का माकट ाइस (शेयर क बाजार म क मत) 40 पय है |
तो इसका EPS 20 लाख / 10 लाख = 2 पये होगा |
जब क इसका PE ratio होगा =40 / 2 = 20 पय

इसका एक मतलब ये भी होता है क माकट पा ट सप स त यू नट ॉ फट पाने के लए 20 गु ना यादा पैसे दे ने को तैयार है |


PE Ratio कैसे योग करे ?

Price Earnings Ratio का योग कर आप कसी कंपनी के ोथ बढ़ने या घटने का अंदाजा भी लगा सकते है | इसके लए क पनी
के पछल कु छ साल का रकॉड दे खय और पता करे क मैि समम PE कतना था उसके बाद पु रे इंड के औसत PE को पता करे
और अंत म पु रे बाजार का औसत PE पता करके एक दु सरे से तु लना करे |

यान रखने वाल बात (points to remember)

 कभी भी केवल PE रे यो को ह दे खकर नवेश न करे |


 पू र कंपनी व बज़नेस क फंडामटल एना ल सस करे |
 PE दखाता है क कोई शेयर स ता या महं गा े ड हो रहा है |
 यादातर लोग 21 से यादा PE वाले टॉक पर इ वे ट नह करते |
इकोनो मक टाइ स समाचार के अनु सार
" कसी कंपनी का पीई रे शयो नि चत सं या नह ं होता. यह हमेशा बदलता रहता है . मान ल िजए कसी कंपनी का पीई रे शयो आज
20 है . इसका मतलब यह नह ं है क यह हमेशा 20 रहे गा. कंपनी के दशन और शेयर बाजार म उसके शेयर क क मत के अनु सार
यह रे शयो घटता-बढ़ता रहता है . कंपनी के अ छा मु नाफा कमाने पर उसके शेयर क मांग बढ़ती है . इससे उसका पीई रे शयो बढ़
जाता है . इसी तरह अगर कसी कंपनी को नु कसान हु आ है तो इसके पीई रे शयो म गरावट आ सकती है ."

BookValue या है | Book Value in Hindi

BookValue per share क मदद से कसी भी कंपनी के कु ल क मत का कैसे पता लगाया जाता है ? कसी कंपनी का बु क वै यू
यादा या कम हो तो इसका कंपनी के सेहत से या लेना दे ना है ?
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BookValue या है ?

बु क वै यू को जानने से पहले आप से एक सवाल ह -


जब कसी कंपनी को एक नि चत समय पर बेचा जायेगा तो आप उस कंपनी के कु ल क मत का पता कैसे लगायगे ?
इसका जवाब है बु क वै यू (Book Value per Share) , आपने एकदम सह पढ़ा |
Book Value (बु क वै यू) कसी भी कंपनी या व तु क वह क मत होती है , जो एक नि चत समय पर उसे बेचने पर ा त होती है |
आइये इसे एक उदहारण क मदद से समझने क को शश करते है -
मान ल िजये एक कंपनी ABC है जो बंद होने के कगार पर है अब ऐसे समय म जब कंपनी के एसे स(Assets) जैसे जमीन , लांट ,
मशीन आ द को बेचा गया(100 करोड़ ) िजसे रज़व म जोड़ा तो 3500 करोड़ का हु आ |
कंपनी का शेयर कै पटल 25 करोड़ है मतलब शेयर कै पटल और रज़व 3525 करोड़ के है |
क पनी ने अपने उपर क सारे कज (debts) को चु काया जो लगभग 1025 करोड़ था |

तो क पनी ABC का कु ल क मत 3525 - 1025 = 2500 करोड़ हु आ, ले कन इस 2500 करोड़ को कंपनी के टोटल शेयर हो डर के
बीच म बांटने पर जो वै यू आएगी वह इस कंपनी का बु क वै यू होगा |

Book Value Formula

बु क वै यू कैलकुलेशन करना बहु त ह आसन है -

Share Capital + Reserves / Total Number of shares = Book Value


शेयर कै पटल + रज़व / कंपनी के कु ल शेयर = बु क वै यू

शेयर कै पटल + रज़व = 2500 करोड़


कु ल शेयर क सं या = 25 करोड़
2500 करोड़ / 25 करोड़ = 100 पये (बु क वै यू )
तो अब आप भी आसानी से इस फामू ला क मदद से कसी क पनी क बु क वै यू कैलकुलेट कर के दे ख सकते हो |

Face Value या है | Face value in Hindi

फेस वै यू (Face Value) या है ? Face Value का कारपोरे शन ए शन म या मह व है ? शेयर Split का फेस वै यू पर या


असर होता है ?
टॉक का Face value या अं कत मू य दखाता है क शेयर का वा त वक मू य शेयर माण प म या है | कॉप रे ट ए शन जैसे
ड वडड और शेयर ि प लट, फेस वै यू के आधार पर ह लया जाता है |
उदाहरण: य द क पनी ABC फाइन सयल इयर 2012-13 म फाइनल ड वडड 60 पये दे ती है वह कंपनी का फेस वै यू 5 पये है
तो क पनी ने 60/5= 12 अथात क पनी ने फेस वै यू (5) का 1200% ड वडड दया |
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Face Value of a share व Share Split

जब भी कोई शेयर ि प लट होता है तो कंपनी के शेयर का फेस वै यू बदल जाता है , कोई कंपनी शेयर ि प लट तब करती है जब उस
क पनी के शेयर का भाव बहु त यादा हो जाता है िजससे छोटे नवेशक भी कंपनी के शेयर कम दाम म खर द सके |
शेयर ि प लट के साथ ह शेयर का फेस वै यू बदल जाता है , आइये इसे उदहारण क मदद से समझने का यास करे |
मान ल िजये आपने क पनी ABC का 50 शेयर 200 पये के भाव म खर द रखे है िजसका फेस वै यू 10 पये है ले कन जब शेयर
ि प लट कया जायेगा तो आपके पास 100 पये के 100 शेयर हो जायगे और इसका फेस वै यू 5 पये का हो जायेगा |

Multibagger stocks या है | ऐसे खोज Multibagger stock

शेयर बाजार म इ वे ट करके आप पैसा कमाना चाहते है ले कन इसके लए आपको एक ऐसे टॉक क ज रत होगी जो आपको कई
गु ना तक का रटन दे सके, पर ऐसे टॉक या शेयर क पहचान या है जो आपको multibagger रटन दे |
Multibagger stocks या है ?
टॉक जो अपन खर द गय दाम से कई गु ना यादा रटन दे ते है उन stocks को multibagger stocks कहा जाता है |
multibagger stocks के फंडामटल काफ़ ग होते है इस लए ऐसे टॉक म नवेश करना इ वे टस के लए फायदे मंद होता है |
उदाहरण: अगर आपन कोई टॉक 200 के भाव पर ख़र दा है जो 5 साल के अंदर 2000 हो जाता है तो उसे 10 बैगर कहते है |
Multibagger stocks कैसे पता कर?
म अब 5 सी े स के बारे म बताने वाला हू ँ िजसको यान म रखकर multibagger stocks का पता लगा सकत है -
बज़नेस ोथ: आप अगर म तीबैगर टॉक क तलाश कर रह है तो आपको उस कंपनी क तलाश करनी चा हए िजसक यू चर
बजनेस म बहु त यादा ोथ होने वाल है |

जब भी आप कसी टॉक म इ वे ट करने का लान बना रहे है तो आपको सबसे उस टॉक के भ व य के यू चर बजनेस को यान
म रखना चा हए |
से स & ोड स: multibagger stocks को पहचानने का सबसे बेहतर न तर का है क आप क पनी के से स व ोड स को चेक
कर यो कं जब तक क पनी का ोड ट सह नह है तब तक से स नह बढ़े गा और अगर से स नह बढ़े गा तो क पनी का profit भी
नह ं बढ़े गा |
अतः से स बढ़ रहा है क नह यह पता करना आव यक हो जाता है |

अंदरवै यू ड टॉक ख़र दे : ऐसे टॉक िजनके फंडामटल काफ़ अ छे होते है पर कु छ वजह से अपने वा त वक मू य से कम दाम म
ै ड होते है उ ह undervalued stocks कहत है | अगर आप ऐस टॉक को खर दते है तो आपके multibagger रटन मलने के
चांसेस बढ़ जाते है |

कंपनी पर उधार: कंपनी का उधार कम से कम हो य क जब कोई जब कोई क पनी उधार लेकर काम करती है तो उसे अपने ो फट
से सबसे पहले लोन व याज चु काने पढ़ते है |
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अगर आपने कभी उधार लया होतो आप इसे अ छे से समझ सकते है |


रटन ओन इि वट : अगर क पनी का रटन ओन इि वट 25% या इससे यादा है तो यह एक अ छे टॉक क नशानी होती है |

NetWorth या होता है | Net Worth in Hindi

या आप जानते है ? Net worth या है ? आपक कतनी NetWorth है ? इसे कैलकुलेट करने के लए आप नीच दए Net worth
Formula का use करे |

Net Worth या है

Net worth को समझने के लए हम इसके दोन श द को अलग करगे -


Net = शु
Worth = स प त
अथात इसका मतलब शु स प त है
नेट वथ कसी यि त या कंपनी क संपि त और दा य व के बीच का अंतर है ।
इसका उपयोग तो क पनी, यि त , सं था आ द के साथ कया जाता है जो उस क पनी , यि त या सं था के आ थक ि थ तय
को बताता है |
अब सवाल ये उठता है क क पनी, यि त या सं था क शु स प त या होती है |
क पनी, यि त या कसी सं था का Net worth उनक कु ल स प त (Total Asset) म कु ल दा य व (Total Libelities) म घटाने
से ा त होता है |
आपने अ सर तरह तरह के मा यम से चाहे वह ट वी , रे डयो, या फर समाचार प म हो, कसी क पनी , फ म टास , पो स
पसन( खला डय ) के Net worth के बारे म सु ना होगा |
अगर आप कसी क पनी या से ल ेट ज का आ थक ि थ त (Financial Position ) के बारे म जानना चाहते है तो आपको उस
क पनी या से ल ट ज का Net worth कैलकु लेट करना होगा |

Networth क गणना

Net worth क गणना करना बहु त ह आसान है अगर आपको जोड़ना व घटाना आता है तो आप आसानी से Net worth कैलकु लेट
कर सकते है |
नोट: यह फामू ला टॉक माकट क कसी कंपनी के नेट वथ को जानने के लए आप योग कर सकते है |

Net Worth = (Total Asset -Total Liabilities)


नेट वथ = कु ल स प त – कु ल दा य व

यहाँ पर आपको net worth कैलकुलेट करने के लए कु ल स प त व कु ल दा य व को जानना आव यक है य क इनके बना आप


कसी यि त या क पनी का नेट वथ नह नकाल सकते है |
कु ल स प त : सबसे पहले आपको सभी स प तय का ल ट बनाना होगा अगर आपने अ मताभ ब चन क डायलॉग सु नी हो "आज
मेरे पास गाड़ी है , बंगला है , बक बैलस है तु हारे पास या है " तो आप आसानी से कु ल स प तयो क ल ट बना सकते हो |
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कु ल स प त म जमीन , लांट , बक बैलस, इ वे टमट , गाड़ी, बंगला सब को शा मल कया है |


कु ल दा य व : कु ल दा य व म कसी भी कार का लोन (कार लोन , गो ड लोन , होम लोन आ द ) को शा मल कया जाता है |
उदहारण के लए हमने माना क एक कंपनी का कु ल स प त 1000 करोड़ है व कु ल दा य व 700 करोड़ है
तो उस क पनी का नेट वथ होगा =300 करोड़ = 1000 करोड़ – 700 करोड़
इस कार हम कह सकते है क उस क पनी क नेट वथ 300 करोड़ है |

Blue Chip Companies या है | Blue Chip in Hindi

टॉक माकट म नवेश करने वाला हर यि त कभी न कभी पेनी टॉ स व लू चप क पनी (Blue Chip Companies) के बारे म
ज र सु नता है तो आइये जानते है ये लू चप शेयर या है इससे पहले हमने पेनी टॉ स या है के बारे म चचा कर चु के है |
लू चप शेयस को जानने से पहले हम लू चप व लू चप कंपनी को समझना ज र है |
Blue Chip: अमे रका के एक खेल पोकर म लू चप (कॉइन या स का ) श द का योग कया जाता था िजसमे इस लू चप सबसे
क मती होता था |
Blue Chip Companies: Share Market म लू चप क पनी उन क पनी को कहा जाता है जो मड कैप या लाज कैप के अंदर
आते है िजन पर नवेशक का बहु त यादा भरोसा करते है |ऐसी क पनी के शेयर खर दना नवेशक को रे गु लर लाभ दे ता है य क
ये क प नयां अपने इंड क सबसे टॉप क प नय म से एक होती है |बाजार म उतार चढ़ाव आते रहते है तो आज जो क पनी
Blue chip है वह यू चर म Blue Chip Companies ह हो ऐसा ज र नह है |
लू चप टॉक व तीय दशन के लंबे इ तहास के साथ बहु त बड़ी और अ छ तरह से मा यता ा त कंप नय के शेयर ह। इन शेयर
को बाजार क क ठन प रि थ तय को सहन करने और अ छे बाजार क ि थ त म उ च रटन दे ने क मता के लए जाना जाता
है । लू चप टॉक म आम तौर पर उ च लागत होती है , य क उनक अ छ त ठा होती है और वे अ सर अपने उ योग म बाजार
के नेता होते ह। बाजार पू ंजीकरण के अनु सार, आज भारत क मु ख लू चप कंप नयां टे ट बक ऑफ इं डया (SBI), भारती एयरटे ल,
टाटा कंस टसी स वसेज (TCS), कोल इं डया, रलायंस इंड ज, HDFC बक, ONGC, ITC, सन फामा, गेल (भारत) ह। ,
इंफो सस, और आईसीआईसीआई बक।

Blue Chip Stocks या है - लू चप क पनी व लू चप शेयस एक दु सरे से स बं धत है अथात शेयर बाज़ार म Blue Chip
Companies के शेयस को ह लू चप टॉक बोला जाता है | लू चप शेयस म आपको कु छ वशेषताएं दे खने को मलती है |
जैसेः
 अपनी इंड का सबसे बढ़ा क पनी हो सकती है |
 माकट कैप के आधार पर मड कैप व लाज कैप के अंदर आती है |
 इन क प नय का मैनेजमट और साख अ छा होता है |
 लू चप क पनी नय मत तौर पर ड वडड क घोषणा करती है |
Blue Chip Stocks से नवेशक को भरोसा
लू चप क पनी पर नवेशक का भरोसा यादा होने क एक वजह इन क प नय से नय मत तौर पर लाभ पाना है |
लू चप क प नयां म लगातार ड वडड दया जाता है िजससे नवेशक इन क प नय क ओर आक षत होते है
इसम Liquidity यादा होती है य क यू यू अल फं स क प नयां और Foreign Investor Institutions (FIIs) का यादातर
नवेश होता है |
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वारे न बफे के 9 बेहतर न ट स


1. वै यू इनवेि टं ग- उ चत वै यू एशन पर ह कर खर ददार
वै यू इनवेि टं ग, टॉक चु नने का मैथड है. इसका मतलब है क आप उन कंप नय के शेयर चु न िजनक आमदनी,
ड वडड, बु कवै यू और कैश लो को दे खते हु ए फंडामटल काफ मजबू त ह, ले कन वह अंडरवै यू ड हो या ये कह िजनक
क मत म बढ़त क संभावना है.
2. वा लट रखती है मायने
वा लट बजनेस म ोथ और कंपाउं ड कैश लो क संभावना यादा होती है . वह ं, लो- वा लट बजनेस अमू मन डू ब
जाते ह. ऐसे म माकट मैनेजस भी आपको नह ं बचा पाते. हमेशा ऐसे का बल मैनेजस को साथ रखना चा हए, िजनके हत
आपसे मलते ह .
3. न हो डायवस फाई
ऐसा नवेश कर जो पू र िजंदगी के लए हो, जो आपको हमेशा ॉ फट दे ता रहे . अवसर पर हमेशा नजर रख, जो दु नया
म कह ं भी मल सकते ह. अवसर कसी अनपे त इंड म भी हो सकते ह.
4. स करने क मता रख
सामंज य और स काफ ज र होते ह. यादातर नवेशक अपने दु मन खु द ह होते ह. सहनशीलता या स करने क
मता फायदा दे ती है.
5. उतार-चढ़ाव दे ते ह अवसर
कंपनी को दे खते हु ए नवेश पर यादा खच या अनु मान से यादा का भु गतान करना, जो खम कहा जा सकता है . वै यू से
यादा क मत म उतार-चढ़ाव होता है , ले कन क मत म उतार-चढ़ाव ( ाइस वोले ट लट ) अवसर दे सकता है .
6. मौका न हो तो न कर इनवे ट
ऐसी घटना कभी भी हो सकती है, िजसक उ मीद नह ं हो. इसके लए हमेशा तैयार रहना चा हए. आप नवेश से जु ड़ी
कुछ गल तयां कर सकते ह और उसके बावजू द कामयाब हो सकते ह. सह मौका नह ं मल रहा है तो कैश रखने म
समझदार होती है .
7. इनवे टमट से यादा अहम है रटन
ये मायने नह ं रखता क आप पि लक कंपनी, ाइवेट कंपनी, डेट, फेड शेयर या इि वट म से कहां नवेश कर रहे ह.
इनवे टमट के तर के से यादा उससे मलने वाला रटन यादा अहम होता है.
8. ज र है प टवा दता
अपनी गल तय को पहचानना, ढ़ता के साथ आगे बढ़ना और गल तय से सीखना ज र है . जैसे क अ छ राइ टंग
आपक सोच को बेहतर बना सकती है. ऐसा शेयरहो डस के साथ भी होता है.
9. िजसे यार करते ह वो काम कर
शॉट-टम परफॉमस ेशर को ख म करने के लए लाइक-माइंडेड शेयरहो डस क तरह नवेश कर. वो काम कर, िजसे
आप यार करते ह और आपको पू र िजंदगी म ऐसा नह ं लगेगा क आपने एक भी दन काम कया है .
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शेयर बाजार क पा रभा षक श दावल

 आउटलु क : रे टग के साथ जु ड़ा हु आ यह श द भी भावी संभावनाओं को दशाता है । कंपनी/सं था या दे श का भ व य


या है अथवा इसक या संभावना है जैसे सवाल पू छते समय आउटलु क श द का उपयोग कया जाता है । आउटलु क
के आधार पर ह नवेश करने का नणय क पी को लया जाता है य क आउटलु क पॉिज टव, नगे टव या फर
टे बल (ि थर) हो सकता है । नवेशक के लए यह हतकारक है क वे नवेश करते समय कंपनी, सं था या दे श के
आउटलु क पर यान द।

 ऑडर बु क : कंपनी क ऑडर बु क म कतने ऑडर बकाया पड़े ह इसक जानकार के आधार पर कंपनी के काय
प रणाम, भ व य एवं ि थरता का अनु मान लगाया जा सकता है । कंपनी के पास ऑडर ह न ह या भरपू र ऑडर न
ह तो ऐसी ि थ त कंपनी के लए अ छ नह ं माना जाती, जब क नरं तर ऑडर मलने वाल तथा ऑडर बु क म
भरपू र ऑडर रखने वाल कंपनी क ि थ त सु ढ़ मानी जाती है । ऑडर बु क भरपू र होने का अथ यह है क कंपनी के
पास भरपू र काम है तथा भ व य म उसक आय नरं तर बनी रहे गी।

 आ ब े ज : एक शेयर बाजार से नधा रत शेयर क कम भाव पर खर दार ◌ी करके उसे दू सरे बाजार म ऊंचे भाव पर
बेच दे ने क वृ ि त को आ ब े ज कहा जाता है । उदाहरण व प बीएसई पर एबीसी कंपनी के शेयर 145.20 . के
भाव पर खर द कर उसी समय एनएसई पर 145.30 . पर बेच दे ने क या को आ ब े ज कहते ह। इस कार
आपको 10 पैसे का अंतर मलता है । ये सौदे एक ह समय कये जाते ह तथा इसम बड़ी सं या म सौदे कये जाते
ह। पु राने समय म एक ह समय पर एक ह ि प के अलग-अलग भाव हु आ करते थे परं तु अब ऑन लाइन े डं ग
सु वधा होने से इसक मा ा काफ घट गयी है । अब इस कार के सौद म भाव का अंतर काफ कम होता है, परं तु
भार मा ा म सौदे होने से इनम भरपू र लाभ अिजत होता है । इस कार का कारोबार करने वाल को आ ब े जर कहा
जाता है । कई बार एक ह कमो डट , करसी या स यु रट ज के तीन चार ए सचज पर अलग-अलग भाव अंतर पर
सौदे होते ह, िजसम एक बाजार से नीचे भाव म खर द कर दूसरे बाजार म ऊंचे भाव पर बेचा जाता है । यहां
मह वपू ण यह है क ये सौदे दोन ए सचज पर एक ह समय पर कये जाते ह। ोकर इस काम के लए वशेष
टॉफ रखते ह, जो बीएसई और एनएसई दोन पर भरपू र मा ा म सौदे करते रहते ह।

 आ ब े शन : इस श द का अथ आ ब े ज से काफ अलग है । आ ब े शन का अथ है ववाद का नपटान। जब ोकर


और ोकर के बीच या ोकर और ाहक के बीच कोई ववाद हो जाता है तो इस कार के ववाद को नपटाने के
लए म य थ क नयु ि त क जाती है, िजसे आ ब े टर कहा जाता है और उसके नपटान क या को आ ब े शन
ोसेस कहा जाता है । शेयर बाजार म ऐसे ववाद के नपटान के लए एक खास वभाग ए सचज के नयम एवं
उप नयम के तहत काय करता है । इस कार के मामल म आ ब े टर क नयु ि त ए सचज के नयम के अनु सार
होती है और उसके वारा दये गये नणय ोकर और ाहक पर लागू होते ह। इस या म आ ब े टर दोन प
को सु नने के बाद अपना नणय दे ता है ।

 ऑ शन (नीलाम) : शेयर बाजार म जब कोई नवेशक शेयर बेच दे ता है, परं तु समय पर उसक ड लवर दे ने म
वफल हो जाता है तो ए सचज क काय प त के तहत नवेशक के शेयर ड लवर दा य व को उतारने के लए
उतने ह शेयर का आव यक प से ऑ शन (नीलाम) कया जाता है । इस या म ऑ शन के ज रए उतनी
सं या के शेयर बाजार के वतमान भाव पर ोकर के वारा खर दे जाते ह और इसके भाव अंतर का बोझा नवेशक
से वसू ला जाता है । इसका कारण यह है क नवेशक ने अपने पास शेयर हु ए बना भी उनको बेच दया था। हमने
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इसके पहले शाट से स (खोट ब ) क चचा क थी। उसम भी शाट से स करने वाले नवेशक को बाजार भाव पर
शेयर खर द कर ड लवर दे नी होती है, परं तु जब कोई नवेशक वे छा से ऐसा नह ं करता है तो बाजार के नयम
के तहत टॉक ए सचज वारा आव यक प से नीलामी के माफत उस सौदे का नपटान कया जाता है ।

 एलॉटमट : कंप नय के सावज नक नगम (आईपीओ) के दौरान नवेशक वारा कये गये आवेदन पर मले हु ए
शेयर को शेयर एलॉटमट कहा जाता है ।

 एसट ट : स यो रट ज ांजे शन टे स को सारांश म एसट ट कहते ह। सरकार के `कर नयम` के अनु सार शेयर
स यु रट ज के येक सौदे पर एसट ट लागू होता है । सरकार को इस माग से त दन भार राज व मलता है । यह
`कर` ोकर को भरना होता है हालां क ोकर इसे अपने ाहक से वसू ल लेते ह। येक कां े ट नोट या बल म
ोकरे ज के साथ-साथ एसट ट भी वसू ला जाता है ।

 एफआईआई : शेयर बाजार को नचाने वाला, बाजार क चाल नधा रत करने वाला यह श द बाजार से संबं धत
समाचार म बार-बार सु नने को मलता है । ायः इस बात पर आप अपना यान दे ते ह क एफआईआई क लवाल
या बकवाल के कारण बाजार का यह हाल हु आ। एफआईआई, या न क फॉरे न इंि ट यु शनल इ वे टर अथात वदे शी
सं थागत नवेशक। ये सं थागत नवेशक अंतररा य तर पर होते ह। ये अपने वयं के दे श के लोग से बड़ी मा ा
म नवेश के लए धन एक त करते ह और उनका अनेक दे श के शेयर बाजार म नवेश करते ह। इन सं थागत
नवेशक के ाहक क सू ची म सामा य नवेश से लेकर बड़े नवेशक - पशन फंड आ द होते ह, िजसका एक त
धन एफआईआई अपनी यू हरचना के अनु सार व वध शेयर बाजार क तभू तय म नवेश करके उस पर लाभ
कमाते ह और उसका ह सा अपने ाहक को पहु ं चाते ह। चू ं क इन लोग के पास धन काफ वशाल मा ा म होता
है और ाय: ये भार मा ा म ह लेवाल या बकवाल करते ह िजससे शेयर बाजार क चाल पर सीधा भाव पड़ता
है । भारत म तो अभी उनका ऐसा वच व है क लगता है शेयर बाजार को वे ह चलाते ह। वष 2008 म
जब अमे रका म आ थक मंद आयी थी तब इस वग ने भारतीय पू ंजी बाजार से अपना नवेश नरं तर नकाला था,
िजससे भारतीय बाजार म भी गरावट होती गयी। कसी भी एफआईआई को भारतीय शेयर बाजार म नवेश करने से
पहले अपना पंजीकरण भारतीय तभू त एवं व नमय बोड (सेबी) तथा भारतीय रजव बक के पास करवाना होता है
तथा इनके नयम का पालन करना होता है । वतमान समय म सेबी के पास 1100 से अ धक एफआईआई पंजीकृ त
है ।

 ए सपोजर : साधारण श द म इसे जो खम कहा जा सकता है । जब कोई नवेशक कसी कंपनी म नवेश करता है तो
यह कहा जाता है क उ त नवेशक ने कंपनी म ए सपोजर लया है । ए सपोजर मा कंपनी म ह नह ं बि क
संपू ण उ योग या अथतं म भी लया जाता है । जब कोई नवेशक अ य दे श म नवेश करता है तो कहा जाता है
क उसने उस दे श के अथ तं म या उस दे श क कंप नय , उ योग म ए सपोजर अथात जो खम ल है । वायदे के
सौद म यह श द काफ उपयोग म लाया जाता है य क जब कोई े डर यु चर कां े ट करता है तब वह भ व य
क जो खम लेता है । यि त जब भी कोई नवेश करता है तब उसके मू य म घट-बढ़ क संभावना होने से उस
नवेश का ए सपोजर कहा जाता है ।

 बे ट बाई : जो शेयर खर दने के लए उ तम माने जाते ह या िजन शेयर का खर दार के लए उ तम भाव माना
जाता है उ ह ``बे ट बाई`` कहा जाता है । ये कंप नयां े ठ ह अथवा भ व य म उनका भाव अपने वतमान भाव से
बढ़ने क संभावना होती है ऐसी ि प या शेयर को बे ट बाई के प म गना जाता है । अनेक बार एना ल ट
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व यमान ि थत के आधार पर कसी शेयर को बे ट बाई कहते ह, उस समय उन कंप नय का शेयर भाव बढ़ने क
बल संभावनाएं रहती ह।

 लू चप : शेयर बाजार क े ठ - मजबू त कंप नय के लए यह श द उपयोग म लाया जाता है । कसी कंपनी का


लू चप होने का अ भ ाय यह है क उसके शेयर नवेशक के लए पसंद दा शेयर ह। इस कार क कंप नय म
सौदे भी काफ होते ह, उतार-चढ़ाव भी काफ होता है और उनम नवेशक का आकषण भी खू ब बना रहता है।

 बो ट (बीएसई (बांबे टॉक ए सचज) ऑन लाइन े डं ग : बो ट अथात तभू तय क ऑनलाइन न आधा रत


े डं ग सु वधा उपल ध कराने वाला ट मनल। बीएसई के सद य को ए सचज क तरफ से इस ट मनल क सु वधा
उपल ध करायी जाती है ।

 बबल : पछले कुछ वष से यह श द भी संपू ण व व म च च≤ है वशेषकर बाजार म जब कोई भी करण खु लता है


तो उसे ``बबल ब ट`` हु आ है ऐसा कहा जाता है । बबल अथात बु लबु ला और ब ट अथात फटना। जब कसी शेयर का
भाव बु लबु ले क तरह फूलता रहे और एक सीमा पर आने के बाद धड़ाम से गर जाये तो इसे बु लबु ला फूटना कहा
जाता है ।

 करे शन : शेयर बाजार क दै नक रपोट म इस श द का उपयोग होता रहता है । बाजार खू ब बढ़ गया हो और एक


नि चत ऊंचाई पर पहु ं चने के बाद तेजी के झा◌ान के बीच जो गरावट दज क जाती है उसे बाजार म करे शन
कहा जाता है । उदाहरण के लए शेयर बाजार य द नरं तर 4 दन एकतरफा बढ़ता रहे और पांचवे दन उसम गरावट
आ जाये तो उसे करे शन के नाम से जाना जाता है । समय-समय पर इस कार का करे शन बाजार के वा य के
लए अ छा तीक माना जाता है । नरं तर एकतरफा बढ़ते रहने वाला बाजार जो खमपू ण हो जाता है िजसम आगे
जाकर एक साथ भार गरावट क संभावनाएं बढ़ जाती ह।

 काप रे ट ए शन : कंपनी वारा जब कभी भी शेयरधारक या बाजार से संबं धत कोई नणय लया जाता है तो उसे
काप रे ट ए शन कहा जाता है । उदाहरण के लए लाभांश / याज का भु गतान, राइट / बोनस इ यू, मजर/ डमजर, बाई
बैक, ओपन ऑफर जैसी बात काप रे ट ए शन कह जाती ह।

 कां े ट नोट : शेयर बाजार म सौदे करते समय कां े ट नोट का काफ मह व है । आप िजस शेयर ोकर के ज रये
शेयर क खर द ब कर, उससे हर बार कां े ट नोट लेने का आ ह कर। आपके शेयर के सौदे कस समय तथा
कस भाव पर हु ए, उस पर कतनी दलाल , स यु रट ांजे शन टै स, स वस टै स लगा है इन सबका उ लेख
कां े ट नोट म होता है । आपको ोकर से सौदे के 24 घंटे के भीतर कां े ट नोट मल जाना चा हए, परं तु सामा य
प से ोकर इसम 3-4 दन लगा दे ते ह। कां े ट नोट पाना आपका अ धकार बनता है और यह आपके सौदे का
द तावेजी मा णत माण भी है । य द कसी कारण से आपका ोकर वफल हो जाये और आपको अपने सौदे के
शेयर या उसक रकम उससे लेनी नकलती है तो इस कां े ट नोट के आधार पर ह ◌ी आप अपना दावा पेश कर
सकते ह। ोकर के वफल होने पर ए सचज कां े ट नोट के आधार पर ह आपका दावा मा य करता है, िजसम
आपको ए सचज क तरफ से 10 लाख पये तक क सु र ा मलती है । ऐसी ि थ त म कां े ट नोट ह मा ऐसा
द तावेज है जो आपके दावे का आधार बनता है । ऐसा न होने पर आपका दावा वैध नह ं माना जायेगा। अतः ोकर
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के साथ यवहार करते समय कां े ट नोट लेने का आ ह कर, इसक उपे ा न कर तथा इसे संभाल अपने पास रख।
याद रख इस कां े ट नोट पर ोकर का सेबी पंजीकरण मांक होना भी आव यक है ।

 कॉन रंग : जब कोई नि चत यि त या ु प कसी शेयर वशेष क खर दार करके उस पर एका धकार जमाने के
लए इकù◌ा करता है तो इसे उस शेयर क कॉन रंग हो रह है, ऐसा कहा जाता है । ऐसा करने के अनेक कारण हो
सकते ह परं तु यह बात नि चत है क ऐसा करने के पीछे उ त समू ह या यि त क उस शेयर म च है ।

 कंसट ऑडर : तभू त बाजार म यह श द पछले एक-दो वष से च लत हु आ है । बाजार का कोई भी म य थती -


खलाड़ी नी त नयम का उ लंघन करता है तब उसके व कारवाई क जाती है । उ लंघन करने वाल ह ती
अपना अपराध वीकार न करे तो वह अपना ववाद सेट, हाई कोट और सु ीम कोट तक ले जा सकता है । ऐसा करने
पर उसे काफ खच करना पड़ सकता है तथा समय भी काफ बबाद हो सकता है । य द कोई ह ती इन लंबी कानू नी
याओं से बचना चाहे तो वह अपनी भू ल वीकार कर लेता है और सेबी उस पर नधा रत आ थक दं ड लगाकर
एक कंसट ऑडर जार कर दे ती है । ऐसा करने से समय और खच बच जाता है, जब क अपराधी को आ थक सजा भी
मल जाती है । हालां क वशेष कार के अपराध म ह कंसट ऑडर क सु वधा मलती है । गंभीर कार के अपराध
करके कंसट ऑडर के ज रए मु ि त नह ं पायी जा सकती। यायालय म ववाद के ढे र लगे हु ए ह तथा मामल के
नणय आने म वष लग जाते ह ऐसी ि थ त म कंसट ऑडर के ज रए मामल को नपटाना एक यवहा रक माग है ।
वदे श म यह था च लत है । सेबी वारा यह था शु करने के बाद अनेक मामल के नणय ज द हो पाये ह
और आ थक दं ड के प म इस या के ज रए काफ धन जमा हु आ है । इस रा श का उपयोग इ वे टर ोटे शन
या ए यू केशन पर कया जा सकता है ।

 ड लि टं ग : आईपीओ (पि लक इ यू ) के बाद िजस कार शेयर क शेयर बाजार म लि टं ग होती है उसी कार
अनेक बार कंप नयां अपने शेयर क शेयर बाजार से ड लि टं ग करवाती ह। शेयर ड लि ट हो जाने के बाद उनके
सौदे शेयर बाजार पर नह ं हो सकते। इस कार ड लि टं ग शेयरधारक एवं नवेशक के हत म नह ं है । ड लि टं ग
अलग-अलग कारण से होती है । कोई कंपनी ड लि टं ग करार का पालन नह ं करती है और ड लि टं ग क फ स नह ं
भरती है तब ए सचज पहले उसके शेयर को स पड कर दे ता है उसके बाद भी य द कंपनी नधा रत समय के अंदर
ड लि टं ग करार म व ण≤ शत का पालन नह ं करती है तो अंत म ए सचज उसके शेयर को ड लि ट करने क
नो टस दे दे ते ह। ऐसा होने पर भी य द कंपनी कोई उ तर न दे तो ए सचज उसके शेयर को अपनी सू ची से हटा
दे ती है । इस कार क ड लि टं ग एक सजा के प म या कारवाई के प म होती है, िजसका भोग उसके शेयरधारक
को भोगना पड़ता है, िजससे वे अपने शेयर के सौदे बाजार म नह ं कर सकते और शेयर क वा हता शू य हो जाती
है । जब क अनेक बार कंप नयां अपनी वै छा से ड लि टं ग कराती ह। ऐसा करते समय कंप नय को सेबी के
ड लि टं ग दशा- नदश का पालन करना होता है, िजसके तहत कंपनी को शेयरधारक के पास से वयं ह शेयर
खर दने पड़ते ह। इस कार वैि छक ड लि टं ग के मामले म उसके शेयरधारक को नु कसान सहन नह ं करना
पड़ता है ।

 डसइ वे टमट : यह श द पछले कु छ वष से अपनी अथ यव था और बाजार म च लत हु आ है । इ वे टमट का


अथ है नवेश करना जब क डसइ वे टमट का मतलब है नवेश खाल करना। सरकार अथात सावज नक े क
कंप नय क थापना सरकार ने क होती है , िजससे उस कंपनी का संपू ण मा लकाना हक सरकार के पास ह रहता
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है । बदलते समय और उदार करण के वातावरण म नजीकरण का दायरा बढ़ता जा रहा है । सरकार इन सावज नक
े क कंप नय से अपना ह सा ( नवेश) खाल करती है तो इसे डसइ वे टमट कहा जाता है । यह खाल कये
जाने वाला ह सा सरकार सावज नक जनता, नजी नवेशक , बक , सं थाओं आ द को ता वत करती है । इस कार
धन एक त करके सरकार उस रकम का उपयोग सामािजक वकास के काय म करती है । साथ ह सामा य
नवेशक को सावज नक े क इन कंप नय म अपनी ह सेदार लेने का अवसर मलता है । डसइ वे टमट के
बाद शेयर क टॉक ए सचज पर लि टं ग होती है और उसम सौदे भी होते ह। सरकार पछले कई वष से धीमी
ग त से डसइ वे टमट कर रह है । िजसके कारण ह अनेक सावज नक े क कंप नय के शेयर सू चीब ह, िजनम
ओएनजीसी, एनट पीसी, भेल इ या द कंप नय का समावेश है । वष 2010-11 के बजट म 40 हजार करोड़ .
डसइ वे टमट के ज रए एक त करने का ल य रखा गया है । हाल ह म सरकार क तरफ से डसइ वे टमट का
पहला चरण शु हु आ है िजसे यान म रखते हु ए बांबे टॉक ए सचज ने पीएसयू डॉटकॉम के नाम से एक अ
लग
वेबसाइट भी तैयार क है िजस पर पीएसयू के डसइ वे टमट से संबं धत आव यक जानका रयां उपल ध करायी गयी
है । द घाव ध के लए नवेश करने वाले नवेशक के लए ये कंप नयां े ठ मानी जाती ह। नवेशक को इस साइट
से ऐसी अनेक जानका रयां मल सकती ह जो उनके नवेश नणय म सहायक होती ह।

 डीपी ( डपॉिजटर प ट सपट) : शेयरधारक, कंपनी और डपॉिजटर क कड़ी अथात डीपी। बक, व तीय सं थाएं और
शेयर दलाल आ द डीपी बन सकते ह। िजस कार बक खातेधारक क रकम संभाल कर रखते ह उसी कार
डपॉिजटर नवेशक क तभू तय को इले ा नक व प म संभाल कर रखते ह। हमारे दे श म एनएसडीएल
(नेशनल स यु रट ज डपॉिजटर ल.) और सीडीएसएल (स ल डपॉिजटर स वसेज इं डया ल.) नाम क दो
डपॉिजटर ह। शेयर बाजार म सौदे करने के लए नवेशक को अपना डमैट खाता खु लवाना आव यक है । यह खाता
डपॉिजटर पा ट सपट के पास खु लवाया जाता है ।

 डाइव स फकेशन ( व वधीकरण) : शेयर बाजार ह नह ं नवेश जगत म भी यह श द काफ मह व रखता है । सभी अंडे
एक टोकर म नह ं रखे जाते, आपने यह कहावत तो सु नी ह होगी। इसी कार सारा नवेश एक शेयर म नह ं करना
चा हए बि क अलग-अलग शेयर म करना चा हए और इतना ह नह ं ये शेयर भी अलग-अलग उ योग से जु ड़ी
कंप नय के होने चा हए। इस कार व वध उ योग क कंप नय के शेयर म नवेश करना व वधीकरण कहलाता
है । ऐसा करने से नवेशक क जो खम घटती है, कारण क य द सारे अंडे एक ह टोकर म ह और वह टोकर गर
जाय तो सारे अंडे न ट हो जायगे। इसी कार सारा नवेश कसी एक ह कंपनी के शेयर म हो और दु भा यवश य द
उस कंपनी के साथ कु छ अनहोनी हो जाये तो नवेशक का सारा नवेश न ट हो सकता है । ऐसा करने के बजाय
व वध शेयर म नवेश होने से डाइव स फकेनशन का लाभ मलता है । िजसम य द कसी एक या दो कंप नय के
शेयर गर भी जाय तो अ य शेयर म कया गया नवेश उसक जो खम को कम कर दे ता है । अलग-अलग उ योग
के शेयर रखने के पीछे उ े य यह है क ायः कसी एक समय म सभी उ योग क कंपनी म मंद का दौर नह ं
रहता। एक उ योग म मंद होने पर दू सरे उ योग क तेजी का लाभ मल जाता है । हां, यह दू सर बात है क पू रे
व त बाजार म ह भार गरावट का दौर न आ जाय।

यहां यह बात भी समझानी ज र है क नवेश का डाइव स फकेशन मा शेयर तक ह सी मत नह ं रहना चा हए।


नवेशक को मा शेयर म नवेश करने से भी जो खम होती है । भले ह उसने अनेक कार के शेयर म नवेश कया
हो। पू रा शेयर बाजार ह मंद क चपेट म आ जाय तो या हो? नवेशक को अपने असेट का भी डाइव स फकेशन रखना
चा हए। िजसे दू सरे श द म असेट एलोकेशन भी कहा जाता है । सरल श द म कहा जाय तो नवेशक को शेयर के बाद
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सोना, चांद , ापट , बक या काप रे ट डपॉिजट, बां स, सरकार बचत योजनाओं इ या द म भी नवेश करना चा हए। ऐसा
करने से उसक संपू ण जो खम का वभाजन हो जाता है और वह अपने पू रे नवेश को खोने से बच सकता है ।

 डसगोजमट : यह श द उ चारण म काफ भार भरकम लगता है परं तु इसका अ भ ाय काफ सरल है । कोई भी
ह ती शेयर बाजार या पू ंजी बाजार म गैर यवहा रक तर के से घोटाले करके दू सर क रकम डकार ले तब सेबी ऐसे
मामल क जांच करके इन हि तय के पास से गैर यवहा रक तर के से कमाई गयी रकम वसू ल करने का अ धकार
रखती है । इस उ े य से सेबी डसगोजमट ऑडर जार करती है । इस कार क वसू ल को डसगोजमट कहा जाता है ।
ताजा उदाहरण के प म इस श द को समझ तो वष 2003- 2005 के दौरान अनेक आईपीओ म बेनामी डमैट
एकाउं ट खु लवाकर मि टपल आवेदन करके अनेक लोग ने अनु चत लाभ कमाया। चू ं क उस समय बाजार तेजी पर
था और आईपीओ म शेयर पाने वाले लोग को सेकडर बाजार म लि टं ग के बाद अ छा लाभ मलता था। बेनामी
मि टपल आवेदन के कारण छोटे आवेदक आईपीओ म शेयर पाने से वं चत रह गये थे। सेबी ने लंबी जांच के बाद
ऐसे अनेक लोग के पास से उनके वारा गैर यवहा रक तर के से कमाई गयी रकम डसगोज (वसू ल) क और अ ैल
के शु आत म इस वसू ल क गयी रकम को मु आवजे के प म उन लोग म बांटा जो आईपीओ म उ त शेयर ा त
करने से वं चत रह गये थे। भारतीय पू ंजी बाजार के इ तहास म ऐसा पहल बार हु आ। भारत के व त मं ी के हाथ
नवेशक को मु आवजे के चेक दये गये। इस कार डसगोजमट श द ज र भार है, ले कन नवेशक के लए
लाभदायी एवं राहत भरा है । इस उदाहरण से नवेशक म स टम तथा बाजार के त व वास बढ़ना वाभा वक है ।
सेबी अपने इस अ धकार से उन लोग पर अंकुश बनाये रख सकती है, जो बाजार म गैर कानू नी और गैर यवहा रक
तर के से लाभ कमाना चाहते ह।

 ड लोजर : यह श द सेबी के नयम से लेकर शेयर बाजार व तमाम नी त - नयम म उपयोग कया जाता है।
साधारण अथ म इसका अथ है खु लासा करना अथात ड लोज करना। इस श द का पू ंजी बाजार म काफ मह व
है । इसके आधार पर ह नवेश का नणय लया जाता है । नवेशक को कंपनी तथा उसके म य थत के बारे म
आव यक जानका रयां समय-समय पर मलती रहे इसके लए सेबी समय-समय पर ड लोजर के नयम बनाती एवं
संशो धत करती रहती है । नवेश करने का नणय लेने म ये जानका रयां काफ मह व रखती ह।

 इ यू अर : तभू तयां जार करने वाल कंपनी या सं थान को इ यू अर कहा जाता है । साधारण श द म शेयर या
तभू तयां जार करने वाल कंप नय या सं थाओं को इ यू अर कहा जाता है ।

 फंडामटल : शेयर बाजार या फर कंपनी से संबं धत रपोट म अनेक बार फंडामटल श द पढ़ने या सु नने को मलता
है । उदाहरण के तौर पर कंपनी के या बाजार के फंडामटल मजबू त ह या कमजोर ह इ या द-इ या द। फंडामटल
अथात मू लभू त त व या प रणाम। कंपनी ब , नफा, आय, मािजन, डमांड इ या द के संबंध मे◌े◌ं अ छा दशन
करती हो तो फंडामटल क ि ट से कंपनी मजबू त गनी जाती है । इसी कार अनेक कंप नय के प रणाम अ छे
आने पर या अ य उ साहवधक नी तय क घोषणा एवं अ छ ग त होने पर बाजार म सकारा मक झा◌ान
दखायी दे ता है तो यह आ थक जगत के मजबू त फंडामटल का आधार बनता है । नवेशक को पू ंजी बाजार म नवेश
करते समय कंप नय एवं बाजार के फंडामटल पर वशेष यान दे ना चा हए।

अनेक बार कंप नय का फंडामटल तो मजबू त रहता है, परं तु बाजार का फंडामटल कमजोर रहने से शेयर के भाव कम रह
सकते ह। नवेशक को ऐसे समय म कंपनी के फंडामटल को अ धक मह व दे ना चा हए।
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 गाइड स : कंपनी जब आगामी समय म होने वाले अपने संभा वत टनओवर या बजनेस या काय के संकेत दे ती है तो
उसे गाइड स कहा जाता है । ायः आईट (इंफॉमशन टे नोलॉजीज) कंप नयां इस श द का काफ उपयोग करती ह।
इंफो सस ने आगामी तमाह के लए अपना गाइड स जा हर कया था, िजससे उसके शेयर का भाव काफ चढ़ा, ऐसे
समाचार आपने पढ़े ह गे। कंपनी के भावी संकेत के आधार पर उ योग वशेष के संकेत का अनु मान भी लगाया जा
सकता है ।

 गाइड लाइन अथात माग रे खा : सेबी शेयर बाजार अथवा बाजार के म य थत के लए जब-जब भी नी त- नयम
जा हर करती है तो उसे माग रे खा कहा जाता है, इनका पालन करना आव यक होता है । दू सरे श द म इसे शत एवं
नयम भी कहा जा सकता है ।

 केवाईसी (नो योर लाइंट / क टमर) : वतमान समय म केवाईसी एक ज रत बन गया है वशेषकर बक एकाउं ट,
शेयर ोकर के पास े डं ग एकाउं ट या फर डमैट एकाउं ट खु लवाते समय केवाईसी का उपयोग होता है । बेनामी तथा
गैरकानू नी वृ ि त का धन बाजार म वेश न कर पाये इसके लए यह नयम लागू कया गया है । `नो योर लाइंट`
अथात आप अपने ाहक को जानो-पहचानो। दू सरे श द म कह तो ाहक वा तव म अि त व म है या नह ं, इसक
जांच करना ज र हो गया है । काला धन, अपराध व अंडरव ड का धन, हवाले का धन आ द ब कं ग व शेयर बाजार
के मा यम से वेश कर रहा है ऐसी शंका या भय के आधार पर सरकार ने इस पर अंकुश लगाने के लए केवाईसी
का पालन करना आव यक बनाया है । इससे पहले आईपीओ घोटाले के समय बोगस डमैट और बक एकाउं ट खु लवाने
के करण काश म आये ह, िजनम क वा तव म कोई खाताधारक होता ह नह ं था और अनेक बेनामी और बोगस
खाते खु ल गये थे। इसके बाद सेबी ने पू ंजीबाजार म केवाईसी आव यक करने का नणय लया जो यु यु अल फंड के
लए भी लागू हो गया है ।

 लि टं ग : सावज नक नगम म आवेदक को शेयर आबं टत करने के बाद उन शेयर को शेयर बाजार क े डं ग सू ची
पर सू चीब करवाया जाता है । इसे शेयर क लि टं ग कहा जाता है ।

 लि व डट ( वा हता) : शेयर बाजार म पये क आपू त अ धक हो और बढ़ते हु ए भाव म भी नरं तर लवाल बढ़ती
रहे तो बाजार म वा हता अ धक है ऐसा माना जाता है । इसका एक अथ यह भी है क ले-बेच दोन नरं तर होती
रहे और उनम वा यू म भी काफ हो तो लि व डट अ छ कहलाती है । बाजार म तेजी के लए अ छ लि व डट
होना मह वपू ण है । मंद म लि व डट कम हो जाती है अथवा कम लि व डट हो◌ेने पर बाजार म मंद आ जाती
है । अनेक बार बाजार म अ धक लि व डट के कारण भाव काफ बढ़ने लगते ह िजससे बाजार म जो खम बढ़ जाती
है । भारतीय रजव बक समय-समय पर बाजार म लि व डट को अंकु श म रखने के लए कदम उठाती रहती है ।

 लु ढ़कना (एक ह दन म भार गरावट) : शेयर बाजार का इंडे स ससे स या फर न ट य द एक ह दन म काफ


गर जाये तो इसे लु ढ़कना अथात भार गरावट कहा जाता है । सामा यतः एक ह दन म 400-500 अंक क
गरावट बाजार के लु ढ़कने या फर इतने ह अंक क वृ बाजार के उछलने का तीक माना जाता है ।

 माकट े थ : बाजार क चाल एवं वृ ि त को दशाने वाल बात को माकट े थ कहा जाता है । शेयर बाजार म जब
यह जानना हो क बाजार क चाल सकारा मक है या नकारा मक तो इसका अनु मान नकालने के लए माकÀट
े थ को दे खना चा हए। ए सचज पर सू चीब कंप नय म से िजतनी भी कंप नय के दन भर के दौरान सौदे होते
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ह उनम से बढ़ने वाल और घटने वाल दोन ि प होती ह। य द बढ़ने वाल ि प क सं या अ धक हो तो


माकÀट े थ पॉिज टव और य द घटने वाल ि प क सं या अ धक हो तो माकÀट े थ नगे टव कह जाती है ।
उदाहरण व प बीएसई पर सू चीब कंप नय म य द कसी दन 2500 ि प म सौदे हु ए ह और उसम से 1500
ि प के भाव बढ़े ह और 1000 ि प के भाव घटे ह माकÀट े थ पॉिज टव अथात सकारा मक कह जाती है ।
इसके वपर त होने पर माकट े थ नगे टव अथात नकारा मक कहलाती है । बाजार का झा◌ान जानने के लए
नवेशक को घटने वाल और बढ़ने वाल ि प पर यान दे ना चा हए। यह सं या शेयर बाजार क वेबसाइट पर
उपल ध है । बीएसई और एनएसई दोन क वेबसाइट पर माकट े थ रोज-रोज ऑन लाइन दे खने को मलती है ।
ससे स क 30 ि प म से 25 ि प बढ़ ह और 5 घट ह तो ससे स क माकट े थ पॉिज टव कह जाती है ।
इसी कार येक इंडे स क अपनी -अपनी माकÀट े थ जानी जा सकती है ।

 लेज शेयर ( गरवी रखे गये शेयर) : कोई भी नवेशक या खु द कंप नय के मोटर शेयर को बक या अ य व तीय
सं थान के पास गरवी रखकर ऋण ले सकते ह। इस कार ऋण के लए बतौर गारं ट गरवी रखे गये शेयर को
लेज शेयर कहा जाता है । कंप नयां इस माग से शेयर गरवी रखकर ऋण सु वधाएं लेती ह और उसका उपयोग
कंपनी के वकास काय पर करती ह। ऋण लेने के लए यह एक आसान एवं अ छा माग है । परं तु स यम कं यू टर
घोटाले के बाद हु ई जांच म सेबी का यान इस तरफ गया क कंपनी के मोटर भार सं या म शेयर गरवी रखकर
धन इकù◌ा करके उसका अ य उपयोग कर लेते ह, िजससे कंपनी को कोई फायदा नह ं होता। इस वषय म
पारद शता के अभाव म नवेशक को इस स चाई का पता नह ं लग पाता है क मोटर क कंपनी म कतनी
शेयरधा रता है य क मोटर क शेयरधा रता ह इस बात का संकेत है क मोटर का कंपनी के साथ कतना हत
जु ड़ा हु आ है । स यम घोटाले के उजागर होने के बाद ह सेबी ने समय-समय पर मोटर वारा गरवी रखे गये
उनके ह से के शेयर क जानकार घो षत करने का दशा- नदश जार कया। नवेशक को मोटर क शेयरधा रता
पर यान रखना चा हए।

 ॉ फट बु कं ग : शेयर बाजार म यह श द सबसे अ धक मह व का है, जो क न केवल समझाने के लए मह वपू ण है


बि क इसका अमल भी मह वपू ण है । जब आप कोई शेयर 45 . के भाव पर ल और एक-आधे वष बाद उसका भाव
85 . हो जाये और आप यह शेयर बेचकर नफा कर ल तो इसे ॉ फट बु कं ग कहा जाता है । सामा यतः नवेशक
लालच म इतना आकषक लाभ मलने पर भी और अ धक बढ़ने के लालच म उन शेयर को बेचकर ॉ फट बु क नह ं
करते, िजससे अनेक बार फर से भाव घट जाने पर या तो उनका नफा जाता रहता है या वे नु कसान म भी जा
सकते ह। जब तक आप 45 . का शेयर 85 . म बेचते नह ं ह तब तक आपका वह नफा सफ कागज तक ह
सी मत रहता है । वा तव म उसे बेचकर उसक रकम ा त करने पर ह आप ॉ फट हा सल कर सकते ह। नवेशक
को कौन सा शेयर कस भाव पर नकाल कर अपना ॉ फट बु क कर लेना चा हए, इसक समझा होनी ज र है।

 पेनी टॉ स : िजन शेयर का भाव पैस म अथात 10 पैसे से लेकर 90 पैसे तक या फर 1 पये - 2 पये म
बोला जाता हो उ ह पेनी टॉ स कहा जाता है । ऐसी कंप नयां ब कु ल घ टया दज क मानी जाती ह तथा इनके
शेयर का कोई खर दार नह ं रहता। ायः ऐसी कंप नयां जेड ु प म रहती ह और इन कंप नय म अ धकांशत :
सटो रयो या ऑपरे टर ह सा लेते ह। अपवाद व प अनेक बार ऐसी कंप नय म भी कोई कंपनी ऐसी होती है जो
टनअराउं ड हो सकती है ।
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 पीबीट : ॉ फट बफोर टे स - अथात सरकार को चु काये जाने वाले कर के भु गतान के पू व का लाभ। पीबीट वह
मु नाफा है िजसम सरकार को चु काये जाने वाले कर (टै स) का समायोजन नह ं कया गया होता है ।

 रकवर : यह करे शन से ब कु ल वपर त ि थ त दशाती है अथात नरं तर घटते हु ए बाजार म जब गरावट क


जाये और बाजार बढ़ने लगे तो इसे रकवर कहा जाता है । बाजार एक साथ घटता ह रहे तो इसे मंद गना जाता है
परं तु मंद के कुछ दन के बाद बाजार म सु धार हो तो उसे रकवर कहते ह। िजस कार कसी बीमार आदमी के
वा य म दवा लेने के बाद कु छ सु धार हो तो उसे रकवर कहते ह उसी कार गरते हु ए बाजार म सु धार होने पर
रकवर कहा जाता है ।

 र लि टं ग : ड लि टं ग क तरह ह एक श द है र लि टं ग। जब कोई कंपनी एक या अनेक कारण से नयम का


उ लंघन करने पर ड लि ट कर द जाती है तो उसके बाद वह कंपनी फर से उन नयम का पालन करके ए सचज
म अपने शेयर फर से ल ट करवा लेती है । इस कार दु बारा सू चीब हु ई कंप नय के लए र लि टं ग श द का
योग होता है । नवेशक के लए यह खु शी क बात होती है य क िजस कंपनी के शेयर मा कागज के टु कड़े रह
गये थे उनम फर से वा हता आ जाती है, उ ह खर दा-बेचा जा सकता है ।

 रोल बैक : अभी हाल ह म बजट के बाद व त मं ी के मु ंह से यह श द बार-बार बोला गया। इसका अथ यह है क
उठाया गया कदम पीछे नह ं लेना अथात जो नणय ले लया गया वह ले लया गया, उसे वापस नह ं लया जायेगा।
उदाहरण के लए पे ोल क भाव वृ घो षत करने के बाद व त मं ी ने कहा क उसका रोल बैक नह ं होगा तो
इसका अथ यह हु आ क भाव वृ क घोषणा वापस नह ं ल जायेगी।

 रे यु लेशन : इस सरल श द का अथ इ सलये समझाना ज र है क अ धकांश लोग रे यु लेश स को नयं ण (कं ोल)
मानते ह, जब क वा तव म रे यु लेशन नयमन है । ऐसे तो इन दोन क भू मका एक जैसी लगती है परं तु वा तव म
ये कह ं अलग भी ह। कं ोल म वा म व का भाव रहता है, जब क नयमन म नयम का पालन करवाने का इरादा
होता है । सेबी नाम क पू ंजी बाजार क नयामक सं था शेयर बाजार, शेयर ोकर, यु यु अल फंड आ द का नयमन
करती है । संबं धत हि तय से नयम का पालन करवाने क जवाबदार का नवाहन करवाना नयमन है ।

 र च रंग : सामा य अथ म इसका मतलब है पु नगठन। काप रे ट भाषा म कह तो जब कोई कंपनी खास उ े य के
साथ अपने घाटे म कमी लाने या लाभदा यकता बढ़ाने के यास व प जो कु छ फेरबदल करती है उसे च रंग
कहा जाता है । नवेशक को कंपनी वारा उठाये गये इस कार के कदम का यान से अ ययन करना चा हए।
इसका मु य उ े य कंपनी क ि थ त सु धारना होता है।

 रहे बलाइजेशन अथवा रवाइवल : जो कंपनी कंगाल होकर बीमार पड़ गयी हो तो उसके पु न थान क संभावना होने
पर इसका यास शु कर दया जाता है । इसके लए बीआईएफआर अपना मत य त करती है तथा कंपनी के
बंधन को ऐसा करने के लए उ चत समय दे ती है । ऐसी कंप नय के पु न थान क या पर नवेशक को यान
रखना चा हए और उसके आधार पर नवेश करने का नणय लेना चा हए। हालां क ऐसी बीमार और पु न थान क
संभावनाओं वाल कंप नय के भाव काफ गर जाते ह और उनम सौदे भी नाम मा के होते ह, परं तु य द कोई
मजबू त ु प ऐसी कंपनी को संभालने के लए तैयार हो जाये तो कंपनी के शेयर का भाव रकवर हो सकता है । ऐसी
कंप नय म जहां नवेश जो खम भरा होता है वह ं इनम लाभ क संभावनाएं भी रहती है ।
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 रे टंग : कंपनी के व तीय प रणाम, काय प रणाम, ै क रकॉड आ द के आधार पर कंपनी क तभू तय या कंप नय
को रे टंग दान क जाती है, जो कंपनी क साख एवं पा ता का तर दशाती है । कंपनी या सं थाओं के अ त र त
दे श को भी रे टंग उपल ध करायी जाती है । उदाहरण व प टडड एंड पु अर (एस एंड पी), मू डीज जैसी सं थाएं दे श
क सम आ थक ि थ त के आधार पर संबं धत रा को भी रे टंग दान करती ह। समय-समय पर मौजू दा
ि थ तय के अनु वत रे टंग को अप ेड या डाउन ेड कया जाता है । कसी दे श क रे टंग ऊंची और अ छ होती है
तो व व के अ य दे श के नवेशक उ त दे श के उ योग धंध म नवेश करने के लए े रत होते ह।

 स कट ेकर : स कट फ टर ि प पर लागू होता है जब क बाजार के इंडे स पर स कट ेकर लागू होता है । इंडे स


दन के दौरान कतने अंक या तशत बढ़ या घट सकता है इसक मयादा को नयं त रखने के लए स कट े कर
लागू कया जाता है । आपने कई बार सु ना होगा क ससे स या न ट नि चत तशत टू टने (घटने) के कारण
बाजार कु छ समय के लए बंद कर दे ना पड़ा। स कट ेकर का उपयोग बाजार को तेज ़ डय और मंदे ़ डय क गर त
से बचाने के लए कया जाता है ता क एक ह दन म भार मा ा म उतार-चढ़ाव न हो सके। समय-समय पर स कट
ेकर क सीमा म फेरबदल कया जाता है ।

 स कट फ टर : कसी भी ि प का भाव एक ह दन म अनाव यक प से घटे या बढ़े नह ं◌ं अथवा कोई ऑपरे टर


खलाड़ी ऐसा न कर सके इसके लए टॉक ए सचज येक ि प के उतार-चढा]व (चंचलता) को अंकु श म रखने के
लए स कट फ टर का तर का अपनाती है । शेयर के भाव के साथ कोई नरं कुश होकर छे ड़खानी न कर सके इस
उ े य से शेयर बाजार व वध स कट फ टर नधा रत करता है, जो क 20 तशत क रज म होती ह। जो ि प
िजतनी यादा चंचल होती है उसे अंकु श म रखने के लए कम तशत से स कट फ टर लागू कया जाता है,
जब क कम चंचलता वाल ि प पर स कट फ टर का तशत अ धक होता है । ए सचज स कट फ टर क सीमा
म समय-समय पर प रवतन करता रहता है । उदाहरण के बतौर एबीसी कंपनी पर य द 5 तशत क दर से स कट
फ टर लागू है तो कसी एक काय दवस म उस कंपनी के शेयर का भाव अ धकतम या तो 5 तशत बढ़ सकता
है या 5 तशत घट सकता है इससे अ धक क घट-बढ़ होने पर उस कंपनी के उस दन सौदे नह ं हो सकते। यह
स कट फ टर एक दन के लए लागू होता है । अगले काय दवस उसे फर से नये सौदे करने क अनु म त मल
जाती है, परं तु उस दन भी उस पर वह स कट फ टर क सीमा लागू रहती है । इस कार कसी शेयर म ऊपर
स कट तेजी का तथा नचला स कट मंद का संकेत दे ता है । नवेशक ि प पर लगी स कट फ टर को यान म
रखकर उस ि प के संबंध म अनु मान लगा सकते ह।

 सकु लर े डं ग : शेयर बाजार म सटो रय या ऑपरे टर का एक ऐसा वग भी रहता है जो अपनी पसंद दा ि प क


आपस म ह खर द- ब करके उसके भाव को अपनी इि छत दशा म ले जाने का यास करता है । इस समू ह के
लोग पहले से ह आपस म सांठ-गांठ कर लेते ह और आपस म ह शेयर को खर द-बेचकर उस शेयर के त बाजार
म वशेष झा◌ान बनाने का यास करते ह। इस कार क े डं ग को सकु लर े डं ग कहा जाता है । सामा य
नवेशक के लए यह खेल समझाना क ठन ज र है, परं तु नरं तर नर ण एवं अनु भव के आधार पर इस तरह के
खेल को समझा◌ा जा सकता है और उनके इस जाल से बचा जा सकता है । ए सचज का सवलंस वभाग भी ऐसे
सौद पर वशेष यान रखता है और ऐसे मामले सामने आने पर उन पर आव यक कानू नी कायवाह भी करता है ।
आम नवेशक को तेजी के समय कसी वशेष ि प क खर दार करने से पहले इस बात का वशेष यान रखना
चा हए क कह ं उसम सकु लर े डं ग करके उ ह लु भाने का यास तो नह ं कया गया है ।
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 टॉप लॉस : ॉ फट बु कं ग क तरह ह बाजार म लॉस क अथात घाटे क बु कं ग करनी होती है, िजसे टॉप लॉस
कहा जाता है तथा उ चत समय पर ऐसा न कर पाने पर घाटा बढ़ता जाता है । माना क कोई शेयर 45 . के भाव
पर लया और उसका भाव घटकर 38 . रह गया तथा आगे भी उसम घटने का ह झा◌ान दखायी दे तो
नवेशक को 38 . के तर पर शेयर बेच कर अपने घाटे को मया दत कर लेना चा हए। ऐसा न करने पर घाटे क
मा ा काफ यादा हो सकती है । रोज-रोज क खर द- ब के दौरान ॉ फट बु कं ग और टॉप लॉस क नी त का
उपयोग चु र मा ा म होता है । टॉप लॉस को दू सरे श द म कह तो इसका अथ है क घाटे क मयादा को नयं त
कर लेना। नवेशक इस कार क खास सू चना के साथ अपना ऑडर भी रख सकते ह।

 ट यु लस पैकेज : वैि वक आ थक मंद के बाद यह श द पू रे व व म च लत हो गया। मंद से उ योग को उबारने


के लए या उस उ योग का अि त व टकाये रखने के लए जब सरकार राहत पैकेज घो षत करती है तो उसे
ट यु लस पैकेज कहा जाता है । राहत पैकेज म कर से छूट या मु ि त, अनु दान, याज माफ , ऋण वापस करने के
नयम म छूट जैसी अनेक सु वधाओं का समावेश होता है । सरकार अपने बजट से ये सु वधाएं उस उ योग को
बचाने के लए उपल ध कराती है । ये सु वधाएं नि चत समयाव ध के लए होती ह, थायी नह ं। इस लये जब भी
इस तरह का राहत पैकेज वापस लया जाता है तब संबं धत उ योग म थोड़ी सी घबराहट ज र नजर आती है और
उसका असर उन कंप नय के शेयर पर भी पड़ता है । हालां क सरकार राहत पैकेज वापस लेते समय इस बात क
सु नि चतता करती है क या वह उ योग अपने बल पर खड़ा होने के लए लायक बन गया है? राहत पैकेज से
संबं धत सरकार नणय उ त उ योग क कंप नय के शेयरधारक के लए काफ संवेदनशील होते ह।

 सेबी : यह पू ंजी बाजार - शेयर बाजार क नयामक सं था है , िजसका पू रा नाम स यु रट ज एंड ए सचज बोड ऑफ
इं डया है । सेबी का मू लभू त उ े य है `पू ंजी बाजार का व थ वकास एवं नवेशक का र ण।` सेबी का गठन संसद
म पा रत ताव के अनु प कया गया है, जो एक वाय त नयामक सं था है । इसके नयम शेयर बाजार , शेयर
दलाल , मचट बकर , यु यु अल फंड, पोटफो लयो मैनेजर स हत पू ंजी बाजार से संबं धत अनेक म य थत पर लागू
होते ह।

 सेट अथात स यु रट ज अपीलेट यु नल (एसएट ) : यह सेबी से स ब एक यायालय के समान यु डसर बॉडी


है । सेबी के आदे श के सामने सेट म अपील क जा सकती है । सेट के आदे श सेबी को मानने पड़ते ह या सेबी उसके
सामने भी अपील कर सकती है और हाईकोट म भी अज कर सकती ह। िजस कार इ कम टै स के सामने अपील
म जाने के लए इ कम टै स अपीलेट यु नल होती है उसी कार `सेट` एक यु नल है ।

 वीट ( वेट) इि वट : आईपीएल मैच के ववाद के दौरान यह श द थोड़ा चचा म आया था, परं तु शेयर बाजार और
आ थक जगत म यह श द वष से च लत है । कंपनी जब अपने कमचा रय एवं नदेशक को रयायती शत पर
इि वट शेयर दे ती है तब ऐसे शेयर को वीट शेयर कहा जाता है । सामा यतः ये वीट ( वेट) इि वट शेयर
कमचा रय एवं नदे शक को उनके वारा कंपनी के हत म कये गये मह वपू ण योगदान के बदले दये जाते ह।
कभी -कभी ये शेयर ब कुल नःशु क भी दये जाते ह।

 सक कंपनी : बीमार कंपनी या मंद कंपनी को सक कंपनी कहा जाता है । कंपनी अ ध नयम म बीमार कंपनी क
या या क गयी है िजसके अनु सार िजस कंपनी क नेटवथ समा त हो गयी हो अथात िजस कंपनी का सं चत घाटा
बढ़कर उसक नेटवथ से अ धक हो गया हो तो उसे बीमार कंपनी माना जाता है और ऐसी कंपनी बीमार कंपनी कह
जाती है । बीमार हो चु क कंपनी का इलाज हो सकता है, िजसके तहत मोटर कंपनी म अ य धन का नवेश करते
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ह, दू सरे मोटर को सहभागी बनाते ह िजससे वह कंपनी बीमार से बाहर आ सकती है । बीमार कंपनी को
बीआईएफआर (बोड फार इंड यल एंड फाइन शयल रकं श स) म सू चीब कराना होता है । यह बोड कंपनी क
ि थ त क जांच करके उसके इलाज क सलाह दे ता है । य द उसे सु धरने का कोई रा ता नजर नह ं आता तो ऐसी
कंप नय को वाइंड-अप (बंद) करने क सलाह द जा सकती है । नवेशक को ऐसी कंप नय पर दोहर नजर रखनी
चा हए। य द ऐसी कंप नय के सु धरने क संभावना हो तो उस कंपनी के शेयर कम भाव पर खर द लेने चा हए और
य द कंपनी बंद होती नजर आये तो अपने शेयर बेच दे ने चा हए।

 से लं ग ेशर : शेयर बाजार म यह श द च लत होने के साथ-साथ घबराहट फैलाने वाला है । इसका अथ है बकवाल
का दबाव। जब शेयर बाजार म नरं तर या बड़ी मा ा म बकवाल होने लगे तब ऐसी ि थ त को से लं ग ेशर कहा
जाता है । इससे बाजार मंद क ओर जाता है । से लं ग ेशर पू रे बाजार का भी हो सकता है या एफआईआई या
यु यु अल फंड जैसे समू ह का भी हो सकता है । जब कसी एक वग वारा बकवाल का दबाव हो तो यादा चं ता
क बात नह ं परं तु जब यह दबाव सभी वग म हो तो ऐसी ि थ त चं तादायक होती है ।

 शेयरहोि डंग पैटन : यह श द नवेशक म अ धक लोक य नह ं है परं तु इसका मह व काफ है । येक कंपनी का
शेयरहोि डंग पैटन होता है । इसका अथ यह है क उ त कंपनी क शेयरपू ंजी म कस- कस वग के कतने शेयर ह,
इसक जानकार शेयर पैटन कहलाती है तथा इसके आधार पर कंपनी का मू यांकन भी कया जा सकता है । कसी
भी कंपनी म अलग-अलग शेयरधारक होते ह, िजसम कंपनी के मोटर के अलावा सावज नक जनता, वदे शी
सं थागत नवेशक (एफआईआई), यु यु अल फंड, घरे लू सं थागत नवेशक (िजसम बीमा कंप नय , बक आ द का
समावेश होता है ), एनआरआई (अ नवासी भारतीय) आ द। सामा यतः िजस कंपनी म मोटर क शेयरधा रता अ धक
होती है उसे मजबू त कंपनी माना जाता है इसका कारण यह है क कंपनी के मोटर का ह सा अ धक होने पर वे
उसके वकास के लए अ धक स य एवं गंभीर रहते ह, ऐसा माना जाता है । िजस कंपनी क शेयरधा रता म जनता
का ह सा कम होता है बाजार म उनके शेयर कम रहते ह, िजससे बाजार म उसक मांग बढ़ने पर भाव ऊंचे रहने या
बढ़ने क संभावना अ धक रहती है । इसी कार एफआईआई, व तीय सं थाओं और यु यु अल फंड क शेयरधा रता
अ धक होने वाल कंप नय को भी अ छा माना जाता है य क उन कंप नय म फंडामटल मजबू ती के आधार पर ह
तो इन व त वशेष ने इनम नवेश कया होगा, ऐसा माना जा सकता है । इस कार कंपनी के शेयरहोि डंग पैटन
को दे खकर उस कंपनी क सेहत का सहज ह अनु मान लगाया जा सकता है । येक कंपनी क वयं क वेबसाइट
या शेयरबाजार क वेबसाइट पर येक कंपनी का शेयरहोि डंग पैटन उपल ध है । नवेशक नवेश करने से पहले
संबं धत कंपनी के शेयरहोि डंग पैटन को दे ख ल, ऐसी सलाह द जाती है ।

 शॉट कव रंग : शॉ स से स (बनावट बकवाल ) श द क चचा हमने पहले क थी। इस बार उसम से सृ िजत दू सरे
श द शॉट कव रंग को समझाते ह। बाजार जब गरावट क तरफ होता है तो उस समय मंदे ़ डये हाथ म शेयर न होने
पर भी उनक बकवाल कर दे ते ह, िजससे य द बाजार उनक धारणा के अनु सार और घटता है तो वे घटे हु ए भाव
पर शेयर खर द कर उसक ड लवर दे दे ते ह अथवा सौदे को भाव अंतर के साथ बराबर कर दे ते ह। इस कार जब
बाजार म अ धकांश कारोबार खोट बकवाल करके बाद म शेयर क खर द करने लगे अथात शॉट से स करने के
बाद खर द करने लगे तो ऐसी ि थ त को श@◌ाट कव रंग कहा जाता है । शेयर बाजार से संबं धत इस श द का
अखबार म या दै नक माकÀट रपोट म काफ उपयोग होता है । शॉट कव रंग के कारण बाजार घटने से का या
बाजार रकवर हु आ ऐसी बात सु नने को मलती ह। इस कार शॉट कव रंग गरते हु ए बाजार को थामने का काम
करता है ।
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 शेयर बाजार म ड काउं ट : शेयर बाजार म ड काउं ट का दू सरा अथ भी होता है । जब बाजार म कसी कंपनी के शेयर
का भाव उसके मू ल भाव से नीचे चल रहा है तो उसे ड काउं ट कहा जाता है । इसे वलो पार अथात सममू य से
कम भी कहा जाता है । दू सर तरफ कसी कंपनी के शेयर का व यमान बाजार भाव य द उसके समभा वत भाव से
कम चल रहा हो तो इसे भी शेयर ड काउं ट पर मल रहा है , ऐसा कहा जाता है ।

यह हु ई शेयर के भाव म ड काउं ट क बात। दू सर तरफ शेयर बाजार म अनेक ऐसी घटनाएं एवं समाचार होते ह जहां
इस श द का उपयोग कया जाता है । कसी घटना के होने क संभावना मा से बाजार पर उसका असर पड़ जाये और
वह घटना वा तव म घ टत होने पर उसका खास असर बाजार पर न पड़े तो कहा जाता है क वह घटना ड काउं ट हो
गयी। उदाहरण के लए रजव बक क घोषणाएं होने क संभावना से ह बाजार पर उसका असर पड़ जाये और सचमु च
घोषणा होने पर उसका कोई खास असर दखायी न दे तो कहा जाता है क रजव बक क घोषणाएं ड काउं ट हो गयी।

 टॉप और बॉटम : शेयर बाजार म जब भी कोई शेयर या सू चकांक अपने उ चतम तर पर पहु ं चता है तो कहा जाता
है क उ त शेयर या उ त इंडे स ने अपना टॉप बना लया है । इसी कार नचले तर पर होने पर बॉटम कहलाता
है । यह टॉप या बॉटम समय अंतराल के आधार पर नधा रत होता है । उदाहरण व प ससे स ने वष 2009 म
17500 का टॉप और 7600 का बॉटम बनाया।

 टनअराउं ड : जब कोई कंपनी घाटे से बाहर नकल कर मु नाफा करने लगे या भार घाटा दशाने वाल कंपनी का घाटा
नाम मा रह जाये तो ऐसी कंपनी को टनअराउं ड कंपनी कहा जाता है । नवेशक को ऐसी कंप नयां तलाशते रहनी
चा हए य क ऐसी कंप नय म आगामी समय म मु नाफे क गु ंजाइश बढ़ जाती है िजससे उनके भाव बढ़ने क
संभावना हो जाती है । यापा रक प काओं, रसच एज सय , टॉक ए सचज क वेबसाइट का नरं तर अवलोकन करके
इस कार क कंप नय को चि हत कया जा सकता है । कई बार कसी नि चत उ योग म मंद का दौर समा त
होने पर उस े से जु ड़ी कंप नयां टनअराउं ड हो जाती ह। इसी कार कई बार पू रा बाजार भी टनअराउं ड होता है ,
िजसम बाजार नरं तर गरावट वाले नगे टव झा◌ान से नकलकर सकारा मक क ओर थान करता है ।

 टे कओवर : जब कोई एक कंपनी दू सर कंपनी का अ ध हण करती है तो इसे टे कओवर कहा जाता है । काप रे ट े म
बड़ी कंप नयां अपने जैसा ह कारोबार करने वाल छोट परं तु अ छ कंप नय का टे कओवर करके अपना कद बढ़ाती
ह। आपने कु छ समय पू व टल े क टाटा टल वारा वदे शी कंपनी कोरस के अ ध हण क बात सु नी होगी।
अभी हाल ह म फो टस हे थकेयर ने वदे शी कंपनी पाकवे का मेजो रट ह सा अ ध हत कया है । भारती एयरटे ल
अ का क जेन कंपनी का अ ध हण करके चचा म रह है । कोई भी कंपनी जब दू सर कंपनी का टे कओवर करती है
तब उसका वा म व या नयं ण अपने क जे म ले लेती है, िजसके कारण ये टे कओवर शेयरधारक एवं नवेशक के
लए संवेदनशील एवं मह वपू ण हो जाते ह। जब कोई मजबू त और समथ कंपनी कसी दू सर कमजोर कंपनी का
अ ध हण करती है तो कमजोर कंपनी के शेयरधारक खु श हो जाते ह, जब क अ ध हत करने वाल कंपनी के
शेयरधारक सोचते ह क इससे उनक कंपनी पर बोझा न बढ़े तो अ छा।

टे कओवर पर पर आपसी सहम त से भी होता है तथा बाजार क यू हरचना के साथ चालाक से भी कया जाता है िजसम
अनेक बार िजस कंपनी का टे कओवर कया जाता है उस कंपनी के मैनेजमट को अंधेरे म भी रखा जाता है । इस कार के
``टे कओवर वार`` के अनेक क से काप रे ट इ तहास म दज ह। ऐसे टे कओवर को ``हो टाइल टे कओवर`` कहा जाता है ।
इस वषय क ज टलता एवं शेयरधारक क सु र ा एवं हत के व भन मु को यान म रखते हु ए सेबी ने टे कओवर
रे यु लेश स बनाया है और समय-समय पर आव यकतानु सार उसम सु धार भी कया जाता है । नवेशक को काप रे ट
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टे कओवर के क स पर नजर रखनी चा हए य क आगामी वष म ऐसे क से बढ़ने क संभावना है । भार त पधा म


न टक पाने वाल छोट एवं म यम कद क कंप नय को वशालकाय कंप नयां टे कओवर कर ल तो ऐसे म उन छोट
कंप नय क क मत बदल जाती है, िजसका भाव दोन कंप नय के शेयर भाव पर पड़ता है ।

 टागट : इसका सरल अथ है ल य। शेयर बाजार म टागट श द का उपयोग शेयर के भाव के संदभ म यापकता से
उपयोग कया जाता है । वशेषकर एना ल ट अपनी रपोट म इस श द का उपयोग करते ह। उदाहरण के लए एक
कंपनी के शेयर का भाव आगामी तीन मह न या छह मह न म 500 . तक पहु ं चने का टागट है । इस टागट
अथात ल य के लए एना ल ट व भन कारण भी बताते ह। टागट भाव शाट टम के लए अ धक उपयोग कया
जाता है और उसम प रि थ तय के अनु सार समय-समय पर बदलाव भी कया जाता है । यहां इस बात का वशेष
यान रखना चा हए क जब कोई एना ल ट कसी शेयर का टागट भाव बताये तो उसके आधार पर आंख बंद करके
नवेश नह ं करना चा हए। तेजी के समय ऐसे टागट भले ह पू रे हो जाय, ले कन हमेशा ऐसा हो ह , यह ज र नह ं।

 गर : यह श द जरा संजीदा है । इसका सादा अथ है बाजार का ``चालक बल`` या ाइवर। बाजार क भाषा म कह
तो माकÀट को ऊंचा ले◌े जाने के लए कसी गर क ज रत होती है । शेयर बाजार एक या अनेक कारक त व के
आधार पर संचा लत होता है, उसक ग त ऊपर या नीचे क ओर हो सकती है परं तु बाजार को वेग दे ने के लए गर
वाइंट ज र है । उदाहरण के लए सरकार जब कोई उदार एवं ो साहना मक नी त जा हर करती है तब बाजार को
ऊपर जाने के लए गर मल जाता है अथवा रलायंस जैसी वशाल कंपनी का प रणाम काफ उ साहवधक जा हर
हो तो यह भी बाजार को ऊपर ले जाने के लए गर बन सकता है । रजव बक क ऋण नी त अ य धक ो साहन
वाल थी िजससे बाजार को ऊपर जाने का गर मल गया। इस कार शेयर बाजार क चाल को वेग दे ने वाले
कारक त व को गर कहा जाता है । अहा िजदं गी या उसके इस कॉलम को पढ़ना भी आपके लए गर हो सकता
है य क इसको पढ़कर आप लाभाि वत होते ह।

 यू सीसी : यु नक लाइंट कोड - शेयर दलाल के पास अपना पंजीकरण कराने वाले येक ाहक को एक कोड नंबर
दया जाता है । ोकर के पास शेयर के सौदे लखवाते समय ाहक को यह कोड नंबर बताना होता है ।

 यु लप : अ ैल के मह ने म यह नाम ववा दत हो गया था। यु लप का पू रा नाम है `यू नट लं ड इं योरस लान`।


अथात एक ऐसी नवेश योजना िजसम नवेश करने से यि त का जीवन बीमा भी हो जाता है । उसके वारा कये
गये नवेश को स यु रट ज माकÀट म नवेश कया जाता है िजससे उसे तभू त बाजार का ए सपोजर भी मलता
है । अभी हम इसके ववाद क बात करने के बजाय यु लप के बारे म बताना चाहगे। यु लप एक यु यु अल फंड के
समान क म है जो नवेश के साथ बीमा का भी लाभ ऑफर करती है । यहां यह प ट करना ज र है क नवेशक
को बीमा ोड ट म बीमा के तर के से ह नवेश करना चा हए। जो यि त सचमु च अपने प रवार के हत म अपने
जीवन को बी मत करना चाहता है उसके नवेश म बीमे क मा ा अ धक रहने वाल योजनाओं का समावेश होना
चा हए। यु लप म बीमा का ह सा काफ कम होता है और स यु रट ज म नवेश का ह सा काफ ऊंचा होता है ।
यु लप हो या ऐसी ह कोई अ य योजना नवेशक को चा हए क वे इन योजनाओं का बार क से अ ययन करके ह
अपनी आव यकता के अनु प इसका चयन कर।

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