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शेयर बाजार Secrets

(तेजी और मंदी समझने क पूरी पु तक)


सोमा व य पन
ेय िपताजी
ी सी.टी. सोमैया
को,
जो हमेशा से मेर
ेरणा- ोत रह ह।
तावना
युवाव था से ही पैसे बचाने क शु आत करना और उ ह बढ़ते देखना ऐिहक बु मानी ह। सभी क, िवशेष प
से युवा क, िलए अपनी भावी ज रत को पूरा करने क िलए योजना बनाना व बचत करना अिनवाय ह।
संभािवत िनवेशक क िलए ब त से िवक प मौजूद ह। बक क साविध व आवत जमा से शु होकर शेयर और
यूचुअल फड तक हर कार क िनवेश क अपने फायदे और नुकसान ह। िविभ िनवेश माग क तहत सुर ा,
तरलता और ितफल जैसे बुिनयादी िस ांत सिहत उपल ध िविभ अवसर िनवेश का रटन तय करते ह।
अब हमार देश म भी शेयर बाजार िनवेश क माग क तौर पर साख व लोकि यता हािसल कर रहा ह। ब त से
लोग इसम उतरने से इसिलए घबराते ह, य िक इसे जोिखम भरा तथा समझने क ि से बेहद जिटल माना जाता
ह।
सोमा व य पन ने इस पु तक म ठीक इसी िवषय को उठाया ह। सरल व आसानी से समझ आनेवाली भाषा म
िलखते ए उ ह ने सभी बुिनयादी िवचार को प प से तथा उदाहरण देकर समझाया ह। अ याय क शु आत
शेयर या होते ह, शेयर म िनवेश कसे कर, इसक िविभ प ितयाँ, बाधाएँ और अंत म जोिखम क बार म
बताते ह।
ासंिगक िबंदु को तािलका व ाफ ारा प करने क साथ ही इस पु तक म कछ वा तिवक जीवन क
उदाहरण िदए गए ह, िजससे पाठक को अ छ व बुर िनवेश क प रणाम को समझने म मदद िमलती ह।
यह सभी आम धारणा को तोड़ती ह और पहली बार िनवेश करनेवाल क मन म इतना आ मिव ास भर देती
ह िक वे शेयर बाजार म शु आत कर सक। ‘श दावली’ अ याय म शेयर बाजार म अकसर यु होनेवाले
िविभ श द क अथ बताए गए ह। यह पु तक नवागंतुक को वयं ही िविभ िवक प को अपनाकर व
खँगालकर अपने िलए सबसे बेहतरीन िवक प को चुनने क िलए ो सािहत करती ह।
म लेखक को बधाई देता , िज ह ने इतनी आसान भाषा म समुिचत उदाहरण सिहत इस पु तक को नौिसिखय
क िलए मू यवा गाइड बनाने का मसा य काय िकया। म इस पु तक को उन सभी क िलए अनुशंिसत करता ,
जो शेयर बाजार म ारिभक यास करना चाहते थे, लेिकन एक सरल हडबुक क अभाव म ऐसा कर नह सक ह
और उनक िलए भी, जो बाजार म तो ह, लेिकन अभी भी अपना माग तलाश रह ह।
मुझे पूरा िव ास ह िक इस पु तक को गाइड क तौर पर उपयोग करने क इ छा रखनेवाले अपने सामने
आनेवाले हालात का सामना करने म खुद को पूरा आ मिव ासपूण व स म महसूस करगे।
म सभी पाठक और ी व य पन क पूण सफलता क कामना करता ।
—एस. क णकमार
व र उपा य व मुख—इ टी
सुंदरम एसेट मैनेजमट कपनी िल.
म ास
भूिमका
आज 15 िसतंबर, ‘इजीिनयर िदवस’ को जब म यह पृ िलख रहा , िन टी 8,042 पर और ससे स 26,816
पर ह। पूँजी बाजार म थोड़ ही समय म 28% का इजाफा आ ह और ऐसा लगता ह िक यह बढ़त जारी रहगी।
भारतीय शेयर बाजार म िवदेशी िनवेशक क िनरतर आ रह पूँजी वाह क चलते िवशेष सूचकांक और िनजी
शेयर क िलए बड़ ल य िनधा रत कर रह ह। िसफ वष 2014 म ही एफ.आई.आई. (फॉरन इ टी यूशनल
इ वे टर) ने शेयर म 85,000 करोड़ पए िनवेश कर िदए ह।
अपने तीस साल क शेयर बाजार क अ ययन अनुभव म म यदा-कदा बाजार म तीन तेजी और मंदी देख चुका
। ऐसा लगता ह िक हम भारत म एक बार िफर तेजी का बाजार देखने वाले ह। यिद अ य ासंिगक कारक इसक
गित म बाधा नह बने और यिद िन त आिथक संकत अनुकल बने रह तो भारतीय शेयर बाजार अगले दो या चार
साल तक बेहतरीन दशन करगा।
कछ लोग सोच सकते ह िक ऐसा कसे संभव ह। बाजार पहले से ही उतार पर ह और अब इसम कवल सुधार
क ही गुंजाइश ह। ऐसा सोचनेवाल को एक बुिनयादी िनयम को समझने क ज रत ह िक बाजार दो िभ कोण
से आगे बढ़ता ह—पहला, भाव क संबंध म और दूसरा समय क संबंध म।
यह तेजी हो या मंदी, अचानक शु हो जाती ह। आनेवाले समय म जो होना ह और जो अगले कछ वष तक
जारी रहना ह, वह समय आधा रत ‘सुधार’ ह। यहाँ ‘सुधार’ श द म भाव बढ़ना भी शािमल ह। िनचले तर से सही
तर तक बढ़ना भी सुधार ही ह। उठाए जा रह सभी आव यक कदम उिचत ह, िजनसे िवशेष ‘रीरिटग’ बता रह
ह। इस रिटग को वृ म संशोिधत िकया गया ह।
िपछले तेजी क दौर म जब ससे स 3,000 क िनचले तर से चढ़कर 6,000 और 7,000 से होता आ 21,000
तक प चा था, सबको यही लगा िक यह शेयर क अिध-मू यांकन को ितिबंिबत करता ह और बाजार का िगरना
तय ह। यह तीन साल तक लगातार जारी रहा।
ऐसा ही मंदी क दौर म भी आ। अतः दोन ही िदशा म समय आधा रत सुधार होना िन त व अप रहाय ह।
इनक अविध और मा ा भले ही अलग हो सकती ह, लेिकन ऐसा होना अव यंभावी ह।
इस प रघटना से अनजान ब त से लोग लंबे समय बाद जैसे ही भाव बढ़ते देखते ह, ज दबाजी म अपने दीघ
तीि त, लंबे समय से रखे अ छ शेयर को लागत भाव पर बेच देते ह। तेजी क िपछले दो दौर को देखने, चूकने
और सबसे मह वपूण उस लहर को समझने क बाद मुझे तीत व महसूस होता ह िक इस बार यह पुनः लघु-
आविधक व छोटी छलाँग नह होगी, ब क दीघकालीन शु आत ह।
िबजनेस टडड और ए.एन.एम.आई. (एसोिसएशन ऑफ नेशनल ए सचज मबस ऑफ इिडया) ारा चे ई म
आयोिजत 14 जून क िनवेशक स मेलन क दौरान दो म से एक व ा होने पर िनवेशक को मेरी यही सलाह थी
िक “इस बार इसे ट ट मैच क तरह खेिलए, न िक टी- टी क तरह, यानी अपने पोटफोिलयो का िनमाण कर
मजबूत पारी खेल।”
िजन लोग ने वष 2013-14 क दौरान बाजार म वेश िकया ह, वे एक मायने म भा यवा ह। वे इस दौड़ म
तब शािमल ए, जब भाव चढ़ने आरभ ही ए ह। इस अविध म ससे स िबना सुधार क और लगभग िनबाध प
से 21,000 से 27,000 तक प च गया। लंबे समय बाद बु म ापूण सुधार क प ा माच 2014 क बाद बाजार
चढ़ना आरभ हो गया और जािहर ह िक यह कई साल तक जारी रहने वाला ह। ऐसे दुलभ काल म लोग को
अपनी पुरानी बुरी मृितय से बाहर आना होगा और इस बात पर िव ास जमाना होगा िक नया च आरभ हो
चुका ह और आनेवाले समय म अ छ िदन जारी रहगे।
मुझे ऐसे ब त से लोग िमले ह, जो बाजार क लंबे अनुभव और अपनी अ छी िश ा क बावजूद बेहद साधारण
गलितयाँ करते रहते ह और सबसे मह वपूण िक वे हर बार वही गलती करते ह। मने देखा ह, लोग िसफ खरीदना
और बेचना सीख लेते ह (िब कल वैसे, जैसे बाजार म स जयाँ खरीदी जाती ह)। इसक साथ ही कछ आक मक
व भा यवश ए लाभ क घटना से वे यह मानने लगते ह िक उ ह ने शेयर बाजार को समझ िलया ह। तब वे
अपने िवचार को आजमाते ह और ोकर या बाजार से िमले ‘िट स’ पर यान देने लगते ह और इस तरह वे अपने
िलए वयं ग ा खोद लेते ह। यह कोई बढ़ा-चढ़ाकर कही बात नह ह।
अपने अनुभव क चलते म पूर िव ास क साथ कह सकता िक कवल फटकर े म ही नह , ब क
एच.एन.आई. वग म भी ऐसे कई हजार िनवेशक ह, िज ह ने चढ़ते बाजार या िनरतर ‘बढ़त’ म भी पैस का
नुकसान उठाया। इसम समान बात यह ह िक शेयर बाजार म बाजार क हालात अ छ होने पर भी अिधक लोग पैसे
नह कमा पा रह ह। इसक बावजूद वे सभी ऐसा करने क रोमांच व उ ेजना समेत अ य ब त से कारण से बाजार
म िटक ए ह।
मुझे लगता ह िक शेयर बाजार पैसा कमाने क ि से एक मह वपूण थान ह, य िक यह सभी क िलए
उपल ध ह, िफर चाह वे िकतने भी िशि त ह , िकसी भी कारोबार या उ ोग से ह —और सबसे मह वपूण, कम
या अिधक िकसी भी आय वग क ह । सबसे बढ़कर, इसक िलए समय देने या या ा करने और िन त अविध
तक िकसी खास थान पर होने क आव यकता नह ह। इसक िलए िसफ बाजार क अ छी समझ और शांत मन
क आव यकता ह।
मुझे पूरा िव ास ह िक बाजार क और आगे बढ़ने पर मीिडया म इस पर काफ हो-ह ा मचेगा और ब त सार
‘अब तक अनजान रह’ लोग शेयर बाजार म उतरने लगगे। उ ह आवेगपूणता या ज दबाजी नह िदखानी चािहए।
मने इसी मंशा से स 2004 म तिमल म शेयर बाजार पर अपनी पहली पु तक (अला अला पनम 1) िलखी, जो
तुरत िहट हो गई और उसक 1.25 लाख ितयाँ िबक । इस पर शानदार िति या ा ई और मुझे िनरतर हर
िदशा से हर तरह क लोग से मेल ा होने लगे, िजसम डॉ टर , चाटड अकाउटट, इजीिनयर, घरलू मिहलाएँ,
कॉलेज क व ा और छा सभी शािमल ह। वे सभी शेयर बाजार क मूल िस ांत पर सरल भाषा व भारतीय
शेयर बाजार क वा तिवक उदाहरण ारा समझाने क िलए मेरी सराहना करते तथा मुझे ध यवाद देते ह।
ब त से सावजिनक या यान क दौरान लोग ने मुझे इसे अं ेजी म भी िलखने का िनवेदन िकया, िजससे यह
अिधक पाठक तक प च सक।
अब कई वष तक लगातार मेहनत और सतत अ ययन क बाद शेयर बाजार पर मेरी यह पु तक कािशत ई
ह। इस पु तक क संभव होने क िलए म ध यवाद देना चा गा भेल (BHEL), ि ची म मेर सहकम ी एस.
मोहन, िज ह ने सैकड़ पृ म फली इसक ह तिलिपय को टाइप करने का काय िकया और ीमती सुनीता
राघवन को, िज ह ने इस पु तक का संपादन िकया ह।
मने इसम हर तरह क आकार व उ े यवाले िनवेशक को यान म रखते ए भारतीय शेयर बाजार क
कायशैली का सरल व संि प म सम िव ेषण तुत करने का यास िकया ह। मेरा मानना ह िक िविभ
उदाहरण म ताजा डाटा शािमल करने से पाठक को शेयर म िनवेश संबंधी िविभ बुिनयादी अवधारणा को
समझने म मदद िमलेगी। मुझे उ मीद ह िक यह पु तक सभी पाठक क िलए बतौर गाइड ठोस िनवेश अ यास बन
सकगी, िजससे वे अपनी दीघाविधक िव ीय सुर ा क ल य को आसानी से ा कर सकगे।
—सोमा व य पन
अिबरामपुरम, चे ई-18
इ-मेल : writersomavalliappangmail.com
िहदी म अनूिदत सं करण क िलए तावना
मुझे इस बात क स ता ह िक शेयर बाजार क िवषय पर मेरी पु तक िहदी म कािशत हो रही ह और लाख
पाठक तथा उन लोग तक प च रही ह, जो शेयर बाजार म िदलच पी रखते ह।
याज क कम दर और सरकार क ओर से भौितक प रसंपि य क तुलना म िव ीय प रसंपि य पर जोर िदए
जाने क इस युग म मुझे खुशी ह िक इन िवषय पर िलखी गई इस पु तक का काशन िहदी म िकया जा रहा ह।
भारत म लंबे समय से शेयर बाजार म िनवेश और शेयर क खरीद-िब कछ लोग का िवशेषािधकार बनी कर
रह गई थी, आम लोग इसम शािमल नह होते थे। इसका एक बड़ा कारण यह था िक इसे समझना या समझाना
आसान नह था। मने वष 1982 से शेयर म िनवेश करना शु िकया और मुझे नुकसान उठाना पड़ा, जबिक मुझे
यह पता भी नह चला िक मेर पैसे का नुकसान य और कसे आ। म गहर सदमे म था, लेिकन म भागा नह ,
ब क बाजार का अ ययन करना शु िकया। िफर एक समय क बाद न कवल मने अपने नुकसान क भरपाई
क , ब क मुनाफा भी कमाया।
इसने मुझे शेयर बाजार क मौिलक बात पर एक पु तक िलखने क िलए े रत िकया, िजसका तिमल शीषक ह
‘अ ा अ ा पाणम’ और िहदी म इसका मतलब ह ‘कई टन पैसा।’ यह 2005 म कािशत ई और देखते-ही-
देखते इसने जबरद त कामयाबी हािसल कर ली। अब तक इसक 1.5 लाख ितयाँ िबक चुक ह। िफर पाठक ने
प और इ-मेल क मा यम से मुझसे िडग, एफ एंड ओर, पोटफोिलयो आिद पर और अिधक िलखने का आ ह
तथा और मने उसी नाम से एक सीरीज म चार और िकताब िलख । वे सभी सफल रह और बाजार म उनक िब
भी अ छी ह।
िफर वष 2013 म मने इसे अं ेजी म ‘बु स एंड िबयस ऑल अबाउट शेयस’ क नाम से िलखा। यह भी
जबरद त कामयाबी हािसल क और अब इस अं ेजी पु तक का अनुवाद तथा काशन िहदी भाषा म िकया गया
ह। मुझे पूण िव ास ह िक दो अ य भाषा म िलखी शेयर बाजार पर मेरी पु तक क तरह ही िहदी भाषा क यह
पु तक भी सफल रहगी।
यिद आप चाह तो मुझे मेर इ-मेल towritersomavalliappan@gmail.com पर ज र िलख। मुझे बेहद खुशी
होगी।
मेरा ढ़ िव ास ह िक यिद कोई शांत मन से एक िन त अविध तक िनरतर जुटा रहता ह तो वह अव य धन
जुटा लेगा।
पाठक , िनवेशक और कारोबा रय को मेरी हािदक शुभकामनाएँ।
—सोमा विलय पन
पु तक क बार म
जीिवत रहने क िलए पैसे कमाना आव यक ह और ऐसा करने क िलए लोग नौकरी करते ह या यापार आरभ
करते ह। लेिकन अपनी भौितक इ छा क पूित हतु य को खाली बैठने क जगह पैसे कमाना चािहए। पैसा
कमाना मूल मं ह, और अब इस काय म सफल होना कवल भा य क बात नह रह गई ह। इसक िलए िनवेश क
िविभ उपकरण क सही समझ, वे िकस तरह बढ़ते व घटते ह, उ ह कब खरीदना व बेचना/िनवेश करना ह और
कब बाहर िनकल जाना ह, यह जानना बेहद मह वपूण ह।
इस संदभ म, शेयर बाजार क धन सृजन म मह वपूण भूिमका ह। जैसा कहा जाता ह, अ छ शेयर क पहचान
कसे क जाए, कब खरीद और कब बेच, इसक उिचत समझ होना िडग म सफल होने क िलए आव यक ह।
लेिकन गु न हो तो ये अंधे कएँ क जैसे ह। असफलता क अ यिधक कहािनय क चलते नव वेशक क िलए
यह भयभीत करनेवाला हो सकता ह। लेिकन सफल िनवेशक िकसी और ही िम ी क बने तीत होते ह। वे ऐसे
जोिखम लेते ह, जो िकसी आम आदमी क वश क बात नह ह।
सोमा व य पन िलिखत ‘शेयर बाजार Secrets’ इस िमथक को तोड़ती ह। आम धारणा क िवपरीत, शेयर
बाजार म िनवेश करना जुआ खेलने जैसा नह ह। यह कछ बुिनयादी िस ांत पर काम करती ह और नीित-िनयम
से िनयंि त होती ह, वैसे ही जैसे िनवेश क कोई भी अ य वैध णाली होती ह। य म िनवेश क िलए अ छी
कपिनय और उिचत भाव को पहचानने तथा थोड़ा सावधान रहने क आव यकता ह।
इस पु तक म ी सोमा व य पन ने अपने 30 वष क अनुभव का उपयोग कर नौिसिखय क िलए शेयर
बाजार का रह य खोलते ए िभ कारोबा रय ारा शेयर बाजार म िनवेश हतु उपयोग क जानेवाली िविभ
णािलय का खुलासा िकया ह। िनवेश क दौरान ‘जोिखम लेनेवाले’ एवं जोिखम क अिन छक िविभ
य ववाल क िलए उनक सुिवधा तर को देखते ए भलीभाँित समझाया ह िक ड हो रह शेयर म या देख,
इनम िकस तरह िनवेश कर और यह दीघाविधक िनवेश हो या लघु-आविधक। इससे संबंिधत िच , ाफ और
सूिचय से बात को प प से समझने म मदद िमलती ह। इस ि या म, वे िनवेश क इन उपकरण क काय-
णाली तथा उनसे ा होनेवाले अपेि त लाभ क परखा भी बयान करते ह।
‘बु स एंड बीयस ऑल अबाउट शेयस’ सबसे पहले तिमल म (‘अला-अला पनम’ नाम से) कािशत ई थी
और इसक साथ ही यह उन लोग क िलए हडबुक बन गई, जो शेयर बाजार क अिन त संसार म डबक लगाने
से पहले अभी सोच-िवचार ही कर रह थे। इसक अं ेजी सं करण (िहदी अनुवाद) क काशन का उ े य देश भर
म बड़ी आबादी तक प च बनाना ह, िजससे वे भी सोमा व य पन क अनुभव और पूण ान से लाभा वत हो
सक।
1
िनवेश
स 2004 म म चे ई म एक लैट खरीदने क योजना बना रहा था। इस ि या म मुझे जमीन क द तावेज
देखने का अवसर िमला। यह दि ण चे ई क एक अ छ इलाक अिबरामपुरम थत एक लैट का मूल भूिम
द तावेज था।
िकसी ने 3,000 वग फ ट क इस जमीन ( लॉट) को 10,000 पए म बेचा था। यह सौदा स 1958 म आ
था। दस साल बाद, यानी स 1968 म इसी लॉट को 60,000 पए क क मत पर बेचा गया। स 2004 म,
छ ीस साल बाद, उसी जमीन क िलए एक िब डर 35 लाख पए देने को तैयार था। इसी दौरान मुझे यह
द तावेज देखने का अवसर िमला।
अभी िकए, कहानी यह समा नह हो रही।
अपने होश कायम रिखए। मई 2012 म 3,000 वग फ ट क उस अिवभािजत भूिम क क मत थी 500 लाख
पए! िजस समय आप इसे पढ़ रह ह, उसक क मत म और अिधक इजाफा हो गया होगा।
यह ह जमीन म िनवेश क श । स 1958 म जमीन म िनवेश िकए 10,000 पय म 54 वष क भीतर
लगभग पाँच हजार गुना क वृ हो गई।
अब शायद आप मेरी बात समझ गए ह गे। ये 10,000 पए अपनी लोह क अलमारी या बक क सुर ा लॉकर
म रखे होते तो या होता? िन त ही यह मु ा काफ अलग िदखने लगती, िजससे लोग क मन म संदेह पनपता
िक वे नोट असली ह या नकली!
इसक अित र , उनक मू य म कोई वृ नह होती, ब क उनका मू य घट जाना और अिधक अपमान क
बात होती, जो मु ा फ ित क कारण होता।
इसक िवपरीत, जमीन म िनवेश िकया गया धन 5,000 गुना बढ़ गया। वाह! िन त ही 5,000 गुना क बढ़त
जमीन म िनवेश करनेवाले सभी लोग क साथ और हमेशा संभव न हो, लेिकन कछ थान पर ऐसा आ ह;
ब क संभवतः मुंबई और िद ी जैसे शहर म तो खूब आ ह।
कछ लोग को अपनी बचत वण क प म रखने क आदत होती ह। चिलए, देखते ह िक यिद कोई स 1958
म यही 10,000 पए वण म िनवेश करता तो या होता।
तब वण क क मत 12.50 पए ित ाम थी (वाकई!) उन 10,000 पय म य 800 ाम सोना खरीद
सकता था। जुलाई 2012 म सोने क क मत 2,800 पए ित ाम थी। (संयोगवश मई 2014 क शु आत म भी
सोने क क मत यही थी) इसक कल क मत 22,40,000 होती। दूसर श द म, सोने म िकया गया िनवेश 54
साल म 224 गुना बढ़ गया।
यिद इतनी ही धनरािश बक एफ.डी. (साविध जमा) म िनवेिशत क जाती तो यह बढ़कर 40,28,000 पए,
यानी 54 साल म 400 गुना हो जाती (12% क अनुमािनत औसत दर पर)।
इस िबंदु पर हम शेयर म उप थत अवसर क गणना या तुलना नह कर रह। यह हम पु तक म आगे चलकर
करगे।
इन 10,000 पय को इनम से िकसी म भी िनवेश िकया जा सकता ह। लेिकन अगर कोई इ ह अपने लॉकर या
दराज म िन य पड़ा रहने दे या इसी तरह बक क जमा खाते म पड़ा रहने दे (जहाँ इस पर सालाना 4 से 6% क
आय हो) तो या इसे अपराध नह माना जाना चािहए ( य िक यह आपका व प रवार का खोया अवसर होगा)?
धन को जमीन या सोने या साविध जमा (एफ.डी.) या यूचुअल फड या शेयर म िनवेश करना चािहए। इसे
कभी भी मु या िन य पड़ रहने नह देना चािहए। िजस तरह कोई चतुर िनयो ा अपने कमचा रय को हमेशा
य त रखकर उनसे बेहतरीन काम लेता ह, हमार धन को भी अपने मािलक क (म व आप, और कौन!) इसी तरह
सेवा करनी चािहए।
सभी िनवेश एक जैसे नह होते। जैसा िक पहले अ याय म चचा ई थी, िभ िनवेश म िविभ अवसर मौजूद
रहते ह। तब कछ उ च रटनवाले िव यात िनवेश होने पर भी लोग अ य कार क िनवेश य करते ह?
इसका जवाब ब त आसान ह। िविभ लोग क िनवेश आव यकताएँ भी िभ होती ह। जहाँ लोग अ छा लाभ
कमाने क िलए िनवेश करते ह, वह उनक अ य ज रत भी होती ह। कई बार उनक िनवेश संबंधी िनणय पूरी तरह
से इ ह पर िनभर होते ह।
1. सबसे पहले सुर ा
िनवेश का कारण धन का मू य विधत करना ह। धन का िवकास या ो साहन िनवेश का मुख उ े य ह।
लेिकन िकस क मत पर? ब त से लोग अिधक पैसे कमाने क यास म अपने मपूवक कमाए धन को खतर म
डाल देते ह।
अजीब बात ह! कछ िनवेश ऐसे भी होते ह, जो मूल पूँजी को ही हड़प जाते ह। या लोग ऐसे रा त पर भी
चलते ह? हाँ, ऐसे भी लोग ह, जो अिधक लाभ कमाने क िलए वयं इन काय का चयन करते ह। हमार देश म
हाल ही म ऐसे ब त से ‘अवसर’ सामने आते रह ह और सावधान रह िक ऐसे ही और भी ब त से काय िफलहाल
भी जारी ह (िज ह मीिडया काश म लाता ह)।
1990 क दशक क शु आत म कछ कपिनयाँ ( ायः बेिनिफट फड ) ित वष 36% से 48% तक याज क
साथ ही मु त चाँदी या सोने क िस देने या िकसी योजना म जोड़ लेने का ताव िदया करती थ ! िकसी-न-
िकसी कारणवश वे कपिनयाँ असफल हो जाती थ । यह असफलता कवल 36% का शानदार याज ही नह ,
ब क िनवेश क गई रकम चुकाने म भी होती थी!
कई मामल म अंततः लाभ क प म बस, वह सोने का 1 या 2 ाम का िस ा ही रह जाता। अपने वाद को
पूरा करने म अ म वे कपिनयाँ अपनी दुकान बंद करक भाग िनकलत ।
हजार सेवािनवृ लोग अपने जीवन भर क मपूवक कमाई खो चुक ह। ये िनवेश न कवल याज िदलाने म
नाकाम रहते ह, ब क गायब होने क साथ ही मूल रकम चुकाने म भी असमथ रहते ह।
ये रोमांचकारी ‘िनवेश’ खुद मूल रकम क ही डब जाने जैसे खतर से प रपूण होते ह! इसी तरह कछ िनवेशक
को िबना समुिचत सुर ा क धन कज देना भी अ यिधक जोिखमपूण होता ह, िजससे िवनाशकारी थितयाँ उ प
हो सकती ह।
कहानी क सीख यह ह िक िकसी भी तरह क िनवेश का बुिनयादी मापदंड सुर ा होना चािहए।
आज सरकारी बॉ ड (रा ीय बचत माण-प , िकसान िवकास प , डाकघर जमा) क संभवतः सबसे सुरि त
िनवेश ह, य िक इनक िलए सरकार गारटी देती ह और वह भी क सरकार! बक साविध जमा (एफ.डी.) भी कछ
हद तक सुरि त ह, य िक यह जमा बीमा िनगम ारा ित जमाकता 1 लाख पए तक बीिमत होता ह। अगर
बक फल हो जाता ह तो यह रािश जमाकता को िमल जाएगी, जैसा लोबल ट बक क साथ आ। िकसी भी
तरह क आपदा आने पर 1,00,000 पए तक क जमा रािश सुरि त रहगी। इसक बाद...कछ नह और यही
कारण ह िक य को अपने िनवेश को कई बक क एफ.डी. म िवत रत रखना चािहए।
2. तरलता
िनवेश म दूसरी यान रखने यो य बात ज रत पड़ने पर िनवेश को भुनाने क संभावना होती ह।
लोग जमीन म िनवेश करने से य बचते ह? य िक भारत म (अभी तक) जमीन या रयल ए टट क िलए
िविनयिमत बाजार नह ह। इसक अित र , जमीन/ लॉट को सोने क तरह बेचा या बक साविध जमा जैसी सरलता
व शी ता सिहत भुनाया नह जा सकता।
इ ह बेचते समय उिचत क मत (न िक मनचाही क मत) क िलए य को लंबा इतजार करना पड़ सकता ह।
कई बार तो इसम वष लग जाते ह। जमीन को तुरत बेचना तुलना मक प से किठन ह।
यही कारण ह िक जमीन को गैर-तरल संपि कहा जाता ह। इसम अिधक तरलता नह होती। य इसे अपनी
इ छानुसार शी ता से नह बेच सकता। यिद अ यिधक यास िकए जाएँ तो िन त ही इसे बेचा सकता ह, लेिकन
बाजार क मत से कम दाम पर। इसका प रणाम—ज दबाजी म िब , घाट का सौदा।
रयल ए टट का कारोबार, यानी आवासीय लॉट या लैट को खरीदना व बेचना कछ व क िलए तो िवक प
हो सकता ह, लेिकन हमेशा क िलए नह । चे ई क ई ट को ट रोड (ओ ड महाबलीपुरम रोड, िजसे गो ड
महाबलीपुरम रोड भी कहा जाता ह) पर जमीन क क मत आसमान छ रही थ । वे सुनामी क बाद कौिड़य क मोल
रह गई। (हालाँिक आपदा क तुरत बाद मु कल से िमलनेवाले खरीदार क भारी िगरावट क बाद अब यह िफर
सँभल गई ह।)
3. ितफल
िन संदेह, तीसरी और सबसे अंितम यान देने यो य बात होने पर भी यह धन िनवेश क िलए सबसे मह वपूण ह।
इससे पहले हमने जमीन, सोना और साविध जमा जैसे िव ीय िनवेश क कई ितफल प देख।े
“मुझे और अिधक कहाँ िमल सकता ह?” “िकस िनवेश िवक प से मुझे सबसे अिधक रटन ा हो सकता
ह?”
अपनी ज रत क चलते लोग अपने धन को अित जोिखमपूण िनवेश म डालकर सम या को आमंि त कर
लेते ह।
ाथिमकताएँ बदलती ह
आमतौर पर इस म म सुर ा, तरलता और ितफल—तीन सबसे मह वपूण यान रखने यो य चीज ह।
यह म मा एक सामा य िदशा-िनदश ह। जी हाँ, ‘सबसे पहले सुर ा, उसक बाद तरलता और तीसरा
ितफल’ का यह म इन पहलु क आधार पर प रवितत भी हो सकता ह।
•उ
• संपि आधा रत
• पा रवा रक िज मेदा रयाँ
• मौजूदा आय
•जोिखम लेने क मता।

एक सेवािनवृ य और हाल ही म नौकरी पानेवाला युवा काफ अलग होते ह। अिधकांश सेवािनवृ
य य क आय का साधन उनक पशन या बक का याज होता ह। दुलभ मामल म यह िकराए से होनेवाली
आमदनी हो सकती ह। यह न कवल वा तिवक आय से कम होती ह, ब क समय क साथ ही इसका मू य िनरतर
घटता जाता ह। वे लोग अपनी आय म इजाफा नह कर सकते या संभवतः नई नौकरी नह कर सकते या उ क
चलते अिधक यास नह कर सकते। अतः उनक िलए उ ह ने जो कछ भी कमाया या बचाया ह, वह ब त
मह वपूण ह। इसिलए उनक िलए सुर ा सबसे बड़ी ाथिमकता ह।
वह दूसरी ओर, एक युवा अिववािहत य दौड़-भाग कर सकता ह, अ छी संभावना क िलए नौकरी
बदल सकता ह और थान-प रवतन भी कर सकता ह। समय क साथ ही उसक आय म भी बढ़ोतरी होगी। अपना
कौशल व अनुभव बढ़ने क साथ ही उसक तर होना तय ह। उसे अपनी बचत क सुर ा क अिधक िचंता
करने क ज रत नह होती और वह अपना धन कम ितफल िनवेश म रख सकता ह। साथ ही, अिववािहत होने
क कारण उसे कम समय क भीतर बड़ी रकम क आव यकता संभवतः न पड़। वह अपना धन जमीन म िनवेश
कर उसक बढ़ने क ती ा कर सकता ह। ऐसे लोग क िलए ाथिमकता च ‘ ितफल, सुर ा और तरलता’
होगा।
वह एक म य आयु क य क िलए, जो लगभग दस साल से काम कर रहा हो, िजसक प नी घरलू हो,
ब चे कल जाते ह , उसक ज रत इन पहलु पर िनभर ह गी—अिधक ितफल व कम तर का जोिखम। उसे
अपने धन का कछ िह सा सबसे पहले सुर ा क ि से िनवेश करना चािहए।
संपि आधा रत
िनवेश उ े य कवल य क उ पर ही नह , ब क उसे ा िव पर भी िनभर करता ह।
हो सकता ह िक य का प रवार समृ हो, संपि वा हो या उनका यापार बिढ़या चल रहा हो। ऐसे लोग
को िवरासत म माता-िपता से कछ संपि अव य िमलती ह। उनक थित उन लोग से काफ अलग ह, िजनक
माता-िपता बस, काम चलाने भर का कमा पाते ह या कज म डबे ह। कछ लोग उ च िश ा क िलए बक से कज
लेते ह। इस अव था म उनक वेतन क चेक का वागत उनक ती ारत कज-अदायगी करती ह। ऐसे लोग युवा
होने क बावजूद जोिखम नह ले सकते।
पा रवा रक िज मेदा रयाँ
वृ माता-िपता, बीमार माता-िपता, य पर िनभर भाई-बहन भी कछ ऐसे मसले ह, िजनक बार म युवा
को िवचार करना होता ह। ऐसे म, सबकछ उ ह क कमाई पर िनभर होता ह। वे अिधक धन कमाने क िलए
जोिखम नह ले सकते। यहाँ एक बार िफर सबसे पहले सुर ा ही उ े य होगी।
जोिखम लेने क मता
कछ ऐसे लोग भी होते ह, जो युवा ह, िव ीय प से भी स म ह; लेिकन इसक बावजूद ‘अिधक जोिखमपूण,
अिधक ितफल’ म िनवेश नह करते। इसका कारण उनका ि कोण ह। कछ लोग चीज को सहजता से नह ले
पाते। वे छोट या अ थायी नुकसान पर भी िचंितत हो जाते ह। वे नुकसान व गलत फसल को लेकर अकसर
परशान रहते ह। जोिखम लेने क ि से लोग बेहद अलग िक म क होते ह। कछ लोग जोिखम झेल सकते ह,
जबिक बाक नह झेल पाते।
जोिखम लाभ अनुपात
येक िनवेश म अलग प रणाम क जोिखम व लाभ शािमल रहते ह। बस, कवल इनका अनुपात िभ होता ह।
िकसी को लॉटरी क िटकट म अ छा लाभ द अवसर िदख सकता ह, िजसका पुर कार बड़ी धनरािश हो। यह
10 करोड़ पए िजतनी बड़ी भी हो सकती ह। िटकट क क मत मा 10 पए ह। दस पए क िनवेश म (कछ
‘होिशयार लोग’ यही मानते ह) उ ह 10 करोड़ पए क लाभ क संभावना ा होती ह।
सचमुच यह बड़ ितफल वाला िनवेश ह। शायद सबसे अिधक ितफल ह। (घुड़-दौड़ और सभी कार क जुए
भी ऐसा ही अवसर ह) लेिकन इस िनवेश म जोिखम या ह? सारा िनवेश खो जाता ह। यह सबसे बड़ा जोिखम ह।
िफर से कह सकते ह िक यह सबसे अिधक ह।
हाँ, देखने म तीत होता ह िक बड़ा लाभ मतलब अिधक जोिखम। लेिकन वा तिवकता म 1 करोड़ पए
(लाभ) पाने क संभावनाएँ यूनतम ह। जबिक 10 पए खो बैठने क संभावना अ यंत बल ह। अतः वा तव म
यह अ यिधक जोिखमपूण िनवेश ह।
ऐसा अ यिधक जोिखमपूण िनवेश कवल य व प लॉटरी या दौड़ और अ य िक म क जुए तक ही
सीिमत नह ह। अ य सामा य िनवेश अवसर म भी जोिखम तो होता ही ह।
कछ रयल टट ोकर घरलू लॉट खरीदने क अनुशंसा करते ह। ाहक को लुभाने क िलए वे कहते ह—
“यह बेहद स ता ह। आप इसे खरीद य नह लेते?”
“इसे इतना स ता य बेच रह ह?”
“ य िक जमीन क वािम व को लेकर मामूली सा िववाद चल रहा ह।”
“इसम कोई जोिखम तो नह ह?”
“हाँ, तभी तो इतनी कम क मत पर िमल रहा ह।”
कछ लोग ऐसे भी होते ह, जो जोिखम लेते ए वह जमीन खरीद लेते ह। इसी तरह, शेयर बाजार म भी कछ
डाक हॉस क अनुशंसा होती रहती ह। डाक हॉस और कछ नह , ब क कपिनय क ऐसे शेयर होते ह, जो ब त
कम भाव पर उपल ध ह । मौजूदा डाटा क िहसाब से उनक कम भाव को उिचत माना जा सकता ह, ब क उ ह
उसी या उससे भी कम भाव का माना जाता ह। इसक बावजूद कछ वग म इसक म टीबैगर ( लॉकब टर जैसा)
होने क ‘संभावना ’ क चलते इसे ‘अ छ शेयर’ क तौर पर अनुशंिसत िकया जाता ह।
या यह संभावना दशन म प रवितत होती ह? प ा नह ह। हो भी सकती ह और नह भी। अगर ऐसा होता ह
तो यह लाभ ह। अगर ऐसा नह होता तो यह जोिखम ह।
एक अ य चरमाव था ब त कम जोिखम और ब त कम लाभ वाली भी ह। रा ीय बचत माण-प
(एन.एस.सी.) म मूल पूँजी खोने का जोिखम ब त कम (या िब कल नह ) होता ह, य िक इसम क सरकार क
गारटी ह।
इस कम जोिखम क क मत ‘कम लाभ’ होती ह। एन.एस.सी. पर ितवष कवल 8% याज ही िमलता ह।
एन.एस.सी. को आठ साल समा होने से पहले नह भुनाया जा सकता। यह तरलता क पैमाने पर खरा नह
उतरता। जहाँ जोिखम कम होगा, वहाँ लाभ भी कम होगा।
य को ितफल व लाभ क त व पर खरा होना चािहए, जैसा िक पहले उ ेिखत ह। यह इन पर िनभर ह—
• उ (उ िजतनी कम होगी, जोिखम उतना अिधक ले सकगे और इसका उलटा)।
• पा रवा रक िज मेदा रयाँ (िज मेदा रयाँ िजतनी अिधक, जोिखम उतना कम)।
• मौजूदा आय (कम आय, कम जोिखम)।
• संपि आधा रत (संपि का मू य िजतना कम, जोिखम उतना कम)।
• जोिखम लेने क मता (जोिखम क हौसले पर िनभर)।
अब हम सं ेप म आज मौजूद अवसर और उनक मु य िवशेषता को देखगे।
इन िविभ अवसर क पड़ताल करते ए हम शेयर म िनवेश से तुलना व अंतर देखगे, जो इस पु तक का
मुख उ े य ह। हम िसफ इनक तुलना करगे। यही वा तिवक तुलना होगी। हम सं ेप म, िव ीय संपि म हर
तरह क िनवेश क पड़ताल करगे, न िक भौितक संपि म िनवेश क ।
िव ीय संपि
शु आत क िलए सबसे पहले िव ीय संपि य क एक सूची बना लेते ह।
1. जमा
• डाकघर आवत जमा
• बक म साविध/िमयादी जमा
• बक म आवत जमा।
2. सरकारी िनवेश योजनाएँ
• रा ीय बचत माण-प (एन.एस.सी.)
• लोक भिव य िनिध (पी.पी.एफ.)
• िकसान िवकास प (क.वी.पी.)।
3. ऋण िनवेश
• सावजिनक े क बॉ ड (उदा. िबजली िव िवभाग)
• क सरकार क ितभूितयाँ
• जरी िबल
• रा य सरकार क बॉ ड
• सरकार/कॉरपोरट ारा जारी िडबचर (ऋण-प )
• िव ीय सं था (आई.एफ.सी.आई., आई.डी.बी.आई. आिद) ारा जारी बॉ ड।
4. यूचुअल फड
• ड ट (ऋण) से संबंिधत (मूल पूँजी क सुर ा हतु मह वपूण)
• ोथ ओ रएंिटड (िनवेशक क ितफल/ रटन हतु मह वपूण)
• संतुिलत (आंिशक ड ट और आंिशक ोथ ओ रएंिटड इ टी)।
5. ई.एल.एस.एस
6. शेयर
• इ टी शेयर
• ि फरस शेयर (तरजीह शेयर)
• ए सचज डड फ स (ई.टी.एफ.) िनवेश शेयर।
7. ड रवेिट ज उ पाद
• यूचर
• ऑ शन
• इड स फ स।
8. बीमा
• बंदोब ती बीमा पॉिलसी (एंडोवमट पॉिलसी)
• संपूण जीवन पॉिलसी
• टम इ योरस पॉिलसी
• मनी बैक पॉिलसी
• यूिनट िलं ड इ योरस योजनाएँ (यू.एल.आई.पी.)
• पशन उ पाद
• ब च क िलए पॉिलसी।
कोई भी य उपयु सूची म से अपने हालात व ज रत क मुतािबक िकसी को भी चुन सकता ह। एक से
अिधक िवक प को चुनना चािहए और िनवेश क अनुपात म समय-समय पर बदलाव करते रहना चािहए।
ब क एक संतुिलत ि कोण लेकर चलना चािहए और िविभ रािश िविभ योजना म िनवेश करनी
चािहए। ऐसा करने क िलए य को इन सबक बार म जानकारी होना आव यक ह।

िविभ िव ीय संपि य क िवशेषताएँ


िफ ड रटन संपि
इस वग म आनेवाली संपि य म ितफल या रटन ( याज दर) पहले से ही पूव िन त व कट होने क साथ
ही ितब भी ह। इसिलए िनवेशक यह सुिन त कर सकता ह िक िनवेश क गई धनरािश से उसे िन त प
से इतने ितशत आय हो सकगी।
बक क सभी साविध जमा, कपिनय , सं थान , डाकघर क सभी एफ.डी. इस ेणी म आती ह। इनक रज 6
से 11% ितवष होती ह और इसम समय-दर-समय तथा सं थान-दर-सं थान प रवतन होते रहते ह।
इसी तरह िडबचर और बॉ स म भी थर रटन िमलता ह। कपनी चाह िनजी हो या सरकारी, उसक लाभ या
हािन से यह रटन भािवत नह होता।
उपयु सूची म से 1, 2 और 3 ेणी म सूचीब सभी ‘िफ ड रटन’ क अंतगत आते ह (िसवाय बीमा
योजना क, जो कछ अ य प र थितय पर भी आधा रत होती ह)।
परवत रटन संपि (वे रएबल रटन एसेट)
शीषक 4, 5 और 6 क तहत आनेवाले िनवेश परवत रटन कित क ह। कोई भी कपनी इनक िडिवडड
(लाभांश) और बोनस क पहले से घोषणा नह करती। वे कर ही नह सकते। उनक ारा िनवेश को दी गई आय
साल-दर-साल िभ होती ह। यह बढ़ व घट सकती ह और कछ मामल म वे लाभांश देने से इनकार भी कर
सकते ह, यानी खराब ई फसल क भाँित उस साल कोई रटन नह िमलेगा।
िदलच प बात यह ह िक यह प रवतनशीलता कवल रटन तक ही सीिमत नह रहती। इसका भाव मूल पूँजी पर
भी पड़ता ह। जी हाँ, समय-समय पर बाजार क चाल क आधार पर िनवेिशत धनरािश भी बढ़ व घट सकती ह।
ट स म छट
िनवेश से ा ितफल क गणना करते समय य को ितफल से संबंिधत ट स अदायगी का भी यान
रखना होगा। िनवेश से आ येक िव ीय ितफल आय माना जाता ह और इस पर ट स लगता ह। इसिलए
ितफल क तुलना आय कर घटाने क बाद करनी चािहए।
हालाँिक कछ स ोत से ा आय पर कछ हद तक ट स म छट ा ह। उदाहरण क िलए, एन.एस.सी.,
क.वी.पी., पी.एफ., पी.पी.एफ. और कछ िन त (इ ा र) बॉ ड पर आयकर अिधिनयम क धारा 80सी
क तहत 1.50 लाख पए तक क ट स छट ह। यहाँ तक िक बक जमा से याज आय पर भी इसी धारा 80सी क
तहत ( यूनतम 5 वष क िलए िनवेिशत 1.50 लाख पए तक पर) ट स छट ह।
ये ट स व ट स छट ावधान जुलाई 2014 क ह। इनम साल-दर-साल बदलाव संभव ह, जो ितवष लोकसभा
म िव मं ी ारा अकसर फरवरी क अंितम िदन पेश िकए जानेवाले क ीय बजट म उ ेिखत रहता ह।

िनधा रत समयाविध
ये ऐसे िनवेश ह, िजनम िनवेिशत धन पूव िनधा रत िन त समय क बाद ही वापस िमलता ह, उदाहरण क
िलए, एन.एस.सी., क.वी.पी., सरकारी बॉ ड तथा कपिनय ारा जारी िकए गए िडबचस। इस ेणी म कछ
यूचुअल फड ( ोज एंडड) भी आते ह।
एन.एस.सी. और क.वी.पी. क अित र ऋण िनवेश सूची म आनेवाली अ य सभी व तु को खुले बाजार म
ीिमयम या छट, जो तािवत याज दर पर िनभर हो, और त कालीन समय पर बाजार म चिलत याज दर क
आधार पर बेचा जा सकता ह।
कोई भी य एन.एस.सी. और क.वी.पी. या िकसी भी अ य बॉ ड को िगरवी रखकर कज भी ले सकता ह।
उसे कज पर िनवेश क गई रकम क ा से अिधक याज देना पड़ सकता ह। लेिकन आपातकालीन
आव यकता को पूरा करने क िलए ऐसा करना संभव ह।
िफ ड रटन और परवत रटन िनवेश म अंतर
िफ ड रटन िनवेश म रटन क िलए जो भी रकम तय क जाती ह, वह देनी ही होती ह। यह अनुपात म कम
ज र होती ह, लेिकन तय रािश िमलने क गारटी होती ह।
लेिकन परवत िनवेश योजना म रटन अिधक (जैसे शेयर या यूचुअल फड म कछ समय क िलए), कम और
कछ मामल म शू य भी हो सकता ह। अतः इन पर नजदीक से नजर बनाए रखनी होती ह और ज रत पड़ने पर
िनवेश को तुरत प रवितत करने का िनणय लेना होता ह। िजन लोग क पास संबंिधत बाजार म या चल रहा ह, यह
देखने का समय या झान नह ह, उनक िलए िफ ड रटन का िवक प चुनना अिधक बेहतर रहगा।
पी.पी.एफ.—लोक भिव य िनिध
कोई भी य , िफर चाह वह रोजगारशुदा हो या बेरोजगार, इस योजना म िनवेश कर सकता ह। यह 15 वष य
योजना ह। ट स लाभ लेने क िलए इसम ित वष यूनतम 500 पए का अबािधत िनवेश करना होगा। स 2014
म इसक याज दर 8% ितवष रही। पी.पी.एफ. पर िमलनेवाले याज पर आयकर म छट ह (यह 80सी क तहत
िमलने वाली 1.50 लाख पए क छट का िह सा ह)।
तीसर वष क बाद इस पर लोन लेने क अनुमित ह और सातव साल क बाद इसम से कछ िह सा िनकाला जा
सकता ह। इस 15 वष य योजना को 5 वष क गुणन म आगे भी बढ़ाया जा सकता ह।
एन.एस.सी.—रा ीय बचत माण-प
यह छह वष य योजना ह। इसम यूनतम िनवेश 1,000 पए ह। 80सी योजना क तहत (ट स लाभ लेने क
िलए) अिधकतम 1 लाख पए िनवेश कर सकते ह। इस योजना से ा याज आय पर ट स म छट ह। वतमान
यव था (2014) क चलते यह योजना िन त आय तर से अिधक वाले लोग क िलए नह ह।
डाकघर मािसक आय योजना
यह छह वष य योजना ह, िजसम ितवष 8% याज और स क समापन पर यानी छठ साल 10% बोनस भी
िमलता ह। इसम ित य यूनतम िनवेश 1,000 पए और अिधकतम 3 लाख पए तथा संयु िनवेश 6 लाख
पए ह। इससे ा मािसक आय पर धारा 80सी क तहत छट ा ह।
क.वी.पी.—िकसान िवकास प
िन त साल (जारी करते समय चिलत प रवितत याज दर क अनुसार) क बाद िनवेिशत रािश दोगुनी हो
जाती ह। इस कारण प रप ता अविध म अकसर प रवतन हो जाता ह। इसम कोई ट स लाभ नह िमलता।
िनवेिशत रािश को यूनतम ढाई वष बाद ही िनकाला जा सकता ह।
साविध जमा (िफ ड िडपॉिजट)
पाँच साल क िलए िनवेिशत 1 लाख पए तक क बक एफ.डी. से ा याज पर आय कर क धारा 88सी क
तहत छट ह। इससे अिधक क रािश लागू लैब क अनुसार िनजी आय कर क देनदार होगी। बक भी इस ट स को
बतौर टी.डी.एस. काट सकते ह। यिद य फॉम 15जी जमा करवा देता ह तो बक स ोत पर ट स नह काटगा।
य को आय कर रटन भरते समय इसका उ ेख करना होगा।
एफ.डी. को ज रत पड़ने पर कभी भी बंद िकया और भुनाया जा सकता ह। लेिकन तय समय से पहले वापस
लेने पर कम याज िमलने क साथ ही आय कर छट क िलए भी अपा हो जाएँगे।
सरकारी बॉ ड
िनवेश अविध 1 साल से लेकर 30 साल तक होती ह। सरकारी बॉ ड म िनवेश हतु डीमैट अकाउट होना
आव यक ह। सरकारी बॉ ड क याज से ा आय (3,000 पए ितवष तक) पर धारा 88 क तहत अित र
ट स लाभ उपल ध ह।
संि िववरण
म िनवेश : इ टी शेयर
तरलता : म यम से उ च
सुर ा : यून
यान अपे ा : सामा यतः हाँ
ट स लाभ : िडिवडड आय पर कोई ट स नह । शेयर 12 माह क भीतर बेचे गए तो लाभ पर 15% क दर से किपटल गेन ट स
यूनतम आव यक रािश : यून

म िनवेश : िडबचर
तरलता : यून
सुर ा : म यम
यान अपे ा : सामा यतः न
ट स लाभ : कोई ट स लाभ नह
यूनतम आव यक रािश : यून

म िनवेश : पी.एस.यू. एवं सरकारी बॉ ड


तरलता : औसत
सुर ा : उ च
यान अपे ा : अिधक नह
ट स लाभ : उपल ध
यूनतम आव यक रािश : यून

म िनवेश : आर.बी.आई. ट स बॉ ड
तरलता : औसत
सुर ा : उ च
यान अपे ा : नह
ट स लाभ : हाँ
यूनतम आव यक रािश : यून

म िनवेश : यूचुअल फड का िडबचर म िनवेश


तरलता : उ च
सुर ा : औसत
यान अपे ा : नह
ट स लाभ : ट स लगेगा
यूनतम आव यक रािश : यून

म िनवेश : यूचुअल फड का इ टी शेयर म िनवेश


तरलता : उ च
सुर ा : यून
यान अपे ा : हाँ, इ टी शेयर क भाँित
ट स लाभ : नह
यूनतम आव यक रािश : यून

म िनवेश : ई.एल.एस.एस.
तरलता : शू य-लॉक अविध पूण होने तक
सुर ा : औसत
यान अपे ा : नह
ट स लाभ : हाँ, िनवेश व िडिवडड पर
यूनतम आव यक रािश : नह

शेयर म िनवेश
अब हम समुिचत िनवेश क आव यकता समझ लेने क बाद पु तक क मु य िवषय शेयर पर चलते ह। वण,
आवासीय लॉट, जमीन या सरकारी बॉ ड और बक एफ.डी. खरीदने क तरह ही शेयर म िनवेश भी धन िवकास
क प ित ह।
यिद सही ढग से िकया जाए तो शेयर म िनवेश उपयु सभी म सबसे बेहतर सािबत हो सकता ह। इसे
अिभ य करने क सही श द ह—‘हाँ, यह ठीक ह, अगर उिचत ढग से िकया जाए।’
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शेयर कारोबार या ह?
यापार क िलए धन क आव यकता होती ह। यापार शु करनेवाल को कपनी का ‘ वतक’ ( मोटर) कहा
जाता ह। वे कपनी को आरभ करने क िलए अपना धन िनवेश करते ह। सारी िनवेिशत पूँजी उनक होने क कारण
वह ‘एकल वािम व’ कपनी होती ह। वे उसक एकल वामी होते ह।
कई बार वे कछ अ य लोग (दो त या र तेदार) को भी आमंि त या शािमल करते ए उ ह अपने यापार/
कपनी म िनवेश क अनुमित दे देते ह। ऐसा होने पर कपनी मािलक क सं या एक से अिधक होने से वह
भागीदारी फम बन जाती ह। जब मूल पूँजी दान करनेवाल क सं या और बढ़ जाती ह, तब उस कपनी को
ाइवेट िलिमटड कपनी क तौर पर जाना जाता ह।
ऐसी कपिनयाँ अ छा दशन कर सकती ह और संभवतः उ ह आगे और अिधक पूँजी क भी आव यकता
होगी। तब वतक/भागीदार और पैसा िनवेश करते ह या वे संभवतः ‘प लक’ होने का िवक प चुन सकते ह।
‘प लक होने’ का ता पय और कछ नह , ब क बड़ पैमाने पर अप रिचत जनता को पैसे लगाने क िलए
आमंि त करना ह और उ ह कपनी क मािलक (शेयरधारक ) म शुमार करना ह।
अिधकांश जानी-मानी और बड़ी कपिनयाँ, जैसे— रलायंस इड ीज, इ फोिसस, टी.सी.एस., रनबै सी लैब,
भेल, िट को—ये सभी ऐसी ही प लक िलिमटड कपिनयाँ ह। प लक से टर कपनी (पी.एस.यू.) और प लक
िलिमटड कपनी म अंतर होता ह। प लक से टर कपिनय म मुख वािम व कवल सरकार का होता ह। इन
कपिनय म प लक व अ य िनजी प का वािम व शेयर 50% से कम होता ह। प लक िलिमटड कपिनय क
पूँजी म बड़ा िह सा वतक का होता ह। अ य लोग क पूँजी कम हो सकती ह, लेिकन िफर भी उन सभी को
‘शेयरधारक’ ही कहा जाता ह।
ऐसी कपिनय क शेयर नेशनल टॉक ए सचज (एन.एस.ई.) या बॉ बे टॉक ए सचज (बी.एस.ई.) जैसे शेयर
बाजार म सूचीब होते ह। इसक बाद इनक शेयर खरीदने का कोई भी इ छक य इसे बेचने क मंशा
रखनेवाल से इसे खरीद सकता ह। जो शेयरधारक इन शेयर को बेचना चाहते ह, वे ोकर क मा यम से इ ह
शेयर बाजार म बेच सकते ह। जहाँ कछ लोग इन शेयर को बेचते ह तो कछ ऐसे लोग भी होते ह, जो इ ह खरीदना
चाहते ह। शेयर क भाव ह तांतरण क दौरान इनक माँग व आपूित चलन से िनधा रत होते ह।
उदाहरण क िलए—29 मई, 2014 को हीरो मोटर कॉप का शेयर 2,265 पए म उपल ध था। उस िदन उसम
82 पए क िगरावट आई। हाँ, इससे िपछले कारोबारी िदवस पर यानी 28 मई, 2014 को हीरो क इसी शेयर का
भाव 2,347 पए ित शेयर था। िफर िकसी कारण से कछ लोग हीरो क शेयर 2,265 पए पर बेचने क िलए
तैयार थे तो वह कछ लोग इस भाव पर खरीदने क िलए।
29 मई, 2014 को टी.सी.एस. क शेयर अपने िपछले िदन क कारोबारी िदवस क ोिजंग ाइस 2,150 पए
क जगह 2,180 पए क भाव पर खरीदे व बेचे जा रह थे। हीरो क शेयर क िवपरीत उस िदन टी.सी.एस. क
शेयर क भाव 30 पए बढ़ गए थे।
यह भाव गितिविध मा दो िदन क ह। अब हम कछ अिधक समय म शेयर क क मत क बीच का अंतर
देखगे। इस अविध म इनक भाव रोजाना बदलते रहते ह। येक कारोबारी िदवस यानी शेयर बाजार क काय-
िदवस पर शेयर का भाव अिधक या कम कछ भी हो सकता ह।
बजाज ऑटो क शेयर 1,941 पए पर चल रह ह (29 मई, 2014)। अगर आप यह जानना चाहते ह िक छह
साल पहले यानी वष 2008 म इस शेयर क दाम या थे, तो जरा अपनी साँस सँभािलए। तब यह 320 पए क
भाव पर था! इसका मतलब मई 2014 म यह वष 2008 क भाव से छह गुना (600%) पर चल रहा था।
कहानी यह समा नह होती। मई 2014 म 1,941 पए का भाव भी तब था, जब बजाज ऑटो बंधन ने वष
2010 म एक पर एक बोनस शेयर िदया था। इसका मतलब िक उस िवशेष समय िजतने भी शेयरधारक क पास
बजाज ऑटो क िजतने भी शेयर थे, उसे उतने ही शेयर और िदए गए, वे भी िब कल मु त। इस अनुपात को एक
पर एक कहा जाता ह।
यिद िकसी क पास बजाज क 50 शेयर थे तो उसे मु त म 50 शेयर और दे िदए गए। क पना करते ह िक एक
ीमान ए स. ने स 2008 म 320 पए क भाव पर बजाज ऑटो क 50 शेयर खरीदे थे। उस समय उसक
16,000 पए खच (िनवेिशत) ए ह गे। स 2010 म उसे और 50 शेयर मु त (बोनस शेयर) म िमले—यह ठीक
ह िक उसने इन शेयर को इतने समय तक अपने पास रखा। इसक बाद 16,000 पए का िनवेश करने पर उसक
पास अब 100 शेयर थे।
29 मई, 2014 को ीमान ए स. ने वे सभी 100 शेयर बाजार भाव पर बेच िदए, जो 1,941 पए था। इससे
उसे 1,94,100 पए ा ए। यह उसक ारा िनवेिशत रकम से 12 गुना अिधक था। ितशत म कह तो चार
साल म यह 1200% हो गया!
मूल धन बढ़ने क साथ ही बजाज ऑटो क सभी शेयरधारक को िनयिमत प से लाभांश िदया गया। वष 2006
म यह लाभांश 200% था ( ित 50 शेयर 1,000 पए), 2007 और 2008 म यह िफर से 200% रहा (बोनस क
बाद 100 शेयर क िलए 2,000+2,000 पए), 2009 म यह 250% रहा, 2010 म 500% और 2011 म यह
और 250% रहा। इसक बाद अगले दो साल (मई 2014) तक यह 400% रहा। पूँजी बढ़ने क साथ ही इस पर
कल लाभांश 23,000 पए से अिधक रहा।
वाह! शेयर म िनवेश क यही श और आकषण ह। यह कोई अपवाद नह ह। ऐसे और भी कई ‘म टीबैगर’
उदाहरण ह, जो स 2003 क तेजी म कई बार सामने आए, िज ह हम थोड़ा आगे चलकर देखगे।
बजाज ऑटो क शेयर का भाव बढ़ना ऑटो से टर म िवकास क कहानी का िह सा ह। भारत क शेयर बाजार
म उछाल स 2003 से शु आ और 2008 तक जारी रहा। ऐसा तीत होता ह िक स 2014 म एक बार बाजार
म तेजी क शु आत हो चुक ह। िवशेष का मानना ह िक यह अगले पाँच से सात साल तक जारी रहनेवाली ह।
ऑटोमोबाइल क िबना िकसी भी तरह का आिथक िवकास संभव नह ह, अतः ऑटो से टर क हीरो मोटर कॉप,
टाटा मोटस, एम एंड एम, मा ित, टी.वी.एस. मोटस जैसी सभी कपिनय ने स 2014 से लाभ क मोच और शेयर
भाव क मोच—दोन पर ही अ छा दशन करना आरभ कर िदया ह।
ऐसा कवल ऑटो से टर म ही नह ह। ऐसे ब त से उ च िवकास से टर शेयर ह, जो वष 2004-05 म ब त
स ते िमल रह थे, अब िनवेशक को उन सबसे शानदार रटन िमल रहा ह। वष 2014 म कहा जा रहा ह िक ब -
तीि त िनवेश च ज दी ही आरभ होनेवाला ह और सीमट, पॉवर एवं आधार तं से जुड़ी अ य कपिनयाँ अ छा
दशन करने लगगी।
भारत को जनसां यक य लाभ हािसल ह और इसक 45 करोड़ से अिधक युवा को अ छी िश ा िमलनी ही
चािहए। वे सभी अपने िहत क चलते धन कमाने क इ छक ह गे और इसक िलए उ ह नौकरी या यापार करना
होगा। िकसी भी थित म आनेवाले कछ साल तक उनक ारा खच िकए जाने समेत बड़ पैमाने पर आिथक
गितिविधयाँ जारी रहगी। अतः कॉरपोरट भारत को अ छा दशन करना ही होगा, िजससे ब त सी कपिनय क
शेयर क भाव म इजाफा होगा।
हम शेयर से संबंिधत हर चीज पर काफ िव तार से चचा करगे; लेिकन इससे पहले हम यह देखना होगा िक
‘शेयर’ श द का मतलब या होता ह। (बेहद बुिनयादी, नह या!) जी हाँ, शेयर से पैसा बनाने क रा ते जानने से
पहले इसका मतलब समझना ब त आव यक ह।

शेयर, यानी साझा करना


या यही प रभाषा ह? जैसा िक हमने पहले देखा, एक कपनी का वािम व कई लोग क पास हो सकता ह। वे
सभी उस वािम व को ‘साझा’ करते ह। बस, इतना ही। शेयर यानी वािम व को साझा करना; सूचना को साझा
करना (कपनी से संबंिधत); मुनाफ को साझा करना या नुकसान को साझा करना।
शेयर क िवचार को समझने क िलए एक ऐसी ही यव था देखते ह। इस बात पर आप भी सहमत ह गे िक
मुंबई, बगलोर, िद ी और चे ई जैसे शहर म वतं मकान क िदन समा हो चुक ह। आज बेहद धनी लोग
भी लैट खरीदकर उनम रह रह ह। हालाँिक उन सुिवधापूण लैट क क मत कछ करोड़ होती ह। चिलए, हम
शेयर क िकसी चीज व मकान से ही तुलना करते ह, िजसे सभी समझते ह।
मान लीिजए, दो य ह—रमेश और सुरश। रमेश एक वतं मकान खरीदता ह। वह इस िब डग का
इकलौता मािलक ह (जब तक उसक बेट इस संपि क िलए लड़ना नह शु कर देते!)। उसका घर 10,000 वग
फ ट े म िनिमत ह, जो चार मैदान से कछ ही बड़ा ह। यह जमीन रमेश क नाम ह।
सुरश अगली पीढ़ी का य ह। वतं मकान क जगह वह मुंबई म एक लैट खरीदता ह (मुंबई म लैट,
यानी सु तान!)। यह लैट बड़ी सी दो-मंिजला एक िब डग म ह, िजसम हर लोर पर दो मकान ह। उस िब डग
म कल िमलाकर चार मकान ह।
सुरश क िब डग 10,000 वग फ ट से भी अिधक म िनिमत ह। चूँिक यह एक ही िब डग ह, अतः सभी चार
लैट वाल क िलए जमीन संबंधी द तावेज एक जैसे ह। लेिकन यहाँ लैट सुरश समेत चार िभ लोग ने खरीदे
ह। वे सभी एक-एक लैट क मािलक ह।
वे न कवल लैट क िनिमत े क मािलक ह, ब क वे सभी बरामदे, सीिढ़य , छत, िल ट क और िब डग
क आस-पास िनिमत बगीचे जैसे कॉमन ए रया क भी सह-मािलक ह। िसफ कॉमन ए रया ही नह , ब क जमीन
क कल आकार क एक-चौथाई क मािलक ह। िब डग क 2,500 वग फ ट जमीन क कानूनी मािलक वे ही ह।
िब डर यह िवशेष प से नह दरशा सकता िक वा तव म वे कौन से 2,500 वग फ ट क मािलक ह। हम सभी
जानते ह िक यह अिवभािजत भूिम ह, िजसे गणना और वािम व क उ े य से कवल कागज पर िवभािजत िकया
गया ह। लेिकन बतौर जमीन और द तावेज म यह अिवभािजत ही रहगी।
यिद उनम से कोई भी लैट मािलक उसे बेचना चाहगा तो वह कल भूिम का ¼ या अिवभािजत भाग म थत
लैट ही बेच सकता ह।
कपनी एक िब डग क जैसी होती ह
कोई भी सं थान िकसी िब डग क जैसा होता ह। उस सं थान/कपनी क शेयर अिवभािजत जमीन क िह से ह।
हम इसे आसान तुलना मक चाट ारा समझ सकते ह।
रहायशी िब डग : कछ िब डर इसे यावसाियक अवसर मानते ए लैट िनमाण क योजना बनाते ह।
कपनी : कछ उ मी इसे यावसाियक अवसर मानते ए कपनी शु करने क योजना बनाते ह।

रहायशी िब डग : इ ह वतक कहा जाता ह।


कपनी : इ ह भी वतक कहते ह (यहाँ भी समान नाम), वह जो वतन और िवकिसत करता ह।

रहायशी िब डग : मूल पूँजी खुद लगाता ह।


कपनी : मूल पूँजी क तौर पर अपना (और अपने दो त व र तेदार का) धन लगाते ह।

रहायशी िब डग : जमीन अिधगृहीत कर काय आरभ कर देता ह।


कपनी : जमीन ा करता ह या ऑिफस िकराए पर लेता ह, बतौर कपनी रिज टर होता ह और काम शु कर
देता ह।

रहायशी िब डग : योजनानुसार िब डग बनाने क िलए और धन क आव यकता ह ( येक 4 मंिजल पर 4


लैट, यानी 16 लैट िनमाण क योजना ह)।
कपनी : ोजे ट पूरा करने क िलए या कपनी और यापार को िव तार देने क िलए और धन क आव यकता ह।

रहायशी िब डग : िनमाण से पहले ही िदलच पी रखनेवाल को कछ लैट बेचने का िनणय लेता ह।


कपनी : कपनी क कछ िह से को वािम व म िदलच पी रखनेवाल को बेचने का िनणय करता ह।
रहायशी िब डग : लैट का दाम मान लीिजए, 10 लाख पए तय कर देता ह।
कपनी : िकतनी पूँजी चािहए, इसका िनणय लेता ह। मान लीिजए, यह 1 करोड़ पए ह। येक शेयर का भाव
10 पए तय कर देता ह।
रहायशी िब डग : 16 लैट ह, उिचत प से िव ािपत करता ह और िदलच पी लेनेवाले ाहक को बेच देता
ह। कछ लोग 1 लैट लेते ह, कछ 2 और एक बड़ी पाट (बड़ा प रवार) 4 लैट खरीद लेता ह।
कपनी : अपना आई.पी.ओ. (इनीिशयल प लक ऑफर) िनकालता ह, आवेदन करनेवाली जनता को शेयर
आवंिटत करता ह। कछ लोग यूनतम 50 शेयर क िलए आवेदन करते ह, कछ 500 क िलए और कछ
एच.एन.आई. व सं थान हजार शेयर क िलए।
रहायशी िब डग : तय क मत पर िव य करता ह।
कपनी : तय क मत पर शेयर आवंटन करता ह।
रहायशी िब डग : 16 लैट 32,000 वग फ ट जमीन पर बनने ह। िब डग ( लैट) क अित र येक (नए)
मािलक को 2,000 वग फ ट (32,000/16) भूिम का वािम व िमलेगा।
कपनी : आवेदक को आवंिटत शेयर का वािम व िमल जाता ह।

रहायशी िब डग : येक लैट वामी को 2,000 वग फ ट अिवभािजत भूिम का िव य प िमल जाता ह।


कपनी : आवंिटत सं या क शेयर का शेयर सिटिफकट (या डीमैट ा प म) जारी कर िदया जाता ह, जो संपूण
इ टी पूँजी का अिवभािजत िह सा ह।

रहायशी िब डग : वतक 16 म से 8 लैट बचाते ह। िब डग म अभी भी उनक लैट सं या सबसे अिधक


ह। हालाँिक इसक कछ अ य मािलक भी हो गए ह।
कपनी : कल शेयर (पूँजी) का बड़ा व पूव िनधा रत भाग अपने पास रखते ह और कपनी क बंधन एजट क तौर
पर काय करते रहते ह।

रहायशी िब डग : सभी लैट क मािलक एसोिसएशन बनाकर आम आचार संिहता तैयार करते ह।
कपनी : कपनी क बोड ऑफ डायर टस क तावानुसार सभी शेयरधारक को समान प से लाभांश व बोनस
शेयर जैसे फायदे िदए जाते ह।

रहायशी िब डग : िविभ कारण से लैट का बाजार भाव बढ़ता या घटता ह।


कपनी : शेयर टॉक ए सचज क सूची म शािमल हो जाता ह और िडग क िलए उपल ध होता ह। बाजार
कपनी क दशन और संभावना को देखते ए शेयर का भाव तय करता ह।

रहायशी िब डग : लैट मािलक उसे रखने या खरीदने म िदलच पी रखनेवाल को िजतना चाह उतने दाम पर
बेचने क िलए वतं ह।
कपनी : शेयरधारक अपने िह से क शेयर बेचने या अपनी इ छा क अनुसार बाजार से और शेयर खरीदने क िलए
वतं ह।

कपनी का वतन व सूचीब ता


मान लीिजए, कपनी का वतन ी स सेना ने िकया ह। उ ह ने मूल प से 10 लाख पए िनवेश िकए। कछ
समय बाद जब यापार बढ़ जाता ह तो वे 15 लाख पए और िनवेश कर देते ह। यापार और बढ़ता ह और उनक
उ पाद क माँग म थर वृ हो रही ह।
अब वे बड़ तर पर िव तार का िनणय लेते ह और इसक िलए एक मेगा लान बनाते ह। उ ह पता चलता ह िक
िव तार क िलए 1 करोड़ पए क आव यकता होगी। वे बक से 1 करोड़ पए का कज लेने का िनणय लेते ह।
उनका िम , जो बक म काम करता ह, उसे यह पता चलता ह िक वह स सेनाजी को इ ह इसक जगह इ टी
(शेयर बाजार) का माग अपनाने क सलाह देता ह। वह कहता ह, “अगर तुम कज लोगे तो तु ह उस पर पहले ही
िदन से याज चुकाना होगा, िफर भले ही तु ह मुनाफा हो या न हो। ऐसा करना ही होगा। लेिकन अगर तु हारी
कपनी अ य लोग को शेयर देती ह तो तु ह िव तार क िलए पया धनरािश िमल जाएगी। उस पैसे क िलए तु ह
िकसी को याज भी नह देना होगा।” स सेना साहब हरान थे और खुश भी।
“लेिकन लोग मुझे अपना पैसा य दगे, वह भी तब, जब उ ह याज भी नह िमल रहा हो?”
“यिद वे आपको अपना पैसा बतौर कज या याज क िलए देते ह तो वे सा कार हो जाएँग।े उ ह थायी दर से
वह याज ा होगा, जो आप उ ह देना चाहगे। लेिकन यिद वे वही पैसा आपक इ टी शेयर लेने क िलए देते
ह तो वे आपक सं थान का िह सा बन जाएँग।े वे यापार म आपक सह- वामी ह गे, इसिलए वे आपसे याज नह
माँगगे। लेिकन उनक पास आपक कपनी क संपि और समृ को साझा करने का अिधकार िमलेगा। उन सभी
क पास आपक कपनी क अिवभािजत पूँजी होगी। अिवभािजत यानी संपूण पूँजी। यह अिवभािजत ह, य िक बाँटने
क बाद भी यह एक साथ ही रहती ह।
“जैसे बजाज ऑटो ने वष 2010 म सभी शेयरधारक को बोनस शेयर िदए थे। कई कपिनयाँ इसी तरह येक
शेयरधारक को इसी दर ( ितशत) पर लाभांश देती ह। आपको उन सभी को लाभांश, बोनस और अ य फायदे देने
ह गे (जैसा आप अपने िलए चाहते ह), जो भागीदार क प म आपक यापार से जुड़गे। िन त ही यह भागीदार
क आधार पर िभ होगा, जो उनक ारा दी गई पूँजी पर िनभर होगा।”
स सेनाजी को यह (उदाहरणाथ िदया) िवचार पसंद आया और िदलच पी िदखाने वाल से 1 करोड़ पए
एकि त करने का िनणय िलया। उ ह ने लोग को जानकारी दी िक उनका यापार बिढ़या चल रहा ह और वे इसे
िव तार देना चाहते ह और उनक पास यह यापा रक अवसर मौजूद ह। यह कपनी इस साल इतना लाभ िन त ही
कमा सकगी। उ ह ने यह सारा िववरण एक द तावेज क प म कट िकया, िजसे ॉ पे टस कहते ह।
“म उन सभी लोग को आमंि त करता , जो मुझसे सह- वामी या शेयरधारक क तौर पर जुड़ना चाहते ह।
येक शेयर 10 पए म जारी िकया जाएगा। (िडनॉिमनेशन या फस वै यू)। खरीदने क इ छा रखनेवाले 50 क
गुणक म (गणना म आसानी क िलए) शेयर क िलए आवेदन कर सकते ह। जो भी 5,000 पए िनवेश कर सकता
हो, वह आवेदन कर। म उनम से येक य को 50 शेयर आवंिटत क गा।
“अगर आप म से कोई 50,000 पए म 5,000 शेयर लेना चाहता हो तो म ऐसा भी कर सकता । म उ ह
आवंिटत व जारी कर दूँगा।”
ब त से लोग, ऑिफस म काम करनेवाले, घरलू मिहलाएँ और अ य यापार कर रह लोग को इसक ारा
स सेना साहब क यापार म अ छा अवसर व संभावना िदखाई दी। वे जानते थे िक वे न तो ऐसा यापार आरभ
कर सकते ह और न ही ऐसी कपनी बना सकते ह। उनक पास न तो इतना समय ह और न ही इतना पैसा ह।
हालाँिक उनक पास 5,000 या 50,000 पए िजतना पैसा तो ह, िजसे वे कह िनवेश कर उस पर कछ याज
ा कर सकते ह। वे उस पैसे से और अिधक कमाई करना चाहते ह। उ ह इस कपनी म 5,000 पए िनवेश
करने म कोई बड़ा जोिखम िदखाई नह देता—और वह भी स सेना साहब क पास, िजनक साख पहले से ही ब त
अ छी ह तो अपेि त रािश रखनेवाल ने डी.डी. और चेक क साथ आवेदन कर िदया। स सेना साहब यह देखकर
हरान रह गए िक उनक 1 करोड़ पए क िलए 10 पए ित शेयर क दर से 10 लाख शेयर क बदले म 5
करोड़ पए क 50 लाख शेयर क िलए आवेदन ा ए।
उनक िलए अपने ताव का ओवर सब ाइ ड हो जाना सुखद आ य था, य िक उनक शेयर पाँच गुना
सब ाइ ड थे। चूँिक उ ह ने यह ताव उ ह िदया था, िज ह वे पहले से नह जानते थे और उ ह ने यह ताव
अखबार और अ य मीिडया मा यम से िदया था, इसिलए इसे ‘प लक इ यू’ क नाम से जाना जाता ह।
चूँिक उ ह ने अपनी कपनी क िलए यह ताव पहली बार रखा था, इसिलए यह उनका (उनक कपनी का)
पहला सावजिनक ताव था। सं ेप म कह तो यह आई.पी.ओ. (इनीिशयल प लक ऑफर) था। स सेना साहब
और उनक कपनी का पिनक ह, िजसे हमने उदाहरण क तौर पर सृिजत िकया ह। अब एक वा तिवक कपनी को
देखते ह, िजसने आई.पी.ओ., ब त बड़ा आई.पी.ओ., िनकाला ह। इस कपनी का नाम ह—डी.एल.एफ.।

डी.एल.एफ. का प लक ऑफर
डी.एल.एफ. ने स 2007 म काफ बाधा क बाद एक प लक ऑफर पेश िकया। डी.एल.एफ. छह दशक
पुरानी िनजी कपनी ह। उ ह ने अपनी शु आत रयल ए टट िबजनेस से क थी और स 1981 म ह रयाणा म
डी.एल.एफ. िसटी नाम से टाउनिशप का िनमाण करते ए खूब लाभ कमाया था। इस कपनी क वतक व मािलक
ी क.पी. िसंह और उनक प रवार क सद य ह। इसक बाद उ ह ने िनजी प से अपने प रजन व दो त को कछ
शेयर जारी िकए। तब तक यह ाइवेट िलिमटड कपनी रही।
त प ा उ ह ने प लक होने का िनणय िलया। ऐसा करक उ ह ने एक ही झटक म काफ संपि एकि त कर
इितहास बना िदया। इस इ यू क बाद वे एक समय िव ो क ी अजीम ेमजी को पीछ छोड़कर भारत क चौथे
सबसे अमीर य बन गए।
डी.एल.एफ. ने 523 ित शेयर क ीिमयम पर 2 पए ित शेयर क दर से 17.5 करोड़ शेयर जारी िकए।
चूँिक रयल ए टट क भाव थर गित पर थे और डी.एल.एफ. अ य छोटी िनमाण कपिनय क िवपरीत अ छ
बंधनवाली कपनी थी, िजसने गुड़गाँव, ह रयाणा म टाउनिशप का िनमाण िकया था—चतुर िनवेशक ने इस इ यू
को हाथोहाथ िलया। इतना बड़ा होने पर भी यह इ यू 3.6 गुना ओवर सब ाइ ड हो गया। इसम ािलटी
इ टी यूशनल िबडर ( यू.बी.आई.) जैसे िवदेशी सं थागत िनवेशक और एल.आई.सी., यू.टी.आई.,
आई.डी.बी.आई. आिद जैसे घरलू सं थागत िनवेशक क भाग 5.23 गुना का शानदार ओवर सब ाइ ड आ।
जी हाँ, एफ.आई.आई. और अ य सं थागत िनवेशक ने डी.एल.एफ. क ढर सार शेयर क िलए आवेदन िकया,
जो समुिचत मा ा म आवंिटत कर िदए गए। ब त से खुदरा िनवेशक को भी शेयर आवंिटत ए। िदलच प बात
यह रही िक सं थागत िनवेशक क िवपरीत सभी खुदरा िनवेशक को उतने शेयर िमल गए, िजतने क उ ह ने माँग
क थी, य िक खुदरा भाग पूणतः सब ाइ ड नह आ था। यह लगभग 90% क आस-पास रहा।
डी.एल.एफ. बंधन ने इस आई.पी.ओ. क मा यम से 7,28,84,938 शेयर बड़ी सं या म लोग को आवंिटत व
जारी िकए। डी.एल.एफ. क इस सफल प लक इ यू क बदौलत और भी ब त कछ आ।
• डी.एल.एफ. कपनी को अपने इस प लक ऑफर ारा एक ही झटक म यापार क िलए 9,600 करोड़ पए
क प म ब त सारा धन िमल गया।
• डी.एल.एफ. क पूँजी म वृ ई। िजन सबक नाम शेयर आवंिटत िकए गए थे, उ ह ने उतना ही धन दे िदया,
िजतनी डी.एल.एफ. क पूँजी थी।
• बड़ सं थागत िनवेशक समेत हजार िनवेशक उ ह िजतने शेयर आवंिटत ए थे, उतनी मा ा म डी.एल.एफ.
कपनी क सह मािलक बन गए।
चूँिक अब सह-मािलक क सं या काफ बढ़ चुक थी, इसिलए अब डी.एल.एफ. क.पी. िसंह एवं फिमली
क िनजी कपनी नह रह गई थी। यह प लक िलिमटड कपनी थी। हालाँिक इस आई.पी.ओ. क बाद भी क.पी.
िसंह व उनक प रवार क पास डी.एल.एफ. क 88.24% शेयर थे। इस तरह वे अभी भी सबसे बड़ शेयरधारक थे।
इसी कारण अभी भी कपनी का बंधन वे ही कर रह थे। दूसर श द म कह तो कपनी का बंधन अभी भी उनक
ही हाथ म था।
डी.एल.एफ. ने 2 पए क फस वै यू पर 17.5 करोड़ शेयर जारी िकए और बदले म पूँजी ( ीिमयम) क तौर
पर उ ह िमली धनरािश समेत 9,187.5 करोड़ पए ा ए, जो डी.एल.एफ. क रज स एंड सर लस खाते म
जमा हो गए।
डी.एल.एफ. ने 2 पए का इ टी शेयर 525 पए म िदया (िववरण आगे)। इसका मतलब उ ह ने
डी.एल.एफ. म वािम व पाने क इ छा रखनेवाल से ित शेयर 523 पए अिधक माँगे और ा िकए।
डी.एल.एफ. ने अंितम प से यही ‘ ीिमयम’ तय िकया, माँगा और ा भी िकया। लोग यह अित र रािश
देने को तैयार थे, य िक वे डी.एल.एफ. क शेयर को सचमुच इस (या इससे भी अिधक) क लायक समझते थे।

‘ ीिमयम’ या होता ह?
ीिमयम वह अित र रािश ह, जो इसे पाने क इ छा रखनेवाल को चुकानी होती ह। इसका कारण यह ह िक
उस उ पाद क ब त माँग ह। उसक माँग उपल धता से अिधक ह। उदाहरण क िलए, जैसे रजनीकांत या शाह ख
खान क िफ म का िटकट िथएटर म उस क मत से अिधक पर िबकता ह, जो उस पर मुि त हो। आई.पी.एल.
ि कट मैच क िटकट काउटर क बाहर ीिमयम पर िबकते ह। अगर मैच इस लायक होगा तो लोग अिधक पैसे
देने को भी तैयार हो जाएँगे।
एक और उदाहरण लेते ह। एक य 50 पए वग फ ट क दर से जमीन खरीदता ह, िफर वह उस जमीन को
िवकिसत करता ह। त प ा , हर जगह जमीन क दाम बढ़ने लगते ह। यिद वह अपनी जमीन का एक टकड़ा
बेचना चाह तो उसे इसे िकस दाम पर बेचना चािहए? या िजतने पर उसने इसे खरीदा था—50 पए ित वग
फ ट?
वह ऐसा य करगा? वह उसे उस समय क सबसे बेहतरीन बाजार क मत पर बेचने का यास करगा। वह तो
इसे 250 पए ित वग फ ट पर बेचना चाहगा। उसका यादा पैसे माँगना गलत भी नह ह। उसे पूरा अिधकार ह
िक वह बतौर ‘ ीिमयम’ 200 पए ित वग फ ट ा कर।
इसी तरह डी.एल.एफ. ने एक िबजनेस मॉडल तैयार िकया, कपनी को िवकिसत िकया और उसे एक लाभ
उ पादक कपनी क प म थािपत िकया। िफर वतक अनजान लोग को कपनी क शेयर उसी क मत पर य देने
लगे?
िव ेषक गणना कर वह दर िनकालते ह, जो प लक ऑफर क समय उिचत होती ह और लोग शेयर बाजार
क प र थितय (चढ़ाव व घटाव अव था) पर आधा रत उस शेयर को िकसी दर पर खरीदगे। इस गणना क
आधार पर डी.एल.एफ. क शेयर को 2 पए पर 523 पए का (भारी) ीिमयम िदया गया (उसक भाव से 261
गुना अिधक)।
ताव और आवंटन का काय समा होने क बाद डी.एल.एफ. क शेयर मुंबई और नेशनल टॉक ए सचज म
सूचीब हो गए।
अब इ ह बाजार क मत पर बेचा जा रहा ह। अब कोई फस वै यू (2 पए) या ीिमयम (523 पए) आिद
कछ नह ह। िजन लोग को आई.पी.ओ. क दौरान ये शेयर िमले थे, वे यिद इस शेयर को अपने पास न रखना
चाहते ह तो इसे बेच सकते ह। िजन लोग ने आवेदन नह िकया था या िज ह, उदाहरण क िलए यू.आई.बी. को,
ये ओवर सब ाइ ड होने क कारण पया सं या म नह िमल सक थे, वे इसे उन लोग क िलए खरीद सकते
ह, जो इ ह बेचना चाहते ह । टॉक ए सचज म यही सब िकया जाता ह।
आई.पी.ओ. क बाद जब शेयर टॉक ए सचज म सूचीब हो गया, तब डी.एल.एफ. क शेयर को सभी
खरीद व बेच सकते ह। कोई भी शेयरधारक इ ह बेच सकता ह और इनम िच रखनेवाला इ ह खरीद सकता ह।
कई लोग को लगता होगा िक डी.एल.एफ. कछ अिधक ीिमयम माँग रहा ह, अतः सूचीब होने क बाद
इसका भाव ऑफर भाव से कम हो सकता ह। लेिकन अिधकांश िव ेषक यह देखकर चिकत रह गए (इस मामले
म या वाकई ऐसा था!)और शेयर ा करनेवाल को भी (सुखद) हरानी ई, जब डी.एल.एफ. क शेयर का भाव
562 पए रहा, यानी 525 पए क इ यू ाइस से 7% अिधक था।
यह आवंटन ाइस से 37 पए अिधक था। िजन लोग क पास आवंिटत शेयर थे, उ ह 20 िदन (आवेदन क
िदन से सूचीब होने क िदन तक) क भीतर ही ित शेयर 37 पए का मुनाफा आ था। कछ ने इ ह बेच िदया
तथा कछ ने और खरीद िलये। वे ठीक थे, य िक एक ही महीने म डी.एल.एफ. क शेयर का भाव बढ़कर 650
पए हो गया और एक ही साल क भीतर यह 1,000 पए को छ गया।
इस तरह डी.एल.एफ. अब सूचीब कपनी बन गई ह और इसक शेयर टॉक ए सचज म खरीदने व बेचने क
िलए उपल ध ह।
कई लोग को शेयर बाजार और शेयर क आव यकता पर हरानी हो सकती ह। इसक होने क कई अ छ कारण
ह और हम डी.एल.एफ. क उदाहरण म ऐसे आई.पी.ओ. का भाव देख सकते ह।
1. डी.एल.एफ. कपनी क िलए
इनक इ टी पूँजी िफलहाल उ चतम ह। साथ ही उनका रज स एंड सर लस (आर एंड एस) म वृ ई।
523 पए ित शेयर क ीिमयम धनरािश आर एंड एस खाते म गई और कवल फस वै यू क 2 पए पूँजीगत
लेखा रहगी। लाभांश कवल इस 2 पए पर ही घोिषत होगा।
हालाँिक जब भी कपनी क कल संपि क गणना होगी, तब पूँजी और आर एंड एस खाते दोन का आकलन
िकया जाएगा। िलिमटड कपिनय क िलए उनक कल संपि ब त मह व रखती ह, य िक कपिनय को अपनी
कल संपि क आधार पर ही धन (कज) ा करने क अनुमित होती ह। जब डी.एल.एफ. जैसी कपिनयाँ
प लक िलिमटड बनकर ीिमयम एकि त करती ह तो उनक कल संपि बढ़ जाती ह और इसक साथ ही उनक
कज लेने क मता भी बढ़ती ह, जो कपनी क िहत म रहता ह।
2. नए शेयरधारक क िलए
िकसी ने कपनी बनाने क बार म िवचार िकया और इसे िडजाइन िकया, उ पाद को पहचाना, उसका िनमाण
िकया और उसे बेचा भी। यहाँ तक सब ठीक चलता तीत होता ह। कपनी थर माग पर चल रही ह। लोग क
नजर म वह उ पाद सफल ह—एक मािणत मॉडल, एक कायशील मॉडल।
अब वतक कपनी म शािमल होने क िलए अ य लोग को आमंि त करता ह। वह अपेि त सूचना का खुलासा
करता ह और जानकारी देता ह। िव ेषक भी कहते ह िक इस यापार म अ छी संभावनाएँ ह। ‘म इस कपनी म
शािमल य नह हो सकता? म इस कपनी म थोड़ से शेयर खरीद लूँगा। िन संदेह वे मुझसे वतक ारा कपनी
को इस तर तक लाने का ीिमयम वसूल करगे। कोई बात नह , यह यथोिचत ह। इसक और आगे बढ़ने क
गुंजाइश भी िदखाई देती ह।’
जो भी संतु होगा, उसे आवेदन करने पर शेयर िमल जाएँगे (यिद आवंिटत होते ह तो)। यहाँ ‘जो भी’ का अथ
‘जो भी’ ही ह। जो भी—यानी वह चाह मुकश अंबानी, अिनल अंबानी या अजीम ेमजी जैसा यापारी ही य न
हो। ये उन कछ िद गज म शािमल ह, िज ह ने डी.एल.एफ. क आई.पी.ओ. म बड़ लॉट क िलए आवेदन िकया
था।
• एल.आई.सी., आई.एफ.सी.आई., यू.टी.आई. आिद जैसे सं थान। न कवल िव ीय सं थान, ब क कछ
िवकिसत देश म तो शै िणक सं थान (िव िव ालय) और बंदोब ती बोड भी डी.एल.एफ. जैसे कॉरपोरट क
शेयर क िलए आवेदन कर इ ह ा करते ह (िनजी इ टी माग ारा, िजसक बार म हम आगे बताएँगे)।
• यूचुअल फड और अ य कॉरपोरट जो अपने धन को अिधक फायदेवाली जगह िनवेश करना चाहते ह।
• और अंततः हर तरह क कमाईवाला य , या कह तो कोई भी य (घरलू मिहला, सेवािनवृ य , छोट
दुकान मािलक, छा ) आवेदन कर सकते ह; य िक शेयर म िनवेश क यही खूबसूरती ह िक इसक िलए अिधक
पूँजी, िश ा या िकसी भी तरह क यापा रक कशा ता क आव यकता नह होती।
आवंटन क समय कपिनयाँ सुिन त अंक क गुणन म आवेदन क िलए कह सकती ह। हालाँिक सूचीब होने
क बाद जब शेयर तीयक बाजार म आते ह और रोजाना ड होते ह, जहाँ उ ह 1 क सं या म, यानी कवल 1
शेयर भी खरीदा जा सकता ह। इस तरह िकसी भी कॉरपोरट क भीतर इ टी मोड म आसानी से दािखल हो सकते
ह।
नेशनल टॉक ए सचज म सूचीब कछ अ छी कपिनय क 30 मई, 2017 को कारोबार करनेवाले शेयर ह—
शेयर कपिनयाँ : आई.टी.सी.
शेयर भाव : 281

शेयर कपिनयाँ : रलायंस इड ीज िल.


शेयर भाव : 1353

शेयर कपिनयाँ : एच.डी.एफ.सी. बक िल.


शेयर भाव : 1557

शेयर कपिनयाँ : लासन एंड ट ो िल.


शेयर भाव : 1755

शेयर कपिनयाँ : ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरशन िल.


शेयर भाव : 184

शेयर कपिनयाँ : ए सस बक िल.


शेयर भाव : 502

शेयर कपिनयाँ : एच.डी.एफ.सी.


शेयर भाव : 1552

शेयर कपिनयाँ : आई.सी.आई.सी.आई. बक िल.


शेयर भाव : 309
शेयर कपिनयाँ : इनफोिसस िल.
शेयर भाव : 952
शेयर कपिनयाँ : टाटा कस टसी सिवसेज िल.
शेयर भाव : 2455
शेयर कपिनयाँ : टाटा मोटस िल.
शेयर भाव : 449
शेयर कपिनयाँ : टट बक ऑफ इिडया
शेयर भाव : 307

ऐसा कौन ह, िजसक पास शेयर खरीदने क िलए 2,000 पए न ह ? ान व जाग कता क सार क साथ ही
10,000 पए क यून मािसक आयवाले लोग भी शेयर म पैसा िनवेिशत कर रह ह। िसफ बारहव क ा तक पढ़
चे ई क शो म म पु तक बेचने वाले राजेश ने भी आवेदन िकया और उसे भी डी.एल.एफ. क 20 शेयर
आवंिटत ए। तब से राजेश भी डी.एल.एफ. का शेयरधारक ह।
वतक (क.पी. िसंह) को जो भी लाभ ा होते ह, वही अ य शेयरधारक (कछ सं थान या हाई नेटवथ
इिडिवजुअल (एच.एन.आई.) या अमीर लोग) और राजेश जैसे छोट िनवेशक को भी िमला करते ह। कहा जाता ह
िक समय सबको समान बना देता ह। शेयर भी ऐसा ही महा समभाव कम होता ह। जहाँ तक लाभ क बात ह,
जैसे शेयर, राइट शेयर, पूव जानकारी, मतदान अिधकार, लाभांश, बोनस आिद क मामले म सभी शेयरधारक क
एक जैसी थित ह। बस, शेयर क सं या क आधार पर इसका प रमाण अलग हो सकता ह। लेिकन लाभ क दर
समान ही रहती ह। यिद लाभांश 10% ह तो सभी शेयरधारक को यह 10% ही िमलेगा।
लोग तीयक बाजार म शेयर का आवेदन व खरीद य करते ह? (कपनी ारा शेयर बेचने का ताव व
आवंटन को ाथिमक बाजार ( ाइमरी माकट) से खरीदना कहा जाता ह और इ ह टॉक ए सचज से खरीदना या
बेचना तीयक बाजार (सेकडरी माकट) कहलाता ह।
लोग शेयर म इसिलए िनवेश करते ह, य िक उ ह इसम बेहतर और कछ मामल म उ क रटन िदखाई देता ह।
जैसा िक हमने पहले देखा, िविभ िनवेश म िविभ अवसर ह तो िविभ किमयाँ भी ह। अ ययन दरशाते ह िक
अ छी कपनी क शेयर म पैसे िनवेश करने और उसे लंबे समय तक न छने से अ छ रटन हािसल होते ह।
अ छी कपनी और लंबा समय—दो ही मह वपूण ह।

देश को लाभ
किष और औ ोिगक िवकास न होने पर लोग को उनक ज रत क चीज उिचत दाम पर नह िमल सकगी। वे
िदन गए, जब लोग को कछ भी पाने क िलए लंबे समय तक ती ा करनी पड़ती थी। मा 20-25 साल पहले
हमार देश म लोग को हर चीज क िलए काफ लंबे समय तक ती ा करनी पड़ती थी, िफर चाह वे चावल या
गे जैसी साधारण, लेिकन आव यक चीज ही य न ह । वे भी अपया व सीिमत आ करती थ । िन संदेह
इसका कारण भी था। लगभग हर दूसर या तीसर साल अकाल पड़ता या बाढ़ आया करती। ह रत ांित क कारण
आज अकाल का अ त व कवल इितहास क पु तक तक ह। एक समय ऐसा भी था, जब भारतीय उन अमे रक
जहाज क ती ा करते थे, जो गे लेकर आया करते थे।
िकसी को दोपिहया वाहन खरीदना हो तो वह खरीद सकता था; लेिकन कवल लं ेटा (िसफ एक ांड) कटर
होता था। साथ ही उसे पहले से बुक करवाना होता था। वाहन क िडलीवरी 6 से 12 महीन बाद होती थी। कार का
मतलब िसफ एंबेसडर या िफएट होता था। घर बनाने क इ छा रखनेवाल को ब त पहले से योजना बनानी होती
थी, य िक सीमट दु ा य था और कवल सरकार ही इसे आवंिटत कर सकती थी। यह डीजल क भाँित िनयंि त
उ पाद था!
युवा को िववाह से काफ पहले एल.पी.जी. कने शन बुक करवाना होता था, अ यथा उ ह करोिसन टोव से
काम चलाना पड़ता। एल.पी.जी. कने शन क माँग हमेशा बनी रहती और काले बाजार म यह ब त महगा था।
सरकार- द दूध का काड भी कछ अलग नह था। सं ेप म, य को हर चीज क पहले ही से योजना बनाकर
कतार म ती ा करनी होती थी।
आज क तरह तब भी रलवे का प रचालन कवल सरकार ही करती थी। ब त से उ पाद कवल सरकार ही
बनाया करती थी। िनजी कपिनय को भी गंभीर प से िनयंि त िकया जाता था।
भेल (पावर उपकरण), बेल (इले ॉिन स), बी.ई.एम.एल. (लोडस और डपस), सेल ( टील), ने को
(अ युिमिनयम), आई.डी.पी.एल. (दवाइयाँ), ए.ए.वी.आई.एन. (तिमलनाड म दु ध) उ पादन े क कछ
सरकारी कपिनय क उदाहरण ह।
हीरो साइक स, बाद म हीरो ह डा, कवल साइिकल का िनमाण करती थी। उ पादन क मा ा बढ़ाने क िलए
लाइसस क प म सरकार क अनुमित लेना आव यक था। वे ितवष 10,000 से अिधक साइिकल का िनमाण
नह कर सकते थे।
आज बतौर उपभो ा, हम िकसी भी और सब चीज म िवक प मौजूद ह। िडट काड क मा यम से य
जो चाह, खरीद सकता ह। य को सामान खरीदने क िलए बाहर जाने क भी ज रत नह ह। इ-कॉमस क
बदौलत कार से लेकर घर, फोन आिद हर सामान कभी भी और कह भी खरीदा जा सकता ह। हर चीज हर समय
और िकतनी भी मा ा म हमेशा उपल ध ह।
जनसं या म िनरतर वृ क बावजूद ऐसा कसे संभव हो सका? यह िकसने संभव बनाया? या सरकार ने और
उ ोग आरभ िकए? या यह सरकारी सिमित आंदोलन क कारण संभव हो सका? हमारी अथ यव था म ए

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