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िनधा रत समयाविध
ये ऐसे िनवेश ह, िजनम िनवेिशत धन पूव िनधा रत िन त समय क बाद ही वापस िमलता ह, उदाहरण क
िलए, एन.एस.सी., क.वी.पी., सरकारी बॉ ड तथा कपिनय ारा जारी िकए गए िडबचस। इस ेणी म कछ
यूचुअल फड ( ोज एंडड) भी आते ह।
एन.एस.सी. और क.वी.पी. क अित र ऋण िनवेश सूची म आनेवाली अ य सभी व तु को खुले बाजार म
ीिमयम या छट, जो तािवत याज दर पर िनभर हो, और त कालीन समय पर बाजार म चिलत याज दर क
आधार पर बेचा जा सकता ह।
कोई भी य एन.एस.सी. और क.वी.पी. या िकसी भी अ य बॉ ड को िगरवी रखकर कज भी ले सकता ह।
उसे कज पर िनवेश क गई रकम क ा से अिधक याज देना पड़ सकता ह। लेिकन आपातकालीन
आव यकता को पूरा करने क िलए ऐसा करना संभव ह।
िफ ड रटन और परवत रटन िनवेश म अंतर
िफ ड रटन िनवेश म रटन क िलए जो भी रकम तय क जाती ह, वह देनी ही होती ह। यह अनुपात म कम
ज र होती ह, लेिकन तय रािश िमलने क गारटी होती ह।
लेिकन परवत िनवेश योजना म रटन अिधक (जैसे शेयर या यूचुअल फड म कछ समय क िलए), कम और
कछ मामल म शू य भी हो सकता ह। अतः इन पर नजदीक से नजर बनाए रखनी होती ह और ज रत पड़ने पर
िनवेश को तुरत प रवितत करने का िनणय लेना होता ह। िजन लोग क पास संबंिधत बाजार म या चल रहा ह, यह
देखने का समय या झान नह ह, उनक िलए िफ ड रटन का िवक प चुनना अिधक बेहतर रहगा।
पी.पी.एफ.—लोक भिव य िनिध
कोई भी य , िफर चाह वह रोजगारशुदा हो या बेरोजगार, इस योजना म िनवेश कर सकता ह। यह 15 वष य
योजना ह। ट स लाभ लेने क िलए इसम ित वष यूनतम 500 पए का अबािधत िनवेश करना होगा। स 2014
म इसक याज दर 8% ितवष रही। पी.पी.एफ. पर िमलनेवाले याज पर आयकर म छट ह (यह 80सी क तहत
िमलने वाली 1.50 लाख पए क छट का िह सा ह)।
तीसर वष क बाद इस पर लोन लेने क अनुमित ह और सातव साल क बाद इसम से कछ िह सा िनकाला जा
सकता ह। इस 15 वष य योजना को 5 वष क गुणन म आगे भी बढ़ाया जा सकता ह।
एन.एस.सी.—रा ीय बचत माण-प
यह छह वष य योजना ह। इसम यूनतम िनवेश 1,000 पए ह। 80सी योजना क तहत (ट स लाभ लेने क
िलए) अिधकतम 1 लाख पए िनवेश कर सकते ह। इस योजना से ा याज आय पर ट स म छट ह। वतमान
यव था (2014) क चलते यह योजना िन त आय तर से अिधक वाले लोग क िलए नह ह।
डाकघर मािसक आय योजना
यह छह वष य योजना ह, िजसम ितवष 8% याज और स क समापन पर यानी छठ साल 10% बोनस भी
िमलता ह। इसम ित य यूनतम िनवेश 1,000 पए और अिधकतम 3 लाख पए तथा संयु िनवेश 6 लाख
पए ह। इससे ा मािसक आय पर धारा 80सी क तहत छट ा ह।
क.वी.पी.—िकसान िवकास प
िन त साल (जारी करते समय चिलत प रवितत याज दर क अनुसार) क बाद िनवेिशत रािश दोगुनी हो
जाती ह। इस कारण प रप ता अविध म अकसर प रवतन हो जाता ह। इसम कोई ट स लाभ नह िमलता।
िनवेिशत रािश को यूनतम ढाई वष बाद ही िनकाला जा सकता ह।
साविध जमा (िफ ड िडपॉिजट)
पाँच साल क िलए िनवेिशत 1 लाख पए तक क बक एफ.डी. से ा याज पर आय कर क धारा 88सी क
तहत छट ह। इससे अिधक क रािश लागू लैब क अनुसार िनजी आय कर क देनदार होगी। बक भी इस ट स को
बतौर टी.डी.एस. काट सकते ह। यिद य फॉम 15जी जमा करवा देता ह तो बक स ोत पर ट स नह काटगा।
य को आय कर रटन भरते समय इसका उ ेख करना होगा।
एफ.डी. को ज रत पड़ने पर कभी भी बंद िकया और भुनाया जा सकता ह। लेिकन तय समय से पहले वापस
लेने पर कम याज िमलने क साथ ही आय कर छट क िलए भी अपा हो जाएँगे।
सरकारी बॉ ड
िनवेश अविध 1 साल से लेकर 30 साल तक होती ह। सरकारी बॉ ड म िनवेश हतु डीमैट अकाउट होना
आव यक ह। सरकारी बॉ ड क याज से ा आय (3,000 पए ितवष तक) पर धारा 88 क तहत अित र
ट स लाभ उपल ध ह।
संि िववरण
म िनवेश : इ टी शेयर
तरलता : म यम से उ च
सुर ा : यून
यान अपे ा : सामा यतः हाँ
ट स लाभ : िडिवडड आय पर कोई ट स नह । शेयर 12 माह क भीतर बेचे गए तो लाभ पर 15% क दर से किपटल गेन ट स
यूनतम आव यक रािश : यून
म िनवेश : िडबचर
तरलता : यून
सुर ा : म यम
यान अपे ा : सामा यतः न
ट स लाभ : कोई ट स लाभ नह
यूनतम आव यक रािश : यून
म िनवेश : आर.बी.आई. ट स बॉ ड
तरलता : औसत
सुर ा : उ च
यान अपे ा : नह
ट स लाभ : हाँ
यूनतम आव यक रािश : यून
म िनवेश : ई.एल.एस.एस.
तरलता : शू य-लॉक अविध पूण होने तक
सुर ा : औसत
यान अपे ा : नह
ट स लाभ : हाँ, िनवेश व िडिवडड पर
यूनतम आव यक रािश : नह
शेयर म िनवेश
अब हम समुिचत िनवेश क आव यकता समझ लेने क बाद पु तक क मु य िवषय शेयर पर चलते ह। वण,
आवासीय लॉट, जमीन या सरकारी बॉ ड और बक एफ.डी. खरीदने क तरह ही शेयर म िनवेश भी धन िवकास
क प ित ह।
यिद सही ढग से िकया जाए तो शेयर म िनवेश उपयु सभी म सबसे बेहतर सािबत हो सकता ह। इसे
अिभ य करने क सही श द ह—‘हाँ, यह ठीक ह, अगर उिचत ढग से िकया जाए।’
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शेयर कारोबार या ह?
यापार क िलए धन क आव यकता होती ह। यापार शु करनेवाल को कपनी का ‘ वतक’ ( मोटर) कहा
जाता ह। वे कपनी को आरभ करने क िलए अपना धन िनवेश करते ह। सारी िनवेिशत पूँजी उनक होने क कारण
वह ‘एकल वािम व’ कपनी होती ह। वे उसक एकल वामी होते ह।
कई बार वे कछ अ य लोग (दो त या र तेदार) को भी आमंि त या शािमल करते ए उ ह अपने यापार/
कपनी म िनवेश क अनुमित दे देते ह। ऐसा होने पर कपनी मािलक क सं या एक से अिधक होने से वह
भागीदारी फम बन जाती ह। जब मूल पूँजी दान करनेवाल क सं या और बढ़ जाती ह, तब उस कपनी को
ाइवेट िलिमटड कपनी क तौर पर जाना जाता ह।
ऐसी कपिनयाँ अ छा दशन कर सकती ह और संभवतः उ ह आगे और अिधक पूँजी क भी आव यकता
होगी। तब वतक/भागीदार और पैसा िनवेश करते ह या वे संभवतः ‘प लक’ होने का िवक प चुन सकते ह।
‘प लक होने’ का ता पय और कछ नह , ब क बड़ पैमाने पर अप रिचत जनता को पैसे लगाने क िलए
आमंि त करना ह और उ ह कपनी क मािलक (शेयरधारक ) म शुमार करना ह।
अिधकांश जानी-मानी और बड़ी कपिनयाँ, जैसे— रलायंस इड ीज, इ फोिसस, टी.सी.एस., रनबै सी लैब,
भेल, िट को—ये सभी ऐसी ही प लक िलिमटड कपिनयाँ ह। प लक से टर कपनी (पी.एस.यू.) और प लक
िलिमटड कपनी म अंतर होता ह। प लक से टर कपिनय म मुख वािम व कवल सरकार का होता ह। इन
कपिनय म प लक व अ य िनजी प का वािम व शेयर 50% से कम होता ह। प लक िलिमटड कपिनय क
पूँजी म बड़ा िह सा वतक का होता ह। अ य लोग क पूँजी कम हो सकती ह, लेिकन िफर भी उन सभी को
‘शेयरधारक’ ही कहा जाता ह।
ऐसी कपिनय क शेयर नेशनल टॉक ए सचज (एन.एस.ई.) या बॉ बे टॉक ए सचज (बी.एस.ई.) जैसे शेयर
बाजार म सूचीब होते ह। इसक बाद इनक शेयर खरीदने का कोई भी इ छक य इसे बेचने क मंशा
रखनेवाल से इसे खरीद सकता ह। जो शेयरधारक इन शेयर को बेचना चाहते ह, वे ोकर क मा यम से इ ह
शेयर बाजार म बेच सकते ह। जहाँ कछ लोग इन शेयर को बेचते ह तो कछ ऐसे लोग भी होते ह, जो इ ह खरीदना
चाहते ह। शेयर क भाव ह तांतरण क दौरान इनक माँग व आपूित चलन से िनधा रत होते ह।
उदाहरण क िलए—29 मई, 2014 को हीरो मोटर कॉप का शेयर 2,265 पए म उपल ध था। उस िदन उसम
82 पए क िगरावट आई। हाँ, इससे िपछले कारोबारी िदवस पर यानी 28 मई, 2014 को हीरो क इसी शेयर का
भाव 2,347 पए ित शेयर था। िफर िकसी कारण से कछ लोग हीरो क शेयर 2,265 पए पर बेचने क िलए
तैयार थे तो वह कछ लोग इस भाव पर खरीदने क िलए।
29 मई, 2014 को टी.सी.एस. क शेयर अपने िपछले िदन क कारोबारी िदवस क ोिजंग ाइस 2,150 पए
क जगह 2,180 पए क भाव पर खरीदे व बेचे जा रह थे। हीरो क शेयर क िवपरीत उस िदन टी.सी.एस. क
शेयर क भाव 30 पए बढ़ गए थे।
यह भाव गितिविध मा दो िदन क ह। अब हम कछ अिधक समय म शेयर क क मत क बीच का अंतर
देखगे। इस अविध म इनक भाव रोजाना बदलते रहते ह। येक कारोबारी िदवस यानी शेयर बाजार क काय-
िदवस पर शेयर का भाव अिधक या कम कछ भी हो सकता ह।
बजाज ऑटो क शेयर 1,941 पए पर चल रह ह (29 मई, 2014)। अगर आप यह जानना चाहते ह िक छह
साल पहले यानी वष 2008 म इस शेयर क दाम या थे, तो जरा अपनी साँस सँभािलए। तब यह 320 पए क
भाव पर था! इसका मतलब मई 2014 म यह वष 2008 क भाव से छह गुना (600%) पर चल रहा था।
कहानी यह समा नह होती। मई 2014 म 1,941 पए का भाव भी तब था, जब बजाज ऑटो बंधन ने वष
2010 म एक पर एक बोनस शेयर िदया था। इसका मतलब िक उस िवशेष समय िजतने भी शेयरधारक क पास
बजाज ऑटो क िजतने भी शेयर थे, उसे उतने ही शेयर और िदए गए, वे भी िब कल मु त। इस अनुपात को एक
पर एक कहा जाता ह।
यिद िकसी क पास बजाज क 50 शेयर थे तो उसे मु त म 50 शेयर और दे िदए गए। क पना करते ह िक एक
ीमान ए स. ने स 2008 म 320 पए क भाव पर बजाज ऑटो क 50 शेयर खरीदे थे। उस समय उसक
16,000 पए खच (िनवेिशत) ए ह गे। स 2010 म उसे और 50 शेयर मु त (बोनस शेयर) म िमले—यह ठीक
ह िक उसने इन शेयर को इतने समय तक अपने पास रखा। इसक बाद 16,000 पए का िनवेश करने पर उसक
पास अब 100 शेयर थे।
29 मई, 2014 को ीमान ए स. ने वे सभी 100 शेयर बाजार भाव पर बेच िदए, जो 1,941 पए था। इससे
उसे 1,94,100 पए ा ए। यह उसक ारा िनवेिशत रकम से 12 गुना अिधक था। ितशत म कह तो चार
साल म यह 1200% हो गया!
मूल धन बढ़ने क साथ ही बजाज ऑटो क सभी शेयरधारक को िनयिमत प से लाभांश िदया गया। वष 2006
म यह लाभांश 200% था ( ित 50 शेयर 1,000 पए), 2007 और 2008 म यह िफर से 200% रहा (बोनस क
बाद 100 शेयर क िलए 2,000+2,000 पए), 2009 म यह 250% रहा, 2010 म 500% और 2011 म यह
और 250% रहा। इसक बाद अगले दो साल (मई 2014) तक यह 400% रहा। पूँजी बढ़ने क साथ ही इस पर
कल लाभांश 23,000 पए से अिधक रहा।
वाह! शेयर म िनवेश क यही श और आकषण ह। यह कोई अपवाद नह ह। ऐसे और भी कई ‘म टीबैगर’
उदाहरण ह, जो स 2003 क तेजी म कई बार सामने आए, िज ह हम थोड़ा आगे चलकर देखगे।
बजाज ऑटो क शेयर का भाव बढ़ना ऑटो से टर म िवकास क कहानी का िह सा ह। भारत क शेयर बाजार
म उछाल स 2003 से शु आ और 2008 तक जारी रहा। ऐसा तीत होता ह िक स 2014 म एक बार बाजार
म तेजी क शु आत हो चुक ह। िवशेष का मानना ह िक यह अगले पाँच से सात साल तक जारी रहनेवाली ह।
ऑटोमोबाइल क िबना िकसी भी तरह का आिथक िवकास संभव नह ह, अतः ऑटो से टर क हीरो मोटर कॉप,
टाटा मोटस, एम एंड एम, मा ित, टी.वी.एस. मोटस जैसी सभी कपिनय ने स 2014 से लाभ क मोच और शेयर
भाव क मोच—दोन पर ही अ छा दशन करना आरभ कर िदया ह।
ऐसा कवल ऑटो से टर म ही नह ह। ऐसे ब त से उ च िवकास से टर शेयर ह, जो वष 2004-05 म ब त
स ते िमल रह थे, अब िनवेशक को उन सबसे शानदार रटन िमल रहा ह। वष 2014 म कहा जा रहा ह िक ब -
तीि त िनवेश च ज दी ही आरभ होनेवाला ह और सीमट, पॉवर एवं आधार तं से जुड़ी अ य कपिनयाँ अ छा
दशन करने लगगी।
भारत को जनसां यक य लाभ हािसल ह और इसक 45 करोड़ से अिधक युवा को अ छी िश ा िमलनी ही
चािहए। वे सभी अपने िहत क चलते धन कमाने क इ छक ह गे और इसक िलए उ ह नौकरी या यापार करना
होगा। िकसी भी थित म आनेवाले कछ साल तक उनक ारा खच िकए जाने समेत बड़ पैमाने पर आिथक
गितिविधयाँ जारी रहगी। अतः कॉरपोरट भारत को अ छा दशन करना ही होगा, िजससे ब त सी कपिनय क
शेयर क भाव म इजाफा होगा।
हम शेयर से संबंिधत हर चीज पर काफ िव तार से चचा करगे; लेिकन इससे पहले हम यह देखना होगा िक
‘शेयर’ श द का मतलब या होता ह। (बेहद बुिनयादी, नह या!) जी हाँ, शेयर से पैसा बनाने क रा ते जानने से
पहले इसका मतलब समझना ब त आव यक ह।
रहायशी िब डग : सभी लैट क मािलक एसोिसएशन बनाकर आम आचार संिहता तैयार करते ह।
कपनी : कपनी क बोड ऑफ डायर टस क तावानुसार सभी शेयरधारक को समान प से लाभांश व बोनस
शेयर जैसे फायदे िदए जाते ह।
रहायशी िब डग : लैट मािलक उसे रखने या खरीदने म िदलच पी रखनेवाल को िजतना चाह उतने दाम पर
बेचने क िलए वतं ह।
कपनी : शेयरधारक अपने िह से क शेयर बेचने या अपनी इ छा क अनुसार बाजार से और शेयर खरीदने क िलए
वतं ह।
डी.एल.एफ. का प लक ऑफर
डी.एल.एफ. ने स 2007 म काफ बाधा क बाद एक प लक ऑफर पेश िकया। डी.एल.एफ. छह दशक
पुरानी िनजी कपनी ह। उ ह ने अपनी शु आत रयल ए टट िबजनेस से क थी और स 1981 म ह रयाणा म
डी.एल.एफ. िसटी नाम से टाउनिशप का िनमाण करते ए खूब लाभ कमाया था। इस कपनी क वतक व मािलक
ी क.पी. िसंह और उनक प रवार क सद य ह। इसक बाद उ ह ने िनजी प से अपने प रजन व दो त को कछ
शेयर जारी िकए। तब तक यह ाइवेट िलिमटड कपनी रही।
त प ा उ ह ने प लक होने का िनणय िलया। ऐसा करक उ ह ने एक ही झटक म काफ संपि एकि त कर
इितहास बना िदया। इस इ यू क बाद वे एक समय िव ो क ी अजीम ेमजी को पीछ छोड़कर भारत क चौथे
सबसे अमीर य बन गए।
डी.एल.एफ. ने 523 ित शेयर क ीिमयम पर 2 पए ित शेयर क दर से 17.5 करोड़ शेयर जारी िकए।
चूँिक रयल ए टट क भाव थर गित पर थे और डी.एल.एफ. अ य छोटी िनमाण कपिनय क िवपरीत अ छ
बंधनवाली कपनी थी, िजसने गुड़गाँव, ह रयाणा म टाउनिशप का िनमाण िकया था—चतुर िनवेशक ने इस इ यू
को हाथोहाथ िलया। इतना बड़ा होने पर भी यह इ यू 3.6 गुना ओवर सब ाइ ड हो गया। इसम ािलटी
इ टी यूशनल िबडर ( यू.बी.आई.) जैसे िवदेशी सं थागत िनवेशक और एल.आई.सी., यू.टी.आई.,
आई.डी.बी.आई. आिद जैसे घरलू सं थागत िनवेशक क भाग 5.23 गुना का शानदार ओवर सब ाइ ड आ।
जी हाँ, एफ.आई.आई. और अ य सं थागत िनवेशक ने डी.एल.एफ. क ढर सार शेयर क िलए आवेदन िकया,
जो समुिचत मा ा म आवंिटत कर िदए गए। ब त से खुदरा िनवेशक को भी शेयर आवंिटत ए। िदलच प बात
यह रही िक सं थागत िनवेशक क िवपरीत सभी खुदरा िनवेशक को उतने शेयर िमल गए, िजतने क उ ह ने माँग
क थी, य िक खुदरा भाग पूणतः सब ाइ ड नह आ था। यह लगभग 90% क आस-पास रहा।
डी.एल.एफ. बंधन ने इस आई.पी.ओ. क मा यम से 7,28,84,938 शेयर बड़ी सं या म लोग को आवंिटत व
जारी िकए। डी.एल.एफ. क इस सफल प लक इ यू क बदौलत और भी ब त कछ आ।
• डी.एल.एफ. कपनी को अपने इस प लक ऑफर ारा एक ही झटक म यापार क िलए 9,600 करोड़ पए
क प म ब त सारा धन िमल गया।
• डी.एल.एफ. क पूँजी म वृ ई। िजन सबक नाम शेयर आवंिटत िकए गए थे, उ ह ने उतना ही धन दे िदया,
िजतनी डी.एल.एफ. क पूँजी थी।
• बड़ सं थागत िनवेशक समेत हजार िनवेशक उ ह िजतने शेयर आवंिटत ए थे, उतनी मा ा म डी.एल.एफ.
कपनी क सह मािलक बन गए।
चूँिक अब सह-मािलक क सं या काफ बढ़ चुक थी, इसिलए अब डी.एल.एफ. क.पी. िसंह एवं फिमली
क िनजी कपनी नह रह गई थी। यह प लक िलिमटड कपनी थी। हालाँिक इस आई.पी.ओ. क बाद भी क.पी.
िसंह व उनक प रवार क पास डी.एल.एफ. क 88.24% शेयर थे। इस तरह वे अभी भी सबसे बड़ शेयरधारक थे।
इसी कारण अभी भी कपनी का बंधन वे ही कर रह थे। दूसर श द म कह तो कपनी का बंधन अभी भी उनक
ही हाथ म था।
डी.एल.एफ. ने 2 पए क फस वै यू पर 17.5 करोड़ शेयर जारी िकए और बदले म पूँजी ( ीिमयम) क तौर
पर उ ह िमली धनरािश समेत 9,187.5 करोड़ पए ा ए, जो डी.एल.एफ. क रज स एंड सर लस खाते म
जमा हो गए।
डी.एल.एफ. ने 2 पए का इ टी शेयर 525 पए म िदया (िववरण आगे)। इसका मतलब उ ह ने
डी.एल.एफ. म वािम व पाने क इ छा रखनेवाल से ित शेयर 523 पए अिधक माँगे और ा िकए।
डी.एल.एफ. ने अंितम प से यही ‘ ीिमयम’ तय िकया, माँगा और ा भी िकया। लोग यह अित र रािश
देने को तैयार थे, य िक वे डी.एल.एफ. क शेयर को सचमुच इस (या इससे भी अिधक) क लायक समझते थे।
‘ ीिमयम’ या होता ह?
ीिमयम वह अित र रािश ह, जो इसे पाने क इ छा रखनेवाल को चुकानी होती ह। इसका कारण यह ह िक
उस उ पाद क ब त माँग ह। उसक माँग उपल धता से अिधक ह। उदाहरण क िलए, जैसे रजनीकांत या शाह ख
खान क िफ म का िटकट िथएटर म उस क मत से अिधक पर िबकता ह, जो उस पर मुि त हो। आई.पी.एल.
ि कट मैच क िटकट काउटर क बाहर ीिमयम पर िबकते ह। अगर मैच इस लायक होगा तो लोग अिधक पैसे
देने को भी तैयार हो जाएँगे।
एक और उदाहरण लेते ह। एक य 50 पए वग फ ट क दर से जमीन खरीदता ह, िफर वह उस जमीन को
िवकिसत करता ह। त प ा , हर जगह जमीन क दाम बढ़ने लगते ह। यिद वह अपनी जमीन का एक टकड़ा
बेचना चाह तो उसे इसे िकस दाम पर बेचना चािहए? या िजतने पर उसने इसे खरीदा था—50 पए ित वग
फ ट?
वह ऐसा य करगा? वह उसे उस समय क सबसे बेहतरीन बाजार क मत पर बेचने का यास करगा। वह तो
इसे 250 पए ित वग फ ट पर बेचना चाहगा। उसका यादा पैसे माँगना गलत भी नह ह। उसे पूरा अिधकार ह
िक वह बतौर ‘ ीिमयम’ 200 पए ित वग फ ट ा कर।
इसी तरह डी.एल.एफ. ने एक िबजनेस मॉडल तैयार िकया, कपनी को िवकिसत िकया और उसे एक लाभ
उ पादक कपनी क प म थािपत िकया। िफर वतक अनजान लोग को कपनी क शेयर उसी क मत पर य देने
लगे?
िव ेषक गणना कर वह दर िनकालते ह, जो प लक ऑफर क समय उिचत होती ह और लोग शेयर बाजार
क प र थितय (चढ़ाव व घटाव अव था) पर आधा रत उस शेयर को िकसी दर पर खरीदगे। इस गणना क
आधार पर डी.एल.एफ. क शेयर को 2 पए पर 523 पए का (भारी) ीिमयम िदया गया (उसक भाव से 261
गुना अिधक)।
ताव और आवंटन का काय समा होने क बाद डी.एल.एफ. क शेयर मुंबई और नेशनल टॉक ए सचज म
सूचीब हो गए।
अब इ ह बाजार क मत पर बेचा जा रहा ह। अब कोई फस वै यू (2 पए) या ीिमयम (523 पए) आिद
कछ नह ह। िजन लोग को आई.पी.ओ. क दौरान ये शेयर िमले थे, वे यिद इस शेयर को अपने पास न रखना
चाहते ह तो इसे बेच सकते ह। िजन लोग ने आवेदन नह िकया था या िज ह, उदाहरण क िलए यू.आई.बी. को,
ये ओवर सब ाइ ड होने क कारण पया सं या म नह िमल सक थे, वे इसे उन लोग क िलए खरीद सकते
ह, जो इ ह बेचना चाहते ह । टॉक ए सचज म यही सब िकया जाता ह।
आई.पी.ओ. क बाद जब शेयर टॉक ए सचज म सूचीब हो गया, तब डी.एल.एफ. क शेयर को सभी
खरीद व बेच सकते ह। कोई भी शेयरधारक इ ह बेच सकता ह और इनम िच रखनेवाला इ ह खरीद सकता ह।
कई लोग को लगता होगा िक डी.एल.एफ. कछ अिधक ीिमयम माँग रहा ह, अतः सूचीब होने क बाद
इसका भाव ऑफर भाव से कम हो सकता ह। लेिकन अिधकांश िव ेषक यह देखकर चिकत रह गए (इस मामले
म या वाकई ऐसा था!)और शेयर ा करनेवाल को भी (सुखद) हरानी ई, जब डी.एल.एफ. क शेयर का भाव
562 पए रहा, यानी 525 पए क इ यू ाइस से 7% अिधक था।
यह आवंटन ाइस से 37 पए अिधक था। िजन लोग क पास आवंिटत शेयर थे, उ ह 20 िदन (आवेदन क
िदन से सूचीब होने क िदन तक) क भीतर ही ित शेयर 37 पए का मुनाफा आ था। कछ ने इ ह बेच िदया
तथा कछ ने और खरीद िलये। वे ठीक थे, य िक एक ही महीने म डी.एल.एफ. क शेयर का भाव बढ़कर 650
पए हो गया और एक ही साल क भीतर यह 1,000 पए को छ गया।
इस तरह डी.एल.एफ. अब सूचीब कपनी बन गई ह और इसक शेयर टॉक ए सचज म खरीदने व बेचने क
िलए उपल ध ह।
कई लोग को शेयर बाजार और शेयर क आव यकता पर हरानी हो सकती ह। इसक होने क कई अ छ कारण
ह और हम डी.एल.एफ. क उदाहरण म ऐसे आई.पी.ओ. का भाव देख सकते ह।
1. डी.एल.एफ. कपनी क िलए
इनक इ टी पूँजी िफलहाल उ चतम ह। साथ ही उनका रज स एंड सर लस (आर एंड एस) म वृ ई।
523 पए ित शेयर क ीिमयम धनरािश आर एंड एस खाते म गई और कवल फस वै यू क 2 पए पूँजीगत
लेखा रहगी। लाभांश कवल इस 2 पए पर ही घोिषत होगा।
हालाँिक जब भी कपनी क कल संपि क गणना होगी, तब पूँजी और आर एंड एस खाते दोन का आकलन
िकया जाएगा। िलिमटड कपिनय क िलए उनक कल संपि ब त मह व रखती ह, य िक कपिनय को अपनी
कल संपि क आधार पर ही धन (कज) ा करने क अनुमित होती ह। जब डी.एल.एफ. जैसी कपिनयाँ
प लक िलिमटड बनकर ीिमयम एकि त करती ह तो उनक कल संपि बढ़ जाती ह और इसक साथ ही उनक
कज लेने क मता भी बढ़ती ह, जो कपनी क िहत म रहता ह।
2. नए शेयरधारक क िलए
िकसी ने कपनी बनाने क बार म िवचार िकया और इसे िडजाइन िकया, उ पाद को पहचाना, उसका िनमाण
िकया और उसे बेचा भी। यहाँ तक सब ठीक चलता तीत होता ह। कपनी थर माग पर चल रही ह। लोग क
नजर म वह उ पाद सफल ह—एक मािणत मॉडल, एक कायशील मॉडल।
अब वतक कपनी म शािमल होने क िलए अ य लोग को आमंि त करता ह। वह अपेि त सूचना का खुलासा
करता ह और जानकारी देता ह। िव ेषक भी कहते ह िक इस यापार म अ छी संभावनाएँ ह। ‘म इस कपनी म
शािमल य नह हो सकता? म इस कपनी म थोड़ से शेयर खरीद लूँगा। िन संदेह वे मुझसे वतक ारा कपनी
को इस तर तक लाने का ीिमयम वसूल करगे। कोई बात नह , यह यथोिचत ह। इसक और आगे बढ़ने क
गुंजाइश भी िदखाई देती ह।’
जो भी संतु होगा, उसे आवेदन करने पर शेयर िमल जाएँगे (यिद आवंिटत होते ह तो)। यहाँ ‘जो भी’ का अथ
‘जो भी’ ही ह। जो भी—यानी वह चाह मुकश अंबानी, अिनल अंबानी या अजीम ेमजी जैसा यापारी ही य न
हो। ये उन कछ िद गज म शािमल ह, िज ह ने डी.एल.एफ. क आई.पी.ओ. म बड़ लॉट क िलए आवेदन िकया
था।
• एल.आई.सी., आई.एफ.सी.आई., यू.टी.आई. आिद जैसे सं थान। न कवल िव ीय सं थान, ब क कछ
िवकिसत देश म तो शै िणक सं थान (िव िव ालय) और बंदोब ती बोड भी डी.एल.एफ. जैसे कॉरपोरट क
शेयर क िलए आवेदन कर इ ह ा करते ह (िनजी इ टी माग ारा, िजसक बार म हम आगे बताएँगे)।
• यूचुअल फड और अ य कॉरपोरट जो अपने धन को अिधक फायदेवाली जगह िनवेश करना चाहते ह।
• और अंततः हर तरह क कमाईवाला य , या कह तो कोई भी य (घरलू मिहला, सेवािनवृ य , छोट
दुकान मािलक, छा ) आवेदन कर सकते ह; य िक शेयर म िनवेश क यही खूबसूरती ह िक इसक िलए अिधक
पूँजी, िश ा या िकसी भी तरह क यापा रक कशा ता क आव यकता नह होती।
आवंटन क समय कपिनयाँ सुिन त अंक क गुणन म आवेदन क िलए कह सकती ह। हालाँिक सूचीब होने
क बाद जब शेयर तीयक बाजार म आते ह और रोजाना ड होते ह, जहाँ उ ह 1 क सं या म, यानी कवल 1
शेयर भी खरीदा जा सकता ह। इस तरह िकसी भी कॉरपोरट क भीतर इ टी मोड म आसानी से दािखल हो सकते
ह।
नेशनल टॉक ए सचज म सूचीब कछ अ छी कपिनय क 30 मई, 2017 को कारोबार करनेवाले शेयर ह—
शेयर कपिनयाँ : आई.टी.सी.
शेयर भाव : 281
ऐसा कौन ह, िजसक पास शेयर खरीदने क िलए 2,000 पए न ह ? ान व जाग कता क सार क साथ ही
10,000 पए क यून मािसक आयवाले लोग भी शेयर म पैसा िनवेिशत कर रह ह। िसफ बारहव क ा तक पढ़
चे ई क शो म म पु तक बेचने वाले राजेश ने भी आवेदन िकया और उसे भी डी.एल.एफ. क 20 शेयर
आवंिटत ए। तब से राजेश भी डी.एल.एफ. का शेयरधारक ह।
वतक (क.पी. िसंह) को जो भी लाभ ा होते ह, वही अ य शेयरधारक (कछ सं थान या हाई नेटवथ
इिडिवजुअल (एच.एन.आई.) या अमीर लोग) और राजेश जैसे छोट िनवेशक को भी िमला करते ह। कहा जाता ह
िक समय सबको समान बना देता ह। शेयर भी ऐसा ही महा समभाव कम होता ह। जहाँ तक लाभ क बात ह,
जैसे शेयर, राइट शेयर, पूव जानकारी, मतदान अिधकार, लाभांश, बोनस आिद क मामले म सभी शेयरधारक क
एक जैसी थित ह। बस, शेयर क सं या क आधार पर इसका प रमाण अलग हो सकता ह। लेिकन लाभ क दर
समान ही रहती ह। यिद लाभांश 10% ह तो सभी शेयरधारक को यह 10% ही िमलेगा।
लोग तीयक बाजार म शेयर का आवेदन व खरीद य करते ह? (कपनी ारा शेयर बेचने का ताव व
आवंटन को ाथिमक बाजार ( ाइमरी माकट) से खरीदना कहा जाता ह और इ ह टॉक ए सचज से खरीदना या
बेचना तीयक बाजार (सेकडरी माकट) कहलाता ह।
लोग शेयर म इसिलए िनवेश करते ह, य िक उ ह इसम बेहतर और कछ मामल म उ क रटन िदखाई देता ह।
जैसा िक हमने पहले देखा, िविभ िनवेश म िविभ अवसर ह तो िविभ किमयाँ भी ह। अ ययन दरशाते ह िक
अ छी कपनी क शेयर म पैसे िनवेश करने और उसे लंबे समय तक न छने से अ छ रटन हािसल होते ह।
अ छी कपनी और लंबा समय—दो ही मह वपूण ह।
देश को लाभ
किष और औ ोिगक िवकास न होने पर लोग को उनक ज रत क चीज उिचत दाम पर नह िमल सकगी। वे
िदन गए, जब लोग को कछ भी पाने क िलए लंबे समय तक ती ा करनी पड़ती थी। मा 20-25 साल पहले
हमार देश म लोग को हर चीज क िलए काफ लंबे समय तक ती ा करनी पड़ती थी, िफर चाह वे चावल या
गे जैसी साधारण, लेिकन आव यक चीज ही य न ह । वे भी अपया व सीिमत आ करती थ । िन संदेह
इसका कारण भी था। लगभग हर दूसर या तीसर साल अकाल पड़ता या बाढ़ आया करती। ह रत ांित क कारण
आज अकाल का अ त व कवल इितहास क पु तक तक ह। एक समय ऐसा भी था, जब भारतीय उन अमे रक
जहाज क ती ा करते थे, जो गे लेकर आया करते थे।
िकसी को दोपिहया वाहन खरीदना हो तो वह खरीद सकता था; लेिकन कवल लं ेटा (िसफ एक ांड) कटर
होता था। साथ ही उसे पहले से बुक करवाना होता था। वाहन क िडलीवरी 6 से 12 महीन बाद होती थी। कार का
मतलब िसफ एंबेसडर या िफएट होता था। घर बनाने क इ छा रखनेवाल को ब त पहले से योजना बनानी होती
थी, य िक सीमट दु ा य था और कवल सरकार ही इसे आवंिटत कर सकती थी। यह डीजल क भाँित िनयंि त
उ पाद था!
युवा को िववाह से काफ पहले एल.पी.जी. कने शन बुक करवाना होता था, अ यथा उ ह करोिसन टोव से
काम चलाना पड़ता। एल.पी.जी. कने शन क माँग हमेशा बनी रहती और काले बाजार म यह ब त महगा था।
सरकार- द दूध का काड भी कछ अलग नह था। सं ेप म, य को हर चीज क पहले ही से योजना बनाकर
कतार म ती ा करनी होती थी।
आज क तरह तब भी रलवे का प रचालन कवल सरकार ही करती थी। ब त से उ पाद कवल सरकार ही
बनाया करती थी। िनजी कपिनय को भी गंभीर प से िनयंि त िकया जाता था।
भेल (पावर उपकरण), बेल (इले ॉिन स), बी.ई.एम.एल. (लोडस और डपस), सेल ( टील), ने को
(अ युिमिनयम), आई.डी.पी.एल. (दवाइयाँ), ए.ए.वी.आई.एन. (तिमलनाड म दु ध) उ पादन े क कछ
सरकारी कपिनय क उदाहरण ह।
हीरो साइक स, बाद म हीरो ह डा, कवल साइिकल का िनमाण करती थी। उ पादन क मा ा बढ़ाने क िलए
लाइसस क प म सरकार क अनुमित लेना आव यक था। वे ितवष 10,000 से अिधक साइिकल का िनमाण
नह कर सकते थे।
आज बतौर उपभो ा, हम िकसी भी और सब चीज म िवक प मौजूद ह। िडट काड क मा यम से य
जो चाह, खरीद सकता ह। य को सामान खरीदने क िलए बाहर जाने क भी ज रत नह ह। इ-कॉमस क
बदौलत कार से लेकर घर, फोन आिद हर सामान कभी भी और कह भी खरीदा जा सकता ह। हर चीज हर समय
और िकतनी भी मा ा म हमेशा उपल ध ह।
जनसं या म िनरतर वृ क बावजूद ऐसा कसे संभव हो सका? यह िकसने संभव बनाया? या सरकार ने और
उ ोग आरभ िकए? या यह सरकारी सिमित आंदोलन क कारण संभव हो सका? हमारी अथ यव था म ए