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ामी िववेकानं द के अनमोल िवचार

Swami Vivekananda

उठो, जागो और तब तक मत को जब तक िक तु े अपना ल ना ा हो जाये ।

कोई भी अपने काय से महान होता है , अपने ज से नही ं।

तु म भगवान् म तब तक िव ास नही ं कर सकते जब तक तुम खुद पर िव ास नही ं


करोगे ।

लोग मुझपर ह ेह ोिक म उनके जैसा नही ं और अलग ं , म उन लोगो पर ह ा ँ


ोिक वो सब एक जैसे ह ।

िव ास करो, िव ास करो अपने म और दु िनया के मािलक भगवान म ।

उठो मेरे शे रो, इस म को िमटा दो िक तु म कमजोर हो, तु म एक अमर आ ा हो,


ं द जीव हो, ध हो, सनातन हो, तुम त नही ं हो और ना ही शरीर हो। त
तु ारा सेवक हो, तुम त के सेवक नही ं ।

कभी मत सोिचये िक आपकी आ ा के िलए कुछ भी असंभव है, ऐसा सोचना सबसे
बड़ा िवधम है । अगर कोई पाप है तो वो यही है - ये कहना िक तु म िनबल हो या अ
कोई िनबल ह।

एक श म, यह आदश है िक तु म परमा ा हो।

स को हज़ारो तरीकों से बताया जा सकता है, िफर भी हर एक तरीका स ही होगा।


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िनडर ए िबना जीवन का आनंद नही ं िलया जा सकता है | जो सच है उसे लोगों से


िबना डरे कहो, धीरे -धीरे लोग स ाई को ीकार करने लगगे।

िजस िदन आपके सामने कोई सम ा न आये उस िदन आप यकीन कर सकते है की


आप गलत रा े पर जा रहे है ।

िनभय ही ं कुछ कर सकता है, डर-डर कर चलने वाले लोग कुछ नही ं कर सकते
ह| िकसी भी चीज से डरो मत, तभी तु म अद् भुत काम कर सकोगे |

जो लोग इसी ज म मु पाना चाहते ह, उ एक ही ं ज म हजारों वष का कम


करना पड़े गा।

यह जीवन अ कालीन है, संसार की िवलािसता िणक है, लेिकन जो दु सरो के िलए
जीते है, वे ही वा व म जीिवत है।

िजस तरह से िविभ ोतों से उ अलग अलग धाराएँ अपना जल समु म िमला दे ती
ह, उसी कार इ ान ारा चु ना गया हर माग, चाहे अ ा हो या बुरा - भगवान तक
ही जाता है।

िकसी की बुराई ना कर । अगर आप मदद के िलए हाथ बढ़ा सकते ह, तो ज़ र बढाएं


और अगर नही ं बढ़ा सकते , तो अपने हाथ जोिड़ये, अपने दो ों को आशीवाद व् दु आ
दीिजये और उ उनके माग पर जाने दे ।

आप अपने बारे म जैसा सोचगे वैसे ही बन जायगे । अगर आप खुद को कमजोर सोचते
हो तो आप कमजोर व् िनबल बन जाओगे अगर आप को लगता है की आप श शाली
है तो आप सच मे श शाली बन जाओगे ।

ान यमेव वतमान है, मनु केवल उसका आिव ार करता है।

जो मनु इसी ज म मु ा करना चाहता है, उसे एक ही ज म हजारों वष का


काम करना पड़े गा। वह िजस युग म ज ा है, उससे उसे ब त आगे जाना पड़े गा, िक ु
साधारण लोग िकसी तरह रगते -रगते ही आगे बढ़ सकते ह।

हम िजतना ादा बाहर जाय और दू सरों का भला कर, हमारा दय उतना ही शु


होगा, और परमा ा उसमे बसगे।
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जब तक जीिवत हो तब तक अपने और दू सरों के अनु भवों से सीखते रहना चािहए.


ोंिक अनुभव सबसे बड़ा गु होता है।

दु बलता को न तो आ य दो और न तो दु बलता को बढ़ावा दो।

तं होने की िह त करो, तु ारे िवचार तु जहाँ तक ले जाते ह वहां तक जाने की


िह त करो, और अपने िवचारों को जीवन म उतारने की िह त करो।

एक व म एक ही ं काम करो और उस काम को करते समय अपना सब कुछ उसी म


झोंक दो।

हमारी नैितक कृित िजतनी उ त होती है, उतना ही उ हमारा अनुभव होता
है, और उतनी ही हमारी इ ा श अिधक बलवती होती है।

िदन म एक बार अपने आप से बात करो वरना तु म दु िनया के सबसे मह पूण आदमी
से बात नही ं कर पाओगे।

आप िजस समय िजस काम के िलए ित ा करो, उस काय को अपना जीवन बना लो
और उसे ठीक उसी समय पर िकया जाना चािहये । नही ं तो लोगो का आप पर से
िव ास उठ जाये गा ।

हम वो ही ह जो हम हमारी सोच ने बनाया है इसिलए इस बात का धयान र खये िक


आप कैसे और ा सोचते ह। श गौण ह, िवचार रहते ह, वे दू र तक या ा करते ह
और आपके जीवन मे सदा उनका भाव बना रहता है ।

यिद यं म िव ास करना और अिधक िव ार से पढाया और अ ास कराया गया


होता, तो मुझे यकीन है िक बु राइयों और दु ःख का एक ब त बड़ा िह ा गायब हो गया
होता।
Swami Vivekananda Quotes

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