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कब्रपरस्ती जहन्नम का खुला रास्ता PDF
कब्रपरस्ती जहन्नम का खुला रास्ता PDF
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ABU BILAL
शरू
ु अल्लाह के नाम से
मेरे दिनी भाइयो कब्रपरस्ती शशकक का एक ऐसा िरवाज़ा हैं
जजसे बराकसगीर(दहन्िस्
ु तान, पाककस्तान, बाांग्लािे श और
दिगर कई मल्
ु क) मे एक इस्लामी रस्म व ररवाज़ समझ कर
इस तरह ककया जाता हैं जैसे ये िीन ए इस्लाम का एक अहम
रुक्न हो| जजहालत की इांतहा तो तब होती हैं जब इसे करने
वाले इसे बबना कुरान और हिीस के िलील के इस अकीित
के साथ करते हैं जैसे ये फ़ज़क ऐन हो और इस काम मे घर की
औरतो समेत कब्रो पर जाकर मन्नत मरु ािे माांगते हैं|
हज़रत अब्िल्
ु लाह बबन अब्बास रजज़0 से ररवायत हैं के कौमे
नह
ू नेक और अच्छे लोग थे जब वो मर गये तो उनके
पैरोकार उनकी कब्रो पर मज
ु ावर बन कर बैठ गये, कफ़र
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कौम मस
ू ा के वक्त भी एक कौम थी जजस ने अपनी इबाित
के शलये मूर्तकया बना रखी थी| अल्लाह कुरान मे फ़रमाता हैं-
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मज
ु ावर रहते थे और इस के चारो तरफ़ हि मक
ु ररक थी| (इब्ने
कसीर)
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इसी तरह 3 मक
ु द्लिस मक
ु ामो के अलावा ककसी और मक
ु ाम
के शलये अककितमांिी(सफ़र करना) से मना कर दिया|
हज़रत अब्िल्
ु लाह बबन अब्बास रजज़0 से ररवायत हैं के नबी
सल्लल लाहो अलैहे वसल्लम ने इन औरतो को मलऊन
करार दिया हैं जो कब्रो की जज़यारत के शलये बकसरत जाती
हो और इन को मजस्जि बनाती हैं और इन पर गचराग
जलाती हैं|(सन
ु न र्तशमकज़ी)
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तझ
ु को इस काम पर मक
ु ररक न करु जजस पर मझ
ु े अल्लाह
ने मक
ु ररक ककया और वो ये के कोई तस्वीर व मज
ु समा न
छोड़ मगर इसे शमटा िो और जो कब्रे ज़्यािा ऊांची हो इसे
बराबर कर िो| (मजु स्लम)
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अबू मस
ू ा अशरी रजज़0 ने मौत के वक्त वसीयत कक के जब
तम
ु मेरा जनाज़ा लेकर चलने लगो तो जल्िी चलना, और
मेरे साथ कोई अांगीठी हो और न मेरी लहि मे कोई चीज़
रखना जो मेरे और शमट्टी के िरम्यान हायल हो और न ही
मेरी कब्र पर कोई इमारत बनाना और मैं तम्
ु हे गवाह बना
कर कहता हू के मैं सर मुांडाने वाली, चीख-पुकार करने वाली
या कपड़े फ़ाड़ने वाली से बरी हू| लोगो ने पूछा – क्या आपने
ये बाते नबी सल्लल लाहो अलैहे वसल्लम से सुनी हैं? तो
इन्होने कहा – हाां मैंने नबी सल्लल लाहो अलैहे वसल्लम से
सुनी हैं| (मुस्नि अहमि)
बबला शब
ु हा इन तमाम हिीस की रोशनी से ये साबबत हैं के
मौजूिा िौर मे जो िरगाहे या कब्रो को इबाित खाना बनाकर
बुज़ुगो की जो इबाित होती हैं ये शरीयत इस्लाम की रूह से
शशकक हैं| आज मौजूिा मआशरे मे ना जाने ककतने अनगगनत
मज़ार हैं जजन पर गुम्बि बना कर या चार िीवारर बना कर
उस मे इबाित करी जाती हैं और यही नही बजल्क उन कब्रो
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भी सन
ु ते हैं और कुबूल भी करते हैं| अल्लाह कुरान मे
फ़रमाता हैं-
और काश (ऐ रसल
ू ) तम
ु िे खते जब फ़ररश्ते काकफ़र की जान
र्नकाल लेते थे और रूह और पुश्त(पीठ) पर कोड़े मारते थे
और (कहते हैं तुम जलने के मज़े चखो| (सूरह अनफ़ाल
8/50)
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करिे के मेरा फ़ला काम हो जाये या मेरी फ़ला परे शानी िरू
हो जाये| अल्लाह कुरान मे फ़रमाता हैं-
मि
ु ाक इन्सान जो िर्ु नया से रुखसत हो चुका हैं उसके ताल्लक
ु
से ये साफ़तौर पर साबबत हैं के उसको जजन्िा इन्सान की
आवाज़ नही सन
ु ाई नही िे ती तो कफ़र इन कब्रो पर जो
फ़ररयाि व पुकार होती हैं वो मुिाक इन्सान कैसे सुन सकता
हैं|
न जज़न्िे और न मि
ु े बराबर हो सकते हैं और खि
ु ा जजसे
चाहता हैं सन
ु ाता हैं और ऐ रसल
ू तम
ु उनको नही सन
ु ा सकते
जो कब्रो मे हैं| (सरू ह फ़ार्तर 35/19-22)
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(ऐ रसल
ू ) आप कह िीजजये तम
ु अपने ठहराये हुए शरीको के
बारे मे तो बताओ जजन्हे तम
ु अल्लाह के शसवा पुकारते हो
यार्न मझ
ु े बताओ के उन्होने ज़मीन मे कौन सी चीज़ पैिा
की हैं या आसमानो मे उनका कुछ साझा हैं| (सरू ह फ़ार्तर
35/40)
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समझता हैं की वो तझ
ु े िे ख रहे हैं हालाकक वो िे खते
नही|(सरू ह आराफ़ 7/197,198)
मज़लम
ू आवाम का खन
ू बह रहा हैं और तो और न वो ककसी
को बचा सके न अपनी कब्र जजसे लोगो ने इबाितगाह बना
रखा हैं उसे बचा सके|
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बेवकूफ़ बना कर लट
ू रही हैं और तो और आवाम को भी इस
बात का शऊर नही के वो कलाम इलाही पर गौर करके अपनी
मस
ु ीबत को िरू कर ले|
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लोगो का ये गम
ु ान के जो लोग नेक होते हैं और अपनी कब्रो
मे जज़न्िा हैं| इस बारे मे अकसर कुरान की ये िलील िे ते हैं
कक-
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हैं के “तम्
ु हे शऊर नही और वो अल्लाह के पास रोज़ी पा रहे
हैं” यार्न वो जजस तरह जज़न्िा हैं हमे उनकी जज़न्िगीयो के
बारे मे कुछ नही पता| जजस तरह इन्सान जब अपने माां के
पेट मे होता हैं और अल्लाह उसे वहा भी रोज़ी िे ता हैं पर न
तो िर्ु नया मे आने ले बाि ककसी इन्सान को उस जज़न्िगी
का शऊर होता हैं न ही उसे ये पता होता हैं के वो ककस तरह
वहा रोज़ी पा रहा होता हैं ठीक उसी तरह नेक लोगो के मरने
के बाि की जज़न्िगी या शहीि होने वालो की जज़न्िगी का
हमे कुछ पता नही| मज़ीि अल्लाह ने कुरान मे फ़रमाया –
और मह
ु म्मि तो बस रसल
ू हैं इनसे पहले भी बहुत से रसल
ू
गज़
ु र चुके हैं कफ़र क्या अगर मह
ु म्मि मर जाये या कत्ल
कर दिये जाये तो तम
ु क्या इस्लाम से उल्टे पाांव कफ़र
जाओगे तो समझ लो जो कोई उल्टे पाांव कफ़र जायेगा तो
अल्लाह का कुछ न बबगड़ेगा और जल्ि अल्लाह शुक्र अिा
करने वालो को अच्छा बिला िे गा| (सूरह अल इमरान सरू ह
नां0 3 – आयत नां0 144)
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(ऐ रसल
ू ) बेशक़ तम
ु को भी मौत आयेगी और ये लोग भी
यकीनन मरने वाले हैं|(सरू ह ज़म
ु र 39/30)
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