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--: कब्रपरस्ती – जहन्नम का खल


ु ा रास्ता :--

शरू
ु अल्लाह के नाम से
मेरे दिनी भाइयो कब्रपरस्ती शशकक का एक ऐसा िरवाज़ा हैं
जजसे बराकसगीर(दहन्िस्
ु तान, पाककस्तान, बाांग्लािे श और
दिगर कई मल्
ु क) मे एक इस्लामी रस्म व ररवाज़ समझ कर
इस तरह ककया जाता हैं जैसे ये िीन ए इस्लाम का एक अहम
रुक्न हो| जजहालत की इांतहा तो तब होती हैं जब इसे करने
वाले इसे बबना कुरान और हिीस के िलील के इस अकीित
के साथ करते हैं जैसे ये फ़ज़क ऐन हो और इस काम मे घर की
औरतो समेत कब्रो पर जाकर मन्नत मरु ािे माांगते हैं|

हज़रत अब्िल्
ु लाह बबन अब्बास रजज़0 से ररवायत हैं के कौमे
नह
ू नेक और अच्छे लोग थे जब वो मर गये तो उनके
पैरोकार उनकी कब्रो पर मज
ु ावर बन कर बैठ गये, कफ़र
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इनकी तस्वीर और बुत बनाये, कफ़र कुछ ज़माने और गज़


ु रने
के बाि इनकी कब्रो की परजस्तश शरु
ु कर िी| (सही बुखारी)

कौम इब्रादहम की शमसाल कुछ ऐसी ही हैं| अल्लाह कुरान मे


फ़रमाता हैं-

यकीनन हमने इससे पहले इब्रादहम को इसकी समझबझ



बख्शी थी और हम इसके अहवाल से बखूबी वाककफ़ थे|,
जबकक इसने (इब्रादहम) ने अपने बाप और अपनी कौम से
कहा, ये मूर्तकया जजन के तम
ु मुजावर बने बैठे हो क्या हैं?
सबने जवाब दिया के हमने अपने बाप-िािा को इन्ही की
इबाित करते पाया| (सूरह अांबबया 21/51-53)

कौम मस
ू ा के वक्त भी एक कौम थी जजस ने अपनी इबाित
के शलये मूर्तकया बना रखी थी| अल्लाह कुरान मे फ़रमाता हैं-

और हमने बनी ईसराईल को जब िरीया पार कराया तो इन


का गज़
ु र ऐसे लोगो के पास से हुआ जो बत
ु ो की इबाित करते
थे| कहने लगे – ऐ मस
ू ा जजस तरह इन के कुछ माबूि हैं आप
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हमारे शलये भी माबूि बना िे | आप ने फ़रमाया के यकीनन


तम
ु लोगो मे बड़ी जजहालत हैं|(सरू ह आराफ़ 7/138)

नबी सल्लल लाहो अलैहे वसल्लम के ज़माने मे अांबबया कक


तसवीर, बुज़ुगो की कब्रो, िरख्तो तक की इबाित होती थी|
इब्ने जरीर रह0 ने अफ़रायेतुम अल लात व उज़ा की तफ़्सीर
ब्यान करते हुये जज़क्र ककया हैं कुफ़्फ़ारे मक्का जजस लात
नाम के बुत की इबाित करते थे वो एक नेक आिमी था जो
हाजीयो को सत्तू शभगोकर पपलाया करता था| जब वो मर
गया तो लोग उसे नेक स्वालेह समझ कर उसकी कब्र पर
मज
ु ावर बन कर बैठ गये और ज़माने िर जमाने बाि उसका
बुत बना कर उसकी इबाित शरु
ु कर िी|

इब्ने कसीर ने अपनी तफ़्सीर मे शलखते हैं जमाने जजहालत


मे कुफ़्फ़ारे मक्का लात की इबाित करते थे और इसी से
अपनी हाजते तलब करते थे| लात एक सफ़ेि रां ग का पत्थर
था जजस पर मकान बना हुआ था, पिे लटके हुए थे और वहाां

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मज
ु ावर रहते थे और इस के चारो तरफ़ हि मक
ु ररक थी| (इब्ने
कसीर)

अज़ा मक्का और तायफ़ के िरम्यान एक िरख्त था जजस


पर एक बड़ी शानिार इमारत बनी हुई थी और इस मे पिे
लटके हुए थे| फ़तह मक्का के बाि इन सब कब्रो, तककयो को
गगरा दिया गया और िरख्तो को कटवा दिया गया| (सही
बुखारी)

हज़रत आयशा रजज़0 से ररवायत हैं के – कबीला अन्सार के


कुछ लोग मनात के नाम का एहराम बाांधते थे| मनात बुत
था जो मक्का और मिीना के िरम्यान रखा हुआ था|
इस्लाम लाने के बाि इन लोगो ने कहा या रसूलल्लाह
सल्लल लाहो अलैहे वसल्लम हम मनात की ताज़ीम के शलये
सफ़ा और मरवा के िरम्यान सई नही ककया करते थे| (सहीह
बुखारी)

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ज़ात अनवात एक बेरी का िरख्त था जजस के पास मश


ु ररक
एतकाफ़ करते थे और तबरुक क के शलये इस पर असलहा
लटकाते थे| इस्लाम आने के बाि जब सहाबा रजज़0 ने
अल्लाह के रसल
ू सल्लल लाहो अलैहे वसल्लम से अपने
शलये ज़ाते अनवात का मत
ु ालबा ककया तो नबी सल्लल लाहो
अलैहे वसल्लम ने फ़रमाया – मुझे इस ज़ात की कसम जजस
के हाथ मे मेरी जान हैं ! तुमने तो आज वही बात कह िी जो
बनी ईसराईल ने मूसा अलै0 से कही थी के ऐ मूसा! हमारे
शलये भी इन लोगो के माबूि जैसा माबूि बना िे , मूसा अलै0
ने कहा – यककनन तुम जादहल कौम हो, तुम ज़रूर पहले
लोगो के तरीको पर चलोगे| (सही र्तशमकज़ी)

नबी सल्लल लाहो अलैहे वसल्लम ने कफ़र कहा – अगर वो


ककसी गौह(रे गगस्तानी र्छपकली) के बबल(सुराख) मे िाखखल
होंगे तो तुम भी इस मे उनकी इत्तेबा करोगे| सहाबा रजज़0 ने
ताज्जुब की बबनाह पर कहा – या रसूल अल्लाह – क्या हम
यहूि व नसारा की पैरवी करें गे? तो आप सल्लल लाहो अलैहे

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वसल्लम ने फ़रमाया – और ककस कक ! (सही बुखारी व


मजु स्लम)

उपर जो हिीस गुज़री आज अल्लाह के रसूल सल्लल लाहो


अलैहे वसल्लम कक ये बात सच होती दिखाई िे ती हैं| आज
मुसल्मान इन्सानो के अलावा जानवरो तक की इबाित कर
रहा हैं और इसको करने मे फ़ख्र महसस
ू करता हैं|
पाककस्तान मे लाहौर मे घोड़े शाह की मज़ार इसका जीता
जागता सबूत हैं|

जजहालत का आलम ये हैं की कब्रो पर कुब्बे और तककये


बनाये जाते हैं, झांडे र्नस्ब ककये जाते हैं, गगलाफ़ चढ़ाये जाते
हैं, सवाब की र्नयत से सफ़र ककये जाते हैं, तवाफ़ ककये जाते
हैं, सजिे ककये जाते हैं, इल्त्जाए की जाती हैं हाांलाकक िीने
इस्लाम मे नबी सल्लल लाहो अलैहे वसल्लम ने इन
बबिअतो की बड़ी सख्ती से मज़म्मत करी हैं|

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हज़रत आयशा रजज़0 से ररवायत हैं जब नबी सल्लल लाहो


अलैहे वसल्लम अपनी मज़क मौत मे थे तो आप सल्लल लाहो
अलैहे वसल्लम ने फ़रमाया – अल्लाह यहूि और नसारा पर
लानत करे जजन्होने अपने अांबबया की कब्रो को इबाितगाह
बना शलया| (बुखारी)

मज़ीि फ़रमाया के इस ख्याल से के आप की कब्र को


सजिागाह न बना शलया जाये इसशलये औरो की तरह खल
ु े
मे आपकी कब्र नही रखी गयी बजल्क हुजरे मे रखी
गयी|(बुखारी)

हज़रत जन्िब बबन अब्िल्


ु लाह से ररवायत हैं के नबी सल्लल
लाहो अलैहे वसल्लम ने अपनी वफ़ात से 5 दिन पहले
फ़रमाया – खबरिार तम
ु से पहले यहुदियों और नसरानीयो
ने अांबबया और बुज़ग
ु ो की कब्रो पर मजस्जि तामीर की| िे खो
मैं तम
ु को इससे मना करता हूूँ| कफ़र बारगाहे इलाही मे िआ

की – या अल्लाह मेरी कब्र को बुतपरस्ती से बचा लेना|
(मस
ु नि अहमि)
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नबी सल्लल लाहो अलैहे वसल्लम ने एक और मौके पर


फ़रमाया – यकीनन जब इन मे से कोई नेक आिमी मर
जाता हैं तो वो इसकी कब्र पर मसजजि बना लेते और इस मे
तस्वीर लटका िे ते| ये लोग कयामत वाले दिन अल्लाह के
यहाूँ बितररन मख्लक
ू शम
ु ार होंगे| (मजु स्लम)

हज़रत अबुद्लल्लह इब्ने मसि


ू रजज़0 से ररवायत हैं के मैनें
अल्लाह के रसल
ू सल्लल लाहो अलैहे वसल्लम को फ़रमाते
सन
ु ा – लोगो मे बितरीन शख्स वो हैं जजन पर कयामत
कायम होगी और वो जज़न्िा होंगे, और ऐसे लोग होंगे जो
कब्रो को मजस्जि बनायेंगे| (बुखारी)

इमाम अहमि बबन हां बल ने हज़रत जैि बबन साबबत रजज़0


से ब्यान ककया हैं के नबी सल्लल लाहो अलैहे वसल्लम ने
फ़रमाया – कब्रो पर जज़यारत करने वाली औरतो पर, कब्रो
पर मजस्जि बनाने वालो और कब्रो पर गचराग रोशन करने
वालो पर अल्लाह की लानत हो|

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इसी तरह 3 मक
ु द्लिस मक
ु ामो के अलावा ककसी और मक
ु ाम
के शलये अककितमांिी(सफ़र करना) से मना कर दिया|

हज़रत अबू बक्र रजज़0 से ररवायत हैं के नबी सल्लल लाहो


अलैहे वसल्लम ने फ़रमाया – तीन मजस्जिो के अलावा और
ककसी मुकाम की तरफ़ ऐहतमाम के साथ सफ़र न करो|
मजस्जि हराम, मजस्जि नबवी और मजस्जि अक्सा|
(बुखारी)

हज़रत अब्िल्
ु लाह बबन अब्बास रजज़0 से ररवायत हैं के नबी
सल्लल लाहो अलैहे वसल्लम ने इन औरतो को मलऊन
करार दिया हैं जो कब्रो की जज़यारत के शलये बकसरत जाती
हो और इन को मजस्जि बनाती हैं और इन पर गचराग
जलाती हैं|(सन
ु न र्तशमकज़ी)

हज़रत अबुल हयाज असिी रह0 ब्यान करते हैं के हज़रत


अली रजज़0 ने मुझ से फ़रमाया के उन्हें अल्लाह के रसूल
सल्लल लाहो अलैहे वसल्लम ने हुक्म दिया के – क्या मैं

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तझ
ु को इस काम पर मक
ु ररक न करु जजस पर मझ
ु े अल्लाह
ने मक
ु ररक ककया और वो ये के कोई तस्वीर व मज
ु समा न
छोड़ मगर इसे शमटा िो और जो कब्रे ज़्यािा ऊांची हो इसे
बराबर कर िो| (मजु स्लम)

हज़रत समामा बबन शफ़ी रजज़0 से ररवायत हैं के हर कब्र जो


शरीयत के ऐतबार से ऊांची हैं गगराना लाजज़मी हैं और फ़ज़क
हैं| (सही मजु स्लम)

हज़रत जाबबर बबन अब्िल्


ु लाह रजज़0 से ररवायत हैं के नबी
सल्लल लाहो अलैहे वसल्लम ने कब्रो को चूना गच करने,
इस पर बैठने और इस पर इमारत बनाने से मना ककया
हैं|(मुजस्लम)

अबू सईि खिरी रजज़0 से ररवायत हैं के नबी सल्लल लाहो


अलैहे वसल्लम ने कब्रो पर इमारत बनाने, इन पर बैठने
और नमाज़ पढ़ने से मना फ़रमाया|(इब्ने माजा)

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अबू मस
ू ा अशरी रजज़0 ने मौत के वक्त वसीयत कक के जब
तम
ु मेरा जनाज़ा लेकर चलने लगो तो जल्िी चलना, और
मेरे साथ कोई अांगीठी हो और न मेरी लहि मे कोई चीज़
रखना जो मेरे और शमट्टी के िरम्यान हायल हो और न ही
मेरी कब्र पर कोई इमारत बनाना और मैं तम्
ु हे गवाह बना
कर कहता हू के मैं सर मुांडाने वाली, चीख-पुकार करने वाली
या कपड़े फ़ाड़ने वाली से बरी हू| लोगो ने पूछा – क्या आपने
ये बाते नबी सल्लल लाहो अलैहे वसल्लम से सुनी हैं? तो
इन्होने कहा – हाां मैंने नबी सल्लल लाहो अलैहे वसल्लम से
सुनी हैं| (मुस्नि अहमि)

बबला शब
ु हा इन तमाम हिीस की रोशनी से ये साबबत हैं के
मौजूिा िौर मे जो िरगाहे या कब्रो को इबाित खाना बनाकर
बुज़ुगो की जो इबाित होती हैं ये शरीयत इस्लाम की रूह से
शशकक हैं| आज मौजूिा मआशरे मे ना जाने ककतने अनगगनत
मज़ार हैं जजन पर गुम्बि बना कर या चार िीवारर बना कर
उस मे इबाित करी जाती हैं और यही नही बजल्क उन कब्रो

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पर नज़्रो र्नयाज़, कव्वाली, उसक होता हैं जो बाकायिा मेले


की शक्ल मे होता हैं इसकी जज़न्िा शमसाल पाककस्तान मे
पाकपत्तन के इलाके मे बाबा फ़रीि की िरगाह और
दहन्िस्
ु तान के अजमेर मे मोईनद्ल
ु िीन गचश्ती की िरगाह हैं|
जजहालत की इन्तेहा तो ये हैं के मिो के साथ औरते भी
लातािाि इन िरगाहो मे जाती हैं| जबकक इस्लाम की रूह से
नबी सल्लल लाहो अलैहे वसल्लम ने ऐसी औरतो पर लानत
फ़रमाई हैं|

कब्रपरस्ती को लेकर अकसर लोगो के ज़हनो मे ये गम


ु ान
होता हैं के जजस बुज़ग
ु क की कब्र पर जाकर वो इनसे हाजत
तलब कर रहे हैं वो अपनी कब्र मे जज़न्िा हैं| जबकक कुरान
और हिीस की रोशनी मे मौत एक ऐसी सच्चाई हैं जो हर
जानिार को आकर रहे गी और जो इन्सान मर कर िर्ु नया से
रुखसत हो गया वो कभी वापस िर्ु नया मे नही लौटता|
जबकक कब्रपरस्ती के अकीितमांि ये अकीिा रखते है के नेक
लोग मर कर भी अपनी कब्रो मे जज़न्िा हैं बजल्क उनकी िआ

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भी सन
ु ते हैं और कुबूल भी करते हैं| अल्लाह कुरान मे
फ़रमाता हैं-

(ऐ रसूल) तुम कह िो कक मौत का फ़ररश्ता जो तुम्हारे उपर


तैनात हैं वही तुम्हारी रुहे कब्ज़ करे गा उसके बाि तुम सबके
सब अपने रब की तरफ़ लौटाये जाओगे| (सूरह अस सजिा
32/11)

और काश (ऐ रसल
ू ) तम
ु िे खते जब फ़ररश्ते काकफ़र की जान
र्नकाल लेते थे और रूह और पुश्त(पीठ) पर कोड़े मारते थे
और (कहते हैं तुम जलने के मज़े चखो| (सूरह अनफ़ाल
8/50)

तो जब फ़ररश्ते उनकी जान र्नकालेगे उस वक्त उनका क्या


हाल होगा की उनके चेहरे पर और उनकी पुश्त पर मारते
जाूँएांगे| (सरू ह मह
ु म्मि 47/27)

जब हमारे भेजे हुऐ (फ़ररश्ते) उनके पास आकर उनकी रूहे


कब्ज़ करें गें तो(उनसे) पूछेंगे कक तम
ु अल्लाह को छोड़कर
जजन्हे पुकारा करते थे अब वो कहाां हैं| तो वो जवाब िे गें कक
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वह सब हमे छोड़ कर गायब हो गए और अपने खखलाफ़ खि



गवाही िे गें कक वह बेशक काकफ़र थे| (सरू ह आराफ़ 7/37)

ये तमाम कुरान की आयते ये साबबत करती हैं के इन्सान


की मौत होकर रहे गी और उसके जजस्मो मे मौजूि रुहे
अल्लाह के हुक्म से मलकुलमौत के जररये र्नकाली जायेगी|
इन्सान का नेक या बि होना उसके िर्ु नया के अमल के
मत
ु ाबबक होता हैं जब इन्सान मे अच्छे अमल करता हैं तो
उसका नेक अमल िर्ु नया मे मशहूर होता हैं और लोग उससे
फ़ायिा उठाते हैं| कब्रपरस्ती के ताल्लक
ु से लोग नेक लोगो
कक कब्रो पर जाकर उनसे िआ
ु करते हैं जबकक मिि शसफ़क
उससे माांगी जाती हैं जो मौजि
ू हो जजसको सन
ु ाया जा सके
जो ककसी की परे शानी को महसूस कर सके| कब्रो की
अकीित रखने वाले लोग अकसर कब्रो पर जाकर उस मरे
हुए से अल्लाह के यहा अपना शसफ़ाररशी समझते हैं और
उन्से यूूँ कहते हैं कक ऐ फ़ला बुज़ुगक अल्लाह से आप िआ

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करिे के मेरा फ़ला काम हो जाये या मेरी फ़ला परे शानी िरू
हो जाये| अल्लाह कुरान मे फ़रमाता हैं-

बेशक न तो तुम मुिो को (अपनी बात) सुना सकते हो न


बहरो को अपनी बात सुना सकते हो(खासकर) जब वो पीठ
फ़ेर कर भाग खड़े हो| (सूरह नमल 27/80)

(ऐ रसूल) तुम तो (अपनी) आवाज़ न मुिो को सुना सकते


हो और न बहरो को सुना सकते हो (खासकर) जब वह पीठ
फ़ेरकर चले जाएूँ| (सूरह रूम 30/52)

मि
ु ाक इन्सान जो िर्ु नया से रुखसत हो चुका हैं उसके ताल्लक

से ये साफ़तौर पर साबबत हैं के उसको जजन्िा इन्सान की
आवाज़ नही सन
ु ाई नही िे ती तो कफ़र इन कब्रो पर जो
फ़ररयाि व पुकार होती हैं वो मुिाक इन्सान कैसे सुन सकता
हैं|

और अन्धा और आांख वाला बराबर नही हो सकते, अर न


अन्धेरा और उजाला बराबर हैं, और न छाांव और धूप, और
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न जज़न्िे और न मि
ु े बराबर हो सकते हैं और खि
ु ा जजसे
चाहता हैं सन
ु ाता हैं और ऐ रसल
ू तम
ु उनको नही सन
ु ा सकते
जो कब्रो मे हैं| (सरू ह फ़ार्तर 35/19-22)

लोगो एक शमसाल पेश की जाती हैं उसे कान लगा के सुनो


कक अल्लाह के अलावा जजन को तुम पुकारते हो वह सब के
सब अगर एक साथ इकठ्ठे जमा हो जाये तो भी एक मक्खी
तक पैिा नही कर सकते और अगर मक्खी उनसे कुछ छीन
ले जाये तो उससे उसको छुड़ा नही सकते| बेबस हैं वो जजससे
माांगा जा रहा हैं और जो माांग रहा हैं| (सरू ह हज 22/73)

अल्लाह ने सूरह हज की आयत को एक शमसाल के तौर पर


ब्यान ककया हैं और कुरान की इस आयतो से साबबत हैं के
कब्रपरस्ती सरासर गलत हैं क्योकक जजन मि
ु ो से इन्सान
अपनी हाजते तलब कर रहा हैं वो मक्खी भी पैिा नही कर
सकते और जो मक्खी जैसी एक छोटी से जान को पैिा नही
कर सकता वो ककसी इन्सान की मिि कैसे कर सकता हैं|
शलहाज़ा जजन मि
ु ो से िआ
ु ए और िरख्वास्त करी जा रही हैं
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अगर वो सब के सब जमा हो जाए तो मक्खी जैसी हकीर


मख्लक
ू से कुछ छुड़ा भी नही सकते अगर मक्खी उनसे कुछ
छीन ले तो ये इन्सानो की मिि या ज़रूरत कैसे पूरी कर
सकते हैं| इसके अलावा अल्लाह कुरान मे और िस
ू री जगह
इस कब्रपरस्ती के ताल्लक
ु से फ़रमाता हैं-

वही रात को दिन मे िाखखल करता हैं और वही दिन को रात


मे िाखखल करता हैं| उसी ने सरू ज और चाांि को इसी काम
मे लगा रखा हैं और हर कोई अपने तयशि
ु ा वक्त पर चला
करता हैं| वही अल्लाह हैं तम्
ु हारा पालनेवाला और उसी की
बािशाहत हैं और उसे छोड़कर जजन माबूिो को तम
ु पुकारते
हो वह छुवारो की गठ
ु ली की खझल्ली के भी माशलक नही हैं,
अगर तुम उन्हे पुकारो तो वह तुम्हारी को नही सुनेगे और
अगर सुन भी ले तो तुम्हारी िआ
ु ए कुबूल भी नही कर सकते
और कयामत के दिन तुम्हारे शशकक क इन्कार कर बैठेगें|
(सूरह फ़ार्तर 35/13-14)

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कुरान की इस आयत से साबबत हैं के जजन बुज़ग


ु ो की कब्रो
पर लोग िआ
ु ए और हाजते तलब करते हैं वो बुज़ग
ु क न तो
सन
ु ते हैं न ही कोई हाजत पूरी कर सकते हैं और तो और रोज़
ए कयामत वो उन हाजत माांगने वालो के शशकक का इन्कार
कर िें गे| शलहाज़ा कब्रपरस्ती शशकक और हराम हैं| और मज़ीि
अल्लाह कुरान मे फ़रमाता हैं-

(ऐ रसल
ू ) आप कह िीजजये तम
ु अपने ठहराये हुए शरीको के
बारे मे तो बताओ जजन्हे तम
ु अल्लाह के शसवा पुकारते हो
यार्न मझ
ु े बताओ के उन्होने ज़मीन मे कौन सी चीज़ पैिा
की हैं या आसमानो मे उनका कुछ साझा हैं| (सरू ह फ़ार्तर
35/40)

कुरान की इस आयत से साबबत हैं के िर्ु नया से रुखसत होने


वाले जजन बुज़ुगो को लोग अपना हाजतरवा समझते हैं न
तो उन बुज़ग
ु ो को ककसी ने िे खा हैं न ही उन्होने ज़मीन मे
या आसमान मे कुछ पैिा ककया हैं| शलहाज़ा जजन बुज़ग
ु ो से
िआ
ु और हाजते करी जाती हैं मरने के बाि उनका कुछ वजूि
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इस िर्ु नया मे नही बजल्क वो हमारी तरह आम बन्िे हैं|


अल्लाह कुरान मे फ़रमाता हैं-

अल्लाह को छोड़कर जजन लोगो को तुम पुकारते हो वह कुछ


भी पैिा नही कर सकते, वह खुि बनाए हुए मुिे बेजान हैं
और इतनी भी खबर नही कक कब कयामत होगी और कब
उठाये जायेगे| (सरू ह नहल 16/20,21)

अल्लाह ही के शलये सच्ची पुकार हैं और जो लोग उसे


छोड़कर िस
ू रो को पुकारते हैं वह उनकी कुछ सुनते तक नही|
(सूरह रअि 13/14)

क्या वह लोग अल्लाह का शरीक ऐसो को बनाते हैं जो कुछ


भी पैिा नही कर सकते बजल्क वह खि
ु ही पैिा

क्या वह लोग अल्लाह का शरीक ऐसो को बनाते हैं जो कुछ


भी पैिा नही कर सकते बजल्क वह खि
ु ही पैिा ककये हुए हैं
और वो इनकी ककसी ककस्म की मिि नही कर सकते और
न अपनी मिि कर सकते हैं और अगर तम
ु उन्हे कोई बात
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बताने को पुकारो तो ये तम्


ु हारी पैरवी भी नही कर सकते
चाहे तम
ु उन्हे पुकारो या चप
ु चाप बैठो रहो, बेशक वह लोग
जजनको तम
ु अल्लाह को छोड़कर हाजतरवा समझते हो वह
भी तम्
ु हारी तरह अल्लाह के बन्िे हैं| भला तम
ु उन्हे पुकार
कर तो िे खो| अगर तम
ु सच्चे हो तो वो तम्
ु हारी कुछ सन
ु ले,
क्या उनके पैर भी हैं जो चल सके या उनके ऐसे हाथ भी हैं
जजनसे वो ककसी चीज़ को पकड़ सके या उनकी ऐसी आांखे
भी हैं जजनसे वो िे ख सके या उनके ऐसे कान भी हैं जजनसे
सुन भी सके| ऐ नबी आप कह िीजजए के तुम अपने बनाए
हुए शरीको को बुलाओ कफ़र सब शमल कर मुझ पर िाांव चले
और मुझे मोहलत न िो| (सरू ह आराफ़ 7/191-195)

और वो लोग जजन्हे तुम अल्लाह के शसवा अपनी मिि के


शलये पुकारते हो न तो तुम्हारी मिि की कुिरत रखते हैं और
न ही अपनी मिि कर सकते हैं और अगर तुम उन्हे दहिायत
की तरफ़ बुलाओगे भी तो ये सुन ही नही सकते और तू

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समझता हैं की वो तझ
ु े िे ख रहे हैं हालाकक वो िे खते
नही|(सरू ह आराफ़ 7/197,198)

कुरान की इन आयतो मे अल्लाह ने कब्रपरस्ती जैसे शशकक


की मज़म्म्त करी हैं के लोग जान ले के जो लोग िर्ु नया से
रुखसत हो गये हैं वो न ककसी को कुछ िे सकते हैं न कोई
खि
ु उनकी मिि कर सकत हैं अगर वो ककसी परे शानी मे
हो| ये शमसाल तो अल्लाह ने कुरान मे खल
ु े तौर पर ब्यान
करी हैं अब ज़रा िर्ु नया की शमसाल को िे खते हैं

साल 2003 इराक़ अमरीका जांग के िौरान अमरीका की


बमबारी के िौरान अब्िल
ु कादिर जजलानी रह0 की कब्र भी
इन बमो की ज़ि मे आई| उम्मत मुजस्लमा का एक बड़ा
तबका इन्हे गौस पाक के नाम से बुलाता हैं और इनसे अपनी
हाजते और मिि माांगता हैं और इन्हे मजु श्कलकुशा और
हाजतरवा समझता हैं| अगर अब्िल
ु कािीर जजलानी रह0
ककसी की मिि कर सकते तो इन्हे इतनी भी तौफ़ीक न हुई
के इराक पर अमरीका के ज़ल्
ु म शसतम को रोक सके जजसमे
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मज़लम
ू आवाम का खन
ू बह रहा हैं और तो और न वो ककसी
को बचा सके न अपनी कब्र जजसे लोगो ने इबाितगाह बना
रखा हैं उसे बचा सके|

साल 2007 अक्तूबर 11 दहन्िस्


ु तान के अजमेर शहर मे
ख्वाजा मोईनुद्लिीन गचश्ती की मज़ार पर एक बम धमाका
हुआ था जजसमे 3 लोग मारे गये और 17 ज़ख्मी हुएथे| अगर
ख्वाजा साहब कुछ िे ख सकते या सन
ु सकते या कुछ मरने
के बाि भी इख्तयार रखते तो शायि मरने वालो और ज़ख्मी
लोगो को बचा लेते लेककन ऐसा नही हुआ क्योकक अल्लाह
का िावा सच्चा हैं न कोई मि
ु ाक िे ख सकता हैं न सन
ु सकता
हैं| अगर ख्वाजा साहब अपनी कब्र के अन्िर से लोगो की
फ़रीयाि सुन सकते हैं और कब्र के अन्िर से ही मिि कर
सकते हैं तो मरने के बाि इस बम धमाके को क्यो न रोक
पाये और अपने मरने वाले और ज़ख्मी मुरीिो को क्यो न
बचा सके|

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साल 2010 अक्तब


ू र 25 पाकपत्तन, पाककस्तान मे बाबा
फ़रीि की िरगाह पर बम धमाका हुआ जजसके सबब उनके
जन्नती िरवाज़े पर मौजि
ू 6-8 लोग मारे गये| अगर बाबा
फ़रीि को हाजत पूरी करने का इख्तयार हैं तो उन्होने इस
बम धमाके को कैसे होने दिया| अगर बाबा फ़रीि अपने
मुरीिो की जान बचाने का भी इख्तयार नही तो वो हाजत
पूरी कैसे कर सकते हैं|
ये वो िर्ु नया की शमसाले हैं जो कोई बहुत पुरानी ककस्सा
कहानी नही बजल्क चांि साल पहले हुए सच्ची बात हैं| ये
अल्लाह का िावा हैं के अल्लाह की मज़ी के बबना कोई मर
नही सकता तो ये बुज़ुगक अपनी कब्रो मे कैसे जज़न्िा हैं| अगर
जजन्िा थे तो इस मस
ु ीबत को क्यो न टाल सके|

आज िीन ए इस्लाम के जादहल मौलपवयो के सबब इन कब्रो


पर कारोबारी अड्डा बना हुआ हैं लोग अपनी खून पसीने की
कमाई इन बुज़ुगो की अककित मे कब्रो के मुजावरो को िे ते
हैं के ये उनकी शसफ़ाररश कर िें और ये मुजावर आवाम को

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बेवकूफ़ बना कर लट
ू रही हैं और तो और आवाम को भी इस
बात का शऊर नही के वो कलाम इलाही पर गौर करके अपनी
मस
ु ीबत को िरू कर ले|

बेशक हर चीज़ का खाशलक व माशलक अल्लाह


सुबहानोतालाह हैं अगर अल्लाह ककसी परे शानी को टालना
चाहे तो कोई कुछ नही कर सकता| अल्लाह कुरान मे
फ़रमाता हैं-

खुिा मुझ पर मेहरबानी करना चाहे तो क्या वह लोग उसकी


मेहरबानी को रोक सकते हैं| (ऐ रसूल) तुम कहो की मेरे शलये
अल्लाह ही काफ़ी हैं उसी पेर भरोसा करने वाले भरोसा करते
हैं| (सूरह ज़ुमर 39/38)

शलहाज़ा हर इन्सान को चादहए के अल्लाह पर भरोसा करे


और उसी से मिि माांगे|

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लोगो का ये गम
ु ान के जो लोग नेक होते हैं और अपनी कब्रो
मे जज़न्िा हैं| इस बारे मे अकसर कुरान की ये िलील िे ते हैं
कक-

और जो लोग अल्लाह की राह मे मारे गये उन्हे मुिाक न


सम्झो बजल्क वो जज़न्िा हैं मगर तुम्हे शऊर नही|(सूरह अल
बकरा 2/169)

और जो लोग अल्लाह की राह मे शहीि ककये गये उन्हे मि


ु ाक
न समझो बजल्क वो जज़न्िा हैं और अपने रब के पास रोज़ी
पा रहे हैं|(सूरह अल इमरान 3/169)

इस िोनो आयतो के शरु


ु आत मे ही अल्लाह ने फ़रमा दिया
“जो लोग अल्लाह की राह मे मारे गये और शहीि ककये गये”
शलहाज़ा जो नेक लोग अल्लाह की राह मे मारे गये या शहीि
ककये गये यार्न की वो मर चुके| क्योकक शहीि कोई शख्स
मरने के बाि ही होता हैं बबना मरे कोई इन्सान शहीि के िजे
को नही पहुांच सकता| इन आयतो का िस
ू रा दहस्सा ये बताता

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हैं के “तम्
ु हे शऊर नही और वो अल्लाह के पास रोज़ी पा रहे
हैं” यार्न वो जजस तरह जज़न्िा हैं हमे उनकी जज़न्िगीयो के
बारे मे कुछ नही पता| जजस तरह इन्सान जब अपने माां के
पेट मे होता हैं और अल्लाह उसे वहा भी रोज़ी िे ता हैं पर न
तो िर्ु नया मे आने ले बाि ककसी इन्सान को उस जज़न्िगी
का शऊर होता हैं न ही उसे ये पता होता हैं के वो ककस तरह
वहा रोज़ी पा रहा होता हैं ठीक उसी तरह नेक लोगो के मरने
के बाि की जज़न्िगी या शहीि होने वालो की जज़न्िगी का
हमे कुछ पता नही| मज़ीि अल्लाह ने कुरान मे फ़रमाया –

आग हैं जजसके सामने वो लोग सब


ु ह व शाम लाये जाते हैं
और जजस दिन कयामत बरपा होगी (फ़रमान होगा)
कफ़रओन को सख्त अज़ाब मे डालो|(सूरह मोशमन 40/46)

गौर तलब हैं के यहा अल्लाह कफ़रओन और उसके लोगो के


बारे मे बता रहा हैं जबकक कफ़रओन की लाश म्यजू ज़यम मे
आज तक मौजि
ू हैं न के कब्र में जबकक अल्लाह फ़रमा रहा
हैं की कफ़रओन और उसके लोगो को सब
ु ह शाम आग के
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सामने खड़ा ककया जाता हैं तो जजस तरह कफ़रओन को ये


मामला उसकी इस िर्ु नया की जज़न्िगी के बाि पेश आ रहा
हैं उसी तरह नेक लोगो के साथ अल्लाह का ये मामला हैं की
अल्लाह उन्हे अपने तरीके से रोज़ी िे रहा हैं न हमे कफ़रओन
के साथ इस मामले के बारे मे पता न ही ककसी नेक शख्स
के बारे मे पता के उसके साथ कैसे मामला पेश हो रहा हैं|
मज़ीि ये के खुि नबी सल्लल लाहो अलैहे वसल्लम के बारे
मे अल्लाह ने कुरान मे फ़रमाया-

और मह
ु म्मि तो बस रसल
ू हैं इनसे पहले भी बहुत से रसल

गज़
ु र चुके हैं कफ़र क्या अगर मह
ु म्मि मर जाये या कत्ल
कर दिये जाये तो तम
ु क्या इस्लाम से उल्टे पाांव कफ़र
जाओगे तो समझ लो जो कोई उल्टे पाांव कफ़र जायेगा तो
अल्लाह का कुछ न बबगड़ेगा और जल्ि अल्लाह शुक्र अिा
करने वालो को अच्छा बिला िे गा| (सूरह अल इमरान सरू ह
नां0 3 – आयत नां0 144)

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(ऐ रसल
ू ) बेशक़ तम
ु को भी मौत आयेगी और ये लोग भी
यकीनन मरने वाले हैं|(सरू ह ज़म
ु र 39/30)

इन िो आयतो मे अल्लाह ने साफ़ तौर पर वाज़े कर दिया के


खुि मुहम्मि सल्लल लाहो अलैहे वसल्लम भी इस िर्ु नया
की जज़न्िगी को छोड़ के मर जायेगें| तो जब अल्लाह के
सबसे प्यारे रसल
ू को मौत आ सकती हैं तो आम इन्सान की
क्या है शसयत के वो मरने के बाि भी कब्र मे जज़न्िा हो और
जज़न्िा होने के साथ-साथ लोगो की हाजते और ज़रुरते भी
पूरी कर रहा हैं|

शलहज़ा कुरान और हिीस की रोशनी मे ये बात साफ़ हैं के


कब्रपरस्ती शशकक हैं और इसे करने वाला शख्स मुसलमान
नही हो सकता क्योकक जजसने अल्लाह के शसवाये ककसी और
को माबूि बना कर उससे हाजते और ज़रुरते तलब करी वो
मस
ु ल्मान कैसे हो सकता हैं???

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अल्लाह हमे हक बात सन


ु ने और
समझने के तौफ़ीक़ िे आमीन

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