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मेरे ईस्लामी भाईयो आज कल हम इन सवालो के जवाब नही जानने की वजह से शिकक और गुमराही के

दलदल में फंसे हुए हैं इन सवालो और इनके जवाब को गौर से पढे और समझे ताकी ईस खतरनाक
गुनाह से बच सके अल्लाह हमे हक़ बात को समझने और उसको क़बूल करने की तौफ़ीक़ दे आमीन………….

1👉 अल्लाह ने हमें ककस शलए पैदा ककया?


मैं अल्लाह ने जजन्न और इंसानों को अपनी इबादत के शलए पैदा ककया ताकक वह मेरी इबादत करें (सूरह ज़ररयात
56) तेरा रब साफ़ साफ़ हुकुम दे चुका है कक उसके अलावा ककसी की इबादत ना करें (सूरह बनी इसराईल 23)!

2👉 अल्लाह के अपने बंदो पर क्या हक है और बंदो पर अल्लाह का क्या हक है ?


अल्लाह का यह हक है कक बंदे अल्लाह की इबादत करें और उसके साथ ककसी को िररक ना करें और बन्दों पर
अल्लाह का यह हक है कक जब बंदे अल्लाह की इबादत करें उसके साथ ककसी को िरीक ना करे तो अल्लाह उनको
आजाब ना दे ( बुखरी 2856 मुस्लीम 30)
लोग ईमान लाए और अपने ईमान में जूल्म की आमीज़ीि नही क़ी (तौहीद में शिकक की शमलावट नहीं की) ऐसे
लोगों के शलए अमन है और यही लोग हहदायत वाले हैं (कुरआन 6.82)

3👉 अल्लाह ने दनु नया मे अजबबया और रसल


ू ों को ककसशलए भेजा?
और हम (अल्लाह) ने आप से पहले जजतने भी रसूल भेजे उन सब को यही वही की मेरे शसवा कोई माबुत नही पस
तुम मेरी ही इबादत करो (क़ुरआन 21:25)
👉 मालूम हुआ अजबबया और रसूलो को भेजने का मक़सद सर 1 अल्लाह की दावत दे ना और उस ही की इबादत
करना हे आज हम 1 अल्लाह को छोड़ कर अपने अपने मबुटो की इबादत कर रहे हैं

4 👉 क्या मुसलमान बन्ने के शलए ला ईलाहा इल्लल्लाह के माने जानना जरूरी हैं ?
आप यकीन करो की अल्लाह के शसवा कोई ईलाह (माबुत) नही (क़ुरआन 47:19)
जो इस हाल में मरे गा की वो इस बात का ईल्म रखता हो अल्लाह के शसवा कोई इलाह नही वो ज़न्नत में दाखील
होगा (मुजस्लम 26)

5 👉 कलमा पढने में इखलास (हदल की गहराई) से क्या मुराद हैं ?


! खबरदार अल्लाह ही के शलए इबादत खाशलस करना हैं (क़ुरआन 39: 3) और उनको हुकूम तो यही हुआ था की वो
अल्लाह की ईबादत करे उसही के शलए अपने हदन को खाशलि करे (क़ुरआन 98:5) नबी सल्ल. ने फ़रमाया मेरी
शसफाआत का मुस्तहहक़ वो होगा जजसने हदल की गहराई से ला ईलाहा इल्लल्लाह का ईकरार करे गा (बुखारी 99)

6 👉 कलमा के साथ सदक और वफादारी से क्या मुराद हैं ?


👉 और कई लोग ऎसे हैं जो अल्लाह की इबादत ककनारे पर खड़े होकर करते हैं आगर उन्हें फायदा पहुचता हे तो
मुतमईन हो गए और अगर मुसीबत आ पडी तो मुह फेर शलया ऎसे लोग दनु नया और आख़िरत में नुक्सान उठाने
वाले हैं यही खुला नुक्सान हैं (क़ुरआन 22:11) नोट👉 आज हम कलमा पढने वाले भी जब मुसीबत आती हैं तो हम
अल्लाह को छोड़ कर कब्रो मजारो वलियो की तरफ भागते हैं मुसीबत से ननजात दे ने वाला अल्लहा ही हैं

7 👉 तौहीद से क्या मुराद हैं ?


तौहीद से मुराद अल्लाह को अपनी ज़ात में शसफ़ात में और इबादत में ओर उसके हकूक में तन्हा यकता अकेला
बेशमसाल मानना तौहीद की 3 ककस्मे हैं (1) तौहीद ए रबू बबयत (2) तौहीद ए अस्मा शसफ़ात (3) तौहीद ए उलूहहयत
या तौहीद ए ईबादत

8👉 तौहीद ए रबुबबयात से क्या मुराद हैं ?


अल्लाह को कायनात की हर चीज़ का खाशलक माशलक राजजक और तमाम कामो की तदबीर करने वाला मानना
(ए नबी सल्ल.)इनसे मुशिरक से पूछो की तुम को आसमान और ज़मीन में रोज़ी कौन पहुचाता हैं या तुबहारे कान
और आखो का माशलक कौन हैं और जजंदे को मुदे से और मुदे को जजंदे से कौन ननकाल ता हैं और तमाम कामो का
इंतज़ाम कौन करता हैं ये (मुिररक) फौरन कहे गे वो अल्लाह ही हैं तो तुम उनसे पूछो की कफर तुम (अल्लाह से)
डरते क्यों नही (क़ुरआन 10:31) मक्का के मुिररक तौहीद ए रबुबबयत के मानने वाले थे और आज का कलमा गो
मुिररक इस बात को नही मानता औलाद दे ने वाला ररज़्क़ दे ने वाला गरीब नवाज़ ककसी और को बना रखा हैं

9👉 तौहीद ए उलूहहयत ककसे कहते हैं ?


अल्लाह ही अकेला सच्चा मबूत हैं इस बात को पपछली तमाम उबमत नही माना करती थी नमाज रोज़ा हज्ज
ज़कात सदका खैरात नज़र ननयाज मन्नत सब कुछ अल्लाह ही के शलए नमाज़ में रूकू ( हाथ बांध के खड़े होना)
सजदा ये भी अल्लाह के शलए और अगर ये काम ककसी मज़ार वाले के शलए ककया तो शिकक हैं क़ुरबानी अल्लाह
के शलए अगर ककसी मज़ार या वली के शलये की गई तो शिकक हैं अपनी हलाल कमाई में से सदका खैरात करना
अल्लाह के शलए अगर ककसी वाली के नाम पर या खाव्ज़ा गरीब नवाज रह, के नाम से या नबी के या हसन हुसैन
या हज़रत अली रज़ी, के नाम से हदया गया तो ये काम करने वाले ने अल्लाह की उलूहहयात में दस
ू रे को िरीक
ककया यानी एक से जयादा माबूत बना शलए चाहे वो ज़ुबांन से कहें अल्लाह के शसवा कोई माबूत नहीं ले ककन उसका
ये काम उसको झूठा बनाता हैं और ऐसा सख्स खुल्लम खुल्ला शमश्रिक हैं
10👉 तौहीद ए अस्मा और शसफ़ात ककसे कहते हैं ?
अल्लाह के अस्मा और शसफ़ात ( नाम और नाम से जुड़े काम ) जेसे अल्लाह का एक नाम हैं अल रज़्ज़ाक (ररज्क
दे ने वाला) अल समीअ (सुनने वाले ) अब अगर कोई अल्लाह को छोड़कर ककसी अल्लाह के वली को (जो इस दनु नया
से जा चुके हो) या ककसी को भी ररज़्क़ दे ने वाला या फ़रयाद सुनने वाला माने तो उसने अल्लाह के साथ दस
ू रे को
िरीक ककया और क़ुरआन मज़ीद में सूरह लुकमान में हैं बेिक शिकक बहुत बड़ा गुनाह हैं और अल्लाह शिकक के
अलावा हर गुनाह माफ़ केरे गा लेककन शिकक गुनाह नही माफ़ करे गा अल्लाह हमे इस बड़े गुनाह से बचाये

11👉 शिकक गुनाह करने के क्या नुक्सान हैं ?


जजसने अल्लाह के साथ ककसी को िरीक ठे राया उस पर जन्नत हराम हे उसका हठकाना जहन्नम हे और इन
जाशलमो का कोई मददगार ना होगा (क़ुरआन 5:72) जो कोई इस हाल में मरे की वो अल्लाह के अलावा ककसी और
को पुकारता हो (मदद के शलए जो वफ़ात पा चुके हे ) वो जहन्नम में दाख़खल होगा (बुखारी 4497 मुजस्लम 92)

12👉 क्या शिकक करने वाले को उसके नेक अमाल फायदा दे गे जो उसने ककये हैं जेसे रोज़ा नमाज़ सदका हज़्ज़ ् ?
नेक आमाल जेसे नमाज़ रोज़ हज्ज सदका गरीबो को खाना ख़खलाना ये सब काम अगर कोई करता हैं और वो शिकक
भी करता हैं (अल्लाह का पाटक नर या हहस्सेदार बनाना ककसी भी काम में वो शिकक हैं ) उसके सारे अमाल बबाकद हे
अल्लाह के यहााँ काबबले क़बूल नही अल्लाह ने 18 नबबयो का नाम ले कर कहा के ईन नबीयो ने भी शिकक ककया होता
तो हम इनके भी आमाल बबाकद हो जाते (क़ुरआन 6:88) तो कफर हम ककस खेत की मूली हैं

13👉 क्या कलमा पढने वाला भी मुिररक हो सकता हैं ?


तुम यकीनन अपने से पहली उबमतों की पैरवी करोंगे पहली उबमतों से मुराद यहूद और नसारा हैं (बुखारी 3456
मुजस्लम2669)क्या तुमने नही दे खा जजसको ककताब का कुछ हहस्सा शमला कफर वो बत
ू और तागुत पर ईमान लाते
हैं (नबी सल्ल.) ने कहा क़यामत उस वक़्त तक कायम नही हो गी की जब तक मेरी उबमत की एक जमाअत
मुश्रिक़ो से ना शमल जाएं मेरी उबमत के कुछ लोग बूत परश्ती ना करे (नतशमकज़ी 2219) और आज कल कलमा
पढ़ने वाला मुसलमान ये काम कर रहा हैं YOUTUB पर वीडडयो मौजूद हैं शसफक वहां TIPE करे MUSLIM PUJAA
बहुत सारे VIDEO शमल जायेंगे

14👉 क्या कब्र परस्ती को बूत परस्ती कह सकते हैं ?


जब ककसी कब्र की पूजा (इबादत) होतो उसको बूत परस्ती कह सकते हैं (नबी सल्ल.) ने फ़रमाया की ए अल्लाह
मेरी कब्र को बूत ना बन्ने ना दे ना जजसकी पूजा (इबादत) हो अल्लाह की लानत हो उस कौम पर जजन्होंने अपने
नबबयो वशलयो की कब्र को इबादत गाह बना ले ते हैं (मोअत्ता इमाम मशलक 9:88)हज़रत आइिा रज़ी फरमाती हैं
की (नबी सल्ल.) ने आखरी वक़्त में फ़रमाया यहूद और नसारा पर अल्लाह कक लानत हो जजन्होंने अपने अजबबया
की कब्रो को सजदा गाह बना शलया अगर ईस बात का िौफ़ ना होता की (नबी सल्ल.) की कब्र को लोग सजदा गाह
बना लगे तो आप को बन्द हुजरे में दफन ना ककया जाता और आप की कब्र मुबारक खुले कब्रस्तान में होती (बुखारी
1390 मुजस्लम 529)
समाज (मआिरे ) में शिकक कैसे फैलता हैं ?
समाज (मआिरे ) शिकक फैलने की सबसे बड़ी वजाह ये हैं की िैतान औशलया अल्लाह की महब्बत को आाँख बन्द
करके उनसे हद से आगे गुलू करवाता हैं जैसे नूह अलैहहस्लाम की कौम ने वद्दद्द सुवाह यगुस यऊक नसर के नेक
और साले ह औशलया अल्लाह थे जजनके मरने के बाद इब्लीस ने उनकी कौम से कहााँ ये औशलया अल्लाह नेक लोग
थे लोग इनको धीरे धीरे भूल जायेगे क्यों ना में इनकी िक्ल सूरत (मूनतक) न बना द ू ताकक तुबहे इनको दे ख कर
इनकी याद ताज़ा हो और इनको दे ख कर तुबहे भी ईबादत का िोक पैदा होगा इब्लीस ने ऐसा ही ककया कफर वो नस्ल
मर गई कफर उनकी औलाद को कहा की तुबहारे बाप दादा उनके पास बैठते थे और इनको दे ख कर उनको इबादत
का िोक पैदा होता था उस कौम ने ऐसा ही ककया कफर वो कौम मर गई कफर उनकी औलाद के पास आकर इबलीस
लईन ने कहा तूमहारे बाप दादा इनकी इबादत करते थे इनको सजदा करते थे इनको मुजश्कल में पुकार ते थे इनको
खुि करने के शलए नजर और चढ़ावे चढ़ाते थे इस तराह इबलीस ने आदम की औलाद को गुमरह मुिररक करने के
शलए तीन नस्लो तक इंतज़ार ककया आख़खर कफर वो कामयाब हो गया इसकी मालूमात के शलए (तफ़सीर इब्ने
कसीर सूरह नूह की आयत 23 की तफ़सीर दे खे और सूरह नज़्म आयत 18 की तफ़सीर दे खे और सही बुखारी 6:442
दे खे)

15👉 क्या मुिररक ए मक्का अल्लाह को नही मानते थे ?


हा वो अल्लाह को मानते थे और साथ में बहुत से इलाह बनाये हुए थे अल्लाह को वो बड़ा इलाह मानते थे ईस शलए
वो (नबी सल्ल.) की दावत पर कहने लगे भला इतने सारे माबूत को छोड़ कर शसफक एक इलाह बना ले ये तो बड़ी
अजीब बात हे ” (क़ुरआन 38:5)

16👉 मुिररक ए मक्का गैर अल्लाह (बूत) की इबादत क्यों करते थे?
मुिररक मक्का का जवाब 👉हम उनकी इबादत इसशलए करते हैं की वो अल्लाह के नज़दीकी मतकबे तक हमारी
रसाई करदे (सूरह ज़ुमर 3) यानी मि
ु ररक अ मक्का गैर अल्लाह को (बूत) को अपना शिफ़ािी और अल्लाह के
करीब होने का जररया (वसीला) मानते थे वो कहते हैं की ये (गैर अल्लाह (बूत) ) हमारे शिफ़ािी हैं (सूरह युनुस 18)
(नबी सल्ल.) ने कहा ये ऐसे लोग हैं जजनमे से कोई नेक बन्दा मर जाता था तो उसकी कब्र पर सजदा गाह बना ले ते
थे और तस्वीर बना लेते थे ये अल्लाह के नज़दीक बद्दतरीन मख्लूक़ हैं (सही बुखारी 427 मुजस्लम 528) क्या आज
कल के मुसलमान ऐसा नही करते हैं इसशलए अल्लाह क़ुरआन मज़ीद में कहता हैं 👉 जजनको तुम अल्लाह के शसवा
पुकारते हो वो तुमहारे जैसे बन्दे ही हैं

17👉 अल्लाह की जात में िरीक करने का क्या माना और मफ़हूम हैं ?
अल्लाह ने क़ुरआन मज़ीद में कहा ना उससे कोई पैदा हुआ ना वो ककसी से पैदा हुआ सूरह 112) यकीनन वो लोग
काकफर हैं जो लोग कहते हैं की ईसा इब्ने मरयम ही अल्लाह के बेटे हैं नाउजुबबल्लाह (सूरह 5:72) और उन्होंने
उसके कुछ बन्दों को उसका जुज़ (हहस्सा) ठे राह हदया बेिक ऐसा इं सान खुल्लम खुल्ला ना िुक्रा हैं (क़ुरआन
43:15) कुछ मुसलमान ऎसे ही है जो अल्लाह के (नबी सल्ल.) को अल्लाह का नूर मानते हैं नुरूशमनल्लाह मानते
अस्तगकफरुल्लाह तो उन लोगो में और आज के मुसलमानो में क्या फकक हैं
18👉 अल्लाह कहााँ हैं ?
बेिक तुहारा रब अल्लाह ही हैं जजसने जमीन और आसमान को छःहदन में पैदा ककया कफर अिक पर कायम हुआ
(सूरह ताहा 5) क्या तुम ईस बात से बेिौफ़ हो नो आसमानों में हैं जो तुहे जमीन में धसा दे कफर वो ज़मीन हहचकोले
(ज़लज़ला) खाने लगे (क़ुरआन 67:16)

क्या अल्लाह के शसवा कोई और मुजश्कल हल करने पर क़ाहदर हैं ?


अल्लाह मसीह इब्ने मररयम को और उसकी वाशलदा को और रूहे ज़मीन के तमाम लोगो को हलाक करना चाहे तो
कौन हैं जो अल्लाह के मुक़ाबले में ज़राक बराबर भी इजततयार रखता हो (जो इनको हलाक़ होने से बचा सके)
(क़ुरआन 5:17)

19👉 क्या अल्लाह के शसवा कोई और भी बगैर असबाब के मखलूक की दःु ख और तकलीफ का इल्म रखता हैं ?
बेिक अल्लाह अपने बन्दों से बा खबरदार और खूब दे खने वाला है (क़ुरआन 17:30) और उस सख्स से बड़ा गुमराह
कौन होगा नो एसो को पुकारे जो क़यामत तक उसकी दआ
ु कबूल ना कर सके बजल्क वो उसके पुकारने से भी बे
खबर हो (क़ुरआन 46:5) ए (नबी सल्ल.) आप मुदो को नही सुना सकते (क़ुरआन 30:52)

20👉 क्या अल्लाह के शसवा कोई और आशलमूल ग़ैब हैं (छुपी हुई बातो को जान्ने वाला जेसे कल क्या होगा मौत
और बाररि हदल के हाल ये सब)?
कह दो जो भी ज़मीन और आसमानों में हैं शसवाए अल्लाह के ग़ैब की बाते कोई नही जानता और वो भी नही जानता
की (जजन्दा करके) कब उठाये जाए गे (क़ुरआन 27:65) अल्लाह ने नबी‫ ﷺ‬से यह एलान करवाया की में ग़ैब नही
जानता (क़ुरआन 6:50) और एक जगाह ये भी कहााँ अगर में गैब की बाते जानता होता तो बहूत सी भलाई की बाते
कर ले ता और कभी मुझको नुक्सान नही पहुचता (क़ुरआन 7:188) और सही मुजस्लम में मााँ आईिा रज़ी कहती
हैं जो िख्स ये कहे नबी ‫ ﷺ‬ग़ैब का ईल्म जानते हैं वो िख्स झुठा हैं “ अब कुछ जाहहल मोलवी कहते हैं
की नबी‫ ﷺ‬ने जो बाते बतलाई हैं जेसे क़यामत के बारे में जन्नत जहन्नम के बारे में और भी बहूत कुछ तो इसका
जवाब भी क़ुरआन मज़ीद में हैं अल्लाह ही ग़ैब को जान्ने वाला हैं वो ककसी पर अपने ग़ैब ज़ाहहर नही करता मगर
रसूलो में से जजसको इंनतखाब कर ता हैं
(चुन ले ता हैं 72 :26 27) अल्लाह बतलाता हैं नबी खुद से नही जानते ईसको उमूरे ग़ैब (ग़ैब की खबर )
जान्ने वाला कहे गे और शसफक उतना ही ईल्म को जानना जजतना अल्लाह चाहे ””

21👉 कुछ नजूमी (ज्योनतषी) पीर बाबा कुछ लोगो को ऐसी खबर दे ते हैं जजन में से कुछ बाते सही भी होती हैं उनको
क्या ऎसे लोग भी ग़ैब जानते हैं ?
जब अल्लाह आसमानो में ककसी का फैसला फ़रमाता हैं तो अिक उठाने वाले के क़रीबी फ़ररश्ते उनसे पूछते हैं की
तुहारे रब ने क्या कहा कफर आसमानो से दनु नया तक ये बात पहुचती हैं कफर ये जजन्नात के चेले एक के ऊपर एक
खड़े हो के उस बात को झपट लेते हैं (सुन ले ते हे ) कफर वो अपने ननचे वालो को कफर वो अपने से ननचे वालो को कहते
हैं उसमे कुछ सच और झूठ शमलाके कफर ये जजन्नात के चेले (ज्योनतषी जादग
ू र बाबा )इनके कुछ बाते बताते हैं
और जाहहल अवाम उनके चक्कर में आकर अपना ईमान अपना पैसा अपनी इज़्ज़त खो दे ते हैं (भुखारी 3210
मुजस्लम 2228) अल्लाह के शलए इनसे बचे अल्लाह तौफ़ीक़ दे आमीन……

22👉 कुछ जाहहल मोलवी कहते की अल्लाह ने सबसे पहले न नबी‫ ﷺ‬को बनाया आदम अलैहहस्सलाम से भी
पहले ?
अल्लाह के नबी ‫ ﷺ‬हज़रत आशमना के घर में (सन ् 571 ईस्वी) मक्का िहर पैदा हुए इस तराह की जो ररवायात हाती
हैं हदीसो में वो हदीस सही नही ने जईफ हदीस और मोज़ू हैं यानी (मन घडत) है

23👉 जब मुजश्कल में या परे िानी में हो तो ककसको पुकारना चाहहए ?


अल्लाह फ़रमाता हैं ए मेरे रसूल‫ ﷺ‬जब मेरे बन्दे मेरे बारे में सवाल करे तो आप कहे की बेिक में उनके करीब हु
जब कोई पुकारने वाला कोई मुझसे दआ
ु करता हैं तो में उसकी दआ
ु क़बूल करता हु (कुरआन 2:186) और (ए लोगो)
अल्लाह की ईबादत िाशलि (शसफक और शसफक) अल्लाह के वास्ते रखते हुए अल्लाह ही को पुकारो (क़ुरआन 7:29)
ईन आयत से मालूम हुआ की मुजश्कल और परे िानी में शसफक अल्लाह ही को पुकारना चाहहए क्यों की तमाम
अजबबया और रसूलो ने उनको जब मुजश्कल और परिानी में अल्लाह ही को पुकारा हैं हजरत युनुस अलैहहस्सलाम
ने मझली के पेट में अल्लाह को पुकार हज़रत याकूब अलैहहस्सलाम ने बबमारी की हालात में अल्लाह ही को पुकारा
हज़रत मूसा अलैहहस्सलाम ने नदी को पार करने के शलए जब कफरौन का लश्कर पीछे था तो उन्होंने अल्लाह ही को
पुकार हज़रत ज़कररया और हज़रत इब्राहहम अलैहहस्सलाम ने औलाद के शलए और जब आग में । डाला जा रहा था
जब इन्होंने अल्लाह ही को पुकारा और नबी ‫ ﷺ‬जब मुजश्कल में थे या जंग में अल्लाह ही को पुकारा अल्लाह कहता
हैं जजनको तुम अल्लाह के अलावा पुकारते हो वो तुबहारी कुछ भी मदद नही कर सकते बजल्क वो तो खुद अपनी
मदद भी नही कर सकते (क़ुरआन 1:197)

24 👉 ईबादत ककसको कहते हैं और ककतने तरीके की ईबादत होती हैं?


ईबादत उस अमल को कहते हे जो अल्लाह ने हमे उस को खुि करने के शलए अपनी नबी‫ ﷺ‬के जररये
बतलाई हैं और अल्लाह ने क़ुरआन में कहााँ हमने जजन्न और इं सान को शसफक अपनी ईबादत के शलये
पैदा ककया” और इबादत की तीन ककस्मे होती हैं 1 हदल की ईबादत 2 जजस्म की ईबादत 3 माल की
इबादत
हदल की ईबादत का क्या मतलब हैं ?
हदल की ईबादत जैसे अल्लाह का डर ककसी नाफ़रमानी की वजह से तवक्कुल भरोसा करना ये काम
अल्लाह ही करे गा और कोई नही इजस्तगफार तौबा करना उबमीद रखना की अल्लाह ही मुझको बीमारी
से शिफा मुसीबत से ननजात दे गा”

जजस्म की ईबादत ककसे कहते हैं ?


जैसे नमाज़ रोज़ा हज्ज तवाफ़ करना अब कोई नमाज़ में रुकू सजदा कयाम (हाथ बांध के खड़े होना) ये
सब अल्लाह के शलये हैं अगर कोई रुकू (थोड़ा झुकना )सजदा तवाफ़ अगर कोई ककसी गैर अल्लाह के
शलया करता है तो वो उसका माबूत बन जाता हैं ये रुकू सजदा कयाम अल्लाह की जगाह ककसी मज़ार
या दरख्त (पेड़) का करता हैं तो वो उसका माबूत बन जाता हैं ”

माल की ईबादत ककसको कहते हैं ?


जैसे सदका करना ज़कात दे ना क़ुबाकनी करना ककसी गरीब शमस्कीन को खाना ख़खलाना या उसकी पैसो से
मदद करना हज्ज मे भी माल खचक होता हैं ये सब माल कोई अल्लाह के शलए खचक करता हैं तो वो
अल्लाह की इबादत हे अगर अल्लाह के अलावा वो ककसी पीर वली बुज़ुगक के नाम से सदका दे जैसे हुसेन
के नाम से खाजा मोईनुद्ददीन रह, और ननज़ामुद्ददीन रह, और िेख अब्दल
ु काहदर जीलानी रह, या ककसी
और के नाम से ये शिकक हैं और दस
ू रे लफ़्ज़ों में वो बन्दा उसको माबूत बना ले ता हैं भले ही वो ज़ुबान से
ये कहे अल्लाह के अलावा कोई माबूत नही ले ककन उसका ये अमल से वो ये माबूत बना ले ता क़ुबाकनी
अल्लाह के शलए हे अगर कोई िख्स ये क़ुबाकनी ककसी पीर वली बुज़ुगक के ना से करे और भले ही वो
जानवर बबजस्मल्लाह यानी अल्लाह के नाम से जानवर को जज़ब्हा करे तो भी वो गलती पर हैं क्यों की
जज़ब्हा तो वो अल्लाह के नाम से कर रहा हैं ले ककन ननयत ये हैं कक हमारे पीर साहब वली बुज़ुगक को खुि
और राज़ी करने के शलए कर रहा हैं

25👉 क्या पुकारना ईबादत हैं ? (दआ


ु करना)
नबी ‫ ﷺ‬ने फ़रमाय बेिक दआ
ु (पुकारना)ईबादत हैं और कफर यह आयत आपने पढ़ी और तुबहार रब ने कहााँ की
मुझको पुकारो में तुबहारी दआ
ु ं को कबूल करूाँगा जो लोग तकब्बुर करके मेरी ईबादत से मुह मोड ले तो वो लोग
ज़लील व तवार होके जरूर जहन्नुम में दाखील होंगे (40:60) (अबूदाऊद1479,नतशमकज़ी 2969) इससे पता चला की
पुकारना अल्लाह की ईबादत हैं और अल्लाह के शसवा कोई ईबादत के काबबल नही आज के कलमा पढ़ने वाले
मुसलमान उठते बैठते गाडी को धक्का लगाते कोई सामान को उठाते जरासी परे िानी के आते लोग अल्लाह को
नही बजल्क या अली,या ग़ौस या तवाजा,या पीर और पता नही ककसको पुकारते हैं अस्तग़कफरुल्लाह

26👉 क्या गैर अल्लाह (जो अल्लाह नही हैं) को पुकारना शिकक हैं ?
और शिकक करने वाले जब (क़यामत के रोज़) अपने बनाये हुए िरीको को दे खे गए तो ए हमारे रब यही वो हमारे
िरीक हे जजनको हम तेरे शसवा पुकारा करते थे (क़ुरआन सूरह नह्ल 86)

27👉 क्या गैर अल्लाह (जो अल्लाह के अलावा कोई और) को पुकारना कुफ़्र हैं ?
और जो अल्लाह के साथ ककसी दस
ू रे माबूत को पुकारे जजसके पास उसकी कोई दलील ना हो उसका हहसाब अल्लाह
के जज़बमे हे तहक़ीक़ काकफ़र कभी फला नही पाता (क़ुरआन 23:117) यहााँ तक की उनके पास हमारे जब फररश्ते
रूह कब्ज़ करने आयेगे तो वो कहे गे की कहााँ हैं वो जजनको तुम अल्लाह के शसवा पुकार ते थे वो कहे गे आज हमसे
गुम हो गया हैं और वो इक़रार करे गे गए की बेिक वो काकफर थे (क़ुरआन सूरह आराफ़ 37) पता चला अल्लाह के
अलावा ककसी दस
ू रे मबूत को पुकारने वा ला मरते वक़्त खुद इक़रार करे गा की क़ो काकफर हैं

28👉 गैर अल्लाह को पुकारने का क्या नुक्सान हैं ?


अल्लाह के साथ ककसी दस
ू रे माबूत को ना पुकारो वरना तुम अज़ाब हदए जाने वालो में से हो जाओगे (क़ुरआन 26
213) अल्लाह के शसवा उसको ना पुकारना जो तुझको ना नफा दे ता हो और ना तेरा नक
ु सान कर सकता हो अगर
तूने ऐसा ककया तो उिी वक़्त जाशलमो मेसे हो जाएगा (क़ुरआन 10:106)

29👉 क्या गैर अल्लाह को पुकारना िैतान की ईबादत हैं ?


अल्लाह क़यामत के हदन इंसानो से कहे गा की ए इब्ने आदम मेने तुझ से कह नही हदया था िैतान ् की इबादत ना
करना वो तुबहारा खुला दश्ु मन हैं और मेरी ही ईबादत करना (क़ुरआन 36,60 61)
आज िैतान को कोई रूकू सज़दा नही करता असल बात यह हैं की अल्लाह के अलावा जजसको पुकारा जाता वो
उसका माबूत बन जाता हैं

30👉 क्या गैर अल्लाह ककसी की पुकार का ज़वाब दे सकते हैं ?


उसही (अल्लाह) को पुकारना हक़ हैं जो उसके शसवा ककसी और को पुकारता हैं वो उनका कुछ भी ज़वाब नही दे ते
(क़ुरआन13;14) और जजनको तुम अल्लाह के शसवा पुकारते हो वो तो खजूर की गुटली के नछलके के बी माशलक
नही और तुम उनको पुकारो तो वो तुबहारी पुकार सुनते ही नही, और अगर सुन भी ले तो तुहारी फ़रयाद रसी नही
करसकते और क़यामत के हदन तुहारे शिकक का इनकार कर दे गे
(सूरह: फानतर 13,14)

31👉 सारी क़ायनात में मज़ी ककसकी चलती हैं ?


अल्लाह ही की िान हैं की वो ककसी काम का इरादा करता हैं तो वो कहता हैं कुन (होजा) तो फयकुन (उसही वक़्त
हो जाता ) हैं
(क़ुरआन 36,82) ककसी में कोई क़ूवत (ताक़त) नही मगर अल्लाह की मज़ी के बगैर पत्ता भी नही हहला सकता

32👉 औलाद दे ना ककसके इजततयार में हैं? औलाद दे ना ककसका काम हैं?
जमीन और आसमान की बादिाहत शसफक अल्लाह ही की हैं वो जो चाहता हैं पैदा करता हैं जजसे चाहता हैं बेटा
दे ता हैं जजसे चाहता हैं बेटी दे ता और जजसे चाहता हे दोनो शमलाके (जुड़वााँ) दे ता हैं और जजसको चाहता हैं बे औलाद
(बांज) रखता हैं वो तो जानने वाला कुदरत वाला हैं (क़ुरआन 42 :49 50) मालम
ू हुआ औलाद शसफक अल्लाह दे ता
हैं ज़कररया अलैहहस्सलाम को बुढ़ापे में औलाद ककसने दी हज़रत इब्राहहम अलैहहस्सलाम को 80 साल में हज़रत
इस्माईल अलैहहस्सलाम को हदया हज़रत मरयम अलैहहस्लाम को हज़रत ईिा अलैहहस्सलाम को अल्लाह ने
हदया वो अल्लाह बगैर िौहर के औलाद दे ने पर क़ाहदर हैं और आज कल के ज़ाहहल मुसलमान अल्लाह को छोड़कर
अल्लाह के वशलयो से औलाद मांगते हैं

33👉 इज़्ज़त और जजल्लत दे ने वाला कोन हैं ?


नबी‫ ﷺ‬आप कह हदजीये की अल्लाह ही बादिाह का माशलक हैं जजसको चाहे बादिाहत दे जजसक चाहे बादिाहत
नछन ले और जजसको चाहे इज़्ज़त दे और जजसको चाहे जज़ल्लत दे हर तराह की भलाई तेरे (अल्लाह) शलए हैं और
बेिक वो हर चीज़ पर क़ाहदर हैं (क़ुरआन 3:26)
34👉 ररज़्क में आसानी और तंगी दे ना ककअके हाथ में हैं ?
अल्लाह अपने बन्दों मेसे जजसके शलए चाहे ररज़्क़ आसान कर दे ता हैं और जजसके शलये चाहे तंग (मुजश्कल) कर
दे ता हैं (क़ुरआन 29:62) बेिक अल्लाह के अलावा तुम जजनको पूजते (पुकारते) हो वो वो तुबहे ररज़्क़ दे ने का
इजततयार नही रखते पस तुम अल्लाह ही से ररज़्क़ तलब (मांगो) करो उसकी ही इबादत करो उसका ही िुक्र
करो(क़ुरआन 29:17) अल्लाह कहता हैं ए मेरे बन्दों तुम सब भूके हो शसवा उसके जजसको में ख़खलाऊ शलहाज़ा खाना
मुझसे मााँगा करो ए मेरे बन्दों तुम सब नंगे हो शसवाये उसके जजसको में कपड़े पहनाउ तो शलहाज़ा कपडे मुझसे
मााँगा करो (मुजस्लम 2527) और मेरे बन्दों तुम सब अल्लाह के मोहताज़ और फकीर हो और अल्लाह बेननयाज़ हैं
(क़ुरआन 35:15)

35👉 बीमारी से शिफ़ा दे ने वाला कौन हैं ?


और जब में बीमार पड़ता हु तो अल्लाह ही मुझको शिफा दे ता हैं (क़ुरआन 26:80) और नबी‫ ﷺ‬जब ककसी
बीमार के शलए दआु करते तो कहते ए लोगो के रब इस बीमारी को दरू करदे शिफा अता फमाक तुही
शिफा दे ने वाला हैं तेरी शिफा के शसवा कोई शिफा नहीं ऐसी शिफा दे कोई बबमारी ना छोड़ दे (मुजस्लम
2191)
36👉 क्या अल्लाह के अलावा ककसी और को खुि करने के शलए आमाल करने चाहहए ?
और जो िख्स ऐसे नेक काम अल्लाह की खुिनुदी हाशसल करने के शलए करे गा तो हम उसको अजरे
अज़ीम दे गे (कुरआन 4:114) और नबी ‫ ﷺ‬ने फरमाया क्या में तुही वो चीज़ ना बताऊ जजसका दज्जाल
से बढ़कर मुझे िौफ हैं वो शिकक का िौफ़ हैं वो ये हैं कक आदमी अपनी नमाज़ को ज्यादा अच्छी तराह
अदा करे जब दस
ू रे लोग उसको दे ख रहे हो (इब्ने माज़ा 4204) ककसी को हदखाने के शलए कोई भी काम
करना शिकक कहलाता हैं उसका मतलब जब तक वो अकेला शसफक अल्लाह को खुि करने के शलए कर रहा
था ले ककन कोई उसको दे खे और उसके मन में ख्याल आजाये की ये दे ख रहा हैं तो उसको खुि करने के
शलए नमाज़ थोड़ी लंबी करे या ककसी को पैसे दे ते वक्त जब कोई दे ख रहा हो तो हदखाने के शलए ज्यादा
दे ये सब शिकक हैं अल्लाह महफूज़ फरमाये आमीन,,,

37👉 डरना (िौफ) ककस्से चाहहए?


क्या तुम उससे डरते हो हालाकी अल्लाह ज्यादा मुस्तहहक़ हैं के तुम उसका डर रखो अगर तुम ईमान
रखते हो (कुरआन 9:13) नफा नुक्सान अल्लाही के हाथ में है इसशलए डरना भी उसी से चाहहए लोगो से
इस तराह डरना की वो भी नफा नुक्सान पहुचाने पर क़ाहदर हे जायज़ नही जैसे कोई ररकसे वाला सुबह
घरसे ननकलें और एक बाबा का मज़ार सामने आया अब उसने 1,2 या 5 रूपये बाबा को नज़र ककये
(ग़ल्ले में डाले ) की अगर में नही दं ग
ू ा तो मेरा घन्द पानी चोपट होगा या कोई सब्ज़ी बेचने वाला घर से
ननकला रस्ते में बाबा का मज़ार आया उसने मज़ार से फूल या अगरबत्ती की राख अपने सब्ज़ी पर डाली
या अपने पैसो के ग़ल्ले में डाली ये सोच के की इससे मेरी सारी सब्ज़ी जल्दी बबक जायेगी और मुझको
मुनाफा हो इस तराह का सोच शिकक हैं और ऐसा िख्स अल्लाह को छोड़कर मज़ार वाले को ररज़्क़ में
बरकत दे ने वाला मान रहा हैं ये िख्स खुल्ला मुिररक हैं
38👉 सबसे बढ़कर मोहब्बत कक़स्से होनी चाहहए?
और बाज़ (कुछ) लोग ऐसे हे जो दस
ु रो को अल्लाह का िरीक ठे राह कर उनसे वो अल्लाह जैसी मोहब्बत
करते हे जैसे अब कोई नमाज़ ना पढ़े और ग्यारवी की ननयाज़ को कभी न भूले और मोशमन तो सबसे
बढ़कर अल्लाह से करता हैं (कुरआन 2:165)

39👉 सब तारीफ का हकदार कौन हैं ?


हर ककस्म की तारीफ अल्लाह के शलए हैं जो तमाम जहानों का पालने वाला हैं (सूरह फानतहा) ज़मीन में
जजतने दरख्त हैं उन सब की कलम बन जाये और समंदर शसयाही बन जाए और उसके बाद आसमान
कागज़ बनके उन पर अल्लाह की तारीफ शलखी जाए तो ये खत्म हो जाए गए मगर अल्लाह की तारीफ़
खत्म ना होगी

40👉 क्या मोशमन अल्लाह की रहमत से मायुस होता हैं ?


अल्लाह की रहमत से मायुस शसफक गुमराह लोग होते हैं (कुरआन 15:56) अल्लाह ने उस ककताब में जो
उसके पास है शलख हदया हैं के बेिक मेरी रहमत मेरे गुस्से पर ग़ाशलब हैं (बुखारी 2715)

41👉 हमेिा जजन्दा रहने वाली ज़ात कौनसी हैं ?


अल्लाह के शसवा कोई माबूत नही वो (हमेिा जजन्दा रहने वाला हैं )और वो सबको थामने वाला है ” (क़ुरआन
2:255) मालमू हुआ अल्लाह ही हमेिा जजन्दा रहने वाला है और ना वो सोता हैं ना भूल ता हैं आज
कल के नाम के मुसलमान जजन्दा माबूत को छोड़ कर जो फ़ौत हो चुके (जजन्को मौत आ गई) अल्लाह
के ने बन्दों पुकार ते हैं उनके सामने अपनी मुजश्कल रखते हैं

42👉 क्या नबी ‫ ﷺ‬भी फ़ौत हो गए हैं ?


और नबी‫ ﷺ‬तो शसफक अल्लाह के रसूल हैं उनके पहले भी बहुत से रसूल हो गु जरे हैं भला ये इं नतक़ाल
फरमा जाये या िहीद कर हदए जाए तो क्या तुम ईस्लाम से अपनी एडड़यो के बल कफर जाओगे और जो
कोई अपनी एडड़यों के बल कफर जायेगा वो अल्लाह का कुछ नुक्सान ना कर सकेगा (क़ुरआन 3:144)
आप नबी‫ ﷺ‬को भी मौत आयेगी और ये सब भी मरने वाले हैं (क़ुरआन 39:30)

43👉 क्या िहीद जज़ंदा होता हैं?


िहीद वो होता हैं जो जजहाद में क़त्ल हो जाये जजहाद मे जज़ंदा बचने वालो को गाज़ी कहते हें िहीद
दनु नया वी शलहाज़ से फ़ौत हो जाता हैं उसकी बीवी बेवा हो जाती हैं औलाद यतीम हो जाती हैं जायदात
तकसीम हो जाती हैं िहीद को लोग कब्र में दफन कर दे ते हैं मालूम हुआ िहीद दनु नया के शलहाज से
फ़ौत हो जाता हैं मगर अल्लाह के यहााँ वो जजन्दा होता हैं अल्लाह ने क़ुरआन में कहााँ िहीद जजन्दा हैं
(लेककन ककस तरह) तुम िुहुर नही रखते (क़ुरआन 2:154) िहीद की रूह सब्ज़ (हरे ) रं ग के पररन्दो के
क्लब (हदल) में हैं और अिक के नचे कंदील उनके शलए हैं वो सारी जन्नत में जहा कही चाहे खाये पपये
और उन कंदीलों में आराम करें ” (मुजस्लम 1887)
44👉 क्या िहीद दनु नया में आते हैं ?
एक दफा अल्लाह ने िहीदों से पूछा की क्या कुछ चाहते हो? वो कहने लगी के ए अल्लाह और हम क्या
मांगे सारी जन्नत में जहााँ से मज़ी खाये पपए हमे इजख्तयार हैं कफर क्या मां गे अल्लाह ने कफर दस
ू री
तीसरी बार कफर सवाल ककया जब उन्होंने तब उन्होंने दे खा की बगे र कुछ मांगे चारा नही तो वो कहने
लगे की ए हमारे रब हमारी रूहो को हमारे जजस्मो की तरफ लोटा दे ताकक हम दनु नयााँ में जाके कफर तेरी
राह में जजहाद करे और िहीद हो अब मालूम हुआ की उन्हें और ककसी चीज की हाज़त (जरूरत) नही
(सही मुजस्लम 1887) कुछ जाहहल मोलपवयों ने पेट पालने हलवे मुगे बबरयानी के चक्कर में धंदे खोल
रखे हैं हर जुबमेरात को रूह आती हैं िबेरात को भी आती हैं कुछ अच्छा खाना पकाओ और फानतहा
लगाओ ताकक जाहहल मोलपवयों की पेट की तोंद मोटी हो अल्लाह के बंदों क़ुरआन और अहादीस को पढ़ो
अल्लाह हमे इस बात की तौफ़ीक़ दे आमीन……

45👉 क्या िहीद दनु नया में आके जन्नत के हालात बता सकते हैं ?
िहीद जब जन्नत की नेमतों को दे खेंगा तो कहे गा ए काि मेरी कौम को भी ईल्म हो जाता की मेरे रब
ने मुझे बक्ि हदया और इज़्ज़त वालो मेसे कर हदया (क़ुरआन 36:26,27) मालूम हुआ की फ़ौत होने
वालों का जज़ंदा लोगो से कोई राब्ता नही होता

46👉 कयामत के हदन कौन शसफाररि कर सकेंगे ?


जजस हदन रुहूल अमीन(जजब्राईल अलैहहस्सलाम) और फ़ररश्ते साफ बांध कर खड़े होंगे तो कोई कलाम
ना कर सकेगा मगर जजसको रे हमान इज़ाज़त बकिे और वो ठीक बात ज़ुबान से ननकाले (क़ुरआन 78;38)
कौन है जो अल्लाह की मज़ी के बगैर उसके सामने ककसी की शसफाररि कर सके आज कल के मोलपवयो
ने बीचारी भोली भाली अवाम को धोखा दे रखा हैं कक ककसी वली पीर का दामन थाम लो वो तुबहे जन्नत
में ले जाए गें या ककसी पीर के मुरीद बन जाओ बस बेडा पार और यहााँ तक शलखा है जाहहल मोलपवयों
ने कब्र में मुनककर नकीर जब सवाल करने आये तो कहना में गोसे पाक का मुरीद हु वो सवाल का जवाब
गोसे पाक दे गे और जो उनका मुरीद बना वो पक्का जन्नती,,,,, अस्तगकफरुल्लाह
आप‫ ﷺ‬ककयामत के हदन सबसे पहले अल्लाह के सामने सजदा रे ज़ होंगे अल्लाह की हबद व सना (तारीफ)
बयान करे गे कफर आपको हुकुम होगा की अपने सर को उठाओ आपकी बातोंको सुना जायेगा जो मानगो
हदया जायेगा और शसफाररि करो आपकी शसफाररि क़बूल की जायेगी (बुखारी 4712 मुजस्लम 194)

47👉 शिफाररि ककनके हक़ में कबूल होगी?


और बहुत से फ़ररश्ते आसमानो मैं हैं जजनकी शसफाररि कुछ भी फायदा नही दे ती शसवाए उनको जजसके
शलए अल्लाह ईजाजत दे और शसफाररि (अल्लाह सुन्ना) पसन्द करे (क़ुरआन 53:26) और अल्लाह के
यहााँ ककसकी शसफाररि फायदा नही दे गी मगर उसके शलए जजसके बारे में वो ईजाजत दें गा ( क़ुरआन
34:23) आप नबी‫ ﷺ‬ने फरमाया मेरी शसफाररि का फायदा हर उस िख्स को पहुचेगा जो शिकक से बच
बच कर जजंदगी गुज़रे गा (मुजस्लम 199)
48👉 हम कैसे दआ
ु करे की नबी‫ ﷺ‬हमारे हक़ में शसफाररि करे ?
कह दो की शिफ़ाअत सारी की सारी अल्लाही के इजख्तयार मे हैं (क़ुरआन 39:44) और नबी‫ ﷺ‬ने अपने
एक सहाबी को दआ
ु के शलए इस तराह तालीम दी “ए अल्लाह मेरे मुताशलक नबी‫ ﷺ‬की शिफाररि क़बूल
फरमा (बूखारी 3578)

49👉 क्या हम दनु नया वी ऊमूर में जजंदो से शिफाररि करना जायज हैं ?
जो भलाई की शिफाररि करें गा वो उसमे से हहस्सा (सवाब) पायेगा और जो बुराई की शिफाररि करे गा
वो उसमे से हहस्सा (गुनाह) पायेगा (क़ुरआन 4;85) और नबी‫ ﷺ‬ने फरमाया (अच्छाई के शलए) शिफाररि
ककया करो ऐसा करने से तुबहे अजर शमलें गा (बुखारी 1432 मुजस्लम 2627)

50👉 तागत
ु ककसे कहते हैं ?
और बेिक हमने हर उबमत में रसूल भेजे की अल्लाह की ईबादत करो और तागुत (अल्लाह के शसवा
जीन जजन की ईबादत की जाए) से बचो (क़ुरआन 18:36) जो कोई तागुत का इं कार और अल्लाह पर
ईमान लाये उसने ऐसा मज़बूत कड़ा थाम शलया जो कभी ना टूटे गा(क़ुरआन 2:256)

51👉 क्या हुक्मुरान भी तागुत हैं ?


जो अल्लाह के नाजजल की अहकाम के मुताबबक फैसला ना करे वो काकफर हैं (क़ुरआन 5:44) क्या तुमने
उन लोगो को नही दे खा जो दावा तो ये करते हैं जो आप पर और आप से पहले नाजज़ल हुआ उन सब
पर ईमान रखते हैं मगर चाहते ये हैं कक अपना मुक़द्ददमा तागुत के पास ले कर फैसला करवाये हालाकी
उनको इससे इंकार (कुफ्र) करने का हुक्म हदया गया हैं और िैतान उनको दरू की गुमराही में डालना
चाहता हैं (क़ुरआन 4:60) उन्होंने (यहू द और नसारा)अपने औलमा और दरवे िों को अल्लाह के शसवा
अपना रब्ब बना शलया हैं ,,,(क़ुरआन 9:31)
उन लोगों को नबी‫ ﷺ‬के हुक्म की मुखाशलफत करने वालो को डरना चाहहए कही उनपर कोई ज़बरदस्त
आफत ना आ पड़े या उन पर ददक नाक अज़ाब ना आ जाए (सूरह नूर: 63)

52 👉 अल्लाह के नज़दीक हदन क्या हैं?


बेिक अल्लाह के नज़दीक हदन शसफक ईस्लाम हैं (क़ुरआन 3:19) लोगो तुबहारे रब की तरफ से जो
नाजज़ल हुआ हैं उसकी पैरवी करो उसके अलावा औवशलया की (मन घडत सर परस्तों की) पैरवी ना करो”
(क़ुरआन 7;3) और जो िख्स ईस्लाम के अलावा और हदन तलाि करे (जैसे बाप दादा बबरादरी अपनी
कौम का तरीका या ककसी बुज़ुगक का तरीके के ऊपर चले गा) उसका हदन हरश्रगज कबूल नही ककया जायेगा
और ऎसा सख्स आख़िरत में नुकसान उठाने वालों मेसे होगा (क़ुरआन 3:85)
और हमने आप नबी‫ ﷺ‬पर ककताब नाजज़ल की हे ताकक लोगो की तरफ जो नाजज़ल फ़रमाया गया हैं आप
नबी‫ ﷺ‬उसे खोल खोल कर बयान करदे (क़ुरआन 16:44) और वो (नबी ‫ ﷺ‬अपनी ख्वाईि से कोई बात
नही कहते वो तो शसफक वही हैं जो उतारी जाती हैं ” (क़ुरआन 53 3’ 4) और आखरी बात जजसने नबी‫ ﷺ‬की
इताअत की उसने सही माने में अल्लाह की इताअत की (क़ुरआन 4:80)” अगर ककसी बात में इजततलाफ़
हो तो तुम अल्लाह पर और रोज़े आख़िरत पर ईमान रखते हो तो उस इजततलाफ़ को अल्लाह और
उसके रसूल‫ ﷺ‬की तरफ लौटाओ (क़ुरआन 4:59) मालूम हुआ ईस्लाम अल्लाह और उसके रसूल‫ ﷺ‬की
पैरवी का नाम हैं अल्लाह हमे ईन बातो को समझने और इस पर अमल करने की तौफ़ीक़ दे कुछ
गलनतया हुई तो अल्लाह माफ़ करे और औलम ए रब्बानी की तरफ रुजू करे क़ुरआन मज़ीद को तज़ुकमे
से पढे और नबी‫ ﷺ‬की अहादीस सही बुखारी अब हहंदी में हैं उसको पढे और अमल करे ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

यह सारी इल्मी जानकारी मेने एक इस्लामी WEBSITS ली है जजसका शलंक नीचे दे रहा हु कुछ िब्दों को
समझने के शलए मेने आसान लफ़्ज़ों का सहारा शलया हैं और हवाले ज़ु के तू हदए हैं अल्लाह से दआू हैं
कक जजसने POST बनाई और जजसने आप तक पहुचाई अल्लाह उनकी मेहनत को कबूल करे आमीन,,,,,

मदरसा दारुल उलूम


अस्सलकफया की जाननब से
(रतलाम.मध्य प्रदे ि)
आपका हदनी भाई
मोहबमद हुसैन

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