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दलदल में फंसे हुए हैं इन सवालो और इनके जवाब को गौर से पढे और समझे ताकी ईस खतरनाक
गुनाह से बच सके अल्लाह हमे हक़ बात को समझने और उसको क़बूल करने की तौफ़ीक़ दे आमीन………….
4 👉 क्या मुसलमान बन्ने के शलए ला ईलाहा इल्लल्लाह के माने जानना जरूरी हैं ?
आप यकीन करो की अल्लाह के शसवा कोई ईलाह (माबुत) नही (क़ुरआन 47:19)
जो इस हाल में मरे गा की वो इस बात का ईल्म रखता हो अल्लाह के शसवा कोई इलाह नही वो ज़न्नत में दाखील
होगा (मुजस्लम 26)
12👉 क्या शिकक करने वाले को उसके नेक अमाल फायदा दे गे जो उसने ककये हैं जेसे रोज़ा नमाज़ सदका हज़्ज़ ् ?
नेक आमाल जेसे नमाज़ रोज़ हज्ज सदका गरीबो को खाना ख़खलाना ये सब काम अगर कोई करता हैं और वो शिकक
भी करता हैं (अल्लाह का पाटक नर या हहस्सेदार बनाना ककसी भी काम में वो शिकक हैं ) उसके सारे अमाल बबाकद हे
अल्लाह के यहााँ काबबले क़बूल नही अल्लाह ने 18 नबबयो का नाम ले कर कहा के ईन नबीयो ने भी शिकक ककया होता
तो हम इनके भी आमाल बबाकद हो जाते (क़ुरआन 6:88) तो कफर हम ककस खेत की मूली हैं
16👉 मुिररक ए मक्का गैर अल्लाह (बूत) की इबादत क्यों करते थे?
मुिररक मक्का का जवाब 👉हम उनकी इबादत इसशलए करते हैं की वो अल्लाह के नज़दीकी मतकबे तक हमारी
रसाई करदे (सूरह ज़ुमर 3) यानी मि
ु ररक अ मक्का गैर अल्लाह को (बूत) को अपना शिफ़ािी और अल्लाह के
करीब होने का जररया (वसीला) मानते थे वो कहते हैं की ये (गैर अल्लाह (बूत) ) हमारे शिफ़ािी हैं (सूरह युनुस 18)
(नबी सल्ल.) ने कहा ये ऐसे लोग हैं जजनमे से कोई नेक बन्दा मर जाता था तो उसकी कब्र पर सजदा गाह बना ले ते
थे और तस्वीर बना लेते थे ये अल्लाह के नज़दीक बद्दतरीन मख्लूक़ हैं (सही बुखारी 427 मुजस्लम 528) क्या आज
कल के मुसलमान ऐसा नही करते हैं इसशलए अल्लाह क़ुरआन मज़ीद में कहता हैं 👉 जजनको तुम अल्लाह के शसवा
पुकारते हो वो तुमहारे जैसे बन्दे ही हैं
17👉 अल्लाह की जात में िरीक करने का क्या माना और मफ़हूम हैं ?
अल्लाह ने क़ुरआन मज़ीद में कहा ना उससे कोई पैदा हुआ ना वो ककसी से पैदा हुआ सूरह 112) यकीनन वो लोग
काकफर हैं जो लोग कहते हैं की ईसा इब्ने मरयम ही अल्लाह के बेटे हैं नाउजुबबल्लाह (सूरह 5:72) और उन्होंने
उसके कुछ बन्दों को उसका जुज़ (हहस्सा) ठे राह हदया बेिक ऐसा इं सान खुल्लम खुल्ला ना िुक्रा हैं (क़ुरआन
43:15) कुछ मुसलमान ऎसे ही है जो अल्लाह के (नबी सल्ल.) को अल्लाह का नूर मानते हैं नुरूशमनल्लाह मानते
अस्तगकफरुल्लाह तो उन लोगो में और आज के मुसलमानो में क्या फकक हैं
18👉 अल्लाह कहााँ हैं ?
बेिक तुहारा रब अल्लाह ही हैं जजसने जमीन और आसमान को छःहदन में पैदा ककया कफर अिक पर कायम हुआ
(सूरह ताहा 5) क्या तुम ईस बात से बेिौफ़ हो नो आसमानों में हैं जो तुहे जमीन में धसा दे कफर वो ज़मीन हहचकोले
(ज़लज़ला) खाने लगे (क़ुरआन 67:16)
19👉 क्या अल्लाह के शसवा कोई और भी बगैर असबाब के मखलूक की दःु ख और तकलीफ का इल्म रखता हैं ?
बेिक अल्लाह अपने बन्दों से बा खबरदार और खूब दे खने वाला है (क़ुरआन 17:30) और उस सख्स से बड़ा गुमराह
कौन होगा नो एसो को पुकारे जो क़यामत तक उसकी दआ
ु कबूल ना कर सके बजल्क वो उसके पुकारने से भी बे
खबर हो (क़ुरआन 46:5) ए (नबी सल्ल.) आप मुदो को नही सुना सकते (क़ुरआन 30:52)
20👉 क्या अल्लाह के शसवा कोई और आशलमूल ग़ैब हैं (छुपी हुई बातो को जान्ने वाला जेसे कल क्या होगा मौत
और बाररि हदल के हाल ये सब)?
कह दो जो भी ज़मीन और आसमानों में हैं शसवाए अल्लाह के ग़ैब की बाते कोई नही जानता और वो भी नही जानता
की (जजन्दा करके) कब उठाये जाए गे (क़ुरआन 27:65) अल्लाह ने नबी ﷺसे यह एलान करवाया की में ग़ैब नही
जानता (क़ुरआन 6:50) और एक जगाह ये भी कहााँ अगर में गैब की बाते जानता होता तो बहूत सी भलाई की बाते
कर ले ता और कभी मुझको नुक्सान नही पहुचता (क़ुरआन 7:188) और सही मुजस्लम में मााँ आईिा रज़ी कहती
हैं जो िख्स ये कहे नबी ﷺग़ैब का ईल्म जानते हैं वो िख्स झुठा हैं “ अब कुछ जाहहल मोलवी कहते हैं
की नबी ﷺने जो बाते बतलाई हैं जेसे क़यामत के बारे में जन्नत जहन्नम के बारे में और भी बहूत कुछ तो इसका
जवाब भी क़ुरआन मज़ीद में हैं अल्लाह ही ग़ैब को जान्ने वाला हैं वो ककसी पर अपने ग़ैब ज़ाहहर नही करता मगर
रसूलो में से जजसको इंनतखाब कर ता हैं
(चुन ले ता हैं 72 :26 27) अल्लाह बतलाता हैं नबी खुद से नही जानते ईसको उमूरे ग़ैब (ग़ैब की खबर )
जान्ने वाला कहे गे और शसफक उतना ही ईल्म को जानना जजतना अल्लाह चाहे ””
21👉 कुछ नजूमी (ज्योनतषी) पीर बाबा कुछ लोगो को ऐसी खबर दे ते हैं जजन में से कुछ बाते सही भी होती हैं उनको
क्या ऎसे लोग भी ग़ैब जानते हैं ?
जब अल्लाह आसमानो में ककसी का फैसला फ़रमाता हैं तो अिक उठाने वाले के क़रीबी फ़ररश्ते उनसे पूछते हैं की
तुहारे रब ने क्या कहा कफर आसमानो से दनु नया तक ये बात पहुचती हैं कफर ये जजन्नात के चेले एक के ऊपर एक
खड़े हो के उस बात को झपट लेते हैं (सुन ले ते हे ) कफर वो अपने ननचे वालो को कफर वो अपने से ननचे वालो को कहते
हैं उसमे कुछ सच और झूठ शमलाके कफर ये जजन्नात के चेले (ज्योनतषी जादग
ू र बाबा )इनके कुछ बाते बताते हैं
और जाहहल अवाम उनके चक्कर में आकर अपना ईमान अपना पैसा अपनी इज़्ज़त खो दे ते हैं (भुखारी 3210
मुजस्लम 2228) अल्लाह के शलए इनसे बचे अल्लाह तौफ़ीक़ दे आमीन……
22👉 कुछ जाहहल मोलवी कहते की अल्लाह ने सबसे पहले न नबी ﷺको बनाया आदम अलैहहस्सलाम से भी
पहले ?
अल्लाह के नबी ﷺहज़रत आशमना के घर में (सन ् 571 ईस्वी) मक्का िहर पैदा हुए इस तराह की जो ररवायात हाती
हैं हदीसो में वो हदीस सही नही ने जईफ हदीस और मोज़ू हैं यानी (मन घडत) है
26👉 क्या गैर अल्लाह (जो अल्लाह नही हैं) को पुकारना शिकक हैं ?
और शिकक करने वाले जब (क़यामत के रोज़) अपने बनाये हुए िरीको को दे खे गए तो ए हमारे रब यही वो हमारे
िरीक हे जजनको हम तेरे शसवा पुकारा करते थे (क़ुरआन सूरह नह्ल 86)
27👉 क्या गैर अल्लाह (जो अल्लाह के अलावा कोई और) को पुकारना कुफ़्र हैं ?
और जो अल्लाह के साथ ककसी दस
ू रे माबूत को पुकारे जजसके पास उसकी कोई दलील ना हो उसका हहसाब अल्लाह
के जज़बमे हे तहक़ीक़ काकफ़र कभी फला नही पाता (क़ुरआन 23:117) यहााँ तक की उनके पास हमारे जब फररश्ते
रूह कब्ज़ करने आयेगे तो वो कहे गे की कहााँ हैं वो जजनको तुम अल्लाह के शसवा पुकार ते थे वो कहे गे आज हमसे
गुम हो गया हैं और वो इक़रार करे गे गए की बेिक वो काकफर थे (क़ुरआन सूरह आराफ़ 37) पता चला अल्लाह के
अलावा ककसी दस
ू रे मबूत को पुकारने वा ला मरते वक़्त खुद इक़रार करे गा की क़ो काकफर हैं
32👉 औलाद दे ना ककसके इजततयार में हैं? औलाद दे ना ककसका काम हैं?
जमीन और आसमान की बादिाहत शसफक अल्लाह ही की हैं वो जो चाहता हैं पैदा करता हैं जजसे चाहता हैं बेटा
दे ता हैं जजसे चाहता हैं बेटी दे ता और जजसे चाहता हे दोनो शमलाके (जुड़वााँ) दे ता हैं और जजसको चाहता हैं बे औलाद
(बांज) रखता हैं वो तो जानने वाला कुदरत वाला हैं (क़ुरआन 42 :49 50) मालम
ू हुआ औलाद शसफक अल्लाह दे ता
हैं ज़कररया अलैहहस्सलाम को बुढ़ापे में औलाद ककसने दी हज़रत इब्राहहम अलैहहस्सलाम को 80 साल में हज़रत
इस्माईल अलैहहस्सलाम को हदया हज़रत मरयम अलैहहस्लाम को हज़रत ईिा अलैहहस्सलाम को अल्लाह ने
हदया वो अल्लाह बगैर िौहर के औलाद दे ने पर क़ाहदर हैं और आज कल के ज़ाहहल मुसलमान अल्लाह को छोड़कर
अल्लाह के वशलयो से औलाद मांगते हैं
45👉 क्या िहीद दनु नया में आके जन्नत के हालात बता सकते हैं ?
िहीद जब जन्नत की नेमतों को दे खेंगा तो कहे गा ए काि मेरी कौम को भी ईल्म हो जाता की मेरे रब
ने मुझे बक्ि हदया और इज़्ज़त वालो मेसे कर हदया (क़ुरआन 36:26,27) मालूम हुआ की फ़ौत होने
वालों का जज़ंदा लोगो से कोई राब्ता नही होता
49👉 क्या हम दनु नया वी ऊमूर में जजंदो से शिफाररि करना जायज हैं ?
जो भलाई की शिफाररि करें गा वो उसमे से हहस्सा (सवाब) पायेगा और जो बुराई की शिफाररि करे गा
वो उसमे से हहस्सा (गुनाह) पायेगा (क़ुरआन 4;85) और नबी ﷺने फरमाया (अच्छाई के शलए) शिफाररि
ककया करो ऐसा करने से तुबहे अजर शमलें गा (बुखारी 1432 मुजस्लम 2627)
50👉 तागत
ु ककसे कहते हैं ?
और बेिक हमने हर उबमत में रसूल भेजे की अल्लाह की ईबादत करो और तागुत (अल्लाह के शसवा
जीन जजन की ईबादत की जाए) से बचो (क़ुरआन 18:36) जो कोई तागुत का इं कार और अल्लाह पर
ईमान लाये उसने ऐसा मज़बूत कड़ा थाम शलया जो कभी ना टूटे गा(क़ुरआन 2:256)
यह सारी इल्मी जानकारी मेने एक इस्लामी WEBSITS ली है जजसका शलंक नीचे दे रहा हु कुछ िब्दों को
समझने के शलए मेने आसान लफ़्ज़ों का सहारा शलया हैं और हवाले ज़ु के तू हदए हैं अल्लाह से दआू हैं
कक जजसने POST बनाई और जजसने आप तक पहुचाई अल्लाह उनकी मेहनत को कबूल करे आमीन,,,,,