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कताब या रसाले का नाम

ह ु ान
दा ल ह़रब या दा ल इ ाम ?

मुस फ़/मुअ फ़: अ़ े मु फ़ा (मुह़ द सा बर क़ा दरी)

ज़ुबान : ह ी

मौज़ू : मामूलाते अहले सु त

तजुमा : AMO TRANSLATION DEPARTMENT

डज़ाइ नग : PURE SUNNI GRAPHICS

सना इशाअ़त : OCTOBER 2022/RABIUL AAKHIR 1444H

ना शर : SABIYA VIRTUAL PUBLICATION

सफ़ह़ात : 32

All Rights Reserved.


SABIYA VIRTUAL PUBLICATION
POWERED BY AMO
अ ाह के
नाम से शु
जो नहायत मेहरबान,
रहमत वाला है।
हिन्दस्ु तान दारूल ह़रब या दारूल इस्लाम

हिन्दुस्तान
दारूल ह़रब या दारूल इस्लाम

अ़ब्दे मुस्तफ़ा
मह़ु म्मद साहबर काहदरी

नाहिर
साहबया वर्ुअल पहब्लके िन

1
हिन्दस्ु तान दारूल ह़रब या दारूल इस्लाम

फ़ेिररस्त
हिसी भी उन्वान पर हललि िरें और मतु हललका सफ़्ह़़े पर जाएं।
इमाम़े अिल़े सन्ु नत, आला िज़रत .........................................4
फ़तावा आ़लमगीरी में िै : ....................................................5
दरु र गरर
ु ु़ मलु ला खसु रो में िै : ................................................7
जमीउ़ल फुसल ू ैन स़े नक़्ल हिया गया : ....................................7
शरि़े हनिायाु़ में िै : ..........................................................10
और इसी में िै : ...............................................................10
फ़तावा मफ़्ु ती -ए- आज़म़े हिदं में : .......................................12
सदरुश्शररया, अ़ललामा मफ़्ु ती अमजद अ़ली आज़मी ...............12
महलिुल उ़लमा, अ़ललामा ज़फ़रुद्दीन हबिारी .........................13
फ़तावा दीदाररया..............................................................14
फ़तावा अजमहलया ..........................................................15
फ़तावा शरई़या ................................................................16
फ़तावा मसऊ़दी...............................................................17
फ़तावा हनज़ाहमया ............................................................18
फ़तावा िाहफ़ज़़े हमललत.....................................................19
फ़तावा इदारा शररया .........................................................20
ऩेपाल दारुल ह़रब या दारुल इस्लाम .....................................20
अज़िरुल फ़तावा में एि अंग्ऱेज़ी फ़तवा .................................22
2
हिन्दस्ु तान दारूल ह़रब या दारूल इस्लाम
िाहसल़े िलाम ................................................................25
नोट : ............................................................................25
हिदं ी में िमारी दसू री हिताबें ...............................................26

3
हिन्दस्ु तान दारूल ह़रब या दारूल इस्लाम
मलु ि़े हिन्दस्ु तान दारुल ह़रब िै या दारुल इस्लाम? इस ि़े बयान
में िम ऩे िई उ़लमा -ए- अिल़े सुन्नत िी तििीकु़ िो इस ररसाल़े में
जमा हिया िै। सब स़े पिल़े िम इमाम़े अिल़े सन्ु नत, आला िज़रत
रह़मतलु लाहि तआ़ला अ़लैि ि़े एि ररसाल़े िो इहततसार ि़े साथ
नक़्ल िरें ग़े जो आप रह़मतुललाहि तआ़ला अ़लैि ऩे खास इसी मौज़ू
पर हलखा था हि "हिन्दस्ु तान दारुल इस्लाम िै" और अ़रबी में इस़े
नाम हदया "इलामल ु आलाम बी अन्ना हिन्दस्ु तान दारुल इस्लाम" य़े
ररसाला फ़तावा रज़हवय्या िी चौदवी हजलद में मौजदू िै।
इमामे अिले सन्ु नत, आला िज़रत
इमाम़े अिल़े सुन्नत, आला िज़रत रह़मतलु लाहि तआ़ला अ़लैि
स़े सवाल हिया गया हि हिन्दस्ु तान दारुल ह़रब िै या दारुल इस्लाम?
जवाब में आप तह़रीर फ़रमात़े िैं हि :
िमाऱे इमाम़े आज़म रहदअ़ललािु तआ़ला अ़न्िु बहलि उ़लमा -ए-
सलासा रिीमिु ु़ मलु लािु तआ़ला अ़लैहिम ि़े मज़िब पर हिन्दस्ु तान
दारुल इस्लाम िै हि दारुल ह़रब िो जाऩे में जो तीन बातें िमाऱे इमाम़े
आज़म इमामल ु अइम्मा रहदअ़ललािु तआ़ला अ़न्िु ि़े नज़्दीि दरिार
िैं उन में स़े एि य़े िै हि विााँ अह़िाम़े हशिक ऐलाहनया जारी िों और
शरीअ़त़े इस्लाम ि़े अह़िाम व हशआ़र मतु लकन जारी ना िोऩे पाएाँ
और साहिबैन ि़े नज़दीि इसी कदर िाफ़ी िै मगर य़े बात
हबिमहदललाि यिााँ (हिन्दस्ु तान में) कतअ ् न मौजदू निीं। अिल़े
4
हिन्दस्ु तान दारूल ह़रब या दारूल इस्लाम
इस्लाम जमु आ़् व ईदैन व अज़ानो इकामत व नमाज़़े बा जमाअ़त
वग़ैरिा हशआ़ऱे शरीअ़त बग़ैर मज़ु ाहिमत अलल ऐलन अदा िरत़े िैं।
फ़राइज़, हनिाि, ररदअ़, तलाक, इद्दत, रुजअ़त, मिर, खल ु ा, नफ़कात,
िज़ानत, नसब, हिबा, वक़्फ़, वसीय्यत, हशफ़ा वग़ैरिा बिुत
मआ़
ु मलात़े महु स्लमीन िमारी शरीअ़त िी हबना पर फै सल िोत़े िैं हि
इन उमरू में िज़रात़े उ़लमा स़े फ़तवा ल़ेना और उसी पर अ़मल व िुलम
िरना िुलिाम़े अंग्ऱेज़ी िो भी ज़रूर िोता िै अगचे हिनदू व मजसू ी व
नसारा िो और हबह़हम्दललाि य़े भी इस शरीअ़त िी शौित िै हि
मख ु ाहलफी
ु़ नु़ िो भी अपनी तस्लीम इहिबा पर मजबरू फ़रमाती िै।
हबह़हम्दललाि रहबबल आ़लमीन
फ़तावा आ़लमगीरी में िै :
‫اعلم ان دارالحرب تصیردار الاسلام بشرط واحد و هو اظہار‬
‫حكم الاسلام فيہا‬
(۲۳۲/۲‫)اتف ٰویدنہہیاتکباریسلاابلبااخلسمیفاالیتسءاافکلرونراین بتکاخہناشپور‬
जान लो हि ब़ेशि दारुल ह़रब एि िी शतक स़े दारुल
इस्लाम बन जाता िै वो य़े िै हि विााँ इस्लाम िा िुलम
ग़ाहलब िो जाए।
इसी में नक़्ल हिया गया िै हि :
‫انما تصیردار الاسلام دارالحرب عندابی حنيفۃ رحمہ اللہ‬
‫ احدها اجراء احکام الكفار علی سبيل‬،‫تعالٰی بشروط ثلاثۃ‬
5
हिन्दस्ु तान दारूल ह़रब या दारूल इस्लाम
‫ ثم قال و صورۃ‬،‫الاشتہار وان لایحكم فيہا بحكم الاسلام‬
‫المسئلۃ ثلاثۃ اوجہ اما ان یغلب اهل الحرب علی دار من‬
‫دورنا او ارتد اهل مصر غلبوا واجروااحکام الكفر او نقض اهل‬
‫الذمۃ العہد وتغلبواعلی دارهم ففی کل من هذہ الصور‬
‫ وقال ابویوسف و محمد‬،‫لاتصیر دارحرب الابثلاثۃ شروط‬
‫رحمہما اللہ تعالٰی بشرط واحد و هو اظہار احکام الكفر و هو‬
‫القياس الخ‬
(۲۳۲/۲‫)اتف ٰویدنہہیاتکباریسلاابلبااخلسمیفاالیتسءاافکلرونراینبتکاخہناشپور‬

इमाम अबू ह़नीफ़ा रह़मतलु लाहि तआ़ला अ़लैि ि़े


नज़दीि दारुल इस्लाम तीन शराइत स़े दारुल ह़रब
िोता िै हजन में एि य़े हि विााँ िुफ़्फार ि़े अह़िाम
ऐलाहनया जारी हिए जाएाँ और विााँ इस्लाम िा िोई
िुलम नाहफ़ज़ ना हिया जाए, हफ़र फ़रमाया और
मसअला िी सरू त तीन तरि िै, अिल़े ह़रब िमाऱे
इलाक़े पर ग़लबा पा लें या िमाऱे हिसी इलाक़े ि़े
शिरी मतु कद िो िर विााँ ग़लबा पा लें और िुफ़्र ि़े
अििाम जारी िर दें या विााँ हज़म्मी लोग अिद िो
तोड़ िर ग़लबा िाहसल िर लें, तो इन तमाम सरू तों
में वो इलाका तीन शतों स़े दारुल ह़रब बन जाएगा वो
य़े हि अह़िाम़े िुफ़्र ऐलाहनया ग़ाहलब िर हदए जाएाँ।
6
‫‪हिन्दस्ु तान दारूल ह़रब या दारूल इस्लाम‬‬
‫‪यिी हकयास िै अलख‬‬
‫‪दुरर गरर‬‬
‫‪ु ु़ मुल्ला खुसरो में िै :‬‬
‫دارالحرب تصیردارالاسلام باجراء احکام الاسلام فيہا کا‬
‫قامۃ الجمعۃ والاعيادوان بقی فيہا کافر اصلی ولم یتصل‬
‫بدارالاسلام بان کان بينہا وبین دارالاسلام مصر ٰاخر لاهل‬
‫الحرب الخ‬
‫)درررغراتکبااہجلداببالمستانمعبطمادمحاکلمرصم‪(۲۹۵/۱‬‬

‫هذا لفط العلامۃ خسرو واثرہ شيخی زادہ فی مجمع الانہر‪،‬‬


‫وتبعہ المولی الغزی فی التنویر‪ ،‬واقرہ المدقق العلائی فی الدر‪،‬‬
‫ثم الطحطاوی و الشامی اقتدیا فی الحاشيتین ‪.‬‬
‫‪दारुल ह़रब इस्लामी अह़िाम जारी िरऩे मस्लन‬‬
‫़‪जमु आ‬‬‫‪् और ईदैन विााँ अदा िरऩे पर दारुल इस्लाम‬‬
‫ू‪बन जाता िै अगर विााँ िोई अस्ली िाहफ़र भी मौजद‬‬
‫‪िो और उसिा दारुल इस्लाम स़े इहिसाल भी ना िो‬‬
‫‪याँू हि उसि़े और दारुल इस्लाम ि़े दरहमयान िोई‬‬
‫‪दसू रा िरबी शिर फ़ाहसल िो अलख, य़े अ़ललामा‬‬
‫‪खसु रो ि़े अलफ़ाज़ िैं। (और तितावी, शामी वग़ैरि‬‬
‫)ै‪में इस िी इहक़्तदा िी गई ि‬‬
‫‪जमीउ़ल फुसूलैन से नक़्ल हकया गया :‬‬

‫‪7‬‬
‫‪हिन्दस्ु तान दारूल ह़रब या दारूल इस्लाम‬‬
‫لہ ان هذہ البلدۃ صارت دارالاسلام باجراء احکام الاسلام‬
‫فيہا فما بقی شيئ من احکام دارالاسلام فيہا تبقی‬
‫دارالاسلام علی ماعرف ان الحكم اذاثبت بعلۃ فما بقی شيئ‬
‫من العلۃ یبقی الحكم ببقائہ‪ ،‬هكذاذکر شيخ الاسلام ابوبکر‬
‫فی شرح سیر الاصل انتہی‬
‫) اجعماوصفلنیلالصفلاالولااضقلءاالسیمبتکاخہنرکایچص‪(۱۲‬‬

‫‪इमाम सािब ि़े िााँ दारुल ह़रब िा इलाका इस्लामी‬‬


‫‪अह़िाम विााँ जारी िरऩे स़े दारुल इस्लाम बन जाता‬‬
‫ंे‪िै तो जब ति विााँ इस्लामी अह़िाम बािी रि‬‬ ‫‪ु़ ग़े वो‬‬
‫‪इलाका दारुल इस्लाम रि़ेगा, य़े सब इस हलए हि‬‬
‫‪िुलम जब हिसी इललत पर मबनी िो तो जब ति‬‬
‫‪इललत में स़े िुछ पाया जाए तो इस िी बका स़े िुलम‬‬
‫‪भी बाकी रिता िै जैसा हि मअ़रूफ़ िै। अबू बिर‬‬
‫‪शैखल‬‬ ‫‪ु ु़ इस्लाम ऩे असल (मबसतू ) ि़े सैर ि़े बाब िी‬‬
‫‪शरि में याँू िी हज़क्र फ़रमाया िै।‬‬
‫وعن الفصول العمادیۃ ان دارالاسلام لایصیر دارالحرب‬
‫اذابقی شيئ من احکام الاسلام وان زال غلبۃ اهل الاسلام‬
‫وعن منثور الامام ناصرالدین دارالاسلام انما صارت‬
‫دارالاسلام باجراء الاحکام فمابقيت علقۃ من علائق‬
‫الاسلام یترجح جانب الاسلام) الفصول العمادیۃ(‬
‫‪8‬‬
हिन्दस्ु तान दारूल ह़रब या दारूल इस्लाम
ٰ ‫وعن البرهان شرح مواهب‬
‫الرحمن لایصیر دارالحرب مادام‬
‫فيہ شيئ منہا بخلاف دارالاسلام لانارجحنا اعلام الاسلام‬
‫و احکام اعلام کلمۃ الاسلام‬
(‫)اربلاھنرحومابہارلامحن‬
ٰ
‫وعن الدر المنتقی لصاحب الدرالمختار دارالحرب تصیر‬
‫دارالاسلام باجراء بعض احکام الاسلام‬
(۲۳۴/۱‫)الدرالمنتقی علی بامش مجمع الانہر کتاب السیر داراحياء التراث العربیریبوت‬

फ़ुसलू ़े अम्माहदया स़े मंकूल िै हि दारुल इस्लाम जब


ति विााँ अह़िाम़े इस्लाम बाकी रिेंग़े तो वो दारुल
ह़रब ना बऩेगा अगचे विााँ अिल़े इस्लाम िा ग़लबा
खतम िो जाए, इमाम नसीरुद्दीन िी मंसरू स़े मंकूल िै
हि दारुल इस्लाम हसफक इस्लामी अह़िाम िरऩे स़े
बनता िै तो जब ति विााँ इस्लाम ि़े मतु हललिातु़
बाकी िैं तो विााँ इस्लाम ि़े पिलू िो तरजीि िोगी।
और बरिाऩे शरि मवाहिबुर रिमान स़े मंकूल िै िोई
इलाका उस वक़्त ति दारुल ह़रब ना बऩेगा जब ति
विााँ िुछ इस्लामी अह़िाम बाकी िैं, लयोंहि इस्लामी
हनशानात िो और िहलमा -ए- इस्लाम ि़े हनशानात
ि़े अह़िाम िो िम तरजीि देंग़े, दारुल इस्लाम िा
िुलम उस में हखलाफ िै। साहिब़े दरु े मख्ु तार िी अल
9
हिन्दस्ु तान दारूल ह़रब या दारूल इस्लाम
मंतका स़े मंकूल िै हि दारुल ह़रब में बाज़ इस्लामी
अह़िाम ि़े नाहफ़ज़ स़े दारुल इस्लाम बन जाता िै।
िरिे हनकायाु़ में िै :
‫لاخلاف ان دارالحرب تصیر دارالاسلام باجراء بعض احکام‬
‫الاسلام فيہا‬
(۵۵۶/۲‫)جامع الرموز کتاب الجہادہبتکماالسہیمدبنگاقومساریان‬
हबला इहततलाफ़ दारुल ह़रब विााँ बाज़ इस्लामी
अह़िाम ि़े नाहफ़ज़ स़े वो दारुल इस्लाम बन जाता
िै।
और इसी में िै :
‫وقال شيخ الاسلام والامام الاسبيجابی ای الدارمحكومۃ‬
‫بدارالاسلام ببقاء حكم واحد فيہا کما فی العمادی وغیرہ‬
(۵۵۷/۲‫)اجعمارلومزاتکبااہجلدہبتکماالسہیمدبنگاقومساریان‬
श़ेखल ु इस्लाम और इमाम अस्बीजाबी ऩे फ़रमाया :
हिसी भी इलाक़े में िोई एि इस्लामी िुलम भी बािी
िो तो उस इलाक़े िो दारुल इस्लाम ििा जाएगा,
जैसा हि अम्माहदया वग़ैरि में िै।
हफर अपऩे हबलाद और विााँ ि़े हफ़तन वा फ़साद िी हनस्बत
फ़रमात़े िैं :
‫فالاحتياط یجعل هذہ البلاد دارالاسلام والمسلمین وان‬
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हिन्दस्ु तान दारूल ह़रब या दारूल इस्लाम
‫کانت للملاعین واليد فی الظاهر لہؤلاء الشيطین ربنا‬
‫لاتجعلنا فتنۃ للقوم الظلمین ونجنا برحمتک من القوم‬
ٰ
‫الكفرین کمافی المستصفی وغیرہ‬
(۵۵۷/۲‫)اجعمارلومزاتکبااہجلدہبتکماالسہیمدبنگاقومساریان‬
एिहतयात यिी िै हि य़े इलाका दारुल इस्लाम वल
महु स्लमीन करार हदया जाए, अगचे विााँ ज़ाहिरी तौर
पर शैतानों िा कबज़ा िै, ऐ िमाऱे रब! िमें ज़ाहलमो
ि़े हलए हफतना
ु़ ना बना और अपनी रह़मत स़े िम़े
िाहफरों स़े नजात अता फरमा, जैसा ि़े मस्ु तस्फी ु़
वग़ैरि में िै।
मज़िूरा िवाला जात ि़े अलावा इमाम़े अिल़े सुन्नत, आला
िज़रत ऩे हफक़्ि़े िनफ़ी िी रौशनी में तफ़सील स़े िलाम फरमाया िै
और य़े साहबत हिया िै हि हिन्दस्ु तान दारुल ह़रब निीं बहलि दारुल
इस्लाम िै। िम ऩे यिााँ मि ु म्मल ररसाला नक़्ल ना िर ि़े बस शरू
ु िा
एि हिसा नक़्ल िरऩे पर इहिफ़ा हिया िै, मज़ीद तफ़सील ि़े हलए
ररसाला "इलामल ु आलाम हब अन्ना हिन्दस्ु तान दारुल इस्लाम" िा
मतु ाला फ़रमाएाँ।
अब िम मज़ीद उलमा -ए- अिल़े सन्ु नत िी इस िवाला स़े
तििीिाु़ तु़ प़ेश िरें ग़े।

11
हिन्दस्ु तान दारूल ह़रब या दारूल इस्लाम
फ़तावा मुफ़्ती -ए- आज़मे हिदिं में
फ़तावा मफ़्ु ती -ए- आज़म़े हिदं में एि सवाल इस तरि िै, बाज़
लोग िित़े िैं हि हिन्दस्ु तान दारुल ह़रब िै दारूल इस्लाम निीं
हलिाज़ा यिााँ जमु आ़
् अदा निीं िोता िै ज़िु र पढ़ना चाहिए ,लया ऐसा
िी िुलम शरीअ़त शरीफ में िै?
जवाब में हलखत़े िैं हि हिन्दस्ु तान दारुल इस्लाम िै, दारुल ह़रब
निीं, यिााँ जमु आ़
् शरीफ शिर व कज़ाबात में फ़ज़क िै, गााँव में जमु आ़

वा ईदैन िी नमाज़ निीं िो सिती िै हि जमु आ़ ् वा ईदैन ि़े हलए हमस्र
ज़रूरी िै।
सदरुश्िररया, अ़ल्लामा मफ़्ु ती अमजद अ़ली आज़मी
सदरुश्शररया, अ़ललामा मफ़्ु ती अमजद अ़ली आज़मी
रह़मतलु लाहि तआ़ला अ़लैि हलखत़े िैं हि सिीि यिी िै हि
हिन्दस्ु तान दारुल इस्लाम िै और यिी अ़ललामा शामी िी तििीकु़ स़े
साहबत िोता िै, दार िी दो हकस्में िैं : दारुल इस्लाम, दारुल ह़रब,
अगर मसु लमान दारुल ह़रब में अमान ल़े िर जाए तो विी दारुल ह़रब
इस महु स्लम ि़े हलय़े दारुल अमान िै। यंू िी अगर िरबी िाहफर
ु़ अमान
ल़े िर दारुल इस्लाम में आया तो उसि़े हलए यिी दारुल अमान िै।
हलिाज़ा दारुल अमान हजस िो ििा जाता िै वो या दारुल इस्लाम िै
या दारुल ह़रब इन दो ि़े अलावा िोई तीसरी हकस्म निीं िै।
(फ़तावा अमजहदया, हजलद 4, सफ़िा 200)

12
हिन्दस्ु तान दारूल ह़रब या दारूल इस्लाम
महलकुल उ़लमा, अ़ल्लामा ज़फ़रुद्दीन हबिारी
ख़लीफ़ा -ए- आला िज़रत, महलिुल उ़लमा, अ़ललामा ज़फ़रुद्दीन
हबिारी रह़मतलु लाहि तआ़ला अ़लैि हलखत़े िैं :
दारुल इस्लाम उस जगि िो िित़े िैं जो मसु लमानो ि़े कबज़़े में
िो और विााँ ब़े दग़दग़ा इस्लामी अ़ििाम जारी िो जाएाँ। दारुल ह़रब
ऐसी जगि िो िित़े िैं हि विााँ अह़िाम़े हशिक ऐलाहनया जारी िों
और शरीअ़त ि़े अह़िाम हबलिुल ममन'ू अ़ िो जाएाँ। मगर यिााँ
(हिन्दस्ु तान में) हबफ़दहलललाहि तआ़ला िरहगज़ िरहगज़ अह़िाम़े
शरीअ़त िी अदाइगी ममन'ू अ़ निीं और इकामत वा नमाज़़े बा
जमाअ़त वगैु़रिा हशआ़ऱे शरीअ़त, बग़ैर मज़ु ाहिमत अलल ऐलान
अदा िरत़े िैं, फ़राइज़, हनिाि, रज़ाअ, तलाक वगैु़रि मआ़ ु मलात
महु स्लमीन िमारी शरीअ़त़े बैज़ा िी हबना पर फै सल िोत़े िैं हि इन
उमरू में िज़रात़े उ़लमा -ए- हिराम स़े फ़तवा ल़ेना और उस पर िुलम
मि ु म्मल िरना, िुलिाम़े अंग्ऱेजी िो
ु़ भी ज़रूरी िोता िै अगर हिनदू व
मजसू ी व नसारा िो।
फ़तावा रज़हवय्या में हसराजल ु विाज, इस में िज़रत मिु ररक रुल
मज़िब सीना मिु म्मद रहदअ़ललािु तआ़ला अ़न्िु िी हज़यादत स़े िै:
‫انما تصیردار الاسلام دارالحرب عندابی حنيفۃ رحمہ اﷲ‬
‫ احدها اجراء احکام الكفار علی سبيل‬،‫تعالٰی بشروط ثلاثۃ‬
‫ ثم قال و صورۃ‬،‫الاشتہار وان لایحكم فيہا بحكم الاسلام‬
13
हिन्दस्ु तान दारूल ह़रब या दारूल इस्लाम
‫المسئلۃ ثلاثۃ اوجہ اما ان یغلب اهل الحرب علی دار من‬
‫دورنا او ارتد اهل مصر غلبوا واجروااحکام الكفر او نقض اهل‬
‫الذمۃ العہد وتغلبواعلی دارهم ففی کل من هذہ الصور‬
‫لاتصیر دارحرب الابثلاثۃ شروط‬
िमाऱे इमाम़े आज़म बहलि उ़लमा -ए- सालसा
रिीमिु
ु़ मलु लािु ि़े मज़िब पर हिन्दस्ु तान दारुल
इस्लाम िै, िरहगज़ िरहगज़ दारुल ह़रब निीं।
वललािु तआ़ला आलम
(फ़तावा महलिुल उ़लमा, प़ेज 222)

फ़तावा दीदाररया
खलीफा -ए-
ु़ आला िज़रत, िज़रत अ़ललामा सैय्यद दीदार अली
शाि रह़मतलु लाि तआ़ला अ़लैि एि सवाल ि़े जवाब में हलखत़े िैं
हि बकौल मख्ु तार हिन्दस्ु तान दारुल ह़रब निीं िै (यानी दारुल इस्लाम
िै)
(*) य़े सवाल सदू ि़े मतु अ़हललक हिया गया था। ख्याल रि़े हि िरबी िाहफर
ु़
स़े हबना धोिा हदए जो ज़ाइद रिम हमलती िै मस्लन बैंि और पोस्ट ऑहफस
स़े वो सदू निीं बहलि माल़े मुबाि िै और इस में तफ़सील िै हजस़े आप िमाऱे
ररसाल़े "िाहफर स़े सदू " में भी पढ़ सित़े िैं।

14
हिन्दस्ु तान दारूल ह़रब या दारूल इस्लाम
फ़तावा अजमहलया
िज़रत अ़ललामा मफ़्ु ती अजमल िादरी ु़ रह़मतलु लाहि तआ़ला स़े
य़े य़े सवालात हिय़े गए :
(1) हिन्दस्ु तान दारुल ह़रब िै या दारुल इस्लाम?
(2) हिन्दस्ु तान में जमु आ़
् फ़ज़क िै या निीं?
आप रह़मतलु लाहि अ़लैि हलखत़े िैं
(1) िमाऱे इमाम़े आज़म अबू ह़नीफा, व इमाम अबू यसू फ ु व इमाम
मिु म्मद रिीमिु
ु़ मलु लािु तआ़ला ि़े मज़िब िी तसरीिात ि़े हबना पर
िरहगज़ िरहगज़ दारुल ह़रब निीं िै बहलि दारुल इस्लाम िै, फ़तावा
आ़लमगीरी में िै :
‫ الخ‬...‫اعلم ان دار الحرب تصیر دار الاسلام بشرط‬
(269‫ص‬،2‫ج‬،‫)اعریگملی‬
(मज़ीद िई िुतबु ़े हफ़क़्ि ि़े िवाला द़ेऩे ि़े बाद आप हलखत़े िैं
हि) इन इबारत स़े आफ़ताब िी तरि रौशन िो गया हि जब हिन्दस्ु तान
में जमु आ़
् व ईदैन, अज़ानो इकामत, नमाज़ बजमात वग़ैरिा अििाम़े
इस्लाम अलल ऐलान अदा िरत़े िैं और हिन्दस्ु तान िो और िोई
दारुल ह़रब इिाता निीं िर रिा िै बहलि दो जानीबैन हबलादल
इस्लाहमया स़े मिु हसल िैं तो इस़े दारुल ह़रब हिस तरि करार हदया
जा सिता िै! अब बाकी य़े शबु िा ि़े इस में अह़िाम़े मश ु ररिीन भी
जारी िैं तो इस शुबिै िो तितावी िी इबारत ऩे साफ िर हदया हि
जिााँ अह़िाम़े महु स्लमीन और अह़िाम़े मश ु ररिीन दोनों जारी िों तो
15
हिन्दस्ु तान दारूल ह़रब या दारूल इस्लाम
वो दारुल ह़रब निीं हलिाज़ा अब बावजदू उन इबारात ि़े हिन्दस्ु तान
िो दारुल इस्लाम ना ििना अक़्वाल़े अइम्मा िी मख ु ाहलफ़त
ु़ िै और
तसरीिात़े फुकिा स़ेु़ इि
ं ार िै और अपनी अक़्ल व फ़िम िी दीन में
मदु ाहखलत
ु़ िै, मौला तआला कुबल ू ़े िक िी तौफीकु़ अ़ता फ़रमाए।
(2) हबला शबु िा जमु आ ् (हिन्दस्ु तान में) फ़ज़क िै हिन्दस्ु तान में
अगचे िुफ़्फ़ार िी िुिूमत िै और बादशाि़े इस्लाम निीं ल़ेहिन
जमु आ़
् िी हसित ि़े हलए इस कद्र िाफ़ी िै हि मसु लमान जमु आ़ ् व
ईदैन िाइमु़ िरत़े िैं और एि शतस िो इमाम मि ु रक र िरत़े िैं, हलिाज़ा
हिन्दस्ु तान में जमु आ़
् िा फ़ज़क िोना साहबत िुआ और अदा -ए- जमु आ ्
स़े नमाज़़े ज़िु र िी फ़हज़कयत साहकत िो गई और अब हिसी िा जमु आ़ ्
िो नफ़्ल करार द़ेना तसरीिात़े हफ़क़्ि िी मख ु ाहलफ़त और सतत
नादानी और हजिालत िै।
(फ़तावा अजमहलया, हजलद 2, सफ़िा 328)

फ़तावा िरई़या
िज़रत अ़ललामा मफ़्ु ती मह़ु म्मद फ़ज़ल िरीम िमीदी स़े सवु ाल
हिया गया हि हिन्दस्ु तान दारुल ह़रब िै या दारुल इस्लाम?
आप रह़मतलु लाहि तआ़ला अ़लैि जवाब में हलखत़े िैं :
अलिम्दहु लललाि हि हिन्दस्ु तान दारूल इस्लाम िै।
(फ़तावा शरई़या, हजलद 3, सफ़िा 624)

16
हिन्दस्ु तान दारूल ह़रब या दारूल इस्लाम

फ़तावा मसऊ़दी
िज़रत अ़ललामा शाि मिु म्मद मसऊ़दी दि़ेलवी रिीमिललािु ु़
तआ़ला हलखत़े िैं :
बार माहिराऩे हफ़क़्ि मख़फ़ी ना रि़े हि य़े मलु ि (हिन्दस्ु तान) दारुल
ह़रब निीं िै लयोंहि जो मलु ि हि अिल़े इस्लाम िा िो और िम पर
िुफ़्फ़ार ग़लबा िर ि़े अपऩे तित में िर लें वो दारुल इस्लाम िै।
दारुल ह़रब (तब) िोता िै यानी जब हि तीनों शतें पाई जाएाँ तो दारुल
ह़रब िोगा और अगर एि भी मअ़दमू िोगी (निीं पाई जाएगी) उस
वि दारुल ह़रब निीं िोगा।
‫انما تصیر دار الاسلام دار الحرب عند اب نيفۃ رحمہ اللہ‬
)‫ الخ (اتفویاریگملی‬...‫تعالی بشروط لاثہ‬

(1) एि शतक य़े िै हि जारी िोना काननू ़े िुफ़्फ़ार िा बतरीक


शोिरत और िोई िुलमें शरीअ़त िा जारी ना िो अगर िोई भी िुलम
शरीअ़त िा जारी रि़ेगा, दारुल ह़रब ना िोगा िालााँहि इस हदयार में
िुलम शरीअ़त ि़े जारी िैं।
(2) और दसू री शतक य़े िै हि इहिसाल उस िा हिसी दारुल ह़रब
दसू ऱे स़े ना िो, य़े भी बशतक इस मलु ि में बिुत फ़ाहसला िोऩे मलु ि
िाबल ु ि़े मफ़िूदु़ िै।
(3) और तीसरी शतक य़े िै हि िोई मोहमन या हजम्मी ु़ बा अमान
17
हिन्दस्ु तान दारूल ह़रब या दारूल इस्लाम
साहबक ना रि़े। य़े भी शतक मफ़िूदु़ िै पस मलु ि दारुल ह़रब ना िो।
(द़ेखें फ़तावा मसऊ़दी, प़ेज 424)

फ़तावा हनज़ाहमया
अ़ललामा मफ़्ु ती मह़ु म्मद रुिनद्दु ीन रिीमिु ु़ ललािु तआ़ला स़े
हिन्दस्ु तान ि़े मतु अ़हललक य़े सवाल हिया गया हि य़े दारुल ह़रब िै
या दारुल इस्लाम?
आप हलखत़े िैं :
तीन चीज़ों स़े दारुल इस्लाम दारुल ह़रब बन जाता िै (उन तीन
चीज़ों िा बयान गज़ु र चि ु ा िै, उन्िें हलखऩे ि़े बाद आप रिीमिु
ु़ ललािु
त'आ़ला ऩे दरु े मख्ु तार िी इबारत नक़्ल िी िै, हफर हलखत़े िैं हि)
तमाम हिन्दस्ु तान में अििाम़े शरई़ जमु आ़ ् व ईदैन वग़ैरि नाहफ़ज़ िैं
और मसु लमानों िो मज़िबी रसमू ि़े अदा िरऩे िी िोई ममु ाहनअ़त
निीं और हनिािो तलाको मीरास ि़े कुहज़य़े (Cases) अदालतों में
अििाम़े शरई़ ि़े मवु ाहफ़क िोत़े िैं और मसु लमानों िो फ़राइज़़े
इस्लाम यानी नमाज़, रोज़ा, िज, ज़िात िी अदाइगी ि़े मतु अ़हललक
परू ी आज़ादी िाहसल िै बहलि मआ़ ु मलात यानी बय व शरअ़ व रिन
वग़ैरि ि़े मतु अ़हललक भी अलसर काननू शरीअ़त ि़े मवु ाहफ़क िै और
मसु लमानों ि़े जानो माल िी िाफ़ी हिफ़ाज़त िी जाती िै, इसहलय़े
हिन्दस्ु तान दारुल इस्लाम िै, दारुल ह़रब निीं।
(द़ेखें फ़तावा हनजाहमया,
ु़ हजलद 1 सफ़िा 322)

18
हिन्दस्ु तान दारूल ह़रब या दारूल इस्लाम
फ़तावा िाहफ़ज़े हमल्लत
फ़तावा िाहफ़ज़़े हमललत में िै हि य़े साऱे (यूरोपी) हबलाद दारुल
ह़रब िैं और दारुल ह़रब में जमु आ़ ् सिी निीं, हिसी मलु ि ि़े दारुल
इस्लाम िोऩे ि़े हलए बुहनयाद शतक य़े िै हि उस पर मसु लमानों िा
कबज़ा िो जाए अगर िोई मलु ि ऐसा िै हजस पर िभी भी मसु लमानों
िा कबज़ा निीं िुआ तो वो दारुल ह़रब िी रि़ेगा अगचे मसु लमान विााँ
बोदो बाश इहख्तयार िरें , उन्िें इजाज़त िो हि वो अपऩे मज़िबी
मामल ू ात जैस़े चािें अदा िरें । आला िज़रत इमाम अह़मद रज़ा िुहद्दसा
हसरुकिू फ़तावा रज़हवया हज़लद सौम में फरमात़े िैं:
"जिााँ सलतनत़े इस्लामी िभी ना थी ना अब िै वो इस्लामी शिर
निीं िो सिता, ना विााँ जमु आ़ ् वा ईदैन जाइज़ िों अगचे विााँ ि़े
िाहफ़र सलातीन शआ़इऱे इस्लाहमया िो ना रोित़े िों, अगचे विााँ
मसाहजद बा िसरत िों, अज़ानो इकामत जमाअ़त अलल ऐलान िोती
िों, अगचे अवाम अपऩे जिल ि़े बाईस जमु आ़ ् वा ईदैन हबला
मजु ाहिमत
ु़ अदा िरत़े िों जैस़े ि़े रूस, जरमन, फ्ांस, पतु कगल वग़ैरि
अलसर बहलि शायद िुल सलतनतिाए यरू ोप िा यिी िाल िै।
(फ़तावा रज़हवया, हजलद 3, सफ़िा 716, रज़ा एि़े डमी, मबंु ई)
इसी में िै : शरि हनिायाु़ में िाफ़ी स़े िै:
‫دارالإسلام ما ری م إمام المسلمین‬
(फ़तावा रज़हवया, हजलद 3, सफ़िा 716, रज़ा एि़े डमी, मंबु ई)
इस स़े ज़ाहिर िो गया िै हि िॉलैंड वग़ैरि में जमु आ़
् वा ईदैन सिीि
19
हिन्दस्ु तान दारूल ह़रब या दारूल इस्लाम
निीं इस हलए हि वो दारुल ह़रब िैं। ल़ेहिन जिााँ जिााँ जमु आ़ ् िोता
िो विााँ अवाम िो मना ना हिया जाए जैसा हि द़ेिात में जमु आ़ ् ि़े
बाऱे में आला िज़रत अज़ीमल ु बरित इमाम अह़मद रज़ा िुहद्दसा
हसरुकिू ऩे फ़रमाया िै। रि गया बदू ो बाश िा मआ़ ु मला अगर िुिूमत
मसु लमानों िो उन ि़े मज़िब ि़े हखलाफ़ हिसी िाम ि़े िरऩे पर
मजबरू निीं िरती, विााँ मसु लमानों िो मज़िबी आज़ादी िाहसल िै
तो विााँ मसु लमानों ि़े रिऩे में िोई िजक निीं जैसा हि िबशा में सिाबा
-ए- हिराम नीज़ लंिा और माला बार में ताबईन ऩे आिर सि ु ू नत
इहख्तयार िी और चीन में छटी सदी स़े मसु लमान रि रि़े िैं।
वललािु तआ़ला आलम
[द़ेखें फ़तावा िाहफ़ज़़े हमललत, (फ़तावा अशरहफया,
ु़ हजलद पंजुम) हजलद 2, सफ़िा 159, फ़तावा अिल़े
सुन्नत ऐप)]

फ़तावा इदारा िररया


नेपाल दारुल ह़रब या दारुल इस्लाम
फ़तावा इदारा शररया में ऩेपाल ि़े दारुल ह़रब और दारुल इस्लाम
िोऩे ि़े मतु अ़हललक सवाल हिया गया हजस िा जवाब दजक ज़़ेल िै :
मौजदू हखिा ऩेपाल िी दो िैहसयतें िैं, एि वो इलाका जो
हिन्दस्ु तान सरिद स़े मिु हसल िै हजस़े विााँ ि़े उफ़क में तुरई या मग़ु लान
बोलत़े िैं, मग़ु लान िा इलाका वो इलाका िै जो मग़ु हलया दौऱे िुिुमत
में बादशाि अिबर और िज़रत औरंगज़़ेब आलमगीर ि़े ज़़ेऱे िुिूमत
या ज़़ेऱे असर रि चिु ा िै। जब औरंगज़़ेब आलमगीर अलैहिरक िमा ि़े
20
हिन्दस्ु तान दारूल ह़रब या दारूल इस्लाम
दौऱे िुिूमत में हिन्दस्ु तान ि़े अंदर अििाम़े इस्लामी िा नाहफ़ज़ िुआ
तो ऩेपाल िा तरु ई इलाका उस स़े मतु हस्सर िुए बग़ैर निीं रि सिा इस
िैहसयत स़े जो िुलम़े शरअ़ हखिा हिन्दस्ु तान िा िोगा विी तुरई ऩेपाल
िा भी िोगा। और दरु े मख्ु तार रद्दुल मिु तार ऩे इस िी वज़ाित िर दी
िै हि दारुल इस्लाम उस वक़्त ति दारुल ह़रब निीं िोगा जब ति हि
िुफ् ि़े अििाम परू ी तरि विााँ जारी न िो जाएाँ और इस्लामी अििाम
िुहललयतन रोि ना हदए जाएाँ और अगर इस्लाम व िुफ् दोनों ि़े
अििाम जारी िों तो वो दारुल ह़रब निीं िोगा, हबिहम्द तआ़ला इस
तारीफ़ िी बहु नयाद पर हिन्दस्ु तान और ऩेपाल िा तरु ई इलाका
(मग़ु लान) दारुल इस्लाम िै। ऩेपाल िा दसू रा इलाका वो िै जो
हिन्दस्ु तान ि़े ज़़ेऱे असर िभी निीं रिा और न मसु लमानों ि़े कबज़़े में
िभी आया और न विााँ िभी इस्लामी अििाम जारी िुए हलिाज़ा
ऩेपाल िा य़े दसू रा इलाका दारुल ह़रब िै। िााँ! ऩेपाल ि़े िुफ्फार ब़े
इहम्तयाज़ हखिा व इलाका सब ि़े सब िरबी िैं। और विााँ ि़े
मसु लमान बाहशदं ़े मस्ु तहमन िैं जैसा हि ऩेपाल ि़े मलान दौऱे िुिूमत
िी तारीख स़े पता चलता िै हि विााँ ि़े ग़ैर महु स्लम वाली िुिूमत ऩे
मसु लमानों िो अमान द़े िर मलु ि में रिऩे सिऩे िी इजाज़त दी।
वललािु त'आ़ला आलम
(द़ेखें, फ़तावा इदारा शररया, हजलद 3, प़ेज 580, फ़तावा अिल़े सुन्नत ऐप)

21
हिन्दस्ु तान दारूल ह़रब या दारूल इस्लाम
अज़िरुल फ़तावा में एक अिंग्रेज़ी फ़तवा
Question 1 :
What is a "Darul Harb"?
Question 2 :
Is the Republic of South Africa a "Darul Harb"?
7th Muharram 1412 A.H. 20 July 1991
Mr. Haroon Tar Ladysmith Natal South Africa

THE ANSWER
1: "Darul Harb" is a non-Muslim country.
2: It is, therefore, true on the Republic of South
Africa as it is a non- Muslim country from the
very beginning. Hence, this technical term is
applicable on every non-Muslim country as well
as South Africa. It is historically proven that
South Africa was never
under the Islamic rule so the basic condition of
it being a Darul Islam is not applicable.
Hence, it is a Darul Harb and it is clear and
needs no explanation.
If, for example, it was a Darul Islam long ago
and afterwards the Islamic government
came to an end and a non-Muslim government
22
हिन्दस्ु तान दारूल ह़रब या दारूल इस्लाम
came into place and the non-Islamic
ordinance was issued throughout the country so
that no one could enjoy the previous
peace and the country was adjoined with the
non-Muslim countries in every respect. In
such a case, too, it becomes a Darul Harb.
Following this is a categorical injunction from
Islamic Jurisprudence.
The great Muslim theologians, Hadrat Allama
Qaazi and Hadrat Ala'uddin Haskafi
(rahmatullah Ta'ala alaihuma) have stated in
their works "Tanweerul-
Absar" and "Durre Mukhtaar", respectively that
:
‫ الخ‬...‫لا تصیر دار الاسلام دار الحرب الا بامور ثلثۃ‬
Suppose that South Africa is still Darul Islam.
The very rule of your issue remains. As I have
said before, (refer to Fatwa on interest) that the
condition for a profit to be considered as interest
lies when there is a dealing between a Muslim
and a Zimmi Kaffir. On the other hand, if there
is a dealing between a Muslim and a Harbi
Kaffir, it would not be considered as interest, but
23
हिन्दस्ु तान दारूल ह़रब या दारूल इस्लाम
as profit and it would be legal for a Muslim
despite the fact that the dealing takes place in
Darul Islam.
[मुफ़्ती] मुिम्मद अख़्तर रज़ा खान क़ादरी अज़िरी

24
हिन्दस्ु तान दारूल ह़रब या दारूल इस्लाम
िाहसले कलाम
मज़िूरा बाला िवाला जात िी रौशनी में य़े मसअला हबलिुल
वाज़़ेह़ िो गया हि हिन्दस्ु तान दारुल इस्लाम िै, दारुल ह़रब निीं। जो
इस़े दारुल ह़रब िित़े िैं तो उन्िें मज़ीद तह़कीक िी ज़रूरत िै।
अिाहबरीऩे अिल़े सन्ु नत िी इबारात िमऩे इस ररसाल़े में नक़्ल िरऩे
िी सआ़दत िाहसल िी और य़े ररसाला तिमील िो पिुचाँ ा, अललाि
तआ़ला इस़े कुबल ू फरमाए और अिबाब़े अिल़े सन्ु नत ि़े हलए मफ़ ु ीद
बनाए।
नोट :
एि मसअला जो इस मसअल़े स़े तअ़ललक ु रखता िै वोि िाहफर
स़े सदू ल़ेऩे िा िै। हिन्दस्ु तान अगर दारुल इस्लाम िै तो लया यिााँ ि़े
िुफ़्फ़ार स़े सदू ल़ेना जाइज़ िोगा? उनस़े हमलऩे वाली इज़ाफ़ी रकम
हिस तरि जाइज़ िै? बैंि (Bank) और पोस्ट ऑहफस (Post
office) स़े हमलऩे वाली ज़ाइद रकम ल़ेना िै सा िै? इसि़े
मतु अ़हललक उलमा -ए- अिल़े सन्ु नत ऩे लया फ़रमाया िै? इन सब िी
तफ़्सील जानऩे ि़े हलए िमारा ररसाला "िाहफर स़े सदू " मल ु ाहिज़ा
फरमाईए। इस में िमऩे मतु अ़हद्दद ह़वाला जात प़ेश हिए िैं और इन
बातों िी तफ़्सील नक़्ल िी िै।

25
हिन्दस्ु तान दारूल ह़रब या दारूल इस्लाम

हिदिं ी में िमारी दूसरी हकताबें


(1)बिाऱे तह़रीर - अ़बद़े मुस्तफ़ा ऑहफ़हशयल (अब ति चौदि हिस्स़े)
(2) अललाि त'आला िो ऊपरवाला या अललाि हमयााँ ििना िै सा? - अ़बद़े मस्ु तफ़ा
(3) अज़ाऩे हबलाल और सूरज िा हनिलना - अ़बद़े मस्ु तफ़ा
(4) इश्ि़े ु़ मजाजी (म
ु़ ंतु ख़ब मज़ामीन िा मजमआ ु ) - अ़बद़े मस्ु तफ़ा ऑहफ़हशयल
(5) गाना बजाना बंद िरो, तुम मसु लमान िो! - अ़बद़े मस्ु तफ़ा
(6) शब़े म़ेराज गौस़े पाि - अ़बद़े मस्ु तफ़ा
(7) शब़े म़ेराज नालैन अशक पर - अ़बद़े मस्ु तफ़ा
(8) िज़रत़े उवैस करनी िा एि वाहकया - अ़बद़े मस्ु तफ़ा
(9) डॉलटर ताहिर और वकाऱे हमललत - अ़बद़े मस्ु तफ़ा
(10) ग़ैऱे सिाबा में रहदअललािु त'आला अन्िु िा इहस्तमाल - अ़बद़े मस्ु तफ़ा
(11) चंद वाहकयात़े िबकला िा तिकीकी जाइज़ा - अ़बद़े मस्ु तफ़ा ऑहफ़हशयल
(12) हबन्त़े िव्वा (एि संजीदा तिरीर) - िनीज़़े अततर
(13) स़ेलस नॉल़ेज (इस्लाम में सोिबत ि़े आदाब) - अ़बद़े मस्ु तफ़ा
(14) िज़रत़े अय्यूब अलैहिस्सलाम ि़े वाहकए पर तििीकु़ - अ़बद़े मस्ु तफ़ा
(15) औरत िा जनाजा -ु़ जनाब़े ग़ज़ल साहिबा
(16) एि आहशक िी ििानी अललामा इबऩे जौज़ी िी जुबानी - अ़बद़े मस्ु तफ़ा
(17) आईय़े नमाज़ सीखें (पाटक 1) - अ़बद़े मस्ु तफ़ा
(18) हकयामत ि़े हदन लोगों िो हिस ि़े नाम ि़े साथ पि ु ारा जाएगा? - अ़बद़े मस्ु तफ़ा
(19) हशिक लया िै? - अललामा मह़ु म्मद अिमद हमस्बािी
(20) इस्लामी तअ़लीम (हिस़्सा अव्वल) - अललामा मुफ़्ती जलालुद्दीन अिमद अ़मजदी
(21) मिु रक म में हनिाि - अ़बद़े मस्ु तफ़ा
(22) ररवायतों िी तििीकु़ (पिला हिस्सा) - अ़बद़े मस्ु तफ़ा
(23) ररवायतों िी तििीकु़ (दसू रा हिस्सा) - अ़बद़े मस्ु तफ़ा
(24) ब्ऱेि अप ि़े बाद लया िरें ? - अ़बद़े मस्ु तफ़ा
(25) एि हनिाि ऐसा भी - अ़बद़े मस्ु तफ़ा

26
हिन्दस्ु तान दारूल ह़रब या दारूल इस्लाम
(26) िाहफ़र स़े सूद - अ़बद़े मस्ु तफ़ा
(27) मैं खान तू अंसारी - अ़बद़े मुस्तफ़ा
(28) ररवायतों िी तििीकु़ (तीसरा हिस्सा) - अ़बद़े मस्ु तफ़ा
(29) जमु ाकना - अ़बद़े मस्ु तफ़ा
(30) ला इलािा इललललाि, हचश्ती रसूललु लाि? - अ़बद़े मस्ु तफ़ा
(31) िैज़, हनफ़ास और इहस्तिाज़ा िा बयान बिाऱे शरीअत स़े - अललामा मफ़्ु ती अमजद अली आज़मी
(32) रमज़ान और कज़ा -ए- उमरी िी नमाज़ - अ़बद़े मस्ु तफ़ा
(33) 40 अिादीस़े शफ़ाअत - आला िज़रत, इमाम अिमद रज़ा खान बऱे लवी
(34) बीमारी िा उड़ िर लगना - आला िज़रत, इमाम अिमद रज़ा खान बऱे लवी
(35) ज़न और यकीन - आला िज़रत, इमाम अिमद रज़ा बऱे लवी
(36) ज़मीन साहिन िै - आला िज़रत इमाम अिमद रज़ा खान बऱे लवी
(37) अबू ताहलब पर तिकीक - आला िज़रत इमाम अिमद रज़ा खान बऱे लवी
(38) कुरबानी िा बयान बिाऱे शरीअत स़े - अललामा मफ़्ु ती अमजद अली आज़मी
(39) इस्लामी तालीम (पाटक 2) - अललामा मुफ़्ती जलालुद्दीन अिमद अमजदी
(40) सफ़ीना -ए- बहतशश - ताजुश्शररया, अललामा मफ़्ु ती अततर रज़ा खान
(41) मैं निीं जानता - मौलाना िसन नरू ी गोंडवी
(42) जगं ़े बद्र ि़े िालात इहततसार ि़े साथ - मौलाना अबू मसरूर असलम रज़ा हमस्बािी िहटिारी
(43) तह़िीक़ेु़ इमामत - आला िज़रत, इमाम अिमद रज़ा खान बऱे लवी
(44) सफ़रनामा हबलाद़े ख़मसा - अबद़े मस्ु तफ़ा
(45) मंसूर िललाज - अबद़े मस्ु तफ़ा
(46) फ़ज़़ी कब्रें - अबद़े मस्ु तफ़ा
(47) इमाम अबू यूसुफ िा हदफा - इमाम़े अिल़े सुन्नत, आ़ला िज़रत रिीमिुललािु त'आला
(48) इमाम कुरै शी िोगा - इमाम़े अिल़े सुन्नत, आ़ला िज़रत रिीमिुललािु त'आला
(49) हिन्दस्ु तान दारुल ह़रब या दरुल इस्लाम? - अ़बद़े मस्ु तफ़ा

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