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2014 - 1435
﴿اإلسالم يضع حجر األساس حلقوق اإلنسان ﴾
« باللغة اهلندية »
2014 - 1435
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बिजस्मल्लाहिरम िमाधनरम िीम
मैं अधत मेिरिान और दयालु अल्लाि के नाम से आरम्भ करता िूँ ।
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मानवाधिकार की आिारधिला
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‘‘...आि मैंने तुम्िारे दीन (इस्लामी िीवन व्यवस्था
भाषण
फ़रमाया :
6
● ऐ लोगो! अल्लाि के धसवा कोई पज्य निीं िै , वि
पराजित हकया।
7
तुम अलग-अलग पिचाने िा सको। अल्लाि की दृबष्ट
आ सकं गा।
पछे गा।
अब्दल
ु मुत्तधलि के पररवार का सद िै ।
करे ।
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● हकसी के धलए यि िाय़ि निीं हक वि अपने भाई
अत्याचार न करो।
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करें , और अगर वि ऐसा करें तो अल्लाि की ओर से
जखलाओ, पिनाओ।
पिुूँचा हदया।
14
● मैं तुम्िारे िीच एक ऐसी ची़ि छोड़ िाता िं हक
कर हदए गए।
िो िाओगे।
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िैं , िो सकता िै , हक कोई अनुपजस्थत व्यबक्त तुम से
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फ़रमाया, ऐ अल्लाि, गवाि रिना! ऐ अल्लाि, गवाि
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मुक़ािले में निीं लाया िा सकता। क्योंहक उन पर
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िैं ।’’ (5:44)। इसके िाद दसरी िगि फ़रमाया गया
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सत्य व न्याय के जख़लाफ़ काम करे । अतः इनका
करता िै ।
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