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इस्लाम कृपा एवं दया का धमम

लेखक

खाललद अबू सालेह़

अनुवाद

जावेद अह़मद

संशोधन

अताउर्म ह़मान ज़ियाउल्लाह

शफ़ीकुर्म ह़मान ज़ियाउल्लाह मदनी


‫اإلسالم دين الرمحة‬
‫(باللغة اهلندية)‬

‫تأيلف‪ :‬خادل أبو صالح‬

‫ترمجة‪ :‬جاويد أمحد‬

‫مراجعة‬

‫عطاء الرمحن ضياء اهلل‬

‫شفيق الرمحن ضياء اهلل املدين‬


ववषय सच
ू ी
संक्षिप्त परर्चय..................................................... 2

कृपा क़ी प्रेर्णा .................................................... 6

बच्चों पर् दया ............................................... 18

जस्ियों पर् दया .................................................... 23

जानवर्ों पर् दया ............................................... 25

1
संक्षिप्त परर्चय
“इस्लाम कृपा एवं दया का धमम”, यह पस्
ु तक इस
बात पर् प्रकाश डालती है कक इस्लाम कृपा एवं दया
का धमम है और् इस्लाम के पैग़म्बर् मह़
ु म्मद
सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम अल्लाह क़ी ओर् से
इस भटकती हुई मानवता के ललए करुणा के भण्डार्
हैं। अतः इस धर्ती पर् बसने वाला हर् व्यजतत दया
का पाि है, चाहे वह आजस्तक हो या नाजस्तक।

2
‫بسم اهلل الرمحن الرحيم‬

अल्लाह के नाम से आर्म्भ कर्ता हूूँ, जो अतत


मेहर्बान और् दयालु है ।

सभी प्रशंसाएं अल्लाह र्ब्बल


ु आलमीन के ललए हैं
और् दरूद व सलाम हो हमार्े नबी मह़
ु म्मद
सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम पर्, जजनको पर्ू ी
दतु नया के ललए र्ह़मत बनाकर् भेजा गया तथा
आपक़ी संतान और् आपके सभी साथथयों पर्।

सन्दे ष्टा ह़़िर्त मह़


ु म्मद सल्लल्लाहु अलैहह व
सल्लम को तयों भेजा गया?

तया उनको मानवता को यातना दे ने के ललए भेजा


गया?

तया उनको मानवता को नष्ट कर्ने के ललए भेजा


गया?

3
तया लोगों से उनके अववश्वास तथा शित
ु ा का
बदला लेने के ललए भेजा गया?

इन सार्े प्रश्नों का उत्तर् अल्लाह तआला का यह


कथन दे र्हा है ः
َ ‫ۡحةََل ِّۡل َعَٰلَم‬ َ ‫كَإ اَّل‬
َ ۡ ‫َر‬ َ َٰ َ ۡ َ ۡ َ ٓ َ َ
﴾َ‫ي‬
1
ِّ ِّ ‫﴿وماَأرسلن‬

“तथा हमने आपको पर्ू ी दतु नया के ललए र्ह़मत


बनाकर् भेजा है ।”

यही दत
ू त्व का उद्देश्य, अवतर्ण का आशय तथा
नबअ
ू त का मकसद है।

तनःसंदेह मह़
ु म्मद सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम
अल्लाह क़ी ओर् से पथ-भ्रष्ट तथा पर्े शान-हाल
मानवता के ललए अनक
ु म्पा हैं।

अल्लाह तआला का कथन हैः

1 सूर्ह अल ्-अजम्बयाः 1 07

4
ْ ُّ َ َ ۡ َ ۡ َ َ ًّ َ َ ُ ۡ َ َ ۡ ُ َ َ ‫َ َ ََۡ َ ا‬
َ‫بََلنفضوا‬ِّ ‫﴿فبِّماَرۡحةََمِّنَٱَّللَِِّلِّ تَلهمَۖۡولوَكنتَفظاَغل ِّيظَٱلقل‬
2 َ ۡ َ ۡ
﴾َۡۖ‫مِّنَحول ِّك‬

“अल्लाह क़ी र्ह़मत के कार्ण आप उनके ललए र्हम


हदल हैं, यहद आप बद ़िुबान और् सख़्त हदल होते,
तो यह सब आपके पास से छट जाते।”

यहद आप सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम कठोर् हृदय


होते, तो अल्लाह तआला का संदेश पहुूँचाने के ललए
अनथु चत होते। जब अल्लाह तआला ने आपको
संदेश्वाहक बनाया, तो संदेष्टा के ललए अतनवायम है
कक वह कृपाल,ु दयावान, ववशाल हृदय, सहनशील
तथा धैयव
म ान और् संतोषी हो।

नबी सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम ने फर्मायाः

“ऐ लोगो! मैं र्हमत तथा दया बनाकर् भेजा गया


हूूँ।”3

2 सूर्ह आले-इम्रानः 1 59

5
इततहासकार्ों ने आप सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम
क़ी ववशेषताओं के ववषय में ललखा हैः

आप बीवी बच्चों के सम्बन्ध में लोगों में


सबसे बढ़कर् दयालु थे।4
आप दयालु थे। आपके पास जो भी (कुछ
माूँगने) आता, (और् उसे दे ने के ललए वह
ची़ि नहीं होती तो) उससे वायदा कर्ते थे
और् अगर् वह वस्तु आपके पास होती, तो
आप उसे अता कर्ते थे।5

कृपा क़ी प्रेर्णा


नबी सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम ने लोगों को
अल्लाह क़ी सजृ ष्ट के साथ कृपा एवं दया कर्ने पर्
उभार्ा है । वह छोटे हों या बडे, नर् हों या नार्ी तथा

3 इब्ने सअद ने इसका वणमन ककया है और् अल्लामा


अलबानी ने श्वाहहद के आधार् पर् इसे ह़सन कहा है ।
4 सह़ीहुल जामे
5 सह़ीह़ल जामे

6
मस
ु लमान हों या नाजस्तक। इस सम्बन्ध में बहुत
सार्े तकम वर्णत
म हैं:

जर्ीर् बबन अब्दल्


ु लाह र्ज़ियल्लाहु अन्हु द्वार्ा
वर्णत
म है कक अल्लाह के र्सल
ू सल्लल्लाहु
अलैहह व सल्लम ने फर्मायाः
“जो व्यजतत लोगों पर् दया नहीं कर्ता,
अल्लाह उसपर् दया नहीं कर्ता।”6
तथा ह़़िर्त अबू मस
ू ा र्ज़ियल्लाहु अन्हु से
वर्णत
म है कक उन्होंने नबी सल्लल्लाहु अलैहह
व सल्लम को फर्माते हुए सन
ु ाः
“तम
ु मोलमन नहीं हो सकते यहाूँ तक कक
आपस में एक-दस
ू र्े के ऊपर् दया कर्ने
लगो।”
उन्होंने कहा कक ऐ अल्लाह के र्सल
ू ! हममें
से हर् व्यजतत दयालु है ! तो आप सल्लल्लाहु
अलैहह व सल्लम ने फर्मायाः

6 बुखार्ी एवं मुजस्लम

7
“दया यह नहीं है कक तुममें से कोई अपने
साथी पर् कर्े । पर्न्तु दया यह है कक तम

अपने साथी के साथ कर्ो।”7

यह इस बात का तकम है कक दया सबके साथ होनी


चाहहए। परर्थचत के साथ भी तथा अपरर्थचत के
साथ भी।

तथा अब्दल्
ु लाह बबन अम्र बबन आस
र्ज़ियल्लाहु अन्हुमा द्वार्ा वर्णत
म है कक
अल्लाह के र्सल
ू सल्लल्लाहु अलैहह व
सल्लम ने फर्मायाः
“दया कर्ने वालों पर् अल्लाह तआला दया
कर्ता है । धर्ती पर् बसने वालों पर् दया
कर्ो, आकाश वाला तम
ु पर् दया कर्े गा।”8

7 इसे तबर्ानी ने बयान ककया है और् अलबानी ने ह़सन


कहा है ।
8 अबू दाऊद और् ततलमम़िी ने इसे बयान ककया है और्
ततलमम़िी ने कहा है कक यह ह़दीस ह़सन-सह़ीह़ है ।

8
आप नबी सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम के इस
फर्मान “धर्ती पर् बसने वालों पर् दया कर्ो।” के
अथम पर् थचन्तन कर्ें , तो इस धमम क़ी महानता
समझ जायेंगे, जो दर्असल पर्ू ी मानव जातत के
ललए कृपा बनकर् उतर्ा है । चन
ु ांचे इस धर्ती पर्
बसने वाला हर् व्यजतत इस्लाम धमम में दया का
पाि है !

चाहे वह अनीश्वर्वादी ही तयों न हो...!

जी हाूँ! चाहे वह गैर्-मजु स्लम ही तयों न हो!

अब यह प्रश्न उठता है कक इस्लाम ने जजहाद का


आदे श तयों हदया?

तो दर् असल, इस्लाम ने जजहाद का आदे श अल्लाह


क़ी कृपा तथा लोगों के बीच र्ोडा बनने वाले व्यजतत
(अथवा तथ्यों) को र्ास्ते से हटाने के ललए हदया है ।
अल्लाह तआला का फमामन है ः

9
َ‫اس‬ ۡ ‫ۡيَأُ امةَأ ُ ۡخر َج‬
ِّ ‫تَل اِّلن‬
َ ُۡ ُ
َ ۡ ‫َخ‬ ‫كنتم‬
ٍ
9
ِّ

“तुम बेहतर्ीन उम्मत हो, जो लोगों के ललए पैदा


क़ी गई है।”

अबू हुर्ैर्ा र्ज़ियल्लाहु अन्हु फर्माते हैं कक तम



लोगों में , लोगों के ललए सबसे उत्तम हो। तुम
उनको बेडडयों में इसललए जकडकर् लाते हो, ताकक
तम
ु उनको स्वगम में ले जा सको।

इस्लाम का द्वेष तथा क़ीना-कपट से कोई सम्बन्ध


नहीं, जजसने जीवन के अनेक भागों में मानवता को
ववनाश के घाट उतार्ा।

तनःसंदेह कठोर् हृदय जजसमें कृपा व दया न हो, वह


सच्चे ववश्वालसयों (मोलमनों) के हृदय नहीं। इसीललए
नबी सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम ने फर्मायाः

“कृपा, केवल दःु शील से उठा ली जाती है ।”10

9 सूर्ह आले-इम्रानः 1 1 0

10
मालम
ू र्हे कक दस
ू र्े ववश्व यध्
ु द में 60 लमललयन
जनता मार्ी गई। कबर्ें अपने मदफूनों पर् तंग हो
गयीं, शव क़ी बदबू संसार् के कोने-कोने में फैल
गयी और् मानवता खन
ू तथा खोपडडयों और् शवों के
टुकडों के समद्र
ू में डूब गयी। यध्
ु द नेताओं क़ी
इच्छा थी कक अपने शिु र्ाष्रों के नागरर्कों क़ी
अथधक से अथधक संख्या को मौत के घाट उतार् दें ।
उन्होंने बजस्तयों को नष्ट कर्ने, तनशाने र्ाह को
लमटाने और् जीवन के हर् दस्तर्ू का सफाया कर्ने
के ललए सबसे बडी सम्भाववक ताकत का प्रयोग
ककया।

ऐसे में , भला यह लोग ववश्व को ककस प्रकार् क़ी


स्वतंिता दे सकते हैं?

तथा मानव जातत को कौन सी आ़िादी हदला सकते


हैं?

10 इसे अबू दाऊद ने बयान ककया है और् अलबानी ने


ह़सन कहा है ।

11
यह यध्
ु द तयों हुआ? इसके तया कार्ण थे? इसके
नैततक कार्ण तया थे? इसके परर्णाम तया तनकले?
इसमें होने वाली तबाही का ज़िम्मेदार् कौन है ?
इनसब पर् ककसी ने नहीं सोचा। इच्छाओं, कठोर्ता
और् क़ीना-कपट का हदलो हदमाग़ पर् कब़्िा र्हा।
यध्
ु द नेताओं पर् बल-शजतत का घमंड चढ़ा र्हा।
अन्ततः इस भयानक ववश्व-संघषम का यह ददम नाक
परर्णाम सामने आया!

आश्चयम क़ी बात यह है कक जो लोग इस तघनावने


नर्-हत्या के मजु िम थे, वही आज इस्लाम तथा
मस
ु लमानों पर् कठोर्ता और् सख़्ती का आर्ोप
लगाते हैं। समझते हैं कक इस्लाम कठोर्ता पर्
उभार्ने वाला धमम है तथा नष्ट, ववनाश और्
सावमजतनक हत्या क़ी ओर् बल
ु ाता है !!!

पर्न्तु, यह सफेद झठ
ू है ! इसका प्रमाण न इततहास
से लमलता है और् न मौजद
ू ा सर्ू ते-हाल से।

नबी सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम ने जब ह़़िर्त


अली र्ज़ियल्लाहु अन्हु को खैबर् के यहूहदयों क़ी
12
ओर् भेजा तो ह़़िर्त अली र्ज़ियल्लाहु अन्हु ने
आपसे प्रश्न ककया कक ऐ अल्लाह के र्सल
ू ! तया मैं
उनसे यध्
ु द कर्ता र्हूूँगा, यहाूँ तक कक वह हमार्ी
तर्ह हो जायें (मस
ु लमान हो जायें)? तो आपने
फर्मायाः

“इत्मीनान से र्वाना हो जाओ। खैबर् के मैदान में


पहुूँच जाओ तो सबसे पहले उन्हें इस्लाम क़ी ओर्
बल
ु ाओ और् अल्लाह के अथधकार्ों से अवगत
कर्ाओ। अल्लाह क़ी सौगन्ध! यहद अल्लाह तुम्हार्े
द्वार्ा एक व्यजतत को भी हहदायत दे दे , तो यह
तम्
ु हार्े ललए लाल र्ं ग के ऊूँटों से बेहतर् है।”11

अल्लाह के र्सल
ू सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम
द्वार्ा अपने एक कमांडर् को हदये गये इस आदे श
में हत्या और् खून बहाने जैसी कोई बात नहीं है ।
अवपतु आपके आदे श में यह संकेत है कक उन लोगों
का हहदायत पा जाना तथा सत्य (इस्लाम) को

11 बुखार्ी एवं मुजस्लम

13
स्वीकार् कर् लेना, उन्हें कुफ़्र क़ी जस्थतत में मार्ने
से बेहतर् है ।

और् यध्
ु द में इस्लाम क़ी कृपा के ववषय में ह़़िर्त
अनस बबन माललक र्ज़ियल्लाहु अन्हु वणमन कर्ते हैं
कक अल्लाह के र्सल
ू सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम
ने फर्मायाः

“र्सल
ू ल्
ु लाह के धमम पर् र्हते हुए, अल्लाह के वास्ते,
अल्लाह का नाम लेकर् तनकल जाओ। न ककसी
कम़िोर् बढ़
ू े को मार्ो, न ककसी छोटे बच्चे और् न
ककसी नार्ी ककसी नार्ी पर् हाथ उठाओ। माले
ग़नीमत में ख़्यानत न कर्ो और् माले ग़नीमत
समेट लो तथा संथध से काम लो एवं भलाई कर्ो।
तनःसंदेह अल्लाह भलाई कर्ने वाले को पसन्द कर्ता
है ।”12

आपके इस आदे श से उन लोगों का तया सम्बन्ध


है , जजन्होंने बजस्तयों को नष्ट ककया, बजस्तयों में

12 अबू दाऊद

14
बसने वालों को तबाह ककया, ववश्व स्तर् पर् वजजमत
हर् प्रकार् के हथथयार्ों का प्रयोग कर्के और्तों,
बच्चों, बढ़
ू ों, खेत में काम कर् र्हे ककसानों और्
थगर्जाघर्ों के पादरर्यों को कत्ल ककया?

जजन यध्
ु दों में नबी सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम ने
नेतत्ृ व ककया या जो यध्
ु द आपके यग
ु में ल़डे गये,
उनमें नाजस्तकता के सैकडों नेता मार्े गये, जजन्होंने
नबी सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम को कष्ट हदया
था, आपके साथथयों को शहीद ककया था तथा
इस्लाम और् मस
ु लमानों पर् हर् जगह तंथगयाूँ क़ी
थीं, लेककन नबी सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम के
साथथयों ने उन्हें कष्ट तथा दण्ड दे ते हुए अन्य दे शों
क़ी ओर् चले जाने और् अपने मालों और् घर्ों को
छोड दे ने पर् मजबर्ू नहीं ककया। जबकक केवल
सलीबी यध्
ु द के अन्दर् लोखों मस
ु लमान खत्म कर्
हदए गये तथा लाखों लोग अनेक प्रकार् क़ी
तघनावनी यातनाओं से पीडडत हुए।

15
तो तुम्हार्ी वह दया कहाूँ है, जजसके तुम दावे कर्ते
थे?

तथा आज तक इन लोगों ने इन तघनावने कतत


ूम ों से
िमा तयों नहीं मांगी?

जोसेफ लोफन –जो एक बडा मस्


ु तथिक (पव
ू म दे शीय
भाषाओं और् उलम
ू का ज्ञान र्खने वाला पजश्चमी
ववचार्क) है - कहता हैः “सत्य तो यह है कक लोगों
ने अर्बों जैसी दया व र्हम कर्ने वाले ववजेता नहीं
दे खे। दर्असल इस्लाम धमम ने ही मस
ु लमानों को
यह कृपा तथा दया प्रदान क़ी थी। हमने अनेक
यध्
ु द दे खे हैं, जैसे अफ़्यन
ू यध्
ु द तथा उससे कठोर्
आज के उपतनवेलशक यध्
ु द और् उनसे भी कठोर्
सहयतू नयों क़ी कठोर्ता तथा अत्याचार् है।
ववनाशकार्ी तथा खून बहाने से इन सहयतू नयों को
लगाव है ।”13

13 र्ह़मतुल इस्लामः 1 67-1 68

16
यह मस
ु लमानों क़ी दया और् यह इन शिओ
ु ं क़ी
कठोर्ता है । ऐसे में कौन से गर्ोह पर् कठोर्ता,
हत्या तथा आतंक का आर्ोप लगाया जा सकता
है ?”

शैख अब्दर्ु र्ह़मान सअदी कहते हैं: “इस धमम क़ी


कृपा, बेहतर् मामलात, भलाई क़ी दावत तथा इसके
ववपर्ीत वस्तुओं से मनाही ने ही इस धमम को
अत्याचार्, दव्ु यमवहार् तथा ततर्स्कार् के अऩ्धकार् में
ज्योतत तथा प्रकाश बना हदया। इसी ववशेषता ने
कठोर् शिओ
ु ं के हृदय को खींच ललया, यहाूँ तक कक
उन्होंने इस्लाम धमम के साये में पनाह ले ली। इस
धमम ने अपने मानने वालों के ऊपर् दया क़ी, यहाूँ
तक कक िमा और् दया उनके हदलों से छलककर्
उनके कथन और् कायों पर् प्रकट होने लगी और्
यह एहसान उनके शिओ
ु ं तक जा पहुूँचा, यहाूँ तक
कक वह इस धमम के महान लमि बन गये। कुछ तो
शौक और् बेहतर् सझ
ू -बझ
ु से इसके अन्दर् दार्खल
हो गये और् कुछ इस धमम के आगे झक
ु गये तथा

17
(उनके हदलों में ) इस के आदे शों के प्रतत उल्लास
पैदा हो गया और् उन्होंने न्याय और् कृपा के
आधार् पर् इस्लाम धमम को अपने धमम के आदे शों
पर् प्राथलमकता दी।”14

बच्चों पर् दया


इस्लाम के अन्दर् कृपा क़ी एक शतल छोटे बच्चों
पर् दया कर्ना, उनसे लाड और् प्यार् कर्ना और्
उनको दःु ख न पहुूँचाना है।

अबू हुर्ैर्ा र्ज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णत


म है , वह कहते
हैं कक (एक हदन) नबी सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम
ने हसन बबन अली र्ज़ियल्लाहु अन्हुमा को बोसा
हदया। आपके पास अकर्ा बबन ह़ाबबस बैठे हुए थे।
अकर्ा ने कहा कक मेर्े दस बच्चे हैं, पर्न्तु मैंने
उनमें से ककसी को बोसा नहीं हदया, तो आप

14 अद्दुर्मतुल-मुख्तसर्ह पष्ृ ठः 1 0-1 1

18
सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम ने उनक़ी ओर् दे खा
और् फर्मायाः

“जो दया नहीं कर्ता, उसपर् दया नहीं क़ी जाती।”15

तथा ह़़िर्त आइशा र्ज़ियल्लाहु अन्हा से वर्णत


म है ,
वह फर्माती हैं कक कुछ दे हाती अल्लाह के र्सल

सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम के पास आये और् यह
प्रश्न ककया कक तया आप लोग अपने बच्चों को
बोसा दे ते हैं? आपने उत्तर् हदया कक हाूँ। उन्होंने
कहा कक अल्लाह क़ी कसम! हम उनको बोसा नहीं
दे ते हैं! तो आप सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम ने
फर्मायाः

“अगर् अल्लाह ने तम्


ु हार्े हदलों से दया को उठा
ललया, तो मैं इसका माललक नहीं।”16

यह मह़
ु म्मद सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम हैं। यही
वह व्यजतत है , जजसके ववषय में लोग लमथ्या से

15 बख
ु ार्ी एवं मजु स्लम
16 बुखार्ी एवं मुजस्लम

19
काम लेते हैं। कहते हैं कक वह एक यध्
ु द प्रेमी और्
गूँवार् व्यजतत था। खन
ू बहाने का अलभलाषी था।
दया कर्ना नहीं जानता था!!

यहद वह अल्लाह के र्सल


ू सल्लल्लाहु अलैहह व
सल्लम पर् इस प्रकार् के असत्य तथा मनगढ़ं त
आर्ोप लगाते हैं, तो वह असफल तथा नाकाम र्हें !!

ह़़िर्त अबू मस ्ऊद बदर्ी र्ज़ियल्लाहु अन्हु से


वर्णत
म है , वह कहते हैं कक मैं अपने नौकर् को कोडे
लगा र्हा था कक मझ
ु े मेर्े पीछे से एक आवा़ि
सन
ु ाई दी “ऐ अबू मस ्ऊद! याद र्खो!”, वह कहते हैं
कक मैं क्रोध के कार्ण आवा़ि को पहचान न सका।
पर्न्तु जब वह मेर्े तनकट आये तो वह अल्लाह के
र्सल
ू सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम थे। आप फर्मा
र्हे थेः

“अबू मस ्ऊद याद र्खो कक तुम जजतनी शजतत इस


नौकर् के ऊपर् र्खते हो, उससे अथधक शजतत
अल्लाह तुम्हार्े ऊपर् र्खता है ।”

20
तो मैंने कहा कक इसके बाद मैं कभी ककसी नौकर्
को नहीं मारूूँगा!

एक रर्वायत में हैः मैंने कहा कक ऐ अल्लाह के


र्सल
ू ! यह अल्लाह क़ी प्रसन्नता क़ी प्राजप्त के ललए
आ़िाद है ।!! तो आप सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम
ने फर्मायाः

“यहद तुम ऐसा न कर्ते, तो नर्क क़ी आग तुमको


धर् लेती।”17

जजन संगठनों क़ी स्थापना बच्चों के ऊपर् होने वाले


अत्याचार् को र्ोकने के ललए क़ी गयी है , उनका
उत्तर्दातयत्व बनता है कक वह बच्चों के अथधकार्
को लसध्द कर्ने तथा उनको कष्ट से बचाने के
सम्बन्ध में नबी सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम क़ी
प्रधानता को स्वीकार् कर्ें तथा बच्चों पर् दया, उनसे
प्यार् और् भलाई क़ी प्रेर्णा दे ने वाली इन महत्वपण
ू म
अहादीस नबवी को अपने दर्वा़िों पर् लटका दें ।

17 मुजस्लम

21
बच्चों पर् नबी सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम क़ी
दया का एक प्रमाण यह भी है उनके दे हान्त पर्
आपक़ी आूँखों से आूँसू जार्ी हो जाते। उसामा बबन
़िैद र्ज़ियल्लाहु अन्हुमा से वर्णत
म है कक अल्लाह के
र्सल
ू सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम ने अपने नवासे
को अपने हाथों में ललया। उस समय वह मर्ने के
तनकट थे। चन
ु ांचे आप सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम
क़ी आूँखों से आूँसू तनकल पडे। यह दे खकर् सअद
र्ज़ियल्लाहु अन्हु ने आपसे प्रश्न ककया कक ऐ
अल्लाह के र्सल
ू ! यह तया है ? तो आपने उत्तर्
हदयाः

“यह दया का आूँसू है , जजसे अल्लाह ने अपने बन्दों


के हदलों में डाल र्खा है तथा अल्लाह तआला अपने
दया कर्ने वाले बन्दों पर् ही दया कर्ता है।”18

नबी सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम अपने पि


ु इब्रीम
के पास उनक़ी मत्ृ यु के समय गये, तो आपक़ी

18 बुखार्ी तथा मुजस्लम

22
आूँखों से आूँसू बहने लगे। यह दे खकर् अब्दर्ु र्ह़मान
बबन औफ र्ज़ियल्लाहु अन्हु ने आपसे प्रश्न ककया
कक ऐ अल्लाह के र्सल
ू ! आपक़ी आूँखों से आूँसू
तनकल र्हे हैं? तो आपने उत्तर् हदयाः “ऐ औफ के
पि
ु ! यह दया के आूँसू हैं।” कफर् आपने फर्मायाः

“तनःसंदेह आूँखों से आूँसू तनकल र्हे हैं, हृदय दर्ु खत


है , पर्न्तु हम वही बात कहते हैं, जजससे हमार्ा प्रभु
प्रसन्न हो। ऐ इब्राहीम! हम तेर्ी जद
ु ाई (दे हान्त) से
दर्ु खत हैं।”1 9

जस्ियों पर् दया


जहाूँ तक इस्लाम में जस्ियों के साथ दया कर्ने क़ी
बात है , तो यह ऐसी ची़ि है , जजसपर् मस
ु लमान हर्
दौर् में गवम कर्ते र्हे हैं। इसीसे सम्बजन्धत यह
वणमन है कक नबी सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम ने
एक जंग में एक और्त को वथधत पाया, तो इसे

19 बुखार्ी एवं मुजस्लम

23
नापसंद ककया तथा बच्चों और् और्तों को कत्ल
कर्ने से मना कर् हदया।20

एक दस
ू र्े वणमन के अन्दर् है कक आपने फर्मायाः

“इसको कत्ल नहीं कर्ना चाहहए था।” कफर् आपने


अपने सह़ाबा क़ी ओर् दे खा और् उनमें से एक को
आदे श हदयाः “खाललद बबन वलीद से जा लमलो तथा
उनसे कहो कक छोटे बच्चों, कममकार्ों एवं जस्ियों को
कत्ल न कर्ें ।”21

और् आप सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम ने फर्मायाः

“ऐ अल्लाह! मैं दो प्रकार् के कम़िोर्ों अथामत अनाथ


तथा स्िी के अथधकार्ों के बार्े में लोगों पर् तंगी
कर्ता हूूँ।”22

20 मजु स्लम
21 अह़मद तथा अबू दाऊद
22 इसे इमाम नसाई ने रर्वायत ककया है और् अलबानी ने
ह़सन कहा है ।

24
इस जगह स्िी को कम़िोर्ी से ववलशष्ट कर्ने का
अथम है कक उसपर् दया क़ी जाय, उसके साथ
सद्व्यवहार् ककया जाय तथा उसे दःु ख न पहुूँचाया
जाय।

कहाूँ हैं वह लोग, जो इस्लाम पर् हहंसा तथा जस्ियों


के साथ भेद-भाव का आर्ोप लगाते हैं?

जानवर्ों पर् दया


इस्लाम धमम के अन्दर् दया इन्सानों से आगे
जानवर्ों को भी सजम्मललत है। इस्लाम ने मेहर्बानी
तथा दया के अन्दर् जानवर् का भाग सतु नजश्चत कर्
हदया है । ह़़िर्त अब्दल्
ु लाह बबन उमर् र्ज़ियल्लाहु
अन्हुमा से वर्णत
म है कक अल्लाह के र्सल

सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम ने फर्मायाः

“एक और्त एक बबल्ली के कार्ण नर्क में दार्खल


हूई। उसने उसे बाूँध हदया। न तो उसे र्खलाया और्
न छोडा कक ़िमीन के क़ीडे-मकूडे खा सके।”

तथा एक अन्य वणमन में हैः


25
“उसने उसे कैद कर् हदया, यहाूँ तक कक वह मर्
गई। जब उसे कैद ककया, तो न उसे र्खलाया-
वपलाया और् न ़िमीन के क़ीडे मकूडे खाने के ललए
छोडा।”23

ह़़िर्त अबू हुर्ैर्ा र्ज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णत


म है, वह
अल्लाह के र्सल
ू सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम से
वणमन कर्ते हैं कक आपने फर्मयाः

“एक व्यजतत एक कुएूँ के तनकट आया और् उतर्


कर् पानी वपया। कुएूँ के पास एक कुत्ता प्यास के
कार्ण हाूँप र्हा था। उसे दया आ गयी। उसने
अपना एक मो़िा तनकालकर् उसे पानी वपलाया।
चन
ु ांचे अल्लाह अल्लाह ने उसके बदले उसे स्वगम में
दार्खल कर् हदया।”24

नबी सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम ने फर्मायाः

23 बख
ु ार्ी एवं मजु स्लम
24 बुखार्ी तथा मुजस्लम

26
“जो व्यजतत बबना ककसी अथधकार् के गोर्ै ये या
उससे बडे जानवर् को मार्ता है, अल्लाह तआला
महाप्रलय के हदन उससे इसके बार्े में प्रश्न कर्े गा।”

प्रश्न ककया गया कक ऐ अल्लाह के र्सल


ू ! उसका
अथधकार् तया है ? तो आपने उत्तर् हदयाः

“उसका अथधकार् यह है कक जब उसे ़िबह़ कर्े , तो


उसे खाये तथा उसके सर् को काटकर् फेंक न दे ।”25

यह उस व्यजतत क़ी बात है , जो बबना ककसी


अथधकार् के एक गोर्ै ये को मार्े । ऐसे में उस
व्यजतत का हाल, बदला और् यातना तया होगी, जो
नाह़क ककसी व्यजतत का कत्ल कर् डाले?

जानवर्ों के ववषय में इस्लाम क़ी दया का एक पि


यह भी है कक उसने उनके साथ एहसान कर्ने तथा
़िबह कर्ते समय उनको घबर्ाहट में न डालने का

25 इमाम नसाई ने इस ह़दीस को वणमन ककया है तथा


अलबानी ने ह़सन कहा है।

27
आदे श हदया है । आप सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम
ने फर्मायाः

“अल्लाह ने हर् वस्तु पर् एहसान को अतनवायम कर्


हदया है । अतः जब तम
ु कत्ल कर्ो, तो ठीक तर्ीके
से कत्ल कर्ो, जब ़िबह कर्ो तो ठीक तर्ीके से
़िबह कर्ो तथा तुममें से एक व्यजतत को चाहहए
कक अपनी छुर्ी ते़ि कर् ले और् अपने जानवर् को
आर्ाम पहुूँचाये।”26

ह़़िर्त अब्दल्
ु लाह बबन अब्बास र्ज़ियल्लाहु अन्हुमा
से वर्णत
म है कक एक व्यजतत ने एक बकर्ी को
ललटाया तथा उसके सामने अपनी छुर्ी ते़ि कर्ने
लगा, तो नबी सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम ने
फर्मायाः

26 मुजस्लम

28
“तया तुम इसे दो बार् ़िबह कर्ना चाहते हो? इसे
ललटाने से पहले अपनी छुर्ी तयों ते़ि नहीं कर्
ली?”27

तो जानवर्ों के साथ दया क़ी याचना कर्ने वाले


संगठन इन उत्तम नबवी आदशों को तयों नहीं
अपनाते? कैसे यह लोग इस्लाम क़ी िेष्ठता को
नकार्ते हैं, जबकक यह धमम इनके सामने चौदह सौ
सालों से मौजद
ू है ? लगातार् यह लोग सत्य तथा
असत्य के बीच अन्तर् कर्ने से भागते र्हे हैं।
तयोंकक इस्लामी तर्ीके से ़िबह कर्ने को यह एक
प्रकार् का अत्याचार् समझते हैं। यह लोग इस्लामी
तर्ीके से ़िबह कर्ने के ढे र् सार्े लाभ से अवगत
नहीं हैं। जबकक यह या तो जानवर्ों को बबजली का
झटका दे ते हैं या उनके सर्ों पर् मार्ते हैं और् मर्ने
के पश्चात उन्हें ़िबह कर्ते हैं और् इस तर्ीके को
जानवर् के साथ दया समझते हैं। सच यह है कक

27 तबर्ानी और् ह़ाककम ने इसका वणमन ककया तथा


अलबानी ने इसे सह़ीह़ कहा है ।

29
यहद आदमी के पास कोई ईश्वर्ीय संदेश न हो, तो
वह बबना ज्ञान के ज़िन्दगी क़ी र्ाह में आदे बढ़ता है
और् अपने मन से तनणमय लेता है । वह हर् सफेद
वस्तु को चर्बी का एक टुकडा तथा हर् काली वस्तु
को खजर्ू समझता है । वह अन्य लोगों पर् गवम
कर्ने लगता है। हालाूँकक उसका यह कृत्य स्वंय एक
प्रकार् क़ी कुत्सा तथा तनंदा है । पर्न्तु इच्छा क़ी
आूँख अन्धी होती है !

जजसको कडवेपन का र्ोग होता है , उसे साफ तथा


मीठा पानी भी कडवा लगता है ।

जानवर् पर् दया कर्ने के सम्बन्ध में यह अनठ


ू ा
वणमन भी बयान ककया जाता है कक नबी सल्लल्लाहु
अलैहह व सल्लम एक अंसार्ी के बाग़ में दार्खल
हुए, तो दे खा कक उसके अन्दर् एक ऊूँट बंधा हुआ
है , जो आपको दे खकर् आवा़ि कर्ने लगा तथा
उसक़ी आूँखों से आूँसू बहने लगे। आप सल्लल्लाहु
अलैहह व सल्लम उसके पास आये और् उसक़ी गदम न

30
पर् अपना हाथ फेर्ा, तो वह चप
ु हो गया। आप
सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम ने प्रश्न ककयाः

“इस ऊूँट का माललक कौन है ? यह ऊूँट ककसका


है ?”

तो एक अंसार्ी लडके ने उत्तर् हदया कक ऐ अल्लाह


के र्सल
ू ! यह ऊूँट मेर्ा है।

तो आपने फर्मायाः

“तया इस जानवर् के बार्े में तम्


ु हें अल्लाह का डर्
नहीं है , जजसने तुम्हें इसका माललक बनाया है ?
तयोंकक इसने मझ
ु से लशकायत क़ी है कक तुम इसे
भख
ू ा र्खते हो और् तनर्न्तर् भार्ी-भर्कम बोझ
लादते हो।”28

नबी सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम क़ी यह दया


खतनज पदाथों के साथ भी थी। आप सल्लल्लाहु

28 अह़मद तथा अबद


ू ाऊद ने इसका वणमन ककया है और्
अलबानी ने सह़ीह़ कहा है ।

31
अलैहह व सल्लम खजूर् के एक तने पर् खडे होकर्
खत
ु बा (भाषण) दे ते थे। जब आपके ललए लमंबर्
बनाया गया और् उस पर् खडे होकर् भाषण दे ने
लगे, तो वह तना र्ो पडा। यहाूँ तक कक सह़ाबा ने
उसके र्ोने क़ी आवा़ि सन
ु ी। चन
ु ांचे आप सल्लल्लाहु
अलैहह व सल्लम ने उसपर् अपना हाथ र्खा और्
वह चप
ु हो गया।
29

यह नबी सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम क़ी दया और्


मेहर्बानी है , यह आपक़ी भावनाएं हैं, यह आपका
आभार् और् आपके मल
ू लसध्दांत हैं, जजनक़ी ओर्
आपने लोगों को बल
ु ाया। तो इन उत्तम आदशों को
तयों नकार्ते हो तथा इस अनप
ु म ब़ि
ु गु म हस्ती के
अन्दर् मानवीय उच्च मल्
ू यों को तयों नहीं दे खते?

कभी-कभी आूँख आने के कार्ण आूँख सय


ू म के
प्रकाश का इन्कार् कर् दे ती है तथा कभी-कभी
बीमार्ी के कार्ण पानी का म़िा अच्छा नहीं लगता।

29 बुखार्ी

32

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