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जावेद अह़मद
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1
संक्षिप्त परर्चय
“इस्लाम कृपा एवं दया का धमम”, यह पस्
ु तक इस
बात पर् प्रकाश डालती है कक इस्लाम कृपा एवं दया
का धमम है और् इस्लाम के पैग़म्बर् मह़
ु म्मद
सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम अल्लाह क़ी ओर् से
इस भटकती हुई मानवता के ललए करुणा के भण्डार्
हैं। अतः इस धर्ती पर् बसने वाला हर् व्यजतत दया
का पाि है, चाहे वह आजस्तक हो या नाजस्तक।
2
بسم اهلل الرمحن الرحيم
3
तया लोगों से उनके अववश्वास तथा शित
ु ा का
बदला लेने के ललए भेजा गया?
यही दत
ू त्व का उद्देश्य, अवतर्ण का आशय तथा
नबअ
ू त का मकसद है।
तनःसंदेह मह़
ु म्मद सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम
अल्लाह क़ी ओर् से पथ-भ्रष्ट तथा पर्े शान-हाल
मानवता के ललए अनक
ु म्पा हैं।
1 सूर्ह अल ्-अजम्बयाः 1 07
4
ْ ُّ َ َ ۡ َ ۡ َ َ ًّ َ َ ُ ۡ َ َ ۡ ُ َ َ َ َ ََۡ َ ا
َبََلنفضواِّ ﴿فبِّماَرۡحةََمِّنَٱَّللَِِّلِّ تَلهمَۖۡولوَكنتَفظاَغل ِّيظَٱلقل
2 َ ۡ َ ۡ
﴾َۡۖمِّنَحول ِّك
2 सूर्ह आले-इम्रानः 1 59
5
इततहासकार्ों ने आप सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम
क़ी ववशेषताओं के ववषय में ललखा हैः
6
मस
ु लमान हों या नाजस्तक। इस सम्बन्ध में बहुत
सार्े तकम वर्णत
म हैं:
7
“दया यह नहीं है कक तुममें से कोई अपने
साथी पर् कर्े । पर्न्तु दया यह है कक तम
ु
अपने साथी के साथ कर्ो।”7
तथा अब्दल्
ु लाह बबन अम्र बबन आस
र्ज़ियल्लाहु अन्हुमा द्वार्ा वर्णत
म है कक
अल्लाह के र्सल
ू सल्लल्लाहु अलैहह व
सल्लम ने फर्मायाः
“दया कर्ने वालों पर् अल्लाह तआला दया
कर्ता है । धर्ती पर् बसने वालों पर् दया
कर्ो, आकाश वाला तम
ु पर् दया कर्े गा।”8
8
आप नबी सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम के इस
फर्मान “धर्ती पर् बसने वालों पर् दया कर्ो।” के
अथम पर् थचन्तन कर्ें , तो इस धमम क़ी महानता
समझ जायेंगे, जो दर्असल पर्ू ी मानव जातत के
ललए कृपा बनकर् उतर्ा है । चन
ु ांचे इस धर्ती पर्
बसने वाला हर् व्यजतत इस्लाम धमम में दया का
पाि है !
9
َاس ۡ ۡيَأُ امةَأ ُ ۡخر َج
ِّ تَل اِّلن
َ ُۡ ُ
َ ۡ َخ كنتم
ٍ
9
ِّ
9 सूर्ह आले-इम्रानः 1 1 0
10
मालम
ू र्हे कक दस
ू र्े ववश्व यध्
ु द में 60 लमललयन
जनता मार्ी गई। कबर्ें अपने मदफूनों पर् तंग हो
गयीं, शव क़ी बदबू संसार् के कोने-कोने में फैल
गयी और् मानवता खन
ू तथा खोपडडयों और् शवों के
टुकडों के समद्र
ू में डूब गयी। यध्
ु द नेताओं क़ी
इच्छा थी कक अपने शिु र्ाष्रों के नागरर्कों क़ी
अथधक से अथधक संख्या को मौत के घाट उतार् दें ।
उन्होंने बजस्तयों को नष्ट कर्ने, तनशाने र्ाह को
लमटाने और् जीवन के हर् दस्तर्ू का सफाया कर्ने
के ललए सबसे बडी सम्भाववक ताकत का प्रयोग
ककया।
11
यह यध्
ु द तयों हुआ? इसके तया कार्ण थे? इसके
नैततक कार्ण तया थे? इसके परर्णाम तया तनकले?
इसमें होने वाली तबाही का ज़िम्मेदार् कौन है ?
इनसब पर् ककसी ने नहीं सोचा। इच्छाओं, कठोर्ता
और् क़ीना-कपट का हदलो हदमाग़ पर् कब़्िा र्हा।
यध्
ु द नेताओं पर् बल-शजतत का घमंड चढ़ा र्हा।
अन्ततः इस भयानक ववश्व-संघषम का यह ददम नाक
परर्णाम सामने आया!
पर्न्तु, यह सफेद झठ
ू है ! इसका प्रमाण न इततहास
से लमलता है और् न मौजद
ू ा सर्ू ते-हाल से।
अल्लाह के र्सल
ू सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम
द्वार्ा अपने एक कमांडर् को हदये गये इस आदे श
में हत्या और् खून बहाने जैसी कोई बात नहीं है ।
अवपतु आपके आदे श में यह संकेत है कक उन लोगों
का हहदायत पा जाना तथा सत्य (इस्लाम) को
13
स्वीकार् कर् लेना, उन्हें कुफ़्र क़ी जस्थतत में मार्ने
से बेहतर् है ।
और् यध्
ु द में इस्लाम क़ी कृपा के ववषय में ह़़िर्त
अनस बबन माललक र्ज़ियल्लाहु अन्हु वणमन कर्ते हैं
कक अल्लाह के र्सल
ू सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम
ने फर्मायाः
“र्सल
ू ल्
ु लाह के धमम पर् र्हते हुए, अल्लाह के वास्ते,
अल्लाह का नाम लेकर् तनकल जाओ। न ककसी
कम़िोर् बढ़
ू े को मार्ो, न ककसी छोटे बच्चे और् न
ककसी नार्ी ककसी नार्ी पर् हाथ उठाओ। माले
ग़नीमत में ख़्यानत न कर्ो और् माले ग़नीमत
समेट लो तथा संथध से काम लो एवं भलाई कर्ो।
तनःसंदेह अल्लाह भलाई कर्ने वाले को पसन्द कर्ता
है ।”12
12 अबू दाऊद
14
बसने वालों को तबाह ककया, ववश्व स्तर् पर् वजजमत
हर् प्रकार् के हथथयार्ों का प्रयोग कर्के और्तों,
बच्चों, बढ़
ू ों, खेत में काम कर् र्हे ककसानों और्
थगर्जाघर्ों के पादरर्यों को कत्ल ककया?
जजन यध्
ु दों में नबी सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम ने
नेतत्ृ व ककया या जो यध्
ु द आपके यग
ु में ल़डे गये,
उनमें नाजस्तकता के सैकडों नेता मार्े गये, जजन्होंने
नबी सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम को कष्ट हदया
था, आपके साथथयों को शहीद ककया था तथा
इस्लाम और् मस
ु लमानों पर् हर् जगह तंथगयाूँ क़ी
थीं, लेककन नबी सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम के
साथथयों ने उन्हें कष्ट तथा दण्ड दे ते हुए अन्य दे शों
क़ी ओर् चले जाने और् अपने मालों और् घर्ों को
छोड दे ने पर् मजबर्ू नहीं ककया। जबकक केवल
सलीबी यध्
ु द के अन्दर् लोखों मस
ु लमान खत्म कर्
हदए गये तथा लाखों लोग अनेक प्रकार् क़ी
तघनावनी यातनाओं से पीडडत हुए।
15
तो तुम्हार्ी वह दया कहाूँ है, जजसके तुम दावे कर्ते
थे?
16
यह मस
ु लमानों क़ी दया और् यह इन शिओ
ु ं क़ी
कठोर्ता है । ऐसे में कौन से गर्ोह पर् कठोर्ता,
हत्या तथा आतंक का आर्ोप लगाया जा सकता
है ?”
17
(उनके हदलों में ) इस के आदे शों के प्रतत उल्लास
पैदा हो गया और् उन्होंने न्याय और् कृपा के
आधार् पर् इस्लाम धमम को अपने धमम के आदे शों
पर् प्राथलमकता दी।”14
18
सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम ने उनक़ी ओर् दे खा
और् फर्मायाः
यह मह़
ु म्मद सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम हैं। यही
वह व्यजतत है , जजसके ववषय में लोग लमथ्या से
15 बख
ु ार्ी एवं मजु स्लम
16 बुखार्ी एवं मुजस्लम
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काम लेते हैं। कहते हैं कक वह एक यध्
ु द प्रेमी और्
गूँवार् व्यजतत था। खन
ू बहाने का अलभलाषी था।
दया कर्ना नहीं जानता था!!
20
तो मैंने कहा कक इसके बाद मैं कभी ककसी नौकर्
को नहीं मारूूँगा!
17 मुजस्लम
21
बच्चों पर् नबी सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम क़ी
दया का एक प्रमाण यह भी है उनके दे हान्त पर्
आपक़ी आूँखों से आूँसू जार्ी हो जाते। उसामा बबन
़िैद र्ज़ियल्लाहु अन्हुमा से वर्णत
म है कक अल्लाह के
र्सल
ू सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम ने अपने नवासे
को अपने हाथों में ललया। उस समय वह मर्ने के
तनकट थे। चन
ु ांचे आप सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम
क़ी आूँखों से आूँसू तनकल पडे। यह दे खकर् सअद
र्ज़ियल्लाहु अन्हु ने आपसे प्रश्न ककया कक ऐ
अल्लाह के र्सल
ू ! यह तया है ? तो आपने उत्तर्
हदयाः
22
आूँखों से आूँसू बहने लगे। यह दे खकर् अब्दर्ु र्ह़मान
बबन औफ र्ज़ियल्लाहु अन्हु ने आपसे प्रश्न ककया
कक ऐ अल्लाह के र्सल
ू ! आपक़ी आूँखों से आूँसू
तनकल र्हे हैं? तो आपने उत्तर् हदयाः “ऐ औफ के
पि
ु ! यह दया के आूँसू हैं।” कफर् आपने फर्मायाः
23
नापसंद ककया तथा बच्चों और् और्तों को कत्ल
कर्ने से मना कर् हदया।20
एक दस
ू र्े वणमन के अन्दर् है कक आपने फर्मायाः
20 मजु स्लम
21 अह़मद तथा अबू दाऊद
22 इसे इमाम नसाई ने रर्वायत ककया है और् अलबानी ने
ह़सन कहा है ।
24
इस जगह स्िी को कम़िोर्ी से ववलशष्ट कर्ने का
अथम है कक उसपर् दया क़ी जाय, उसके साथ
सद्व्यवहार् ककया जाय तथा उसे दःु ख न पहुूँचाया
जाय।
23 बख
ु ार्ी एवं मजु स्लम
24 बुखार्ी तथा मुजस्लम
26
“जो व्यजतत बबना ककसी अथधकार् के गोर्ै ये या
उससे बडे जानवर् को मार्ता है, अल्लाह तआला
महाप्रलय के हदन उससे इसके बार्े में प्रश्न कर्े गा।”
27
आदे श हदया है । आप सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम
ने फर्मायाः
ह़़िर्त अब्दल्
ु लाह बबन अब्बास र्ज़ियल्लाहु अन्हुमा
से वर्णत
म है कक एक व्यजतत ने एक बकर्ी को
ललटाया तथा उसके सामने अपनी छुर्ी ते़ि कर्ने
लगा, तो नबी सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम ने
फर्मायाः
26 मुजस्लम
28
“तया तुम इसे दो बार् ़िबह कर्ना चाहते हो? इसे
ललटाने से पहले अपनी छुर्ी तयों ते़ि नहीं कर्
ली?”27
29
यहद आदमी के पास कोई ईश्वर्ीय संदेश न हो, तो
वह बबना ज्ञान के ज़िन्दगी क़ी र्ाह में आदे बढ़ता है
और् अपने मन से तनणमय लेता है । वह हर् सफेद
वस्तु को चर्बी का एक टुकडा तथा हर् काली वस्तु
को खजर्ू समझता है । वह अन्य लोगों पर् गवम
कर्ने लगता है। हालाूँकक उसका यह कृत्य स्वंय एक
प्रकार् क़ी कुत्सा तथा तनंदा है । पर्न्तु इच्छा क़ी
आूँख अन्धी होती है !
30
पर् अपना हाथ फेर्ा, तो वह चप
ु हो गया। आप
सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम ने प्रश्न ककयाः
तो आपने फर्मायाः
31
अलैहह व सल्लम खजूर् के एक तने पर् खडे होकर्
खत
ु बा (भाषण) दे ते थे। जब आपके ललए लमंबर्
बनाया गया और् उस पर् खडे होकर् भाषण दे ने
लगे, तो वह तना र्ो पडा। यहाूँ तक कक सह़ाबा ने
उसके र्ोने क़ी आवा़ि सन
ु ी। चन
ु ांचे आप सल्लल्लाहु
अलैहह व सल्लम ने उसपर् अपना हाथ र्खा और्
वह चप
ु हो गया।
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29 बुखार्ी
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