You are on page 1of 7

ये हैं वो 26 आयतें

1- Verse 9 Surah 5
‫َف ِاَذ ااْن َس َلَخ اَاۡلۡش ُهُراۡل ُحـُرُم َف اۡق ُتُلوااۡل ُم ۡش ِر ِك ۡي َن َح ۡي ُثَو َج ْد ُّت ُم ۡو ُه ۡم َو ُخ ُذ ۡو ُه ۡم َو اۡح ُصُر ۡو ُه ۡم َو اۡق ُع ُد ۡو اَلُهۡم ُك َّلَم ۡر َص ٍد‬
‫ّٰل‬
‫َۚف ِاۡن َت اُبۡو اَو َاَق اُمواالَّص ٰل وَةَو ٰا َت ُو االَّز ٰك وَةَفَخ ُّلۡو اَس ِبۡي َلُهۡم ِؕاَّن ال َه َغ ُفۡو ٌرَّر ِحۡي ٌم‬

मतलब: फिर, जब हराम (प्रतिष्ठित) महीने बीत जाएं तो मुशरिकों को जहां


कहीं पाओ क़त्ल करो, उन् हें प कड़ो औ र उन् हें घे रो औ र ह र घा त की ज ग ह उन की ता क में
बैठो. फिर यदि वे तौबा कर लें और नमाज़ क़ायम करें और ज़कात दें तो
उनका मार्ग छोड़ दो, निश्चय ही अल्लाह बड़ा क्षमाशील, दयावान है.

2- Verse 9 Surah 28 ‫ٰۤي َاُّي َه ااَّلِذ ۡي َن ٰا َم ُنۤۡو اِاَّن َم ااۡل ُم ۡش ِر ُك ۡو َنَن َج ٌس َف اَل َي ۡق َر ُبوااۡل َم ۡس ِجَد اۡل َح ـَر اَمَب ۡع َد َع اِم ِه ۡم ٰه َذ ا‬
‫ّٰل‬ ‫ّٰل‬
‫َۚو ِاۡن ِخۡف ُتۡم َع ۡي َلًة َف َس ۡو َفُيۡغ ِنۡي ُك ُمال ُهِم ۡن َفۡض ِلٖۤه ِاۡن َش ٓاَء ِؕاَّن ال َهَع ِلۡي ٌم َح ِك ۡي ٌم‬

मतलब: ऐ ईमान लानेवालो! मुशरिक तो बस अपवित्र ही हैं. अतः इस वर्ष के पश्चात वे


मस्जिदे-हराम के पास न आएँ. और यदि तुम्हें निर्धनता का भय हो तो आगे यदि अल्लाह
चाहेगा तो तुम्हें अपने अनुग्रह से समृद्ध कर देगा. निश्चय ही अल्लाह सब कु छ
जाननेवाला, अत्यन्त तत्वदर्शी है.

3- Verse 4 Surah 101 ‫ٰل وِة‬ ‫ۖ َو ِاَذ اَض َر ۡب ُتۡم ِفىاَاۡلۡر ِض َف َلۡي َسَع َلۡي ُكۡم ُج َن اٌح َاۡن َت ۡق ُصُر ۡو اِم َن الَّص‬
‫ِاۡن ِخۡف ُتۡم َاۡن َّي ۡف ِتَن ُك ُم اَّلِذ ۡي َنَكَف ُر ۡو اِؕاَّن اۡل ـٰك ِفِر ۡي َنَك اُنۡو اَلـُكۡم َع ُد ًّو اُّم ِبۡي ًن ا‬

मतलब: और जब तुम धरती में यात्रा करो, तो इसमें तुमपर कोई गुनाह नहीं कि नमाज़
को कु छ संक्षिप्त कर दो; यदि तुम्हें इस बात का भय हो कि विधर्मी लोग तुम्हें
सताएंगे और कष्ट पहुंचाएंगे. निश्चय ही विधर्मी लोग तुम्हारे खुले शत्रु हैं.

4- Verse 9 Surah 123 ؕ ‫ٰۤي ـَاُّي َه ااَّلِذ ۡي َن ٰا َم ُنۡو اَق اِتُلوااَّلِذ ۡي َن َي ُلۡو َنُكۡم ِّم َن اۡل ُكَّفاِر َو ۡل َي ِجُد ۡو اِفۡي ُكۡم ِغ ۡل َظ ًة‬
‫ّٰل‬
‫َو اۡع َلُم ۡو ۤا َاَّن ال َهَمَع اۡل ُم َّت ِقۡي َن‬

मतलब: ऐ ईमान लानेवालो! उन इनकार करनेवालों से लड़ो जो तुम्हारे निकट हैं


और चाहिए कि वे तुममें सख़्ती पाएं, और जान रखो कि अल्लाह डर रखनेवालों के साथ है.

5- Verse 4 Surah 56
‫ِاَّن اَّلِذ ۡي َنَكَف ُر ۡو اِبٰا ٰي ِتَن اَس ۡو َفُنۡص ِلۡي ِه ۡم َن اًر ؕاُك َّلَم اَن ِض َج ۡت ُج ُلۡو ُد ُه ۡم َب َّد ۡل ٰن ُهۡم ُج ُلۡو ًد اَغ ۡي َر َه اِلَي ُذ ۡو ُقوااۡل َع َذ اَب ِؕاَّن الّٰل َه َك اَن َع ِز ۡي ًز اَح ِك ۡي ًما‬

मतलब: जिन लोगों ने हमारी आयतों का इनकार किया, उन्हें हम जल्द ही आग


में झोंकेंगे. जब भी उनकी खालें पक जाएंगी, तो हम उन्हें दूसरी खालों
में बदल दिया करेंगे, ताकि वे यातना का मज़ा चखते ही रहें. निस्संदेह
है.
अल्लाह प्रभुत्वशाली, तत्वदर् र्शी

याचिका के अनुसार, ये आयतें नकारात्मक हैं और हिंसा व नफरत को बढ़ावा देती हैं.

6- Verse 9 Surah 23 ‫ٰۤي َاُّي َه ااَّلِذ ۡي َن ٰا َم ُنۡو ااَل َت َّت ِخُذ ۤۡو اٰا َب ٓاَء ُكۡم َو ِاۡخ َو اَن ـُكۡم َاۡو ِلَي ٓاَء ِاِناۡس َت َح ُّبوااۡل ـُك ۡف َر َع َلىاِاۡلۡي َم اِن‬
‫ّٰظ‬ ‫ٰۤل‬
‫َؕو َم ۡن َّي َت َو َّلُهۡم ِّم ۡن ُكۡم َف ُاو ـِئَك ُهُمال ِلُم ۡو َن‬

मतलब: ऐ ईमान लानेवालो! अपने बाप और अपने भाइयों को अपने मित्र न बनाओ यदि ईमान के
मुक़ाबले में कुफ़्र उन्हें प्रिय हो. तुममें से जो कोई उन्हें अपना मित्र
बनाएगा, तो ऐसे ही लोग अत्याचारी होंगे.

7- Verse 9 Surah 37 ‫ۡل ۡف‬


‫ٓۡى ُء ِز َي اَد ٌةِفىا ُك ِر‬ ‫ِاَّن َم االَّن ِس‬
‫ۤۡو ُء َاۡع َماِلِه ۡم‬ ‫ُيَض ُّلِبِه اَّلِذ ۡي َنَكَف ُر ۡو اُيِحُّلۡو َن ٗه َع اًم اَّو ُيَح ِّر ُم ۡو َن ٗه َع اًماِّلُيَو اِط ُٔــۡو اِع َّدَة َم اَح َّر َم الّٰل ُهَف ُيِحُّلۡو اَم اَح َّر َم اُهّٰللُؕز ِّي َن َلُهۡم ُس‬
‫َؕو الّٰل ُهاَل َي ۡه ِدىاۡل َق ۡو َم اۡل ـٰك ِفِر ۡي َن‬

मतलब: (आदर के महीनों का) हटाना तो बस कुफ़्र में एक वृद्धि है, जिससे
इनकार करनेवाले गुमराही में पड़ते हैं. किसी वर्ष वे उसे हलाल (वैध) ठहरा
लेते हैं और किसी वर्ष उसको हराम ठहरा लेते हैं, ताकि अल्लाह के आदृत (महीनों) की संख्या
पूरी कर लें, और इस प्रकार अल्लाह के हराम किए हुए को वैध ठहरा लें. उनके अपने बुरे
कर्म उनके लिए सुहाने हो गए हैं और अल्लाह इनकार करनेवाले लोगों को सीधा मार्ग नहीं दिखाता.
8- Verse 5 Surah 57
‫ٰۤي ـَاُّي َه ااَّلِذ ۡي َن ٰا َم ُنۡو ااَل َت ـَّت ِخُذ وااَّلِذ ۡي َن اَّت َخ ُذ ۡو اِد ۡي َنُكۡم ُهُز ًو اَّو َلِعًباِّم َن اَّلِذ ۡي َن ُاۡو ُتوااۡل ِك ٰت َبِم ۡن َق ۡب ِلُكۡم َو اۡل ـُكَّفاَر َاۡو ِلَي ٓاَء َۚو اَّتُقواالّٰل َهِاۡن ُك ۡن ُتۡم ُّم ۡؤ ِمِنۡي‬

मतलब: ऐ ईमान लानेवालो! तुमसे पहले जिनको किताब दी गई थी, जिन्होंने


तुम्हारे धर्म को हंसी-खेल बना लिया है, उन्हें और इनकार करनेवालों को
अपना मित्र न बनाओ. और अल्लाह का डर रखो यदि तुम ईमानवाले हो.

9- Verse 33 Surah 61 ‫َّم ۡل ـُع ۡو ِنۡي َن َۚۛاۡي َن َم اُثِقُفۤۡو اُاِخُذ ۡو اَو ُقِّت ُلۡو اَت ۡق ِتۡي ًل‬

मतलब: फिटकारे हुए होंगे. जहाँ कहीं पाए गए पकड़े जाएंगे और बुरी तरह
जान से मारे जाएंगे.

10- Verse 21 Surah 98 ‫ِاَّنُكۡم َو َم اَتۡع ُبُد ۡو َن ِم ۡن ُد ۡو ِنالّٰل ِه َح َص ُبَج َه ـَّن َؕم َاۡن ـُتۡم َلَه اَو اِر ُد ۡو َن‬

मतलब: निश्चय ही तुम और वह कु छ जिनको तुम अल्लाह को छोड़कर पूजते हो सब जहन्नम के ईधन
हो. तुम उसके घाट उतरोगे.

11- Verse 32 Surah 22 ‫َو َم ۡن َاۡظ َلُمِمَّم ۡن ُذ ِّك َر ِبٰا ٰي ِتَر ِّب ٖه ُثَّم َاۡع َر َض َع ۡن َه اِؕاَّن اِم َن اۡل ُم ۡج ِر ِم ۡي َن ُم ۡن َت ِقُم ۡو َن‬

मतलब: और उस व्यक्ति से बढ़कर अत्याचारी कौन होगा जिसे उसके रब की आयतों के द्वारा याद
दिलाया जाए,फिर वह उनसे मुंह फेर ले? निश्चय ही हम अपराधियों से बदला लेकर रहेंगे.

12- Verse 48 Surah 20 ‫َع ۡن ُكۡم‬ ‫َو َع َد ُك ُمالّٰل ُهَم َغ اِنَم َك ِثۡي َر ًةَت ۡا ُخ ُذ ۡو َن َه اَفَع َّج َلَلُكۡم ٰه ِذٖه َو َك َّفَاۡي ِدَى الَّن اِس‬
‫َۚو ِلَت ُك ۡو َن ٰا َي ًة ِّلۡل ُم ۡؤ ِم ِنۡي َن َو َي ۡه ِدَي ُكۡم ِص َر اًط اُّم ۡس َت ِقۡي ًم ۙا‬

मतलब: अल्लाह ने तुमसे बहुत-सी गनीमतों का वादा किया है, जिन्हें तुम प्राप्त
करोगे. यह विजय तो उसने तुम्हें तात्कालिक रूप से निचित र दी. और लोगों के
क श्चि
हाथ तुमसे रोक दिए (कि वे तुमपर आक्रमण करने का साहस न कर सकें) और ताकि ईमानवालों
के लिए एक निशानी हो. और वह सीधे मार्ग की ओर तुम्हारा मार्गदर्शन करे.

13- Verse 8 Surah 69 ‫َفُك ُلۡو اِمَّماَغ ِنۡم ُتۡم َح ٰل ًالَط ِّيًب ۖا‬‫َّو اَّتُقواَهّٰللاِؕاَّن الّٰل َه َغ ُفۡو ٌرَّر ِحۡي ٌم‬

मतलब: अतः जो कु छ ग़नीमत का माल तुमने प्राप्त किया है, उसे वैध-पवित्र समझकर
खाओ और अल्लाह का डर रखो. निश्चय ही अल्लाह बड़ा क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है.
लेखन की कला से पहले के काल में श्रुति के आधार पर धर्मग्रंथ आगे की पीढ़ियों तक पहुंचते थे.

14- Verse 66 Surah 9 ‫ٰۤي َاُّي َه االَّن ِبُّى َج اِهِداۡل ُكَّفاَر َو اۡل ُم ٰن ِفِقۡي َن َو اۡغ ُلۡظ َع َلۡي ِه ۡمَؕو َم ۡا ٰو ٮُهۡم َج َه َّن ُمَؕو ِبۡئ َس اۡل َمِص ۡي ُر‬

मतलब: ऐ नबी! इनकार करनेवालों और कपटाचारियों से जिहाद करो और उनके


साथ सख़्ती से पेश आओ. उनका ठिकाना जहन्नम है और वह अन्ततः पहुंचने
की बहुत बुरी जगह है.

15- Verse 41 Surah 27 ‫َف َلـُنِذ ۡي َق َّن اَّلِذ ۡي َنَكَف ُر ۡو اَع َذ اًباَش ِد ۡي ًد ۙا َّو َلَنۡج ِز َي َّن ُهۡم َاۡس َو َااَّلِذ ۡى َك اُنۡو اَي ۡع َم ُلۡو َن‬

मतलब: अतः हम अवश्य ही उन लोगों को, जिन्होंने इनकार किया, कठोर यातना का मज़ा
चखाएँगे, और हम अवश्य उन्हें उसका बदला देंगे जो निकृ ष्टतम कर्म वे करते रहे हैं.

16- Verse 41 Surah 28 ‫ٰذ ِلَك َج َز ٓاُء َاۡع َد ٓاِء الّٰل ِه الَّن اُر َۚلُهۡم ِفۡي َه اَد اُر اۡل ُخ ـۡل ِد َؕج َز ٓاًۢء ِبَم اَك اُنۡو اِبٰا ٰي ِتَن اَي ۡج َح ُد ۡو َن‬

मतलब: वह है अल्लाह के शत्रुओं का बदला - आग. उसी में उनका सदा का घर


है, उसके बदले में जो वे हमारी आयतों का इनकार करते रहे.

17- Verse 9 Surah 111 ‫ِاَّن الّٰل َه اۡش َتٰر ىِم َن اۡل ُم ۡؤ ِم ِنۡي َن َاۡن ُفَس ُهۡم َو َاۡم َو اَلُهۡم ِبَاَّنَلُهُماۡل َج ـَّنَة‬
‫ِبۡي اِل لّٰل ِه َف َي ۡق ُتُلۡو َن َو ُيۡق َت ُلۡو َن‬ ‫ُؕيَق اِتُلۡو َن ِفۡى َس‬ ‫َو ۡع ًد اَع َلۡي ِه َح ًّقاِفىالَّت ۡو ٰر ٮِةَو اِاۡلۡن ِجۡي ِلَو اۡل ُقۡر ٰا ِن‬
‫ّٰل‬
‫َؕو َم ۡن َاۡو ٰف ىِبَع ۡه ِدٖه ِم َن ال ِه َف اۡس َت ـۡب ِش ُر ۡو اِبَب ۡي ِع ُك ُم اَّلِذ ۡى َب اَي ۡع ُتۡم ِبٖهَؕو ٰذ ِلَك ُهَو اۡل َف ۡو ُز اۡل َع ِظ ۡي ُم‬
मतलब: निस्संदेह अल्लाह ने ईमानवालों से उनके प्राण और उनके माल इसके बदले में ख़रीद लिए हैं
कि उनके लिए जन्नत है. वे अल्लाह के मार्ग में लड़ते हैं, तो वे मारते भी
हैं और मारे भी जाते हैं. यह उसके ज़िम्मे तौरात, इनजील और क़ुरआन
में (किया गया) एक पक्का वादा है. और अल्लाह से बढ़कर अपने वादे को पूरा करनेवाला हो भी कौन
सकता है? अतः अपने उस सौदे पर खु़शियाँ मनाओ, जो सौदा तुमने उससे किया है. और
यही सबसे बड़ी सफलता है.

18- Verse 9 Surah 58 ‫َو ِم ۡن ُهۡم َّم ۡن َّي ۡل ِم ُز َك ِفىالَّصَد ٰق ِت َۚف ِاۡن ُاۡع ُط ۡو اِم ۡن َه اَر ُض ۡو اَو ِاۡن َّلۡم ُيۡع َط ۡو اِم ۡن َه ۤا ِاَذ اُه ۡم َي ۡس َخ ُط ۡو َن‬

मतलब: और उनमें से कु छ लोग सदक़ों के विषय में तुम पर चोटें करते हैं. किन्तु यदि उन्हें उसमें से दे
दिया जाए तो प्रसन्न हो जाएँ और यदि उन्हें उसमें से न दिया गया तो क्या
देखोगे कि वे क्रोधित होने लगते हैं.

19- Verse 8 Surah 65 ‫ٰۤي ـَاُّي َه االَّن ِبُّى َح ِّر ِض اۡل ُم ۡؤ ِم ِنۡي َن َع َلىاۡل ِقَت اِل ِؕاۡن َّي ُك ۡن ِّم ۡن ُكۡم ِع ۡش ُر ۡو َن َص اِبُر ۡو َن َي ۡغ ِلُبۡو اِم اَئ َت ۡي ِن‬
‫َۚو ِاۡن َّي ُك ۡن ِّم ۡن ُكۡم ِّم اَئ ٌة َّي ۡغ ِلُبۤۡو اَاۡل ًفاِّم َن اَّلِذ ۡي َنَكَف ُر ۡو اِبَاَّن ُهۡم َق ۡو ٌم اَّل َي ۡف َق ُهۡو َن‬

मतलब: ऐ नबी! मोमिनों को जिहाद पर उभारो. यदि तुम्हारे बीस आदमी जमे
होंगे, तो वे दो सौ पर प्रभावी होंगे और यदि तुममें से ऐसे सौ होंगे तो
वे इनकार करनेवालों में से एक हज़ार पर प्रभावी होंगे, क्योंकि वे नासमझ
लोग हैं.

20- Verse 5 Surah 51 ‫ٰۤي ـَاُّي َه ااَّلِذ ۡي َن ٰا َم ُنۡو ااَل َت َّت ِخُذ وااۡل َي ُهۡو َد َو الَّن ٰص ٰۤر ىَاۡو ِلَي ٓاَء َۘب ۡع ُض ُهۡم َاۡو ِلَي ٓاُء َب ۡع ٍض‬
‫ّٰظ‬
‫َؕو َم ۡن َّي َت َو َّلُهۡم ِّم ۡن ُكۡم َف ِاَّن ٗه ِم ۡن ُهۡمِؕاَّن الّٰل َه اَل َي ۡه ِدىاۡل َق ۡو َم ال ِلِم ۡي َن‬

मतलब: ऐ ईमान लानेवालो! तुम यहूदियों और ईसाइयों को अपना मित्र (राज़दार) न


बनाओ. वे (तुम्हारे विरुद्ध) परस्पर एक-दूसरे के मित्र हैं. तुममें से जो
कोई उनको अपना मित्र बनाएगा, वह उन्हीं लोगों में से होगा. निस्संदेह अल्लाह
अत्याचारियों को मार्ग नहीं दिखाता.

21- Verse 9 Surah 29


‫َق اِتُلوااَّلِذ ۡي َن اَل ُيۡؤ ِم ُنۡو َن الّٰل َو اَل اۡل َي ۡو ِماٰاۡل ِخ َو اَل ُيَح ِّر ُم ۡو َن َم اَح َّر َم الّٰل ُهَو َر ُس ۡو ُلٗه َو اَل َيِد ۡي ُنۡو َن ِد ۡي َن اۡل َح ـِّقِم َن اَّلِذ ۡي َن ُاۡو ُتوااۡل ـِك ٰت َبَح ّٰت ىُيۡع ُط وااۡل‬
‫ِر‬ ‫ِب ِه ِب‬
‫ۡن‬
‫ِج َي َة َع َّيٍدَّو ُه ۡم ٰص ِغُر ۡو َن‬ ‫ۡز‬

मतलब: वे किताबवाले जो न अल्लाह पर ईमान रखते हैं और न अन्तिम दिन


पर और न अल्लाह और उसके रसूल के हराम ठहराए हुए को हराम ठहराते हैं
और न सत्यधर्म का अनुपालन करते हैं, उनसे लड़ो, यहां तक कि वे सत्ता से विलग
होकर और छोटे (अधीनस्थ) बनकर जिज़्या देने लगें.
22- Verse 5 Surah 14 ‫َو ِم َن اَّلِذ ۡي َنَق اُلۤۡو اِاَّن اَنٰص ٰٓر ىَاَخ ۡذ َن اِم ۡي َث اَقُهۡم َفَن ُس ۡو اَح ًّظ اِّمَّماُذ ِّك ُر ۡو اِبٖه‬
‫َفَاۡغ َر ۡي َن اَب ۡي َن ُهُماۡل َع َد اَو َةَو اۡل َب ۡغ َض ٓاَءِاٰل ىَي ۡو ِماۡل ِقٰي َمِةَؕو َس ۡو َفُيَن ِّب ُئُهُمالّٰل ُهِبَم اَك اُنۡو اَي ۡص َن ُع ۡو َن‬

मतलब: और हमने उन लोगों से भी दृढ़ वचन लिया था, जिन्होंने कहा था कि हम नसारा
(ईसाई) हैं, किन्तु जो कु छ उन्हें जिसके द्वारा याद कराया गया था उसका एक बड़ा भाग भुला बैठे.
फिर हमने उनके बीच क़ियामत तक के लिए शत्रुता और द्वेष की आग भड़का
दी, और अल्लाह जल्द उन्हें बता देगा, जो कुछ वे बनाते रहे थे.

23- Verse 4 Surah 89 ‫َو ُّد ۡو اَلۡو َت ۡك ُفُر ۡو َنَك َم اَكَف ُر ۡو اَفَت ُك ۡو ُنۡو َن َس َو ٓاًء َفاَل َت َّت ِخُذ ۡو اِم ۡن ُهۡم َاۡو ِلَي ٓاَءَح ّٰت ىُيَه اِجُر ۡو اِفۡى َس ِبۡي اِل ِهّٰلل‬
‫َف ِاۡن َت َو َّلۡو اَف ُخ ُذ ۡو ُه ۡم َو اۡق ُتُلۡو ُه ۡم َح ۡي ُثَو َج دُّت ُم ۡو ُهۡم‬
ؕ ‫َو اَل َت َّت ِخُذ ۡو اِم ۡن ُهۡم َو ِلًّي اَّو اَل َن ِص ۡي ًر ا‬

मतलब: वे तो चाहते हैं कि जिस प्रकार वे स्वयं अधर्मी हैं, उसी प्रकार
तुम भी अधर्मी बनकर उन जैसे हो जाओ; तो तुम उनमें से अपने मित्र न
बनाओ, जब तक कि वे अल्लाह के मार्ग में घर-बार न छोड़ें. फिर यदि वे
इससे पीठ फेरें तो उन्हें पकड़ो, और उन्हें क़त्ल करो जहां कहीं भी उन्हें पाओ - तो
उनमें से किसी को न अपना मित्र बनाना और न सहायक

24- Verse 9 Surah 14 ‫َق اِتُلۡو ُه ۡم ُيَع ِّذ ۡب ُهُمالّٰل ُهِبَاۡي ِد ۡي ُكۡم َو ُيۡخ ِز ِه ۡم َو َي ۡن ُص ۡر ُكۡم َع َلۡي ِه ۡم َو َي ۡش ِفُص ُد ۡو َر َقۡو ٍمُّم ۡؤ ِم ِنۡي َۙن‬

मतलब: उनसे लड़ो. अल्लाह तुम्हारे हाथों से उन्हें यातना देगा और उन्हें अपमानित करेगा और
उनके मुक़ाबले में वह तुम्हारी सहायता करेगा. और ईमानवाले लोगों के दिलों का
दुखमोचन करेगा;

25- Verse 3 Surah 151 ‫َس ُنۡل ِقۡى ِفۡى ُقُلۡو ِباَّلِذ ۡي َنَكَف ُرواالُّر ۡع َب ِبَم ۤا َاۡش َر ُك ۡو اِبالّٰل ِه َم اَلۡم ُيَن ِّز ۡل ِبٖه ُس ۡل ٰط ًن ا َۚو َم ۡا ٰو ٮُهُمالَّن اُر‬
‫ّٰظ‬
‫َؕو ِبۡئ َسَم ۡث َو ىال ِلِم ۡي َن‬

मतलब: हम शी घ्रही इनकार करनेवालों के दिलों में धाक बिठा देंगे ,


इसलिए कि उन्होंने ऐसी चीज़ों को अल्लाह का साक्षी ठहराया है जिनके साथ
उसने कोई सनद नहीं उतारी, और उनका ठिकाना आग (जहन्नम) है. और अत्याचारियों का
क्या ही बुरा ठिकाना है.

26- Verse 2 Surah 191 ‫َاۡخ َر ُج ۡو ُك ۡم‬ ‫َو اۡق ُتُلۡو ُه ۡم َح ۡي ُثَث ِقۡف ُتُم ۡو ُه ۡم َو َاۡخ ُج ۡو ُه ۡم ِّم ۡن َح ۡي ُث‬
‫ِر‬
‫ّٰت‬
‫َو اۡل ِفۡت َن ُة َاَش ُّد ِم َن اۡل َق ۡت ِۚل َو اَل ُتٰق ِتُلۡو ُه ۡم ِع ۡن َد اۡل َم ۡس ِجِداۡل َح ـَر اِمَح ىُيٰق ِتُلۡو ُكۡم ِفۡي ِه َۚف ِاۡن ٰق َت ُلۡو ُكۡم َف اۡق ُتُلۡو ُه ؕۡم َك ٰذ ِلَك َج َز ٓاُءاۡل ٰك ِفِر ۡي َن‬

मतलब: और जहां कहीं उनपर क़ाबू पाओ, क़त्ल करो और उन्हें निकालो जहां से उन्होंने तुम्हें निकाला
है, इसलिए कि फ़ितना (उपद्रव) क़त्ल से भी बढ़कर गम्भीर है. लेकिन मस्जिदे-हराम (काबा)
के निकट तुम उनसे न लड़ो जब तक कि वे स्वयं तुमसे वहां युद्ध न करें. अतः यदि वे तुमसे युद्ध करें तो
उन्हें क़त्ल करो - ऐसे इनकारियों का ऐसा ही बदला है.

You might also like