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P19 Hindi Haqeeqat o Iqsaam e Shirk
P19 Hindi Haqeeqat o Iqsaam e Shirk
ال ْس َم ٰـ ِب َّل
ال ِب ِب ل ۡي ٰـ َم ِب َّل
ال ِبج أعوُذ ِب َّلٱِب ِب َم ا َّل
1
ى ٍ َّل
َّل
ً ً هر ًٌ ً ٍص ًى اوػ ًـ هر ػ
ٰـ َّل
2
चंद तम्हीदी बातें
“ह़़ीकत व इक़्साभे लशकक ” के भौज़ू अ ऩय मह भुफ़जस्सर भज़भून होगा। क्मा अजफ कक
अल्राह इस कोलशश के ज़रयमे से उम्भते भजु स्रभा भें ह़़ी़ ते लशकक के फाये भें सहीह
फ़हभो शऊय ऩैदा फ़यभाए औय इस जज़भन भें हभ से कोई भुफ़़ीद खऽदभत ़फूर फ़यभा रे !
इजततदाअन भुझे इस भौज़ूअ से भुताजल्ऱ कुछ तम्हीदी फातें गोश गुज़ाय कयनी हैं। सफसे
ऩहरी फात मह है कक हभाये दीन क़ी ह़़ी़त को अगय एक रफ़्जज़ भें ताअफीय कयने क़ी
कोलशश क़ी जाए, मा दस
ू ये शतदों भें इसक़ी तारीभ के रतु फे रु फाफ औय ऽर
ु ासे को एक
रफ़्जज़ भें फमान ककमा जाए तो वो रफ़्जज़ “तौहीद” है । हभाया दीन दयअस्र “दीने तौहीद” है ।
मही वजह है कक अल्राभा इ़फार ने तौहीद को ही वो अस्र अ भानत ़याय ददमा है जो
भुसरभानों का तुयाहे इजम्तमाज़ है :
तौहीद क़ी अभानत सीनों भे है हभाये
आसान नहीॊ लभटाना नाभ व तनशाॊ हभाया !
औय जवाफे लशक्वा भें बी नफी ए अकयभ के लभशन को अल्राभा इ़फार ने
इसी एक रफ़्जज़ “तौहीद” से तअफीय ककमा है :
वक़्ते फ़ुसकत है कहाॊ काभ अबी फा़़ी है
नयू े तौहीद का इत्भाभ अबी फा़़ी है !
तो हभाया दीन अस्र भें तौहीद है । “तौहीद” क़ी जज़द है “लशकक”। लशकक चाहे सनववमत ( दो
ऽुदा का अ़़ीदा ) क़ी शकर भें हो, तजस्रमत (तीन ऽुदा का अ़़ीदा ) क़ी शकर भें हो मा
कसयते इराह (फहुदेववाद) क़ी सूयत भें हो, इन सफ सूयतों को हभ एक ही रफ़्जज़ “लशकक” से
ताअफीय कयते है । औय जफ मह फात तम है कक हभाया दीन , दीने तौहीद है तो उसका
राज़भी नतीजा मह तनकरता है कक इस दीन भें सफसे फडा जुभक औय सफसे फडा गुनाह, जो
ना़ाबफरे दयगुज़य है (जो ऺभा मोग्म नहीॊ है ) , वो लशकक है । चुनाॊचे मही फात सूयतुजननसा
भें दो भतकफा फईना इनही अल्फ़ाज़ भें वारयद हुई है :
كف ٰـ ىذه ً ىك ه ً ىًٌ ٌى ىظ ي
ۚ اء ِ َّلف اوَّل ىػـ ىَل ىً ٍغ ًف ير أَف ٌ ي ٍ ى
ْش ىؾ ب ًـ ىك ىً ٍغ ًف ير ىيا يد ى
ً
“म़़ीनन अल्राह मह फात तो हयगगज़ भाफ़ नहीॊ कये गा कक उसके साथ लशकक ककमा जाए, अरफत्ता
इससे कभतय गन
ु ाह जजसको चाहे गा फख़्श दे गा”। (सयु ह अजननसा : आमत 48 व 116)
3
अगयचे इस आमत को दस
ू ये गुनाहों के जज़भन भें कोई खुरा राइसेंस नहीॊ सभझ रेना
चादहए, अल्राह का कोई ऩुख़्ता वादा औय म़़ीन दहानी नहीॊ है कक वो दस
ू ये गुनाह
लरहाज़ा मह हयगगज़ नही सभझा जाए कक हभें खुरी छुट्टी लभर गई है कक हभ लशकक के
लसवा जजस गुनाह भें चाहें भुरजववस हो जाए , कोई भुवाखऽज़ा नहीॊ होगा। ताहभ उ म्भीद ज़रूय
ददराई गई है कक अल्राह के नज़दीक कोई सूयत लशकक क़ी भाफ़़ी क़ी नहीॊ है , अरफत्ता
उससे कभतय गन
ु ाह जजसको चाहे गा , अल्राह भाफ़ फ़यभा दे गा। फहयहार भारभ
ू हुआ
कक हभाये दीन भें सफसे फडा गन
ु ाह , सफसे फडा जभ
ु क , जो ना़ाबफरे दयगज़
ु य है , वो लशकक है ।
इसक़ी ह़़ी़त को मूॊ सभखझमे कक अज़रूऐ ़ुयआन सफसे फडा ज़ुल्भ लशकक है । फजल्क
़ुयआन भजीद भें जहाॊ बी रफ़्जज़ “ज़ुल्भ” आता है , अगय लसमा़ व लसफा़ (सनदबक) से
इसके कोई औय भाअना (अथक) तनधाकरयत नही हो यहे हों तो वहाॊ इसका भाअना “लशकक” है
औय इसे ऐतफाय से “ज़ालरभीन” का भाअना(अथक) “भश
ु रयक़ीन” है । चन
ु ाॊचे आमत ज़ेय गफ़्ज
ु तगू
ى ي
है । मह क़ी एक सूयत है । औय मा कपय अल्राह को ٍ يع ٍوذ ًِبهلل
4
के हवारे से नफी-ए-अकयभ से “ज़ुल्भ” के फाये भें भारूभ ककमा तो
आऩ ने सूयह रुक़्भान क़ी ज़ेये फहस आमत 13
मानी जो अऩने ईभान के साथ ज़ुल्भ का कोई शाएफा ऩैदा न होने दें । इस ऩय सहाफाऐ
कयाभ भें तजश्वश ऩैदा हुई कक अगय अल्राह के मह वाअदे भशरूत हैं कक
ईभान के साथ ज़ल्
ु भ क़ी ़त ्अन आभेजज़श न हो , तो ऐसा कौन शख़्स होगा जो ककसी न
ककसी दजे भें दस
ू यों ऩय मा अऩने उऩय ज़ुल्भ न क यता हो। ाौय ककजजए कक अगय आऩने
अऩने वक़्त का रम्हा बी ज़ामा ककमा तो मह बी अऩने ऊऩय ज़ुल्भ है । तो ज़ुल्भ से
बफल्कुर फयी औय ऩाक हो जाना ककसी फ़दे फशय के लरए भुजम्कन नहीॊ है । चुनाॊचे सहाफाऐ
कयाभ ने नफी-ए-अकयभ के साभने अऩनी तश्वीश को ज़ादहय ककमा कक
हुज़यू ! ऐसा शख़्स कौन होगा जो ज़ल्
ु भ से बफल्कुर फयी हो। इस ऩय नफी- ए-
अकयभ ने तसल्री दी कक इस आमते भफ
ु ायका भें ज़ल्
ु भ से भयु ाद लशकक है । औय
आऩ ने सयू ह रक़्
ु भान क़ी इसी आमत का हवारा ददमा कक तुभने मह आमत
नहीॊ ऩढी:
5
ه ى ه ٍ ى ٍ ى ى ي ٍ ى ي ٍ ى ي ى ى ي ي ى ي ى َّل ى ي ٍ ٍ َّل َّل ٌ ٍ ى ى ي
﴾١٣ ﴿ هْشؾ هظوى ع ًظ ً ك ِ ذ قاؿ هقًاف ًَلب ًن ًـ كهو ً ًعظـ َي بَن َل ت
ً ْشؾ ًِباوػ ًـ ۖ ِ ف
तो मह भतरफ हुआ कक जो रोग ईभान राऐॊ इस शान के साथ के लशकक क़ी कोई आभेजज़श
नही यहे तो वो हैं कक जो अभन के भस्
ु तदह़ होंगे औय वही हैं कक जो दहदामत ऩय हैं औय
अऩनी आऽयी भॊजज़रे भुयाद त क ऩहुॊच सकेंगे।
अफ भै इसी का अक्स (converse) आऩके साभने यख यहा हूॊ। जफ हभाया दीन , दीने तौहीद है
तो इस तस्वीय का दस
ू या रुऽ मह हुआ कक सफसे फडा औय ना़ाबफरे भाफ़़ी जुभक औय सफसे
फडा ज़ुल्भ लशकक है । ़ुयआन भज़ीद भें कई जगहों ऩय हज़यत इब्राहीभ का जज़क्र
आता है । आऩ क़ी जरारते ़द्र औय भ़ाभ व भतकफा का मह आरभ है कक
आऩ क़ी अल्राह के साथ तीन तीन तनस्फतें हैं औय तीनों ही तनहामत फर
ु ॊद
हैं। एक तनस्फत अल्राह के साथ मह है कक आऩ “ऽरीरुल्राह” हैं।
औय हज़यत इब्राहीभ का ,मही वो रयश्ता है , अऩने यफ के साथ है जजसक़ी ़ुयआन
अहतभाभ के साथ वज़ाहत कय यहा है
ى َّل ى ى َّل ي ٍ ى ى ى ن
ك اذ اوػـ ِ ًه وًيَل
औय अल्राह ने इब्राहीभ को अऩना ऽरीर फना लरमा (अजननसा : 125)
6
इस जरारते ़द्र के साथ ़ुयआन भजीद भें जहाॊ कहीॊ हज़यत इब्रहीभ का जज़क़्र
आमा है तो उनको जो आखऽयी सनद दी जाती है वो मह है
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लशकक क़ी हभागीयी का एक तसववुय ़ुयआन भजीद भें सूयह मुसुफ़ क़ी आमत 106 भें मूॊ
फमान हुआ है
َم أَ ٍل ى ي ي ِباوَّلػ ًـ ِ َّلَل ىك ي ُّمي ٍْش يلوفى
ىك ىيا ي ٍ ً ي “औय इॊसानों क़ी अक्सरयमत का हार
ً ً
मह है कक वो अल्राह को भानते हैं , भगय ककसी न ककसी तयह के लशकक के साथ”।
मह फात जान रीजजए कक अल्राह का इॊकाय तो तारयऽे इॊसानी भें आऩको शाज़ कहीॊ
लभरेगा, कहीॊ कहीॊ इस क़स्भ के रोग लभर जाते हैं कक जजनक़ी भत (फुद्गध) बफल्कुर भायी
गई हो। आज के दौय भें फज़ादहय ऐसे भहसूस होता है कक ऽुदा का इॊकाय फहुत उरूज ऩय है ,
रेककन वाक़मा मह है कक ऽद
ु ा को वो बी भानते हैं जजनहें भजु नकयीन- ए-ऽद
ु ा सभझा जाता
है । दय ह़़ी़त उनहोंने भाद्दे (Matter) को ऽद
ु ा के भ़ाभ ऩय रे जाकय फैठा ददमा है , ऽद
ु ा
का इॊकाय नहीॊ ककमा है । एक ह़़ी़त कुफया को भानने ऩय सफ भजफूय हैं , जफकक साया
इजख़्तराफ़ अल्राह क़ी लसफ़ात भें है । भसरन मह इजख़्तराफ़ कक वो जीववत है मा
भुदाक है । अगय भुदाक है तो उसे भाद्दा कह दीजजमे , औय अगय जीववत है , सादहफ-ए-इयादा है
तो वो अल्राह है । चन
ु ाॊचा फ़़क तो साया लसफ़ात का है । फहयहार मह अज़क कयना
भ़सूद है कक ऽुदा को ऽुदा के नाभ से भानने वारे शाज़ यहे हैं। ऽुदा को कुछ औय नाभों
के तहत भानने वारों का तादाद बी शामद कुछ लभर जाए , रेककन जो सफसे फडी गुभयाही
हभेशा यही है वो मह है कक एक फडे ऽुदा को भानने के साथ साथ कुछ औय छोटे ऽुदाओॊ
को बी भाना औय तसरीभ ककमा गमा, ईभान के साथ ककसी तयह के लशकक क़ी आभेजज़श
कय री गई, औय मह है असर गुभयाही जो हभें ऩूयी तायीऽ इॊसानी भें पैरी हुई औय छाई
हुई नज़य आती है । भैं अऩने ह़़ी़़ी ़रफी अहसासात आऩके सा भने यख यहा हूॊ कक
भुसरभान का ऽभीय जजस लभट्टी से उठा है , भुझे म़़ीन है कक वो जान फूझ कय कबी
लशकक नहीॊ कयता, फजल्क ऐसा नाभजु म्कन है । इसके तसववयु ात भें अगय लशकक आता है तो ाैय
भहसूस तयी़े से आता है , ककसी भुाारते के फाइस आता है , वो इसको लशकक सभझ कय
लशकक नहीॊ कयता, इसभें जहारत औय नासभझी काय फ़यभा हो सकती है । इसक़ी एक शकर
मह बी होती है कक हय दौय भें लशकक का मह भज़क एक नई सूयत इजख़्तमाय कयके साभने
आता है जजसको ऩहचानने भें कोताही यह जाती है , औय जफ तक इसको ऩहचानने क़ी
सरादहमत ऩैदा न हो जाए इससे ऩूयी तयह फचना भुभककन नहीॊ। फ़ौर शामय :
फहय यॊ गे के ख़्वाही जाभेअ भी ऩोश
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भन अॊदाज़े ़दत या भी शनासभ
मानी ख़्वाह तुभ ककसी बी यॊ ग का रफादह औढ कय आ जाओ भै तुम्हें तुम्हाये ़द से
ऩहचान रॊग
ू ा। हो सकता है कक एक शख़्स फज़भ-ए-ऽवेश फडा भवाजहहद हो औय वऩछरे
अदवाय (मुगों) भें लशकक क़ी जजतनी बी सूयतें याइज यही हों औय उरभा ने जजन जजन क़ी
तनशानदे ही कय दी हो उन सफसे अऩने आऩ को फयी औय ऩाक कय चुका हो , फामेंहुभा अऩने
दौय के लशकक को न ऩहचान ऩामा हो औय इसभें वो भुरजववस हो। इस ऩय गुफ़्जतगू तो फाद भें
होगी रेककन भैं लभसार के तौय ऩय अ ल्राभा इ़फार क़ी नज़भ “वततनमत” ऩैश कय यहा हूॊ :
इस दौय भें भह औय है , जाभ औय है , जभ औय
सा़़ी ने बफना क़ी यववश-ए-रुत्फ़ो लसतभ औय
भुजस्रभ ने बी ताभीय ककमा अऩना हयभ औय
तहज़ीफ के आज़य ने तयशवाए सनभ औय
इन ताज़ा ऽुदाओॊ भें फडा सफसे वतन है
जो ऩैयहन इसका है वो भज़हफ का कफ़न है
अफ ाौय ककजजए ककतना प्माया लभसया है l “तहज़ीफ के आज़य ने तयशवाए सनभ औय ”।
आज से साढे चाय हज़ाय फयस ऩहरे का आज़य ऩत्थय क़ी भतू तकमाॊ तयाशता था औय आज का
आज़य कुछ ख़्मारी तसववयु ात के फत
ु फनाए हुए है । ज़भाने ज़भाने क़ी फात है । उस वक़्त का
इॊसान शामद ज़भीन से ज़्मादा से ज़्मादा ऩाॊच छह कफ़ट छराॊग रगा सकता होगा , रेककन
आज चाॊद तक ऩहुॊचा हुआ है । लरहाज़ा लशकक ने बी फडी ऊॊची उडान उडी है औय फडी
भुख़्तलरफ़ सूयतें इजख़्तमाय क़ी हैं। अफ ज़रूयत उस उ़ाफी तनगाह क़ी है जो अऩने दौय के
लशकक को ऩहचान रे। अगय मह फसीयत नहीॊ होगी तो हो सकता है , जैसा कक भैंने अज़क
ककमा, एक शख़्स अऩने ख़्मार भें ऩूये ऽुरूस के साथ लशकक क़ी हय क़स्भ से एराने फयाअत
कय चुका हो औय अभरन अऩने आऩ को इससे फयी कय चुका हो , रेककन इसके फावजूद वो
ककसी तयह के लशकक भें भुफतरा औय भुरजववस हो । लरहाज़ा ज़रूयत इस फात क़ी है कक एक
फडा जाभेअ औय हभागीय तसववयु हभाये साभने हो। औय न लसफ़क मह कक हभ अऩने ज़हन
औय फ़हभ भें तभाभ इक़्साभे लशकक का अहाता कय रें , फजल्क हभाये अॊदय वो इजततहादी
सरादहमत ऩैदा हो जाए कक लशकक जो बी नमा रफादा ओढे इसभें इॊसान इसको ऩहचान रे।
लरहाज़ा इस वक़्त जो फहस होगी वो ज़्मादा तय इक़्साभे लशकक के ज़ेर भें होगी। इक़्साभे
9
लशकक के लसरलसरे भें हभाये हाॊ उरभा ने भुख़्तलरफ़ तक़्सीभें क़ी हैं। भसरन एक तक़्सीभ
मह है कक एक लशकक-ए-जरी है औय एक लशकक-ए-ऽफ़़ी है । मानी एक तो नुभामाॊ औय खुल्रभ
खल्
ु रा लशकक है । भसरन एक शख़्स फत
ु को सजदा कय यहा है , जफकक एक ऽफ़़ी लशकक है कक
जजसका तजुफाक कयके ही ऩता चरता है कक लशकक हो गमा , वो फज़ादहय नज़य नहीॊ आता।
इसक़ी लभसार मह फ़यभाने नफवी है कक “जजसने ददखावे क़ी नभाज़ ऩढी उसने
लशकक ककमा।” एक शख़्स नभाज़ ऩढ यहा है , रेककन जफ वो मह भहसूस कयता है कक कोई
भुझे दे ख यहा है तो वो अऩनी नभाज़ रम्फी कय दे ता है , सजदा तवीर कय दे ता है , तो हुज़ूये
ऩाक के फ़यभान क़ी रू से मह लशकक है । फज़ादहय तो वो वही नभाज़ ऩढ यहा है ,
इसभें वही ़माभ है , वही यकूअ है , वही सुजूद हैं , उसने वही सूयतुर फ़ाततहा ऩढी है , वही
“सुतहाना यजतफमर आरा” औय वही “सतहाना यजतफमर अज़ीभ” कहा है । अऩनी तयफ़ से उसने
कोई इज़ाफ़ा नहीॊ ककमा है , लसवाऐ इसके कक ज़या नभाज़ का दौयातनमा फढ गमा है , अगय
ऩहरे दस सेकॊड का सजदा हो यहा था तो अफ ऩॊद्रह सेकॊड का हो गमा , रेककन तजजज़मा
कयने से भारूभ होता है कक इस एक सजदे के दो भस्जूद होंगे। दस सेकॊड का सजदा तो
अल्राह के लरए था, रेककन ऩाॊच सेकॊड का सजदा उस शख़्स के लरए है जजसे वो
ददखा यहा है , औय मही लशकक है । तो एक है लशकक- ए-जरी औय एक है लशकक-ए- ऽफ़़ी।
एक औय तक़्सीभ इस ऐतफाय से क़ी गई है कक एक है अ़़ीदे का लशकक औय एक है अभर
का लशकक। एक शख़्स भख़्
ु तलरफ़ भाफद
ू ों को भानता है नाभ रेकय , जफकक एक शख़्स वो है
जो अल्राह के लसवा ककसी भाफूद को नाभ रेकय नहीॊ भान यहा , रेककन अगय
तजजज़मा ककमा जाए तो भारूभ होता है कक इसके अभर भें लशकक है । भसरन नफ़्जस ऩयस्ती
एक क़स्भ का लशकक है । एक तयफ़ हुक्भ है अल्राह का औय औय एक तयफ़ ख़्वादहश
है अऩने नफ़्जस क़ी। हभ ककतने ही भवा़े (अवसयो) ऩय अल्राह के हुक्भ को ऩसे
ऩुश्त डार कय अऩने नफ़्जस क़ी ख़्वादहश को भु ़द्दभ कयते हैं ! उस वक़्त हभाया अस्र भाफूद
कौन है ? हभाया नफ़्जस ही है । इशाकदे इराही है :
َ ى َ ٍ ى ى َّل ى ى ىٰـ ى ي ى ى ي َ ى َ ى ى ي ي ى ى ٍ ى ن
َم اذ ِ هػ ـ هو ا أف ٍ موف عوي ًـ كلًيَل ً ًأرأ
(ऐ नफी !) क्मा आऩने ाौय ककमा उस शख़्स के हार ऩय जजसने अऩनी ख़्वादहशे नफ़्जस को अऩना
भाफूद फना लरमा? तो क्मा आऩ ऐसे शख़्स क़ी जज़म्भेदायी रें गे? (अरफ़ु़ाकन : 43 )
10
महाॊ नोट ककजजए कक रफ़्जज़ “इराह” इस्तेभार हुआ है , ताकक कोई भुााल्ता न यहे । औय मही
َ
ا ًهى ىـ ًٌَل ٌ ‘ي
हभाये कल्भाए तय्मफा का रफ़्जज़ है ’। तो भारूभ हुआ कक अभर भें लशकक हो यहा
है , अगयचे अ़़ीदे भें लशकक नहीॊ है । उस शख़्स ने कबी बी अऩने नफ़्जस को भाफद
ू भाना नहीॊ ,
फजल्क आऩ इससे मह फात कयें गे तो वो आऩका लसय फ़ोड दे गा , रेककन दयह़़ी़त इसके
अभर भें लशकक भौजूद है । इसी के ज़ैर भें नफी- ए-अकयभ क़ी एक हदीस है
जजसभें आऩ ने फ़यभामा “हराक हो जाए ददयहभ व दीनाय का फॊदा”। महाॊ
रफ़्जज़ “अतद” रामा गमा है । इसी से “इफादत” फना है जजस के लरए फ़यभामा गमा
اس ٍع ي يدك ىربَّل ي ي هَّلذم ى وى ىق ي ٍ ىك هَّلذ ى ًَم ىق ٍ وً ي ٍ هى ىعوَّل ي ٍ ى َّل يق ى
وف ىَي أَ ُّم ىا َّلهن ي
ً ً
“ऐ रोगो! फनदगी कयो अऩने यफ क़ी जजसने तुम्हें औय तुभसे ऩहरे के रोगों को ऩैदा ककमा, ताकक तुभ फच
सको l(अर फ़यह:21)
आऩको भारूभ है कक रुऩमे क़ी ऩूजा ककस अॊदाज़ से होती है । रुऩमे को कबी ककसी ने
भाफूद नहीॊ भाना, रेककन अगय कोई बफर फ़ेर इसक़ी फॊदगी कय यहा है तो इसका नाभ
ख़्वाह अतदयु क हभान हो मा अतदल्
ु राह हो , रेककन अस्र भें “अतदद्
ु दीनाय” औय “अतदद्
ु ददहक भ ”
है । अफ आऩ ाौय ककजजए कक हभ भें से ककतने होंगे जो इन दोनों चीज़ों मानी नफ़्जस ऩ यस्ती
औय दौरत ऩयस्ती के अॊदय भुरजववस न ही हों! अगय कोई सत्तय फ़़ीसद अल्राह के
अहकाभ भान यहा है तो तीस फ़़ी सद भें कोताही कय यहा है । औय आऩ इस कोताही को लसफ़क
एक भॊफ़़ी ़द्र न सभखझमे कक फस अल्राह क़ी फॊदगी भें कभी औय कोताही है । नहीॊ !
फजल्क वहाॊ भुस्फत तौय ऩय आऩ ककसी औय क़ी फॊदगी कय यहे हैं। मह नफ़्जस क़ी फॊदगी हो
यही है , ऩैसे क़ी फॊदगी हो यही है , शोहयत क़ी ऩूजा हो यही है , इक़्तदाय क़ी ऩूजा हो यही है ।
तो भारूभ हुआ कक हभायी जज़ॊदगगमों भें मह दोनों इफादतें , दोनों ऩयजस्तशें , दोनों ऩूजाएॊ साथ
साथ चर यही हैं। मह लशकक नहीॊ तो औय क्मा है ? ऐसे रोगों ऩय मह सयू ह फकयह कक 85
नॊफय आमते भफ
ु ायका सादद़ आती है :
ٍ
ۚ ى ىا ىج ىز يء ىَم ىً ٍف ىع ين ٰـ ىذه ً ىك يًن ي ٍ ِ َّلَل ً ٍز هم ً اىىَي ًة ُّمهدٍٍيا ۖى ٍكف ب ى ع و
ً
وف ب ى ٍع ً هٍ ًم ى اا ىك ى ٍم يف ير ى
ً ً
أَ ىف ي ٍ ي يًن ى
اوَّل يػـ ب ىغافًن ى َّل ا ى ٍع ىًو ي ى
وف كف ِ ىٰـ أَ ىط ٌ ًد هٍ ىع ىذ ا ۗ ىكياى ىك ى ٍ ىـ هٍ ًق ىي ى
اي ً ي ى ُّمد ى
ً و ً
11
“तो क्मा तुभ ककताफ के एक दहस्से को भानते हो औय एक का इॊकाय कयते हो ? तो तुभ भें से जो कोई
मह जुभक कयें उनका फदरा इसके लसवा औय क्मा है कक इनहें दतु नमा क़ी जजॊदगी भें ज़रीर व ख़्वाय कय
ददमा जाए औय आखऽयत के ददन इनहे शदीद तयीन अज़ाफ भें झोंक ददमा जाए ? औय अल्राह उन
अफ महाॊ “ا
” َأ َأ ِّد ْلا َأ َأ ِّدके अल्फ़ाज़ ऩय ाौय कयने से मह फात सभझ भें आती है कक मह तयज़े
अभर लशकक है , औय लशकक वो जुभक है जजसके फाये भें अल्राह ने फ़यभा ददमा कक
इसक़ी फजख़्शश का कोई सवार नहीॊ।
इक़्साभे लशकक के हवारे से दो तक़्सीभें तो वो हैं जो भैंने आऩके साभने यखीॊ , मानी लशके
जरी, औय लशके ऽफ़़ी, मा लशके अ़़ीदा औय लशके अभरी।
ي َّل
इभाभ इतने तैलभमा ىر ٍ ىػ اوػ ًـका इन भुफादहस भें फडा ऊॊचा भ़ाभ है । उनक़ी इजस्तराहात के
भुताबफ़ एक है लशकक कफ़र भाअयफ़ा , मानी अल्राह क़ी ऩहचान भें लशकक , औय एक है
12
ي َّل
इभाभ इतने तैलभमा ىر ٍ ىػ اوػ ًـने लशकक क़ी फहस को इन दो इजस्तराहात भें जभा ककमा है ।
“लशकककफ़रभअयफ़ा” मह है कक अल्राह क़ी ऩहचान भें कोई कभी हो, इसक़ी ज़ात व
लसफ़ात के जज़भन भें ककसी को राकय इसका साझी औय हभ ऩल्रा फना ददमा गमा हो। मह
भअयफ़त ऽद
ु ावॊदी भें लशकक है । औय जो लशकककफ़रअभर है इसको इनहोंने नाभ ददमा “लशकक
कफ़त्तरफ” का कक अगय भ़सूद व भतरूफ औय भहफूफे ह़़ी़़ी होने के ऐतफाय से कोई शै ,
कोई शख़्स, कोई हस्ती, कोई इदाया अल्राह के हभ ऩल्रा हो जाए, ददर के तख्त ऩय
अगय वो अल्राह के फयाफय आकय फैठ जाए तो मह “लशकककफ़त्तरफ’’ है ।
इक़्साभे लशकक के हवारे से एक तीसयी तक़्सीभ बी है जो भेये नज़दीक ज़्मादा आभ फ़हभ
(comprehensive) है औय भैं ज़ेर भें इसी के ऐतफाय से फहस करूॊगा। भैं सभझता हूॊ कक
अगय इस त़सीभ के हवारे से इक़्साभे लशकक का एक दफ़ा अहाता कय लरए जाए तो
इनशाअल्राह वो फाततनी फसीयत ऩैदा हो जाएगी कक अगय कबी लशकक क़ी कोई औय सूयत बी
ऩैदा हुई तो इस फसीयत क़ी यौशनी भें इसके ऩहचा नने भें ददक़़्त नहीॊ होगी। इस तक़्सीभ
क़ी रू से लशकक क़ी तीन क़स्भें हैं : एक है “लशकककफ़ज़्ज़ात” मानी अल्राह क़ी हस्ती,
अल्राह क़ी ज़ात भें ककसी औय को इस का साझी औय हभ ऩल्रा फना रेना। इसके
लरए अयफी का अस्र “कुफ़ू” है । (हभ उदक ू फोर चार भें आभ तौय ऩय “हभकुफ़ू” कह दे ते हैं ,
हाराॊके रफ़्जज़ भें कुफ़ू भें “हभकुफ़ू ” का ऩयू ा भफ़्जहूभ भौजद
ू है जो फ़ायसी ततीफ है । ) सयू तुर
َ ي َّل ي ي ٍ ىك ى
इख़्रास भें दो टोक अल्फ़ाज़ भें फ़यभा ददमा गमा : ىًمٌ ه يـ لف نو أ ى هد “औय कोई इसका
ي َّل
कुफ़ू नहीॊ है ”! “कुफ़ू का भतरफ है फयाफय, हभसय। हज़यत शैऽ अर दहॊद ىر ٍ ىػ اوػ ًـने इस
आमत का तजुभ
क ा ककमा है : “औय नहीॊ है इसके जोडे का कोई। ” ऩहरे जभाने भें मह रफ्ज़
शादी के भाभरे भें फहुत इस्तेभार होता था कक शादी कूपु भें होनी चादहए , मानी फयाफयी
का भाभरा होना चादहए औय इस भाभरे भें भुख़्तलरफ़ ऐतफायात से दे खा जाना चादहए ,
ताकक अभरन कोई फेजोड वारी फात न हो जाए औय अदभ भवाफ़्ज़त नही हो, फजल्क
भाहौर कुछ एक जैसा ही हो जजसभें रडका औय रडक़ी ऩरे फडे हों , त़यीफन एक ही सतह
क़ी जज़ॊदगी इनहोंने फसय क़ी हो , आदत भें कहीॊ फहुत ज़्मादा फ़़क न हो l औय मह भाभरा
दय ह़़ी़त दहक्भत भें से है । तो इस रफ्ज़ “कुफ़ू” को ज़हन भें राइए कक ककसी को
13
अल्राह का कुफ़ू फना दे ना “लशकक कफ़ज़्ज़ात” है औय मह फदतयीन, उयमाॊ तयीन औय
तघनोवना तयीन लशकक है , जजस ऩय अल्राह का ाज़फ फहुत बडकता है ।
दस
ू यी क़स्भ का लशकक “लशकक कफ़जस्सफ़ात” कक अल्राह क़ी लसफ़ात भें ककसी को इसके
फयाफय कय दे ना, भद्द-ए-भु़ाबफर फना दे ना, साझी ़याय दे दे ना औय लभसर फना दे ना।
आऩ उरभाए कयाभ के ऽु तफात भें मह अरफ़ाज़ सुनते होंगे
15
शिर्कफ़िज़्जात ( )
जैसा के भैंने अज़क ककमा , मह फदतयीन, उयमाॊतयीन, तघनाओना तयीन औय अल्राह के
नज़दीक भफाज़
ू तयीन लशकक है । दतु नमा भें इस लशकक क़ी दो सूयतें याइज यही है । एक को
भज़हफी ककस्भ का लशकक कहा जा सकता है औय एक को फ़रसफ़ माना ककस्भ का लशकक।
फजल्क सहीहतय तअफीय मह होगी कक ऩहरा लशकक वो है जो उन ़ौभों भें ऩैदा हुआ जो
अऩने आऩको यसर
ू ों से भॊसफ
ू कयती हैं औय आसभानी दहदामत ऩय म़़ीन य खती हैं। औय
दस
ू या लशकक वो है जो उन ़ौभों भें ऩैदा हुआ जजनके भज़ादहफ क़ी असर ह़़ी ़त
फ़रसकफ़माना है , कुछ दहक्भत औय फ़रास्फ़ा के कफ़क्र औय सोच ऩय उनके भज़हफ क़ी
फुतनमाद ़ामभ है ।
ऩहरी नोइमत का लशकक है ककसी को अल्राह का फेटा मा फेटी ़याय दे ना। ज़ादहय
फात है कक फेटा मा फेटी तो हभ जजॊस औय हभ नोअ हुए ! जैसे भुार का फेटा भुार है ,
इॊसान का फेटा इॊसान है औय घोडे का फेटा घोडा वाैयह। भारूभ हुआ कक मह नोअ भें , जजॊस
भें , भतकफा भें , ाज़क हय एतफाय से बफल्कुर फयाफयी औय कुफ़ू वारा भाभरा है , औय मही वजह
है कक इस नोअ के लशकक ऩय अल्राह का ाज़फ फहुत बडकता है है । औय इस ़द्र
काबफरे ताजजुफ फात औय लसतभ ज़यीकफ़ है कक इस नोअ के लशकक भें भुततरा वो रोग हुए
जो नबफमो औय यसूरों के भानने वारे हैं , जरीरुर ़द्र ऩैाम्फयों क़ी तयफ़ अऩने आऩको
भॊसूफ कयने वारे हैं , आसभानी दहदामात का दभ बयने वारे औय अल्राह क़ी ककताफों
को भानने वारे हैं। चन
ु ाॊचे एक तयफ़ तो भश
ु रयक़ीन अयफ थे जो अऩने आऩको भॊसफ
ू कयते
थे उस भवादहद आज़भ हज़यत इब्राहीभ क़ी तयफ़, औय उनका दाअवा मह था कक
हभ हनीफ़़ी हैं , मानी दीन हनीफ़ ऩय हैं , वही दीन-ए-हनीफ़ जो के हज़यत इब्राहीभ
का दीन था। औय उनका हार मह था कक उनहोंने फ़रयश्तों को ऽुदा क़ी फेदटमाॊ ़याय ददमा।
दस
ू यी तयफ़ महूददमों ने हज़यत उज़ै य को “इतनुल्राह” कहा, उनहें अल्राह का
फेटा भाना गमा। तौयात को आऩ ऩढ कय दे खे तो भारूभ होगा कक वहाॊ लशकक क़ी भज़म्भत
इस ़द्र लशद्दत के साथ आई है कक लशकक को जज़ना के साथ ताफीय ककमा गमा है । वहाॊ फाय
फाय आऩको मह तभसीर लभरेगी कक जैसे ककसी शख़्स क़ी फीवी जज़ना क़ी भयतककफ हो औय
16
अऩने शौहय से फेवफ़ाई कये बफल्कुर मही तज़े अभर है उस शख़्स का जो अल्राह के
साथ फेवफ़ाई कय यहा है । हज़यत भूसा ने फछडे को अल्राह का शयीक
फनाने क़ी सज़ा के तौय ऩय उ न रोगों के ़त्र का हुक्भ ददमा था जजनहोंने लशकक का
इयततकाफ ककमा था, औय मही इयतदाद क़ी सज़ा है जो हभाये हाॊ बी भौजूद है । वहाॊ लशकक क़ी
ऩादाश भें हज़ायों इस्राईलरमों को ़त्र ककमा गमा। रेककन इसी ़ौभ भें कपय मह लशकक ऩैदा
हुआ कक इनहोंने हज़यत उज़ै य को ऽुदा का फेटा ़याय दे ददमा। औय मह भज़क औय
गुभयाही अऩनी इजनतहा औय नुक़्ताए उरूज को ऩहुॊची है ईसाईमों के हाॊ जजनहोंने हज़यत
भसीह को ऽद
ु ा का फेटा ़याय ददमा। महूददमों भें तो लसफ़क एक दौय ऐसा गज़
ु या
औय उनके कुछ भख़्सूस कफ़के थे जजनहोंने मह लशकक ककमा , भगय भसीदहमत तो कुर क़ी कुर
इसी अ़़ीदे ऩय भफनी है , औय उनहोंने इस भाभरे भें इस दजे ारू ककमा कक हज़यत ईसा
बफन भरयमभ को सयाहत के साथ अल्राह का सुल्फी फेटा ़याय ददमा औय
इनके लरए रफ़्जज़ “वरद” इस्तेभार ककमा। महाॊ मह फात ज़हन भें यखखए के “इतन” के रफ़्जज़
भें दो अहतभारात हैं। अयफी ज़फान भें “इतन” ककसी ताल्ऱ
ु औय तनस्फत को बी ज़ादहय
कयता है , औय ज़रूयी नहीॊ कक वो फाऩ औय फेटे ही क़ी तनस्फत हो। भस्रन आऩ ककसी को
“इतनुरवक़्त” कहते हैं तो वो वक़्त का फेटा नहीॊ है , फजल्क इसका फॊधन औय ताल्रु़ वक़्त
से है , भयाेफादनुभा है , हवा इधय क़ी चर यही है तो इधय को उसका रुऽ है , उधय क़ी चर
ऩडे तो उधय को इसका रुऽ हो जाएगा। इसी तयह “इतनस्
ु सफीर” कहते हैं यास्ता चरने वारे
भुसाकफ़य को। इसका भतरफ मह नहीॊ के वो यास्ते का फेटा है , फजल्क यास्ते के साथ जुडा
हुआ है , चरा जा यहा है । तो “इतन” का रफ़्जज़ ज़ो भाअनीमन है । अयफी जुफान भें इॊजीर के
तजुभ
क ो का भुतारा कयने से भारूभ होता है कक हज़यत भसीह “फेटा” के भअनों
अऩने लरए फतौय इस्तआया रफ़्जज़ “इतन” इस्तेभार कयते थे। जैसे तौयात भें लशकक के लरए
जज़ना क़ी तम्सीर लभरती है कक जजस तयह एक फीवी जज़ना का इयतकाफ कयके अऩने शौहय
से फेवफ़़ी कयती है , इसी तयह एक शख़्स लशकक कयके अऩने यफ से फेवफ़ाई का भयतकफ हो
यहा है । इसी तयह इस तनस्फत को दे खखए जो फाऩ औय फेटे के दलभकमान है कक फाऩ बी चूॊके
अऩने फेटे को ऩारता ऩोसता औय ऩयवान चढाता है , इसक़ी ऩयवरयश कयता है , लरहाज़ा इसी
तनस्फत से हज़यत भसीह ने अल्राह को भख़्रू़ का यफ होने क़ी है लसमत
से आसभानी फाऩ औय इॊसानों को उसके फेटे ़याय ददमा। अनाजीर अयफा ( अयफी जफ
ु ान भें
17
क ो) भें मह फात लभरती है कक हज़यत भसीह अल्राह को जहाॊ
इॊजीर के तजुभ
“भेया आसभानी फाऩ” कहते हैं वहाॊ “तुम्हाया आसभानी फाऩ” बी कहते हैं। ऐसा ़तअन नहीॊ
है के उनहोंने ऽस
ु लू समत के साथ (exclusively) अऩने ही रफ़्जज़ “इतन” इस्तेभार ककमा हो,
फजल्क अल्राह को “तभाभ नोऐ इॊसानी का आसभानी फाऩ ” कहा गमा औय लसफ़क
अस्तआया के तौय ऩय। रेककन ईसाईमों ने आगे फढा कय इस अ़़ीदे को जहाॊ ऩहुॊचामा है वो
रफ़्जज़ “वरदन
ु ” है । “वरदन
ु ” के भाअना सुल्फी औराद के हैं , औय औराद भें फेटे औय फेदटमाॊ
दोनों शालभर हैं। रफ़्जज़ “वरदन
ु ” भें ककसी इस्तआये मा ककसी औय ताल्रु़ का भाभरा बी
नहीॊ है । तो मह जान लरजजए कक ़ुयआन भजीद ने ईसाईमों के फाये भें तो दोनों फातें कहीॊ
कक उनहोंने हज़यत ईसा को “इतनुल्राह” बी ़याय ददमा औय “वरदल्
ु राह” बी ़याय
ददमा। जैसे उनका ़ौर ऩर हुआ
ىكًينذ ىر هَّلذ ى ىقاهيو َّلا ى ىذ اوَّل يػـ ىكهىدن
ً ً
औय उनको सावधान कय दे , जो कहते है , " अल्राह सनतानवारा है’’।(अल्कहफ़ : 4)
रेककन ़ुयआन ने महूददमों के फाये भें लसफ़क एक इल्ज़ाभ रगामा गमा कक उनहोंने हज़यत
उज़ैय को “इतनुल्राह” ़याय ददमा। औय भुशरयक़ीन अयफ के फाये भें आता है उनहोंने
फ़रयश्तों को ऽुदा क़ी फेदटमाॊ ़याय ददमा। अफ आऩ दे खखए , सूयतुर इख़्रास, जो तौहीद के
भौजू ऩय जाभे अ तयीन सूयह है , इसभें चाय आमतों भें से ऩहरी दो आमतें
वो बफल्कुर ऩाक है । न कोई उसका फाऩ है न कोई उसक़ी भाॊ है , न कोई उसका फेटा है औय
न कोई उसक़ी फेटी है । औय कपय इसका जो भफ़्जहूभ फमान ककमा गमा , जो नतीजा तनकारा
َ ى ي َّل ي ي
गमा, वो है “ ىك ٍ ىًمٌ ه يـ لف نو أ ى هدऔय इसका कोई कुफ़ू नहीॊ है ”। इसके जोड का कोई नहीॊ है ,
इसक़ी फयाफयी का कोई नहीॊ है , इसका हभ ऩल्रा कोई नहीॊ है , इसका हभ जजॊस कोई नहीॊ है
औय इसक़ी नोअ का कोई नहीॊ है ।
18
सूयह फनी इस्राईर क़ी आखऽयी आमत जो लशकक के भौज़ूअ ऩय फडी जाभेअ आमत है , जजस
भें लशकक क़ी नफ़़ी के चाय अस्रूफ इजख़्तमाय ककमे गमे, इसभें सफसे ऩहरा अस्रूफ मही है :
هذ ٌؿ ۖ ىك ىل ٌ ٍِب يا ى ٍم ن
ً
ى ي َّل ي ى ٌّ ٌ ى ُّم
ً ً ًمٌ هـ ك ًِل ًَم
ىًميٌ هَّل يـ ىَش ه
ٍ ًك ً هٍ يً ٍو ًك ىك ى ٍ ىكقين ٍْل ى ًٍ يد اًوَّلػ ًـ هَّل ًذم ى ٍ ىً َّل ًخ ٍذ ىكهى ند ىك ى
ً ً
“औय कहो, "िशॊसा अल्राह के लरए है, जजसने न तो अऩना कोई फेटा फनामा औय न फादशाही भें
उसका कोई सहबागी है औय न ऐसा ही है कक वह दीन-हीन हो जजसके कायण फचाव के लरए उसका कोई
सहामक लभत्र हो।औय फडाई फमान कयो उसक़ी, ऩूणक फडाई”
सूयह फनी इस्राईर के फ़ौयन फाद सूयतुर कहफ़ शुरू होती है । मह दोनों सूयतें जुडवाॊ हैं औय
दहक्भते ़ुयआनी के फहुत फडे ऽज़ाने हैं जो ़ुयआन भजीद के बफल्कुर वस
ु त भें भौजद
ू हैं।
सूयतूर कहफ़ के ऩहरे यकूअ भें जज़क्र हो यहा है l
ٍَ ٍ ً ي
َم أف ىو ًه ً ٍى ِب ٍت ى ً ىً ن ىاٍري َ ٍ ٍ ىى
ا ىِب ً ٍى ۚۖ ىل ي ى ً ي َّل ى ن ى ي ى َّل ى ى ي َّل ى ى َّل ي ى ى
ً ً ﴾يا ه ى ب ً ًـ َم ًعو وى كَل٤﴿ نذر ه ًذ قاهو اذ اوػـ كهد ً ًك
ن ى ي ي ى َّل ى
﴾٥﴿ ۚۖ ِ ف ًقوهوف ِ َل ل ًذِب
औय (अल्राह ने अऩने फॊदे भुहम्भद ऩय मह ़ुयआन इसलरमे नाजज़र ककमा है) उनको
सावधान कय दे , जो कहते है , " अल्राह सनतानवारा है।"(4) इसका न उनहें कोई ऻान है औय न
उनके फाऩ-दादा ही को था। फडी फात है जो उनके भॉह
ु से तनकरती है। वे केवर झठ
ू फोरते है (5)
इसे नोअ के लशकक ऩय अल्राह के ाैज़ व ाज़फ का मह अॊदाज़ा अऩने ऩूये नुक़्ताए
उरूज को ऩहुॊच जाता है अगरी सूयह , सूयह भरयमभ के आखऽयी यकूअ भें । जो शख़्स इफायत
के तैवय को ऩहचानता औय रहजे के फ़़क को जानता हो वो फऽफ
ू ी सभझ सकता है कक महाॊ
अल्राह का ाैज़ व ाज़फ ककस तयह बडकता है । इशाकद इराही है :
ى ى ي َّل ى ى ي ى ى ى َّل ٍ ى ٍ ي ى ى ى ُّم ٍ َ ٍ ي ًّ ن ٍ َّل ى ٍ ٍ ي ٍ ى ن ى ى ي َّل ى ى َّل ٍ ىٰـ ي ى ى
﴾ َكد هصًاك ت ً فلرف يًنـ ك نظ ار٨٩﴿ ﴾ هقد ًج ن طي ا ِ د٨٨﴿ كقاهو اذ هر ػٌ كهد
ي ُّم ى ن ى ى ى ى َّل ٍ ىٰـ َ ى َّل ى ى ى ن َ ى ى ٍ َّل ٍ ىٰـ ى ى ًّ ى ى ى ُّم ٍ ى ي
ً ﴾ ِ ف ُك َم٩٢﴿ ﴾ كيا ًن ًِغ اًور ػ ًٌ أف ً ًخذ كهد٩١﴿ ﴾ أف دعو اًور ػ ًٌ كهد٩٠﴿ كاًر ًا اؿ هد
ن ٍ ى ٰـ ى ٍ َّل َ َّل ى ى ى ٍ َ ٍ ً َّل
﴾٩٣﴿ هصًاك ًت ك ار ِ َل أ ًِت هر ػ ًٌ ع د
वे कहते है , "यहभान ने ककसी को अऩना फेटा फनामा है।" (88) अत्मनत बायी फात है , जो तुभ घड राए हो!
(89) तनकट है कक आकाश इससे पट ऩडे औय धयती टुकडे-टुकडे हो जाए औय ऩहाड धभाके के साथ गगय
ऩडे, (90) इस फात ऩय कक उनहोंने यहभान के लरए फेटा होने का दावा ककमा! (91) जफकक यहभान क़ी
19
िततष्ठा के िततकूर है कक वह ककसी को अऩना फेटा फनाए (92) आकाशों औय धयती भें जो कोई बी है एक
फनदें के रूऩ भें यहभान के ऩास आनेवारा है (93)
इनभें आमत नॊफय 92 बफल्कुर ़ाबफरे ाौय है । शामाने शान नहीॊ होने क़ी वजह ककमा है ?
मह फडी सादा सी फात है l औराद क़ी ज़रूयत अस्र भें इसलरमे होती है कक कोई हस्ती ऽुद
फ़ानी हो। अगय ककसी को फ़ाअ औय दवाभ हालसर हो औय उसे दतु नमा भें हभेशा के लरए
यहना हो तो इसे ककसी औराद क़ी ज़रूयत नहीॊ है । औराद तो फ़ाअए नोअ औय फ़ाअऐ
नस्र के लरए है । जो फ़ानी है वो मह भहसस
ू कय सकता है कक भेयी औराद क़ी शकर भें
भेयी हस्ती का एक तसरसुर फय़याय यहे गा। इसी लरए तो वो योते हैं जजनके हाॊ औराद
नहीॊ, ऽास तौय ऩय जजनक़ी औराद- ए-नयीना (फेटा ) नहीॊ वो कहते हैं कक हभाया नाभ लभट
जाएगा। मही ताअना तो ददमा गमा था भुहम्भद यसूरुल्राह को, कक इनक़ी
कोई औराद-ए-नयीना नहीॊ, इनका नाभ ऽत्भ हो जाएगा , मह तो अततय हैं , जजसके जफाव भें
सयू तूर कौसय नाजज़र हुई :
ٍَ ى ى ٍ ٌ ى اؾ هٍ ىم ٍو ى ى
﴾٣﴿ ﴾ ِ َّلف طاٍ ً ى ىك يه ىو ا ٍبَتي٢﴿ ﴾ ف ىص ًن ه ً ىر ٌب ً ىك ىك ْنى ٍر١﴿ َث ِ َّلَّن أَ ٍع ىل ٍي ىن ى
“(ऐ नफी !) हभने आऩको ऽैय कसीय अता क़ी है। ऩस अऩने यफ क़ी नभाज़ ऩढे औय (उसी के
नाभ क़ी) ़ुफाकनी ककजजए। म़़ीनन आऩका दश्ु भन ही फेनाभ व तनशान होगा।”
20
इसलरए कक अल्राह के लरए फेटा मा फेटी भानोगे तो ऩहरे इसके लरए कोई फीवी बी
भानना ऩडेगी। रेककन अजीफ फात मह है कक अल्राह के लरए कोई बी फीवी भानने
के लरए तैमाय नहीॊ है । तो कैसे उसके औराद हो जाएगी ? वो तो “अरफदीअ” है । महाॊ
“फदीअ” के दोनों भफ़्जहूभ ज़हन भें यखखए। एक भफ़्जहूभ है कामनात को अदभे भहज़ से वजूद
फख़्शने वारा। फदीअ का दस
ू या भफ़्जहूभ है अनोखी चीज़ , फेलभसर चीज़। महाॊ अल्राह
क़ी वो शान बी ज़ादहय है कक वो फे लभसर है , अऩनी ज़ात भें बफल्कुर अनोखा है , इसक़ी कोई
फीवी नहीॊ, तो इसक़ी औराद कहाॊ से हो जाएगी ?
इस जज़भन भें ़ुयआन भजीद ने भुशरयक़ीन अयफ के जज़क्र भें कुछ रतीफ़ तनज़ बी ककमे हैं
कक ईसाईमों औय महूददमों ने तो अल्राह को फेटे ददमे रेककन तुभने तो कभार ककमा
कक अराट बी क़ीॊ तो फेदटमाॊ क़ीॊ ! इशाकदे इराही है
ن َ ى َ ٍ ى ي ٍ ى ُّم ي ٍ ى ى ى َّل ى ى ى ٍ ى ى ى ى ن َّل ي ٍ ى ى ي ي ى ى ن
وف ق ٍوَل ىع ًظًمي أف فاا رب ًِبه ًن ك اذ ًَم هًَل ًم ً ِ َّن ۚ ِ ٍ ه قوه
“(मह फडी अजीफ फात है कक) तुम्हाये यफ ने तुम्हें फेटे अता कय ददए, औय ऽुद अऩने लरए फ़रयश्तों को
फेदटमाॊ फना लरमा ? म़़ीनन तभ
ु फडी बायी फात अऩनी ज़फान से तनकार यहे हो।” (फनी इस्राईर :40 )
इसलरए कक तुभने इसे अराट बी क़ी हैं तो फेदटमाॊ क़ी हैं। मही सयू तुस्साफ़्जफ़ात भें फ़यभामा
ى ى ى يٍ ىٍى ىٍ يي ٍ َ ٍ ى ى ٍىى ىى
﴾١٥٤﴿ ﴾ يا ه لي َتُكوف١٥٣﴿ ات لَع ه ى ًن ى
ً أ لَف ه ن
“क्मा अल्राह ने फेटों को छोड कय (अऩने लरए) फेदटमाॊ इजख़्तमाय कय रीॊ ?तुम्हें क्मा हो गमा है ?
कैसे हुक्भ रगा यहे हो ?”
अरतत्ता मह फात भस
ु ल्रभा है कक गजु ज़श्ता अक़्वाभ भें जो ़ौभें बी लशकक कफ़ज़्ज़ात भें
भतु तरा हुईं इनभें से ककसी ने बी अल्राह के लरए फीवी तस्रीभ नहीॊ क़ीॊ।
ईसाईमत के फाये भें मह फात जान लरजजए के अगयचे ईसाईमों भें इस लशकक “लशकक कफ़ज़्ज़ात”
ने सफसे ज़्मादा फदतयीन सूयत इजख़्तमाय क़ी औय मह लशकक अऩने नुक़्ताए उरूज को ऩहुॊचा ,
रेककन ईसाईमों भें बी जो तस्रीसें याइज यही हैं उनभें ऩहरी तस्रीस (Trinity) जो इततदा भें
ज़्मादा भानी जाती थी वो मह है God the Father, Mary the mother and Jesus the
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son. मानी फाऩ, फेटा औय भाॊ तीन इराह हैं औय इसभें हज़यत भरयमभ भाॉ के रयश्ते
से अरुदहमत भें शयीक हैं , ऽुदा क़ी फीवी होने क़ी है लसमत से नहीॊ ! औय इसभें फडा फ़़क है ।
इस जदीद दौय भें इस तस्रीस को भानने वारे फहुत कभ ईसाई हैं। अफ जो तस्रीस याइज
है , जो तनस्फतन ज़्मादा फ़रसफ़माना है , वो मह है God the Father, Jesus the son and
the Holy Spirit (Ruh-ul-Qudus). मानी फाऩ, फेटा औय रूहुऱुद्स। इस तस्रीस भें से
शिर्कफ़िज़्जात र्ी दस
ू री सूरतें
लशकक कफ़ज़्ज़ात क़ी जो दस
ू यी सूयतें हैं वो फ़रसफ़्जमाना भज़ादहफ भें याइज यही हैं।
फ़रसफ़्जमाना भज़ादहफ क़ी भुकम्भर तयीन औय नुभामाॊ तयीन लभसारें दहॊदस्
ु तान के भज़ादहफ
हैं। दहॊद ू भत असर भें कोई भज़हफ नहीॊ है , फजल्क मह फहुत से भज़ादहफ का भजभूआ है ।
इनभे वो भज़ादहफ बी हैं जो ऽद
ु ा का लसये से इॊकाय कहते हैं , वो भज़ादहफ बी हैं जो शदीद
तयीन लशकक के अॊदय भतु तरा हैं , औय इनके फयअक्स इनभें वो भज़ादहफ बी हैं जो तौही द क़ी
फहुत ऊॊची चोटी ऩय ऩहुॊचे हुए हैं। इसी तयह फुद्ध भत बी फज़ादहय अहवार जैसा बी नज़य
आता है , एक फ़रसफ़्जमाना भज़हफ है । जैन भत बी एक फ़रसफ़्जमाना भज़हफ है । ताउइज़्भ
औय कॊफ़मूलशलसज़्भ बी फ़रसफ़्जमाना भज़ादहफ हैं। इसी तयह मह जो दहॊदी चीनी (Indo
Chinese) भज़ादहफ हैं, इन सफ क़ी फतु नमाद फ़रसफ़ा है । अगयचे म़़ीन के साथ तो नहीॊ
कह सकते, रेककन गोतभ फुद्ध के फाये भें फाज़ खोजकताक का गुभान है कक वो हज़यात
ज़ुल्कुफ़्जर थे, कऩरवस्तु वारे। मानी कऩर का “ऩ”, “फ़” से फदर गमा गमा तो
ज़ुल्कुफ़्जर हो गमा (वल्राहु आरभ)। फहयहार इन फ़रसफ़माना भज़ादहफ भें लशकक क़ी जो
मह दो सयू तें औय शकरें फनीॊ इनको जान लरजजए।
एक शक्र है जजसे अॊग्रेज़ी भें Pantheism से ताफीय ककमा जाता है । फ़ायसी भें इसका तजुभ
क ा
“हभाउस्त” है , अगयचे इसको ऽल्ते भफहस ककमा जाता है अ़़ीदा “वहदतुर वजूद ” से, जो
हभाये हाॊ के फाज़ हकभाअ, फ़रासफ़ा औय सूकफ़माअ क़ी अक्सयमत का अ़़ीदा है । फाज़ रोग
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नासभझी भें “हभाउस्त” को वहदतुर वजूद के भुतायाददफ़ मा वहदतुर वजूद को हुभाउस्त के
भुतायाददफ़ ़याय दे दे ते हैं।
लशकक कफ़ज़्ज़ात क़ी दस
ू यी नभ
ु ामाॊ शकर है जजसे अॊग्रेज़ी भें Incarnation औय दहॊदी भें
“अवताय” का अ़़ीदा कहा जाता है , औय अयफी का रफ़्जज़ “हरूर” त़यीफन इन दोनों सूयतों
क़ी ताफीय के लरए इस्तेभार होता है ।
अफ ऩहरे मह सभझ लरजजमे कक हभाउस्त मा Pantheism क्मा है । मह असर भें फ़रसफ़ाए
वजद
ू क़ी एक फहस है । दहॊदस्
ु तान भें फाज़ रोग दो हजस्तमों को ़दीभ भानते हैं, मानी ऽद
ु ा
बी ़दीभ औय भाद्दा (द्रवम) बी ़दीभ। इनके ख़्मारात भें तऽरी़ का अभर ऽुदा औय
भाद्दे के इश्तयाक से वजूद भें आता है । जैसे एक फढई रकडी से कुसी, भेज़ मा लभम्फय फना
दे , तो कुसी, भेज़ मा लभम्फय फनाने वारा फढई बी ऩहरे से भौजूद था औय वो रकडी बी
ऩहरे से भौजद
ू थी जजससे मह चीज़ें फनाइ गईं। इसी तयह ऽद
ु ा बी ़दीभ औय भाद्दा बी
़दीभ है , औय ऽुदा ने भाद्दे से मह भुख़्तलरफ़ शक्रें फना दी हैं। इसको आऩ साजनवमत
कह लरजजए कक दो हजस्तमों को ़दीभ भानना। इसके अरावा एक अ़़ीदा उनका यहा जो
तीन अश्माअ को ़दीभ भानते हैं , मानी ऽुदा बी कदीभ , भाद्दा बी ़दीभ औय रूह बी
़दीभ। वो ऽद
ु ा औय भाद्दे के साथ रूह को बी ़दीभ भानते हैं कक वो बी हभेशा से है ।
मह “तादादे ़द्भाअ” का अ़़ीदा है कक ़दीभ हजस्तमाॊ एक से ज़ाइद दो मा तीन भान री
गईं औय मह बी एक तयह क़ी तसरीस है ।
रेककन जो तनस्फतन तौहीद के भानने वारे थे , जजनहोंने रूह को ़दीभ भाना औय न भाद्दा
को, फजल्क लसफ़क ऽुदा को ़दीभ भानते थे , अफ उनहोंने तौहीद से लशकक तनकार लरमा। इनके
लरए मह फडा अश्कार ऩैदा हुआ कक कपय ऽद
ु ा ने इस दतु नमा को कैसे फनामा ? इसके लरए
जफ कोई शै ऩहरे से थी नहीॊ औय लसफ़क वही ़दीभ है , मानी न भाद्दा ़दीभ, न रूह
़दीभ तो मह दतु नमा कैसे वजूद भें आ गई ? तो इसक़ी एक शक्र इनहोंने मह ़याय दी
औय मह अ़़ीदा वजूद भें आमा कक ऽुदा ने ऽुद ही इस कामनात का रूऩ धायण कय लरमा
है । जैसे फफ़क वऩघर कय ऩानी फन जाए तो अफ फफ़क ही ऩानी है , मानी फफ़क ही ने ऩानी क़ी
शक्र इजख़्तमाय कय री। अफ इस ऩानी को आऩ ने आग दी तो वो बाऩ फन गमा। तो अफ
मह बाऩ ही ऩानी है औय बाऩ ही फफ़क है । इसी तयह उनके ख़्मार भें ऽुदा ने कुजल्रमतन मा
जुज़ ्अन उस कामनात क़ी शक्र इजख़्तमाय कय री। अफ इस अ़़ीदे क़ी बी दो शक्रें हो
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गईं। एक मह कक ऽुदा अफ यहा ही नहीॊ , फजल्क ऽुदा कुर का कुर इस कामनात क़ी शक्र
भें ढर गमा है , अफ अरैहदा से ऽुदा के नाभ से कोई शै नहीॊ। औय दस
ू यी शक्र मह के
ऽद
ु ा के ककसी जज़्
ु व ने इस कामनात क़ी शक्र इजख़्तमाय कय री। मानी अगयचे ऽद
ु ा बी
भौजूद है , रेककन मह कामनात बी इसका जुज़्व है , मा मह इसी के जुज़्व क़ी एक शक्र है ।
दहॊदओ
ु ॊ के हाॊ मह तसववुयात हैं कक (नाऊज़ु बफल्राह) ऽुदा के लसय से ब्राहभण ऩैदा हुए ,
फाज़ूओॊ से ऺबत्रम ऩैदा हुए जो रडने वारे हैं , औय इसके ऩाऊॊ से शुद्र ऩैदा हुए। मह
तसववयु ात इसी अ़़ीदे का एक भनत़़ी यतत हैं। इस अ़़ीदे के फ़रसफ़माना ऩहरू ऩय ाोय
कयने से मह नतीजा तनकरता है कक अफ हय चीज़ अरूदहमत क़ी हालभर है । इस लरए कक
जफ ऽुदा ही ने कामनात का रूऩ धाय लरमा है तो कपय दयख़्त बी ऽुदा हैं , सूयज बी ऽुदा
है , चाॊद बी ऽुदा है , क़ीडे भकोडे बी ऽुदा हैं , वाैयह वाैयह। मह फदतयीन लशकक है जो
आऩको दहॊदस्
ु तान क़ी सयज़भीन भें लभरेगा।
लसफ़क ऽुदा को ़दीभ भानने वारों भें से फाज़ ने इस तयह ऩैदा शुदह अश्कार के अज़ारे के
लरए एक दस
ू यी शक्र मह इजख़्तमाय क़ी , कक ऽुदा इॊसानों क़ी शक्र भें ज़ादहय हो जाता है ,
मानी ककसी एक इॊसान भें हरूर कय जाता है । मह अवताय Incarnation का अ़़ीदा है ।
चन
ु ाॊचे इनके नज़दीक याभचनद्र जी औय कृष्ण जी ऽद
ु ा के अवताय हैं। इनके हाॊ नौ अवताय
थे। एक दसवाॊ अवताय अऩने आऩको भस
ु रभान कहने वारों ने इनभें शालभर कय लरमा है ,
जजसका तज़ककया फाद भें आएगा, फहयहार हभाउसत (Pantheism) औय अवताय फन जाने
मा हरूर कय जाने (Incarnation) का अ़़ीदा लशकक कफ़ज़्जात क़ी वो सूयत है जो
फ़रसफ़माना भज़ादहफ भें याइज है ।
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औय एक क़स्भ का भोजज़ज़ा है । हाराॊकक इस उम्भत को जो अ़़ीदत औय भुहतफत यही है
अऩने यसूरुल्राह से, इस भुहतफत से कोई भुकाफरा बी नहीॊ है उस
भह
ु तफत अ़़ीदत औय जाॊतनसायी जो ककसी दस
ू ये के उम्भततमों को अऩने यसर
ू के साथ है ।
इसके फावजद
ू नफी-ए-अकयभ को ऽद
ु ा का फेटा मा ऽद
ु ा नहीॊ फनामा गमा।
अवाभ , साधायण वक्ताओ , नाअतगोओ औय उन शामयों (जो सबी वाददमोंभे घूभते है ) के
हाॊ इस क़स्भ के इशायात औय ककनाए लभर जाते है औय मह लसफ़क ऐहाभ क़ी हद तक है ।
“ऐहाभ” का भतरफ है कक फात साफ़ औय वाज़ेह न क़ी जाए कक जजस ऩय गगय फ़्जत हो,
रेककन साभअ के ज़हन भें एक वहभ औय एक ख़्मार उबाय ददमा जाए। इस नौईमत क़ी
फातें शाइयों, वाअज़ों औय नअत गौओॊ ने क़ी हैं , जजनके लशकककमा होने भें कोई शक नहीॊ है ।
भसरन मह शैय के :
वही भस्तूई अशक था ऽुदा होकय
उतय ऩडा भदीने भें भस्
ु तफ़ा हो कय
अफ आऩ दे खखए कक इसभें औय अवताय के अ़़ीदे भें क्मा फ़़क है ? रेककन ज़हन भें यखखए
कक मह एक शाइय क़ी भफाराा आयाई है । मह इस दजे क़ी चीज़ें औय इस तयह के इस्तआये
हैं जजन से शामयी क़ी दक
ु ान चरती है । इस तयह का एक औय शैय भराख़्ता ककजजए :
भदीने क़ी भजस्जद भें भॊफय के ऊऩय
फाैय ऐन का इक अयफ हभने दे खा !
अफ रफ़्जज़ “अयफ( ”)عراभें से ऐन( )عतनकार ददजजए तो यफ( )راयह जाएगा। मानी यसूरे
अयफी अस्र भें यफ( )راहैं। नाऊज़ु बफल्राही लभन ज़ालरक। शैय भें फात वाज़ेह
नहीॊ क़ी गई औय आऩ गगयफ़्जत कयें गे तो कहा जाएगा हभने तो ऐसा कुछ नहीॊ कहा। रेककन
मह कक एक वहभ औय ख़्मार ऩैदा कय ददमा , ज़हन को उधय भोड ददमा, औय सन
ु ने वारों भें
जो ज़्मादा खुशअ़़ीदा होंगे उनहोंने वाह वाह क़ी होगी औय दाद दी होगी। तो इस तयह क़ी
फातें अऻातनमों औय अवाभ के तहतुर शऊय के अनदय ऩयवान चढती चरी गई हैं , रेककन
हभाये हाॊ के भुस्ततनद कफ़़़ों के भुस्ततनद अ़ाइद भें ककसी जगह बी कोई ऐसा शाएफा मा
इशायह तक नहीॊ है । औय मह भेये नज़दीक भोजज़ज़ा है भुहम्भद यसू रुल्राह का
औय अस्र भें इसका फयाहे यास्त ताल्ऱ
ु खत्भे नफव
ु त के साथ। दयअस्र मह तहफ़्जफ़ुज़ है
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जो अल्राह ने नफी-ए-अकयभ को अता फ़यभामा कक आऩ
इस ार
ु ू का हदफ़ औय तनशाना नहीॊ फने। मह खत्भे नफुवत के रवाजज़भ भें से है कक एक
तयफ़ अल्राह ने ़ुयआन क़ी दहफ़ाज़त का ऽद
ु जज़म्भा लरमा l
ِ َّلَّن ى ٍْن يٌ ى َّلَنهٍ ىنا ٌهذ ٍل ىر ىك ِ َّلَّن هى يـ ىْلىافً يظ ى
﴾٩﴿ وف ً
म़़ी़न हभने ही मह अज़जज़क्र (़ुयआन) नाजज़र ककमा औय हभ ही इसक़ी दहफ़ाज़त कयने वारे हैं (अरदहजय:9)
औय दस
ू यी तयफ़ भुहम्भद को दहफ़ाज़त अता फ़यभाई कक उनक़ी शजख़्समत
भस्ख न हो जाए, वो कहीॊ अवताय न फना ददमे जाऐॊ , वो बी कहीॊ ऽुदाओॊ क़ी फ़हरयस्त भें
शालभर न हो जाएॊ , इनहें कहीॊ ऽद
ु ा का फेटा न फना ददमा जाए। तो मह दय ह़़ी़त एक
तहफ़्जफ़ुज़ है जो अल्राह क़ी तयफ़ से नफी ए अकयभ को अता हुआ है ।
इसका ज़्मादा अॊदाज़ा आऩ को उस वक़्त होगा जफ आऩ इस ह़़ी़त को साभने यखें गे मह
भाभरा हज़यत अरी के साथ बी हुआ है ।
हज़यत अरी क़ी तनस्फत नफी-ए-अकयभ के साथ एक उम्भती क़ी है ,
चुनाॊचे आऩ हज़यत अरी को यसूरुल्राह से कभ अज़ कभ एक दजाक
तो नीचे राएॊगे । वैसे तो अहरे सुननत के नज़दीक नफी- ए-अकयभ के फाद दजाक
अफू फकय का है , कपय हज़यत उभय का है , कपय हज़यत उसभान
का है औय कपय हज़यत अरी का है । रेककन उम्भततमों को एक ही केटागयी शभ
ु ाय
कयने से हज़यत अरी नफी-ए-अकयभ से कभ अज़ कभ एक दजाक तो
नीचे हैं, रेककन आऩ सोगचए कक हज़यत अरी को ऽुदा कहने वारे ऩैदा हो गए।
ऽुदा का फेटा बी नहीॊ फजल्क ऽुदा फना ददमा गमा। फहुत से रोगों को हज़यत अरी
ने इस फदतयीन अ़़ीदे क़ी ऩादाश भें जज़ॊदा आग भें जरवामा है । मह एक महूदी साजज़श थी
औय इस साजज़श को काभमाफ कयने के लरए रोगों ने ऩयू े इस्त़रार के साथ जानें दीॊ।
इसलरए कक ़ुफाकनी ददए फाैय ककसी बी साजज़श क़ी आग आगे नहीॊ फढती। हभाये हाॊ
जुहराअ भें जो नअया भयववज है वो “मा अरी भदद” का है “मा भुहम्भद
भदद” का नहीॊ है । “मा भुहम्भद” “मा यसूरुल्राह ” तो भहज़ अऩने तश्शखुस
को नुभामाॊ कयने के लरए भजस्जदों भें लरखने के काभ आता है , मा मह नाअया एक ऽास
कफ़़े के इजतभा मा जरसा के अॊदय रगवामा जाता है , ताकक भारभ
ू हो जाए के मह
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भजस्जद फ़राॊ कफ़़े क़ी है औय मह जल्सा फ़राॊ गगयोह का है । फा़़ी मह के जो नअया भैदान
भें रगता है वो “मा भुहम्भद भदद” का नहीॊ, फजल्क “मा अरी भदद” का होता
है । तो अरूदहमत का मह भाभरा जजस तयह हज़यत भसीह के साथ हुआ था,
हज़यत अरी के साथ बी हुआ।
भस्
ु नद अहभद भें मह हदीस भौजद
ू है । हज़यत अरी फमान कयते हैं कक भझ
ु से
यसूरुल्राह ने फ़यभामा: “तुम्हाये अॊदय हज़यत ईसा के साथ एक
भशाफहत ऩाई जाती है कक (एक तयफ़) उनसे महूद ने फुाज़ यखा हत्ता के इनक़ी वालरदा
भुहतयभा ऩय (फदकायी) क़ी तोहभत रगाई, औय (दस
ू यी तयफ़) नसाया ने इनसे इॊतहाई
भह
ु तफत क़ी, हत्ता के इनहें इस भ़
ु ाभ ऩय ऩहुॊचा ददमा जो उनका भ़
ु ाभ नहीॊ। ” मह दो
इॊततहाएॊ हैं। एक गगयोह हज़यत ईसा क़ी अ़़ीदत भें इस ़द्र ाारी हो गमा कक
इसने इनहें ऽुदा का फेटा फना ददमा औय एक गगयोह उनक़ी दश्ु भनी भें इस इॊततहा तक को
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चुनाॊचे नअत गोई भें कुछ अदभ तवाज़न ऩैदा हो जाता है , होश का दाभन हाथ भें नहीॊ
यहता। हभाया तयज़े अभर मह होना चादहए के फडे फडे भम्दहू शख़्स क़ी भम्ददू हमत बी ह़
को तस्रीभ कयने भें औय फाततर के अततार भें हभा ये यास्ते क़ी रुकावट न फने। भासभ
ू
लसफ़क नफी होते हैं औय नफव
ु त ऽत्भ हो गई भह
ु म्भद यसर
ू ल्
ु राह ऩय। अऩनी
ज़ात भें हुजजत तो नफी-ए-अकयभ ही थे। फा़़ी सफ को तो ऩयखा जाएगा
़ुयआन औय हदीस क़ी कसौटी ऩय। जो इस ऩय सहीह उतये वो सहीह है । ककसी बी शख़्स
को हभ मह दजाक नहीॊ दे सकते कक वो जो चाहे कह दे हभ इसे तस्रीभ कय रें गे , फजल्क
इसक़ी जो फात सहीह है वो तस्रीभ कयें गे औय जो ारत है उ सको यद्द कय दें गे। कसे
फाशद ! फहयहार हभाये हाॊ शामयी औय नअत गोई क़ी हद तक अवताय के अ़़ीदे के
ख़्मारात भौजूद हैं औय लसफ़ाते इराही भें नफी- ए-अकयभ को अल्राह
का हभ ऩल्रा फना ददमा गमा है । मह फहस इॊशा अल्राह “लशकक कफ़जस्सफ़ात” के ज़ेर
भें तफ़्जसीर से आएगी। रेककन जैसा के भैंने अज़क ककमा , आऩको भस
ु रभानों के ककसी बी
भस्
ु तनद कफ़़े के भस्
ु तनद उरभा के हाॊ ऐसी चीज़ें नहीॊ लभरें गी। अहरे इल्भ जफ फात क यें गे
तो इनक़ी फात के अॊदय तवाज़न होगा, औय वो इन इल्भी अहत्मातों को भल्हूज़ यख कय
फात कयें गे। वा़मा मह है कक अगय इॊसान ज़या बी ाैय भुहतात हो जाऐ तो वो लशकक के
दाभन भें जा ऩहुॊचता है ।
इसी तयह जफ वहदतुर वजद
ू का अ़़ीदा हभाये हाॊ शोअया का तऽताए भश़् फन गमा तो
इसक़ी बी जो तअफीयें अवाभ तक ऩहुॊची हैं वो हभाउवस्त औय अवताय वारी हैं। हभाउवस्त
क़ी ताअफीय हभाये हाॊ इस शअय भें लभरती है :
फयतन फनाने वारा जफ लभट्टी रेकय इसको चक्कय ऩय चढाता है तो एक नई चीज़ मानी
फयतन वजूद भें आ जाता है । अफ वैसे तो मह तीन चीज़ें हो गईं। एक ऽुद फयतन फनाने
वारा, दस
ू या वो फयतन मा कोज़ह औय तीसयी चीज़ वो लभट्टी मा गाया जजससे फयतन वजूद
भें आमा। रेककन इस शेय क़ी रू से अस्र भें मह तीन नहीॊ हैं, फजल्क एक ही है । अफ वो
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फयतन फनाने वारा ऽुद ही इस कोज़े भें शयाफ बी ऩी यहा है । कपय ऽुद ही इसने ऽयीदाय
फन कय इसको ऽयीदा, औय कपय इसको तोडा औय आगे फढ गमा। मह जो साया तभाशा है
मह उस हभाउस्त क़ी ताफीय है । वैसे मह शामयी इतनी फर
ु ॊद है , तयक़ीफें इतनी चस्
ु त औय
आहॊ ग ऐसा ददर कश है कक आदभी झूभ जाता है । अगरे शेय भें महाॊ तक कहा गमा :
मानी जजबब्रर का रफादा बी उसने ऽुद ही ओढा , ़ुयआन का नाजज़र कयने वारा बी वो ऽुद
है औय आखऽय काय नफी-ए-अकयभ क़ी शक्र भें वो (ऽद
ु ा) दतु नमा भें ऽद
ु ही
आ गमा, औय भहफूफे जहाॊ फन गमा। (इनना लरल्रादह व इनना इरैदह याजजऊन )
अफ ददखखए इसभें हभाउस्त औय अवताय दोनों तयह के तसववुयात जभा हैं। शामयी अगयचे
फहुत प्मायी औय वजद भें राने वारी है , रेककन फात कहीॊ से कहाॊ ऩहुॊच गई! इसी लरए
ककसी ने फडी प्मायी फात कही है ; “फा ऽद
ु ा दीवाना फाश व फा भह
ु म्भद होलशमाय! मानी आऩ
अल्राह क़ी जजतनी तायीफ़ कय सकें कयते चरे जाएॊ , तफ बी आऩ इसक़ी तायीफ़ का
ह़ अदा नहीॊ कय सकते , रेककन हज़यत भुहम्भद क़ी तायीफ़ कयते हुए फहुत
भहतात औय चोकस यहना ऩडेगा। ककसी इॊसान के लरए भुजम्कन नहीॊ है कक अल्राह
क़ी इफादत औय इसक़ी भअयफ़त का ह़ अदा कय सके। इस जज़ भन भें रा भहारा मही
तेयी फनदगी का ह़ था औय तेयी भअयफ़त हालसर नहीॊ कय सके जजतना क़ी इसका ह़ था।”
नफी ए अकयभ फ़यभाते हैं कक ़माभत के योज़ भैदाने हशय भें , जफ दयफाये
ऽुदा वॊदी रगा होगा, हम्द का झॊडा भेये हाथ भें होगा औय भैं उस योज़ अऩने यफ क़ी वो
हम्द करूॊगा जो आज नहीॊ कय सकता। इसलरए कक हम्द होती है भअयफ़त क़ी तनस्फत औय
भअयफ़ते नफवी ककसी एक जगह आकय ठहय नहीॊ गई, फजल्क इसभें भुसल्सर
तयक़़़्ी होती यही, दजाकत फर
ु ॊद तय होते यहे । अज़योए अल्फ़ाज़े ़ुयआनी
ى ى ٍ َ ى ي ى ٍ ه َّل ى ى ٍ ُأ ىٰـ
كا ً رة هك ًَم اك
“औय हय आने वारी साअत आऩके लरए हय गज़
ु यी हुई साअत से फेहतय है ”।(अद दह
ु ा : 4)
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तो जैसे जैसे भअयफ़ते ऽुदावनदी क़ी भनाजज़र तम हो यहीॊ हैं कक हम्द के दजाकत बी फुरॊद
हो यहे हैं। जजतना आऩ यफ को ऩहचानें गे इतनी ही इसक़ी हम्द कय सकेंगे ! चुनाॊचे आऩ
अल्राह क़ी जजतनी हम्द बी कय रें , कपय बी इसक़ी हम्द अदा नहीॊ होती , “ह़ तो
मह है कक ह़ अदा नहीॊ हुआ ”। रेककन नफी-ए-अकयभ के भाभरे भें इनतहाई
क़ी धाय ऩय है । फ़यभाने इराही है ٍ ىَل ى ٍغويو ً ًدً ًن يअऩने दीन भें ारुव हयगगज़ न कयो (अजननसा:171)
मह ारुव ही तो था के हज़यत उज़ैय को ऽुदा का फेटा फनामा गमा , हज़यत ईसा
इतने भरयमभ को ऽुदा का फेटा फनामा गमा। मह भुहतफत औय अ़़ीदे का ारुव है ।
चुनाॊचे नफी-ए-अकयभ क़ी भदह, तायीफ़ औय सनाअ के फमान भें फहुत
अहतमात क़ी ज़रूयत है । औय वाक़्मा मह है कक अऻातनमों औय अवाभ से ़तअ नज़य हभाये
हाॊ के भस्
ु तनद कफ़़़ों के भस्
ु तनद अ़ाइद भें अल्हम्दलु रल्राह इस अहततमात को भरहूज़
यखा गमा है ।
फ़न क़यआत क़ी ककताफें तो फाद भें लरखी गई हैं। ़ुयआने हक़ीभ तो एक ज़फान ने दस
ू यी
ज़फान से सीखा है , औय मह एक सीने से दस
ू ये सीने भें भन
ु तक़र हुआ है , औय अफ राखों
क़ी तादाद भें हाकफ़ज़े कयाभ भौजद
ू हैं। कपय यभज़ानर
ु भफ
ु ायक औय तयावीह का तनज़ाभ
जजसभें दहफ़्जज़ को ताज़ा ककमा जाता है । तो मह साया लसरलसरा दहफ़ाज़ते ़ुयआन भजीद के
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ज़ादहयी अस्फाफ भें से है , जजसके फाततन भें दयअस्र भश्मते ऽुदा वॊदी काय फ़यभा है । इसी
तयह नफी-ए-अकयभ को जो तहफ़्जफ़ुज़ लभरा है कक आऩ के साथ
वो ज़ुल्भ यवा नहीॊ यखा गमा , हाराकक आऩ के एक उम्भती ऩय वो ज़ुल्भ हो
गमा, तो असर भें तो मह भश्मते इराही है , रेककन इसके ज़ादहयी अस्फाफ भें से ऩहरा सफफ
मह है कक ़ुयआन ने नफी-ए-अकयभ क़ी फशयीमत को फहुत नुभामाॊ ककमा है ।
़ुयआने कयीभ भें जाफजा मह भज़भून भुख़्तलरफ़ ऩेयाओॊ भें आमा है । एक जगह इशाकद हुआ :
ْش ٌ ًي ٍ و ي ي ٍ ي ى ٰـ ِ ى َّلِل أَ َّل ىا ِ هىػٰـ ي ي ٍ ِ هىػٰـ هـ ىك ًده
قي ٍن ِ َّل ىا أَ ىَّن ى ى ه
“(ऐ नफी !) कदहमे कक भैं तो एक इॊसान हूॊ तुभ ही जैसा, भेयी तयफ़ वही क़ी जाती है कक तुम्हाया
ऽुदा फस एक ही ऽुदा है”।(अरकहफ़:110)
सूयह फनी इस्राईर औय सूयह कहफ़, जो दो जुडवाॊ सूयतें हैं , इनभें अहरे इल्भ के लरए एक
अजीफ नुक़्ता है कक इन दोनों क़ी आखऽयी दो दो आमात फ़ैरे अभय “़ुर” से शुरू होती हैं ।
सूयह फनी इस्राईर क़ी आखऽयी आमत भें अल्राह क़ी तौहीद का फमान है । फ़यभामा
َم ُّمهذ ٌؿ ۖ ىك ىل ٌ ٍِب يا ى ٍم ن
ًك هٍ يً ٍوكً ىك ى ٍ ىًميٌ هَّل يـ ىك ٌِّل ًٌ ىىكقين ٍْل ى ًٍ يد اًوَّلػ ًـ هَّلذم ى ٍ ىً َّل ًخ ٍذ ىكهى ند ىك ى ٍ ىًميٌ هَّل يـ ىَش ه
ً ً ً ً ً ً ً ً
“औय (ऐ नफी !) कह दीजजए कक तभाभ तायीफ़ उस अल्राह के लरए है जजसने न ककसी
को फेटा फनामा, न कोई फादशाही भें उसका शयीक है औय न वो कभज़ोय है कक कोई इसका दोस्त हो, औय
इसक़ी फढाई फमान कयो कभार दजे क़ी फढाई”।
इस भ़ाभ ऩय अल्राह क़ी शान को ऽुफ नुभामाॊ ककमा गमा है , भफादा कहीॊ
अल्राह को उसके भ़ाभे फर
ु ॊद से गग या ददमा जाए। इस लरए लशकक क़ी दो ही सयू तें
हैं। ऩहरी सूयत मह के अल्राह को उसके भ़ाभे यफ़़ीअ से गगया कय भऽरू़ात क़ी
सफ़ भें राकय खडा ककमा जाए औय दस
ू यी सूयत मह के भऽरू़ात भें से ककसी को उठा कय
ऽुदा के फयाफय फैठा ददमा जाए। इनके अरावा तीसयी सूयत तो भुजम्क न नहीॊ। सूयह फनी
इस्राईर क़ी आखऽयी आमत ने लशकक क़ी ऩहरी सयू त क़ी जड काटी है , जफकक दस
ू यी सयू त
दस
ू यी सयू त क़ी जड काटी है सयू ह कहफ़ क़ी आखऽयी आमत (110) के इन शतदों ने
ي ٍ َّل ى َ ى ى ى ه ي ي ى ى َ َّل ى ي ى
ْش ٌ ًي ٍ و ٍ ي ٰـ ِ َّلِل أ ىا ِ هػٰـ ي ٍ ِ هػٰـ هـ ىك ً هد قن ِ ا أَّن
मही भज़भून सूयह फनी इस्राईर भें एक जगह औय बी आमा है । जफ भुशरयक़ीने अयफ ने
नफी ए अकयभ से भुआजज़ात तरफ ककमे कक अगय आऩ
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अल्राह के यसूर हैं तो हभाये लरए फ़ौयन ही महाॊ एक चश्भा फयआभद हो जाए , मा
एक फाा तैमाय हो जाए, मा एक भहर फन जाए, मा हभें आसभान ऩय चढ कय ददखाएॊ , तो
ن ىه ٍن يلن ي ِ َّلَل ى ى ن ٌ يٍ يٍ ى ى ى
इन सफ फातों का मह जवाफ ददरवामा गमा ْش َّلر يشوَل ً قن اف ر
“(ऐ नफी!) कह दीजजए ऩाक है भेया ऩयवयददगाय, भैं तो लसफ़क एक इॊसान हूॊ, जजसे यसूर फना कय
बेजा गमा है”।
तुभ मह भुतारफे भुझसे तफ कयते अगय भैंने ऽुदाई का दावा ककमा होता। भैंने ऽुदाई का
दावा तो नहीॊ ककमा। सफूत औय दरीर तरफ क़ी जाती है दावे क़ी भुनास्फत से। अगय भैंने
अरदू हमत औय ऽद
ु ाई का दावा ककमा होता तो तुम्हाये भत
ु ाल्फे दरु
ु स्त थे कक मह कयके
ददखाओ तो तुम्हे ऽुदा भानें गे , जफकक भैंने तो लसफ़क एक दावा ककमा है कक भैं एक यसूरे
फशय हूॊ, लरहाज़ा भुझसे इसी क़ी भुनालसफत से कोई दरीर तरफ कयो। तो ऩहरी फात तो
मह है कक ़ुयआन भजीद ने नफी- ए-अकयभ क़ी फशयीमत को फहुत नुभामाॊ
ककमा है ।
एक फाय फये रवी भकतफ कफ़क्र के भुम्ताज़ आर भे दीन साहफज़ादा फ़ैज़ुर हसन साहफ ने
अऩनी त़यीय भें अऩने भुऽारफ़़ीन ऩय फडे रतीफ़ ऩेयाए भें तऩ़ीद क़ी , जो भुझे ऩसॊद
आई। उनहोंने अऩने भस्रक औय हभ भशयफ रोगों के साभने भुऽारफ़़ीन को ररकाय कय
कहा: “क्मा तुभ हभें ऩागर औय जादहर सभझते हो ? क्मा हभ ़ुयआन नहीॊ ऩढे हुए मा हभ
अयफी नहीॊ जानते ? हभ ऽफ
ु जानते हैं कक ़ुयआन भे नफी- ए-अकयभ को फशय
कहा है । हभ तो लसफ़क मह कहते हैं कक तुभ आऩ क़ी फशयीमत को ज़्मादा
नुभामाॊ न कयो, फशय फशय क़ी यट न रगाओ कक मह सूए अदफ है । इसलरए कक तुम्हाये
वालरद का नाभ अतदयु क हभान है तो तुभ इसे अतदयु क हभान कह कय नहीॊ ऩुकायते , अतफा जान
कहते हो!” फहय हार ़ुयआन भजीद जजस तयह से नफी- ए-अकयभ क़ी
फशयीमत को नभ
ु ामाॊ कय यहा है तो मह ककसी दहक्भत क़ी वजह से है ।
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इसी जज़द्दभ जजद्दा क़ी लभसार के तौय ऩय नाभ लरए फाैय एक दस
ू ये भक्तफ कफ़क्र के एक
फहुत फडे आलरभे दीन का वाक़्मा ऩेश कयता हूॊ। अल्राह उनक़ी भजफफ़यत फ़यभाए !
जजसक़ी भझ
ु े तहसीन कयनी थी इसका नाभ रेकय फात क़ी है औय जजस ऩय तऩ़ीद कयनी
है इसका नाभ नहीॊ रेना चाहता। वो साहफ ऩॊजाफी भें सीयतुननफी ऩय लभरी
जुरी त़यीय कय यहे थे , जजसभें तफ़्जसीय बी थी, सीयत बी थी औय इख़्तराफ़़ी भसाइर बी
थे। वाक़्मा मह है कक उस अल्राह के फॊदे ने ऩूयी त़यीय भें सहाफा ककयाभ
भें से ककसी के नाभ के साथ कहीॊ बी “हज़यत” औय नहीॊ कहा। जफ फैअत रयज़वान
का वाक़्मा सन
ु ामा तो अऩने भख़्सस
ू ऽत्ु फमाना अॊदाज़ भें उनहोंने कहा (उदक ू तजभ
ुक ा) “अये !
उस्भान जज़ॊदा है औय इधय फैअत हो यही है ! तो कहा गमा तुम्हाया इल्भुल्ाैफ ” मह आग को
हवा दे ने का सा एक अॊदाज़ है औय एक यस्सा कशी का भाभरा है । वनाक मह कक इन
भाभरात को हभ हर कयने ऩय आऐॊ तो ़तअन कोई भुजश्कर भसअरा नहीॊ है । तो ऩहरी
फात तो मह है कक मह जो तहफ़्जफ़ुज़ हुआ है यसूरुल्राह का इसभें फहुत फडा
दहस्सा इसका है कक ़ुयआन ने नफी- ए-अकयभ क़ी फशयीमत को फहुत नुभामाॊ
ककमा है । इसी के ताफेअ दस
ू यी फात सभझ रीजजए कक नफी- ए-अकयभ ने बी
अऩनी फशयीमत को फहुत नुभामाॊ ककमा गमा है । अगय कहीॊ ज़या बी वहभ ऩैदा होने का
इम्कान नज़य आमा तो वहाॊ ऩय बी नफी- ए-अकयभ ने फ़ौयन टोक ददमा।
भस्रन तअज़ीभन खडे होना कोई फडी फात नहीॊ। कोई फुज़ुगक हस्ती आऐ तो आऩ खडे हो
जाते हैं, मह इसक़ी ताअज़ीभ है । रेककन नफी- ए-अकयभ ने अऩने लरए इसे बी
ऩसॊद नहीॊ ककमा, फजल्क आऩ सहाफा को इससे सख़्ती से योकते थे।
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َّل َ ى ن ي ُّم ى ي ٍ ى ي ٌ َّل اس ىَم ىً َّل ًخ يذ ًَم ي
كف اوػ ًـ أٍد د ً وَنى ً اوػ ًـ ً د ً َم َّلهن
ىك ً ى
औय रोगों भें से वो बी है जो अल्राह को छोड कय उसके भद्दे भु़ाबफर फनाते है, औय कपय मह
रोग इनसे अल्राह कक भुहतफत जैसी भुहतफत कयते है ”।
तीसयी फात जो भैं कयने रगा हूॊ वो ज़या सॊवेदनशीर (sensitive) फहस है । ़ुयआन भजीद
भें न लसफ़क नफी-ए-अकयभ क़ी फशयीमत को नुभामाॊ ककमा गमा फजल्क अगय
कहीॊ आऩ से फतकाज़ाए फशयी भाभर
ू ी से ऽता मा चक
ू बी हुई (ऐसे अल्फ़ाज़
इस्तेभार कयते हुए बी ज़फान रडखडाती है ) तो अल्राह ने आऩ को
टोका औय गगयफ़्जत फ़यभामी औय इस गगयफ़्जत को हभेशा हभेश के लरए ़ुयआन भजीद का
जुज़ फना ददमा, ताकक तभाभ करभा गो, तभाभ उम्भती हभेशा ऩढते यहें कक मह गगयफ़्जत हुई
थी भुहम्भद यसूरुल्राह क़ी। चुनाॊचे सूयह अफस भें इशाकद हुआ :
نف ىع يـ ٌهذ ٍل ىرلٰـ
َ ٍ ى َّل َّل ي ى ى ى ٰـ ى ى ي ٍ ى ى ى َّل ي ى َّل َّل ٰـ َ ى ىي ٍٍَى ى ى ى ى ى ى َّل ٰـ
ً ف ر ل ذ ً ك أ ﴾ ٣ ﴿ َّك َي ـ و ع ه ًك ر
ً دً ا يك ﴾ ٢﴿ مْع ا ا اء ج ف أ ﴾ ١ ﴿ عبس كو
﴾٨﴿ اء ىؾ ٌى ٍص ى ٰـَع﴾ ىكأَ َّليا ىَم ىج ى٧﴿ َّك ﴾ ىك ىيا ىعوى ٍي ىك أَ َّلَل ى َّلَي َّل ٰـ٦﴿ ﴾ ىف ٍَ ى هى يـ ى ىص َّلد ٰـل٥﴿ ﴾ أَ َّليا ىَم ٍش ىت ٍغ ى ٰـَن٤﴿
ً
ىى ى ى ى ى ىٍ ه ى َّل ىَ ى ىى ىك يه ىو ى ٍَي ى ٰـ
﴾١٢﴿ اء ذل ىر يا ﴾ ٌ ط١١﴿ ﴾ ّلَك ِ َّلَنىا ذل ىًرة١٠ ﴿ ﴾ ف ٍ ى ٍ يق و َّل ٰـى٩﴿ َش
उनहोंने त्मोयी चढाई औय भॉह
ु पेय लरमा, (1) इस कायण कक उनके ऩास अनधा आ गमा। (2) औय आऩको
क्मा भारूभ शामद वह स्वमॊ को सॉवायता-तनखायता हो (3) मा नसीहत हालसर कयता हो तो नसीहत उसके
लरए राबदामक हो? (4) यहा वह वमजक्त जो धनी हो गमा है (5) आऩ उसके ऩीछे ऩडे है - (6) हाराॉकक
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वह अऩने को न तनखाये तो आऩ ऩय कोई जज़म्भेदायी नहीॊ आती - (7) औय यहा वह वमजक्त जो स्वमॊ ही
आऩके ऩास दौडता हुआ आमा, (8) औय वह डयता बी है , (9) तो आऩ उससे फेऩयवाई कयते है (10) कदावऩ
नहीॊ, वे (आमतें ) तो भहत्वऩूणक नसीहत है - (11) तो जो चाहे उसे माद कय रे - (12)
इसी तयह ाज़वहे उहद का वाक़्मा ज़हन भें राइए जजस ऩय यसर
ू ल्
ु राह क़ी
गगयफ़्जत हुई, हाराॊके आऩ भें वो ऩहाड जैसी अज़ीभत थी कक कोहे दहभारम बी
जजस ऩय यश्क कये । मौभे ताइफ़ भें मह अज़ीभते भुहम्भदी ऽुफ ज़ादहय होती
है । ऩत्थयाव से जजस्भ रहू रहान है , ज़ैद बफन हारयसा के लसवा कोई जाॊ तनसाय
नहीॊ है । अॊदाज़ा क़ीजजए कक साए क़ी तयह आऩ के साथ यहने वारे हज़यात
अफू फकय बी सफ़ये ताइफ़ भें आऩ के हभयाह नहीॊ थे। आऩ
का इस्तहाज़ाए हवा, कफ़़ये चुस्त ककमे गए, ताइफ़ के तीनों रूए साने एक से
एक फढ कय करेजे को छे दने वारे अरफ़ाज़ इस्तेभार ककमे। इस ऩय भस्
ु तज़ाददमा के
ओफाशों ने जजस तयह आऩ को जजस्भानी तशद्दद
ु का तनशाना फनामा वो
ना़ाबफरे फमान है । रेककन उस वक़्त बी जफकक आऩ को इजख़्तमाय ददमा
गमा कक अगय आऩ चाहें तो भरकुर जफार इन दोनों ऩहाडों को आऩस भें
टकया दे औय ताइफ़ के यहने वारे इनके भाफेन सुयभा फन जाएॊ , अज़ीभते भुहम्भदी
कोई फद दआ
ु इमा करभा ज़फान से तनकारने के लरए तैमाय नहीॊ हुई। फजल्क
ज़फाने यहभत से इशाकद हुआ कक क्मा अजफ के अल्राह इनक़ी आइनदा नस्रों को
दहदामत दे दे ! रेककन ाज़वहे उहद भें जफ दनदाने भुफायक शहीद हुए औय चहया-ए-अनवय
रहू रहान हुआ तो ज़फान से मह जुभरा तनकर गमा
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“(ऐ नफी !) आऩके हाथ भें कोई इजख़्तमाय नहीॊ है (दहदामत औय ज़रारत का सय रयश्ता
अल्राह के हाथ भें है) वो चाहे गा तो उनक़ी तौफा ़फूर कये गा औय अगय चाहे गा तो उन ऩय अज़ाफ
बेज दे गा”।(आरे इभयान:128)
मह फ़ैसरा ऐ नफी ! आऩके हाथ भें नहीॊ है , हभाये हाथ भें है । आऩ अऩना काभ
क़ीजजए औय इनके अॊजाभ को हभाये हवारे क़ीजजए।
ي َّل َّل ى ى ى
﴾٢٦﴿ ﴾ ُث ِ ف عوينا ًصا ى٢٥﴿ ِ َّلف ِ ه ٍي ىنا ِ ىَي ى ي ٍى
ي ى ى ى ٍ
“म़़ीनन हभायी तयफ़ इन सफको रौट कय आना है , कपय हभाये जज़म्भा है इनका दहसाफ”।(अराालशमह: 25)
लरसाने भह
ु म्भदी से खऽताफ ददरवामा “ऽालरद तू
अल्राह क़ी तरवायों भें से एक तरवाय है ”। आरभे असफाफ भें तो ाज़वहे उहद भें
भुसरभानों क़ी फ़तह को लशकस्त भें फदने वारे ऽालरद बफन वरीद ही थे , रेककन फाद भें
अल्राह ने इनहें भुहम्भद यसूरुल्राह के जाॊ तनसायों भें शालभर पयभा
ददमा। फहयहार ़ुयआन भजीद ने इन फातों को नु भामाॊ ककमा है तो दहक्भते फालराा के
तहत ककमा है । ऐसे भ़ाभात से गज़
ु यते हुए ़ायी के ददर भें मह फात आती होगी कक अगय
मह चीज़ें ़ुयआन भें न होतीॊ तो क्मा हजक था। हभें इन आमात का तजभ
ुक ा कयते हुए
भुजश्कर ऩैश आती है औय हभायी ज़फान रडऽडाती है । एक जगह इशाक द है
َ ى ىٍى ى ى ي ى ى ٍ ي ى ى ى َّل َ ٍ ى ٍ ى ى ٍ ى ى ٍ ى ى ى ى ٍ ى ى ٍ ى ي ى ن َّل َّل ى ي ى ى ن
﴾ كهوَل أف٧٣ ﴿ َتم عوينا ا ۖ ك ِ ذ َلاذكؾ ًنًَل ً ك ِ ف دك هيف ً نوٍك ً ه ًذم أك ينا ِ هيك ه ً ف
َّل ى ى ى ى ى ن ى َّل ٍ ى ى ى ى
﴾٧٤﴿ ًدت ٍَتل يٌ ِ ه ٍ ً ٍى ط ٍي ن ا قوًيَل اؾ هق ٍد ل ث تن
“औय (ऐ नफी!) मह रोग तो दयऩे थे इसके कक आऩको फचरा दें इस वही से जो हभने आऩक़ी
तयफ़ नाजज़र क़ी है ताकक आऩ हभाये नाभ ऩय अऩनी तयफ़ से कोई फात गढ राएॊ , औय तफ तो मह
राजज़भन आऩको अऩना दोस्त फना रेते। औय अगय हभ आऩके ऩाऊॊ जभाए न यखते तो आऩ तो उनक़ी
तयफ़ ककसी दजे भें भाइर हो ही जाते।”
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“अगय ऐसा हो जाता तो हभ राजज़भन आऩको दोहयी सज़ा दे ते दतु नमा क़ी औय दोहयी सज़ा दे ते भोत क़ी ,
कपय आऩको हभाये भु़ाफरे भें अऩने लरए कोई भददगाय (औय कोई छुडाने वारा) न लभरता”।
ु म्भद को
ऩहुॊचेगी। तो मह साया भाभरा भहज़ दीन के लरए था, इससे भह
कोई अऩनी ज़ाती आसानी नहीॊ थी, कोई अऩनी ज़ाती ़ुदयत व भजनज़रत फढानी
भ़सूद नहीॊ थी। इन फडों क़ी तयफ़ अरतफ़ात इसलरए नहीॊ था कक इनक़ी दौरत क़ी तयफ़
38
अवताय (Incarnation) का अ़़ीदा बी आ गमा है औय हभाउस्त (Pantheism) बी आ गमा
है औय इसभें “फाैय ऐन के इक अयफ” से ऽुदा का ऐहाभ बी ऩैदा कय ददमा गमा है । आऩ
इन सायी चीज़ों को इसी खाते भें यखखए औय अल्राह का शक्र
ु अदा क़ीजजए कक चौदह
सौ फयस फीत जाने के फावजूद बी इस उम्भते भुजस्रभा के ककसी बी भुस्तनद कफ़़े के
भुस्तनद अ़ाइद क़ी फ़हरयस्त भें “लशकक कफ़ज़्ज़ात” क़ी मह दोनों सूयतें नहीॊ है । मानी न तो
ककसी को ऽुदा मा ऽुदा का फेटा औय फेटी ़याय ददमा गमी औय न हभाउस्त औय अवताय
के अ़ाइद ऩैदा हुए।
39
से फना है । वो अऩनी असर के एतफाय से ज़ुरभानी है । इसभें तायीक़ी है , इसभें ऩस्ती का
रुजहान है , इसभें फुयाई का लभरान है । ़ुयआन भज़ीद भें हज़यत मूसुफ़ के अल्फ़ाज़
नक़्र हुए हैं
40
महाॊ रूह क़ी तनस्फत अल्राह ने ऽुद अऩनी तयफ़ क़ी है ।
मह वो नूय जो हज़यत अफू फकय लसद्दी़ क़ी शजख़्समत भें भौजूद था। अबी वही
का आााज़ बी नहीॊ हुआ था, रेककन इनके अनदय अख़्रा़े हुस्ना के अनवाय ऩहरे से भौजूद
थे। ऐसे ही तभाभ लसद्दीक़ीन औय अजम्फमा के अनदय नूये कफ़तयत भौजूद होता है ।
अफ इस तनाज़य भें दे खखए तो नफी-ए-अकयभ क़ी शजख़्समते भुफायका चूॊके
फर
ु ॊद तयीन है तो आऩ क़ी नयू ातनमत बी इतनी कालभर है कक इसने ऽाक़ी
वजद
ू क़ी ज़ल्
ु भातनमत को बफल्कुर भाअदभ
ू कय ददमा है । इस भाअना भें अगय कहा जाए कक
नफी-ए-अकयभ नूये भुजजस्सभ हैं तो ारत नहीॊ है ।
तो मह दोनों चीज़ें एक ही वक़्त भें सहीह हैं। नफी-ए-अकयभ एक ही वक़्त भें
फशय बी हैं औय नूय बी हैं। आऩ क़ी फशरयमत का कौन इॊकाय कये गा ! आऩ
क़ी ववरादत हुई है जैसे ककसी इॊसान क़ी ववरादत होती है । आऩ
के बी वही दो हाथ औय दो ऩैय थे। वही इॊसानी ऽन
ू आऩ के वजद
ू भें बी सयाम त ककमे हुए
था औय गयददश कय यहा था। ताइफ़ भें आऩ ऩय ऩत्थयाओ हुआ है तो ज़ख़्भों
भें से ऽन
ू रयसा है । भैदाने उहद भें जफ तरवाय आऩ के चेहया-ए-भफ
ु ायक ऩय
रगा है तो ऽून का फ़ववायह छुटा है । इसी तयह आऩ ने शादी क़ी है औय आऩ
के घय औराद हुई है । रेककन इस सफके फा वजूद नफी-ए-अकयभ
क़ी नूयातनमत क़ी नफ़़ी हयगगज़ न क़ीजजए ! आऩ क़ी नूयातनमत क़ी नफ़़ी
दयह़़ी़त इस दौय का भाद्दा ऩयस्ताना कफ़क्र है जो भेयी आज क़ी फहस का असर भोजूअ
41
है । हभने भाद्दा ऩयस्ताना कफ़क्र अऩने ज़हनों ऩय इतना भसल्रत कय लरमा है कक हभ रूह
क़ी ह़़ी़त औय इसके जुदागाना तशख़्ऽुस से , मा तो बफल्कुर भुजनकय हो गए है मा
इसका ज़फान ऩय जज़क्र राते हुए हभें दहजाफ भहसस
ू होता है । फ़ौरे अकफय इराहाफादी :
य़़ीफों ने यऩट लरखवाई है जा जा के थाने भें
कक अकफय नाभ रेता है ऽुदा का इस ज़भाने भें !
कक रूहातनमत क़ी फातें कयते हो? रूह क़ी फात कयते हो? रूह को कोई अरैहदा वजूद भानते
हो? तो मह चीज़ें हभाये कफ़क्र औय नज़रयमात के दामये से इस तौय से फाहय चरी गई हैं कक
अफ हभ सभझते हैं कक इॊसान तो फस इसी है वानी वजूद का नाभ है । हभ अऩने इस वजूदे
है वानी ही को असर इॊसान सभझे फैठे हैं , इसलरए नूयातनमत क़ी नफ़़ी हो यही है ।
इस फात को मूॊ बी सभझा जा सकता है कक हभाया जो नूयानी अनसय है , ईभान औय अभरे
सारेह से इसक़ी नयू ातनमत भें इज़ाफ़ा होता है औय इसके फयअकस गन
ु ाहों औय नफ़्जसातनमत
से मह नूय फुझता चरा जाता है । ़ुयआन भजीद भें सूयतुर हदीद औय सूयतुर तहयीभ भें दो
जगह भैदाने हश्र का नक़्शा खीचा गमा है कक उस ददन अहरे ईभान क़ी शान मह होगी कक :
ا هٍ ىي ٍو ىـ ىج َّلنا هت ىَتٍرم ًَم ىَتٍ ً اى ات ٌى ٍص ى ٰـَع ي ير ي بى ٍ ى أَ ًٍ ًد ٍى ىكب َ ٍمي ى ًاَنى ي ٍ ى
ْش ي ي ى ٍ ي ٍ ٍ ى ىى ٍيٍ ى ى
ً كـ َتل هً ًي ًن ك هً يًن
ً ً ً ً
ي ى ٍ ى ى ٰـ ى ى ي ى ٍ ى ٍ ي ٍٍَى ي ى
﴾١٢ ﴿ اَنار اه ً ًد فًيـ ۚ ذهًك هو هفوز هع ًظ
“उस ददन आऩ भोलभन भद़ों औय औयतों को दे खेंगे कक उनका नूय उनके आगे आगे औय उनके दाएॊ जातनफ
दौड यहा होगा। (उनसे कहा जाएगा) आज फशायत है तुम्हाये लरए ऐसे फााात क़ी जजनके नीचे नहयें फह यही
हैं, इनभें वो हभेशा यहें गे। मही फडी काभमाफी है” (अरहदीद : 12)
“तुभ भें से कोई बी ऐसा नहीॊ जजसके हभयाह एक शैतान साथी नहीॊ ददमा गमा हो।” सहाफा-ए-ककयाभ
ي َّل
ىر ٍ ىػ اوػ ًـने (फडी दहम्भत कयके) दमाकफ़्जत ककमा ‘ऐ अल्राह के यसूर ! क्मा आऩ
भु़ाफरे भें भेयी भदद फ़यभाई तो भैंने इसे भुसरभान फना लरमा। अफ वो भुझे लसवाए बराई के कोई औय
भश्वयह नहीॊ दे ता”।
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मह यसूरुल्राह का फात को सभझाने का एक अॊदाज़ा था। फहयहार यसूरुल्राह
के अॊदय बी वो नफ़्जस तो था। आऩ का फतन-ए-भुफायक बी खाने
को भाॊगता था। बूख का अहसास भुहम्भद को बी होता था। बूख क़ी वजह से
आऩ ऩय बी ऩाहत तायी होती थी। ताइफ़ भें ऩत्थयाओ क़ी वजह से जफ
फहुत ज़्मादा ऽन
ू फहा तो आऩ ऩय ऩाहत तायी हुई औय आऩ
फैठ गए। इसी तयह उहद भें बी फहुत ज़्मादा ऽन
ू फहने क़ी वजह से आऩ ऩय
ऩाहत तायी हुई औय आऩ फेहोश हो गए। आऩ के साहफज़ादे
हज़यत इब्राहीभ का जफ इॊत़ार हुआ तो आऩ क़ी आॊखों भें आॊसू आ गए,
इसलरए कक इॊसानी अवाततफ़ व भीरानात औय अहसासात व जज़्फात आऩ क़ी
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जभाअत ऽाना इनक़ी सोशर राइफ़ का एक भककज़ है । फा़़ी मह के शयी अत उनसे सा़त
है । अरफत्ता हभाये शुभारी इरा़े हुनजह औय चतयार भें जो इस्भाईरी आफाद हैं , इनके हाॊ
शयीअत भौजूद है । इसलरए कक वो local converts नहीॊ हैं, फजल्क वो ईयान से आए हुए
थे। जफकक फम्फई औय काठमा वाढ वाैयह इरा़े भें भ़ाभी रोगों ने जो इस्भाईलरमत
़फूर क़ी है इसभें एक तो शयीअत साक़त है औय दस
ू ये हज़यत अरी (नाऊज़ू
बफल्राह) अल्राह के दसवें अवताय हैं। जैसा के अज़क ककमा गमा , दहनदस्
ु तान भें नो
अवताय ऩहरे से ऩूजे जा यहे थे , दसवाॊ अवताय हज़यत अरी को भनवा कय इसके
साथ जोड ददमा गमा।
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शिर्क फ़िख़्स्स़िात ( )
अल्हम्दलु रल्राह हभने अ़साभे लशकक के हवारे से लशकक क़ी ऩहरी क़स्भ “लशकक कफ़ज़्ज़ात”
का ककसी हद तक फ़हभ हालसर कय लरमा है । अफ हभ अल्राह क़ी तौफ़़ीक से लशकक
क़ी दस
ू यी क़स्भ “लशकक कफ़जस्सफ़ात” क़ी फहस का आााज़ कयते हैं। लशकक कफ़जस्सफ़ात के
फाये भें इफतदाई तौय ऩय मह जान रीजजए कक मह भस ्अरा ज़या फायीक औय इल्भी नौईमत
का है औय इसभें ऩैय कपसर जाने का आसानी से अहतभार है । इसक़ी वजह मह है कक
हभायी ज़फान क़ी तॊग दाभानी के फाइस लसफ़ात (Adjectives and attributes) के तौय
लरए बी, फजल्क इॊसानों भें “अल्राभा” बी होते हैं जो लसफ़्जते इल्भ का भफार ाे का सीाा है ।
रफ़्जज़ “इयादा” फॊदों के लरए बी इस्तेभार होता है कक “भेया मह इयादा है ” औय
ي َّل ى َ ٍ ي ي ى َ ى ى ى ٍ ن َ ى ي ى ى ي ي ى ى ي
अल्राह के लरए बी के ﴾٨٢﴿ ِ ا أيرا ِ ذ أر د طي ا أف ًقوؿ هـ لٌ فيموف (मासीन:82)।
इसी तयह रफ़्जज़ “भश्मत” भुश्तरयक है अल्राह औय भख़्रू़ के भाफैन। जैसे ककसी
था l हाराॉकक उन सहाफी-ए-यसूर क़ी नीमत भें कोई इस तयह क़ी फात नहीॊ थी। तो
लसफ़ात के लरए जजतने अरफ़ाज़ भुस्तअलभर हैं वो सफ भुश्तरयक हैं ऽालऱ औय भख़्रू़ के
भाफैन। वो अल्राह के लरए बी भुस्तअलभर हैं औय भख़्रू़ात के लरए बी , औय इसी
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से फ़साद औय ारती का साया अहत्भार ऩैदा होता है । हाराॊकक जफ इन अल्फ़ाज़ का
इस्तेभार अल्राह के लरए होता है तो इनका भफ़्जहूभ बफल्कुर भुख़्तलरफ़ है उस
भफ़्जहूभ से, कक जजस भफ़्जहूभ भें इन अल्फ़ाज़ का इस्तेभार भख़्ऱ
ू ात के लरए होता है ।
रफ़्जज़ भुश्तरयक है जफकक भफ़्जहूभ जुदा है ।
तो अज़ ऽद
ु है , ऽद
ु फऽद
ु है । कोई औय तो इसे वजद
ू दे ने वारा नहीॊ , l इसी
तयह इसक़ी लसफ़ात बी ज़ाती हैं , ककसी औय क़ी अता कयदा नहीॊ , इसको इल्भ ककसी औय ने
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तो मह ़ज़ा हमात तो फस इयादा- ए-ऽुदावनदी है ‘फ़ैसरा-ए-ऽुदावनदी है , हुक्भ-ए-ऽुदावनदी
है । उसने चाहा तो हभ हो गए। इसी तयह जुम्राए भख़्रू़ात क़ी लसफ़ात बी अता ई हैं , ज़ाती
नहीॊ हैं, अल्राह ने अता क़ी हैं।
तीसयी चीज़ मह कक अल्राह क़ी ज़ात बी भजत्ऱ है औय लसफ़ात बी भजत्ऱ हैं ,
जफकक भालसवा अल्राह जुम्राए भख़्रू़ात का वजूद भहदद
ू है औय लसफ़ात बी
भहदद
ू हैं। “भजत्ऱ” अयफी ज़फान भें “तुआ, राभ, ़ुआ” भाद्दे से है जजसका भतरफ है
आज़ादी, फे ़ैद होना, राभतनाही होना, हुदद
ू औय तनहामत से भतफया होना। “तरा़” का
भतरफ मही कक औयत को तनकाह के फॊधन से आज़ाद कय ददमा जाए। तो अल्राह
का वजूद औय लसफ़ात भत्ऱ राभत्नाही , हुदद
ू व ़ुमूद औय इनतहा से भफया हैं। अॊग्रेज़ी भें
लसफ़ात के फमान के लरए एक ही रफ़्जज़ “कुर” के दाभन भें ऩनाह रेते हैं कक
ى يى يٌ ى
(ك ٍ وء ىعوً ه ً ً “ )كهو بवो हय चीज़ का इल्भ यखने वारा है ”।
ى ي ى ى ى ٰـ ي ٌ ى ٍ ى
औय ( وء ق ًد ه ً “ )كهو لَعवो हय चीज़ ऩय ़ुदयत यखने वारा
ُك है ”।
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जाए तो फडे फडे भसाइर औय अ़़ीदे हर होते चरे जाएॊगे। मह गोमा वो क रीद (key) है
कक जजससे हभाये अ़ाइद क़ी फहसों के जो फडे फडे तारे ऩडे हुए हैं वो खुरते चरे जाऐॊगे।
़वानीन तफीई (Laws of the Nature) कबी ततदीर नहीॊ होते। जफ से साइॊस का दौये
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अस्र ह़़ी़त मह है कक आग भें जराने क़ी ताअसीय है , रेककन मह इसक़ी ज़ाती नहीॊ है ,
फजल्क अल्राह क़ी वदीअत कयदा है औय उसी फयोए काय आएगी जफ अल्राह
चाहे गा। आग को जराने क़ी लसफ़त वदीअत कयने के फाद अल्राह के हाथ
फॊध नहीॊ गए कक भैं तो आग भें जराने क़ी लसफ़त ऩैदा कय चुका l फदफऽतों ने इब्राहीभ
(Matter is indestructible.)
औय matter औय energy दो जुदा केटागगयीज़ हैं। मह नमूटन क़ी कफ़जज़कस के भफादमात
थे। इनका जफ हभाये अ़ाइद, भज़हफी कफ़क्र औय ईभानी नज़यमात के साथ तसादभ हुआ तो
इसका ऩहरा भज़हय मह साभने आमा कक अफ भुअजजजज़ात क़ी क्मा ताअफीय व ताअवीर
क़ी जाए ! भगिफी औय अस्तअभाय का मह ये रा इतना शदीद था कक फेचाये सयसय्मद अहभद
ऽान जैसा भुजख़्रस बी साबफत ़दभ न यह सका औय इस सैराफ क़ी रू भें फह गमा।
उस वक़्त एक तयफ़ भगिफी तहज़ीफ , भारयफी इस्तअभाय औय भारयफी ़ुववत थी , इनक़ी
फ़ैजें आ यही थीॊ। औय दस
ू यी तयफ़ उनका कफ़क्र आ यहा था , साइॊस फडे ज़ोय व शोय के साथ
आ यही थी तो इस सैराफ के आगे खडे यहना आसान नहीॊ था , लरहाज़ा फडे फडों के ़दभ
डगभगा गए औय इनहोंने ़ुयआनी ताअरीभात को भगिफी कफ़क्र के साॊचे भें ढारने औय
इसके भवाकफ़़ फनाने क़ी कोलशश क़ी। उनके लरए मह भजु श्कर ऩैदा हुई कक ऩानी तो अऩनी
सतह फय़याय यखता है तो कपय मह कैसे भुजम्कन है कक असाए भूसा क़ी ज़यफ से सभनद्र
का ऩानी पट गमा ? सय सय्मद के कफ़क्र क़ी तजुभ
क ानी क़ी जाए तो वो मह होगी कक मह
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तो फडी भुसीफत है कक ़ुयआन भें ऐसी हल्क़ी फात आ गई , अफ हभको दतु नमा को क्मा भुॊह
ददखाएॊ ? हभाये लरए तो इस साइॊसी दौय भें रोगों से आॊखें चाय कयना भुजम्कन नहीॊ यहा।
लरहाज़ा इसक़ी कोई ऐसी ताअवीर औय ताअफीय कयो कक भज़हफ अऩनी जगह ़ामभ यह
जाए औय साइॊस अऩनी जगह ़ामभ यह जाए। चुनाॊचे इनहोंने कहा कक अस्र भें मह तो
भद्दो जज़य क़ी फात थी l जजसे भौरववमों ने सभझा नहीॊ औय इसे ख़्वा हभ ख़्वाह एक
अजूफा औय भुआजजजज़ा ़याय दे ददमा औय एक अफ़साना फना लरमा। जवाय बाटा सभुनद्र
भें आता यहता है । कबी सभनद्र recede कय जाता है , ऩीछे को हट जाता है औय ऽुशक़ी
तनकर आती है , कबी सभुनद्र चढाओ ऩय आता है तो ऩानी ही ऩानी हो जाता है । अस्र भें
सभनद्र उस वक़्त जज़य ऩय था जफकक भूसा अऩनी ़ौभ को रेकय तनकर गए ,
औय जफ कफ़यओन अऩने रश्कय सभेत गुज़यने रगा तो उस वक़्त सभुनद्र भद्द ऩय आ गमा ,
लरहाज़ा कफ़यऔन रशकय सभेत डूफ गमा।
मह ताअवीर दय ह़़ी़त सयसय्मद क़ी इस सोच क़ी अक्कासी कयती है कक वो साइॊसी
कफ़क्र, इसके यौफ व दफदफे औय जाह व जरार के भु़ाफरे भें अऩने तई न इस्राभ का
दफ़ाअ कय यहे थे। इस हवारे से सयसय्मद हभददी के भुस्तदह़ हैं। दय ह़़ी़त इस भगिफी
कफ़क्र का ऩहरा हभरा था जो हभ ऩय हुआ , जजसके नतीजे भें भुआजजजज़ात का इॊकाय हुआ
औय हय चीज़ का ताअवीर कयने क़ी को लशश क़ी गई। इॊसान के ज़हन भें जफ कोई कफ़क्र
यासऽ हो जाती है तो फडी फडी ह़़ी़तें इसक़ी तनगाहों से ओझर हो जाती हैं , वो गोमा
अॊधा हो जाता है औय यास्ते के फडे फडे ऩत्थय इसे नज़य नहीॊ आते। औय ऐसा फडे फडों के
साथ बी होता है । चुनाॊचे सय सय्मद अहभद ऽाॊ ऩय ज फ मह कफ़क्र भसल्रत हो गमा तो
इनहें ़ुयआन भें मह रफ़्जज़ नज़य नहीॊ आए
ى ى ى ى ى ى ى ي ُّم
ُك فً ٍر وؽ ى َّلهل ٍو ًد هٍ ى
ً ظ
ً ع فاٍفو فَكف
“ऩस सभनद्र पट गमा तो इसका हय टुकडा एक अज़ीभश्ु शान ऩहाड क़ी तयह हो गमा”।
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ى ى ى ي ُّم
ُك فً ٍر وؽ ى َّلهل ٍو ًد هٍع ًظى
हो सकता। इसी तयह इस आमात के अगरे अल्फ़ाज़ فَكف “तो (सभुनद्र
ً
का) हय टुकडा एक अज़ीभुश्शान ऩहाडी क़ी तयह हो गमा। ” से भद्दो जज़य (जवाय एवॊ बाटा)
भयु ाद होने का तो कोई इम्कान ही नहीॊ , इसक़ी कफ़तयी भज़्हय (भद्दो जज़य) के साथ लसये से
कोई भुनालसफत नहीॊ। तो भारूभ हुआ कक जफ कोई कफ़क्र ककसी सफफ से इॊसान के ज़हन के
ऩय इस तयह भुसल्रत हो जाती है तो फडी फडी ह़़ी़तें तनगाहों से ओझर हो जाती हैं औय
फईना मही भाभरा सय सय्मद अहभद ऽाॊ के साथ ऩैश आमा। औय लसफ़क इनही के साथ
नहीॊ, औय बी कई फडे फडों के साथ के साथ मही भाभरा हुआ है ।
भैं महाॊ एक लभसार भौरा ना सनाउल्राह अभयतसयी क़ी है । वो यासऽर
ु ्अ़़ीदा भस
ु रभान थे ,
ऩक्के अहरे हदीस थे , इस्राभी रयवामात, ़ुयआन भजीद औय हदीस को थाभने वारे थे।
रेककन वो दौय ही ऐसा था कक एक जगह उनके ़दभ बी कपसर गए। सूयतुर फ़यह भें
हज़यत इब्राहीभ का अल्राह के साथ भकाल्भा ऩर हुआ है कक
इब्राहीभ ने अल्राह से दख़्वाकस्त क़ी
महाॊ
ىف ي ٍ يه َّلٌ ِ هى ٍيكى “तो इनहें अऩने साथ भानूस कय रो ” का भतरफ मह है कक वो ऩरयॊदे
आऩको ऩहचान रें जजनको आऩने टुकडों भें फाॊटा है औय आऩ उनको ऩहचान रें कक मह वही
ऩरयॊदे, कफत
ू य मा तीतय वाैयह हैं जजनके आऩने टुकडे ककमे हैं , कोई औय नहीॊ हैं जो फर
ु ाने
ऩय आ गए हों। इस आमत क़ी तफ़्जसीय कयते हुए भौराना सनाउल्राह अभयतसयी के लरए
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भसअरा ऩैदा हुआ कक इस साइॊसी सोच के दौय भें मह फात कैसे कहें । लरहाज़ा इनहोनें
ताअवीर क़ी कक इससे भुयाद मह है कक चाय ऩूये ऩूये ऩरयॊदे भुख़्तलरफ़ ऩहाडों ऩय यखो औय
इनहें ऩक
ु ायो तो आ जाएॊगे। अफ मह भश
ु ादहदा तो हय तीतय फा ज़ को होता है कक वो ऽद
ु से
भानूस तीतय मा फटे य को अऩने ऩास फुराता है , सीटी फजाता है तो वो आ जाता है । अगय
इससे मही भुयाद है तो इस ़दय अहतभाभ के साथ औय अहमाए भोती ऩय एतभीनाने ़ल्फ
हालसर कयने क़ी दआ
ु के जवाफ भें मह फात क्मों कही गई ? जजसभें इततदाअन ज़या डाॊट
का अॊदाज़ा बी आ गमा कक क्मा तुभ ईभान नहीॊ यखते ? इसके फाद हज़यत इब्राहीभ
ने फडी रजाहत के साथ कहा के ऩयवयददगाय ! भैं भानता तो हूॊ रेककन ज़या
एतलभनाने ़ल्फी दयकाय है । जफ भौराना सनाउल्राह अभयतसयी से कहा कक आऩने इस
आमत क़ी मह ताअवीर क्मों कय दी , तो इनहोंने ने मह उज्र ऩेश ककमा कक भैं क्मा करूॊ ,
भुझे दस
ू यों के साभने फात ऩैश कयना है । तो मह है असर फात के जजस दौय के रोगों से
खऽताफ कयना हो उनके भस
ु जल्रभात का कुछ तो लरहाज़ यखना ऩडता है ।
तो ऩहरी फात मह जान रीजजए कक अगय आऩने ककसी के ककसी वसफ़ को दाइभ औय
भुस्तक़र बफज़्ज़ात भान लरमा तो आऩ लशकक कफ़जस्सफ़ात के भयतकफ हो गए। इसलरए के
़ामभ दामभ, भुस्तक़र बफज़्ज़ात औय भुतल्ऱ औसाफ़ तो लसफ़क अल्राह के हैं ,
ककसी औय के अॊदय कोई लसफ़्जत , ताअसीय मा वसफ़ भस्
ु तक़र नहीॊ , भत्ऱ नहीॊ , हभेशा से
नहीॊ औय हभेशा यहने वारा नहीॊ । हय शै औय हय हस्ती के ओसाफ़ ताफअ हैं इज़्ने ऽुदा
वनदी के। अगय अल्राह चाहे गा तो उनका ज़हूय होगा, वनाक ककसी लसफ़्जत क़ी कोई
ताअसीय ज़ादहय नहीॊ हो सकती। भज़्कूयह फारा साइॊसी तज़े कफ़क्र क़ी वजह से ज़हनों भें जो
सोच ऩख़्
ु ता औय यासऽ हुई है इसे “भादह ऩयसती का लशकक” कहा जा सकता है । इसलरए
हभाया साया तवक्कर औय इनहसायी भादी असफाफ व भसाइर ऩय है , अगय मह हालसर हैं तो
ददरजोई बी हालसर है , मह नहीॊ हैं तो ददर उडा हुआ है । अल्राह क़ी ़ुदयत ऩय
इतना म़़ीन नहीॊ है जजतना बौततक वसाइर के नताइज ऩय म़़ीन है । नतीजतन साया
बयोसा औय तवक्कर ज़ाते ऽद
ु ा वॊदी से हट कय भादी (बौततक ) अस्फाफ व वसाइर के साथ
भन
ु सलरक हो गमा है । दहक्भ ते ़ुयआनी क़ी जड तौहीद है औय के
भस्दा़ तौहीद को सभझने के लरए लशकक को सभझना ऩडेगा। यात को ददन के हवारे से
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सभझा जा सकता है औय ददन क़ी ह़़ी़त यात के हवारे से यौशन होती है । चुनाॊचे तौहीद
को सभझने के लरए लशकक को सभझना ज़रूयी है । सूयहे फनी इस्राईर औय सूयतुर कहफ़ भें
तौहीद को भस्फत अॊदाज़ भें औय लशकक को भॊफ़़ी अॊदाज़ भें ऽफ
ू अमाॊ ककमा गमा है । इन
दोनों सूयतों को भैं “दहक्भते ़ुयआनी के अज़ीभ तयीन ऽज़ाने ” ़याय दे ता हूॊ। सूयहे फनी
इस्राईर के बफल्कुर आााज़ भें फ़यभामा गमा :
ي ى ن ى َ ى ٍ ى ي ى ٍ ى ى ى ى ى ٍ ى ي ي ن ٌ ى ٍ ى ى َ َّل ى َّل ي
﴾٢ ﴿ كِن كلًيَل ً
ً كأ ينا يوَس ه ًم اا كجعوناا هدل ه ً ًَن ِ ْس ًين أَل ًخذك َم د
“औय हभने भूसा को ककताफ (तौयात) अता फ़यभामी औय इसे फनी इस्राईर के लरए दहदामत नाभा फनामा
(यहनुभाई ़याय ददमा) कक भेये लसवा ककसी औय को अऩना वक़ीर (काय साज़) न फना रेना।”
बयोसा हो, जजससे उम्भीदें वाफस्ता हों , जजसको कायसाज़ सभझा गमा हो , जजसको ककसी बी
भसअरे भें अऩनी भुजश्कर का हर सभझा जा यहा हो। सूयह भोलभन (ााकपय) भें भोलभन-ए-
ٍ َّل ى َّل َ ُأ ى ي
आर-ए-कफ़यओन के अरफ़ाज़ ऩर हुए हैं ﴾٤٤﴿ “ ىكأف ًٌو أ ٍي ًرم ِ اوػ ًـ ۚ ِ َّلف او ىػـ بى ًص ه ًِبه ًع ى ا ًدऔय
भैं अऩना भाभरा अल्राह के सुऩरुद कयता हूॊ, म़़ीनन अल्राह अऩने फनदों का तनगहफान
वसाइर के फजाए अल्राह क़ी ज़ात ऩय हो। अस्फाफ व वसाइर क़ी नफ़़ी ़तअन नहीॊ
है , रेककन मह कक कोई बयोसा उन ऩय ़तअन न हो। सूयतुर अ नफ़ार भें फ़यभामा गमा :
ي ٌ ي ى َ
(ى)كأ ًع ُّمدك ه يى َّليا ٍش ىت ىل ٍعن ًَم ق َّلو وة “औय अऩनी इम्कानी हद तक इन (कुफ़्जफ़ाय) के भ़
ु ाफरे के लरए
ता़त तैमाय यखो।” (आमत 60) मानी हाथ ऩय हाथ धय कय फैठे यहने के फजाए जजतने बी
अस्फाफ व वसाइर फ़याहभ कय सकते हो कय रो , रेककन तुम्हाया तवक्कुर इन अस्फाफ व
वसाइर ऩय न हो। मह ह़़ी़त ज़हननशीन यहे कक अस्फाफ से कुछ नहीॊ होगा , फजल्क होगा
वही जो अल्राह चाहे गा। औय अल्राह फाैय अस्फाफ के बी नतीजा ऩैदा कय
सकता है , वो अस्फाफ का भुहताज ़तअन नहीॊ , औय अल्राह अस्फाफ के होते हुए
उरटा नतीजा बी फयआभद कय सकता है , वो अस्फाफ का ऩाफॊद नहीॊ।
इन दोनों भें से कोई ऩहरू बी अगय आऩके ज़हन भें है तो आऩ “शिर्क फ़ित्तवक्र्ुऱ” के
अनदय भर
ु जववस हो गए। भैं एक लभसार ददमा कयता हूॊ कक आऩने कहीॊ जाना है औय आऩके
55
ऩास काय मा कोई औय सवायी दरु
ु स्त हारत भें भौजूद है , आऩने इसके लरए ऩेट्रोर का
इनत्ज़ाभ बी कय लरमा है औय आऩने मह इयादा कय लरमा है कक आऩ सुफह उठ कय
राजज़भन अऩनी भॊजज़रे भ़सद
ू क़ी तयफ़ यवाना हो जाएॊगे। अगय आऩको म़़ीन हो गमा
है कक अफ आऩके यवाना होने भें कोई रुकावट नहीॊ है औय आऩ मह बू र गए हैं कक इन
अस्फाफ के ऊऩय एक मुसब्बुऱअस्बाब हस्ती बी है औय साये वसाइर के जभा होने के
फावजूद बी आऩ उसके इज़न के फाैय दहर नहीॊ सकते तो आऩ गोमा भादह ऩयसती के लशकक
भें भतु तरा हो गए, शिर्क फ़ित्तवक्र्ऱ भें भर
ु जववस हो गए। मह अस्र भें भहजबू फमत है कक
आऩ अस्फाफ के ऩयदे भें भहजूफ हो गए, अस्फाफ का म़़ीन आऩके ददरों भें ऩैदा हो गमा।
आऩके ज़हन भें अस्फाफ ऩय तवक्कर ऩैदा हो गमा , आऩने अऩने ददर के लसघासन ऩय भादी
असफाफ को बफठा ददमा, अल्राह से तनगाहें भहजूफ यह गईं। जैसे इ़फार ने कहा :
फत
ु ों से तुझको उम्भीदें ऽद
ु ा से ना उम्भीदी
भुझे फता तो सही औय काफ़यी क्मा है ?
हभाया तयज़े अभर हभेशा होना चादहए कक जफ बी ककसी काभ का इयादा कयें तो
भक़्दयू बय अस्फाफ व वसाइर फयोए काय राने के फाद ज़फान ऩय अल्फ़ाज़ हों “इनशाअल्राह”
औय ददर भें मह ऩख़्
ु ता म़़ीन हो कक तभाभ अस्फाफ व वसाइर इज़्न-ए-ऽद
ु ावनदी के
भह
ु ताज हैं औय नतीजा वही तनकरेगा जो अल्राह चाहे गा। अस्फाफ व वसाइर ऩय
म़़ीन कयते हुए कबी मह नहीॊ कहना चादहए के “भैं कर मह काभ ज़रूय करूॊगा ”। अगय
कोई आभी इॊसान मह कह यहा यहा हो तो इसक़ी फ़ौयी ऩकड नहीॊ होगी , इसलरए कक इसक़ी
अऩनी ज़हनी सतह है , इसे अबी वो ़ल्फी तयफ़्जफ़अ हालसर नहीॊ हुआ , वो तो अस्फाफ व
वसाइर ही के चक्कय भें है , रेककन अल्राह ने इस ऩय नफी-ए-कयीभ
क़ी गगयफ़्जत फ़यभामी। भश
ु रयक़ीन भक्का ने आऩ से कुछ सवारात ककमे कक
ज़या फताइए अस्हाफे कहफ़ कौन थे ? रूह क़ी ह़़ी़त क्मा है ? ज़ुल़्ुयनै न कौन था ? तो
यसूरुल्राह ने मह सोच कय हज़यत जजब्राईर आते ही यहते हैं, इनसे
ऩूछ रूॊगा, कह ददमा कक “भैं कर जवाफ दे दॊ ग
ू ा” औय “इनशाअल्राह” न कहा, तो आऩ
56
सकती हैं, इनके भयतफे से फ़योतय हो सकती हैं। अफ हज़यत जजब्राईर नहीॊ आ यहे
औय रोग तालरमाॊ ऩीट यहे हैं कक भुहम्भद ! इन सवारों के क्मा जवाफात हैं ?
नफी-ए-अकयभ ऽाभोश यहे । आऩ ज़या सोगचए कक मह नफी- ए-अकयभ
के लरए ककस ़द्र तशवीश ना क औय नाज़ुक सूयते हार होगी। रेककन दहक्भते
ऽद
ु ावनदी मही थी कक आऩ क़ी गगयफ़्जत हुई। अल्राह ने सयु ह अरकहफ़
भें फ़यभामा:
َ َّل َ ى ى ى َّل ي ى ٍ ي َّل َّل ى ى ى ى ى ي ٍ ى ى ٰـ ن ى ى ى ي ى َّل ى ٍ ٌ ى ه ٰـ ى ى ى
﴾ ِ َل أف ٌظاء اوػـ ۚ ك ذلر ربك ِ ذ َ ًصي كقن عَس أف٢٣﴿ كَل قوهٌ هًَش وء ِ ًِن فا ًعن ذهًك د
ىٍ ى ى ٌ ٍَى ى ٍ ى ى
﴾٢٤ ﴿ َم ىهػٰـذ ىرط ند
ً ًد ً ر ً ًاقرا
َ ى ى ى َّل
औय ककसी काभ क़ी तनस्फत न कहा कयो कक भै इसको कर करुॉ गा (23) भगय اء او يػـ أف ٌظ कह कय औय
اء َّل ي
अगय (اوػـ أَف ٌى ىظ ى कहना) बूर जाओ तो (जफ माद आए) अऩने ऩयवयददगाय को माद कय रो (اوػـ
اء َّل ي
أَف ٌى ىظ ى
कह रो) औय कहो कक उम्भीद है कक भेया ऩयवयददगाय भुझे ऐसी फात क़ी दहदामत पयभाए जो यहनुभाई भें
उससे बी जमादा ़यीफ हो (24)”
इसके फाद सूयतुर कहफ़ भें उन सवारात के जवाफात नाजज़र फ़यभामे गए। तो मह है
अस्र भें “तौहीद फ़ित्तवक्र्ुऱ” कक ककसी शै से कुछ नहीॊ हो सकता, जफ तक अल्राह
न चाहे । “लशकक कफ़त्तवक्कर” मा भादहऩयसती (बौततकवाद ) क़ी सयू तुर कहफ़ के ऩाॊचवें
यकूअअ भें इस लशकक क़ी भुख़्तलरफ़ ऩहरूओॊ से वज़ाहत हुई है । इसभें दो वमजक्तमों का
भकारभा फडी तफ़्जसीर से ऩर हुआ है । मह बी हो सकता है कक मह वाक़्मा हो औय मह
बी हो सकता है के मह तभसीरी ऩेयामा हो। इन दो वमजक्तमों भें से एक भवादहद था। इसके
ऩास दन
ु मवी (साॊसारयक) अस्फाफ व वसाइर औय भार व दौरत नहीॊ थी , रेककन
अल्राह ऩय इसका कालभर म़़ीन औय तवक्कर था। वो भअयफ़ते ऽद
ु ा वनदी औय
अल्राह ऩय ईभान से सयशाय था, जफकक दस
ू या भुशरयक था। उसके ऩास साॊसारयक
धन एवॊ फाा थे , रेककन अल्राह ऩय ववश्वास नहीॊ था। ़ुयआन भें मह वाक़्मा इन
शतदों भें फमान हुआ है :
ٍ ٍ ٍ ى ٍ يى
﴾ ً ى ا٣٢ ﴿ اا ىك ى ف ىنا ا بً ىنخ ون ىك ىج ىعو ىنا بى ٍي ى ي ىًا ىز ٍر نعا ٍ ٍَى ٍ ىج ىع ٍو ىنا ً َا ى د ً ىا ىج َّلن ىت ٍ ىك ٍا ٍا هى يى َّلي ى نَل َّلر يجوى
ً ًَم أعن و ً ً ً
ى ى ى ى ٍى ٍ ٍا ى َّلن ىت ٍ أَ ى ٍ ُأأ ي ى ى ا ىك ى
﴾٣٣ ﴿ ً َله ي ىًا ىَن ى نر ظوًى ٌ ًي ٍن يـ ط ٍي ن ا ۚ ىكَف َّل ٍر ىَّن ً
57
“औय (ऐ नफी !) इनके साभने लभसार फमान क़ीजजए दो वमजक्तमों क़ी, इनभें से
एक को हभने अॊगूय के दो फाा ददमे औय इनके गगदक खजूय के दयख़्तों क़ी फाड रगाई औय
उनके दलभकमान काश्त क़ी ज़भीन यखी। (मानी पर के साथ साथ अनाज बी ऩैदा हो यही थी )
दोनों फाा ऽूफ परे पूरे औय फाय आवय होनें भें उनहोंने ज़या सी कसय बी न छोडी औय इन
फााों के अनदय हभने एक नहय जायी कय दी (मानी आफ ऩाशी का तनज़ाभ बी भौजद ू था
औय फाा कबी सूखा नहीॊ था)। भज़ीद मह के इसका सभय बी था ”। [इससे भज़ीद मह भुयाद
बी री गई है कक वो सादहफे औराद बी था औय मह बी के फाा परों से रदा पॊदा था ]
ى يى يى ي ي َى َ ٍ ىي ى ن َ ىى ى ى ى ىى ى
ىك ىف ه يـ ْث ى هر فقاؿ ه ً ىصا ً ً ًـ كهو ا ًكرا أ َّن أل ي
﴾٣٤﴿ ًنك ىياَل ىكأ ىع ُّمز ٍف نر
“ऩस उसने (भश
ु रयक ने ) अऩने साथी (भवादहद) से कहा कक जो उससे हभकराभ था (ऽैय औय बराई क़ी
कोई फात कय यहा था, कुछ ऽौफ़े ऽद
ु ा ददरा यहा था) कक भैं तझ
ु से ज़्मादा भारदाय हूॊ औय तझ
ु से ज़्मादा
ता़त यखता हूॊ”।
मानी इसका दन
ु मवी भार व भताअ औय अस्फाफ व वसाइर ऩय भक
ु म्भर बयोसा हो
गमा। आज कर कक ज़भाने भें मूॊ सभखझए के ककसी शख़्स के ऩास दो फडी लभरें (mills)
हों औय इसने एक फडा फ़ायभ बी रगामा हुआ हो। आफ ऩाशी के लरए बी इसका अऩना
तनज़ाभ (टमूफवेर) हो , औय बफजरी के लरए सयकायी बफजरी ऩय इजनहसाय कयने के फजाए
इसने अऩना ही फहुत फडा जनये टय रगा लरमा हो l लरहाज़ा उस भवादहद के जवाफ भें उसने
कहा: “भैं तुझसे ज़्मादा भारदाय हूॊ औय तुझसे ज़्मादा ता़त यखता हूॊ। ” तुभ ऽद
ु तो जतू तमाॊ
ऩटऽायते कपयते हो औय हभें आए हो नसीहत कयने ! हभाये ऩास मह जो भार व भताअ औय
साज़ व साभान है आखऽय हभें मूॊ ही नहीॊ लभर गमा ! आखऽय हभाये अनदय कुछ ज़हानत व
फ़तानत है , हभने कुछ सोचा औय भेहनत क़ी है , तफ ही तो मह चीज़ें हभें हालसर हुई हैं !
ٍ ٌ ى ىى
आगे फ़यभामा ىك ىد ن ىج َّلن ى يـ ىك يه ىو ظا ً ه ه ً ىنف ًص ًـ “औय (मह कहते हुए) वो अऩने फाा भें दाखऽर
हुआ जफकक वो अऩने ऊऩय ज़ुल्भ कय यहा था ”। जफ इसने फाा का रहरहाता हुआ भनज़य
दे खा तो इसका नशा दो आतशा हो गमा औय इसके ददर भें एक ऽनास सा ऩैदा हो गमा।
ى ى َ ي ُّم َّل ى ى ى ى ن ىق ىاؿ ىيا أَ يظ ُّمٌ أَف ى ب ى
ً﴾ كيا أظٌ هصاع قاا٣٥﴿ يد ىهػٰـ ًذ ًا أَبى ند “इसने कहा: भैं नहीॊ सभझता कक भेया
ً
मह फाा कबी बी तफाह हो सकता है , औय भझ
ु े तवक़्को नहीॊ कक ़माभत क़ी घडी कबी
आएगी”। तुभ ख़्वाभ ख़्वाह भझ
ु े ऽद
ु ा से औय फयु े अनजाभ से डयाते हो।
58
दे खखए मह था वो जहर भयकफ जो उसके अनदय ऩैदा हुआ। इसके एत़ाद व
नज़यमात भें कहीॊ बी ककसी दे वी दे वता का जज़क्र नहीॊ है । जज़क्र है तो अस्फाफ व वसाइर
औय साॊसारयक साज़ व साभान का है । उसने मह नहीॊ कहा कक मह फ़राॊ दे वी का भझ
ु ऩय
कयभ है औय फ़राॊ दे वता क़ी भुझ ऩय कृऩा है । फजल्क इसके अगरे अल्फ़ाज़ से वाज़ेह होता
ىى ى َى ٌ ى ى ُّم ُّم ىٰـ ى
है कक वो भानने वारा एक यफ ही का है । ﴾٣٦ ﴿ ا ًج ىد َّلف ٍ ن ٌ ًي ٍ ىا يينقو ن ا ً كه ً ر ًددت ِ ر
“ताहभ अगय कबी भुझे अऩने यफ के हुज़ूय रौटामा बी गमा तो भें ज़रूय इससे बी ज़्मादा शानदाय जगह
ऩाऊॊगा”। जफ भेये अनदय मह सरादहमतें हैं कक भझ
ु े महाॊ इतना कुछ लभरा है तो वहाॊ इससे
फढ कय लभरेगा। तुभ महाॊ जतू तमाॊ ऩटऽाय यहे हो तो वहाॊ बी जतू तमाॊ ऩटऽायोगे। मह है
इसका वो ऽननास जो ज़ादहय हुआ। अफ उस फनदा-ए-ऽुदा का जवाफ ऩदढमे
ي ى ي َّل ُّم ٍ ى ي َّل ى َّل ى ى ي ن ى ى ى ى ي ى ي ي ى ي ى ي ى ي ي َ ى ى ٍ ى َّل ى ى ى
ً ً
﴾٣٧ ﴿ قاؿ هـ ا ً ـ كهو ا ًكرا ألفرت ًِبه ًذم وقك َم َت وا ُث َم ٍلف و ُث شو ؾ رجَل
“उस (भवादहद) ने उस (सयभामादाये भसत) से कहा जो उससे हभ कराभ था कक क्मा तूने कुफ़्र ककमा उस
ज़ात का जजसने तुझे लभट्टी से, कपय नुत्फ़े से ऩैदा ककमा, कपय तुझे एक भुकम्भर इॊसान फना ददमा?”
َ ٌ ٍ ى ى ُأ ٌ َّلٰـ َّل ي ى َّل ي ى
﴾٣٨﴿ َش يؾ ً ى ً أ ى ند
ً كَل أ ً هػمًنا هو اوػـ ر
“रेककन भेया यफ तो वही अल्राह है (भैं तो इस एक ही यफ का भानने वारा हूॊ) औय भैं अऩने यफ के
साथ ककसी को शयीक नहीॊ कयता”।
ى ى ٍ ى ٍ ى ى ٍ ى ى َّل ى ى ي ٍ ى ى ى ى َّل ي ى ي َّل ى َّل َّل
كهوَل ِ ذ د و جن ك قو يا طاء اوػـ َل قوة ِ َل ًِباوػ ًـ
“औय (ऐ फदफख़्त!) मह क्मों न हुआ कक तू जफ अऩने फाा भें दाखऽर हुआ था तो कहता जो कुछ
अल्राह चाहे (वही होगा) कोई ज़ोय नहीॊ (न भेया न ककसी औय का) भगय अल्राह ही क़ी
तौफ़़ी़ व ताईद से”।
के भेयी सायी उम्र क़ी भेहनत औय कभाई इस ऩय रगी हुई थी औय चशभ ज़दन भें ऽत्भ हो
गई।
َ ٌ ٍ ى ى ي ي ى ى ٍ ى ى ٍ ُأ
﴾٤٢﴿ َش ٍؾ ً ى ً أ ى ند
ً كًقوؿ َي هيت ًَن أ
“औय वो कहने रगा काश के भैंने अऩने यफ के साथ ककसी को शयीक न ठहयामा होता!”
अफ महाॊ दे खखए कक मह कौन सा लशकक भुयाद है ? इस ऩूये वाक़्मे भें ककसी दे वी मा दे वता
का औय ककसी रात व भनात औय उजजा का कोई जज़क्र नहीॊ। जज़क्र तो यफ का है कक औय
कबी भैं अऩने यफ क़ी तयफ़ रौटा ददमा गमा .......” मह अस्र भें भाद्दे औय अस्फाफ व
वसाइर ऩय तवक्कर है , अऩनी तवानाइमों, ज़हानत दयू अनदे शी औय भाभरा फ़हभी का
60
घभनड है जजसे भज़कूयह फारा यकूअ भें लशकक से तअफीय ककमा गमा है । मह भाद्दहऩयस्ती
इसी फतु नमाद ऩय ऩयवान चढी औय उबयी है । मह इस का मनात के तभाभ भज़ादहय कफ़तयत
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अल्राह क़ी यज़्ज़ाक़मत औय ़ुदयत ऩय हभाया इतना ऐतभाद औय म़़ीन नहीॊ
जजतना के धन ऩय है , फजल्क इसका अशय अशीय बी नहीॊ। अफ इसे लशकक कह रें मा कुफ़्र
कह रें । जैसे “जो दभ ााकफ़र सो दभ काकफ़य ” कक इॊसान का जो साॊस ाफ़रत भें फसय
होता है तो दय ह़़ी़त इसका वो वक़्त एक िकाय के कुफ़्र भें गुज़यता है ।
दे खखए नफी-ए-अकयभ ने तौहीद क़ी ककतनी तल़़्ीन क़ी है l आऩ
ने अऩने चचा ज़ाद बाई हज़यत अतदल्
ु राह बफन अतफास को ताक़ीद
फ़यभामी कक इस फात को ज़हन नशीन कय रो के “अगय तभाभ इॊसान लभर कय तुझे कोई
नफ़अ ऩहुॊचाना चाहें तो नहीॊ ऩहुॊचा सकते भगय वही कुछ जो अल्राह ने तुम्हाये ह़
भें लरख ददमा है , औय तभाभ इॊसान लभर कय अगय तुझे कोई नु़सान ऩहुॊचाना चाहें तो
नहीॊ ऩहुॊचा सकते भगय वही कुछ जो अल्राह ने तुम्हाये खऽराफ़ लरख ददमा ”। जफ
62
बाज मज़्हबी नजाआत और इनर्ा हऱ
अफ आइए ज़या “लशकक कफ़जस्सफ़ात” के कुछ दस
ू ये ऩहरूओॊ क़ी तयफ़ जजनसे फाज़ भज़्हफी
नज़ाआत यो नभ
ु ा हुए हैं। शामद आऩको इनका कोई हर भमस्सय आ जाए। अल्राह
कक लसफ़ात के फाफ भें एक फात तो मह जान रीजजए कक अल्राह के लरए ़ुयआन
भजीद भें फहुत से अल्फ़ाज़ इस्तेभार हुए हैं फतौय लसफ़त बी औय फतौय अस्भाअ बी।
अल्राह के अस्भा व लसफ़ात भें फहुत थोडा फ़़क है । जफ उस रफ़्जज़ को हारते नकयह
भें राते हैं तो वो अल्राह क़ी लसफ़्जत है औय जफ इसे भाअयक फ़ बफल्राभ कयते हैं तो
वो अल्राह का नाभ है । भसरन “सभीउन” अल्राह क़ी लसफ़्जत है कक
अल्राह सुनने वारा है , जफकक “अस्सभीअ” अल्राह का नाभ है । हभें
अल्राह क़ी भाअफ़कत इसके अस्भा व लसफ़ात ही के हवारे से हालसर है । जैसे हभ
फ़योअ औय शाऽें (corollaries) हैं। भस्रन लसफ़्जते इल्भ अल्राह क़ी एक फुतनमादी
लसफ़्जत है औय सभीअ, फसीय, रतीफ़, ऽफीय, मह तभाभ अस्र भें इल्भ ही के भुख़्तलरफ़
शोअफे औय शाऽें हैं। इसी तयह अल्राह क़ी एक लसफ़्जत “़ुदयत” है । अफ इसके ज़ेर
भें अल्राह के फहुत से नाभ आ जाएॊगे , भस्रन” अल्भुइज़्ज़ु “इज़्ज़त दे ने वारा”
अरभुजज़ल्रु “ज़रीर कयने वारा” अयाककफ़उ “उठाने वारा” अरऽाकफ़ज़ु “गगयाने वारा”
अरफालसतु “कुशादगी दे ने वारा” अर-़ाबफज़ु “तनगी दे ने वारा” मह सफ इसक़ी लसफ़्जते
़ुदयत ही क़ी फ़योअ औय इसक़ी शाऽें हैं।
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अल्राह क़ी फुतनमादी लसफ़ात मह हैं (अगयचे भुख़्तलरफ़ उरभाअ , भुहक़़़़्ीन
औय भुतकल्रभीन के हाॊ मह भुख़्तलरफ़ हैं ): (1) वजूद (2) हमात, (3) ़ुदयत, (4) इल्भ,
(5) इयादा, (6) कराभ। वो अर हय्मु है , जज़ॊदा है , इसका वजद
ू हमात वारा है । वो सादहफे
़ुदयत है , सादहफे इल्भ है , सादहफे इयादा है , भुतकजल्रभ है l इन तभाभ लसफ़ात के साथ
जफ आऩ तीन चीज़ें जोड रें गे कक इसक़ी मह लसफ़्जत भुतरक है , ज़ाती है औय ़दीभ है तो
मह तौहीद है । औय अगय भुतरक होनें भें , ़दीभ होने भें औय ज़ाती होने भें ककसी औय को
ऩहरू से शालभर कय लरमा गमा तो मह लशकक है । अल्राह क़ी हमाते भत
ु रक है , ज़ाती
है औय ़दीभ है , ज़फकक भालसवा अल्राह क़ी हमात ज़ाती नहीॊ अताई (अल्राह
क़ी अता कदाक ) है , भुतरक नहीॊ भु़़ीद औय भहदद
ू है , ़दीभ नहीॊ हाददस है । अगय मह चीज़ें
ऩेशे नज़य यहें तो तौहीद भें कोई ऽरर नहीॊ आएगा। रेककन अगय इनभें से ककसी एक चीज़
को ककसी एक ऩहरू से भजरूह कय ददमा गमा तो मह लशकक फन जाएगा।
इसी तयह इल्भ के फाये भें तौहीद मह है कक अल्राह का इल्भ ज़ाती है जफकक
भालसवा अल्राह का इल्भ अताई है । भालसवा भें सफ शालभर हें । जफ फ़रयश्तों से कहा
َّل ى ى ٍ ى َّل
गमा कक फताओ ज़या इन चीज़ों के नाभ तो उनका जवाफ था : () ي ٍ ىاٍ ىك َل عًو ىى ه ىنا ِ َل ىيا ىعو ًٍ ى ىنا
“तू ऩाक है (ऐ ऩयवयददगाय!) हभें कोई इल्भ हालसर नहीॊ लसवाए इसके जो तूने हभें लसखामा (अता ककमा)
है”।(अरफ़यह:32) तो भारभ
ू हुआ कक फ़रयश्ते हों , अजम्फमा हों, यसर
ू हों, कोई फडे से फडा
अल्राभा हो, कसे फालशद, सफका इल्भ अताई है ज़ाती नहीॊ , हाददस है ़दीभ नहीॊ , भहदद
ू है
भुतरक औय राभत्नाही नहीॊ। मह तीनों ़मूद अगय भौजद ू हैं तो लशकक नहीॊ है , औय अगय
इनभें से एक ़ैद बी हट गई तो लशकक हो जाएगा।
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भकातफे कफ़क्र भें जो यस्सा कशी है वो दयअस्र “इल्भ ाैफ ” क़ी ऩरयबाषा (definition) का
भतबेद है । भुझभें भाभरे क़ी तह़़ी़ का दाइमा है कक ककसी बी भाभरे क़ी अच्छी
तयह से तह़़ी़ कय री जाए, औय मह अल्राह के भुझ ऩय अहसानात भें से एक
अहसान है । भैं अबी भेडडकर कालरज भें ज़ेये तारीभ था कक साहे वार भें एक फये रवी भकतफ
कफ़क्र के आलरभे दीन के ऩास गमा औय ऩछ
ू ा कक इल्भ ाैफ के फाये भें क्मा इख़्तराफ़ ऩामा
जाता है औय इसभें आऩका भोजक़़्फ़ क्मा है ? इनहोनें कहा कक नफी-ए-अकयभ
के इल्भ के फाये भें मह तीनों ़ैदें भानते हैं कक आऩ का इल्भ ज़ाती नहीॊ
अताई है , आऩ का इल्भ ़दीभ नहीॊ हाददस है , आऩ का इल्भ
ाैय भहदद
ू नहीॊ भहदद
ू है । फजल्क इनहोंने भुझे इस ऩय अऩने भक्तफ कफ़क्र के उरभा क़ी
तहयीयें ददखाईं कक हभायी तयफ़ से इन तीनों फातों का फयभरा एतयाफ़ औय इ़याय होता है ।
इस ऩय भैंने अज़क ककमा कक कभ अज़ कभ इन तीनों चीज़ों को अगय तसरीभ ककमा जाए
तो कपय भेया आऩसे कोई झगडा नहीॊ है औय भेये नज़दीक इसभें लशकक वारा फात नहीॊ है । तो
दयअस्र इख़्तराफ़ क़ी वजह लसफ़क मह है कक इल्भ ाैफ क़ी definition भुख़्तलरफ़ हो यही
है । जो इस ाैफ क़ी नफ़़ी कयते हैं वो इसे ककसी औय तयह औय तयी़े से ऩरयबावषत कयते हैं
औय जो ाैफ का इस्फात कयते हैं वो इसे ककसी तयह से define कयते हैं। जो इसका इस्फात
मह भश
ु ादहदात आलरभे ाैफ के हैं ना के आलरभे शहादह के। मह जननत औय दोज़ऽ के
भश
ु ादहदात हैं , मह आरभ भरकोत के ऩयदे उठाए जा यहे हैं। हज़यत इब्राहीभ के
फाये भें इशाकदे इराही है
तो भारभ
ू हुआ कक आभ इॊसानों के लरए जो चीज़ें ाैफ के दजे भें होती हैं नफी को
उनभें से कुछ ददमा जाता है तफ ही वो न फी फनता है , वयना नफुवत का सवार ही नहीॊ।
इसको ़ुयआन भजीद ने वाज़ेह कय ददमा है । सूयतुर जजन भें फ़यभामा गमा :
66
َّل ي ى َّل ي
وؿ ف ِاٍ يـ ٌى ٍصو يك ًَم بى ٍ ً ىً ىد ًٍ ًـ ش ر ً
َم ٰـ
َض
َّل ى ٍ ى ى
ر َم َل ِ ﴾ ٢٦﴿ د هٍ ىغ ٍي ىف ىَل ًي ٍظ ير ى ى ٰـ
لَع ى ٍي ًـ أَ ى ن ىعا ً ي
و ً ً ً ً
ن ى ى ٍى ٍ ً ىك
﴾٢٧﴿ و ًف ًـ ر د َم
"ऩयोऺ का जाननेवारा वही(अल्राह) है औय वह अऩने ऩयोऺ को ककसी ऩय िकट नहीॊ कयता, (26)
लसवाम उस वमजक्त के जजसे उसने यसूर क़ी हैलसमत से ऩसनद कय लरमा हो तो उसके आगे से औय उसके
ऩीछे से तनगयानी क़ी ऩण
ू क वमवस्था कय दे ता है, (27)
अरफत्ता भालसवा अल्राह के लरए कुर ाैफ के अहाते का अगय तसववुय बी हो गमा
तफ तो कुफ़्र बी हो गमा औय लशकक बी। कुर ाैफ तो दयू क़ी फात है , अगय कुर हाजज़य का
तसववयु बी ज़हन भें आ गमा तो मह बी कुफ़्र औय लशकक है ।
जजस तयह “लशकक कफ़ज़्ज़ात” के जज़भन भें ़ुयआन भजीद का अहभ तयीन भ़ा भ सूयतुर
इख़्रास है , इसी तयह “लशकक कफ़जस्सफ़ात” मा बफर फ़ाज़े दीगय “तौहीद कफ़जस्सफ़ात” के ज़ेर
भें ़ुयआन भजीद का अज़ीभ तयीन भ़ाभ आमतल्कुसी है । इसभें फ़यभामा गमा :
َم ًع ٍوً ًـ ِ َّلَل ىا ىط ى
( اء ٍ ً ٌ َش وء
ٍ ىى ي ي ى ى
ً ً ً )كَل ًيلوف “औय वो अहाता नहीॊ कय सकते अल्राह के इल्भ भें
ककसी बी शैए का, लसवाए इसके जो अल्राह चाहे ”। इल्भे हाजज़य बी अल्राह ही का
अता कदाक है , हभाया ज़ाती नहीॊ है । आॊख दे ख यही है तो इसे अल्राह ददखा यहा है तो
दे ख यही है वयना आॊख के फस का योग नहीॊ है कक दे ख सके। कान बी सुन यहें हैं तो
अल्राह के सुनवाने से सुन यहे हैं , फनाक कानों का ज़ाती वसफ़ नहीॊ है के वो सुन
सकें। भख़्ऱ
ू के ज़ाती वसफ़ औय लसफ़्जत का तो हभने इनकाय कय ददमा। इसका तो सवार
ही नहीॊ। ज़ाती वसफ़ औय ज़ाती लसफ़्जत तो है ही लसफ़क अल्राह के लरए। लरहाज़ा
इल्भे हाजज़य के जो ज़याए हैं वो बी जान रीजजए कक हभाये ज़ाती नहीॊ , अताई हैं औय इनका
बी अल्राह ने दाएया भु़यक य कय ददमा है । आॊख क़ी जो हद है इतना ही दे खगी इससे
आगे नहीॊ। अरफत्ता दयू फीन रगा कय कुछ भज़ीद दे ख रेगी , रेककन कपय दयू फीन क़ी बी एक
हद है जजससे तजाववज़ भुभककन नहीॊ है । लरहाज़ा इल्भे हाजज़य हो मा इल्भे ाैफ , अगय
भालसवा अल्राह के लरए कुर का अहाता कयें गे तो लशकक हो जाएगा , वनाक नहीॊ।
अफ यहा मह भस ्अरा के हभ अजम्फमा के इल्भ को नाऩें औय तोरें तो इससे फडा ऩागर ऩन
औय इससे फडी दहभा़त कोई नहीॊ। इसलरए के वो तो नोइमत के एतफाय से बी हभाये इल्भ
से भुख़्तलरफ़ है । इसे हभ कैसे नाऩें गे ! हभाया इल्भ तो इल्भ बफर हवास औय इल्भ बफर
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अक़्र है , जफकक इनका इल्भ, इल्भ बफर वही है । लरहाज़ा हुसूरे इल्भ के ज़याए औय भाजज़ज़
ही भुऽतलरफ़ हों औय हभ अऩने इल्भ से उस इल्भ को नाऩनें रग जाएॊ तो इससे फडी
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“वो आलरभ उर गैफ है , ऩस वो अऩने ाैफ ऩय ककसी को भत्राअ नहीॊ कयता। भगय जजसको
ऩसॊद कयरे अऩने यसूरों भें से .......”
चन
ु ाॊचे मह ाैफ के ऩयदे अल्राह उठाता है लसफ़क अजम्फमा व रुसर
ु के लरए।
अल्फत्ता ककतने उठाता है , ककतना इसक़ी भश्मत है , ककसको ककतना ददखाता है , मह वो जाने
औय इसका यसूर जाने जजसने दे खा।
़ुयआन भजीद भें सूयतुन नजभ भें शफ भअयाज का जज़क्र हुआ है कक वहाॊ क्मा दे खा
भुहम्भद ने, तो इसभें एक फहु त फडा नुक्ता ऩोशीदा है जजसक़ी तयफ़ इशायह
कय यहा हूॊ। अफ भें औय आऩ क्मा सभझेंगे कक वहाॊ भह
ु म्भद ने क्मा दे खा!
अगय मह फमान बी कय ददमा जाए तो हभाये हालशमाए ख़्मार भें बी नहीॊ आ सकता कक
वहाॊ भुहम्भद ने क्मा दे खा। लरहाज़ा ़ुयआन भजीद ने लसफ़क मह कहा :
ٰـ ى ٍ ى ى ٍ ى َ ٰـ ٍ َ ى ى ٌ ٍ ي
﴾١٨﴿ “هقد رأل ًَم أَي ًت رب ً ًـ همِبلइनहोंने दे खा अऩने यफ क़ी अज़ीभ आमात को”। लसद्रतुर
भुनतहा ऩय क्मा था, अगय ़ुयआन इसे फमान बी कयते तो हभायी सभझ भें आएगा !
तुम्हे क्मा फताएॊ कक क्मा ढानऩे हुए था! फस तुभ इसी ऩय ़नाअत कयो कक “दे खा (हभाये फनदे
भुहम्भद ने) अऩने यफ क़ी फडी अज़ीभ आमात को”। इससे आगे तुम्हाये हालशमाऐ ख़्मार
भें आने वारी फात नहीॊ। मह है भाभरा हभाये इल्भ औय हभायी हुदद
ू का औय हभ इसको
रेकय नाऩने चरें अजम्फमाए कयाभ के इल्भ को, औय इससे बी आगे फढ कय
सय्मदर
ु अजम्फमा, सय्मदर क ीन हज़यत भुहम्हद के इल्भ को, तो मह
ु भु सर
हभाये फुतनमादी ारती औय फुतनमादी ़ुसूय है । हाॊ अगय कोई मह सभझता है कक नफी- ए-
अकयभ आलरभुर कुर हैं , हैं तो मह अ़़ीदे क़ी ऽयाफी औय
लशकक है l
भुतरक है , ककसी के ताफअ नहीॊ , इसे कहीॊ से sanction औय भॊज़ूयी नहीॊ रेनी। ऐसी फात
नहीॊ कक सदये अभरयका कोई बफर ऩास कयाना चाहता हो रेककन ऩायरीभें ट भनज़ूयी ना दे
औय इसक़ी जान भऽभसे भें पॊस जाए। जैसे वक़्त का कफ़यओन जो ऽुदाई का भदई था ,
इसने हज़यत भूसा को ़त्र कयने क़ी ़यायदाद (resolution) अऩने दयफाय भें
ऩेश क़ी, रेककन दयफायी नहीॊ भाने तो कफ़यओन के हाथ फॊध गए। मह भत
ु रक शान
अल्राह क़ी है के वो जो इयादा कयरे कय गुज़यने वारा है । भश्मते भुतरक लसफ़क
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अल्राह क़ी है । ़ुयआन भजीद भें जगह जगह फ़यभामा गमा है : ( ) “वो
फख़्शना चाहे तो इसे कौन योकेगा ! औय अगय वो ककसी फडे से फडे नैक आदभी को
जहननभ भें झोंकना चाहे तो इसका इजख़्तमाय भुत्ऱ है , इसे कोई नहीॊ योक सकता।
हभाया औय अहरे तशीअ के भाफैन अ़ाइद भें एक फडा फतु नमादी इजख़्तराफ़ है कक
हभ अल्राह ऩय अदर वाजजफ नहीॊ सभझते , जफकक इनके नज़दीक अल्राह ऩय
अदर वाजजफ है । इनके नज़दीक भुजरयभ को सज़ा दे ना अल्राह ऩय वाजजफ है औय
फेगुनाहों को सज़ा नहीॊ दे ना इस ऩय वाजजफ है , जफकक हभाये नज़दीक ऐसा नहीॊ है । वो
भालरकुर भल्
ु क है , भख़्
ु ताये भत
ु रक है , भश्मते भजु त्ऱा का हालभर है , वो फडे से फडे नैको
काय को बी जहननभ भें झोंकने भें फाइजख़्तमाय है । अल्फत्ता मह हभ जानते हैं कक वो नहीॊ
झोंकेगा। अम्र वा़अ (De facto position) कोई औय है , रेककन इस ऩय कोई चीज़
“औय तुम्हाये चाहे कुछ नहीॊ होगा जफ तक अल्राह ना चाहे ”।(अद्दहय:30) रेककन मह तो है
नतीजा के एतफाय से , मह रफ़्जज़ी तजुभ
क ा नहीॊ फजल्क भुहतात तजभ
ुक ानी है । दस
ू या तजभ
ुक ा है :
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“औय तुभ चाह बी नहीॊ सकते जफ तक के अल्राह ना चाहे ”। मह है अस्र भें अल्राह
क़ी भुतरक कक भश्मत बी इसक़ी भश्मत के ताफे अ है । तुभ चाह बी नहीॊ सकते जफ तक के
वो ना चाहे । मह अस्र भें तौहीद का वो भ़ाभ के जहाॊ इॊसान का इयादा अल्राह के
इयादे भें फ़ना हो जाता है कक ऩयवयददगाय ! जो तू चाहे फस वही है , भैं क्मा चीज़ हूॊ औय भेयी
भश्मत औय इयादे क़ी क्मा है लसमत है ! इसभें चोटी क़ी फात मह है के सय्मदर
ु भुसलक रन,
भहफूफ यतफुर आरलभन हज़यत भुहम्भद यसूरुल्राह क़ी भश्मत के हवारे कक
अगय धोखा हो सकता तो अल्राह ने ऩैश फनदी के तौय ऩय पयभा ददमा:
َم أَ ٍ ى ٍب ى ىكهىػٰـم َّلًٌ اوَّل ىػـ ى ٍ ًدم ىَم ٌى ىظ ي
( اء ٍ ) ِ ٍ َّل ىك ىَل ىَتٍدم ى
ً
“म़़ीनन (ऐ नफी !) आऩ नहीॊ दहदामत दे सकते जजसे बी आऩ चाहें रेककन अल्राह
दहदामत दे ता है जजसको चाहता है”।(अर ़सस:56)
खद
ु ा और इंसान र्ी हयात र्ा तक़ाबबऱ
अफ आइमह हमात क़ी तयफ़। हभ बी जज़ॊदा हैं औय अल्राह बी जज़ॊदा है ,
रेककन हभायी जज़ॊदगी अववर तो मह कक अऩनी नहीॊ फजल्क अताई है । राई हमात आए ,
़ज़ा रे चरी चरे ”। दस
ू ये मह के इस हमात का दायो भदाय अस्फाफ ऩय है । खाएॊगे तो जज़ॊदा
यहें गे वनाक भय जाएॊगे , आकसीजन हालसर ना यहे तो भय जाऐॊगे। अगय ऩॊद्रह फीस ददन
भस
ु रसर जागें तो भोत वा़अ हो जाएगी। भारभ
ू हुआ के मह हमात फडी ही कभज़ोय औय
फेचायी है । मह फडी भजफूय जज़ॊदगी है जो दस
ू यों के सहाये ऩय ़ामभ है । इसके साथ ज़अफ़
औय अहतमाज है , आयाभ औय नीॊद क़ी ज़रूयत है । जफकक अल्राह क़ी हमात क्मा है ?
هٍ ىق ُّمي ي
وـ ۚ ىَل ى ْأ ي يذ يا ًش ىن ه ىك ىَل ى ٍ ـه ٍ ى
आमतर कुसी भें है اوَّل يػـ ىَل ِ ػٰـؿىـ ِ َّلَل يه ىو ْلىيُّمकक इसक़ी जज़ॊदगी तो वो
जज़ॊदगी है जजसभें ना ऊॊघ है औय ना नीॊद है। इसक़ी ़ुववतों भें कोई अज़्भहरार ऩैदा नहीॊ होता।(अर
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َّل َ َّل ى ى ى َّل ى ً ُّم ي ى ي ى ٍ ى ى ى ى ى ى ٍ ى ى ٍ ى َّل ى ى ى ٍ َ ٍ ى
﴾٣٨ ﴿ وا
كهقد وقنا هصًاك ًت ك ار كيا بي ًا ً ًشت ً أَي وـ كيا يصنا َم هغ و
“औय हभने आसभान औय ज़भीन औय जो कुछ इनके भाफैन है , छह ददनों भें ऩैदा ककमा औय हभ ऩय कोई
थकान नहीॊ हुई”।(सुयह )ق
सयू ह हो। दआ
ु ए इस्तऽाया के अल्फ़ाज़ हैं
“ऐ अल्राह! भैं तेये इल्भ से ऽैय क़ी बीख भाॊगता हूॊ , औय तेयी ़ुदयत से कुछ ़ुदयत
क़ी बीख भाॊगता हूॊ औय भैं तेये फ़ज़्रे अज़ीभ से कुछ सवार कय यहा हूॊ ”। जैसे हज़यत भूसा
ه ى ٌ ٌ ى َ ى ٍ ى ى َّل ً ٍ ى ٍ ى
के अल्फ़ाज़ सूयतुर ़सस भें आए हैं : (﴾٢٤﴿ و ف ًق )ر ًا ِ ًِن هًًا أَنه ِ ِل َم “ऐ भेये
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ى َ ُّم ى َّل ي َ ي ي ٍ ي ى ى ي ى َّل
َي أ ا هناس أٍن هفقر ء ِ اوػ ًـ
तुभ हय भाभरे भें अल्राह के भुहताज हो। (फ़ाततय:15) दआ
ु ए इस्तऽाया के भज़कूयह फारा
तीन जम्
ु रे भ़ाभे अजतदमत क़ी वज़ाहत के लरए फहुत अज़ीभ हैं। अगरे दो जभ
ु रे हैं
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आखऽयी भॊजज़र तक नहीॊ ऩहुॊचा। भें मह वज़ाहत बी कयता चरुॊ के हभाये वो सूकफ़माए कयाभ
जो अगयचे “वहदतुर वजूद ” के ़ाइर हैं , रेककन उनहोंने “वहदतुर वजूद ” को “हुभा अवस्त”
जो कुछ इस कामनात भें है वो भहज़ वहभ है मा ख़्मार है , मा जैसे शीशे भें कोई अक्स
होता है मा सामा। आऩ शीशे भें नज़य तो आ यहे होते हैं रेककन वहाॊ होते नहीॊ हैं। इसे एक
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लभसार से मूॊ वाज़ेह ककमा गमा कक एक रकडी रेकय इसके एक लसये ऩय कऩडा फाॊधें औय
इसके ऊऩय लभट्टी का तेर डार कय आग रगा दें औय इसे एक दा मये भें तेज़ी के साथ
हयकत दें तो दे खने वरों को मह एक आततशें दामया नज़य आता है , रेककन दय ह़़ी़त वो
आग का दामया नहीॊ होता, फजल्क शोरे क़ी हयकत आततशें दामया का रूऩ धाय रेती है । अफ
दे खखए इस नज़रयमा भें कामनात औय भालसवा क़ी नफ़़ी हो गई औय इस्फात लसफ़क
अल्राह का हुआ। “वहदतुर वजूद ” औय वहदतुश्शहूद” भें लसफ़क तअफीय का फ़़क है ,
ي َّل
औय हज़यत अलरफ़ सानी ىر ٍ ىػ اوػ ًـने रोगों को सभझाने के लरए मह फ़़क ककमा है । मह भहज़
सभझाने का एक रतीफ़ सा अनदाज़ है ।
इसक़ी एक औय फहतयीन तभसीर इस दौय भें भौराना भनाजज़य अहसन गीरानी
ي َّل
ىر ٍ ىػ اوػ ًـने मह फमान क़ी कक तुभ ज़या तसववुय कयके अऩने ज़हन भें ताज भहर मा भीनाये
ऩाककस्तान का नक़्शा रे आओ। मह गोमा तुभहायी भहज़ एक ख़्मारी तख़्री़ है जो तुम्हाये
ज़हन भें है ओय तुम्हाये ज़हन से फाहय इसका कोई वजूद नहीॊ। इसके ऊऩय बी तुभ हो ,
इसके नीचे बी तुभ हो, इसके फाहय बी तुभ हो औय इसके अनदय बी तुभ हो। तो मही
तनस्फत ऽालऱ व भख़्रू़ के भाफैन है । ़ुयआन भजीद अल्राह के फाये भें पयभाता
َ ٍ ي ى ٍ َ َّل ي ى
ا ً ير ىك َّلهظا ًه ير ىك هٍ ى ا ًٌ(ي
है : )هو اكؿ كवही अववर है , वही आखऽय है , वही ज़ादहय है औय वही फाततन
है”।(अर हदीद:3) औय मह कामनात भहज़ इसके ख़्मार के भाजननद है । हभाया ख़्मार तो फडा
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आगे फढने से ऩहरे भैं “लशकक कफ़जस्सफ़ात” के ज़ेर भें “भसअरा लशफ़ाअत” क़ी ़दये
वज़ाहत कय दे ना चाहता हूॊ। अल्राह के इज़न के साथ शफ़ाअत ़ुयआन व हदीस
दोनों से साबफत है । इसका इॊकाय कयने वारा ़ुयआन औय हदीस दोनों क़ी नसस
ू का भजु नकय
ٍ ى ى َّل ى ٍ ى ي ى ي َّل
हो जाएगा। आमतर कुसी भें इशाकदे इराही है : ـ
ً ً ٍَم ذ ه ًذم ٌظفي ًعندا ِ َل ًِبِذ
कौन है जो उस (अल्राह) क़ी जनाफ भें उसक़ी इजाज़त के फाैय शफ़ाअत कय सके ? (फ़यह:255)
सुनना ऩसॊद कये ।” अल्फत्ता अगय ककसी के ज़हन भें शफ़ाअत का तसववुय मह है कक कोई हस्ती
अऩनी दयखवास्त कहीॊ ऩेश क़ी औय ककसी ने आऩके लरए लसफ़ारयश बी क़ी। तो मह
लसफ़ारयश दय अस्र शफ़ाअत है कक उसने अऩनी फात बी आऩक़ी फात के साथ जोड दी तो
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फात दोहयी हो गई। मानी एक साइर है जो अऩना सवार ऩेश कय यहा है औय एक औय है
जो उसक़ी लसफ़ारयश कय यहा है । नफी- ए-अकयभ क़ी हमाते तय्मफा के दौयान
बी मह होता था कक ककसी भस
ु रभान से ककसी ऽता मा ारती का सद
ु यू हो जाता तो वो
ऽद
ु बी अल्राह से अस्तफफ़ाय कयता था औय नफी- ए-अकयभ क़ी
खऽदभत भें बी हाजज़य होता था कक आऩ बी अल्राह से भेये लरए
लसफ़ारयश कयें । मह नफी- ए-अकयभ क़ी तयफ़ से अल्राह क़ी फायगाह भें
उस भुसरभान के लरए शफ़ाअत थी। इसी तयह ़ुयआन भजीद से साबफत है कक फ़रयश्ते बी
ٍ ٍَ ى)كٌى ٍص ىت ٍغ ًف ير ى
इॊसानों के लरए शफ़ाअत कयते यहते हैं। ( كف ه ً ىًٌ ً ار
ً “वो ज़भीन वारों के लरए
(अऩने ऩयवयददगाय से) अस्तफफ़ाय कयते यहते हैं। ” (अश्शयू ा:5) इसी तयह भाभरा भैदाने हशय भें
होगा। अजम्फमा, सद्दद़़ीन, शोहदाअ औय सालरहीन को अऩने अऩने भयाततफ के भुताबफ़
अल्राह क़ी तयफ़ से इजाज़त लभरेगी कक वो बी गुनाहगायों के ह़ भें शफ़ाअत कयें ।
अल्फत्ता अल्राह के इज़न के फाैय कोई हस्ती बी ककसी के लरए शफ़ाअत नहीॊ कय
सकेगी। इशाकदे इराही है :
ى ى ى ٍ ى ى ي ي ُّم ي ى ٍ ى ى ى ي ى ًّ َّل ى ى ى َّل ي ى َّل ى ٍ َ ى
﴾٣٨﴿ َم أ ًذ ىف ه يـ َّلهر ٍ ىػٰـ يٌ ىكقاؿ ى ىو نِب ـ ًقوـ هركو ك هًَل ًم فا ۖ َل ً َكًوف ِ َل
“(उस योज़) कोई ना फोरेगा (ककसी को कराभ कयने का मायाना ना होगा) लसवाए उसके जजसे यहभान
इजाज़त दे औय वो ठीक फात कहे । ” (सुयह नफा : 38 ) तो शफ़ाअत का भुतरक इनकाय ़ुयआन
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“शिर्क फ़िऱ हुक़ूक़” या शिर्क फ़िऱ इबादत”
अगय हभ अल्राह के हु़ू़ को शुभाय कयने रग जाएॊ तो वो फेशुभाय हो
जाऐॊगे, रेककन “हाथी के ऩाऊॊ भें सफका ऩाऊॊ ” के भस्दा़ अल्राह का एक ह़ ऐसा
है कक जजसभें उसके साये हु़ू़ आ जाते हैं , औय वो ह़ है “इफादत”। चन
ु ाॊचे “लशकक कफ़र
हु़ू़” भसावी हो जाएगा “लशकक कफ़र इफादत के । ़ुयआन भजीद भें मह भज़भून फेशुभाय
भतकफा आमा है कक तभाभ यसूरों क़ी दावत इसी हवारे से है कक “अल्राह क़ी इफादत
कयो, अल्राह के लसवा ककसी औय क़ी इफादत ना कयो ”। सूयह हूद क़ी इततदाई आमात
भें फतामा गमा कक ़ुयआन भजीद का भक़्सदे नज़ूर औय भुहम्भद यसूरुल्राह
क़ी फअसत क़ी ाज़क व ाामत क्मा है । फ़यभामा :
ى يى َ َّل ى ٍ ي ي َّل َّل ى َّل ى ي ى َّل ى ه ُأ ى َ ي ي َّل ي ى
﴾٢﴿ ٌ ًي ٍنـ ٍ ًذ ه ىك ًظ ه ﴾ أَل ع دك ِ َل اوػـ ۚ ِ ٍ ًَن ه١﴿ اا أ ٍ ًُك ٍ أ ىَي يـ ُث ف ٌ ًصو ٍ ًَم ه يد ٍف ى ًم و ً و ًهر ۚ ل
“अलरफ़, राभ, या। मह वह ककताफ है जजसक़ी आमात ऩुख़्ता क़ी गईं कपय वो खोरी गईं (इनक़ी
तफ़्जसीय क़ी गई) उस हस्ती क़ी तयफ़ से जो कभारे दहक्भत वारी है , तभाभ चीजों से फाऽफय है। (औय मह
इसलरए नाजज़र हुई) कक इफादत ना कयो भगय अल्राह क़ी। म़़ीनन भैं तुम्हाये लरए अल्राह
क़ी तयफ़ से ऽफयदाय कयने वारा औय ऽुशऽफयी सुनाने वारा हूॊ ”।
मानी जो अल्राह के लसवा ककसी क़ी इफादत ना कयें औय “तौहीद कफ़र इफादत”
के भेमाय ऩय ऩूये उतय जाएॊ उनके लरए भैं फशायत दे ने वारा हूॊ कक इनके लरए नेअभतों
वारी जननतें हैं। औय जो इस भेमाय ऩय ऩूये ना उतयें इनके लरए भैं ऽफयदाय कयने वारा हूॊ
कक इनके लरए इनके यफ के ऩास फडा ददक नाक अज़ाफ है ।
सूयह कहफ़ क़ी आखऽयी आमत भें नफी- ए-अकयभ से कहरवामा गमा:
ي ٍ َّل ى َ ى ى ى ه ٌ ٍ ي ي ٍ ي ى ٰـ ى َّل َ َّل ى ىٰـ ي ي ٍ ىٰـ ه ى ه ى ى ى ى ى ٍ ي ى ى ى ٌ ى ٍ ى ٍ ى ٍ ى ى ن ى ن
ِ ِل أ ا ِ هػ ِ هػـ ك ًد ۖ ٌ ف جو هًقاء رب ً ًـ فويعًن َل ًاْلا قن ِ ا أَّن ْش ًي و
َ ىك ىَل ٌ ي ٍْش ٍؾ بع ى ى
﴾١١٠﴿ اد ًة ىر ٌب ً ًـ أ ى ند ًً ً
ऐ नफी ! कह दीजजमे कक भैं तो एक इॊसान हूॊ तुभ ही जैसा, भेयी तयफ़ वहही क़ी जाती है कक
तुम्हाया भाफूद फस एक ही है। ऩस जो कोई अऩने यफ क़ी भुरा़ात का उम्भीदवाय हो उसे चादहए कक नेक
अभर कये औय अऩने यफ क़ी इफादत भें ककसी को शयीक ना ठहयाए l
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“लशकक कफ़ल्हु़ू़” मा फा अल्फ़ाज़े दीगय “लशकक कफ़र इफादत” को सभझने के लरए हभें
सफसे ऩहरे रफ़्जज़ “इफादत” को सभझना होगा। अयफी भें “अतद” ार
ु ाभ औय फनदे को औय
“इफादत” ार
ु ाभी औय फनदगी को कहते हैं। ़ुयआन भजीद क़ी भशहूय आमते भफ
ु ायका है :
ي ي ٍ ى ى ى ى ى ٍ ي ٍ َّل ى ٍ ى َّل
(﴾٥٦﴿ كف
ً )كيا وق ًاٌ ك َلَِس ِ َل هًيع د (अज़ ज़ारयमात) इसक़ी सहीह तयीन तजुभ
क ानी क़ी
ي َّل
है शैऽ सअदी ىر ٍ ىػ اوػ ًـने के:
जज़ॊदगी आभद फयाए फनदगी
जज़ॊदगी फेफनदगी शलभकनदगी !
मो तो हुआ रफ़्जज़ “इफादत” का भअना व भफ़्जहूभ। इस्तराह भें “इफादत” अस्र भें क्मा है ,
ي َّل ي َّل
इभाभ इतन-ए-तैलभमा ىر ٍ ىػ اوػ ًـऔय हाकफ़ज़ इतन-ए-कजय्मभ ىر ٍ ىػ اوػ ًـने इसक़ी सहीह तयीन औय
जाभेअ तयीन तअफीय क़ी है , गोमा दयमा को कू ज़े भें फनद कय ददमा है , कक
81
अगय इफादत के अनदय भुहतफत-ए-ऽुदा वनदी क़ी रूह जायी व सायी ना हो तो मह
आभार भहज़ यसभ फन कय यह जाते हैं। तो इफादत के मह दो अजज़ा अ फहुत अहभ हैं , एक
इताअते कुल्री औय दस
ू या भह
ु तफते ऽद
ु ा वनदी।
इफादत के ज़ेर भें तीसयी चीज़ कुछ भयालसभे उफूददमत हैं जो अऩनी फनदगी को
ज़ादहय कयने के लरए होते हैं। इॊसान का हभेशा से मह ़ामदह यहा है कक ककसी क़ी
ताअज़ीभ औय तनमाज़ भनदी के इज़्हाय के लरए वो कुछ सूयतें इजख़्तमाय कयता है , भसरन
जजसक़ी ताअज़ीभ भ़सद
ू हो इनसान दस्त फस्ता इसके साभने खडा होता है । फादशाहों के
साभने सीना तान कय नहीॊ फजल्क झुक कय खडा हो जाता है । कपय जजसक़ी भज़ीद तअज़ीभ
भ़सूद हो उसके साभने यकूअ ककमा जाता है औय इससे आगे फढ कय सजदा ककमा जाता
है । सूयज क़ी तअज़ीभ भ़सूद हो तो रोग सूयज के साभने सयनगों हो जाते हैं , सय फसजूद
हो जाते हैं। तो मह ज़ादहयी आभार के जजनभें इस इफादत के जज़्फे का इज़्हाय होता है ,
भयालसभे उफूददमत कहराते हैं।
इफादत के ज़ेर भें बी चौथी फहस “दआ
ु ” है जो इफादत का रतफे रफाफ औय अस्र
ऽुरासा है । ककसी हस्ती को ऩुकाया जाता है उसे भुजश्कर कुशा , हाजत यवा, तक्रीफ़ों का दयू
कयने वारा सभझ कय। इसे ़ाददये भत
ु रक सभझते हैं तफ ही तो इसे ऩक
ु ायते हैं ! इसे
सभीअ व फसीय सभझते हैं तफ ही तो इसे ऩक
ु ायते हैं ! इसे सभझते हैं कक वो हभायी तक्री फ़ें
यफ़अ कय सकता है तो इससे अस्ताासा कयते हैं , अस्तदआ कयते हैं। नफी-ए-अकयभ
ने फ़यभामा: “दआ
ु ही अस्र इफादत है ”।
82
जो ़फूलरमत क़ी अस्र शतक है , वो भफ़्ज़ूद है । चुनाॊचे ़ुयआन भजीद भें इसको बी वाज़ेह
ककमा गमा
هد ى ي ىن ىفاء(ىٌ ) ىك ىيا أُأي يًرك ِ َّلَل ه ً ىي ٍع ي يدك اوَّل ىػـ ي ٍوًص ى هى يـ
ً ً
“औय इनहें तो हुक्भ फस मही हुआ था कक वो अल्राह क़ी फनदगी कयें अऩने दीन (ार
ु ाभी औय
इताअत) को उसके लरए ऽालरस कयते हुए, मकसू होकय।” (अर फैय्मनह:5)
83
इताअत क़ी बी है । कोई एक ही शख़्स नहीॊ होता, फजल्क भजस्जद भें जो इभाभ
मा ऽतीफ है वो वहाॊ का वारी-ए-अभय है । ककसी फस्ती के अनदय जो जज़म्भेदाय फ़दक है वो
वहाॊ का वारी-ए-अम्र है । ककसी सूफे का जो गवनकय है वो वारी- ए-अम्र है । आऩका जो सयफयाहे
रयमासत है वो वारी-ए-अभय है । औय नाभारूभ ककतने वालरमान- ए-अम्र भौजूद हैं। जैसा कक
हो।” भख़्ऱ
ू क़ी इताअत का इनकाय नहीॊ है , वालरदै न क़ी इताअत कयो, फडों क़ी इताअत
कयो, seniors क़ी इताअत कयो, हक्काभ क़ी इताअत कयो, teachers क़ी इताअत कयो,
अगय दीनी एतफाय से ककसी के साथ अऩने आऩको भुनसलरक ककमा है तो इसक़ी इताअत
कयो, रेककन ककसी क़ी इताअत अल्राह क़ी भाअलसमत भें नहीॊ होगी, कोई बी अगय
तुम्हें अल्राह के हुक्भ के खऽराफ़ हुक्भ दे गा तो अफ उसक़ी इताअत नहीॊ होगी। वहाॊ
84
इनक़ी इताअत का दामया ख़्तभ हो जाएगा। अफ इनक़ी भअलसमत राजज़भन क़ी जाएगी औय
अल्राह क़ी भअलसमत हयगगज़ नहीॊ क़ी जाएगी। चुनाॊचे अगय अल्राह क़ी
इताअत सि
ु ीभ है , फा़़ी तभाभ इताअतें उसक़ी इताअत के दाएये के अनदय अॊ दय हैं तो मह
“तौहीद कफ़र इताअत” है । अगय ककसी एक इताअत को बी इस दाएये से फाहय तनकार कय
अल्राह क़ी इताअत के हभ ऩल्रा कय लरमा गमा तो मह लशकक है औय अगय
अल्राह क़ी इताअत से ऊऩय रे गए तो मह लशकक से बी ज़्मादा तघनाउनी फात है ।
मह ऐसी फात है कक हय शख़्स का ददर इ सक़ी गवाही दे गा औय अ़रे आभ इसे तसरीभ
कये गी।
अफ ज़या इस फ़ाभूर
क े को apply क़ीजजमे औय मह इजनतहाई कदठन भयहरा है । इसके
लरए भैं एक लभसार ऽालरस इनफ़यादी सतह ऩय दॊ ग
ू ा औय एक लभसार इजजतभाइमत क़ी
फर
ु नद तयीन चोटी क़ी दॊ ग
ू ा। औय इन दो के भाफैन जो भदारयज व भयाततफ हैं , जो ऽरा है
इसके ऽुद ऩुय कय रीजजमे ! ऽास इॊफ़यादी सतह ऩय दे खखए कक भेया एक नफ़्जस है जो भुझे
अल्राह के हुक्भ के खऽराफ़ हुक्भ दे ता है । जैसे हज़यत मूसुफ़ ने कहा था:
कक तूने भझ
ु े एक तख़्ते ऩय फाॊध कय सभनदय के अनदय पैंक ददमा है , औय तू चाहता भझ
ु से
मह है कक भेया दाभन तय ना होने ऩाए। तो इनसान चक्क़ी के दो ऩाटों के दयलभमान है । एक
तयफ़ इसके साथ वो नफ़्जस रगा हुआ है जजसके फाये भें ऽुद ़ुयआन मह कह यहा है :
होलशमाय यहो, कहीॊ तुम्हाया ़दभ भाअलसमत क़ी ककसी दरदर के अनदय पनस ना जाए !
नफ़्जस के साथ मह कशभकश हय योज़ , हय साअत औय हय आन है । फ़ज़क क़ीजजमे आऩने
85
अज़ान सुन री है औय आऩको भारूभ हो चुका है के नभाज़ का फु रावा आ चुका है , भेये यफ
का हुक्भ मह है कक भैं उसक़ी फायगाह भें हाजज़य हो जाऊॊ , जफकक दस
ू यी तयफ़ भेये नफ़्जस का
बयऩयू त़ाज़ा है कक अबी सोमे यहो , आयाभ कयो, मह छोडो कक अल्राह क़ी तयफ़ से
क्मा भुताल्फा है , ऩहरा भेया त़ाज़ाए इस्तयाहत ऩूया कयो। अफ आऩ सोगचए के आऩने दो
इताअतों भें से ककसको भुअजख़्ऽय ककमा औय ककस को भु ़दभ ककमा ! ककस को ऊऩय कय
ददमा औय ककस को नीचे कय ददमा ! इनसान ने ककस चीज़ को भक़्दभ कयना है औय ककस
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हभ एक फहुत फडे भुाारते भें भुततरा हैं हभ सभझते हैं के इराह औय भाफूद फस
वही है जजसके आगे हाथ जोड कय आदभी खडा हो , जजसके साभने सजदा ककमा जा यहा हो ,
जजसक़ी डनडवत क़ी जाए, कोई चढावा चडामा जाए। ़ब्रों ऩय चढावे चडाए जाएॊ तो हभायी
यगे तौहीदी पडक उठती है कक मह तो लशकक औय कुफ़्र हो यहा है ! रेककन हभ अऩने नफ़्जस के
गरे भें जो हाय डारते यहते हैं औय अऩने वजूद के अनदय ही अॊदय अऩने नफ़्जस के आगे जो
दस्त फस्ता खडे यहते हैं मह हभें नज़य नहीॊ आता , लसफ़क इसलरए के मह हभायी तनगाहों के
साभने नहीॊ है । रेककन इससे धोका ना खाइए, जैसे वो फत
ु इराह औय भाफद
ू है जजसको
सजदा ककमा जा यहा है वैसे ही मह नफ़्जस बी इराह औय भाफूद है जजसक़ी ख़्वादहश को
अल्राह क़ी भज़ी ऩय भ़दभ ककमा जा यहा है । मह नफ़्जस बी भुतारफा कयता है कक
भज़ी भेयी चरेगी, भैं नहीॊ जानता अल्राह का हुक्भ क्मा है । बफल्कु र वही अनदाज़ है
जैसे कफ़यओन ने कहा था कक ऐ भस
ू ा ! भैं नहीॊ जानता अऩने लसवा तुम्हाये लरए कोई इराह।
मह तुभ ककसका नाभ रे यहे हो ? भैं भालरक हूॊ लभस्र का, महाॊ ऩय भेया हुक्भ चरेगा।
से दय गुज़य फ़यभामे ! रेककन कफ़क्र के एतफाय से वाक़अतन दोनों भें ़तअन कोई
फ़़क नहीॊ है । कफ़क्र क़ी जजस सतह ऩय भौराना योभ थे इसी सतह ऩय इस दौय भें अल्राभा
इ़फार हैं। औय इनहोंने ककस ऽूफसूयती से हाकलभमत के तसववुय को फमान ककमा है !
इ़फार फाय फाय कहते हैं कक भैं तो शामयी को लसफ़क एक ज़रयमे के तौय ऩय इसतेभार कय
यहा हूॊ।
88
आऩ दे खखए मह कोई शामयी तो नहीॊ है । शामयी तो गर व फर
ु फर
ु क़ी शामयी होती है ,
का करो रुऽसाय औय ज़रफ़े ऩेचाॊ क़ी शामयी होती है । जफकक महाॊ शामयी हो यही है :
मानी इनको भाफूद फनाए फैठे हैं। हाततभ ताई के फेटे हज़यत अदी बफन हाततभ
इसाइमत से दाएयाए इस्राभ भें दाखऽर हुए थे , इस आमत के फाये भें उनहोंने फडे अदफ से
नफी-ए-अकयभ से अज़क ककमा क़ी कक हुज़यू ! मह फात सभझ भें
नहीॊ आई, भैं ईसाई यहा हूॊ औय हभने अऩने अहफाय औय रुफहान को ऽुदा नहीॊ फनामा। मह
एक फहुत फडा इश्तफाह था कक ़ुयआन भजीद ईसाइमत ऩय इतना चाजक रगा यहा है । इस
ऩय नफी-ए-अकयभ ने फ़यभामा:
“क्मा ऐसा नहीॊ है कक वो (ईसाई) इन (अहफाय व रुफहान) क़ी फनदगी तो नहीॊ कयते थे
भगय वो इनके लरए जफ कोई चीज़ हरार ठहयाते तो वो इसे हरार सभझ फैठते औय वो
इन ऩय जफ कोई हयाभ ़याय दे ते तो वो उसे हयाभ सभझ फैठते थे ?”
इसलरए कक शरयअते भस
ू वी तो ख़्तभ हो गई थी , अफ ़ानन
ू का ह़ ऩोऩ के हाथ भें
औय इसके नुभाइनदों के हाथ भें था कक वो जजस चीज़ को चाहें हरार ठहया दें औय जजस
चीज़ को चाहें हयाभ ठहया दें । तो जजसके हाथ भें मह इजख़्तमाय आ गमा वही तो ऽुदा है ।
लरहाज़ा फादशाहत व भरकोमत , भज़हफी हाकलभमत औय जभहूरयमत तीनों ही लशकक क़ी
शकरें हैं।
आज जभहूय मत औय अवाभ क़ी हाकलभमत का दोय है । औय जैसे फादशाह क़ी
हाकलभमत औय भज़हफी याहनुभा मा भज़हफी तफ़ा क़ी हाकलभमत लशकक है इसी तयह मह बी
इजतभाई लशकक है । हाॊ अगय फादशाह ऽुद बी अल्राह के ़ानून का ऩाफॊद हो, औय
अल्राह ही के ़ानन
ू को नाफ़ाज़ कय यहा हो तो मह लशकक नहीॊ है । हज़याते दाऊ औय
सर
ु ैभान म़़ीनन लशकक कयने वारे नहीॊ थे , जफकक नभरूद औय कफ़यओन लशकक
कयने वारे थे। इसी तयह भज़हफी तफ़ा अगय अऩनी भज़ी से नहीॊ फजल्क ़ुयआन भजीद
(मा अऩने अऩने दौय भें तौयात, इॊजीर, ज़फूय) के भुताबफ़ हुक्भ दे यहा हो औय इसके हाथ
भें इनतज़ाभी इजख़्तमायात हों तो मह लशकक नहीॊ होगा। मह ऽुदाई हाजक्भमत के तसववुय के
तहत एक हकूभत हो जाएगी कक इजख़्तमाय- ए-भत
ु रक अल्राह का है , रेककन
90
इनतेज़ाभी अभूय भज़हफी तफ़े के हाथ भें हैं। हज़यत तारूत से ऩहरे नफी इस्राईर भें जो
तनज़ाभ यहा है वो इसी नौइमत का तनज़ाभ था। हदीसे भुफायका है कक:
तौहीद क्मा है ? फ़यभामा गमा “औय जो रोग वाक़्मतन ईभान वारे हैं
91
वो सफसे ज़्मादा सख़्त हैं अल्राह क़ी भुहतफत भें ”। मानी इनक़ी सायी भुहतफतों ऩय ाालरफ
म़़ीनन भैं तो अफ अऩने यफ क़ी तयफ़ जा यहा हूॊ , अऩयीफ वो भुझे याहमाफ कय दे गा”।
अफ हज़यत इब्राहीभ क़ी आखऽयी आज़भाइश फेटे क़ी भुहतफत क़ी थी। औय फेटा बी
92
दस
ू यी सुयह तौफा आमत 24 l फ़यभामा गमा:
ٍ ى ىٍ ي ي ى ى ى ى ه ى ى َى ي ي ٍ ى ٍَى ي ي ٍ ى ٍ ى ي ي ٍ ى ٍَ ى ي ي ٍ ى ى ى ي ي ٍ ى ٍَ ى ه ٍي
ارة قَتف ًوها ك ًَت كأيو ؿ قن ِ ف ف أِبؤا كأبناؤا ك ِ و ٍ كأزك ج كع ًظ
ى ى ى َّل ي ى َّل ٰـ ْأ َّل ى ٍ ى ٍ ى ى ى ى ى ى ى ى ي ى ٍ ى ٍ ى ى َ ى َّل ى ٍ ي ٌ ى َّل
ّتَح ىً ً ىِت هؿ يػـ ً ىش ًبيوً ًـ فَتا و َم اوػ ًـ ىك ىر يشوه ً ًـ ىك ًج ى ا ود ً اظوف لصادها كيصالًٌ َتضوَنا أ ِ هي
ٍى ٍى ٍ َّل ى َ
﴾٢٤﴿ اش ًق ى ً ب ً ٍي ًر ًا ۗ ىك او يػـ َل ى ًدم هق ٍو ىـ هف
(ऐ नफी इनसे) कह दीजजए कक अगय तम्
ु हे अऩने फाऩ, अऩने फेटे, अऩने बाई, अऩनी फीववमाॊ,
अऩने रयश्तेदाय औय अऩने वो भार जो तुभने फडी भे हनत से जभा ककमे हैं औय अऩने वो कायोफाय जजनक़ी
कसाद फाज़ायी का तुम्हे ऽोफ़ यहता है औय अऩने वो भकानात जो तुम्हे ऩसनद हैं (जजनहें तुभने फहुत शो़
औय अयभानों से फनामा है) ज़्मादा भहफूफ हैं औय अल्राह से औय इसके यसूर से औय इसक़ी याह भें
जजहाद कयने से तो जाओ इजनतज़ाय कयो (दफ़अ हो जाओ) महाॊ तक के अल्राह अऩना फ़ैसरा
साभने रेकय आए। औय अल्राह ऐसे फ़ालस़ों को दहदामत नहीॊ दे ता।”
इसलरए कक मह भुशरयक हैं , मह “लशकक कफ़र भुहतफत” के अनदय भुततरा हैं। इनहें मह
आठ चीज़ें अल्राह से औय इसके यसूर से औय अल्राह क़ी याह भें जजहाद
कयने से ज़्मादा भहफफ
ू हैं।
ٍف ًص ي ٍ أَ ًك هٍ ىو ه ً ىد ٍ ً ىك ٍ َا ٍق ىرب ً ى
ى َ ُّم ى َّل ى َ ى ي ي ي ى َّل ى ٍ ٍ ي ى ى ى َّل ى ى ٍ ى ى ٰـ َ ي
َي أ ا ه ًذ أينو لو قو ًي ًِبه ًقص ًي ِشد ء اًوػ ًـ كهو لَع أ
“ऐ अहरे ईभान! इॊसाफ़ के अरम्फदाकय औय ऽद
ु ा वास्ते के गवाह फनों अगयचे वो (इॊसाफ़ क़ी फात औय
गवाही) तुम्हाये अऩने खऽराफ़ मा वालरदै न औय रयश्तेदायों के खऽराफ़ जाती हो”।
आऩ अऩने गगयोही औय कफ़़ाक वायाना तसववयु ात लरए फैठे हैं , इन ऩय ज़या सी आॊच आती है
तो आऩ ततरलभरा उठते हैं। अगय आऩके फाये भें मह कहा जाए कक लशकक से फचे हुए आऩ
बी नहीॊ तो फहय हार ास्
ु सा तो आएगा। रेककन ज़या ाौय क़ीजजए औय ह़़ी़त को
सभखझए, दस
ू यों ऩय लशकक के फ़त्वे जड दे ना आसा न है , दस
ू ये क़ी आॊख के अनदय ततनका बी
93
नज़य आ जाता है रेककन अऩनी आॊख का शहतीय नज़य नहीॊ आता। ़ुयआन भजीद भें
सभखझए कक “लशकक कफ़र भहुतफत” क्मा है ।
ू है उसे आऩ ने उसको
ना यहे । जजसे भार फहुत भहफफ औय
कहा है । इसलरए कक वो चाहता है कक फस भार आना चादहए , चाहे हरार से आए मा हयाभ
से आए। अफ अगय आऩके ददर भें भार क़ी भुहतफत है वही भाफूद है । अफ आऩके भाफूद दो
हो गए। आऩ अल्राह के लरए बी सजदे कयते हैं औय भार बी आऩका भाफूद है ,
अगयचे आऩ रक्ष्भी दे वी को नहीॊ ऩज
ू ते , ऽद
ु इसके ऩज
ु ायी बी उस रक्ष्भी को नहीॊ ऩज
ू ते ,
फजल्क दौरत को ऩूजते हैं , रक्ष्भी तो दय ह़़ी़त उनके हाॊ एक अराभत है , ऩुजायी तो
असर भें वो दौरत के हैं। इसी तयह हभने बी अगयचे रक्ष्भी को दे वी ़याय दे कय इसक़ी
भूयती नहीॊ फनाई रेककन इसक़ी ऩूजा का जो असर भ़सूद है वो तो हभ कय यहे हैं ।
लरहाज़ा नफी-ए-अकयभ ने फ़यभामा: “हराक हो गमा (मा हराक हो जाए)
ददयहभ औय दीनाय का फॊदा”। अफ चाहे इसने अऩना नाभ अतदल्
ु राह मा अतदयु क हभान यखा हो
95
इ़फार के जज़्फे औय अहसास क़ी लशद्दत का आरभ दे खखए ! इसलरए कक उनका
भुशादहदा फहुत गहया था, उनहोंने सभझ लरमा था कक ककतना ऩानी दरयमा- ए-यावी के ऩुर के
नीचे से गज़
ु य यहा है । अफ रात, भनात, अज़ा औय हफर क़ी ऩज
ू ा का ज़भाना गज़
ु य चक
ु ा है ,
इन फुतों के ऩुजायी आज नहीॊ लभरें गे , आज ऩूजा ककसी औय शै क़ी हो यही है , औय इस
जगह ऩय सफसे फडा फुत वतन है । अफ हभाये हाॊ बी मह सफ कुछ हो यहा है । इसलरए कक
हभने इन चीज़ों क़ी ह़़ी़त ऩय ाौय नहीॊ ककमा। मह झनडे क़ी सराभीl इसका क्मा अथक है
? मह दयअसर वतन के भयालसभ- ए-अफदू दमत भें से है कक जफ ़ौभी तयाना गामा जा यहा
हो तो आऩ झॊडे के साभने साकत व साभत खडे हो जाएॊ। मह गोमा वतन क़ी नभाज़ है जो
ऩढी जा यही है औय हभने इसे सभझा नहीॊ है । हय भज़हफ भें अऩने भाफूद के साथ भुहतफत
के इज़हाय औय उसक़ी अज़भत के इ़याय के लरए इसके झनडे को आजजज़ी के साथ सराभी
दी जाती है । मह भज़हफे वततनमत जो मयू ऩ का इजाद कयदा था , इसक़ी तभाभ भज़हफी
यसूभात (rituals) को हभने जूॊ का तूॊ ़फूर कय लरमा है । मह उस भज़हफ क़ी यसूभात हैं
जजसका भाफूद वतन है । इसके फाये भें इ़फार ने भज़ीद कहा :
मह फुत के तयाशीदहे तहज़ीफ नवी है
ाायत गये काशानाए दीने नफवी है
फाज़ू तेया तौहीद क़ी ़ुववत से ़वी है
इस्राभ तेया दे स है तू भुस्तफ़ावी है
नज़ायहे दे येना ज़भाने को ददखा दे !
ऐ भुस्तफ़ावी ऽाक भें इस फुत को लभरा दे !
वतन इस फत
ु को ऽाक भें लभरा दे ना अल्राभा इ़फार का ऩैााभ है । दे खखए वतन आऩका
भाफूद कैसे हुआ ? इसलरए कक आऩक़ी भुहतफत का भककज़ वतन फन गमा है । अफ आऩके
नज़दीक जो शै वतन के रे अच्छी है वो अच्छी है , चाहे फ़़ी नजफ़्जसही वो जाइज़ हो मा
नाजाइज़ हो। वतन के लरए आऩको द ू सयों ऩय ज़ुल्भ कयना ऩड यहा है तो आऩ कय यहे हैं।
अऩने वतन क़ी जम फोरी जा यही है । कबी आरा हफर के नाये रगा कयते थे , रेककन अफ
वतन के नाये हैं। इस ज़भीन ने दय ह़़ी़त आज दे वता क़ी शकर इजख़्तमाय कय री है औय
इसक़ी फुतनमाद भें ़ौलभमत का तसववुय है जो आज के इजतभाई तसववुयात भें अहभ तयीन
तसववुय है ।
96
फहय हार “तौहीद कफ़र भुहतफत” मह है कक भुहतफत का अस्र भककज़ ज़ाते फायी
हो, तभाभ भुहतफतें इसके ताफअ हो जाएॊ- औय “लशकक कफ़र भुहतफत” मह है कक ककसी
शख़्स मा ककसी इदाये मा ककसी शै क़ी भह
ु तफत अल्राह क़ी भह
ु तफत के हभ ऩल्रा हो
जाए मा इससे फारा तय हो जाए।
97
चंद जरूरी बातें
“ह़़ी़त व इक़्साभे लशकक ” के इस भुफ़जस्सर लसरलसराए गुफ़्जतगू के तहत गुजज़श्ता
नशस्त भें हभने लशकक क़ी भुअजय्मन कयदा अक़्साभ भें तीसयी औय आखऽयी क़स्भ “लशकक
कफ़र हु़ू़” मा बफल्फ़ाज़े दीगय “लशकक कफ़र इफादत” ऩय गुफ़्जतगू क़ी थी औय “इफादत” के दो
अजज़ाए तकीफी “ इताअत” औय “भह
ु तफत” के हवारे से भैंने उसर
ू ी औय फतु नमादी फातें
फमान क़ी दी थीॊ। इस जज़भन भें इनफ़याददमत से रेकय इजतभाइमत क़ी फुरॊद तयीन चोटी
मानी “रयमासत” क़ी अरग अरग लभसारें फमान कयने के फाद अज़क ककमा गमा था कक इनही
ऩय ़मास कयते हुए दयलभमानी ऽराअ को आऩ ऽुद ऩुय कय रीजजए। रेककन हाज़यीन क़ी
जातनफ से फाज़ सवारात क़ी बफना ऩय भेये ज़हन भें मह ख़्मार आमा कक इस भोज़अ
ू ऩय
फाज़ फातों क़ी भज़ीद वज़ाहत ज़रूयी औय सोद भनद है ।
98
कयते हुए, उनहोंने ककताफ व सुननत से इस्तनाफ कयके जो दराइर ऩेश ककमे हैं इनको भद्दे
ي َّل
नज़य यख कय उनक़ी याए ऩय अभर ककमा जाए। इस जज़भन भें इभाभ अफू हनीफ़ा ىر ٍ ىػ اوػ ًـका
मह ़ौर भौजूद है कक “अगय तुम्हे भेये ककसी ़ौर के खऽराफ़ सहीह हदीसे नफवी
लभर जाए तो भे यी फात को दीवाय ऩय भायो। ” इसलरए कक ककसी फात भें फज़न
इस वजह से हयगगज़ नहीॊ है के मह फ़राॊ शख़्स क़ी फात है , फजल्क इस वजह से है कक
उसने ककताफ व सुननत से अऩनी फात को भदरर ककमा है औय ककताफ व सुननत के
भनशाअ को सभझ कय इससे इस्तनाफ ककमा है ।
ي َّل
मही वजह है के हभाये हाॊ इभाभे आज़भ अफू हनीफ़ा ىر ٍ ىػ اوػ ًـके अववरीन शागगद़ों
ي َّل ي َّل
़ाज़ी अफू मूसूप ىر ٍ ىػ اوػ ًـऔय इभाभ भुहम्भद ىر ٍ ىػ اوػ ًـने अऩने उस्ताद इभाभ अफू हनीफ़ा
ي َّل
ىر ٍ ىػ اوػ ًـसे इजख़्तराफ़ ककमा है औय आज दनु मा भें जो कफ़़ा हनफ़़ी भौजूद है वो अकस य व
ي َّل
फैशतय इभाभ अफू हनीफ़ा ىر ٍ ىػ اوػ ًـक़ी याए ऩय नहीॊ फजल्क साहफीन मानी ़ाज़ी अफू मस ू फ़
ु
ي َّل ٍ ي َّل
ىر ٍ ىػ اوػ ًـऔय इभाभ भह ु म्भद ىر ىػ اوػ ًـक़ी याए ऩय है । लभसार के तौय ऩय इभाभ अफू हनीफ़
ي َّل
ىر ٍ ىػ اوػ ًـके नज़दीक “भज़ायअत” भत्ु ऱन हयाभ है , रेककन कफ़़ा हनफ़़ी भें इस ऩय जो फ़तवा
ي َّل
है वो इभाभ अफू हनीफ़ा ىر ٍ ىػ اوػ ًـक़ी याए ऩय नहीॊ है फजल्क साहफीन क़ी याए ऩय है । तो उनके
शागगद़ों ने उनसे इजख़्तराफ़ ककमा है । हभाये हाॊ जफ तक त़रीद के भाभरे भें मही तयज़े
अभर यहा तो एक सेहतभनद कफ़ज़ा यही। इसके फाद एक दो य आमा के उरभा ने इस ऽते
को ऩेश नज़य यखते हुए कक अफ इल्भ क़ी कभी हो गई है , दहसक व हवा का ज़ोय हो गमा है
जजसक़ी वजह से इजतहाद भें ऽतयात ज़्मादा हैं , मह कहा के अफ नए इजतहादों क़ी फजाए
उल्भाए सरफ़ के इजतहाद ऩय ही अभर ककमा जाए। तो मह एक अहतमात है जो इस दौय
भें उरभा ने इजख़्तमाय क़ी है । रेककन इसभें बी अहरे इल्भ के नज़दीक कोई शख़्स अऩनी
ज़ात भें भुताअ हय गगज़ नहीॊ है , फजल्क ककताफ वो सुननत क़ी फुनमाद ऩय ही इसक़ी फात
भानी जाएगी। चन
ु ाॊचे मह तक़्रीद लशकक नहीॊ है । अल्फत्ता अगय ककसी शख़्स को अऩनी ज़ात
भें भत
ु ाअ भान लरमा जाए तो इस क़स्भ क़ी त़रीद लशकक है औय मह उसी क़सभ का
लशकक है जैसे के ़ुयआन भजीद ने अहरे ककताफ के फाये भें कहा है कक
َّل ي ً ٌ َّل ى ي َ ٍ ى ى ي ٍ ى ي ٍ ى ى ي ٍ َ ٍ ى ن
كف اوػ ًـ
ً اذك أ ار كره اَنى أرِبِب َم د
99
उनहोंने (मानी महूद व नसाया ने) अल्राह को छोड कय अऩने उरभा औय सूकफ़मों को यफ फना
लरमा”। (अत्तौफह:31)
इसलरए कक दो ही तफ़े भज़हफी होते हैं , उरभा औय सकू फ़मा। हभाये हाॊ बी तसववफ़
ु के
भैदान भें मह गुभयाह कुन तसववुय भौजूद है कक भुयलशद को अऩनी ज़ात भें भुताअ भान
लरमा गमा है । इस भैदान भें शामयी के ज़रयमह फहुत फ़ुतूय औय गुभयाही पैरी है औय इस
तयह क़ी फातें ज़फान ज़दे अवाभ व ऽवास हो गई हैं कक “फा भे सजादा यनगीन कन गयत
ऩीये भााॊ को मद!” मानी “अगय तुम्हाया भयु लशद तुभसे कहे कक तुभ अऩनी जानभाज़ को
शयाफ से यॊ गीन कय दो तो कय ददमा कयो ”। इननालरल्रादह व इनना इरैदह याजजऊन। मह
तसववुय ऽालरस शकक है । कोई चाहे भुयलशद हो , आलरभ हो, हाककभ हो, भुजतदहद हो, ककसी
क़ी फात बी अगय भानी जाएगी तो ककताफ व सुननत के दाएये के अॊदय भानी जाएगी औय
़ुयआन व हदीस क़ी दरीर से भानी जाएगी। अगय तज़े अभर मही है तो तौहीद है । औय
अगय इसको कहीॊ से बी औय ककसी ऩहरू से बी भजरूह कय ददमा जाए तो मह लशकक है ।
मह
ु ब्बत और ऩरख़्स्ति में ़िक़क
अफ आमे “भह
ु तफत” के भाभरे भें जो अभरी ऩहरू हैं उन ऩय ाौय कय लरमा जाए।
जान रीजजए के “भुहतफत” औय चीज़ है औय “ऩयजस्तश” औय चीज़ है । 1 चुनाॊचे वतन क़ी
भुहतफत औय चीज़ है औय वतन ऩयस्ती औय चीज़ है । वतन से भुहतफत अऩनी जगह एक
भतरूफ औय ़ाबफरे जज़्फा है । जजसे वतन से भुहतफत ना हो वो शख़्स फडा फे ाैयत है ।
जजसे वारदै न से भह
ु तफत ना हो तो वो शख़्स फडा फे हभमत है । अऩने ़फीरे औय ़ौभ से
भुहतफत ना हो तो ऐसा शख़्स फेाैयत औय फेहभमत है । अफ अगय मह तभाभ भुहतफतें
अल्राह क़ी भुहतफत के ताफअ यहें औय अल्राह क़ी भुहतफत इन सफके ऊऩय
हो तो मह “तौहीद कफ़र भुहतफत” है । इसके फयअक्स अगय एक भुहतफत अल्राह क़ी
भह
ु तफत से फारा तय हो जाए मा फयाफय बी हो जाए तो वो “लशकक कफ़र भह
ु तफत” है ।
इसी तयह से एक औय ऩयजस्तश है “शजख़्समत ऩयस्ती”। मह बी कभ दजे का लशकक
नहीॊ है । अगय ककसी शख़्स क़ी भुहतफत औय अ़़ीदत आऩ को अनधा औय फहया कय दे औय
इसक़ी हय फात आऩके लरए सनद हो, इसक़ी यज़ा जोई ही आऩ के ऩेशे नज़य यहे तो मह
शजख़्समत ऩयस्ती है औय मह म़़ीनन लशकक है । मही फात नफी- ए-अकयभ ने
भालसवा अल्राह के लरए रफ़्जज़ “इफादत” के फजाए रफ़्जज़ “ऩयजस्तश” इस्तेभार होता है औय भैं सभझता हूॊ के मे एक तयह क़ी दमानत है ।
1
100
फ़यभामी कक “तेया ककसी शैए से भुहतफत कयना तुझे अॊधा औय
फहया फना दे ता है ”। मही भह
ु तफत आज शजख़्समत ऩयस्ती क़ी शकर भें दतु नमा भें याइज है ।
औय ़ाबफरे ाौय फात है कक इसको फा़ाइदह एक लसमासी तसववयु (political concept) क़ी
है लसमत से दतु नमा भें develop ककमा गमा है । गाॊधी जी के अस्सी अस्सी गज़ ऊॊचे भुजसभे
कोई भशारे (hobby) के तौय ऩय नहीॊ तयाशे गए थे , फजल्क इस वजह से तयाशे गए थे कक
इस शख़्स क़ी अज़भत रोगों के ज़हनों भें ऩश हो जाए औय उससे भह
ु तफत औय अ़़ी दत
यखने वारे सफ एक दस
ू ये से जड
ु े यहें , जजस तयह के वतन क़ी भह
ु तफत अहरे वतन को
भुसतहककभ कयने औय एक दस
ू ये के साथ जोडने वारी शैए (unifying force) है । मह
शजख़्समत ऩयस्ती दतु नमा भें ऩहरे होती यही है औय अफ बी होती है । इसको hero worship
का ऽूफसूयत नाभ ददमा गमा है । हभाये हाॊ भुजस्रभ रीग के ज़अभाअ भें से एक साहफ का
हार था के वो कबी नभाज़ के ़यीफ तो पटकते नहीॊ थे , रेककन उनका अऩना कहना मह
था के “भैं तो सुफह ही ़ाइदे आज़भ क़ी तस्वीय को सराभ कयता हूॊ औय फस मही भेयी
नभाज़ है ”। अफ मह शजख़्समत ऩयस्ती (hero worship) नहीॊ तो औय क्मा है ? अगय कोई
ाैय मह फात कये तो हभ कहते हैं वो फुत ऩयसत है औय हभ ऐसी फात कयके बी सभझते हैं
कक हभ तो भवादहद-ए-कालभर हैं औय इससे हभायी तौहीद भें कोई नस्
ु ख ऩैदा नहीॊ हुआ।
ऐसे ही सटालरन के भुजसभे नसफ ककमे गए औय इसक़ी तसवीयें फच्चों के ज़हनों के अनदय
उतायी गईं, ताकक इसक़ी भुहतफत औय अ़़ीदत ज़हनों ऩय छा जाए। इसी तयह भाओ तुॊग (
ماوزے تنگMaoTse tung) के फुत तयाशे गए। तो मह सफ इॊसान ऩयसती औय शजख़्समत
ऩयस्ती है । औय मह ऽत्भ नही हुई , आज बी इसका वजद
ू फा़़ी है ।
आज के ज़भाने भें एक औय भह
ु तफत “नज़रयए क़ी भह
ु तफत” है । अगय ककसी तसववयु मा
नज़रयए क़ी भुहतफत, चाहे वो इश्तयाककमत (सभाजवाद) का नज़रयमा हो मा कोई औय
इऩराफी ( क्रजनतकायी ) नज़यमा हो, इनसान के ज़हन ऩय इस तयह ाालरफ औय भुसल्रत
हो जाए कक उसका जीना औय भयना अल्राह के फजाए उस नज़रयए के लरमे हो जाए,
101
जज़ॊदगी तके आयज़ू के फाद कैसे साॊसों भें ढारी जाती है !
इनसान के अनदय जफ तक कोई आयज़ू ना हो , कोई आदशक ना हो, कोई नस्फुर ऐन
ना हो तो जीने का भज़ा ही क्मा है ! कपय तो वो इॊसान नहीॊ फजल्क हे वान है , उसक़ी जज़ॊदगी
भहज़ साॊसों भें ढारी हुई जज़ॊदगी है , वो भहज़ human vegetable है l रेककन नस्फुर ऐन
लसपक एक ही सहीह है , औय वह है ‘अल्राह कक भुहतफत’ का नस्फुर ऐन l कोई
औय नस्फुर ऐन इस जगह ऩय आकय भनतफ़ हो गमा तो मही तो लशकक है ।
ٌ َّل َّل َّل َ َ ى َّل َ ى ن ي ُّم ى ى اس ىَم ىً َّل ًخ يذ ًَم ي
وَني ٍى ي ٌ ً اوػ ًـ ۖ ىك ه ًذ ى أ ىي ينو أط ُّمد ي ًّ ا ا ًوػ ًـ ً د ٍد أ ـ
ً ػاو كف
ً د ً َم َّلهن
ىك ً ى
“औय रोगों भें से कुछ ऐसे बी हैं जो अल्राह के लसवा कुछ हसततमों को (उसके) भद्द भु़ाबफर फना
रेते हैं, वो उससे ऐसी भह
ु तफत कयते हैं जैसी अल्राह से भह
ु तफत होनी चादहए। औय जो रोग
वाक़्मतन ईभान वारे हैं वो अल्राह क़ी भुहतफत भें सफसे ज़मादा सख़्त हैं”। (अर फ़यह:165)
भैं मह फात अज़क कय चुका हूॊ के “वततनमत का नज़यमा” इस दोय के फहुत फडे लशकक
क़ी है लसमत से उबय कय साभने आमा है , रेककन हभाये कोई बी आलरभे दीन इसको नहीॊ
सभझ सका। इसका सफफ मह है कक हभाया उरभा ने फद क़सभती से भारयफ के फ़रसफ़े
का भुतारा नहीॊ ककमा। मह अऩने तसववु यात के ऩेशे नज़य मह सभझ यहे कक वततनमत
(nationalism) शामद हुतफुर वतनी है ! रेककन इस दौय भें अल्राभा इ़फार ने इसको ऽूफ
सभझा है । इनका फडा प्माया शेय है :
मानी भैं जदीद तहज़ीफ व तभद्दन औय जदीद इभयानी नज़यमात क़ी आग भें डारा
गमा हूॊ, जैसे इब्राहीभ को आग भें डारा गमा था। भैं जानता हूॊ के भारयफ के इन
नज़यमात औय फ़रसफ़े के ऩस ऩयदा ककमा कुछ है जो इस इजतभाई जज़ॊदगी फुनमाद फने हैं ,
औय भुसरभान उम्भत को इससे आगाह कयना औय इनका यद्द कयना भेया इम्तेहान है ।
अल्राभा इ़फार को इस चीज़ का फयाहे यास्त भश
ु ादहदा था , जफकक हभाये उरभा इसको
नहीॊ सभझ सके। मह ककताफ व सुननत के इल्भ से ऽूफ वाक़फ़ हैं। भैं कहा कयता हूॊ कक
इल्भे दीन के एतफाय से हभाये उरभा क़ी शजख़्समतें भनगरा डेभ औय तयफीरा डेभ जैसी हैं ,
रेककन जफ तक मह इल्भ इस दोय क़ी ज़भीन तक ना ऩहुॊचे तो वो डेभ भें खडे उस ऩानी
102
क़ी भातननद है जो तफ ही फ़ाइदह भनद होता है जफ वो ज़भीन तक ऩहुॊचे। इसका अहभ
काभ के लरए त़सीभ के ज़याए (distribution channels) दयकाय हैं जो इस इल्भ को आगे
ऩहुॊचाएॊ। रेककन फद क़सभती से वो चेनरज़ आज नहीॊ यहे । यातते का एक ऽराअ (gap of
communication) फीच भें हाइर है कक फात आगे ऩहुॊच नही ऩा यही। लरहाज़ा ज़रूयत इस
फात क़ी है कक इस दोय के नज़यमात को सभझा जाए। इसलरए कक इस दोय का लशकक तफ ही
सभझ भें आएगा जफ गहयाई भें उतय कय इस दोय के नज़रयमात को सभझा जाए। मह फात
अगयचे छोटी औय ाैय अहभ भहसस
ू होती है रेककन फाज़ फज़ा दहय छोटी फातें ततर के ऊॊट भें
ऩहाड क़ी भातननद होती हैं।
एक साहफ ने झनडे क़ी अज़भत औय इसके वव़ाय को फचाने क़ी फात क़ी है । मह फात
अऩनी हद ते दरु
ु स्त फजल्क ज़रूयी है , रेककन झनडे को दे ख कय खडे हो जाना , इसे सराभी
दे ना, मह साबफत क़ीजजए भुहम्भद यसूरुल्राह से ! मह तो ़ुनूत लरर अरभ है
कक आऩ झॊडे के आगे हाथ फानध कय फा अदफ खडे हो जाएॊ। मह भेये नज़दीक लशकक है , वनाक
झॊडे के अज़भत औय व़ाय को फचाना अऩनी जगह भसल्रभ है । जैसे हज़यत भअसफ बफन
उभैय ने ाज़वए उहद भें अऩनी जान क़ी ़ुफाकनी दे दी रेककन झनडे को नहीॊ गगयने
ददमा। ऐसे ही हज़यत ज़ैद फन हारयस औय हज़यत जाअफ़य तमाय ने ककमा। रेककन
झॊडे को सराभी दे ना औय इसके लरए ऽशूअ व ऽज़ूअ के साथ खडे हो जाना ़तअन जाइज़
नहीॊ है । हज़यत भह
ु म्भद यसर
ू ल्
ु राह ने तो अऩने लरए खडा होने से सहाफाए
कयाभ को भना पयभा ददमा था। हज़यत अफू उभाभा से रयवामत है कक
नफी-ए-अकयभ के तशयीफ़ राने ऩय आऩ के लरए एहतयाभन खडे
105
मानी जो रोग कॊजूसी से काभ रेते हैं अल्राह नज़य के ज़रयमे उनसे कुछ तनकरवाता
है । रेककन फहयहार अगय नज़य भानी हो तो इसको ऩूया कयना राजज़भ है । ने क रोगों क़ी
लसफ़ात सयु ह दहय कक आमत 7 भें इशाकदे इराही है
दआ
ु ग़ैरुल्ऱाह र्े शऱए नहीं
ु है । इशाकदे नफवी है :
इफादत के अजज़ाअ भें से चौथी चीज़ दआ
”दआ
ु इफादत का जौहय है ”। औय दआ
ु ही इफादत है l इशाकदे इराही है :
اد ًِت ىش ىي ٍد يو ي ى
وف ىج ى َّل ى ىد ًا ًر ى وِن أَ ٍش ىت ٍ هى ي ٍ ۚ ِ َّلف هَّلذ ى ٌى ٍص ىت ٍم يِب ى
كف ى ٍ ع ى ى ي عدٍ ( ىك ىق ىاؿ ىربُّم ي يअरभोलभन:60)
ً ً ً ً ً
“औय तम्
ु हाये यफ ने फ़यभामा कक भझ
ु े ऩक
ु ायो, भैं तम्
ु हायी ऩक
ु ाय (दआ
ु ) को ़फर
ू करूॊगा। म़़ीनन जो रोग
भेयी इफादत से इस्तकफाय कयते हैं (घभनड कयते हैं ) वो अऩयीफ जहननभ भें दाखऽर होंगे ज़रीर व रुसवा
होकय”।
है :(
ٍ ً )ر ٌا ِ ًٌِن ه ً ىًا أَ ىَنهٍ ى ِ ى َّلِل
َم ى ٍ ىف ًق ه ى (अऱ क़सस : 24)
و ً
ऐ भेये ऩयवयददगाय! भैं तो फ़़़ीय हूॊ हय उस शैए का जो तू भेयी झोरी भें डार दे ”।
106
एक फ़़़ीय होता है पनने ऽाॊ क़स्भ का कक फीस रुऩमे का नोट लभरे तो रे रेता है
औय अगय एक 5 रुऩमे के लसक्के लभरें तो पेंक दे ता है , जफकक एक फ़़़ीय वो होता है कक
एक रुऩमा बी इसे लभर जाए तो वो इसका बी भोहताज है । लरहाज़ा फनदगी का त़ाज़ा है
कक अल्राह के साभने भुहताजी ही भुहताजी हो।
इस रे कक अफद तो है ही भुहताज औय भ़ाभे अजतदमत तो है ही भ़ाभे अहत्माज।
जाभेअए इस्तफनाअ तो लसफ़क अल्राह ही को ज़ैफ दे ता है । जैसे फ़यभामा गमा है :
اس أَ يٍني هٍ يف ىق ىر يء ِ ى اوَّلػ ًـ ۖ ىك اوَّل يػـ يه ىو هٍ ىغ ُّمَن ٍْلىً ي
(يد ) ىَي أَ ُّم ىا َّلهن ي (फ़ाततय : 15)
ً ً
“ऐ रोगों! तुभ सफके सफ फ़़़ीय हो (भोहताज हो) अल्राह क़ी जनाफ भें , औय अल्राह तो
फेतनमाज़, सतौदह लसफ़ात है”।
107
कुछ बी अहत्माज औय इम्कान फा़़ी है तो मह “लशकक कफ़द्दआ
ु ” है । अल्राह का
पयभाने भुफायक है :
َ َّل َّل ى ى ى ٍ َ
ىكأ َّلف ه ىً ىصا ًج ىد اًوػ ًـ فَل ٍدعيو ىي ىي اوػ ًـ أ ى ند (अर जजनन : 18)
“औय मह कक भजस्जदें (मा वो इनसानी अॊग जजनके ऊऩय सजदा होता है) सफ अल्राह के लरए हैं,
ऩस अल्राह के साथ ककसी औय को भत ऩक
ु ायो”।
ى ى َّل
दे खखए महाॊ “اوػ ًـ ”يي का रफ़्जज़ है कक अल्राह के साथ साथ ककसी औय को बी
ى
हैं औय कयते यहें गे” ( ى)ك ِ َّلَي ىؾ َ ٍص ىت ًع ي “औय लसफ़क तुझसे ही भदद भाॊगते हैं औय भाॊगते यहें गे ”।
दआ
ु के जज़भन भें एक औय फायीक फहस बी सभझ रीजजए ! इस्तम्दाद, इस्तद्आ, इस्तनसाय
औय इस्ताासा मह सफ एक ही ़फीर के अयफी अल्फ़ाज़ हैं। इस्तम्दाद का भतरफ है ककसी
से भदद तरफ कयना, इस्तद्आमा है कक ककसी के साभने कोई दख़्वाकसत ऩेश कयना ,
इस्तनसाय से भुयाद है ककसी से नुसयत चाहना औय इस्ताासा मह है कक ककसी क़ी दहु ाई
दे ना। इसक़ी दो शक्रें हैं। एक शकर है फासफफे ज़ादहयी ककसी से कोई भदद तरफ कयना।
भसरन भैं ककसी से कहता हूॊ कक भुझे ज़या ऩानी रा कय वऩरा दें तो भैंने एक तयह से
उससे भदद तरफ क़ी। ज़ादहयी अस्फाफ औय ़वानीन तफीई के अनदय ककसी से कुछ भाॊगने
औय भदद तरफ कयने के फाये भें तीन फातें जान रेना ज़रूयी हैं। ऩहरी फात मह कक इस
जज़भन भें भुहम्भद यसूरुल्राह ने मह तल़़्ीन क़ी है कक हत्तर इम्कान ककसी
108
से भदद ना भाॊगो, फजल्क अऩने काभ ऽुद कयो। नफी- ए-अकयभ का अऩना
लभजाज़े गगयाभी तो मह था कक अगय आऩ ऊॊटनी ऩय सवाय होते औय कोडा
ज़भीन ऩय गगय जाता तो ककसी औय से कहने के फजाए ऊॊटनी को फैठाते औय उतय कय ऽुद
ही कोडा उठा रेते , ताकक अस्फाफे ज़ादहयी के अनदय बी कोई भसातहत ऩैदा ना हो जाए।
रेककन फहयहार अस्फाफे ज़ादहयी के तहत ककसी से कोई तआवुन तरफ कयना , ककसी से भदद
चाहना अगयचे मह बी एक तयह क़ी द ु आ औय ऩुकाय है भगय इसभें लशकक का ऩहरू नहीॊ है ,
फजल्क मह अऩने अऩने लभज़ाज से भुताजल्ऱ है । अल्फत्ता अगय ककसी शख़्स के फाये भें मह
फात ददर फैठ जाए कक मह शख़्स भेया काभ कय सकता है औय इस वजह से उसके साभने
गगयमा वज़ायी बी हो यही हो औय तज़यक अ बी हो यहा हो तो मह एक दजे भें लशके ऽफ़़ी फन
जाता है । उस वक़्त दयअस्र आदभी दहजाफ औय भुाारते भें आ चुका होता है औय
109
नहीॊ कक अभेरयका औय इॊजग्रस्तान भें बी रोग भयते हैं। साये आऩये शनज़ औय जदीद तयीन
इराज के फावजूद भौत का इराज तो वहाॊ बी नहीॊ है औय फेहतयीन भुआलरजों के हाथों बी
ारततमाॊ होती हैं। अभेरयक़ी भें तो इस स्ऩेशरा इज़ेशन के दौय भें बी फडे फडे फरनडज़क औय
दहभा़तें हो यहीॊ हैं। ऐसा हय गगज़ नहीॊ है कक लशफ़ा उनके हाथ भें है । सहीह तज़े अभर
मही है के जजतने कुछ अस्फाफ व वसाइर हभायी इस्तताअत भें है उनसे इस्तफ़दह कयें औय
अ़़ीदा यखें के लशफ़ा लसफ़क औय लसफ़क अल्राह के हाथ भें है । अल्राह
भआ
ु ज़ल्
ु राह, इन वसाइर का भह
ु ताज नहीॊ है , वो जो कयना चाहे फाैय ककसी सफफ के ऽद
ु
कयने ऩय ़ाददय है । औय अस्फाफ भें बी कोई ताअसीन नहीॊ है जफ तक अल्राह ना
ٍ ي َّل
चाहे । शैऽ अतदर
ु ़ाददय जीरानी ىر ىػ اوػ ًـने अऩने फच्चो को नसीहत कयते हुए स द फ़़ी सद
दरु
ु स्त कहा था कक “फ़ाइरे ह़़ी़़ी औय भोअजस्सये ह़़ी़़ी
अल्राह के लसवा कोई नहीॊ ”। तो ज़ादहयी अस्फाफ भें जफ आदभी ककसी के साभने
गगडगगडाए, अऩने आऩको इसके साभने ज़रीर कये औय अऩनी इज़्ज़ते नफ़्जस का धेरा कये
मह सभझ कय के फस मही भेया काभ कय सकता है औय इसी के हाथ भें भेया ऽैय मा शय है
तो वहाॊ लशकक खफ़़ी क़ी आभेजज़श ऩैदा हो जाती है । अल्तत्ता ज़ादहयी अस्फाफ से फारा तय
होकय अल्राह के लसवा ककसी को हयगगज़ नहीॊ ऩुकायह जा सकता , ना ककसी वरी क़ी
रूह को, ना ककसी नफी क़ी रूह को औय ककसी फ़रयश्ते को। ककसी ाैरुल्राह के लरए
इस्तम्दाद, इस्तद्आ, इस्तनसाय औय इस्तााासा कुर का कुर लशकक है ।
इस जज़भन भें एक रतीफ़ सी फहस औय बी है जजसक़ी भैं वज़ाहत कय दे ना चाहता
हूॊ। सूकफ़मा के हाॊ मह याए फडी आभ औय पैरी हुई है कक औलरमा अल्राह क़ी रूहें
इॊत़ार के फाद भराइका के तत़ाए अस्फ़र के साथ शालभर कय दी जाती हैं। भराइका
अल्राह क़ी इस आरभी हकुभत के कारयनदे हैं। मह इसक़ी लस ववर सववकस है कक फ़राॊ
हुक्भ क़ी तनप़ीज़ के लरए इसे फ़राॊ फ़रयश्ते के हवारे कय ददमा जाए। वाज़ेह यहे है कक
हुक्भ अल्राह ही का होता है । फ़रयश्तों के फाये भें ़ुयआन हक़ीभ भें आमा है :
وف اوَّل ىػـ ىيا أَ ىي ىر ي ٍ ىك ىً ٍف ىعو ي ى
وف ىيا ي ٍ ىي ير ى
كف َّلَل ىً ٍع يص ى (अत तहयीभ : 6)
“वो (फ़रयश्ते) अल्राह के हुक्भ क़ी नापयभानी नहीॊ कयते औय वही कुछ कयते हैं जजसका इनहें हुक्भ
ददमा जाता है”।
110
भराइका के भुख़्तलरफ़ तत़ात हैं। मानी भराए आरा, भराइका भु़यक फैन , सातों
आसभानों के भराइका औय कपय भराइकतुर अज़क। भराइकतुर अज़क जो हैं वो तत़ाए
अस्फ़र है , मानी सफसे तनचरा तत़ा जो महाॊ अल्राह के अहकाभ क़ी तनप़ीज़ भें
रगा हुआ है । तो एक याए मह है कक औलरमा अ अल्राह क़ी अवाकह को बी उनके
इजनत़ार के फाद भराइका के तत़ाए अस्फ़र भें शालभर कय ददमा जाता है औय वो बी
अल्राह क़ी लसववर सववकस भें शयीक हो जाते हैं। भुझे अगयचे ककताफ व सुननत से
ऐसी कोई दरीर नहीॊ लभरी कक भैं हतभी तौय ऩय मह सकॊू कक मह याए दरु
ु स्त है , रेककन
मह ऽारयज अज़ इम्कान बी नहीॊ है औय भेये नज़दीक इसको भान रेने भें कोई हजक नहीॊ है ।
ي َّل
शाह वरीउल्राह दे हरवी ىر ٍ ىػ اوػ ًـके साथ भुझे एक गहयी भुहतफत है औय भैं जानता हूॊ कक
ي َّل
आऩ ىر ٍ ىػ اوػ ًـमह राए हैं कक जफ ाजोए भोता भें हज़यत जाअ फ़य बफन अफी तालरफ (जाअफ़य
“औय अल्राह के साथ ककसी औय भाफूद को भत ऩुकाय ”। अगय कोई शख़्स इल्भी
111
एतफाय से औलरमा अल्राह के फाये भे भज़कूयह फारा याए यखता है तो इसभें लशकक
का कोई ऩहरू नहीॊ है , रेककन अगय इनको ऩुकाया जाए तो मह लशकक हो जाएगा। भाफ़ो़ुर
आदत मानी ़ानन
ू े तफीई व ज़ादहयी से ऊऩय अल्राह के लसवा ककसी को ऩक
ु ाया जाए
तो इसके लशकक होने भें ़तअन ककसी शक व शुफा क़ी गुॊजा इश नहीॊ।
“जजसने ददखावे के
लरए नभाज़ ऩढी वो लशकक कय चुका , जजसने ददखावे के लरए योज़ा यखा वो लशकक कय चुका
औय जजसने ददखावे के लरए सद़्ा ककमा वो लशकक कय चुका।”
अयफी ज़फान भें फ़अरे भाज़ी ऩय जफ “़द” रगता है तो मह भाज़ी ़यीफ मा
Present Perfect Tense का भफ़्जहूभ ऩैदा कयता है कक फ़राॊ काभ ़ताइ औय म़़ीनी तौय
ऩय हो चुका, इसभें ककसी शक व शुफा क़ी गुॊजाइश नहीॊ है । यसूरुल्राह ने
हभायी दहदामत औय यहनुभाई के लरए इसे इस ़दय फायीक फीनी के साथ वाज़ेह ककमा है
कक अगय कोई शख़्स नभाज़ ऩढने के लरए खडा हो औय वो मह दे खते हुए के उसे कोई दे ख
यहा है , नभाज़ ज़या रुक रुक कय औय ठहय ठहय कय ऩढना शरू
ु अ कय दे , सजदा ज़या तवीर
कय दे तो मह “लशके ऽफ़़ी” है । भैं लभसार के तौय ऩय फमान ककमा कयता हूॊ कक अगय आऩ
नभाज़ ऩढ यहे हों औय आऩको कोई दे ख ना यहा हो तो आऩ भाभूर के भुताबफ़ तीन
सेकनड का सजदा कयें , रेककन जफ आऩ दे खें कक कोई आऩ को दे ख यहा है तो आऩका
सजदा ऩाॊच सेकनड का हो जाए, तो आऩ सोचें के भज़ीद दो सेकनड का सजदा ककसके
दहसाफ भें है ? जान रीजजए कक आऩका तीन सेकनड का भाभूर का सजदा तो
अल्राह के लरए है , जफकक दो इज़ाफ़़ी सेकनड के सजदे का भस्जूद अल्राह
112
नहीॊ है फजल्क वो जजसे आऩ ददखा यहे हैं। गोमा एक सजदे के दो भस्जूद हो गए औय मही
भेया फॊदा इब्राहीभ ) भुशरयक़ीन भें से नहीॊ था ”। भारूभ हुआ कक जो कुछ कहा जा
सकता था इस एक जुम्रे भें कह ददमा गमा। इससे फडी भदह व सताइश औय शाफाश औय
क्मा होगी औय इससे फडी सनद , इससे फडा सदटक कफ़केट औय शहादत नाभा (testimonial)
औय क्मा होगा कक “भेया फ़राॊ फनदा भश
ु रयक़ीन भें से नहीॊ था ”। मही फात है जो फडे प्माये
अॊदाज़ भें इ़फार ने कही है :
फयाहीभी नज़य ऩैदा भगय भुशककर से होती है
हवस छुऩ छुऩ के सीनों भें फना रेती है तस्वीयें
अऩने सीनों के अनदय जो फत
ु कदे आफाद हैं इनक़ी तयफ़ इॊसान क़ी नज़य नहीॊ जाती,
जफकक फाहय के फुत कदे नज़य आ जाते हैं। आऩने जी गढे श का फुत ऩूजते हुए ककसी को
दे खा तो कहा मह लशकक है । आऩ ककसी ़फय को सजदा कयते हुए ककसी को दे खा तो कहा
मह लशकक है । आऩने ककसी को ककसी ाैय अल्राह को ऩुकायते हुए सुना तो कहा मह लशकक है ।
मह फात दरु
ु स्त है । इस चीज़ के लशकक होने भें कोई शक व शफ
ु ा नहीॊ है । रेककन अऩनी
तनगाह को ज़या औय वसीअ क़ीजजए औय दे खखए कक आऩके अ़़ीदे औय अभर भें कहाॊ कहाॊ
लशकक क़ी आभेजज़श है । ऽास तौय ऩय इस दौय के जो लशकक हैं इनको सभखझमे मह भादह
ऩयस्ती का लशकक , वतन ऩयस्ती का लशकक, शजख़्समत ऩयस्ती का लशकक , अऩनी हवा औय हवस
को ऩज
ू ने का लशकक औय ऽद
ु ऩयस्ती का लशकक कक ऽद
ु अऩने आऩको ऩज
ू यहे हैं “अऩने ही
हुस्न का दीवाना फना कपयता हूॊ ” अऩनी ही ज़ात औय नफ़्जस के गगदक इनसान तवाफ़ ककमे
113
चरा जा यहा है , मह अस्र भें इस दौय के लशकक हैं जज नको सभझना होगा। फहय हार हय ऽैय
औय बराई ऽवाह नज़रयमे औय कफ़क्र क़ी हो , अ़़ीदे क़ी हो, अभर क़ी हो, इख़्रा़ क़ी हो,
वो तौहीदी का कोई गोशा औय तौहीदी क़ी कोई शाऽ (corollary) है । “मह सफ क्मा हैं
फ़़त एक नुक़्ताए ईभाॊ क़ी तफ़्जसीयें !” इसके फयअक्स हय ज़ेा, कजी औय गुभयाही चाहे वो
नज़रयमह औय कफ़क्र क़ी हो, अ़़ीदे क़ी हो, इल्भ क़ी हो, अभर क़ी हो, अख़्रा़ क़ी हो,
लशकक ही क़ी कोई ना कोई सूयत है ।
इससे कभ तय गुनाह जजसको चाहे गा फख़्श दे गा”। तो अफ वो कभतय का दाएयह जजसभें भजफफ़यत
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وف ىل ى ااً ىر ٍَل ٍ ًُِث ىك هٍ ىف ىو ً ىض ِ َّلَل اوَّل ىًى(ى
) هَّلذ ى ى ٍ ى ًن ي ى
ً (आमत 32) “जो रोग फडे फडे गुनाहों
औय खुरे खुरे ़फीह अफ़् आर से ऩयहे ज़ कयते हैं इल्रा मह के कुछ ़सूय (छोटे गुनाह)
उनसे सय ज़द हो जाए”। छोटे छोटे गन
ु ाहों को अल्राह भाफ़ पयभाता है ,
115
नीचे के ऽज़ानों भें से दो अहभ ऽज़ाने हैं औय मह तोहफ़ा शफे भअयाज के भो़े ऩय
अल्राह ने अऩने यसूरु ल्राह क़ी वसातत से उम्भते भुजस्रभा को अता
ककमा है । इनभें से दस
ू यी आमत का एक टुकडा हभायी इस फहस से भत
ु ाजल्ऱ है । अल्फ़ाज़
ى َّل ى ى ي ى ٍ ى َّل ى َ َ ٍ ْأ
भुराख़्ता हों: ينا أ ٍك أ ىل ىَّن ربنا َل ً ذَّن ِ ف َ ًص (आमत 286) “ऐ यफ हभाये ! अगय हभ बूर
औय ऽता (से कोई ारती सय ज़द) हो जाए तो हभायी गगयफ़्जत न क़ीजजमो !” रेककन अगय
कसफ हो यहा हो औय जान फूझ कय कोई गुनाह कभामा जा यहा हो औय उस ऩय कपय डेया
जभा लरमा जाए तो इस सूयत भें म़़ीनन एक फडा गुनाह बी लशकक के दयजे को ऩहुॊच जाता
है । एक शख़्स सद
ू को अऩने कायोफाय भें भस्
ु तक़रन शालभर ककमे हुए है तो इसभें ककसी
इॊसान औय ऽता का भाभरा नहीॊ , फजल्क इसने इयादी तौय ऩय औय आरा वजा अरफसीयत
एक हयाभ चीज़ को इजख़्तमाय कय यखा है औय वो उसके कायोफाय का जुज़्वे रातनफ़क है तो
मह चीज़ दय ह़़ी़त लशकक है । जान रीजजए कक अगय भजनतक़ी तौय ऩय तजजज़मा कयें गे तो
हय गन
ु ाह लशकक फन जाएगा, इसलरए के भाअसमत का दातनस्ता इतककाफ कयके एक शख़्स ने
गोमा अऩनी ख़्वादहशात व जज़्फात औय दनु मवी भफ़ादात को अल्राह के अहकाभ ऩय
फ़ौ़मत दे दी मा इनहें अल्राह क़ी ऩसॊद व ना ऩसॊद के फयाफय रे आमा। रेककन मह
अल्राह का फहुत फडा कयभ औय भहयफानी है कक जफ तक गुनाह ज़हूर , ऽता औय
नसमान के दजे भें हो तो उसको लशकक ़याय नहीॊ ददमा गमा। रेककन भैं मह फात तकयाय व
अआदह अज़क कय यहा हूॊ कक अगय कोई ारत काभ “कसफ” के दजे भें हो औय फ़ैसरे , शऊय
औय इयादे के साथ ककमा जा यही हो औय इस ऩय इनसान भुस्तक़रन डेया जभा कय फेठ
जाए तो वो लशकक के दजे को ऩहुॊच जाएगा। अल्फत्ता अगय अज़तयाही हारत दयऩेश हो ,
इनसान क़ी जान ऩय फनी हो औय वो बख
ू से भया जा यहा हो तो इस हारत भें इनसान
सअ
ु य बी खा रे तो गन
ु ाह नहीॊ है । अज़योए अल्फ़ाज़े ़ुयआनी
ٍ ى ى ٍ ي َّل ى ٍ ى ى و ى ى ى ى ى ٍ ى ى ى
(ِبغ كَل عا ود فَل ِ ُث عوي ًـ ) ًٌ ضلر (अर फ़यह:173) “ऩस जो भजफूय हो (फशतक मह कक) सय
कशी औय हद से तजाववज़ ना हो तो (भज़्कूयह फारा हयाभ अश्मा खा रेने भें ) उस ऩय कोई गुनाह नहीॊ है।”
ऐसे ही अगय जान ऩय फनी हो औय सूद के इरावा जान फचाने का कोई यास्ता ना हो तो
मह बी भाफ़ है । इस जज़भन भें सयू तुर फ़यह क़ी आमत 81 भर
ु ाख़्ता क़ीजजए।
116
كف ً يي ي يـ ىف ُأكهىػٰـ ً ىك أَ ٍ ى ي
اا َّلهنار ۖ ي ٍ فً ىا ى اه ً يد ى ى ى ٰـ ى ى ى ى ى ٌ ى ن ى َ ى ى ٍ ى ى
بَل َم لص ش ًي كأ ا ب ً ًـ ًل
क्मों नहीॊ; जजसने बी कोई फदी कभाई औय उसक़ी खताकायी ने उसे अऩने घये भें रे लरमा, तो ऐसे ही रोग
आग (जहननभ) भें ऩडनेवारे है; वे उसी भें सदै व यहें गे
ى ى ٰـ ى ى ى ى ى ٌ ى ن
इशाकद हुआ: بَل َم لص ش ًي “क्मों नहीॊ! जजसने एक फयु ाई बी कभाई (कसफ ककमा)......”
ऽता, नसमान औय अज़याय इसभें शालभर नहीॊ है , फजल्क मह वो फुयाई है जो जान फूझ कय
ى ٌىن
कभाई गई हो औय चाहे वो एक ही क्मों ना हो। “ ’ش ًي इस्भे नकयह है । नकयह भें तफ़्जऽीभ
बी होती है कक कोई फडी चीज़। मानी इसभें “सााइय” शालभर नहीॊ हैं ” फजल्क लसफ़क “कफाइय”
ى ى َ
हैं। आगे फ़यभामा : ىكأ ى ا ى ٍ ب ً ًـ ًليي ي يـ “औय इसका घेया कय लरए इसके गन
ु ाह ने .......” इस
एक गन
ु ाह ऩय वो इस तयह डेया जभा कय फैठा हुआ है कक गन
ु ाह ने उसको अऩने घेये भें
ऐसे रे लरमा है कक कोई जातनफ ऐसी नहीॊ जहाॊ गुनाह का ारफा ना हो। ىف ُأكهىػٰـ ً ىك أَ ٍ ى ي
اا
َّلهنار ۖ ي ٍ فً ىا ى اه ً يد ى
كف “तो मही रोग जहननभी हैं। वो इसभें हभेशा के लरए यहें गे। मानी मह
ً
वो जहननभी नहीॊ है जो आग से बफर आखऽय तनकर आएॊगे। मह ऽरूद कफ़ननाय क़ी सज़ा है
जो कुफ़्जफ़ाय औय भश
ु रयक़ीन के लरए है । भारभ
ू हुआकक एक फडा गन
ु ाह बी अगय मह शतें
ऩूयी कय यहा हो कक वो फ़ैसरे औय इयादे से ककमा ग मा हो औय उसऩय दवाभ हो औय उसने
आसी का इस तयह अहाता कय लरमा हो के कोई जातनफ ऐसी ना यही हो जहाॊ गुनाह का
ारफा ना हो तो वो अऩनी ह़़ी़त के एतफाय से लशकक है । अरफत्ता अगय ककसी से ऽता हो
जाए औय उस ऩय उसक़ी ऩेशभानी हो औय एहसास हो जाए कक इससे ारती हुई है औय वो
अल्राह से फजख़्शश तरफ कये , इस ऩय डेया ना जभा रे औय इसे अऩनी जज़ॊदगी का
भुस्तक़र जुज़्व फनाने का इयादा ना हो तो अल्राह इसका दहसाफ व ककताफ साफ़
कय दे ता है ।
“म़़ीनन जजन रोगों ने कुफ़्र ककमा अहरे ककताफ भें से औय भुशरयक़ीन भें से वो जहननभ क़ी आग
के भस्
ु तदह़ हैं औय वो इसभें हभेशा यहें गे”।
भारूभ हुआ कक भुशरयक़ीन भें से कुफ़्जफ़ाय औय अहरे ककताफ भें से कुफ़्जफ़ाय मह दो अरैहदा
केटागगरयज़ हैं। एक भुसरभान कुफ़्जफ़ाये अहरे ककताफ क़ी रडककमों से शादी कय सकता है ,
रेककन कुफ़्जफ़ाये भश
ु रयक़ीन क़ी रडककमों से शादी नहीॊ कय सकता। शयीअत के अनदय मह
फ़़क है । अल्राह ने इनके लरए तो नाभ ही यखा है । “भुशरयक”। जफकक अहरे ककताफ
अगयचे लशकक भें भुरजववस हैं , अज़योए अल्फ़्जज़े ़ुयआनी :
ا اوَّلػ ًـ ۖ ٰـ ىذه ً ىك ىق ٍوه ي يى ب َ ٍف ىو ًه ًـ ٍـ ۖ ًي ى ا ًا يوفى ي ٍ يحارل هٍ ىً ًص ي ا اوَّلػ ًـ ىك ىقاهى ً َّلهن ىص ى ي ىك ىقاهى هٍ ى ي ي
ٍ ود عي ىز ٍ ه
ً
ً
كفداَني ٍى أَ ٍر ىِب نِب ٌ ًَم ي
ار ي ٍ ىك ير ٍه ى ى ى ى ٍ َ َّل ى ي
أ ك ذ ا ﴾ ٣٠ ﴿ ىق ٍو ىؿ هَّلذ ى ىل ىف يرك ًَم ىق ٍ ين ۚ ىقا ى وى ي يى اوَّل يػـ ۚ أَ َّل ٰـ ي ٍ ىفمي ى
وف
ً ً
﴾٣١﴿ وف ا ىي ٍر ى ى ىك ىيا أُأي يًرك ِ َّلَل ه ً ىي ٍع ي يدك ِ هىػٰـ ن ا ىك ً ند ۖ َّلَل ِ هىػٰـ ىـ ِ َّلَل يه ىو ۚ ي ٍ ىاٍى يـ ى َّل ا ٌ ي ٍْش يل ى
ى ٍ يحاوَّلػ ًـ ىك هٍ ىً ًص ى
ً
यहूदी र्रते ह़ै, "उज़ैर अल्ऱाह र्ा बेटा ह़ै।" और ईसाई र्हते ह़ै, "मसीह अल्ऱाह र्ा बेटा ह़ै।" ये उनर्ी अऩने मुुँह र्ी
बातें हैं। ये उन ऱोगों र्ी-सी बातें र्र रहे ह़ै जो इससे ऩहऱे इनर्ार र्र चुर्े ह़ै। अल्ऱाह र्ी मार इन ऩर! ये र्हाुँ से औधे हुए
जा रहे हैं! (30) उन्होंने अल्ऱाह से हटर्र अऩने धमकज्ञाताओं और संसार-त्यागी संतों और मरयम र्े बेटे ईसा र्ो अऩने रब बना
शऱए ह़ै - हाऱाुँफर् उन्हें इसर्े शसवा और र्ोई आदे ि नहीं ददया गया था फर् अर्ेऱे इख़्टट-ऩज्
ू य र्ी वे बन्दगी र्रें, ख़्जसर् शसवा
र्ोई और ऩज्
ू य नहीं। उसर्ी मदहमा र्े प्रततर्ूऱ ह़ै वह शिर्क जो ये ऱोग र्रते ह़ै। - (31)
जजसने जान फझ
ू कय (फाैय ककसी शयई उज़्र के ) नभाज़
को तकक कय ददमा वो अरातनमा कुफ़्र कय चुका। ” भज़ीद फयआॊ सहीह भुजस्रभ क़ी हदीस है :
एक रुऩमा ककसी का चुया लरमा तो उसका हाथ काट ददमा जाए। इस्राभ भें ऐसा
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ज़ुल्भ नहीॊ है । ऐसे ही भुश्तरयक भार भें से एक फ़यी़ कुछ भार चुया रे तो उस ऩय बी
़तअए मद क़ी सज़ा रागू नहीॊ होगी , इसलरए कक वो भार चुयाने वारा ऽुद इसक़ी
लभरककमत भें शयीक है । इसी तयह ाैय भहफ़ूज़ भार क़ी चोयी ऩय बी चोय का हाथ नहीॊ
काटा जाएगा। चुनाॊचे जजस चोयी ऩय ़तअए मद क़ी सज़ा है कफ़क़्हाए क याभ ने इसक़ी ऩूयी
वज़ाहत से ताअयीफ़ (definition) क़ी है । फा़़ी चोरयमों ऩय ताअज़ीय है कक ़ानून के तहत
ककसी ़ेद क़ी सज़ा दे दी जाए मा कुछ कोडे भाये जाएॊ। तो जजस तयह एक रुऩमा क़ी चोयी
बी चोयी है , रेककन चोयी ऩय शयई चोयी का अतरा़ होगा औय हाथ कटे गा वो कुछ औय शैए
है । इसी तयह अगय तजजज़मा कयें गे तो हय गुनाह लशकक है , इसभें कोई शक नहीॊ है , रेककन
लशकक का इतरा़ हयगगज़ नहीॊ होगा। फजल्क अगय वो कसफ भें दाखऽर है , फडा गुनाह है
औय भुस्तक़र हो गमा है तो वो म़़ीनन लशकक के दजे को ऩहुॊच जाएगा। लरहाज़ा इस फ़्ऱ
को भरहोज़े ऽाततय यखना चादहमे ! हय गन
ु ाह का इततककाफ कयने वारा भश
ु रयक नहीॊ हो
जाएगा। औय अगय ककसी भुसरभान का कोई गुनाह लशकक क़ी तभाभ शयाइत ऩूयी कय यहा है
तो कपय बी इस ऩय भुशरयक का फ़तवा रगाने क़ी क्मा ज़रूयत है ? अल्राह दहसाफ
रेने वारा भौजूद है । फजल्क इस्राभी रयमासत के अॊदय बी ककसी भुसरभान ऩय भुशरयक का
फ़तवा नहीॊ रगेगा। इसभें बी “भजु स्रभ” औय “काकफ़य” दो ही केटागगरयज़ हैं , तीसयी कोई
केटागगयी भअ
ु जय्मन नहीॊ है । मह त़सीभ तो हो सकती है कक फ़राॊ शख़्स काकफ़य है औय
फ़राॊ भुजस्रभ है , रेककन ककसी को भुशरयक ़याय दे दे ना , इसका बी को फ़तवा ़ानूने
शयीअत भें भौजूद नहीॊ है । इस दतु नमा भें ककसी को हभ मह सनद नहीॊ दे सकते कक वो
भोलभन है । मह अल्राह ही जानता है कक ककसके ददर भें ककतना ईभान है । हभ
इसके ज़ेये फहस नहीॊ रा सकते , हभ तो ज़ेये फहस राएॊगे इस्राभ औय कुफ़्र को। औय
तक्फ़़ीय बी जान रीजजए कक इनफ़यादी भाभरा (individual act) नहीॊ है कक जो शख़्स चाहे
खडा होकय फ़तवा दे दे के फ़राॊ काकफ़य है , फजल्क मह इस्राभी रयमासत का काभ है कक वो
तकफ़़ीय का फ़ैसरा कये । लरहाज़ा ककसी शख़्स के अनदय ज़या सा बी लशकक का शाएफा नज़य
आ जाए तो इसको भश
ु रयक ़याय दे दे ना औय उसके साथ वो तज़े अभर इजख़्तमाय कयना
जो भुशरयक़ीन के साथ है , मह सयासय ारू है । इस ारू ने ऐसी खें च तान ऩैदा कयदी है कक
अफ फ़यी़ैन के भाफैन भेर जोर (communication) नहीॊ यहा। तत़ात बफल्कुर जुदा हो
गए हैं, एक दस
ू ये क़ी फात सुनने औय सभझने के लरए कोई तैमाय नहीॊ। दे खखए अगय हभने
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ककसी भाभरे भें अऩने नफ़्जस क़ी ख़्वादहश को अल्राह के हुक्भ ऩय भक़्दभ यखा तो
हभ हयगगज़ ऩसॊद नहीॊ कयते कक कोई हभें भुशरयक ़याय दे । इसी तयह हभें चादहए कक इस
तयह क़ी नभी औय रयआमत (concession) दस
ू यों को बी दें , फजल्क अऩने से ज़्मादा दें ।
भुख़्तलसय मह के भज़म्भत राजज़भन क़ी जाए , इसभें भज़ाहनत हयगगज़ ना हो, रेककन
ककसी को भुशरयक ़याय दे कय उससे ़तअ ताल्रु़ कय रेना , मह फहुत फडा कफ़तना है ।
इससे ककसी बराई को कोई उम्भीद नहीॊ , फजल्क नुक़्सान ही का अनदे शा है ।
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