You are on page 1of 43

अज़ क़लम:

इमामे अहले सु त,

ABDE MUSTAFA OFFICIAL


details

िकताब या रसाले का नाम वबा से फ़रार


मसि
ु नफ़ या मअि ु लफ़ इमामे अहले सु नत, ला हज़रत
मौज़ू िफ ह व फतावा
िह दी तजमा मौलाना उमर रज़ा ख़ान
नािशर SABIYA VIRTUAL PUBLICATION

िडज़ाइिनगं PURE SUNNI GRAPHICS

क पोिज़गं PURE SUNNI GRAPHICS

सना इशा त NOVEMBER 2022 (RABIUL AAKHIR 1444)

सफ़ ात 37

All Rights Reserved.


SABIYA VIRTUAL PUBLICATION
POWERED BY ABDE MUSTAFA OFFICIAL
info@abdemustafa.in

ABDE MUSTAFA OFFICIAL


अ ाह के नाम से शु जो नहायत मेहरबान, रहमत वाला है।
वबा से फ़रार

फ़ेहरिस्त
मसअला 85-93 : 2 तीन वस्फ़़ों के साथ 24
अलजवाब : 4 अव्वल : 24
अक़ूल : 20 दवु म : 24
शहर वग़ैरह की कुछ क़ै द नहीं 20 सवु म : 24
साननयन : 20 खानमसन : 24
सानलसन : 21 फ़ायदा : 27
रानबयन : 23 तन्बीह नबीह : 32

1
वबा से फ़रार

‫بسم اللہ الرحمن الرحیم‬


मसअला 85-93 :
अज़ कस्बा नगराम नज़ला लखनऊ मरु सलहु
मौलवी महु म्मद नफ़ीस सानहब वल्द जनाब महु म्मद इदरीस साहब,
6 सफ़र 1325 नहजरी
उलमा ए शरीअत ए महु म्मनदया का मसाइल ए ज़़ैल में क्या हुक्म
ह़ै:
(1) ताऊन के खौफ़ से मकाम ए खौफ़ से नफ़रार करना क़ै सा ह़ै?
(2) दर सऱू त ए जवाज़ हदीस नफ़रार अननत ताऊन (जो बख ु ारी में
अब्दरु रहमान इब्न ए औफ़ से मरवी ह़ै) के क्या माना ह़ोंगे?
(3) दर सऱू त ए अदम ए जवाज़ नफ़रार अननत ताऊन नकस दजे की
मानसयत ह़ै, कबीरा या सगीरा?
(4) गनु ाह ए कबीरा या सगीरा पर इसरार करने वाला शरअन क़ै सा ह़ै?
(5) ताऊन से जान के खौफ़ से नफ़रार करने वाले या नफ़रार की तरगीब
देने वाले के पीछे नमाज़ पढ़ना क़ै सा ह़ै?
(6) दर सऱू त ए अदम ए जवाज़ ए नफ़रार अननत ताऊन, नफ़रार करने
वाला और तरगीब देने वाला एक दजाा में मानसयत के मरु तनकब ह़ोंगे
या कम ज़्यादा?
(7) मसु म्मा नानकल ताऊन से नफ़रार को ब मक ु ाबला ए हदीस ए
हुरमत ए नफ़रार अननत ताऊन जाइज़ ही नहीं बनल्क नबला दलील ए
2
वबा से फ़रार
शरई अहसन समझता ह़ै, शरअन वह क़ै सा ह़ै?
(8) ब मक ु ाबला ए हदीस ए सहीह के नकसी सहाबी का कौल या फ़े ल
जो मख ु ानलफ़ ए हदीस ए सहीह के हो, क्या उस़ूल ए अहकाम ए
शरीअत के ऐनतबार से कानबल ए तकलीद या अमल होगा, कौली
हदीस के मक ु ाबला में क्या सहाबी के फ़े ल को तरजीह दी जाएगी?
(9) ब खयाल ए नहफ़्जज़ ए सेहत ब खौफ़ ए ताऊन, ताऊनी आबादी से
नफ़रार करके उसी के मज़ु ाफ़ात में यानी आबादी से कम व बेश एक
मील के फ़ासले पर चले जाना जो आबादी के अक्सर ज़रुररयात को
पऱू ी करता हो नजसको फ़ना कहते हैं, क्या दानखल ए नफ़रार अननत
ताऊन होगा नजसकी ममु ानअत व हुरमत हदीस ए अब्दरु रहमान इब्न
ए औफ़ से जो बख ु ारी नजल्द राबे बाब मा यज़ु करु नफ़त ताऊन में
मरवी, सानबत ह़ै, अगर यह खरू ु ज दानखल ए नफ़रार अननत ताऊन
होगा तो क्य़ों जबनक बुखारी नजल्द राबे बाब अनिस सानबरर नफ़त
ताऊन में हज़रत आइशा रनद अल्लाहु तआला अन्हा से मरवी ह़ै नक
अगर नकसी के गाांव में ताऊन हो और वह अपने शहर में इसनतकलाल
से ठहरा रहे तो उसको अि शहीद का होगा। इस हदीस से मालम़ू हुआ
नक अब्दरु रहमान इब्न ए औफ़ की हदीस में शहर ए ताऊन से नफ़रार
की ममु ानअत ह़ै न यह नक शहर ए ताऊन के अांदर खरू ु ज न नकया
जाए क्य़ोंनक अगर शहर के अदां र भी खरू ु ज की ममु ानअत होती तो
हदीस ए आइशा में नसफ़ा इसनतकलाल नफ़ल बलद से अि ए शहादत
3
वबा से फ़रार
न होता बनल्क इसनतकलाल नफ़ल ब़ैत से होता और फ़ना में नमाज़ ए
जमु आु ह की इजाज़त से मालम़ू होता ह़ै नक फ़ना ए शहर भी शहर ह़ै
पस शहर में खरू ु ज करना क्य़ोंकर दानखल ए नफ़रार होगा क्य़ोंनक ब
दलील ए इजाज़त ए जमु आ ु ह दर फ़ना ए शहर, शहर सानबत हो चक ु ा
ह़ै और फ़हवा ए हदीस ए आइशा से शहर के अांदर खरू ु ज की
ममु ानअत सानबत नहीं होती और अगर यह खुरूज में दानखल न होगा
तो क्य़ों जबनक मसु ानफ़र को मौज़ा ए इकामत की इमारात से ननकलने
पर फ़ौरन कस्र वानजब हो जाता ह़ै ज़ैसा नक कुतुब ए नफ़कह से सानबत
ह़ै नजसका मफ़हूम यह ह़ै नक शहर का इतलाक महज़ इमारात पर होता
ह़ै न नक फ़ना ए इमारात पर और इस सऱू त में हदीस ए आइशा का यह
मफ़हूम होगा नक शहर की इमारात से खरू ु ज न नकया जाए पस अहदल ु
अमऱै न के इनततयार करने से दस़ू रे का क्या जवाब होगा, हदीस ए
आइशा का सहीह मफ़हूम क्या होगा, सऱू त ए अव्वल या आनखर, हर
एक सवाल का जवाब मदु ल्लल व मफ़ ु स्सल मअ हवाला ए कुतबु
इनायत फ़रमाइए।
अलजवाब :
‫بسم اللہ الرحمن الرحیم‬
‫الحمد للہ الذی حمدہ للنجاۃ من البلایا خیر ماعون و‬
‫افضل الصلوۃ و السلام علی من جعلت شھادۃ امته فی‬
‫الطعن و الطاعون و علی اله و صحبه الذین ھم‬
4
‫‪वबा से फ़रार‬‬
‫لاماناتھم و عھدھم راعون فلا یفرون اذا لاقواوھم فی‬
‫اعلاء کلمة اللہ ساعون و اللہ و رسوله طواعون الی‬
‫المعروف داعون و عن المنکر مناعون ـ‬
‫‪ताऊन से नफ़रार गनु ाह ए कबीरा ह़ै, रसल‬‬ ‫ु‪़ू उल्लाह सल्लल्लाह‬‬
‫‪तआला अल़ैनह वसल्लम फ़रमाते हैं,‬‬
‫الفار من الطاعون کالفار من ‪ताऊन से भागने वाला ऐसा‬‬
‫े‪ह़ै ज़ैसे नजहाद में कानफ़ऱों क‬‬ ‫الزحف ۔‬
‫‪मक‬‬ ‫े‪ु ाबले से भाग जान‬‬
‫‪वाला।‬‬
‫رواہ الامام احمد بسند حسن و الترمذی و قال حسن‬
‫غریب و ابن خزیمة و ابن حبان فی صحیحھما و البزار و‬
‫الطبرانی و عبد بن حمید عن جابر بن عبد اللہ و احمد‬
‫بسند صحیح و ابن سعد و ابو یعلی و الطبرانی فی الکبیر‬
‫و فی الاوسط و ابو نعیم فی فوائد ابی بکر بن خلاد عن ام‬
‫المؤمنین الصدیقة رضی اللہ تعالی عنھم ۔‬
‫‪और अल्लाह अज़्ज़ा व जल्ल नजहाद में कुफ़्जफ़ार को पीठ देकर‬‬
‫‪भागने वाले की ननस्बत फ़रमाता ह़ै:‬‬
‫ّٰ‬ ‫ََ َ َ َ‬
‫ٓاء ِب َغ َضب ِم َن الل ِہ َو े‪वह बेशक अल्लाह क‬‬ ‫فقد ب‬
‫ْ‬ ‫ْ‬ ‫ْ‬ ‫ْ‬
‫َما ّٰوىه َج َھنم َو ِبئ َس ال َم ِصیر ‪गज़ब में पडा और उसका‬‬
‫‪5‬‬
‫‪वबा से फ़रार‬‬
‫‪नठकाना दोज़ख ह़ै और क्या‬‬
‫‪बरु ी जाए बाज़ गश्त ह़ै।‬‬
‫ंे‪इमाम इब्न ए हजर मक्की ज़वानजर अन इकनतरानफ़ल कबाइर म‬‬
‫‪फ़रमाते हैं:‬‬
‫الکبیرۃ التاسعة و التسعون بعد الثلث مائة الفرار‬
‫من الطاعون ۔‬
‫‪उसी में बाद नज़क्र ए हदीस ए मज़क़ूर ब तखरीज ए नतनमाज़ी व इब्न‬‬
‫‪ए नहब्बान वग़ैरहुमा फ़रमाया:‬‬
‫القصد بھذا التشبیه انما ھو زجر الفار و التغلیظ‬
‫علیه حتی ینزجر و لا یتم ذلك الا ان کان کبیرۃ کالفرار‬
‫من الزحف ۔‬
‫‪मौलाना शेख ए महु नककक अब्दल‬‬ ‫ु‪ु हक महु निस देहलवी रहमह‬‬
‫‪उल्लानह तआला शरह ए नमशकात में फ़रमाते हैं:‬‬
‫اضہطب در وابء ںیمہ تس ہک در ااجنہک تسہ ابندی رتف و از‬
‫ااجنہکابدشابندیرگتخیارگہچرگنتخیدرضعب وماعضلثماخہن‬
‫ہکدروےززلہلدشہایآشترگہتفاینتسشندرزریدویارےہک‬
‫مخدشہزندہبلغنظالہبکآدمہاتساامدرابباطوعنزجربص‬
‫ایندمہرگمرگنتخیوجتزیاینہتفوایقساںیربآںرمدودوافدساتس‬
‫‪6‬‬
वबा से फ़रार
‫ہکآاہنازلیبقاابسباعدہیادنواںیازاابسبویمہوربرہدقتری‬
‫رگنتخیاز ااجناجزئتسینوچیہاجوارددشنہورہہکرگبزیواعیصو‬
‫رمبکتریبکہورمدودتسنسأل اللہ العافیةـ‬
शरह ए नमशकात अल्लामा तय्यबी में ज़ेर ए हदीस ए मज़क़ूर ह़ै,
‫شبه به ای بالفرار من الزحف فی ارتکاب الکبیرۃ ـ‬
शरह ए मअ ु त्ता में ह़ै,
‫قال ابن خزیمة انه من الکبائر التی یعاقب اللہ تعالی‬
‫علیھا ان لم یعف ـ‬
सगीरा पर इसरार उसे कबीरा कर देता ह़ै और कबीरा पर इसरार
और सतत तर कबीरा। हदीस में ह़ै रस़ूल उल्लाह सल्लल्लाहु तआला
अल़ैनह वसल्लम फ़रमाते हैं,
‫لا صغیرۃ مع الاصرار ۔‬
कोई गनु ाह इसरार के बाद सगीरा नहीं रहता।
‫رواہ فی مسند الفردوس عن ابن عباس رضى اللہ‬
‫عنھما ـ‬
नफ़रार की तरगीब देने वाला नफ़रार करने वाले से अशद वबाल में
ह़ै, नफ़्जस ए गनु ाह में अहकाम ए इलाहीया से मआ ु ररज़ा व मख ु ानलफ़त
की वह शान नहीं जो बर अक्स ए हुक्म ए शरअ नही अननल मारूफ़
7
वबा से फ़रार
व अम्र नबल मांक
ु र में ह़ै, अल्लाह अज़्ज़ा व जल्ल फ़रमाता ह़ै:
ّٰ ّٰ ّٰ
मनु ानफ़क मदा और ‫اَلْمن ِفقوْ َن َو الْمن ِفقت بَعضھ ْم‬
ْ
मनु ानफ़का औरतें आपस में ‫ِم ْن بَعض یَامر ْو َن ِبالْم ْن َک ِر َو‬
एक हैं, बुराई का हुक्म देते ‫یَ ْن َھوْ َن َع ِن لۡ َمعر ْو ِف الى قوله‬
और भलाई से मना करते हैं। ‫عزوجل َو الْم ْؤ ِمنوْ َن َو‬
और मसु लमान मदा और ‫الْم ْؤ ِم ّٰنت بَعضھ ْم اَ ْول َِیٓاء‬
मसु लमान औरतें आपस में ‫بَعض یَاْمر ْو َن بالْ َمعر ْو ِف َو‬
َِ ْ ْ ْ
दीनी बात पर एक दस़ू रे के ‫یَن َھوْ َن َع ِن المنک ِر ـ‬
मददगार हैं, भलाई का हुक्म
देते और बरु ाई से रोकते हैं।

गनु हगार अपनी जान को नगरफ़्जतार ए अज़ाब करता ह़ै और गनु ाह


की तरगीब देने वाला खदु अज़ाब में पडा और दस़ू रे को भी अज़ाब में
डालना चाहता ह़ै नजतने उसकी बात पर चलते हैं सबका वबाल उस
पर और उनके बराबर उस अके ले पर होता ह़ै।
रसल़ू उल्लाह सल्लल्लाहु तआला अल़ैनह वसल्लम फ़रमाते हैं:
जो सीधे रास्ते की तरफ़ ‫من دعا الی ھدی کان له من‬
बल ु ाए नजतने उसकी प़ैरवी ‫الاجر مثل اجور من اتبعه لا‬
करें सबके बराबर सवाब ‫ینقص ذلك من اجورھم‬
पाए और उनके सवाब़ों में ‫شیئا و من دعا الی ضلالة‬
8
वबा से फ़रार
कुछ कमी न हो और जो ‫کان علیه من الاثم مثل‬
गमु राही की तरफ़ बल ु ाए ‫اثام من اتبعه لا ینقص‬
नजतने उसके कहे पर चलें ‫ذلك من اثامھم شیئا ۔‬
सबके बराबर उस पर गनु ाह
हो और उनके गनु ाह़ों में कुछ
कमी न हो।
‫رواہ الائمة احمد و الستة الا البخاری عن ابی ھریرۃ‬
‫رضی اللہ تعالی عنه ۔‬
और जब ताऊन से नफ़रार कबीरा ह़ै तो लोग़ों को उसकी तरगीब
देनी सतत तर कबीरा और दोऩों फ़ानसक हैं और गानलबन एलान भी
नकद ए वकत और फ़ानसक ए मोअ'नलन को इमाम बनाना गनु ाह और
उसके पीछे नमाज़ मकरूह ए तहरीमी। गनु नया में ह़ै,
‫لو قدموا فاسقا یاثمون ـ‬
रिल
ु मोहतार में ह़ै,
‫فی تقدیمه للامامة تعظیمه و قد وجب علیھم اھانته‬
‫شرعا فھو کالمبتدع تکرہ امامته بکل حال بل مشی فی‬
‫شرح المنیة علی ان کراھة تقدیمه کراھة تحریم لما‬
‫ذکرنا ـ‬
ताऊन से नफ़रार को जो अहसन समझता ह़ै अगर जानहल ह़ै और
9
वबा से फ़रार
उसे मालम़ू नहीं नक अहादीस ए सहीहा उसकी तहरीम में वाररद हैं उसे
तफ़हीम की जाए और अगर दाननस्ता हदीस़ों का इक ां ार करता ह़ै तो
सरीह गमु राह ह़ै। शरह ए मुअत्ता नलल अल्लामनतज़ जरकानी में ज़ेर ए
हदीस ए अब्दरु रहमान इब्न ए औफ़ रनद अल्लाहु तआला अन्हु
दरबारा ए ताऊन ह़ै:
‫فیه دلیل قوی علی وجوب العمل بخبر الواحد لانه کان‬
‫بمحضر جمع عظیم من الصحابة فلم یقولوا لعبد‬
‫الرحمن انت واحد و انما یجب قبول خبر الکافة ما اضل‬
‫من قال بھذا و اللہ تعالی یقول ان جاءکم فاسق بنبا‬
‫فتبینوا و قرئ فتثبتوا فلو کان العدل اذا جاء بنبأ‬
‫تثبت فی خبرہ و لم ینفذ لاستوی مع الفاسق و ھذا‬
ّٰ ‫خلاف‬
‫القران ام نجعل المتقین کالفجار قاله ابن عبد‬
‫البر ـ‬
नजस अम्र में राए व इजनतहाद को दखल न हो उसमें कौल ए
सहाबी दलील ए कौल ए रसल ़ू उल्लाह सल्लल्लाहु तआला अल़ैनह
वसल्लम ह़ै वरना नजस हदीस की मख ु ानलफ़त की अगर उसके रावी
खदु यह सहाबी हैं और मख ु ानलफ़त नसफ़ा ज़ानहर नस की ह़ै मसलन
आम की तखसीस या मतु लक की तकयीद तो यह अस्र ए सहाबी उस
हदीस ए मरफ़़ूअ की तफ़सीर ठहरे गा और उसे इसी नखलाफ़ ए ज़ानहर
पर महमल ़ू समझा जाएगा और मख ु ानलफ़त मफ़
ु नस्सर की ह़ै तो सरीह
10
‫‪वबा से फ़रार‬‬
‫‪दलील ह़ै नक वह हदीस मांसख‬‬ ‫‪़ू हो चक‬‬‫‪ु ी, सहाबी को उसका नानसख‬‬
‫‪मालम़ू था और अगर यह खदु उसके रावी नहीं तो यह मामला अगर‬‬
‫‪इस कानबल न था नक उन सहाबी पर मतफ़ी रहता तो उनकी‬‬
‫‪मख‬‬
‫‪ु ानलफ़त उस ररवायत ए मरफ़़ूआ के कबल‬‬ ‫‪़ू में शबु ह डालेगी वरना‬‬
‫‪हदीस ही मरजह ह़ै ज़ैसा नक ग़ैर सहाबा के कौल व फ़े ल पर मतु लकन‬‬
‫‪जब तक हद ए इज्मा तक न पहुचां े। मसु ल्लनमस सुबत़ू में ह़ै:‬‬
‫روی الصحابی و حمل ظاھرا علی غیرہ کتخصیص العام‬
‫فالحنفیة علی ما حمل لان ترك الظاھر بلا موجب‬
‫ً‬
‫حرام فلا یترکه الا بدلیل قطعا و لو ترك نصا مفسرا‬
‫تعین علمه بالناسخ فیجب اتباعه و ان عمل بخلاف‬
‫خبرہ غیرہ فان کان صحابیا فالحنفیة ان کان مما‬
‫یحتمل الخفاء لا یضر او لا فیقدح و ان کان غیر صحابی‬
‫ً‬
‫و لو اکثر الامة فالعمل بالخبر اہ مختصرا ۔‬
‫‪उसी में ह़ै:‬‬
‫الرازی منا و البردعی و البزدوی و السرخسی و اتباعھم‬
‫قول الصحابی فیما یمکن فیه الرأی ملحق بالسنة‬
‫لغیرہ لا بمثله و نفاہ الکرخی و جماعة و فیما لا یدرك‬
‫بالرأی فعند اصحابنا اتفاق فله حکم الرفع اہ‬
‫ملتقطا ۔‬
‫‪11‬‬
वबा से फ़रार
यह इजमाली कलाम ह़ै और नज़र ए मजु तनहद के नलए ह़ै और
हदीस ए ताऊन इसी कबील से ह़ै नजसका बाज़ बनल्क अक्सर सहाबा
पर भी मतफ़ी रहना जा ए अजब न था ज़ैसा नक हदीस ए सहीह़ैन से
सानबत ह़ै नक जब अमीरुल मोनमनीन फ़ारूक ए आज़म रनद अल्लाहु
तआला अन्हु को राह ए शाम में खबर नमली नक वहााँ ताऊन ह़ै, सहाबा
ए नकराम में पहले महु ानजरीन ए इज़ाम निर अांसार ए नकराम निर
मशाइख ए कुऱै श महु ानजरीन ए फ़तह ए मक्का को बल ु ाकर मशवरे
नलए, सबने अपनी-अपनी राए ज़ानहर की मगर नकसी को इस बारे में
इरशाद ए अकदस ए सनय्यद ए आलम सल्लल्लाहु तआला अल़ैनह
वसल्लम मालम़ू न था, न खदु अमीरुल मोनमनीन के इल्म में था यहााँ
तक नक हज़रत अब्दरु रहमान इब्न ए औफ़ रनद अल्लाहु तआला अन्हु
नक उस वकत अपने नकसी काम को तशरीफ़ ले गए थे, उन्ह़ोंने आकर
इरशाद ए वाला बयान नकया और उसी पर अमल नकया गया।
याँह़ू ी सहीह़ैन की हदीस से सानबत नक साद इब्न ए अबी वकास
रनद अल्लाहु तआला अन्हु अहदल ु अशरनतल मबु श्शरा को यह
इरशाद ए अकदस नक जब दस़ू री जगह ताऊन होना सुनो वहााँ न जाओ
और जब तुम्हारे यहााँ प़ैदा हो तो वहााँ से न भागो, मालम़ू न था यहााँ
तक नक हज़रत उसामा इब्न ए ज़़ैद रनद अल्लाहु तआला अन्हुमा ने
नक रसल ़ू उल्लाह सल्लल्लाहु तआला अल़ैनह वसल्लम के महबब़ू
इब्नल
ु महबब़ू और साद रनद अल्लाहु तआला अन्हु के सामने के बच्चे
12
‫‪वबा से फ़रार‬‬
‫‪हैं, उन्हें यह हदीस सनु ाई बनल्क सहीह़ैन से यह भी सानबत नक साद‬‬
‫‪रनद अल्लाहु तआला अन्हु ने उनसे सवाल करके इसका इल्म हानसल‬‬
‫‪फ़रमाया,‬‬
‫فقد اخرجا عن عامر بن سعد بن ابی وقاص عن ابیه‬
‫انه سمعه یسأل اسامة بن زید ما ذا سمعت من رسول‬
‫اللہ صلی اللہ تعالی علیه وسلم الطاعون رجز ارسل علی‬
‫بن اسرائیل او علی من کان قبلکم فاذا سمعتم به‬
‫بارض فلا تقدموا علیه و اذ وقع بارض و انتم بھا فلا‬
‫تخرجوا فرار منه ۔‬
‫‪और उसके बाद खदु इसे हुज़ऱू ए अकदस सल्लल्लाहु तआला‬‬
‫‪अल़ैनह वसल्लम से ररवायत करते हैं,‬‬
‫ای یرسل ارسالا ثقة بروایة اسامة رضی اللہ تعالی عنه‬
‫ु‪सहीह मनु स्लम शरीफ़ में बाद नज़क्र ए हदीस ए उसामा रनद अल्लाह‬‬
‫‪तआला अन्हु ह़ै,‬‬
‫و حدثنیه وھب بن بقیة فذکر بسندہ عن ابراھیم بن‬
‫سعد بن مالك عن ابیه عن النبی صلی اللہ تعالی علیه‬
‫وسلم بنحو حدیثھم ۔‬
‫‪तो दो एक सहाबा से जो इसका नखलाफ़ मरवी हुआ इनत्तलाअ ए‬‬
‫ु‪हदीस से पहले था ज़ैसे अम्र इब्न ए आस रनद अल्लाहु तआला अन्ह‬‬
‫‪13‬‬
‫‪वबा से फ़रार‬‬
‫‪के ताऊन से बहुत खौफ़ करते, लोग़ों को मतु फ़ररा क हो जाने की राए‬‬
‫‪दी, मआ‬‬
‫ु‪ु ज़ इब्न ए जबल रनद अल्लाहु तआला अन्हु ने नक आलमन‬‬
‫‪नास नबल हलाल वल हराम व इमामल‬‬ ‫‪ु उलमा यौमल कयाम हैं उनका‬‬
‫‪रद ए शदीद नकया और सनय्यद ए आलम सल्लल्लाहु तआला अल़ैनह‬‬
‫‪वसल्लम की हदीस बयान की और शरजील इब्न ए हसना रनद‬‬
‫‪अल्लाहु तआला अन्हु कानतब ए वही ने ननहायत नशित से रद नकया‬‬
‫‪और नफ़रार अननत ताऊन से नबी सल्लल्लाहु तआला अल़ैनह‬‬
‫‪वसल्लम का मना फ़रमाना ररवायत नकया, अम्र इब्न ए आस रनद‬‬
‫‪अल्लाहु तआला अन्हु ने फ़ौरन रुज़ू फ़रमाई और उनकी तस्दीक की।‬‬
‫اخرج ابن خزیمة فی صحیحه عن عبد الرحمن بن غنم‬
‫قال وقع الطاعون بالشام فقال عمرو بن العاص رضی‬
‫اللہ تعالی عنه ان ھذا الطاعون رجس ففروا منه فی‬
‫الادویة و الشعاب فبلغ ذلك شرحبیل بن حسنة رضی‬
‫اللہ تعالی عنه فغضب و قال کذب عمرو بن العاص فقد‬
‫صحبت رسول اللہ صلی اللہ تعالی علیه وسلم و عمرو‬
‫اضل من جمل اھله ان ھذا الطاعون دعوۃ نبیکم و‬
‫رحمة ربکم و وفاۃ الصالحین قبلکم الحدیث و لفظ ابن‬
‫عساکر عن عبد الرحمن بن غنم قال کان عمرو بن‬
‫العاص رضی اللہ تعالی عنه حین احس بالطاعون فرق‬
‫‪14‬‬
‫‪वबा से फ़रार‬‬
‫ً‬
‫فرقا شدیدا فقال یٓایھا الناس تبددوا فی ھذہ‬
‫الشعاب و تفرقوا فانه قد نزل بکم امر من اللہ تعالی لا‬
‫اراہ الا رجزا او الطوفان قال شرحبیل بن حسنة رضی‬
‫اللہ تعالی عنه قد صحابنا رسول اللہ صلی اللہ تعالی‬
‫علیه وسلم و انت اضل من حمار اھلك قال عمرو رضی‬
‫اللہ تعالی عنه صدقت قال معاذ رضی اللہ تعالی عنه‬
‫لعمرو بن عاص رضی اللہ تعالی عنه کذبت لیس‬
‫بالطوفان و لا بالرجز و لکنھا رحمة ربکم و دعوۃ نبیکم و‬
‫قبض الصالحین قبلکم الحدیث و رواہ الامام‬
‫الطحاوی فی شرح معانی الاثار من حدیث شعبة عن‬
‫یزید بن حمیر قال سمعت شرحبیل بن حسنة رضی‬
‫اللہ تعالی عنه یحدث عن عمرو بن العاص رضی اللہ‬
‫تعالی عنه ان الطاعون وقع بالشام فقال عمرو تفرقوا‬
‫عنه فانه رجز فبلغ ذلك شرحبیل بن حسنة رضی اللہ‬
‫تعالی عنه فقال قد صحبت رسول اللہ صلی اللہ تعالی‬
‫علیه وسلم فسمعته یقول انھا رحمة ربکم و دعوۃ‬
‫نبیکم و موت الصالحین قبلکم فاجتمعوا له و لا تفرقوا‬
‫علیه فقال عمرو رضی اللہ تعالی عنه صدق و للحدیث‬

‫‪15‬‬
वबा से फ़रार
‫طریق اخری عن شھر بن حوشب قال فیھا فقام‬
‫شرحبیل بن حسنة رضی اللہ تعالی عنه فقال و اللہ‬
‫لقد اسلمت و ان امیرکم ھذا اضل من جمل اھله‬
‫فانظروا ما یقول قال رسول اللہ صلی اللہ تعالی علیه‬
‫وسلم اذا وقع بارض و انتم بھا فلا تھربوا فان الموت فی‬
‫اعناقکم و اذا کان بارض فلا تدخلوھا فانه یحرق‬
‫القلوب ـ‬
बाज़ लोग इसे अमीरूल मोनमनीन रनद अल्लाहु तआला अन्हु की
तरफ़ ननस्बत कर देते हैं मगर अमीरूल मोनमनीन खुद फ़रमाते हैं नक
लोग गमु ान करते हैं नक मैं ताऊन से भागा, इलाही मैं इस तोहमत से
तेरे हााँ बराअत करता हू।ाँ इमाम अजल्ल तहावी ररवायत फ़रमाते हैं,
‫عن زید بن اسلم عن ابیه قال قال عمر بن الخطاب‬
‫رضی اللہ تعالی عنه اللھم ان الناس زعموا انی فررت من‬
ّٰ
‫الطاعون و انا ابرأ الیك من ذلك ھذا مختصر ۔‬
रसल ़ू उल्लाह सल्लल्लाहु तआला अल़ैनह वसल्लम ने ताऊन से
भागना हराम फ़रमाया, इसमें कोई ततसीस शहर व ब़ैरुन ए शहर की
नहीं, जानबर रनद अल्लाहु तआला अन्हु की हदीस इमाम अहमद व
इमामल ु अइम्मा इब्न ए खज़ु ़ैमा के यहााँ याँ़ू ह़ै, रसल ़ू उल्लाह
सल्लल्लाहु तआला अल़ैनह वसल्लम फ़रमाते हैं:
16
वबा से फ़रार
ताऊन से भागने वाला ऐसा ‫الفار من الطاعون کالفار من‬
ह़ै ज़ैसा नजहाद में कुफ़्जफ़ार के ‫الزحف و الصابر فیه کالصابر‬
सामने से भागने वाला और ‫فی الزحف ۔‬
ताऊन में ठहरने वाला ऐसा
ह़ै ज़ैसा नजहाद में सब्र व
इनस्तकलाल करने वाला।
उन्हीं की दस़ू री ररवायत में ह़ै रसल ़ू उल्लाह सल्लल्लाहु तआला
अल़ैनह वसल्लम फ़रमाते हैं:
ताऊन से भागने वाला ‫الفار من الطاعون کالفار من‬
नजहाद से भागने वाले की ‫الزحف و من صبر فیه کان له‬
तरह ह़ै और जो उसमें सब्र ‫اجر شھید ۔‬
नकए रहे उसके नलए शहीद
का सवाब ह़ै।
उम्मल
ु मोनमनीन नसिीका रनद अल्लाहु तआला अन्हा की हदीस
इमाम अहमद की मसु नद में नमस्ल पारा ए अव्वल हदीस ए जानबर ह़ै
और इब्न ए साद के यहााँ याँ़ू ह़ै, रसल
़ू उल्लाह सल्लल्लाहु तआला
अल़ैनह वसल्लम फ़रमाते हैं:
ताऊन से भागना नजहाद से ‫الفار من الطاعون کالفرار من‬
भाग जाने के नमस्ल ह़ै। ‫الزحف ـ‬
17
वबा से फ़रार
अहमद की दस़ू री ररवायत याँ़ू ह़ै, रसल ़ू उल्लाह सल्लल्लाहु
तआला अल़ैनह वसल्लम फ़रमाते हैं:
ताऊन एक नगल्टी ह़ै नजस ‫الطاعون غدۃ کغدۃ البعیر‬
तरह ऊांट की वबा में उसके ‫المقیم بھا کالشھید و الفار‬
ननकलती ह़ै जो उसमें ठहरा ‫منھا کالفار من الزحف ۔‬
रहे वह शहीद के नमस्ल ह़ै
और उससे भागने वाला
नजहाद से भाग जाने वाले
की तरह ह़ै
मसु नद अब़ू याला के लफ़्जज़ याँ़ू हैं रसल ़ू उल्लाह सल्लल्लाहु
तआला अल़ैनह वसल्लम फ़रमाते हैं:
ताऊन एक काँ़ू चा ह़ै नक मेरी ‫وخزۃ تصیب امتی من‬
उम्मत को उनके दश्ु मन ‫اعدائھم من الجن کغدۃ‬
नजऩों की तरफ़ से पहुचां ेगा ‫الابل من اقام علیھا کان‬
ज़ैसे ऊांट की नगल्टी जो ‫مرابطا و من اصیب به کان‬
मसु लमान उस पर सब्र नकए ‫شھیدا و الفار منه کالفار‬
ठहरा रहे वह उनमें से हो जो ‫من الزحف ـ‬
राह ए खदु ा में सरहद ए
कुफ़्जफ़ार पर नबलाद ए
इस्लाम की नहफ़ाज़त के
18
वबा से फ़रार
नलए इकामत करते हैं और
जो मसु लमान उसमें मरे वह
शहीद हुआ और जो उससे
भागे वह कानफ़ऱों को पीठ
देकर भागने वाले की माननांद
हो।
मोजम ए औसत की ररवायत याँ़ू ह़ै, रसल ़ू उल्लाह सल्लल्लाहु
तआला अल़ैनह वसल्लम फ़रमाते हैं:
ताऊन मेरी उम्मत के नलए ‫الطاعون شھادۃ لامتی و وخز‬
शहादत ह़ै और वह तुम्हारे ‫اعدائکم من الجن غدۃ‬
दश्ु मन नजऩों का काँ़ू चा ह़ै, ‫کغدۃ البعیر تخرج فی الاباط‬
ऊांट के गदु द़ू की तरह नगल्टी ‫و المراق من مات فیه مات‬
ह़ै नक बगल़ों और नरम ‫شھیدا و من اقام فیه کان‬
जगह़ों में ननकलती ह़ै, जो ‫کالمرابط فی سبیل اللہ و من‬
उसमें मरे वह शहीद मरे और ‫فر منه کان کالفار من‬
जो ठहरे वह राह ए खदु ा में
‫الزحف ۔‬
सरहद ए कुफ़्जफ़ार पर ब
इतां ज़ार ए नजहाद इकामत
करने वाले की माननदां ह़ै
और जो उससे भाग जाए
19
वबा से फ़रार
नजहाद से भाग जाने की
नमस्ल हो।
अक़ूल :
शहि वग़ैिह की कुछ क़ै द नहीं
अव्वलन : इन तमाम अलफ़ाज़ ए हदीस में नसफ़ा ताऊन से भागने
पर वईद ए शदीद और सब्र नकए ठहरे रहने की तरगीब व ताकीद ह़ै,
शहर या महु ल्ले या हवाली ए शहर वग़ैरह की कुछ क़ै द नहीं तो जो
नकल व हरकत ताऊन से भागने के नलए होगी अगरचे शहर ही के
महु ल्ल़ों में वह नबला शुबह वईद व तहदीद के नीचे दानखल ह़ै।
साननयन :
हदीस उम्मल ु मोनमनीन रनद अल्लाहु तआला अन्हा से मरवी
सहीह बख ु ारी शरीफ़, मसु नद इमाम अहमद रहमहु उल्लानह तआला
में ब सनद ए सहीह बर शते बख ु ारी व मनु स्लम ब ररजाल ए बुखारी,
नजल्द शशमु आनखर सफ़हा 251 व अव्वल 252 में याँ़ू ह़ै:
यानी रसल ़ू उल्लाह ‫حدثنا عبد الصمد ثنا داؤد‬
सल्लल्लाहु तआला ‫یعنی ابن ابی الفرات ثنا عبد‬
अल़ैनह वसल्लम ने ‫ عن یحیی بن‬1‫اللہ بن بریدۃ‬
फ़रमाया, ताऊन एक ‫یعمر عن عائشة رضی اللہ‬

‫ منه ۔‬۱۲ ‫ وقع ھھنا فی نسخة المسند المطبوعة ابن ابی بریدہ و الصواب ابن بریدۃ کما ذکرنا‬: 1

20
वबा से फ़रार
अज़ाब था नक अल्लाह ‫تعالی عنھا انھا قالت سألت‬
तआला नजस पर चाहता ‫رسول اللہ صلی اللہ تعالی‬
भेजता और इस उम्मत के ‫علیه وسلم عن الطاعون‬
नलए उसे रहमत कर नदया ह़ै ‫فاخبرنی رسول اللہ صلی اللہ‬
तो जो शतस ज़माना ए
‫تعالی علیه وسلم انه کان‬
ताऊन में अपने घर में सबर
‫عذابا یبعثه اللہ تعالی علی‬
नकए तलब ए सवाब के नलए
इस ऐनतकाद के साथ ठहरा ‫من یشاء فجعله رحمة‬
रहे नक उसे वही पहुचां ेगा जो ‫للمؤمنین فلیس من رجل‬
‫یقع الطاعون فیمکث فی‬
खदु ा ने नलख नदया ह़ै, उसके ً ً
नलए शहीद का सवाब ह़ै। ‫بیته صابرا محتسبا یعلم‬
इस हदीस ए सहीह में खास ‫انه لا یصیبه الا ما کتب اللہ‬
अपने घर में ठहरे रहने की ‫له الا کان له مثل اجر‬
तसरीह ह़ै। ‫الشھید ۔‬

सानलसन :
ज़रा गौर कीनजए तो इस हदीस और हदीस ए बख ु ारी में असलन
इनततलाफ़ नहीं। सहीह बुखारी, नकताबतु नतब के लफ़्जज़ यह हैं,
‫لیس من عبد یقع الطاعون فیمکث فی بلدہ صابرا ۔‬
और नज़क्र ए बनी इसराईल में:
21
वबा से फ़रार
‫لیس من احد یقع الطاعون فیمکث فی بلدہ صابرا‬
‫محتسبا ۔‬
और बदाहतन मालम़ू ह़ै नक मतु लकन रू ए ज़मीन में से नकसी
जगह वक ु ़ू अ ए ताऊन मरु ाद नहीं तो हदीस ए बखु ारी में फ़ी बलनदनह
और हदीस ए अहमद में फ़ी ब़ैनतनह बर सबील ए तनाज़अ ु यमकुसु व
यकउ दोऩों से मतु अनल्लक ह़ै। इमाम ऐनी उमदतल ु कारी शरह ए
सहीहुल बुखारी में फ़रमाते हैं,
‫قوله فی بلدہ مما تنازع الفعلان فیه اعنی قوله یقع و‬
‫قوله فیمکث ۔‬
तो दोऩों ररवायत़ों का मतलब यह हुआ नक नजसके शहर में ताऊन
वाके अ हो वह शहर से न भागे और नजसके खदु घर में वाके अ हो वह
अपने घर से न भागे और हानसल इस तरफ़ रुज़ू कर गया नक ताऊन से
न भागे, शहर या घर से न भागना नलज़ानतनह ममनअ ़ू नहीं अगर कोई
ज़ानलम जानबर शहर में ज़ल्ु मन उसकी नगरफ़्जतारी को आया और यह
उससे बचने को शहर से भाग गया हरनगज़ मवु ाखज़ा नहीं अगरचे
ज़माना ए ताऊन ही का हो नक यह भागना ताऊन से न था बनल्क ज़ल्ु म
ए ज़ानलम से। और अल्लाह अज़्ज़ा व जल्ल ननयत को जानता ह़ै व
नलहाज़ा हदीस ए अब्दरु रहमान इब्न ए औफ़ रनद अल्लाहु तआला
अन्हु में इरशाद हुआ:

22
वबा से फ़रार
‫اذا وقع بارض و انتم بھا فلا تخرجوا فرارا منه ۔‬
और हदीस ए उसामा इब्न ए ज़़ैद रनद अल्लाहु तआला अन्हुमा
ररवायत ताम्मा शेख़ैन में इसके नमस्ल और ररवायत ए मनु स्लम में याँ़ू
आई,
‫فلا تخرجوا فرارا منه ۔‬
ला जरम शरह ए सहीह मनु स्लम में ह़ै,
‫اتفقوا علی جواز الخروج بشغل و غرض غیر الفرار و‬
‫دلیله صریح الاحادیث ۔‬
इसी तरह हदीका नदीया में नकल फ़रमाया और मक ु रा र रखा। और
जब मतु मह ए नज़र नफ़रार अननत ताऊन ने यह नक अननल बलद तो
यह बहस नक फ़ना ए शहर भी नमस्ल जमु आ ु ह इस हुक्म में दानखल ह़ै
या नमस्ल सफ़र ए खाररज, महज़ ताऊन से भागने के नलए जो नकल
व हरकत हो सब ज़ेर ए नही ह़ै अगरचे मज़ु ाफ़ात खवाह फ़ना खवाह
शहर की शहर में।
िानबयन :
नज़र नकनजए तो खदु यही हदीस फ़यमकुसु फ़ी बलनदनह महु ल्लात
ए शहर ही में तजवीज़ ए नफ़रार से सरीह इबा फ़रमा रही ह़ै, इसमें फ़कत
इतना ही न फ़रमाया नक शहर में रहे बनल्क साफ़ इरशाद हुआ,
‫یمکث فی بلدہ صابرا محتسبا یعلم انه لا یصیبه الا ما‬
23
वबा से फ़रार
‫کتب اللہ له ۔‬
तीन वस्फ़ों क़े साथ
अपने शहर में तीन वस्फ़़ों के साथ ठहरे ।
अव्वल : सब्र व इसनतकलाल।
दुवम : तसलीम व तफ़वीज़ व रज़ा नबलकज़ा पर तलब ए सवाब।
सुवम : यह सच्चा ऐनतकाद नक बे तकदीर ए इलाही कोई बला नहीं
पहुचां सकती। अब उसके हाल को अदां ाज़ा कीनजए नजसके शहर के
एक नकनारे में ताऊन वाके अ हो और वह उसके खौफ़ से घर छोडकर
दस़ू रे नकनारे को भाग गया, क्या उसे सानबत कदम व सानबर व
मस्ु तनकल व राज़ी नबलकज़ा कहा जाएगा। वह ऐसा होता तो क्य़ों
भागता शहर में उसका कयाम सब्र व रज़ा के नलए नहीं बनल्क इसनलए
नक यह नकनारा ए शहर हुनज़़ू महफ़़ूज़ ह़ै, कल अगर यहााँ भी ताऊन
आया तो उसे यहााँ से भी भागते देख लेना, अगर अब ब़ैरून ए शहर
जाकर पडा और वहााँ भी वबा पहुचां ी तो मज़ु ाफ़ात को भी छोडकर
दस़ू री ही बस्ती में दम लेगा निर सानबरन महु तनसबन कहााँ सानदक
आया।
खानमसन : सनय्यद ए आलम सल्लल्लाहु तआला अल़ैनह वसल्लम
ने नफ़रार अननत ताऊन को नजसका ममु ानसल फ़रमाया यानी नजहाद
से भागना उसी के मल ु ाहज़ा से मालम़ू हो सकता ह़ै नक शहर छोडकर
दस़ू रे शहर को चले जाने ही पर नफ़रार महसऱू नहीं। क्या अगर इमाम ए
24
‫‪वबा से फ़रार‬‬
‫‪मसु लमान ब़ैरून ए शहर नजहाद कर रहा हो और कुछ लोग मक‬‬ ‫‪ु ाबला‬‬
‫‪से भाग कर अपने घऱों में जा ब़ैठें तो नफ़रार न होगा। ज़रूर होगा बनल्क‬‬
‫े‪घऱों में जा ब़ैठना दरनकनार अगर मा'ररका से भाग कर उसी म़ैदान क‬‬
‫‪नकसी पहाड या गार में जा छुपे ज़रुर आर ए नफ़रार नकद ए वकत होगी‬‬
‫‪नक म़ैदान कारज़ार तो हर तरह छोडा और मक‬‬ ‫ुं‪ु ाबला ए कुफ़्जफ़ार से महा‬‬
‫‪मोडा। नस ए कुरआनी इस पर दलील ए सरीह ह़ै।‬‬
‫ْ َ‬ ‫َ َ ْ‬ ‫َ َ‬
‫قال اللہ َعزوجل َ ِان ال َ ِذیْ َن توَلوْا ِمنک ْم یَوْ َم ال َتقی‬
‫َ‬ ‫َ‬
‫عض َما ک َسبوْا َو لَقد‬ ‫استَ َزلھم الش ْی ّٰطن ِب َ‬
‫ب‬ ‫الْ َج ْم ّٰعن ِان َما ْ‬
‫ِ‬ ‫َ َ ِّٰ َ ْ ْ َ ّٰ َ َ‬
‫ٌ‬ ‫ْ‬ ‫َ‬ ‫ٌ‬ ‫ْ‬
‫عفا اللہ عنھم ِان اللہ غ ّٰفور ح ِلیم ـــ و قال جل من‬
‫َ ْ‬ ‫َْ‬ ‫َ َ ْ‬
‫قائل َو لَقد َعفا َعنک ْم َو اللہ ذ ْو فضل َعلی الم ْؤ ِم ِنیْ َن ـــ‬
‫َ َ َ‬ ‫َْ‬ ‫ْ‬
‫ِاذ تص ِعد ْو َن َو لَا تل ٗو َن َعلّٰی ا َحد و الرسوْل یَدعوْک ْم ف ِ ْی‬
‫َ َ‬ ‫ّٰ َ َ َ‬
‫خرىک ْم فاثابَک ْم غ ًما ِبغ ِم الآیة ـ‬ ‫ا‬
‫‪मआनलम में ह़ै,‬‬
‫قرا ابو عبد الرحمن السلمی و قتادۃ تصعدون بفتح‬
‫التاء و العین و القراءۃ المعروفة بضم التاء و کسر العین‬
‫و الاصعاد السیر فی الارض و الصعود الارتفاع علی‬
‫الجبال و السطوح و کلتا القراءتین صواب فقد کان‬
‫یومئذ من المنھزمین مصعد و صاعد اہ باختصار ۔‬
‫‪सानदसन : नजन नहकमत़ों की नबना पर हकीम करीम रऊफ़ रहीम‬‬
‫‪25‬‬
वबा से फ़रार
अल़ैनह व अला आनलनहस सलातो वत तसलीम ने ताऊन से नफ़रार
हराम फ़रमाया उनमें एक नहकमत यह ह़ै नक अगर तांदरुु स्त भाग जाएांगे
बीमार ज़ाए रह जाएांगे, उनका कोई तीमारदार होगा न खबरगीराां निर
जो मरें गे उनकी तजहीज़ व तकफ़ीन कौन करे गा नजस तरह खदु
आजकल हमारे शहर और नगदा व नवाह के हुनद़ू में मशहूर हो रहा ह़ै
नक औलाद को मााँ बाप, मााँ बाप को औलाद ने छोडकर अपना रस्ता
नलया, बड़ों-बड़ों की लाशें मज़दऱू ़ों ने ठे ले पर डालकर जहन्नम
पहुचां ाई,ां अगर शरअ मतु नहर मसु लमाऩों को भी भागने का हुक्म देती
तो मआज़ अल्लाह यही बेबसी, बेकसी उनके मरीज़़ों, मय्यत़ों को भी
घेरती नजसे शरअ कतअ ् न हराम फ़रमाती ह़ै। इरशादसु सारी शरह ए
सहीह बख ु ारी में ह़ै:
‫(لا تخرجوا فرارا منه) فانه فرار من القدر و لئلا‬
‫تضیع المرضی لعدم من یتعھدھم و الموتی لعدم من‬
‫یجھز ۔‬
इसी तरह ज़रकानी शरह ए अली मअ ु त्ता में ह़ै, ऐनी शरह ए बख
ु ारी
में भी इसे नकल करके मक ु रा र रखा। ज़ानहर यह ह़ै नक इल्लत नजस तरह
ग़ैर शहर को भाग जाने में ह़ै याँह़ू ी ब़ैरून ए शहर जा पडने बनल्क महु ल्ला
ए मरीज़ान छोडकर महु ल्ला ए सहीहान में जा बसने में भी, तो हक यह
ह़ै नक ब ननयत ए नफ़रार मुतलकन नकल व हरकत हराम ह़ै नीज़ यह
इल्लत मऩू जब ह़ै नक न नसफ़ा ताऊन बनल्क हर वबा का यही हुक्म ह़ै।
26
‫‪वबा से फ़रार‬‬
‫‪व नलहाज़ा शेख ए महु नककक रहमहु उल्लानह तआला ने अनशअतुल‬‬
‫‪लमआ‬‬‫‪् त शरह ए नमश्कात में फ़रमाया,‬‬
‫اہچن در ااحدثی ذموکر دشہ و رب رگنتخی ازاں و ریبون رنتف از‬
‫رہشے ہک واعق دشہ ادش دراں یہن رکدہ و ودیع ومندہ و تشبیہہ‬
‫رفباراززفحدادہربربصرباںاہشبدتمکحرکدہرمادوابوومت‬
‫اعمورمضاعمتسووصخمص ابہچناابطنییعتومندہادنتسین‬
‫و ذہلا در ااحدثی ہب ظفل واب و ومت اعم ذموکر دشہ و ارگہچ ظفلب‬
‫اطوعنزینواعقدشہاامرماد ینعموابتسوطلغرکدہہکاطوعنرا‬
‫رب حلطصم اابطء لمح رکدہ و در ریغ آں رفار ابمح داہتش و ارگ رفاض رب‬
‫ںیمہ ینعم ومحمل ابدش رفدے از واب وخادہ وبد ہن وصخمص آبں و‬
‫اںیاقلئآںااحدثیراہکدروےظفلوابوومتاعمواعقدشہ‬
‫ہچوخادہتفگنسأل اللہ العافیة ـ‬
‫‪फायदा :‬‬
‫‪इमाम अहमद मसु नद और इब्न ए साद तबकात में अब़ू असीब‬‬
‫‪रनद अल्लाहु तआला अन्हु से ब सनद ए सहीह ररवायत करते हैं, रसल‬‬ ‫ू़‬
‫‪उल्लाह सल्लल्लाहु तआला अल़ैनह वसल्लम फ़रमाते हैं,‬‬
‫اتانی جبرئیل بالحمی و الطاعون فامسکت الحمی‬
‫بالمدینة و ارسلت الطاعون الی الشام فالطاعون‬
‫‪27‬‬
वबा से फ़रार
‫شھادۃ لامتی و رحمة لھم و رجس علی الکافرین ۔‬
मेरे पास नजबरील अमीन अल़ैनहस सलातो वत तसलीम बख ु ार
और ताऊन लेकर हानज़र हुए, मैंने बख ु ार मदीना त़ैय्यबा में रहने नदया
और ताऊन मल्ु क ए शाम को भेज नदया तो ताऊन मेरी उम्मत के नलए
शहादत व रहमत और कानफ़ऱों पर अज़ाब व ननकमत ह़ै। नसिीक ए
अकबर रनद अल्लाहु तआला अन्हु को मालम़ू था नक ताऊन को
मल्ु क ए शाम का हुक्म हुआ ह़ै और नबलाद ए शाम फ़तह करने थे
नलहाज़ा नसिीक ए अकबर रनद अल्लाहु तआला अन्हु जो लश्कर
मल्ु क ए शाम को रवाना फ़रमाते उससे दोऩों बात़ों पर यकसााँ ब़ैअत व
अहद व प़ैमान लेते, एक यह नक दश्ु मन के नेज़ो से न भागना, दस़ू रे यह
नक ताऊन से न भागना।
इमाम मसु िद उस्ताज़ इमाम बख ु ारी व मनु स्लम अपनी मसु नद में अबसु
सफ़र से ररवायत करते हैं,
‫قال کان ابو بکر رضی اللہ تعالی عنه اذا بعث الی الشام‬
‫بایعھم علی الطعن و الطاعون ۔‬
यहााँ से खब़ू सानबत व ज़ानहर हुआ नक मसु लमान को नफ़रार
अननत ताऊन की तरगीब देने वाला उनका ख़ैर खवाह नहीं बद खवाह
ह़ै और तबीब़ों डाक्टऱों का इसमें सब्र व इसनतकलाल से मना करना
ख़ैर व सलाह के नखलाफ़ बानतल राह ह़ै। अल्लाह अज़्ज़ा व जल्ल ने
28
वबा से फ़रार
रसल़ू उल्लाह सल्लल्लाहु तआला अल़ैनह वसल्लम को सारे जहााँ के
नलए रहमत बनाकर भेजा और मसु लमाऩों पर नबत ततसीस रऊफ़
रहीम बनाया और नसिीक ए अकबर रनद अल्लाहु तआला अन्हु के
नलए,
‫ارحم امتی بامتی ابو بکر ـ‬
हदीस में आया यानी जो राफ़्जत व रहमत मेरी उम्मत के हाल पर
अब़ू बक्र को ह़ै उतनी तमाम उम्मत में नकसी को नहीं। अगर ताऊन से
भागने में भलाई और ठहरने में बरु ाई होती तो रसल ़ू उल्लाह
सल्लल्लाहु तआला अल़ैनह वसल्लम नक अपनी उम्मत पर मााँ बाप
से ज़्यादा मेहरबान हैं क्य़ों ठहरने की तरगीब देते और भागने से इस
कदर ताकीद ए शदीद के साथ मना फ़रमाते और नसिीक ए अकबर
रनद अल्लाहु तआला अन्हु नक तमाम उम्मत में सबसे बढ़कर ख़ैर
खवाह ए उम्मत हैं क्य़ों उससे न भागने का अहद व प़ैमान लेते। मालम़ू
हुआ नक ताऊन से भागने की तरगीब देने वाले ही हकीकतन उम्मत
के बद खवाह और उल्टी मत समझाने वाले हैं।
‫و العیاذ باللہ تعالی ـ‬
ज़ैसे कोई बद अकल, बे तमीज़, कज फ़हम औरत पढ़ने की
मेहनत, उस्ताज़ की नशित देखकर अपने बच्चे को मकतब से भाग
आने की तरगीब दे, वह अपने खयाल ए बानतल में इसे महब्बत
समझती ह़ै हालाांनक सरीह दश्ु मनी ह़ै,
29
वबा से फ़रार
‫خ‬
‫ع دویتس برداںدینمشتسـ‬
बदनसीब वह बच्चा नक उसके कहने में आ जाए और मेहरबान
बाप की ताकीद व तहदीद खयाल में न लाए बनल्क इसां ाफ़न यह हालत
इस नमसाल से भी बदतर ह़ै मकतब में पढ़ने की मेहनत सभी पर होती
ह़ै और नशित भी गानलब व अक्सरी ह़ै और जहााँ ताऊन ि़ूटे वहााँ सब
या अक्सर का मब्ु तला होना कुछ ज़रुर नहीं बनल्क नब इनज़्ननह तआला
महफ़़ूज़ ही रहने वाल़ों का शमु ार ज़ाइद होता ह़ै व नलहाज़ा आग और
ज़लज़ले पर उसका कयास बानतल,
ْ َْ َ ْ ْ َْ ْ ْ ََ
‫و لا تلقوا ِبای ِدیکم ِالی التھلک ِة ـ‬
के नीचे समझना महज़ वसवसा ह़ै नक उनमें हलाक गानलब ह़ै ज़ैसा
नक कलाम हज़रत ए शेख ए महु नककक कुनिसा नसरुाहु से गज़ु रा और
सच्चा हलाक तो यह ह़ै नक मस्ु तफ़ा सल्लल्लाहु तआला अल़ैनह
वसल्लम के इरशाद ए अकदस को नक ऐन रहमत व ख़ैर खवाही ए
उम्मत ह़ै मआज़ अल्लाह मज़ु रा त रसाां खयाल नकया जाए और उसके
मक ु ानबल तबीब़ों और डाक्टऱों की बात को अपनी नलए नाफ़े समझा
जाए।
‫ع ںیببہکازہکربدییوابہکویپیتس‬
‫و لا حول و لا قوۃ الا باللہ العلی العظیم‬
व नलहाज़ा सलफ़ सालेह का दाब यही रहा नक ताऊन में सब्र व
30
वबा से फ़रार
इसनतकलाल से काम लेते। इमाम अब़ू उमर अब्दल ु बर फ़रमाते हैं,
‫لم یبلغنی عن احد من حملة العلم انه فر منه الا ما‬
‫ذکر المداینی ان علی بن زید بن جدعان ھرب منه الی‬
‫السیالة فکان یجمع کل جمعة و یرجع اذا جمع صاحوا‬
‫به فر من الطاعون فطعن فمات بالسیالة ـ‬
यानी मझु े नकसी की ननस्बत यह ररवायत न पहुचां ी नक वह ताऊन
से भागा हो मगर वह जो मदाइनी ने नज़क्र नकया नक अली इब्न ए ज़़ैद
जदआन ताऊन में शहर से भाग कर नसयाला को चले गए थे, हर
जमु आु ह को शहर में आकर नमाज़ पढ़ते और पलट जाते, जब पलटते
लोग शोर मचाते ताऊन से भागा ह़ै और आनखर नसयाला में ताऊन ही
में मब्ु तला होकर मरे । यह अली इब्न ए ज़़ैद कुछ ऐसे मस्ु तनद उलमा
से न थे। इमाम सफ़ ु यान इब्न ए उय़ैनह व इमाम हम्माद इब्न ए ज़़ैद व
इमाम अहमद इब्न ए हम्बल व इमाम याहया इब्न ए मईु न व इमाम
बख ु ारी व इमाम अब़ू हानतम व इमाम इब्न ए खज़ु ़ैमा व इमाम अजली
व इमाम दार कुतनी वग़ैरहुम आम्मा अइम्मा ए जरह व तादील ने उनकी
तज़ईफ़ की। और मज़हब के भी कुछ ठीक न थे, इजली ने कहा नशया
था बनल्क इमाम यज़ीद इब्न ए ज़रीअ से मरवी हुआ राफ़्जज़ी था। निर
उसका यह फ़े ल ज़माना ए सलामत ए अकल व सेहत ए हवास का भी
न था, आनखर में अकल सहीह न रही थी, इमाम शअ ु बा इब्नलु हज्जाज
ने फ़रमाया:
31
वबा से फ़रार
‫حدثنا علی قبل ان یختلط‬
कुस्वा ने कहा,
‫اختلط فی کبرہ‬
निर हर जमु आ ु ह को नमाज़ के नलए शहर यानी बसरा में आना
और नमाज़ पढ़कर पलट जाना दलील ए वाज़ेह ह़ै नक नसयाला कोई
ऐसी करीब जगह बसरा से थी। अली इब्न ए ज़़ैद का इनां तकाल 131
नहजरी में ह़ै, वह ज़माना ताबाईन का था तो सानबत हुआ नक मज़ु ाफ़ात
ए शहर में चला जाना भी इसी नफ़रार ए हराम में दानखल ह़ै नजस पर
यह शतस तमाम शहर में मतऊन व अांगुश्त नमु ा हुआ, हर जमु आ ु ह
को उसके पलटते वकत अहले शहर में नक ताबाईन व तबअ ए ताबाईन
ही थे, गल
ु पड जाता नक वह ताऊन से भागा।
‫و العیاذ باللہ تعالی‬
तन्बीह नबीह :
नजस तरह ताऊन से भागना हराम ह़ै और उसके नलए वहााँ जाना
भी नाजाइज़ व गनु ाह ह़ै, अहादीस ए सरीहा में दोऩों से ममु ानअत
फ़रमाई, पहले में तकदीर ए इलाही से भागना ह़ै तो दस़ू रे में बला ए
इलाही से मक ु ाबला करना ह़ै और इसके नलए इज़हार ए तवक्कुल का
उज़्र महज़ सफ़ाहत। तवक्कुल मआ ु ररज़ा ए असबाब का नाम नहीं,
इमाम अजल्ल इब्न ए दकीकुल ईद रहमहु उल्लानह तआला फ़रमाते
हैं:
32
वबा से फ़रार
‫الاقدام علیه تعرض للبلاء و لعله لا یصبر علیه و‬
‫ربما کان فیه ضرب من الدعوی لمقام الصبر او التوکل‬
‫فمنع ذلك لاغترار النفس و دعوھا ما لا تثبت علیه‬
‫عند التحقیق ۔‬
इस कदर की ममु ानअत में हरनगज़ गांजु ाइश ए सख ु न नहीं, अब रहा
यह नक जब ताऊन से भागने या उसके मक ु ाबले की ननयत न हो तो
शहर ए ताऊनी से ननकलना या दस़ू री जगह से उसमें जाना फ़ी ननफ़्जसही
क़ै सा ह़ै। इसमें हमारे उलमा की तहकीक यह ह़ै बजाए खदु हराम नहीं
मगर नज़ररया ए पेश बीनी यहाां दो सऱू तें हैं, एक यह नक इसां ान
कानमलल ु ईमान ह़ै,
َ ّٰ َ َ َ َ َ ْ َ
‫َکت َب اللہ لنا ـ‬ ِ ‫ل ْن ی‬
‫یصیبنٓا ِالا ما‬
की बशाशत व नऱू ाननयत उसके नदल के अांदर सरायत नकए हुए ह़ै
अगर ताऊनी शहर में नकसी काम को जाए और मब्ु तला हो जाए तो
उसे यह पशेमानी आररज़ न होगी नक नाहक आया नक बला ने ले
नलया या नकसी काम को बाहर जाए तो यह खयाल न करे गा नक खब़ू
हुआ नक उस बला से ननकल आया, खल ु ासा यह नक उसका आना
जाना नबल्कुल ऐसा हो ज़ैसा ताऊन न होने के ज़माना में होता ह़ै तो
उसे खानलस इजाज़त ह़ै अपने काम़ों को आए जाए जो चाहे करे नक
न नफ़लहाल ननयत ए फ़ानसदा ह़ै न आइदां ा फ़साद ए नफ़क्र का अांदश
े ा
33
वबा से फ़रार
ह़ै और जो ऐसा न हो उसे मकरूह ह़ै नक अगरचे नफ़लहाल ननयत ए
फ़ानसदा नहीं नक हुक्म ए हुरमत हो मगर आइदां ा फ़साद प़ैदा होने का
अांदशे ा ह़ै नलहाज़ा कराहत ह़ै। वह हदीसें नजनमें खदु शहर ए ताऊनी
से ननकलने और उसमें जाने की ममु ानअत मरवी हुई ज़ैसे एक ररवायत
हदीस ए उसामा रनद अल्लाहु तआला अन्हु के अलफ़ाज़,
‫اذا سمعتم بالطاعون بارض فلا تدخلوھا و اذا وقع‬
‫بارض و انتم بھا فلا تخرجوا منھا رواہ الشیخان ۔‬
या एक ररवायत हदीस ए अब्दरु रहमान इब्न ए औफ़ रनद अल्लाहु
तआला अन्हु के लफ़्जज़,
‫فاذا سمعتم به فی ارض فلا تدخلوھا رواہ الطبرانی فی‬
‫الکبیر ۔‬
या हदीस ए इकरमा इब्न ए खानलद मखज़म़ू ी अन अनबनह व
अनम्मनह अन जनिनह रनद अल्लाहु तआला अन्हु,
‫اذا وقع الطاعون فی ارض و انتم بھا فلا تخرجوا منھا و‬
‫ان کنتم بغیرھا فلا تقدموا علیھا رواہ احمد و‬
‫الطحاوی و الطبرانی و البغوی و ابن قانع ۔‬
यह अगर अपने इतलाक पर रखी जाएां यानी ननयत ए नफ़रार व
मक ु ाबला से मक ु ़ै य्यद न की जाएां,
‫بناء علی ما حقق الامام ابن الھمام ان المطلق لا‬
34
‫‪वबा से फ़रार‬‬
‫یحمل علی المقید و ان اتحد الحکم و الحادثة ما لم‬
‫تدع الیه ضرورۃ کما فی الفتح ۔‬
‫‪तो उनका महल यही सऱू त ए कराहत ह़ै जो अभी मज़क़ूर हुई और‬‬
‫‪इतलाक इस नबना पर नक अक्सर लोग इसी नकस्म के होते हैं और‬‬
‫‪अहकाम की नबना कसीर व गानलब पर ह़ै। दरु े मतु तार में ह़ै,‬‬
‫اذا خرج من بلدۃ بھا الطاعون فان علم ان کل شیئ‬
‫بقدر اللہ تعالی فلا بأس بان یخرج و یدخل و ان کان‬
‫عندہ انه لو خرج نجا و لو دخل ابتلی به کرہ له ذلك فلا‬
‫یدخل و لا یخرج صیانة لاعتقادہ و علیه حمل النھی‬
‫فی الحدیث الشریف مجمع الفتاوی اہ ۔‬
‫‪इसी तरह फ़तावा ज़हीरीया में ह़ै,‬‬
‫و تمام تحقیقه فی ما علقناہ علی رد المحتار و اللہ‬
‫تعالی اعلم ۔‬

‫تمت بالخیر‬

‫‪35‬‬
वबा से फ़रार
नहिंदी में हमािी द़ूसिी नकताबें
(1) बहारे तह़रीर - अ़ब्दे मस्ु तफ़ा ऑनफ़नशयल (अब तक चौदह नहस्से)
(2) अल्लाह त'आला को ऊपरवाला या अल्लाह नमयााँ कहना क़ै सा? - अ़ब्दे मस्ु तफ़ा
(3) अज़ाने नबलाल और स़ूरज का ननकलना - अ़ब्दे मस्ु तफ़ा
(4) इश्के े़ मजाजी (म
े़ तांु खब मज़ामीन का मजमआ ु ) - अ़ब्दे मस्ु तफ़ा ऑनफ़नशयल
(5) गाना बजाना बदां करो, तमु मसु लमान हो! - अ़ब्दे मस्ु तफ़ा
(6) शबे मेराज गौसे पाक - अ़ब्दे मस्ु तफ़ा
(7) शबे मेराज नाल़ैन अशा पर - अ़ब्दे मुस्तफ़ा
(8) हज़रते उव़ैस करनी का एक वानकया - अ़ब्दे मस्ु तफ़ा
(9) डॉक्टर तानहर और वकारे नमल्लत - अ़ब्दे मस्ु तफ़ा
(10) ग़ैरे सहाबा में रनदअल्लाहु त'आला अन्हु का इनस्तमाल - अ़ब्दे मस्ु तफ़ा
(11) चांद वानकयाते कबाला का तहकीकी जाइज़ा - अ़ब्दे मस्ु तफ़ा ऑनफ़नशयल
(12) नबन्ते हव्वा (एक सांजीदा तहरीर) - कनीज़े अततर
(13) सेक्स नॉलेज (इस्लाम में सोहबत के आदाब) - अ़ब्दे मस्ु तफ़ा
(14) हज़रते अय्य़ूब अल़ैनहस्सलाम के वानकए पर तहकीके़ - अ़ब्दे मस्ु तफ़ा
(15) औरत का जनाजा -े़ जनाबे गज़ल सानहबा
(16) एक आनशक की कहानी अल्लामा इब्ने जौज़ी की जबु ानी - अ़ब्दे मस्ु तफ़ा
(17) आईये नमाज़ सीखें (पाटा 1) - अ़ब्दे मस्ु तफ़ा
(18) नकयामत के नदन लोग़ों को नकस के नाम के साथ पुकारा जाएगा? - अ़ब्दे मस्ु तफ़ा
(19) नशका क्या ह़ै? - अल्लामा मुह़म्मद अहमद नमस्बाही
(20) इस्लामी तअ़लीम (नहस़्सा अव्वल) - अल्लामा मुफ़्जती जलालुिीन अहमद अ़मजदी
(21) महु रा म में ननकाह - अ़ब्दे मस्ु तफ़ा
(22) ररवायत़ों की तहकीके़ (पहला नहस्सा) - अ़ब्दे मस्ु तफ़ा
(23) ररवायत़ों की तहकीके़ (दस़ू रा नहस्सा) - अ़ब्दे मस्ु तफ़ा
(24) ब्रेक अप के बाद क्या करें ? - अ़ब्दे मस्ु तफ़ा
(25) एक ननकाह ऐसा भी - अ़ब्दे मस्ु तफ़ा
36
वबा से फ़रार
(26) कानफ़र से स़ूद - अ़ब्दे मस्ु तफ़ा
(27) मैं खान त़ू अांसारी - अ़ब्दे मुस्तफ़ा
(28) ररवायत़ों की तहकीके़ (तीसरा नहस्सा) - अ़ब्दे मस्ु तफ़ा
(29) जुमााना - अ़ब्दे मस्ु तफ़ा
(30) ला इलाहा इल्लल्लाह, नचश्ती रस़ूलुल्लाह? - अ़ब्दे मस्ु तफ़ा
(31) ह़ैज़, ननफ़ास और इनस्तहाज़ा का बयान बहारे शरीअत से - अल्लामा मफ़्जु ती अमजद अली आज़मी
(32) रमज़ान और कज़ा -ए- उमरी की नमाज़ - अ़ब्दे मस्ु तफ़ा
(33) 40 अहादीसे शफ़ाअत - आला हज़रत, इमाम अहमद रज़ा खान बरे लवी
(34) बीमारी का उड कर लगना - आला हज़रत, इमाम अहमद रज़ा खान बरे लवी
(35) ज़न और यकीन - आला हज़रत, इमाम अहमद रज़ा बरे लवी
(36) ज़मीन सानकन ह़ै - आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खान बरे लवी
(37) अब़ू तानलब पर तहकीक - आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खान बरे लवी
(38) कुरबानी का बयान बहारे शरीअत से - अल्लामा मफ़्जु ती अमजद अली आज़मी
(39) इस्लामी तालीम (पाटा 2) - अल्लामा मुफ़्जती जलालुिीन अहमद अमजदी
(40) सफ़ीना -ए- बनतशश - ताजुश्शररया, अल्लामा मफ़्जु ती अततर रज़ा खान
(41) मैं नहीं जानता - मौलाना हसन ऩूरी ग़ोंडवी
(42) जांगे बद्र के हालात इनततसार के साथ - मौलाना अब़ू मसरूर असलम रज़ा नमस्बाही कनटहारी
(43) तह़कीकेे़ इमामत - आला हज़रत, इमाम अहमद रज़ा खान बरे लवी
(44) सफ़रनामा नबलादे खमसा - अब्दे मस्ु तफ़ा
(45) मसां ऱू हल्लाज - अब्दे मस्ु तफ़ा
(46) फ़ज़़ी कब्रें - अब्दे मस्ु तफ़ा
(47) इमाम अब़ू य़ूसुि का नदिा - इमामे अहले सुन्नत, आ़ला हज़रत रहीमहुल्लाहु त'आला
(48) इमाम कुऱै शी होगा - इमामे अहले सुन्नत, आ़ला हज़रत रहीमहुल्लाहु त'आला
(49) नहन्दस्ु तान दारुल ह़रब या दरुल इस्लाम? - अ़ब्दे मस्ु तफ़ा

37
DONATE
ABDE MUSTAFA OFFICIAL
SCAN HERE

9102520764
or open this link amo.news/donate

Abde Mustafa Official is a team from Ahle Sunnat Wa Jama'at working since 2014 on the
Aim to propagate Quraan and Sunnah through electronic and print media. We're
working in various departments.
(1) Blogging : We have a collection of Islamic articles on various topics. You can read
hundreds of articles in multiple languages on our blog.
blog.abdemustafa.in
(2) Sabiya Virtual Publication
This is our core department. We are publishing Islamic books in multiple languages.
Have a look on our library books.abdemustafa.in
(3) E Nikah Matrimonial Service
E Nikah Service is a Matrimonial Platform for Ahle Sunnat Wa Jama'at. If you're
searching for a Sunni life partner then E Nikah is a right platform for you.
www.enikah.in
(4) E Nikah Again Service
E Nikah Again Service is a movement to promote more than one marriage means a man
can marry four women at once, By E Nikah Again Service, we want to promote this
culture in our Muslim society.
(5) Roman Books
Roman Books is our department for publishing Islamic literature in Roman Urdu Script
which is very common on Social Media.
read more about us on www.abdemustafa.in
For futher inquiry: info@abdemustafa.in
BOOKS

graphics

You might also like