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नाम
िफ़तना गौहर शाही
अज़ क़लम
दे मु तफ़ा मु मद सािबर क़ादरी
ना शर
फ़ेहरिस्त
नाफशर की तरफ से कुछ अहम बातें ......................................... 3
मक़
ु द्दमा ............................................................................. 5
फकताब "दीने इलाही" का जाइजा ........................................... 6
तफससरा: .............................................................................. 6
क़ुर'आन की आयत से इस्तेदलाल............................................. 7
गौहर शाही हर मजहब में....................................................... 7
फ़िज़्र या फिष्णु महाराज? ...................................................... 8
हजरते आदम या शक ं र? ..................................................... 10
मंसरू हल्लाज से तशबीह..................................................... 12
गौहर शाही नमाज नहीं पढ़ता था। ......................................... 17
गौहर शाही के बचपन के हालात........................................... 18
चांद सरू ज पर गौहर शाही की तस्िीर ..................................... 20
नासा की ली गई तस्िीरें ...................................................... 21
हजरे असिद और मंफदर में तस्िीर ......................................... 22
महदी यानी चांद िाला........................................................ 23
औरतों से मल ु ाक़ात ........................................................... 23
फकताब "दीने इलाही" का ़िल ु ासा ........................................ 24
ररसाला "रोशनास" का जाइजा ............................................. 25
"तोहफतल ु मजाफलस" का जायजा ........................................ 28
1
फ़ितना गौहर शाही
फकताब "मीनारा-ए-नरू " का जाइजा ....................................... 29
ररसाला "इसरारे हक़ीक़त" का जाइजा.................................... 30
ररसाला "नमाजे हक़ीक़त" का जाइजा .................................... 31
ररसाला "रुहानी स़िर का जाइजा" ........................................ 31
ररसाला "रोजे का मक़सद" का जाइजा ................................... 34
फकताब "फतरयाक़े क़ल्ब" का जाइजा ..................................... 35
गौहर शाही के रद्द पर फकताबें ............................................... 36
(1) गौहर शाही की गौहर अ़िशाफनयां ..................................... 36
(2) चार फ़ितने ................................................................... 36
(3) दौरे जदीद का मसु ैलमा कज़्जाब "गौहर शाही" ..................... 36
(4) फ़ितना -ए- गौहरया ........................................................ 37
(5) गौहर शाही के अक़ाइद-ओ-नजररयात ................................ 37
खल ु ासा और खाफतमा ........................................................ 37
हमारी फकताबें फहदं ी में........................................................... 39
2
फ़ितना गौहर शाही
4
फ़ितना गौहर शाही
मुक़द्दमा
दौरे हाफजर को "दौरे परु फफतन" कहा जाता है क्योंफक इस दौर में फफतने
ही फफतने हैं, ये फफतने इस दौर के साथ ़िास नहीं बल्के तारी़ि उठा कर
देखें तो बे शमु ार फफतनों ने सर उठाए मगर अहले हक़ हमेशा से ग़ाफलब
रहे हैं और रहेंगे।
हक़ और बाफतल की ये जंग सफदयों से जारी है और हक़ की शान ये है
के थोडी देर के फलए ब'जाफहर हारता हुआ नजर आए तो भी असल में
फतेह इसी की होती है, इसे न कोई फमटा सका है और न फमटा सके गा।
इन फफतनों के बारे में अल्लाह के नबी َص ََّل ُہللا َت َع یاٰل َعلَ ْی ِہ َو یالِہٖ َو َسلََ َمने सफदयों
पहले बता फदया था और इतनी त़िसील से बयान फरमाया के "फकताबल ु
फफतन" एक मस्ु तफक़ल फकताब (चैप्टर) है जो कुतबु े हदीस में देखने को
फमलता है, इसके इलािा फफतनों पर कई फकताबें भी फलखी गई हैं फजन में
फक़यामत तक और फबल खसु सू क़ुबे फक़यामय के फफतनों का त़िसीली
बयान मौजदू है। इन्हीं फफतनों में से एक "गौहर शाही" है फजसने कई
मसु लमानों को गमु राह फकया है, इनके अक़ाइद का दीने इस्लाम से दरू दरू
तक का कोई ताल्लक़ ु नहीं है, इन्होंने क़ुरआनो सन्ु नत की बाफतल
तशरीहात और तािीलात बयान की हैं और ये नये नये अक़ीदे ईजाद फकए
हैं इस ररसाले में इनके बाफतल अक़ाइद का बयान है, उम्मते मफु स्लमा को
गमु राह करने िाले ऐसे लोगों का रद्द करना बहुत जरूरी है ताफक इनकी
हक़ीक़त सब पर िाजेह हो, ये काम उल्मा ए अहले सन्ु नत बखबू ी कर रहे
हैं और उन्हीं का फै जान है के ़िक़ीर अपना फहस्सा भी इसमें शाफमल कर
रहा है, दआ ु है के अल्लाह त'आ़ला इसे क़बल ू फरमाए।
अ़लदे मुस्तफा
मह़ु म्मद साफबर क़ादरी
5
फ़ितना गौहर शाही
(4) अल्लाह के बाएं जाफनब (left side) फजन्नात की रूहें थीं, फफर
पीछे फसफली मअु फक्कलात फफर खबीसों की रूहें जो दफु नया में आकर
इबलीस की इमदादी हुई। (स.8)
(6) अल्लाह की मफु हसब रूहें इस दफु नया में आई,ं कोई ग़ैर मफु स्लम के
घर, कोई फहदं ू के घर, कोई फसखों के और कोई ईसाइयों के घरों में पैदा हो
गई और
ं अपने मजहब के जररए अल्लाह को पाने की कोफशश करने लगीं।
(स.10)
10
फ़ितना गौहर शाही
तफससरा: ये इबारत भी इस बात पर दलील है के इनका अक़ीदा "फमला
जलु ा" है और ये हर मजहब से ऊपर उठकर "रहबाफनयत" को और
"अल्लाह की मोहसबत" को एक रास्ता क़रार देते हैं लेफकन जब ये िो
रास्ता है जो जहन्नम की तरफ ले जाने िाला है, ये बडे धोखे में हैं।
(8) कुछ इल्हामी फकताबों में फलखा है फक दफु नयां में 14 हजार आदम
आ चकु े हैं... इस दफु नया में िाक़ई बहुत से आदम हुऐ हैं। (स.22)
तफससरा: मसु लमानों का बच्चा बच्चा जानता और मानता है फक हजरते
आदम अ़लैफहस्सलाम दफु नया के पहले इन्सान हैं और अल्लाह के नबी हैं
इनका इल्हाम शैतानी है जो इस तरह़ की बातें इनके फदल में डालता है।
मस
ं ूर हल्लाज से तिबीह
खदु को हजरत सफययदनु ा मसं रू हल्लाज से तशबीह देते हुए फलखता है के :
ये बातें जो मैं कर रहा हं तारी़ि गिाह है के फजन्होंने भी इस इल्म को
खोला, शाह मंसरू की तरह क़त्ल कर फदए गए और आज गौहर शाही भी
12
फ़ितना गौहर शाही
इसी इ़ल्म की िजह से क़त्ल के दहाने पर खडा है। (स.29)
तफससरा: हजरते मंसरू हल्लाज का मआ़
ु मला मख़्ु तफलफ था (तफसील
के फलए हमारा ररसाला "मंसरू हल्लाज" मल ु ाफहजा फरमाएं) यहां
मआ़
ु मला उसके बर अक्स है, फजस तरह गौहर शाही ने कुर'आन सन्ु नत
की बाफतल तशरीहात बयान की है ये खल ु ी गमु राही है।
(16) अगर कोई सारी उम्र इबादत करता रहे, लेफकन आफखर में इमाम
मेहदी और हजरते ईसा की मख
ु ाफलफत कर बैठा फजन को दफु नया में दोबारा
आना है (ईसा का फजस्म समेत और मेहदी का अदी अरिाह के जररए
आना है) तो िो बलअम बाऊर की तरह मरददू है। (स.31)
(17) अगर कोई सारी उम्र कुिों जैसी फजंदगी बसर करता रहा लेफकन
आफखर में उनका साथ और उनसे महु सबत कर बैठा िो कुिे से हजरते
फक़तमीर (असहाबे कह़ि का कुिा) बनकर जन्नत में जायेगा। (स.31)
(20) मफु स्लम कहता है फक: मैं सबसे आला ह,ाँ जबफक यहदी कहता
है: मेरा मक़
ु ाम मफु स्लम से भी ऊंचा है और ईसाई कहता है: मैं इन दोनों से
बफल्क सब मजहब िालों से ऊंचा हाँ लेफकन गौहर शाही कहता है फक:
सबसे बेहतर और बल ु ंद िही है फजसके फदल में अल्लाह की महु सबत है
ख्िाह िो फकसी भी मजहब से ना हो, जबान से फजक्र-ओ-सलात उसकी
इताअत और ़िरमांबरदारी का सबु तू है जबफक कलबी फजक्र अल्लाह की
महु सबत और राबते का िसीला है। (स.33)
तबफसरा: तमाम मजाफहब फजनमें मजहब इस्लाम को भी शाफमल फकया
गया और फफर इन सबसे बेहतर एक ऐसी हालत को क़रार फदया गया फक
14
फ़ितना गौहर शाही
जहां मजहब की कोई तमीज ही नहीं है बफल्क ये तक कहा गया फक मजहब
ना हो तो भी हज़ नहीं, ये खल ु ी गमु राही है और एक नया फ़िक़ा़ बनाना है
ये बातें जाफहलों को भली और अच्छी मालमू हो सकती हैं लेफकन इस की
हक़ीक़त बहुत गंदी और ़ितरनाक है। एक फमसाल हमारे जमाने में ऐसे
लोगों की भी है जो ़िदु को फसफ़ मसु लमान कहलिाना पसदं करते हैं और
बाक़ी सब का रद्द करते हैं, उनकी बातें भी लोगों को अच्छी मालमू होती
हैं लेफकन हक़ीक़त ये है फक िो तमाम फ़िक़़ों और अहले सन्ु नत से दरू हो
कर एक नया फ़िक़ा़ बना बैठे, गौहर शाही का मआ ु मला भी यही है फक
अल्लाह और उसके रसल ू ने जहां ़िैर बताई उससे अलग हो कर ़िैर को
तलाश फकया और गमु राह हो गए।
तबफसरा : अब इतनी िजाहत के बाद इनकी गमु राही में कोई शक बाक़ी
नहीं रह जाता, ये फकतनी बडी जरु ़ त है और बेदीनी है फक फकसी ऐसे रास्ते
को नजात का रास्ता बताया जाये फक जहां कोई मजहब ही ना हो बफल्क
उसने तो मजीद आगे बढ़कर ये तक कहा फक अगरचे िो बद मजहब हो
(नऊज-ु फबल्लाह) फजस चमकते फदल को अल्लाह की नजरे रहमत के फलए
िजह बताया गया है के क्या िो फदल गंदे अक़ाइद के बाद भी चमकें गे?
क्या बतु ों की इबादत करने िालों के फदलों में भी िो चमक आएगी? क्या
हक़ और बाफतल की तमीज को फमटाने के बाद ये चमक फमलेगी? अगर
ऐसा है और यक़ीनन उनके नजदीक ऐसा ही है तो ये उन्हीं के फलए है, हम
ऐसी गमु राही को अपनाने पर अपनी जान देने को ़िौफक़यत देंगे।
(23) फहदं ू और फसख दीन, दीन ए आदम और दीन ए नहू की कडी हैं।
(स.36)
नासा की ली गई तस्वीरें
इस फकताब में ये साफबत करने की परू ी कोफशश की गई है फक चादं पर
गौहर शाही का चेहरा नजर आता है लेफकन दलाइल ऐसे बचकाना फदए हैं
फक देखकर हसं ी आना लाफजम है चांद की ऊंची नीची सतह और रंग के
़िक़़ की िजह से बग़ौर देखने पर ऐसा महससू होता है फक िो फकसी का
चेहरा है लेफकन असलन ऐसा कुछ भी नहीं है, तहक़ीक़ यही है लेफकन
गौहर शाही के मानने िालों को तहक़ीक़ से मतलब ही कहााँ है।
(28) तमाम इन्सानों की अदी अिा़ह इस दफु नया में कई बार दसू रे
फजस्मों में जन्म लेती हैं। (स.69)
(29) हुजरू َص ََّل ُہللا َت َع یاٰل َعلَ ْی ِہ َو یالِہٖ َو َسلََ َمकी अदी अरिाह को महदी
अलैफहस्सलाम के फलए रोका हुआ था, फजस तरह आप َٖص ََّل ُہللا َت َع یاٰل َعلَ ْی ِہ َو یالِہ
ََ
َو َسل َمके फजस्म के फकसी भी फहस्से यानी हाथ पाि ं को भी आमना का लाल
कह सकते हैं, इसी तरह हुजरू की समािी रूह के फकसी अलफहदा फहस्से
को भी अबदल्ु लाह का ़िज़ंद और आमना का लाल कह सकते हैं।
(स.70)
तबफसरा: यहां उसने फकस नजररया का दरिाजा खोलने की कोफशश की
22
फ़ितना गौहर शाही
है, ये अहले इल्म बेहतर समझ सकते हैं, इस की फमसालें पहले भी बयान
हो चक ु ी।
औरतों से मल
ु ाक़ात
इस फकताब में गौहर शाही के बैरूनी ममाफलक में फकए गए बयानात
की तस्िीरी भी हैं फक फजनमें बेपदा़ औरतों को सामने फबठा रखा है, इस से
भी िाजेह होता है फक उनकी पारसाई और तसव्ि़ि ु के दािे की हक़ीक़त
क्या है।
(31) अगर आप फकसी मजहब में हैं लेफकन अल्लाह की महु सबत से
महरूम हैं, इनसे बेहतर िो हैं जो फकसी मजहब में नहीं लेफकन अल्लाह
की महु सबत रखते हैं। (स़िहा78)
23
फ़ितना गौहर शाही
तबफसरा: जब बंदा बद मजहब हो या फकसी मजहब से ताल्लक़ ु ना
रखता हो तो अल्लाह की महु सबत कै से पा सकता है? अल्लाह ताला ने
ही अपने नफबयों को लोगों की फहदायत के फलए भेजा है और फकताबें अता
की फजसमें एक दीन, दीन-ए-इस्लाम पर क़ायम रहने का हुक्म ़िरमाया
और इस से ़िरूु ज करने िालों के फलए सख़्त िईदात िाररद हुई फफर इन
सबसे हट कर ये कौन सा मक़ु ाम है जहां अल्लाह की महु सबत फमल सकती
है? असल में ये शैतान की पैरिी है फजस पर इश्कक़-ए-इलाही का नाम चस्पााँ
कर फदया गया है।
(39) ऐसी नमाज अगर परू े फदन में दो रकअत भी मयु स्सर आ जाये तो
फफर भी ब़िफशश की उम्मीद है। (स़िहा17)
27
फ़ितना गौहर शाही
(40) नमाज-ए-सरू त फदन रात पढ़ता रहे तब भी रब से दरू ही है।
(स़िहा 17)
अब हम उनकी एक और फकताब "तोह़ितल ु मजाफलस" का जायजा
लेंगे।
(41) इबफतदा में फदल से दरूु द नहीं पढ़ा जा सकता (अल्लाह अल्लाह
पढ़ा जाये (स़िहा 3)
(42) हमारे उलमा नमाज पर बहुत जोर देते हैं लेफकन नमाज से ज़्यादा
सख़्त हुक्म जो है िो फजक्र है। (स़िहा 8)
(45) ये एतराज सनु कर मनु फकर नकीर के छक्के छूट गए। (स.24)
इस फकताब के शरू
ु से ही फजक्र का फजक्र फकया गया है और अब तक
जो कुछ हमने जाना इस से िाजेह है फक ये लोग फजक्र पर बहुत जोर देते हैं
हिा फक नमाज से भी ज़्यादा सख़्त हुक्म फजक्र का बताते हैं।
ये इनकी बडी अजीब पाफलसी है फक कहीं कुछ तो कहीं कुछ कहते हैं,
इतना ज़्यादा तजाद इस बात का सबतू है फक इनको ़िदु शऊर नहीं फक ये
क्या कहना चाहते हैं।
30
फ़ितना गौहर शाही
(46) इन ़िज़ रोजे से इन्सान का नफ़्स फस़ि़ सधु र सकता है, पाक नहीं
हो सकता। (स.3)
तफससरा: ़िज़ की अदायगी सबसे पहले आती है, अगर उनमें कमी हो
तो फकसी फजक्र और ऩिली इबादत से परू ी नहीं की जा सकती लेफकन ये
लोग हर ़िज़ के मक़
ु ाबले में फजक्र को लाते हैं जो फक फकसी तरह दरुस्त
नहीं है।
(47) हदीस: बदं ा निाफ़िल के जरीये मझु से क़रीब हो जाता है फफर में
इस की जबान बन जाता ह।ाँ (स.3)
तफससरा: ये मक
ु म्मल हदीस नहीं है, इस से पहले भी इस हदीस को
आधी बता कर ़ियानत की गई है, इस हदीस में पहले ़िराइज का फजक्र
34
फ़ितना गौहर शाही
है इस के बाद निाफ़िल का फलहाजा फस़ि़ निाफ़िल को क़ुब़-ए-इलाही
का जरीया बताना बाफतल है।
खुलासा और खाशतमा
जो दलाइल हमने पेश फकए उन्हें देखने के बाद गौहर शाही के गमु राह
होने में कोई शक बाक़ी नही रह जाता, और उलमा ए अहले सन्ु नत ने
ऐलान फरमा फदया है के इसके अकाइद हद्दे कुफ्र तक पहुचं े हुए हैं और
अब अगर कोई इनकी पैरिी कर के अपनी दन्ु या ि आफखरत तबाह करना
चाहते है तो िो बहुत खसारे में है।
हक़ िाजेह है और बाफतल भी िाजेह है, जो लोग नफ्स के धोके में आ
कर इनकी बताई हुई आसाफनयों को आज नजात का जररया समझ रहे हैं
िो जान लें के कल आपके गले में आग का तौक़ पहनाया जाने िाला है
और उस िक्त तौबा ि रुजु फकसी काम ना आएगा।
अल्लाह तआला से दआ ु है के िो हमें फहदायत पर रखे, अिामे अहले
सन्ु नत को इसके मक्रो फरे ब से बचाए और हमारी इस कोफशश को अपनी
37
फ़ितना गौहर शाही
बारगाह में क़ुबल
ू फरमाए।
(आमीन)
अलदे मुस्तफा
मह़ु म्मद साफबर क़ादरी
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फ़ितना गौहर शाही
41
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