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जाद ू तथा ग़ैब की बात बताने

के बारे में शरई दृष्टिकोण

लेखकः
श़ैख़ अब्दल
ु अज़ीज बबन अब्दल्ल
ु ाह
बबन बाज
उनपर अल्लाह की कृपा की बरखा बरसे!
जादू तथा ग़ैब की बात बताने के बारे में शरई दृष्टिकोण
लेखकः
श़ैख़ अब्दल
ु अज़ीज ष्टबन अब्दल्ु लाह ष्टबन बाज
उनपर अल्लाह की कृ पा की बरखा बरसे!
जादू तथा ग़ैब की बात बताने के बारे में शरई दृष्टिकोण 3

अल्लाह के नाम से शरू


ु करता ह,ूँ जो बडा दयालु एवं अत्यंत कृ पावान ह़ै।
प्रस्तावना
साऱी प्रशसं ा अल्लाह की ह़ै तथा दरूद एवं सलाम हो अल्लाह के रसल
ू , उनके
पररजनों, साष्टथयों और उनके मार्ग पर चलने वालों पर।
याद रहे ष्टक जादू महापाप तथा उन सात ष्टवनाशकाऱी र्नु ाहों में से एक ह़ै, ष्टजनसे दरू
रहने का आदेश अल्लाह और उसके रसल ू सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम ने ष्टदया ह़ै।
लेष्टकन इसके बावजदू आज उसके कई रूप समाज में फलते-फूलते नजर आ रहे हैं। कभ़ी
वह सनसऩी प़ैदा करने वाल़ी ष्टफल्मों में मनोरंजन एवं हास्य के नाम से सामने आता ह़ै, कभ़ी
त्यार् एवं चमत्कार के दावे के साथ सामने आता ह़ै, कभ़ी शरई झाड-फूँू क के पदे में ष्टिपकर
सामने आता ह़ै और कभ़ी पारंपररक ष्टचष्टकत्सा एवं जड़ी-बष्टू ियों द्वारा इलाज आष्टद के नाम
से जाष्टहर होता ह़ै। फलस्वरूप, इस्लाम की सह़ी समझ-बझू न रखने वाले लोर्ों के ष्टलए
उसकी पहचान करना कष्टिन हो जाता ह़ै।
चूँष्टू क सऊद़ी अरब के साधारण मफ़ ु त़ी, उलेमा पररषद एवं व़ैज्ञाष्टनक अनसु ंधान तथा
इफ़ता सष्टमष्टत के अध्यक्ष श़ैख़ अब्दल
ु अज़ीज ष्टबन अब्दल्ु लाह ष्टबन बाज की इस पस्ु तक में
जादू के बारे में इस्लाम़ी दृष्टिकोण तथा ग़ैब की बात बताने का दावा करने वाले के पास जाने
के बारे में शरई नजररए को आसान भाषा में कुरआन एवं हद़ीस के प्रमाणों के साथ बयान
ष्टकया र्या ह़ै, इसष्टलए इस्लाम़ी कायग, वक़्फफ़, आह्वान और मार्गदशगन मंत्रालय सऊद़ी अरब
ने इसके प्रकाशन एवं ष्टवत्रण का ष्टनणगय ष्टलया ह़ै।
दरअसल जादू करने तथा ग़ैब की बात बताने वाले और जादू करने वालों के पास
जाने के संबंध में शरई दृष्टिकोण पर आधाररत श़ैख़ ष्टबन बाज की यह ष्टकताब, उनकी उन
मबु ारक प्रयत्नों तथा लर्ातार जाऱी रहने वाले अथक प्रयासों का एक भार् ह़ै, जो उन्होंने
लोर्ों को भलाई की ओर बल ु ाने, उनके अंदर इस्लाम की समझ ष्टवकष्टसत करने, शरई
अहकाम बयान करने, अनष्टु चत कायों से सावधान करने, मसु लमानों के ष्टहतों की रक्षा करने,
उन्हें अल्लाह की पष्टवत्र ष्टकताब, उसके नब़ी की सन्ु नत तथा सदाचाऱी पवू गजों के मार्ग पर

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जादू तथा ग़ैब की बात बताने के बारे में शरई दृष्टिकोण 4

चलने और अन्य ष्टवचारधाराओ,ं पंथों और असत्य धारणाओ ं का पररत्यार् करने के आह्वान


के संबंध में की हैं।
दरअसल, यह़ी वह पष्टवत्र मार्ग भ़ी ह़ै, ष्टजसपर यह शभु राज्य और उसका सपु थर्ाम़ी
नेतत्ृ व आर्े बढ़ रहा ह़ै। अल्लाह करे यह राज्य इस़ी मार्ग पर चलता रहे और उसे इस़ी तरह
उसकी सहायता, सयु ोर् और समथगन ष्टमलता रहे। अल्लाह इस ष्टकताब के लेखक प्रख्यात
ष्टवद्वान श़ैख़ ष्टबन बाज को भ़ी उनके अथक प्रयासों को अनतं प्रष्टतफल प्रदान करे ।
दआु ह़ै ष्टक अल्लाह इस ष्टकताब से उसके पािकों और लाभ उिाने वालों को
फ़ायदा पहुचूँ ाए, हम सब को कुरआन एवं हद़ीस का अनसु रण करने का सयु ोर् प्रदान करे
और हमें श़ैतान के बहकावे से सरु ष्टक्षत रखे। अल्लाह ह़ी हमारा सरं क्षक ह़ै और वह़ी हमें
स़ीधा मार्ग ष्टदखाता ह़ै। अल्लाह की कृ पा और शांष्टत की बरखा बरसे हमारे नब़ी महु म्मद
सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम, आपके पररजनों एवं सभ़ी साष्टथयों पर।
अब्दल्ु लाह ष्टबन अब्दल
ु महु ष्टसन अत-तक
ु ी
इस्लाम़ी कायग, आह्वान एवं मार्गदशगन मंत्ऱी, सऊद़ी अरब

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जादू तथा ग़ैब की बात बताने के बारे में शरई दृष्टिकोण 5

जादू, ग़ैब की बात बताने और इससे संबधं ित बातों के बारे में


इस्लामी दृधिकोण [1]
हर प्रकार की प्रशंसा और स्तष्टु त के वल अल्लाह के ष्टलए ह़ै तथा उसकी दया और
शांष्टत अवतररत हो उसके अंष्टतम संदिे ा महु म्मद सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम पर।
यह देखते हुए ष्टक इन ष्टदनों जाद-ू िोना करने वाले कुि लोर् ष्टदन प्रष्टत ष्टदन बढ़ते
और कुि नर्रों में फ़ै लते जा रहे हैं, जो ष्टचष्टकत्सा की जानकाऱी रखने का दावा करते हैं और
जादू एवं ग़ैबदाऩी के दावे के जररए इलाज करते हैं तथा इस तरह स़ीधे सादे आम लोर्ों को,
जो शऱीयत की समष्टु चत जानकाऱी नहीं रखते, अपने िल का ष्टशकार बना लेते हैं, मैं चाहता
हूँ ष्टक इस कायग में, जो अल्लाह और उसके रसल ू सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम के आदेश
के ष्टवरोध पर आधाररत ह़ै, ष्टनष्टहत इस्लाम तथा मसु लमानों की अपणू ीय क्षष्टत का उल्लेख
कर द।ूँू
चनु ांचे मैं अल्लाह से सहायता माूँर्ते हुए अपऩी बात का आरंभ करता ह।ूँ सबसे
पहले यह बात जेहन में रहे ष्टक दवा-इलाज करने के जायज होने में ष्टकस़ी का कोई
इष्टततलाफ़ नहीं ह़ै। सब लोर् यह मानते हैं ष्टक एक मसु लमान उपचार के ष्टलए र्प्तु रोर्ों,
सजगऱी तथा मानष्टसक रोर्ों आष्टद के डॉक्िर के पास जा सकता ह़ै, जो उसकी ब़ीमाऱी की
पहचान करे और ष्टचष्टकत्सा ष्टवज्ञान के अनसु ार वांष्टित व़ैध दवाओ ं के जररए उसका इलाज
करे । क्योंष्टक यह साधारण साधनों के प्रयोर् का ह़ी एक भार् ह़ै और अल्लाह पर भरोसा के
ष्टवपऱीत नहीं ह़ै। स्वयं हद़ीस में आया ह़ै ष्टक अल्लाह ने जो भ़ी रोर् उतारा ह़ै, उसके साथ
उसकी दवा भ़ी उताऱी ह़ै। यह और बात ह़ै ष्टक कुि लोर्ों के पास उसकी जानकाऱी होत़ी ह़ै
और कुि लोर्ों के पास नहीं होत़ी। हाूँ, यह अच्ि़ी तरह याद रहे ष्टक अल्लाह ने ष्टकस़ी ऐस़ी
च़ीज के अदं र बदं ों के ष्टलए ष्टशफ़ा नहीं रख़ी ह़ै, ष्टजसे उनके हक में अव़ैध घोष्टषत ष्टकया हो।
अतः ष्टकस़ी रोऱ्ी के ष्टलए यह जायज न होर्ा ष्टक वह ग़ैब की बात जानने का दावा
करने वाले काष्टहनों के पास जाए और उनसे अपने रोर् की पहचान कराए और उनकी कह़ी
हुई बातों को सच मान ले। क्योंष्टक इस प्रकार के लोर् या तो तक्ु के बाज़ी से काम लेते हैं या
ष्टफर ष्टजन्नात के सहयोर् से काम करते हैं। जबष्टक यह लोर् जब ऱ्ैब की बात जानने का

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जादू तथा ग़ैब की बात बताने के बारे में शरई दृष्टिकोण 6

दावा करते हैं, तो कुफ़्र एवं पथभ्रिता के ष्टशकार हो जाते हैं। इमाम मष्टु स्लम ने अपऩी सह़ीह
में ररवायत ष्टकया ह़ै ष्टक अल्लाह के नब़ी सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम ने फ़रमाया :
"ष्टजसने ष्टकस़ी खोई हुई अथवा चोऱी की हुई वस्तु के बारे में बताने का दावा करने वाले के
पास जाकर उससे कुि पि ू ा, उसकी चाल़ीस ष्टदन की नमाज ग्रहण नहीं होऱ्ी।" तथा अबू
हुऱैरा रष्टजयल्लाहु अनहु का वणगन ह़ै ष्टक अल्लाह के नब़ी सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम ने
फ़रमाया : "जो ष्टकस़ी ग़ैब की बात बताने का दावा करने वाले के पास र्या और उसकी
कह़ी हुई बात को सच माना, उसने उस धमग का इनकार ष्टकया, जो महु म्मद सल्लल्लाहु
अल़ैष्टह व सल्लम पर उतारा र्या ह़ै।" इस हद़ीस को इमाम अबू दाऊद, इमाम ष्टतरष्टमज़ी,
इमाम नसई और इमाम इब्न-ए-माजा ने ररवायत ष्टकया ह़ै और इमाम हाष्टकम ने सह़ीह कहा
ह़ै। हाष्टकम ने सह़ीह कहा ह़ै। हाष्टकम के शब्द हैं : "जो ष्टकस़ी खोई हुई या चोऱी की हुई वस्तु
आष्टद के बारे में जानने का दावा करने वाले अथवा ग़ैब की बात जानने का दावा करने वाले
के पास र्या और उसकी कह़ी हुई बात को सच माना, उसने उस धमग का इनकार ष्टकया, जो
महु म्मद सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम पर उतारा र्या ह़ै।" तथा इमरान ष्टबन हुस़ैन
रष्टजयल्लाहु अनहु का वणगन ह़ै, वह कहते हैं ष्टक अल्लाह के रसल ू (सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व
सल्लम) ने फ़रमाया : "वह व्यष्टि हममें से नहीं ह़ै, ष्टजसने अपशर्नु ष्टलया अथवा ष्टजसके
ष्टलए अपशर्नु ष्टलया र्या, ग़ैब की बात बताई या ग़ैब की बात पिू ़ी, जादू ष्टकया या जादू
करवाया। ष्टजसने ष्टकस़ी ग़ैब की बात बताने वाले के पास जाकर उसकी बात को सच माना,
उसने उस शऱीयत का इनकार ष्टकया, जो महु म्मद (सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम) पर उताऱी
र्ई ह़ै।" इसे बज़्जार ने जष्टययद सनद के साथ ररवायत ष्टकया ह़ै। इन हद़ीसों के अंदर खोई हुई
अथवा चोऱी की हुई च़ीज की सचू ने देने वाले, ग़ैब की बात बताने वाले तथा जादर्ू रों आष्टद
के पास जाने, उनसे कुि पि ू ने तथा उनकी कह़ी हुई बात को सच मानने की मनाह़ी के साथ-
साथ इससे सावधान भ़ी ष्टकया र्या ह़ै। अतः शासनकतागओ ं एवं प्रशासन के लोर्ों का
कतगव्य ह़ै ष्टक इस तरह के लोर्ों के पास जाने का सतत़ी से खंडन करें और हाि-बाजारों में
इस प्रकार का करतब ष्टदखाने वालों को सतत़ी से रोकें । इनसान को इस धोखे में नहीं पडना
चाष्टहए ष्टक उनकी कुि बातें कभ़ी-कभ़ी सह़ी ष्टनकल जात़ी हैं और उनके पास बड़ी संख्या में
लोर् आते हैं। क्योंष्टक यह लोर् अज्ञाऩी हैं और लोर्ों को इनके धोखे में नहीं आना चाष्टहए।
साथ ह़ी यह ष्टक अल्लाह के रसल ू सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम ने इनके पास जाने, इनसे

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जादू तथा ग़ैब की बात बताने के बारे में शरई दृष्टिकोण 7

कुि पिू ने और इनकी बात को सच मानने से मना ष्टकया ह़ै। व़ैसे ह़ै भ़ी यह बहुत ह़ी बरु ा,
अष्टनिकर और कडवे पररणामों वाला कायग और इसे करने वाले लोर् झिू े एवं दश्चु ररत्र हुआ
करते हैं। इस़ी तरह इन हद़ीसों से ऱ्ैब की बात बताने वाले और जादर्ू र के काष्टफ़र होने का
भ़ी प्रमाण ष्टमलता ह़ै। इसका कारण यह ह़ै ष्टक यह दोनों लोर् ग़ैब की बात जानने का दावा
करते हैं और इस तरह का दावा करना कुफ़्र ह़ै। दसू ऱी बात यह ह़ै ष्टक यह दोनों अपने उद्देश्य
की प्राष्टप्त के ष्टलए ष्टजन्नात की सेवा तथा उनकी इबादत करते हैं और ऐसा करना भ़ी कुफ़्र
एवं ष्टशकग ह़ै। इस़ी प्रकार उनके ग़ैब जानने के दावे को सच मानने वाला भ़ी उन्हीं की तरह ह़ै।
क्योंष्टक अल्लाह के रसल ू सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम ने इस प्रकार के लोर्ों से अपना
कोई सबं धं न होने की बात कह़ी ह़ै। साथ ह़ी इलाज के नाम पर इनके द्वारा ष्टकए जाने वाले
पाखडं ों, ज़ैसे जादईु लकीरें खींचना तथा तहऱीरें ष्टलखना अथवा स़ीसा उंडेलना आष्टद को
मान्यता देना भ़ी जायज नहीं ह़ै। क्योंष्टक यह साऱी च़ीजें कहानत एवं फ़रे ब के दायरे में आत़ी
हैं और इन्हें मान्यता देना इन्हें करने वालों के असत्य एवं कुफ़्र पर आधाररत कायों को
बढ़ावा देने के दायरे में आता ह़ै। इस़ी तरह ष्टकस़ी मसु लमान के ष्टलए जायज नहीं ह़ै ष्टक उनके
पास जाकर उनसे यह पिू े ष्टक अपने पत्रु अथवा ररश्तेदार की शाद़ी ष्टकससे कराए या ष्टफर
उनसे यह जानने का प्रयास करे ष्टक पष्टत-पत्ऩी एवं उनके पररवारों के ब़ीच प्रेम एवं सद्भाव
रहेर्ा या शत्रतु ा एवं अलर्ाव प़ैदा हो जाएर्ा?
क्योंष्टक इस तरह की बातें ऱ्ैब के दायरे में आत़ी हैं, ष्टजन्हें पष्टवत्र एवं महान अल्लाह
के अष्टतररि कोई नहीं जानता।
जादू उन हराम कायों में से ह़ै, जो कुफ़्र पर आधाररत हैं। अल्लाह तआला ने सरू ा
बकरा के अंदर जादू ष्टसखाने वाले दो फ़ररश्तों का ष्टजक्र करते हुए फ़रमाया ह़ै : "जबष्टक
दोनों ष्टकस़ी को जादू नहीं ष्टसखाते, जब तक ये न कह देते ष्टक हम के वल एक पऱीक्षा हैं,
अतः, तू कुफ़्र में न पड। ष्टफर भ़ी वे उन दोनों से वो च़ीज स़ीखते, ष्टजसके द्वारा वे पष्टत और
पत्ऩी के ब़ीच जदु ाई डाल दें और वे अल्लाह की अनमु ष्टत ष्टबना इसके द्वारा ष्टकस़ी को कोई
हाष्टन नहीं पहुचूँ ा सकते थे, परन्तु ष्टफर भ़ी ऐस़ी बातें स़ीखते थे, जो उनके ष्टलए हाष्टनकारक हों
और लाभकाऱी न हों और वे भल़ी-भाूँष्टत जानते थे ष्टक जो इसका ख़ऱीदार बना, परलोक में

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जादू तथा ग़ैब की बात बताने के बारे में शरई दृष्टिकोण 8

उसका कोई भार् नहीं तथा ष्टकतऩी बरु ़ी ह़ै वह वस्त,ु ष्टजसके बदले वे अपने प्राणों का सौदा
कर रहे हैं, यष्टद वे जानते होते!"1
इन हद़ीसों से स्पि रूप से मालमू होता ह़ै ष्टक जादू कुफ़्र ह़ै और जादर्ू र पष्टत-पत्ऩी के
ब़ीच अलर्ाव प़ैदा करने का काम करते हैं। इस़ी तरह इनसे यह भ़ी मालमू होता ह़ै ष्टक जादू
स्वयं प्रभावकाऱी नहीं ह़ै। न वह ष्टकस़ी का भला कर सकता ह़ै, न बरु ा। उसका प्रभाव
अल्लाह की ष्टनयत अनमु ष्टत पर ष्टनष्टहत ह़ै। क्योंष्टक पष्टवत्र एवं महान अल्लाह ह़ी भलाई एवं
बरु ाई का स्रिा ह़ै। लेष्टकन आज शऱीयत को प्रदष्टू षत करने वाले इन पाष्टपयों के कारण,
ष्टजन्होंने मष्टु िकों से इन आडंबरों को स़ीखा ह़ै और इनके जररए आम लोर्ों को पथभ्रि
ष्टकया ह़ै, मामला काफ़ी सर्ं ़ीन हो चक ु ा ह़ै और हालात काफ़ी ष्टबर्ड चक ु े हैं। इस़ी तरह इन
आयतों से यह बात भ़ी मालमू हुई ष्टक जादू स़ीखने वाले जो कुि स़ीखते हैं, वह उनके ष्टलए
लाभदायक नहीं, बष्टल्क हाष्टनकारक ह़ै और इस प्रकार के लोर्ों का अल्लाह के ष्टनकि कोई
भार् नहीं ह़ै। दरअसल यह एक बहुत बड़ी चेतावऩी ह़ै, जो यह बतात़ी ह़ै ष्टक इस प्रकार के
लोर् दष्टु नया एवं आष्टख़रत में घािे में रहेंर्े और इन्होंने स्वयं का कोड़ी का भाव सौदा कर
ष्टलया ह़ै। यह़ी कारण ह़ै ष्टक पष्टवत्र एवं महान अल्लाह ने उनके इस सौदे की ष्टनदं ा करते हुए
कहा ह़ै : "तथा ष्टकतना ष्टकतऩी बरु ़ी ह़ै वह वस्त,ु ष्टजसके बदले वे अपने प्राणों का सौदा कर
रहे हैं, यष्टद वे जानते होते!"2याद रहे ष्टक यहाूँ आयत में प्रयि
ु शब्द "‫ "الشراء‬बेचने और
सौदा करने के अथग में आया ह़ै।
हम अल्लाह से दआु करते हैं ष्टक वह हमें जादर्ू रों, ग़ैब की बात बताने वालों और
सभ़ी नजर बंद़ी करने वालों की बरु ाई से सरु ष्टक्षत रखे, मसु लमानों की उनकी बरु ाई से बचाए,
मष्टु स्लम शासकों को उनसे सावधान रहने और उनके बारे में अल्लाह के आदेश को लार्ू
करने का सयु ोर् प्रदान करे ष्टक लोर् उनकी हाष्टन और कुकमों से सरु ष्टक्षत रहें। ष्टनश्चय ह़ी वह
दाता एवं दयावान ह़ै।

1
सरू ा अल-बकरा, आयत संख्या : 102
2
सरू ा अल-बकरा, आयत संख्या : 102

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जादू तथा ग़ैब की बात बताने के बारे में शरई दृष्टिकोण 9

पष्टवत्र एवं महान अल्लाह की दया एवं उपकार ह़ी का नत़ीजा ह़ै ष्टक उसने बंदों को
जादू से बचाव का तऱीका भ़ी बता ष्टदया ह़ै और उसके उपचार की पद्धष्टत भ़ी।
अब आइए जादू के कुप्रभाव से बचाव और जादू ष्टकए हुए व्यष्टि के उपचार के कुि
तऱीके बताते हैं, जो स्वयं अल्लाह और उसके रसल
ू सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम ने बताए
हैं।
इस ष्टसलष्टसले का आरंभ जादू का कुप्रभाव होने से पहले उससे बचाव के तऱीकों से
करते हैं। इसका सबसे महत्वपणू ग और लाभदायक तऱीका यह ह़ै ष्टक अल्लाह के रसल ू
सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम से वष्टणगत शरई अजकार, दआ ु ओ ं तथा अल्लाह की शरण
लेने पर आधाररत वाक्यों का सहारा ष्टलया जाए। मसलन हर फ़जग नमाज से सलाम फे रने
तथा अल्लाह के रसल ू सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम के बताए हुए अजकार पढ़ने के बाद
आयत अल-कुरस़ी पढ़़ी जाए। इस़ी तरह सोते समय उसे पढ़ा जाए। याद रहे ष्टक आयत
अल-कुरस़ी पष्टवत्र कुरआन की महानतम आयत ह़ै। उसके शब्द हैं : “अल्लाह के ष्टसवा
कोई पज्ू य नहीं, वह ज़ीष्टवत तथा ष्टनत्य स्थाय़ी ह़ै। उसे ऊूँघ तथा ष्टनद्रा नहीं आत़ी। आकाश
और धरत़ी में जो कुि ह़ै, सब उस़ी का ह़ै। कौन ह़ै, जो उसके पास उसकी अनमु ष्टत के ष्टबना
अनश ु ंसा (ष्टसफ़ाररश) कर सके ? जो कुि उनके समक्ष और जो कुि उनसे ओझल ह़ै, सब
जानता ह़ै। लोर् उसके ज्ञान में से उतना ह़ी जान सकते हैं, ष्टजतना वह चाहे। उसकी कुसी
आकाश तथा धरत़ी को समोए हुए ह़ै। उन दोनों की रक्षा उसे नहीं थकात़ी। वह़ी सवोच्च,
महान ह़ै।”1

इस़ी तरह हर फ़जग नमाज के बाद {‫}قل هو اهلل أحد‬2, { ‫قل أعوذ برب‬

‫}الفلق‬3तथा {‫}قل أعوذبرب الناس‬4, यह त़ीनों सरू े पढ़़ी जाएूँ। इस़ी प्रकार इन त़ीन

1
सरू ा अल-बकरा, आयत संख्या : 255
2
सरू ा अल-इख़लास, आयत संख्या : 1
3
सरू ा अल-फ़लक, आयत संख्या : 1
4
सरू ा अन-नास, आयत संख्या : 1

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जादू तथा ग़ैब की बात बताने के बारे में शरई दृष्टिकोण 10

सरू ों को फ़ज्र की नमाज के बाद ष्टदन आरंभ होते समय, मष्टिब की नमाज के बाद रात आरंभ
होते समय और सोते समय पढ़ा जाए। इस़ी तरह सरू ा बकरा की अंष्टतम दो आयतों को ष्टदन
के आरंष्टभक भार् में पढ़ा जाए। इन दो आयतों के शब्द हैं : “रसल ू उस च़ीज पर ईमान
लाया, जो उसके ष्टलए अल्लाह की ओर से उताऱी र्ई ह़ै तथा सब ईमान वाले उसपर ईमान
लाए। वे सब अल्लाह तथा उसके फ़ररश्तों और उसकी सब पस्ु तकों एवं रसल ू ों पर ईमान
लाए। (वे कहते हैं :) हम उसके रसल ू ों में से ष्टकस़ी के ब़ीच अन्तर नहीं करते। हमने सनु ा और
हम आज्ञाकाऱी हो र्ओ। हे हमारे पालनहार! हमें क्षमा कर दे और हमें तेरे ह़ी पास आना
ह़ै।"1यहाूँ से सरू ा के अतं तक पढ़ना ह़ै।
तथा अल्लाह के रसल ू सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम की सह़ीह हद़ीस में ह़ै ष्टक
आपने फ़रमाया : "ष्टजसने रात में आत अल-कुसी पढ़ ल़ी, अल्लाह की ओर से एक
सरु क्षाकमी उसके ष्टलए ष्टनयि ु होता ह़ै और सबु ह तक श़ैतान उसके ष्टनकि नहीं जाता।" एक
और सह़ीह हद़ीस में ह़ै ष्टक अल्लाह के नब़ी सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम ने फ़रमाया :
"ष्टजसने सरू ा बकरा की अंष्टतम दो आयतें रात में पढ़ लीं, वह उसके ष्टलए काफ़ी हो जाऱी
हैं।" इसका अथग यह ह़ै ष्टक यह दोनों आयतें हर बरु ाई से बचाव के ष्टलए पयागप्त होंऱ्ी। इस़ी
प्रकार रात एवं ष्टदन में अष्टधक से अष्टधक अल्लाह के संपणू ग शब्दों द्वारा उसकी प़ैदा की हुई
च़ीजों की बरु ाई से पनाह माूँर्े। साथ ह़ी ष्टकस़ी आबाद़ी वाले क्षेत्र, ऱ्ैरआबाद इलाके ,
आकाश एवं समद्रु के ष्टकस़ी स्थान में रुकते समय भ़ी ऐसा करे । अल्लाह के नब़ी
सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम ने फ़रमाया ह़ै : "ष्टजसने ष्टकस़ी स्थान में उतरते समय यह
दआ ु पढ़़ी : "मैं अल्लाह की प़ैदा की हुई च़ीजों की बरु ाई से उसके संपणू ग शब्दों की शरण में
आता ह"ूँ , उसे कोई वस्तु वह स्थान िोडने तक नक ु सान नहीं पहुचूँ ा सकत़ी।" इस़ी तरह
जादू के कुप्रभाव से बचाव का एक तऱीका यह ह़ै ष्टक मसु लमान ष्टदन एवं रात के आरंष्टभक
भार् में त़ीन बार यह दआ ु पढ़े : "शरू ु करता हूँ अल्लाह के नाम से, ष्टजसके नाम के साथ
धरत़ी और आकाश में कोई वस्तु हाष्टन नहीं पहुचूँ ा सकत़ी तथा वह सनु ने वाला और जानने
वाला ह़ै।" अल्लाह के रसल ू सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम ने एक सह़ीह हद़ीस में इसकी
प्रेरणा द़ी ह़ै और बताया ह़ै ष्टक इससे हर बरु ाई से सरु क्षा प्राप्त होत़ी ह़ै। यह अजकार और

1
सरू ा अल-बकरा, आयत संख्या : 285

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जादू तथा ग़ैब की बात बताने के बारे में शरई दृष्टिकोण 11

अल्लाह की शरण माूँर्ने के शब्द, यष्टद सच्चे मन, ष्टवशद्ध ु ईमान, अल्लाह पर भरोसा और
उन शब्दों के अंदर कह़ी र्ई बातों पर ष्टवश्वास के साथ उन्हें पढ़ा जाए, तो जादू के कुप्रभाव
के साथ-साथ अन्य बरु ाइयों से बचाव का भ़ी बहुत ह़ी महत्वपणू ग साधन हैं। साथ ह़ी यष्टद पणू ग
ष्टवनम्रता के साथ इन्हें पढ़ा जाए और जादू के कुप्रभाव से मष्टु ि माूँऱ्ी जाए, तो इनके जररए
जादू का असर हो जाने के बाद भ़ी उससे मष्टु ि प्राप्त की जा सकत़ी ह़ै। जादू के कुप्रभाव के
उपचार के ष्टलए अल्लाह के नब़ी सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम से कई दआ ु एूँ साष्टबत हैं।
एक हद़ीस मेेेें ह़ै ष्टक आप इस दआ ु के जररए अपने साष्टथयों का उपचार करते थे : "ऐ
अल्लाह, लोर्ों के पालनहार! कि दरू कर दे तथा रोर् से मष्टु ि प्रदान कर। तू ह़ी रोर् से
मष्टु ि प्रदान करता ह़ै। तेरे ष्टसवा कोई रोर् से मष्टु ि प्रदान करने वाला नहीं ह़ै। रोर् से ऐसा
िुिकारा प्रदान कर ष्टक ष्टफर कोई रोर् शेष न रहे।" यह दआ ु आप त़ीन बार कहते थे। इस
शृख ं ला की एक कड़ी वह दआ ु भ़ी ह़ै, ष्टजसके द्वारा ष्टजबऱील अल़ैष्टहस्सलाम ने अल्लाह के
नब़ी महु म्मद सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम का उपचार ष्टकया था। उसके शब्द हैं :
"अल्लाह का नाम लेकर मैं तहु ारे ष्टलए पनाह मार्ं ता हूँ , तम्ु हें कि देने वाल़ी प्रत्येक वस्त,ु
प्रत्येक प्राण़ी की बरु ाई अथवा ईर्षयाग करने वाल़ी हर आूँख से। अल्लाह तम्ु हें रोर् से मष्टु ि
प्रदान करे । अल्लाह का नाम लेकर मैं तमु पर पढ़ता ह।ूँ " इस दआ ु को त़ीन बार पढ़ना
चाष्टहए। जादू ष्टकए हुए व्यष्टि के इलाज का एक तऱीका और भ़ी ह़ै। यह तऱीका ष्टवशेष रूप
से उस व्यष्टि के ष्टलए लाभकाऱी ह़ै, जो जादू के कारण स्त्ऱी से संभोर् की शष्टि खो चक ु ा हो।
तऱीका यह ह़ै ष्टक आदम़ी ब़ैऱी के सात हरे पत्तों को पत्थर आष्टद से कूिने के बाद उसे ष्टकस़ी
बतगन में रख ले और उसपर इतना पाऩी डाले ष्टक स्नान के ष्टलए पयागप्त हो और ष्टफर उसपर
आयत अल-कुरस़ी, "कुर या अययहु ा अल-काष्टफ़रून"1, "कुल हु अल्लाहु अहद"2, "कुल
अऊजु ष्टब-रब्ब अल-फ़लक"3, "कुल अऊजु ष्टब-रब्ब अन-नास"4, सरू ा अल-आराफ़ की
जादू से संबंष्टधत आयतें, जो इस प्रकार हैं : "तो हमने मसू ा को वह़्य की ष्टक अपऩी लाि़ी
1
सरू ा अल-काष्टफ़रून, आयत संख्या : 1
2
सरू ा अल-इख़लास, आयत संख्या :11
3
सरू ा अर-फ़लक, आयत संख्या : 1
4
सरू ा अन-नास, आयत संख्या : 1

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जादू तथा ग़ैब की बात बताने के बारे में शरई दृष्टिकोण 12

फें को और वह अकस्मात् झिू े इन्द्रजाल को ष्टनर्लने लऱ्ी। अतः सत्य ष्टसद्ध हो र्या और
उनका बनाया मंत्र-तंत्र व्यथग होकर रह र्या। अंततः वे प्राष्टजत कर ष्टदए र्ए और तच्ु ि तथा
अपमाष्टनत होकर रह र्ए।"1सरू ा यनू सु की आयतें, ष्टजनमें सवगशष्टिमान एवं महान अल्लाह
ने फ़रमाया ह़ै : "और ष्टफ़रऔन ने कहा : (देश में) ष्टजतने दक्ष जादर्ू र हैं, उन्हें मेरे पास
लाओ। और जब उन्होंने फें क ष्टदया, तो मसू ा नो कहा : तमु जो कुि लाये हो, वह जादू ह़ै।
ष्टनश्चय अल्लाह उसे अष्टभव्यथग कर देर्ा। वास्तव में, अल्लाह उपद्रवकाररयों के कमग को नहीं
सधु ारता। और अल्लाह सत्य को, अपने आदेशों के अनसु ार, सत्य कर ष्टदखाएर्ा। यद्यष्टप
अपराष्टधयों को बरु ा लर्े।"2और सरू ा ताहा की ष्टनम्नष्टलष्टखत आयतें : "उन्होंने कहा : हे
मसू ा! तू फें कता ह़ै या पहले हम फें कें ? मसू ा ने कहा : बष्टल्क तम्ु हीं फें को। ष्टफर उनकी
रष्टस्सयाूँ तथा लाष्टियाूँ उसे लर् रह़ी थीं ष्टक उनके जादू (के बल) से दौड रह़ी हैं। इससे मसू ा
अपने मन में डर र्या। हमने कहाः डर मत, तू ह़ी ऊपर रहेर्ा। और फें क दे, जो तेरे दायें हाथ
में ह़ै, वह ष्टनर्ल जाएर्ा, जो कुि उन्होंने बनाया ह़ै। वह के वल जादू का स्वाूँर् बनाकर लाए
हैं तथा जादर्ू र सफल नहीं होता, जहाूँ से आए।"3
इन साऱी आयतों को पाऩी पर पढ़ने के बाद उसमें से त़ीन घूँिू पाऩी प़ी ले और शेष
पाऩी से स्नान कर ले। इससे अल्लाह ने चाहा तो परे शाऩी ख़त्म हो जाएऱ्ी। यष्टद
आवश्यकत हो तो ऐसा दो या उससे अष्टधक बार भ़ी परे शाऩी दरू होने तक ष्टकया जा सकता
ह़ै।
जादू के इलाज का एक तऱीका, बष्टल्क सबसे लाभकाऱी तऱीकों में से एक तऱीका यह
ह़ै ष्टक भष्टू म अथवा पहाड आष्टद के उस स्थान का पता लर्ाया जाए, जहाूँ वह वस्तएु ूँ रख़ी
हुई हों, ष्टजनके द्वारा जादू ष्टकया र्या ह़ै। यष्टद स्थान का पता लर्ा ष्टलया जाए और उन च़ीजों
को ष्टनकालकर नि कर ष्टदया जाए, तो जादू का प्रभाव खत्म हो जाता ह़ै।

1
सरू ा अल-आराफ़, आयत संख्या : 117-119
2
सरू ा यनू सु , आयत संख्या : 79-82
3
सरू ा ताहा, आयत संख्या : 65-69

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जादू तथा ग़ैब की बात बताने के बारे में शरई दृष्टिकोण 13

ये, जादू से बचाव और उसके उपचार से संबंष्टधत कुि बातें हैं, जो अल्लाह की
अनमु ष्टत से ष्टफ़लहाल बयान की जा सकी हैं और सयु ोर् प्रदान तो वह़ी करता ह़ै।
लेष्टकन जहाूँ तक जादू का उपचार जादू के जररए करने, याऩी ष्टजन्नात को प्रसन्न
करने के ष्टलए जानवर जबह करने या चढ़ावा चढ़ाने की बात ह़ै, तो इसकी अनमु ष्टत नहीं ह़ै।
क्योंष्टक यह श़ैतान का अमल, बष्टल्क महानतम ष्टशकग ह़ै। अतः इस तरह की च़ीजों से दरू
रहने की जरूरत ह़ै। इस़ी तरह उसका इलाज ग़ैब की बात बताने वालों, चोऱी की हुई अथवा
खोई हुई वस्तु की सचू ना देने वालों और नजरबदं ़ी का करतब ष्टदखाने वालों के द्वारा करवाने
और उनके बताए हुए उपचार पद्धष्टत का प्रयोर् करने की भ़ी अनमु ष्टत नहीं ह़ै। क्योंष्टक एक तो
यह लोर् अल्लाह पर ईमान नहीं रखते और दसू रे यह ष्टक ग़ैब की बात जानने का दावा करते
हैं और लोर्ों को फ़रे ब में डालते हैं। यह़ी कारण ह़ै ष्टक अल्लाह के रसल ू सल्लल्लाहु
अल़ैष्टह व सल्लम ने उनके पास जाने, उनसे कुि पि ू ने और उनकी बताई हुई बात को सच
मानने से मना ष्टकय ह़ै, ष्टजसका उल्लेख इस ष्टकताब के आरंभ में हो चक ु ा ह़ै। तथा अल्लाह
के रसल ू सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम की सह़ीह हद़ीस में ह़ै ष्टक आपसे जादू के द्वार जादू
के उपचार के बारे में पिू ा र्या, तो आपने फ़रमाया : "यह एक श़ैताऩी कायग ह़ै।" इस हद़ीस
को इमाम अहमद एवं इमाम अबू दाऊद ने जष्टययद सनद के साथ ररवायत ष्टकया ह़ै। इस
हद़ीस में आए हुए शब्द "‫ "النشرة‬का अथग ह़ै, जादू से प्रभाष्टवत व्यष्टि से जादू के असर को
ख़त्म करना। इस हद़ीस से अल्लाह के रसल ू सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम की मरु ाद जादू
का असर ख़त्म करने का वह तऱीका ह़ै, जो अज्ञान काल के लोर्ों में रायज था। याऩी स्वयं
जादू करने वाले के द्वारा जादू का प्रभाव ख़त्म करवाना या ष्टफर ष्टकस़ी दसू रे जादर्ू र की मदद
से जादू के द्वारा ह़ी उसके असर को ख़त्म करना।
अब रहा प्रश्न शरई झाड-फूँू क और व़ैध दवाओ ं एवं उपचार के जररए उसके इलाज
का, तो इसमें कोई हजग नहीं ह़ै, ज़ैसा ष्टक प़ीिे बयान ष्टकया जा चक
ु ा ह़ै। यह बात स्पि रूप से
महान इस्लाष्टमक ष्टवद्वान इब्न-अल-कष्टययम तथा एक और ष्टवद्वान अब्दरु रहमान ष्टबन हसन
ने अपऩी ष्टकताब "फ़त्ह अल-मज़ीद" में कह़ी ह़ै। इस़ी तरह अन्य ष्टवद्वानों ने भ़ी इसका
उल्लेख ष्टकया ह़ै।

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जादू तथा ग़ैब की बात बताने के बारे में शरई दृष्टिकोण 14

दआु ह़ै ष्टक अल्लाह मसु लमानों को हर बरु ाई से बचाए, उनके धमग की सरु क्षा करे ,
उन्हें धमग का ष्टवशद्ध
ु ज्ञान प्रदान करे तथा उन्हें शऱीयात ष्टवरोध़ी हर काम से बचाए। अल्लाह
की कृ पा एवं शांष्टत की धारा बरसे उसके बंदे और उसके रसल ू महु म्मद सल्लल्लाहु अल़ैष्टह
व सल्लम, उनके पररजनों और साष्टथयों पर।

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जादू तथा ग़ैब की बात बताने के बारे में शरई दृष्टिकोण 15

पत्नी का पधत पर जादू करना [16]


अब्दल
ु अज़ीज ष्टबन अब्दल्ु लाह ष्टबन बाज की ओर से सम्माष्टनत भाई ... को
प्रेष्टषत। अस-सलामु अल़ैकुम व रहमतल्ु लाष्टह व बरकातहु ु। तत्पश्चात :
मझु े आपका पत्र ष्टमला और उसमें नई पत्ऩी से संभोर् के इरादे के समय आपको
होने वाल़ी परे शाऩी, उसके बाद आपके एक श़ैख़ के पास जाने और उसकी ओर से आपके
ष्टलए ष्टदए र्ए फ़तवे के साथ-साथ आपकी परु ाऩी पत्ऩी के उस अमल से भ़ी अवर्त हुआ,
जो नई पत्ऩी से आपको संभोर् से रोकने का कारण बना था।
उत्तर : यष्टद परु ाऩी पत्ऩी ने मान ष्टलया ष्टक उसने ऐसा ष्टकया ह़ै या ष्टफर उसके ऐसा
करने का प्रमाण ष्टमल र्या, तो सचमचु उसने एक बहुत बडे र्नु ाह का काम ह़ी नहीं, बष्टल्क
कुफ़्र और र्मु राह़ी का कायग ष्टकया ह़ै। क्योंष्टक उसका यह कायग जादू के दायरे में आता ह़ै, जो
ष्टक हराम ह़ै और जादू करने वाला काष्टफ़र ह़ै, ज़ैसा अल्लाह तआला ने फ़रमाया ह़ै : "तथा
सल ु ़ैमान के राज्य में श़ैतान जो ष्टमथ्या बातें बना रहे थे, उनका अनसु रण करने लर्े। जबष्टक
सल ु ़ैमान ने कभ़ी कुफ़्र (जाद)ू नहीं ष्टकया, परन्तु कुफ़्र तो श़ैतानों ने ष्टकया, जो लोर्ों को जादू
ष्टसखा रहे थे तथा वे उन बातों का (अनसु रण करने लर्े) जो बाष्टबल (नर्र) के दो फ़ररश्तों;
हारूत और मारूत पर उताऱी र्यीं, जबष्टक वे दोनों ष्टकस़ी को जादू नहीं ष्टसखाते, जब तक ये
न कह देते ष्टक हम के वल एक पऱीक्षा हैं, अतः, तू कुफ़्र में न पड। ष्टफर भ़ी वे उन दोनों से वो
च़ीज स़ीखते, ष्टजसके द्वारा वे पष्टत और पत्ऩी के ब़ीच जदु ाई डाल दें और वे अल्लाह की
अनमु ष्टत ष्टबना इसके द्वारा ष्टकस़ी को कोई हाष्टन नहीं पहुचूँ ा सकते थे, परन्तु ष्टफर भ़ी ऐस़ी
बातें स़ीखते थे, जो उनके ष्टलए हाष्टनकारक हों और लाभकाऱी न हों और वे भल़ी-भाूँष्टत
जानते थे ष्टक जो इसका ख़ऱीदार बना, परलोक में उसका कोई भार् नहीं तथा ष्टकतना बरु ा
उपभोग्य ह़ै, ष्टजसके बदले वे अपने प्राणों का सौदा कर रहे हैं, यष्टद वे जानते होते!"1यह
पष्टवत्र आयत इस बात का प्रमाण ह़ै ष्टक जादू कुफ़्र ह़ै, जादर्ू र काष्टफ़र ह़ै, जादर्ू र जो कुि
स़ीखते हैं वह उनके हक में लाभदायक होने की बजाय हाष्टनकारक ह़ै, उनका एक उद्देश्य
पष्टत-पत्ऩी के ब़ीच अलर्ाव प़ैदा करना भ़ी होता ह़ै और इस तरह के लोर्ों की कयामत के

1
सरू ा अल-बकरा, आयत संख्या :102

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जादू तथा ग़ैब की बात बताने के बारे में शरई दृष्टिकोण 16

ष्टदन मष्टु ि में कोई ष्टहस्सेदाऱी नहीं होऱ्ी। जबष्टक सह़ीह हद़ीस द्वारा ष्टसद्ध ह़ै ष्टक नब़ी
सल्लल्लाहु अल़ैष्टह वसल्लम ने फ़रमाया : "सात ष्टवनाशकाऱी वस्तओ ु ं से बचो।" पिू ा र्या
ष्टक ऐ अल्लाह के रसल ू ! यह सात ष्टवनाशकाऱी च़ीजें क्या हैं? तो आपने कहा : आप ने
फरमाया : "ष्टकस़ी को अल्लाह का साझ़ी िहराना, जादू करना, ष्टकस़ी बेर्नु ाह की हत्या
करना, सदू लेना, अनाथ का माल हडपना, रणभष्टू म से फ़रार होना एवं मोष्टमन पाकदामन
मष्टहलाओ ं पर झिू ा लांिन लर्ाना।"
रहा प्रश्न उस मौलव़ी का ष्टजसने तमु को दवा द़ी थ़ी, तो जाष्टहर स़ी बात ह़ै ष्टक वह भ़ी
उस स्त्ऱी की तरह ह़ी जादू करने वाला ह़ै। क्योंष्टक जादू के कायों से जादर्ू र ह़ी अवर्त होते
हैं। साथ ह़ी वह खोई हुई अथवा चोऱी की हुई वस्तु की सचू ना देने वालों में से भ़ी ह़ै, जो
बहुत-से अवसरों पर ग़ैब की बात बताने का दावा करने के ष्टलए जाने जाते हैं। अतः एक
मसु लमान को अष्टनवायग रूप से इस प्रकार के लोर्ों से सावधान रहना और उनकी बताई हुई
बातों को सच मानने से बचना चाष्टहए। क्योंष्टक अल्लाह के नब़ी सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व
सल्लम का फ़रमान ह़ै : "ष्टजसने ष्टकस़ी खोई हुई अथवा चोऱी की हुई वस्तु के बारे में बताने
का दावा करने वाले के पास जाकर उससे कुि पि ू ा, उसकी चाल़ीस ष्टदन की नमाज ग्रहण
नहीं होऱ्ी।" - इसे इमाम मष्टु स्लम ने अपऩी सह़ीह में ररवायत ष्टकया ह़ै। एक अन्य हद़ीस में ह़ै
ष्टक अल्लाह के नब़ी सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम ने फ़रमाया : "जो ष्टकस़ी खोई हुई या
चोऱी की हुई वस्तु आष्टद के बारे में जानने का दावा करने वाले अथवा ग़ैब की बात जानने
का दावा करने वाले के पास र्या और उसकी कह़ी हुई बात को सच माना, उसने उस धमग
का इनकार ष्टकया, जो महु म्मद सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम पर उतारा र्या ह़ै।"
अतः तमु अष्टनवायग रूप से तौबा कर लो, जो कुि हो चक ु ा ह़ै उसपर शष्टमिंदऱ्ी का
इजहार करो, उलेमा काउंष्टसल के अध्यक्ष तथा न्यायालय को उि मौलव़ी तथा अपऩी
परु ाऩी पत्ऩी की सचू ना दे दो, ताष्टक काउंष्टसल एवं न्यायालय उनके बारे में दडं ात्मक कारग वाई
कर सके । साथ ह़ी आर्े यष्टद इस तरह की घिना पेश आए, तो शऱीयत की जानकाऱी रखने
वाले लोर्ों से उसका शरई इलाज जानने का प्रयास करो। अल्लाह हम सब को इस्लाम की
सह़ी समझ प्रदान करे , उसपर सदृु ढ़ रखे और धमगष्टवरोध़ी च़ीजों से बचाए। ष्टनश्चय ह़ी वह
बडा दाता एवं दयावान ह़ै।

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जादू तथा ग़ैब की बात बताने के बारे में शरई दृष्टिकोण 17

तमु पर सलामत़ी, अल्लाह की रह़मत और उसकी बरकतें हों।

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जादू तथा ग़ैब की बात बताने के बारे में शरई दृष्टिकोण 18

जादूगरों तथा नज़रबदं ी का करतब धदखाने वालों से कुछ पूछने के


संबंि में शरई दृधिकोण [18]
प्रश्न : हमारे एक भाई स. अ. ब. ने ररयाज से पिू ा ह़ै : यमन के कुि भार्ों में कुि
लोर् हैं, जो "अस-सादह" याऩी सरदार कहलाते हैं। यह लोर् नजरबंद़ी आष्टद कई इस्लाम
ष्टवरोध़ी कायग करते हैं। उनका दावा ह़ै ष्टक वे लोर्ों की लाइलाज ब़ीमाररयों को ि़ीक कर
सकते हैं। इसके प्रमाणस्वरूप वे अपने आप को खंजर से जतम़ी कर लेते हैं और दोबारा
ि़ीक हो जाते हैं या अपऩी जबान कािने के बाद उसे ष्टफर से जोड देते हैं। इनमें से कुि लोर्
नमाज पढ़ते हैं और कुि नहीं भ़ी पढ़ते। इस़ी तरह, यह लोर् दसू रे कुलों में अपऩी शाद़ी को
तो जायज समझते हैं, लेष्टकन अपने कुल में ष्टकस़ी की शाद़ी जायज नहीं समझते। इनसे जडु ़ी
हुई एक और महत्वपणू ग बात यह ह़ै ष्टक यह लोर् रोष्टर्यों के ष्टलए दआ ु करते समय अल्लाह
के साथ-साथ अपने पवू गजों को भ़ी पक ु ारते हैं। पहले तो लोर् उनका सम्मान करते थे, उन्हें
असाधारण तथा अल्लाह के ष्टनकिवती लोर् मानते थे और अल्लाह वाले कहते थे। लेष्टकन
अब उनके बारे में लोर्ों के मत बूँिे हुए हैं। यवु ा और कुि पढ़े ष्टलखे लोर् उनका ष्टवरोध
करते हैं, जबष्टक अष्टधक आयु वाले तथा अज्ञान लोर् आज भ़ी उनके साथ जडु े हुए हैं।
आशा ह़ै ष्टक हमें इस संबंध में वास्तष्टवकता से अवर्त करें र्े। उत्तर : ये और इस तरह के
लोर् उन सष्टू फ़यों में शाष्टमल हैं, जो कई शऱीयत ष्टवरोध़ी एवं आधारह़ीन कायग करते हैं। ये उन
ग़ैब की बात बताने वाले लोर्ों में भ़ी शाष्टमल हैं, ष्टजनके बारे में अल्लाह के नब़ी
सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम ने फ़रमाया ह़ै : "ष्टजसने ष्टकस़ी खोई हुई अथवा चोऱी की हुई
वस्तु के बारे में बताने का दावा करने वाले के पास जाकर उससे कुि पिू ा, उसकी चाल़ीस
ष्टदन की नमाज ग्रहण नहीं होऱ्ी।" इस चेतावऩी का कारण यह ह़ै ष्टक वे ग़ैब की जानने का
दावा करते हैं, ष्टजन्नात की सेवा तथा उनकी इबादत करते हैं और जादू के द्वारा लोर्ों को
धोखा देते हैं, ष्टजसके बारे में अल्लाह तआला ने मसू ा एवं ष्टफ़रऔन की घिना में कहा ह़ै :
"मसू ा ने कहा : तम्ु हीं फें को। तो उन्होंने जब (रष्टस्सयाूँ) फें कीं, तो लोंर्ों की आूँखों पर जादू
कर ष्टदया और उन्हें भयभ़ीत कर ष्टदया और बहुत बडा जादू कर ष्टदखाया।" अतः उि हद़ीस
के कारण उनके पास जाना और उनसे कुि पि ू ना जायज नहीं ह़ै। एक अन्य हद़ीस में
अल्लाह के नब़ी सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम ने फ़रमाया ह़ै : "ष्टजसने ष्टकस़ी ग़ैब की बात
बताने का दावा करने वाले के पास जाकर उसकी कह़ी हुई बात को सच माना, उसने उस
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जादू तथा ग़ैब की बात बताने के बारे में शरई दृष्टिकोण 19

धमग का इनकार ष्टकया, जो महु म्मद सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम पर उतारा र्या ह़ै।"
जबष्टक एक ररवायत के शब्द हैं : "जो ष्टकस़ी खोई हुई या चोऱी की हुई वस्तु आष्टद के बारे में
जानने का दावा करने वाले अथवा ग़ैब की बात जानने का दावा करने वाले के पास र्या
और उसकी कह़ी हुई बात को सच माना, उसने उस धमग का इनकार ष्टकया, जो महु म्मद
सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम पर उतारा र्या ह़ै।"
रह़ी बात उनके अल्लाह के अष्टतररि अन्य लोर्ों को पक ु ारने, उनसे फ़ररयाद करने
और उनका यह धारणा रखने की ष्टक उसके बाप-दादा कायनात के सचं ालन से सबं ष्टं धत
अष्टधकार रखते हैं, ब़ीमारों को रोर्मि ु कर सकते हैं या ष्टफर मर जाने अथवा अनपु ष्टस्थत
रहने के बावजदू पक ु ारने वाले की पक ु ार सनु लेते हैं, तो यह सवगशष्टिमान एवं महान
अल्लाह के प्रष्टत अष्टवश्वास एवं महानतम ष्टशकग ह़ै। अतः इस प्रकार के लोर्ों का खडं न
ष्टकया जाना चाष्टहए और उनके पास जाने, उनसे कुि पिू ने तथा उनकी बात को सच मानने
से बचना चाष्टहए। क्योंष्टक इनके इन कायों से ग़ैब की बात बताने वाले, खोई हुई अथवा चोऱी
की हुई वस्तु का पता बताने वाले और ष्टशकग करने वालों का चररत्र झलकता ह़ै, जो
अल्लाह को िोड ष्टजन्नों एवं ऐसे मरे हुए लोर्ों की पजू ा करते, उनसे फ़ररयाद करते और
उनकी सहायता माूँर्ते हैं, ष्टजनसे वे अपना नाता जोडते हैं, ष्टजनको अपना पवू गज मानते हैं या
ष्टफर ष्टजनको वल़ी समझते हैं और ष्टजनकी करामात का बखान करते नहीं थकते। सच्चाई
यह ह़ै ष्टक यह सारे कायग, जाद-ू िोना, ग़ैब की बात बताने और खोई हुई अथवा चोऱी की हुई
वस्तु के बारे में सचू ना देने की िेण़ी में आते हैं, ष्टजनकी पष्टवत्र इस्लाम़ी शऱीयत में कदाष्टप
अनमु ष्टत नहीं ह़ै।
अब जहाूँ तक उनके स्वयं को खंजर से जतम़ी कर लेने या अपने जबान काि लेने
या इस तरह के अन्य खंडन योग्य कायों की बात ह़ै, तो यह सब नजरबंद़ी का खेल हैं।
दरअसल इस तरह के सारे कायग जादू के दायरे में आते हैं, ष्टजसे कुरआन की बहुत-स़ी
आयतों और अनष्टर्नत ह़ीद़ीसों में हराम कहा र्या ह़ै और सावधान ष्टकया र्या ह़ै। इसष्टलए
ष्टकस़ी समझदार व्यष्टि को इसके धोखे में नहीं आना चाष्टहए। यह तो उस़ी प्रकार का जादू ह़ै,
ष्टजसके बारे में अल्लाह तआला ने ष्टफ़रऔन के जादर्ू रों का ष्टजक्र करते हुए कहा ह़ै :

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जादू तथा ग़ैब की बात बताने के बारे में शरई दृष्टिकोण 20

"उनकी रष्टस्सयाूँ तथा लाष्टियाूँ उसे लर् रह़ी थीं ष्टक उनके जादू (के बल) से दौड रह़ी हैं।"1इस
तरह देखा जाए तो इन लोर्ों ने, जाद,ू नजरबंद़ी, ग़ैब की बात बताने, खोई हुई अथवा चोऱी
की हुई वस्तु की सचू ना देने, महानतम ष्टशकग , अल्लाह के अष्टतररि ष्टकस़ी और की सहायता
लेने, उनसे फ़ररयाद करने, ग़ैब की बात जानने का दावा करने और संसार के संचालन का
अष्टधकार रखने का दावा, आष्टद च़ीजों को एकत्र कर ष्टलया ह़ै। जबष्टक यह सारे महानतम
ष्टशकग , स्पि कुफ़्र और जाद-ू िोना के कायग हैं, ष्टजन्हें अल्लाह ने हराम घोष्टषि ष्टकया ह़ै और
ष्टफर ग़ैब की बात को अल्लाह के अष्टतररि कोई जानता ह़ी नहीं। उसका फ़रमान ह़ै : "आप
कह दें ष्टक अल्लाह के ष्टसवा आकाशों तथा धरत़ी में रहने वाला कोई भ़ी परोक्ष से अवर्त
नहीं ह़ै।"2अतः उनके हाल से अवर्त सारे लोर्ों कतगव्य ह़ै ष्टक उनका खडं न करें , उनके
र्लत एवं ग़ैर-शरई कायों से लोर्ों को सावधान करें और यष्टद मामला ष्टकस़ी इस्लाम़ी देश
का हो, तो प्रशासन को उनकी र्ष्टतष्टवष्टधयों से अवर्त कराएूँ,
ताष्टक शऱीयत की नजर में उन्हें जो सजा ष्टमलऩी चाष्टहए, वह उन्हें द़ी जा सके और
उनकी बरु ाई तथा फ़रे ब से लोर्ों को बचाया जा सके ।
अल्लाह तआ़ला ह़ी सयु ोर् एवं क्षमता देने वाला ह़ै।

1
सरू ा ताहा, आयत संख्या : 66
2
सरू ा अन-नम्ल, आयत संख्या : 65

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जादू तथा ग़ैब की बात बताने के बारे में शरई दृष्टिकोण 21

ऐसे लोक धिधकत्सक से इलाज करवाना, जो धजन्नात की सेवा लेता


हो
प्रश्न : हमारे यहाूँ कुि लोर् लोक ष्टचष्टकत्सा के द्वारा इलाज करने का दावा करते हैं।
जब कोई उनके पास जाता ह़ै, तो कहते हैं : हमें अपना तथा अपऩी माता का नाम ष्टलखकर
दे दो और उसके बाद कल आना। जब वह दोबारा आता ह़ै, तो कहते हैं : तम्ु हें अमक ु -
अमक ु ब़ीमाऱी ह़ै और तुम्हारा इलाज यह और यह ह़ै। उनमें कुि लोर्ों का कहना ह़ै ष्टक वे
इलाज में अल्लाह की वाण़ी का प्रयोर् करते हैं। इस तरह के लोर्ों के बारे में आपका क्या
मत ह़ै और इनके पास जाना क़ै सा ह़ै? स. अ. ग. हाइल।
उत्तर : ष्टचष्टकत्सा का यह रंर्-रूप बताता ह़ै वह व्यष्टि ष्टजन्नता की सेवा प्राप्त करता
ह़ै और ग़ैब की बात जानने का दावा करता ह़ै। अतः उसके पास इलाज कराना जायज नहीं
ह़ै। इस़ी तरह उसके पास जाना और उससे कुि पि ू ना भ़ी जायज नहीं ह़ै। क्योंष्टक इस िेण़ी
के लोर्ों के बारे में अल्लाह के नब़ी सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम ने फ़रमाया ह़ै : "ष्टजसने
ष्टकस़ी खोई हुई अथवा चोऱी की हुई वस्तु के बारे में बताने का दावा करने वाले के पास
जाकर उससे कुि पि ू ा, उसकी चाल़ीस ष्टदन की नमाज ग्रहण नहीं होऱ्ी।" इसे इमाम
मष्टु स्लम ने अपऩी सह़ीह में ररवायत ष्टकया ह़ै। अल्लाह के रसल ू सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व
सल्लम की कई सह़ीह हद़ीसों में ऱ्ैब की बात बताने वालों, खोई हुई अथवा चोऱी की हुई
वस्तु की सचू ना देने वालों और जादर्ू रों के पास जाने, उनसे कुि पिू ने तथा उनकी बात को
सच मानने से मना ष्टर्या र्या ह़ै। एक हद़ीस में ह़ै : "ष्टजसने ष्टकस़ी ग़ैब की बात बताने का
दावा करने वाले के पास जाकर उसकी कह़ी हुई बात को सच माना, उसने उस धमग का
इनकार ष्टकया, जो महु म्मद सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम पर उतारा र्या ह़ै।" ष्टजसने भ़ी
कंकड या कौड़ी फें ककर, धरत़ी में लकीर खींचकर या रोऱ्ी से उसका, उसकी माता का
अथवा उसके ररश्तेदारों का नाम पिू कर ग़ैब की बात जानने का दावा ष्टकया , वह उन ग़ैब
की बात बताने वालों और भष्टवर्षयवाण़ी करने वालों में शाष्टमल ह़ै, ष्टजनसे कुि पिू ने और
ष्टजनकी बात को सच मानने से अल्लाह के नब़ी सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम ने मना
ष्टकया ह़ै।

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जादू तथा ग़ैब की बात बताने के बारे में शरई दृष्टिकोण 22

अतः इस तरह के लोर्ों के पास जाने, उनसे कुि पिू ने और उनसे इलाज कराने से
सतकग रहना चाष्टहए। क्योंष्टक असत्यवाद़ी लोर् हमेशा फ़रे ब और िल से काम लेते हैं और
इस प्रकार के लोर्ों की बातों को सच मानने का कोई औष्टचत्य नहीं ह़ै। साथ ह़ी जो इस तरह
के ष्टकस़ी व्यष्टि को जानता ह़ै, उसका कतगव्य ह़ै ष्टक प्रशासन ज़ैसे, काष्टजयों, अष्टधकाररयों
और ष्टवष्टभन्न सराकाऱी ष्टनकायों के कें द्रों को उनसे सष्टू चत कर दें, ताष्टक उनपर ष्टवष्टधसम्मत
कारग वाई की जा सके और मसु लमानों को उनके ष्टफ़तने से बचाया जा सके ।
हम अल्लाह की सहायता माूँर्ते हैं और सच्चाई यह ह़ै ष्टक अल्लाह की सहायता के
ष्टबना इनसान के पास न अच्िा कायग करने की क्षमता ह़ै और न बरु े काम से बचने की
क्षमता।

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जादू तथा ग़ैब की बात बताने के बारे में शरई दृष्टिकोण 23

जादू का शरई इलाज [22]


प्रश्न : मैंने एक आष्टलम को कहते सनु ा ह़ै ष्टक ष्टजसे लर्ता हो ष्टक उसपर जादू कर
ष्टदया र्या ह़ै, वह चार बेऱी के पत्ते ले और उन्हें एक बरतन में रखकर उनपर सरू ा अल-
इख़लास, सरू ा अल-फ़लक, सरू ा अन-नास, आयत अल-कुरस़ी, सरू ा अल-
काष्टफ़रून,1{‫ }وما أنزل عىل الملكني ببابل هاروت وماروت‬वाल़ी आयत और सरू ा
फ़ाष्टतहा पढ़े। यह बात ष्टकतऩी सह़ी ह़ै और ष्टजस व्यष्टि पर जादू कर ष्टदया जाए, उसे क्या
करना चाष्टहए? आशा ह़ै ष्टक हमें उत्तर प्रदान करें र्े। अल्लाह आपको सरु ष्टक्षत रखे।
उत्तर : इसमें कोई संदहे नहीं ह़ै ष्टक जादू एक वास्तष्टवक वस्तु ह़ै। यह और बात ह़ै ष्टक
यह कभ़ी इनसान को भ्रम में डालता और कभ़ी-कभ़ी सचमचु घष्टित होता ह़ै तथा
सवगशष्टिमान एवं महान अल्लाह की अनमु ष्टत से प्रभाव िोडता ह़ै। जादर्ू रों के बारे में
अल्लाह तआला ने फ़रमाया ह़ै : "तथा सल ु ़ैमान के राज्य में श़ैतान जो ष्टमथ्या बातें बना रहे
थे, उनका अनसु रण करने लर्े। जबष्टक सल ु ़ैमान ने कभ़ी कुफ़्र (जाद)ू नहीं ष्टकया, परन्तु कुफ़्र
तो श़ैतानों ने ष्टकया, जो लोर्ों को जादू ष्टसखा रहे थे तथा वे उन बातों का (अनसु रण करने
लर्े) जो बाष्टबल (नर्र) के दो फ़ररश्तों; हारूत और मारूत पर उताऱी र्यीं, जबष्टक वे याऩी
दोनों फ़ररश्ते ष्टकस़ी को जादू नहीं ष्टसखाते, जब तक ये न कह देते ष्टक हम के वल एक पऱीक्षा
हैं, अतः, तू कुफ़्र में न पड। ष्टफर भ़ी वे उन दोनों से वो च़ीज स़ीखते, ष्टजसके द्वारा वे पष्टत
और पत्ऩी के ब़ीच जदु ाई डाल दें और वे अल्लाह की अनमु ष्टत ष्टबना इसके द्वारा ष्टकस़ी को
कोई हाष्टन नहीं पहुचूँ ा सकते थे।"2अतः जादू का प्रभाव तो पडता ह़ै, लेष्टकन वह अल्लाह
की प्राकृ ष्टतक अनमु ष्टत से पडता ह़ै। क्योंष्टक इस संसार में जो भ़ी घिना घित़ी ह़ै और जो भ़ी
वस्तु अष्टस्तत्व में आत़ी ह़ै, वह अल्लाह की अनमु ष्टत से उसके ष्टनणगय के अनसु ार होत़ी ह़ै।
ष्टफर, जादू का इलाज तथा दवा भ़ी मौजदू ह़ै। स्वयं अल्लाह के नब़ी सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व
सल्लम पर जादू ष्टकया र्या, ते अल्लाह ने आपको उससे मष्टु ि प्रदान की। सहाबा ने जादू
की हुई च़ीजों को ढूूँढ ष्टनकाला और नि कर ष्टदया, तो अल्लाह ने अपने नब़ी को उसके

1
सरू ा अल-बकरा, आयत संख्या :102
2
सरू ा अल-बकरा, आयत संख्या :102

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जादू तथा ग़ैब की बात बताने के बारे में शरई दृष्टिकोण 24

प्रभाव से बाहर ष्टनकाल ष्टदया। अतः, जब जादू की हुई च़ीजों, ज़ैसे ष्टर्रह लर्ाए हुए धार्ों
तथा परस्पर जडु ़ी हुई कीलों आष्टद को प्राप्त कर ष्टलया जाए, तो उन्हें नि कर ष्टदया जाएर्ा।
क्योंष्टक जादर्ू र अपने र्लत उद्देश्यों की पष्टू तग के ष्टलए फूँू क मारकर ष्टर्रह लर्ाने आष्टद का
कायग करते हैं। उसके बाद कभ़ी तो अल्लाह की अनमु ष्टत से उनका उद्देश्य परू ा हो जाता ह़ै
और कभ़ी नहीं भ़ी होता ह़ै। क्योंष्टक हमारा पष्टवत्र एवं उच्च पालनहार हर काम करने का
सामथ्यग रखता ह़ै। जादू का इलाज कभ़ी-कभ़ी कुरआन की ष्टवशेश सरू ों एवं आयतों को
पढ़कर भ़ी ष्टकया जाता ह़ै। चाहे पढ़ने का कायग जादू से प्रभाष्टवत व्यष्टि स्वयं करे , यष्टद वह
होश व हसाव में हो, या ष्टफर कोई दसू रा व्यष्टि पढ़कर उसके स़ीने और शऱीर के ष्टकस़ी
अन्य अर्ं में दम करे । इस अवसर पर सरू ा फ़ाष्टतहा, आयत अल-कुरस़ी, सरू ा अल-
इख़लास, सरू ा अल-फ़लक और सरू ा अन-नास के साथ-साथ सरू ा अल-आराफ़, सरू ा यनू सु
और सरू ा ताहा की वह आयतें पढ़़ी जाएूँऱ्ी, ष्टजनका सबं धं जादू से ह़ै। सरू ा अल-आराफ़ की
आयतें कुि इस तरह हैं : "तो हमने मसू ा को वह़्य की ष्टक अपऩी लाि़ी फें को और वह
अकस्मात् झिू े इन्द्रजाल को ष्टनर्लने लऱ्ी। अतः सत्य ष्टसद्ध हो र्या और उनका बनाया
मंत्र-तंत्र व्यथग होकर रह र्या। अतं तः वे प्राष्टजत कर ष्टदए र्ए और तच्ु ि तथा अपमाष्टनत
होकर रह र्ए।"1सरू ा यनू सु की यह आयतें इस तरह हैं : "और ष्टफ़रऔन ने कहा : (देश में)
ष्टजतने दक्ष जादर्ू र हैं, उन्हें मेरे पास लाओ। और जब उन्होंने फें क ष्टदया, तो मसू ा नो कहा :
तमु जो कुि लाये हो, वह जादू ह़ै। ष्टनश्चय अल्लाह उसे अष्टभव्यथग कर देर्ा। वास्तव में,
अल्लाह उपद्रवकाररयों के कमग को नहीं सधु ारता। और अल्लाह सत्य को, अपने आदेशों के
अनसु ार, सत्य कर ष्टदखाएर्ा। यद्यष्टप अपराष्टधयों को बरु ा लर्े।"2तथा सरू ा ताहा की यह
आयतें इस तरह हैं : "उन्होंने कहा : हे मसू ा! तू फें कता ह़ै या पहले हम फें कें ? मसू ा ने कहा :
बष्टल्क तुम्हीं फें को। ष्टफर उनकी रष्टस्सयाूँ तथा लाष्टियाूँ उसे लर् रह़ी थीं ष्टक उनके जादू (के
बल) से दौड रह़ी हैं। इससे मसू ा अपने मन में डर र्या। हमने कहाः डर मत, तू ह़ी ऊपर
रहेर्ा। और फें क दे, जो तेरे दायें हाथ में ह़ै, वह ष्टनर्ल जाएर्ा, जो कुि उन्होंने बनाया ह़ै।
वह के वल जादू का स्वाूँर् बनाकर लाए हैं तथा जादर्ू र सफल नहीं होता, जहाूँ से

1
सरू ा अल-आराफ़, आयत संख्या : 117-119
2
सरू ा यनू सु , आयत संख्या : 79-82

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जादू तथा ग़ैब की बात बताने के बारे में शरई दृष्टिकोण 25

आए।"1इस़ी तरह सरू ा "कुल या अययहु ल्काष्टफ़रून", सरू ा "कुलहुवल्लाहु अहद", "कुल
अऊजु रष्टब्बल फ़लक" और "कुल अऊजु ष्टबरष्टब्बन्नास " पढ़े। बेहतर यह ह़ै ष्टक सरू ा अल-
इख़लास, सरू ा अल-फ़लक और सरू ा अन-नास को त़ीन बार पढ़े और यह दआ ु पढ़े : "ऐ
अल्लाह, लोर्ों के पालनहार! कि दरू कर दे तथा रोर् से मष्टु ि प्रदान कर। तू ह़ी रोर् से
मष्टु ि प्रदान करता ह़ै। तेरे ष्टसवा कोई रोर् से मष्टु ि प्रदान करने वाला नहीं ह़ै। रोर् से ऐसा
िुिकारा प्रदान कर ष्टक ष्टफर कोई रोर् शेष न रहे।" इस दआ ु को त़ीन बार कहे। इस़ी तरह
उसपर यह दआ ु पढ़े: "अल्लाह का नाम लेकर मैं तहु ारे ष्टलए पनाह मार्ं ता हूँ हर किदायक
वस्तु से, हर प्राण़ी की बरु ाई अथवा ईर्षयागलु आूँख से।अल्लाह तम्ु हें रोर् से मष्टु ि प्रदान करे ।
अल्लाह का नाम लेकर मैं तमु पर पढ़ता ह।ूँ " इस दआ ु को त़ीन बार पढ़े तथा स्वास्थ्य लाभ
एवं सरु क्षा की दआु करे । यष्टद इस दआ ु को भ़ी त़ीन बार पढ़ ले : "मैं तझु े अल्लाह के सपं णू ग
शब्दों की शरण में देता हूँ उसकी सृष्टियों की बरु ाई से।" तो उष्टत उत्तम।
यह सब लाभकाऱी दआ ु एूँ हैं। यष्टद इन आयतों तथा इस दआ ु को पाऩी में पढ़कर
उसका कुि भार् प़ी ले और शेष से स्नान कर ले, तो इससे अल्लाह की अनमु ष्टत से स्वाथ्य
लाभ होर्ा। यष्टद पाऩी में बेऱी के सात हरे पत्तों को कूिने के बाद डाल दे, तो इससे भ़ी
फ़ायदा होर्ा। इसे बहुतों बार आजमाया र्या ह़ै और अल्लाह की अनमु ष्टत से इससे फ़ायदा
हुआ ह़ै। हमने बहुत-से लोर्ों को ऐसा करने को कहा और अल्लाह ने उन्हें इससे फ़ायदा
पहुचूँ ाया। यह इलाज उस व्यष्टि के ष्टलए भ़ी लाभकाऱी ह़ै, जो जादू के कुप्रभाव के कारण
अपऩी पत्ऩी से संभोर् की शष्टि खो चक ु ा हो। कई बार कुि लोर्ों पर जादू का इतना बरु ा
असर पडता ह़ै ष्टक वे पत्ऩी से संभोर् की शष्टि ह़ी नहीं रखते। इस प्रकार के लोर् जब इस
तरह का इलाज कराते हैं तो अल्लाह की अनमु ष्टत से फ़ायदा होता ह़ै। चाहे प़ीष्टडत व्यष्टि
स्वयं अपने ऊपर इन्हें पढ़े या कोई दसू रा पढ़े या ष्टफर इन्हें पाऩी में पढ़कर उसका कुि भार्
प़ी ले और शेष से स्नान करे । हर तरह से जादू ष्टकए हुए व्यष्टि तथा पत्ऩी के संभोर् से अक्षम
कर ष्टदए र्ए व्यष्टि को लाभ होता ह़ै। स्मरण रहे ष्टक यह के वल साधान हैं और स्वास्थ्य
के वल पष्टवत्र एवं महान अल्लाह ह़ी प्रदान करता ह़ै, जो हर काम करने की शष्टि रखता ह़ै।
उस़ी हाथ में दवा भ़ी ह़ै उस़ी के हाथ में ब़ीमाऱी भ़ी ह़ै। जो भ़ी होता ह़ै उसके इरादे से और

1
सरू ा ताहा, आयत संख्या : 65-69

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जादू तथा ग़ैब की बात बताने के बारे में शरई दृष्टिकोण 26

उसके ष्टनणगय के अनसु ार होता ह़ै। एक सह़ीह हद़ीस में ह़ै ष्टक अल्लाह के रसल
ू सल्लल्लाहु
अल़ैष्टह व सल्लम ने फ़रमाया : "अल्लाह ने ष्टजतने भ़ी रोर् उतारे हैं, उनकी दवा भ़ी उताऱी
ह़ै। यह और बात ह़ै ष्टक कस़ी को मालमू हो र्ई और ष्टकस़ी को मालमू न हो सकी।"
यह दरअसल पष्टवत्र एवं महान अल्लाह का अनग्रु ह तथा उसकी कृ पा ह़ै। वह़ी
सयु ोर् प्रदान करता ह़ै और वह़ी स़ीधा मार्ग ष्टदखाता ह़ै।

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जादू तथा ग़ैब की बात बताने के बारे में शरई दृष्टिकोण 27

इनसान के अंदर धजन्न के प्रवेश करने तथा इसका इनकार करने वाले
के खंडन में दोटूक बातें [28]
साऱी प्रशंसा अल्लाह की ह़ै तथा दरूद एवं सलाम हो अल्लाह के रसल
ू , उनके
पररजनों, साष्टथयों और उनके मार्ग पर चलने वालों पर।
कुि स्थाऩीय तथा ऱ्ैर-स्थाऩीय समाचार पत्रों ने इस साल याऩी सन 1407 ष्टहजऱी
के शाबान मह़ीने में मेरे सामने एक ष्टजन्न के , जो ररयाज में रहने वाल़ी एक मष्टु स्लम स्त्ऱी के
शऱीर में प्रवेश कर चक ु ा था, इस्लाम धमग ग्रहण करने के एलान की ख़बर को संष्टक्षप्त एवं
ष्टवस्तृत रूप में प्रकाष्टशत ष्टकया। दरअसल इससे पहले ह़ी, जब ररयाज में रहने वाले हमारे
एक भाई अब्दल्ु लाह ष्टबन मष्टु िफ़ अल-उमऱी ने ष्टजन्न से प्रभाष्टवत स्त्ऱी पर कुरआन की कुि
आयतें पढ़ीं, उस ष्टजन्न से बात की, उसे अल्लाह का वास्ता देकर समझाया, उसे बताया ष्टक
अत्याचार हराम एवं बहुत बडा पाप ह़ै, तथा जब उस ष्टजन्न ने बताया ष्टक वह ग़ैरमष्टु स्लम
एवं बौद्ध ह़ै, तो उसे इस्लाम ग्रहण करने का आह्वान ष्टकया और उस स्त्ऱी का शऱीर त्यार् देने
को कहा, तो वह इस आह्वान से संतिु हो र्या था और अब्दल्ु लाह के समाने इस्लाम ग्रहण
करने का एलान कर ष्टदया था। उसके बाद हमारे भाई अब्दल्ु लाह तथा उस स्त्ऱी के
अष्टभभावकों की इच्िा हुई ष्टक उस स्त्ऱी को लेकर मेरे पास उपष्टस्थत हों, ताष्टक मैं भ़ी उस
ष्टजन्न के इस्लाम ग्रहण करने का एलान सनु लूँ।ू चनु ांचे जब वे मेरे पास आए और मैंने उससे
उस स्त्ऱी के शऱीर में प्रवेश करने का कारण पि ू ा, तो उसने कारण बताए। वह बात तो उस स्त्ऱी
की जबान से कर रहा था, लेष्टकन बात स्त्ऱी की नहीं, बष्टल्क परुु ष की थ़ी। वह स्त्ऱी मेरे पास
रख़ी एक कुसी में ब़ैि़ी हुई थ़ी और उसका भाई, उसकी बहन, अब्दल्ु लाह ष्टबन मष्टु िफ़ और
कुि अन्य उलेमा सब कुि देख रहे थे तथा ष्टजन्न की बात सनु रहे थे। उसने स्पि रूप से
इस्लाम ग्रहण करने की घोषणा की और बताया ष्टक वह बद्ध ु धमग का अनयु ाय़ी एवं भारत़ीय
ह़ै। मैंने उसे समझाया, अल्लाह का भय रखने को कहा, उि स्त्ऱी का शऱीर त्यार् देने का
आह्वान ष्टकया और उसपर अत्याचार करने से बाज रहने को कहा, तो उसने मेऱी इन बातों
को मान ष्टलया और बताया ष्टक मैं इस्लाम धमग से सतं िु हो र्या ह।ूँ अब, जब अल्लाह ने
उसे ष्टहदायत दे द़ी, तो मैंने उसे अपऩी जाष्टत को इस्लाम की ओर बल ु ाने को कहा, तो इसका
उसने वादा ष्टकया और उि स्त्ऱी का शऱीर त्यार् ष्टदया। इस अवसर पर, अंष्टतम शब्द जो

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जादू तथा ग़ैब की बात बताने के बारे में शरई दृष्टिकोण 28

उसकी जबान से ष्टनकले, वह थे, अस-सलामु अल़ैकुम। ष्टफर उस स्त्ऱी ने अपऩी साधारण
भाषा में बात करना शरू ु कर ष्टदया तथा उसने ष्टजन्न के बोझ से राहत महससू ष्टकया। एक
मह़ीना या उससे कुि अष्टधक समय ब़ीतने के बाद वह स्त्ऱी अपने दो भाइयों, मामा और
बहन के साथ मेरे पास आई और मझु े बताया ष्टक अब वह सकुशल तथा स्वस्थ ह़ै और वह
ष्टजन्न दोबारा वापस नहीं आया ह़ै। मैंने उससे पिू ा ष्टक वह उस ष्टजन्न के शऱीर के अदं र रहते
समय क्या कुि महससू कर रह़ी थ़ी, तो उसने बताया ष्टक उन ष्टदनों उसके मन में शऱीयत
ष्टवरोध़ी घष्टिया ष्टवचार आते थे और वह बद्ध ु धमग की तथा उसके बारे में ष्टलख़ी र्ई ष्टकताबों
की ओर आकषगण महससू करत़ी थ़ी। जबष्टक उससे मष्टु ि ष्टमलने के बाद मन में इस तरह के
ष्टवचार आने का ष्टसलष्टसला बदं हो र्या और पहले की तरह वह इन घष्टिया ष्टवचारों से
सरु ष्टक्षत ज़ीवन ज़ीने लऱ्ी। मझु े पता चला ष्टक श़ैख़ अल़ी अत-तनताव़ी ने इस प्रकार की
घिना के घष्टित होने की संभावना से इनकार ष्टकया ह़ै और बताया ह़ै ष्टक यह असत्य एवं झिू
ह़ै तथा सभं व ह़ै ष्टक इस तरह की बात उस स्त्ऱी के साथ ररकाडग की र्ई हो और यह बातें
उसने न कह़ी हों। मैंने वह क़ै सेि मूँर्वाई, ष्टजसमें श़ैख़ अल़ी अत-तनताव़ी की यह बात
ररकाडग ह़ै, तो उनकी कह़ी हुई बात से अवर्त होने के बाद मझु े उनके इस ष्टवचार पर बडा
आश्चयग हुआ ष्टक हो सकता ह़ै ष्टक यह उस स्त्ऱी के साथ ररकाडग की हुई बात हो। हालाूँष्टक मैंने
उस ष्टजन्न से कई प्रश्न ष्टकए थे और उसने मेरे हर प्रश्न का उत्तर ष्टदया था। दरअसल यह एक
बदतऱीन गलत बयाऩी और ष्टनराधार आरोप ह़ै। उन्होंने आर्े यह भ़ी कहा ह़ै ष्टक ष्टकस़ी
इनसान के हाथ पर ष्टकस़ी ष्टजन्न का इस्लाम ग्रहण करना सल ु ़ैमान अल़ैष्टहस्सलाम के संदभग
में आए हुए अल्लाह के इस कथन के ष्टवरुद्ध ह़ै : "तथा मझु े ऐसा राज्य प्रदान कर, जो मेरे
पश्चात ष्टकस़ी और के ष्टलए उष्टचत न हो।"1दरअसल यह भ़ी उनकी ओर से गलत बयाऩी
और ष्टनराधार ष्टवश्ले षण ह़ै। इनसान के हाथ में ष्टजन्न के इस्लाम ग्रहण करने के अंदर कोई
ऐस़ी नहीं ह़ै, जो सल ु ़ैमान अल़ैष्टहस्सलाम की उि दआ ु के ष्टवरुद्ध हो। ष्टजन्नों की एक बहुत
बड़ी संख्या ने अल्लाह के नब़ी सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम के हाथ पर इस्लाम ग्रहण
ष्टकया था।

1
सरू ा साद, आयत संख्या : 35

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जादू तथा ग़ैब की बात बताने के बारे में शरई दृष्टिकोण 29

अल्लाह ने सरू ा अल-अहकाफ़ तथा सरू ा अल-ष्टजन्न में इसे स्पि रूप से बयान
ष्टकया ह़ै। जबष्टक सह़ीह बख़ ु ाऱी एवं सह़ीह मष्टु स्लम में अबू हुऱैरा रष्टजयल्लाहु अनहु से वष्टणगत
एक हद़ीस में ह़ै ष्टक अल्लाह के नब़ी सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम ने फ़रमाया : "श़ैतान
मेरे सामने आया और मेऱी नमाज को नि करने के ष्टलए मझु पर आक्रमण कर ष्टदया। लेष्टकन
अल्लाह ने मझु े उसपर हाव़ी कर ष्टदया और मैंने उसकी र्रदन पकडकर दबा ष्टदया। मेरा तो
इरादा बन र्या था ष्टक उसे मष्टस्जद के ष्टकस़ी खभं े से बाूँध द,ूँू ताष्टक जब तमु सबु ह को
मष्टस्जद आओ, तो उसे देख सको। लेष्टकन मझु े अपने भाई सल ु ़ैमान अल़ैष्टहस्सालम का यह
कथन याद आ र्या : "हे मेरे रब! मझु े क्षमा कर तथा मझु े ऐसा राज्य प्रदान कर, जो मेरे
पश्चात ष्टकस़ी और के ष्टलए उष्टचत न हो।"1तो अल्लाह ने उसे नामरु ाद वापस कर ष्टदया।" यह
सह़ीह बख़ ु ाऱी के शब्द हैं। जबष्टक सह़ीह मष्टु स्लम के शब्द कुि इस प्रकार हैं : "ष्टपिल़ी रात
एक ष्टवशालकाय ष्टजन्न मेऱी नमाज नि करने के ष्टलए मेरे सामने आने लर्ा। लेष्टकन अल्लाह
ने मझु े उसपर हाव़ी कर ष्टदया और मैंने उसकी र्रदन पकडकर दबा ष्टदया। मेरा तो इराद बन
र्या था ष्टक उसे मष्टस्जद के ष्टकस़ी खभं े से बाूँध द,ूँू ताष्टक तमु सबहु को मष्टस्जद आओ तो
सब लोर् उसे देख सको, लेष्टकन मझु े अपने भाई सल ु ़ैमान की यह दआ ु याद आ र्ई : "हे मेरे
रब! मझु े क्षमा कर तथा मझु े ऐसा राज्य प्रदान कर, जो मेरे पश्चात ष्टकस़ी और के ष्टलए उष्टचत
न हो।"2अंततः, अल्लाह ने उसे नामरु ाद वापस कर ष्टदया।" जबष्टक नसई ने आइशा
रष्टजयल्लाहु अनहा से बख़ ु ाऱी की शतग पर ररवायत ष्टकया ह़ै ष्टक अल्लाह के रसल ू
सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम नमाज पढ़ रहे थे ष्टक श़ैतान आ र्या। आपने उसे पकडकर
पिाड ष्टदया और र्ला घोंि ष्टदया। अल्लाह के रसल ू सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम ने
फ़रमाया : "यहाूँ तक मैंने अपने हाथ में उसकी जबान की िंडक महससू की। यष्टद मेरे भाई
सल ु ़ैमान की दआ ु न होत़ी, तो वह बूँधा रहता और लोर् उसे देख पाते।" जबष्टक अहमद एवं
अबू दाऊद ने इसका वणगन अबू सईद ख़दु ऱी रष्टजयल्लाहु अनहु से ष्टकया ह़ै, ष्टजसमें ह़ै : "मैंने
अपना हाथ बढ़ाया और उसका र्ला दबाता चला र्या, यहाूँ तक ष्टक अपऩी दो उंर्ष्टलयों,
अंर्िू े तथा उसके पास वाल़ी उूँर्ल़ी के ब़ीच उसकी राल की िंडक महससू की।" जबष्टक

1
सरू ा साद, आयत संख्या : 35
2
सरू ा साद, आयत संख्या : 35

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जादू तथा ग़ैब की बात बताने के बारे में शरई दृष्टिकोण 30

इमाम बख़ ु ाऱी ने अपऩी सह़ीह 4/487 में अबू हुऱैरा रष्टजयल्लाहु अनहु से ष्टबना सनद के
ररवायत ष्टकया ह़ै, वह कहते हैं : अल्लाह के रसल ू सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम ने मझु े
सदका-ए-ष्टफ़त्र के अनाज की सरु क्षा का आदेश ष्टदया। इस़ी ब़ीच मेरे पास एक आदम़ी
आया और लप भर-भरकर अनाज लेने लर्ा। मैंने उसे पकड ष्टलया और कहा : अल्लाह की
कसम! मैं तझु े अल्लाह के रसल ू सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम के पास ले जाऊूँर्ा। उसने
कहा : मझु े िोड दो, क्योंष्टक मोहताज हूँ और मझु पर मेरे बच्चों का बोझ होने के कारण
अत्यष्टधक जरूरतमन्द ह।ूँ अबू हुऱैरा रष्टजयल्लाहु अनहु कहते हैं ष्टक मैंने उसे िोड ष्टदया।
सबु ह को अल्लाह के रसल ू सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम ने फरमाया : अबू हुऱैरा! ष्टपिल़ी
रात तेरे क़ै द़ी ने क्या ष्टकया? मैंने कहा : ऐ अल्लाह के रसल ू ! जब उसने अत्यष्टधक मजबरू ़ी
बयान की और अपने बाल बच्चों का ष्टजक्र ष्टकया, तो मैंने तरस खाकर उसे िोड ष्टदया।
आपने फरमाया : उसने तझु से झिू बोला ह़ै। वह ष्टफर आएर्ा। ष्टलहाजा मैं अल्लाह के रसल ू
सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम के फरमान के मद्देनजर ष्टक वह ष्टफर आएर्ा, उसकी प्रत़ीक्षा
करता रहा। चनु ाचं े वह ष्टफर आया और लप भर-भरकर र्ल्ला लेने लर्ा। मैंने उसे पकडकर
कहा : अब मैं तझु े जरूर अल्लाह के रसल ू सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम के पास ले
जाऊूँर्ा। वह कहने लर्ा : मझु े िोड दो, मैं मोहताज ह।ूँ मझु पर मेरे बच्चों का बडा बोझ ह़ै।
मैं ष्टफर न आऊूँर्ा। अब के भ़ी मैंने उसपर तरस खाया और िोड ष्टदया। सबु ह को अल्लाह
के रसल ू सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम ने ष्टफर पि ू ा : अबू हुऱैरा! तुम्हारे क़ै द़ी ने क्या
ष्टकया? मैंने कहा : ऐ अल्लाह के रसल ू ! जब उसने सतत जरूरत पेश की और बच्चों का
ष्टजक्र ष्टकया तो मैंने उसपर रहम करते हुए िोड ष्टदया। आपने ष्टफर फ़रमाया ष्टक उसने तमु से
झिू बोला ह़ै। वह ष्टफर आएर्ा। चनु ांचे मैं त़ीसऱी बार उसका इन्तेजार करने लर्ा। चनु ांचे वह
ष्टफर आया और र्ल्ले से लप भरने लर्ा। मैंने उसे पकडकर कहा ष्टक मैं अब तझु े जरूर
अल्लाह के रसल ू सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम के पास ले जाऊूँर्ा। यह त़ीसऱी बार ह़ै। तू
हर बार कह देता ह़ै ष्टक अब न आऊूँर्ा और ष्टफर आ जाता ह़ै। इसपर उसने कहा : मझु े िोड
दो। मैं तम्ु हें कुि ऐसे शब्द बताता ह,ूँ जो तम्ु हारे ष्टलए फायदेमन्द होंर्े। मैंने कहा : वह क्या
हैं? उसने कहा : जब तमु सोने के ष्टलए अपने ष्टबस्तर पर जाओ तो आयत अल-कुरस़ी याऩी
“अल्लाहु ला इलाहा इल्ला हुवल- हययल ु -कययमू ”1आष्टख़र तक पढ़ लो। ऐसा करने से
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सरू ा अल-बकरा, आयत संख्या : 255

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जादू तथा ग़ैब की बात बताने के बारे में शरई दृष्टिकोण 31

अल्लाह की ओर से तम्ु हाऱी सरु क्षा पर एक फ़ररश्ता ष्टनयि ु हो जाएर्ा और सबु ह तक कोई
श़ैतान तुम्हारे पास न आ सके र्ा। मैंने ष्टफर उसे िोड ष्टदया। सबु ह को अल्लाह के रसल ू
सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम ने पि ू ा : तुम्हारे क़ै द़ी ने ष्टपिल़ी रात क्या ष्टकया? मैंने कहा :
ऐ अल्लाह के रसल ू ! उसने कहा ष्टक मैं तम्ु हें कुि शब्द ष्टसखा देता ह,ूँ ष्टजनसे अल्लाह
तआला तम्ु हें फायदा देर्ा, तो मैंने उसे िोड ष्टदया। आपने फरमाया : वह शब्द क्या हैं? मैंने
कहा : उसने मझु से कहा ष्टक जब अपने ष्टबिौने पर जाओ तो आयत अत-कुरस़ी शरू ु से
आष्टख़र तक पढ़ ष्टलया करो। अल्लाह की ओर से तम्ु हाऱी सरु क्षा पर एक फ़ररश्ता ष्टनयि ु हो
जाएर्ा और सबु ह तक श़ैतान तम्ु हारे पास नहीं आ सके र्ा। सहाबा ष्टकराम रष्टजयल्लाहु
अनहुम तो नेकी के लालच़ी थे ह़ी। अल्लाह के रसल ू सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम ने
फरमाया : उसने इस बार तमु से सच कहा ह़ै, यदष्ट् प वह ह़ै बडा झिू ा। अबू हुऱैरा! तमु जानते
हो ष्टक त़ीन रात से ष्टकससे बात कर रहे हो? मैंने कहा ष्टक नहीं। आपने फ़रमाया : वह श़ैतान
था।
एक सह़ीह हद़ीस, ष्टजसे इमाम बख़ ु ाऱी तथा इमाम मष्टु स्लम ने सष्टफ़यया रष्टजयल्लाहु
अनहा से ररवायत ष्टकया ह़ै, उसमें ह़ै ष्टक अल्लाह के नब़ी सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम ने
फ़रमाया : "श़ैतान आदम की संतान के शऱीर में रि दौडने के स्थानों में दौडता ह़ै।" इमाम
अहमद ने अपऩी मसु नद 4/216 में सह़ीह सनद से ररवायत ष्टकया ह़ै ष्टक उसमान ष्टबन अबल ु
आस रष्टजयल्लाहु अनहु ने कहा : ऐ अल्लाह के रसल ू ! श़ैतान मेरे, मेऱी नमाज और मेऱी
ष्टकरात के ब़ीच रुकावि बन जाता ह़ै। तो आपने फ़रमाया : "वह ष्टख़नष्टजब नाम़ी एक श़ैतान
ह़ै। जब तम्ु हें उसका आभास हो, तो उससे अल्लाह की शरण माूँर्ों।" वह कहते हैं : मैंने
इसपर अमल ष्टकया, तो सवगशष्टिमान एवं महान अल्लाह ने मेऱी यह परे शाऩी दरू कर द़ी।
इस़ी तरह सह़ीह हद़ीसों में अल्लाह के नब़ी सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम से साष्टबत ह़ै ष्टक
हर इनसान के साथ एक फ़ररश्ता और एक श़ैतान साथ़ी के रूप में लर्ा रहता ह़ै। अल्लाह के
नब़ी सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम भ़ी इससे अिूते नहीं थे। यह और बात ह़ै ष्टक अल्लाह
ने आपको अपने साथ रहने वाले श़ैतान पर इतना हाव़ी कर ष्टदया था ष्टक वह आज्ञाकाऱी बन
र्या था और आपको के वल अच्ि़ी बता ह़ी करने को कहता था। सवगशष्टिमान एवं महान
अल्लाह की ष्टकताब, उसके रसल ू सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम की सन्ु नत और इस उम्मत
के मत़ैक्य से इस बात की ष्टसष्टद्ध हो चकु ी ह़ै ष्टक ष्टजन्न इनसान के अंदर प्रवेश करता ह़ै और

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जादू तथा ग़ैब की बात बताने के बारे में शरई दृष्टिकोण 32

उसपर अपना प्रभाव िोडता ह़ै। ऐसे में ष्टकस़ी ज्ञानवान व्यष्टि के ष्टलए ष्टबना ष्टकस़ी प्रमाण के ,
के वल कुि अह्ल-ए-सन्ु नत व जमात ष्टवरोध़ी ष्टबदअष्टतयों के पदष्ट् चह्नों का अनसु रण करते हुए
इसका इनकार करना जायज नहीं ह़ै। इस संबंध में हम अल्लाह ह़ी से मदद माूँर्ते हैं और
सच्च़ी बात यह ह़ै ष्टक उसकी मदद के ष्टबना न इनसान के अंदर कुि अच्िा करने की शष्टि
ह़ै और न बरु ाई से बचने की क्षमता। अब मैं पािकों के ष्टलए जहाूँ तक हो सके , इस सबं धं में
कुि उलेमा के कथन नकल कर रहा ह।ूँ अल्लाह के ष्टनम्नष्टलष्टखत कथन की व्याख्या में
कुरआन व्याख्याकारों के मत "जो लोर् ब्याज खाते हैं, ऐसे उिें र्े ज़ैसे वह उिता ह़ै, ष्टजसे
श़ैतान ने िूकर उनमत्त कर ष्टदया हो।"1
अबू जाफ़ार ष्टबन जऱीर तबऱी ने अल्लाह तआला के इस फ़रमान की व्याख्या करते
हुए कहा ह़ै : "जो लोर् ब्याज खाते हैं, ऐसे उिें र्े ज़ैसे वह उिता ह़ै, ष्टजसे श़ैतान ने िूकर
उनमत्त कर ष्टदया हो।"2"याऩी श़ैतान दष्टु नया में उसके ष्टववेक को नि कर देता ह़ै। वह़ी उसका
र्ला घोंिकर उसे ष्टर्रा देता ह़ै। इसमें आए हुए शब्द {‫ }من المس‬का अथग ह़ै, जुननू से।"
बगव़ी ने उि आयत की तफ़स़ीर में कहा ह़ै : "जो लोर् ब्याज खाते हैं, ऐसे उिें र्े
ज़ैसे वह उिता ह़ै, ष्टजसे श़ैतान ने िूकर उनमत्त कर ष्टदया हो।"3"{‫ }المس‬याऩी जुननू । कहा
जाता ह़ै : "‫ "مس الرجل فهو ممسوس‬याऩी अमुक व्यष्टि मजननू हो र्या।"
जबष्टक इमाम इब्न-ए-कस़ीर ने उि आयत की तफ़स़ीर में कहा ह़ै : "जो लोर् ब्याज
खाते हैं, ऐसे उिें र्े ज़ैसे वह उिता ह़ै, ष्टजसे श़ैतान ने िूकर उनमत्त कर ष्टदया हो।"4"याऩी वे
कयामत के ष्टदन अपऩी कब्रों से उस़ी तरह खडे होंर्,े ष्टजस तरह एक पिाड ष्टदया र्या व्यष्टि
इस अवस्था में खडा होता ह़ै तथा श़ैतान के उनमत्त कर ष्टदए जाने के बाद खडा होता ह़ै।
इसका अथग यह ह़ै ष्टक वह कुि अपररष्टचत अंदाज में खडा होर्ा। अब्दल्ु लाह ष्टबन अब्बास

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सरू ा अल-बकरा, आयत संख्या :275
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सरू ा अल-बकरा, आयत संख्या :275
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सरू ा अल-बकरा, आयत संख्या : 275
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सरू ा अल-बकरा, आयत संख्या :275

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जादू तथा ग़ैब की बात बताने के बारे में शरई दृष्टिकोण 33

रष्टजयल्लाहु अनहु कहते हैं : "सदू खाने वाला कयामत के ष्टदन इस तरह मजननू बनाकर
उिाया जाएर्ा ष्टक अपना ह़ी र्ला घोंि रहा होर्ा।" इसे इब्न-ए-अबू हाष्टतम ने ररवायत
ष्टकया ह़ै उसके बाद कहा ह़ै :
इसे औफ़ ष्टबन माष्टलक, सईद ष्टबन जबु ़ैर, सद्दु ़ी, रब़ी ष्टबन अनस, कतादा और
मक
ु ाष्टतल ष्टबन हययान आष्टद से भ़ी नकल ष्टकया र्या ह़ै।"
इस़ी तरह कुरतबु ़ी ने अपऩी तफ़स़ीर में इस आयत की व्याख्या करते हुए कहा ह़ै :
"जो लोर् ब्याज खाते हैं, ऐसे उिें र्े ज़ैसे वह उिता ह़ै, ष्टजसे श़ैतान ने िूकर उनमत्त कर ष्टदया
हो।"1इस आयत से मालमू होता ह़ै उन लोर्ों की बात गलत ह़ै, जो ष्टकस़ी पर ष्टजन्नात के
द्वारा ष्टकए आक्रमण का इनकार करते हैं और यह समझते हैं ऐसा मानव प्रकृ ष्टत में ष्टवकार के
कारण होता ह़ै, श़ैतान न तो इनसान की रर्ों में दौडता ह़ै और न उसपर उसका कोई असर
होता ह़ै।" इस सबं धं कुरआन के व्याख्याकारों ने बहुत कुि कहा ह़ै। जो उससे अवर्त होना
चाहे, जान सकता ह़ै।
श़ैख़ल ु इस्लाम इब्न-ए-त़ैष्टमया ने अपऩी ष्टकताब "ईजाह अद-दलालह फ़ी उममू
अर-ररसालह ष्टल-अस-सकल़ैन" में, जो मजमू अल-फ़तावा 19/9-65 में मौजदू ह़ै, कहा ह़ै :
"यह़ी कारण ह़ै ष्टक मोतष्टजला के एक समहू ज़ैसे अबू अल़ी जब्ु बाई और अबू बक्र राज़ी
आष्टद ने इनसान के शऱीर में ष्टजन्न के प्रवेश करने की बात का इनकार ष्टकया ह़ै। हालाूँष्टक वे
ष्टजन्नात के वजदू का इनकार नहीं करते। क्योंष्टक अल्लाह के रसल ू सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व
सल्लम की हद़ीसों में ष्टजन्नता के इनसान के शऱीर में प्रवेश करने की बात उतऩी स्पि नहीं
ह़ै, ष्टजतऩी ष्टक उनके वजूद की बात स्पि ह़ै। हालाूँष्टक उनकी यह धारणा र्लत ह़ै। यह़ी
कारण ह़ै ष्टक अशअऱी ने "मकालात अह्ल अस-सन्ु नह व अल-जमाअह" में बताया ह़ै ष्टक
साधारण मोतष्टजला कहते हैं ष्टक ष्टजन्न इनसान के शऱीर में दाष्टख़ल होता ह़ै, ष्टजसका उल्लेख
अल्लाह तआला के इस फ़रमान में ह़ै : "जो लोर् ब्याज खाते हैं, ऐसे उिें र्े ज़ैसे वह उिता
ह़ै, ष्टजसे श़ैतान ने िूकर उनमत्त कर ष्टदया हो।"2जबष्टक अब्दल्ु लाह ष्टबन इमाम अहमद ष्टबन

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सरू ा अल-बकरा, आयत संख्या :275
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सरू ा अल-बकरा, आयत संख्या : 275

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जादू तथा ग़ैब की बात बताने के बारे में शरई दृष्टिकोण 34

हबं ल कहते हैं ष्टक मैंने अपने ष्टपता से कहा : कुि लोर् कहते हैं ष्टक ष्टजन्न इनसान के शऱीर
में प्रवेश नहीं करता। तो उन्होंने कहा : ऐ मेरे बेिे! यह लोर् झिू बोलते हैं। वह इनसान की
जबान से बात करता ह़ै। यह बात अपने स्थान पर ष्टवस्तृत रूप से ष्टलख़ी जा चक ु ी ह़ै। श़ैख़ल

इस्लाम इब्न-ए-त़ैष्टमया अपने फ़तावा 24/276-277 में भ़ी कहते हैं : "ष्टजन्नात का वजदू
अल्लाह की ष्टकताब, उसके रसल ू सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम की सन्ु नत और इस उम्मत
के सदाचाऱी पवू गजों तथा इमामों के मत़ैक्य से साष्टबत ह़ै। इस़ी तरह ष्टजन्न के इनसान के शऱीर
में प्रवेश करने की बात भ़ी अह्ल-ए-सन्ु नत व जमाअत के मत़ैक्य से साष्टबत ह़ै। अल्लाह
तआला का फ़रमान ह़ै : "जो लोर् ब्याज खाते हैं, ऐसे उिें र्े ज़ैसे वह उिता ह़ै, ष्टजसे श़ैतान
ने िूकर उनमत्त कर ष्टदया हो।"1जबष्टक एक सह़ीह हद़ीस में ह़ै ष्टक अल्लाह के नब़ी
सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम ने फ़रमाया ह़ै : "श़ैतान आदम की सतं ान के शऱीर में रि
दौडने के स्थानों में दौडता ह़ै।"
अब्दल्ु लाह ष्टबन इमाम अहमद का कहना ह़ै : मैंने अपने ष्टपता से कहा ष्टक कुि लोर्
कहते हैं ष्टक ष्टजन्न इनसान के शऱीर में प्रवेश नहीं करता, तो उन्होंने कहा : ऐ मेरे बेिे! वे झिू
बोलते हैं। ष्टजन्न इनसान के मूँहु से बात भ़ी करता ह़ै। उनकी कह़ी हुई यह बात एक ष्टवख्यात
तथ्य ह़ै। क्योंष्टक कभ़ी-कभ़ी इनसान पर दौरा पडता ह़ै और इस अवस्था में वह ऐस़ी बात
बोलता ह़ै, ष्टजसका अथग समझ में नहीं आता। कभ़ी-कभ़ी उसे इतना प़ीिा जाता ह़ै ष्टक यष्टद
ऊूँि को भ़ी उतना प़ीिा जाए, तो उसकी हालत पतल़ी हो जाए। लेष्टकन उसे ष्टपिाई का
एहसास नहीं होता तथा जो कुि कहता ह़ै, उसका भ़ी एहसास नहीं होता।
कभ़ी-कभ़ी ऐसा व्यष्टि ष्टजसपर ष्टजन्न सवार हो, एक सामान्य व्यष्टि को कुि इस
तरह खींचता ह़ै, ष्टजस दऱी पर ब़ैिा होता ह़ै उसे इस तरह खींचता ह़ै, ष्टवष्टभन्न यंत्रों को इस
तरह एक स्थान से दसू रे स्थान में ले जाता ह़ै तथा इस प्रकार के अन्य काम कुि इस तरह
करता ह़ै ष्टक देखने वाले को यकीन हो जाता ष्टक इस व्यष्टि के मूँहु से बोलने वाला और इन
वस्तओ
ु ं को स्थानांतररत करने वाला इनसान नहीं कोई और ह़ै।

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सरू ा अल-बकरा, आयत संख्या : 275

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जादू तथा ग़ैब की बात बताने के बारे में शरई दृष्टिकोण 35

ष्टफर, यह बात भ़ी ह़ै ष्टक ष्टकस़ी भ़ी मष्टु स्लम इमाम ने इनसान के शऱीर में ष्टजन्न के
प्रवेश करने का इनकार नहीं ष्टकया ह़ै। अतः, ष्टजसने इसका इनकार ष्टकया और यह दावा
ष्टकया ष्टक शऱीयत इस तरह की धारणा को झिु लात़ी ह़ै, उसने शऱीयत पर ष्टमथ्या आरोप
लर्ाया। ष्टकस़ी भ़ी शरई प्रमाण से इसकी अष्टसष्टद्ध नहीं होत़ी ह़ै।
इमाम इब्न अल-कष्टययम ने अपऩी ष्टकताब "जाद अल-मआद फ़ी हद्य ख़़ैर अल-
इबाद" 4/66-69 में कहा ह़ै : "मानष्टसक ष्टवकार के दो प्रकार हैं। दिु पाष्टथगव आत्माओ ं के
कारण उत्पन्न होने वाला मानष्टसक ष्टवकार और घष्टिया शाऱीररक ष्टमिणों के कारण होने
वाला मानष्टसक ष्टवकार। दसू रे प्रकार का ष्टवकार ह़ी वह ष्टवकार ह़ै, ष्टजसके कारणों एवं इलाज
के बारे में ष्टचष्टकत्सक लोर् बात करते हैं।
जहाूँ तक दिु पाष्टथगव आत्माओ ं के कारण होने वाले मानष्टसक ष्टवकार की बात ह़ै,
तो अग्रण़ीय एवं ष्टववेकी ष्टचष्टकत्सकर्ण उसे स्व़ीकार करते और यह मानते हैं ष्टक उसके
इलाज का तऱीका दिु आत्माओ ं का मक ु ाबला ष्टशि तथा सभ्य आकाश़ीय आत्माओ ं के
जररए करना ह़ै, जो उनके प्रभावों को रोकने तथा उनके कायों को व्यथग करने का काम
करें ऱ्ी। इसे बकु रात ने अपऩी एक ष्टकताब में स्पि रूप से बयान ष्टकया ह़ै और मानष्टसक
ष्टवकार के कुि इलाज का ष्टजक्र करते हुए कहा ह़ै :
यह उपचार उस समय लाभकाऱी ह़ै, जब उसका कारण शाऱीररक ष्टमिण एवं भौष्टतक
संरचना हो। जो मानष्टसक ष्टवकार आत्माओ ं के कारण उसमें यह उपचार लाभकाऱी नहीं ह़ै।
लेष्टकन अज्ञान, महत्वह़ीन एवं तच्ु ि तथा अधष्टमगता को र्ौरव का ष्टवषय जानने वाले
ष्टचष्टकत्सक, आत्माओ ं के कारण मानष्टसक ष्टवकार उत्पन्न होने का इनकार करते हैं तथा
आत्माओ ं के मानव शऱीर में होने वाले प्रभाव को नहीं मानते। हालाूँष्टक उनके पास उनकी
अज्ञानता के अष्टतररि कोई प्रमाण नहीं ह़ै, ष्टचष्टकत्सा ष्टवज्ञान हरष्टर्ज इसका ष्टवरोध नहीं
करता, अनभु व तथा वस्तुष्टस्थष्टत इसकी र्वाह़ी देत़ी ह़ै और उनका ष्टवकार का कारण कुि
ष्टमिणों की बहुलता को बताना कुि प्रकारों में सह़ी ह़ै, सारे प्रकारों में नहीं।" वह आर्े कहते
हैं : "नाष्टस्तक ष्टचष्टकत्सकर्ण आए, ष्टजन्होंने के वल शाऱीररक ष्टमिणों के कारण होने वाले
मानष्टसक ष्टवकार को माना। जबष्टक हर ष्टववेकी एवं इन आत्माओ ं इनके प्रभाव का ज्ञान
रखने वाला व्यष्टि इनकी अज्ञानता एवं ष्टववेकह़ीनता पर हूँसेर्ा। इस प्रकार के मानष्टसका

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जादू तथा ग़ैब की बात बताने के बारे में शरई दृष्टिकोण 36

ष्टवकार का इलाज दो प्रकार से ष्टकया जा सकता ह़ै। एक मानष्टसक ष्टवकार के ष्टशकार व्यष्टि
की ओर से और दसू रा ष्टचष्टकत्सक की ओर से। मानष्टसक ष्टवकार के ष्टशकार व्यष्टि की ओर
से इलाज उसकी आत्मशष्टि, इन आत्माओ ं के रचष्टयता की ओर सच्च़ी एकाग्रता और
अल्लाह की ऐस़ी सच्च़ी शरण लेने द्वारा हो सकत़ी ह़ै, ष्टजसमें ष्टदल एवं जबान दोनों का मेल
हो। यह एक तरह का यद्ध ु ह़ै और यद्ध
ु में शत्रु से हष्टथयार द्वारा बराबऱी का मक
ु ाबला करने के
ष्टलए जरूऱी ह़ै ष्टक योद्धा के अदं र दो बातें पाई जाएूँ। एक यह ष्टक उसके पास हष्टथयार उष्टचत
एवं उत्कृ ि हो और दसू रा यह ष्टक उसके बाजू मजबतू हों। दोनों में एक बात भ़ी न हो, तो
हष्टथयार कुि अष्टधक लाभ नहीं देता। ऐसे में भला उस पररष्टस्थष्टत के बारे में क्या कहा जा
सकता ह़ै, जब दोनों में से कोई भ़ी बात मौजदू न हो?
हृदय एके श्वरवाद, अल्लाह पर भरोसा, उसके भय और उसके प्रष्टत ष्टनष्ठा से खाल़ी
हो और उसके पास हष्टथयार भ़ी न हो।
दसू रा इलाज ष्टचष्टकत्सक द्वारा होता ह़ै। ष्टफर ष्टचष्टकत्सक के अदं र भ़ी इन दो बातों का
पाया जाना जरूऱी ह़ै। यह़ी कारण ह़ै ष्टक कुि ष्टचष्टकत्सकों का के वल "इसके शऱीर से ष्टनकल
जा", "ष्टबष्टस्मल्लाह" अथवा "ला हौला व ला कुव्वता इल्लाह ष्टबल्लाह" कह देना ह़ी
पयागप्त हुआ करता ह़ै। अल्लाह के नब़ी सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम कहा करते थे :
"ष्टनकल जा ऐ अल्लाह के दश्ु मन! मैं अल्लाह का रसल ू ह।ूँ " मैंने अपने र्रू
ु श़ैख़ अल-
इस्लाम इब्न-ए-त़ैष्टमया को देखा ह़ै ष्टक वह ष्टकस़ी को मानष्टसक ष्टवकार के ष्टशकार व्यष्टि के
पास भेजते, जो उसे संबोष्टधत करते हुए कहता : "श़ैख़ ने तझु से कहा ह़ै ष्टक तू इसके शऱीर से
ष्टनकल जा। क्योंष्टक तेरा इसके शऱीर में रहना हलाल नहीं ह़ै।" बस इतने भर से रोऱ्ी को
आराम ष्टमल जाता। कभ़ी-कभ़ी स्वयं उससे बात भ़ी करते थे। यष्टद आत्मा ष्टजद्द़ी होत़ी, तो
ष्टपिाई कर ष्टनकालते, ष्टजसके बाद रोऱ्ी ि़ीक हो जाता तथा उसे ष्टकस़ी कि की अनभु ष्टू त नहीं
होत़ी थ़ी।" हमने उन्हें बहुत बार ऐसा करते देखा ह़ै। वह आर्े कहते हैं : "सारांश यह ष्टक इस
प्रकार के मानष्टसक ष्टवकार तथा उसके इलाज का इनकार के वल ऐसे लोर् करते हैं, जो
अल्प ज्ञान और अल्प बष्टु द्ध हैं। याद रहे ष्टक अष्टधकतर दिु आत्माओ ं का अष्टधकार ऐसे
लोर्ों पर होता ह़ै, जो धमग पर अमल करने के मामले में कमजोर हों तथा उनके हृदय एवं

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जादू तथा ग़ैब की बात बताने के बारे में शरई दृष्टिकोण 37

जबान ष्टजक्र और दआ ु ओ ं से खाल़ी हों। ऐसे में, दिु आत्माएूँ उन्हें शस्त्रह़ीन पाकर उनपर
आक्रमण कर देत़ी हैं।"
इनसान के शऱीर में ष्टजन्न के प्रवेश करने के हमारे बयान ष्टकए हुए शरई प्रमाणों और
अह्ल-ए-सन्ु नत व जमात के अग्रण़ीय ष्टवद्वानों के मत़ैक्य से स्पि ह़ै ष्टक इसका इनकार करने
वालों का मत तथ्यह़ीन ह़ै और श़ैख़ अल़ी अत-तनताव़ी ने इसका इनकार कर बड़ी गलत़ी
की ह़ै।
उन्होंने अपऩी बात रखते समय वादा ष्टकया था ष्टक यष्टद सत्य की ओर उनका
मार्गदशगन ष्टकया र्या, तो वह उसे स्व़ीकार कर लेंर्े। अतः हम आशा करते हैं ष्टक हमारे द्वारा
ष्टलख़ी र्ई इन बातों को पढ़ने के बाद वह सत्य को मान लेंर्े। हम अपने तथा उनके ष्टलए
अल्लाह से मार्गदशगन एवं सयु ोर् की दआ ु करते हैं। हमाऱी बयान की हुई इन बातों से यह भ़ी
मालमू होता ह़ै ष्टक अन-नदवा समाचार पत्र द्वारा ष्टदनांक 14/10/1407 को, उसके पृष्ठ 8 में,
डॉक्िर मो. इरफ़ान के हवाले से ष्टलख़ी र्ई यह बात ष्टक जनु नू शब्द ष्टचष्टकत्सा शब्दकोश से
ष्टवलप्तु हो चकु ा ह़ै तथा उनका यह दावा ष्टक इनसान के शऱीर में ष्टजन्न का प्रवेश करना और
उसकी जबान से उसका बात करना, व़ैज्ञाष्टनक रूप से एक शतप्रष्टतशत असत्य अवधारणा
ह़ै, तथ्यह़ीन तथा शरई ज्ञान तथा अह्ल-ए-सन्ु नत व जमात के अग्रण़ीय ष्टवद्वानों के मतों से
अवर्त न होने का नत़ीजा ह़ै। एक बात और भ़ी ह़ै। इस तथ्य से बहुत-से ष्टचष्टकत्सकों का
अवर्त न होना, इसके वास्तष्टवक तथ्य न होने का प्रमाण नहीं हो सकता। बष्टल्क यह उनकी
उस तथ्य से आश्चयगजनक अज्ञानता का प्रमाण ह़ै, ष्टजससे ऐसे धाष्टमगक ष्टवद्वान अवर्त हैं, जो
अपऩी सच्चाई, अमानतदाऱी और धमग की सह़ी समझ के ष्टलए जाने जाते हैं। बष्टल्क ष्टजसपर
अह्ल-ए-सन्ु नत व जमात का मत़ैक्य ह़ै। हम प़ीिे पढ़ आए हैं ष्टक श़ैख़ल ु इस्लाम इब्न-ए-
त़ैष्टमया ने इसे तमाम इस्लाष्टमक ष्टवद्वानों के हवाले से नकल ष्टकया ह़ै। उन्होंने अबल
ु हसन
अशअऱी के हवाले से भ़ी नकल ष्टकया ह़ै ष्टक उन्होंने इसे अह्ल-ए-सन्ु नत व जमात से नकल
ष्टकया ह़ै। इस़ी तरह इसे अबल ु हसन अशअऱी से अबू अब्दल्ु लाह महु म्मद ष्टबन अब्दल्ु लाह
ष्टशबल़ी हनफ़ी (मृत्यु 799 ष्टहजऱी) ने भ़ी अपऩी ष्टकताब
"आकाम अल-मरजान फ़ी गराइब अल-अख़बार व अहकाम अल-जान्न" के 51वें
अध्याय में भ़ी नकल ष्टकया ह़ै।

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जादू तथा ग़ैब की बात बताने के बारे में शरई दृष्टिकोण 38

प़ीिे इब्न अल-कष्टययम की बात में र्जु र चक ु ा ह़ै ष्टक पहल़ी पंष्टि के ष्टचष्टकत्सक
तथा ष्टचष्टकत्सा ष्टवज्ञान से संबंध रखने वाले ष्टववेकी लोर् इस बात को मानते हैं और इसका
ष्टवरोध नहीं करते। इसका इनकार के वल अज्ञान, ष्टनचले स्तर के एवं धमग ष्टवरोध़ी ष्टचष्टकत्सक
ह़ी करते हैं। इसष्टलए पािकों को चाष्टहए ष्टक हमाऱी बताई हुए बातों को अच्ि़ी तरह समझ
लें, उन्हें मजबतू ़ी से पकडे रहें और अज्ञान ष्टचष्टकत्सकों तथा इस सबं धं में ष्टबना ष्टकस़ी प्रमाण
के के वल अज्ञान ष्टचष्टकत्सकों और मोतष्टजला आष्टद कुि ष्टबदअष्टतयों की बातों को दोहराने
वालों के धोखे में न आएूँ।

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जादू तथा ग़ैब की बात बताने के बारे में शरई दृष्टिकोण 39

नोट
हमने प़ीिे अल्लाह के रसल ू सल्ल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम की जो सह़ीह हद़ीसें और
इस्लाष्टमक ष्टवद्वानों के कथन नकल ष्टकए हैं, उनसे स्पि ह़ै ष्टक ष्टजन्न को संबोष्टधत करना, उसे
उपदेश देना, समझाना और इस्लाम की ओर बल ु ाना तथा उसका इन बातों को मान लेना
अल्लाह के उस कथन के ष्टवरुद्ध नहीं ह़ै, जो उसने सरू ा साद में सल ु ़ैमान अल़ैष्टहस्सलाम की
जबाऩी कहा ह़ै : "हे मेरे रब! मझु े क्षमा कर तथा मझु े ऐसा राज्य प्रदान कर, जो मेरे पश्चात
ष्टकस़ी और के ष्टलए उष्टचत न हो।" इस़ी तरह उसे भलाई का आदेश देना, बरु ाई से रोकना
और प़ीष्टडत के शऱीर से ष्टनकलने से मना करे , तो उसकी ष्टपिाई करना भ़ी उष्टल्लष्टखत आयत
के ष्टवरुद्ध नहीं ह़ै। बष्टल्क ष्टजस प्रकार अत्याचाऱी इनसान को रोकना, प़ीष्टडत की मदद करना,
भलाई का आदेश देना और बरु ाई से रोकना जरूऱी ह़ै, उस़ी तरह यह कायग भ़ी अष्टनवायग ह़ै।
जबष्टक एक सह़ीह हद़ीस प़ीिे र्जु र चक ु ी ह़ै ष्टक अल्लाह के नब़ी सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व
सल्लम ने फ़रमाया : "मैंने उसकी र्रदन पकडकर दबाया, यहाूँ तक ष्टक उसकी राल ष्टनकल
आई।" और आपके हाथ पर ष्टर्रने लऱ्ी। तथा आपने फ़रमाया : "अर्र मेरे भाई सल ु ़ैमान
की दआ ु न होत़ी, तो वह सबु ह तक बूँधा रहता और लोर् उसे देख पाते।" जबष्टक सह़ीह
मष्टु स्लम की एक ररवायत में अबू दरदा रष्टजयल्लाहु अनहु से वष्टणगत ह़ै ष्टक अल्लाह के नब़ी
सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम ने फ़रमाया : "अल्लाह का शत्रु इबल़ीस एक उल्का लेकर
आया ष्टक उसे मेरे चेहरे पर डाल दे। अतः, मैंने त़ीन बार कहा : मैं तझु से अल्लाह की शरण
में आता ह।ूँ ष्टफर त़ीन बार कहा : मैं तझु पर अल्लाह की पणू ग लानत करता ह।ूँ लेष्टकन ष्टफर
भ़ी प़ीिे नहीं हिा, तो मैंने उसे पकडने का इरादा कर ष्टलया। अल्लाह की कसम! यष्टद हमारे
भाई सल ु ़ैमान की दआ ु न होत़ी, तो वह सबु ह मष्टस्जद में बूँधा हुआ ष्टमलता और मद़ीना
वाष्टसयों के बच्चे उससे खेल रहे होते।" हद़ीस की ष्टकताबों में इस आशय की बहुत-स़ी
हद़ीसें मौजदू हैं। इस़ी तरह इस्लाम़ी ष्टवद्वानों ने भ़ी इस संबंध में बहुत कुि कहा ह़ै।
मझु े लर्ता ह़ै ष्टक हमारे द्वारा ष्टलख़ी र्ई यह संष्टक्षप्त पष्टु स्तका सत्य की खोज में लर्े
हुए लोर्ों के ष्टलए पयागप्त ह़ै। मैं अल्लाह से, उसके संदु र नामों और ऊूँचे र्णु ों के वास्ते से
दआु करता हूँ ष्टक हमें तथा सारे मसु लमानों को अपने धमग को समझने, उसपर जमे रहने,
सह़ी बात कहने तथा सह़ी कमग करने का सयु ोर् प्रदान करे और हमें तथा तमाम मसु लमानों

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जादू तथा ग़ैब की बात बताने के बारे में शरई दृष्टिकोण 40

को ष्टबना ज्ञान के धमग के बारे में बात करने और ष्टजस बात का ज्ञान न हो उसका इनकार
करने से बचाए। ष्टनस्संदेह यह सारे कायग अल्लाह ह़ी करता ह़ै और वह़ी इसकी क्षमता रखता
ह़ै।
अल्लाह तआला की कृ पा एवं शांष्टत की बरखा बरसे अल्लाह के बंद,े उसके रसल ू
और हमारे नब़ी महु म्मद सल्लल्लाहु अल़ैष्टह व सल्लम, उनके पररजनों, साष्टथयों तथा ष्टनष्ठा
के साथ अनसु रण करने वालों पर।

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जादू तथा ग़ैब की बात बताने के बारे में शरई दृष्टिकोण 41

धवषय सूिी

प्रस्तावना ...................................................................................................... 3
जाद,ू ग़ैब की बात बताने और इससे सबं ष्टं धत बातों के बारे में इस्लाम़ी दृष्टिकोण [1] ....... 5
पत्ऩी का पष्टत पर जादू करना [16] .................................................................... 15
जादर्ू रों तथा नजरबंद़ी का करतब ष्टदखाने वालों से कुि पिू ने के संबंध में शरई दृष्टिकोण
[18].......................................................................................................... 18
ऐसे लोक ष्टचष्टकत्सक से इलाज करवाना, जो ष्टजन्नात की सेवा लेता हो ...................... 21
जादू का शरई इलाज [22] .............................................................................. 23
इनसान के अंदर ष्टजन्न के प्रवेश करने तथा इसका इनकार करने वाले के खंडन में दोिूक
बातें [28] ................................................................................................... 27
नोि ........................................................................................................... 39
ष्टवषय सचू ़ी.................................................................................................. 41

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