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ईमान के मूलाधार
ईमान के मूलाधार
ू ाधार
लेखक
अब्दल
ु िह्हािरहहमहुल्लाह
तत्वावधान
अब्दल
ु अज़ीज बिन दाख़िल अल-मत
ु ैरी
5
ईमान के मल
ू ाधार
6 अब्दल्
ु लाह बिन उमर -रजजयल्लाहु अन्हुमा- से वखणित है कक अल्लाह
के रसल -सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम- ने फ़रमाया:
6
ईमान के मल
ू ाधार
{गैि की कंु जजयाूँ पाूँच हैं, जजन्हें अल्लाह के मसवा कोई नहीं
जानता: कल तया होने वाला है अल्लाह के मसवा कोई नहीं जानता,
माूँ के गभािशय में तया कुछ पल रहा है अल्लाह के मसवा कोई नही
जानता, िाररश कि होग़ी अल्लाह के मसवा कोई नहीं जानता, कोई
प्राण़ी यह नहीं जानता कक उसकी मत्ृ यु ककस धरत़ी में होने वाली है ,
तथा यह भ़ी िरकत वाले तथा महान अल्लाह के मसवा कोई नहीं
जानता कक क़यामत कि होने वाली है ।} [52]
इसे िु़िारी एवं मुजललम ने ररवायत ककया है
7
ईमान के मल
ू ाधार
गन
ु ाह करने वाला तौिा कर लें, यहाूँ तक कक सरज अपने डिने के
लथान से तनकल आए।} [54]
इसे मुजललम ने ररवायत ककया है ।
8
ईमान के मल
ू ाधार
एक भाग के कारण सारी सजृ टियाूँ एक-दसरे पर दया करत़ी हैं, यहाूँ
तक कक एक चौपाया इस डर से पाूँव उठाए रहता है कक कहीं उसके
िच्चे को चोि न लग जाए।} [59]
9
ईमान के मल
ू ाधार
उसमें चार उं गली के िरािर भ़ी कोई ऐस़ी जगह नहीं है, जहाूँ कोई
फ़ररश्ता पेशाऩी रखकर अल्लाह तआला को सजदा न कर रहा हो।
अल्लाह की क़सम, अगर तम
ु वह कुछ जान लो, जो मैं जानता हूँ,
तो तुम हूँसो कम और रोओ अधधक तथा बिसतरों पर जलत्रयों के
साथ आनंद न ले सको एवं अल्लाह से फ़ररयाद करते हुए रालतों की
ओर तनकल जाओ।} [67]
इस हदीस को इमाम ततरममज़ी ररवायत ककया है और कहा है कक यह
हदीस हसन है |
इस हदीस का यह भाग: {अगर तम ु वह कुछ जान लो, जो मैं
जानता हूँ, तो तुम हूँसो कम और रोओ अधधक।} [68] सहीह ि़ि
ु ारी
तथा सहीह मजु ललम [69]
में अनस -ररजयल्लाहु अनहु- से वखणित हदीस के
रूप में मौजद है ।
10
ईमान के मल
ू ाधार
18 सहीह ि़ि
ु ारी में अब्दल्
ु लाह बिन मसऊद -रजजयल्लाहु अन्हु- से वखणित
है , वह कहते हैं कक अल्लाह के रसल -सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम- ने
फ़रमाया:
{जन्नत, तुममें से ककस़ी व्यजतत से उसके जते के िीते से भ़ी
अधधक तनकि है तथा नकि का भ़ी यही हाल है ।} [72]
20 आपने फ़रमाया:
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ईमान के मल
ू ाधार
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ईमान के मल
ू ाधार
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ईमान के मल
ू ाधार
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ईमान के मल
ू ाधार
28 {अब्दल्
ु लाह बिन अब्िास -रजजयल्लाहु अनहुमा- कहते हैं: मुझे
एक अंसारी सहाि़ी ने िताया कक एक रात वे अल्लाह के रसल -
सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम- के साथ िैठे हुए थे अचानक एक
तारा ििा और चारों ओर रोशऩी िैल गई। यह दे ख आपने पछा:
"पहले जि इस तरह से तारा ििता था, तो तुम तया कहते
थे?"लोगों ने उत्तर हदया: हम कहते थे कक आज रात कोई िडा
आदम़ी पैदा हुआ है , या कोई िडा आदम़ी मरा है ।यह सुन आपने
कहा: "तारा ककस़ी िडे आदम़ी के पैदा होने या मरने से नहीं
ििता, िजल्क िात यह है कक जि हमारा सविशजततमान रि कोई
तनणिय लेता है , तो अशि उठाने वाले फ़ररश्ते तसि़ीह पढते हैं।
किर उनके तनचले आकाश वाले तसि़ीह पढते हैं। यहाूँ तक कक
तसि़ीह पढने का मसलमसला सिसे तनचले आकाश वालों तक पहुूँच
जाता है । किर जो अशि उठाने वाले फ़ररश्तों से क़रीि होते हैं, वह
उनसे पछते हैं कक तुम्हारे रि ने तया आदे श हदया है ? चुनांचे वह
अल्लाह का आदे श ियान करते हैं। इस़ी तरह आकाश वाले एक-
दसरे से पछते रहते हैं। यहाूँ तक कक वह सचना सिसे तनचले
आकाश वालों को पहुूँच जात़ी है । इस़ी ि़ीच जजन्न उस सचना को
चुपके-से उचक लेते हैं और अपने दोलतों को आकर सन ु ाते हैं।
अि जजतना वह हिि िताते हैं, उतना तो सत्य है । लेककन वह
उसमें झठ ममलाते हैं और िढा-चढाकर कहते हैं।} [95] [96]
इसे मुजललम, ततरममज़ी तथा नसई ने ररवायत ककया है ।
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ईमान के मल
ू ाधार
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ईमान के मल
ू ाधार
दाएूँ हाथ में लपेि लेगा और कहे गा: मैं ही िादशाह हूँ! धरत़ी के
िादशाह कहाूँ हैं?" [100] इसे िु़िारी ने ररवायत ककया है ।}
31 सहीह ि़ि
ु ारी ही में अब्दल्
ु लाह बिन उमर -रजजयल्लाहु अन्हुमा- से
वखणित है कक अल्लाह के रसल -सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम- ने
फ़रमाया:
{क़यामत के हदन अल्लाह धराओं को मुट्ठी में कर लेगा और
आकाश उसके दाएूँ हाथ में होंगे। किर कहे गा: मैं ही िादशाह हूँ!} [101]
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ईमान के मल
ू ाधार
35 जि
ु ैर बिन मह
ु म्मद बिन जि
ु ैर बिन मि
ु इम अपने वपिा से और
िह उनके (यानी जुिैर के) दादा (जुिैर बिन मुिइम) से ररिायि
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ईमान के मल
ू ाधार
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ईमान के मल
ू ाधार
गाली दी, हालाूँकक ऐसा करने का उसे कोई अधधकार नहीं था। उसका
मुझे झुठलाना यह कहना है कक उसने मुझे जजस प्रकार से पहली िार
पैदा ककया है , उस़ी प्रकार कदापप दोिारा पैदा नहीं करे गा। जिकक
पहली िार पैदा करना मेरे मलए दसरी िार पैदा करने से अधधक
आसान नहीं था। उसका मझ
ु े गाली दे ना, यह कहना है कक अल्लाह
ने पुत्र िना मलया है । हालाूँकक मैं एक तथा तनटकाम हूँ। न मैंने जना
है और न ही जना गया हूँ, और न कोई मेरी िरािरी का है ।} [114]
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ईमान के मल
ू ाधार
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ईमान के मल
ू ाधार
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ईमान के मल
ू ाधार
उसकी मत्ृ यु भ़ी जहन्नममयों का काम करते हुए होत़ी है और उसे जहन्नम
में दाख़िल कर दे ता है ।"
इसे इमाम मामलक और हाककम ने ररवायत ककया है और हाककम ने
इसे इमाम मुजललम की शति पर कहा है ।
जिकक अि दाऊद ने इसे एक अन्य सनद से ररवायत ककया है । इन्होंने
इसे मुजललम बिन यसार से ररवायत ककया है , जो नुऐम बिन रि़ीआ से
ररवायत करते हैं और वह उमर -रजजयल्लाहु अनहु- से ररवायत करते हैं।
42 इसहाक़ बिन राहवैह कहते हैं: हमसे हदीस ियान की िकक़य्या बिन
वलीद ने, वह कहते हैं कक मुझे िताया जि
ु ैदी मह
ु म्मद बिन वलीद ने,
वह वणिन करते हैं रामशद बिन साद से, वह ररवायत करते हैं अब्दरु
रहमान बिन अि क़तादा से, वह वणिन करते हैं अपने पपता से और वह
ररवायत करते हैं हहशाम बिन हकीम बिन हहजाम से कक {एक व्यजतत
ने कहा: ऐ अल्लाह के रसल! तया कायि शरू
ु होते हैं या उनका
तनणिय पहले ही से ले मलया गया होता है ? तो आपने फ़रमाया:
"जि अल्लाह ने आदम की संतान को उनकी प़ीठ से तनकाला,
तो उन्हें लवयं उन्हीं पर गवाह िनाया, किर उन्हें उनके दोनों
हथेमलयों पर िैला हदया और कहा: यह लोग जन्नत के मलए हैं और
यह लोग जहन्नम के मलए हैं। अतः, जन्नत वालों के मलए
जन्नततयों का काम करना आसान कर हदया जाएगा और जहन्नम
वालों के मलए जहन्नममयों का काम करना आसान कर हदया
जाएगा।"
43 अब्दल्
ु लाह बिन मसऊद -रक्जयल्लाहु अनहुमा- ियान करिे हैं कक
अल्लाह के रसलू -सल्लल्लाहु अलैहह ि सल्लम- ने जो कक सच्चे
हैं और क्जनको सच्चा माना भी गया है , हमें ििाया है :
23
ईमान के मल
ू ाधार
{तम
ु में से हर व्यजतत की सजृ टि-सामग्ऱी उसकी माूँ के पेि में
चालीस हदनों तक व़ीयि के रूप में एकत्र की जात़ी है । किर इतने ही
समय में वह जमे हुए रतत का रूप धारण कर लेत़ी है । किर इतने
ही हदनों में मांस का लोथडा िन जात़ी है । किर अल्लाह उसकी ओर
एक फ़ररश्ते को चार िातों के साथ भेजता है : वह उसका क्रम, उसकी
आयु, उसकी रोज़ी तथा यह भ़ी मलख दे ता है कक वह अच्छा होगा या
िरु ा। अतः, उसकी क़सम, जजसके अततररतत कोई सत्य पज्य नहीं है ,
तुममें से कोई जन्नत वालों के काम करता रहता है, यहाूँ तक कक
उसके और जन्नत के ि़ीच केवल एक हाथ की दरी रह जात़ी है, कक
इतने में उस पर तक़दीर का मलखा गामलि आ जाता है और वह
जहन्नम वालों के काम करने लगता है और उसमें प्रवेश कर जाता
है । इस़ी तरह तुममें से कोई जहन्नम वालों के काम करता रहता है,
यहाूँ तक उसके और जहन्नम के ि़ीच केवल एक हाथ की दरी रह
जात़ी है कक इतने में उस पर तक़दीर का मलखा गामलि आ जाता है
और वह जन्नत वालों के काम करने लगता है और जन्नत में प्रवेश
कर जाता है ।} [138]
ि़ि
ु ारी एवं मजु ललम
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ईमान के मल
ू ाधार
46 अब्दल्
ु लाह बिन उमर -रजजयल्लाहु अन्हुमा- से वखणित है कक अल्लाह
के रसल -सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम- ने फ़रमाया: {हर वलतु
अल्लाह के क़दर (अल्लाह के पवि ज्ञान और मलखे) के अनसु ार
है । यहाूँ तक पववशता और तत्परता भ़ी।} [146]
इसे मजु ललम ने ररवायत ककया है ।
َّ {ت ََ
47 क़तादा -रजजयल्लाहु अन्हु- उच्च एवं महान अल्लाह के फ़रमान: َنل
َ ُ
}ك أ ْمر ُ َُ ْ َ ُّ َ َ َ َ ْ
( المَلئلكة والروح فليها بلإلذ لن رب ل لهم ملن لउसमें फ़ररश्ते तथा जजिरील
अपने पालनहार की आज्ञा से हर काम को परा करने के मलए उतरते हैं।)
की व्याख्या करते हुए कहते हैं: "उस रात को साल
[सरा अल-क़द्र:4] [148]
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ईमान के मल
ू ाधार
48 अब्दल्
ु लाह बिन अब्िास -रजजयल्लाहु अन्हुमा- कहते हैं: अल्लाह ने
लौह-ए-महफ़ज को श्वेत मोत़ी से िनाया है , जजसकी दोनों दफ़ततयाूँ
लाल याक़त की हैं, उसकी क़लम नर है , उसकी मलखावि नर है , उसकी
चौडाई धरत़ी तथा आकाश के ि़ीच की दरी के िरािर है , उस पर
अल्लाह प्रत्येक हदन त़ीन सौ साठ िार नजर डालता है और हर िार
कुछ पैदा करता है , ककस़ी को रोज़ी दे ता है , ककस़ी को ज़ीवन दे ता है ,
ककस़ी को मारता है , ककस़ी को इज़्जत दे ता है , ककस़ी को अपमान दे ता है
और जो चाहे करता है । इस़ी का उल्लेख उच्च एवं महान अल्लाह के
इस फ़रमान में है : {प्रत्येक हदन वह एक नए कायि में है ।} [सरा अर-
रहमान:29] [149]
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ईमान के मल
ू ाधार
रचने से पचास हजार साल प ु्वि एक तनणिय हुआ था। इनमें से हर तनणिय
पविवती तनणियों के पववरण की है मसयत रखता है ।
इसमें इस संसार के महान पालनहार के अनंत ज्ञान, सामर्थयि तथा
हहकमत एवं उसकी ओर से फ़ररश्तों एवं ईमान वाले िंदों की अधधक प्रशंसा
का प्रमाण है ।
आगे फ़रमाया:
इससे लपटि हो गया कक यह सारी तथा इस तरह की अन्य हदीसें इस
िात पर एकमत हैं कक अल्लाह के द्वारा मलया गया पवि तनणिय इनसान को
अमल से नहीं रोकता और तक़दीर पर भरोसा करके हाथ पर हाथ धरे िैठ
जाने की अनुमतत नहीं दे ता। िजल्क, इस के पवपरीत अधधक मेहनत एवं
तत्परता के साथ अल्लाह की इिादत करने को अतनवायि करता है ।
यही कारण है कक जि ककस़ी सहाि़ी ने इस तरह की िातें सुऩीं, तो
फ़रमाया: अि मेरी इिादत का जज़्िा और अधधक हो गया है ।
जिकक अि उसमान नहदी ने सलमान से कहा: मैं उससे, जो पहले
मलखा जा चुका है , उसकी तल
ु ना में कहीं अधधक प्रसन्न हूँ, जो अि हो रहा
है ।
उनका कहना यह है कक जि मामला ऐसा है कक अल्लाह ने पहले से सि
कुछ मलख रखा है और मेरे मलए उसके पथ पर चलना आसान कर हदया है ,
तो मझ
ु े उन असिाि की ितनलित, जो िाद में जाहहर हो रहे हैं, अल्लाह के
पहले से मलखे तनणिय पर अधधक ़िुश़ी है ।
49 वलीद बिन उिादा कहते हैं: {मैं अपने पपता के पास उस समय गया,
जि वह ि़ीमार थे और मुझे लगता था कक अि वह ज़ीपवत नहीं रहें गे।
अतः, मैंने उनसे कहा: पप्रय पपता! आप मझ
ु े वस़ीयत करें , और मेरे
मलए थोडा-सा प्रयास करें । उन्होंने कहा: तुम लोग मुझे बिठा दो। जि
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ईमान के मल
ू ाधार
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ईमान के मल
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ईमान के मल
ू ाधार
मोममन:7] [159]
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ईमान के मल
ू ाधार
इसे मह
ु म्मद बिन नस्र, इब्न अि हाततम, इब्न जरीर तथा अिश
ु -शै़ि
ने ररवायत ककया है ।
31
ईमान के मल
ू ाधार
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ईमान के मल
ू ाधार
तनकिवती फ़ररश्तों में उनकी िात माऩी जात़ी है , और िडे अमानतदार हैं।
यही कारण है कक वह अल्लाह एवं उसके रसलों के ि़ीच दत का काम करते
हैं।
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ईमान के मल
ू ाधार
59 अब्दल्
ु लाह बिन मसऊद -रजजयल्लाहु अनहु- कहते हैं कक {अल्लाह के
रसल -सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम- ने जजिरील को उनके असली रूप
में दे खा, जो हरे रं गा का जोडा पहने हुए थे और आकाश तथा धरत़ी के
ि़ीच के परे खाली लथान को भर रखा था।
इसे मुजललम ने ररवायत ककया है ।
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ईमान के मल
ू ाधार
62 तथा तिराऩी में अली बिन हुसैन से भ़ी इस़ी तरह की ररवायत मौजद
है , जजसमें यह वद्
ृ धध है : तथा इसराफ़ील का अथि है , अब्दरु ि हमान
(रहमान का दास)।
63 तिराऩी ने अब्दल्
ु लाह बिन अब्िास -रजजयल्लाहु अन्हुमा- से वणिन
ककया है कक अल्लाह के रसल -सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम- ने
फ़रमाया:
{तया मैं तम्
ु हें न िताऊूँ कक सविश्रेटठ फ़ररश्ता कोन है ? सविश्रेटठ
फ़ररश्ता जजिरील हैं।}
35
ईमान के मल
ू ाधार
68 अब्दल्
ु लाह बिन अब्िास -रजजयल्लाहु अन्हुमा- से वखणित है कक
अल्लाह के रसल -सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम- ने फ़रमाया:
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ईमान के मल
ू ाधार
37
ईमान के मल
ू ाधार
मैं कहता हूँ: िजाहहर यही लगता है कक आकाशों में रहने वाले फ़ररश्ते
ही 'अल-िैत अल-मामर' आते-जाते रहते हैं।
कुछ फ़ररश्ते जन्नतों की दखभाल तथा जन्नततयों के आदर-सत्कार,
जैसे उनके मलए वलत्रतों, खाने-प़ीने की वलतुओं, आभषणों एवं ठहरने के
लथानों आहद, जजन्हें न ककस़ी आूँख ने दे खा है , न ककस़ी कान ने सन
ु ा है और
न ककस़ी हदल में उनका ़ियाल आया है , की व्यवलथा हे तु तनयुतत हैं।
जिकक कुछ फ़ररश्ते जहन्नम -अल्लाह हमें उससे िचाए- की दे खभाल पर
तनयुतत हैं। इन फ़ररश्तों को जिातनया कहा जाता है । इन के अगुवा उन्ऩीस
फ़ररश्तेहैं। इनके अगआ
ु तथा जहन्नम के दरोगा का नाम मामलक है । इन्हीं
फ़ररश्तों का जजक्र अल्लाह तआला के इस फ़रमान में है : {तथा कहें गे जो
अजग्न में हैं, नरक के रक्षकों से: अपने पालनहार से प्राथिना करो कक
हमसे ककस़ी हदन कुछ यातना हल्की कर दे ।} [अल-मोममनन:49] [183] और
अल्लाह तआला ने फ़रमाया: {तथा वे पक
ु ारें गे कक हे मामलक! तेरा
पालनहार हमारा काम ही तमाम कर दे । वह कहे गा: तुम्हें इस़ी दशा
में रहना है ।} [सरा अज-ज़ि
ु रुफ़:77]
[184]
और अल्लाह तआला ने
फ़रमायाः{जजस पर कडे हदल, कडे लवभाव वाले फ़ररश्ते तनयुतत हैं।
वह अल्लाह के आदे श की अवज्ञा नहीं करते तथा वही करते हैं,
जजसका आदे श उन्हें हदया जाए।} [सरा अत-तहरीम:6] [185] और अल्लाह
तआला ने फ़रमायाः{तनयुतत हैं उनपर उन्ऩीस (रक्षक फ़ररश्ते)।और
हमने नरक के रक्षक फ़ररश्ते ही िनाए हैं।} [186]अल्लाह के इस कथन
तक: {और आपके पालनहार की सेनाओं को उसके मसवा कोई नहीं
जानता।} तथा कुछ फ़ररश्ते इनसानों की सुरक्षा पर
[अल-मुद्दजलसर:30-31] [187]
तनयत
ु त हैं। जैसा कक अल्लाह तआला ने फ़रमाया है : {उस (अल्लाह) के
रखवाले (फ़ररश्ते) हैं, उसके आगे तथा प़ीछे , जो अल्लाह के आदे श
से उसकी रक्षा कर रहे हैं।} [सरा अर-राद:11] [188]
38
ईमान के मल
ू ाधार
अब्दल्
ु लाह बिन अब्िास कहते हैं: यह ऐसे फ़ररश्ते हैं, जो इनसान के
आगे तथा प़ीछे से उसकी रक्षा करते हैं। किर जि अल्लाह का आदे श
आएगा, तो उसे छोडकर हि जाएूँगे। [189]
मुजाहहद कहते हैं: हर िंदे पर एक फ़ररश्ता तनयुतत होता है, जो उसके
सोते-जागते जजन्नों, इनसानों और हातनकारक जावरों से उसकी सरु क्षा
करता है । जि भ़ी इनमें से कोई च़ीज उसे कटि पहुूँचाने के उद्दे श्य से आत़ी
है , तो वह उससे कहता है : दर हो जाओ। हाूँ, यहद कोई ऐस़ी वलतु आए,
जजसकी अनुमतत अल्लाह ने दी हो, तो वह उसे पहुूँच जात़ी है ।
तथा कुछ फ़ररश्ते िंदों के कमों की सुरक्षा पर तनयुतत हैं। जैसा कक
अल्लाह तआला ने फ़रमाया है : {जिकक (उसके) दाएूँ-िाएूँ दो फ़ररश्ते मलख
रहे हैं।वह नहीं िोलता कोई िात, मगर उसे मलखने के मलए उसके पास
एक तनरीक्षक तैयार होता है ।} [सरा क़ाफ़:17, 18] [190] और अल्लाह तआला ने
फ़रमायाः{जिकक तुमपर तनरीक्षक हैं।जो मानऩीय लेखक हैं।वे, जो कुछ
तुम करते हो, जानते हैं।} [सरा अल-इनकफ़तार:10-12] [191]
70 िज़्जार ने अब्दल्
ु लाह बिन अब्िास -रजजयल्लाहु अन्हुमा से वणिन
ककया है कक अल्लाह के रसल -सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम- ने
फ़रमाया:
{अल्लाह तुम्हें तनविलत्र होने से मना करता है । अतः, अल्लाह के
फ़ररश्तों से हया करो, जो तुम्हारे साथ रहते हैं। वे सम्मातनत मलखने
वाले हैं, जो केवल त़ीन अवलथाओं में ही तुम्हारा साथ छोडते हैं ;
पेशाि-पाखाने के समय, सहवास के समय और लनान के समय।
अतः, जि तुममें से कोई खाली लथान में लनान करे , तो अपने
कपडे, दीवार की आड अथवा ककस़ी अन्य वलतु के द्वारा परदा करे ।}
हाकफ़ज इब्ने कस़ीर कहते हैं: "उनके सम्मान का मतलि यह है कक
उनसे हया की जाए और उन्हें िुरा कमि मलखने पर मजिर न ककया जाए।
39
ईमान के मल
ू ाधार
71 मामलक, ि़ि
ु ारी एवं मजु ललम ने अि हुरैरा- रजजयल्लाहु अन्हु- से
ररवायत ककया है कक अल्लाह के रसल -सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम-
ने फ़रमाया:
{तुम्हारे पास रात तथा हदन के फ़ररश्ते िारी-िारी आते-जाते रहते
हैं, जो फ़ज्र तथा अस्र की नमाज में एकत्र होते हैं। किर जि वह
फ़ररश्ते अल्लाह की ओर चढते हैं, जो तम् ु हारे पास रात गुजारकर
जाते हैं, तो अल्लाह, जो िेहतर जानता है , उनसे पछता है कक तम ु
मेरे िंदों को ककस अवलथा में छोड आए हो? वह उत्तर दे ते हैं: हम
जि उन्हें छोड आए थे, तो वे नमाज पढ रहे थे और जि उनके पास
पहुूँचे थे, ति भ़ी वे नमाज पढ रहे थे।} [194]
40
ईमान के मल
ू ाधार
41
ईमान के मल
ू ाधार
42
ईमान के मल
ू ाधार
की ककताि है । दे खो, तम
ु लोगों को मेरे िारे में पछा जाएगा, तो
भला तुम तया उत्तर दोगे?" सहािा ने कहा: हम गवाही दें गे कक
आपने अल्लाह का संदेश पहुूँचा हदया, अपऩी जजम्मेवारी तनभाई और
हहताकांक्ष़ी रहे । इस पर आपने अपऩी तजिऩी को आकाश की ओर
उठाया और उससे लोगों की ओर इशारा करते हुए त़ीन िार फ़रमाया:
"ऐ अल्लाह, त गवाह रह।} [202]
43
ईमान के मल
ू ाधार
79 अब्दल्
ु लाह बिन मसऊद -रजतयल्लाहु अन्हु- से वखणित है कक अल्लाह
के रसल -सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम- ने फ़रमाया:
{अल्लाह ने एक स़ीधे मागि का उदाहरण प्रलतुत ककया है , जजसके
दोनों जातनि दो दीवारें हैं। दोनों दीवारों में द्वार खुले हुए हैं। द्वारों
पर परदे लिके हुए हैं। मागि के अंततम छोर पर एक आवाज दे ने
वाला यह कहकर आवाज दे रहा है कक मागि पर स़ीधे चलते रहो तथा
इधर-उधर न मुडो। उसके ऊपर भ़ी एक आवाज दे ने वाला आवाज दे
रहा है । जि भ़ी कोई िंदा कोई द्वार खोलना चाहता है , तो वह
कहता है: तेरा िरु ा हो! उसे मत खोल। यहद उसे खोल हदया, तो
उसमें प्रवेश कर जाएगा।} [205]
किर आपने उसकी व्याख्या की और फ़रमाया कक मागि से मुराद
इललाम है , खुले हुए द्वार अल्लाह की हराम की हुई च़ीजें हैं, लिके हुए परदे
अल्लाह की ओर से तनधािररत दं ड हैं, मागि के अंततम छोर पर पक ु ारने वाला
क़ुरआन है और ऊपर से पुकारने वाला हर मोममन के हदल में अल्लाह का
उपदे शक है ।
44
ईमान के मल
ू ाधार
81 अब्दल्
ु लाह बिन मसऊद -रजजयल्लाहु अन्हु- ियान करते हैं कक
{अल्लाह के रसल -सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम- ने हमें िताने के मलए
अपने हाथ से एक लकीर ख़ींच़ी और किर फ़रमाया:
"यह अल्लाह का मागि है ।" किर उसके दाएूँ और िाएूँ एक-एक लकीर
ख़ींच़ी तथा फ़रमाया: "यह अलग-अलग मागि हैं, और इनमें से हर मागि पर
शैतान िैठा है , जो लोगों को उसकी ओर िल
ु ाता है ।" किर यह आयत पढी:
{तथा (उसने िताया कक) ये (इललाम ही) अल्लाह की स़ीध़ी राह है ।
अतः इस़ी पर चलो और दसरी राहों पर न चलो, अन्यथा वह राहें
तुम्हें उसकी राह से दर करके तततर-बितर कर दें ग़ी। यही है , जजसका
आदे श उसने तम्
ु हें हदया है , ताकक तम
ु उसके आज्ञाकारी रहो।}
[सरा अल-अनआम:153] [208]
45
ईमान के मल
ू ाधार
83 अब्दल्
ु लाह बिन साबित बिन हाररस अंसारी -रजजयल्लाहु अन्हु- कहते
हैं: {उमर -रजजयल्लाहु अनहु- अल्लाह के रसल -सल्लल्लाहु अलैहह व
सल्लम- के पास एक ककताि ले आए, जजसमें तौरात के कुछ अंश मलख
हुए थे और िोले: इसे मैंने एक अह्ले ककताि से प्राप्त ककया है , ताकक
आपके सामने प्रलतत ु करूूँ। यह दे ख अल्लाह के रसल -सल्लल्लाहु
अलैहह व सल्लम- के चेहरे का रं ग इतना ज़्यादा िदल गया कक मैंने
उस तरह िदलते हुए कभ़ी नहीं दे खा था। इस पर अब्दल् ु लाह बिन
हाररस ने उमर -रजजयल्लाहु अन्हु- से कहा: तया आप अल्लाह के रसल
-सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम- का चेहरा नहीं दे ख रहे हैं?! अतः, उमर
-रजजयल्लाहु अनहु- ने कहा: हम अल्लाह के पालनहार, इललाम के धमि
और मह ु म्मद -सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम- के नि़ी होने पर संतटु ि
एवं प्रसन्न हैं। ति जाकर अल्लाह के रसल -सल्लल्लाहु अलैहह व
सल्लम- का गल ु सा ठं डा हुआ और फ़रमाया:
46
ईमान के मल
ू ाधार
47
ईमान के मल
ू ाधार
85 ि़ि
ु ारी तथा मजु ललम में अनस -रजजयल्लाहु अन्हु- से ररवायत है , वह
कहते हैं कक अल्लाह के रसल -सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम- ने
फ़रमाया:
48
ईमान के मल
ू ाधार
86 तथा ि़ि
ु ारी एवं मजु ललम में अनस -रजजयल्लाहु अन्हु- ही से मिि अन
ररवायत है :
{तम
ु में से कोई व्यजतत उस समय तक मोममन नहीं हो सकता,
जि तक मैं उसके तनकि, उसकी संतान, उसके पपता और तमाम
लोगों से अधधक प्यारा न हो जाऊूँ।} [220]
49
ईमान के मल
ू ाधार
50
ईमान के मल
ू ाधार
तम
ु मेरी सन्
ु नत तथा मेरे िाद मेरे संमागी ़िलीिाओं की सुन्नत
को मजित़ी से थामे रहना और दाढ से पकडे रहना। साथ ही
धमि के नाम पर ककए जाने वाले तनत-नए कामों से िचते रहना।
तयोंकक धमि के नाम पर ककया जाने वाला हर नया काम बिदअत
है और हर बिदअत गुमराही है ।} [227]
इसे अि दाऊद, ततरममज़ी तथा इब्ने माजा ने ररवायत ककया है और
ततरममज़ी ने सहीह कहा है ।
तथा ततरममज़ी की एक अन्य ररवायत में है :
{मैंने तम्
ु हें एक ऐसे प्रकाशमय मागि पर छोडा है , जजसकी रात
भ़ी हदन की तरह रौशन है । मेरे िाद इससे वही भिकेगा, जजसके
भाग्य में पवनाश मलखा हो। जो मेरे िाद ज़ीपवत रहे गा, वह िहुत-सारे
मतभेदा दे खेगा...} [228]
किर उस़ी अथि की हदीस ियान की।
90 सहीह ि़ि
ु ारी में अि हुरैरा- रजजयल्लाहु अन्हु- से वखणित है , वह कहते हैं
कक अल्लाह के रसल- सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम- ने फ़रमाया:
{मेरी उम्मत के सभ़ी लोग जन्नत में प्रवेश करें गे, मसवाए उसके
जो इनकार करे ।
51
ईमान के मल
ू ाधार
91 ि़ि
ु ारी तथा मजु ललम में अनस -रजजयल्लाहु अन्हु से वखणित है , वह
कहते हैं: {त़ीन आदम़ी नि़ी -सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम- की
ि़ीपवयों के पास आए और नि़ी -सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम-
की इिादत के िारे में पछने लगे। जि उन्हें िताया गया, तो
गोया कक उन्होंने आपकी इिादत को िहुत कम समझा। किर
कहने लगे: हम आपकी कि िरािरी कर सकते हैं? तयोंकक
आपके तो अगले-पपछले सि गन
ु ाह माि कर हदए गए हैं। चन
ु ांचे
उनमें से एक कहने लगा: मैं तो ज़ीवन भर परी-परी रात नमाज
पढता रहूँगा। दसरे ने कहा: मैं हमेशा रोजे रखूँगा और कभ़ी रोजा
नहीं छोडूँगा। जिकक त़ीसरे ने कहा: मैं औरतों से दर रहूँगा और
कभ़ी शादी नहीं करूूँगा। चुनाूँचे, नि़ी -सल्लल्लाहु अलैहह व
सल्लम- उनके पास आए और फ़रमाया: "तुम लोगों ने ऐस़ी-ऐस़ी
िातें की हैं? अल्लाह की क़सम! मैं तम्
ु हारी तल
ु ना में अल्लाह से
ज़्यादा डरने वाला और तक़वा अजततयार करने वाला हूँ। लेककन
मैं रोजे भ़ी रखता हूँ और रोजा छोडता भ़ी हूँ। रात को नमाज भ़ी
पढता हूँ और सोता भ़ी हूँ। साथ ही औरतों से तनकाह भ़ी करता
हूँ। जान लो, जो आदम़ी मेरे तरीक़े से मूँुह मोडेगा, वह मझ
ु से
नहीं है ।} [237]
{त़ीन आदम़ी नि़ी -सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम- की ि़ीपवयों के
पास आए और नि़ी -सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम- की इिादत के
िारे में पछने लगे। जि उन्हें िताया गया, तो गोया कक उन्होंने
52
ईमान के मल
ू ाधार
93 अब्दल्
ु लाह बिन अम्र -रजजयल्लाहु अन्हुमा- ियान करते हैं कक अल्लाह
के रसल -सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम- ने फ़रमाया:
{तुममें से कोई उस समय तक मोममन नहीं हो सकता, जि तक
उसकी इच्छाएूँ मेरी लाई हुई शरीयत के अध़ीन न हो जाएूँ।}
इसे िगव़ी ने शहि-अस-सन्
ु नह में ररवायत ककया है और नवव़ी ने सहीह
कहा है ।
53
ईमान के मल
ू ाधार
94 अब्दल्
ु लाह बिन अम्र बिन आस -रजजयल्लाहु अन्हुमा- से ही वखणित है
कक अल्लाह के रसल -सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम- ने फ़रमाया: {मेरी
उम्मत पर बिल्कुल वैसा ही समय आएगा, जैसा कक िऩी इस्राईल पर
आया था। यहाूँ तक कक यहद उनमें से ककस़ी ने अपऩी माूँ के साथ
खुल्लम-खुल्ला जजना ककया होगा, तो मेरी उम्मत में भ़ी इस प्रकार का
व्यजतत होगा, जो ऐसा करे गा। तथा िऩी इस्राईल िहत्तर कफ़कों (दलों)
में िि गए थे, और मेरी यह उम्मत ततहत्तर कफ़कों में िि जाएग़ी। उनमें
से एक के अततररतत िाक़ी सि नरकवास़ी होंगे।"
{मेरी उम्मत पर बिल्कुल वैसा ही समय आएगा, जैसा कक िऩी इस्राईल
पर आया था। यहाूँ तक कक यहद उनमें से ककस़ी ने अपऩी माूँ के साथ
खुल्लम-खुल्ला जजना ककया होगा, तो मेरी उम्मत में भ़ी इस प्रकार का
व्यजतत होगा, जो ऐसा करे गा। तथा िऩी इस्राईल िहत्तर कफ़कों (दलों) में
िि गए थे, और मेरी यह उम्मत ततहत्तर कफ़कों में िि जाएग़ी। उनमें से
एक के अततररतत िाक़ी सि नरकवास़ी होंगे।"
सहािा ने पछा: वह कौन-सा वगि होगा ऐ अल्लाह के रसल?
फ़रमाया: "वह वगि, जो उस मागि पर चल रहा होगा, जजस पर मैं चल
रहा हूँ और मेरे सहािा चल रहे हैं।} [240]
इसे ततरममज़ी ने ररवायत ककया है ।
54
ईमान के मल
ू ाधार
55
ईमान के मल
ू ाधार
98 अब्दल्
ु लाह बिन मसऊद -रजजयल्लाहु अन्हु- से वखणित है , वह कहते हैं:
{तुम्हारा उस समय तया हाल होगा, जि तुमपर कफ़तने का इस
तरह राज होगा कक छोिा उस़ी में िडा होगा, िडा उस़ी में िढा होगा,
उसका प्रचलन इस हद तक िढ जाएगा कक सि लोग उसका पालन
करें गे, और जि उसमें कोई पररवतिन ककया जाएगा, तो आवाज उठे ग़ी
कक एक सुन्नत छोड दी गई! ककस़ी ने पछा कक ऐ अि अब्दरु
रहमान! ऐसा कि होगा? उन्होंने उत्तर हदया: जि तम्
ु हारे ि़ीच
क़ुरआन पढने वाले अधधक होंगे और समझने वाले कम, धन-दौलत
की िाररश होग़ी और अमानतदार घि जाएूँगे, आख़िरत के अमल से
दतु नया तिल की जाएग़ी और दतु नयादारी के उद्दे श्य से धमि का
ज्ञान प्राप्त ककया जाएगा।} [246]
इसे दाररम़ी ने ररवायत ककया है ।
56
ईमान के मल
ू ाधार
102 अम्र बिन शोऐि अपने पपता से और वह अपने दादा से ररवायत करते हैं
कक उन्होंने कहा: {अल्लाह के रसल -सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम-
ने कुछ लोगों को क़ुरआन के िारे में वाद-पववाद करते हुए सनु ा,
तो फ़रमाया: "तुमसे पहले गुजरे हुए लोग इस़ी िात के कारण
57
ईमान के मल
ू ाधार
58
ईमान के मल
ू ाधार
103 सहीह िु़िारी तथा सहीह मुजललम की एक हदीस में क़ब्र की परीक्षा के
िारे में आया है कक {अल्लाह की नेमतों का हक़दार िंदा कहे गा:
अल्लाह के रसल -सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम- हमारे पास
लपटि तनशातनयों और मागिदशिन के साथ आए, तो हमने आपकी
िात माऩी, ईमान ले आए और आपका अनुसरण ककया। जिकक
अल्लाह के दं ड का हक़दार व्यजतत कहे गा: मैंने लोगों को एक
िात कहते हुए सुना, तो मैंने भ़ी कह हदया।} [249]
105 ि़ि
ु ारी तथा मजु ललम ही में अि मसा अशअरी -रजजयल्लाहु अनहु- से
ररवायत है , वह कहते हैं कक अल्लाह के रसल -सल्लल्लाहु अलैहह व
सल्लम- ने फ़रमाया:
{अल्लाह ने जो हहदायत और ज्ञान दे कर मुझे भेजा है , उसकी
ममसाल तेज िाररश की स़ी है , जो जम़ीन पर िरसत़ी है । किर धरत़ी
का कुछ भाग उपजाऊ होता है , जो पाऩी को सोख लेता है और िड़ी
मात्रा में घास तथा हररयाली उगा दे ता है। जिकक धरत़ी का कुछ
भाग पैदावार के लायक नहीं होता, वह पाऩी को रोक लेता है और
उसके द्वारा अल्लाह लोगों को फ़ायदा पहुूँचाता है, तो लोग वह पाऩी
प़ीते हैं, अपने जानवरों को पपलाते हैं और उससे खेत़ी-िाड़ी करते हैं।
59
ईमान के मल
ू ाधार
107 अब्दल्
ु लाह बिन मसऊद -रजजयल्लाहु अन्हु- से ररवायत है , वह कहते हैं
कक अल्लाह के रसल -सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम- ने फ़रमाया:
{अल्लाह ने मुझसे पहले ककस़ी उम्मत में जो भ़ी रसल भेजा,
अपऩी उम्मत में उसके कुछ ममत्र एवं साथ़ी हुआ करते थे, जो
उसकी सुन्नत पर अमल करते और उसके आदे श का अनुसरण
करते थे। किर उनके िाद ऐसे उत्तराधधकारी आए जो कक जो वह
कहते थे, वह करते नहीं थे और वह करते थे, जजसका उन्हें
आदे श नहीं हदया गया था। तो जजसने उनसे हाथ से जजहाद
ककया वह मोममन है , जजसने उनसे हदल से जजहाद ककया, वह
मोममन है तथा जजसने उनसे जिान से जजहाद ककया, वह भ़ी
मोममन है । तथा इसके अततररतत एक राई के दाने के िरािर भ़ी
ईमान नहीं है ।} [259]
60
ईमान के मल
ू ाधार
{अल्लाह ने मझ
ु से पहले ककस़ी उम्मत में जो भ़ी रसल भेजा,
अपऩी उम्मत में उसके कुछ ममत्र एवं साथ़ी हुआ करते थे, जो
उसकी सुन्नत पर अमल करते और उसके आदे श का अनस ु रण करते
थे। किर उनके िाद ऐसे उत्तराधधकारी आए जो कक जो वह कहते थे,
वह करते नहीं थे और वह करते थे, जजसका उन्हें आदे श नहीं हदया
गया था। तो जजसने उनसे हाथ से जजहाद ककया वह मोममन है ,
जजसने उनसे हदल से जजहाद ककया, वह मोममन है तथा जजसने उनसे
जिान से जजहाद ककया, वह भ़ी मोममन है । तथा इसके अततररतत
एक राई के दाने के िरािर भ़ी ईमान नहीं है ।} [259]
इसे मुजललम ने ररवायत ककया है ।
61
ईमान के मल
ू ाधार
110 ि़ि
ु ारी एवं मजु ललम में अि हुरैरा -रजजयल्लाहु अनहु- से वखणित है कक
अल्लाह के रसल -सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम- ने फ़रमाया:
{मैं तम्
ु हें जजस च़ीज से रोकूँ , उससे िचते रहो और जजस च़ीज
का आदे श दूँ , उसे जहाूँ तक हो सके ककए जाओ, तयोंकक तुमसे पहले
के लोगों को उनके अधधक प्रश्नों और नबियों के पवरोध ने हलाक
ककया है ।} [261]
111 अब्दल्
ु लाह बिन मसऊद -रजजयल्लाहु अन्हु- से ररवायत है , वह कहते हैं
कक अल्लाह के रसल -सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम- ने फ़रमाया:
{अल्लाह उस िंदे को प्रिुल्ल व प्रसन्न रखे, जो मेरी िात सुने,
उसे याद तथा सुरक्षक्षत रखे और दसरे को पहुूँचा दे । तयोंकक कई
कफ़क़्ह के वाहक फ़क़ीह नहीं होते और कई कफ़क़्ह के वाहक उसे ऐसे
व्यजतत तक पहुूँचा दे ते हैं जो उससे अधधक फ़क़ीह होते हैं। त़ीन
िातों के संिंध में एक मुसलमान के हदल से चक नहीं होत़ी: केवल
अल्लाह की प्रसन्नता प्राजप्त के मलए काम करना, मुसलमानों का
शुभाकांक्ष़ी रहना और उनकी जमात के साथ आवश्यक रूप से जुडा
रहना। तयोंकक मुसलमानों की दआ
ु उनको अपने घेरे में रखत़ी है ।}
[263]
62
ईमान के मल
ू ाधार
113 अब्दल्
ु लाह बिन अम्र -रजजयल्लाहु अन्हुमा- ियान करते हैं कक अल्लाह
के रसल -सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम- ने फ़रमाया:
{ज्ञान केवल त़ीन हैं: सदृ
ु ढ आयत का ज्ञान, प्रचमलत सन्
ु नत का
ज्ञान तथा न्याय पर आधाररत फ़राइज का ज्ञान। इनके मसवा जजतने
ज्ञान हैं, वह अततररतत हैं।} [266]
इस हदीस को दाररम़ी तथा अि दाऊद ने वणिन ककया है ।
114 अब्दल्
ु लाह बिन अब्िास -रजजयल्लाहु अन्हुमा- से वखणित है कक
अल्लाह के रसल -सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम- ने फ़रमाया:
{जजसने क़ुरआन के िारे में अपने मन से कोई िात कही, वह
अपना हठकाना जहन्नम में िना ले।} [267]
इसे ततरममज़ी ने ररवायत ककया है ।
63
ईमान के मल
ू ाधार
117 मआ
ु पवया -रजजयल्लाहु अन्हु- से वखणित है कक नि़ी -सल्ललल्लाहु
अलैहह व सल्लम- ने कहठन मसलों में पडने से मना ककया है ।
इसे भ़ी अि दाऊद ने ररवायत ककया है ।
118 कस़ीर बिन क़ैस कहते हैं: मैं हदमश्क़ की मजलजद में अि दरदा के साथ
िैठा हुआ था कक एक व्यजतत ने आकर कहा: ऐ अि दरदा! मैं आपके
पास अल्लाह के रसल -सल्ललल्लाहु अलैहह व सल्लम- के नगर से
आया हूँ, तयोंकक मझ
ु े सचना ममली है कक आप अल्लाह के रसल -
सल्ललल्लाहु अलैहह व सल्लम- से एक हदीस ियान करते हैं। मैं
आपके पास ककस़ी अन्य उद्दे श्य से नहीं आया हूँ। यह सन
ु अि दरदा -
रजजयल्लाहु अन्हु- ने कहा कक मैंने अल्लाह के रसल -सल्ललल्लाहु
अलैहह व सल्लम- को फ़रमाते हुए सनु ा है :
{जो व्यजतत ज्ञान प्राजप्त के पथ पर चलता है, अल्लाह उसके
मलए जन्नत का रालता आसान कर दे ता है और फ़ररश्ते ज्ञान प्राजप्त
करने वाले से खुश होकर उसके मलए अपने पर बिछा दे ते हैं। तनश्चय
ही आमलम के मलए आकाशों तथा धरत़ी की सारी च़ीजें, यहाूँ तक कक
पाऩी की मछमलयाूँ भ़ी क्षमा की प्राथिना करत़ी हैं। आमलम को आबिद
पर वही श्रेटठता प्राप्त है, जो चाूँद को मसतारों पर। उलेमा नबियों के
वाररस हैं और नबियों ने दीनार तथा हदरहम पवरासत में नहीं छोडा,
िजल्क पवरासत में केवल ज्ञान छोडा। अत: जजसने इसे प्राप्त कर
मलया, उसने निव़ी म़ीरास का िडा भाग प्राप्त कर मलया।} [270]
इसे अहमद, दाररम़ी, अि दाऊद, ततरममज़ी तथा इब्ने माजा ने ररवायत
ककया है ।
64
ईमान के मल
ू ाधार
65
ईमान के मल
ू ाधार
122 अि दरदा -रजजयल्लाहु अन्हु- से ररवायत है, वह कहते हैं: {हम लोग
अल्लाह के रसल -सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम- के साथ थे।
इस़ी ि़ीच आपने आकाश की ओर नजर उठाई और फ़रमाया:
"यह वह समय है, जि लोगों का ज्ञान उचक मलया जाएगा और
उनके पास जरा भ़ी ज्ञान िाक़ी नहीं रहे गा।"} [278]
{हम लोग अल्लाह के रसल -सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम- के
साथ थे। इस़ी ि़ीच आपने आकाश की ओर नजर उठाई और
फ़रमाया: "यह वह समय है , जि लोगों का ज्ञान उचक मलया जाएगा
और उनके पास जरा भ़ी ज्ञान िाक़ी नहीं रहे गा।"} [278]
इसे ततरममज़ी ने ररवायत ककया है ।
123 जजयाद बिन लि़ीद -रजजयल्लाहु अन्हु- कहते हैं: {अल्लाह के नि़ी -
सल्लल्लाह अलैहह व सल्लम- ने ककस़ी च़ीज की चचाि की और
फ़रमाया कक यह उस समय होगा, जि ज्ञान पवलप्ु त हो जाएगा।
मैंने पछा: ऐ अल्लाह के रसल! ज्ञान पवलुप्त कैसे हो जाएगा,
जिकक हम क़ुरआन पढते हैं, अपने िच्चों को पढाते हैं, हमारे
िच्चे भ़ी अपने िच्चों को पढाएूँगे और इस तरह यह मसलमसला
क़यामत तक जारी रहे गा? आपने उत्तर हदया: "जजयाद! तम्
ु हारी
माूँ तुमपर रोए! मैं तो तुम्हें मदीने के सिसे समझदार लोगोंैं में
धगना करता था और तम
ु इस तरह का प्रश्न करते हो? तया तम
ु
इन यहहदयों तथा ईसाइयों को नहीं दे खते, जो तौरात तथा इंज़ील
पढते तो हैं, लेककन दोनों ग्रंथों की मशक्षाओं पर जरा भ़ी अमल
नहीं करते?} [279]
इसे अहमद और इब्ने माजा ने ररवायत ककया है।
66
ईमान के मल
ू ाधार
124 अब्दल्
ु लाह बिन मसऊद -रजजयल्लाहु अन्हु- से वखणित है , वह कहते हैं:
{तुम ज्ञान को आवश्यक जानो, इससे पहले कक उसे उठा मलया
जाए। दे खो, ज्ञान को उठा मलए जाने का मतलि ज्ञानवान लोगों का
उठ जाना है । तुम ज्ञान को आवश्यक जानो, तयोंकक तुम नहीं जानते
कक तम्
ु हें कि उसकी जरूरत पड जाए, या ककस़ी और को तम्
ु हारे
ज्ञान की जरूरत पड जाए। एक समय ऐसा आएगा कक तुम्हें ऐसे
लोग ममलेंगे, जो अल्लाह की ककताि की ओर िल ु ाने का दावा तो
करें गे, लेककन ़िुद उन्होंने ही उसे अपऩी प़ीठ के प़ीछे डाल रखा
होगा। तम
ु ज्ञान को आवश्य जानो तथा बिदअतों, अततशयोजतत एवं
िाल की खाल तनकालने से िचो और पुराऩी वलतु को आवश्यक
जानो।} [280]
इसे दाररम़ी ने उस़ी की भाूँतत ररवायत ककया है ।
67
ईमान के मल
ू ाधार
68
ईमान के मल
ू ाधार
◼ अध्याय: िहस करने िथा झगड़ने के उद्दे श्य से ज्ञान प्राप्ि करने की
मनाही
127 काि बिन मामलक -रजजयल्लाहु अन्हु- ियान करते हैं कक अल्लाह के
रसल -सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम- ने फ़रमाया:
{जजसने उलेमा से िहस करने, नासमझ लोगों से झगडने अथवा
लोगों का आकषिण लिने के मलए ज्ञान प्राप्त ककया, उसे अल्लाह
जहन्नम में डालेगा।} [282]
इसे ततरममज़ी ने ररवायत ककया है ।
69
ईमान के मल
ू ाधार
131 अब्दल्
ु लाह बिन अब्िास -रजजयल्लाहु अन्हुमा- से वखणित है कक उन्होंने
कुछ लोगों को धमि के िारे में िहस करते हुए सुना, तो फ़रमाया: तया
तमु नहीं जानते कक अल्लाह के कुछ िंदे ऐसे हैं, जो अल्लाह के भय से
चुप्प़ी साधे हुए हैं। हालाूँकक वे िहरे -गोंगे नहीं, िजल्क पवद्वान, सुवतता,
वातपिु तथा श्रेटठ लोग और इततहास के जानकार हैं। लेककन इसके
िावजद हाल यह है कक जि अल्लाह की महानता को याद करते हैं, तो
उनका पववेक छ-मंतर जो जाता है , हदल िैठ जाते हैं और जिानें िंद हो
जात़ी हैं। यहाूँ तक कक जि इस जलथतत से उभरते हैं, तो सुकमों के साथ
अल्लाह की ओर दौड पडते हैं। वे लवयं को कोताही करने वालों में
धगनते हैं, हालाूँकक वे चाक-चौिंद एवं सामर्थयि वाले लोग होते हैं। इस़ी
तरह वे लवयं को पथभ्रटि तथा पापपयों में शम
ु ार करते हैं, हालाूँकक वे
सदाचारी एवं मासम होते हैं। सुनो, वे अल्लाह के मलए ककए हुए अपने
अधधक अमल को अधधक नहीं समझते और उसकी प्रसन्नता की
प्राजप्त के मलए थोडे-मोड अमल से संतुटि भ़ी नहीं होते। वह अपने
अमल का िखान भ़ी नहीं करते। जहाूँ भ़ी उनको दे खो, कतिव्यतनटठ,
डरे -सहमे और भयभ़ीत नजर आते हैं।
इसे अि नऐ
ु म ने ररवायत ककया है ।
70
ईमान के मल
ू ाधार
71
ईमान के मल
ू ाधार
72
ईमान के मल
ू ाधार
137 अब्दल्
ु लाह बिन अम्र -रजजयल्लाहु अन्हु- से मरफ़अन वखणित है :
{अल्लाह ऐसे सुभाष़ी व्यजतत से नफ़रत करता है , जो ऐसे जिान
चलाता हो, जैसे गाय जिान चलात़ी है ।} [291]
इसे अि दाऊद तथा
ततरममज़ी ने ररवायत ककय है ।
73
ईमान के मल
ू ाधार
141 िर
ु ै दा -रजजयल्लाहु अन्हु- से वखणित है , वह कहते हैं कक मैने अल्लाह के
रसल -सल्लल्लाहु अलैहह व सल्लम- को कहते हुए सुना है :
{कुछ िातें जाद का काम करत़ी हैं, कुछ ज्ञान अज्ञानता से
पररपणि होते हैं, कुछ शेर (कपवता) हहकमत से भरे होते हैं और कुछ
िातें अप्रासंधगक होत़ी हैं।} [296]
74
ईमान के मल
ू ाधार
◼ अध्याय: िहस करने तथा झगडने के उद्दे श्य से ज्ञान प्राप्त करने की मनाही
69
◼ अध्याय: संक्षक्षप्त िात करने और िात-च़ीत में िनावि तथा अततशयोजतत से
िचने का ियान ...................................................................................... 71
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أصول اإليمان
(باللغة اهلندية)
تصنيف
شيخ اإلسالم
حممد بن عبد الوهاب
رمحه اهلل تعال
ترمجة