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Forty Nawawi Hadith
Forty Nawawi Hadith
अनव
ु ाद एवं संक्षिप्त व्याख्या
प्रकाशक
3
अरबईन नववी
ववषयसच
ू ी
अपनी बात 8
दस
ू री हदीस : इस्लाम, ईमान तथा एहसान की व्याख्या 20
4
अरबईन नववी
5
अरबईन नववी
छत्तीसवीं हदीस : मस
ु लमानों की ज़रूरतें परू ी करने का महत्व 93
उनतालीसवीं हदीस : गलती से तथा भूलवश ककए हुए काम की पकड न होना100
चालीसवीं हदीस : दनु नया के माया मोह से दामन बचनाए रखने की ताकीद 102
चवालीसलवीं हदीस : दि
ू के ररश्ते 111
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अरबईन नववी
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अरबईन नववी
अपनी बात
हज्जतल
ु -वदा के अवसर पर, जब अरफ़ा के मैदान में हज़ारों का मजमा
था, अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैटह व सल्लम) ने फ़रमाया था कक
तुममें से जो लोग उपष्स्थत हैं, वे मेरा संदेश उन लोगों तक पहुाँचा दें ,
जो उपष्स्थत नहीं हैं। आपका यह आदे श केवल उन लोगों के ललए नहीं
था, जो उस टदन वहााँ उपष्स्थत थे, बष्ल्क क़यामत के टदन तक जन्म
लेने वाले और दनु नया के ककसी भी भाग में रहने वाले उन तमाम लोगों
के ललए था, ष्जनके पास क़ुरआन तथा हदीस का ज्ञान हो। यहीं से
क़ुरआन और हदीस का अनुवाद दस
ू री भाषाओं में करने का महत्व स्पटि
हो जाता है ; क्योंकक अपनी बात दसू रों तक पहुाँचाने का एक बडा और
व्यापक सािन अनुवाद है। हमें बडी खश ु ी होती है , जब हम दे खते हैं कक
इस्लालमक ववद्ववानों ने इस काम की आवश्यकता के मद्वदे नज़र, इसे
बहुत पहले ही शुरू कर टदया था और इस्लाम की मूल पुस्तकों को
अरबी के अनतररक्त अन्य बहुत सारी भाषाओं में ढालकर पूरी दनु नया के
सामने रखने के प्रयास में जुि गए थे। उदम ,ू फ़ारसी और बंगला भाषाएाँ
इसका जीता-जागता उदाहरण हैं। लेककन, आज वैश्वीकरण और ज्ञान-
ववस्फोि के इस दौर में इस कायम का महत्व और बढ़ गया है और इसे
और व्यापकता प्रदान करने की ज़रूरत महसूस की जा रही है । खास तौर
से जब हम यह दे खते हैं कक टहंदी जैसी एक बहुत बडी भाषा में हदीस
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अरबईन नववी
मैं उन तमाम लोगों का शकु क्रया अदा करता हूाँ, ष्जन्होंने इस कायम के
दौरान ककसी भी रूप में मुझे सहयोग टदया।
दआ
ु है कक अल्लाह मुष्स्लम समुदाय के प्रत्येक व्यष्क्त को, प्यारे नबी
मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैटह व सल्लम) के जीवन-मूल्यों को सामने
रखकर जीवन बबताने का सामर्थयम प्रदान करे ।
28 अप्रैल 2019
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अरबईन नववी
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अरबईन नववी
अब्दल्
ु लाह बबन मसऊद (रष्ज़यल्लाहु अनहु) की ररवायत के अनुसार :
“उससे कहा जाएगा कक तुम जन्नत के ष्जस द्ववार से चाहो, प्रवेश कर
जाओ।”
तथा अब्दल्
ु लाह बबन उमर (रष्ज़यल्लाहु अनहु) की ररवायत के मत
ु ाबबक़
: “उसे आललमों के धगरोह में ललख ललया जाएगा और शहीदों के साथ
उठाया जाएगा।”
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अरबईन नववी
ताल्लुक़ रखने वाली हदीसों का संग्रह तैयार ककया, ककसी ने दनु नया के
मायामोह से मुक्त रहने की हदीसें चुनीं, ककसी ने इस्लामी लशटिाचार को
उजागर करने वाली हदीसों पर ध्यान टदया, तो ककसी ने अल्लाह के
रसूल (सल्लल्लाहु अलैटह व सल्लम) के भाषणों को एकत्र ककया। यह
सारे प्रशंसनीय उद्वदे श्य के तहत ककए गए काम हैं। (अल्लाह इन
उद्वदे श्यों के तहत काम करने वालों से प्रसन्न हो!)
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अरबईन नववी
की प्रशंसा है, वही उपकार करने वाला है , वही सामर्थयम प्रदान करता है
और वही हर परे शानी से बचाता है ।
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अरबईन नववी
पहली हदीस
नीयत का मत्वह
"إِنَّ َما: س ِم ْعتُ َرسُو َل هللاِ ﷺ يَقُو ُل َ : ب قَا َل ِ َطاَّ ص عُ َم َر ب ِْن ْالخ
ٍ ع ْن أ َ ِم ْي ِر ْال ُمؤْ ِمنِ ْينَ أَبِ ْي َح ْف
َ
للا َو َرس ْو ِل ِه فَ ِهجْرته إِلَى
ِ فَ َم ْن كَانَتْ هِجْ َرته إِلى، َوإنَّ َما ِلك ِ ِّل ا ْم ِرىء َما نَ َوى، تِ األ َ ْع َمال بِالنِِّيَّا
جْرته إِلى َما َهاج ََر َ فَ ِه، أَو ا ْمرأَة يَ ْن ِكحهَا، َو َم ْن كَانَتْ هِجْ َرته ِلد ْنيَا ي ِصيْبهَا، للا َو َرس ْو ِل ِه ِ
ع ْب ِدهللاِ ُم َح َّم ُد ْب ُن إِ ْس َما ِع ْي َل ْب ِن إِ ْب َرا ِه ْي َم ْب ِن ْال ُم ِغ ْي َرةَ ْب ِن بَ ْرد ِْزبَ ْه
َ إلَ ْي ِه"ـ َر َواهُ إِ َما َما ْال ُم َح ِدثِ ْينَ أ َبُ ْو
ص ِح ْي َح ْي ِه َما
َ فِ ْي، سابُ ْو ِري َ َُّاج ب ِْن ُم ْس ِل ٍم ْالق
َ ش ْي ِري النِ ْي ِ س ْي ِن ُم ْس ِل ُم ْب ُن ْال َحجَ َوأ َبُ ْو ْال َح، اري ِ ْالبُ َخ
صنَّفَ ِة ـَ ب ْال ُمِ َ صح ْال َكت َ َ اللَّذَ ْي ِن هُ َما أ
अनव
ु ाद
अमीरुल मोलमनीन अबू हफ़्स उमर बबन खत्ताब (रष्ज़यल्लाहु अनहु) कहते
हैं कक मैंने अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैटह व सल्लम) को कहते
हुए सन
ु ा है : “सारे कायों का दारोमदार नीयतों पर है और प्रत्येक
व्यष्क्त को उसकी नीयत के अनुरूप ही पररणाम लमलेगा। अतः, ष्जसने
अल्लाह और उसके रसूल के ललए टहजरत की, उसकी टहजरत अल्लाह
और उसके रसल
ू के ललए है और ष्जसने दनु नया प्राप्त करने या ककसी
स्त्री से शादी रचाने के ललए टहजरत की, उसे वही लमलेगा ष्जसके ललए
उसने टहजरत की।” इस हदीस को इमाम अबू अब्दल्
ु लाह मुहम्मद बबन
इसमाईल बबन इबराहीम बबन मुगीरा बबन बरदज़बा बुखारी जोफ़ी ने
सहीह बख
ु ारी [हदीस संख्या : 1, 54, 2529, 3898 और 5070] में और
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अरबईन नववी
इमाम अबुल हुसैन मुष्स्लम बबन हज्जाज बबन मुष्स्लम क़ुशैरी नीसापूरी
ने सहीह मुष्स्लम [हदीस संख्या : 1907] में ररवायत ककया है । ज्ञात हो
कक यह दोनों ककताबें हदीस की सबसे सहीह ककताबें मानी जाती हैं।
संदेश
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अरबईन नववी
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अरबईन नववी
दस
ू री हदीस
سائِل؟" قُ ْلتُ ُ
هللا َو َرسُ ْولُهُ أ َ ْعلَ ُم ،قَا َل " :فَ ِإنَّه ِجب ِْريْل أَتَاك ْم يعَلَّمك ْم ِد ْينَك ْم". "يَا ع َمر أَتَد ِْري َم ِن ال َّ
َر َواهُ ُم ْس ِل ٌم
अनुवाद
बैठ गया। उसने अपने दोनों घुिने आपके घुिनों से लमला ललए और दोनों
हथेललयााँ दोनों रानों पर रख लीं। कफर बोला : ऐ मुहम्मद, मुझे बताइए कक
इस्लाम क्या है? आपने उत्तर टदया : “इस्लाम यह है कक तम
ु इस बात की
गवाही दो कक अल्लाह के अनतररक्त कोई पज्
ू य नहीं तथा मुहम्मद (सल्लल्लाहु
अलैटह व सल्लम) अल्लाह के रसल
ू हैं, नमाज़ क़ायम करो, ज़कात दो, रमज़ान
के रोज़े रखो तथा यटद सामथय्म हो तो अल्लाह के घर काबा का हज करो।"
उसने कहा : आपने सही बताया। उमर (रष्ज़यल्लाहु अनहु) कहते हैं कक हमें
आश्चयम हुआ कक यह कैसा व्यष्क्त है , जो पूछ भी रहा है और स्वयं उसकी पुष्टि
भी कर रहा है ?! उसने कफर कहा : मझ
ु े बताइए कक ईमान क्या है ? आप
(सल्लल्लाहु अलैटह व सल्लम) ने फरमाया : "ईमान यह है कक तुम ववश्वाश
रखो अल्लाह, उसके फररश्तों, उसकी पस्
ु तकों, उसके रसल
ू ों, अंनतम टदन तथा
भाग्य की अच्छाई और बुराई पर।" उस व्यष्क्त ने कहा : आपने सही
फ़रमायाl इसके बाद उसने कहा कक मझ
ु े बताइए एहसान ककया है ? आप
(सल्लल्लाहु अलैटह व सल्लम) ने उत्तर टदया : “तम
ु अल्लाह की वंदना इस
तरह करो, जैसे तुम उसे दे ख रहे हो। यटद अल्लाह को दे खने की कल्पना
उत्पन्न न हो सके, तो कम-से-कम यह सोचो कक वह तुम्हें दे ख रहा हैl" उसने
कफर पूछा : मुझे बताइए कक क़यामत कब आएगी? आपने फ़रमाया : “ष्जससे
प्रश्न ककया गया है , वह इस ववषय में प्रश्न करने वाले से अधिक नहीं
जानता।" उसने कहा : तो कफर मुझे क़यामत की ननशाननयााँ ही बता दीष्जए?
आपने कहा : "क़यामत की ननशानी यह है कक दासी अपनी मालककन को
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अरबईन नववी
सवाल करने वाला व्यष्क्त कौन था?" मैंने कहा : अल्लाह और उसके रसूल ही
भली-भााँनत जानते हैंl तो आपने फरमाया : "यह ष्जबरील थे, जो तुम्हें
तम्
ु हारा िमम लसखाने आए थेl" इस हदीस को इमाम मष्ु स्लम [सहीह
मुष्स्लम हदीस संख्या : 8] ने ररवायत ककया है ।
संदेश
1. यह एक महत्वपण
ू म हदीस है , ष्जसे ‘हदीस-ए-ष्जबरील’ के नाम से
जाना जाता है । क्योंकक ष्जबरील लोगों को इस्लाम की मूल बातों
से अवगत करने के ललए अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैटह व
सल्लम) के पास आए थे और आपसे कई महत्वपूणम प्रश्न ककए थे,
ष्जनके माध्यम से हमें इस्लाम की मल
ू बातों का ज्ञान होता है ।
2. ज्ञानी व्यष्क्तयों को चाटहए कक पूछने वाले को पूरा सम्मान दें ,
जैसा कक अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैटह व सल्लम) ने
ष्जबरील को टदया, जो एक अजनबी के भेस में आकर आपसे पूछ
रहे थे।
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अरबईन नववी
तीसरी हदीस
इस्लाम के स्तंभ
अनव
ु ाद
संदेश
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अरबईन नववी
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अरबईन नववी
चौथी हदीस
: صد ُْو ُق َّ َح َّدثَنَا َرسُ ْو ُل هللاِ ﷺ َوه َُو ال: ع ْنهُ قَا َل
ْ صا ِد ُق ال َم َ ُي هللا َ ض َ ع ْن
ِ ع ْب ِد هللاِ ْب ِن َم ْسعُ ْو ٍد َر َ
ضغَة َ ث َّم يَك ْون،" ِإ َّن أ َ َحدَك ْم ي ْج َمع َخ ْلقه فِ ْي بَ ْط ِن أ ِ ِّم ِه أ َ ْربَ ِع ْينَ يَ ْو َما ن ْطفَة
ْ ث َّم يَك ْون م، َعلَقَة ِمثْ َل ذَ ِلك
َ ب ِر ْزقِ ِه َوأ َ َج ِل ِه َو
ع َم ِل ِه ِ ْ بِ َكت: َويَ ْؤ َمر بِأ َ ْربَ ِع َك ِل َمات،َسل إِلَ ْي ِه ال َملَك فَيَ ْنفخ فِ ْي ِه ال ٌّر ْوح
َ ث َّم ي ْر، َِمثْ َل ذَ ِلك
غيْره إِ َّن أ َ َحدَك ْم لَيَ ْع َمل بِعَ َم ِل أ َ ْه ِل ا ْل َجنَّ ِة َحتَّى َما يَك ْون بَ ْينَه َ َللا الَّذِي َّل إِلَه َ ي أ َ ْو
ِ فَ َو.ٌس ِع ْيد ٌّ ش ِق
َ َو
َوإِ َّن أ َ َحدَك ْم لَيَ ْع َمل بِعَ َم ِل أ َ ْه ِل،علَ ْي ِه ال ِكتَاب فَيَ ْع َمل بِعَ َم ِل أ َ ْه ِل النَّ ِار فَيَدْخلهَا ْ ََوبَ ْينَهَا َّإّل ذ َِراعٌ فَي
َ سبِق
علَ ْي ِه ال ِكتَاب فَيَ ْع َمل بِعَ َم ِل أ َ ْه ِل ال َجنَّ ِة فَيَدْخلهَا"ـ ْ َالنَّ ِار َحتَّى َمايَكون بَ ْينَه َوبَ ْينَهَا َّإّل ذ َِراعٌ فَي
َ سبِق
ِ َر َواهُ ْالبُ َخ
.اري َو ُم ْس ِل ٌم
अनुवाद
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अरबईन नववी
संदेश
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अरबईन नववी
पााँचवीं हदीस
अनुवाद
तथा मुष्स्लम की ररवायत में है : “ष्जसने कोई ऐसा कायम ककया, ष्जसके
बारे में हमारा आदे श नहीं है, तो वह ग्रहणयोग्य नहीं है ।”
संदेश
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अरबईन नववी
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अरबईन नववी
छठी हदीस
َّ "إِن: س ِم ْعتُ َرسُ ْو َل هللاِ ﷺ يَقُ ْو ُل َ : ع ْن ُه َما قَا َل
َ هللا
ُ ي َ ضِ ب ِْن بِ ِشيْر َر ان َ ع ْن أَبِ ْي
ِ ع ْب ِد هللاِ الن ْع َم َ
فَ َم ِن ات َّ َقى،اس
ِ شت َ ِبهَاتٌ ّلَ يَ ْع َلمهنَّ َكثِ ْي ٌر ِمنَ ال َّن
ْ بَيِِّ ٌن َوبَ ْينَه َما أم ْو ٌر م ا ْلحَال َل بَيِِّ ٌن َوإِنَّ ا ْلح ََرا َم
َالرا ِعي يَ ْرعَى ِ َو َم ْن َوقَ َع فِي الشُّبهَا،ستَب َْرأ َ ِل ِد ْينِ ِه و ِع ْر ِض ِه
َّ ت َوقَ َع فِي الح ََر ِام ك ْ ت فَقَ ِد ا
ِ الشُّبهَا
َّ أ َ َّل وإِن،َارمه ِ أ َ َّل َوإِنَّ ِح َمى. أ َ َّل َوإِنَّ ِلك ِ ِّل َم ِلك ِح َمى.شك أ َ ْن يَقَ َع فِ ْي ِه
ِ للا َمح ِ الح َمى يو ِ ح َْو َل
َ سد كلُّه أ َ َّل َوه
ي ا ْلقَ ْلب"ـ َ َسدَتْ ف
َ س َد ا ْل َج َ َسد كلُّه َوإذَا ف
َ صلَ َح ا ْل َج َ ضغَة إِذَا
َ ْصلَ َحت ْ س ِد مَ فِي ا ْل َج
.اري َو ُم ْس ِل ٌمِ َر َواهُ ْالبُ َخ
अनव
ु ाद
अबू अब्दल्
ु लाह नोमान बबन बशीर (रष्ज़यल्लाहु अनहुमा) कहते हैं कक मैंने
अल्लाह के रसल
ू (सल्लल्लाहु अलैटह व सल्लम) को कहते हुए सुना :
"ननस्संदेह हलाल स्पटि है और हराम भी स्पटि है तथा दोनों के बीच कुछ चीज़ें
अस्पटि हैं, ष्जन्हें बहुत-से लोग नहीं जानते। अतः, जो अस्पटि चीज़ों से बचा,
उसने अपने िमम और मान-सम्मान की रिा कर ली तथा जो अस्पटि चीज़ों में
पडा, वह हराम में पड गया। जैसे, एक चरवाहा ककसी सुरक्षित चरागाह के
आस-पास जानवर चराए, तो संभावना रहती है कक जानवर उसके अंदर चले
जाएाँ। सुन लो, हर बादशाह का सुरक्षित चरागाह होता है । सुन लो, अल्लाह का
सुरक्षित चरागाह उसकी हराम की हुई चीज़ें हैं। सुन लो, शरीर के अंदर मांस का
एक िुकडा है , जब वह सही रहेगा, तो परू ा शरीर सही रहे गा और जब वह
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अरबईन नववी
संदेश
1. हलाल तथा हराम होने की दृष्टि से चीज़ें तीन प्रकार की होती हैं,
अस्पटि वस्तओ
ु ं से बचना चाटहए।
3. अस्पटि चीज़ों का भी खास हुक्म होता है और कुछ लोग शरई
दलील के ज़ररए उसका पता लगा लेते हैं, परन्तु अधिकतर लोग
वहााँ तक पहुाँच नहीं पाते।
4. जो व्यष्क्त अस्पटि वस्तओ
ु ं से नहीं बचता, वह अपने आपको
लोगों की आलोचना का ननशाना बना लेता है ।
5. शरीर के अंदर टदल के महत्व को धचष्ननत ककया गया है और उसे
गई है।
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अरबईन नववी
सातवीं हदीस
अनव
ु ाद
संदेश
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अरबईन नववी
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अरबईन नववी
आठवीं हदीस
َشهَدوا أ َ ْن َّّل ِإلَه َ َّ "أ ِم ْرت أ َ ْن أقَاتِ َل الن: ع ْن ُه َما أ َ َّن َرسُ ْو َل هللاِ قَا َل
ْ َاس َحتَّى ي َ هللا
ُ ي َ ض
ِ ع ِن اب ِْن عُ َم َر َر
َ
َ َ فَ ِإذَا فَعَلوا ذَ ِلك،َالزكَاة
عصَموا ِمنِِّي ِد َما َءه ْم ِ ِإّلَّ للا َوأ َ َّن م َح َّمدَا َّرس ْول
َّ للا َوي ِقيْم ْوا الصَّالةَ َوي ْؤتوا
ِ للا تَعَالَى"ـ َر َواهُ ْالبُ َخ
اري َو ُم ْس ِل ٌم ِ علَى َ سابه ْم َ ْالم َو ِح
ِ الس ِ ِّ َوأ َ ْم َوالَه ْم إِّلَّ بِ َح
ِْ ق
अनव
ु ाद
अब्दल्
ु लाह बबन उमर (रष्ज़यल्लाहु अनहुमा) का वणमन है कक अल्लाह के
रसूल (सल्लल्लाहु अलैटह व सल्लम) ने फ़रमाया : "मुझे आदे श टदया गया है
कक लोगों से युद्वि करूाँ, यहााँ तक कक वे इस बात की गवाही दे दें कक अल्लाह
के लसवा कोई पज्
ू य नहीं है और मह
ु म्मद अल्लाह के रसल
ू हैं, नमाज़ क़ायम
करें और ज़कात अदा करें । जब उन्होंने इतना कर ललया, तो अपनी जान तथा
माल को इस्लाम के अधिकार के लसवा हमसे सुरक्षित कर ललया और उनका
टहसाब (उच्च एवं प्रभावशाली) अल्लाह पर है ।" इस हदीस को इमाम
बख
ु ारी [सहीह बख
ु ारी हदीस संख्या : 25] एवं इमाम मष्ु स्लम [सहीह
मुष्स्लम हदीस संख्या : 22] ने ररवायत ककया है ।
संदेश
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अरबईन नववी
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अरबईन नववी
नवीं हदीस
बाल की खाल ननकालने तथा मतभेद करने की मनाही
س ِم ْعتُ َرسُ ْو َل َ : ع ْنهُ قَا َل َ ي هللا تَعَالَى َ ض ِ ص ْخ ٍر َر َ الر ْح َم ِن ب ِْن َّ ع ْب ِد َ َع ْن أَبِي ه َُري َْرة
َ
َطعْت ْم؛ فَ ِإنَّ َما أ َ ْهلَك
َ َ ست َ " َما نَ َهيْتك ْم: هللاِ ﷺ يَقُ ْو ُل
ْ ع ْنه فَا ْجتَنِب ْوه َو َما أ َ َم ْرتك ْم ِب ِه فأْت ْوا ِم ْنه َما ا
अनुवाद
संदेश
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अरबईन नववी
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अरबईन नववी
दसवीं हदीस
हलाल रोज़ी का महत्व
अनुवाद
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अरबईन नववी
ओर अपने दोनों हाथों को फैलाकर कहता है : ऐ मेरे प्रभु, ऐ मेरे प्रभु, लेककन
उसका खाना हराम, उसका पीना हराम, उसका वस्त्र हराम और उसकी परवररश
हराम से हुई है। ऐसे में भला उसकी दआ
ु कैसी क़बल
ू हो सकती है ? इस हदीस
को इमाम मुष्स्लम [सहीह मुष्स्लम हदीस संख्या : 1015] ने ररवायत
ककया है ।
संदेश
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अरबईन नववी
ग्यारहवीं हदीस
ع ْن ُه َما
َ ُي هللاَ ض ِ ب ِسب ِْط َرسُ ْو ِل هللاِ ﷺ َو َر ْي َحانَتِ ِه َر َ ع ِلي ِ ْب ِن أ َبِ ْي
ٍ طا ِل َ بن َ ع ْن أَبِي ُم َح َّم ٍد ْال َح
ِ س ِن َ
سائِي ْ " َد: ظتَ ِم ْن َرسُ ْو ِل هللاِ ﷺ
َ َّع َما يَ ِريْبكَ إِلَى َما ّلَ يَ ِريْبكَ "ـ َر َواهُ التِ ْر ِم ِذي َوالن ْ َح ِف: قَا َل
َ س ٌن
.ص ِح ْي ٌح ٌ َح ِد ْي: َوقَا َل التِ ْر ِم ِذي
َ ث َح
अनुवाद
अल्लाह के रसल
ू (सल्लल्लाहु अलैटह व सल्लम) के नवासे हसन बबन
अली बबन अबू ताललब (रष्ज़यल्लाहु अनहुमा) कहते हैं, मैंने अल्लाह के रसल
ू
(सल्लल्लाहु अलैटह व सल्लम) से यह बात याद की है : “संदेह में डालने
संदेश
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अरबईन नववी
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अरबईन नववी
बारहवीं हदीस
अनुवाद
संदेश
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अरबईन नववी
तेरहवीं हदीस
अनुवाद
हदीस का संदेश
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अरबईन नववी
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अरबईन नववी
चौदहवीं हदीस
अनव
ु ाद
अब्दल्
ु लाह बबन मसऊद (रष्ज़यल्लाहु अनहु) कहते हैं कक अल्लाह के
रसूल (सल्लल्लाहु अलैटह व सल्लम) ने फ़रमाया : “ककसी मुसलमान का
रक्त तीन कारणों में से ककसी एक के बबना हलाल नहीं होता; वह
शादीशद
ु ा व्यलभचारी हो, प्राण के बदले प्राण ललया जाए तथा यह कक वह
अपना िमम त्याग करके मुष्स्लम समुदाय से अलग हो जाए।” इस हदीस
को इमाम बुखारी [सहीह बुखारी हदीस संख्या : 6878] तथा इमाम मुष्स्लम
[सहीह मष्ु स्लम हहीस संख्या : 1676 तथा 25 एवं 26] ने ररवायत
ककया है ।
संदेश
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अरबईन नववी
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अरबईन नववी
पंद्रहवीं हदीस
ِ " َم ْن كَانَ ي ْؤ ِمن بِا: ع ْنهُ أ َ َّن َرسُ ْو َل هللاِ ﷺ قَا َل
لل َوا ْليَ ْو ِم ْال ِخ ِر َ ُي هللا ِ ع ْن أَبِ ْي ه َُري َْرةَ َر
َ ض َ
ِ َو َم ْن كَانَ ي ْؤ ِمن ِبا،َاره
لل ِ َو َم ْن كَانَ ي ْؤ ِمن ِبا، ْفَ ْليَق ْل َخي َْرا أَو ِليَصْمت
َ لل َوا ْليَ ْو ِم ْال ِخ ِر فَ ْليك ِْر ْم ج
ِ ض ْيفَه"ـ َر َواهُ ْالبُ َخ
.اري َو ُم ْس ِل ٌم َ وم ْال ِخ ِر فَ ْليك ِْر ْم
ِ ََوا ْلي
अनव
ु ाद
संदेश
49
अरबईन नववी
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अरबईन नववी
सोलहवीं हदीस
فردد،"َب
ْ " َّل ت َ ْغض: قَا َل،وصنِ ْي
ِ َ أ: َع ْن أَبِي ه َُري َْرةَ َر ِض َي هللاُ َع ْنهُ أَ َّن َر ُجلً قَا َل ِللنَّبيِ ﷺ
. رواه البخاري."َب
ْ " َّل ت َ ْغض: قال،م ار اًر
अनव
ु ाद
संदेश
51
अरबईन नववी
सत्रहवीं हदीस
अनुवाद
अंदाज़ में करने का आदेश टदया है । अतः, जब क़त्ल करो, तो अच्छे अंदाज़
में क़त्ल करो और जब ज़बह करो, तो अच्छे अंदाज़ में ज़बह करो। तम
ु अपनी
छुरी को तेज़ कर लो और अपने ज़बीहे को आराम पहुाँचाओ।" इस हदीस को
इमाम मुष्स्लम [सहीह मुष्स्लम हदीस संख्या : 1955] ने ररवायत ककया
है ।
संदेश
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अरबईन नववी
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अरबईन नववी
अठारहवीं हदीस
सद्वव्यवहार का आदे श
َ ع ْن ُه َما
ع ْن َرسُ ْو ِل َ هللا
ُ ي َ ضِ َر الر ْح َم ِن ُم َعا ِذ ْب ِن َج َب ٍل َ ب ْب ِن ُجنَا َدةَ َوأ َ ِبي
َّ ع ْب ِد ِ ع ْن أ َ ِب ْي ذَ ٍر ُج ْن ُد
َ
اس بِخلق َ َّق النِ َو َخا ِل،ت َ ْمحهَا َسنَة َ سيِِّئ َةَ ا ْل َح
َّ َوأَتْبِ ِع ال، َق للاَ َحيْث َما ك ْنت ِ َّ "ات: هللاِ ﷺ قَا َل
َ س ٌن
.ص ِح ْي ٌح َ َح: خ
ِ س ِ َوفِ ْي بَ ْع.س ٌن
َ ض الن ٌ َح ِد ْي:سن"ـ َر َواهُ التِ ْر ِم ِذي َوقَا َل
َ ث َح َ َح
अनुवाद
अबज़
ू र जन
ु दब
ु बबन जन
ु ादा और अबू अब्दरु म हान मआ
ु ज़ बबन जबल
(रष्ज़यल्लाहु अनहुमा) का वणमन है कक नबी (सल्लल्लाहु अलैटह व सल्लम)
संदेश
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अरबईन नववी
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अरबईन नववी
उन्नीसवीं हदीस
तक़दीर पर ईमान
ف النَّبِي ِ ﷺ يَو َما ً فَقَا َل ع ْن ُه َما قَا َل :كُ ْنتُ خ َْل َ ي هللاُ َ ض َ َّاس َر ِ عب ٍ ع ْب ِد هللاِ ْب ِن َ َّاس َ ع ْن أَبِي العَب ِ َ
سأ َ ْلتَ فَا ْسأ َ ِل َ
هللا، هللا ت َِج ْدهُ ت ُ َجاهَكَ ،إِذَا َ َظكَ ،ا ْحف َِظ َ هللا يَحف ْ ت :ا ْحف َِظ َ ِل ْي " :يَا غُلَ ُم إِنِ ْي أ ُ َ
ع ِل ُمكَ َك ِل َما ٍ
ش ْيءٍ لَ ْم َي ْنفَ ُع ْوكَ ِإ َّل ِب َ
ش ْيءٍ أن َي ْنفَ ُع ْوكَ ِب َعلَى ْ َو ِإذَا َ ا ْست َ َع ْنتَ فَا ْست َ ِعن ِباهللَِ ،وا ْعلَ ْم أ َ َّن ْال ُ َّمةَ لَ ِو ا ْجت َ َم َع ْ
ت َ
علَيْكَ ،ش ْيءٍ قَ ْد َكتَبَهُ هللاُ َ ضر ْوكَ إِ َّل بِ َ ش ْيءٍ لَ ْم يَ ُ علَى أ َ ْن يَضُر ْوكَ بِ َ قَ ْد َكتَبَهُ هللاُ لَكَ َ ،وإِ ِن ا ْجت َ َمعُ ْوا َ
ص ِح ْي ٌحس ٌن َ ث َح َ ف"ـ َر َواهُ التِ ْر ِم ِذي َوقَا َل َ :ح ِد ْي ٌ ت الص ُح ُ ت ْال َ ْق َل ُمَ ،و َجف ُِرف َع ِ
अनुवाद
्अब्दल
ु लाह बबन अब्बास (रष्ज़यल्लाहु अनहुमा) कहते है : मैं एक टदन अल्लाह
के रसल
ेू (सल्लल्लाहु अलैटह व सल्लम) के पीछे सवार था कक इसी बीच आपन
कहा : “ऐ बच्चे, मैं तुम्हें कुछ बातें लसखाना चाहता हूाँ। अल्लाह (के आदे शों और
ननषेिों) की रिा करो, अल्लाह तुम्हारी रिा करे गा। अल्लाह (के आदे शों और
ननषेिों) की रिा करो, तम
ु उसे अपने सामने पाओगे। जब मााँगो, तो अल्लाह
से मााँगो और जब मदद चाहो, तो अल्लाह से मदद चाहो। तथा जान लो, यटद
्पूरी उम्मत तम
ेु हें कुछ लाभ प्रदान करने के ललए एकत्र हो जाए, तो तुम्हें उसस
अधिक लाभ नहीं पहुाँचा सकती, ष्जतना अल्लाह ने तुम्हारे ललए ललख टदया है।
्तथा यटद सब लोग तम
्ु हारी कुछ हानन करने के ललए एकत्र हो जाएाँ, तो तम
ु हारी
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अरबईन नववी
उससे अधिक हानन नहीं कर सकते, ष्जतनी अल्लाह ने तुम्हारे भाग्य में ललख
दी है । क़लम उठा ली गई है और पुस्तकें सख
ू चुकी हैं।" इस हदीस को इमाम
नतरलमज़ी [सन
ु न-ए-नतरलमज़ी हदीस संख्या : 2516] ने ररवायत ककया है
और हसन सहीह कहा है ।
तथा नतरलमज़ी के अलावा अन्य ककताबों (दे खखए अब्द बबन हुमैद की
पुस्तक अल-मुनतखब हदीस संख्या : 635) की एक ररवायत में है :
"अल्लाह (के आदे शों और ननषेिों) की रिा करो, अल्लाह को अपने सामने
पाओगे। खुशहाली के समय अल्लाह को पहचानो, परे शानी के समय वह तुम्हें
पहचानेगा। जान लो, जो तम्
ु हें प्राप्त नहीं हुआ, वह तम्
ु हें लमलने वाला नहीं था
और जो लमल गया वह तुम्हारे हाथ से जाने वाला नहीं था। जान लो, मदद सब्र
के साथ है , कुशादगी तकलीफ़ के साथ है और तंगी के साथ आसानी है ।"
संदेश
1. यह हदीस अल्लाह पर पूणम ववश्वास तथा उसके आदे शों एवं ननषेिों
के अनुपालन के महत्व को दशामती है ।
2. बच्चों की बरबबयत का खास खयाल रखना चाटहए और सदा इस
बात का प्रयास करना चाटहए कक उनके टदल में इस्लाम की मल
ू
बातें अच्छी तरह बैठ जाएाँ।
3. जो अल्लाह के आदे शों का पालन करे गा, अल्लाह दनु नया तथा
आखखरत में उसकी रिा करे गा।
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अरबईन नववी
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अरबईन नववी
बीसवीं हदीस
हया का महत्व
قَا َل َرسُ ْو ُل: ع ْنهُ قَا َل َ ُي هللا َ ض ِ اري ِ ْالبَد ِْري ِ َر ِ ص َ ع ْن أَبِ ْي َم ْسعُ ْو ٍد عُقبَةَ ْب ِن
َ ع ْم ٍرو ْال َ ْن َ
ُشئتَ "ـ َر َواه ْ دركَ النَّاس ِم ْن َكالَ ِم النُّب َّو ِة ْاألولَى ِإذَا لَ ْم تَست َ ْحي ِ فا
ِ ص َن ْع َما َ َ " ِإ َّن ِم َّما أ: هللاِ ﷺ
ِ ْالبُ َخ
.اري
अनुवाद
अबू मसऊद अंसारी बदरी (रष्ज़यल्लाहु अनहु) कहते हैं कक नबी (सल्लल्लाहु
अलैटह व सल्लम) ने फ़रमाया : "लोगों को पहले नबबयों की जो बातें प्राप्त हुई
हैं, उनमें से एक यह है : “जब तम्
ु हें हया न आए, तो जो जी में आए, करो।”
इस हदीस को इमाम बुखारी [सहीह बख
ु ारी हदीस संख्या : 3483 तथा
3484] ने ररवायत ककया है।
संदेश
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इक्कीसवीं हदीस
अनुवाद
संदेश
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अरबईन नववी
बाईसवीं हदीस
जन्नत का रास्ता
अनुवाद
अबू अब्दल्
ु लाह जाबबर बबन अब्दल्
ु लाह अंसारी (रष्ज़यल्लाहु अनहुमा) से
ररवायत है , वह कहते हैं कक एक व्यष्क्त ने अल्लाह के रसल ू
(सल्लल्लाहु अलैटह व सल्लम) से पछ
ू ा : आपका क्या खयाल है कक
अगर मैं फ़ज़म नमाज़ें पढ़ाँू , रमज़ान के रोज़े रखूाँ और हलाल को हलाल
जानूाँ तथा हराम से बचाँू और इससे अधिक कुछ न करूाँ, तो क्या मैं
जन्नत में प्रवेश कर सकाँू गा? आपने कहा : “हााँ!” इस हदीस को इमाम
मुष्स्लम [सहीह मुष्स्लम हदीस संख्या : 15] ने ररवायत ककया है ।
संदेश
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अरबईन नववी
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अरबईन नववी
तेईसवीं हदीस
अनुवाद
अबू माललक हाररस बबन आलमर अशअरी (रष्ज़यल्लाहु अनहु) कहते हैं
कक अल्लाह के रसलू (सल्लल्लाहु अलैटह व सल्लम) ने फ़रमाया :
“तहारत आिा ईमान है। ‘अल-हमद ु ललल्लाह’ तराज़ू को भर दे गा।
‘सुबहान अल्लाह’ और ‘अल-हमद ु ललल्लाह’ आकाश और िरती के बीच
के खाली स्थानों को भर दें गे। नमाज़ प्रकाश है । सदक़ा प्रमाण है ।
क़ुरआन तेरे हक़ में अथवा तेरे ववरुद्वि हुज्जत है । प्रत्येक व्यष्क्त जब
सुबह को ननकलता है , तो अपने नफ़्स का सौदा करता है। चुनांचे या तो
उसे आज़ाद करता है या उसे हलाक करता है ।” इस हदीस को इमाम
मष्ु स्लम [सहीह मष्ु स्लम हदीस संख्या : 223] ने ररवायत ककया है ।
संदेश
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अरबईन नववी
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अरबईन नववी
चौबीसवीं हदीस
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अरबईन नववी
तुम सब लोग भूखे हो, लसवाय उसके ष्जसे मैं खाना खखलाऊाँ, अतः मुझसे
भोजन मााँगो, मैं तुम्हें खाने को दाँ ग
ू ा। ऐ मेरे बंदो, तुम सब लोग नंगे हो, लसवाय
उसके ष्जसे मैं कपडा पहनाऊाँ, अतः मझ
ु से पहनने को कपडे मााँगो, मैं तम्
ु हें
पहनाऊाँगा। ऐ मेरे बंदो, तम
ु रात-टदन त्रुटियााँ करते हो और मैं तमाम गुनाहों को
माफ़ करता हूाँ, अतः मुझसे िमा मााँगो, मैं तुम्हें िमा करूाँगा। ऐ मेरे बंदो, तुम
मुझे नुक़सान पहुाँचाने के पात्र नहीं हो सकते कक मुझे नुक़सान पहुाँचाओ और
मझ
ु े नफ़ा पहुाँचाने के पात्र भी नहीं हो सकते कक मझ
ु े नफ़ा पहुाँचाओ। ऐ मेरे
बंदो, अगर तुम्हारे पहले और बाद के लोग तथा इनसान और ष्जन्न तुम्हारे
अंदर मौजूद सबसे आज्ञाकारी इनसान के टदल में जमा हो जाएाँ, तो इससे मेरी
बादशाहत में तननक भी वद्व
ृ धि नहीं होगी। ऐ मेरे बंदो, अगर तुम्हारे पहले और
बाद के लोग तथा तम्
ु हारे इनसान और ष्जन्न तम्
ु हारे अंदर मौजद
ू सबसे पापी
इनसान के टदल में जमा हो जाएाँ, तो इससे मेरी बादशाहत में कोई कमी नहीं
आएगी। ऐ मेरे बंदो, अगर तुम्हारे पहले और बाद के लोग तथा इनसान और
ष्जन्न एक ही मैदान में खडे होकर मझ
ु से मााँगें और मैं हर एक को उसकी
मााँगी हुई वस्तु दे दाँ ,ू तो इससे मेरे खज़ाने में उससे अधिक कमी नहीं होगी,
ष्जतना समुद्र में सूई डालकर ननकालने से होती है। ऐ मेरे बंदो, यह तुम्हारे कमम
ही हैं, ष्जन्हें मैं धगनकर रखता हूाँ और कफर तुम्हें उनका बदला दे ता हूाँ। अतः, जो
अच्छा पाए, वह अल्लाह की प्रशंसा करे और जो कुछ और पाए, वह केवल अपने
आपको कोसे।” इस हदीस को इमाम मुष्स्लम [सहीह मुष्स्लम हदीस संख्या
: 2577] ने ररवायत ककया है ।
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अरबईन नववी
संदेश
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अरबईन नववी
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अरबईन नववी
पच्चीसवीं हदीस
: ب َرسُ ْو ِل هللاِ ﷺ قَالُ ْوا ِللنَّبِي ِ ﷺ ِ ص َحا ْ َ أ َ َّن أُنَاسا ً ِم ْن أ: ع ْنهُ قَا َل
َ ُي هللا
َ ضِ ع ْن أَبِ ْي ذَ ٍر َرَ
َص َّدقُ ْون ُ َص ْو ُم ْونَ َك َما ن
َ َ َو َيت،ص ْو ُم َ ُصل ْونَ َك َما ن
ُ َو َي،ص ِل ْي َ ُ ي،َب أَه ُل الدث ُ ْو ِر ِب ْال ُ ُج ْو ِر
َ ارسُو َل هللاِ! ذَه َ َي
َوك ِ ِّل،ص َدقَة
َ س ِب ْيحَة ْ َ صدَّق ْونَ ؟ ِإ َّن ِبك ِ ِّل ت َّ َ ْس قَ ْد َجعَ َل للا لَك ْم َما ت َ "أ َ َو لَي: قَا َل،بفُض ُْو ِل أ َ ْم َوا ِل ِه ْم
ي ع َْن م ْنكَر ٌ َونَ ْه،ٌص َدقَة
َ ف ِ َوأ َ ْم ٌر بِا ْل َمعْر ْو،ص َدقَة
َ َوك ِ ِّل ت َ ْه ِل ْيلَة،ص َدقَة
َ َوك ِ ِّل ت َ ْح َم ْيدَة،ص َدقَة
َ ت َ ْكبِي َْرة
شه َْوتَه َويَك ْون لَه فِ ْيهَا أ َ ْج ٌر؟ ِ يَا َرس ْو َل: قَال ْوا."ٌص َدقَة
َ للا أَيَأْتِ ْي أَحَدنَا ْ َوفِ ْي ب،ٌص َدقَة
َ ض ِع أ َ َحدِك ْم َ
ضعَهَا فَي ا ْلحَال ِل كَانَ لَه َ َضعَهَا فَ ْي َح َرام أ َ كَان
َ علَ ْي ِه ِو ْز ٌر؟ فَ َكذَ ِلكَ إِذَا َو َ "أ َ َرأَيْت ْم لَ ْو َو: قَا َل
أ َ ْج ٌر"ـ َر َواهُ ُم ْس ِل ٌم
अनव
ु ाद
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अरबईन नववी
संदेश
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अरबईन नववी
छब्बीसवीं हदीस
इनसान के हर जोड की ओर से सदक़ा
अनुवाद
संदेश
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अरबईन नववी
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अरबईन नववी
सत्ताईसवीं हदीस
नेकी और गुनाह
अनव
ु ाद
तथा वाबबसा बबन माबद (रष्ज़यल्लाहु अनहु) कहते हैं कक मैं अल्लाह के रसूल
(सल्लल्लाहु अलैटह व सल्लम) के पास आया, तो आपने पूछा : "क्या तुम
नेकी के बारे में पूछने आए हो?" मैंने कहा : जी हााँ! तो फ़रमाया : "खुद अपने
टदल से फ़तवा मााँगो। नेकी वह है , ष्जससे आत्मा संतटु ि और टदल मत
ु मइन हो
तथा गुनाह वह है , जो टदल में खिके और सीने में असमंजस की ष्स्थनत पैदा
76
अरबईन नववी
करे । यद्वयवप लोग तुझे फ़तवा दें , यद्वयवप लोग तुझे फ़तवा दें ।" इस हदीस को
इमाम अहमद [मुसनद-ए-अहमद : 4/228] और दाररमी [हदीस संख्या :
2533] ने अपनी-अपनी मस
ु नदों में हसन सनद से ररवायत ककया है ।
संदेश
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अरबईन नववी
अट्ठाईसवीं हदीस
ْ َظةً َو ِجل
ت ِم ْن َها َ ظنَا َرسُو ُل هللاِ َم ْو ِع َ عَ َو: ع ْنهُ قَا َل َ هللا
ُ ي َ ض ِ اريَةَ َر ِ س ِ َيح ْال ِع ْرب
َ اض ْب ِن ٍ ع ْن أَبِ ْي ن َِجَ
"أ ْو ِصيْك ْم: قَا َل،صنَا ِ ِع فَأ َ ْو َ َ ي: َفقُ ْلنَا.ت ِم ْن َها ْالعُيو ُن
َ ارسُ ْو َل هللاِ َكأَنَّ َها َم ْو ِع
ٍ ظةُ ُم َود ُ ْالقُلُ ْو
ْ َب َوذَ َرف
سيَ َرى ا ْختِالفَا
َ َش ِم ْنك ْم ف ْ فَ ِإنَّه َم ْن يَ ِع،ٌع ْبد
َ علَيْك ْم َ ع ِة َوإِ ْن تَأ َ َّم َر َّ س ْم ِع َوال
َ طا َّ ع َّز َو َج َّل َوال ِ بِت َ ْق َوى
َ للا
ِ اج ِذ َوإِيَّاك ْم َوم ْح َدثَا
ت ِ علَ ْيهَا بِالنَّ َو
َ عض ُّْوا َ َش ِدينَ ا ْل َم ْه ِديِِّ ْين َّ ِيرا؛ فَعَلَيك ْم بِسنَّتِ ْي َوسنَّ ِة ا ْلخلَفَاء
ِ الرا َ َِكث
س ٌن ٌ َح ِد ْي: َوك َّل بِ ْدعَة ض ََاللَةٌ"ـ َر َواهُ أ َبُ ْو َد ُاو ُد َوالتِ ْر ِم ِذي َوقَا َل،ٌعة
َ ث َح َ ْاألم ْو ِر فَ ِإ َّن َك َّل م ْح َدث َة بِ ْد
.ص ِح ْي ٌح
َ
अनुवाद
अबू नजीह इरबाज़ बबन साररया (रष्ज़यल्लाहु अनहु) कहते हैं कक अल्लाह
के रसल
ू (सल्लल्लाहु अलैटह व सल्लम) ने हमें ऐसा टदल में उतरने
वाला उपदे श टदया कक लोगों के टदल घबरा उठे और आाँखें बह पडीं।
हमने कहा : ऐ अल्लाह के रसल
ू , ऐसा प्रतीत होता है कक यह अंनतम
उपदे श है। अतः, हमें वसीयत फ़रमाएाँ! आपने कहा : "मैं तुम्हें
सवमशष्क्तमान अल्लाह से डरने तथा अपने शासक की बात सन
ु ने और
मानने की वसीयत करता हूाँ, चाहे तुम्हारा शासक एक दास ही क्यों न
हो। क्योंकक तम
ु में से जो जीववत रहेगा, वह बहुत सारा मतभेद और
िकराव दे खेगा। उस समय तम
ु मेरी सन्
ु नत और सत्य के मागम पर
चलने वाले खलीफ़ों की सुन्नत को सीने से लगाए रहना और मज़बूती से
78
अरबईन नववी
थामे रहना। तथा िमम के नाम पर प्रचलन में आने वाली नई-नई चीज़ों
(बबदअतों) से बचते रहना, क्योंकक हर बबदअत गुमराही है ।" इस हदीस
को इमाम अबू दाऊद [सन
ु न-ए-अबू दाऊद हदीस संख्या : 4607] तथा
इमाम नतरलमज़ी [सुनन-ए-नतरलमज़ी हदीस संख्या : 2676] ने ररवायत
ककया है तथा नतरलमज़ी ने हसन सहीह कहा है ।
संदेश
1. अल्लाह के रसल
ू (सल्लल्लाहु अलैह व सल्लम) का उपदे श ऐसा
टदल को छू लेने वाला होता कक टदल पसीज जाते और आाँखें बह
पडती थीं।
2. नबी (सल्लल्लाहु अलैह व सल्लम) की सन्
ु नत को सीने से लगाए
रखने की आवश्यकता, ववशेष रूप से उस समय, जब मतभेद
सामने आ जाए अथवा िकराव की ष्स्थनत पैदा होने लगे।
3. एक मुसलमान को चाटहए कक वह इस्लाम के नाम पर प्रचलन में
आने वाली नई-नई चीज़ों से दामन बचाए रखे।
4. हर वह नई चीज़, जो इस्लाम के नाम पर प्रचलन में आए, वह
बबदअत है और हर बबदअत गुमराही है।
5. इस हदीस में अल्लाह के रसल
ू (सल्लल्लाहु अलैटह व सल्लम) के
सच्चे नबी होने की एक ननशानी भी मौजद
ू है , क्योंक आपने ष्जस
मतभेद और िकराव की बात कही थी, बहुत-से सहाबा ने उसे
अपनी आाँखों से दे ख भी ललया।
79
अरबईन नववी
उनतीसवीं हदीस
भलाई के द्ववार
अनुवाद
मआ
ेु ज़ बबन जबल (रष्ज़यल्लाहु अनहु) कहते हैं कक मैंने कहा : ऐ अल्लाह क
रसूल, मुझे कोई ऐसा कायम बताइए, जो मुझे जन्नत में दाखखल कर दे और
ंेजहन्नम से दरू कर दे । तो आपने कहा : "तुमने एक बहुत बडी चीज़ के बारे म
पूछा है , परन्तु ष्जसके ललए अल्लाह तआला आसान कर दे , उसके ललए यह
ननश्चय ही आसान है : तम
ु अल्लाह की इबादत करो, ककसी को उसका साझी न
ेबनाओ, नमाज़ क़ायम करो, ज़कात दो, रमज़ान के रोज़े रखो और अल्लाह क
80
अरबईन नववी
घर काबा का हज करो।" कफर फ़रमाया : "क्या मैं तुम्हें भलाई के द्ववार न बता
हूाँ? रोज़ा ढाल है , सदक़ा गुनाह की आग को बुझा दे ता है , जैसे पानी आग को
बझ
ु ा दे ता है तथा आदमी का रात के अंिेरे में नमाज़ पढ़ना।" कफर यह आयत
पढ़ी : ط َم ًعا َو ِم َّما َرزَ ْقنَاهُ ْم يُ ْن ِفقُونَ فَ َل َ اج ِع يَ ْدعُونَ َربَّ ُه ْم خ َْوفًا َو ِ ض َ ع ِن ْال َم
َ "تَت َ َجافَى ُجنُوبُ ُه ْم
ٌ ( ت َ ْعلَ ُم نَ ْفअथामत, उनके पहलू
َ س َما أ ُ ْخ ِف
" َي لَ ُه ْم ِم ْن قُ َّرةِ أ َ ْعي ٍُن َجزَ ا ًء بِ َما كَانُوا يَ ْع َملُون
बबस्तरों से अलग रहते हैं। वह अपने रब को भय एवं लालच के साथ पुकारते हैं
और हमारी दी हुई चीज़ों में से खचम करते रहते हैं। कोई प्राणी नहीं जानता कक
हमने उनके ललए क्या कुछ आाँखों की ठं डक नछपा रखी है , उनके उन कमों के
प्रनतफल के तौर पर, जो वे ककया करते थे।) कफर फ़रमाया : "क्या मैं तुम्हें इस
मामले का लसरा, उसका स्तंभ और उसकी सबसे ऊाँिी चोिी न बता दाँ ?ू " मैंने
कहा : अवश्य, ऐ अल्लाह के रसल
ू ! तो फ़रमाया : "इस मामले का लसरा
इसलाम है , उसका स्तंभ नमाज़ है और उसकी सबसे ऊाँची चोिी ष्जहाद है ।"
कफर फ़रमाया : "क्या मैं तुम्हें इन तमाम वस्तुओं का सार न बता दाँ ?ू " मैंने
कहा : अवश्य, ऐ अल्लाह के रसल
ू ! तो आपने अपनी ज़बान को पकडकर कहाः
"इसे संभालकर रखो।" मैंने कहा : ऐ अल्लाह के नबी, क्या हम जो कुछ बोलते
हैं, उसपर भी हमारी पकड होगी? तो फ़रमाया : "तुम्हारी मााँ तुम्हें गुम पाए,
भला लोगों को जहन्नम की आग में उनके चेहरों के बल (या कहा कक उनके
नथनों के बल) ज़बान की तेज़ी के लसवा और कौन-सी चीज़ डालेगी?” इस
हदीस को इमाम नतरलमज़ी [सुनन-ए-नतरलमज़ी हदीस संख्या : 2616] ने
ररवायत ककया है और हसन सहीह कहा है ।
81
अरबईन नववी
संदेश
82
अरबईन नववी
तीसवीं हदीस
अनव
ु ाद
संदेश
83
अरबईन नववी
2. अल्लाह और उसके रसूल ने ष्जन चीज़ों के बारे में कुछ नहीं कहा
है , उनके बारे में छानबीन न करने का आदे श उस ज़माने में था,
जब आकाश से वनय उतरने का लसललसला जारी था, जहााँ तक
आज उनका हुक्म जानने के ललए उनके बारे में छानबीन करने की
बात है, तो इसमें कोई हजम नहीं है ।
84
अरबईन नववी
इकतीसवीं हदीस
अनुवाद
अबल
ु अब्बास सनल बबन साद साइदी (रष्ज़यल्लाहु अनहु) का वणमन है कक
एक व्यष्क्त अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैटह व सल्लम) के पास आया
और बोला : ऐ अल्लाह के रसूल, मुझे कोई ऐसा कायम बताइए कक मैं उसे करूाँ
तो मैं अल्लाह का प्यारा हो जाऊाँ और लोगों का भी प्यारा हो जाऊाँ। तो
फ़रमाया : “दनु नया के मोह से आज़ाद रहो, अल्लाह का प्यारा बन जाओगे और
लोगों के पास जो कुछ है , उसका लोभ न करो, लोग भी तुम्हें प्यार दें गे।" यह
हदीस हसन दजे की है। इमाम इब्ने माजा [सुनन-ए-इब्ने माजा हदीस
संख्या : 4102] आटद ने इसे हसन सनदों से ररवायत ककया है ।
संदेश
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अरबईन नववी
86
अरबईन नववी
बत्तीसवीं हदीस
" َّل: قَا َل َع ْن أَبِ ْي َس ِع ْي ٍد َس ْع ِد ْب ِن َما ِل ِك ْب ِن ِسنَ ٍان ْال ُخ ْد ِري ِ َر ِض َي هللاُ َع ْنهُ أَ َّن َرسُ ْو َل هللاِ ﷺ
ورواه مالك في،ً حديث حسن رواه ابن ماجه و الدارقطني و غيرهما مسندا."ار
َ ض َر َر َو َّل ِض َر
َ
الموطأ مرسالً عن عمرو بن يحيى عن أبيه عن النبي (صلى للا عليه وسلم) فأسقط
.ً وله طرق يقوي بعضها بعضا،أباسعيد
अनव
ु ाद
अबू सईद साद बबन माललक बबन लसनान खुदरी (रष्ज़यल्लाहु अनहु) का
वणमन है कक अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैटह व सल्लम) ने
फ़रमायाः “न हानन स्वीकायम है , न ककसी की हानन करना उधचत है ।” यह
हदीस हसन दजे की है। इसे इमाम इब्ने माजा [इब्ने माजा ने इसे
अब्दल्
ु लाह बबन अब्बास तथा उबादा बबन सालमत रष्ज़यल्लाहु अनहुम से
ररवायत ककया है। दे खखए सुनन-ए-इब्ने माजा हदीस संख्या : 2341 तथा
2340] और इमाम दारक़ुतनी [सन
ु न-ए-दारक़ुतनी : 4/288] आटद ने
मुत्तलसल सनद से ररवायत ककया है , जबकक इमाम माललक ने अपनी
ककताब मुवत्ता में इसे मुरसल सनद से ररवायत ककया है । उनकी सनद
इस तरह है : “अम्र बबन यहया अपने वपता यहया से और वह नबी
(सल्लल्लाहु अलैटह व सल्लम) से ररवायत करते हैं।” इस तरह, अबू
सईद खुदरी (रष्ज़यल्लाहु अनहु) को छोड टदया है । अलबत्ता, इस हदीस
की कई सनदें हैं, जो एक-दस
ू रे को मज़बूती प्रदान करती हैं।
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अरबईन नववी
संदेश
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अरबईन नववी
ननणमय के ननयम
طى النَّاس بِ َد ْع َواه ْم َّل َّدعَى َ "لَ ْو ي ْع: ع ْن ُه َما أ َ َّن َرسُ ْو َل هللاِ ﷺ قَا َل َ ُي هللاَ ض ِ َّاس َر
ٍ عب َ ع ِن اب ِْن َ
ُس ٌن َر َواه
َ ث َح ٌ علَى َم ْن أَنك ََر"ـ َح ِد ْي َ َ َولَ ِك َّن البَ ِيِّنَة،ِرجَا ٌل أ َ ْم َوا َل قَوم َو ِد َما َءه ْم
َ َ َوا ْليَم ْين،علَى الم َّد ِعي
.ص ِح ْي َح ْي ِن ُ ْالبَ ْي َه ِق ْي َه َكذَا َو بَ ْع
َّ ضهُ فِ ْي ال
अनव
ु ाद
अब्दल्
ु लाह बबन अब्बास (रष्ज़यल्लाहु अनहुमा) का वणमन है कक अल्लाह
के रसूल (सल्लल्लाहु अलैटह व सल्लम) ने फ़रमाया : “अगर लोगों को
उनके दावों के आिार पर दे टदया जाए, तो कुछ लोग लोगों की जान और माल
का दावा कर बैठें। लेककन, दावा करने वाले को प्रमाण प्रस्तुत करना है और
इनकार करने वाले को क़सम खानी है ।” यह हदीस हसन दजे की है । इमाम
बैहक़ी [10/252] आटद ने इसे इसी तरह ररवायत ककया है , जबकक इसका कुछ
अंश सहीह बख
ु ारी तथा सहीह मष्ु स्लम में मौजद
ू है ।
संदेश
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अरबईन नववी
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अरबईन नववी
चौंतीसवीं हदीस
" َم ْن َرأى ِمنك ْم: س ِم ْعتُ َرسُو َل هللاِ ﷺ يَقُ ْو ُل َ : ع ْنهُ قَا َل َ ُي هللاَ ضِ دري ِ َرِ سع ْي ٍد ْال ُخ َ ع ْن أَبِ ْيَ
ضعَف ْ َ ست َ ِط ْع فَبِقَ ْلبِ ِه َوذَ ِلكَ أ
ْ َ فَ ِإ ْن لَ ْم ي،سا ِن ِهَ ست َ ِط ْع فَبِ ِل
ْ َ فَ ِإ ْن لَ ْم ي،ِم ْنكَرا فَ ْليغَيِِّ ْره بِيَ ِده
ِ ْالي َم
.ان"ـ َر َواهُ ُم ْس ِل ٌم
अबू सईद खुदरी (रष्ज़यल्लाहु अनहु) कहते हैं कक मैंने अल्लाह के रसूल
(सल्लल्लाहु अलैटह व सल्लम) को कहते हुए सन ु ा है : “तुममें से जो
व्यष्क्त कोई बुराई होती हुई दे खे, वह उसे अपने हाथ से रोके; अगर हाथ
से रोकने की शष्क्त न हो, तो ज़बान से मना करे और अगर ज़बान से
मना करने की शष्क्त न हो, तो टदल से बुरा जाने तथा यह ईमान की
सबसे कमज़ोर श्रेणी है।” इस हदीस को इमाम मुष्स्लम [सहीह मुष्स्लम
हदीस संख्या : 49] ने ररवायत ककया है ।
संदेश
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अरबईन नववी
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अरबईन नववी
पैंतीसवीं हदीस
،غض ْوا َ " َّل تَحَا: قَا َل َرسُ ْو ُل هللاِ ﷺ: ع ْنهُ قَا َل
َ َو َّل تَبَا، َو َّل تَنَاجَش ْوا،سد ْوا َ ُي هللا ِ ع ْن أَبِ ْي ه َُر ْي َرةَ َر
َ ض َ
अनव
ु ाद
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अरबईन नववी
संदेश
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अरबईन नववी
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अरबईन नववी
छत्तीसवीं हदीस
मस
ु लमानों की ज़रूरतें परू ी करने का महत्व
अनुवाद
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अरबईन नववी
संदेश
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अरबईन नववी
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अरबईन नववी
सैंतीसवीं हदीस
नेककयों की प्रेरणा
ُاركَ َوتَعَالَى أَنَّهَ َع ْن َربِ ِه تَب َ ع ْن َرسُ ْو ِل هللاِ ﷺ فِ ْي َما يَ ْر ِو ْي ِه َ ع ْن ُه َما
َ ُي هللا َ ض ِ َّاس َر ٍ عب
َ ع ِن اب ِْن
َ
سنَة فَلَ ْم يَ ْع َم ْلهَا َكتَبَهَا للا ِع ْندَه
َ ت ث َّم بَيَّنَ ذَ ِلكَ ؛ فَ َم ْن َه َّم بِ َح
ِ سيِِّئ َا
َّ ت َوال َ ب ا ْل َح
ِ سنَا َ َّ "إِن: قَا َل
َ َ للا َكت
َ ِس ْب ِع ِمائ َ ِة ِض ْعف إ
لى َ سنَات إِلَىَ عش َْر َح َ َوإِ ْن َه َّم بِهَا فَعَ ِملَهَا َكتَبَهَا للا ِع ْندَه،َاملَة ِ سنَة ك
َ َح
َو ِإ ْن َه َّم بِهَا فَعَ ِملَهَا،َاملَة
ِ سنَة كَ سيِِّئ َة فَلَ ْم يَ ْع َم ْلهَا َكتَبَهَا للا ِع ْندَه َح
َ ِ َوإِ ْن َه َّم ب.ضعَاف َكثِي َْرةْ َأ
.ف
ِ ص ِح ْي َحي ِه َما بِ َه ِذ ِه ال ُح ُر ْو
َ َاري َو ُم ْس ِل ٌم في
ِ احدَة"ـ َر َواهُ البُخ َ َكتَبَهَا للا
ِ سيِِّئ َة َو
अनव
ु ाद
अब्दल्
ु लाह बबन अब्बास (रष्ज़यल्लाहु अनहुमा) का वणमन है कक अल्लाह के
रसूल (सल्लल्लाहु अलैटह व सल्लम) ने अपने बरकत वाले और महान प्रभु से
ररवायत करते हुए फ़रमाया : "बेशक अल्लाह ने नेककयों और गन
ु ाहों को ललख
ललया है । कफर उसका ववस्तार करते हुए फ़रमाया : ष्जसने ककसी सत्कमम का
इरादा ककया और उसे कर नहीं सका, अल्लाह उसे अपने यहााँ एक पूरी नेकी
ललख लेता है और अगर इरादे के अनस
ु ार उसे कर ललया, तो उसके बदले में
अपने पास दस से सात सौ, बष्ल्क उससे भी अधिक नेककयााँ ललख दे ता है । और
अगर ककसी बुरे काम का इरादा ककया, लेककन उसे नहीं ककया, तो अल्लाह उसे
अपने यहााँ एक पूरी नेकी ललख दे ता है और अगर इरादे के अनुसार उसे कर
ललया, तो उसे केवल एक गन
ु ाह ललखता है ।" इस हदीस को इन शब्दों के
99
अरबईन नववी
संदेश
100
अरबईन नववी
अडतीसवीं हदीस
अल्लाह के औललया
َم ْن عَادَى: للا تَعَالَى قَا َل َ َّ "إِن: قَا َل َرسُ ْو ُل هللاِ ﷺ: ع ْنهُ قَا َل َ ُي هللا َ ض ِ ع ْن أَبِي ه َُري َْرة َ َر َ
َ .علَ ْي ِه
وّل َ ضته ْ ي ِم َّما
ْ افت َ َر َّ ِي بِشَيء أَح
َّ َب إِ ِل ْ ع ْبدَ ي َ َو َما تَقَ َّر.ب
َّ ب إِ ِل ِ ِل ْي َو ِليَّا فَقَ ْد آذَ ْنته بِا ْلح َْر
َوبَص ََره،س َمع بِ ِه
ْ َِي ي ْ س ْمعَه الَّذ َ فَ ِإذَا أَحْ بَبته ك ْنت،ي بِالنَّ َوافِ ِل َحتَّى أ ِحبَّه َّ َِي يَتَقَ َّرب إِل َ يَ َزال
ْ ع ْبد
ِ سأَلَنِ ْي أل
َولَئِ ْن،عطيَنَّه َ َولَ ِئ ْن.ش ْي بِهَا
ِ َو ِرجْ لَه الَّتِي يَ ْم، َويَدَه الَّتِي يَب ِْطش بِهَا،ِي يب ِْصر بِ ِه ْ الَّذ
ِ ستَعَاذَنِ ْي أل ِع ْيذَنَّه"ـ َر َواهُ ْالبُ َخ
اري ْ ا
अनव
ु ाद
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अरबईन नववी
संदेश
102
अरबईन नववी
उनतालीसवीं हदीस
गलती से तथा भल
ू वश ककए हुए काम की पकड न होना
َ طأ
َ َاو َز ِل ْي ع َْن أ َّمتِ ْي ا ْل َخ َ َّ "إِن: ع ْن ُه َما أ َ َّن َرسُ ْو َل هللاِ ﷺ قَا َل
َ للا تَج َ هللا
ُ ي َ ض
ِ َّاس َر
ٍ عبَ ع ِن اب ِْن
َ
َ س ٌن َر َواهُ ا ْب ُن َما َجه َو ْالبَ ْي َه ِقي َو
.غ ْي ُرهُ َما ٌ علَ ْي ِه"ـ َح ِد ْي
َ ث َح ْ َِِّوالن
ْ سيَانَ َو َما ا
َ ستك ِْرهوا
अनव
ु ाद
अब्दल्
ु लाह बबन अब्बास (रष्ज़यल्लाहु अनहुमा) का वणमन है कक अल्लाह के
रसूल (सल्लल्लाहु अलैटह व सल्लम) ने फ़रमाया : "अल्लाह ने मेरे ललए, मेरी
उम्मत के गलती से ककए हुए, भल
ू वश ककए हुए और ज़बरदस्ती कराए गए
कायों को िमा कर टदया है ।" यह हदीस हसन दजे की है । इसे इमाम इब्ने
माजा [सुनन-ए-इब्ने माजा हदीस संख्या : 2045] और इमाम बैहक़ी
[7/356-357] आटद ने ररवायत ककया है।
संदेश
103
अरबईन नववी
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अरबईन नववी
चालीसवीं हदीस
َ "ك ْن فِي ال ُّد ْنيَا َكأَنَّك: ي فَقَا َل َّ َ أ َ َخذَ َرسُو ُل هللاِ ﷺ بِم ْن ِكب: ع ْن ُه َما قَا َل َ هللا
ُ يَ ض ِ ع ِن اب ِْن عُ َم َر َر َ
،صبَا َح َ ِإ َذا أ َ ْم: ع ْن ُه َما يَ ُق ْو ُل
َّ سيْتَ َفل ت َ ْنت َِظ ِر ال َ هللا
ُ ي َ ض َ ْب أ َ ْو عَا ِبر
ِ س ِبيْل"ـ َو َكانَ ا ْب ُن عُ َم َر َر َ
ٌ غ ِري
ُ َر َواه." َ َو ِم ْن َحيَاتِكَ ل َم ْوتِك، َضك ِ َو ُخ ْذ ِم ْن.سا َء
ِ ص َّحتِكَ ِل َم َر َ صبَحْ تَ فَل ت َ ْنت َِظ ِر ال َمْ َ َو ِإذَا أ
.اري ِ ْالبُ َخ
अनव
ु ाद
अब्दल्
ु लाह बबन उमर (रष्ज़यल्लाहु अनहुमा) कहते हैं कक अल्लाह के रसूल
(सल्लल्लाहु अलैटह व सल्लम) ने मेरे कंिे को पकडा और फ़रमाया : "दनु नया
में ऐसे रहो, जैसे एक परदे सी हो अथवा राह चलते मुसाकफ़र हो।" तथा
अब्दल्
ु लाह बबन उमर (रष्ज़यल्लाहु अनहुमा) कहा करते थे : जब शाम करो,
तो सुबह की प्रतीिा न करो और जब सुबह करो, तो शाम की प्रतीिा न करो
तथा अपनी सेहत में बीमारी के ललए और जीवन में मौत के ललए कुछ प्राप्त कर
लो। इस हदीस को इमाम बख
ु ारी [सहीह बख
ु ारी हदीस संख्या : 6414]
ने ररवायत ककया है।
संदेश
105
अरबईन नववी
106
अरबईन नववी
इकतालीसवीं हदीस
ُ صلَّى
هللا َ ِ َقا َل َرسُو ُل هللا: ع ْن ُه َما قَا َل
َ هللا
ُ ي َ ض
ِ اص َر َ ع ْن أ َ ِب ْي ُم َح َّم ٍد
ِ ع ْب ِد هللاِ ِب ِن ع ْم ِرو ب ِْن ال َع َ
َََرَويَنَاه،
َ َ حَدَيَثََحَسَنََصَحَيَح." "ّلَي ْؤ ِمن أَحَدك ْم َحتَّى يَكونَ َه َواه تَبَعَا ِل َما ِجئْت بِ ِه: سلَّ َم َ علَ ْي ِه َو َ
.َفَيََكَتَابََالَحَجَةََبَإَسَنَادََصَحَيَح
अनव
ु ाद
संदेश
108
अरबईन नववी
बयालीसवीं हदीस
अनव
ु ाद
संदेश
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110
अरबईन नववी
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अरबईन नववी
मीरास की तक़सीम
َ "أ َ ْل ِحق ْوا ا ْلفَ َرائِض: سلَّ َم
َ علَ ْي ِه َو ُ صلَّى
َ هللا َ ِ قَا َل َرسُ ْو ُل هللا: ع ْن ُه َما قَا َل
َ هللا
ُ ي َ ض ِ اس َر ٍ َّعب َ ع ِن ا ْب ِن َ
َ َ َخ َّر َجهُ الَبَخَ َاريَوََمَسَلَم."ت ا ْل َف َرا ِئض َف ِل َ ْو َلى َرجل َذكَر
ِ َف َما أ َ ْب َق،ِبأ َ ْه ِل َها
अनुवाद
अब्दल्
ु लाह बबन अब्बास (रष्ज़यल्लाहु अनहुमा) कहते हैं कक अल्लाह के
रसूल (सल्लल्लाहु अलैटह व सल्लम) ने फ़रमाया : “ननिामररत टहस्से
उनके हक़दारों तक पहुाँचा दो और ननिामररत टहस्सों के बाद जो शेष बच
जाए, वह मरने वाले के ननकितम पुरुष संबंिी के ललए है ।” इस हदीस
को इमाम बुखारी [सहीह बुखारी हदीस संख्या : 6732] और इमाम
मुष्स्लम [सहीह मुष्स्लम हदीस संख्या : 1615] ने ररवायत ककया है ।
संदेश
113
अरबईन नववी
114
अरबईन नववी
चवालीसवीं हदीस
दि
ू के ररश्ते
عةُ ت ُ َح ِر ُم َما ت ُ َح ِر ُم
َ ضا َّ " : سلَّ َم) قَا َل
َ الر َ علَ ْي ِه َو ُ صلَّى
َ هللا َ ( ِ ع ِن النَّ ِبي
َ )ع ْن َها
َ هللا
ُ ي َ ض ِ شةَ ( َر َ ع ْن
َ ِعائ َ
َ ْال ِو َل َدة ُ"ـ َخ َّر َجهُ الَبَخَ َاريَوََمَسَلََم
अनुवाद
संदेश
1. इस हदीस से मालम
ू हुआ कक ष्जन खानदानी ररश्ते की ष्स्त्रयों,
जैसे मााँ, खाला, फूफी और बहन आटद से ननकाह करना हराम है ,
उन दि
ू के ररश्ते की ष्स्त्रयों, जैसे रज़ाई मााँ, रज़ाई खाला, रज़ाई
फूफी और रज़ाई बहन आटद से भी ननकाह करना हराम है ।
2. ष्जन ष्स्त्रयों से ननकाह करना हराम है , उनकी तफ़सील सूरा अन-
ननसा की आयत संख्या 22-23 में मौजूद है ।
115
अरबईन नववी
3. दि
ू वपलाने के कारण जो ररश्ता बनता है , उसके कारण ननकाह
हराम हो जाता है और एक-दस
ू रे को दे खना, एकांत में रहना तथा
यात्रा करना जायज़ होता है । परन्तु उससे जायदाद में उत्तराधिकार
लसद्वि नहीं होता।
4. अन्य हदीसों से पता चलता है कक दि
ू पीने के कारण ननकाह
हराम होने का हुक्म उस समय लसद्वि होता है , जब शैशवकाल में ,
दि
ू पीने के टदनों में , कम से कम पााँच बार भर पेि दि
ू वपया
जाए।
116
अरबईन नववी
पैंतालीसवीं हदीस
ِ ْام ْالفَت
ح َ ع َ (سلَّ َم َ ُصلَّى هللا
َ علَ ْي ِه َو َ ) ِس ِم َع َرسُ ْو َل هللا َ ُع ْن ُه َما( أ َنَّهَ ُي هللا َ ض ِ ع ْب ِد هللاِ ) َر
َ ع ْن َجابِ ِر ْب ِن َ
َيا: صنَ ِام"ـ فَ ِق ْي َل ْ َ هللا َو َرسُ ْولَهُ َح َّر َم َب ْي َع ْال َخ ْم ِر َو ْال َم ْيت َ ِة َو ْال ِخ ْن ِز ْي ِر َو ْال َ " ِإ َّن: َوهُ َو ِب َم َّكةَ َيقُ ْو ُل
اس؟ ُ َّصبِ ُح بِ َها الن ْ َ َويَ ْست، ُويُد َه ُن بِ َها ْال ُجلُ ْو ُد،ُطلَى بِ َها السفُ ُن ْ فَإِنَّهُ ي،َرسُ ْو َل هللاِ أ َ َرأ َ ْيتَ شُ ُح ْو َم ْال َم ْيت َ ِة
अनव
ु ाद
117
अरबईन नववी
बुखारी [सहीह बुखारी हदीस संख्या : 2236 तथा 4633] तथा इमाम
मुष्स्लम [सहीह मुष्स्लम हदीस संख्या : 2581] ने ररवायत ककया है ।
संदेश
118
अरबईन नववी
नछयालीसवीं हदीस
अनुवाद
अबू बुरदा अपने वपता अबू मूसा (रष्ज़यल्लाहु अनहु) से ररवायत करते हैं
कक नबी (सल्लल्लाहु अलैटह व सल्लम) ने उनको यमन की ओर भेजा
और उन्होंने आपसे वहााँ पाई जाने वाली कुछ पीने की चीज़ों के बारे में
पूछा, तो आपने फ़रमाया : “वह क्या हैं?” उन्होंने कहा : मिु तथा जौ
की नबीज़। (बाद में ) अबू बुरदा से इन दोनों पेय-पदाथों के ललए हदीस
में प्रयुक्त अरबी शब्दों का अथम पूछा गया, तो उन्होंने उनका अथम
बताया। ऐसे में आपने फ़रमाया : “हर नशे वाली वस्तु हराम है।” इस
हदीस को इमाम बुखारी [सहीह बुखारी हदीस संख्या : 6214] ने ररवायत
ककया है ।
संदेश
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अरबईन नववी
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अरबईन नववी
सैंतालीसवीं हदीस
अनव
ु ाद
संदेश
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अरबईन नववी
122
अरबईन नववी
अडतालीसवीं हदीस
मुनाकफ़क़ की ननशाननयााँ
"أ َ ْربَ ٌع َم ْن كُ َّن: سلَّ َم قَا َل َ علَ ْي ِه َو
َ هللاُ صلَّى َ ِ ع ِن النَّبي َ ،ع ْن ُه َما َ هللا
ُ ي َ ضِ ع ْمر ٍو َر َ ع ْب ِد هللاِ ْب ِنَ ع ْنَ
َّثَ ع َها؛ ِإذَا َحد َ ق َحت َّى َي َد ِ َصلَةٌ ِمن
ِ النفَا ْ ت ِف ْي ِه َخ ْ َصلَةٌ ِم ْن ُه َّن ِف ْي ِه َكان
ْ ت َخ ْ َ َو ِإ ْن َكان،ًِف ْي ِه َكانَ ُمنَا ِفقا
اري َو ُم ْس ِل ٌمِ غ َد َر"ـ َخ َّر َجهُ ْالبُ َخ َ َوإِذَا،ص َم فَ َج َر
َ عا َه َد َ َوإِذَا َخا،ف َ َع َد أ َ ْخل
َ َوإِذَا َو،بَ ََكذ
अनुवाद
अब्दल्
ु लाह बबन अम्र (रष्ज़यल्लाहु अनहुमा) का वणमन है कक नबी
(सल्लल्लाहु अलैटह व सल्लम) ने फ़रमाया : “चार बातें ऐसी हैं कक ष्जस
व्यष्क्त के अंदर होंगी, वह मन
ु ाकफ़क़ होगा तथा यटद उसके अंदर उनमें
से कोई एक बात होगी, तो उसके अंदर ननफ़ाक़ का एक गुण होगा, यहााँ
तक कक उसे छोड दे ; जब बात करे तो झूठ बोले, जब वादा करे तो तोड
दे , जब ककसी से झगडा करे तो गाली बके और जब वचन दे तो िोखा
दे ।” इस हदीस को इमाम बख
ु ारी [सहीह बख
ु ारी हदीस संख्या : 34 तथा
2469] तथा इमाम मुष्स्लम [सहीह मुष्स्लम हदीस संख्या : 58] ने
ररवायत ककया है।
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124
अरबईन नववी
उनचासवीं हदीस
अनव
ु ाद
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अरबईन नववी
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अरबईन नववी
पचासवीं हदीस
अनुवाद
अब्दल्
ु लाह बबन बुस्र (रष्ज़यल्लाहु अनहु) कहते हैं कक अल्लाह के रसूल
(सल्लल्लाहु अलैटह व सल्लम) के पास एक व्यष्क्त आया और कहने लगा कक
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अरबईन नववी
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