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{Fazail E Gasht}

मोहतरम बुजुग दो त । और मेरे अज़ीज़ सा थयो जब जब नया म


बगाड़ आता था तो अ लाह र बुल इ त अपने मासूम ब द को नबी बना कर भेजते
थे और नबी नया म आकर एक एक के पास जाकर दावत दे ते थे। तमाम न बयो ने
नया म आकर एक ही दावत द । न ब बदले ले कन दावत नह बदली।सबसे आ खर
म हमारे नबी हजरत मोह मद मु तफा स ल लाहो वाले वस लम नया म तशरीफ
लाएं और उ ह ने भी यही दावत का मुबारक काम कया। म का क ग लय म, मीना
क घा टय म, ताएफ़ के मैदान म और मद ना के बाजार म जाते थे और दावत दे ते
थे।
एक एक के पास 70, 70, 80, 80 मतबा गए। यह काम तमाम न बयो क
सु त है। इस मेहनत को लेकर हम भी ग त वाला अमल करना है।

fazail e gasht का मकाम


दन के अंदर ग त मकान ऐसा है जैसे बदन के अंदर रीड क ह ी यह
उ मुल आमाल है। इसके ज रए तमाम आमाल जदा होते ह। जस ब ती म अ लाह
पाक अजाब दे ने का इरादा कर भी लेते ह, ले कन वहां अगर 3 क म के लोग होते ह
तो अजाब रोक लेते ह।
पहला:- म जद को आबाद करने वाले
सरा:- अ लाह के वा ते आपस म मोह बत रखने वाले तीसरा और
आ खरी रात म इ तगफार करने वाले। तो हम जो यहां पर जमा ए ह, सफ अ लाह
क मोह बत म जमा है और म जद को आबाद करने क फ म जमा ए ह |
हजरत अनस र ज अ लाह अ हा फरमाते ह। रसूलु लाह स ल लाहो
वाले वस लम ने इरशाद फरमाया। अ लाह के रा ते म एक सुबह एक शाम नया
और मा फया से बेहतर है। (बुखारी) इससे गदगु बार और जह म का धुआं एक जगह
जमा नह हो सकता।
उसूल और आदाब
यह ब त ऊंचा अमल है। न बयो वाला काम है इसी लए इसके उसूल और
आदाब भी है। अगर उसूल और आदाब के साथ होगा। मुजा हद और कु बानी के साथ
होगा तो हदायत वजूद म आएगी। इसके लए सबसे पहले दो नमाजो के बीच के व
को फा रग कया जाए और चार अमल के साथ कया जाए।
चार अ ल का नाम ग त है
3 अमल म जद के अंदर और 1 अमल म जद के बाहर ( ग त क सकल म )
3 अमल म जद के अंदर जसमे
एक दर मयाना बात करने वाला 6 (नंबर के दायरे म )
एक आ ज़ म
एक इ तकबाल म
और 1 अमल म जद के बाहर ग त क सकल म जसमे
रहबर
मुतक लम
ज मेदार
fazail e gasht म सब का ज मेदारी
अ ा भाई सब अपना अपना काम सुन लो |
एक दर मयाना बात करने वाला नया म आने का मकसद बताएं। यI आमाल
क क मत बताएं।
आ ज़ वाला जो अमल है, यह पावर हाउस है। इनका जतना ता लुक
अ लाह के साथ होगा, ग त म जाने वाली जमात को अ लाह क तरफ से उतनी ही
मदद होगी इसी लए यह साथी ग त म जाने वाली जमात के लए आएं मांग।े
इ तकबाल वाले साथी को चा हए के जूता च पल उतारने क जगह खड़े रहे
और आने वाले साथी का खुशी से इ तकबाल कर । मुसाफा कर और फौरन नमाज के
लए पूछे माशा लाह आपने नमाज तो पढ़ ली होगी। अगर ना कहे तो पढ़ा दे और
नमाज ख म कर तो उठने से पहले म जद म जहां पर बात हो रही है, उसम बैठने क
दावत दे कर उस मज लस तक प ंचा द।
चौथा अमल जो जमात ब ती म ग त के लए जाएगी, उसम कम से कम तीन
और यादा से यादा 10 साथी जा सकते ह।

उनम 3 साथी तय कर लया जाए।

एक रहबर जोक मकामी हो। बाअसर हो ब ती म सब को पहचानने वाला हो।


नाबा लक ब े को रहबर ना बनाया जाए।
सरा मुतक लम
तीसरा ज मेदार
रहबर
रहबर भाई का काम ये है क जस भाई के घर पर जमात को लेकर जाए। उस
भाई को अ े नाम से बुलाए चाहे उसम 99 बुराइयां हो, ले कन एक अ ाई के वह
ईमान वाला है। कहे अ लाह के बंदे अ लाह के घर से अ लाह के बात लेकर आए ह
अ लाह के बाद! बड़ी अ लाह के बात सुन लो और आ जाए तो मुसाफा कर और पूरा
तैयार ना हो या जूता च पल! या टोपी वगैरह ना पहनी हो तो पहना कर या ब ा हाथ
म हो तो उसे रखवा कर पूरा तैयार कर आरके इस नयत के साथ के इस। हमारे साथ
नगद म जद म आएंगे।
मुतक लम से मला दे अगर 3 मतबा आवाज दे ने पर कोई जवाब ना मले तो
आगे बढ़ाएं और। आगे बढ़ जाए और अगर म तुरात आपक आवाज सुने तो? कहे क
म जद से जमात आई है कोई मद हजरत हो तो भेजो। अगर ना कहे तो आगे बढ़
जाएं। म तुरात से और कोई बात ना कर।
मुतक लम
भाई का काम यह है क आने वाले भाई के साथ मुसाफा कर और हर खै रयत
पूछो और तमाम सा थय क तरफ मुतव ह होकर ईमान वाले क क मत बताएं।
ईमान और आमाल क ताकत बताएं। इतनी कम बात भी ना कर क ऐलान हो जाए
और इतनी लंबी बात भी ना कर के बयान हो जाए। और इसी सल सले म यह ग त
वाली मेहनत हो रही है और म जद से अ लाह और उसके रसूल क बात हो रही है।
तो हम आपको लेने के लए आए ह। अगर कोई उस र वे ट कर। बताकर नगर
म जद म लाने क को शश कर। अगर फर भी उधर बताएं और कहे के इंशा लाह
नमाज म प ंचता ।ं तो फर दाई बनाकर छोड़ द क माशा लाह आप तो आएंगे ही,
ले कन ज द से फा रग होकर अपने मलने जुलने वाल को भी साथ म लेकर प च ं ।े
और नमाज के बाद भी थोड़ी दे र त वीर र खएगा। इंशा अ लाह ईमान और यक न क
बात होगी।
ज मेदार
का काम यह है क जब जमात को म जद! से लेकर नकले तो ग त के मुना सब
से मु सर आ करते ए अ लाह से मदद मांगते ए नकले। य क सफ हमारे
कहने और सुनने से कु छ नह होता करने वाली रात सफ अ लाह क है। जब म जद
से नकले तो सा थय को रा ते के एक कनारे से चलाएं। जब ग त ख म हो जाए तो
रह बर अमीर साहब को बता द क ग त हो गई आ मर साहब! अ तगफार पढ़ा दगे।
जब म जद म आएंग।े बुधवार जगर वाले को। इशारा कर दगे और मज लस म बैठ
जाएंगे।

GHUST KAY ADAAB

1) mere bhaioon, yeh Allah ka bada ahsaan aur fazal hua kay
Allah nay hamein maghrib ki namazba jamat padhnay ki toufeeq
ata farmayi aur thodi dair deen ki nisbat par jama farmaya

2) hadees ka mafhoom hai kay –

“ thordi dair deen ki nisbat par ghour o fikr karna 60 ya 70


saalnafil ibadat say afzal hai ”

3) yahan baithkay hamay is baat ki fikr karna hai kay kaisay meri
zindagi mein aur meray gharwalon ki zindagi mein aur saaray
alam mein kaise deen aam ho jaye.3) Allah nay hum sub ki
kamayabi apnay mubarak deen mein rakhi hai aur jis kisi ki
zindagi meindeen hoga Allah usay duniya o’akhirat dono mein
kamiyab farmayengay aur jis kisi ki zindagimein deen na hoga
usay duniya o’ akhirat mein na-kamiyab farmayengay aur deen
meraybhaioon zindagi mein mout say pehlay lana hai aur ek baar
mout agayi to phir ekbaar subhanallah kehnay ka mouqha na
diya jayega
4) aur deen 2 cheezo ka naam hai – Allah ka hukum aur Nabi
(SAWS) ka tariqha

5) jab kabhie bhi duniya mein deen ka bigaad aata to Allah apnay
nabiyon ko is deen kay khatirduniya mein bheja , kum o’besh
1,25,000 nabi is duniya mein aaye aur har nabi nay ek Allahki
taraf logon ko bulaya aur jo log unki baat manliye woh kamiyab
ho gaye jo log unki baatna maani woh nakaam hue. aur jab tak
nabiyon nay deen ki mehnat ki to logon ki zindagimein deen aata
aur jab nabi chalay jatay to phir bay-deeni aam ho jati.

6) aur aapkay aur mere aaqha Hazrat Mohammed Mustafa


(SAWS) aakhri nabi hai aur unkay baadkoi nabi ya rasool aanay
walay nahi hai (aaj say 1400 saal pehley Huzoor (SAWS) ki
nabuwat kayzariye Allah nay is deen ko mukammal farmaya) aur
yeh deen kay kaam ki zimmaydari(kaar e nubuwwat ka kaam)
har emaan walay ka kaam hai kay ……… khud bhi naik amal karay
aur naik amal ki dawat day (amar bin maroof) aurkhud bhi
buraye say rukay aur dusron ko bhi rokain (nahi anil munkar)

7) adaab: ab jo aanay wala amal hai woh ghust wala amal hai is
mein 4 aamal ho ……ek saathi yahan baith kar dawat ki baat
chalayeek saathi dua o’ zikr mein rahein, Allah say talluq joday
aur ijtemaye hidayat ki dua kareinek saathi istaghbaal mein
raheinaur ek amal ghust ka ho jis mein 3 sathiuon ka hona ahem
haii) pehla ameer: jis ka kaam yeh hain ki jamaat ko dua kara kar
ek baazo say rastay ka haq adakartay hue layjaye, gali mein 3rd
kaleema aur bazar mein 4th kaleemay ka vird karay aur kise
kayghar par jaye to ek baazo ho kar khaday aur apnay nazron ki
khaas hifazat karein
ii) dusara rahbar : – jis ka kaam yah hai ki aapnay muslamaan
emaan walay bhai ko acchay andaazmein mutakallim sahab say
milaye.

iii) teesra mutakallim :- jin ka kaam yeh hai kay muqtasar si


emaan aur emaan walay ki qadar o

qeemat bata kar apnay bhai ko naghad lenay ki koshish karien.


agar koi uzar pesh karein toussay dawat de kar choord-dein ke
khood bhi aye aur apne bhaioon ko bhi saath laye.is rastay kay-
fazial:is rasstey mein ek baar subhanallah kehein gay to 7 lakh
bar subhanallahkehnay ka sawab milayga.aur is raastey mein ek
baar kadam rakhegay to 700 kadam ka sawab milaygaaur jo
gard, methi Allah kay raastay mein jis badan ko lagay uspar Allah
nay jahanum ki aagharaam farmaye hai.Aur wapisi mein
nadamat kay saath isteghfaar kartay hue aaye kay jaisa kaam
karna thawaisa na kar sakay aur naa-hi us ka haq ada karsakay
takey Allah hamay aaendah kay liyequbool farmaye- to is key liya
sub bhai taiyaar hai

naa ………….

(insha-allah

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