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अस्सलामु अलैकुम मेरे दिनी भाइयो

आज कल हमारी िआ
ु क्यों कबूल नही होतो हम क्यों परे शान
हैं क्यों जलील हो रहे हैं क्या सबब हैं 1 वो पहले के मुसलमान थे
यानी सहाबा रज़ी जजन्होंने पूरी िनु नया में ईस्लाम को फैलाया
और बड़ी बड़ी सल्तनतों को पस्त ककया कभी जंगे बिर में
अल्लाह में फ़ररशतो की फौजो को उतारा और उनकी मिि की
केसर और ककसरा ये िोनों उस वक्त की super power थी
उनको धूल चटाई थी आज वही उम्मत आज उसका क्या हाल
हैं ककसी से ढका और छुपा नही हैं आखिर वजह क्या हैं ककसी ने
यह जानने की कोशशश की में बतलाता हु वो मुसलमानों की
जमाअत यानी सहाबा िाशलस शसफफ और शसफफ अल्लाह ही के
ऊपर भरोसा करते थे मुजककल में शसफफ और सीफ़फ अल्लाह ही
कोपुकारते थे उनके तआल्लक
ू अल्लाह से था वो अल्लाह को
छोड़कर ककसी को मिि के शलए नही पुकारते थे जब भी

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मजु ककल आती तो वो अल्लाह ही को पुकारते थे उनके ज़माने
में बड़े बड़े वली और बुज़ग
ु फ थे जैसे 👉नह
ू अलैदहस्सलाम,मस
ू ा
अलैदहस्सलाम इब्रादहम अलैदहस्सलाम, ईसा अलैदहस्सलाम
ये वो पाक हस्ती हैं और अल्लाह के सच्चे वली और रसूल हे और
इनका जजक्र क़ुरआन में हैं और ये पक्के गेरेंटेड जन्नती हैं इसमें
कोई शक नही लेककन सहाबा इनको नही पुकारते थे !

उन्होंने अपना ताआल्लक


ु शसफफ और शसफफ अल्लाह ही से
जोड़ा था और अब बात जरा (कड़वी) बुरा मत मानना आज का
कलमा पढ़ने वाला मस
ु लमान अल्लाह को छोड़कर हर ककसी
बुज़ग
ु फ और वली को अपना मििगार बनाये हुए हैं नोट👉 वो
बुज़ुगफ बरी हैं इनसे उन्होंने नही कहा कक मुजककल में अल्लाह को
छोड़कर हमे पुकारो या हमारी मज़ार बनाना और वहााँ उसफ
और मेले लगाना मज़ार पर आके हमे पुकारना

और कुछ मोलवी अपने पेट पालने के चक्कर में उम्मतों को


गम
ु राही के िलिल में धकेल रहे हैं उनको क़ुरआन की और

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हिीस ऐ मब
ु ारका की गलत तफ़्सीर करके गम
ु राह कर रहे हैं
एक आम आिमी जजसको ईल्म नही वो बेचारा इनके चक्कर में
आके िनु नया और आखिरत बबाफि कर लेता हैं और इन
मोलववयों की तोंि मोती होती जा रही हैं ईन भोली भाली उम्मत
को गुमराही के िलिल से ननकालने की एक छोटी कोशशश कुछ
सवालो की शक्ल में की शायि इन सवालो को पढ़ कर सन
ु कर
गोर और कफ़क्र करे अपने उलमाओं से पूछे क्या ये बाते सही हैं
अब आते हैं हमारे उन सवालो की तरफ अवाम से गज़
ु ाररश हैं
कक इन सवालो को गौर से पढ़े और अल्लाह के शलए समझे ईन
सवालो को

👉 नोट हमारा मकसि ककसी का दिल िि


ु ाना नही हैं बलकी
हक़ बात को लफ्जो के सहारे अवाम के सामने रिना हैं कही
लफ्ज़ कड़वे हो तो माफ़ी चाहता हु अल्लाह के नबी ‫ ﷺ‬ने भी ज़ब
कुरै श ए मक्का को जब यह िावत िी थी तो उनको भी यह बात
कड़वी लगी थी लेककन जजन्होंने इस िावत को क़बूल ककया वो

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अल्लाह की जनन्तो में िाखिल हुए और जो कोई ईस िावत को
क़बूल करे गा जो नबी ‫ ﷺ‬लेकर आये थे वो भी इंशा अल्लाह
जन्नत में िाखिल होगा

👉 चन्ि अहम सवाल

एक शख्स मुजककल में है और वह अल्लाह के शसवा ककसी ओर


को पुकारना चाहता है जजसके बारे में यह मशहूर कर दिया गया
है कक यह मुजककल िरू कर सकते हैं‫ ׀‬यानी कक जैसे लोग कहते
हैं या अली कर मिि, या गौस कर मिि, या ख्वाजा मिि अब
जो शख्स मजु ककल में है वह दहन्िस्
ू तान में गौस पाक को पुकार
रहा है और कुछ लोग पाककस्तान में पुकार रहे हैं बांग्लािे श में
पुकार रहे हैं, हजारों मील का फासला है ‫ ׀‬तो कफर सवाल यह पैिा
होता है !
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1.👉 तो या गौस पाक या कोई भी नबी, वली और कोई भी बज
ु ग
ु फ
उसकी आवाज को इतनी िरु ी से सन
ु सकते हैं, ?

जरा गौर करें ईस सवाल पर ये शान शसफफ और शसफफ


अल्लाह रब्बुल आलशमन की हैं !

चलो हम यह भी मान लेते हैं, कक वे सुनते हैं, बहस के तौर पर


बात आगे बढ़ाने के शलए तो कफर िस
ू रा सवाल यह पैिा
होता है की

2. 👉 क्या वे िनु नया की हर भाषा (ज़ब


ु ान) को जानते हैं ?
क्योंकक इस िनु नया में हर तरह के बोलने वाले हैं, और इनको
मस
ु ीबत ज़िा लोग अपनी अपनी जब
ु ान में पुकारें गे जैसे
अमेररकन अमेररकी भाषा में पुकारे गा, पंजाबी पंजाबी भाषा में
पुकारे गा, गुजराती-गुजराती भाषा में पुकारे गा, कोई पस्तु कोई
बंगाली में वगैराह वगैराह ‫ ׀‬तो क्या वह हस्ती बुज़ुगफ पीर या
वली िनु नया की हर भाषा (ज़ुबान) को जानते हैं ?

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जरा गौर करें इस सवाल पर मेरे भइयो हर ज़ब
ु ान को
पैिा करने वाला और समझने वाला सर और शसफफ अल्लाह
रब्बुल आलमीन हैं !

चलो हम यह भी मान लेते बहस के तौर पर बात आगे बढ़ाने


के शलए कक वह हस्ती बुज़ग
ु फ पीर या वली िनु नया की हर
भाषा (ज़ुबान) जानते हैं कफर तीसरा सवाल पैिा होता हैं

3.👉 एक शमनट में हजारों और लािो लोग उनको पुकारते हैं,


क्योंकक एक वक्त में कई लोगों को मजु ककल पेश आ सकती है ‫׀‬
तो क्या वह हस्ती बुज़ग
ु फ पीर या वली एक ही वक्त में
हज़ारों और लािों की पुकार को सन
ु सकते हैं और समझ
सकते हैं?

जरा गौर करें अल्लाह के शलए ईस सवाल पर ये शान


शसफफ और शसफफ अल्लाह रब्बुल आलशमन की हैं ! की एक
वक्त में लािों नही करोड़ो की पुकार वो अल्लाह सुन
सकता हैं समझ सकता हैं!
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चलो हम यह भी मान लेते बहस के तौर पर बात आगे बढ़ाने
के शलए की यह हस्ती बुज़ग
ु फ पीर या वली एक वक्त मे
सब की पुकार को सुन लेते हैं

तो कफर चौथा सवाल पैिा होता है की‫׀‬

4. 👉 क्या उस हस्ती को जो नबी वली बुज़ुगफ को जो जजन्िा


है या मुिाफ (जजसको पुकारा जा रहा हैं) उसे कभी नींि भी आती
है या नहीं, क्या वह हमेशा जागते ही रहते हैं‫ ׀‬अगर उन्हें नींि
आती है तो कफर हमारे पास उनका टाइम टे बल होना चादहए कक
वे कब सोते हैं कब जागते हैं‫ ׀‬ताकी कोई मजु ककल में फसा शख्श
जो जाग रहा हैं उसको पुकारे ?

जरा गौर करें अल्लाह के शलए ईस सवाल पर ये शान


शसफफ और शसफफ अल्लाह रब्बुल आलशमन की हैं! कक उसे
न नींि आती है नींि तो नींि उसे ऊंघ तक नहीं आती! अल्लाह
कभी सोता नही हैं वो हमेशा जागता हैं आयतल कुसी का
तजम
ुफ ा पढे अल्लाह के शलए और समझे बात को
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चलो हम यह भी मान लेते बहस के तौर पर बात आगे बढ़ाने
के शलए कक वह हस्ती बुज़ग
ु फ पीर या वली सोते नही हैं हर
वक़्त जागते हैं जरा पााँचवे सवाल पर गौर करें अल्लाह
के शलए

5.👉 एक शख्स गग
ूं ा है , या कोई इंसान ऐसी मुजककल में फंसा
हुआ है , कक उसका गला बन्ि है , आवाज नहीं ननकल रही है , या
पानी के अंिर हैं अगर वह दिल ही दिल में अपनी मजु ककल को
अल्लाह को छोड़ कर ककसी (नबी बुज़ग
ु फ पीर या वली)
को पुकारता है जो जजन्िा है या मि
ु ाफ तो क्या वह हस्ती (वली
पीर या बुज़ुग)फ उसके दिल की फररयाि को सुन सकती है ? और
सुनकर उसकी मिि कर सकते हे ?

जरा गौर करें अल्लाह के शलए ईस सवाल पर ये शान


शसफफ और शसफफ अल्लाह रब्बुल आलशमन की हे 👉 हज़रत
यन
ु स
ु अलै.जब समंिर की गहराई में मझली के पेट में

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थे तो उन्होंने अल्लाह को पुकारा और अल्लाह ने उनकी
पुकार को सन
ु ा और मिि की

और अल्लाह क़ुरआन में कहता हैं 👉 जो तुम छुपाते हो या


जो तुम जादहर करते हो उसे भी अल्लाह जानता है ‫׀‬

अब जरा अगले सवाल पर गौर करें अल्लाह के शलए

6.👉 अगर अल्लाह तमाम मुजककलों को हल कर सकता है या


नही? और हााँ करता है तो कफर ये बताओ गैर अल्लाह यानी
(नबी बुज़ग
ु फ पीर वली) के पास जाने की क्या जरूरत है ! और
अगर अल्लाह के शसवा कोई और मजु ककलों को हल कर सकता
है तो कफर यह बतलाओ की अल्लाह की क्या जरूरत है !

न-अऊजो बबल्लाह (अल्लाह की पनाह) यह यही साबबत करना


चाहते हैं जो एक अल्लाह को छोड़ कर िस
ु रो को पुकाते हैं कक
कुछ मिि अल्लाह कर िे ता है और कुछ मिि यह हमारे (बुज़ुगफ
पीर वली) कर िे ते हैं‫׀‬

अब जरा अगले सवाल पर गौर करें अल्लाह के शलए


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7. 👉 अगर अल्लाह के शसवा जजसको यह पुकारते हैं चाहे नबी
हो वली हो या पीर हो कोई भी हो, अगर जजसको ये मजु ककल कुशा
(मुजककल को िरू करने वाला) समझते हैं, हाजत रवा (जरूरत
को पूरी करने वाला) समझते हैं अगर तमाम मुजककलों के हल
करने पर कादिर हैं, या अगर तमाम मुजककलों के हल करने पर
कादिर नहीं है तो हो सकता है , कुछ मुजककलों के हल करने का
बेडा अल्लाह ने उठाया हो और कुछ िस
ू रों ने उठाया हो, तब भी
हमारे सामने ऐसी सरू त में एक शलस्ट होनी चादहए कक कौन सी
मजु ककलें अल्लाह से हल करवाई जायें और कौन सी गैर अल्लाह
(बुज़ग
ु फ पीर वली) से हल करवाई जायें‫׀‬

ऐसा होता हैं दिल्ली के रहने वाले को मुसीबत वहााँ के


वली से िरू नही हो रही है तो वह अजमेर जाता हैं अजमेर
वाले दिल्ली जाते हैं मध्य प्रिे श वाले की मुसीबत वही
के आस पास वाले से problem िरू नही हो रही तो वो
उत्तर प्रिे श के ककसी बड़े वली के पास जाते हैं वहााँ के

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लोग मध्य प्रिे श आते हैं पाककस्तान के वाले की मस
ु ीबत
वहााँ के ककसी वली से िरू नही हो रही तो वो india भारत
आते हैं इस पर तो film भी आई थी (भाई जान की) बात
इसशलये कह रहा हु की समझ आये गूंगी लड़की वहााँ के
ककसी वली से ठीक नही हुई तो ककसी ने उसके वालीि
को मकवरा दिया अजमेर जाओ वहा के वली ये problem
को हल करे गे ऐसा ही होता हैं ये पेट के पुजारी बेचारे
परे शान हाल इंसान को फुटबॉल की तराह घम
ु ाते हैं कही
ईस िर पर तो कही उस िर पर अब वो बेचारा िर िर
की ठोकरे िाता रहता हैं पर अल्लाह से अपनी उम्मीि
नही लगता हैं

अब जरा अगले सवाल पर गौर करें अल्लाह के शलए ये


सवाल बहुत गहरा हैं👀

8. 👉 क्या अल्लाह के शसवा जो हस्ती मुजककल िरू कर सकती


है , क्या वो मजु ककल में डाल भी सकती है ? , या कफर उसका

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(काम) डयट
ू ी शसफफ मजु ककलों को िरू करने का है ! हमने तो आज
कल ककसी को मजु ककल में डालते हुए नहीं सन
ु ा 👂 की ककसी
वली ने मुजककल में डाला हो ककसी को सबकों मुजककल
कुशा (मुजककल को िरू करने वाला) ही कहते हुए सुना‫ ׀‬अगर
वह मुजककल कुशा है (मुजककल को िरू करने वाला) तो क्या वह
मुजककल में डालते भी हैं, अगर वो हस्ती मुजककल हल कर सकती
है तो मजु ककल में डालने वाला कौन है ‫ ׀‬न-अऊजो बबल्लाह
इसका मतलब यह हुआ कक अल्लाह मजु ककल में डालता है , यह
लोग (वली पीर बुज़ग
ु )फ मजु ककल से ननकालते हैं, तो यह तो
बडे हमििफ हुए जाशलम तो सबसे बडा अल्लाह हुआ ( न-अऊजो
बबल्लाह)

िे ि 👀 रहे हो अल्लाह पर इल्जाम लग रहा हैं जो


अल्लाह को छोड़कर िस
ु रो को अपनी मुजककल िरू करने
वाला बनाता हैं वो जाने अनजाने में अल्लाह पर इल्जाम
लगता हैं तौबा करो अल्लाह के बंिों

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अब जरा अगले सवाल पर गौर करें अल्लाह के शलए ये
सवाल बहुत गहरा हैं👀

9 👉 (अब यहां मानलो कक), अल्लाह ककसी बन्िे को मुजककल


में डालना चाहे और वह िस
ू री हस्ती जैसे (वली बुज़ुगफ पीर)
उस मुजककल को िरू करना चाहे ! तो इन िोनों हजस्तयों में कौन
जीतेगा, डालने वाला जीतेगा या हल करने वाला जीतेगा ? यानी
अल्लाह जीतेगा या ये (बुज़ग
ु फ वली पीर)

अल्लाह क़ुरआन मज़ीि में कहता हैं Surat No 6 :anaam


Ayat No 17

َََ‫شفَ َلہَََاِّلَ َہ ہوََؕ َوَََاِنَ َیَمسسکَ َ ِبخَیَرَ َف ہہو‬ ‫اّللہَ ِب ہ‬


ِ ‫ضرَ َفلَ َکا‬ َٰ َ َ‫وَ َاِنَ َیَمسسک‬
﴾۱۷﴿ََ‫علَیَ ہک َِلَشَیَءَََق َِدیَر‬
और यदि अल्लाह तुम्हें कोई िुःु ि तकलीफ पहुाँचाए तो
उस के शसवा उसे कोई िरू करने वाला नहीं है और यदि
वह अल्लाह तुम्हें कोई भलाई पहुाँचाए तो वह हर चीज़
पर कुिरत रिता हैं
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अब जरा अगले सवाल पर गौर करें अल्लाह के शलए ये
सवाल बहुत गहरा हैं👀

10 👉 अगर ककसी की नमाजे जनाजा हमें पढनी हो तो उसकी


मगकफरत या बजख्शश के शलए हम अल्लाह को पुकारें गे या गैर
अल्लह जैसे (वली बुज़ग
ु फ पीर) को पुकारें गे ‫׀‬

जब तम
ु लोग मरने के बाि मगकफरत के शलए अल्लाह को
पुकारते हो तो जजन्िगी में अल्लाह को क्यों नहीं पुकारते! पूरी
जजंिगी को हर वक़्त सोते जागते उठते बेठते अल्लाह को
नही पुकारता और ककसी नेक बुज़ुगफ पीर वली को पुकारता
हैं वो मरने के बात क्यों अल्लाह से मगकफरत मागी जाये
सारी जजंिगी तो एक अल्लाह को नही पुकारा अब क्या
फायिा मरने के बाि अल्लाह को पुकारने का

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कुरआन करीम के नवें पारे में सरू े आराफ की आयत नं0 196 में
अल्लाह तआला इरशाि फरमाता है ‫׀‬

तजुम
फ ा- (ऐ नबी आप कह िीजजए) बेशक मेरा मििगार तो शसफफ
अल्लाह है ‫( ׀‬यानी मेरा िोस्त दहमायती और सर परस्त और
मेरे सब काम बनाने वाला एक अल्लाह मुझको काफी है ‫) ׀‬

कुरआन करीम के छत्तीसवें पारे में सूरे काफ की आयत नं0 16


में अल्लाह तआला इरशाि फरमाता है ‫׀‬

तजम
ुफ ा- इन्सान को पैिा करने वाले शसफफ हम हैं और उसके जी
में जो ख्यालात आते हैं वो सब हमको मालम
ू हैं और हम तो
इन्सान की गिफन की रग से ज्यािा करीब हैं ‫׀‬

कुरआन करीम के बीसवें पारे में सूरे नम्ल की आयत नं0 62 में
अल्लाह तआला इरशाि फरमाता है ‫ ׀‬तजम
ुफ ा- अल्लाह के शसवा
वह कौन है ? जो बेकस लाचार की पुकार को जब भी वह िआ
ु करे
कबूल फरमा लेता है और मस
ु ीबत से छुटकारे के रास्ते िोल
िे ता है ‫׀‬
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हर मस
ु लमान सब नमाजों में और हर एक रकात में बार बार
अल्लाह से वािा करता है कक 👉ईय्याका नाअबुि ु व ् ईय्याका
नस्तईन तजुम
फ ा👉 ( ऐ अल्लाह हम तेरी ही इबाित करते हैं
और तुझ ही से मिि चाहते हैं. (सूरे फानतहा आयत नं0 4)
लेककन मजस्जि से बाहर ननकलते ही अपने वािे को तोड़
िे ते हैं गौर करें 👀 हम तेरी ही हम तेरी ही ईबाित करते
हैं और मजु ककल में तझ
ु ही से मिि मांगते हैं ये कहने
के बाि कफर औरो को अपना रब बनाते हैं अल्लाह सही
समझ की तौफ़ीक़ िे ……………………….. आमीन

ऐ अल्लाह हम सबको नेक अमल करने की तौफीक अता फरमा


‫ ׀‬कुरआन और अहािीस को पढने की और उसको समझ
कर उसपर अमल करने की तौफीक अता फरमा ‫ ׀‬हम सबकों
नबी से सच्ची और पक्की मुहब्बत करने की तौफीक अता
फरमा‫׀‬

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शशकफ जैसे बितरीन जम
ु फ से बचने की और शशकफ जैसे बडे गन
ु ाह
से तौबा करने की तौफीक अता फरमा ‫׀‬

िनु नया के मुसलमानों को तौहीि के झन्डे को लहराने की


तौफीक अता फरमा ‫ ׀‬आमीन या रब्बल आलमीन कुछ
लफ़्ज़ी गलती हो तो अल्लाह माफ़ कर और हक़ बात को
अल्लाह क़बूल करने की तौफ़ीक़ िे ………………….आमीन

आपका दिनी भाई

मो. हुसैन

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