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PEER SAKHI SULTAN JI SADHANA

पीर सखी सुलतान जी साधना ( लालां वाले पीर)

Vikrantnath
WWW.AAYIPANTHI.COM ये ठ और आषाढ के महीने म पीर सखी सुलतान जी की साधना की जाती है ! इ ह लालां वाला पीर भी कहा जाता है !
एक मा यता के अनुसार यिद िकसी के घर म केवल लड़िकयां ही पैदा होती हो तो इनकी कृपा से उ ह पत्र
ु की प्राि त हो जाती है ! इनके दरबार म भूत प्रेत
आिद ओपरी बाधाओं का भी इलाज िकया जाता है ! माना जाता है िक सखी सुलतान जी के दरबार के पहरे दार भैर यित ह !

यह भगवान ् िशव के अवतार भैरव नहीं ह बि क सुलेमान पैग बर के पत्र ु भैर यित ह अिधकतर लोग दोन भैरव को एक ही समझ लेते ह ! सखी सुलतान जी
का प्रिस थान िहमाचल म िनगाहा नामक थान पर है इसिलए लोग इ ह पीर िनगाहे वाला भी कहते ह ! यह जो साधना म आपको बता रहा हूँ यह कई
बार आजमाई हुई है ! यह साधना मुझे अजन ुर् िसंह जी से प्रा त हुई थी ! अजन
ुर् िसंह जी पंजाब के फतेहगढ़ िजले के संघोल नामक गाँव के रहने वाले थे , यह
गाँव लुिधयाना चंडीगढ़ रोड पर बसा हुआ है , इसे उ चा िपंड भी कहते ह क्य िक यह बहुत उं चाई पर ह ! इस गाँव म बौद्ध काल के 11 मंिदर दफन हो गये थे
बाद म भारतीय परु ात व िवभाग ने इ ह खोज िनकाला और हड़ पा काल की बहुत सी मूितर्या और आभूषण भी िमले ! केवल दो ही मंिदर सरकार खोज पाई
बाकी मंिदर िजस थान पर दबे ह वहा पर अब लोगो के घर बसे ह !

वह लोग परु ात व िवभाग से कई बार मुक मा जीत चक ु े है क्यूंिक उनके पास रिज ट्री है और परु ात व िवभाग उनसे जबरद ती वो जगह खाली नहीं करवा
सकता ! मेरे ताऊ जी परु ात व िवभाग म कायर्रत थे संयोग से उनकी बदली उ चा िपंड संघोल म हो गयी जब यह बात मेरे गु जी को पता चली तो उ ह ने
मुझसे कहा िक जाओ संघोल घूम आओ और इस पर मने गु जी से पछ ू ा ऐसा क्या है संघोल म? तो गु जी ने कहा संघोल म दरू दरू से बौद्ध आते ह और
अपनी साधना कर वािपस चले जाते ह िहमाचल और ित बत के लामा भी इस थान पर साधना करने आते ह पर वह अपनी साधना के िवषय म िकसी को
कुछ नहीं बताते जाओ ऐसे लामाओं के दशर्न करो, वह तु हे उ ही बौद्ध तप ू के आसपास िमल जायगे और गु गोरखनाथ जी की कृपा से तम ु उ ह पहचान
भी लोगे !

मने कहा ठीक है गु जी और मने अपने ताऊ जी से बात की और चल पड़ा इसके अलावा गु जी ने मुझे अजन ुर् िसंह जी का पता भी िदया और कहा सबसे
पहले जाकर अजन ुर् िसंह जी से ही िमलना ! मने गु जी से कहा िक अजन ुर् िसंह कौन है ? तो उ ह ने कहा िक है एक र ब का ब दा और जब म संघोल पहुंचा
तो पहले िदन तो ताऊ जी के साथ परू ा संघोल घूमा और दस ु रे िदन अजन ुर् िसंह जी के पास पहुँच गया ! अजन ुर् िसंह जी ने मुझे दे खते ही पहचान िलया म
है रान था ! वहां के लोगो म एक बात प्रिस थी िक लालां वाले पीर अजन ुर् िसंह के कान म आवाज दे ते ह इसिलए उ ह बैठे बैठे सब कुछ पता चल जाता है !
उनके साथ जब बातचीत चली तो मने उनसे पछ ु ा िक आप मेरे गु जी को कैसे जानते ह, तो उ ह ने कहा जब म तु हारी उम्र का था तो हमारे इलाके म एक
जट्ट िसक्ख तांित्रक बहुत प्रिस था उनके समान परू े इलाके म दस ू रा कोई नही था ! उस तांित्रक पर इ लाम का इतना प्रभाव हुआ िक वह मु लमान बन गया
! म उ ह अपना गु मानकर उनसे ज्ञान लेने गया पर उ ह ने मना कर िदया और कहा एक शतर् पर अपना िश य बनाऊंगा पहले मेरी सेवा कर मेरे खेतो म
हल चला और यिद मझ ु े तम
ु ने अपनी सेवा से प्रस न कर िदया तो सारा ज्ञान दे दं ग ू ा म लगभग 9 साल तक उनके खेतो म काम करता रहा और एक िदन
उनके मन म दया आ गयी और उ ह ने मुझे बल ु ा कर कहा िक मेरा काल आ चक ु ा है मेरा जीवन कुछ ही िदन शेष बचा है ! म तझ ु े ऐसा अनमोल ज्ञान दं ग
ू ा
जो शायद ही दस ु रे िकसी के पास हो और ऐसा कह कर उ ह ने सारी िव या मझ ु े िसखा दी !

कुछ िदन बाद उ ह ने अपनी दे ह याग दी और उ ह कब्र म सल ु ा िदया गया ! उनकी अंितम िक्रया के बाद म घर वािपस आ गया और उनकी बताई साधना
शु कर दी ! उ ह ने कहा था लालां वाले पीर की सेवा करते रहना जो मांगोगे वो िमल जाएगा और हुआ भी कुछ ऐसा ही एक गरीब घर म पैदा हुए अजन ुर्
िसंह प्रिस तांित्रक बन गये और उ ह धन की कोई कमी न रही पर लालां वाले पीर का कभी प्र यक्ष दशर्न न हुआ केवल कान म आवाज आती रही ! वह
जगह जगह िसद्ध तांित्रक और संतो को ढूंढने लगे जो उ ह लालां वाले पीर का प्र यक्षीकरण करवा दे पर ऐसा कोई न िमला ! राज थान से आये हुए एक
यिक्त ने उ ह िसद्ध रक्खा राम जी के िवषय म बताया तो उनके मन म िसद्ध रक्खा राम जी के दशर्न की इ छा हुई और वह िनकल पड़े राज थान के
बीकानेर की तरफ जहाँ िसद्ध रक्खा राम जी ने अपना धनू ा जमा रखा था पर उस यिक्त ने यह भी बताया था िक िसद्ध रक्खा राम जी अिधक िकसी से िमलते
नहीं और यिद गु सा आ जाए तो िकसी पर भी डंडा घुमा दे ते ह ! उजाड़ थान म रहते ह और पास आने वाले को ईंट प थर खाने पड़ते है और उनके पास
जाने वालो को यादातर गािलय का ही प्रसाद िमलता है !

इतना सब जानते हुए भी मन ढ कर अजन ुर् िसंह जी उनसे िमलने जा पहुंचे और उ ह प्रणाम िकया तो उ ह ने एक ईंट उठाकर दे मारी ! अजन ुर् िसंह उठकर
भागते वक्त वही ईंट उठा पंजाब ले आये जो िसद्ध रक्खा राम जी ने उ ह मारी थी और उस ईट को अपने पज ू ा थल म थािपत कर िदया ! दस ु रे िदन उ ह
लालां वाले पीर व न म नजर आने लगे और थोड़े िदन बाद उनका प्र यक्षीकरण हो गया उ ह ने मुझसे कहा िक ध य हो तम ु क्य िक तु हारे गु िसद्ध रक्खा
राम जी ह यह तु हारे पव
ू र् ज म के शभ
ु कम का फल है !

मने जब उनसे पछ
ु ा िक आप गु जी से दोबारा िमले तो उ ह ने कहा हाँ बहुत बार िमला और बहुत कुछ सीखा ! उ ह ने कहा िक वह नािरयल के फल के
समान है जो ऊपर से सख्त होता हुआ भी अ दर से नमर् होता है , ऐसे िसद्ध योगी को मेरा शत शत प्रणाम है !

|| मंत्र ||

िबि म लाहरहमानअरहीम
काला भैरो कबरीयाँ जटा
ह थ कड़की मोड़े मढ़ा
यहाँ भेजूं भैर यती
वही हािज़र खड़ा
कक्की घोड़ी स ज लगाम
उ ते चढ़ सखी सुलतान
सखी सुलतान की दहु ाई
चले म त्र फुरे वाचा
दे खां बाबा लक्ख दाता पीर
तेरे ईलम का तमाशा
मेरे गु का श द सांचा !

|| िविध ||

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इस मंत्र को 41 िदन 5 माला जप करे ! जप के दौरान ब्र मचारी रहे , भूिम-शयन करे ! हर रोज 5 तेल के दीपक जलाएं और पांच रोिटय का चरू मा बनाकर
ब चो म बांटे ! जप गु वार से शु करे और हर गु वार को पीले चावल बनाकर िकसी पीर की मजार पर पीर सखी सुलतान के नाम से चढ़ाये ! हर रोज थोड़े
से क चे आटे म थोडा सा गड ु और सरस का तेल िमलाकर अ छे से घोल ले , जप परू ा होने पर यह िकसी कु ते को िखला दे ! िजस िदन जप परू ा हो उस
िदन 21 िकलो का रोट बनाकर उसका भोग लगाय ! मंत्र िसद्ध हो जायेगा और आपके कानो म आवाज़ पड़ने लगेगी !

|| प्रयोग िविध ||

इस मंत्र को िसद्ध करने के बाद यिद िकसी िवशेष कायर् को करवाना हो तो गु वार के िदन पांच िचराग लगाये और इस मंत्र का जप शु कर दे ! आपके कानो
म आवाज़ पड़ने लगेगी ! उस समय पीर से जो भी प्राथर्ना की जाएगी , पीर उसका उ तर दगे और उस समय पीर से कहे िक अमुक कायर् िसद्ध होने पर म 21
िकलो का रोट लगाऊंगा ! कायर् परू ा होने पर ऐसा करे !

नोट – यह जो रोट लगाया जाता है उसका अिधकार िसफर् एक ही जाित के पास है , उस जाित को भराई कहते है ! यिद रोट लगवाना हो तो इस जाित से
लगवाएं क्य िक इस जाित के अलावा यिद कोई और रोट लगता है तो पीर वीकार नहीं करते ! यह जाित एक मुि लम जाित है

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PEER MUHMMAD SADHANA
पीर पैग बर साधना

मुि लम साधनाओ म एक से बढ़कर एक साधना है ! मुि लम तंत्र को बहुत प्रबल माना जाता है क्य िक परू ी कुरान अपने आप म शाबर म त्र है िजसमे
पैग बर मुह मद और अ लाह का वा ता िदया गया है मतलब दहु ाई दी गई है ! कुरान पाक के इलावा भी मुि लम संतो ने बहुत से शाबर मंत्रो की रचना की है
! पैग बर मुह मद को इ लाम धमर् के सं थापक माना जाता है ,कहा जाता है अ लाह ने 700 साल म िबि म लाह का िनमार्ण िकया इसिलए िबि म लाह
ु ा का नूर 30000 साल म एक बार उनसे जुदा होता है और कादरी खानदान म मा यता है िक खद
बोलने से मुह पिवत्र हो जाता है और खद ु ा ने अपना नूर
अपने से अलग करके ही पैग बर मुह मद का िनमार्ण िकया है !

पंजाब के सुफी संतो का कहना है िक ” रसूल खद ु ा दे आप ने र ब बाकी दिु नया ठगा दी ठग ” मतलब सारी दिु नया अ लाह के नाम पर ठग रही है केवल
पैग बर मुह मद ही खद ु ा का प है ,कहा जाता है जब इ लाम का प्रचार हुआ तो अरब के मुसलमान ने जबरद ती वहां के िह दओ ु को मु लमान बनाया और
प्राचीन मंदीर तोड़ िदए ! वहां के िह दओु ने दे वी म नत की मूतीर् सोमनाथ पंहुचा दी और उस मूतीर् का पीछा करते करते मुि लम भारत गए और सोमनाथ
मंदीर को तोड़ िदया पर म नत दे वी की साधनाए आज भी की जाती है यिद गु इ छा हुई तो एक िदन आप सबके सामने म नत दे वी की साधना भी ज र
रखग ूँ ा ! पंजाब के मशहूर किव वािरश शाह ने अपनी िकताब हीर म िलखा है

अ वल हमल खद
ु ा दा िवरध कीजे,

इ क िक ता सो जग दा मूल िमयां,

पहला आप ही र ब ने इ क िकता,

ते महबब
ू ने नवी रसल
ू िमयां !

उनका मानना था िक पैग बर मह ु मद अ लाह के महबब ू है ! िजस प्रकार िह द ू धमर् म दे व पंचायत होती है ठीक उसी प्रकार इ लाम म भी पंचायत होती है
इसे ” पंज तन पाक ” कहा जाता है !इस पंचायत म पैग बर मुह मद,शाह हजरत अली,बीबी फाितमा,हसन और हुसैन आते है ! पैग बर मुह मद के बारे म
िलखना मेरी भल
ू है क्य िक जो ” महबब ू ऐ खद ु ा ” ह उनका वणर्न कौन कर सकता है ?उनके एक इशारे से चाँद के दो टुकड़े हो जाते है तो मझ
ु जैसे पापी
से उनकी मिहमा का गण ु गान कैसे हो सकता है ? बस इतना ही कहूँगा िक यिद पैग बर मुह मद िक कृपा िमल गयी तो िज न िज नात,पीर पैग बर औिलये
और पिरयाँ सबकी कृपा की वषार् आप पर होगी !

एक मा यता के अनस ु ार यिद पांच िचराग जला िदए जाये और ” पंज तन पाक ” िक दह ु ाई दे कर िकसी भी पीर को कायर् करने के िलए प्राथर्ना िक जाये तो
वे उसी समय आपकी मदद करते है ! यह साधना मुझे मेरे गु दे व िसद्ध रक्खा रामजी से प्रा त हुई और इस साधना के स पण ू र् होते होते आपको पैग बर
महु मद के दशर्न भी हो जायेगे!

|| म त्र ||

पाक मह
ु मद अ लाह हु

तू ही तू तू ही तू

ु हो मािलक कुल जहान


तम

मुि कल मेरी कर आसान

अ लाह कहो अ लाह ही अ लाह

िबि म लाह िबि म लाह िबि म लाह !

|| िविध ||

इस साधना को िकसी भी शक्र


ु वार से शु करे और पांच तेल के दीपक जलाये ! एक बार िबि म लाह कहे और िफर इस म त्र की केवल ५ माला जपे ! शक्र
ु वार
को पांच फकीर को भोजन िखलाये!यह साधना आपको ४१ िदन करनी है ! अंितम िदन पीले चावल बांटे!

इस साधना से आपका क याण हो ! इसी कामना के साथ………………………

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