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तन्त्र मन्त्र ज्योतिष संन्सथान <https://vashisthjyotish.blogspot.

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पंडित विश्वनाथ त्रिपाठी उपाध्यक्ष ��वशिष्ठ ज्योतिष एवं वै दिक अनुष्ठान संस्थान ��
��जयपुर एवं हैदराबाद �� मोबाइल नंबर 9348871117 ह्वाट्सएप नंबर
7013974534 किसी भी सहायता के लिए संपर्क करे निःशुल्क ��श्वेतार्क गणपति��सतनजा
गणेश लक्ष्मी��हरदोई गणपति��वैजन्ती माला��दछिणावर्ती शंख��नर नारी��स्फटिक
माला��रुद्राछ माला��शुलेमानी हकीक����लक्ष्मीकौडी��हकीकपत्थर ��बिल्ली की जेर��
हकीक माला��पारद माला��असली पारदशिवलिंग��

Tuesday, 14 June 2016

विनिवेश के क्षेत्र के विषय में ज्योतिष के माध्यम से


<https://vashisthjyotish.blogspot.com/2016/06/blog-post_61.html>

जय मां राजराजेश्वरी आज हम बात करेंगे विनिवेश के क्षेत्र के विषय में


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djSI/AAAAAAAAB7o/K3ECrFazcqcmSnlagwsFGhjpNe-
j1wHAgCLcB/s1600/IMG_20160411_100013.jpg>
यदि आप निवेश करना चाहते हैं तो यहां ज्योतिष के अनुसार जानिए आपको किस क्षेत्र में निवेश
करना चाहिए और किस क्षेत्र निवेश नहीं करना चाहिए। निवेश यदि राशि अनुसार किया जाए
तो नुकसान की संभावनाएं काफी कम हो जाती हैं।
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मेष- मेष राशि के स्वामी मंगल देव हैं। मंगल को पृथ्वी का पुत्र माना जाता है। इसका रक्त
वर्ण है। जमीन, मकान, खेती एवं उससे जुड़े उपकरणों, दवाइयों के उपकरणों, वाहन विक्रय,
खनिज, कोयला में निवेश करने वाले लोगों को मंगल बहुत लाभ देता है।
इस राशि के लोगों को किसी भी प्रकार के जोखिम, के मिकल, चमड़े, लोहे से संबंधित कार्य में
निवेश करने से बचना चाहिए। जन्मपत्रिका में मंगल-चंद्र की युति हो तो व्यक्ति अति धनवान
होता है। पूर्व का निवेश अटका हो तो हर मंगलवार के दिन हनुमानजी को सरसो के तेल का
दीपक लगाना चाहिए।
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वृषभ- इस राशि का स्वामी शुक्र है। शुक्र चंचल ग्रह है तथा चंद्रमा इस राशि में उच्च का
होता है। इन लोगों को अनाज, कपड़ा, चांदी, शकर, चावल, सौन्दर्य सामग्री, इत्र, दूध
एवं दूध से बने पदार्थ, प्लास्टिक, खाद्य तेल, ऑटो पार्टस, वाहन में लगने वाली सामग्री,
कपड़े से संबंधीत शेयर एवं रत्नों में निवेश करने से लाभ प्राप्त होता है।
जमीन, खनिज, कोयला, रत्न, सोना, चांदी, स्टील, कोयला, शिक्षण संस्थान, चमड़ा,
लकड़ी, वाहन, आधुनिक यंत्र, औषधियों, विदेशी दवाइयों आदि में निवेश से बचना चाहिए। पूर्व
का निवेश अटका हो तो पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रह के निमित्त घी का दीपक लगाना चाहिए।
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मिथुन- इस राशि का स्वामी बुध है। बुध चंद्र को अपना शत्रु मानता है। बुध व्यापार करने
वाले लोगों को लाभ देने वाला ग्रह है। इस राशि के जातकों को सोने में निवेश लाभदायी रहता है।
इसके अलावा कागज, लकड़ी, पीतल, गेंहू, दालें, कपड़ा, स्टील, प्लास्टिक, तेल, सौन्दर्य
सामग्री, सीमेंट, खनिज पदार्थ, पशु, पूजन सामग्री, वाद्य यंत्र आदि का व्यापार या इन
चीजों से संबंधित निवेश लाभ देता है। चांदी, शकर, चावल, सुखे मेवे, कांसा, लोहा,
इलेक्ट्रॉनिक्स, जमीन, सीमेंट, इत्र, के बल तार, वाहन, दवाइयों, पानी से संबध ं ीत पदार्थ में
निवेश करने से बचने का प्रयास करें। पूर्व का निवेश अटका हो तो सफे द वस्त्रों का दान करें।
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कर्क - कर्क राशि का स्वामी स्वयं चन्द्रमा है। इस राशि के लोग व्यवसाय के साथ नौकरी में
भी सफल होते हैं। इन लोगों को चांदी, चावल, शकर एवं कपड़ा उत्पाद करने वाली कं पनियों के
शेयर, प्लास्टिक, अनाज, लकड़ी, के बल, तार, फिल्मों, खाद्य सामग्रियों, आधुनिक उपकरण,
बच्चों के खिलोने, फायनेंस कंपनियों में निवेश करना लाभदायी होता है।
वर्तमान में शेयर एवं वादा बाजार में निवेश से बिल्कु ल नहीं करें। जमीन, प्लाट, मकान,
दुकान, तेल, सोना, पीतल, वाहन, दूध से बने पदार्थ, पशु, रत्न, फर्टीलाइजर्स, सीमेंट,
औषधियों एवं विदेशी दवाई कं पनियों में निवेश सावधानी से करना चाहिए। पूर्व का निवेश
अटका हो तो श्रीगणेश को भोग लगाएं।
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सिंह- इस राशि का स्वामी सूर्य चंद्रमा का मित्र है। यह लोग स्वयं का कार्य या व्यापार
में सफल होते हैं। सामान्यत: इन लोगों को नौकरी पसंद नहीं होती है। इन्हें सोना, गेंहू,
कपड़ा, औषधियों, रत्नों, सौन्दर्य सामग्री, इत्र, सेंट, शेयर एवं जमीन जायदाद में निवेश से
लाभ होता है।
इन लोगों को तकनीकी उपकरण, वाहन, सौदंर्य सामग्री, फिल्म्स, प्लास्टिक, के बल तार,
इलेक्ट्रॉनिक्स, कागज, खाद्य पदार्थ, लकड़ी एवं उससे बने उपकरण, सेना में सप्लाई करने में भी
यह लाभ प्राप्त होता है।
इस राशि के जातकों को किसी भी निवेश लाभ-हानि बराबर होती है। पूर्णत: हानि से यह
सदैव बचे रहते हैं। पूर्व का निवेश अटका हो तो हनुमानजी को चमेली के तेल का दीपक लगाएं।
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कन्या- इस राशि का स्वामी बुध है। जो चंद्रमा से शत्रुता रखता है। इन लोगों को शिक्षण
संस्थान, सोना, औषधियों, के मिकल, फर्टीलाइजर्स, चमड़े से बने सामान, खेती, खेती के
उपकरणों के कार्य करने में सफलता प्राप्त होती है। इन चीजों में निवेश भी लाभदायी होता हैं।
जमीन, चांदी, सीमेंट, ट्रांसपोर्ट, मशीनों का सामान, पशु एवं जल से जुड़े कार्यों में निवेश से
बचना चाहिए। वर्तमान समय में शनि का अंतिम ढैय्या होने से शेयर एवं वादा बाजार में अच्छी
सलाह के बाद ही निवेश करें। पूर्व में कोई निवेश उलझा हो तो श्रीगणेश को लड्डू का भोग लगाएं।
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तुला- इस राशि का स्वामी शुक्र होता है। शनि इस राशि में उच्च का होता है और इस समय
शनि तुला में ही है। इस राशि के लोगों को लौहा, सीमेंट, स्टील, दवाइयों, के मिकल, चमड़े,
फर्टीलाइजर्स, कपड़ा, तार, इस्पात, कोयला, रत्नों, प्लास्टिक, आधुनिक यंत्रों (कं प्यूटर,
कै मरे, टेलीविजन आदि बनाने वाली कं पनी) तेल में निवेश करने से उत्तम लाभ होता है।
जमीन, मकान, खेती, खेती संबध ं ी उपकरण, वस्त्र, में निवेश करने से बचें। वर्तमान समय में शनि
की साढ़ेसाती होने से शेयर एवं वादा बाजार में निवेश नहीं करें। पूर्व में निवेश अटका हो तो
सूर्य को दूध अर्पण करें।
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वृश्चिक- इस राशि का स्वामी मंगल है। चंद्रमा इस राशि में नीच का होता हैं। मेष राशि की
ही तरह इस राशि वालों को जमीन, मकान, दुकान, खेती, सीमेंट, रत्नों, खनिजों, खेती एवं
मेडिकल के उपकरण, पूजन सामग्री, कागज, वस्त्र में निवेश से लाभ होता है।
आपकी कुं डली में यदि चंद्रमा पर शनि की नजर हो तो तेल, के मिकल एवं तरल पदार्थों में निवेश
करने से बचें। वर्तमान समय में शनि की साढ़ेसाती होने से शेयर, के मिकल, लौहा, चमड़ा,
सोना, चांदी, स्टील, लकड़ी, सौंदर्य सामग्री, लौहे के उपकरण, तेल में निवेश बिल्कु ल नहीं
करें। पूर्व में निवेश अटका हो तो मंगलवार के दिन किसी चौराहे पर तेल डालें।
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धनु- इस राशि के स्वामी गुरु ग्रह हैं। गुरु व्यापारियों को लाभ देने वाला ग्रह है। विशेषकर
सोने एवं अनाज का व्यापार करने वालों के लिए। इस राशि के लोगों को निवेश के लिए भी
इन्हीं वस्तुओं पर ध्यान देना चाहिए। आभूषणों, रत्नों, सोना, अनाज, कपास, चांदी, शकर,
चावल, औषधियों, सौंदर्य सामग्री, दूध से बने पदार्थ, पशुओ ं का व्यापार करने एवं उसमें निवेश
करने से लाभ होता है।
तेल, के मिकल, खनिज, खदान, कोयला, खाद्य तेल, किराना व्यापार, के बल तार, शीशा,
लकड़ी, जमीन, मकान, सीमेंट, लौहे के व्यापार या उसमें निवेश करने से हानि होने की
संभावनाएं बनती हैं। पूर्व का निवेश अटका हो तो सरसों का तेल दान करें।
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मकर- इस राशि का स्वामी शनि है। शनि चंद्र से शत्रुता रखता है। इस राशि के लोगों को
लोहा, इस्पात, के बल, तेल सभी प्रकार के , खाद्य सामग्री, इलेक्ट्रॉनिक्स सामान, यंत्र,
खनिज पदार्थ, खेती उपकरण, वाहन, चिकित्सा के उपकरण, वस्त्र, इत्र, सेंट, स्टील,
सौन्दर्य सामग्री, ग्लेमर वर्ल्ड, फिल्म्स, नाटकों आदि में निवेश करने से लाभ होता है।
जमीन, मकान, सीमेंट, सोना, चांदी, रत्न, पीतल, अनाज, वस्त्र, शेयर आदि में निवेश से
बचना चाहिए। पूर्व का निवेश अटका हो तो इमली का दान करें।
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कुं भ- इस राशि का स्वामी भी शनि ही है तथा मकर की तरह ही इसके बारे में समझना
चाहिए। इस राशि के लोगों को लोहा, इस्पात, के बल, तेल सभी प्रकार के खाद्य सामग्री,
इलेक्ट्रॉनिक्स सामान, यंत्र, खनिज पदार्थ, खेती उपकरण, वाहन, मेडिकल के उपकरण, वस्त्र,
इत्र, सेंट, स्टील, सौन्दर्य सामग्री, ग्लेमर वल्र्ड, फिल्म्स, नाटकों आदि में निवेश करने से
लाभ होता है।
जमीन, मकान, सीमेंट, सोना, चांदी, रत्न, पीतल, अनाज, वस्त्र, शेयर आदि में निवेश से
बचना चाहिए। पूर्व का निवेश अटका हो तो अदरक का दान करें।
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मीन- इस राशि का स्वामी गुरु है। गुरु चंद्र का मित्र है। किसी भी प्रकार के निवेश से इन्हें
बचना चाहिए। विशेषकर शेयर एवं वादा बाजार में। इनके निवेश के लिए आभूषणों, रत्नों,
सोना, अनाज, कपास, चांदी, शकर, चावल, औषधियों, सौंदर्य सामग्री, दूध से बने पदार्थ,
पशुओ ं का व्यापार करने एवं इन चीजों में निवे श करने से लाभ होता है।
तेल, के मिकल, खनिज, खदान, कोयला, खाद्य तेल, किराना व्यापार, के बल तार, शीशा,
लकड़ी, जमीन, मकान, सीमेंट, लौहे के व्यापार या उसमें निवेश करने से हानि होने की
संभावनाएं बनती हैं। पूर्व का निवेश अटका हो तो दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
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Labels: ज्योतिषीय योग


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विशेष उपयोगी टोटकों के विषय मे


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*जय मां राजराजेश्वरी आज हम बात करेंगे कु छ विशेष उपयोगी टोटकों के विषय मे *
*<https://3.bp.blogspot.com/-
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कु छ उपयोगी टोटके छोटे-छोटे उपाय हर घर में लोग जानते हैं, पर उनकी विधिवत् जानकारी के
अभाव में वे उनके लाभ से वंचित रह जाते हैं। इस लोकप्रिय स्तंभ में उपयोगी टोटकों की
विधिवत् जानकारी दी जा रही है।
*सुख समृद्धि हेतु टोटका*
*गृह विवाद दूर करने हेतु*
यदि घर में प्रतिदिन किसी न किसी बात को लेकर विवाद रहता है, आपस में लड़ाई झगड़े रहते
हैं, तो इन सब क्ले शों को मिटाने के लिए घर में कदंब वृक्ष की डाली पूर्णिमा के दिन गंगाजल
में धोकर धूपबत्ती लगाकर पूजा स्थल पर रख दें। किं तु इस बात का ध्यान रखें कि डाली में सात
अंखडित पत्ते होने चाहिए। अगली पूर्णिमा को पुरानी डाली को कदंब वृक्ष के नीचे जड़ में रख
दें तथा नई डाली उसी विधि से स्थापित कर दें। यह उपाय करते रहें।
*मकान खाली कराने हेतु*
यदि किरायेदार आपके मकान को खाली नहीं करता, न ही किराया ही देता है तो शनिवार
की सायं भोज पत्र पर लाल चंदन से उसका नाम लिखकर एक शहद की शीशी में डु बो दें। यदि
उस दिन शनैश्चरी अमावस्या हो तो और अच्छा है। इस क्रिया से उसके मन-मस्तिष्क में बदलाव
होने लगेगा तथा वह मकान खाली करके अन्यत्र चला जायेगा। धन लाभ हेतु धन-लाभ के लिए
पूर्णिमा के दिन सुबह ही सुबह पीपल के एक अंखडित पत्ते पर रोली से ''राम'' लिखें और उस
पत्ते पर बेसन का लड्डू रखकर हनुमान जी के चरणों में अर्पण कर दें। ऐसा सात बार करें तो
अवश्य लाभ होगा।
*बिक्री बढ़ाने हेतु*
व्यापार में बिक्री बढ़ाने के लिए ग्यारह गोमती चक्रों और तीन छोटे नारियलों की यथाविधि
पूजा कर उन्हें पीले वस्त्र में बांधकर बुधवार या शुक्रवार को मुखय दरवाजे पर लटका दें। इसके
लटकाने से यदि आपके प्रतिष्ठान में किसी ने बंदिश अथवा नजर बाधा कर रखी है तो वह तुरंत
दूर हो जायेगी। प्रत्येक पूर्णमासाी को अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान में गंगाजल व धूपबत्ती लगायें।
*आर्थिक तंगी दूर करने के लिए*
यदि घर में पैसे का अत्यंत अभाव है तो संकल्प लेकर 21 शुक्रवार पांच छोटी-छोटी कन्याओं को
खीर का प्रसाद खिलायें। खीर में चीनी के स्थान पर मिश्री पीसकर डालें। यह किसी को
बतायें नहीं।
*कर्ज उतारने के लिए*
यदि आप कर्जदार हैं तथा कर्जा सिर से उतर नहीं रहा है तो शुक्ल पक्ष के प्रथम गुरुवार को
सुहागिन स्त्री को उसके सुहाग की सामग्री दान कर दें। ऐसा लगातार पांच गुरुवार करें।
सुहाग सामग्री में बिंदी का पैकट, नैल पालिश, सिंदूर, चूड़ी, लाल रिबन आदि दें। धीरे-धीरे
आपकी समस्या का समाधान होने लगेगा।
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Labels: टोटके विशेषांक


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%E0%A4%82%E0%A4%95>

लाल किताब के ग्रह दोष: निवारक टोटकों के विषय में


<https://vashisthjyotish.blogspot.com/2016/06/blog-post_14.html>

जय मां राजराजेश्वरी आज हम बात करेंगे लाल किताब के ग्रह दोष: निवारक टोटकों के विषय में
<https://1.bp.blogspot.com/-
9UeWj967cco/V2AEC_y5U2I/AAAAAAAAB6s/KM6GuLs2LZEA58fnHt0afrkcd-
Xr9S_vACLcB/s1600/1462095043554.jpg>

लाल किताब आधुनिक ज्योतिष जगत में काल सर्प के पहले सर्वाधिक चर्चित विषय रहा है, लाल
किताब को भारतीय ज्योतिष का फ़ारसी भाषा में उप्लब्ध यवन संस्करण माना जा सकता है ।
लाल किताब जैसे महत्वर्पूण ज्योतिष साहत्यि का फारसी एवं उर्दु में लिखा होना इस बात का
पुख्ता सबूत है कि भारतीय ज्योतिष का सफर बगदाद आदि खाड़ी देशों से होता हुआ पुन: यवनों
के प्रभाव से भारत आया । यवनों का ज्योतिष ज्ञान उस समय में काफी सराहनीय था, इसका
उहेख लगभग इ. सन् ५०० में भारतीय ज्योतिष के पितृ पुरुष वराहमिहरि नें कु छ इस तरह से उद्घृ
त किया था :-
म्लेच्छा हि यवनास्तेषु सम्यक् शास्त्रमिदं स्थितम् ।
ऋषिवत्ते पि पूज्यन्ते किं पुनदैवविद् द्विज: ।।
ऋषि तुल्य पूजने का सुझाव देने के पीछे इब्राहीम अलफजारी के मुस्लिम चान्द्र वर्ष सारणी एवं
सिंद हिंद जैसे ग्रंथ रहे हैं । रमल और ताजिक जैसे ज्योतिष के अंग अरब के प्रभाव को प्रस्तुत
करते ही हैं । इकबाल, अशरफ जैसे यवनाचायो को भारतीय ज्योतिष के सभी मूल सिद्धांत ज्ञात
थे इन्होनें इसे फारसी भाषा में लिख कर इस ज्ञान के प्रसार में योगदान किया । इन्हीं
विद्वानों की तरह किसी गुमनाम लेखक नें फरमानों एवं शायरी के रुप में जो ज्ञान एवं सिद्धांत
प्रस्तुत किया वह वर्षो से उत्तर भारत में अधिकारिक रुप से स्वीकार किया जाता रहा है ।
दक्षिण भारत में विगत कु छ वर्षों से इसके अनुवाद के प्रकाशन के बाद इसके टोटके एवं उपायों
का प्रयोग प्रारंभ हुआ ।
इस सिद्धांत के टोटके एवं ग्रह शांति के उपाय, गोचर अनुसार ग्रहों के जातक पर पड़नें वाने
अनिष्ट प्रभावों से मुक्ति हेतु सामान्य सिद्धांत के अनुसार रत्न धारण एवं ग्रह शांति पूजन के
भारी भरकम खचे से अवश्य ही निजात दिलाता है एवं ग्रहों के अनिष्टों से मुक्ति प्रदान करने
का सहज एवं सुगम रास्ता प्रदान करता है ।
इस सिद्धांत के अनुसार जन्म कु ण्डली में लग्नादि बारह भावों में राशियों का स्थान निश्चित है
किन्तु ग्रह वैदिक सिद्धांत के अनुसार जन्म कु ण्डली में जिस भाव में बैठे हों वहां बैठाया जाता
है । इसे स्पस्ट रुप से समझाने के लिए ज्योतिष का सामान्य ज्ञान आवश्यक है, किन्तु यदि
आपको ज्योतिष का सामान्य ज्ञान भी नहीं है तो चिंता की कोइ बात नहीं । ग्रहों के गति
के अनुसार जन्म कु ण्डली में ग्रहों की स्थिति भावों में निश्चित होती है और ग्रहों की यही
स्थि ति भावानुसार ग्रहों की शुभता या अशुभता को जीवनकाल में सुख व दुख के रुप में
प्रदर्शित करती है ।
ग्रह अपनें अनिष्ट प्रभाव को जीवन में दो रुप में प्रस्तुत करता है, प्रथमत: जन्मकालिक
स्थितियों के द्वारा एवं द्वितियत: कालभ्रमणानुसार अपने विमशोत्तरी या योगिनी दशा में ।
इन दोनों परिस्थितियों में मनुष्य के जीवन में ग्रहों के प्रभाव से अन्य अरिष्ट के अतिरिक्त कु छ
ऐसे लक्षण पैदा होते हैं जिससे कि हम जान सकते हैं कि वर्तमान में दुख देने वाला ग्रह कौन सा है ।
हम आपकी सुविधा के लिए लाल किताब के सिद्धांत के अनुसार संक्षिप्त में ग्रह दोष से उत्पन्न
सांके तिक लक्षणों एवं उपायों की जानकारी यहां प्रस्तुत कर रहे हैं साथ ही उक्त ग्रह के ताप
से मुक्ति हेतु ऐसे अचूक एवं अनुभव सिद्ध टोटके भी दे रहे हैं :-
सुर्य (Sun): सूर्य के अशुभ होने पर या कु ण्डली में सुर्य के दूषित प्रभाव होने पर पेट, आंख,
हृदय का रोग होवे, सरकारी बाधा आवे । ऐसे में तांबा, गेंहू एवं गुड का दान करें, आग को दूध
से बुझावें, प्रत्येक कार्य का प्रारंभ मीठा खाकर करें , हरिवंश पुराण का पाठ करें , ताबें का
बराबर दो टुकडा काटकर एक को पानी में बहा दें एक को जीवन भर साथ रखें ।
चंद्र (Moon): चंद्र के कु ण्डली में अशुभ होने पर दुधारी पशु की मृत्यु हो जावे, स्मरण शक्ति
का ह्रास हो, धर में पानी की कम पड़ जावे । ऐसे में भगवान शिव की आराधना करें , दो
मोती या दो चांदीं का तुकड़ा लेकर एक तुकड़ा पानी में बहा दें एक को अपने पास रखें । चंद्र
यदि कु ण्डली में छठे भाव में हो तो दूध या पानी का दान कदापि नकरें , यदि वारहवां हो
तो धमात्मा या साधु को भोजन न करावें न ही दूध पिलावें यदि ऐसा करेंगे तो जीवन भर कष्ट
भोगेंगे ।
मंगल (Mars): मंगल के अशुभ होने पर बच्चे जन्म होकर मर जावे, आंख में रोग होवे, बात
गठिया रोग दुख देवे, रक्त की कमी या खराबी वाला रोग हो जावे, हर समय क्रैं ध आवे,
लड़ाइ झगड़ा होवे तब हनुमान जी की आराधना एवं उपवास रखें , तंदूर की मीठी रोटी दान
करें , बहते पानी में रेवड़ी व बताशा बहायें, मसूर की दाल दान में देवें ।
बुध (Mercury): बुध की अशुभता पर दांत टूट जाये, सूंघनें की शक्ति कम हो जावे, गुप्त रोग
होवे उपाय में नांक छिदवायें, ताबें के प्लेट में छेद कर बहते पानी में बहायें, दुर्गा उपासना
करें, अपने भोजन में से एक हिस्सा गाय को एक हिस्सा कु त्तों को दें ।
गुरु (Jupiter): देव गुरु वृहस्पति के अशुभ प्रभाव में आने पर सिर के बाल झड़ने लगे, सोना खो
जाये या चोरी हरे जावे, शिक्षा में बाधा आवे, अपयश होवे तब माथे पर के शर का तिलक
लगावें, कोइ भी अच्छा काय करने के पूर्व अपना नांक साफ करें । दान में हल्दी, दाल, के सर
आदि देवें व ब्रम्हा जी की पूजा करें ।
शुक्र (Venus): दानवों के गुरु शुक्र के अशुभ प्रभाव में होने पर अंगूठे का रोग हो जावे, चलते
समय अगूंठे को चोट पहुंचे, चर्म रोग होवे, स्वप्न दोष होता हो तो अपने खानें में से गाय को
प्रतिदिन कु छ हिस्सा अवश्य देवें, गाय, ज्वांर दान करें, नि:सहाय व्यक्ति का पालन पोषण
का जिम्मा लेवें, लक्ष्मी उपासना करें ।
शनि (Saturn): शनि के अशुभ प्रभाव में होने पर मकान या मकान का हिस्सा गिर जावे या
क्षति होवे, अंगों के बाल झड़ जावे, काले संपत्ति का नाश होवे, आग लग जावे व धन संपत्ति
का नाश हो तब कौवे को प्रतिदिन रोटी खिलावे, तेल में अपना मुख देख वह तेल दान करें,
लोहा, काला उडद, चमड़ा, काला सरसों आदि दान दें । भगवान शिव की आराधना करें । यदि
कु ण्डली में शनि लग्न में हो तो भिखारी को तांबे का सिक्का या बर्तन कभी न दें यदि देंगे तो
पुतर् को कष्ट होगा । यदि शनि आयु भाव में स्थित हो तो धर्मशाला आदि न बनवायें ।
राहु (Rahu): राहु के अशुभ होने पर हांथ के नाखून अपने आप टूटने लगे, राजक्ष्यमा रोग के
लक्षण प्रगट होवे, दिमागी संतुलन ठीक न रहे, शत्रुओं के चाल पे चाल से मुश्किल बढ़ जावे ऐसी
स्थिति में जौं या अनाज को दूध में धो कर बहते पानी में बहायें, कोयला को पानी में बहायें,
मूली दान में देवें, भंगी को शराब,मांस दान में दें । सिर में चुटैया रखें, भैरव जी की की
उपासना करें ।
के तु (Ketu): इसके अशुभ प्रभाव में होने पर मूत्र एवं किडनी संबंधी रोग होवे, जोड़ों का रोग
उभरे, संतान को पीड़ा होवे तब अपने खाने में से कु त्ते को हिस्सा देवें, तिल व कपिला गाय
दान में दें, कान छिदवायें व श्री विघ्नविनायक की आराधना करें ।
उपरोक्त टोटके लाल किताब के अनुभव सिद्ध टोटके हैं । ग्रहों के द्वारा कष्ट प्रदान किये
जाने पर उपरोक्तानुसार कार्य करने से उक्त ग्रह प्रशन्न होते हैं एवं शुभ प्रभाव में आकर
उन्नति प्रदान करते हैं । इन टोटकों का प्रयोग कम से कम ४० दिन तक करना चाहिए तब ही
फल प्राप्ति संभव होता है । लाल किताब के इन निदान उपायों को पाठक प्रयोग करें और
गोचरवश आपके कु ण्डली में अशुभ प्रभाव में स्थित ग्रहों को शुभ प्रभाव में ले आवें!!!!
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Labels: टोटके विशेषांक


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Monday, 13 June 2016

सौन्दर्य का ज्योतिष एवं ग्रहों से सम्बन्ध के विषय मे


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जय मां राजराजेश्वरी आज हम बात करेंगे सौन्दर्य का ज्योतिष एवं ग्रहों से सम्बन्ध के विषय मे
सुन्दर दिखने की चाहत हर किसी की होती है लेकिन, हर किसी की सुन्दरता लोगों को
आकर्षित नहीं करती है. वास्तव में सुन्दरता यानी खबूसूरती कु दरत की देन है. सुन्दरता अपने
आप में एक दौलत है. जिसे सौन्दर्य की दौलत मिल जाती है उसे इस संसार में सब कु छ मिल
जाता है. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार दो प्राकृ तिक शुक्र ग्रह शुक्र एवं चन्द्र सौन्दर्य के कारक
होते हैं. इन दोनों की शुभ स्थिति कु ण्डली में होने पर आमतौर व्यक्ति का रूप आकर्षक होता है.
🔱सौन्दर्य और शुक्र चन्द्र 🔱
ज्योतिषशास्त्र में शुक्र को सौन्दर्य का देवता माना जाता है. सौन्दर्य से सम्बन्धित सभी
विषय में शुक्र ग्रह की स्थिति को देखा जाता है . सुन्दर नयन नक्श भी शुक्र के प्रभाव से
प्राप्त होता है. कोई यदि आकर्षक लगता है तो उसमें आकर्षण पैदा करने वाला ग्रह शुक्र ही
है. चन्द्रमा शीतलता एवं त्वचा की रंगत का कारक माना जाता है. चन्द्र से ही शरीर में
कोमलता तथा कमनीयता को देखा जाता है. ये दोनों ग्रह जिनकी कु ण्डली में शुभ एवं मजबूत
होकर स्थित हों उन्हें ये दोनों ग्रह रूप, सौन्दर्य एवं कोमलता प्रदान करेंगे. जिन्हें यह
प्राप्त होगा वह सुन्दर एव आकर्षक दिखेगा.
🔱शुक्र एवं चन्द्र की युति से सुन्दरता मिलती है लेकिन, इनमें ध्यान देने वाली बात यह होती
है कि इन दोनों ग्रहों की युति किस भाव एवं राशि में हो रही है. ग्रहों की दृष्टि तथा
अन्य ग्रहों का इनपर प्रभाव भी काफी मायने रखता है.
🔱चन्द्र शुक्र की युति और सौन्दर्य 🔱
चन्द्र एवं शुक्र की युति किसी भाव में होने पर आमतौर पर यह माना जाता है कि व्यक्ति
सुन्दर एवं आकर्षक होगा. परंत, ु ज्योतिषशास्त्र के अनुसार चन्द्र शुक्र की युति किस राशि में
हो रही है यह सौन्दर्य में विचारणीय होता है.
🔱मंगल की राशि में शुक्र चन्द्र की युति 🔱
मंगल की राशि में शुक्र चन्द्र की युति होने पर व्यक्ति खूबसूरत होता है. मंगल का प्रभाव भी
व्यक्ति पर दिखता है इसलिए इनका रंग गेहुंआ तथा लालिमा लिये होता है.
🔱शुक्र की राशि में शुक्र चन्द्र की युति 🔱
वृष एवं तुला शुक्र की राशि होती है. शुक्र जब अपनी राशि में होता है तो शुक्र की स्थिति
मजबूत होती है. शुक्र चमकीला ग्रह है इसके साथ चन्द्र की युति होने से व्यक्ति का रंग गोरा
एवं निखरा होता है. इनकी त्वचा दुधिया गोरापन लिये होती है. व्यक्ति बहुत ही आकर्षक
होता है.
🔱बुध की राशि में शुक्र चन्द्र की युति 🔱
मिथुन एवं कन्या राशि बुध की राशि होती है. बुध को भी त्वचा का कारक माना जाता है.
बुध की राशि में शुक्र एवं चन्द्र की युति होने पर व्यक्ति सुन्दर तथा मोहक होता है. इनका
कद कु छ लम्बा होता है. नयन नक्श सुन्दर होते हैं परंतु कु छ सांवले दिखाई देते हैं.
🔱गुरू की राशि में शुक्र चन्द्र की युति 🔱
धनु एवं मीन राशि का स्वामी गुरू होता है. गुरू की इन राशियों में शुक्र एवं चन्द्र की युति
सौन्दर्य की दृष्टि से बहुत ही अच्छी मानी जाती है. इस राशि में इन दोनों ग्रहों की युति
होने से व्यक्ति बहुत ही सुन्दर होता है. शुक्र चन्द्र की युति से शारीरिक बनावट आकर्षक
होती है. गुरू के प्रभाव के कारण इनका रंग निखरा होता है. इनकी त्वचा में पीली आभा
झलकती है जो इनके सौन्दर्य को बहुत ही मोहक बनाती है.
🔱शनि की राशि में शुक्र चन्द्र की युति 🔱
शनि की राशि मकर एवं कु म्भ है. इन शुक्र चन्द्र की युति होने पर व्यक्ति लम्बा होता है.
इनका रंग सांवला होता है परंतु इनकी त्वचा में चमक होती है. शरीर थोड़ा रूखा एवं कठोर
भी प्रतीत होता है. लेकिन, शुक्र चन्द्र की युति के कारण ये सांवले सलोने लगते हैं.
🔱सूर्य की राशि में शुक्र चन्द्र की यति. 🔱
सिंह राशि का स्वामी सूर्य है. सिंह राशि में चन्द्र एवं शुक्र की युति होने पर व्यक्ति लम्बा
होता है. मस्तिष्क उन्नत तथा तेज से परिपूर्ण होता है जिससे यह आकर्षक लगते हैं. इनका रंग
लालिमा लिए होता है. त्वचा की देख-रेख में कमी करने पर ये सांवले दिख सकते हैं.
🔱चन्द्र की राशि में शुक्र चन्द्र की युति 🔱
चन्द्र कर्क राशि का स्वामी है. चन्द्रमा यदि शुक्र के साथ अपने घर में बैठा हो तो उसी
प्रकार का फल देता है जैसे तुला एवं वृष राशि में शुक्र चन्द्र की युति का फल होता है अर्थात
व्यक्ति बहुत ही गोरा एवं आकर्षक दिखता है. ये कोमल एवं मासूम नज़र आते हैं.
ये सभी फल जगह एवं परिवेश के अनुसार कु छ अलग हो सकता है. लेकिन, आमतौर पर इसी तरह
का परिणाम प्राप्त होता है.
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Labels: ज्योतिषीय योग


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Sunday, 12 June 2016

बंधन दोष: प्रभाव और निवारण के उपाय के विषय में


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20160308-WA0008.jpg>
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*जय मां राजराजेश्वरी आज हम बात करेगें बंधन दोष: प्रभाव और निवारण के उपाय के विषय में *
जिस प्रकार देवता हैं, तो दानव भी हैं,अच्छाई है, तो बुराई भी है, मनुष्य है,तो राक्षस भी
है, प्रत्यक्ष है, तो अप्रत्यक्ष भी है, उसी प्रकार षटकर्मों अर्थात आकर्षण, वशीकरण,
उच्चाटन, स्तंभन, विद्वेषण और मारण आदि में अच्छे कर्म भी हैं, तो बुरे भी जिन्हें मनुष्य अपने
स्वार्थ हेतु उपयोग में लाता है और अच्छे-बुरे की सीमा को भी लांघ जाता है। इन षटकर्मों में
स्तंभन ही बंधन है। इसका प्रयोग कर किसी की शक्ति, कार्य, व्यापार, प्रगति आदि को
कुं ठित या अवरुद्ध कर दिया जाता है। साधारण शब्दों में बंधन का अर्थ है बांध देना। प्रत्यक्ष
तौर पर बांध देने की क्रिया को बांधना कहते हैं, परंत ु अप्रत्यक्ष रूप से बांधना बंधन कहलाता
है। अधिकतर लोगों को ऐसा लगता है कि बंधन की क्रिया के वल तांत्रिक ही कर सकते हैं और
यह तंत्र से संबंधित है। परंतु वास्तविकता इसके विपरीत है। किसी कार्य विशेष के मार्ग को
अभिचार क्रिया से अवरुद्ध कर देना ही बंधन है। यहां कु छ प्रमुख बंधन दोषों, उनके परिणाम
तथा उनके निवारण के उपायों का विवरण प्रस्तुत है।
🍂व्यापार अथवा कार्य बंधन ♍किसी व्यक्ति विशेष के व्यापार, दुकान, फैक्ट् री या
व्यापारिक स्थल को बांधना व्यापार बंधन अथवा कार्य बंधन कहलाता है। इससे उस व्यापारी
का व्यापार चोैपट हो जाता है। ग्राहक उसकी दुकान पर नहीं चढ़ते और शनैः शनैः वह व्यक्ति
अपने काम धंधे से हाथ धो बैठता है।
🍂निवारण: ऐसे व्यक्ति को अपनी दुकान अथवा फै क्ट्री के प्रवेश द्वार पर एक लोटा जल धार
बनाते हुए डाल कर अंदर प्रवेश करना चाहिए।
🌞कोख बांधना:🍂 संतान की उत्पत्ति में बाधा उत्पन्न करने की क्रिया को कोख बंधन कहते
हैं। यह क्रिया कई प्रकार से की जाती है - कभी स्त्री के माहवारी के कपड़े का उपयोग कर
तो कभी पहने हुए वस्त्रों अथवा बालों का। इस दोष से प्रभावित दंपति शारीरिक रूप से पूर्ण
स्वस्थ होते हुए भी संतान सुख से वंचित रह जाते हैं।
🌙 निवारण: स्त्री अपने जन्म अथवा विवाह के वार के दिन या अमावस्या अथवा शनिवार को
पहने हुए कपड़ों में से कु छ धागे निकालकर कड़वे तेल में रूई की जोत में मिलाकर अपनी इष्ट देवी
अथवा देवता के समक्ष प्रज्वलित करे।
🔱 किसी स्थान विशेष को बांधना: 🔯कभी-कभी किसी भवन या किसी स्थान विशेष को बांध
दिया जाता है, जिससे वह स्थान शनैः शनैः वीरान होकर खंडहर में परिवर्तित हो जाता है।
ऐसे स्थान पर लोगों का आना जाना बाधित हो जाता है और वे उससे भयभीत रहने लगते हैं।
🌞निवारण: किसी भवन या स्थान के बंधन का निवारण अत्यंत कठिन कार्य है क्योंकि ऐसे
स्थान पर बुरी आत्माओं का वास हो जाता है। ऐसे स्थान पर निरंतर हवन, यज्ञ आदि अनुष्ठान
करते रहने चाहिए। गंगाजल का छिड़काव भी नियमित रूप से करते रहना चाहिए। पीपल आदि
वृक्षों को ऐसे स्थान पर उगने नहीं देना चाहिए। किसी योग्य विद्वान द्वारा इसका समाधान
संभव है।
♋पद अथवा पदवी बांधना: ♋ऐसा बंधन किसी विशेष प्रतिनिधि अथवा उच्च पद को बांधने के
लिए किया जाता है जिससे वह पद विशेष ही समाप्त हो जाता है। ऐसा बंधन बांधना अत्यंत
दुष्कर कार्य है और उस बंधन को काटना उससे भी दुष्कर है।
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Labels: टोटके विशेषांक


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शारीरिक बाधा हटाने वाले वनष्पति तन्त्र के विषय मे


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*जय मां राजराजेश्वरी आज हम बात करेंगे शारीरिक बाधा हटाने* वाले वनष्पति तन्त्र के विषय मे
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-20160219-WA0026.jpg>
युर्वेद में स्वास्थ्य लाभ देने वाली बहुमूल्य औषधियों का खजाना है। हमारे आस-पास उगने वाली
घास व पेड़-पौधे सामान्य होते हुए भी असामान्य गुणों से युक्त होते हैं, जानकारी के अभाव में
हम उनका सदुपयोग नहीं कर पाते। प्रस्तुत आलेख में जड़ी बूटियों की जीवनदायिनी शक्ति का
परिचय दिया गया है...
हमारे देश में अनेक प्रकार की वनस्पतियां पाई जाती हैं। हम पूरी तरह से वनस्पतियों पर ही
निर्भर हैं। इनका प्रभाव पोषक, प्राण् ादायक और विष दायक भी होता है। आयुर्वे द और तंतर्
शास्त्र में इनके असंख्य प्रयोग बतलाए गए हैं।
संबंधित वनस्पति लाने और प्रयोग करने के पूर्व ‘‘ऊँ नमः शिवाय या ऊँ नमश्चण्डिकायै’’ का
उच्चारण कर अपने इष्ट देवता का स्मरण करना चाहिए। तंत्र में रवि पुष्य नक्षत्र को अति
प्रधानता दी गई है अतः वन¬स्पति तंत्र का प्रयोग इसी नक्षत्र में करें तो उत्तम रहेगा।
तंत्र साधना के लिए मेष, कर्क , कन्या, तुला, वृश्चिक, मकर और कुं भ शुभ लग्न हैं। अतः इन्हीं
लग्नों में अपना प्रयोग करें। दिन और समय अर्थात मुहूर्त के निश्चित हो जाने के एक दिन पहले
उस वनस्पति के पास जा कर उसे देवता की तरह प्रणाम करके कहें मम कार्य सिद्धि कु रू-कु रू
स्वाहा। फिर उस रोली, अक्षत, धूप, चंदन, दीपक आदि से पूजन करके एक कालावा बांध कर
पुनः कहें हे ! वनस्पति देवी मैं अपने काम से आप को लेने प्रातः काल आऊं गा मेरे साथ चल कर
मेरी मदद करें। यह क्रिया संध्या के समय 3 बजे से 5 बजे के मध्य करें जब भगवान सूर्य अस्त न
हुए हों। अगले दिन उस वनस्पति को लाकर गंगा जल से धोकर धूप, दीप, अक्षत, रोली आदि से
पूजन करके प्रयोग करें।
*अपामार्ग या चिरचिंटा लटजीरा तंत्र:*
इस वनस्पति को रवि-पुष्य नक्षत्र मे लाकर निम्न प्रयोग कर सकते हैं।
1. इसकी जड़ को जलाकर भस्म बना लें। फिर इस भस्म का नित्य गाय के दूध के साथ सेवन करें,
संतान सुख प्राप्त होगा।
2. लटजीरे की जड़ अपने पास रखने से धन लाभ, समृद्धि और कल्याण की प्राप्ति होती है।
3. इसकी ढाई पत्तियों को गुड़ में मिलाकर दो दिन तक सेवन करने से पुराना ज्वर उतर जाता है।
4. इसकी जड़ को दीपक की भांति जला कर उसकी लौ पर किसी छोटे बच्चे का ध्यान के न्द्रित
कराएं तो उस बच्चे को बत्ती की लौ में वांछित दृश्य दिखाई पड़ेंगे।
5. इसकी जड़ का तिलक माथे पर लगाने से सम्मोहन प्रभाव उत्पन्न हो जाता है।
6. इसकी डंडी की दातून 6 माह तक करने से वाक्य सिद्धि होती है।
7. इसके बीजों को साफ करके चावल निकाल लें और दूध में इसकी खीर बना कर खाएं, भूख का
अनुभव नहीं होगा।
*सहदेवी तंत्र: *सहदेवी सामान्य घास-फूस की श्रेणी की वनस्पति है। तांत्रिक दृष्टि से यह
अद्भुत गुणों से युक्त अमूल्य वनस्पति है। इसकी जड़ रवि-पुष्य नक्षत्र में लाकर निम्न मंतर् से
108 बार पूजा करें।
*मंत्र: *¬ नमो रूपावती सर्वप्रोतेति श्री सर्वजनरंजनी सर्वलोक वशीकरणी सर्व सुखरंजनी
महामाईल घोल थी कु रू कु रू स्वाहा।
1. सहदेवी की जड़ लाल कपड़े में बांधकर अन्न भंडार, तिजोरी या किसी अन्य सम्पत्ति के साथ
रखने से उसमें वृद्धि होने लगती है।
2. इसकी जड़ लाल डोरे में बांधकर कमर में बांधने से प्रसव वेदना से मुक्ति मिलती है।
3. इसके पत्ते, तना, फूल, जड़ और फल पीस कर पान में खिलाने से वह व्यक्ति वशीभूत हो जाएगा।
4. इसके पंचांग का तिलक लगाने से समाज में सम्मान एवं प्रभाव में वृद्धि होती है।
5. बच्चों के गले में सहदेवी की जड़ पहनाने से कं ठमाला रोग दूर हो जाता है।
*ग्रह पीड़ा निवारक मूल-तंत्र:*
*सूर्य: *यदि कुं डली
<http://www.indianastrology.com/category/personal-horoscopes-12> में सूर्य
नीच का हो या खराब प्रभाव दे रहा हो तो बेल की जड़ रविवार की प्रातः लाकर उसे
गंगाजल से धोकर लाल कपड़े या ताबीज में धारण करने से सूर्य की पीड़ा समाप्त हो जाती है।
ध्यान रहे, बेल के पेड़ का शनिवार को विधिवत पूजन अवश्य करें।
*चंद्र: *यदि चंद्र अनिष्ट फल दे रहा हो तो सोमवार को खिरनी की जड़ सफे द डोरे में बांध
कर धारण करें। रविवार को इस वृक्ष का विधिवत पूजन करें।
*मंगल:* यदि मंगल अनिष्ट फल दे रहा हो तो अनंत मूल या नागफनी की जड़ लाकर मंगलवार
को धारण करें।
*बुध:* यदि बुध अनिष्ट फल दे रहा हो तो विधारा की जड़ बुधवार को हरे डोरे में धारण करें।
*गुरु: *यदि गुरु अनिष्ट फल दे रहा हो तो हल्दी या मारग्रीव के ले (बीजों वाला के ला) की
जड़ बृहस्पतिवार को धारण करें।
*शुक्र:* यदि शुक्र अनिष्ट फल दे रहा हो तो अरंड की जड़ या सरफोके की जड़ शुक्रवार को
सफे द डोरे में धारण करें।
*शनि: *यदि शनि अनिष्ट फल दे रहा हो तो बिच्छू (यह पौधा पहाड़ों पर बहुतायत में पाया
जाता है) की जड़ काले डोरे में शनिवार को धारण करें।
*राहु: *यदि राहु अनिष्ट फल दे रहा हो तो सफे द चंदन की जड़ बुधवार को धारण करें।
*के तु: *यदि के तु अनिष्ट फल दे रहा हो तो असगंध की जड़ सोमवार को धारण करें।
*मदार तंत्र: *श्वेत मदार की जड़ रवि पुष्य नक्षत्र में लाकर गणेश जी की प्रतिमा बनाएं और
उसकी पूजा करें, धन-धान्य एवं सौभाग्य में वृद्धि हा¬ेगी। यदि इसकी जड़ को ताबीज में भरकर
पहनें तो दैनिक कार्यों में विघ्न बहुत कम आएंगे और श्री सौभाग्य में वृद्धि होगी।
*निर्गुंडी तंत्र: *निर्गुंडी एक सुलभ वन¬स्पति है लेकिन यह अच्छा तांत्रिक प्रभाव रखती है।
रवि पुष्य योग से सात दिन पहले इस पौधे को निमंत्रण दे आएं। फिर रवि पुष्य में पूरा पौधा
उखाड़ कर घर ले आएं। एक माला- ¬ नमो गणपतये कु बेरये काद्रिक पफट् स्वाहा। मंत्र पढ़कर
पौधे को अभिषिक्त करें और फिर उसे लाल कपड़े में बांधकर पूजन स्थल पर रखें।
*प्रयोग: *पीली सरसों के समूचे पौधे को पीले वस्त्र की पोटली में बांधकर दुकान के द्वार पर
लटकाने से व्यापार में निरंतर वृद्धि होती है।
आयु वर्धन के लिए इसके चूर्ण का प्रतिदिन सेवन करें।निर्गुंडी का चूर्ण दूध या जल के साथ सेवन
करने से नेत्रों की ज्योति बढ़ती है।इसके चूर्ण के सेवन से ज्वर का नाश होता है।
*गोरखमुंडी तंत्र:* मुंडी एक सुलभ वनस्पति है । इसम अलौ किक औ षधीय एवं तांत्रिक गुणों का
समावेश है। इसे रवि पुष्य नक्षत्र में पहले निमंत्रण दे कर ले आएं।
पूरे पौधे का चूर्ण बनाकर जौ के आटे में मिलाएं। फिर उसे मट्ठे म सान कर रोटी बनाएं और
गाय के घी के साथ इसका सेवन करें, शरीर के अनेक दोष जिनमें बुढ़ापा भी शामिल है, दूर हो
काया कल्प हो जाएगा और शरीर स्वस्थ, सबल और कांतिपूणर्् ा रहेगा।हरे पौधे के रस की
मालिश करने से शरीर की पीड़ा मिट जाती है।इसके चूर्ण का सेवन दूध के साथ करने से शरीर
स्वस्थ एवं बलवान हो जाता है।इसके चूर्ण को रातभर जल के साथ भिगो कर प्रातः उससे सिर
धोने से के शकल्प हो जाता है।इसके चूर्ण का नित्य सेवन करने से स्मरण, धारण, चिंतन और
वक्तृ त्व शक्ति की वृद्धि होती है।
*श्रीफल:* नारियल की एक छोटी जाति होती है। इसके फल बहुत छोटे होते हैं। यह खाने के
काम नहीं आता परंतु इसकी बनावट बड़े नारियल की तरह होती है। इस श्रीफल नाम के छोटे
नारियल को श्री समृद्धि एवं आर्थिक संपन्नता के लिए काफी प्रभावशाली माना गया है। इस
श्री फल का किसी शुभ नक्षत्र में षोडशोपचार पूजन करके ‘‘¬ श्रीं श्रियै नमः मंत्रा का 21
माला जप करें। फिर इसके दशांश हवन करें। हवन के बाद ब्राह्मण को भोज कराएं। फिर श्रीफल
को चांदी के एक डिब्बे में रख दें। अब प्रतिदिन अपनी सामथ्र्य के अनुसार 1, 5, 7 या 9
माला जप नित्य किया करें, आर्थिक मामलों में चमत्कारी लाभ का अनुभव करेंगे।
*एकाक्षी नारियल (एक आंख वाला नारियल): *तंत्रशास्त्र में एकाक्षी नारियल का बहुत
महत्व है। इसे लाल वस्त्र में लपेट कर लक्ष्मी-गणेश की भांति इसका नित्य षोडशोपचार विधि
से पूजन करें सुख सम्पत्ति में वृद्धि होगी।
*नाग के सर: *नाग के सर का दाना तांत्रिक दृष्टि से समृद्धिदाता माना गया है। रवि पुष्य
या गुरु पुष्य नक्षत्र में लाल कपड़े में साबुत हल्दी, अक्षत, चांदी का टुकड़ा या सिक्का एवं
नाग के सर के दाने रख कर पोटली बनाएं। फिर इसकी षोडशोपचार पूजा करके नित्य धूप देते
रहें। इस प्रयोग से दरिद्रता समाप्त हो जाएगी और आर्थिक विषयों में अत्यधिक लाभ होगा।
*श्यामा हरिद्रा:* काली हल्दी को ही श्यामा हरिद्रा कहते हैं। इसे तंत्र शास्त्र में
गणेश-लक्ष्मी का प्रतिरूप माना गया है। श्यामा हरिद्रा को रवि पुष्य या गुरु पुष्य नक्षत्र
में लेकर एक लाल कपड़े में रखकर षोडशोपचार विधि से पूजन करने का विधान है। इसके साथ पांच
साबुत सुपारियां, अक्षत एवं दूब भी रखने चाहिए। फिर इस सामग्री को पूजन स्थल पर रखकर
प्रतिदिन धूप दें। यह पारिवा¬रिक सुख में वृद्धि के साथ ही आर्थिक दृष्टि से भी लाभ देता है।
*हत्था जोड़ी:* यह एक वनस्पति है। इसके पौधे मध्य प्रदेश में बहुतायत में पाए जाते हैं। इस
पौधे की जड़ में मानव भुजाएं जैसी ही शाखाएं हा¬ेती हैं। इसे साक्षात् चामुंडा देवी का
प्रतिरूप माना गया है। इसका प्रयोग सम्मोहन, वशीकरण, अनुकू लन, सुरक्षा एवं संपत्ति वृद्धि
आदि में होता है।
*प्रयोग विधि:* रवि पुष्य नक्षत्र में हत्था जोड़ी लेकर उसे स्नान करा कर लाल वस्त्र में
लपेट कर रख दें। फिर एक घंटे बाद उसे तिल के तेल में डु बोकर पवित्र स्थान में रख दें। फिर 21
दिनों बाद किसी शुभ नक्षत्र में इसे तेल से निकाल कर सिंदूर, कपूर, लौंग, तुलसी पत्र, अक्षत
एवं चांदी का टुकड़ा रखकर इसकी पूजा षोडशोपचार विधि से करें। फिर ‘‘¬ ऐं ह्रीं चामुण्डायै
विच्चे’’ मंत्र का 51 या 101 माला जप करें। फिर जप के दशांश हवन, तर्पण, मार्जन, आदि
करके ब्राह्मण को भोजन कराएं। फिर नित्य अपने सामथ्र्य के अनुसार मंत्र का जप करते रहें।
यह अति प्रभावशाली फल देने में समर्थ है।
ग्रह बाधा हरण के लिए: रवि पुष्य नक्षत्र में पलास की बारह अंगुल लंबी लकड़ी निम्न मंत्र से
एक हजार बार अभिमंत्रित कर के जिी स मकान में गाड़ दी जाए उसमें रहने वाले सदा
निर्विघ्न रहेंगे।
ऊँ शं शां शीं शुं शूं शें शैं शों शौं श शः स्वः सं स्वाहा।
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Monday, 30 May 2016

कर्जो के बोझ से मुक्ति पाने के 10 अचूक एवं शक्तिशाली टोटके !


<https://vashisthjyotish.blogspot.com/2016/05/10.html>

*जय मां राजराजेश्वरी आज हम बात करेंगे कर्जो के बोझ से मुक्ति पाने के 10 अचूक एवं
शक्तिशाली टोटके !*

व्यक्ति अपने किसी परेशानी से बचने के लिए कर्ज या ऋण लेता है परन्तु कभी-कभी यह कर्ज उस
व्यक्ति के जिंदगी में मुश्किलें पैदा कर उसके जिंदगी में अनेको परेशानियों का सबब बन जाता है.
कर्ज अथवा ऋण के बोझ में दबकर मनुष्य अपनी पूरी जिंदगी बर्बाद कर देता है. कर्ज मुक्ति हेतु
आइए जानें कु छ सरल और कु छ कठिन, लेकिन अचूक उपाय .

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नोट : चर लग्न जैसे- मेष, कर्क , तुला व मकर में कर्ज लेने पर शीघ्र उतर जाता है. लेकिन,
चर लग्न में कर्जा दें नहीं. चर लग्न में पांचवें व नौवें स्थान में शुभ ग्रह व आठवें स्थान में कोई
भी ग्रह नहीं हो, वरना ऋण पर ऋण चढ़ता चला जाएगा.

भोम प्रदोष करें:- हर माह में आने वाले दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत
रखा जाता है.अलग अलग दिन पड़ने वाले इन प्रदोष व्रतों की महिमा अलग अलग होती है.
प्रत्येक वार को आने वाले ये प्रदोष व्रत के महिमा के प्रभाव से अलग लाभ प्राप्त होते है.
मंगलवार को आने वाले इस प्रदोष को भौम प्रदोष कहते हैं.

इस दिन स्वास्थ्य सबंधी तरह की समस्याओं से मुक्ति पाई जा सकती है. इस दिन प्रदोष व्रत
विधिपूर्वक रखने से कर्ज से छु टकारा मिल जाता है.
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मंगल एवं बुध का उपाय :- मंलवार के दिन भातपूजा, दान, होम और जप आदि करना चाहिए,
मंगल और बुध को कभी भी कर्ज का लेन देन ना करें. तथा प्रत्येक दिन हनुमान अष्टक का पाठ
सात बार करें. अगर प्रतिदिन करना सम्भव ना हो तो मंगलवार के दिन अवश्य करना चाहिए .

* ऋण की किश्तों को मंगलवार के दिन ही अदा करें.ऐसा करने से कर्ज शीघ्र ही समाप्त हो


जाता है.
* किसी भी महीने की कृ ष्णपक्ष की 1 तिथि, शुक्लपक्ष की 2, 3, 4, 6, 7, 8, 10, 11,
12, 13 पूर्णिमा व मंगलवार के दिन उधार दें और बुधवार को कर्ज लें.
* बुधवार को सवा पाव मूंग उबालकर घी-शक्कर मिलाकर गाय को खिलाने से शीघ्र कर्ज से
मुक्ति मिलती है.
* वास्तुदोष नाशक हरे रंग के गणपति मुख्य द्वार पर आगे-पीछे लगाएं.
* कहा जाता है कि भोजन में गुड़ का प्रयोग भी इस दृष्टि से अति उत्तम है.
* प्रतिदिन लाल मसूर की दाल का दान करें.

ऋणमोचक मंगल या गजेन्द्र-मोक्ष स्तोत्र का पाठ करें:- यदि आप कर्ज से घिरे रहते है तो
इसका सबसे उत्तम उपाय है प्रतिदिन ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ करना. यह पाठ शुक्ल
पक्ष के प्रथम मंगलवार से आरम्भ करना चाहिए. वैसे तो इस पाठ को प्रतिदिन करना चाहिए
परन्तु यदि किसी कारण वश आप इस पाठ को प्रतिदिन करने में असमर्थ है तो मंलवार को यह
पाठ अवश्य करना चाहिए.
इसके अलावा कर्ज-मुक्ति के लिए आप ‘गजेन्द्र-मोक्ष’ स्तोत्र का प्रतिदिन सूर्योदय से पूर्व
पाठ भी कर सकते हैं. दोनों में से किसी एक का ही पाठ करें. दोनों ही कर्ज मुक्ति के लिए
अमोघ उपाय हैं.
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गुलाब का उपाय :- सबसे पहले पांच पूर्ण रूप से खिले हुए गुलाब का फू ल ले तथा इसके बाद डेढ़
मीटर सफ़े द कपडा लेकर इसे अपने सामने बिछा ले. अब इन पांच गुलाबो के फू ल को उस सफे द कपडे
में बांधकर 21 बार गायत्री मंत्रो का जाप करें तथा इसके बाद उस सफे द कपडे को स्वयं अपने
हाथ से किसी नदी में जाकर प्रवाहित कर दे. अति शीघ्र ही कर्ज से मुक्ति प्राप्त होगी.

श्मशान का पानी :- यदि आप लगातार कर्जो में डू बता जा रहे है तो पीतल का एक लोटा ले
तथा अपने पास के श्मशान जाकर उस लोटे में वहां का पानी भर ले. इस श्मशान के पानी को
पीपल के पेड़ में डाल ले. यह उपाय हर शनिवार को किया जाना चाहिए 6 हफ्तों में ही आपको
आश्चर्यजनक परिणाम देखने को मिलेंगे.

विष्णु-लक्ष्मी मंदिर :- सोमवार के दिन एक रूमाल, 5 गुलाब के फू ल, 1 चांदी का पत्ता,


थोड़े से चावल तथा थोड़ा सा गुड़ लें. फिर किसी विष्णु लक्ष्मीजी के मंदिर में जाकर मूर्त्ति के
सामने रूमाल रखकर शेष वस्तुओं को हाथ में लेकर 21 बार गायत्री मंत्र का पाठ करते हुए बारी
बारी से उक्त वस्तुओं को उसमें डालते रहें. फिर इनको इकट्ठा करके कहें कि ‘मेरी परेशानियां
दूर हो जाएं तथा मेरा कर्जा उतर जाए.’ यह क्रिया आगामी 7 सोमवार तक करें.

सियार सिंगी :- यदि आप ऋण से अत्यधिक परेशान है तो थोड़ा सा सियार सिंगी लेकर उसे एक
डिब्बी में रख ले तथा प्रत्येक पुष्य नक्षत्र में सिंदूर चढ़ाए. ऐसा करने से शीघ्र ही लाभ
प्राप्त होगा, तथा आपको कर्जो से मुक्ति प्राप्त होगी.
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बिल्ली की जेर :- यदि आप लगातार व्यापार में घाटा हो रहा है तो सिद्ध की हुई विल्ली
की नाल घर के तिजोरी में रखे जल्दी ही व्यापार मे लाभ होनें लगेगा!

तांत्रिक उपाय : दोनों मुट्ठियों में काली राई लें. चौराहे पर पूर्व दिशा की ओर मुंह रखें
तथा दाहिने हाथ की राई को बाईं ओर तथा बाएं हाथ की राई को दाहिनी दिशा में फें क दें.
राई फें कने के पश्चात चौराहे पर सरसों का तेल डालकर दोमुखी दीपक जला देना चाहिए. दीया
मिट्टी का रखना चाहिए.
यह प्रयोग शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार को संध्या के समय करें. श्रद्धा द्वारा किया गया यह
उपाय अवश्य कर्ज से मुक्ति दिलाता है. एक बार सफलता न प्राप्त हो तो दोबारा फिर कर
लेना चाहिए. यह उपाय शनिश्‍चरी अमावस्या को भी कर सकते हैं.

मिट्टी का उपाय :- मिट्टी का एक दिया लेकर उसमे सरसो का तेल भर ले तथा उसे किसी
ढक्क्न द्वारा ढक ले. तथा शनिवार के दिन को उस मिट्टी के दिए को किसी नदी या तालाब
के पास जाकर वहां किनारे में एक छोटा सा गढ्ढा खोदकर उस दिए को उसमे डाल दे. यह
उपाय किसी लाल किताब के जानकार के परामर्श पर ही करें.

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�पंडित विश्वनाथ त्रिपाठी उपाध्यक्ष ���� वशिष्ठ ज्योतिष एवं वै दिक अनुष्ठान सन्सथान

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तन्त्र मन्त्र ज्योतिष संस्थान


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* १ वशिष्ठ ज्योतिष एवं वैदिक अनुष्ठान संस्थान

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* २ वशिष्ठ ज्योतिष एवं वैदिक अनुष्ठान संस्थान

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* ३वशिष्ठ ज्योतिष वैदिक अनुष्ठान संन्सथान

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* ४ वशिष्ठ ज्योतिष एवं वैदिक अनुष्ठान संस्थान


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* अष्ट लक्ष्मी साधना


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* काली दीपदान
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* के सर

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* कौन सी ७ वस्तुओं के दान से परेशानिया आती है


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* गणपति साधना से उपाय


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* घर परिवार मे सुखशान्ती के उपाय

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* दत्तात्रेय तन्त्र मे वशीकरण


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* दर्पण के विषय में


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* दीपावली पर लक्ष्मी प्राप्ति के सरल उपाय


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* दुर्लभ तन्त्र सामग्री

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* धन कमाने का सही तरीका

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* धन प्रदायक टोटके एवं उपाय

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* धन लक्ष्मी प्राप्ती

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* न <https://vashisthjyotish.blogspot.com/search/label/%E0%A4%A8>
* नजर दोष के टोटके
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* नवग्रह

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* नवग्रहों के उपाय

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* नवग्रहों के टोटके

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* नवरात्री विशेष

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* नशे का कारण एव निवारण

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* नागके सर
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* नारियल के कु छ चमत्कारिक टोटके


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* पारद
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* प्राणों की रक्षा के विशेष प्रयोग


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* प्रेम सम्बन्ध
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* फिटकरी
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* फिरोजा
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* बहु विवाह एवं द्विभार्या योग


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* बिवाह के सूत्र
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* भाग्य वर्धक पौधे


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* मनोकामना पूर्ती
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* मन्त्र शक्ती
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* मां नवदुर्गा
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* रंगो की पसंद

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* राहु के तु के उपाय
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* रुद्राक्ष

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* लक्ष्मी गणेश पूजन


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* लछ्मी प्रप्ती के उपाय


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* वशीकरण

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* वास्तु से सम्बन्धित टोटके


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* विभिन्न प्रकार के टोटके


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* व्यवसाय निर्धारण
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* व्यवसाय मे वृद्धि
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* शनि की साढेसाती के उपाय


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* शनिवार साम के टोटके


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* शिक्षा समिबन्धी उपाय


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* शिवरात्री
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* शीघ्र विवाह के टोटके

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* श्री यंत्र
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* श्री राम स्तुति


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* सम्पति प्राप्ती के उपाय


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* सम्पन्नता प्राप्ती के उपाय


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* सरसों के तेल का उपाय


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* ससुर सास वशीकरण

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4%B0%20%E0%A4%B8%E0%A4%BE
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* सुख समृद्धि के टोटके

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0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A5%83%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%A7%E0%A4%BF
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* होली पर किये जानें वाले टोटके


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%E0%A4%B2%E0%A5%80%20%E0%A4%AA%E0%A4%B0%20%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%AF
%E0%A5%87%20%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%87%E0%A4%82%20%E0%A4%B5%E0%A4%BE
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�पंडित विश्वनाथ त्रिपाठी उपाध्यक्ष ���� वशिष्ठ ज्योतिष एवं वै दिक अनुष्ठान सन्सथान

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पं विश्वनाथ त्रिपाठी

जय मां राजराजेश्वरी
पं.विश्वनाथ त्रिपाठी
उपाध्यक्ष
वशिष्ठ ज्योतिष एवं वैदिक अनुष्ठान सन्सथान

यह ब्लॉग मैंने अपनी इच्छा के अनुसार बनाया है इसमें जो भी सामग्री दी जा रही है ,कु छ
मेरी अपनी है और कु छ कहीं न कहीं से ली गई है। अगर किसी के कॉपी राइट का उल्लंघन होता
है तो मुझे क्षमा करें .
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पं.विश्वनाथ त्रिपाठी

पं.विश्वनाथ त्रिपाठी <http://vashisthjyotish.blogspot.com/>


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Haridra ganpati

हरिद्रा गणपति को मां बगलामुखी का अंग माना जाता है इसलिए जो भी साधक मां बगलामुखी
साधना करते हैं उन सभी को हरिद्रा गणपति की पूजा अवश्य करनी चाहिए हरिद्रा गणपति
साधना करने से शत्रु भी मित्र हो जाते हैं हरिद्रा गणपति की साधना करने से शत्रु का हृदय
द्रवित होकर साधक के वशीभूत हो जाता है हरिद्रा गणपति की साधना तांत्रिक अभिकर्म को
नष्ट करने के लिए भी की जाती है उपरी बाधा को दूर करने के लिए भी की जाती है।।
महात्रिपुरसुंदरी जी के द्वारा स्मरण करने पर गणपति हरिद्रा गणपति के रूप में प्रकट होकर
भंडासुर दैत्य का विनाश किया था एवं भंडासुर द्वारा किए गए तांत्रिक अभिचार यंत्र को भी
नष्ट किया था इसलिए हमें हरिद्रा गणपति की पूजा अवश्य करनी चाहिए हरिद्रा को हल्दी
भी कहा जाता है हल्दी को विवाह अधिकारियों में मांगलिक कार्यों में हल्दी का लेप किया
जाता है इसका कारण यही है कि हल्दी को बहुत शुभ माना जाता है और हल्दी से संपन्न होती
है हल्दी के गणेश जी की पूजा करने सभी कार्य निर्विघ्नता पूर्वक पूर्ण होते हैं से हल्दी को
शुभ मंगल दायक एवं विघ्नविनाशक भी मानते हैं हरिद्रा गणपति की स्थापना करने से हमारे घर
में जो भी समस्याएं उत्पन्न होती हैं या हमारे पारिवारिक जीवन में समस्याएं होती हैं वह
सभी समस्याएं धीरे धीरे समाप्त होने लगती हैं यदि किसी माता बहन को संतान ना हो रही
हो तो हरिद्रा गणपति की विधि बिधान से सिद्धि करा कर के पहनने से संतान की प्राप्ति
होती है हरिद्रा को हल्दी भी कहा जाता है हल्दी अनेक बीमारियों में अचूक दवा के रूप में
प्रयोग की जाती है हल्दी से अनेको अनेक बीमारियों का इलाज भी किया जाता है इसलिए
हरिद्रा गणपति को अत्यंत अशुभ माना गया है श्रेयस्कर माना गया है काम्य प्रयोग में विशेष
रूप से इनकी अर्चना करने से हमें मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है जैसे विवाह
नौकरी-व्यवसाय मकान आदि शुभ कार्यों में सफलता पाने के लिए हमें हरिद्रा गणपति की
स्थापना करनी चाहिए हरिद्रा गणपति की पूजा करने से पुत्र की प्राप्ति होती है एवं शत्रुओं
का भी वशीकरण होता है घर में सुख शांति के लिए संपन्नता के लिए के लिए हरिद्रा गणपति
गणपति साधना हमें अवश्य करनी चाहिए किसी प्रकार की समस्या के लिए संपर्क करें पंडित
विश्वनाथ त्रिपाठी उपाध्यक्ष वशिष्ठ ज्योतिष एवं वैदिक अनुष्ठान संस्थान मोबाइल नंबर
+917013974534 किसी भी ज्योतिष की सलाह के लिए निशुल्क संपर्क करें हमारे यूट्यूब चैनल के
द्वारा आपको तंत्र मंत्र यंत्र टोने टोटके ज्योतिष वास्तु पूजा पाठ आदि के विषय में समय-समय
पर जानकारी दी जाएगी आप सभी हमारे चैनल को सब्सक्राइब करें शेयर करें कमेंट करें एवम बेल
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आर्थिक समृद्धि एवं वयापार बृद्धि के उपाय


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जय मां राजराजेश्वरी आज हम बात करेंगे आर्थिक समृद्धि एवं व्यापार बृद्धि के उपाय
🌅व्यापार में वृद्धि के लिए शनिवार को छोड़कर किसी भी दिन ए...

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