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हनुमान जी की पूजा (10 सावधानियां)

हनम
ु ान जी की आराधना से ग्रहों का दोष शांत हो जाता है । हनम
ु ान जी और
सूर्यदे व एक दस
ू रे के स्वरूप हैं, इनकी परस्पर मैत्री अति प्रबल मानी गई है ।
इसलिए हनुमान साधना करने वाले साधकों में सूर्य तत्व अर्थात आत्मविश्वास,
ओज, तेजस्विता आदि स्वत: ही आ जाते हैं। लेकिन ध्यान रखें यह 10 बातें ...
 * हनुमान साधना में शुद्धता एवं पवित्रता अनिवार्य है ।

 *  प्रसाद शुद्ध घी का बना होना चाहिए।

 *  हनम
ु ान जी को तिल के तेल में मिले हुए सिंदरू का लेपन करना चाहिए।

 * हनुमान जी को केसर के साथ घिसा लाल चंदन लगाना चाहिए।

 * पुष्पों में लाल, पीले बड़े फूल अर्पित करने चाहिए। कमल, गें दे, सूर्यमुखी के फूल
अर्पित करने पर हनम
ु ान जी प्रसन्न होते हैं।

 *  नैवेद्य में प्रातः पूजन में गड़


ु , नारियल का गोला और लड्डू, दोपहर में गुड़, घी
और गेहूं की रोटी का चरू मा  अर्पित करना चाहिए। रात्रि में आम, अमरूद, केला
आदि फलों का प्रसाद अर्पित करें ।

 * साधना काल में ब्रह्मचर्य का पालन अति अनिवार्य है ।

 * जो नैवेद्य हनुमान जी को अर्पित किया जाता है उसे साधक को ग्रहण करना


चाहिए।

 * मंत्र जप बोलकर किए जा सकते हैं। हनुमान जी की मूर्ति के समक्ष उनके नेत्रों
की ओर दे खते हुए मंत्रों के जप करें ।

* साधना में दो प्रकार की मालाओं का प्रयोग किया जाता है । सात्विक कार्य से


संबंधित साधना में रुद्राक्ष माला तथा तामसी एवं पराक्रमी कार्यों के लिए मूंगे की
माला।

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