You are on page 1of 4

सियार सिंगी

यह एक तांत्रिक वस्तु है ,जिसका उपयोग आकर्षण ,वशीकरण,सम्मोहन,सुरक्षा,यश सम्मान बृद्धि ,धन -सम्पदा ,सुख -
शांति ,के लिए किया जा सकता है. सियार सिंगी शत्रु पराभव ,सामाजिक सम्मान ,शरीर रक्षा ,और श्री संमृद्धि
लिए,आकर्षण-वशीकरण -सम्मोहन ,धन संपदा ,सुख-शान्ति के लिए उपयोग की जा सकती है ,किसी शुभ तांत्रिक मुहूर्त
में प्राण प्रतिष्ठित और अभिमंत्रित सियार्सिंगी वाद-विवाद ,युद्ध,संकट ,आपदा से बचानेवाला भी सिद्ध होता है ,,इसके
साथ सबसे बड़ी समस्या इसका अधिकतर नकली मिलना है ,असली मिलना मुश्किल होता है ,,असली की पहचान है
की इसे सिंदूर में जब रख दिया जाता है तब सिंदूर पाकर इसके रोम बढ़ने लगते है ,,इसके बलों को कभी नहीं काटना
चाहिए ,इसे धारण भी किया जा सकता है और घर में भी डिब्बी में सिंदूर और सिक्के के साथ रखा जा सकता है ,कु छ
तांत्रिक ग्रंथो के अनुसार इसे स्त्रियों को नहीं छू ना चाहिए
यह बादामी रंग के मुलायम बालों से अवतरित होती है और इसपर एक छोटा सा जाऊ या गेहूं के दाने के बराबर काले
रंग का सींग उगा होता है |यह प्रायः आंवले के बराबर होती है जो अधिकाँश गोलाकार ही होती है ,शिकारी और वन्य जातियों के लोग इसे खोजते रहते हैं और जाती
विशेष को पहचानकर मारकर उससे प्राप्त कर लेते हैं |यह परम शक्तिशाली और प्रभावकारी वस्तु होती है |तांत्रिक विधि से इसका प्रयोग व्यक्ति के लिए बहुत लाभकारी होता है |यह रक्षा
कार्यों में अद्भुत सफलता दायक कहा जाता है ,
इसकी पूजा रवि-पुष्य योग,पुष्य नक्षत्र ,नवरात्री ,अष्टमी,दीपावली ,ग्रहण आदि में होती है और इसपर काली अथवा दुर्गा जी के मन्त्रों का जप किया जाता है |
प्रयोगानुसार मंत्र भिन्न हो सकते हैं किन्तु प्राण प्रतिष्ठा -पूजन पद्धति तांत्रिक ही होती है |प्राण प्रतिष्ठा पूजन आदि करके इसे अक्षत-लौंग-सिन्दूर-कपूर-सिक्का के साथ चांदी की डिब्बी
में सुरक्षित रखा जाता है और आवश्यकतानुसार प्रयोग किया जाता है |चांदी के स्थान पर पीतल अथवा ताम्बे की डिब्बी भी प्रयुक्त की जा सकती है |यह डिब्बी जहाँ भी रहेगी वहां श्री-
समृद्धि प्रदान करेगी |इसे धारण करने वाला व्यक्ति दुर्घटना ,विवाद,युद्ध अथवा अन्य किसी संकट में पड़ने पर तुरंत ही आपदा मुक्त हो जाता है |इस पर धन-संमृद्धि ,वशीकरण,सम्मोहन
,सुरक्षा से सम्बंधित विभिन्न क्रियाएं भी होती है जैसी आवश्यकता हो ,मंत्र और पद्धति बदल जाती है | इसे रखने वाला व्यक्ति जहाँ भी जाता है वहां की स्थिति और वातावरण उसके
अनुकू ल हो जाता
सियारसिंगी में असली या नकली की पहचान कै से करें !!
कु छ जानकारी है जिसके आधार पर आप लोग असली और नकली की पहचान कर सकते हैं। परन्तु उसके लिए कु छ
समय की जरुरत होती है -!
पहिचान := सियारसिंगी के बाल बढ़ते हैं। सियारसिंगी के छोटे-छोटे सीग होते है जों बढ़ते हैं। सियारसिंगी का आकार भी
बढ़ता है और उन का जों हिस्सा जहा बाल नहीं होते सिंदूर के साथ गीला रहता है !!
A. सियार सिंघी पूजन विधि : सर्वप्रथम अपने घर के मंदिर के सामने जमीन पर गंगा जल छिडक कर शुद्धि
कर ले और फिर अगर लाल वस्त्र हो तो उसे बिछा कर बैठ जाये और फिर सियार सिंघी को निकाल कर सामने
रख ले इसको भी लाल वस्त्र पर रखे गंगा जल छिडक कर | सामने 5 सरसो के तेल के दीपक जलाये, सियार
सिंघी को भी गंगा जल छिडक कर शुद्धि कर ले अब सियार सिंघी पर कु मकु म या के सर का तिलक लगाए, फिर
5 लौंग और 5 साबुत इलाइची इस पर डाले, इसके बाद इस पर चावल और फू ल अर्पित करे और साथ ही साथ
इस मंत्र का उच्चारण 108 बार करे :
|| ॐ चामुंडाये नमः ||
अब एक तांबे या चाँदी की डिब्बी में नीचे सिन्दूर रख कर सियार सिंघी रखे और फिर लौंग और इलाइची ऊपर डाले
फिर सिन्दूर डाले और डिब्बी को बंद कर के आप जहा चाहे वह रख सकते है | डिब्बी को एक लाल चुन्नी में भी लपेट
कर रख सकते है | जब भी आप रखी हुई जगह पर पूजा करे ऊपर दिए गए मंत्र का जाप करे |
पूजी हुई सियार सिंघी की रखने की जगह : तिजोरी, गल्ला, लॉकर, घर का मंदिर, आप अपने जेब में भी रख सकते है,
आप अपनी दूकान के मंदिर में भी रख सकते है या ऐसी हर वो जगह जहा से पैसो का लेन देन हो | आप इस मंत्र का
भी उच्चारण कर सकते है यदि आपको धन की समस्या है तो :
“ॐ नमो भगवती पद्मा श्रीम ॐ हरीम, पूर्व दक्षिण उत्तर पश्चिम धन द्रव्य आवे, सर्व जन्य वश्य कु रु कु रु नमःl”
B. 1. सियार सिंगी को सिद्ध करने की अनेकों विधियाँ है पर यदि इसे होली या दीपावली के दिन निम्न विधि से सिद्ध किया
जाए तो इसका चमत्कार बड़ी जल्दी नज़र आता है ! यह विधि दीपावली से पहले धन तेरस बाले दिन शुरू की जाती है
मतलब दीपावली तक रोज होना चाहिये !
|| मन्त्र ||
ॐ चामुण्डाये नमः
|| विधि ||
दीपावली से पहले धन तेरस को एक सियार सिंगी का एक जोड़ा लें ! उसे लाल कपडे पर स्थापित करे ! लाल आसन
बिछाकर लाल वस्त्र धारण कर बैठ जाएँ ! सरसों के तेल का दीपक जलाएँ ! सियार सिंगी पर गंगा जल छिड़कें !
चावल चढ़ाएँ और पांच लौंग साबुत और पांच छोटी इलायची चढ़ाये ! उपरोक्त मंत्र २१०० बार जप करे ! जप समाप्ति के
बाद अग्नि में २१ आहुति गुग्गल की दे ! ऐसा रोज दीपावली तक करे ! दीपावली वाली रात पूजा के बाद इस नीचे लिखे
मन्त्र का सियार सिंगी के सामने ११०० बार जाप करे !
|| मंत्र ||
ॐ नमो भगवते रुद्राणी चमुन्डानी घोराणी सर्व पुरुष क्षोभणी सर्व शत्रु विद्रावणी। ॐ आं क्रौम ह्रीं जों ह्रीं मोहय मोहय क्षोभय
क्षोभय …………… मम वशी कु रुं वशी कु रुं क्रीं श्रीं ह्रीं क्रीं स्वाहा।
इस मन्त्र को जपने के बाद सियार सिंगी को किसी चांदी या ताम्बे की डिब्बी में मीठा सिन्दूर डाल कर उसमें पांच लौंग पांच
इलायची और एक कपूर का छोटा सा टु कड़ा डाल कर रख ले !
|| प्रयोग विधि ||
जब किसी पर प्रयोग करना हो तो इस डिब्बी को खोल कर सियार सिंगी के सामने दोनों मन्त्रों का एक एक माला जाप करे और
उस व्यक्ति का नाम बोल कर चामुंडा मां से उसे अपने अनुकू ल करने की प्रार्थना करे और डब्बी को अपनी जेब में रखकर चले
जाएँ ! आपका कार्य सिद्ध हो जायेगा !
2. यह विधि दिवाली से दस दिन पहले शुरू की जाती है मतलब दसवां दिन दिवाली होना चाहिये !
|| मन्त्र ||
ॐ चामुण्डाये नमः
|| विधि ||
दिवाली से दस दिन पहले एक सियार सिंघी का जोड़ा ले , उसे लाल कपडे पर स्थापित करे ! ऐसा करने के बाद लाल आसन बिछा कर
लाल वस्त्र धारण कर बैठ जाएँ और एक सरसों के तेल का दीपक जलाएँ ! उस सियार सिंघी पर गंगा जल का छींटा दे ! उस पर चावल
चढ़ाएँ और पांच लौंग साबुत और पांच चोटी इलायची चढ़ाये और इस मन्त्र का २१०० बार जप करे ! जप समाप्ति के बाद अग्नि में २१
आहुति गुग्गल की दे ! ऐसा रोज दिवाली तक करे !
दिवाली वाली रात पूजा के बाद इस नीचे लिखे मन्त्र का सियार सिंघी के सामने ११०० बार जाप करे !
|| मंत्र ।।
रंगली पीढ़ी रंगले पावे
जित्थे पुकारा ओथे आवे
नाले अंग नाल अंग मिलावे
नाले घर दा घर खिलावे !!
इस मन्त्र को जपने के बाद सियार सिंघी को किसी चांदी या ताम्बे की डब्बी में मीठा सिन्धुर डाल कर उसमें पांच लौंग पांच इलायची
और एक कपूर का छोटा सा टु कड़ा डाल कर रख ले !
|| प्रयोग विधि ||
जब किसी पर प्रयोग करना हो तो इस डिब्बी को खोल कर सियार सिंघी के सामने दोनों मन्त्रों का एक एक माला जाप करे और उस
व्यक्ति का नाम बोल कर चामुंडा मां से उसे अपने अनुकू ल करने की प्रार्थना करे और डब्बी को अपनी जेब में रखकर चले जाएँ !
आपका कार्य सिद्ध हो जायेगा !
C. वशीकरण प्रयोग कर्मा सियार सिंगी या सिंगडी
मन्त्र – ॐ ह्रीं गं जूं सः
( नाम – जिसको वश में करना है )
में वश्य वश्य कु रु स्वाहा |
विधि -
सियार सिंगी को सिद्ध करने के लिए शनिवार के दिन से नियम आरम्भ करे और लगातार ७ दिनों तक 21 माला
प्रतिदिन उपर दिए गये मंत्र की करे , ऐसा करने से आपका मंत्र और सिंगी सिद्ध हो जाएगी. फिर जिस व्यक्ति का
वशीकरण करना हो उस व्यक्ति के सामने जाकर मन में ५ बार इस मन्त्र को पढ़े , सिंगी को अपनी जेब में ही रखे ,
या लॉके ट में धारण करके पहन ले , ऐसा करने से सामने वाला व्यक्ति आपके कहे अनुसार कार्य करने लगेगा .
साधना सिद्धि के लिए पश्चिम दिशा की तरफ मुह करके बैठना पड़ता है , लाल वश्त्र और लाल ही आसन का प्रयोग
उत्तम होगा . मुंगे की माला ले और सूर्यास्त के बाद साधना कर सकते है .
1. सियार सिंगी से धन प्राप्ति :— अगर व्यापार न चल पा रहा हो या जीवन में उन्नति न हो पा रही हो तो
इस साधना को करना चाहिए. कई बार इर्ष्या के कारण कु छ लोग तंत्र प्रयोग कर देते हैं जिससे दूकान में ग्राहक
नहीं आते यां कार्य सफल नहीं होते. इन परस्थितियों में भी यह प्रयोग राम बाण की तरह असर करता है.
बुधवार के दिन सियार सिंगी को किसी स्टील की प्लेट में स्थापित कर दें. इस पर कुं कु म या के सर का तिलक लगाये.
फिर इस पर चावल और फू ल अर्पित करें और निम्न मंत्र का जप आसन में बैठ कर करें :-
“ॐ नमो भगवती पद्मा श्रीम ॐ हरीम, पूर्व दक्षिण उत्तर पश्चिम धन द्रव्य आवे, सर्व जन्य वश्य कु रु कु रु नमःl”
इस मंत्र का मात्र 108 बार जप 21 दिन इस सियार सिंगी के सामने करें. 21 दिन के बाद इसको किसी डिब्बी में
संभालकर रख ले. अगर दूकान न चल रही हो तो दूकान में किसी सुरक्षित स्थल में रख दे और के वल २१ बार इस मंत्र
का उच्चारण करें. इस साधना को करने वाले को कभी धन की याचना नहीं करनी पड़ती अपितु धन उसकी और स्वयं
ही आकर्षित होता रहता है।
2. ऐसे पाएं कर्ज मुक्ति:—- सियार सिंगी होली के दिन एक चांदी की डिब्बी में रख लें व प्रत्येक पुष्य नक्षत्र में
सिंदूर चढ़ाते रहें। ऐसा करने से आप की उपर्युक्त सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी व शीघ्र ही फल की प्राप्ति
होगी।

3. सियार सिंगी द्वारा करें वशीकरण (शाबर मंत्र और विधि)—– अ. शुक्रवार के दिन जिस भी व्यक्ति
स्त्री या पुरुष को अपने अनुकू ल करना हो उसका नाम कु मकु म से स्टील की प्लेट पर लिखें , अगर उसका चित्र
हो तो नाम के ऊपर उसका चित्र रख दें । अब इसके ऊपर सियार सिंगी को स्थापित करें । सियार सिंगी पर
के सर का तिलक लगाये। अब इस पर चावल और पुष्प चढ़ा दें। इसके बाद इसपर हिना की इत्र लगायें । मिठाई
का भोग अर्पित करें.
अब निम्न मंत्र का जप १०८ बार करें:-
बिस्मिलाह मेह्मंद पीर आवे घोडे की सवारी , पवन को वेग मन को संभाले, अनुकू ल बनावे , हाँ भरे , कहियो करे ,
मेह्मंद पीर की दुहाई , शब्द सांचा पिण्ड कांचा फु रो मंत्र इश्वरो वाचा।
इस प्रकार मात्र 41 दिन तक करें . 41 दिन के बाद सियार सिंगी को चित्र के साथ किसी लाल कपडे में बांध कर रख ले.
जब तक वह चित्र सियार सिंगी के साथ बंधा रहेगा वोह व्यक्ति आपके अनुकू ल रहेगा आपके वश में रहेगा।
ब. गीदड़ की गाँठ को प्राप्त करने के पश्चात उसे किसी स्टील की डिब्बी में कमिया सिन्दूर के साथ रख देना चाहिए । अब जिसका
भी वशीकरण करना चाहते है उसकी तस्बीर के ऊपर इस गीदड़ सिंघी को रख कर यह मंत्र पढ़ते हुए
"गीदड़ सिंघी अमुक मम वश्यं कु रु कु रु स्वाहा"
अमुक के स्थान पर जिसका वशीकरण करना हो उसका नाम ले और प्रार्थना करे की अमुक मेरे वश में हो जाये । कु छ ही
घंटो में आप को परिणाम दिखाई देगा । जिसकी तस्वीर आपने सामने रखा है । वह स्त्री या पुरुष वशीभूत होकर आपके तरफ
भागा चला आएगा । इस तरह से आप गीदड़ सिंघी की मदद से कितने भी लोगो का वशीकरण कर सकते है । पूजा के पश्चात
गीदड़ सिंघी को घर के मंदिर में रख दे । गीदड़ सिंघी की मदद से आप अपने शत्रु , पत्नी ,बेटा या बेटी का बोस ,पडोसी का भी
वशीकरण कर सकते है .

4. सिद्ध की हुई सियार सिंगी को एक चांदी या तांबे की dibbi में रख कर के कु छ चावल के दाने डालें कु छ उड़द के दाने भी

डाले
छोटी इलायची की डालें और प्रतिदिन धूप दीप अपने इष्ट देवता गुरुदेव और गणेश की पूजा के बाद करते रहे
1. सियार सिंघी वाला सिंदूर जिसकी भी मांग में भर दिया जाएगा वह जिंदगी भर साथ नहीं छोड़ेगा या जिस पुरुष के
सिर पर यह सिंदूर डाल दिया जाएगा वह
आजीवन स्त्री के वश में रहेगा
2. सियार सिंगी वाले चावल यदि किसी भूत प्रेत जिन्नात या क्रोधित व्यक्ति को मारे जाएंगे तो उसका भूत प्रेत जिन्नात
और उसका क्रोध सदा के लिए समाप्त हो जाएगा
3. सियार सिंघी वाले उड़द के दाने जिस व्यक्ति को मारे जाएंगे या जिस दरवाजे पर फें के जाएंगे वह व्यक्ति और घर
कभी भी आबाद नहीं रह सके गा
4. सियार सिंघी वाली छोटी इलाइची जिसे खिला दोगे उस से मनचाहा काम करवा सकते हो .

5. विवाह हेतु तांत्रिक प्रयोग -


किसी भी मंगलवार के दिन पूर्व दिशा में मुह करके बैठे ! सामने एक बाजोट पर लाल कपडा बिछा लेवे !इस पर एक
सियार सिंघी को रख देवे ! इसकी पूजा करे , धुप -दीप करे , एवं शुद्ध घी का दीपक जलावें !
अब काली वैजयंती माला से इस मंत्र की ११ माला जाप करे ....प्रतेयक मंगलवार को यह प्रयोग करना चाहिए ! कभी कभी
किसी दोष से विवाह में विलम्ब होता है तो फल थोड़ा देर से प्राप्त होता है !
परन्तु ये प्रयोग अचूक है ! ऐसे करने से कु छ समय में योग बनने लगते है !
मंत्र :
ओम कलीम कालिके , शिवप्रिये मम कार्य सिद्धिम करि करि स्वाहा
6. निम्न मंत्र द्वारा 'सिद्व कु रू-कु रू नमः' मंत्र से शुभ मुहुर्त में एक आक के पते पर रखना चाहिए। पूर्व में मुख करके
सिंयार सिंगी को रखना चाहिए। साधक 108 बार एक रूद्राक्ष माला से 11 दिन तक फूं क मारे।

You might also like