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देव पूजा विधि Part-2 कलशस्थापन विधि Popular Tags Blog Archives

जगदानन्द झा 1:42 am 7 टिप्‍पणियां


लोकप्रिय पोस्ट
नोट- कलश स्थापन के पूर्व की विधि के लिए स्वस्तिवाचन, गणेश पूजन पर क्लिक करें । 
                            आचार्यादि वरण देव पूजा विधि Part-1 स्वस्तिवाचन, गणेश
पूजन
आचार्य को पूर्वाभिमुख बैठाकर  यजमान अपने दक्षिणहस्त में गन्ध, पुष्प, ताम्बूल,
कमण्डलु, इस ब्लॉग में सभी प्रकार की पूजा को कराने
की विधि दी गयी है। लेख के अंत में अपनी
अङ्गूठी, आसन,
माला तथा वस्त्रों को लेकर देश-काल का उच्चारण करके   ॐ तत्सत् अमुकगोत्र प्रतिक्रिया अवश्य लिखें           इस प्रकरण में
प्रवरशाखान्वितयजमानोऽहम् अमुकगोत्रप्रवरशाखाध्यायिनममुकनामाचार्यम् अस्मिन् कर्तव्ये पञ्चाङ...

अमुकयागाख्ये कर्मणि दास्यमानैः एभिर्वरणद्रव्यैः आचार्यत्वेन त्वामहं वृणे। कहकर ब्राह्मण का वरण करे । हिन्दी संस्कृ त शब्दकोश
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ब्राह्मण को वृतोस्मि' कहकर यजमान को प्रतिवचन देना चाहिये। फिर यजमान ब्राह्मण से या ब्राह्मणों संस्कृ त शब्दकोश   । इस ऐप में 10 हजार से
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अनन्तर ब्राह्मण को गन्धादि देकर पूजित करे ।
संस्कृ त आयोग का प्रतिवेदन 1956-1957 पर भूमिका
पुनः आचार्य के हाथ में निम्नलिखित मंत्र पढ़कर वरण
हेतु मंगल सूत्र बांधे। संस्कृ त शिक्षा की समस्याओं के अध्ययनार्थ तथा इस भाषा के
विकास के सम्बन्ध में सुझाब देने के लिए डॉ. सुनीति कु मार
                 ॐ व्रतेन
दीक्षामाप्नोति दीक्षयाप्नोति दक्षिणाम्। चटर्जी की अध्यक्षता में 19...
                दक्षिणा श्रद्धामाप्नोति श्रद्धया
सत्यमाप्यते।। सुभाषितानि
स्वर वर्ण अज्ञ: सुखमाराध्‍य: सुखतरमाराध्‍यते विशेषज्ञ:।  
सिक्योर पेमेंट और आसान रिटर्न ज्ञानलवदुर्विदग्‍धं ब्रह्मापि तं नरं न रञ्जयति ।। भावार्थ - मूर्ख को
सरलता पूर...

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नवरात्री दुर्गामहापूजा में


ब्राह्मणों के वरण हेतु संकल्प - 'अद्यामुकगोत्रो
शर्माहं (वर्माहम् गुप्ताहं वा) Pay Per Click

चतुर्विधपुरुषार्थसिद्ध्यर्थं संवत्सरसुखप्राप्तिकामो
दुर्गाप्रीतिकामो वा अद्यप्रभृति महानवमीपर्यन्तं प्रत्यहं
वार्षिकशरत्कालीन (वा
वासन्तीयकालीन) दुर्गामहापूजापूर्वकं नवार्णमन्त्रजपसहितं
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चण्डीसप्तशतीपाठकरणार्थं  एभिर्गन्ध -
पुष्प, ताम्बूल, कमण्डलु,
मुद्रिकासनमालावासोभिरमुकगोत्रममुकशर्माणं ब्राह्मणं भवन्तं वृणे' यह संकल्प करे । Find the best PPC

पुनः वरण द्रव्य लेकर निम्न संकल्प पूर्वक ऋत्विक् का वरण करें । ॐ तत्स.
अस्मिन् अमुककर्मणि Advertising Specialist

ऋत्विग्त्वेन त्वामहं वृणे। ऋत्विक् कहे -वृत्तोऽस्मि।  jobs, Marketing jobs &

पुनः
प्रार्थना-
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              अस्य यागस्य निष्पत्तौ भवन्तोऽभ्यर्चिता मया।
              सुप्रसन्नैः प्रकर्तव्यं
कर्मेदं विधिपूर्वकम्।। Receptix
पुनः ऋत्विक् के साथ आचार्य अपने आसन पर बैठकर आचमन,
प्राणायाम कर सङ्कल्प करें । ॐ तत्स.
अस्मिन् कर्मणि यजमानेन वृतोऽहं
आचार्य-(ऋत्विक् )-कर्म करिष्ये।

दिग् रक्षण Open


बायें हाथ में
श्वेत सरसों अथवा अक्षत लेकर दिग्रक्षण करे । (यदि स्वस्तिवाचन के समय दिग्रक्षण तथा
भूतोत्सरण कर लिया गया हो तो इसकी आवश्यकता नहीं है।)
ब्लॉग की सामग्री यहाँ खोजें।
फिर बायें हाथ में श्वेत सरसों लेकर 'ॐ अपसर्पन्तु ये भूताः ' इत्यादि श्लोक कहकर सब दिशाओं में सरसों
बिखेर कर  खोज

                    'सूर्यः
सोमो यमः कालः सन्ध्ये भूतान्यहः क्षपाः । 
लेखानुक्रमणी
                    पवनो दिक्पतिर्भूमिराकाशं खेचरामराः । 
                    ब्रह्मशासनमास्थाय कु रुध्वमिह सन्निधिम्'  ► 
2021
(42)

अथवा ► 
2020
(56)

ॐ पूर्वे रक्षतु
गोविन्द आग्नेय्यां गरुडध्वजः । ► 
2019
(57)

याम्ये रक्षतु वाराहो


नारसिंहस्तु नैऋते।। ► 
2018
(73)

के शवो वारुणीं रक्षेद्


वायव्यां मधुसूदनः । ► 
2017
(41)

उत्तरे
श्रीधरोरक्षेदीशाने च गदाधरः ।। ► 
2016
(32)
► 
2015
(37)
ऊर्ध्वं  गोवर्द्धनो
रक्षेदधस्तात्तु त्रिविक्रमः ।
▼ 
2014
(108)
एवं दश दिशो
रक्षेद्वासुदेवो जनार्दनः ।।
► 
दिसंबर
(6)
यज्ञाग्रे पातु मा शंखः
पृष्ठे पद्मन्तु रक्षतु।
► 
नवंबर
(8)
वामपाश्वे गदा
रक्षेद्दक्षिणे च सुदर्शनः ।। ► 
अक्तूबर
(5)
उपेन्द्रः
पातु ब्राह्मणमाचार्यं पातुवामनः । ► 
सितंबर
(2)
अच्युतः
पातु ऋग्वेदं यजुर्वेदमधोक्षजः ।। ► 
अगस्त
(9)
कृ ष्णो
रक्षतु सामाख्यमथर्वाणन्तु माधवः । ► 
जुलाई
(2)
विप्रा ये
चोपदेष्टारस्तांश्च दामोदरोऽवतु।। ► 
मई
(4)

यजमानं
सपत्नीक पुण्डरीकविलोचनः । ► 
अप्रैल
(11)

रक्षाहीनन्तु
यत्स्थानं तत्सर्वं रक्षताद्धरिः ।। ▼ 
मार्च
(42)
धर्मशास्त्र के प्रसिद्ध एवं महत्वपूर्ण ग्रंथों तथा...
यह श्लोक बोलकर सरसों या
अक्षत सभी दिशाओं में छींट कर दिग्बन्ध करना चाहिये।
संस्कृ त काव्यों में छन्द
भूतोत्सारण
स्मृति ग्रन्थों में आचरण की व्यवस्था, एक समीक्षा
ॐ अपसर्पन्तु
ते भूता ये भूृता भूमि संस्थिताः ।
स्मृति ग्रन्थों में आचरण की व्यवस्था (तृतीय अध्याय...
ये भूता
विध्नकर्तारस्ते नश्यन्तु शिवाज्ञया।।
स्मृति ग्रन्थों में आचरण की व्यवस्था (तृतीय अध्याय...
अपक्रामन्तु भूतानि
पिशाचाः सर्वतो दिशम्। स्मृति ग्रन्थों में आचरण की व्यवस्था (तृतीय अध्याय...
सर्वेषामविरोधेन
शान्तिकर्म समारभेत्।। स्मृति ग्रन्थों में आचरण की व्यवस्था (तृतीय अध्याय...
उपर्युक्त
श्लोक पढ़कर बायें हाथ, पाँव को तीन बार भूमि पर पटकें । स्मृति ग्रन्थों में आचरण की व्यवस्था (तृतीय अध्याय...
रक्षाबन्धन स्मृति ग्रन्थों में आचरण की व्यवस्था (तृतीय अध्याय...

यजमान तीन
धागा वाला लाल सूत्र एवं थोड़ा द्रव्य बायें हाथ में लेकर एवं दाहिने हाथ से ढककर
‘ॐ हुं स्मृति ग्रन्थों में आचरण की व्यवस्था (द्वितीय अध्...

फट् ’ यह मंत्र तीन बार


करके उस सूत्र को गणपति के चरणों में निवेदित करें । पुनः गन्ध पुष्प से उसकी स्मृति ग्रन्थों में आचरण की व्यवस्था, स्मृति - स्व...

पूजा
करें । फिर यह सूत्र गणपति के अनुग्रह से प्राप्त हुआ ऐसा समझते हुए अन्य देवों को
भी निवेदित संस्कृ त भाषा के विकास हेतु कार्ययोजना

करें । पुनः आचार्य सहित अन्य विप्रों के सीधे दाहिने हाथ में निम्न मंत्र
से बांधे - संस्कृ त भाषा और छन्दोबद्धता
संस्कृ त की पुस्तकें वाया संस्कृ त संस्थान
ॐ व्रतेन
दीक्षामाप्नोति दीक्षयाऽऽप्नोति दक्षिणाम्।
विष्णु प्रतिमा विवाह विधि
दक्षिणा  श्रद्धामाप्नोति  श्रद्धया   
सत्यमाप्यते।।
सभी रोगों का हरण करने वाले विष्णुसहस्रनाम के प्रयो...
उसके बाद
आचार्य बायें हाथ में
अक्षत,
पुष्प, द्रव्य तथा मौली लेकर दाहिने हाथ से ढ़ककर नीचे लिखे मन्त्र
Learn Hieratic in Hindi Part -5 उपनयन
से अभिमन्त्रित करें । संस्कार
कार्तिक स्त्री प्रसूता शान्ति
ॐ गणाधिपं
नमस्कृ त्य नमस्कृ त्य पितामहम् । विष्णुं रुद्रं श्रियं देवीं वन्दे भक्त्या
सरस्वतीम् ॥
मूलगण्डान्त शान्ति प्रयोग

स्थानक्षेत्रं
नमस्कृ त्य दिननाथं निशाकरम् । धरणीगर्भसम्भूतं शशिपुत्रं बृहस्पतिम् ॥ गृहप्रवेश विधि
शिलान्यास (गृहारम्भ) विधि
दैत्याचार्य
नमस्कृ त्य सूर्यपुत्रं महाग्रहम् । राहुं के तुं नमस्कृ त्य यज्ञारम्भे विशेषत: ॥ देव पूजा विधि Part-22 भागवत पूजन विधि
देव पूजा विधि Part-20 सत्यनारायण पूजा विधि
शक्राद्याः
देवता: सर्वा नस्कृ त्य मुनीन् तथा । गर्गं मुनिं नमस्कृ त्य नारदं मुनिसत्तमम् ॥
देव पूजा विधि Part-19 अभिषेक विधि

वसिष्ठं मुनिशार्दूलं
विश्वामित्रं च महामुनिम् । व्यासं मुनिं नमस्कृ त्य सर्वशास्त्रविशारदम् । देव पूजा विधि Part-18 हवन विधि
देव पूजा विधि Part-17 कु श कण्डिका
विद्याधिका ये
मुनय आचार्याश्च तपोधना: । ते सर्वे मम यज्ञस्य रक्षां कु र्वन्तु विघ्नतः ॥ देव पूजा विधि Part-16 प्राणप्रतिष्ठा विधि
देव पूजा विधि Part-15 सर्वतोभद्र पूजन
प्राचीं
रक्षतु गोविन्द आग्नेय्यीं गरुडध्वज: । यामीं रक्षतु वाराहो नारसिंहस्तु
नैर्ऋ तिम्।
देव पूजा विधि Part-14 महाकाली, लेखनी, दीपावली
पूजन
के शवो वारुणीं
रक्षेद् वायवीं मधुसूदनः । उदीचीं श्रीधरो रक्षेदेशानीं तु गदाधरः ।। देव पूजा विधि Part-13 लक्ष्मी-पूजन

देव पूजा विधि Part-12 कु मारी-पूजन


ऊर्ध्वं
गोवर्धनधरो ह्यधस्ताद्धरणीधरः । एवं दशदिशो रक्षेद् वासुदेवो जनार्दनः ।।
देव पूजा विधि Part-11 नवरात्र में दुर्गा -पूजन की विधि

यज्ञाग्रे
रक्षताच्छङ् खः पृष्ठे पद्मं तथोत्तरम् । वामपार्श्वे गदा रक्षेद् दक्षिणे तु
सुदर्शनः ।। देव पूजा विधि Part-10 पार्थिव-शिव-पूजन

दे वि धि शि
उपेन्द्रः
पातु ब्रह्माणमाचार्यं पातु वामनः । अच्युतः पातु ऋग्वेदं यजुर्वेदमधोक्षजः ।। देव पूजा विधि Part-9 शिव-पूजन
देव पूजा विधि Part-8 शालग्राम-पूजन
कृ ष्णो रक्षतु
सामानि ह्यथर्वं माधवस्तथा । उपविष्टाश्च विप्रास्तेऽनिरुद्धेन सुरक्षिताः । देव पूजा विधि Part-6 नवग्रह-स्थापन एवं पूजन
देव पूजा विधि Part-5 नान्दीश्राद्ध (आभ्युदयिक) प्रयोग
यजमानं
सपत्नीकं पुण्डरीकविलोचनः । रक्षाहीनं तु यत् स्थानं तत् सर्वं रक्षताद्धरिः ।।
देव पूजा विधि Part-4 षोडशमातृका आदि-पूजन
देव पूजा विधि Part-3 पुण्याहवाचनम्
सिक्योर पेमेंट और आसान रिटर्न देव पूजा विधि Part-2 कलशस्थापन विधि
देव पूजा विधि Part-1 स्वस्तिवाचन, गणेश पूजन
देवताओं के पूजन के नियम

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फ़रवरी
(11)
अब रखे अपने परिवार का ध्यान।

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जनवरी
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सस्ते दामों में ► 


2013
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PharmEasy ► 
2012
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2011
(14)

जगदानन्द झा. Blogger द्वारा संचालित.

रक्षा सूत्र
को अभिमन्त्रित करने के पश्चात् यजमान के दाहिने हाथ में और यजमान पत्नी के बांयें हाथ में निम्न
मंत्र
पढ़ते हुए अभिमन्त्रित रक्षा सूत्र बांधें।

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मास्तु प्रतिलिपिः

इस ब्लॉग के बारे में


मन्त्र- ॐ यदाबध्नं
दाक्षायणा हिरण्य Ủ शतानीकाय सुमनस्यमाना। तन्म आवध्नामि
शतशारदायायुष्मांजरदष्टिर्यथासम्।।
ॐ येन
बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः ।
तेन
त्वामनुबध्नामि रक्षे  मा  चल 
मा  चल।।

संस्कृ तभाषी ब्लॉग में मुख्यतः मेरा


                                                 वरुण कलश स्थापन
वैचारिक लेख, कर्मकाण्ड,ज्योतिष, आयुर्वेद, विधि,
हाथ में गन्ध,
अक्षत और पुष्प लेकर पृथ्वी की पूजा करें -
विद्वानों की जीवनी, 15 हजार संस्कृ त पुस्तकों, 4 हजार
ॐ भूरसि
भूमिरस्यदितिरसि विश्वधाया विश्वस्य भुवनस्य धर्त्री। पृथिवीं यच्छ पृथिवीं दृ Ủ
ह पृथिवीं माहि Ủ पाण्डु लिपियों के नाम, उ.प्र. के संस्कृ त विद्यालयों,

सीः ।
संस्कृ तसर्जना वर्ष 1 अंक 2
कलश स्थापित
किये जाने वाली भूमि पर रोली से अष्टदल कमल बनाकर उत्तान हाथों से भूमि का स्पर्श
करें -
 ॐ महीद्यौः पृथिवी चन इमं यज्ञं मिमिक्षताम्। पिपृतान्नो भरीमभिः ।।
पुनः धान्यमसि
मंत्र से जौ रखें-
ॐ धान्यमसि धिनुहि देवान्प्राणायत्त्वोदानायत्वा व्यानायत्वा
दीर्घानुप्रसितिमायुषेधान्देवो वः सविता
हिरण्यपाणिः प्रतिगृभ्णात्वच्छिदे् रे ण
पाणिना चक्षुषे त्वां महीनां पयोसि।। Publish for Free
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कलश में
स्वस्तिक का चिह्न बनाकर तीन धागेवाली मौली को उसमें लपेंटे। पुनः धातु या मिट्टी
के कलश
को जौ के ऊपर ‘आ जिघ्र’ इस मंत्र को पढ़कर
स्थापित करें ।- संस्कृ तसर्जना वर्ष 1 अंक 3
ॐ आजिघ्र कलशं
मह्या त्वा विशत्विंदवः । पुनरूज्र्जा निवर्तस्वसानः । सहश्रन्धुक्ष्वोरुधारा
पयस्वती पुनम्र्मा
विशताद्रयिः ।।
कलश में जल डालें -ॐ वरुणस्योत्तम्भनमसि
वरुणस्य स्कम्भसर्जनीस्थो वरुणस्य ऋतसदन्यसि वरुणस्य
ऋतसदनमसि वरुणस्य ऋतसदनमासीद। 
इसके बाद कलश में क्रमशः मंत्र पढ़ते हुए अधोलिखित पूजा सामग्री को डालें।
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कलश में गन्ध (रोरी) डालें -ॐ गन्धद्वारां दुराधर्षां नित्यपुष्टां करीषिणीम्। ईश्वरीं सर्वभूतानां
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श्रियम्।
SANSKRITSARJANA वर्ष 2 अंक-1

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चन्दन लेपकर
सर्वौषधि डालें। ॐ या ओषधीः पूर्वा जाता देवेभ्यस्त्रिायुगं पुरा। मनै नु
बभ्रूणामहं शतं धामानि
सप्त च।।

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मेरे बारे में

जगदानन्द झा
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धान्य डालें- ॐ धान्यमसि धिनुहि। इस पूर्वोक्त मंत्र से। संस्कृ तसर्जना वर्ष 1 अंक 1
दू र्वा डालें- ॐ काण्डात्काण्डात्प्ररोहन्ती परुषः परुषस्परि। एवानो दू र्वे प्रतनु सहश्रेण
शतेन च।।
पंचपल्लव डालें- ॐ अश्वत्थे वो निषदनं पर्णे वो वसतिष्कृ ता गोभाज इत्किला सथ यत्सनवथ
पूरुषम्।।
सप्तमृत्तिका डालें- ॐ स्योना पृथिविनो भवानृक्षरा निवेशनी। यच्छा नः शर्म्म सप्रथाः ।
पूगीफल डालें- ॐ याः फलिनीर्या अफला अपुष्पायाश्च पुष्पिणीः । बृहस्पति प्रसूतास्ता नो
मुञ्चन्त्व Ủ हसः ।।
पंचरत्न डालें-ॐ परिवाजपतिः कविरग्निर्हव्यान्यक्रमीत् दधद्रत्नानि दाशुषे।।
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दक्षिणा डालें-ॐ हिरण्यगर्भः समवर्तताग्रे भूतस्य जातः पतिरे क आसीत्। सदाधार पृथिवीं
द्यामुतेमां कस्मै
देवाय हविषा विधेम।।
समर्थक एवं मित्र
पवित्र कु श डालें-ॐ पवित्रोस्थो वैष्णव्यौ सविर्तुर्वः प्रसव उत्पुनाम्यच्छिद्रेण पवित्रोण
सूर्यस्य रश्मिभिः । तस्य
Followers (391)
Next
ते पवित्रापते पवित्रापूतस्य यत्कामः पुने तच्छके यम्।
मौन रहकर
पुष्प डालें। 
लाल वस्त्र या मौली कण्ठ में लपेटें -ॐ युवा सुवासाः परिवीत आगात् स
उश्रेयान् भवति जायमानः । तं
धीरासः कवय उन्नयन्ति साध्यो मनसा देवयन्तः ।।
चावल से भरा
पूर्ण पात्र कलश के ऊपर रखें 
               ॐ पूर्णादर्वि परापत सुपूर्णा पुनरापत।  Follow
                 वस्नेव
विक्रीणावहा इषमूर्ज र्ठ . शतक्रतो।।
रक्त वस्त्र
से लिपटा नारियल-ॐ श्रीश्च ते लक्ष्मीश्च पत्न्यावहो रात्रो पाश्र्वे नक्षत्राणि
रुपमश्विनौ व्यात्तम्। RECENT POSTS
इष्णन्निषाणामुम्म इषाण सर्वलोकम्म इषाण।।
व्याकरण महाभाष्य
वरुण का आवाहन-ॐ तत्वायामि
ब्रह्मणा वन्दमानस्तदाशास्ते यजमानो हविर्भिः । अहेडमानो वरुणेह
योगवासिष्ठ (अपरनाम- आर्षरामायण, वसिष्ठ महारामायण, और
बोद्ध्युरुश र्ठ . समान आयुः प्रमोषीः ।। ॐ भूर्भुवः स्वः अस्मिन् कलशे वरुणं साङ्ं
सपरिवारं सायुधं मोक्षोपायसंहिता)
सशक्तिकम् आवाहयामि स्थापयामि।  मेघदू तम्
ध्यानम्-वरुणः पाशभूत्सौम्यः
प्रतीच्यां मकराश्रयः । पाशहस्तात्मको देवो जलराश्यधिपो महान्।। मृच्छकटिकम्
हाथ में अक्षत
पुष्प लेकर प्रतिष्ठा-ॐ मनोजूतिर्जुषतामाज्यस्य बृहस्पतिर्यज्ञमिमं तनोत्वरिष्टं
यज्ञ र्ठ . समिमं लघुसिद्धान्तकौमुदी पढ़ने के लिए उपयोगी यूट्यूब लिंक
दधातु। विश्वेदेवा स इह मादयन्तामों प्रतिष्ठ। ॐ वरुणाय नमः
सुप्रतिष्ठितो वरदो भव।यह पढ़कर कलश में
वरुण का
आवाहन कर पुनः ॐ भूर्भुवः
स्वः अपां पतये वरुणाय नमः इस मंत्र से पञ्चोपचार या षोडशोपचार अव्यवस्थित सूची
पूजन करें । ॐ तत्त्वायामि
इस पूर्वोक्त मन्त्रा से पुष्पाञ्जलि अर्पित करे । 
ॐ अनेन पूजनेन वरुणः प्रीयताम्
उ.प्र. माध्यमिक संस्कृ त शिक्षा परिषद् की पाठ्यपुस्तकें
जल छोड़ दें।
श्रीमद्भागवत् की टीकायें
गङ्गा आदि नदियों का आवाहन-ॐ
सर्वे समुद्राः सरितस्तीर्थानि जलदा नदाः । 
जनगणना 2011 में संस्कृ त का स्थान

दे के मि सं वि
                                                 आयान्तु मम शान्त्यर्थं
दुरितक्षयकारकाः ।। इस श्लोक को पढ़कर उत्तर प्रदेश के माध्यमिक संस्कृ त विद्यालय

कलश में सभी तीर्थों


का आवाहन करें ।
लेखाभिज्ञानम्
पुनः कलश पर
अक्षत छींटें।-ॐ ऋग्वेदाय नमः । ॐ यजुर्वेदाय नमः । ॐ सामवेदाय नमः । ॐ अथर्ववेदाय
नमः । ॐ कलशाय नमः । ॐ रुद्राय नमः । ॐ समुद्राय नमः । ॐ गङ्गायै नमः । ॐ यमुनायै नमः । ॐ अंक अभिनवगुप्त अलंकार आचार्य

सरस्वत्यै नमः । ॐ कलशकु म्भाय नमः । आधुनिक संस्कृ त आधुनिक संस्कृ त गीत
अनामिका से
कलश का स्पर्श कर प्रार्थना करें ।
आधुनिक संस्कृ त साहित्य आम्बेडकर
ॐ कलशस्य
मुखे विष्णुः कण्ठे रुद्रः समाश्रितः ।
उत्तर प्रदेश संस्कृ त संस्थान उत्तराखंड ऋग्वेद ऋतु
मूले
त्वस्य स्थितो ब्रह्मा मध्ये मातृगणाः स्मृताः ।।
ऋषिका कणाद करक चतुर्थी करण करवा चौथ
कु क्षौ तु
सागराः सप्त सप्तद्वीपा वसुन्धरा।
कर्मकाण्ड कामशास्त्र कारक काल काव्य
ऋग्वेदोऽथ
यजुर्वेदः सामवेदो ह्यथर्वणः ।।
अंगैश्च
सहिताः सर्वे कलशन्तु समाश्रिताः । काव्यशास्त्र काव्यशास्त्रकार कु माऊँ कू र

अत्रा गायत्री
सावित्री शान्तिः पुष्टिकरी तथा। कू र्मांचल कृ दन्त कोजगरा कोश गंगा गया

आयान्तु
यजमानस्य दुरितक्षयकारकाः ।। गाय गीतकार गीति काव्य गुरु गृह कीट

ततः
गायत्रयादिभ्यो नमः इस मंत्र से पञ्चोपचार पूजन करें । गोविन्दराज ग्रह चरण छन्द छात्रवृत्ति जगत्

अधोलिखित श्लोक पढ़ते हुए कलश को प्रणाम करें - जगदानन्द झा जगन्नाथ जीवनी ज्योतिष

ॐ देवदानवसम्वादे
मध्यमाने महोदधौ।
तकनीकि शिक्षा तद्धित तिङन्त तिथि तीर्थ
उत्पन्नोसि
तदा कु म्भ विघृतो विष्णुना स्वयम्।।
दर्शन धन्वन्तरि धर्म धर्मशास्त्र नक्षत्र नाटक
त्वत्तोये
सर्वतीर्थानि देवाः सर्वे त्वयि स्थिताः ।
नाट्यशास्त्र नायिका नीति पक्ष पतञ्जलि
त्वयि
तिष्ठन्ति भूतानि त्वयि प्राणाः प्रतिष्ठिताः ।।
पत्रकारिता पत्रिका पराङ्कु शाचार्य पाण्डुलिपि
शिवः स्वयं
त्वमेवासि विष्णुस्त्वं च प्रजापतिः ।
आदित्या
वसवो रुद्रा विश्वेदेवाः सपैतृकाः ।। पालि पुरस्कार पुराण पुरुषार्थोपदेश पुस्तक

त्वयि
तिष्ठन्ति सर्वेऽपि यतः कामफलप्रदः । पुस्तक संदर्शिका पुस्तक सूची पुस्तकालय पूजा

त्वत्प्रसादादिदं
कर्म कर्तुमीहे जलोद्भव। प्रत्यभिज्ञा शास्त्र प्रशस्तपाद प्रहसन प्रौद्योगिकी

सान्निध्यं
कु रु मे देव प्रसन्नो भव सर्वदा।। बिल्हण बौद्ध बौद्ध दर्शन ब्रह्मसूत्र भरत

नमो नमस्ते
स्फटिकप्रभाय सुश्वेतहाराय सुमङ् लाय। भर्तृहरि भामह भाषा भाष्य भोज प्रबन्ध

सुपाशहस्ताय
झषासनाय जलाधिनाथाय नमो नमस्ते।।
मगध मनु मनोरोग महाविद्यालय महोत्सव

मुहूर्त योग योग दिवस रचनाकार रस


जल लेकर-ॐ अनया
पूजया कलशे वरुणाद्यावाहितदेवताः प्रीयन्ताम् यह पढ़कर जल छोड़ दें। इति
राजभाषा रामसेतु रामानुजाचार्य रामायण राशि
कलशपूजाविधि।
नोट- आगे की विधि के लिए पुण्याहवाचन पर क्लिक करें रोजगार रोमशा लघुसिद्धान्तकौमुदी लिपि

Share:     वर्गीकरण वल्लभ वाल्मीकि विद्यालय विधि

विश्वनाथ विश्वविद्यालय वृष्टि वेद वैचारिक निबन्ध

वैशेषिक व्याकरण व्यास व्रत शंकाराचार्य

जगदानन्द झा शरद् शैव दर्शन संख्या संचार संस्कार


लखनऊ में प्रशासनिक अधिकारी के पदभार ग्रहण से पूर्व सामयिक विषयों पर कविता,निबन्ध लेखन करता रहा।
संस्कृ त के सामाजिक सरोकार से जुडा रहा। संस्कृ त विद्या में महती अभिरुचि के कारण अबतक चार ग्रन्थों का संस्कृ त संस्कृ त आयोग संस्कृ त गीतम्‌
सम्पादन। संस्कृ त को अन्तर्जाल के माध्यम से प्रत्येक लाभार्थी तक पहुँचाने की जिद। संस्कृ त के प्रसार एवं विकास के लिए
संस्कृ त पत्रकारिता संस्कृ त प्रचार संस्कृ त लेखक
ब्लॉग तक चला आया। मेरे अपने प्रिय शताधिक वैचारिक निबन्ध, हिन्दी कविताएँ , 21 हजार से अधिक संस्कृ त पुस्तकें , 100 से
अधिक संस्कृ तज्ञ विद्वानों की जीवनी, व्याकरण आदि शास्त्रीय विषयों की परिचर्चा , शिक्षण- प्रशिक्षण और भी बहुत कु छ मुझे संस्कृ त वाचन संस्कृ त विद्यालय संस्कृ त शिक्षा
एक दू सरी ही दुनिया में खींच ले जाते है। संस्कृ त की वर्तमान समस्या एवं वृहत्तम साहित्य को अपने अन्दर महसूस कर अपने
आप को अभिव्यक्त करने की इच्छा बलवती हो जाती है। मुझे इस क्षेत्र में कार्य करने एवं संस्कृ त विद्या अध्ययन को उत्सुक संस्कृ तसर्जना सन्धि समास सम्मान
समुदाय को नेतृत्व प्रदान करने में अत्यन्त सुखद आनन्द का अनुभव होता है। दू रभाष - 73 8888 33 06
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7 टिप्‍पणियां: स्वामि रङ्गरामानुजाचार्य हास्य हास्य काव्य

हुलासगंज DEVNAGARI SCRIPT DHARMA


bhadrakaali 29 अक्तूबर 2019 को 1:59 am
EPIC JAGDANAND JHA
झा साहव अपने पेजों को डाउनलोडेवल बनाएं जो जनकल्याण हो ।
जवाब दें JRF IN SANSKRIT (CODE- 25) KAHANI

LIBRARY MAGAZINE MAHABHARATA


उत्तर
MANUSCRIPTOLOGY PUSTAK SANGDARSHIKA
Unknown 15 नवंबर 2019 को 5:54 am
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है .
SANSKRIT SANSKRIT LANGUAGE

SANSKRIT SAPTAHA SANSKRITSARJANA

जगदानन्द झा 16 नवंबर 2019 को 5:06 am SEX STUDENT CONTEST UGC NET/ JRF
से लो ने यो ने की वि धि दें पी डी
इसे डाउनलोड करने योग्य बनाने की विधि बता दें। क्या इसका पीडीएफ बनाकर उपलब्ध कराना
होगा?
PAGES
Unknown 24 फ़रवरी 2021 को 9:09 am संस्कृ त- शिक्षण- पाठशाला 1

Pdf ki subidha rakhein ... Please taki hum download kar sakein. Sahi संस्कृ त शिक्षण पाठशाला 3
jankari ke liye shukriya.
विद्वत्परिचयः 1
जवाब दें विद्वत्परिचयः 2
विद्वत्परिचयः 3
Unknown 15 नवंबर 2019 को 5:53 am स्तोत्र - संग्रहः

Nice पुस्तक विक्रय पटल


जवाब दें

Unknown 11 अप्रैल 2020 को 12:53 am


अति सुन्दर भाई अपनी पोस्ट को डाउनलोड के योग्य बनाएं
जवाब दें

Unknown 19 सितंबर 2020 को 9:20 am


पंडित जी बहुत बढ़िया लिखा है आपने इसने वाले के लिए बहुत बढ़िया की कृ पया इसका पीडीएफ बनाकर
डालें
जवाब दें

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बार जानकारी के अभाव में लोग गलत सामग्री पर भरोसा कर
लेते हैं। ई-सामग्री के महासमुद्र में इच्छित व प्रामाणिक सामग्री
को खोजना भी एक जटिल कार्य है।
इन परिस्थितियों में मैं आपके साथ हूँ। आपको मैं प्रामाणिक
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