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A B

1 Sl.No Serial number of the dhaatu in this work

Number of the dhaatu as given in the dhaatupaatha - Source: www.sanskritdocuments.org, Documents->Major works ->
2 Dhaatupaatha with svara marks. This column being blank means that the particular dhaatu is not listed in this dhaatupaatha.
Dhaatupaatha_no
3 Original dhaatu with anubandhas
Dhaatu
Meaning in Sanskrit, as given in the dhaatupaatha. Minor changes have been made for uniformatisation. For eg., गत्यर्थः will be
4 noted as गतौ|
Meaning

5 गणः Gana which the dhaatu belongs to.

6 प = परस्मैपदी, आ= आत्मनेपदी, उ= उभयपदी


पदम्
7 से = सेट् , अ= अनिट् , वे=वेट्
सेट् / अनिट् / वेट्

Number of the dhaatu according to the SiddhantaKaumudi [Edition used - Siddhantakaumudi (4 vols) with Balamanorama and
Tattvabodhini, Motilal Banarsidass, New Delhi, ISBN: 8120823427]. Blank cell means that the dhaatu is not listed in the
8 Kaumudi. Symbol पा. next to the number means that Bhattoji Dikshita has mentioned this version of the dhaatu as a variant
under that particular dhaatu number. ! symbol next to the number means that Pushpa Dikshit gives this as the Kaumudi-
dhaatu-number in her book, but the Kaumudi has a different dhaatu under that number.
Kaumudi_no

Number of the dhaatu according to the Ashtadhyayi Sahajbodh of Dr. Pushpa Dikshit. [अष्टाध्यायीसहजबोधः (प्रथमो भागः – सार्वधातुकखण्डः) –
डा. पुष्पा दीक्षित, Pratibha Prakashan, Delhi, 2011. ISBN: 978-81-7702-005-6]. Blank cell means the dhaatu is not listed in her book.
9 Symbol पा. next to the number means that Pushpa Dikshit has mentioned this version of the dhaatu as a variant under that
particular dhaatu number. Number enclosed in [] means that this dhaatu corresponds to the dhaatu of the Kaumudi number,
but Smt. Dikshit has given some variant of this dhaatu in her dhaatupaatha.
Dixit_no
10 सहजबोधे धातुविभागः१
The category to which the dhaatu belongs according to Dr. Pushpa Dikshit. There is no difference in between the two columns.
The two columns are just to accommodate some dhaatus which fall under more than one category.
11 सहजबोधे धातुविभागः२

12 अन्तर्गणः १
Subclass to which the dhaatu belongs to. Again, there is no difference between the two columns. They are just to
accommodate some dhaatus which fall under more than one antargana.
13 अन्तर्गणः २
C D F I J K

1 सहजबोधे धातुविभागः२
Dhaatu Meaning पदम् Dixit_no सहजबोधे धातुविभागः१

2 जि॒
जये | प १ इकारान्तः

3 टुओँश्वि
गतिवृद्ध्योः | प २ इकारान्तः

4 जि॒
अभिभवे | प ३ इकारान्तः

5 ज्रि॒
अभिभवे | प ४ इकारान्तः

6 क्षि॒
क्षये | आ ५ इकारान्तः

7 ष्मि॒ङ्
ईषद्धसने | आ ६ इकारान्तः

8 श्रिञ्
सेवायाम् | उ ७ इकारान्तः

9 डीङ्
विहायसा गतौ| आ ८ ईकारान्तः

10 णी॒ञ्
प्रापणे | उ ९ ईकारान्तः

11 ध्रु॒
स्थैर्ये| प १० उकारान्तः

12 दु॒
गतौ| प ११ उकारान्तः

13 द्रु॒
गतौ| प १२ उकारान्तः

14 स्रु॒
गतौ| प १३ उकारान्तः

15 षु॒
प्रसवसैश्वर्ययोः| प १४ उकारान्तः
C D F I J K

16 गु॒ङ्
अव्यक्ते शब्दे| आ १५ उकारान्तः

17 कु॒ङ्
शब्दे| आ १६ उकारान्तः

18 घु॒ङ्
शब्दे| आ १७ उकारान्तः

19 उ॒ङ्
शब्दे| आ १८ उकारान्तः

20 ङु॒ङ्
शब्दे| आ १९ उकारान्तः

21 च्यु॒ङ्
गतौ| आ २० उकारान्तः

22 ज्यु॒ङ्
गतौ| आ २१ उकारान्तः

23 प्रु॒ङ्
गतौ| आ २२ उकारान्तः

24 प्लु॒ङ्
गतौ| आ २३ उकारान्तः

25 रु॒ङ्
गतिरोषणयोः| आ २४ उकारान्तः

26 भू
सत्तायाम् | प २५ ऊकारान्तः

27 पूङ्
पवने | आ २६ ऊकारान्तः

28 मूङ्
बन्धने | आ २७ ऊकारान्तः

29 ह्वृ॒
कौटिल्ये | प २८ ऋकारान्तः

30 ह्वृ॒ इत्येके |
संवरणे (वरणे)| प २९ ऋकारान्तः

31 स्वृ॒
शब्दोपतापयोः| प ३० ऋकारान्तः
C D F I J K

32 स्मृ॒
चिन्तायाम् | प ३१ ऋकारान्तः

33 गृ॒
सेचने | प ३२ ऋकारान्तः

34 घृ॒
सेचने | प ३३ ऋकारान्तः

35 ध्वृ॒
हूर्छने | प ३४ ऋकारान्तः

36 धृ॒ङ्
अवध्वंसने | आ ३५ ऋकारान्तः

37 भृ॒ञ्
भरणे | उ ३६ ऋकारान्तः

38 हृ॒ञ्
हरणे | उ ३७ ऋकारान्तः

39 धृ॒ञ्
धारणे | उ ३८ ऋकारान्तः

40 तॄ
प्लवनतरणयोः| प ३९ ॠकारान्तः

41 धे॒ट्
पाने| प ४० एजन्तः

42 ग्लै॒
हर्षक्षये | हर्षक्षयो धातुक्षयः। प ४१ एजन्तः

43 म्लै॒
हर्षक्षये | प ४२ एजन्तः

44 द्यै॒
न्यक्करणे | न्यक्करणं तिरस्कारः। प ४३ एजन्तः

45 द्रै॒
स्वप्ने| प ४४ एजन्तः

46 ध्रै॒
तृप्तौ| प ४५ एजन्तः

47 ध्यै॒
चिन्तायाम् | प ४६ एजन्तः
C D F I J K

48 रै॒
शब्दे| प ४७ एजन्तः

49 स्त्यै॒
शब्दसङ्घातयोः| प ४८ एजन्तः

50 ष्ट्यै॒
शब्दसङ्घातयोः| प ४९ एजन्तः

51 खै॒
खदने | प ५० एजन्तः

52 क्षै॒
क्षये | प ५१ एजन्तः

53 जै॒
क्षये | प ५२ एजन्तः

54 षै॒
क्षये | प ५३ एजन्तः

55 कै॒
शब्दे| प ५४ एजन्तः

56 गै॒
शब्दे| प ५५ एजन्तः

57 शै॒
पाके | प ५६ एजन्तः

58 श्रै॒
पाके | प ५७ एजन्तः

59 पै॒
शोषणे | प ५८ एजन्तः

60 ओँवै॒
शोषणे | प ५९ एजन्तः

61 ष्टै॒
वेष्टने | शोभायां चेत्येके | प ६० एजन्तः

62 ष्णै॒
वेष्टने | शोभायां चेत्येके | प ६१ एजन्तः

63 दै॒प्
शोधने | प ६२ एजन्तः
C D F I J K

64 ष्यै॒ङ्
वृद्धौ। आ ६३ एजन्तः

65 मे॒ङ्
प्रणिदाने | आ ६४ एजन्तः

66 दे॒ङ्
रक्षणे | आ ६५ एजन्तः

67 त्रै॒ङ्
पालने | आ ६६ एजन्तः

68 श्यै॒ङ्
गतौ| आ ६७ एजन्तः

69 वे॒ञ्
तन्तुसन्ताने | उ ६८ एजन्तः

70 व्ये॒ञ्
संवरणे | उ ६९ एजन्तः

71 ह्वे॒ञ्
स्पर्धायां शब्दे च | उ ७० एजन्तः

72 बदँ
स्थैर्ये| प ७१ अदुपधः

73 खदँ
स्थैर्ये हिंसायां च | चाद्भक्षणे । प ७२ अदुपधः

74 अतँ
सातत्यगमने | प ७३ अदुपधः

75 कखँ
हसने | प ७४ अदुपधः

76 गदँ
व्यक्तायां वाचि | प ७५ अदुपधः

77 रदँ
विलेखने | विलेखनं भेदनम् । प ७६ अदुपधः

78 णदँ
अव्यक्ते शब्दे| प ७७ अदुपधः

79 नद
श्ब्दे। प ७८ अदुपधः
C D F I J K

80 तकँ
हसने | प ७९ अदुपधः

81 बखँ
गतौ। प ८० अदुपधः

82 मखँ
गतौ| प ८१ अदुपधः

83 णखँ
गतौ| प ८२ अदुपधः

84 रखँ
गतौ| प ८३ अदुपधः

85 लखँ
गतौ| प ८४ अदुपधः

86 घघँ
हसने | प ८५ अदुपधः

87 ध्रजँ
गतौ| प ८६ अदुपधः

88 ध्वजँ
गतौ| प ८७ अदुपधः

89 अजँ
गतिक्षेपणयोः| प ८८ अदुपधः

90 खजँ
मन्थे | प ८९ अदुपधः

91 लजँ
भर्जने | भर्त्सने इति कौमुदी। प ९० अदुपधः

92 जजँ
युद्धे | प ९१ अदुपधः

93 गजँ
शब्दे । मदने च । प ९२ अदुपधः

94 वजँ
गतौ| प ९३ अदुपधः

95 व्रजँ
गतौ| प ९४ अदुपधः
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96 अटँ
गतौ| प ९५ अदुपधः

97 पटँ
गतौ| प ९६ अदुपधः

98 रटँ
परिभाषणे | प ९७ अदुपधः

99 लटँ
बाल्ये| प ९८ अदुपधः

100 शटँ
रुजाविशरणगत्यवसादनेषु| प ९९ अदुपधः

101 वटँ
वेष्टने | प १०० अदुपधः

102 जटँ
सङ्घाते | प १०१ अदुपधः

103 झटँ
सङ्घाते | प १०२ अदुपधः

104 भटँ
भृतौ| प १०३ अदुपधः

105 तटँ
उच्छ्राये | प १०४ अदुपधः

106 खटँ
काङ्क्षायाम् | प १०५ अदुपधः

107 नटँ
नृतौ| प १०६ अदुपधः

108 हटँ
दीप्तौ(च)| प १०७ अदुपधः

109 षटँ
अवयवे| प १०८ अदुपधः

110 पठँ
व्यक्तायां वाचि | प १०९ अदुपधः

111 वठँ
स्थौल्ये| प ११० अदुपधः
C D F I J K

112 मठँ
मदनिवासयोः| प १११ अदुपधः

113 कठँ
कृ च्छ्र जीवने | प ११२ अदुपधः

114 रटँ इत्येके ||


परिभाषणे | प ११३ अदुपधः

115 हठँ
प्लुतिशठत्वयोः| बलात्कार इत्यन्ये | प ११४ अदुपधः

116 शठँ
कै तवे च | प ११५ अदुपधः

117 अडँ
उद्यमे | प ११६ अदुपधः

118 लडँ
विलासे | प ११७ अदुपधः

119 कडँ
मदे| प ११८ अदुपधः

120 जपँ
व्यक्तायां वाचि | मानसे च| प ११९ अदुपधः

121 चपँ
सान्त्वने | प १२० अदुपधः

122 षपँ
समवाये | समवायः सम्बन्धः, सम्यगवबोधो वा। प १२१ अदुपधः

123 रपँ
व्यक्तायां वाचि | प १२२ अदुपधः

124 लपँ
व्यक्तायां वाचि | प १२३ अदुपधः

125 रफँ
गतौ। प १२४ अदुपधः

126 अणँ
शब्दे। प १२५ अदुपधः

127 रणँ
शब्दे। प १२६ अदुपधः
C D F I J K

128 वणँ
शब्दे। प १२७ अदुपधः

129 भणँ
शब्दे। प १२८ अदुपधः

130 मणँ
शब्दे। प १२९ अदुपधः

131 कणँ
शब्दे। प १३० अदुपधः

132 क्वणँ
शब्दे। प १३१ अदुपधः

133 व्रणँ (ब्रणँ)


शब्दे। प १३२ अदुपधः

134 भ्रणँ
शब्दे। प १३३ अदुपधः

135 ध्वणँ
शब्दे। प १३४ अदुपधः

136 ध्रन
शब्दे। प १३५ अदुपधः

137 ष्टनँ
शब्दे| प १३६ अदुपधः

138 वनँ
शब्दे| प १३७ अदुपधः

139 वनँ
सम्भक्तौ | प १३८ अदुपधः

140 षणँ
सम्भक्तौ | प १३९ अदुपधः

141 अमँ
गत्यादिषु (गतौ शब्दे सम्भक्तौच)| प १४० अदुपधः

142 द्रमँ
गतौ| प १४१ अदुपधः

143 हयँ
गतौ| प १४२ अदुपधः
C D F I J K

144 अलँ
भूषणपर्याप्तिवारणेषु| प १४३ अदुपधः

145 फलँ
निष्पत्तौ | प १४४ अदुपधः

146 स्खलँ
सञ्चलने | प १४५ अदुपधः

147 खलँ
सञ्चये (च)| प १४६ अदुपधः

148 गलँ
अदने (भक्षणे स्रावे च)| प १४७ अदुपधः

149 षलँ
गतौ| प १४८ अदुपधः

150 दलँ
विशरणे | प १४९ अदुपधः

151 श्वलँ
आशुगमने | प १५० अदुपधः

152 त्सरँ
छद्मगतौ | प १५१ अदुपधः

153 क्मरँ
हूर्छने | प १५२ अदुपधः

154 चरँ
गतौ भक्षणे च। प १५३ अदुपधः

155 मवँ
बन्धने | प १५४ अदुपधः

156 अवँ
रक्षणगतिकान्तिप्रीतितृप्त्यवगमप्रवेशश्रवणस्वाम्यर्थयाचनक्रियेच्चादीप्त्यवाप्त्यालिङ्गनहिंसादानभागवृद्धिषु|
प १५५ अदुपधः

157 कषँ
हिंसायाम्। प १५६ अदुपधः

158 खषँ
हिंसायाम्। प १५७ अदुपधः

159 जषँ
हिंसायाम्। प १५८ अदुपधः
C D F I J K

160 झषँ
हिंसायाम्। प १५९ अदुपधः

161 मषँ
हिंसायाम्। प १६० अदुपधः

162 शषँ
हिंसायाम्। प १६१ अदुपधः

163 वषँ
हिंसायाम्। प १६२ अदुपधः

164 भषँ
भर्त्सने | इह भर्त्सनं श्वरवः। प १६३ अदुपधः

165 ह्लसँ
शब्दे| प १६४ अदुपधः

166 रसँ
शब्दे| प १६५ अदुपधः

167 लसँ
श्लेषणक्रीडनयोः (च)| प १६६ अदुपधः

168 रहँ
त्यागे | प १६७ अदुपधः

169 महँ
पूजायाम् | प १६८ अदुपधः

170 चहँ
परिकल्कने | प १६९ अदुपधः

171 मशँ
शब्दे रोषकृ ते च| प १७० अदुपधः

172 शवँ
गतौ| प १७१ अदुपधः

173 शशँ
प्लुतगतौ | प १७२ अदुपधः

174 षमँ
अवैकल्ये (वैकल्ये)| प १७३ अदुपधः

175 ष्टमँ
अवैकल्ये (वैकल्ये)| प १७४ अदुपधः
C D F I J K

176 र॒भँ॒
राभस्ये | आ १७५ अदुपधः

177 ह॒दँ॒
पुरीषोत्सर्गे | आ १७६ अदुपधः

178 डु ल॒भँ॒ष्
प्राप्तौ| आ १७७ अदुपधः

179 य॒भँ
मैथुने (विपरीतमैथुने)| प १७८ अदुपधः

180 ण॒मँ
प्रह्वत्वे शब्देच | प १७९ अदुपधः

181 द॒हँ
भस्मीकरणे | प १८० अदुपधः

182 त॒पँ
सन्तापे | प १८१ अदुपधः

183 त्य॒जँ
हानौ| प १८२ अदुपधः

184 कटीँ
गतौ| प १८३ अदुपधः

185 कनीँ
दीप्तिकान्तिगतिषु| प १८४ अदुपधः

186 छमुँ
अदने | प १८५ अदुपधः

187 जमुँ
अदने | प १८६ अदुपधः

188 झमुँ
अदने | प १८७ अदुपधः

189 शसुँ
हिंसायाम् | प १८८ अदुपधः

190 ञिफलाँ
विशरणे | प १८९ अदुपधः

191 घसॢँ
अदने | प १९० अदुपधः
C D F I J K

192 ग॒मॢँ
गतौ| प १९१ अदुपधः विकारी धातुः

193 दधँ॒
धारणे | आ १९२ अदुपधः

194 ददँ॒
दाने | आ १९३ अदुपधः

195 ष्वदँ॒
आस्वादने | आ १९४ अदुपधः

196 ककँ॒
लौल्ये| लौल्यं गर्वश्चापल्यं च । आ १९५ अदुपधः

197 चकँ॒
तृप्तौ प्रतिघाते च| आ १९६ अदुपधः

198 षचँ॒
सेचने सेवने च | आ १९७ अदुपधः

199 शचँ॒
व्यक्तायां वाचि | आ १९८ अदुपधः

200 श्वचँ॒
गतौ| आ १९९ अदुपधः

201 कचँ॒
बन्धने | आ २०० अदुपधः

202 मचँ॒
कल्कने | कल्कनं दम्भः शाठ्यं च । कथनइत्यन्ये | आ २०१ अदुपधः

203 अयँ॒
गतौ| आ २०२ अदुपधः

204 वयँ॒
गतौ| आ २०३ अदुपधः

205 पयँ॒
गतौ| आ २०४ अदुपधः

206 मयँ॒
गतौ| आ २०५ अदुपधः

207 चयँ॒
गतौ| आ २०६ अदुपधः
C D F I J K

208 तयँ॒
गतौ| आ २०७ अदुपधः

209 णयँ॒
गतौ| रक्षणे च | आ २०८ अदुपधः

210 दयँ॒
दानगतिरक्षणहिंसादानेषु| आ २०९ अदुपधः

211 रयँ॒
गतौ| आ २१० अदुपधः

212 शलँ॒
चलनसंवरणयोः| आ २११ अदुपधः

213 वलँ॒
संवरणे सञ्चलने च | आ २१२ अदुपधः

214 मलँ॒
धारणे | आ २१३ अदुपधः

215 भलँ॒
परिभाषणहिंसादानेषु| आ २१४ अदुपधः

216 कलँ॒
शब्दसङ्ख्यानयोः| आ २१५ अदुपधः

217 णसँ॒
कौटिल्ये | आ २१६ अदुपधः

218 भ्यसँ॒
भये | आ २१७ अदुपधः

219 ग्लहँ॒
ग्रहणे (अपादाने)| आ २१८ अदुपधः

220 यतीँ॒
प्रयत्ने | आ २१९ अदुपधः

221 ग्रसुँ॒
अदने | आ २२० अदुपधः

222 ग्लसुँ॒
अदने | आ २२१ अदुपधः

223 त्रपूँ॒ष्
लज्जायाम् | आ २२२ अदुपधः
C D F I J K

224 क्षमूँ॒ष्
सहने | आ २२३ अदुपधः

225 कबृँ॒
वर्णे| आ २२४ अदुपधः

226 व्ययँ॑
गतौ| उ २२५ अदुपधः

227 असँ॑
गतिदीप्त्यादानेषु| उ २२६ अदुपधः

228 स्पशँ॑
बाधनस्पर्शनयोः| स्पर्शनं ग्रथनम्। उ २२७ अदुपधः

229 चषँ॑
भक्षणे | उ २२८ अदुपधः

230 छषँ॑
हिंसायाम् | उ २२९ अदुपधः

231 झषँ॑
आदानसंवरणयोः| उ २३० अदुपधः

232 डु प॒चँ॑ष्
पाके | उ २३१ अदुपधः

233 षचँ॑
समवाये | उ २३२ अदुपधः

234 भ॒जँ॑
सेवायाम् | उ २३३ अदुपधः

235 श॒पँ॑
आक्रोशे | उ २३४ अदुपधः

236 खनुँ॑
अवदारणे | उ २३५ अदुपधः

237 कटेँ
वर्षावरणयोः| प २३६ अदुपधः

238 हसेँ
हसने | प २३७ अदुपधः

239 चतेँ॑
याचने (च)| उ २३८ अदुपधः
C D F I J K

240 चदेँ॑
याचने (च)| उ २३९ अदुपधः

241 चितीँ
सञ्ज्ञाने| प २४० इदुपधः

242 षिधँ
गत्याम् | प २४१ इदुपधः

243 षिधूँ
शास्त्रे माङ्गल्ये च | शास्त्रं शासनम् । प २४२ इदुपधः

244 इखँ
गतौ| प २४३ इदुपधः

245 किटँ
त्रासे | प २४४ इदुपधः

246 खिटँ
त्रासे | प २४५ इदुपधः

247 शिटँ
अनादरे | प २४६ इदुपधः

248 षिटँ
अनादरे | प २४७ इदुपधः

249 चिटँ
परप्रैष्ये (परप्रेष्ये)| प २४८ इदुपधः

250 विटँ
आक्रोशे। प २४९ इदुपधः

251 विटँ
शब्दे| प २५० इदुपधः

252 पिटँ
शब्दसङ्घातयोः| प २५१ इदुपधः

253 मि॒हँ
सेचने | प २५२ इदुपधः

254 किटँ
गतौ| प २५३ इदुपधः

255 तिलँ
गतौ| प २५४ इदुपधः
C D F I J K

256 शिषँ
हिंसायाम्। प २५५ इदुपधः

257 रिषँ
हिंसायाम्। प २५६ इदुपधः

258 जिषुँ
सेचने | प २५७ इदुपधः

259 विषुँ
सेचने | प २५८ इदुपधः

260 मिषुँ
सेचने | प २५९ इदुपधः

261 श्रिषुँ
दाहे| प २६० इदुपधः

262 श्लिषुँ
दाहे| प २६१ इदुपधः

263 क्षिवुँ
निरसने | प २६२ इदुपधः

264 पिसृँ
गतौ| प २६३ इदुपधः

265 णिशँ
समाधौ | प २६४ इदुपधः

266 मिशँ
शब्दे रोषकृ ते च| प २६५ इदुपधः

267 णिदृँ॑
कु त्सासन्निकर्षयोः| उ २६६ इदुपधः

268 ञिक्ष्विदाँ
अव्यक्ते शब्दे| प २६७ इदुपधः

269 पिठँ
हिंसासङ्क्ले शनयोः| प २६८ इदुपधः

270 विथृँ॒
याचने | आ २६९ इदुपधः

271 टिकृँ॒
गतौ। आ २७० इदुपधः
C D F I J K

272 तिकृँ॒
गतौ। आ २७१ इदुपधः

273 प्लिहँ॒
गतौ| आ २७२ इदुपधः

274 ति॒पृँ॒
क्षरणे आ २७३ इदप
ु धः

275 ष्टिपृँ॒
क्षरणे आ २७४ इदप
ु धः

276 त्वि॒षँ॑
दीप्तौ| उ २७५ इदुपधः

277 मिदृँ॑
मेधाहिंसनयोः| उ २७६ इदुपधः

278 च्युतिँर्
आसेचने | आसेचनमार्द्रीकरणम् । आङीषदर्थेऽभिव्याप्तौप च । २७७ उदुपधः

279 श्चुतिँर् इत्येके ।


क्षरणे | प २७८ उदुपधः

280 उखँ
गतौ| प २७९ उदुपधः

281 शुचँ
शोके | प २८० उदुपधः

282 कु चँ
शब्दे तारे | प २८१ उदुपधः

283 म्रुचुँ
गतौ| प २८२ उदुपधः

284 म्लुचुँ
गतौ| प २८३ उदुपधः

285 ग्रुचुँ
स्तेयकरणे | प २८४ उदुपधः

286 ग्लुचुँ
स्तेयकरणे | प २८५ उदुपधः

287 कु जुँ
स्तेयकरणे | प २८६ उदुपधः
C D F I J K

288 खुजुँ
स्तेयकरणे | प २८७ उदुपधः

289 तुजँ
हिंसायाम् | प २८८ उदुपधः

290 मुजँ
शब्दे । प २८९ उदुपधः

291 स्फु टँ॒


विकसने | आ २९० उदुपधः

292 लुटँ
विलोडने | प २९१ उदुपधः

293 मुडँ
मर्दने (प्रमर्दने)| प २९२ उदुपधः

294 प्रुड
मर्दने। प २९३ उदुपधः

295 स्फु टिँर्


विशरणे | प २९४ उदुपधः

296 रुठँ
उपघाते | प २९५ उदुपधः

297 लुठँ
उपघाते | प २९६ उदुपधः

298 उठँ इत्येके |


उपघाते | प २९७ उदुपधः

299 शुठँ
गतिप्रतिघाते (प्रतिघाते)| प २९८ उदुपधः

300 चुपँ
मन्दायां गतौ| प २९९ उदुपधः

301 हुडृँ
गतौ| प ३०० उदुपधः

302 तुडृँ
तोडने | प ३०१ उदुपधः

303 तुपँ
हिंसायाम्। प ३०२ उदुपधः
C D F I J K

304 त्रुपँ
हिंसायाम्। प ३०३ उदुपधः

305 तुफँ
हिंसायाम्। प ३०४ उदुपधः

306 त्रुफँ
हिंसायाम्। प ३०५ उदुपधः

307 घुणँ॒
भ्रमणे | आ ३०६ उदुपधः

308 घुषिँर्
अविशब्दने | विशब्दनं प्रतिज्ञानम्, ततोऽन्यस्मिन्नर्थे इत्येके
प । शब्द इत्यन्ये पेठुः | ३०७ उदुपधः

309 रुषँ
हिंसायाम्। प ३०८ उदुपधः

310 उषँ
दाहे | प ३०९ उदुपधः

311 पुषँ
पुष्टौ| प ३१० उदुपधः

312 प्रुषुँ
दाहे| प ३११ उदुपधः

313 प्लुषुँ
दाहे| प ३१२ उदुपधः

314 तुसँ
शब्दे| प ३१३ उदुपधः

315 तुहिँर्
अर्दने | प ३१४ उदुपधः

316 दुहिँर्
अर्दने | प ३१५ उदुपधः

317 बुधिँ॑र्
बोधने | उ ३१६ उदुपधः

318 उहिँर्
अर्दने | प ३१७ उदुपधः

319 मुदँ॒
हर्षे| आ ३१८ उदुपधः
C D F I J K

320 गुदँ॒
क्रीडायामेव | आ ३१९ उदुपधः

321 युतृँ॒
भासने | आ ३२० उदुपधः

322 जुतृँ॒
भासने | आ ३२१ उदुपधः

323 कु कँ॒
आदाने | आ ३२२ उदुपधः

324 ष्टु चँ॒


प्रसादे | आ ३२३ उदुपधः

325 ष्टु भुँ॒


स्तम्भे | आ ३२४ उदुपधः

326 शुभँ
भाषणे | भासन इत्येके | हिंसायामित्यन्ये | प ३२५ उदुपधः

327 धृजँ
गतौ| प ३२६ ऋदुपधः

328 गृजँ
शब्दे । प ३२७ ऋदुपधः

329 पृषुँ
सेचने | हिंसासङ्क्ले शनयोश्च | प ३२८ ऋदुपधः

330 वृषुँ
सेचने | हिंसासङ्क्ले शनयोश्च | प ३२९ ऋदुपधः

331 मृषुँ
सेचने | सहने च | प ३३० ऋदुपधः

332 घृषुँ
सङ्घर्षे | प ३३१ ऋदुपधः

333 हृषुँ
अलीके | प ३३२ ऋदुपधः

334 हृसँ
शब्दे। प ३३३ ऋदुपधः

335 दृहँ
वृद्धौ| प ३३४ ऋदुपधः
C D F I J K

336 बृहँऽ (वृहँऽ)


वृद्धौ| शब्देच | प ३३५ ऋदुपधः

337 कृ॒षँ
विलेखने | प ३३६ ऋदुपधः

338 षृभुँ
हिंसायाम्। प ३३७ ऋदुपधः

339 सृ॒पॢँ
गतौ| प ३३८ ऋदुपधः

340 वृकँ॒
आदाने | आ ३३९ ऋदुपधः

341 ऋजँ॒
गतिस्थानार्जनोपार्जनेषु| आ ३४० ऋदुपधः

342 भृजीँ॒
भर्जने | आ ३४१ ऋदुपधः

343 वृतुँ॒
वर्तने | आ ३४२ ऋदुपधः

344 वृधुँ॒
वृद्धौ| आ ३४३ ऋदुपधः

345 शृधुँ॑
उन्दने | उन्दनं क्ले दनम्। उ ३४४ ऋदुपधः

346 मृधुँ॑
उन्दने | उ ३४५ ऋदुपधः

347 गृहूँ॒
ग्रहणे | आ ३४६ ऋदुपधः

348 मुर्वीँ
बन्धने | प ३४७ इक् -पूर्व-रेफोपधः

349 उर्वीँ
हिंसायाम्। प ३४८ इक् -पूर्व-रेफोपधः

350 तुर्वी
हिंसायाम्। प ३४९ इक् -पूर्व-रेफोपधः

351 थुर्वी
हिंसायाम्। प ३५० इक् -पूर्व-रेफोपधः
C D F I J K

352 दुर्वीँ
हिंसायाम्। प ३५१ इक् -पूर्व-रेफोपधः

353 धुर्वीँ
हिंसायाम्। प ३५२ इक् -पूर्व-रेफोपधः

354 गुर्वीँ
उद्यमने | प ३५३ इक् -पूर्व-रेफोपधः

355 हुर्छा
कौटिल्ये | प ३५४ इक् -पूर्व-रेफोपधः

356 मुर्छा
मोहनसमुच्च्राययोः| प ३५५ इक् -पूर्व-रेफोपधः

357 स्फु र्छा


विस्तृतौ | प ३५६ इक् -पूर्व-रेफोपधः

358 उर्दँ॒
माने क्रीडायां च | आ ३५७ इक् -पूर्व-रेफोपधः

359 कु र्द॒
क्रीडायामेव | आ ३५८ इक् -पूर्व-रेफोपधः

360 खुर्द॒
क्रीडायामेव | आ ३५९ इक् -पूर्व-रेफोपधः

361 गुर्द॒
क्रीडायामेव | आ ३६० इक् -पूर्व-रेफोपधः

362 ओखृँ
शोषणालमर्थयोः | प ३६१ इजादिः गुरुमान्

363 एजृँ
कम्पने | प ३६२ इजादिः गुरुमान्

364 ईट
गतौ प ३६३ इजादिः गुरुमान्

365 ओणृँ
अपनयने | प ३६४ इजादिः गुरुमान्

366 ईर्क्ष्यँ
ईर्ष्यायाम्| प ३६५ इजादिः गुरुमान्

367 ईर्ष्यँ
ईर्ष्यायाम्| प ३६६ इजादिः गुरुमान्
C D F I J K

368 उच्छीँ
विवासे | विवासः समाप्तिः । प ३६७ इजादिः गुरुमान्

369 ईषँ
उञ्छे | प ३६८ इजादिः गुरुमान्

370 उक्षँ
सेचने | प ३६९ इजादिः गुरुमान्

371 ऊषँ
रुजायाम् | प ३७० इजादिः गुरुमान्

372 एधँ॒
वृद्धौ| आ ३७१ इजादिः गुरुमान्

373 एजृँ॒
दीप्तौ| आ ३७२ इजादिः गुरुमान्

374 ईज॒
गतिकु त्सनयोः| आ ३७३ इजादिः गुरुमान्

375 एठँ॒
विबाधायाम् | विबाधा शाठ्यम्। आ ३७४ इजादिः गुरुमान्

376 ईक्षँ॒
दर्शने | आ ३७५ इजादिः गुरुमान्

377 ईषँ॒
गतिहिंसादर्शनेषु| आ ३७६ इजादिः गुरुमान्

378 ईहँ॒
चेष्टायाम् | आ ३७७ इजादिः गुरुमान्

379 ऊहँ॒
वितर्के | आ ३७८ इजादिः गुरुमान्

380 एषृँ॒
गतौ| आ ३७९ इजादिः गुरुमान्

381 ऊयीँ॒
तन्तुसन्ताने | आ ३८० इजादिः गुरुमान्

382 इविँ
व्याप्तौ| प ३८१ इदित् इजादिः गुरुमान् ३८०+

383 कु थिँ
हिंसासङ्क्ले शनयोः| प ३८२ इदित्
C D F I J K

384 पुथिँ
हिंसासङ्क्ले शनयोः| प ३८३ इदित्

385 लुथिँ
हिंसासङ्क्ले शनयोः| प ३८४ इदित्

386 मथिँ
हिंसासङ्क्ले शनयोः| प ३८५ इदित्

387 अतिँ
बन्धने | प ३८६ इदित्

388 अदिँ
बन्धने | प ३८७ इदित्

389 इदिँ
परमैश्वर्ये | प ३८८ इदित् इजादिः गुरुमान् ३८०+

390 बिदिँ
अवयवे | प ३८९ इदित्

391 गडिँ
वदनैकदेशे | प ३९० इदित्

392 णिदिँ
कु त्सायाम् | प ३९१ इदित्

393 टुनदिँ
समृद्धौ | प ३९२ इदित्

394 चदिँ
आह्लादे दीप्तौ च | प ३९३ इदित्

395 त्रदिँ
चेष्टायाम् | प ३९४ इदित्

396 कदिँ
आह्वाने रोदने च | प ३९५ इदित्

397 क्रदिँ
आह्वाने रोदने च | प ३९६ इदित्

398 क्लदिँ
आह्वाने रोदने च | प ३९७ इदित्

399 क्लिदिँ
परिदेवने | प ३९८ इदित्
C D F I J K

400 तकिँ
कृ च्छ्र जीवने | प ३९९ इदित्

401 उखिँ
गतौ| प ४०० इदित् इजादिः गुरुमान् ३८०+

402 वखिँ
गतौ| प ४०१ इदित्

403 मखिँ
गतौ| प ४०२ इदित्

404 रखिँ
गतौ| प ४०३ इदित्

405 णखिँ
गतौ| प ४०४ इदित्

406 लखिँ
गतौ| प ४०५ इदित्

407 इखिँ
गतौ| प ४०६ इदित् इजादिः गुरुमान् ३८०+

408 ईखिँ
गतौ| प ४०७ इदित् इजादिः गुरुमान् ३८०+

409 रगिँ
गतौ| प ४०८ इदित्

410 लगिँ
गतौ| प ४०९ इदित्

411 अगिँ
गतौ| प ४१० इदित्

412 वगिँ
गतौ| प ४११ इदित्

413 मगिँ
गतौ| प ४१२ इदित्

414 तगिँ
गतौ| प ४१३ इदित्

415 श्रगिँ
गतौ| प ४१४ इदित्
C D F I J K

416 श्लगिँ
गतौ| प ४१५ इदित्

417 इगिँ
गतौ| प ४१६ इदित् इजादिः गुरुमान् ३८०+

418 रिगिँ
गतौ| प ४१७ इदित्

419 लिगिँ
गतौ| प ४१८ इदित्

420 त्वगिँ
गतौ| कम्पने च । प ४१९ इदित्

421 युगिँ
वर्जने | प ४२० इदित्

422 जुगिँ
वर्जने | प ४२१ इदित्

423 बुगिँ
वर्जने | प ४२२ इदित्

424 मघिँ
मण्डने | प ४२३ इदित्

425 शिघिँ
आघ्राणे| प ४२४ इदित्

426 गुजिँ
अव्यक्ते शब्दे| प ४२५ इदित्

427 लाछि
लक्षणे | प ४२६ इदित्

428 वाछिँ
इच्छायाम् | प ४२७ इदित्

429 आछिँ
आयामे | प ४२८ इदित्

430 उछिँ
उञ्छे । ‘उञ्छः कणश आदानं कणिशाद्यर्जनं शिलम्’ प ४२९ इदित् इजादिः गुरुमान् ३८०+

431 ध्रजिँ
गतौ| प ४३० इदित्
C D F I J K

432 मडिँ
भूषायाम् | प ४३१ इदित्

433 कु डिँ
वैकल्ये | प ४३२ इदित्

434 चुडिँ
अल्पीभावे | प ४३३ इदित्

435 रुटिँ
स्तेये| प ४३४ इदित्

436 लुटिँ
स्तेये| प ४३५ इदित्

437 कु ठिँ च |
गतिप्रतिघाते (प्रतिघाते)| प ४३६ इदित्

438 लुठिँ
आलस्ये प्रतिघाते च| प ४३७ इदित्

439 शुठिँ
शोषणे | प ४३८ इदित्

440 रुठिँ
गतौ| प ४३९ इदित्

441 लुठिँ
गतौ| प ४४० इदित्

442 गडिँ
वदनैकदेशे | प ४४१ इदित्

443 कु बिँ
आच्छादने (छादने)| प ४४२ इदित्

444 लुबिँ
अर्दने | प ४४३ इदित्

445 तुबिँ
अर्दने | प ४४४ इदित्

446 चुबिँ
वक्त्रसंयोगे | प ४४५ इदित्

447 पिविँ
सेचने | सेचने चेत्येके | प ४४६ इदित्
C D F I J K

448 मिविँ
सेचने | सेचने चेत्येके | प ४४७ इदित्

449 णिविँ
सेचने | सेचने चेत्येके | प ४४८ इदित्

450 हिविँ
प्रीणने। प ४४९ इदित्

451 दिविँ
प्रीणने। प ४५० इदित्

452 जिविँ
प्रीणने। प ४५१ इदित्

453 रिविँ
गतौ। प ४५२ इदित्

454 रविँ
गतौ। प ४५३ इदित्

455 धविँ
गतौ। प ४५४ इदित्

456 काक्षिँ
काङ्क्षायाम् | प ४५५ इदित्

457 वाक्षिँ
काङ्क्षायाम् | प ४५६ इदित्

458 माक्षिँ
काङ्क्षायाम् | प ४५७ इदित्

459 द्राक्षिँ
घोरवासिते च| प ४५८ इदित्

460 ध्राक्षिँ
घोरवासिते च| प ४५९ इदित्

461 ध्वाक्षिँ
घोरवासिते च| प ४६० इदित्

462 रहिँ
गतौ| प ४६१ इदित्

463 दृहिँ
वृद्धौ| प ४६२ इदित्
C D F I J K

464 बृहिँ (वृहिँ) बृहिँर् (वृहिँर्)इत्येके |


वृद्धौ| प ४६३ इदित्

465 स्कु दिँ॒


आप्रवणे | आप्रवणमुत्प्लवनमुद्धरणं च आ ४६४ इदित्

466 श्विदिँ॒
श्वैत्ये| आ ४६५ इदित्

467 वदिँ॒
अभिवादनस्तुत्योः | आ ४६६ इदित्

468 भदिँ॒
कल्याणे सुखे च| आ ४६७ इदित्

469 मदिँ॒
स्तुतिमोदमदस्वप्नकान्तिगतिषु| आ ४६८ इदित्

470 स्पदिँ॒
किञ्चिच्चलने | आ ४६९ इदित्

471 क्लिदिँ॒
परिदेवने | शोक इत्यर्थः । आ ४७० इदित्

472 श्रथिँ॒
शैथिल्ये | आ ४७१ इदित्

473 ग्रथिँ॒
कौटिल्ये | आ ४७२ इदित्

474 स्रकिँ॒
गतौ आ ४७३ इदित्

475 श्रकिँ॒
गतौ आ ४७४ इदित्

476 श्लकिँ॒
गतौ आ ४७५ इदित्

477 शकिँ॒
शङ्कायाम् | आ ४७६ इदित्

478 अकिँ॒
लक्षणे | आ ४७७ इदित्

479 वकिँ॒
कौटिल्ये | आ ४७८ इदित्
C D F I J K

480 मकिँ॒
मण्डने | आ ४७९ इदित्

481 ककिँ॒
गतौ आ ४८० इदित्

482 वकिँ॒
गतौ। आ ४८१ इदित्

483 श्वकिँ॒
गतौ आ ४८२ इदित्

484 त्रकिँ॒
गतौ आ ४८३ इदित्

485 रघिँ॒
गतौ आ ४८४ इदित्

486 लघिँ॒
गतौ । भोजननिवृत्तावपि । आ ४८५ इदित्

487 अघिँ॒
गत्याक्षेपे | आक्षेपो निन्दा । गतौ गत्यारम्भे चेत्यपरे | आ ४८६ इदित्

488 वघिँ॒
गत्याक्षेपे | आक्षेपो निन्दा ।गतौगत्यारम्भे चेत्यपरे | आ ४८७ इदित्

489 मघिँ॒
गत्याक्षेपे | आक्षेपो निन्दा । गतौगत्यारम्भे चेत्यपरे | कैआतवे च । ४८८ इदित्

490 श्वचिँ॒
गतौ| आ ४८९ इदित्

491 कचिँ॒
दीप्तिबन्धनयोः| आ ४९० इदित्

492 काचिँ॒
दीप्तिबन्धनयोः| आ ४९१ इदित्

493 मुचिँ॒
कल्कने | कल्कनं दम्भः शाठ्यं च । कथनइत्यन्ये | आ ४९२ इदित्

494 मचिँ॒
धारणोच्छ्रायपूजनेषु| आ ४९३ इदित्

495 पचिँ॒
व्यक्तीकरणे | आ ४९४ इदित्
C D F I J K

496 ऋजिँ॒
भर्जने | आ ४९५ इदित् इजादिः गुरुमान् ३८०+

497 धृजिँ
गतौ| प ४९६ इदित्

498 ध्वजिँ
गतौ| प ४९७ इदित्

499 खजिँ
गतिवैकल्ये | प ४९८ इदित्

500 लजिँ
भर्जने | भर्त्सने इति कौमुदी। प ४९९ इदित्

501 लाजिँ
भर्त्सने च | भर्जने च इति कौमुदी। प ५०० इदित्

502 जजिँ
युद्धे | प ५०१ इदित्

503 तुजिँ
पालने | प ५०२ इदित्

504 गजिँ
शब्दे । प ५०३ इदित्

505 गृजिँ
शब्दे । प ५०४ इदित्

506 मुजिँ
शब्दे । प ५०५ इदित्

507 अठिँ॒
गतौ| आ ५०६ इदित्

508 वठिँ॒
एकचर्यायाम् | आ ५०७ इदित्

509 मठिँ॒
शोके | आ ५०८ इदित्

510 कठिँ॒
शोके | आ ५०९ इदित्

511 मुठिँ॒
पालने | आ ५१० इदित्
C D F I J K

512 हिडिँ॒
गत्यनादरयोः| आ ५११ इदित्

513 हुडिँ॒
सङ्घाते | आ ५१२ इदित्

514 कु डिँ॒
दाहे | आ ५१३ इदित्

515 वडिँ॒
विभाजने | आ ५१४ इदित्

516 मडिँ॒
विभाजने | आ ५१५ इदित्

517 भडिँ॒
परिभाषणे | परिहासः सानन्दोपालम्भश्च परिभाषणम्।आ ५१६ इदित्

518 पिडिँ॒
सङ्घाते | आ ५१७ इदित्

519 मुडिँ॒
मार्जने | मार्जनं शुद्धिः न्यग्भावश्च। आ ५१८ इदित्

520 तुडिँ॒
तोडने | तोडनं दारणं हिंसनं च। आ ५१९ इदित्

521 हुडिँ॒
वरणे | वरणं स्वीकारः। हरण इत्येके | आ ५२० इदित्

522 मुडिँ
खण्डने | प ५२१ इदित्

523 चडिँ॒
कोपे| आ ५२२ इदित्

524 शडिँ॒
रुजायां सङ्घाते च| आ ५२३ इदित्

525 तडिँ॒
ताडने | गतौ इति कौमुदी। आ ५२४ इदित्

526 पडिँ॒
गतौ| आ ५२५ इदित्

527 कडिँ॒
मदे| आ ५२६ इदित्
C D F I J K

528 खडिँ॒
मन्थे | आ ५२७ इदित्

529 कपिँ॒
चलने | आ ५२८ इदित्

530 रबिँ॒
शब्दे| आ ५२९ इदित्

531 लबिँ॒
शब्दे| आ ५३० इदित्

532 अबिँ॒
शब्दे| आ ५३१ इदित्

533 लबिँ॒
अवस्रंसने (च)| आ ५३२ इदित्

534 ष्टभिँ॒
प्रतिबन्धे | आ ५३३ इदित्

535 स्कभिँ॒
प्रतिबन्धे | आ ५३४ इदित्

536 जृभिँ॒
गात्रविनामे | आ ५३५ इदित्

537 रफिँ
गतौ। प ५३६ इदित्

538 घुषिँ॒
कान्तिकरणे | आ ५३७ इदित्

539 घिणिँ॒
ग्रहणे | आ ५३८ इदित्

540 घुणिँ॒
ग्रहणे | आ ५३९ इदित्

541 घृणिँ॒
ग्रहणे | आ ५४० इदित्

542 वहिँ॒
वृद्धौ। आ ५४१ इदित्

543 महिँ॒
वृद्धौ| आ ५४२ इदित्
C D F I J K

544 अहिँ॒
गतौ| आ ५४३ इदित्

545 आङः शसिँ॒


इच्छायाम् | आ ५४४ इदित्

546 मन्थँ
विलोडने | प ५४५ अनिदित्

547 शुन्धँ
शुद्धौ| प ५४६ अनिदित्

548 कु ञ्चँ
कौटिल्याल्पीभावयोः| प ५४७ अनिदित्

549 क्रु ञ्चँ


कौटिल्याल्पीभावयोः| प ५४८ अनिदित्

550 लुञ्चँ
अपनयने | प ५४९ अनिदित्

551 अञ्चुँ
गतिपूजनयोः| प ५५० अनिदित्

552 वञ्चुँ
गतौ| प ५५१ अनिदित्

553 चञ्चुँ
गतौ| प ५५२ अनिदित्

554 तञ्चुँ
गतौ| प ५५३ अनिदित्

555 त्वञ्चुँ
गतौ| प ५५४ अनिदित्

556 म्रुञ्चुँ
गतौ| प ५५५ अनिदित्

557 म्लुञ्चुँ
गतौ| प ५५६ अनिदित्

558 ग्लुञ्चु
गतौ । प ५५७ अनिदित्

559 तुम्पँ
हिंसायाम्। प ५५८ अनिदित्
C D F I J K

560 त्रुम्पँ
हिंसायाम्। प ५५९ अनिदित्

561 तुम्फँ
हिंसायाम्। प ५६० अनिदित्

562 त्रुम्फँ
हिंसायाम्। प ५६१ अनिदित्

563 षृम्भुँ
हिंसायाम्। प ५६२ अनिदित्

564 शुम्भँ
भाषणे | भासन इत्येके | हिंसायामित्यन्ये | प ५६३ अनिदित्

565 हम्मँ
गतौ| प ५६४ अनिदित्

566 शंसुँ
स्तुतौ| दुर्गतावपीत्येके (इतिदुर्गः)| प ५६५ अनिदित्

567 अञ्चुँ॑
गतौ याचने च | उ ५६६ अनिदित्

568 उँबुन्दिँ॑र्
निशामने | निशामनं ज्ञानम्। उ ५६७ अनिदित्

569 स्क॒न्दिँर्
गतिशोषणयोः| प ५६८ अनिदित्

570 श्रम्भुँ॒
प्रमादे | आ ५६९ अनिदित्

571 स्रंसुँ॒ऽ (श्रंसुँ॒ऽ श्रंशुँ॒ऽ)


अवस्रंसने | आ ५७० अनिदित्

572 ध्वंसुँ॒
अवस्रंसने | गतौच | आ ५७१ अनिदित्

573 भ्रंसुँ॒
अवस्रंसने | आ ५७२ अनिदित्

574 स्रम्भुँ॒
विश्वासे | आ ५७३ अनिदित्

575 स्यन्दूँ॒
प्रस्रवणे | आ ५७४ अनिदित्
C D F I J K

576 टुओस्फू र्जाँ


वज्रनिर्घोषे | प ५७५ शेषः

577 ह्लादीँ॒
सुखे च| चादव्यक्ते शब्दे । आ ५७६ शेषः

578 पूयीँ॒
विशरणे दुर्गन्धे च| आ ५७७ शेषः

579 क्नूयीँ॒
शब्द उन्दे च | आ ५७८ शेषः

580 क्ष्मायीँ॒
विधूनने | आ ५७९ शेषः

581 स्फायीँ॒
वृद्धौ| आ ५८० शेषः

582 ओँप्यायीँ॒
वृद्धौ| आ ५८१ शेषः

583 क्षेवुँ
निरसने | प ५८२ शेषः

584 त्वक्षूँ
तनूकरणे | प ५८३ शेषः

585 गाहूँ॒
विलोडने | आ ५८४ शेषः

586 राखृँ
शोषणालमर्थयोः | प ५८५ शेषः

587 लाखृँ
शोषणालमर्थयोः | प ५८६ शेषः

588 द्राखृँ
शोषणालमर्थयोः | प ५८७ शेषः

589 ध्राखृँ
शोषणालमर्थयोः | प ५८८ शेषः

590 खादृँ
भक्षणे | प ५८९ शेषः

591 शाखृँ
व्याप्तौ | प ५९० शेषः
C D F I J K

592 श्लाखृँ
व्याप्तौ | प ५९१ शेषः

593 शौटृँ
गर्वे | प ५९२ शेषः

594 यौटृँ
बन्धे | प ५९३ शेषः

595 म्लेटृँ इत्येके


उन्मादे | प ५९४ शेषः

596 म्रेडृँ
उन्मादे | प ५९५ शेषः

597 क्रीडृँ
विहारे | प ५९६ शेषः

598 हूडृँ
गतौ| प ५९७ शेषः

599 होडृँ
गतौ| प ५९८ शेषः

600 रौडृँ
अनादरे | प ५९९ शेषः

601 रोडृँ
उन्मादे | प ६०० शेषः

602 लोडृँ
उन्मादे | प ६०१ शेषः

603 शोणृँ
वर्णगत्योः | प ६०२ शेषः

604 श्रोणृँ
सङ्घाते | प ६०३ शेषः

605 श्लोणृँ
सङ्घाते | प ६०४ शेषः

606 पैणृँ
गतिप्रेरणश्लेषणेषु| प ६०५ शेषः

607 मीमृँ
गतौ| शब्दे च | प ६०६ शेषः
C D F I J K

608 वेलृँ
चलने | प ६०७ शेषः

609 चेलृँ
चलने | प ६०८ शेषः

610 के लृँ
चलने | प ६०९ शेषः

611 खेलृँ
चलने | प ६१० शेषः

612 क्ष्वेलृँ
चलने | प ६११ शेषः

613 पेलृँ (पल्लँ)


गतौ| प ६१२ शेषः

614 फे लृँ
गतौ| प ६१३ शेषः

615 शेलृँ
गतौ| प ६१४ शेषः

616 खोलृँ
गतिप्रतिघाते | प ६१५ शेषः

617 खोरृँ
गतिप्रतिघाते | प ६१६ शेषः

618 धोरृँ
गतिचातुर्ये | प ६१७ शेषः

619 पेसृँ
गतौ| प ६१८ शेषः

620 लाघृँ॒
सामर्थ्ये | आ ६१९ शेषः

621 द्राघृँ॒
सामर्थ्ये | आयामे च । आयामो दैर्घ्यम् । आ ६२० शेषः

622 श्लाघृँ॒
कत्थने | आ ६२१ शेषः

623 लोचृँ॒
दर्शने | आ ६२२ शेषः
C D F I J K

624 भ्रेजृँ॒
दीप्तौ| आ ६२३ शेषः

625 भ्राजृँ॒
दीप्तौ| आ ६२४ शेषः

626 हेडृँ॒
अनादरे | आ ६२५ शेषः

627 होडृँ॒
अनादरे | आ ६२६ शेषः

628 बाडृँ॒
आप्लाव्ये| आप्लाव्यमाप्लवः। आ ६२७ शेषः

629 द्राडृँ॒
विशरणे | आ ६२८ शेषः

630 ध्राडृँ॒
विशरणे | आ ६२९ शेषः

631 शाडृँ॒
श्लाघायाम् | आ ६३० शेषः

632 तेपृँ॒
क्षरणे कम्पने च | आ ६३१ शेषः

633 ष्टेपृँ॒
क्षरणे आ ६३२ शेषः

634 ग्लेपृँ॒
दैन्ये| आ ६३३ शेषः

635 टुवेपृ॒
कम्पने | आ ६३४ शेषः

636 के पृँ॒
कम्पने | आ ६३५ शेषः

637 गेपृँ॒
कम्पने | आ ६३६ शेषः

638 ग्लेपृँ॒
कम्पने | आ ६३७ शेषः

639 मेपृँ॒
गतौ| आ ६३८ शेषः
C D F I J K

640 रेपृँ॒
गतौ| आ ६३९ शेषः

641 लेपृँ॒
गतौ| आ ६४० शेषः

642 क्लीबृँ॒
अधार्ष्ठ्ये | आ ६४१ शेषः

643 क्षीबृँ॒
मदे| आ ६४२ शेषः

644 शीभृँ॒
कत्थने | आ ६४३ शेषः

645 चीभृँ॒
कत्थने | आ ६४४ शेषः

646 रेभृँ॒
शब्दे| आ ६४५ शेषः

647 तायृँ॒
सन्तानपालनयोः| आ ६४६ शेषः

648 तेवृँ॒
देवने | आ ६४७ शेषः

649 देवृँ॒
देवने | आ ६४८ शेषः

650 षेवृँ॒
सेवने | आ ६४९ शेषः

651 गेवृँ॒
सेवने | आ ६५० शेषः

652 ग्लेवृँ॒
सेवने | आ ६५१ शेषः

653 पेवृँ॒
सेवने | आ ६५२ शेषः

654 मेवृँ॒
सेवने | आ ६५३ शेषः

655 म्लेवृँ॒
सेवने | आ ६५४ शेषः
C D F I J K

656 रेवृँ॒
प्लवगतौ| आ ६५५ शेषः

657 गेषृँ॒
अन्विच्छायाम् | अन्विच्छा अन्वेषणम्। आ ६५६ शेषः

658 पेषृँ॒
प्रयत्ने | आ ६५७ शेषः

659 जेषृँ॒
गतौ| आ ६५८ शेषः

660 णेषृँ॒
गतौ| आ ६५९ शेषः

661 प्रेषृँ॒
गतौ| आ ६६० शेषः

662 रेषृँ॒
अव्यक्ते शब्दे| वृकशब्दे। आ ६६१ शेषः

663 हेषृँ॒
अव्यक्ते शब्दे| अश्वशब्दे। आ ६६२ शेषः

664 ह्रेषृँ॒
अव्यक्ते शब्दे| अश्वशब्दे। आ ६६३ शेषः

665 कासृँ॒
शब्दकु त्सायाम् | आ ६६४ शेषः

666 भासृँ॒
दीप्तौ| आ ६६५ शेषः

667 णासृँ॒
शब्दे| आ ६६६ शेषः

668 रासृँ॒
शब्दे| आ ६६७ शेषः

669 वेहृँ॒ (बेहृँ॒)


प्रयत्ने | आ ६६८ शेषः

670 जेहृँ॒
प्रयत्ने | गतावपि | आ ६६९ शेषः

671 बाहृँ॒ (वाहृँ॒)


प्रयत्ने | आ ६७० शेषः
C D F I J K

672 द्राहृँ॒
निद्राक्षये | निक्षेप इत्येके | आ ६७१ शेषः

673 काशृँ॒
दीप्तौ| आ ६७२ शेषः

674 गाधृँ॒
प्रतिष्ठालिप्सयोर्ग्रन्थे च| आ ६७३ शेषः

675 बाधृँ॒
लोडने (विलोडने)| लोडनं प्रतिघातः । आ ६७४ शेषः

676 नाथृँ॒
याच्ञोपतापैश्वर्याशीष्षु| आ ६७५ शेषः

677 नाधृँ॒
याच्ञोपतापैश्वर्याशीष्षु| आ ६७६ शेषः

678 वेथृँ॒
याचने | आ ६७७ शेषः

679 शीकृँ॒
सेचने | आ ६७८ शेषः

680 लोकृँ॒
दर्शने | आ ६७९ शेषः

681 श्लोकृँ॒
सङ्घाते | सङ्घातो ग्रन्थः । स चेह ग्रथ्यमानस्य व्यापारोआग्रन्थितुर्वा । ६८० शेषः

682 द्रेकृँ॒
शब्दोत्साहयोः| उत्साहो वृद्धिरौद्धत्यं च । आ ६८१ शेषः

683 ध्रेकृँ॒
शब्दोत्साहयोः| उत्साहो वृद्धिरौद्धत्यं च । आ ६८२ शेषः

684 रेकृँ॒
शङ्कायाम् | आ ६८३ शेषः

685 सेकृँ॒
गतौ आ ६८४ शेषः

686 स्रेकृँ॒
गतौ आ ६८५ शेषः

687 टीकृँ॒
गतौ आ ६८६ शेषः
C D F I J K

688 तीकृँ॒
गतौ आ ६८७ शेषः

689 राघृँ॒
सामर्थ्ये | आ ६८८ शेषः

690 ढौकृँ॒
गतौ आ ६८९ शेषः

691 त्रौकृँ॒
गतौ आ ६९० शेषः

692 टुयाचृँ॑
याच्ञायाम् | उ ६९१ शेषः

693 प्रोथृँ॑
पर्याप्तौ | उ ६९२ शेषः

694 मेदृँ॑
मेधाहिंसनयोः| उ ६९३ शेषः

695 मेधृँ॑ इत्यन्ये |


मेधाहिंसनयोः| सङ्गमे च| उ ६९४ शेषः

696 णेदृँ॑
कु त्सासन्निकर्षयोः| उ ६९५ शेषः

697 चीवृँ॑
आदानसंवरणयोः| उ ६९६ शेषः

698 चायृँ॑
पूजानिशामनयोः| उ ६९७ शेषः

699 दाशृँ॑
दाने | उ ६९८ शेषः

700 भेषृँ॑
भये | गतावित्येके | उ ६९९ शेषः

701 भ्रेषृँ॑
गतौ| उ ७०० शेषः

702 भ्लेषृँ॑
गतौ| उ ७०१ शेषः

703 दासृँ॑
दाने | उ ७०२ शेषः
C D F I J K

704 माहृँ॑
माने| उ ७०३ शेषः

705 वेणृँ॑
गतिज्ञानचिन्तानिशामनवादित्रग्रहणेषु| उ ७०४ शेषः

706 स्पर्धँ॒
सङ्घर्षे | आ ७०५ शेषः

707 ह्रादँ॒
अव्यक्ते शब्दे| आ ७०६ शेषः

708 षूदँ॒
क्षरणे | आ ७०७ शेषः

709 स्वादँ॒
आस्वादने | आ ७०८ शेषः

710 पर्दँ॒
कु त्सिते शब्दे| आ ७०९ शेषः

711 कत्थँ॒
श्लाघायाम् | आ ७१० शेषः

712 स्वर्दँ॒
आस्वादने | आ ७११ शेषः

713 अर्दँ
गतौ याचने च | प ७१२ शेषः

714 गर्दँ
शब्दे| प ७१३ शेषः

715 तर्दँ
हिंसायाम् | प ७१४ शेषः

716 कर्दँ
कु त्सिते शब्दे| कु त्सिते कौक्षे । प ७१५ शेषः

717 खर्दँ
दन्दशूके | दंशनहिंसादिरूपायां दन्दशूकक्रियायामित्यर्थः
प । ७१६ शेषः

718 ष्वस्कँ॒ (ष्वष्कँ॒)


गतौ आ ७१७ शेषः

719 वस्कँ॒ (वष्कँ॒)


गतौ आ ७१८ शेषः
C D F I J K

720 मस्कँ॒ (मष्कँ॒)


गतौ आ ७१९ शेषः

721 फक्कँ
नीचैर्गतौ | नीचैर्गतिर्मन्दगमनम् असद्व्यवहारश्च । प ७२० शेषः

722 बुक्कँ
भषणे | भषणं श्वरवः । प ७२१ शेषः

723 वल्गँ
गतौ| प ७२२ शेषः

724 वर्चँ॒
दीप्तौ| आ ७२३ शेषः

725 अर्चँ
पूजायाम् | प ७२४ शेषः

726 लछ
लक्षणे | प ७२५ शेषः

727 ह्रीछ
लज्जायाम् | प ७२६ शेषः

728 म्लेच्छ
अव्यक्ते शब्दे| अस्फु टेऽपशब्दे चेत्यर्थः । प ७२७ शेषः

729 युच्छँ
प्रमादे | प ७२८ शेषः

730 कू जँ
अव्यक्ते शब्दे| प ७२९ शेषः

731 अर्जँ
अर्जने | प ७३० शेषः

732 सर्जँ
अर्जने। प ७३१ शेषः

733 गर्जँ
शब्दे| प ७३२ शेषः

734 तर्जँ
भर्त्सने | प ७३३ शेषः

735 कर्जँ
व्यथने | प ७३४ शेषः
C D F I J K

736 खर्जँ
पूजने च | प ७३५ शेषः

737 तेजँ
पालने | प ७३६ शेषः

738 क्षीजँ
अव्यक्ते शब्दे| प ७३७ शेषः

739 लाजँ
भर्त्सने च | भर्जने च इति कौमुदी। प ७३८ शेषः

740 अट्टँ॒
अतिक्रमणहिंसनयोः(अतिक्रमहिंसयोः)| आ ७३९ शेषः

741 वेष्टँ॒
वेष्टने | आ ७४० शेषः

742 चेष्टँ॒
चेष्टायाम् | आ ७४१ शेषः

743 गोष्टँ॒
सङ्घाते | आ ७४२ शेषः

744 लोष्टँ॒
सङ्घाते | आ ७४३ शेषः

745 घट्टँ॒
चलने | आ ७४४ शेषः

746 हेठँ॒
विबाधायाम् | विबाधा शाठ्यम्। आ ७४५ शेषः

747 चुड्डँ (चुद्डँ)


भावकरणे | प ७४६ शेषः

748 अड्डँ (अद्डँ)


अभियोगे | प ७४७ शेषः

749 कड्डँ (कद्डँ)


कार्क श्ये | प ७४८ शेषः

750 हर्यँ
गतिकान्त्योः | प ७४९ शेषः

751 शल्भँ॒
कत्थने | आ ७५० शेषः
C D F I J K

752 वल्भँ॒
भोजने | आ ७५१ शेषः

753 गल्भँ॒
धार्ष्ट्ये| आ ७५२ शेषः

754 जल्पँ
व्यक्तायां वाचि | प ७५३ शेषः

755 पर्पँ
गतौ। प ७५४ शेषः

756 अर्बँ
गतौ। प ७५५ शेषः

757 पर्बँ
गतौ। प ७५६ शेषः

758 लर्बँ
गतौ। प ७५७ शेषः

759 बर्बँ
गतौ। प ७५८ शेषः

760 भर्बँ
गतौ। प ७५९ शेषः

761 कर्बँ
गतौ। प ७६० शेषः

762 खर्बँ
गतौ। प ७६१ शेषः

763 गर्बँ
गतौ। प ७६२ शेषः

764 शर्बँ
गतौ। प ७६३ शेषः

765 षर्बँ
गतौ। प ७६४ शेषः

766 चर्बँ
गतौ। अदने च | प ७६५ शेषः

767 घूर्णँ॒
भ्रमणे | आ ७६६ शेषः
C D F I J K

768 भामँ॒
क्रोधे| आ ७६७ शेषः

769 वल्लँ॒
संवरणे सञ्चलने च | आ ७६८ शेषः

770 मल्लँ॒
धारणे | आ ७६९ शेषः

771 भल्लँ॒
परिभाषणहिंसादानेषु| आ ७७० शेषः

772 वल्लँ॒
अव्यक्ते शब्दे| अशब्द इत्येके | अशब्दस्तूष्णींभावः। आ ७७१ शेषः

773 मव्यँ
बन्धने | प ७७२ शेषः

774 षूर्क्ष्यँ (सूर्क्ष्यँ)


ईर्ष्यायाम्| प ७७३ शेषः

775 शुच्यँ
अभिषवे | अवयवानां शिथिलीकरणं सुरायाः सन्धानं पवा अभिषवः, स्नानं च। ७७४ शेषः

776 मीलँ
निमेषणे | निमेषणं संकोचः। प ७७५ शेषः

777 श्मीलँ
निमेषणे | प ७७६ शेषः

778 स्मीलँ
निमेषणे | प ७७७ शेषः

779 क्ष्मीलँ
निमेषणे | प ७७८ शेषः

780 पीलँ
प्रतिष्टम्भे। प्रतिष्टम्भो रोधनम्। प ७७९ शेषः

781 णीलँ
वर्णे| प ७८० शेषः

782 शीलँ
समाधौ | प ७८१ शेषः

783 कीलँ
बन्धने | प ७८२ शेषः
C D F I J K

784 कू लँ
आवरणे | प ७८३ शेषः

785 शूलँ
रुजायां सङ्घाते च| संघोषे च इति कौमुदी। प ७८४ शेषः

786 तूलँ
निष्कर्षे | निष्कर्षो निष्कोषणम्। प ७८५ शेषः

787 पूलँ
सङ्घाते | प ७८६ शेषः

788 मूलँ
प्रतिष्ठायाम् | प ७८७ शेषः

789 चुल्लँ
भावकरणे | भावकरणम् अभिप्रायाविष्कारः। प ७८८ शेषः

790 फु ल्लँ
विकसने | प ७८९ शेषः

791 चिल्लँ
शैथिल्ये भावकरणे च| प ७९० शेषः

792 वेल्लँ
चलने | प ७९१ शेषः

793 खल्ल
आशुगमने | प ७९२ शेषः

794 अभ्रँ
गतौ प ७९३ शेषः

795 वभ्रँ (बभ्रँ)


गतौ प ७९४ शेषः

796 मभ्रँ
गतौ प ७९५ शेषः

797 जीवँ
प्राणधारणे | प ७९६ शेषः

798 पीवँ
स्थौल्ये| प ७९७ शेषः

799 मीवँ
स्थौल्ये| प ७९८ शेषः
C D F I J K

800 तीवँ
स्थौल्ये| प ७९९ शेषः

801 णीवँ
स्थौल्ये| प ८०० शेषः

802 पुर्वँ (पूर्वँऽ)


पूरणे | प ८०१ शेषः

803 पर्वँ
पूरणे | प ८०२ शेषः

804 मर्वँ
पूरणे | प ८०३ शेषः

805 चर्वँ
अदने | प ८०४ शेषः

806 भर्वँ
हिंसायाम् | प ८०५ शेषः

807 कर्वँ
दर्पे| प ८०६ शेषः

808 खर्वँ
दर्पे| प ८०७ शेषः

809 गर्वँ
दर्पे| प ८०८ शेषः

810 अर्वँ
हिंसायाम् | प ८०९ शेषः

811 शर्वँ
हिंसायाम् | प ८१० शेषः

812 षर्वँ
हिंसायाम् | प ८११ शेषः

813 धावुँ॑
गतिशुद्ध्योः | उ ८१२ शेषः

814 धुक्षँ॒
सन्दीपनक्ले शनजीवनेषु| आ ८१३ शेषः

815 धिक्षँ॒
सन्दीपनक्ले शनजीवनेषु| आ ८१४ शेषः
C D F I J K

816 वृक्षँ॒
वरणे | आ ८१५ शेषः

817 शिक्षँ॒
विद्योपादाने | आ ८१६ शेषः

818 भिक्षँ॒
भिक्षायामलाभे लाभे च| आ ८१७ शेषः

819 क्ले शँ॒


अव्यक्तायां वाचि | बाधन इत्यन्ये (इति दुर्गः)| आ ८१८ शेषः

820 दक्षँ॒
वृद्धौ शीघ्रार्थे च | आ ८१९ शेषः

821 दीक्षँ॒
मौण्ड्येज्योपनयननियमव्रतादेशेषु| आ ८२० शेषः

822 भाषँ॒
व्यक्तायां वाचि | आ ८२१ शेषः

823 वर्षँ॒
स्नेहने | आ ८२२ शेषः

824 गर्हँ॒
कु त्सायाम् | आ ८२३ शेषः

825 गल्हँ॒
कु त्सायाम् | आ ८२४ शेषः

826 बर्हँ॒
प्राधान्ये | आ ८२५ शेषः

827 बल्हँ॒
प्राधान्ये | आ ८२६ शेषः

828 वर्हँ॒
परिभाषणहिंसाच्छादनेषु| आ ८२७ शेषः

829 वल्हँ॒
परिभाषणहिंसाच्छादनेषु| आ ८२८ शेषः

830 रक्षँ
पालने | प ८२९ शेषः

831 णिक्षँ
चुम्बने | प ८३० शेषः
C D F I J K

832 त्रक्षँ
गतौ| प ८३१ शेषः

833 ष्ट्रक्षँ
गतौ| प ८३२ शेषः

834 णक्षँ
गतौ| प ८३३ शेषः

835 वक्षँ
रोषे| सङ्घात इत्येके | प ८३४ शेषः

836 मृक्षँ
सङ्घाते | प ८३५ शेषः

837 तक्षँ
त्वचने | त्वचनं संवरणं त्वचो ग्रहणं च। प ८३६ शेषः

838 सूर्क्षँ
आदरे | प ८३७ शेषः

839 चूषँ
पाने| प ८३८ शेषः

840 तूषँ
तुष्टौ| प ८३९ शेषः

841 पूषँ
वृद्धौ| प ८४० शेषः

842 मूषँ
स्तेये| प ८४१ शेषः

843 लूषँ
भूषायाम् | प ८४२ शेषः

844 रूषँ
भूषायाम् | प ८४३ शेषः

845 शूषँ
प्रसवे | प्रसवः अभ्यनुज्ञानम्। प ८४४ शेषः

846 यूषँ
हिंसायाम् | प ८४५ शेषः

847 जूषँ
हिंसायाम् | प ८४६ शेषः
C D F I J K

848 भूषँ
अलङ्कारे | प ८४७ शेषः

849 जर्त्सँऽ (जर्जँऽ जर्चँऽ)


परिभाषणहिंसातर्जनेषु| प ८४८ शेषः

850 चर्चँ
परिभाषणहिंसातर्जनेषु| प ८४९ शेषः

851 झर्त्सँ (झर्झँ झर्जँ)


परिभाषणहिंसातर्जनेषु| प ८५० शेषः

852 अर्हँ
पूजायाम् | प ८५१ शेषः

853 हिक्कँ॑
अव्यक्ते शब्दे| उ ८५२ शेषः

854 रेटृँ॑
परिभाषणे | उ ८५३ शेषः

855 भ्रक्षँ॑
अदने | उ ८५४ शेषः

856 भ्लक्षँ॑
अदने | उ ८५५ शेषः

857 द्युतँ॒
दीप्तौ| आ ८५६ उदुपधः

858 रुचँ॒
दीप्तावभिप्रीतौ च | आ ८५७ उदुपधः

859 घुटँ॒
परिवर्तने | आ ८५८ उदुपधः

860 रुटँ॒
उपघाते (प्रतिघाते)| आ ८५९ उदुपधः

861 लुटँ॒
उपघाते (प्रतिघाते)| आ ८६० उदुपधः

862 लुठँ॒
उपघाते (प्रतिघाते)| आ ८६१ उदुपधः

863 शुभँ॒
दीप्तौ| आ ८६२ उदुपधः
C D F I J K

864 क्षुभँ॒
सञ्चलने | आ ८६३ उदुपधः

865 तुभँ॒
हिंसायाम् | आ ८६४ उदुपधः

866 णभँ॒
हिंसायाम् | अभावेऽपि| आ ८६५ अदुपधः

867 शृधुँ॒
शब्दकु त्सायाम् | आ ८६६ ऋदुपधः

868 श्विताँ
वर्णे| प ८६७ इदुपधः

869 ञिमिदाँ॒
स्नेहने | आ ८६८ इदुपधः

870 ञिष्विदाँ॒
स्नेहनमोचनयोः(गात्रप्रस्रवणे)| स्नेहनमोहनयोरित्येके |आ ८६९ इदुपधः

871 कखेँ
हसने | प ८७० अदुपधः

872 रगेँ
शङ्कायाम् | प ८७१ अदुपधः

873 लगेँ
सङ्गे| प ८७२ अदुपधः

874 ह्वगेँ
संवरणे। प ८७३ अदुपधः

875 ह्लगेँ
संवरणे | प ८७४ अदुपधः

876 षगेँ
संवरणे | प ८७५ अदुपधः

877 ष्टगेँ
संवरणे | प ८७६ अदुपधः

878 कगेँ
नोच्यते | क्रियासामान्यार्थत्वात् | अनेकार्थत्वादित्यन्येप | ८७७ अदुपधः

879 घटँ॒
चेष्टायाम् | आ ८७८ अदुपधः
C D F I J K

880 व्यथँ॒
भयसञ्चलनयोः| आ ८७९ अदुपधः

881 प्रथँ॒
प्रख्याने| आ ८८० अदुपधः

882 प्रसँ॒
विस्तारे | आ ८८१ अदुपधः

883 म्रदँ॒
मर्दने | आ ८८२ अदुपधः

884 स्खदँ॒
स्खदने | स्खदनं विद्रावणम्। आ ८८३ अदुपधः

885 हेडँ
वेष्टने | प ८८४ अदुपधः

886 क्रपँ॒ इत्येके |


कृ पायां गतौ च | आ ८८५ अदुपधः

887 ञित्वराँ॒
सम्भ्रमे | आ ८८६ अदुपधः

888 ज्वरँ
रोगे| प ८८७ अदुपधः

889 गडँ
सेचने | प ८८८ अदुपधः

890 नटँ
परिभाषणे | प ८८९ अदुपधः

891 भटँ
परिभाषणे | प ८९० अदुपधः

892 णटँ
नृत्तौ| नतावित्येके | गतावित्यन्ये |नृत्तं नृत्यं चार्थ इति पकौमुदी। पदार्थाभिनयो नृत्यम्। गात्रविक्षेपमात्रं
८९१ अदुपधः नृत्तम्।

893 चकँ
तृप्तौ| प ८९२ अदुपधः

894 अकँ
कु टिलायां गतौ| प ८९३ अदुपधः

895 अगँ
कु टिलायां गतौ| प ८९४ अदुपधः
C D F I J K

896 कणँ
गतौ| प ८९५ अदुपधः

897 रणँ
गतौ| प ८९६ अदुपधः

898 चणँ
दाने च| प ८९७ अदुपधः

899 शणँ
दाने च| गतावित्यन्ये | प ८९८ अदुपधः

900 श्रणँ
दाने च| प ८९९ अदुपधः

901 श्रथँ
हिंसायाम्। प ९०० अदुपधः

902 श्लथँ
हिंसायाम्। प ९०१ अदुपधः

903 क्रथँ
हिंसायाम्। प ९०२ अदुपधः

904 क्लथँ
हिंसायाम्। प ९०३ अदुपधः

905 वनँ
हिंसायाम्। प ९०४ अदुपधः

906 ज्वलँ
दीप्तौ| प ९०५ अदुपधः

907 ह्वलँ
सञ्चलने (चलने)| प ९०६ अदुपधः

908 ह्मलँ
सञ्चलने (चलने)| प ९०७ अदुपधः

909 षृक
प्रतिघाते (प्रतीघाते)| प ९०८ ऋदुपधः

910 दक्षँ॒
गतिहिंसनयोः(गतिशासनयोः)(वृद्धौशीघ्रार्थे च)| आ ९०९ शेषः

911 क्षजिँ॒
गतिदानयोः| आ ९१० इदित्
C D F I J K

912 कदिँ॒
वैक्लव्ये | वैकल्य इत्येके | आ ९११ इदित्

913 क्रदिँ॒
वैक्लव्ये | वैकल्य इत्येके | आ ९१२ इदित्

914 क्लदिँ॒
वैक्लव्ये | वैकल्य इत्येके | आ ९१३ इदित्

915 स्मृ
आध्याने| आध्यानमुत्कण्ठापूर्वकं स्मरणम्। प ९१४ ऋकारान्तः

916 ध्वनँ
शब्दे। प ९१५ अदुपधः

917 स्वनँ
अवतंसने | अवतंसनं कर्णभूषणीकरणम्। प ९१६ अदुपधः

918 चलँ
कम्पने प ९१७ अदुपधः

919 लडँ
जिह्वोन्मथन॥ उन्मथनं क्षोभणम्। प ९१८ अदुपधः

920 यमँ
अपरिवेषणे प ९१९ अदुपधः

921 मदीँ
हर्षग्लेपनयोः। ग्लेपनं दैन्यम्। प ९२० अन्यगणस्य धातुः

922 शमँ
दर्शने प ९२१ अन्यगणस्य धातुः

923 स्खदिर्
अवपरिभ्यां च प ९२२ अदुपधः

924 नॄ
नये | प ९२३ अन्यगणस्य धातुः

925 दॄ
भये | प ९२४ अन्यगणस्य धातुः

926 श्रा
पाके | प ९२५ अन्यगणस्य धातुः

927 ज्ञा
प ||
मारणतोषणनिशामनेषु। मारणतोषणनिशानेष्विति पाठान्तरम् ९२६ अन्यगणस्य धातुः
C D F I J K

928 छदिर्
ऊर्जने प ९२७ अन्यगणस्य धातुः

929 फणँ
गतौ(गतिदीप्त्योः)| प ९२८ अदुपधः

930 स्वनँ
शब्दे| प ९२९ अदुपधः

931 ध्वनँ
शब्दे| प ९३० अदुपधः

932 स्यमुँ
शब्दे| प ९३१ अदुपधः

933 राजृँ॑
दीप्तौ| उ ९३२ शेषः

934 टुभ्राजृँ॒
दीप्तौ| आ ९३३ शेषः

935 टुभ्राशृँ॒
दीप्तौ| आ ९३४ शेषः विकारी धातुः

936 टुभ्लाशृँ॒
दीप्तौ| आ ९३५ शेषः विकारी धातुः

937 ज्वलँ
दीप्तौ| प ९३६ अदुपधः

938 चलँ
कम्पने | प ९३७ अदुपधः

939 जलँ
घातने | प ९३८ अदुपधः

940 टलँ
वैकल्ये | प ९३९ अदुपधः

941 ट्वलँ
वैकल्ये | प ९४० अदुपधः

942 ष्ठलँ
स्थाने| प ९४१ अदुपधः

943 हलँ
विलेखने | प ९४२ अदुपधः
C D F I J K

944 णलँ
गन्धे | बन्धन इत्येके | प ९४३ अदुपधः

945 पलँ
गतौ| प ९४४ अदुपधः

946 बलँ
प्राणने धान्यावरोधे च(धान्यावरोधने च)| प ९४५ अदुपधः

947 शलँ
गतौ| प ९४६ अदुपधः

948 क्षरँ
सञ्चलने | प ९४७ अदुपधः

949 षहँ॒
मर्षणे | आ ९४८ अदुपधः

950 कसँ
गतौ| प ९४९ अदुपधः

951 टुवमँ
उद्गिरणे | प ९५० अदुपधः

952 र॒मुँ॒
क्रीडायाम् | आ ९५१ अदुपधः

953 पतॢँ
गतौ| प ९५२ अदुपधः

954 क्वथेँ
निष्पाके | प ९५३ अदुपधः

955 पथेँ
गतौ| प ९५४ अदुपधः

956 मथेँ
विलोडने | प ९५५ अदुपधः

957 पुलँ
महत्त्वे | प ९५६ उदुपधः

958 कु लँ
संस्त्याने बन्धुषु च | संस्त्यानं संघातः। बन्धुशब्देन तद्व्यापारो
प गृह्यते। ९५७ उदुपधः

959 हुलँ
गतौ| प ९५८ उदुपधः
C D F I J K

960 क्रु॒शँ
आह्वानेरोदने च | प ९५९ उदुपधः

961 कु चँ
सम्पर्चनकौटिल्यप्रतिष्टम्भविलेखनेषु| प ९६० उदुपधः

962 बुधँ
अवगमने | प ९६१ उदुपधः

963 रु॒हँ
बीजजन्मनि प्रादुर्भावे च| प ९६२ उदुपधः

964 य॒जँ॑
देवपूजासङ्गतिकरणदानेषु| उ ९६३ अदुपधः

965 डु व॒पँ॑(टुव॒पँ॑)
बीजसन्ताने | बीजसन्तानं क्षेत्रे विकिरणं गर्भाधानं च। उछेदनेऽपि | ९६४ अदुपधः

966 व॒हँ॑
प्रापणे | उ ९६५ अदुपधः

967 व॒सँ
निवासे | उ ९६६ अदुपधः

968 वदँ
व्यक्तायां वाचि | प ९६७ अदुपधः

969 पा॒
पाने| प ९६८ आकारान्तः विकारी धातुः

970 घ्रा॒
गन्धोपादाने (घ्राणे)| प ९६९ आकारान्तः विकारी धातुः

971 ध्मा॒
शब्दाग्निसंयोगयोः| प ९७० आकारान्तः विकारी धातुः

972 ष्ठा॒
गतिनिवृत्तौ | प ९७१ आकारान्तः विकारी धातुः

973 म्ना॒
अभ्यासे | प ९७२ आकारान्तः विकारी धातुः

974 दा॒ण्
दाने | प ९७३ आकारान्तः विकारी धातुः

975 दृ॒शिँर्
प्रेक्षणे | प ९७४ ऋदुपधः विकारी धातुः
C D F I J K

976 ऋ॒
गतिप्रापणयोः| प ९७५ ऋकारान्तः विकारी धातुः

977 सृ॒
गतौ| प ९७६ ऋकारान्तः विकारी धातुः

978 श॒दॢँ॒
शातने | आ ९७७ अदुपधः विकारी धातुः

979 ष॒दॢँ
विशरणगत्यवसादनेषु| प ९७८ अदुपधः विकारी धातुः

980 गुपूँ
रक्षणे | प ९७९ विकारी धातुः

981 धूपँ
सन्तापे | प ९८० विकारी धातुः

982 पणँ॒
व्यवहारे स्तुतौ च | आ ९८१ विकारी धातुः

983 पनँ॒
स्तुतौ | आ ९८२ विकारी धातुः

984 भ्रमुँ
चलने | प ९८३ अदुपधः विकारी धातुः

985 क्रमुँ
पादविक्षेपे | प ९८४ अदुपधः विकारी धातुः

986 लषँ॑
कान्तौ| उ ९८५ अदुपधः विकारी धातुः

987 य॒मँ
उपरमे | प ९८६ अदुपधः विकारी धातुः

988 गुहूँ॑
संवरणे | उ ९८७ उदुपधः विकारी धातुः

989 गुपँ॒
गोपने | आ ९८८ विकारी धातुः

990 तिजँ॒
निशाने| आ ९८९ विकारी धातुः

991 कितँ
निवासे रोगापनयने च| प ९९० विकारी धातुः
C D F I J K

992 मानँ॒
पूजायाम् | आ ९९१ विकारी धातुः

993 बधँ॒
बन्धने | आ ९९२ विकारी धातुः

994 दानँ॑
खण्डने (अवखण्डने)| उ ९९३ विकारी धातुः

995 शानँ॑
तेजने (अवतेजने)| उ ९९४ विकारी धातुः

996 दं॒शँ
दशने | प ९९५ अनिदित् विकारी धातुः

997 ष्व॒ञ्जँ॒
परिष्वङ्गे | आ ९९६ अनिदित् विकारी धातुः

998 ष॒ञ्जँ
सङ्गे| प ९९७ अनिदित् विकारी धातुः

999 र॒ञ्जँ॑
रागे | उ ९९८ अनिदित् विकारी धातुः

1000 धिविँ
प्रीणने। प ९९९ इदित् विकारी धातुः

1001 कृ विँ
हिंसाकरणयोश्च | प १००० इदित् विकारी धातुः

1002 श्रु॒
श्रवणे | प १००१ विकारी धातुः

1003 अक्षूँ
व्याप्तौ| प १००२ विकारी धातुः

1004 तक्षूँ
तनूकरणे | प १००३ विकारी धातुः

1005 कृ पूँ॒
सामर्थ्ये | आ १००४ विकारी धातुः

1006 ष्ठिवुँ
निरसने | प १००५ विकारी धातुः

1007 चमुँ
अदने | प १००६ विकारी धातुः
C D F I J K

1008 षस्जँ
गतौ| प १००७ विकारी धातुः

1009 कमुँ॒
कान्तौ| आ १००८ विकारी धातुः

1010 जभीँ॒
गात्रविनामे | आ १००९ विकारी धातुः

1011 गा॒ङ्
गतौ| आ १०१० आकारान्तः विकारी धातुः

1012 णटँ
नृतौ| नाट्यमित्यर्थः। वाक्यार्थाभिनयो नाट्यम्। प [१०६] अदुपधः

1013 ध्रणँ
शब्दे| प [१३५] अदुपधः

1014 णसेँ॒
कौटिल्ये | आ [२१६] अदुपधः

1015 बिटँ
आक्रोशे | प [२४९] इदुपधः

1016 द्वृ॒
संवरणे (वरणे)| प [२९] ऋकारान्तः

1017 ह्रसँ
शब्दे| प [३३३] अदुपधः

1018 इटँ
गतौ| प [३६३] इदुपधः

1019 प्यै॒ङ्
वृद्धौ| आ [६३] एजन्तः

1020 षर्जँ
अर्जने | प [७३१] शेषः

1021 मर्बँ
गतौ। प [७५९] शेषः

1022 कल्लँ॒
अव्यक्ते शब्दे| अशब्द इत्येके | अशब्दस्तूष्णींभावः। आ [७७१] शेषः

1023 नर्दँ
शब्दे| प [७८] शेषः
C D F I J K

1024 फू ल
सङ्घाते | प [७८६] शेषः

1025 श्वल्लँ
आशुगमने | प [७९२] शेषः

1026 वखँ
गतौ| प [८०] अदुपधः

1027 प्लक्षँ॑
अदने | उ [८५५] अदुपधः

1028 ह्रगेँ
संवरणे | प [८७३] अदुपधः

1029 वटँ
परिभाषणे | प [८८९] अदुपधः

1030 ष्टकँ
प्रतिघाते (प्रतीघाते)| प [९०८] अदुपधः

1031 ललँ इत्येके


ईप्सायाम् प ११७ पा. अदुपधः

1032 कडिँ इत्येके ||


मदे| प ११८ पा. इदित्

1033 खु॒ङ्
शब्दे| आ १९ पा. उकारान्तः

1034 गु॒ङ्
शब्दे| आ १९ पा. उकारान्तः

1035 लयँ॒
गतौ| आ २१० पा. अदुपधः

1036 अषँ॑ इत्येके |


गतिदीप्त्यादानेषु| उ २२६ पा. अदुपधः

1037 लिखँ (पा.)


प २४३ पा. इदुपधः

1038 हिटँ इत्येके |


आक्रोशे | प २४९ पा. इदुपधः

1039 श्च्युतिँर्
क्षरणे | प २७८ पा. उदुपधः
C D F I J K

1040 भिदिँ इत्येके |


अवयवे | प ३८९ पा. इदित्

1041 दघिँ
पालने | प ४२२ पा. इदित्

1042 लघिँ
शोषणे (भाषायां दीप्तौ सीमातिक्रमे च)| प ४२२ पा. इदित्

1043 रुठिँ इत्येके |


स्तेये| प ४३५ पा. इदित्

1044 रुडिँ इत्यपरे |


स्तेये| प ४३५ पा. इदित्

1045 लुठिँ इत्येके |


स्तेये| प ४३५ पा. इदित्

1046 लुडिँ इत्यपरे |


स्तेये| प ४३५ पा. इदित्

1047 शचि॒
गतौ। आ ४८९ पा. इदित्

1048 ध्रिजँ (पा.)


गतौ| प ४९७ पा. इदित्

1049 षिभुँ इत्येके |


हिंसायाम्। प ५६२ पा. अनिदित्

1050 षिम्भुँ इत्येके |


हिंसायाम्। प ५६२ पा. अनिदित्

1051 स्रै॒ इति के षुचित्पाठः |


पाके | प ५७ पा. एजन्तः

1052 षेलृँ इत्येके |


गतौ| प ६१४ पा. शेषः

1053 के वृँ॒ इत्यप्येके |


सेवने | आ ६५४ पा. शेषः

1054 शेवृँ॒ इत्यप्येके |


सेवने | आ ६५४ पा. शेषः

1055 ग्लेषृँ॒ इत्येके |


अन्विच्छायाम् | आ ६५६ पा. शेषः
C D F I J K

1056 एषृँ॒ इत्येके |


प्रयत्ने | आ ६५७ पा. शेषः

1057 येषृँ॒ इत्यन्ये |


प्रयत्ने | आ ६५७ पा. शेषः

1058 चुच्यँ इत्येके |


अभिषवे | प ७७४ पा. शेषः

1059 पक्षँ इत्येके ।


परिग्रहे| प ८३६ पा. शेषः

1060 षर्क्षँ इति के चित् |


आदरे | प ८३७ पा. शेषः

1061 अचिँ॑ इत्यपरे |


गतौ याचने च | उ इदित्

1062 अचुँ॑ इत्येके |


गतौ याचने च | उ अदुपधः

1063 अभिँ॒
शब्दे| आ इदित्

1064 अमि

1065 अयँ॑ (पा.)


गतौ| उ अदुपधः

1066 अर्घँ (पा.)


मूल्ये| प शेषः

1067 इ
गतौ। प इकारान्तः

1068 ई
गतौ। प ईकारान्तः

1069 ईखँ
गतौ| प इजादिः गुरुमान्

1070 ईजिँ॒ इत्येके |


आ इदित्

1071 उठँ॒
उपघाते (प्रतिघाते)| आ उदुपधः
C D F I J K

1072 ऊठँ
उपघाते | प शेषः

1073 कजँ
मदे इत्येके | प अदुपधः

1074 कदँ॒ इत्यन्ये ||


वैक्लव्ये | वैकल्य इत्येके | आ अदुपधः

1075 कपँ॒ इत्यन्ये |


कृ पायां गतौ च | आ अदुपधः

1076 कु जिँ
अव्यक्ते शब्दे| प इदित्

1077 कु टिँ इत्येके |


वैकल्ये | प इदित्

1078 कृ॒ञ् (पा.)


करणे | उ ऋकारान्तः

1079 कृ पँ॒
कृ पायां गतौ च | आ ऋदुपधः

1080 क्नथँ
हिंसायाम्। प अदुपधः

1081 क्नसुँ
प अन्यगणस्य धातुः

1082 क्रदँ॒ इत्यन्ये ||


वैक्लव्ये | वैकल्य इत्येके | आ अदुपधः

1083 क्लदँ॒ इत्यन्ये ||


वैक्लव्ये | वैकल्य इत्येके | आ अदुपधः

1084 क्लु॒ङ् इत्येके |


गतौ| आ उकारान्तः

1085 क्षीवृँ॒ इत्येके |


मदे| आ शेषः

1086 क्षुरँ
सञ्चये | प उदुपधः

1087 क्षै
शब्दे प एजन्तः
C D F I J K

1088 खेवृँ॒ इत्यप्येके |


सेवने | आ शेषः

1089 गुजँ
अव्यक्ते शब्दे| प उदुपधः

1090 ग्ला
प आकारान्तः

1091 ग्लुञ्चँ
गतौ । प अनिदित्

1092 घग्घँ इत्येके |


हसने | प शेषः

1093 घषँ॒ इति के चित् |


कान्तिकरणे | आ अदुपधः

1094 चटेँ इत्येके


वर्षावरणयोः| प अदुपधः

1095 चनँ
हिंसायाम्। प अदुपधः

1096 चमँ

1097 चीबृँ॑ इत्येके |


आदानसंवरणयोः| उ शेषः

1098 जनीँ
प्रादुर्भावे। प अन्यगणस्य धातुः

1099 जिमुँ इति के चित् |


अदने | प इदुपधः

1100 जु॒ (सौत्रः धातुः)


गतौ। प इकारान्तः

1101 जु॒ङ्
गतौ| आ अन्यगणस्य धातुः

1102 जॄष्
वयोहानौ। प अन्यगणस्य धातुः

1103 ज्युतिँर्
भासने | प उदुपधः
C D F I J K

1104 ज्वलँ
प अदुपधः

1105 ञिक्ष्विदाँ॒ चेत्येके |


स्नेहनमोचनयोः(गात्रप्रस्रवणे)| स्नेहनमोहनयोरित्येके |आ इदुपधः

1106 णिषुँ
सेचने | प इदुपधः

1107 तसिँ
अलङ्कारे | प इदित्

1108 तिल्लँ इत्येके |


गतौ| प शेषः

1109 तूडृँ इत्येके |


तोडने | प शेषः

1110 तृक्षँ
गतौ| प शेषः

1111 त्रखँ (पा.)


प अदुपधः

1112 त्रगिँ
गतौ| प इदित्

1113 त्रपूष्
शब्दे प अदुपधः

1114 त्रिखिँ (पा.)


प इदित्

1115 थकिँ (पा.)


प इदित्

1116 दलँ
विशरणे प अदुपधः

1117 धणँ इत्यपि के चित् |


शब्दे। प अदुपधः

1118 धेपृँ॒
गतौ| आ शेषः

1119 ध्माक्षिँ इत्येके |


घोरवासिते च| प इदित्
C D F I J K

1120 ध्राघृँ॒ इत्यपि के चित् |


सामर्थ्ये । आ शेषः

1121 ध्वनिँ
शब्दे प इदित्

1122 न कमि

1123 नमँ
प अदुपधः

1124 पुटँ इत्येके |


अल्पीभावे | प उदुपधः

1125 पुडँ
मर्दने (प्रमर्दने)| प उदुपधः

1126 पुडिँ चेत्येके |


खण्डने | प इदित्

1127 प्रैणृँ इत्यपि|


गतिप्रेरणश्लेषणेषु| प शेषः

1128 प्लेवृँ॒ इत्यप्येके |


सेवने | आ शेषः

1129 बटिँ इत्येके |


विभाजने | प इदित्

1130 बठँ इत्येके |


स्थौल्ये| प अदुपधः

1131 बणँ इत्यपि के चित् |


शब्दे| प अदुपधः

1132 बहिँ॒
वृद्धौ| आ इदित्

1133 बिसँ
गतौ| प इदुपधः

1134 बीभृँ॒
कत्थने | आ शेषः

1135 बेसँ
गतौ| प शेषः
C D F I J K

1136 भक्षँ॑ इति मैत्रेयः |


अदने | उ अदुपधः

1137 भर्बँ इत्येके ।


हिंसायाम् | प शेषः

1138 भर्भँ इत्यन्ये।


हिंसायाम् | प शेषः

1139 भ्रंशुँ॒ इत्यपिके चित्


अवस्रंसने | आ अनिदित्

1140 मिथृँ॑ इत्येके |


मेधाहिंसनयोः| उ इदुपधः

1141 मिधृँ॑ इत्यन्ये |


मेधाहिंसनयोः| उ इदुपधः

1142 मुखिँ (पा.)


प इदित्

1143 मुटँ
अल्पीभावे | प उदुपधः

1144 मेथृँ॑ इत्येके |


मेधाहिंसनयोः| उ शेषः

1145 म्रक्षँ इत्येके |


सङ्घाते | प शेषः

1146 म्रेटृँ
उन्मादे | प शेषः

1147 रञ्ज
प अन्यगणस्य धातुः

1148 रठँ
परिभाषणे | प अदुपधः

1149 रणँ
शब्दे प अदुपधः

1150 रभिँ॒ क्वचित्पठ्यते (इत्येके )|


शब्दे| आ इदित्

1151 रिखँ (पा.)


प इदुपधः
C D F I J K

1152 रिखिँ (पा.)


प इदित्

1153 रेजृँ॒ (पा.)


दीप्तौ| आ शेषः

1154 लभिँ॒
शब्दे| आ इदित्

1155 लिखिँ (पा.)


प इदित्

1156 लुडँ
इत्येके (डान्तोऽयमित्येके )| प उदुपधः

1157 वटिँ
विभाजने | प इदित्

1158 वनुँ
नोच्यते (नोपलभ्यते)| प अदुपधः

1159 वनुँ
प अन्यगणस्य धातुः

1160 वमँ
प अदुपधः

1161 वलँ
संवरणे प अदुपधः

1162 वाडृँ॒ इत्येके


आप्लाव्ये| आ शेषः

1163 विसँ
गतौ| प इदुपधः

1164 वीजँ॒ (पा.)


गतौ| आ शेषः

1165 वुगिँ इत्येके |


वर्जने | प इदित्

1166 वेनृँ॑ इत्येके |


गतिज्ञानचिन्तानिशामनवादित्रग्रहणेषु| उ शेषः

1167 वेसँ
गतौ| प शेषः
C D F I J K

1168 वेह्लँ इत्येके


चलने | प शेषः

1169 व्रजँ (पा.)


गतौ| प अदुपधः

1170 व्रजिँ (पा.)


गतौ| प इदित्

1171 शिखिँ (पा.)


प इदित्

1172 शुकँ
गतौ| प उदुपधः

1173 शुठिँ इत्येके |


गतिप्रतिघाते (प्रतिघाते)| प इदित्

1174 श्नथँ
हिंसायाम्। प अदुपधः

1175 श्वगिँ (पा.)


गतौ| प इदित्

1176 षिभिँ
हिंसायाम्। प इदित्

1177 षिविँ इत्येके |


सेचने | सेचने चेत्येके | सेवन इति तरङ्गिण्याम् | प इदित्

1178 ष्टृ क्षँ


गतौ| प शेषः

1179 ष्णा
प अन्यगणस्य धातुः

1180 ष्वकिँ॒ इत्येके


आ इदित्

1181 ष्वगिँ (पा.)


गतौ| प इदित्

1182 सीकृ॒ इत्येके |


सेचने | आ शेषः

1183 सूषँ इत्येके |


प्रसवे | प शेषः
C D F I J K

1184 स्खलँ
सञ्चलने प अदुपधः

1185 स्फु टिँ इत्यपि के चित् |


विशरणे | प इदित्

1186 स्फु डिँ॒ (पा.)


विकसने | आ इदित्

1187 स्रम्भुँ॒ इत्येके


प्रमादे | आ अनिदित्

1188 स्रोकृँ॒ इति पाठान्तरम् |


सङ्घाते | आ शेषः

1189 हुलँ
हिंसासंवरणयोश्च प उदुपधः

1190 हेठँ (पा.)


विबाधायाम् | प शेषः

1191 हेपृँ॒
गतौ| आ शेषः

1192 ह्मलँ
प अदुपधः

1193 ह्वलँ
प अदुपधः

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