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प्राम् आज देखा गमा है कि, िई फहु श्रतु वक्ता, (जजनिे बक्तोंिी बीड ज्मादा हो
गई हो) शास्त्रोंिा उऩहास ियते है औय स्वच्छन्दतामुक्त भनभाने अथथघटन ियिे ,
अनुियणशीर जनसाभान्म िो धभथच्मुत ियनेिी चेष्टा िय यहे है । जफ
आत्भचचन्तन किमा तो ऻात हु आ कि इसभें ववद्रद्रगथिी सुषजु तत, चशजथरता मा
िभथऩरामनता बी िायणबूत है । अफ ऐसे चनयॊिुश वक्ताओॊिी सीभा चनमत
ियनेिा सभम ऩरयऩक्व हो गमा है , अन्मथा इवतहासभें ववद्रानोिी गरयभा-
अजस्भतािो िरॊिीत होना ऩडे गा । इसी ऩरयप्रेक्ष्मभें मह भॊगर प्रायम्ब है ।
िभथिाण्ड, ज्मोवतष, सॊस्िाय, वास्तु आकदिा भूर आधाय वेद है । हभाये भहान
ऋवषमोंने िभथिाण्डिा जो प्रायम्ब किमा है वह ऩूणथतमा वेदप्रवतऩाकदत है , सवथजन
कहताथथ सुखभम जीवनिे चरए वैऻाचनि अचबगभ िे साथ उसिा प्रायम्ब सहस्रो
वषथ ऩूवथ से (याभ-िृ ष्णाकद िे अवतायों से बी ऩूवथ से) हु आ है औय हभाये
ऩयभात्भािे कदव्मावताय बगवान याभ एवॊ बगवान श्री िृ ष्णने बी उसिा अनुभोदन-
अचबवधथन किमा है । इव रेख का आळम ना तो डकवी की येखा को काटकय,
अऩनी येखा फडी कयनेका शै मा डकवीके प्रतत द्रेऴकी बालना शै , शभाया ध्मेम
भात्र धभमळास्त्रकी वुयषा का शै । सजन भशाऩुरूऴोनें शभायी वॊस्कृततकी बव्मता
एलॊ डदव्मताका दळमन कयामा शै उनके प्रमावों को शभ ळत-ळत लॊदन कयते शै ,
मद्यवऩ शास्त्रववरूद्ध चेष्टाओॊ िा बी हभ खुरिय ववयोध ियते है । हभाया उद्देश्म
भात्र चनष्ठामुक्त शास्त्रसेवा िा ही है ।
मे रेख हभ धभथशास्त्रिे आधाय ऩय ही ियेंगे मथा धभथशास्त्र किसे िहते है , वो
सवथप्रथभ जान रे औय धभथशास्त्र ववरूद्धाचयण ियनेवारों िो शास्त्रने किस िऺाभें
यखा है वह बी सुचनजश्चत िय रे ।
धभमळास्त्र डकवे कशते शै ? शास्त्र िा प्रधानाधाय भें श्रुवत-स्भृवत भुख्म है । ऩुयाण
न्माम मभभाॊवा धभमळास्त्राङ्ग मभमितााः । लेदााः स्थानामन तलद्यानाॊ धभमस्म
चतुदळ म ॥ माऻ. स्भृवत १.३ । चरॊगऩुयाण – िुततस्भृततभमाॊतलडशतो धर्म्भो
लणामिभात्भकाः बगवान शॊियाचामथजी तो िहते है कि लेदस्तादुऩजीतल
स्भृततऩुयाणाडद च । श्रौतसूत्र भें श्रुवतमों भें प्रवतऩाकदत मऻीम ववधानों िा सूक्ष्भ
वववेचन किमा गमा है । प्रत्मषेण अनुमभत्मा ला मस्तूऩामो न फुध्मते. एतॊ तलदसन्त
ऩॊडडत ऩयन्तऩ प्रेभळॊकय(सवद्धऩुय)
लेदने तस्भात्लेदस्म लेदता, .सवथ प्रथभ ळब्दप्रभाण भें वेद आते है , कपय क्रभेण
वेदाॊग न्माम, चभभाॊसा, ऩुयाण, स्भृवत, गृह्यसूत्र आते है । भीभाॊसा दशथन, छ् दशथनों भें
से एि है । िभथ एवॊ ऻान िा जजसभे ऩूणथ वववयण है , वैसे दो दशथन है ।
ऩूलमभीभाॊवा औय वेदान्त िो उत्तयभीभाॊवा बी िहा जाता है । ऩूभथभीभाॊसाभें धभथिा
ववचाय है औय उत्तयभीभाॊसा भें ब्रह्मिा । ऩऺ-प्रवतऩऺ िो रेिय वेदवाक्मों िे
चनणीत अथथ िे ववचाय िा नाभ भीभाॊसा है । उक्त ववचाय ऩूवथ ऩयॊऩया से चरा आमा
है । आजसे प्राम: ऩाॉचहजाय तीनसौ वषथऩूवथ, बगवान ववष्णुिे अवताय,
श्रीिृ ष्णद्रैऩामन िे , चशष्म ने उसे सूत्रफद्ध किमा । ऩुयाणो ऩञ्चभो लेदाः ऩुयाणों िो
ऩॊचभ वेद भाना हैं । अथवथवेद िे अनुसाय ऋच: वाभामन छन्दाॊसव ऩुयाणॊ मजुऴा
वश ११.७.२) अथाथत् ऩुयाणों िा आववबाथव ऋि् , साभ, मजुस् औद छन्द िे साथ
ही हु आ भाना जाता है । ळतऩथ ब्राह्मणभें (१४.३.३.१३) तो ऩुयाणलाग्ङभमिो वेद
ही िहा गमा है , क्मोंकि, वेदववऻानिो अवतसयर रूऩिोंभें ऩुयाणोंभें प्रस्तुत किमा
गमा है । फृहदायण्मिोऩचनषद् तथा भहाबायत भें िहा गमा है कि, इततशाव
ऩुयाणाभमाॊ लेदाथमभुऩफृॊशमेत् अथाथत् वेदिा अथथववस्ताय ऩुयाणिे द्राया ियना चाकहमे
। अफ वेदाॊग भें छन्द: ऩाद तु लेदस्म शस्त कऩोथ ऩयते ज्मोततऴाभमनॊ
चषुमनमरुक्तॊ िोत्रभुमते । मळषा घ्राणॊ तु लेदस्म भुखॊ व्माकयणॊ स्भृतभ् ।। भनु-
मसाध्ममन वॊक्रासन्त िाद्धऴोडळकभमणाभ् । प्रमोजनॊ च तलसेमॊ
तत्तत्कारतलमनणम मभ् । लेदााः प्रणाणॊ स्भृत्मोऩयासण तकामडद ळास्त्रासणतथा
इततशावााः । वत्मामबधॊ ज्मोततऴळास्त्रभेतज्सानॊ वभस्तामन वभािमसन्त । लैडदकैाः
कभममबाः ऩुण्मैमनमऴेकाडदडद्रमजन्भनाभ् । काममाः ळयीयवॊस्कायाः ऩालनाः प्रेत्मचेश च ।।
वचशष्ठ - क्रतुडक्रमाथं िुतमाःप्रलृत्तााः कारािमास्ते क्रतलो मनरूक्तााः ।
ळास्त्रादभुप्भासत्करकारफोधो, लेदाङ्गताभुख्मतया प्रसवद्धा । छन्दाःऩाद
ळब्दळास्त्रॊ च लक्त्रॊ कऩाःऩाणी ज्मोततऴॊचषुऴी च । मळषाघ्राणॊ िोत्रभुक्तॊ
मनरूक्तॊ लेदस्माङ्गान्माशु येतनाऴट्च । वलमधभमभमो भनु:- लेदाथोऩमनफद्धत्त्लात्
प्राधान्मॊ डश भनोाः स्भृतेाः, मद् लै डकञ्च भनुयलदत्तद् बेऴजभ् (तैवत्तयीम
सॊ०२/२/१०/२), भनुॊ लै मत् डकञ्चालदत् तत् बेऴज्मामै (ताण्य-
ऩॊडडत ऩयन्तऩ प्रेभळॊकय(सवद्धऩुय)
। महाॊ त्रेतामाॊ िा अथथ उऩयोक्त तीन प्रिायिी ऋचा-भॊत्रो िो कलमाः भन्त्रेऴु मामन
कभामसण अऩश्मन् अत् भन्त्रोिी साथथिता जहाॊ उचचत रगी वहाॊ प्रमुक्त ियनेिा
आदेश कदमा ।
ळास्त्रतलयोध शास्त्र ववरूद्धाचाय मा भतोिा खण्डन ियना बी शास्त्रसेवा है एवॊ
शास्त्राचयण ही भॊगराचयण है । शास्त्रचनकद्दथष्ट भागथऩय चरनेिो िहते है भॊगराचयण
औय मही है िममाणिा भागथ । शास्त्रिा अवतक्रभण मा उऩेऺा अध्ऩतनिा भागथ
है -ऩाखण्ड है चचाथ आगे फढानेसे ऩूवथ, शास्त्रववरूद्ध चेष्टा ियनेवारों िे चरए -
ऩद्मऩुयाण - लेदमनॊदाॊ प्रकुलमसन्त ब्रह्मचायस्मकुत्वनभ् । भशाऩातकभेलातऩ
सातव्मसानऩसण्डतैाः।। िुततस्भृत्मुक्तभाचायॊ मो न वेलते लैष्णल । व च
ऩाखण्डभाऩन्नो य यले नयके लवेत् ।। लेदफाह्यव्रताचायााः ि त स्भभात्तमफडशष्कृतााः।
ऩाखसण्डन इतत ख्माता न वर्म्बाष्मडद्रजाततमबाः - चरॊगऩुयाण ऩूवाथद्धथ । िुततस्भततभमाॊ
तलडशतो धर्म्भो लणम भ्रभात्भकाः - चरॊगऩुयाण, श्रुवत-स्भृवत-ऩुयाण ववकहत िभथ (धभथ),
सबी वणोभें भ्रभ ऩैदा ियता है औय ऩतनगाभी है । िुततस्भृततरषणभूततमते
ळावनभस्मेतत ऊसजमत ळावनाः (शाॊ.बा. वव.स.११०), अलतीणो जगन्नाथाः
ळास्त्ररूऩेण लै प्रबुाः(शाॊकड.स्भृ.४.११३), शासनात्शास्त्रभ् रूऩभे ववचध-प्रवतषेध
ियनेवारे ग्रन्थ ही नही, वॊळनात्ळास्त्रभ् गूढ तत्त्वोिा प्रवतऩादन ियनेवारे
वेदान्ताकद बी शास्त्र है । ऩायालमामतलत्वु तु खरु लेडदतृऴु बूमोतलद्याः प्रळस्मो बलतत
(चनरूक्त १.१६) मथा शास्त्रवचनों िा अनुशीरन ियना चाकहए । ळास्त्रऩूलमके
प्रमोगेऽभमुदमाः ॥
वाषया तलऩयीताश्चेद्राषवा एल केलरभ् याऺस िोई ववचशष्ट जावत नहीॊ है ,
ळास्त्रतलयोध एलॊ तलऩयीत आचयण कयनेलारे याषव शै , डपय लो चाशे डकतने शी
वभथम क्मों न शो, अछे लक्ता क्मों न शो । यालण बी तलद्रान था, वभथम था
औय कारनेमभ बी अछा लक्ता था । शास्त्र ववरूद्धाचाय मा ववचधहीन िभथ
ियनेवारे वक्ताओॊ िे चरए ऩुयाणों भें ऩाखण्डी शब्दप्रमोग आता है , ऐसे सेंिडो
प्रभाण ऩुयाण-स्भृत्माकद भें उऩरब्ध है । ऐसे ववचधववधान मा शास्त्र िी उऩेऺा
ियनवारे, स्वच्छन्दी वक्ताओॊ िो धभथद्रोही मा धभथद्रेषी िहे तो सवथथा उचचत ही
है , वे सदैव त्माज्म एवॊ अध्ऩवतत भाने जाते है । ब्राह्मणोंिा ववयोध, िभथिाण्डिा
ऩॊडडत ऩयन्तऩ प्रेभळॊकय(सवद्धऩुय)
फेतसीजभ प्रबुिा भागथ है , जैन िहते है अठ्ठई ियो, इसभें से आऩ क्मा िय यहे
है । िु छ ियना तो सबी िहते है औय आऩ मे सफ नहीॊ ियते तो नयि प्राजतत
होगी। आऩ विीर है , हभे किस देशिा सॊववधान फॊधन ियता है , साउदी अयेवफमा,
मुएसए, ऩािीस्तान, चीन मा बायतिा । सफिे अऩने अऩने िानून है । हभ जजस
भागथ ऩय है , जहाॊ हभायी जस्थवत है वहाॊ श्राद्ध वऩतृभजु क्त सकहत स्वभुजक्तिा उत्तभ
साधन फतामा है ।
(२) वॊस्कायाडद वडशत ळास्त्रीम तलमधमों भें भनभानी ऩद्धतत -
मनऴेकाडद श्भळानान्तो भन्त्रैममवोडदतोतलमधाः हभाये जो षोडश सॊस्िाय फताए गए है ,
इसिे ऩीछे सुॊदय वैऻाचनि अचबगभ है । मे सॊस्िाय जन्भिे ऩूवथसे प्रायम्बिय भृत्मु
एवॊ इसिे फाद बी चरते है , क्मोंकि भानव जन्भ िमऩोंिे ऩुण्माजथनिे फाद प्रातत
होता है औय महाॊ ही िभथस्वातॊत्र्म है , वैचायीि ऺभता हभे चभरी है । मे सॊस्िाय
िफ औय िै से ियने चाकहए उसिी एि प्रणारी शास्त्रोभें (गृह्यसूत्रोंभे) चनकदथष्ट है ।
हय िामथिी एि ऩयॊऩया मा प्रणारी होती है । साभान्मतमा रड्डु फनानेिी बी
प्रकक्रमा होती है – जैसे गेहुॊ िो फाजायसे राना, साप ियना, धोना, रोट फनाना
इत्माकद जजसे हभ सॊस्िाय िहते है औय कपर इसिो घी भें ऩिािय, द्राऺ,
शक्िय, खसखसाकद चभरािय गोर-गोर रड्डु फनािय बोगिे चरए थारीभें
सजाते है । रड्डू फनानेिी प्रक्रीमाभें सयराथथ िई नए (चभक्ऺय आदी)
आववष्िायोंिा उऩमोग ियते है , जजसे सुधाय ियते है । सॊऺेऩभें सॊस्िाय एवॊ सुधाय
(Culture & Civilization) दोनों िा भहत्त्व है ।
गीतािा आदेश है , माः ळास्त्रतलमधभुत्वृज्म लतमते काभकायताः। न व
सवतद्धभलाप्नोतत न वुखॊ न ऩयाॊ गततभ् ॥ तस्भाछात्रॊ प्रभाणॊ ते कामामकामम
व्मलसस्थत सात्ला ळास्त्रतलधानोक्तॊ कभम कतुममभशाशम सव ॥ शास्त्रोक्त ववधान िे
आधाय ऩय ही िामाथिामथिा ववचाय ियना चाकहए, शास्त्रववचधिा अवतक्रभण मा
उऩहास न ियिे स्वच्छन्दतासे िामथ न ियें ।
हभने देखा िोई व्मासऩीठ से भात्र ऩानी चछटििय किसीिो मऻोऩववत देता है , तो
िोई सेंिडो स्त्रीमों िो एि साथ उऩनमन सॊस्िाय ियाता है । िहीॊ वेदोंभे आऩने
ऩॊडडत ऩयन्तऩ प्रेभळॊकय(सवद्धऩुय)
स्त्रीमों िे गोत्र सूने है मा उनिी गुरूऩयॊऩया चरी है तो फताए । महाॊ हभ तीन प्रश्न
कयते शै (१) मसोऩतलत कयानेलारा इव काममके मरए अमधकायी शै (२) सजवे
मसोऩतलत ऩशनाते शो लश बी इवके मरए अमधकायी शै (३) मश ऴोडळ
वॊस्कायान्तगमत एक वॊस्काय शै , सजवका तलधान डकवी न डकवी गृह्यवूत्र के
आधाय ऩय शोता शै । इन तीनों के तलचाय डकए फीना तो उऩनमन वॊस्काय भात्र
कागज के ऩडडके ऩय धागा रऩेटनेवे ज्मादा कुछ नशी भाना जाता । दुसयी सफसे
भहत्त्विी फात मह है कि, ऐसे सॊस्िायाकद िामथ िु रऩुयोकहत से मा इनिी सहभवतसे
ही ियना चाकहए अन्मथा हे भाद्री िे अनुसाय लतत्तछे दन िा ऩाऩ रगता है ।
ऩुयाकऩे डश नायीणाॊ भ ञ्जीफन्धनमभष्मते ऐसा िहा है , मद्यवऩ ऩूया अथथ सभझे ।
ब्रह्मळब्दॊ तऩो लेदो ब्रह्मा तलप्राः प्रजाऩतताः इतत लचनेन अत्र ब्रह्मवूत्रळब्दस्म तऩाः
वूत्रेण ऩतलत्रीकृतकामामभतत तात्ऩमं वभीचीनभ् । फह्लथमको डश ब्रह्मवूत्रळब्दाः,
तथाडश मसोऩलीतमबन्नाथे – ब्रह्मवूत्रऩदैश्चैल शे तुभसद्बतलममनसश्चतैरयतत
गीतामाभतऩ। स्त्री िा ऩवत ही उसिा गुरु है । शास्त्र िहता है – रुयसग्नडद्रमजातीनाॊ
लणामनाॊ ब्राह्मणो गुरुाः।ऩततयेल गुरुाः स्त्रीणाॊ वलमस्माऽभमागतो गुरुाः॥ऩद्मऩुयाण
स्वगथ॰५१/५१, ब्रह्मऩुयाण ८०/४७ । अजग्न कद्रजावतमोँ िा गुरु है , ब्राह्मण चायोँ वणोँ
िा गुरु है , एिभात्र ऩवत ही जस्त्रमोँ िा गुरु है औय अवतजथ सफिा गुरु है ।
जस्त्रमों िा जनेऊ सॊस्िाय घोय ऩाखॊड है । लैलाडशको तलमधाः स्त्रीणाॊ वॊस्कायो
लैडदकाः स्भृताः । ऩततवेला गुय लावो गृशाथोँऽसग्नऩरयडक्रमा - भनुस्भृवत २/६७।
जस्त्रमोँ िे चरमे वैवाकहि ववचध िा ऩारन ही वैकदि-सॊस्िाय (मऻोऩवीत), ऩवत िी
सेवा ही गुरुिु रवास औय गृह-िामथ ही अजग्नहोत्र िहा गमा है । अफ आमथसभाज
भनुस्भृवत िो तो भानता ही होगा (क्मोंकि वे कहन्दु है ), क्मोंकि मद्रै डकञ्च
भनुयलदत् तद् बेऴजभ् - तैवत्तयीम सॊ०२/२/१०/२॥ भनु लै मत् डकञ्चालदत् तत्
बेऴज्मामै - ताण्य-भहाब्रा०२३/१६/१७॥ अथातऩ मनष्प्रचभेल भानव्मो डश प्रजााः -
ऋग्वे० १/८०/१६ ॥ ववद्रद्रगथिो इतना ऩमाथतत है ।
ऩयभऩूज्म धभमवम्राट् स्लामभ िी कयऩात्री जी भशायाजिी ने आमथसभाज सकहत
ऩ.भदनभोहन भारवीमा िो शास्त्रथथभें ऩयाबूत किमा था । फनायसिे सबी भान्मवय
ऩॊकडत उस शास्त्राथथ से सहभत थे । ऩूज्मश्री िे वेदबाष्म देखें ।
ऩॊडडत ऩयन्तऩ प्रेभळॊकय(सवद्धऩुय)
आत्भवत यऺा ियनी होती है , ऩववत्रता एवॊ सावधानी यखनी होती है । भाताए
ऋतुिारभें मा प्रसविारभें इसिी क्मा यख ऩाती है ।
व्मासऩीठ से (फीना िोई ववचध-ववधान) उऩनमन ियाना एि फडा ऩाखण्ड है ,
अतीव अध्ऩवतत एवॊ अऺम्म िामथ है । मह िागजिे ऩकडिे िे उऩय धागा
रऩेटनेसे ज्मादा िु छ नहीॊ है ।
श्भशान भे वववाह । भै ऩूछना चाहता हुॊ क्मा याभामण, भहाबायत, श्रीभद्बागवताकद
िोई बी ऩुयाणोंभे ऐसा हु आ है । नहीॊ तो कपय मे ववचध आई िहाॊ से – महीॊ है
स्वेच्छाचाय मा स्वच्छन्दता जजसिी घोय चनॊदा शास्त्रोभें एवॊ ववश्व भान्म गीताभे िी
है – प्रभाण उऩय कदए है , फाय-फाय चरखनेिी आवश्मिता नही है ।
अजग्न तो सवथव्माऩि है । िाष्टभें है , शयीय भें है , जठयभें है , प्राणभें है , घृततृ ैराकद
यस, वतराकद धान्मभें, तेजाफ, ऩेट्रोर, िे योसीन भें बी अजग्न है , तो क्मा आऩ मऻभें
ऩेट्रोर डार सिते है , नहीॊ । भॊदाजग्न होने ऩय तेजाफ मा कडझर ऩी सिते है ,
िदावऩ नहीॊ । हय प्रमोग िा एि अजग्न शास्त्रभें फतामा है । प्रमोगानुसाय अजग्न
चनम्नानुसाय है , मह सॊदबाथथथ कदमा है ।
अग्नेस्तु भारुतो नाभ गबामधाने तलधीमते। ऩुॊवलने चन्द्रनाभा ळुगाॊकभमसण
ळोबन:।। वीभन्ते भॊगरो नाभ प्रगबो जातकभमसण। नासग्न स्मात्ऩासथमली ह्यसग्न:
प्राळने च ळुमचस्तथा।। वत्मनाभाथ चूडामाॊ व्रतादेळे वभुद्बल:। गोदाने वूममनाभा
च केळान्ते ह्यसग्नरुमते।। लैश्लानयो तलवगे तु तललाशे मोजक: स्भृत:।चतुर्थमामन्तु
मळखी नाभ धृततयसग्नस्तथा ऩये।। प्रामसश्चत्ते तलधुश्चैल ऩाकमसे तु वाशव:।
रषशोभे तु लसह्न:स्मात कोडटशोभे शु ताश्न:।। ऩूणामशुत्माॊ भृडो नाभ ळासन्तके
लयदस्तथा। ऩ सष्टके फरदश्चैल क्रोधासग्नश्चामबचारयके।। लश्मथे ळभनी नाभ
लयदानेऽमबदूऴक:। कोष्ठे तु जठयी नाभ क्रव्मादो भृतबषणे ।।
िु छ सभम से एि औय ऩाखण्ड फढ यहा है , हार ही भें भैने दो बागवत् सतताहों भे
देखा है । आयती भोफाईर िी फ्रेश राईट से ियते है । सफिो आयती भें
सजम्भचरत ियनेिा मह सदैव गरत प्रमोग है । धीये धीये ऐसे फहु श्रतु वक्ताओॊ िे
द्राया कदऩि जराना बी फॊद हो जाएगा, क्मोंकि उनिे बक्त तो उनिा अन्धा
ऩॊडडत ऩयन्तऩ प्रेभळॊकय(सवद्धऩुय)
इन सबी मोचनमों भें भानव औय भानव भें बी ब्राह्मण िो श्रेष्ठ भाना है । महाॊ जो
चचाथ हो यही है वह ववश्व िे प्राचीनतभ वेद – ऩुयाण – स्भृवतमों िे आधाय ऩय है –
जजसिी प्राभाजणिता सवोऩरय है ।
ऩुनस्त्लाडदत्मा रुद्रा लवल: वमभॊधताॊ ऩुनब्रमह्मणो लवुनीथ मसै: (मजु.१२.४४)
इत्माकद भें बी आकदत्म आकद देवताओॊ िे फाद ब्राह्मणोंिा ही नाभ चरमा गमा है ।
चनम्न श्रुवत वचनानुसाय सृष्यायम्ब भे ब्राह्मणों िा प्रथभ प्रादुबाथव हु आ । अशभेल
स्लममभदॊ लदामभ जुष्टॊ देलेमबरुत भानुऴेमबाः। मॊ काभमे तॊ तभुग्रॊ कृणोमभ तॊ ब्रह्माणॊ
तभृतऴॊ तॊ वुभेधाभ् ॥ ५ ॥ दे.वू-ऋग्लेद ।। जीलाः स्लकृत ऩुण्मेन ब्रह्मलॊळ
वभुद्बलाः, वगामद प्रथभे कऩ..ब्रह्मतऴमफामह्मणोत्तऩतत्तॊ कृत्ला वृसष्टभलधममत्.. ग ड
वॊडशता । ब्राह्मणोऽस्म भुखभावीद्राशू याजन्म: कृत:। उरू तदस्म मद्रैश्म: ऩद्भमाॊ
ळूद्रो अजामत ॥ सृजष्ट िे आकद िमऩभें ऩयभात्भाने ब्राह्मणों िो उत्ऩन्न किमा ।
ब्राह्मण ऩयभात्भा िे भुखायववन्दसे उत्ऩन्न हु ए औय वे स्वमॊ ऩयभात्भािा भुखायववॊद
ही है , मथा ब्रह्मबोजन एवॊ ब्रह्मबाषण िा शास्त्रभें अवत भहत्व फतामा है । (ब्राह्मणा
माचन बाषन्ते भन्मते ताचन देवता – ब्रह्मवाक्मॊ जनादथनभ् िहा गमा
है )। मालडद्रप्रगतॊळास्त्रॊ ळास्त्रत्लॊतालदेल डश । तलप्रेतय गतॊळास्त्रॊ अळास्त्रत्लॊ
तलदुफमध ु ााः ।। क .वॊ।। आत्भोद्धायका ळसक्ताः ऩयोद्धायकतास्तथा । ब्राह्मणिा
भहत्व इसचरए है उसिे ऩास दो शजक्तमाॊ जन्भजात होती है - आत्भोद्धायि - स्वमॊ
िा िममाण ियनेिी, ऩयोद्धायि - अन्मिा िममाण ियनेिी । मथा िहा है कि,
शास्त्र जफतफ ब्राह्मण िे भुख से उद्बाजसत होता है तफति ही शास्त्र है , अन्मथा
शास्त्रिी िोई प्रबुता नहीॊ होती।
िु छ ववद्रान एवॊ सम्ऩदाम चातुलमण्मॊ भमावृष्टॊ गुणकभम तलबागळाः - िे गीता िा
सॊदबथ देिय िहते है – ब्राह्मणाकद िभों िे अनुसाय जसद्ध होता है । महाॊ भात्र िभथ
ही नहीॊ, गुण िा बी जस्विाय किमा है । किसी चनजी स्वाथथसे मा शास्त्रभे
अऻानतावश ही ऐसा चभर्थमा अथथघटन ियते है । भागथ ऩय मकद ट्राकपि जाभ हो
ऩॊडडत ऩयन्तऩ प्रेभळॊकय(सवद्धऩुय)
संदभभ लिंक्स
जाततयााँ जन्म से तनधाभररत होती ह ाँ या कमभ से ? https://youtu.be/EB1f_nv5V-I
https://www.youtube.com/watch?v=EB1f_nv5V-I&feature=youtu.be
वणभव्यवस्था और जातत अिंग हैं — यह भ्रम ह https://youtu.be/Uks3lIJ3wR0
https://www.youtube.com/watch?v=Uks3lIJ3wR0&feature=youtu.be
वणभ और जातत में क्या अंतर ह ? https://youtu.be/lctLITpRfC8
https://www.youtube.com/watch?v=lctLITpRfC8
मोरारी बापू के तिता पर तववाह कराने पर पुरी के शङ्करािायभ —अपनी सीमा का अततक्रमण न करें
https://youtu.be/HUkkns6v4Jk https://www.youtube.com/watch?v=HUkkns6v4Jk
श्मशान मे तववाह क्यों नहीं करना िातहए https://youtu.be/6nNStJBHM5A
https://www.youtube.com/watch?v=6nNStJBHM5A
मुरारी बापू द्वारा श्मशान मे तववाह के संबंध मे पुज्य जगद्गुरु रामानंदािायभ स्वामी रामभद्रािायभ जी
https://youtu.be/xIuHpvA0cHA https://www.youtube.com/watch?v=xIuHpvA0cHA
श्मशान में शादी करवाई मोरारी बापू ने , महुवा, भावनगर, गुजरात /सिंाम ददल्िंी न्यूज़
https://www.youtube.com/watch?v=cQYwJEVBpLM https://youtu.be/cQYwJEVBpLM
शमशान घाट पर तववाह, दकतना शास्त्रसम्मत? संतबेतरा अशोक द्वारा तवश्लेषण
https://youtu.be/EMh1PM7sr74 https://www.youtube.com/watch?v=EMh1PM7sr74
Ramkatha Aarti Om Jai Jagdish Hare https://youtu.be/5JL30CDX7Q8
https://www.youtube.com/watch?v=5JL30CDX7Q8
Morari bapu na bakvas no virodh https://youtu.be/BTAoRjmzHes
https://www.youtube.com/watch?v=BTAoRjmzHes
ऐसा क्या कहा जगतगुरु रामभद्रािायभ महाराज ने मुरारी बापू को ,दक पूरे देश मे मि गया हल्िंा !
https://www.youtube.com/watch?v=PXk-roTRtLE
मुरारीबापु को एक ब्राह्मणने ददया सटीक जवाब...
https://www.youtube.com/watch?v=Mo5eaQyKfcw
ज्योततष को पाखण्ड कहने वािंे स्वामी रामदेव को शास्त्राथभ की िुनौती https://youtu.be/YT8CgHIvxns
https://www.youtube.com/watch?v=YT8CgHIvxns
बाबा रामदेव को ब्राह्मणों का ििंेंज माई का िंािं ह तो शास्त्राथभ करे
https://www.youtube.com/watch?v=et8cUor3ghM
रामदेव के भाई से तमिंी महत्त्वपूणभ जानकारी https://youtu.be/PYV0oNf1jHo
https://www.youtube.com/watch?v=PYV0oNf1jHo
बाबा रामदेव के ताऊ ने दकया उनके सीररयिं का पदाभफ़ाश https://youtu.be/FU3Bn5fjM4U
https://www.youtube.com/watch?v=FU3Bn5fjM4U
स्वामी रामदेव की ज्योततष एवं ग्रहो पर दी गयी रटपण्णी का तवरोध https://youtu.be/GV-aOL-LGjE
https://www.youtube.com/watch?v=GV-aOL-LGjE
रामदेव का पदाभफ़ाश । झूठ और पांखण्ड रामदेव सीररयिं के तवरोध में यादव समाज की पुकार
https://youtu.be/qDVWyMYAuU4
https://www.youtube.com/watch?v=qDVWyMYAuU4
बाबा रामदेव का पदाभफ़ाश उनके ही गााँव से https://youtu.be/qDVWyMYAuU4
https://www.youtube.com/watch?v=mRQFtkzUJg0
बाबा रामदेव ने दकया ब्राह्मणों का अपमान https://youtu.be/JESUe5I6soA
https://www.youtube.com/watch?v=JESUe5I6soA
पुण्य प्रसून के सवािं पर भड़क गए रामदेव https://www.youtube.com/watch?v=I40jODVYX3A
रोहतक में रामदेव एक संघषभ सीररयिं के तवरोध में उतरा ब्राह्मण समाज https://youtu.be/lYPmgzoCIeE
https://www.youtube.com/watch?v=lYPmgzoCIeE
राम देव एक संघषभ सीररयिं जल्द ही बंद दकया जाए https://www.youtube.com/watch?v=pRwOKhqGsgo
ऩॊडडत ऩयन्तऩ प्रेभळॊकय(सवद्धऩुय)
बाबा रामदेव ने दकया ब्राह्मणों का अपमान, 13 िंाख ब्राह्मण हुए एकजुट https://youtu.be/3BzlKjvF3pA
https://www.youtube.com/watch?v=3BzlKjvF3pA
ब्राह्मणों की छतव धूतमिं करने एवं जयोततष को पाखण्ड कहने पर बाबा रामदेव को जवाब
https://youtu.be/gvWXEDnzVWU
https://www.youtube.com/watch?v=gvWXEDnzVWU
Exclusive: How Ramdev tried to fool policemen
https://www.youtube.com/watch?v=fVVfyUzD0XI
Ramlila crackdown: What happened that night?
https://www.youtube.com/watch?v=ZtExN2Uk-ic
दकसने दकया बाबा रामदेव का तवरोध ? बाबा रामदेव ने जोड़े हाथ https://youtu.be/mH8auO34jyE
https://www.youtube.com/watch?v=mH8auO34jyE
बाबा रामदेव ने ब्राह्मणों के तखिंाफ रटप्पणी दकया,देश भर में रामदेव का ब्रह्म समजोंका तवरोध प्रदशभन
https://youtu.be/YZeQMzTDSg8
https://www.youtube.com/watch?v=YZeQMzTDSg8
रामदेव के तखिंाफ ब्राह्मण समाज का तवरोध प्रदशभन https://youtu.be/9kkIukXavVM
https://www.youtube.com/watch?v=9kkIukXavVM
Falit jyotish kyoun galat aur pakhand par adharit he :swami Ramdev
https://youtu.be/m_qNfGWnzwU
https://www.youtube.com/watch?v=m_qNfGWnzwU
अंधतवश्वास पर स्वामी रामदेव https://youtu.be/m_qNfGWnzwU
Falit jyotish kyoun galat aur pakhand par adharit he :swami Ramdev
https://youtu.be/m_qNfGWnzwU https://www.youtube.com/watch?v=m_qNfGWnzwU
डॉ धनेशमतण तिपाठ ने स्वामी रामदेव से ज्योततष तवषय पर मााँगा जवाब https://www.youtube.com/watch?v=o-
OqP4cZE-U
योगगुरु बाबा रामदेव का तववाददत बयान https://youtu.be/1HOESj7vrtI
https://www.youtube.com/watch?v=1HOESj7vrtI
मृत्यु के बाद क्यों करते हैं्ं ााध? https://youtu.be/5LAQjlr2ScQ
https://www.youtube.com/watch?v=5LAQjlr2ScQ
वददक वणभ व्यवस्था को न मानने वािंों के तिंए प्रकृ तत का अतभशाप ! https://youtu.be/GkQvxUcsTig
जाततयााँ जन्म से तनधाभररत होती ह ाँ या कमभ से ? https://youtu.be/EB1f_nv5V-I
यज्ञोपवीत संस्कार क्या ह और नारीओं को यह कराना िातहये ? https://youtu.be/MslbsgaZ9jw
हमारा पहिंा जन्म दकस पूवभ जन्म / कमभ के आधार पर हुआ ? https://youtu.be/XlaFUdEbOD0
वणभसंकरता और कमभसंकरता के िपेट से कु िं को बिाना िातहए https://youtu.be/rb4_KK9zQKM
क्या नाररयााँ भी मंददर में पूजा कराने में अतधकृ त हो सकती हैं ? https://youtu.be/79bHyZDSgwM
गोस्वामी (गुसाई) समाज के व्यति की मृत्यु होने पर अति संस्कार सही ह या गिंत https://youtu.be/DvV_SHCTNyQ
मृत्यु संस्कार क्या ह? https://youtu.be/8sGYvA2SPYM
वददक वणभ व्यवस्था को न मानने वािंों के तिंए प्रकृ तत का अतभशाप ! https://youtu.be/GkQvxUcsTig
ााध का महत्त्व — तपतृ पक्ष 2018, Gaya, Bihar https://youtu.be/1NGCGLtOqfg
ााध कमभ - https://youtu.be/ppM8DdQW2fk
ााध - तपभण की मतहमा, आवश्यिा, पूणभ तवतध ॥ Shri Rajendra DasJi Maharaj https://youtu.be/GfUpju5P-Ps
16 संस्कार-भाग 7 | "अंत्येति संस्कार" की आवश्यक दक्रयाएाँ व कमभ - https://youtu.be/p2PmFqmCHjo
Rajiv Dixit - बाबा रामदेव असिं में बाबा के रूप - https://youtu.be/xedqko29xUE
वणभ व्यवस्था के रहस्य को ना समझ कर कतल्पत ढंग से बांटने का कु िक्र क्या ह ?
वेद और तवज्ञान को दकसने सबसे पहिंे ढू ंढा था ?- https://www.youtube.com/watch?v=KQJFP9JFRQc
पतंजतिं घी का सि https://www.youtube.com/watch?v=ax2OsIZu6yQ
रामदेव द्वारा ज्योततष का तवरोध https://www.youtube.com/watch?v=LwvYo_iyO0s
ऩॊडडत ऩयन्तऩ प्रेभळॊकय(सवद्धऩुय)
https://www.facebook.com/680880312283103/posts/1378716965832764/