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अ यास नप 2020-21 वषय- हंद ‘ब’ (कोड 85) क"ा 10

#नधा%&रत समय – 3 घंटे अ/धकतम अंक – 80

सामा0य #नद1 श:- #न3न4ल6खत #नद1 श8 को बहुत सावधानी से प ढ़ए और उनका पालन क?िजए –
• इस नप मC दो खंड हD- खंड ‘अ’ और खंड ‘ब’
• खंड ‘अ’ मC कुल 9 वFतुपरक न प ूछे गए हD l सभी न8 मC उप न दए गए हD l दए गए #नद1 श8
का पालन करते हुए न8 के उLतर द िजए l
• खंड ‘ब’ मC कुल 8 वण%नाLमक न पछ ू े गए हD l न8 मC आंत&रक वकOप दए गए हD l दए गए
#नद1 श8 का पालन करते हुए न8 के उLतर द िजए l
न खंड ‘अ’ वFतुपरक न अंक
अप ठत गQयांश (10)
न1. नीचे 2 गQयांश दए गए हDl Tकसी 1 गQयांश को Uयानपूवक
% प ढ़ए और उस पर आधा&रत 5X1=5
न8 के उLतर द िजए-
गQयांश-I
य द आप इस गQयांश का चयन करते हD तो कृपया उLतर-पिु Fतका मC 4लखC Tक आप न
संZया 1 मC गQयांश-I पर आधा&रत न8 के उLतर 4लख रहे हD l
आज व व शि त क आ वयकता बहुत अ धक और तेज हो गई है। इस अशाि त के कारण
कई ह"। इनम% से मु&य कारण यह भी है )क आज व व के अनेक सबल रा+, एक दस
ू रे
0नब1ल और शि2तह3न रा+, को अपने चंगुल म% फंसाए रखने के 9लए भार3 उ;योग )कया
करते ह"। इसके 9लए वे अपनी 0नजी शि2त और आ वयकताओं को बढ़ाते ह3 जा रहे ह" ।
इसके साथ ह3 अपने स?पक@ अ य शि2तह3न और छोटे रा+,C के D0त उकसाने क को9शश
म% बराबर लगे रहते ह"। इस Dकार से आज परू ा व व कई भागC म% बँटा हुआ परFपर वनाश
के गत1 म% पहुँचने के 9लए 0नGय उ;योग करते हुए Hदखाई दे ता है । इस9लए आज व व क
शाि त क आ वयकता बढ़ती जा रह3 है ।
व व शाि त कैसे और )कस Dकार से हो सकती है। यह एक वचारणीय D न है ।
इस वषय के 9लए हम यह कह सकते ह" )क व व शाि त के 9लए भाईचारे क भावना सबसे
पहले जJर3 है । भाईचारे, मेल-9मलाप क भावना और परFपर Hहत- च तन क भावना व व
शाि त क Hदशा म% महान कदम और साथ1क काय1 होगा। परFपर दख
ु सुख क भावना और
कLयाण Fथापना क भावना व व शाि त के 9लए ठोस कदम होगा। व व शाि त के 9लए
अपने ह3 समान समझना और अपने ह3 समान आचरण करना, एक ठोस और Dभावशाल3
वचार होगा। अगर इस तरह क सOावना और Pे+ठ वचार Dाणी-Dाणी के मन म% उGप न हो
जाएगा तो )कसी Dकार से व व म% अशाि त और अQयवFथा क भावना नह3ं हो सकती है ।
बढ़3 हुई दभ
ु ा1वनाएँ समाRत हो सकती ह" ।
व व शाि त और व व को समान दशा म% लाने के 9लए हम% मानव कLयाण
समारोह का आयोजन करना चाHहए। इसके ;वारा जन जन म% यह Dरे णा जगानी चाHहए )क
हम% )कस Dकार से अमानवीय और पाश वक दभ
ु ा1वनाओं से बचना चाHहए। हमारे अ दर जो
शठता, दज
ु न
1 ता और दानवता का Dवेश हो चुका है। वह )कस Dकार से समाRत हो सकता है ।
इसके अ दर )कस Dकार सSजनता और मानवता उGप न हो सकती है । इस Dकार के वचार
हम% व9भ न Dकार क योजनाओ% और काय1TमC के ;वारा अपनाने क Dेरणा दे नी चाHहए।
यह तभी संभव है । जब हम भौ0तकवाद3 Vि+टकोण का पWरGयाग कर सक%गे। इसके Fथान पर
हम% Dकृ0तगामी और Dकृ0तवाद3 Vि+टकोणC को अपनाना चाHहए।
#न3न4ल6खत मC से #नद1 शानुसार सवा%/धक उपयु[त वकOप8 का चयन क?िजए:-
(1) व व अशां0त का Dमुख कारण 2या है ? 1
I. वक9सत दे शC म% Dदष
ू ण क समFया के कारण
II. सबल रा+, 0नब1ल और शि2तह3न रा+, को अपने चंगल
ु म% फंसाए रखने का Dयास करते
ह"l
III. सबल रा+,C ;वारा अपने धनबल को Hदखाने के DTम के कारण
IV. उपरो2त सभी
(2) व व शां0त के 9लए सबसे पहले 2या ज^र3 है ? 1
I. Dशासन को स&त बनाना
II. वकास क ग0त को रोकना
III. एक दस
ू रे को नीचा Hदखाने क भावना
IV. भाईचारे क भावना
(3) व व शां0त के 9लए )कए जाने वाले उपायC म% असGय है- 1
I. भाईचारे , मेल-9मलाप क भावना और परFपर Hहत- च तन क भावना
II. परFपर दख
ु सख
ु क भावना और कLयाण Fथापना क भावना
III. इ+या1, ;वेष और व वासघात क भावना
IV. दस
ू रC को समान समझना और उनसे अपने ह3 समान आचरण करना
(4) व व शाि त और व व को समान दशा म% लाने के 9लए हम% 2या करना चाHहए? 1
I. पाश वक Qयवहार करना चाHहए l
II. वकास क ग0त को रोकना चाHहए l
III. मानव कLयाण समारोह का आयोजन करना चाHहए।
IV. भाईचारे क भावना का Gयाग करना चाHहए l
(5) हमारे अ दर )कस Dकार सSजनता और मानवता उGप न हो सकती है ? 1
I. जब हम भौ0तकवाद3 Vि+टकोण का पWरGयाग कर सक%गे l
II. जब हम Dकृ0तगामी Vि+टकोणC का पWरGयाग कर सक%गे l
III. जब हम Dकृ0तवाद3 Vि+टकोणC का पWरGयाग कर सक%गे l
IV. जब हम शठता, दज
ु न
1 ता और दानवता को आGमसात कर सक%गे
अथवा गQयांश-II
य द आप इस गQयांश का चयन करते हD तो कृपया उLतर-पिु Fतका मC 4लखC Tक आप न
संZया 1 मC गQयांश-II पर आधा&रत न8 के उLतर 4लख रहे हD l
Dग0त के पथ पर मानव बहुत दरू चला आया है । जीवन के हर `ेa म% कई ऐसे मुकाम DाRत
हो गये ह" जो हम% जीवन क सभी सु वधाएँ, सभी आराम Dदान करते ह"। आज संसार मानव
क मटु ृ ी म% समाया हुआ है । जीवन के `ेaC म% सबसे अ धक Tां0तकार3 कदम संचार `ेa म%
उठाए गए ह"। अनेक नए cोत, नए साधन और नई सु वधाएँ DाRत कर ल3 गई ह" जो हम%
आध0ु नकता के दौर म% काफ ऊपर ले जाकर खड़ा करता है । ऐसे ह3 संचार साधनC म% आज
एक बड़ा ह3 सहज नाम है इं टरनेट।
इंटरनेट के Dयोग के 9लए कंRयूटर, टे ल3फोन लाइन तथा मॉडेम जैसे उपकरणC
क आव यकता पड़ती है । इंटरनेट के माhयम से हम अपना कोई भी संदेश व व के )कसी
भी कोने म% बैठे Qयि2त को DसाWरत कर सकते ह" तथा साथ ह3 साथ उससे संदेश भी DाRत
कर सकते ह" । इंटरनेट क Fवयं क अपनी एक द0ु नया है । इसके ;वारा भेजा गया संदेश
उपiहC ;वारा iहण )कया जाता है तGप चात ् पन
ु : तरं गC के माhयम से गंतQय Fथान पर
भेजा जाता है ।
इंटरनेट म% ‘ई-मेल’, ‘वेबसाइट’ तथा ‘वीkडयो कांl%9संग’ जैसे शmद महGवपण
ू 1 ह" ।
‘ई-मेल’ का ताGपय1 है – ‘इले2,ा0नक मेल’ अथा1त ् इले2,ा0नक उपकरणC के माhयम से
पaाचार । इंटरनेट के माhयम से Qयि2त बहुत ह3 कम खचn म% व व के )कसी भी कोने म%
बैठे Qयि2त से सीधा संपक1 Fथा पत कर सकता है । कंRयट
ू र के ‘क ं-बोड1’ क सहायता से
वह उ2त Qयि2त को अपनी बात कह सकता है तथा उसके ;वारा भेजे गए संदेश को कंRयूटर
के मॉनीटर क FT न अथवा पदn पर दे ख सकता है या उसे कागज पर मुHoत कर सकता है
। यह मनु+य का दरू बैठे मनु+य से सीधा संपक1 Fथा पत करने के 9लए सबसे GवWरत व कम
खचn का व वसनीय साधन है । इसम% पaC क गोपनीयता भी परू 3 तरह बनी रहती है ।
‘वेबसाइट’ म% )कसी उGपाद अथवा QयापाWरक अनु+ठान का स चa वण1न सरु q`त
रहता है । कोई भी QयापाWरक अन+ु ठान अथवा काया1लय अपने उGपाद अथवा Qयापार संबध
ं ी
अ य लेख-े जोखे क वेबसाइट तैयार करवा सकता है । वह उसको इिrछत पहचान दे सकता
है िजसके माhयम से उपभो2ता आसानी से उस काया1लय, QयापाWरक अन+ु ठान व उससे
संब ं धत उGपाद क परू 3 जानकार3 व व के )कसी भी कोने म% घर बैठे DाRत कर सकते ह" ।
इस Dकार इंटरनेट के Dयोग ने QयापाWरक `ेa म% एक Tां0त ला द3 है । इंटरनेट के
माhयम से उपभो2ता घर बैठे व व के )कसी भी कोने से खर3दार3 कर सकते ह" । वे इंटरनेट
के ;वारा वां0छत वFतु को मँगवा सकते ह" । सभी छोटे -बड़े Dमुख काया1लयC व QयापाWरक
अनु+ठानC म% इंटरनेट धीरे -धीरे अपनी जगह बनाता जा रहा है ।
#न3न4ल6खत मC से #नद1 शानुसार सवा%/धक उपयु[त वकOप8 का चयन क?िजए:-
(1) जीवन के `ेaC म% सबसे अ धक Tां0तकार3 कदम )कस `ेa म% उठाए गए ह" ? 1
I. FवाFsय `ेa
II. 9श`ा `ेa
III. संचार `ेa
IV. कृ ष `ेa
(2) इ टरनेट के 9लए 0न?न9लtखत म% से )कस उपकरण क आव यकता नह3ं है ? 1
I. कंRयट
ू र
II. टे ल3फोन लाइन
III. Dंटर
IV. मॉडेम
(3) ‘ई-मेल’ का 2या ताGपय1 है ? 1
I. इलेि2,कल मेल
II. इले2,ॉ0नक मेल
III. इलF,े टेड मेल
IV. इनम% से कोई नह3ं
(4) मनु+य का दरू बैठे मनु+य से सीधा संपक1 Fथा पत करने के 9लए सबसे GवWरत व कम खचn 1
का व वसनीय साधन 2या है ?
I. पa
II. टे ल3iाम
III. इंटरनेट
IV. उपरो2त सभी
(5) 0न?न9लtखत म% )कससे उपभो2ता आसानी से और जLद3 से काया1लय, QयापाWरक अन+ु ठान व 1
उससे संबं धत उGपाद क परू 3 जानकार3 व व के )कसी भी कोने म% घर बैठे DाRत कर सकते
ह" ?
I. वेबसाइट से
II. इले2,ॉ0नक मेल से
III. एस.एम.एस. से
IV. समाचार पaC से
न2. नीचे 2 गQयांश दए गए हDl Tकसी 1 गQयांश को Uयानपव
ू क
% प ढ़ए और उस पर आधा&रत 5X1=5
न8 के उLतर द िजए-
गQयांश-I
य द आप इस गQयांश का चयन करते हD तो कृपया उLतर-पिु Fतका मC 4लखC Tक आप न
संZया 2 मC गQयांश-I पर आधा&रत न8 के उLतर 4लख रहे हD l
भारत महान है 2यC)क इसक Dाकृ0तक शोभा 0नराल3 है और अनेक व वधताओं से भर3 हुई
है । उGतर म% Hहमालय पव1त और दq`ण म% उसके चरणC को पखारता सागर बहुत ह3 मनोरम
है । यहाँ एक के बाद अनेक ऋत ुएँ भारत को अपनी शोभा Dदान करती ह"। iी+म ऋतु, वषा1
ऋतु, 9श9शर ऋत,ु हे म त ऋत,ु शरद ऋत ु और इन सब ऋतुओं का सरताज वस त ऋतु जन
जीवन म% आनंद घोलता है । ऋतरु ाज वस त- छः ऋतुओं का Dाकृ0तक सwदय1 संसार के )कसी
अ य दे श को DाRत नह3ं है। उGतर3 xव
ु C म% बारह मह3ने सदy रहती है। अl का म% गमz ह3
गमz होती है । पर हमारे दे श म% सार3 ऋतुएँ अपने साथ नया आनंद और खश
ु ी लेकर आती
ह"। पर वस त इन सार3 ऋतुओं का राजा है । इसी9लए इसे ‘ऋतुराज’ वस त कहते ह"। बस त
ऋतु क शोभा वाFतव म% 0नराल3 है । वस त ऋतु से पहले होता है 9श9शर का मौसम। 9श9शर
ऋतु म% पेड़ पौधC के परु ाने पGते झड़ जाते ह" । बस त आते ह3 Dकृ0त म% नया जीवन आ
जाता है । Dकृ0त का आँचल नई नई कCपलC, कोमल-कोमल पGतC रं ग {बरं गे फूलC और फलC
से भर जाता है । बागC म% कोयल कूकने लगती है । सरसC के खेत पीले पीले फूलC से tखल
उठते ह"। आमC क मंजWरयC से आम के पेड़ लहरा उठते ह"। च?पा, चमेल3, गुलाब, ग"दा- अनेक
Dकार के फूल, रं ग {बरं गे फूल Dकृ0त क शोभा बढ़ा दे ते ह"। सुगं धत हवा के झCके मन को
Dस न कर दे ते ह"।
#न3न4ल6खत मC से #नद1 शानुसार सवा%/धक उपयु[त वकOप8 का चयन क?िजए:-
(1) ग;यांश के अनस
ु ार बताइए )क भारत 2यC महान है ? 1
I. Dाकृ0तक शोभा के कारण
II. वसंत ऋतु के कारण
III. Hहमालय के कारण
IV. इनम% से कोई नह3ं
(2) सब ऋतुओं का सरताज )कस ऋतु को कहा जाता है ? 1
I. 9श9शर ऋतु
II. शरद ऋतु
III. वसंत ऋतु
IV. हेमत
ं ऋतु
(3) हमारे दे श म% सार3 ऋतुएँ अपने साथ 2या लेकर आती ह"? 1
I. आँधी और तूफ़ान
II. आनंद और ख़श
ु ी
III. उदासी और मायस
ू ी
IV. उपरो2त सभी
(4) 9श9शर ऋतु म% Dकृ0त म% 2या पWरवत1न होते ह"? 1
I. अGय धक गमz के कारण पश-ु प`ी बेहाल हो जाते ह" l
II. Dकृ0त का आँचल नई नई कCपलC, कोमल-कोमल पGतC रं ग {बरं गे फूलC और फलC से भर
जाता है ।
III. वषा1 और हWरयाल3 छा जाती है l
IV. पेड़ पौधC के परु ाने पGते झड़ जाते ह"।
(5) 0न?न9लtखत म% से सवा%/धक उपय[
ु त शीष%क का चयन क िजए- 1
I. मेरा दे श महान
II. ऋत रु ाज वसंत
III. Dाकृ0तक सौ दय1
IV. हरा-भरा संसार
अथवा गQयांश-II
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संZया 2 मC गQयांश-II पर आधा&रत न8 के उLतर 4लख रहे हD l
हम सभी के पास अपने जीवन के 9लए कोई न कोई उ~े य ज़Jर ह3 है िजसके ;वारा हम
अ धक से अ धक स?प नता, D0त+ठा, अrछा पद, मानस?मान DाRत करना चाहते है-l इसके
9लए हर कोई डॉ2टर, वक ल, इंजी0नयर आHद बनना चाहता है , तो कोई सफल {बजनसमैन -
बनना चाहता है । ले)कन यह सभी उ~े य तो केवल हमार3 पश-ु विृ Gत को ह3 दशा1ते ह"। िजस
Dकार सभी पशु और जीव-जंतु भी अपने और अपनी संतान के 9लए ह3 पWरPम करते है और
अपने वच1Fव के 9लए ह3 आपस म% संघष1 करते है । उसी Dकार हमारा पWरPम भी तो केवल
अपने और अपने पWरवार के 9लए धन संपिGत, मानस?मान अिज1त करना ह-◌ै, तो हम )कस
Dकार अ य जीव-जंतुओ,ं पशुओं से अलग हुए? वे भी Fवयं के 9लए जीते है और हम भी ,
)फर हम कैसे कह सकते है )क हम उनसे Pे+ठ है ? यह सGय है )क हम मनु+य , दस
ू रे जीव-
जंतुओं )क अपे`ा बहुत अ धक बु •मान है , हमने अपनी ब ु • के बल पर अपने 9लए सख
ु -
सु वधाओं के असं&य साधनC का आ व+कार कर 9लया है । पर सब कुछ होते हुए भी हमार3
विृ Gतयाँ पशुओ ं के समान ह3 है । एक पशु भी अपनी Dविृ GतयC के सामने 0नब1ल और अवश है
वैसे ह3 हम भी है । हमने नHदयC के उफनते हुए पानी को तो बांध बना कर रोक Hदया है,
ले)कन अपनी भावनाओं पर कोई बांध नह3ं बना पाए। हम अपनी Dविृ GतयC व भावनाओ के
सामने आज भी उतने ह3 अवश है िजतने सैकड़C – हजारC साल पहले थे ।
#न3न4ल6खत मC से #नद1 शानुसार सवा%/धक उपयु[त वकOप8 का चयन क?िजए:-
(1) )कसके पास अपने जीवन के 9लए कोई न कोई उ~े य ज़Jर है ? 1
I. पशुओं के पास
II. मनु+यC के पास
III. परiHहयC के पास
IV. उपरो2त म% से कोई नह3ं
(2) हर कोई डॉ2टर, वक ल, इंजी0नयर, {बजनसमैन- आHद 2यC बनना चाहता है ? 1
I. स?प नता के 9लए
II. पद और D0त+ठा के 9लए
III. मान-स?मान के 9लए
IV. उपरो2त सभी
(3) ग;यांश के अनुसार कौन Fवयं के 9लए जीता है ? 1
I. पशु
II. मनु+य
III. पशु और मन+ु य दोनC ह3
IV. इनम% से कोई नह3ं
(4) )कसके बल पर हमने अपने 9लए सख
ु -सु वधाओं के असं&य साधनC का आ व+कार कर 9लया 1
है ?
I. चमGकार के बल पर
II. बु • के बल पर
III. 9शकार3 Dविृ Gत के बल पर
IV. उपरो2त सभी
(5) आज भी हम )कसके सामने अवश ह"? 1
I. नHदयC के उफ़ान के सामने
II. व‚ान के सामने
III. Dविृ GतयC व भावनाओ के सामने
IV. उपरो2त सभी
_यावहा&रक _याकरण (16)
न3. #न3न4ल6खत पाँच भाग8 मC से Tक0ह ं चार भाग8 के उLतर द िजए-
(1) जब शmद वा2य म% Dय2
ु त हो जाते ह" तब वे कहलाते ह"- 1
I. वण1
II. अ`र
III. पद
IV. अनुrछे द
(2) ‘बड़े भाई साहब छोटे भाई से पाँच साल बड़े थेl’ – रे खां)कत म% पद है :- 1
I. सं‚ा पद
II. सव1नाम पद
III. वशेषण पद
IV. )Tया पद
(3) ‘सड़क पर गरा हुआ थैला मनीष का है l’- वा2य म% सं‚ा पदबंध है :- 1
I. सड़क पर
II. गरा हुआ थैला
III. मनीष का है
IV. सड़क पर गरा हुआ थैला
(4) ‘तताँरा को मानो कुछ होश आया l’ - वा2य म% रे खां)कत पदबंध है :- 1
I. सं‚ा पदबंध
II. सव1नाम पदबंध
III. )Tया पदबंध
IV. )Tया वशेषण पदबंध
(5) ‘वह धीरे -धीरे चलते हुए वहाँ जा पहुँची l’ - वा2य म% रे खां)कत पदबंध है :- 1
I. सं‚ा पदबंध
II. सव1नाम पदबंध
III. )Tया पदबंध
IV. )Tया वशेषण पदबंध
न4. #न3न4ल6खत पाँच भाग8 मC से Tक0ह ं चार भाग8 के उLतर द िजए-
(1) वे वा2य िजनम% एक Dधान(मु&य) उपवा2य हो तथा एक या एक से अ धक उपवा2य उस पर 1
आ Pत हC –वह वा2य कहलाता है:-
I. सरल वा2य
II. संयु2त वा2य
III. 9मP वा2य
IV. Dमुख वा2य
(2) ‘ये वज़ीर अल3 आदमी है या भत
ू l’- वा2य रचना क Vि+ट से है :- 1
I. सरल वा2य
II. संय2
ु त वा2य
III. 9मP वा2य
IV. Dमुख वा2य
(3) ‘जो Qयि2त साहसी होते ह" वे वपिGत म% घबराते नह3ं ह"l’- का सरल वा2य बनेगा:- 1
I. साहसी Qयि2त वपिGत म% घबराते नह3ं ह" l
II. जो साहसी होते ह" वे घबराते नह3ं ह" l
III. वपिGत म% घबराने वाले Qयि2त साहसी नह3ं होते l
IV. Qयि2त साहसी होते ह" और वपिGत म% घबराते नह3ं ह" l
(4) 0न?न9लtखत म% 9मP वा2य है :- 1
I. पताजी ने मुझे पढ़ाया और 9श`क बनाया l
II. उसे )कताब% खर3दनी थी, इस9लए वह बाज़ार चल3 गई l
III. वामीरो कुछ सचेत होने पर घर क तरफ दौड़ी l
IV. पर3`क ने समय परू ा होने पर उGतर-पaकC को जमा करने के 9लए कहा l
(5) 0न?न9लtखत म% सरल वा2य है :- 1
I. 0तराहा उस Fथान को कहते ह" , जहाँ तीन राFते आकर 9मलते ह" l
II. अं)कत और 9शव%o जी ने ऑनलाइन क`ाओं का सफलतापव
ू क
1 संचालन )कया l
III. अन या ने पेन माँगा और ^ च ने उसे लाकर Hदया l
IV. जीवन म% ऐसा पहल3 बार हुआ )क म" इस तरह परे शान हो गया l
न5. #न3न4ल6खत पाँच भाग8 मC से Tक0ह ं चार भाग8 के उLतर द िजए-
(1) ‘दे शभि2त’- शmद म% कौन-सा समास है :- 1
I. तGपु^ष
II. कम1धारय
III. बहुˆीHह
IV. ;वं;व
(2) ‘घुड़सवार’- समFतपद का वiह है :- 1
I. घोड़े का सवार
II. घोड़े के 9लए सवार
III. घोड़े पर सवार
IV. घोड़ा और सवार
(3) ‘परम है जो आनंद’- का समFतपद है :- 1
I. परमआनंद
II. परआनंद
III. परमानंद
IV. Dेमानंद
(4) ‘रोगमु2त’- शmद के सह3 समास वiह का चयन क िजए :- 1
I. रोग को म2
ु त
II. रोग से म2
ु त
III. रोग के 9लए म2
ु त
IV. रोग म% म2
ु त
(5) ‘ ववेकानुसार’- समFतपद का वiह है :- 1
I. ववेक और अनुसार
II. ववेक के अनुसार
III. ववेक से अनस
ु ार
IV. ववेक के 9लए अनुसार
न6. #न3न4ल6खत चार8 भाग8 के उLतर द िजए-
(1) मेर3 बेट3 मेर3 __________है l :- सट3क मह
ु ावरे से Wर2त Fथान क प0ू त1 क िजए:- 1
I. आँखC का गुलाब
II. आँखC का तारा
III. आँखC का सैलाब
IV. आँखC का जहाँ
(2) मेरे पताजी ने मुझ े पढ़ाने के 9लए __________ l :- सट3क मुहावरे से Wर2त Fथान क 1
प0ू त1 क िजए:-
I. Hदन रात एक कर Hदया
II. Šट से Šट कर Hदया
III. बद
ँू बद
ँू घड़ा भर Hदया
IV. राई का पहाड़ बना Hदया
(3) हमारे दे श के वीर सै0नकC ने द ु मनC के __________ l :- सट3क मुहावरे से Wर2त Fथान 1
क पू0त1 क िजए:-
I. Hदन रात एक कर Hदए
II. छ2के छुड़ा Hदए
III. गाल बजा Hदए
IV. दाँत 0नकाल Hदए
(4) अपराधी प9ु लस को दे खते ह3 __________बन जाते ह" l :- सट3क मह
ु ावरे से Wर2त Fथान 1
क पू0त1 क िजए:-
I. भीग% पLले
II. भीगीं {बLल3
III. भीग% चूहे
IV. भीगीं मोरनी
पाcय-पF
ु तक (14)
न7. #न3न4ल6खत पQयांश को पढ़कर न8 के सवा%/धक उपय[
ु त वकOप8 का चयन क?िजए:- 4X1=4
'मन+ु य माa बंधु है' यह3 बड़ा ववेक है,
परु ाणप^
ु ष Fवयंभू पता D9स• एक है ।
फलानस
ु ार कम1 के अव य बा‹य भेद ह",
परं तु अंतरै 2य म% Dमाणभत
ू वेद ह"l
अनथ1 है )क बंधु ह3 न बंधु क Qयथा हरे ,
वह3 मनु+य है )क जो मनु+य के 9लए मरे ।।
चलो अभी+ट माग1 म% सहष1 खेलते हुए,
वपिGत, वŒन जो पड़% उ ह% ढकेलते हुए।
घटे न हेलमेल हाँ, बढ़े न 9भ नता कभी,
अतक1 एक पंथ के सतक1 पंथ हC सभी।
तभी समथ1 भाव है )क तारता हुआ तरे ,
वह3 मन+ु य है )क जो मन+ु य के 9लए मरे ।।
(1) प;यांश के अनस
ु ार बड़ा ववेक 2या है ? 1
I. परु ाणप^
ु ष Fवयंभू एक D9स• पता है ।
II. फलानुसार कम1 के बा‹य भेद ह" l
III. मनु+य माa बंधु है l
IV. उपरो2त म% से कोई नह3ं
(2) ‘फलानुसार कम1’ के भेद कैसे ह" ? 1
I. आंतWरक
II. बा‹य
III. न तो आंतWरक और न बा‹य
IV. आंतWरक और बा‹य दोनC
(3) प;यांश के अनस
ु ार 2या अनथ1 है ? 1
I. मनु+य का मन+ु य के 9लए मरना
II. कम1 के अनुसार फलC को भोगना
III. मनु+य ;वारा मन+ु य के क+टC को न हरना
IV. हेलमेल बढ़ना और भेदभाव का न+ट होना
(4) सrचा मन+ु य कौन है :- 1
I. जो दस
ू रC के 9लए जीता हो
II. जो दस
ू रC को क+ट दे ता हो
III. जो Fवयं के 9लए मरता हो
IV. जो धन,यश क कामना रखता हो
न8. #न3न4ल6खत गQयांश को पढ़कर न8 के सवा%/धक उपय[
ु त वकOप8 का चयन क?िजए:- 5X1=5
म" तो खेलते-कूदते दरजे म% अQवल आ गया।' ज़बान से यह 'हे कड़ी जताने का साहस न होने
पर भी मेरे रंग-ढं ग से साफ़ ज़ाHहर होता था )क भाई साहब का वह आतंक मझ
ु पर नह3ं था।
भाई साहब ने इसे भाँप 9लया-उनक सहज बु • बड़ी तीˆ थी और एक Hदन जब म" भोर का
सारा समय गL
ु ल3-डंडे क भ%ट करके ठŽक भोजन के समय लौटा, तो भाई साहब ने मानो
तलवार खींच ल3 और मझ ु पर टूट पड़े-दे खता हूँ, इस साल पास हो गए और दरजे म% अQवल
आ गए, तो तु?ह% Hदमाग हो गया है, मगर भाईजान, घमंड तो बड़े-बड़े का नह3ं रहा, तु?हार3
2या हFती है? इ0तहास म% रावण का हाल तो पढ़ा ह3 होगा। उसके चWरa से तुमने कौन-सा
उपदे श 9लया? या यC ह3 पढ़ गए? महज़ इि?तहान पास कर लेना कोई चीज़ नह3ं, असल चीज़
है बु • का वकास l
(1) ‘म" तो खेलते-कूदते दरजे म% अQवल आ गया।'- यह कथन )कसका है ? 1
I. बड़े भाई साहब का
II. छोटे भाई का
III. छोटे भाई के 9मa का
IV. बड़े भाई के 9मa का
(2) बड़े भाई का वह आतंक छोटे भाई पर 2यC नह3ं था ? 1
I. 2यC)क बड़े भाई साहब पर3`ा म% पास हो गए थे l
II. 2यC)क बड़े भाई साहब अब पढाई के 9लए पWरPम करने लग गए थे l
III. 2यC)क बड़े भाई साहब पर3`ा म% फेल हो गए थे l
IV. 2यC)क बड़े भाई साहब ने छोटे भाई से अब बात करना छोड़ Hदया था l
(3) बड़े भाई ने )कस पौराtणक चWरa का उदाहरण दे ते हुए छोटे भाई पर Qयं•य कसा ? 1
I. राम का
II. कृ+ण का
III. रावण का
IV. कंस का
(4) बड़े भाई साहब के अनस
ु ार असल चीज़ 2या है ? 1
I. इि?तहान पास कर लेना
II. पर3`ा म% अQवल आना
III. बु • का वकास
IV. उपरो2त सभी
(5) ‘तलवार खींचना’ मह
ु ावरा का अथ1 है :- 1
I. यु• के 9लए तैयार हो जाना
II. आGमसमप1ण कर दे ना
III. ;वं;व यु• के 9लए ललकारना
IV. काय1 शी•ता से संप न करना
न9. #न3न4ल6खत गQयांश को पढ़कर न8 के सवा%/धक उपय[
ु त वकOप8 का चयन क?िजए:- 5X1=5
कई सालC से बड़े-बड़े {बLडर समंदर को पीछे धकेल कर उसक जमीन को ह थया रहे थे।
बेचारा समंदर लगातार 9समटता जा रहा था। पहले उसने अपनी फैल3 हुई टाँग% समेट3, थोड़ा
9समटकर बैठ गया। )फर जगह कम पड़ी तो उकडूं बैठ गया। )फर खड़ा हो गया...जब खड़े
रहने क जगह कम पड़ी तो उसे गF
ु सा आ गया। जो िजतना बड़ा होता है उसे उतना ह3 कम
गF
ु सा आता है । परंतु आता है तो रोकना मिु कल हो जाता है , और यह3 हुआ, उसने एक रात
अपनी लहरC पर दौड़ते हुए तीन जहाज़C को उठाकर बrचC क ग% द क तरह तीन Hदशाओं म%
फ%क Hदया। एक वलy के समंदर के )कनारे पर आकर गरा, दस
ू रा बांoा म% काट1 र रोड के
सामने औंधे मह
ुँ और तीसरा गेट वे ऑफ़ इंkडया पर टूट-फूटकर सैला0नयC का नज़ारा बना
बावजद
ू को9शश, वे )फर से चलने-)फरने के का{बल नह3ं हो सके।
(1) {बLडर समंदर को पीछे धकेल कर उसक जमीन को 2यC ह थया रहे थे? 1
I. बड़े-बड़े जहाज़ बनाने के 9लए
II. व`
ृ ारोपण के 9लए
III. नई बिFतयC और भवनC के 0नमा1ण के 9लए
IV. सम दर पर बाँध बनाने के 9लए
(2) समंदर को गुFसा 2यC आ गया ? 1
I. 2यC)क उसका Fवभाव ह3 ऐसा था
II. 2यC)क उसके रहने का Fथान 0छनता जा रहा था
III. 2यC)क वह इंसानC को बहुत पसंद करता था
IV. 2यC)क वह लोगC को डराना चाहता था
(3) ‘जो िजतना बड़ा होता है उसे उतना ह3 कम गुFसा आता है ।’- पंि2त का आशय है :- 1
I. बड़े और शि2तशाल3 मद म% चरू रहते ह"
II. जो िजतना बड़ा और शि2तशाल3 होता है उसके पास धैय1 भी उतना ह3 अ धक होता है
III. बड़े और शि2तशाल3 लोगC म% Tोध नह3ं पाया जाता
IV. इनम% से कोई नह3ं
(4) तीसरा जहाज़ टूट-फूट कर )कस काम आया ? 1
I. {बिLडंगC को बनाने म%
II. समंदर पर पल
ु बनाने के
III. सैला0नयC का नज़ारा बनने के
IV. संiहालय के
(5) ‘लहरC पर दौड़ना’- का अथ1 है :- 1
I. पानी म% डूबना
II. पानी पर तैरना
III. पानी के 9लए भागना
IV. पानी को Fवrछ बनाना
खंड ‘ब’-वण%नाLमक न
पाcय-पF
ु तक एवं प ूरक पाcय-पF
ु तक (14)
न10. #न3न4ल6खत न8 मC से Tक0ह ं 2 न8 के उLतर लगभग 25-30 शeद8 मC 4ल6खए:- 2X2=4
(i) एकांक ‘कारतस
ू ’ पाठ के आधार पर उGतर द3िजए )क वज़ीर अल3 के अफसाने सुनकर कन1ल 2
को रॉ{बनहुड क याद 2यC आ जाती थी?
(ii) ‘JHढयाँ जब बंधन बन बोझ बनने लग% तब उनका टूट जाना ह3 अrछा है ।‘ 2यC? तताँरा- 2
वामीरो पाठ के आधार पर Fप+ट क िजए।
(iii) ‘कर चले हम )फ़दा’ गीत म% धरती को दL
ु हन 2यC कहा गया है? 2
न11. #न3न4ल6खत न का उLतर लगभग 60-70 शeद8 मC 4ल6खए:- 1X4=4
‘पव1त Dदे श म% पावस’ क वता के आधार पर पावस ऋतु म% पव1तीय Dदे श म% होने वाले 4
Dाकृ0तक पWरवत1नC और सौ दय1 का वण1न क िजए l
न12. #न3न4ल6खत न8 मC से Tक0ह ं 2 न8 के उLतर लगभग 40-50 शeद8 मC 4ल6खए:- 2X3=6
(i) टोपी और इ‘फ़न क दाद3 अलग-अलग मजहब और जा0त के थे पर एक अनजान अटूट 3
Wर ते से बँधे थे। इस कथन के आलोक म% अपने वचार 9लtखए।
(ii) अनपढ़ होते हुए भी हWरहर काका द0ु नया क बेहतर समझ रखते ह" । ‘हWरहर काका’ कहानी के 3
आधार पर Fप+ट क िजए।
(iii) एक ह3 क`ा म% दो-दो बार बैठने से टोपी को )कन भावनाGमक चुनौ0तयC का सामना करना 3
पड़ा? अपने शmदC म% वण1न क िजए l
लेखन (26)
न13. #न3न4ल6खत मC से Tकसी 1 वषय पर दए गए संकेत-gबदओ
ु ं के आधार पर लगभग 80- 1X6=6
100 शeद8 मC एक अनुiछे द 4ल6खए:-
1. मेर पहल या ा
• कब, 2यC और कैसे
• याaा से जड़
ु े ख’े-मीठे अनुभव
• याaा का समापन
2. कोरोना महामार
• कोरोना का वैि वक Dभाव
• Dसार के कारण
• बचाव के उपाय
3. अनुशासन
• सफलता का मूल मंa
• Qयि2तगत और् सामािजक जीवन के 9लए आव यक
• काय1`मता म% व ृ •
न14. ऑनलाइन क`ाओं के 9लए आपने एक मोबाइल क ऑनलाइन ब)ु कं ग कराई थी, )क तु वह 1X5=5
मोबाइल अभी तक आपके पते पर नह3ं पहुँचा l इस स दभ1 म% 9शकायत दज1 कराने के 9लए
ऑनलाइन क?पनी के Dबंधक को एक पa 9लtखए l
अथवा
आपके घर के पास भवन 0नमा1ण सामiी खुले म% पड़ी है िजससे धूल-9मटट3 उड़ती रहती है
और Dदष
ू ण फैलता है l अपने `ेa के नगर-0नगम अ धकार3 को इस समFया का समाधान
करने के 9लए एक पa 9लtखए l
न15. आप व;यालय के Hहंद3 सभा के अhय` ह" l आप व;यालय क प{aका के 9लए व;यालय 1X5=5
के छाaC से उनक Fवर चत रचनाएँ आमं{aत करना चाहते ह" l इस आशय हेतु लगभग 30-
40 शmदC म% एक सच
ू ना तैयार क िजए l
अथवा
आप अपने व;यालय म% एक नई कब–डी ट3म बनाना चाहते ह" l इसके 9लए व;यालय के
सभी व;या थ1यC के 9लए लगभग 30-40 शmदC म% एक सच
ू ना तैयार क िजए l
न16. आप अपने मोहLले म% हो रहे ‘Fवछता सRताह’ के आयोजन के 9लए लगभग 25-50 शmदC म% 1X5=5
एक व‚ापन तैयार क िजए l अथवा
अपना परु ाना मोबाइल बेचने के 9लए लगभग 25-50 शmदC म% एक व‚ापन तैयार क िजए l
न17. ‘यHद म" सप
ु रमैन होता’ – वषय पर लगभग 100-120 शmदC म% एक लघक
ु था 9लtखए l 1X5=5
अथवा
‘जीवन एक संघष1 है ’ - वषय पर लगभग 100-120 शmदC म% एक लघुकथा 9लtखए l

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