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Practice Paper 3 Class X Hindi A
Practice Paper 3 Class X Hindi A
हमारे दे श के :योहार चाहे धा म>क EिFट से मनाए जा रहे ह या नए वष> के आगमन के Iप म+ ; फ़सल
क" कटाई एवं ख लहान के भरने क" ख़श
ु ी म+ ह या महापुNष क" याद म+ ; सभी अपनी Aवशेषताओं एवं
Pे)ीय 'भाव से युQत होने के साथ ह; दे श क" राFS;य एवं सां4कृ तक एकता और अखंडता को मज़बूती
'दान करते ह.। ये :योहार जहाँ जनमानस म+ उBलास, उमंग एवं ख़ुशहाल; भर दे ते ह., वह;ं हमारे अंदर
दे शभिQत एवं गौरव क" भावना के साथ-साथ Aव(व-बंध:ु व एवं समZवय क" भावना भी बढ़ाते ह.। :योहार
के [वारा महापुNष के उपदे श हम+ बार-बार इस बात क" याद दलाते ह. \कस Aवचार एवं स]ावना [वारा
ह; हम 'ग त क" ओर बढ़ सकते ह.। इन :योहार के मा^यम से हम+ यह भी शPा मलती है \क वा4तव
म+ धम` का मूल लaय एक है , \कं तु उस लaय तक पहुँचने के तर;क़े अलग अलग ह.।
1. :योहार \कसे मज़बूती 'दान करते ह.?
i. दे श के नाग@रक के आ:मबल को
ii. हमारे आदश` और भावनाओं को
iii. दे श क" राFS;य एवं सां4कृ तक एकता और अखंडता को
iv. इनम+ से कोई नह;ं
य द हमारे वP
ृ 4व4थ ह., तो नि(चत मा नए हम भी 4व4थ ह.। हम+ तो 'ाणवायु उZह;ं से मलती है ।
हम काब>नडाईआQसाइड छोड़ते या उZह+ दे ते ह. और वे बदले म+ ऑQसीजन दे ते ह., जो हमारे जीवन क"
हर ग तAवfध के लए आव(यक है । हमारे 4वा4iय का हर jबंद ु ऑQसीजन क" उपलkधता से अन'
ु ा णत
है । हम य द अपने आस-पास खड़े वP
ृ क" रPा का िज़ मा अपने कंध पर उठा ल+ तो नि(चत मा नए
\क अपने आपको ल बे समय तक 4व4थ रखने क" गारं ट; 'ाmत कर ल; है । वP
ृ क" रPा म+ ह; हमारे
जीवन क" सुरPा का राज छपा है । कहा जाता है \क एक 4व4थ मन हज़ार सोने के संहासन से कह;ं
अfधक मूBयवान होता है , Qय \क 4व4थ मन ह; 4व4थ दे श क" रचना करने म+ समथ> है । कुि:सत
Aवचार वाले लोग अपना जीवन तो चला सकते ह. ले\कन समाज और दे श को नह;ं चला सकते। करोड़
प@रवार के सुनहरे भAवFय के बारे म+ वह; fचंतन, मनन और सज
ृ न कर सकता है , जो nयथ> के लालच,
लोभ और षoयं) से मुQत हो और िजस पर \कसी भी 'कार का कोई अनुfचत दबाव न हो।
1. हमारा 4वा4iय वP
ृ पर \कस लए नभ>र है ?
i. वP
ृ के नीचे हम नवास करते ह.
ii. वP
ृ हम+ 'ाणवायु दे ते ह.
iii. वP
ृ हम+ दवाइयाँ दे ते ह.
iv. उपरोQत सभी
2. हमारे पया>वरण के संतुलन को बनाए रखने म+ वP
ृ का Qया मह::वपूण> योगदान है ?
i. वP
ृ काब>नडाईआQसाइड लेकर हम+ ऑQसीजन दे ते ह.
ii. वP
ृ हम+ काब>नडाईआQसाइड दे ते ह.
iii. वP
ृ नाइSोजन दे ते ह.
iv. इनम+ से कोई नह;ं
3. हमारे जीवन क" सुरPा का राज \कस म+ छपा है ?
i. वP
ृ को काटने म+
ii. वP
ृ से लाभ उठाने म+
iii. वP
ृ क" रPा म+
iv. क और ख दोन
4. ग[यांश म+ 4व4थ मन को सवा>fधक मूBयवान Qय कहा गया है ?
i. Qय \क उससे करोड़ महल ख़र;दे जा सकते ह.
ii. Qय \क 4व4थ मन हम+ शिQतशाल; बनाता है
iii. इससे हम धनवान होते ह.
iv. Qय \क 4व4थ मन ह; 4व4थ दे श क" रचना करने म+ समथ> होता है
नज रPा का अfधकार रहे जन-जन को, सबक" सुAवधा का भार \कं तु शासन को।
म. आय` का आदश> बताने आया, जन स मुख धन को तुpछ बताने आया।
सुख-शां त म. qां त मचाने आया, Aव(वासी का Aव(वास बचाने आया।
म. आया उनके हे तु \क जो ताAपत ह., जो Aववश, Aवकल, बल-ह;न, द;न, शाAपत ह.।
हो जाएँ अभय वे िजZह+ \क भय भा सत ह., जो कौणप-कुल से मूक-सEश शा सत ह.।
म. आया िजसम+ बनी रहे मया>दा, बच जाए 'लय से मटे न जीवन सादा।
सुख दे ने आया, दःु ख झेलने आया, म. मनुFय:व का नाtय खेलने आया।
म. यहाँ एक अवलंब छोड़ने आया, गढ़ने आया हूँ नह;ं तोड़ने आया।
म. यहाँ जोड़ने नह;ं बाँटने आया, जग उपवन के झंझाड़ छाँटने आया।
म. राuय भोगने नह;ं भुगाने आया, हं स को मुQता-मोती चुगाने आया।
भव म+ नव वैभव nयाmत कराने आया, नर को ई(वरता 'ाmत कराने आया।
संदेश यहाँ म. नह;ं 4वग> का लाया, इस भू तल को ह; 4वग> बनाने आया।
अथवा आकष>ण पुvय भू म का ऐसा, अवत@रत हुआ म. आप उpच फल जैसा।।
1. दे शवा सय क" सुख-सुAवधा का भार \कस पर होना माना गया है ?
i. सेना पर
ii. जनता पर
iii. शासन पर
iv. ई(वर पर
2. कAव \कसक" रPा हे तु आने क" बात कह रहा है ?
i. Aववश लोग क"
ii. बलह;न क"
iii. द;न और शाAपत क"
iv. इन सब क"
3. कAवता म+ धरती को Qया बनाने क" बात कह; गई है ?
i. पाताल
ii. 4वग>
iii. yzम लोग
iv. नरक
4. ‘जग उपवन के झंखाड़ छाँटने आया’ पंिQत म+ कAव ‘झंखाड़’ के मा^यम से Qया नFट करने को कहता है ?
i. घास-फूस
ii. jबजल; के तार
iii. सब के कFट, पीड़ा और बाधाएँ
iv. ये सब
5. ‘हं स को मुQता-मोती चुगाने आया’ पंिQत म+ \कस अलंकार का 'योग \कया गया है ?
i. उपमा
ii. Iपक
iii. (लेष
iv. यमक
अथवा
सुख और शोक,
अंधकार और आलोक
मोह और म:सर,
शां त और संघष>
आते-जाते बने रह+ ,
तो nयिQत को लगता है
वह जी रहा है अभी,
जब से पैदा हुआ है वह
मंशाएँ इसी तरह उधेड़ रहा है , सी रहा है
और इसी म+ रमा हुआ है
कभी सुख से एक होता है
कभी शोक से, कभी अंधकार से
कभी आलोक से
ग त और दग
ु > त इस लए
उसके पाँव म+ है
और ग त अगर कह;ं है तो सफ़> उसके घाव म+ है ।
शुI से अब तक
वे हरे ह., जैसे के तैसे।
Fयावहा&रक Fयाकरण
पाQय पु2तक
फ़ादर को याद करना एक उदास शांत संगीत को सुनने जैसा है । उनको दे खना कNणा के नम>ल जल म+
4नान करने जैसा था और उनसे बात+ करना कम> के संकBप से भरना था। मुझे ‘प@रमल’ के वे दन याद
आते ह. जब हम सब एक पा@रवा@रक @र(ते म+ बँधे जैसे थे िजसके बड़े फ़ादर बुBके थे। हमारे हँसी-मज़ाक़
म+ वह न ल>mत शा मल रहते, हमार; गोिFठय म+ वह गंभीर बहस करते, हमार; रचनाओं पर बेबाक़ राय
और सुझाव दे ते और हमारे घर के \कसी भी उ:सव और सं4कार म+ वह बड़े भाई और पुरो हत जैसे खड़े
हो हम+ अपनी आशीष से भर दे ते। मुझे अपना बpचा और फ़ादर का उसके मुख म+ पहल; बार अZन
डालना याद आता है और नील; आँख क" चमक म+ तैरता वा:सBय भी – जैसे \कसी ऊँचाई पर दे वदार क"
छाया म+ खड़े ह ।
1. लेखक के लए फ़ादर को याद करना कैसा है ?
(i) \कसी धा म>क 'ाथ>ना को सुनने जैसा
(ii) उदास शांत संगीत को सुनने जैसा
(iii) ई(वर को याद करने जैसा
(iv) इनम+ से कोई नह;ं
3. सा ह:यकार क" रचनाओं के ' त फ़ादर क" Qया ' त\qया होती थी?
(i) वे उन पर बेबाक़ राय और सुझाव दे ते थे
(ii) वे उनक" 'शंसा करते थे
(iii) वे उनम+ क मयाँ नकलते थे
(iv) वे कोई ' त\qया नह;ं दे ते थे
5. उपयुQ
> त ग[यांश के लेखक कौन ह.?
(i) 4वयं 'काश
(ii) सव(वर दयाल सQसेना
(iii) यशपाल
(iv) यतींŠ म|
1. ‘नाथ संभुधनु भंज नहारा होइ ह केउ एक दास तु हारा’ अथा>त- शव धनुष को तोड़ने वाला आपका कोई दास
ह; होगा-यह पंिQत \कसने, \कससे कह; है ? ‘राम-लaमण-परशुराम संवाद’ पाठ के आधार पर बताइए।
(i) लaमण ने परशुराम से
(ii) लaमण ने |ीराम से
(iii) |ीराम ने परशुराम से
(iv) इनम+ से कोई नह;ं
2. ‘अट नह;ं रह; है ’ कAवता म+ \कस ऋतु का वण>न है ?
(i) फागुन का
(ii) शीत का
(iii) …ीFम का
(iv) वैशाख का