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अभ्यास प्रश्नपत्र 2020-21 विषय-ह द

िं ी ऐच्छिक (कोड 002) कक्षा बार ि िं (सेट-2)

ननर्ााररत समय – 3 घिंटे अधर्कतम अिंक – 80

सामान्य ननदे श:- ननम्नलिखित ननदे शों का पािन कीच्िए –


• इस प्रश्नपत्र में दो ििंड ैं- ििंड ‘अ’ और ििंड ‘ब’ l ििंड ‘अ’ में िस्तप
ु रक और ििंड ‘ब’ में िर्ानात्मक प्रश्न
पूिे गए ैं l
• ििंड ‘अ’ में कुि 6 िस्तुपरक प्रश्न पि
ू े गए ैं, च्िनमें कुि प्रश्नों के िैकच्पपक प्रश्न भ सच्म्मलित ैं l
हदए गए ननदे शों का पािन करते ु ए प्रश्नों के उत्तर दीच्िए l
• ििंड ‘ब’ में कुि 8 िर्ानात्मक प्रश्न पि
ू े गए ैं, च्िनमें कुि प्रश्नों के िैकच्पपक प्रश्न भ सच्म्मलित ैं l
हदए गए ननदे शों का पािन करते ु ए प्रश्नों के उत्तर दीच्िए l
प्रश्न ििंड ‘अ’ िस्तप
ु रक प्रश्न अिंक
सिंख्या
अपहित गदयािंश (10)
प्रश्न 1. ननम्नलिखित में से ककस एक गदयािंश को ध्यानपूिक
ा पहिए :-
मनुष्य के जीवन में लक्ष्य का होना बहुत आवश्यक है। लक्ष्य के बबना जीवन दिशाहीन तथा
व्यथथ ही है। एक बार एक दिशाहीन यव ु ा आगे बढे जा रहा था, राह में महात्मा जी की कुदिया
िे ख रुककर महात्मा जी से पछ
ू ने लगा कक यह रास्ता कहााँ जाता है ? महात्मा जी ने पूछा
"तुम कहााँ जाना चाहते हो "? युवक ने कहा "मैं नहीीं जानता मुझे कहााँ जाना है "। महात्मा
जी ने कहा "जब तुम्हें पता ही नहीीं है कक तुम्हें कहााँ जाना है, तो यह रास्ता कहीीं भी जाए,
इससे तुम्हें क्या फकथ पडेगा "? कहने का मतलब है कक बबना लक्ष्य के जीवन में इधर-उधर
भिकते रदहये कुछ भी प्राप्त नहीीं कर पाओगे। यदि कुछ करना चाहते हो तो पहले अपना
एक लक्ष्य बनाओ और उस पर कायथ करो। अपनी राह स्वयीं बनाओ वास्तव में जीवन उसी
का साथथक है जजसमें पररजस्थततयों को बिलने
का साहस है।
गाींधीजी कहते थे कुछ न करने से अच्छा है, कुछ करना। जो कुछ करता है वही सफल-
असफल होता है। हमारा लक्ष्य कुछ भी हो सकता है, क्योंकक हर इींसान की अपनी-अपनी
क्षमता होती है और उसी के अनुसार वह लक्ष्य तनधाथररत करता है।जैसे ववद्याथी का लक्ष्य है
सवाथधधक अींक प्राप्त करना तो नौकरी करने वालों का लक्ष्य होगा पिोन्नतत प्राप्त करना।
इसी तरह ककसी मदहला का लक्ष्य आत्मतनभथर होना हो सकता है। ऐसा मानना है कक हर
मनष्ु य को बडा लक्ष्य बनाना चादहए ,ककन्तु बडे लक्ष्य को प्राप्त करने के ललए छोिे -छोिे
लक्ष्य बनाने चादहए। जब हम छोिे लक्ष्य प्राप्त कर लेते हैं तो बडे लक्ष्य
को प्राप्त करने का हममें आत्मववश्वास आ जाता है। स्वामी वववेकानींि ने कहा था कक जीवन
में एक ही लक्ष्य बनाओ और दिन-रात उसी के बारे में सोचो। स्वप्न में भी तम्
ु हें वही लक्ष्य
दिखाई िे ना चादहए, उसे परू ा करने की एक धन
ु सवार हो जानी चादहए। बस सफलता आपको
लमली ही समझो। सच तो यह है कक जब आप कोई काम करते हैं तो यह जरुरी नहीीं कक
सफलता लमले ही लेककन असफलता से भी घबराना नहीीं चादहए। इस बारे में स्वामी वववेकानींि
जी कहते हैं कक हजार बार प्रयास करने के बाि भी यदि आप हार कर धगर पडे तो एक बार
पुनः उठें और प्रयास करें । हमें लक्ष्य प्राजप्त तक स्वयीं पर ववश्वास रखना चादहए।
ननम्नलिखित में से ननदे शानुसार सबसे उधित विकपपों का ियन कीच्िए –
(i) युवक कहााँ जा रहा था? 1
i. दिशाहीन लक्ष्य की ओर
ii. दिशासदहत लक्ष्य की ओर
iii. लक्ष्य की ओर
iv. मींजजल की ओर
(ii) ककसी ववद्याथी का लक्ष्य क्या होना चादहए ? 1
i. आत्मतनभथर होना
ii. सफल बनना
iii. परीक्षा में उत्तीर्थ होना
iv. सब से अधधक अींक पाना
(iii) i. ककसी मदहला का लक्ष्य क्या होना चादहए ? 1
ii. आत्मतनभथर बनना
iii. परावलींबी बनना
iv. खुश होना
v. गह
ृ स्थ बनना
(iv) व्यजक्त अपना लक्ष्य कैसे तनधाथररत करता है ? 1
i. अपनी क्षमता के अनुसार
ii. अपने सुख के अनुसार
iii. अपने िःु ख के अनुसार
iv. अपने कायथ के अनुसार
(v) छोिे लक्ष्य प्राप्त करने पर क्या होता है ? 1
i. मनुष्य का लक्ष्य परू ा हो जाता है।
ii. मनुष्य में आत्मववश्वास आ जाता है।
iii. मनुष्य सुखी हो जाता है।
iv. मनष्ु य िख
ु ी हो जाता है।
(vi) ककसका जीवन साथथक है ? 1
i. जो पररजस्थततयों को बिलने का साहस रखता है।
ii. जो पररजस्थततयों को बिलने का साहस नहीीं रखता है।
iii. जो इधर - उधर भिकता रता है।
iv. जो लक्ष्य की प्राजप्त नहीीं कर पाता।
(vii) बडे तक्ष्य को प्राप्त करने के ललए क्या करना चादहए? 1
i. छोिे - छोिे लक्ष्य बनाने चादहए
ii. बडे - बडे लक्ष्य बनाने चादहए।
iii. छोिे - छोिे लक्ष्य नहीीं बनाने चादहए।
iv. छोिे - बडे लक्ष्य बनाने चादहए।
(viii) लक्ष्य के बबना जीवन कैसा हो जाता है? 1
i. दिशाहीन
ii. व्यथथ
iii. दिशाहीन, व्यथथ
iv. आत्मववश्वासी
(ix) हमें कब तक स्वयीं पर ववश्वास रखना चादहए ? 1
i. लक्ष्य प्राजप्त तक
ii. लक्ष्य प्राप्त न होने पर
iii. असफलता लमलने पर
iv. प्रयास न करने पर
(x) 'असफल' शब्ि में प्रयक्
ु त उपसगथ है - 1
i. अ
ii. अस
iii. सफल
iv. ल
अथिा
ककसी भी समाज में इने - धगने लोगों को 'अलमताभ बच्चन' 'दिलीप कुमार' कहकर ताना
दिया जाता है लेककन ककसी भी व्यजक्त को पररजस्थततयों का औधचत्य िे खते हुए 'चाली' या
'जॉनी वाकर' कह दिया जाता है। यह स्वयीं एक स्वीकारोजक्त है कक हमारे बीच नायक कम
हैं जबकक हर व्यजक्त िस
ू रे को कभी न कभी वविष
ू क समझता है। िरअसल मनुष्य स्वयीं
ईश्वर या तनयतत का वविष
ू क, क्लाउन, जोकर या साइड-ककक है । यह अकारर् नहीीं हैं कक
महात्मा गाींधी में चाली चैजप्लन का खासा पि
ु था और गाींधी और नेहरू िोनों ने कभी चाली
का साजन्नध्य चाहा था। चाली के तनताींत अभारतीय सौंियथशास्र की इतनी व्यापक स्वीकृतत
िे खकर राजकपरू ने भारतीय कफल्मों का एक सबसे साहलसक प्रयोग ककया। 'आवारा' लसफथ 'दि
ट्रै म्प' का शब्िानुवाि ही नहीीं था बजल्क चाली का भारतीयकरर् ही था। वह अच्छा ही था कक
राजकपरू ने चैजप्लन की नकल करने के आरोपों की परवाह नहीीं की। राजकपरू के 'आवारा'
और 'श्री 420' के पहले कफल्मी नायकों पर हाँसने की और स्वयीं नायकों के अपने पर हाँसने
की परींपरा नहीीं थी। 1953-57 के बीच जब चैजप्लन अपनी गैर - ट्रैम्पम्
ु मा अींततम क़िल्में
बना रहे थे तब तक राजकपरू चैपललन का यव
ु ा अवतार ले रहे थे। कफर तो दिलीप कुमार
(बाबल
ु , शबनम, कोदहनरू ,लीडर, गोपी), िे व आनींि (नौ िो ग्यारह, फींिूश, तीन िे ववयााँ), शम्मी
कपरू , अलमताभ बच्चन (अमर अकबर एींथनी) और श्रीिे वी तक ककसी-ना-ककसी रूप से चैजप्लन
का ऋर् स्वीकार कर चक
ु े हैं। बढ
ु ापे में जब अजन
थु अपने दिवींगत लमर कृष्र् की पजत्नयों को
डाकुओीं से न बचा सके और हवा में तीर चलाते रहे तो यह दृश्य करुर् और हास्योत्पािक
िोनों था ककीं तु महाभारत में लसफथ उसकी रासि व्याख्या स्वीकार की गई । आज क़िल्मों में
ककसी नायक को झाडुओीं से वपिता भी दिखाया जा सकता है लेककन हर बार हमें चाली की
ही ऐसी फरजीहतें याि आती हैं।चाली की अधधकाींश क़िल्में भाषा का इस्तेमाल नहीीं करतीीं।
इसललए उन्हें ज्यािा-से-ज्यािा मानवीय होना पडा। सवाक धचरपि पर कई बडे-बडे कॉमेडडयन
हुए हैं, लेककन वे चैजप्लन की सावथभौलमकता तक क्यों नहीीं पहुाँच पाए इसकी पडताल अभी
होने को है। चाली का धचर - युवा होना या बच्चों जैसा दिखना एक ववशेषता तो है ही, सबसे
बडी ववशेषता शायि यह है कक वे ककसी भी सींस्कृतत को वविे शी नहीीं लेते। यानी उनके
आसपास जो भी चीजें, खलनायक, िष्ु ि औरतें आदि रहती हैं वे एक सतत 'वविे श' या
'परिे स' बन जाते हैं और चैजप्लन 'हम' बन जाते हैं। चाली के सभी सींकिों में हमें यह भी
लगता है कक यह 'मैं' भी हो सकता है, लेककन 'मैं से ज्यािा चाली हमें 'हम' लगते हैं। यह
सींभव है कक कुछ अथों में 'बस्िर कीिन' चाली चैजप्लन से बडी कॉम - प्रततभा हो लेककन
कीिन हास्य का काफ्का है जबकक चैपललन प्रेमचींि के ज्यािा नज़िीक हैं।एक होली का त्योहार
छोड िें तो भारतीय परीं परा में व्यजक्त के अपने पर हाँसने, स्वयीं को जानते-बूझते हास्यास्पि
बना डालने की परीं परा नहीीं के बराबर है। गााँवों और लोक - सींस्कृतत में तब भी वह शायि
हो, नागर सभ्यता में तो वह नहीीं है ।
चैंजप्लन का भारत में महत्त्व यह है कक वह अींग्रेजों जैसे 'व्यजक्तयों पर हाँसने का
अवसर िे ते हैं। चाली स्वयीं पर सबसे ज्यािा तब हाँसता है जब वह स्वयीं को अलभमोन्मत्त,
आत्म - ववश्वास से लबरे ज़, सफलता, सभ्यता, सींस्कृतत और समद्
ृ धध की प्रततमूततथ, िस
ू रों से
ज्यािा प्रततस्पधी और श्रेष्ठ, अपने 'वज्रािवप कठोराणर्' या 'मि
ृ न
ु ी कुसुमािवप’ क्षर् में दिखलाता
है। तब यह समणझए कक कुछ ऐसा हुआ ही चाहता है कक यह सारी गररमा सुई - चुभे जैसी
ही फुस्स हो उठे गी ।
ननम्नलिखित में से ननदे शानस
ु ार सबसे उधित विकपपों का ियन कीच्िए –
(i) चाली चैपललन का यव
ु ा अवतार ककसे कहा जाता है ? 1
i. शम्मी कपूर
ii. दिलीप कुमार
iii. राजकपरू
iv. अलमताभ बच्चन
(ii) चाली चैपललन ककसके ज़्यािा नजिीक हैं? 1
i. प्रेमचींि
ii. बस्िर कीिन
iii. राजकपरू
iv. काफ्का
(iii) ककस कफल्म से नायक पर हाँसने की परीं परा की शरु
ु आत हुई ? 1
i. गोपी
ii. दि ट्रै म्प
iii. लीडर
iv. श्री 420
(iv) चाली की अधधकाींश कफल्में कैसी होती थी ? 1
i. सवाक्
ii. वविे शी
iii. मूक
iv. हास्य
(v) भाषा का कम इस्तेमाल करने के कारर् चाली की कफल्में कैसी होती थी ? 1
i. अमानवीय
ii. प्रेम
iii. हास्य
iv. मानवीय
(vi) कौन सी भारतीय कफल्म चाली का भारतीयकरर् थी ? 1
i. आवारा
ii. दि ट्रै म्प
iii. कोदहनरू
iv. श्री 420
(vii) चाली की नकल को भारतीय कफल्मों में लाने का श्रेय ककसको जाता है ? 1
i. िे व आनींि
ii. शम्मी कपूर
iii. राजकपरू
iv. बस्िर कीिन
(viii) कफल्मों में चाली की सींकिों को िे खकर कैसा महसूस होता है ? 1
i. हम ही चाली हैं
ii. चाली का बच्चा दिखना
iii. हास्यास्पि
iv. रोने जैसा
(ix) प्रस्तत
ु गद्याींश ककसके ववषय में है ? 1
i. राज कपरू
ii. चाली चैपललन
iii. बस्िर कीिन
iv. अलमताभ बच्चन
(x) बस्िर कीिन की तल
ु ना ककससे की गई है? 1
i. महात्मा गाींधी
ii. प्रेमचींि
iii. काफ्का
iv. प्रेमचींि
अपहित पदयािंश (8)
प्रश्न 2. ननम्नलिखित में से ककस एक पदयािंश को ध्यानपूिक
ा पहिए :-
मैंने झुक नीचे को िे खा तो झलकी आशा की रे खा –
ववप्रवर स्नान कर चढा सललल लशव पर िव
ू ाथिल, तींिल
ु , ततल,
लेकर झोली आए ऊपर िे खकर चले तत्पर वानर
द्ववज रामभक्त, भजक्त की आश भजते लशव को बारहों मास।
कर रामायर् का पारायर् जपते हैं श्रीमन्नारायर्।
िःु ख पाते जब होते अनाथ, कहते कवपयों के जोड हाथ।
मेरे पडोस के ये सज्जन, करते प्रततदिन सररता मज्जन।
झोली से पुए तनकाल ललए बढते कवपयों के हाथ दिये।
िे खा भी नहीीं उधर कफर कर जजस ओर रही वह लभक्षु इतर।
धचल्लाया ककया िरू िानव, बोला मैं-धन्य, श्रेष्ठ मानव'।
ननम्नलिखित में से ननदे शानस
ु ार सबसे उधित विकपपों का ियन कीच्िए –
(i) कवव ने नीचे क्या िे खा? 1
i. ऊपर आते एक ब्राह्मर्
ii. नीचे जाते एक ब्राह्मर्
iii. पूजा करते एक ब्राह्मर्
iv. स्नान करते एक ब्राह्मर्
(ii) स्नान करने के पश्चात ् ववप्रवर क्या करते थे? 1
i. ऊपर आ जाते थे
ii. घर चले जाते थे
iii. रामायर् पढते थे
iv. ध्यान करते थे
(iii) ववप्र ने पुए ककसे खाने को दिए? 1
i. लभक्षुक को
ii. कवव को
iii. बींिरों को
iv. कवप को
(iv) कवव ने मानव को धन्य ककस शैली में कहा है ? 1
i. व्यींग्यात्मक शैली में
ii. करुर्ामयी शैली में
iii. प्रश्नात्मक शैली में
iv. आशावािी शैली में
(v) कवव को क्या आशा थी? 1
i. कक ववप्र लभक्षुक को खाना िे गा।
ii. कक ववप्र लभक्षुक को खाना नहीीं िे गा
iii. कक ववप्र अच्छा व्यजक्त है।
iv. कक ववप्र अच्छा व्यजक्त नहीीं है।
(vi) मज्जन का अथथ है? 1
i. स्नान
ii. याि
iii. ववस्मत

iv. उपयुथक्त में से कोई नहीीं
(vii) ‘िरू िानव’ में कौन सा अलींकार है ? 1
i. उपमा
ii. रूपक
iii. अनप्र
ु ास
iv. उत्प्रेक्षा
(viii) ‘प्रततदिन’ में कौन सा समास है ? 1
i. तत्पुरुष
ii. कमथधारय
iii. अव्ययीभाव
iv. बहुव्रीदह
अथिा
वह तोडती पत्थर;
िे खा मैंने उसे इलाहाबाि के पथ पर-
वह तोडती पत्थर।
कोई न छायािार
पेड वह जजसके तले बैठी हुई स्वीकार;
श्याम तन, भर बींधा यौवन,
नत नयन, वप्रय-कमथ-रत मन,
गरु
ु हथौडा हाथ,
करती बार-बार प्रहार:-
सामने तरु-माललका अट्िाललका, प्राकार।
चढ रही थी धप
ू ;
गलमथयों के दिन,
दिवा का तमतमाता रूप;
उठी झल ु साती हुई लू
रुई ज्यों जलती हुई भू,
गिथ धचनगीीं छा गई,
प्रायः हुई िप
ु हर :-
वह तोडती पत्थर।
िे खते िे खा मुझे तो एक बार
उस भवन की ओर िे खा, तछन्नतार;
िे खकर कोई नहीीं,
िे खा मुझे उस दृजष्ि से
जो मार खा रोई नहीीं,
सजा सहज लसतार,
सुनी मैंने वह नहीीं जो थी सन
ु ी झींकार।
एक क्षर् के बाि वह कॉपी सघ
ु र,
िल
ु क माथे से धगरे सीकर,
लीन होते कमथ में कफर ज्यों कहा-
"मैं तोडती पत्थर।"
ननम्नलिखित में से ननदे शानुसार सबसे उधित विकपपों का ियन कीच्िए –
(i) 'िल
ु क माथे से धगरे सीकर' - पींजक्त में 'सीकर' शब्ि का अथथ है - 1
i. पसीना
ii. बींि

iii. रक्त
iv. पत्थर
(ii) काव्याींश में िोपहर का वातावरर् कैसा बताया गया है ? 1
i. हलकी हवा से युक्त
ii. आकाश में मेघो से युक्त
iii. गमथ लू से युक्त
iv. कम धूप से युक्त
(iii) 'नत नयन, वप्रय कमथ रत मन' से अलभप्राय है 1
i. झुके हुए सुींिर नयन, कमथ साधना में लीन
ii. सुींिर नयन होने के कारर् झुककर काम करना
iii. नयन के झुकने के कारर् काम करना
iv. उसका कामचोर होना
(iv) भलू म ककसके समान जल रही थी? 1
i. रुई के समान
ii. तवे के समान
iii. अाँगीठी के समान
iv. रह रह कर जल रही थी
(v) 'िोपहर' शब्ि में कौनसा समास है - 1
i. कमथधारय समास
ii. बहुव्रीदह समास
iii. अव्ययीभाव समास
iv. द्ववगु समास
(vi) उपयुथक्त पजक्तयों में काव्य- गुर् कौन सा है? 1
i. प्रसाि
ii. माधुयथ
iii. ओज
iv. इन में से कोई नहीीं
(vii) तनम्नललणखत में से उत्प्रेक्षा का उिाहरर् कौन सा है? 1
i. सजा सहज लसतार
ii. रुई ज्यों जलती हुई भू,
iii. सामने तरु-माललका अट्िाललका
iv. करती बार-बार प्रहार
(viii) इस कववता में कौन सा रस ववद्यमान है? 1
i. शाींत
ii. करुर्
iii. रौद्र
iv. वीभत्स
कायाािय ह द
िं ी और रिनात्मक िेिन (5)
प्रश्न 3. ननम्नलिखित में से ननदे शानुसार सबसे उधित विकपपों का ियन कीच्िए – 5x1=5
(i) इींिरनेि पर अखबारों के प्रकाशन या ख़बरों का आिान प्रिान क्या कहलाता है ? 1
i. पबरका प्रकाशन
ii. इींिरनेि परकाररता
iii. खोजपरक परकाररता
iv. उपरोक्त सभी
(ii) दृश्य-वप्रींि जनसींचार माध्यम का उिाहरर् हो सकते हैं -श्रव्य- 1
i. िीवी रे डडयो-–कागज़
ii. िीवी समाचारपर-रे डडयो-
iii. लसनेमाइींिरनेि-आकाशवार्ी-
iv. समाचार परिीवी-रे डडयो-
(iii) फ्रीलाींसर परकार कौन होता है ? 1
i. पूर्थकाललक परकार
ii. अींशकाललक परकार
iii. स्वतन्र परकार
iv. अधथकाललक परकार
(iv) रे डडयो समाचार की कॉपी की प्रत्येक लाइन में ककतने शब्ि होने चादहए? 1
i. 11-12 शब्ि
ii. 14-15 शब्ि
iii. 12-13 शब्ि
iv. 11-12 शब्ि
(v) सींचार प्रकिया की शुरुआत कहााँ से होती है? 1
i. प्राप्तकताथ
ii. सन्िे श
iii. सींचारक
iv. माध्यम
पाठ्य-पुस्तक (10)
प्रश्न 4. ननम्नलिखित कावयािंश को ध्यानपूिक
ा पहिए :- 5x1=5
आह!वेिना लमली वविाई !
मैंने भ्रमवश जीवन सींधचत ,
मधुकररयों की भीख लि
ु ाई।
छलछल थे सन्ध्या के श्रमकर्,
आाँसू से धगरते थे प्रततक्षर्।-
मेरी यारा पर लेती थी-
नीरवता अनन्त अींगडाई।
ननम्नलिखित में से ननदे शानुसार सबसे उधित विकपपों का ियन कीच्िए –
(i) िे वसेना को जीवन यारा में क्या प्राप्त हुआ? 1
i. वप्रयजन का बबछोह
ii. सींतष्ु ि जीवन
iii. स्कींिगप्ु त की जीवन सींधगनी बनना।
iv. उपरोक्त सभी
(ii) िे वसेना यह पींजक्तयााँ ककसे कह रही है ? 1
i. स्कन्िगुप्त को
ii. स्वयम ् को
iii. आश्रमवालसयों को
iv. चन्द्रगप्ु त को
(iii) नीरवता अनन्त अींगडाई में कौन सा अलींकार है ? 1
i. रूपक
ii. श्लेष
iii. उत्प्रेक्षा
iv. मानवीकरर्
(iv) िे वसेना ककसे प्रेम करती थी? 1
i. चन्द्रगुप्त
ii. वविमगुप्त
iii. स्कन्िगुप्त
iv. उपरोक्त में से कोई नहीीं
(v) इस गीत के रचतयता कौन हैं? 1
i. ववष्र्ु खरे
ii. रघव
ु ीर सहाय
iii. जयशींकर प्रसाि
iv. सय
ू थकाींत बरपाठी तनराला
प्रश्न 5. ननम्नलिखित गदयािंश को ध्यानपूिाक पहिए। 5x1=5
एक लमल माललक के दिमाग में अजीब अजीब ख्याल आया करते थे जैसे सारा सींसार लमल
हो जाएगा,सारे लोग मजिरू और वह उनका माललक या लमल में और चीज़ों की तरह
आिमी भी बनने लगें गे,तब मज़िरू ी भी नहीीं िे नी पडेगी,वगैरा वगैरा।एक दिन उसके दिमाग
में ख्याल आया कक अगर मज़िरू ों के चार हाथ हों तो काम ककतनी तेज़ी से हो और
मुनाफा ककतना ज़्यािा।लेककन यह काम करे गा कौन?उसने सोचा,वैज्ञातनक करें गें, ये हैं ककस
मजथ की िवा?उसने यह काम करने के ललए बडे वैज्ञातनकों को मोिी तनख्वाहों पर नौकर
रखा और वे नौकर हो गए।कई साल तक शोध और प्रयोग करने के बाि वैज्ञातनकों ने कहा
ऐसा असम्भव कक आिमी के चार हाथ हो जाएाँ।
ननम्नलिखित में से ननदे शानुसार सबसे उधित विकपपों का ियन कीच्िए –
(i) प्रस्तुत गद्याींश ककस पाठ से अवतररत है ? 1
i. जहााँ कोई वापसी नहीीं
ii. लघुकथा-शेर
iii. लघक
ु था-पहचान
iv. लघक
ु था-चार हाथ
(ii) इस पाठ के लेखक का क्या नाम है ? 1
i. असग़र वजाहत
ii. तनमथल वमाथ
iii. ब्रजमोहन व्यास
iv. चींद्रधर शमाथ'गल
ु ेरी'
(iii) लमल माललक के ख्याल पर ककसने पानी फेर दिया? 1
i. मज़िरू ो ने
ii. वैज्ञातनकों ने
iii. नौकरों ने
iv. उपरोक्त सभी ने
(iv) लमल माललक द्वारा मज़िरू ों के चार हाथ लगवाने के क्या उद्िेश्य था? 1
i. काम को शीघ्रता से करवाना
ii. उत्पािन बढाना
iii. मज़िरू ों को ताकतवर बनाना
iv. क व ख िोनों
(v) वैज्ञातनकों को नौकर ककसने बनाया? 1
i. शोवषतों ने
ii. पींज
ू ीपतत ने
iii. क व ख िोनों ने
iv. उपरोक्त में से कोई नही
पूरक पाठ्य-पुस्तक (07)
प्रश्न 6. ननम्नलिखित में से ननदे शानुसार सबसे उधित विकपपों का ियन कीच्िए –
(i) सूरिास आग की राख में क्या ढूाँढ रहा था? 1
i. अपने रुपयों की थैली
ii. बतथन
iii. छडी
iv. कुछ नहीीं
(ii) कोइयााँ क्या है? 1
i. एक जलपुष्प है
ii. इसे कुमुि भी कहते हैं
iii. इसे कोका बेली भी कहते हैं
iv. उपयथक्
ु त सभी
(iii) हाथीपाला नाम क्यों पडा? 1
i. वहााँ हाथी पाले जाते थे
ii. वहााँ कबी निी पार करने के ललये हाथी पर बैठकर जाना पडता था।
iii. वहााँ पर हाधथयों की पूजा की जाती थी
iv. उपरोक्त सभी
(iv) सुभागी के पतत का क्या नाम था? 1
i. भैरोलसींह
ii. भप
ू लसींह
iii. जगधर
iv. रूपलसींह
(v) िे वकींु ड के स्िॉप पर कौन उतरा? 1
i. रूपलसींह
ii. भूपलसींह
iii. शेखर कपरू
iv. रूपलसींह और शेखर कपूर
(vi) महीप की मााँ का क्या नाम था? 1
i. सुभागी
ii. शैला
iii. पारो
iv. सुशीला
(vii) शरि में कौन सा फूल णखलता है? 1
i. हरलसींगार
ii. कमल
iii. गल
ु ाब
iv. चमेली
ििंड ‘ब’ िर्ानात्मक प्रश्न
कायाािय ह द
िं ी और रिनात्मक िेिन (20)
प्रश्न 7. ननम्नलिखित में से ककस एक विषय पर िगभग 150 शब्दों में रिनात्मक िेि लिखिए :- 5x1=5
I. दिखावे की सींस्कृतत
II. ग्रामीर् जीवन
III. मधुर वचन हैं औषधध, किुक वचन हैं तीर।
प्रश्न 8. आपके क्षेर में जस्थत एक औद्योधगक सींस्थान का गींिा पानी आपके नगर की निी को िवू षत 5x1=5
कर रहा है। प्रिष
ू र् तनयींरर् ववभाग के मुख्य अधधकारी को पर द्वारा इस समस्या से
अवगत कराइए।
अथिा
दिल्ली नगर तनगम में ललवपक पि के ललए तनगम के अध्यक्ष को स्ववत्त
ृ सदहत आवेिन पर
ललणखए।
प्रश्न 9. तनम्नललणखत प्रश्नों के उत्तर लगभग 40-50 शब्िों में ललणखए- 5
(i) ववशेष ररपोिथ मुख्यतः ककतने प्रकार की होती है? 3
अथिा
़िीचर ककतने प्रकार के होते हैं? ललणखए।
(ii) बीि ककसे कहते हैं? 2
अथिा
रे डडयो माध्यम की कोई िो कलमयााँ बताइये ।
प्रश्न 10. तनम्नललणखत प्रश्नों में से ककन्हीीं िो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 - 50 शब्िों में ललणखए- 5
(i) रे डडयो के ललए समाचार लेखन करते समय ककन ककन बातों का ध्यान रखना चादहए? 3
अथिा
इींिरनेि परकाररता के अत्यींत लोकवप्रय होने के प्रमख
ु कारर् क्या हैं?
(ii) बीि ररपोदििंग और ववशेषीकृत ररपोदििंग में क्या अींतर है? 2
अथिा
सींपािकीय लेख ककसे कहते हैं? अच्छे सींपािकीय लेख की कोई िो ववशेषताएाँ बताइए।
पाठ्य-पुस्तक (20)
प्रश्न 11. ननम्नलिखित में से ककन् ीिं दो प्रश्नों के उत्तर िगभग 50 - 60 शब्दों में लिखिए- 6
(i) 'कानेललया का गीत' कववता में कवव ने भारत भूलम के प्राकृततक सौंियथ को ककस प्रकार 3
व्यक्त ककया है?
(ii) 'एक कम' कववता में " मैं तुम्हारा ववरोधी, प्रततद्वन्द्वी या दहस्सेिार नहीीं" से कवव का क्या 3
आशय है?
(iii) " फरै कक कोिव बालल सुसाली। मुकता प्रसव कक सींबक
ु काली।" पींजक्त में तछपे भाव को 3
स्पष्ि कीजजए।
प्रश्न 12. ननम्नलिखित में से ककन् ीिं दो प्रश्नो के उत्तर िगभग 30-40 शब्दों में लिखिए- 4
(i) 'वसींत आया' कववता में कवव की धचींता क्या है ?स्पष्ि कीजजए। 2
(ii) 'युधधजष्ठर जैसा सींकल्प' से क्या अलभप्राय है? 'सत्य' कववता के सन्िभथ में बताइए। 2
(iii) "कोककल कलरव, मधक
ु र- धुतन सुतन, कर िे इ झाींपई कान।" पींजक्त में तनदहत ववरह भाव को 2
स्पष्ि कीजजए।
प्रश्न 13. ननम्नलिखित में से ककन् ीिं दो प्रश्नो के उत्तर िगभग 50 -60 शब्दों में लिखिए- 6
(i) शुक्ल जी ने अपने सींस्मरर् में चौधरी साहब के व्यजक्तत्व की ककन ववशेषताओीं को उजागर 3
ककया है?
(ii) "बालक बच गया" पाठ के आधार पर स्पष्ि कीजजए कक बालक की प्रववृ त्तयों का गला ककस 3
प्रकार घोंिा जा रहा था?
(iii) औद्योगीकरर् ने पयाथवरर् के सींकि को ककस प्रकार पैिा कर दिया है ? 3
प्रश्न 14. ननम्नलिखित प्रश्नों में से ककन् ीिं दो प्रश्नों के उत्तर िगभग 30-40 शब्दों में लिखिए- 4
(i) बडी बहुररया अपने मायके सींिेश क्यों भेजना चाहती थी? 2
(ii) " मनोकामना की गाींठ भी अद्भुत, अनूठी है, इधर बाींधों उधर लग जाती है।" कथन के 2
आधार पर पारो की मनोिशा का वर्थन कीजजएl
(iii) आधी आधी फसल ककसान और हाथी के बीच ककस प्रकार बींिी ? 2

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