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Class 11 - हिंदी कोर


प्रतिदर्श प्रश्न पत्र - 01 (2023-24)

अधिकतम अंक: 80
निर्धारित समय : 3 hours

सामान्य निर्देश:

इस प्रश्न पत्र में दो खंड हैं- खंड 'अ' और 'ब'।


खंड 'अ' में 40 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं, सभी 40 प्रश्नों के उत्तर देने हैं।
खंड 'ब' में वर्णनात्मक प्रश्र पूछे गए हैं। प्रश्नों के उचित आंतरिक विकल्प दिए गए हैं ।
प्रश्नों के उत्तर दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए दीजिए।
दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है ।
यथासंभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमशः लिखिए।

खंड अ (वस्तुपरक प्रश्न)


1. अनुच्छेद को ध्यानपूर्वक पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
मनुष्य के जीवन में लक्ष्य का होना बहुत आवश्यक है। लक्ष्य के बिना जीवन दिशाहीन तथा व्यर्थ ही है। एक बार एक दिशाहीन युवा आगे बढ़े जा
रहा था, राह में महात्मा जी की कु टिया देख रूककर महात्मा जी से पूछने लगा कि यह रास्ता कहाँ जाता है? महात्मा जी ने पूछा "तुम कहाँ जाना
चाहते हो "? युवक ने कहा "मैं नहीं जानता मुझे कहाँ जाना है "। महात्मा जी ने कहा "जब तुम्हें पता ही नहीं है कि तुम्हें कहाँ जाना है, तो यह
रास्ता कहीं भी जाए, इससे तुम्हें क्या फर्क पड़ेगा "? कहने का मतलब है कि बिना लक्ष्य के जीवन में इधर-उधर भटकते रहिये कु छ भी प्राप्त नहीं
कर पाओगे। यदि कु छ करना चाहते तो पहले अपना एक लक्ष्य बनाओ और उस पर कार्य करो। अपनी राह स्वयं बनाओ। वास्तव में जीवन उसी
का सार्थक है जिसमें परिस्थितियों को बदलने का साहस है।
गांधीजी कहते थे कु छ न करने से अच्छा है, कु छ करना। जो कु छ करता है वही सफल-असफल होता है। हमारा लक्ष्य कु छ भी हो सकता है,
क्योंकि हर इंसान की अपनी-अपनी क्षमता होती है और उसी के अनुसार वह लक्ष्य निर्धारित करता है। जैसे विद्यार्थी का लक्ष्य है सर्वाधिक अंक
प्राप्त करना तो नौकरी करने वालों का लक्ष्य होगा पदोन्नति प्राप्त करना। इसी तरह किसी महिला का लक्ष्य आत्मनिर्भर होना हो सकता है। ऐसा
मानना है कि हर मनुष्य को बड़ा लक्ष्य बनाना चाहिए किन्तु बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए छोटे-छोटे लक्ष्य बनाने चाहिए। जब हम छोटे लक्ष्य
प्राप्त कर लेते हैं तो बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने का हममें आत्मविश्वास आ जाता है। स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि जीवन में एक ही लक्ष्य बनाओ
और दिन-रात उसी के बारे में सोचो। स्वप्न में भी तुम्हें वही लक्ष्य दिखाई देना चाहिए, उसे पूरा करने की एक धुन सवार हो जानी चाहिए। बस
सफलता आपको मिली ही समझो। सच तो यह है कि जब आप कोई काम करते हैं तो यह जरुरी नहीं कि सफलता मिले ही लेकिन असफलता
से भी घबराना नहीं चाहिए। इस बारे में स्वामी विवेकानंद जी कहते हैं कि हजार बार प्रयास करने के बाद भी यदि आप हार कर गिर पड़ें तो एक
बार पुनः उठें और प्रयास करें। हमें लक्ष्य प्राप्ति तक स्वयं पर विश्वास रखना चाहिए।
i. युवक कहाँ जा रहा था?
i. दिशाहीन मंज़िल की ओर
ii. दिशाहीन लक्ष्य की ओर
iii. लक्ष्य की ओर
iv. मंजिल की ओर
ii. किसी विद्यार्थी का लक्ष्य क्या होना चाहिए?
i. आत्मनिर्भर होना
ii. सर्वाधिक अंक प्राप्त करना
iii. परीक्षा में उत्तीर्ण होना
iv. सफल बनना
iii. किसी महिला का लक्ष्य क्या होना चाहिए?
i. आत्मनिर्भर बनना
ii. परावलम्बी बनना

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iii. खुश होना
iv. गृहस्थ बनना
iv. व्यक्ति अपना लक्ष्य कै से निर्धारित करता है?
i. अपनी क्षमता के अनुसार
ii. अपने सुख के अनुसार
iii. अपने दुःख के अनुसार
iv. अपने कार्य के अनुसार
v. छोटे लक्ष्य प्राप्त करने पर क्या होता है?
i. मनुष्य का लक्ष्य पूरा हो जाता है।
ii. मनुष्य में आत्मविश्वास आ जाता है।
iii. मनुष्य सुखी हो जाता है।
iv. मनुष्य दुखी हो जाता है।
vi. किसका जीवन सार्थक है?
i. जो परिस्थितियों को बदलने का साहस रखता है।
ii. जो परिस्थितियों को बदलने का साहस नहीं रखता है।
iii. जो इधर-उधर भटकता रहता है।
iv. जो लक्ष्य की पर्पटी नहीं कर पाता।
vii. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
I. जीवन में लक्ष्य की कोई आवश्यकता नहीं होती है।
II. विद्यार्थी का लक्ष्य नौकरी पाना ही होता है।
III. कु छ करने वाला ही असफल होता है।

उपरिलिखित कथनों में से कौन सही है/हैं?


i. के वल I
ii. के वल II
iii. के वल III
iv. इनमें से कोई नहीं
viii. हमें कब तक स्वयं पर विश्वास रखना चाहिए?
i. लक्ष्य प्राप्ति तक छोटे लक्ष्य बनाने चाहिए।
ii. लक्ष्य प्राप्त न होने पर
iii. असफलता मिलने पर
iv. प्रयास न करने पर
ix. असफल शब्द में प्रयुक्त उपसर्ग है-
i. अ
ii. अस
iii. सफल
iv. ल
x. निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़िए। उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर
लिखिए।
कथन (A): हर इंसान का लक्ष्य उसकी क्षमता के अनुसार ही होता है।
कारण (R): लक्ष्य प्राप्ति तक मनुष्य को स्वयं पर विश्वास रखना चाहिए।
i. कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
ii. कथन (A) गलत है लेकिन कारण (R) सही है।
iii. कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
iv. कथन (A) सही है लेकिन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।

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2. अनुच्छेद को ध्यानपूर्वक पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
मैं हूँ उनके साथ खड़ी जो
सीधी रखते अपनी रीढ़।
कभी नहीं जो तज सकते हैं
अपना न्यायोचित अधिकार,
कभी नहीं जो सह सकते हैं
शीश नवाकर अत्याचार,
एक अके ले हों या उनके
साथ खड़ी हो भारी भीड़;
मैं हूँ उनके साथ खड़ी जो
सीधी रखते अपनी रीढ़।
निर्भय होकर घोषित करते
जो अपने उद्गार-विचार
जिनकी जिह्वा पर होता है
उनके अंतर का अंगार,
नहीं जिन्हें चुप कर सकती है
आततायियों की शमशीर;
मैं हूँ उनके साथ खड़ी जो
सीधी रखते अपनी रीढ़।
नहीं झुका करते जो दुनिया
से करने को समझौता,
ऊँ चे से ऊँ चे सपनों को
देते रहते जो न्योता,
दूर देखती जिनकी पैनी आँ ख भविष्यत् का तम चीर;
मैं हूँ उनके साथ खड़ी जो
सीधी रखते अपनी रीढ़।
i. रचनाकार किस तरह के लोगों को अपना समर्थन करता है?
क) अवसरवादी एवं लालची लोगों को
ख) मोकापरस्त लोगों का
ग) सत्ता पर नियंत्रण रखने वालों को
घ) अपनी रीढ़ सीधी रखने वाले अर्थात् स्वाभिमानी लोगों को
ii. काव्यांश में प्रयुक्त अंतर का अंगार से क्या तात्पर्य है?
क) अपने हृदय की आग
ख) सभी विकल्प सही हैं
ग) किसी से दूरी के कारण उत्पन्न वैमनस्यता
घ) भौतिक लाभों से वंचित रहने के कारण उत्पन्न
iii. अपनी रीढ़ सीधी रखने वाले अर्थात् स्वाभिमानी एवं कर्मठ लोग निम्न में से क्या नहीं करते हैं?
क) अत्याचार को सहन
ख) न्यायोचित अधिकार की माँग
ग) ऊँ चे सपने यानी महान लक्ष्यों को निमंत्रित
घ) सत्य का सामना
iv. काव्यांश में प्रयुक्त शब्द अत्याचार में मौजूद उपसर्ग को चिह्नित करें।
क) अति
ख) अत्य
ग) अत्
घ) अ

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v. दूर देखती जिनकी पैनी आँ ख भविष्यत् का तम चीर पंक्ति से क्या आशय है?
क) जो व्यक्ति भविष्य के बारे में पहले ही अनुमान लगा लेते हैं
ख) इनमें से कोई नहीं
ग) जो व्यक्ति कभी भविष्य के बारे में नहीं सोचते
घ) जो व्यक्ति हमेशा भविष्य के बारे में ही सोचते रहते हैं
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
1. भारत में अखबारी पत्रकारिता की शुरुआत कब और कहाँ से हुई?
क) 1780, कोलकाता
ख) 1780, बम्बई
ग) 1880, मद्रास
घ) 1781, कोलकाता
2. रेडियो माध्यम की निम्नलिखित में से कौन-सी खामी नहीं है?
क) सूचना का त्वरित माध्यम नहीं है
ख) दुबारा सुनने या लौटकर सुनने की सुविधा नही होती
ग) यह साक्षर व निरक्षर दोनों के लिए उपयोगी है
घ) श्रोता को बुलेटिन प्रसारण का इंतजार करना पड़ता है
3. वेब साइट पर विशुद्ध पत्रकारिता शुरू करने का श्रेय किसे जाता है?
क) बीबीसी
ख) इंडियन एक्स्प्रेस
ग) टाइम्स ऑफ इंडिया
घ) तहलका डॉटकॉम
4. हिंदी का प्रथम साप्ताहिक पत्र है:
क) आज
ख) गांडीव
ग) बंगाल गजट
घ) उदंत मार्तंड
5. समाचार पत्र प्रकाशित या प्रसारित करने के लिए आखिरी समय सीमा को ________ कहा जाता है।
क) रैड लाइन
ख) ब्लू लाइन
ग) ब्लैक लाइन
घ) डैड लाइन
4. अनुच्छेद को ध्यानपूर्वक पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
औसत दफ़्तरी बड़े बाबू की हैसियत वाले रमेश के लिए सोहन को अपनी भाई-बिरादर बतलाना अपने सम्मान के विरुद्ध जान पड़ता था और
उसे घरेलू नौकर से अधिक हैसियत वह नहीं देता था, इस बात को मोहन भी समझने लगा था। थोड़ी-बहुत हीला-हवाली करने के बाद रमेश ने
निकट के ही एक साधारण से स्कू ल में उसका नाम लिखवा दिया। लेकिन एकदम नए वातावरण और रात-दिन के काम के बोझ के कारण गाँव का
वह मेधावी छात्र शहर के स्कू ली जीवन में अपनी कोई पहचान नहीं बना पाया। उसका जीवन एक बँधी-बँधाई लीक पर चलता रहा। साल में एक
बार गर्मियों की छु ट्टी में गाँव जाने का मौक भी तभी मिलता जब रमेश या उसके घर का कोई प्राणी गाँव जाने वाला होता वरना उन छु ट्टयों को भी
अगले दरजे की तैयारी के नाम पर उसे शहर में ही गुज़ार देना पड़ता था। अगले दरजे की तैयारी तो बहाना भर थी, सवाल रमेश और उसकी
गृहस्थी की सुविधा-असुविधा का था। मोहन ने परिस्थितियों से समझौता कर लिया था, क्योंकि और कोई चारा भी नहीं था। घरवालों को
अपनी वास्तविक स्थिति बतलाकर वह दुखी नहीं करना चाहता था। वंशीधर उसके सुनहरे भविष्य के सपने देख रहे थे।
i. रमेश मोहन को किस हैसियत से रखता था?
क) भाई की
ख) संबंधी की
ग) मित्र की
घ) नौकर की
ii. मोहन स्कू ल में अपनी पहचान क्यों नहीं बना पाया?

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क) घर के अत्यधिक काम के कारण
ख) पढ़ने की इच्छा न होने के कारण
ग) मंदबुद्धि होने के कारण
घ) अच्छे शिक्षक न होने के कारण
iii. मोहन ने अपनी वास्तविक स्थिति घर वालों को क्यों नहीं बताई?
क) क्योंकि वह अपने घर नहीं लौटना चाहता था
ख) क्योंकि उसे घर की दीन दशा पता थी
ग) क्योंकि घर वाले उसे सुनना नहीं चाहते थे
घ) क्योंकि उसके पास कोई नौकरी नहीं थी
iv. मोहन को गाँव जाने का मौका कब मिलता था?
क) जब उसका मन नहीं होता
ख) जब उसे अगले दरजे की तैयारी करनी होती
ग) जब उसका मन होता
घ) जब रमेश के घर का कोई सदस्य गाँव जाता
v. रमेश किस पद पर था?
क) बड़े बाबू
ख) अफ़सर
ग) छोटे बाबू
घ) नौकर
5. अनुच्छेद को ध्यानपूर्वक पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
न हो कमीज तो पाँवों से पेट ढँक लेंगे,
ये लोग कितने मुनासिब हैं इस सफर के लिए।
खुदा नहीं, न सही, आदमी का ख्वाब सही,
कोई हसीन नजारा तो है नजर के लिए।
i. कवि ने किस पर कटाक्ष किया है?
क) इनमें से कोई नहीं
ख) भारतवासियों की दबी-कु चली आवाज़ और स्वयं पर दोनों
ग) भारतवासियों की दबी-कु चली आवाज़
घ) स्वयं पर
ii. परमात्मा कै सा सपना है?
क) सुखद
ख) दुःखद
ग) इनर्मे से कोई नहीं
घ) दुःखद और सुखद दोनों
iii. कवि ने किन लोगों पर व्यंग्य किया है?
क) इनर्मे से कोई नहीं
ख) परमसंतोषी
ग) साधुवृत्ति
घ) परमसंतोषी और साधुवृत्ति दोनों
iv. नज़र का अर्थ है-
क) निगाह
ख) परीक्षा
ग) दृष्टि
घ) निगाह और दृष्टि दोनों
v. सफ़र का समानार्थी है:
क) दूसरे स्थान के लिए

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ख) सभी विकल्प सही हैं
ग) कू न
घ) यात्रा
6. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
1. भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ - लता मंगेशकर पाठ के आधार पर लता के गाने के स्वरों की क्या विशेषता है?
क) निर्मलता
ख) सहजता
ग) उज्वलता
घ) स्वाभाविकता
2. भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ - लता मंगेशकर पाठ के आधार पर शास्त्रीय संगीत का स्थायीभाव है-
क) जलदलय
ख) गंभीरता
ग) चपलता
घ) इनमें से कोई भी नही
3. लता मंगेशकर के पिता का नाम था-
क) दीनानाथ मंगेशकर
ख) रमानाथ मंगेशकर
ग) गंगानाथ मंगेशकर
घ) भोलानाथ मंगेशकर
4. आलो-आँ धारि किसकी आत्मकथा है?
क) जेठू की
ख) बेबी की
ग) तातुश की
घ) रवीन्द्रनाथ ठाकु र की
5. तातुश के बच्चे तातुश को क्या कहकर बुलाते थे?
क) पापा
ख) पिता
ग) तातुश
घ) बाबा
6. तातुश के बच्चों में सबसे कम बोलने वाला लड़का कौन था?
क) सुखदीप
ख) अर्जुन
ग) रमण
घ) अर्जुन और रमण
7. गांधार शैली और तिब्बत शैली में बनी हुई बुद्ध की प्रतिमा में क्या अंतर है?
क) अपना-अपना संगीत
ख) अपनी-अपनी कला
ग) अपनी-अपनी बनावट
घ) उनकी क्षेत्रीय पहचान
8. भारतीय नृत्य को देखकर कु छ लोग क्या सोचते हैं?
क) ये के वल एक नृत्य है।
ख) नृत्य परम्परा है।
ग) यह के वल हाथ और पैर की गति से जुड़ा है।
घ) नृत्य संगीत ही है।
9. भीतर की चिनाई के लिए सबसे उम्दा लकड़ी कौन सी होती है? [राजस्थान की रजत बूँदें]
क) अरणी

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ख) आक
ग) कै र
घ) बावल
10. डंगालों शब्द का क्या अर्थ है? [राजस्थान की रजत बूँदें]
क) पेड़ की लकड़ी
ख) पेड़ की जड़ें
ग) पेड़
घ) पेड़ के तने
खंड - ब (वर्णनात्मक प्रश्न)
7. निम्नलिखित प्रश्नों में से किसी एक का उत्तर दीजिये:
1. बरसात में प्रकृ ति का रूप विषय पर रचनात्मक लेख लिखिए।
2. प्रात:काल की सैर विषय पर रचनात्मक लेख लिखिए।
3. शिक्षा और व्यवसाय विषय पर रचनात्मक लेख लिखिए।
8. किसी समाचार-पत्र के संपादक को पत्र लिखिए जिसमें दिल्ली में बढ़ती हुई अपराधवृत्ति की ओर अधिकारियों का ध्यान आकृ ष्ट कराया गया हो।
अथवा
अपने नगर के शिक्षा अधिकारी को पत्र लिखकर विद्यालय में दोपहर के समय वितरित किए जाने वाले भोजन के गिरते स्तर की ओर उनका
ध्यान आकृ ष्ट कीजिए।
9. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो के उत्तर दीजिये:
1. डायरी कै से और किस में लिखनी चाहिए?
2. पटकथा की मूल इकाई क्या और कै से है?
3. डायरी साहित्य का वर्गीकरण किन-किन श्रेणियों में किया जा सकता है?
10. निम्नलिखित प्रश्नों में से किसी एक का उत्तर दीजिये:
1. सन्दर्भ ग्रन्थ से आप क्या समझते हैं?
2. एक अच्छे स्ववृत्त में क्या-क्या विशेषताएँ होती है?
11. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो के उत्तर दीजिये:
1. घर की याद कविता में कवि का भरा-पूरा घर आज परिताप का घर क्यों है?
2. कवि अवतार सिंह पाश ने वे कौन-कौन सी स्थितियाँ बताई हैं जो सबसे खतरनाक हैं?
3. आओ, मिलकर बचाएँ -कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।
12. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो के उत्तर दीजिये:
1. हम तो एक एक करि जाना –पद का प्रतिपाद्य स्पष्ट करें।
2. चंपा काले-काले अच्छर नहीं चीन्हती कविता में आपके विचार में चंपा ने ऐसा क्यों कहा होगा कि मैं तो नहीं पढूंगी?
3. अक्क महादेवी ईश्वर से भीख मँगवाने की प्रार्थना क्यों करती है?
13. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो के उत्तर दीजिये:
1. जामुन का पेड़ पाठ में माली को दबे हुए आदमी से सहानुभूति होने का क्या कारण था?
2. विदाई-संभाषण पाठ में कर्जन की तुलना किन तानाशाहों से की गई है? क्यों?
3. अपू के साथ ढाई साल पाठ से फिल्म में श्रीनिवास की क्या भूमिका थी और उनसे जुड़े बाकी दृश्यों को उनके गुजर जाने के बाद किस
प्रकार फिल्माया गया?
14. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो के उत्तर दीजिये:
1. भारत माता पाठ का प्रतिपाद्य बताइए।
2. नमक का दारोगा कहानी में पंडित अलोपीदीन के व्यक्तित्व के कौन-से दो पहलू (पक्ष) उभरकर आते हैं?
3. रजनी पाठ में गलती करने वाला तो है ही गुनहगार, पर उसे बर्दाश्त करने वाला भी कम गुनहगार नहीं होता- इस संवाद के संदर्भ में आप
सबसे ज्यादा किसे और क्यों गुनहगार मानते हैं?
15. निम्नलिखित प्रश्नों में से किसी एक का उत्तर दीजिये:
1. राजस्थान में कुं ई किसे कहते हैं? इसकी गहराई और व्यास तथा सामान्य कु ओं की गहराई और व्यास में क्या अंतर होता है?
2. तुम दूसरी आशापूर्णा देवी बन सकती हो- जेठू का यह कथन रचना संसार के किस सत्य को उद्घाटित करता है? आलो-आँ धारि पाठ के
आधार पर उत्तर दीजिए।

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Class 11 - हिंदी कोर


प्रतिदर्श प्रश्न पत्र - 01 (2023-24)

खंड अ (वस्तुपरक प्रश्न)

1. i. (ii) दिशाहीन लक्ष्य की ओर


ii. (ii) सर्वाधिक अंक प्राप्त करना
iii. (i) आत्मनिर्भर बनना
iv. (i) अपनी क्षमता के अनुसार
v. (ii) मनुष्य में आत्मविश्वास आ जाता है।
vi. (i) जो परिस्थितियों को बदलने का साहस रखता है।
vii. (iii) के वल III
viii. (i) लक्ष्य प्राप्ति तक छोटे लक्ष्य बनाने चाहिए।
ix. (i) अ
x. (iv) कथन (A) सही है लेकिन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।
2. i. (घ) अपनी रीढ़ सीधी रखने वाले अर्थात् स्वाभिमानी लोगों को
व्याख्या: प्रस्तुत काव्यांश में रचनाकार का प्रमुख उद्देश्य ही स्वाभिमानी तथा सत्य एवं न्याय के पक्षधर लोगों की महिमा का गुणगान
करते हुए उन्हें अपना समर्थन देना है।
ii. (क) अपने हृदय की आग
व्याख्या: प्रस्तुत काव्यांश में स्पष्ट किया गया है कि स्वाभिमानी एवं जुझारु लोगों की जिह्वा पर हमेशा उनके हृदय की आग, उनके
अंदर का आक्रोश व्याप्त रहता है।
iii. (क) अत्याचार को सहन
व्याख्या: प्रस्तुत काव्यांश में स्वाभिमानी एवं कर्मठ लोगों द्वारा लोगों से गलत समझौता नहीं करने के कारण उनकी महिमा का
गुणगान किया गया है।
iv. (क) अति
व्याख्या: काव्यांश में प्रयुक्त 'अत्याचार' शब्द में उपसर्ग 'अति' तथा मूल शब्द 'आचार' मौजूद है।
v. (क) जो व्यक्ति भविष्य के बारे में पहले ही अनुमान लगा लेते हैं
व्याख्या: प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से कवयित्री कहती है कि जो व्यक्ति भविष्य के बारे में पहले ही अनुमान लगा लेते हैं अर्थात् दूरदर्शी
होते हैं, मैं उनके साथ खड़ी हूँ।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
1. (क) 1780, कोलकाता
व्याख्या: भारत में अखबारी पत्रकारिता की शुरुआत सन 1780 में जेम्स ऑगस्ट हिकी के ‘बंगाल गजट’ से हुई जो कोलकाता (तत्कालीन
कलकत्ता) से निकला था।
2. (ग) यह साक्षर व निरक्षर दोनों के लिए उपयोगी है
व्याख्या: यह साक्षर व निरक्षर दोनों के लिए उपयोगी है।
3. (घ) तहलका डॉटकॉम
व्याख्या: वेब साइट पर विशुद्ध पत्रकारिता शुरू करने का श्रेय तहलका डॉटकॉम को जाता है। विशुद्ध पत्रकारिता का अर्थ यहाँ सही मायनों में
की गई पत्रकारिता से है।
4. (घ) उदंत मार्तंड
व्याख्या: उदंत मार्तंड
5. (घ) डैड लाइन
व्याख्या: डैड लाइन
4. i. (घ) नौकर की
व्याख्या: नौकर की
ii. (क) घर के अत्यधिक काम के कारण
व्याख्या: घर के अत्यधिक काम के कारण

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iii. (ख) क्योंकि उसे घर की दीन दशा पता थी
व्याख्या: क्योंकि उसे घर की दीन दशा पता थी
iv. (घ) जब रमेश के घर का कोई सदस्य गाँव जाता
व्याख्या: जब रमेश के घर का कोई सदस्य गाँव जाता
v. (क) बड़े बाबू
व्याख्या: बड़े बाबू
5. i. (घ) स्वयं पर
व्याख्या: स्वयं पर
ii. (क) सुखद
व्याख्या: सुखद
iii. (घ) परमसंतोषी और साधुवृत्ति दोनों
व्याख्या: कवि ने परमसंतोषी तथा साधुवृत्ति वाले लोगों पर व्यंग्य किया है जो गरीबी और दुर्दशा में रह लेते हैं किन्तु अपने उद्धार का
प्रयत्न नही करते।
iv. (घ) निगाह और दृष्टि दोनों
व्याख्या: निगाह और दृष्टि दोनों
v. (ख) सभी विकल्प सही हैं
व्याख्या: सभी विकल्प सही हैं
6. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
1. (ख) सहजता
व्याख्या: सहजता
2. (ख) गंभीरता
व्याख्या: लेखक के अनुसार, शास्त्रीय संगीत की विशेषता उसकी गंभीरता है तथा चित्रपट संगीत की विशेषता उसकी सुलभता और लोचता
है।
3. (क) दीनानाथ मंगेशकर
व्याख्या: लता मंगेशकर के पिता का नाम दीनानाथ मंगेशकर था।
4. (ख) बेबी की
व्याख्या: आलो-आँ धारि हालदार बेबी की आत्मकथा है।
5. (ग) तातुश
व्याख्या: तातुश के बच्चे तातुश को 'तातुश' कहकर बुलाते थे।
6. (ख) अर्जुन
व्याख्या: तातुश के बच्चों में सबसे कम बोलने वाला लड़का अर्जुन था।
7. (घ) उनकी क्षेत्रीय पहचान
व्याख्या: गांधार शैली और तिब्बत शैली में बनी हुई बुद्ध की प्रतिमा में अपने - अपने क्षेत्र कीअलग ही पहचान है। कलाएं सम्पूर्ण विश्व में फै ली
हुई हैं पर क्षेत्रों के अनुसार उनकी बनावट अलग-अलग है।
8. (ग) यह के वल हाथ और पैर की गति से जुड़ा है।
व्याख्या: भारतीय नृत्य को देखकर लोग सोचते हैं कि यह के वल हाथ और पैर की गति से जुड़ा है। पर भारतीय नृत्य में सभी अंगों की गति
महत्वपूर्ण है। भारतीय नर्तक आँ ख, नासिका व भौहों के माध्यम से ख़ुशी, दुःख, क्रोध आदि भावों को अभिव्यक्त कर देते हैं।
9. (क) अरणी
व्याख्या: कु ई के भीतर की चिनाई के लिए अरणी सबसे उम्दा लकड़ी है। इसके अलावा चिनाई के लिए बण, कुं बट आदि की लकड़ियों का
भी प्रयोग किया जाता है।
10. (घ) पेड़ के तने
व्याख्या: डंगालों शब्द का अर्थ पेड़ के तने या मोटी टहनियों से है। इन डंगालों का उपयोग कुं ई के भीतर की चिनाई में किया जाता है।
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खंड - ब (वर्णनात्मक प्रश्न)

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7. निम्नलिखित प्रश्नों में से किसी एक का उत्तर दीजिये:
1. बारिश के मौसम की शुरुआत में, आकाश में बादल छा जाते हैं, ठंडी हवा बहने लगती है और धूप कम ही दिखाई देती है। हालांकि, यह हर
कभी-कभी चमकता है क्योंकि बादल स्थिर गति से चलते रहते हैं। यह तब है जब लोगों को पता चल जाता है कि मानसून जल्द ही आने
वाला है। लोग बेसब्री से बारिश का इंतजार करते हैं और बारिश के मौसम के अंत में आने पर खुश होते हैं। भारत में विशेष रूप से वर्षा ऋतु
को बहुत अधिक महत्व दिया जाता है। लोग पूरे वर्ष इस मौसम की प्रतीक्षा करते हैं और इसके आगमन पर प्रसन्न होते हैं। भगवान इंद्र को
बारिश का देवता माना जाता है और लोग उनसे बारिश के रूप में पृथ्वी पर अपना आशीर्वाद बरसाने की प्रार्थना करते हैं। वे बारिश के साथ
धरती माँ को आशीर्वाद देने के लिए उनका धन्यवाद करते हैं। मनुष्यों को कायाकल्प में आनंद देने के अलावा, बारिश का मौसम पेड़-पौधों के
लिए भी एक राहत के रूप में आता है। गर्मियों में पृथ्वी तो सूख जाती है और पौधे लगभग बेजान हो जाते हैं। बारिश की बौछारें उन्हें एक बार
फिर से जीवन देती हैं और चारों तरफ हरियाली होती है। बारिश का मौसम सभी पीढ़ियों के लोगों के लिए महत्वपूर्ण है। यह दैनिक जीवन के
बीच एक तनाव बस्टर के रूप में काम करता है। यह विशेष रूप से किसानों के लिए महत्व रखता है क्योंकि बारिश फसलों को बढ़ने और
खिलने में मदद करती है। ऐसे समय में जब चारों तरफ पानी की कमी है, बारिश का मौसम और अधिक महत्वपूर्ण हो गया है।

2. प्रात:काल की सैर प्रातः काल की सैर से मन प्रफु ल्लित तथा तन स्वस्थ्य रहता है। स्वस्थ व्यक्ति ही समर्थ होता है और यह सर्वमान्य सत्य है
कि वही इच्छित कार्य कर सकता है। वही व्यापार, सेवा, धर्म आदि हर क्षेत्र में सफल हो सकता है। व्यक्ति तभी स्वस्थ रह सकता है जब वह
व्यायाम करे। व्यायाम में खेल-कू द, नाचना, तैराकी, दौड़ना आदि होते हैं, परंतु ये तरीके हर व्यक्ति के लिए सहज नहीं होते। हर व्यक्ति की
परिस्थिति व शारीरिक दशा अलग होती है। ऐसे लोगों के लिए प्रात:काल की सैर से बढ़िया विकल्प नहीं हो सकता।प्रातः काल में सैर करने
से हम आज के प्रदूषित वातावरण में भी थोड़ी शुद्ध हवा ले सकते हैं।
यदि व्यक्ति नियमित रूप से प्रात:काल की सैर करे तो उसे अधिक फायदा ले सकता है।प्रातः सैर से मष्तिष्क को भी फायदा होता है। सैर
के समय निरर्थक चिंताओं से दूर रहना चाहिए। प्रात:कालीन सैर के लिए उपयुक्त स्थान का होना भी जरूरी है। घूमने का स्थान खुला व
साफ़-सुथरा और प्रदूषण रहित होना चाहिए। हरी घास पर नंगे पैर चलने से आँ खों की रोशनी बढ़ती है, तथा शरीर में ताजगी आती है। इस
बात का ध्यान रखना चाहिए कि यह नियम सर्दी में लागू नहीं होता।
अत्यधिक ठंड से नंगे पैर चलने से व्यक्ति बीमार हो सकता है। हरित क्षेत्र में सैर करनी चाहिए। इसके लिए नदियों-नहरों व खेतों के किनारे,
पार्क , बाग-बगीचे आदि भी उपयोगी स्थान माने गए हैं। खुली सड़कों पर वृक्षों के नीचे घूमा जा सकता है। यदि ये सब कु छ उपलब्ध न हों तो
खुली छत पर घूमकर लाभ उठाया जा सकता है। प्रात:कालीन सैर से तन-मन प्रसन्न हो सकता है। यह सस्ता व सर्वसुलभ उपाय है।

3. शिक्षा और व्यवसाय शिक्षा का अर्थ के वल अक्षर-ज्ञान या पूर्व जानकारी की पुनरावृत्ति नहीं है। इसका अर्थ कार्य या व्यवसाय दिलाना भी
नहीं है। शिक्षा का वास्तविक अर्थ है-व्यक्ति को अक्षर-ज्ञान कराकर उसमें अच्छे-बुरे में अंतर करने का विवेक उत्पन्न करना। मनुष्य के सहज
मानवीय गुणों व शक्तियों को उजागर करना शिक्षा का कार्य है , ताकि मनुष्य जीवन जीने की कला सीख सके । ऐसा कर पाने में समर्थ शिक्षा
को ही सही अर्थों में शिक्षा कहा जा सकता है। शिक्षा प्राप्त करने के साथ मनुष्य को जीवन-निर्वाह के लिए कोई-न-कोई व्यवसाय या रोजगार
करना पड़ता है।
शिक्षा व रोजगार का प्रत्यक्ष तौर पर भले ही कोई संबंध न हो, परंतु शिक्षा से व्यवसाय में बढ़ोतरी हो सकती है-इस बात में तनिक भी संदेह
नहीं है। आज के समय में शिक्षा का अर्थ व उद्देश्य यह लिया जाता है, कि डिग्रियाँ हासिल करने से कोई नौकरी या रोजगार अवश्य मिलेगा।
इसी कारण से शिक्षा अपने वास्तविक उद्देश्य से भटक चुकी है।अब वो समय नहीं रह गया है, जब डिग्रियों से रोजगार मिलता था।अनेक युवा
अपनी डिग्रियों के साथ बेरोजगारी की आग में जल रहे हैं।
अगर सब जगहों पर शिक्षा का विकास हो, तो शहरों में भीड़ अधिक नहीं बढ़ेगी तथा प्रदूषण भी कम होगा। कु छ हद तक बेकारी की समस्या
भी हल हो जाएगी। अतः इस दिशा में तेजी से व समस्त उपलब्ध साधनों से एकजुट होकर काम करना पड़ेगा ताकि आम शिक्षित वर्ग और
शिक्षा-जगत में छाई निराशा दूर हो सके । यह सही है कि आज जीवन में शिक्षा को व्यवसाय का साधन समझा जाने लगा है, पर अब जो
स्वरूप बन गया है, उसे सही ढंग से सजाने-सँवारने और उपयोगी बनाने में ही देश का वास्तविक हित है।शिक्षा को व्यवसाय से अलग करके
ही कु छ बदलाव लाए जा सकते हैं।

8. परीक्षा भवन,
दिल्ली
दिनांक: 13 मार्च, 2019
सेवा में,
श्रीमान संपादक महोदय,
टाइम्स ऑफ़ इंडिया
नई दिल्ली

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विषय: दिल्ली में बढ़ती हुई अपराधवृत्ति से संबंधित
महोदय,
आपके प्रतिष्ठित समाचार-पत्र के माध्यम से मैं दिल्ली सरकार के अधिकारियों का ध्यान दिल्ली में बढ़ती हुई अपराधवृत्ति की ओर आकृ ष्ट करना
चाहता हूँ। आशा है कि आप मेरे पत्र को अपने लोकप्रिय समाचार-पत्र में स्थान देंगे। आजकल दिल्ली में गुंडागर्दी, बलात्कार, हत्याएँ , लूटपाट,
अपहरण जैसी आपराधिक घटनाएँ लगातार बढ़ती जा रही हैं। देश की राजधानी दिल्ली 'अमन चैन की राजधानी’ न रहकर| असामाजिक तत्वों
व अपराधियों द्वारा निर्मित 'भय आतंक के वातावरण की राजधानी' बनकर रह गई है। दिन-दहाड़े दुकानदारों से लूट, घरों में चोरी, छोटे बच्चों का
अपहरण, लड़कियों से छेड़छाड़ व बलात्कार तो जैसे आम बात हो गई है। सुबह-सुबह समाचार-पत्र पढ़ने पर लगता है जैसे दिल्ली में पुलिस का
नहीं, बल्कि अपराधियों का नियंत्रण है।
अतः कें द्र सरकार तथा पुलिस के अधिकारियों से मेरा अनुरोध है कि वे इस संबंध में ऐसे कदम उठाएँ जिससे अपराधियों के मन में कानून के
प्रति भय उत्पन्न हो और वे अपराध करने से पहले सोचें।
सधन्यवाद
भवदीय
हर्षित

अथवा

सेवा में,
नगर शिक्षा अधिकारी
मेरठ
विषय- प्राइमरी एवं जूनियर स्कू लों में मध्यावकाश के समय वितरित होने वाले भोजन के गिरते स्तर के संबंध में
महोदय,
मैं आपका ध्यान नगर के प्राइमरी एवं जूनियर हाईस्कू लों में मध्यावकाश के समय विद्यार्थियों को वितरित किए जाने वाले दोपहर के भोजन के
गिरते स्तर की ओर दिलाना चाहता हूँ। सरकार प्रति विद्यार्थी जितना पैसा देती है, ठेके दार उतना खर्च नहीं करता। आप किसी भी दिन आकर
देख सकते हैं कि भोजन की गुणवत्ता कितनी खराब है। दाल इतनी पतली होती है कि उसमें पानी है या दाल यह समझ ही नहीं आता। चावल में
कं कड़ निकलते हैं और रोटियाँ भी खराब आटे की बनी सप्लाई हो रही हैं। यह भोजन न तो पौष्टिक है और न ही मानकों के अनुरूप | अतः कभी-
कभी तो बच्चे इसे खाने से भी मना कर देते हैं। वे किसी भी साप्ताहिक खाद्य सारणी का पालन नहीं करते ,जो मन में आता है देर सवेर पहुँचाते हैं
और बच्चों को घुड़कते, डाँटते भी है। वे जो भी भोजन लाते हैं वह पूरा भी नहीं पड़ता और कई बच्चों को ऐसे ही जाना पड़ता है।
मेरा आपसे विनम्र अनुरोध है कि भोजन के स्तर को बढ़ाने का आदेश सम्बन्धित ठेके दार को दें या किसी अन्य को ये कार्य सौंपे अन्यथा यह
योजना अपने उद्देश्य में सफल न हो सके गी।
आशा है आप मेरी प्रार्थना पर ध्यान देंगे।
भवदीय
गोविन्द मेहता
78/4
लक्ष्मी नगर
नई कालोनी
मेरठ
दिनांक 17 जनवरी, 2019
आप परीक्षा की अच्छी तैयारी के लिए myCBSEguide App डाउनलोड कर सकते हैं। यह CBSE, NCERT, JEE (main), NEET-UG
और NDA परीक्षाओं के लिए संपूर्ण अध्ययन सामग्री प्रदान करता है। शिक्षक अपने नाम और लोगो के साथ इसी प्रकार का पेपर बनाने के लिए
Examin8 App का उपयोग कर सकते हैं।
9. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो के उत्तर दीजिये:
1. डायरी सोने से पूर्व दिनभर की गतिविधियों को स्मरण करते हुए लिखनी चाहिए। डायरी किसी नोट बुक अथवा पुरानी डायरी में लिखने
वाले दिन की तिथि डाल कर लिखनी चाहिए। नोट बुक अथवा पुराने साल की डायरी में डायरी लिखना इसलिए उचित होता है क्योंकि कई
बार नए साल की डायरी की तिथियों में दिया गया खाली पृष्ठ हमें अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए कम लगता है अथवा कभी हम दो-
चार पंक्तियों में ही अपनी बात लिखना चाहते हैं। इसलिए नए साल की डायरी के पृष्ठों की तिथियों तक स्वयं को सीमित रखने के स्थान पर
यदि हम किसी नोटबुक अथवा पुराने साल की डायरी में अपनी सुविधा के अनुसार तिथियाँ डालकर अपने विचारों और अनुभवों को
लिपिबद्ध करेंगे तो हम स्वयं को खुलकर अभिव्यक्त कर सकते हैं।

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2. पटकथा की मूल इकाई दृश्य होता है। एक दृश्य का निर्माण एक स्थान पर एक ही समय में लगातार चल रहे कार्य व्यापार के आधार पर होता
है। यदि इन में से किसी एक में भी कोई परिवर्तन होता है तो सारा दृश्य ही बदल जाता है। उदाहरण के लिए पाठ्यपुस्तक 'आरोह' के 'रजनी'
पाठ में दृश्य एक लीला बेन के फ़्लैट का है। समय दोपहर का। उनका बेटा अमित स्कू ल से वापस आने वाला है। दूसरा दृश्य अगले दिन का
है। समय दिन का। स्थान अमित के स्कू ल के हेडमास्टर का कमरा है। तीसरा दृश्य उसी दिन का है। समय शाम का। स्थान रजनी का फ़्लैट
है। इस प्रकार ये तीनों दृश्यअलग-अलग स्थान के हैं इसलिए बदल गए हैं।
3. डायरी साहित्य का वर्गीकरण मुख्यतः चार श्रेणियों में किया जा सकता है-
i. व्यक्तिगत डायरी- इस प्रकार की डायरी का संबंध व्यक्ति विशेष से होता है। इसमें लेखक के निजी जीवन में घटित घटनाओं, उसकी
निजी अनुभूतियों और निजी विचारों को लिखा जाता है। इस प्रकार की डायरी गोपनीय होती है।
ii. वास्तविक डायरी- व्यक्तिगत डायरी अपने आप में यथार्थ लिए हुए होती है। अत: यह वास्तविकता के अत्यन्त नजदीक होती है। इस
प्रकार की डायरी को वास्तविक श्रेणी की डायरी भी कहा जा सकता है।
iii. काल्पनिक डायरी- काल्पनिक डायरी में कल्पना के तत्त्व को स्थान दिया जाता है। यह वास्तविक श्रेणी की डायरी से भिन्न यथार्थता के
साथ-साथ कल्पना को भी समाविष्ट करती हुई पाठक के लिए अधिक रुचिकर बन जाती है।
iv. साहित्यिक डायरी- साहित्यिक डायरी विशेषतः पाठक के लिए लिखी जाती है। अतः इस प्रकार की डायरी में रचना शैली, ललित
कल्पना, मनोविश्लेषण, तर्क , कविता, आत्माख्यान आदि प्रवृत्तियों का समन्वय रहता है।
10. निम्नलिखित प्रश्नों में से किसी एक का उत्तर दीजिये:
1. एक ऐसा ग्रन्थ जिसमें जानकारी या विमर्श के लिए कु छ विशिष्ट प्रसंगों की बातें देखी जाती हों। एक ऐसा विशेष ग्रन्थ जो आद्योपान्त पढ़ा नहीं
जाता बल्कि किसी जिज्ञासा की पूर्ति या सन्देह के निवारण के उद्देश्य से देखा जाता है; जैसे-कोष, विश्वकोष, साहित्यकोष आदि सन्दर्भ के
ग्रन्थ हैं। सन्दर्भ से तात्पर्य स्रोतों की सूची से है, जिन्हें शोधकार्य में सन्दर्भित किया गया है। ग्रन्थ सूची उन सभी सामग्रियों को सूचीबद्ध करने
के विषय में है जिन्हें अनुसन्धान कार्य के दौरान परामर्श दिया गया है। इनका उपयोग असाइनमेंट या प्रोजेक्ट में किया गया है।
2. कोई भी लेखन कला करते समय उसकी बारीकियों को विशेष ध्यान दिया जाए तो निश्चित रूप से वह विशेषता के दर्जे में सम्मिलित हो जाता
है।
स्ववृत्त के साथ भी ऐसा ही है। एक अच्छे और विशेषताओं से युक्त स्ववृत्त में जन्म से लेकर शैक्षणिक योग्यता, प्रतिशत, अंक, वर्ष, कॉलेज,
विद्यालय का नाम आदि विस्तृत रूप से सुव्यवस्थित ढंग से लिखा जाना चाहिए।
लेखन करते समय उसकी शुद्धता और स्पष्टता का ध्यान रखा जाना चाहिए।
इन सभी विशेषताओं से अच्छे स्ववृत्त की रचना की जा सकती है।
11. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो के उत्तर दीजिये:
1. कवि के घर में सुख और स्नेह के सब साधन हैं। चार मज़बूत भुजाओं जैसे भाई, सदा प्यार करनेवाली बहनें, ममत्व बिखेरती माँ और
प्रोत्साहन देनेवाले पिता जी से घर भरा हुआ है। आज जब कवि जेल में है तो उसके अभाव ने घर के प्रत्येक सदस्य को दुखी कर दिया है,
जिससे कवि का घर अपने-आप में परिताप का घर बन गया है।
2. कवि ने निम्नलिखित स्थितियों को सबसे खतरनाक बताया है
i. मुर्दे जैसी शांति का भर जाना।
ii. सपनों का मर जाना।
iii. तड़पकर अन्याय को सहन करना।
iv. घड़ी का एक बिंदु पर ठहरना।
v. अन्याय देखकर संवेदनहीन होना।
vi. ढर्रे पर जिंदगी चलना।
vii. अत्याचार का आँ खों में न गड़ना।
viii. आत्मा की आवाज को अनसुना करना।
3. इस कविता में दोनों/पक्षों का यथार्थ चित्रण हुआ है। बृहतर संदर्भ में यह कविता समाज में उन चीजों को बचाने की बात करती है जिनका
होना स्वस्थ सामाजिक परिवेश के लिए जरूरी है। प्रकृ ति के विनाश और विस्थापन के कारण आज आदिवासी समाज संकट में है, जो
कविता का मूल स्वरूप है।
कवयित्री को लगता है कि हम अपनी पारंपरिक भाषा, भावुकता, भोलेपन, ग्रामीण संस्कृ ति को भूलते जा रहे हैं। प्राकृ तिक नदियाँ, पहाड़,
मैदान, मिट्टी, फसल, हवाएँ -ये सब आधुनिकता का शिकार हो रहे हैं। आज के परिवेश में विकार बढ़ रहे हैं, जिन्हें हमें मिटाना है। हमें प्राचीन
संस्कारों और प्राकृ तिक उपादानों को बचाना है। वह कहती है कि निराश होने की बात नहीं है, क्योंकि अभी भी हमारे पास भावनात्मक
जुड़ाव, सादगी, भोलापन, विश्वास आदि बचाने के लिए बहुत कु छ बचा है।
12. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो के उत्तर दीजिये:

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1. इस पद में कबीर ने परमात्मा को सृष्टि के कण-कण में देखा है, ज्योति रूप में स्वीकारा है तथा उसकी व्याप्ति चराचर संसार में दिखाई है।
इसी व्याप्ति को अद्वैत सत्ता के रूप में देखते हुए विभिन्न उदाहरणों के द्वारा रचनात्मक अभिव्यक्ति दी है।
कबीरदास ने आत्मा और परमात्मा को एक रूप में ही देखा है। संसार के लोग अज्ञानवश इन्हें अलग-अलग मानते हैं। कवि पानी, पवन,
प्रकाश आदि के उदाहरण देकर उन्हें एक जैसा बताता है। बाढ़ी लकड़ी को काटता है, परंतु आग को कोई नहीं काट सकता। सभी प्राणियों में
एक ही ईश्वर विद्धमान है ,भले ही प्राणी रूप कोई भी हो। माया के कारण इसमें अंतर दिखाई देता है।
2. मेरे विचार में चंपा एक ग्रामीण लड़की है जो दिन-भर प्रकृ ति की गोद में पशु चराने का काम करती है। स्वभाव से नटखट है और कवि को
दिन-भर बैठकर लिखते-पढ़ते देखती है। उसे यह बुरा लगता है कि दिन-भर बैठे रहो। वह कभी उनकी कलम और कभी कागज़ चुरा लेती है।
वह सोचती होगी कि पढ़ना-लिखना स्वच्छंदता में बाधक है। दूसरे, पढ़े-लिखे लोग अपनों को छोड़कर कलकत्ता चले जाते थे, इसलिए वह
पढ़ना नहीं चाहती।
3. अक्कमहादेवी का मानना है कि व्यक्ति तभी भीख माँगता है जब उसका अहंभाव समाप्त हो जाता है। वह निर्विकार हो जाता है। ऐसी दशा में ही
ईश्वर भक्ति की जा सकती है। व्यक्ति निस्पृह होकर लोककल्याण की सोचने लगता है।
13. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो के उत्तर दीजिये:
1. माली का काम लॉन में लगे पेड़-पौधों की देखभाल करना था। रात की आँ धी में सचिवालय के लॉन में खड़ा पेड़ गिर गया तथा उसके नीचे
एक आदमी दब गया। माली ने विभाग को इसकी सूचना दे दी। जब तक पेड़ नहीं हटता, तब तक माली की ड्यूटी उसकी देखभाल की थी।
वह दबे हुए आदमी को निकालने का प्रयत्न करता है। कहानी के आरम्भ से लेकर अंत तक उसको खाना खिलाता है। उसके साथ दुःख-
सुख बाँटता है। यहीं कारण था कि उसे पेड़ के नीचे दबे व्यक्ति से सहानुभूति हो गई।
2. कर्जन को क्रू रतम तानाशाह बताते हुए लेखक ने उसे कै सर, जार और नादिरशाह से भी अधिक क्रू र कहा है। उनका कहना है कि रोम के
तानाशाह कै सर और ज़ार भी जनता के घेरने और घोटने से जनता की बात सुन लेते हैं, पर तुमने एक बार भी ऐसा नहीं किया। ईरान के क्रू र
शासक नादिरशाह ने जब दिल्ली में कत्लेआम किया तो आसिफ़जाह की प्रार्थना पर उसे रोक दिया था। इन सबसे ऊपर निरंकु श लॉर्ड कर्ज़न
पर आठ करोड़ लोगों की गिड़गड़ाहट का कोई असर नहीं पडा। उन्होंने तो सबकी प्रार्थना को ठु कराकर बंगाल पर आरी चलाई थी। अतः
लेखक उसे संसार का क्रू रतम तानाशाह कहता है।
3. श्रीनिवास की फ़िल्म में भूमिका मिठाई बेचने वाली की थी। वह गली-गली मिठाई बेचा करता था। इस फ़िल्म के पात्र अपू तथा दुर्गा थे। वे
दोनों मिठाई वाले के पीछे-पीछे जाया करते थे। वे मिठाई नहीं खरीद सकते थे। अतः जब मिठाईवाला मुखर्जी की कोठी के आगे मिठाई बेचने
के लिए रुकता था, तो मुखर्जी मिठाई अवश्य लेते। बच्चे यही देखकर प्रसन्न हो जाते थे।
पैसे न होने के कारण शूटिंग को बीच में रोक देना पड़ा। अतः एक लंबा अंतराल आ गया। पैसे हाथ आने पर फिर जब उस गाँव में शूटिंग
करने के लिए गए, तब खबर मिली कि श्रीनिवास मिठाईवाले की भूमिका जो सज्जन कर रहे थे, उनका देहांत हो गया है। श्रीनिवास की
भूमिका के लिए वैसा ही आदमी चाहिए मगर वह मिला नहीं। अंत में उसके जैसे कद-काठी वाले आदमी को ढूँढा गया और कै मरे की तरफ
उसकी पीठ करके इस दृश्य को पूरा किया गया। दर्शकों को यह अंतर दिखाई नहीं दिया।
14. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो के उत्तर दीजिये:
1. 'भारत माता' अध्याय हिंदुस्तान की कहानी का पाँचवाँ अध्याय है। इसमें नेहरू ने बताया है कि किस तरह देश के कोने-कोने में आयोजित
जलसों में जाकर वे आम लोगों को बताते थे कि अनेक हिस्सों में बँटा होने के बाद भी हिंदुस्तान एक है। इस अपार फै लाव के बीच एकता के
क्या आधार हैं और क्यों भारत एक देश है, जिसके सभी हिस्सों की नियति एक ही तरीके से बनती-बिगड़ती है। उन्होंने भारत माता शब्द पर
भी विचार किया तथा यह निष्कर्ष निकाला कि भारत माता की जय का मतलब है यहाँ की धरती पर रहने वाली वनस्पतियाँ और रहने वाले
करोड़ों-करोड़ लोगों की जय।
2. पंडित अलोपीदीन के दो पहलू सामने आते हैं-
i. लक्ष्मी के उपासक- पंडित अलोपीदीन लक्ष्मी के उपासक हैं। वे लक्ष्मी को सर्वोच्च मानते हैं। उन्होंने अदालत में सबको खरीद रखा है। वे
कु शल वक्ता भी हैं। वाणी व धन से उन्होंने सबको वश में कर रखा है। इसी कारण वे नमक का अवैध धंधा करते हैं। वंशीधर द्वारा पकड़े
जाने पर वे अदालत में धन के बल पर स्वयं को रिहा करवा लेते हैं और वंशीधर को नौकरी से हटवा देते हैं।
ii. ईमानदारी के कायल- कहानी के अंत में इनका उज्ज्वल रूप सामने आता है। वे वंशीधर की ईमानदारी के कायल हैं। ऐसा व्यक्ति उन्हें
सरलता से नहीं मिल सकता था। वे स्वयं उनके घर पहुँचे और उसे अपनी सारी जायदाद का स्थायी मैनेजर बना दिया। उन्हें अच्छा
वेतन व सुविधाएँ देकर मान-सम्मान बढ़ाया। उनके स्थान पर आम व्यक्ति तो सदा बदला लेने की बात ही सोचता रहता।
3. इस संवाद के संदर्भ में हम सबसे ज्यादा, अत्याचार करनेवाले को दोषी मानते हैं, क्योंकि सामान्य रूप से चल रहे संसार में भी बहुत से कष्ट,
दुख और तकलीफें हैं। अत्याचारी उन्हें अपने कारनामों से और बढ़ा देता है। वह स्वयं ऊपर से खुश दिखाई देता है, पर उसकी आत्मा तो
जानती ही है कि वह गलती कर रहा है। उसके द्वारा जिसे सताया जा रहा है वह भी कष्ट उठा रहा है और उसकी आत्मा भी कष्ट उठाती है।
इसलिए वह इन बातों से मुक्त होने के उपाय सोचता है, पर ऐसा कर नहीं पाता। अतः अत्याचारी ही कष्ट का प्रथम कारण होने की वजह से
अधिक दोषी है।

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15. निम्नलिखित प्रश्नों में से किसी एक का उत्तर दीजिये:
1. राजस्थान में रेत अथाह है। वर्षा का पानी रेत में समा जाता है, जिससे नीचे की सतह पर नमी फै ल जाती है। यह नमी खड़िया मिट्टी की परत
के ऊपर तक रहती है। इस नमी को पानी के रूप में बदलने के लिए चार-पाँच हाथ के व्यास की जगह को तीस से साठ हाथ की गहराई तक
खोदाजाता है। खुदाई के साथ-साथ चिनाई भी की जाती है। इस चिनाई के बाद खड़िया की पट्टी पर रिस-रिस कर पानी एकत्र हो जाता है।
इसी तंग गहरी जगह को कुं ई कहा जाता है। यह कु एँ का स्त्रीलिंग रूप है। यह कु एँ से के वल व्यास में छोटी होती है, परंतु गहराई में लगभग
समान होती है। आम कु एँ का व्यास पंद्रह से बीस हाथ का होता है, परंतु कुं ई का व्यास चार या पाँच हाथ होता है।
2. रचना संसार और इसमें रहने वाले लोगों की अपनी एक अलग ही जीवन-शैली है। ये लोग लेखन कार्य के लिए सारी सारी रात जाग सकते
हैं, जागते हैं। 'तुम दूसरी आशापूर्णा देवी बन सकती हो'- जेठू का यह कथन बेबी को यही बात समझाने के लिए था। जेठू ने यह भी समझाया
था कि आशापूर्णा देवी भी सारा काम-काज निबटाकर रात-रात भर चोरी-चोरी लिखती थी, जब लोग सो जाते थे। यह सच है रचना संसार
में लेखन का एक नशा होता है, जैसा मुंशी प्रेमचंद को भी था, जो कई मील पैदल चलकर आते, खाने-पीने का ठिकाना न था, फिर भी डिबरी
की रोशनी में कई-कई घंटे बैठकर लेखन कार्य करते थे। ऐसी ही बेबी हालदार ने भी किया। जब सारी झुग्गी बस्ती सो जाती तो वह लेखन
कार्य करती रहती थी। कहने का तात्पर्य है कि इच्छाशक्ति के आगे हर कठिनाई घुटने टेक देती है।

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