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2024 11 Hindi Core SP 01
2024 11 Hindi Core SP 01
अधिकतम अंक: 80
निर्धारित समय : 3 hours
सामान्य निर्देश:
2. प्रात:काल की सैर प्रातः काल की सैर से मन प्रफु ल्लित तथा तन स्वस्थ्य रहता है। स्वस्थ व्यक्ति ही समर्थ होता है और यह सर्वमान्य सत्य है
कि वही इच्छित कार्य कर सकता है। वही व्यापार, सेवा, धर्म आदि हर क्षेत्र में सफल हो सकता है। व्यक्ति तभी स्वस्थ रह सकता है जब वह
व्यायाम करे। व्यायाम में खेल-कू द, नाचना, तैराकी, दौड़ना आदि होते हैं, परंतु ये तरीके हर व्यक्ति के लिए सहज नहीं होते। हर व्यक्ति की
परिस्थिति व शारीरिक दशा अलग होती है। ऐसे लोगों के लिए प्रात:काल की सैर से बढ़िया विकल्प नहीं हो सकता।प्रातः काल में सैर करने
से हम आज के प्रदूषित वातावरण में भी थोड़ी शुद्ध हवा ले सकते हैं।
यदि व्यक्ति नियमित रूप से प्रात:काल की सैर करे तो उसे अधिक फायदा ले सकता है।प्रातः सैर से मष्तिष्क को भी फायदा होता है। सैर
के समय निरर्थक चिंताओं से दूर रहना चाहिए। प्रात:कालीन सैर के लिए उपयुक्त स्थान का होना भी जरूरी है। घूमने का स्थान खुला व
साफ़-सुथरा और प्रदूषण रहित होना चाहिए। हरी घास पर नंगे पैर चलने से आँ खों की रोशनी बढ़ती है, तथा शरीर में ताजगी आती है। इस
बात का ध्यान रखना चाहिए कि यह नियम सर्दी में लागू नहीं होता।
अत्यधिक ठंड से नंगे पैर चलने से व्यक्ति बीमार हो सकता है। हरित क्षेत्र में सैर करनी चाहिए। इसके लिए नदियों-नहरों व खेतों के किनारे,
पार्क , बाग-बगीचे आदि भी उपयोगी स्थान माने गए हैं। खुली सड़कों पर वृक्षों के नीचे घूमा जा सकता है। यदि ये सब कु छ उपलब्ध न हों तो
खुली छत पर घूमकर लाभ उठाया जा सकता है। प्रात:कालीन सैर से तन-मन प्रसन्न हो सकता है। यह सस्ता व सर्वसुलभ उपाय है।
3. शिक्षा और व्यवसाय शिक्षा का अर्थ के वल अक्षर-ज्ञान या पूर्व जानकारी की पुनरावृत्ति नहीं है। इसका अर्थ कार्य या व्यवसाय दिलाना भी
नहीं है। शिक्षा का वास्तविक अर्थ है-व्यक्ति को अक्षर-ज्ञान कराकर उसमें अच्छे-बुरे में अंतर करने का विवेक उत्पन्न करना। मनुष्य के सहज
मानवीय गुणों व शक्तियों को उजागर करना शिक्षा का कार्य है , ताकि मनुष्य जीवन जीने की कला सीख सके । ऐसा कर पाने में समर्थ शिक्षा
को ही सही अर्थों में शिक्षा कहा जा सकता है। शिक्षा प्राप्त करने के साथ मनुष्य को जीवन-निर्वाह के लिए कोई-न-कोई व्यवसाय या रोजगार
करना पड़ता है।
शिक्षा व रोजगार का प्रत्यक्ष तौर पर भले ही कोई संबंध न हो, परंतु शिक्षा से व्यवसाय में बढ़ोतरी हो सकती है-इस बात में तनिक भी संदेह
नहीं है। आज के समय में शिक्षा का अर्थ व उद्देश्य यह लिया जाता है, कि डिग्रियाँ हासिल करने से कोई नौकरी या रोजगार अवश्य मिलेगा।
इसी कारण से शिक्षा अपने वास्तविक उद्देश्य से भटक चुकी है।अब वो समय नहीं रह गया है, जब डिग्रियों से रोजगार मिलता था।अनेक युवा
अपनी डिग्रियों के साथ बेरोजगारी की आग में जल रहे हैं।
अगर सब जगहों पर शिक्षा का विकास हो, तो शहरों में भीड़ अधिक नहीं बढ़ेगी तथा प्रदूषण भी कम होगा। कु छ हद तक बेकारी की समस्या
भी हल हो जाएगी। अतः इस दिशा में तेजी से व समस्त उपलब्ध साधनों से एकजुट होकर काम करना पड़ेगा ताकि आम शिक्षित वर्ग और
शिक्षा-जगत में छाई निराशा दूर हो सके । यह सही है कि आज जीवन में शिक्षा को व्यवसाय का साधन समझा जाने लगा है, पर अब जो
स्वरूप बन गया है, उसे सही ढंग से सजाने-सँवारने और उपयोगी बनाने में ही देश का वास्तविक हित है।शिक्षा को व्यवसाय से अलग करके
ही कु छ बदलाव लाए जा सकते हैं।
8. परीक्षा भवन,
दिल्ली
दिनांक: 13 मार्च, 2019
सेवा में,
श्रीमान संपादक महोदय,
टाइम्स ऑफ़ इंडिया
नई दिल्ली
अथवा
सेवा में,
नगर शिक्षा अधिकारी
मेरठ
विषय- प्राइमरी एवं जूनियर स्कू लों में मध्यावकाश के समय वितरित होने वाले भोजन के गिरते स्तर के संबंध में
महोदय,
मैं आपका ध्यान नगर के प्राइमरी एवं जूनियर हाईस्कू लों में मध्यावकाश के समय विद्यार्थियों को वितरित किए जाने वाले दोपहर के भोजन के
गिरते स्तर की ओर दिलाना चाहता हूँ। सरकार प्रति विद्यार्थी जितना पैसा देती है, ठेके दार उतना खर्च नहीं करता। आप किसी भी दिन आकर
देख सकते हैं कि भोजन की गुणवत्ता कितनी खराब है। दाल इतनी पतली होती है कि उसमें पानी है या दाल यह समझ ही नहीं आता। चावल में
कं कड़ निकलते हैं और रोटियाँ भी खराब आटे की बनी सप्लाई हो रही हैं। यह भोजन न तो पौष्टिक है और न ही मानकों के अनुरूप | अतः कभी-
कभी तो बच्चे इसे खाने से भी मना कर देते हैं। वे किसी भी साप्ताहिक खाद्य सारणी का पालन नहीं करते ,जो मन में आता है देर सवेर पहुँचाते हैं
और बच्चों को घुड़कते, डाँटते भी है। वे जो भी भोजन लाते हैं वह पूरा भी नहीं पड़ता और कई बच्चों को ऐसे ही जाना पड़ता है।
मेरा आपसे विनम्र अनुरोध है कि भोजन के स्तर को बढ़ाने का आदेश सम्बन्धित ठेके दार को दें या किसी अन्य को ये कार्य सौंपे अन्यथा यह
योजना अपने उद्देश्य में सफल न हो सके गी।
आशा है आप मेरी प्रार्थना पर ध्यान देंगे।
भवदीय
गोविन्द मेहता
78/4
लक्ष्मी नगर
नई कालोनी
मेरठ
दिनांक 17 जनवरी, 2019
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9. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो के उत्तर दीजिये:
1. डायरी सोने से पूर्व दिनभर की गतिविधियों को स्मरण करते हुए लिखनी चाहिए। डायरी किसी नोट बुक अथवा पुरानी डायरी में लिखने
वाले दिन की तिथि डाल कर लिखनी चाहिए। नोट बुक अथवा पुराने साल की डायरी में डायरी लिखना इसलिए उचित होता है क्योंकि कई
बार नए साल की डायरी की तिथियों में दिया गया खाली पृष्ठ हमें अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए कम लगता है अथवा कभी हम दो-
चार पंक्तियों में ही अपनी बात लिखना चाहते हैं। इसलिए नए साल की डायरी के पृष्ठों की तिथियों तक स्वयं को सीमित रखने के स्थान पर
यदि हम किसी नोटबुक अथवा पुराने साल की डायरी में अपनी सुविधा के अनुसार तिथियाँ डालकर अपने विचारों और अनुभवों को
लिपिबद्ध करेंगे तो हम स्वयं को खुलकर अभिव्यक्त कर सकते हैं।