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10 Hindi B Sample Paper 01
10 Hindi B Sample Paper 01
Class 10 - हिंदी ब
अधिकतम अंक: 80
सामान्य निर्देश:
डॉ. कलाम को 'मिसाइल मैन' कहा जाता है। जब ये छठी कक्षा में पढ़ते थे, तभी समाचार-पत्र में दूसरे महायुद्ध के सुप्रसिद्ध बमवर्षक विमान
'स्पटफायर' (मंत्रवाण) के विषय में पढ़कर इन्होंने वैमानिकी के क्षेत्र में कु छ कर गुजरने का निश्चय कर लिया था। यही नहीं, वैमानिकी की हर
बारीकी इन्होंने अपने छात्र-जीवन में ही भली प्रकार जान ली थी। डॉ. कलाम के शब्दों में-"विज्ञान वैदिक साहित्य की तरह है, सरस और
संवेदनशील"। 1958 में ये रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन से जुड़ गए और 1980 तक के लंबे सेवाकाल में इन्होंने देश को अंतरिक्ष अनुसंधान
की बुलंदी तक पहुँचाया। इस श्रृंखला में 1967 में रोहिणी-75 रॉके ट छोड़ा, भारत का पहला उपग्रह प्रक्षेपणयान एस.एल.बी.-3 का श्री हरिकोटा से
प्रक्षेपण किया गया। इतना ही नहीं, 1982 में डी.आर.डी.ओ. निदेशक के रूप में इन्होंने मिसाइल परियोजना के तहत पाँच प्रमुख मिसाइल कार्यक्रमों
पर अनुसंधान किए। 1983 में आई.जी.एच.डी.पी. का प्रक्षेपण किया व 1984 में प्रथम स्वदेशी जड़त्व निर्देशित प्रणाली के लिए मिसाइल का
परीक्षण किया। सन् 1985 में 'रिसर्च सेंटर' की आधारशिला रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। आपका मूल मंत्र है- "विजन, मिशन और गोल।"
i. डॉ. कलाम को बमवर्षक विमान की जानकारी कहाँ से मिली?
क) मित्रों से
ख) समाचार-पत्रों से
ग) पुस्तकों से
घ) अध्यापकों से
ii. डॉ. कलाम ने विज्ञान को किसके समान सरस और संवेदनशील बताया?
क) संस्कृ त साहित्य के
ख) वैदिक साहित्य के समान
ग) पुराणों के
घ) भक्तिकालीन साहित्य के
iii. भारत के प्रथम उपग्रह प्रेक्षण यान का नाम है ________।
क) आई.जी.एच.डी.पी.
ख) विमान 'स्पटफायर'
ग) एस.एल.बी.-3
घ) रोहिणी-75
iv. डॉ. कलाम का मूल मंत्र निम्नलिखित में से कौन-सा है?
क) विजन, मिशन और गोल
ख) सृजन, मिशन और गोल
ग) विजन, गगन और गोल
घ) मिशन प्रशिक्षण और गोल
प्राचीनकाल से ही देशाटन ऋषियों-मुनियों और राजाओं को भी प्रिय रहा है। उस समय हवाई जहाज, ट्रेनें, बसें आदि सुविधाजनक वाहन नहीं होते
थे। लोग घोड़ों पर बैठकर सवारी करते थे या पैदल ही यात्रा किया करते थे। प्राचीनकाल में लोग हजारों-हजारों मील पैदल यात्रा करते हुए एक
राज्य से दूसरे राज्य में पहुँच जाया करते थे। हाँ ! उसमें उनको काफी समय लग जाता था, परंतु उनको उस यात्रा में आनंद खूब आता था, साथ ही
उन्हें उस इलाके की पूरी जानकारी भी प्राप्त हो जाती थी।
पर्यटन द्वारा ज्ञान-प्राप्ति के साथ-साथ हमें सरस और सुरुचिपूर्ण मनोरंजन भी प्राप्त होता है। विभिन्न स्थानों, वनों पहाड़ों, नदी-तालाबों और सागर
की उत्ताल तरंगों का अवलोकन कर पर्यटक झूम उठते हैं। पर्यटन हमें नयनाभिराम दृश्यों को देखने का अवसर देता है। पर्यटन हमारे स्वास्थ्य के
लिए भी हितकर है। जलवायु परिवर्तन से चित्त में सरसता और उत्साह का संचार होता है। इससे हम प्रसन्न मन:स्थिति में रहते हैं, जो हमारे उत्तम
स्वास्थ्य की अनिवार्य शर्त है। देशाटन अथवा पर्यटन के दौरान अनेक कष्टों और कठिनाइयों का सामना करने पर जब हम उन्हें सुलझाने में सफल
हो जाते हैं, तो हमें एक अद्भुत प्रसन्नता प्राप्त होती है।
फलस्वरूप हमारे आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। पर्यटन ने हमारे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को भी प्रभावित किया है। इससे विभिन्न राष्ट्रों में
परस्पर निकटता बढ़ती है और व्यापारिक संबंध दृढ़ होते हैं। विकसित देशों के संपर्क ने विकासशील देशों की उन्नति को तीव्र गति प्रदान की है
और अविकसित देशों के विकास में सहयोग देना आरंभ किया है। राष्ट्रों के पारस्परिक वैमनस्य और बैर को दूर करने में पर्यटन का योगदान
महत्वपूर्ण हो सकता है।
i. पर्यटन से हमें क्या प्राप्त होता है?
क) इनमें से कोई नहीं
ख) ज्ञान-प्राप्ति के साथ सरस और सुरुचिपूर्ण मनोरंजन
ग) धन-लाभ
घ) सामाजिक और राजनीतिक लाभ
ii. पर्यटन स्वास्थ्य के लिए किस प्रकार हितकर है?
क) हमारे आत्मविश्वास में वृद्धि होती है
ख) पर्यटन से चित्त में सरसता और उत्साह का संचार होता है
ग) सभी
घ) मन प्रसन्न रहता है
iii. पर्यटन हमें किस प्रकार प्रभावित करता है?
क) राष्ट्रों में परस्पर निकटता बढ़ती है
ख) सभी
ग) व्यापारिक संबंध दृढ़ होते हैं
घ) राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि होती है
iv. विकसित देशों के संपर्क से क्या लाभ हुआ है?
क) इनमें से कोई नहीं
ख) विकासशील देश उन्नति के पथ पर गतिशील हुए हैं
ग) विकासशील देशों से गरीबी दूर हुई है
घ) विकासशील देशों की आर्थिक प्रगति कम हुई है
v. पर्यटन के सकारात्मक प्रभाव हैं-
i. सरस और सुरुचिपूर्ण मनोरंजन
ii. चित्त में सरसता और उत्साह का संचार
अब भाई साहब बहुत कु छ नरम पड़ गए थे। कई बार मुझे डाँटने का अवसर पाकर भी उन्होंने धीरज से काम लिया। शायद वह खुद समझने लगे थे
कि मुझे डाँटने का अधिकार उन्हें नहीं रहा, या रहा भी, तो बहुत कम। मेरी स्वच्छंदता भी बढ़ी। मैं उनकी सहिष्णुता का अनुचित लाभ उठाने लगा।
मुझे कु छ ऐसी धारणा हुई कि मैं पास ही हो जाऊँ गा, पढूँ या न पढूँ, मेरी तकदीर बलवान है, इसलिए भाई साहब के डर से जो थोड़ा-बहुत पढ़ लिया
करता था, वह भी बंद हुआ। मुझे कनकौए उड़ाने का नया शौक पैदा हो गया था और सारा समय पतंगबाजी की ही भेंट होता था, फिर भी मैं भाई
साहब का अदब करता था और उनकी नज़र बचाकर कनकौए उड़ाता था। माँझा देना, कनने बाँधना, पतंग टूर्नामेंट की तैयारियाँ आदि समस्याएँ
सब गुप्त रूप से हल की जाती थीं। मैं भाई साहब को यह संदेह न करने देना चाहता था कि उनका सम्मान और लिहाज मेरी नज़रों में कम हो गया
है।
कारण (R): उसे अपनी तकदीर पर भरोसा था कि वह बिना पढ़े भी पास हो जाएगा।
क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत है।
ख) कथन (A) सही है लेकिन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।
ग) कथन (A) गलत है लेकिन कारण (R) सही है।
घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
iv. बड़े भाई के डर से लेखक कौन-सा कार्य करने लगा था?
क) नवीन योजना बनाता था
ख) और अधिक खेलता था
ग) मित्रों से नहीं मिलता था
घ) थोड़ा-बहुत पढ़ता था
v. लेखक बड़े भाई साहब को किस बात का संदेह नहीं होने देना चाहता है?
क) उनकी पढ़ाई की पुस्तकें उसने फाड़ दी हैं
ख) अनुभव के कारण उनकी बात को जानने का
ग) उनका सम्मान लेखक की नज़रों में कम हो गया है
घ) उनकी शिकायत दादा से कर दी
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10. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए।
i. तीसरी कसम पाठ के आधार पर शैलेन्द्र के गीतों की क्या विशेषता है?
क) भाव प्रदान और सरल दोनों
ख) भाव प्रदान
ग) इनमें से कोई नहीं
घ) सरल
ii. तताँरा के लिए क्या असहनीय था?
क) पशु पर्व के कार्यक्रमों में बाधा आना
ख) उसके गांव पासा के लोगों का अपमान होना
ग) बहुत सारे गांववालों का इकट्ठा हो जाना
घ) गांववालों का उसके विरोध में आव़ाज उठाना
खंड - ब वर्णनात्मक प्रश्न (पाठ्य पुस्तक)
11. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए:
i. कलकत्ता में 26 जनवरी, 1931 को हुए आंदोलन में महिलाओं का बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना यह स्पष्ट करता है कि स्वाधीनता-संघर्ष में महिलाओं
की भूमिका पुरुषों से कम नहीं थी। पाठ के संदर्भ में स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं की भूमिका को रेखांकित कीजिए |
अथवा
अथवा
अथवा
अपने क्षेत्र के विद्युत विभाग के अधिकारी को विद्युत बिल ठीक कराने के लिए पत्र लिखिए।
16. विद्यालय में छु ट्टी के दिनों में भी प्रातःकाल में योग की अभ्यास कक्षाएँ चलने की सूचना देते हुए इच्छुक विद्यार्थियों द्वारा अपना नाम देने हेतु
सूचना-पट्ट के लिए एक सूचना लगभग 30 शब्दों में लिखिए।
अथवा
आप विद्यालय की छात्र कल्याण-परिषद् के सचिव हैं। विद्यालय में होने वाले वार्षिक-उत्सव में भाग लेने के इच्छुक छात्रों के नाम आमंत्रित करने के
लिए सूचना तैयार कीजिए।
17. कोचिंग सेंटर हेतु एक विज्ञापन लगभग 25-50 शब्दों में बनाइए।
अपने विद्यालय में होने वाले निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर के आयोजन से संबंधित विज्ञापन लगभग 25-50 शब्दों में तैयार कीजिए।
18. मैं तितली हूँ विषय पर लगभग 100-120 शब्दों में एक लघुकथा लिखिए।
अथवा
आपकी बस्ती के पार्क में कई अनधिकृ त खोमचे वालों ने डेरा डाल दिया है, उन्हें हटाने के लिए नगर-निगम अधिकारी को dyancsz@mcd.org.in
एक ईमेल लिखिए।
Class 10 - हिंदी ब
उत्तर
व्याख्या: समाचार-पत्रों से
ii. (ख) वैदिक साहित्य के समान
व्याख्या: एस.एल.बी.-3
iv. (क) विजन, मिशन और गोल
व्याख्या: (A) और (R) दोनों सत्य हैं तथा (R) अभिकथन (A) की सही व्याख्या करता है।
2. i. (ख) ज्ञान-प्राप्ति के साथ सरस और सुरुचिपूर्ण मनोरंजन
व्याख्या: सभी
iii. (ख) सभी
व्याख्या: सभी
iv. (ख) विकासशील देश उन्नति के पथ पर गतिशील हुए हैं
व्याख्या: यद्यपि मुझे नौकरी मिल गई है तथापि मैं पढ़ता रहता हूँ।
ii. (क) संयुक्त वाक्य
व्याख्या: यहाँ दोनों पद ही प्रधान होने के कारण यहाँ द्वंद्व समास है।
ii. (घ) नौ रात्रियों का समाहार - द्विगु समास
व्याख्या: यह विकल्प सही है क्योंकि इस समास में पहला पद संख्यावाची होता है और समस्त पद किसी समूह विशेष का बोध करवाता है तो
यह नव - नौ अर्थात संख्या है और नवरात्रि - नौ रातों का समूह।
iii. (ख) नर-नारी
व्याख्या: नर-नारी
iv. (क) अव्ययीभाव
व्याख्या: अव्ययीभाव
v. (ग) कर्मधारय समास
लाल- विशेषण
मिर्च- विशेष्य
6. निर्देशानुसार मुहावरे पर आधारित छह बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
i. (क) विष घोलने का
व्याख्या: बेकार में लिखना - शीला ने पन्ने रंग दिए पर कोई फायदा नहीं हुआ।
iv. (ग) डेरा डालना
व्याख्या: डेरा डालना - लोग जहाँ अनुकू ल साधन देखते हैं वहीं डेरा जमा लेते हैं।
v. (घ) दुखी व्यक्ति को और दुःख देना
व्याख्या: दुखी व्यक्ति को और दुःख देना - अपाहिज सोनू के लिए सांत्वना के शब्द मानो घाव पर नमक छिड़कने का काम करते हैं।
vi. (ख) लुटिया डूब जाना
व्याख्या: जो अपना जीवन परोपकार में लगा देता है, वह कभी नहीं मरता।
iv. (क) परोपकार करने वाला
व्याख्या: स्वार्थ की भावना का होना पशु-प्रवृति की निशानी है। परमार्थ की भावना ही मनुष्य की पहचान है। हमारी मृत्यु यादगार होनी
व्याख्या: इस गीत में देश की रक्षा के लिए सैनिक अपने प्राण न्यौछावर करते समय अपने साथियों को संबोधित कर रहा है कि हे साथियों !
अब तुम्हारे हवाले यह वतन(देश) साथियों ।
ii. (ग) हे श्याम! मुझे दासी बना लो
व्याख्या: कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
iv. (घ) थोड़ा-बहुत पढ़ता था
व्याख्या: वामीरो की माँ के द्वारा सबके सामने अपमान किए जाने पर तताँरा क्रोध से भर गया था और अन्य गांववालों का विवाह परंपरा के
समर्थन में चुप रहना उसे चुभ रहा था। वह हमेशा ही सबके बीच में सम्मान और आदर पाता था इसीलिए इस प्रकार लोगों का उसके खिलाफ़
आव़ाज उठाना उसके लिए असहनीय था। अन्य विकल्पों की तुलना में यह विकल्प सबसे उचित है
खंड - ब वर्णनात्मक प्रश्न (पाठ्य पुस्तक)
11. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए:
i. भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में प्रत्येक निर्णायक मोड़ पर महिलाओं ने पुरुषों के साथ संघर्ष को गति दी। स्वतंत्रता के प्रथम संग्राम के दौरान
1857 ई. में जहाँ झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई तथा लखनऊ की बेगम हज़रत महल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
प्रस्तुत पाठ के अंतर्गत जमना लाल बजाज की पुत्री मदालसा और उनकी पत्नी जानकीदेवी द्वारा छात्राओं को आंदोलन के लिए मार्गदर्शन
करना तथा गुजराती सेविका संघ, मारवाड़ी विद्यालय की बालिकाओं का जुलूस निकालने एवं सार्वजनिक गिरफ्तारी देने का उल्लेख हुआ है।
इसके अलावा महिलाओं का स्वतंत्र जुलूस निकालना ,धर्मतल्ले के मोडपर धरना देना, पुलिस के लाठीचार्ज के बाद भी वहां से न हटना आदि
के वर्णन से हमें स्त्रियों के योगदान का पता चलता है। लेखक ने यह भी स्पष्ट तौर पर बताया है कि कलकत्ता के इस आंदोलन में 105 स्त्रियों ने
अपनी गिरफ़्तारी दी, जो बड़ी संख्या थी। इन सब बातों से स्पष्ट होता है कि स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की भूमिका किसी भी तरह से पुरुषों
से कम नहीं थी |
ii. जब लेफ्टीनेंट को कर्नल से यह पता चला कि कम्पनी के खिलाफ के वल वजीर अली ही नहीं, बल्कि दक्षिण में टीपू सुल्तान और बंगाल के
नवाब का भाई शमसुद्दौला भी अंग्रेज़ी शासन के खिलाफ है और इन तीनों ने ही अफगानिस्तान के बादशाह शाहे-जमा को हिन्दुस्तान पर
आक्रमण करने का निमंत्रण दिया है। लेफ्टीनेंट को ऐसा लगा कि कम्पनी के खिलाफ सारे हिन्दुस्तान में एक लहर दौड़ गई है अवध से लेकर
बंगाल तक सभी अंग्रेजी शासन को नष्ट करने का निश्चय कर चुके हैं।
iii. जब हम मानसिक तनाव में होते हैं तो हमें कु छ भी अच्छा नहीं लगता। ऐसा लगता है कि जीवन में कु छ भी अच्छा नहीं होगा और यही सोच कर
हमारा मन तनावग्रस्त हो जाता है। ऐसे में यदि गर्मागर्म चाय पीने को मिल जाए तो सारा तनाव कहीं रफू चक्कर हो जाता है। जैसा लेखक ने
अनुभव किया कि उसके दिमाग की रफ़्तार धीमी पड़ गई और थोड़ी देर में बिलकु ल बंद हो गई, वैसा ही हम अनुभव करते हैं। चाय पीने के बाद
हमें लगता है कि भूत और भविष्य कु छ भी नहीं है। जो शाश्वत है वह के वल वर्तमान है। हमें यह समझ आने लगता है कि वर्तमान का सदुपयोग
कर हम अपने भावी जीवन की समस्त गुत्थियाँ सुलझा सकते हैं।
12. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए:
यह उनकी कल्पना तथा भावों की अभिव्यक्ति का कौशल ही है, जो उन्होंने पर्वत को आकाश में उड़ते हुए बताया है, शाल के वृक्षों को भय के
कारण ज़मीन में फँ सा हुआ कहा है और शीतल जल से भरे हुए तालाब से आग उगलने का चित्रण किया है। इसके अतिरिक्त वे पर्वतों पर उगे
हुए पेड़ों कि तुलना मनुष्य की उच्चाकांक्षाओ से की है| झरनों को सन्नाटा का प्रतीक बताया है जिससे प्रतीत होता है कि आकाश धरती पर आ
गया हो | उन्होंने स्वच्छ और पारदर्शी जल वाले तालाब की तुलना आईने से की है |
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि सुमित्रानंदन पंत प्रकृ ति चित्रण के सर्वोत्तम कवि हैं।
13. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए:
i. आम आदमी की धर्म के प्रति अंधश्रद्धा का तथाकथित धर्म के ठे के दार अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए इस्तेमाल करते हैं। वे मनुष्यों को मोह और
माया की पट्टी पढ़ाकर उनका सब कु छ हथिया लेना चाहते हैं।
' हरिहर काका ' कहानी में काका भी इसी प्रकार के शिकार हुए । महंत को जब पता चला कि काका की अपने भाइयों के परिवार से मेल नहीं
है,तो उसने उनके खिलाफ षडयंत्र करके उनकी जायदाद को हड़पने का प्रयास किया।
ऐसी स्थिति में व्यक्ति का वैज्ञानिक दृष्टिकोण ही उसकी मदद कर सकता है।बिना तर्क के इन समस्याओं से हम छु टकारा नहीं पा सकते हैं।
ii. वर्तमान में विद्यार्थियों को अनुशासित बनाए रखने के लिए जो तरीके निर्धारित किए गए हैं, वे पाठ में बताए हुए तरीको से सर्वथा भिन्न है। जैसे
कि पुराने समय में बच्चों को पीटने अथवा अन्य कोई शारीरिक दंड देने में कोई आपत्ति नहीं थी, परन्तु वर्तमान समय में बच्चों को कोई भी
शारीरिक दंड देना अमानवीय व्यवहार और अपराध के श्रेणी में आता है।
लेखक के समय विद्यालय में अनुशासन बनाए रखने के लिए उन्हें विभिन्न तरीकों से भयभीत किया जाता था। अनुशासन के नाम पर शिक्षक
निरंकु शता तथा निर्दयता की सारी हदें पार कर जाते थे। पढ़ाई के नाम पर बच्चों पर अतिरिक्त बोझ डाला जाता था। किन्तु इसके विपरित
वर्तमान में विद्यार्थियों को अनुशासित बनाए रखने के लिए शारीरिक दण्ड के बदले उन पर आर्थिक दण्ड अथवा निलंबन लगाया जाता है।
इसके अतिरिक्त पढ़ाई को बच्चों पर जबरदस्ती नहीं थोपा जाता है।
अतः हम यह कह सकते हैं कि वर्तमान की शिक्षा पहले की शिक्षा व्यवस्था से पूरी तरह भिन्न और अधिक बेहतर है ।
iii. बुज़ुर्ग हमारी धरोहर होते हैं। वे ऐसी विरासत होते हैं जो हमें कु छ न कु छ सिखाते हैं। वे अनुभवी होते हैं। उनके अनुभवों से हम नवीन ज्ञान प्राप्त
करते हैं। वे हमारे नैतिक और चारित्रिक बल को ऊँ चा उठाते हैं। टोपी जब भी इफ्फन के घर जाता था तो कई बार उसकी अम्मी और बाजी
उसकी भाषा का मजाक उड़ाती थीं तो इफ्फन की दादी ही उनका बीच-बचाव करती थीं। उसे दादी के व्यवहार से बड़ा ही अपनापन मिलता
था। हम भी अपने घर में रह रहे बुजुर्गों का सम्मान करते हैं। हम उनकी उचित देखभाल करेंगे और उनकी सेवा करेंगे।
खंड - ब वर्णनात्मक प्रश्न (लेखन)
14. साँच को आँच नहीं जो व्यक्ति सत्य बोलता है, उस पर कोई आँच नहीं आती अर्थात् उसे कोई भी नुकसान नहीं पहुँचा सकता। सत्य बोलने वाले
व्यक्ति की समाज में जीते-जी बहुत प्रतिष्ठा होती है तथा मृत्यु के पश्चात् उसके यश में और वृद्धि हो जाती है। महात्मा गांधी ने जीवनभर 'सत्य ही
ईश्वर है' के सिद्धांत को अपनाया। संसार के कई व्यक्तियों का यह मानना है कि संसार की हर सफलता को सत्य के बल पर प्राप्त किया जा सकता
है। सत्य बोलने वाले को कदम-कदम पर संघर्ष करना पड़ता है, किंतु अंत में विजय उसे ही प्राप्त होती है। यह एक कटु सत्य है कि असत्य बोलने
अतः प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए, क्योंकि सत्य को अपनाकर ही हम अपने जीवन में शांति और संतोष प्राप्त
कर सकते हैं। सत्य बोलकर हम इस समाज का कल्याण करने में अपनी सहायक भूमिका निभा सकते हैं।
अथवा
दोस्त हमारे जीवन का वह हिस्सा हैं जिन्हें हम खुद चुनते हैं। जितना जरूरी जीवन में परिवार का होना है उतना ही जरूरी मित्र का होना भी है। सच्चे
मित्र जीवन में हर मोड़ पर हमें सहायता और मार्गदर्शन देते हैं। मित्र हमें भावनात्मक समर्थन देते हैं जो हमें हमारे विशेष होने का अहसास कराते हैं।
यदि हमारे पास सच्चे मित्र हैं तो जीवन अधिक मनोरंजक और सहनशील बन जाता है। मित्र हमारे जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है
अतः मित्र का होना बहुत ही आवश्यक है।
सच्चा मित्र मिलना बहुत कठिन है। सच्चा मित्र वही हो सकता है जो दिल से आपको अपना माने। सच्चा मित्र वही है जो कभी हमारे सामने दिखावा
नहीं करता हो और न ही झूठ बोलता हो। जो दुख और सुख में कभी साथ नहीं छोड़ता हो और पीठ पीछे बुराई न करता हो। जो कभी मित्रता में
छल-कपट न करे तथा मित्र को अवगुणों व कु संगति से छु टकारा दिलाने हेतु प्रयत्नशील रहे। मानव जीवन में मित्रता से अनेक लाभ होते हैं। मित्र के
समान समाज में सुख और आनंद देने वाला दूसरा कोई नहीं है। दुख के दिनों में मित्र को देखते ही हृदय में शक्ति का संचार होता है। अधीरता और
व्याकु लता प्राणों के भीतर से भाग जाती है और निराश मन के भीतर आशा की ज्योति जलने लगती है। जब विपत्ति में सब साथ छोड़ देते हैं तब वह
हमारे साथ खड़ा रहता है। मित्र के बिना जीवन नीरस रहता है।
अथवा
साहित्य का महत्त्व साहित्य कमज़ोर एवं शोषितों को उत्साहित करने का कार्य करता है। यह साहित्य ही है, जिसने कई बार हारी हुई लड़ाइयों को
भी जीतने में मदद की है। कहा भी गया है कि 'साहित्य समाज का दर्पण' होता है। साहित्य समाज में फै ली रूढ़िवादिता से अवगत कराके उसे खत्म
करने का मार्ग प्रशस्त करता है। समाज को बदलने और आगे बढ़ाने में साहित्य का महत्वपूर्ण योगदान होता है । साहित्य देश की वास्तविक स्थिति
का सजीव चित्रण करता है, जिससे प्रभावित होकर समाज के जागरूक लोग सामाजिक बुराइयों को पहचानकर, उनका कारण समझकर तथा
उन्हें मिटाने के तरीके ढूंढकर उन्हें समाप्त कर देते हैं। जिस समय भारतीय संस्कृ ति और सभ्यता को दुष्प्रभावित करने का षड्यंत्र किया जा रहा था,
उस समय कबीरदास, तुलसीदास, भूषण, प्रेमचंद, रामधारी सिंह 'दिनकर' आदि साहित्यकारों ने जनता को अपनी रचनाओं के माध्यम से शिक्षित
एवं संवेदनशील बनाने का कार्य किया। राष्ट्रीयता एवं मानवीय मूल्यों की रक्षा करने में अनेक साहित्यकारों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है।
साहित्यकारों ने अपने राष्ट्रीय एवं नैतिक दायित्व को पहचाना तथा उसी के अनुसार कार्य किया। इस प्रकार कह सकते हैं कि साहित्यकार का
सामाजिक उत्तरदायित्व होता है। समाज के हित की दृष्टि से लिखा गया साहित्य ही श्रेष्ठ साहित्य कहा जा सकता है।
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15. परीक्षा भवन
दिल्ली
दिनांकः 13 मार्च, 2019
सेवा में
प्रधानाचार्य महोदय
गंगा इंटरनेशनल स्कू ल,
दरियागंज,
दिल्ली - 11002
महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय के दसवीं कक्षा का छात्र हूँ। हमारे विद्यालय के गेट पर मध्यावकाश के समय ठे ले और रेहड़ी पर जंक फू ड
बेचा जाता है। विद्यार्थियों द्वारा इनका सेवन दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है | बहुत-से विद्यार्थी इसके निरंतर सेवन करने के कारण बीमार पड़
गए हैं। इस खुले हुए जंक फू ड पर मक्खियों और धूल-मिट्टी का आक्रमण रहता है। कल हमारे कु छ मित्रों ने यहाँ से बर्गर खरीद कर खाया था,
धन्यवाद
भवदीय
तरुण
कक्षा-दसवीं 'ब'
अथवा
परीक्षा भवन,
उत्तर प्रदेश
सेवा में,
एसडीओ (विद्युत वितरण विभाग),
क्षेत्र संख्या-5,
मुरादाबाद
विषय: बिजली का बिल ठीक करवाने हेतु पत्र
महोदय,
सविनय निवेदन है कि मेरे घर की जनवरी - फरवरी 2019 तक की बिजली की मीटर रीडिंग 8819 दिखाई गई है, जबकि आज के दिन तक हमारा
मीटर 7999 तक ही पहुँचा है। अतः इसका तो यही अर्थ है कि बिजली की रीडिंग लेने के संबंध में लापरवाही हुई है और बिना मीटर देखे ही किसी
कर्मचारी ने अपने तरीके से विद्युत बिल संबंधी प्रपत्र तैयार कर दिया। इससे पहले कभी भी हमारा बिजली का बिल इतना अधिक नहीं आया है।
इसके प्रमाण हेतु मैं पिछले तीन बिलों की छायाप्रतियाँ भी संलग्न कर रहा हूँ।
अतः आपसे अनुरोध है कि इस संबंध में शीघ्र ही उचित कार्यवाही की जाए तथा मेरा बिल जल्द-से-जल्द ठीक करके सही बिल भेजा जाए,
ताकि मैं उसे समय से जमा करवा सकूँ ।
सधन्यवाद
भवदीय
पवन
बाल भारती पब्लिक स्कू ल, दिल्ली
रमेश नगर सर्वसाधारण को सूचित किया जाता है कि विद्यालय "वार्षिकोत्सव 2022" मनाएगा जिसकी जानकारी निम्नलिखित है -
इस कार्यक्रम में नृत्य, संगीत, कला आदि कलाओं में भाग लेने हेतु इच्छुक छात्र अपना नाम खेल मैदान में सचिव को लिखवाएँ।
गोविन्द
सचिव
छात्र कलयाण-परिषद
सभी कक्षाओं के लिए
तृप्ति कोचिंग सेंटर
कक्षा 6 से 10 तक सोमवार, बुधवार, शुक्रवार कक्षा 11वीं से 12वीं तक मंगलवार, वीरवार, शनिवार
तृप्ति कछवाहा
फोन: 788888xxxx
कहा भी गया है स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है।
सचिव
18. मैं तितली हूँ मैं एक तितली हूँ। मैं एक छोटे-से अंडे से निकली। उसमें से लार्वा निकला और दो रंगीले, कोमल और चमकीले पंखों को अपने शरीर पर
लिए हुए मेरा जन्म हुआ। मुझे फू लों से विशेष लगाव है। रंग-बिरंगे फू लों पर बैठकर उनका रसपान करना मुझे बहुत पसंद है। जब मैं फू लों पर बैठती
हूँ तो छोटे-छोटे बच्चे मुझे पकड़ने के लिए मेरे पीछे भागते हैं पर मैं उनसे बच निकलती हूँ।
एक दिन एक शरारती बच्चा मुझे पकड़कर अपने घर ले गया। तब तो मैं घबरा गई थी। बच्चे की माँ ने समझाया कि वो मुझे खुले आसमान में उड़ने
दे। जैसे ही उसने मुझे छोड़ा, मेरी जान में जान आई और मैं खुले आसमान में उड़ गई।
अथवा
From: pawan@mycbseguide.com
To: dyancsz@mcd.org.in
CC ...
BCC ...
विषय - पार्क में खोमचे वालों को हटाने हेतु
महोदय,
मैं गोविन्द नगर का रहने वाला हूँ तथा वार्ड की स्वच्छता समिति का अध्यक्ष हूँ। मैं आपका ध्यान बस्ती के पार्क में खोमचे वालों द्वारा अनधिड्डत डेरा
डालने की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। दिन-प्रतिदिन पार्क की स्थिति खराब होती जा रही है। बच्चों को खेलने और बड़े-बूढ़ों को टहलने के लिए
जगह नहीं मिल रही है। वे लोग इस पार्क में कचरा फें क कर इस पार्क को दूषित कर रहे हैं।
महोदय, गोविन्द नगर, वार्ड की स्वच्छता समिति का सुझाव है कि बस्ती के पार्क से खोमचे वालों को हटाने के लिए व्यापक अभियान चलाया जाए।
यदि आवश्यक हो तो इनके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही भी की जाए। इससे समस्त निवासियों को लाभ मिलेगा और हमारा पर्यावरण भी प्रदूषण मुक्त
हो जाएगा।
पवन