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12 Hindicore22 23 sp03
12 Hindicore22 23 sp03
Maximum Marks: 80
General Instructions:
यह आदर्श प्रश्न पत्र सीबीएसई द्वारा सत्र 2022-23 के लिए जारी नवीनतम दिशानिर्देशों (40% दक्षता + 20% वस्तुपरक + 40% विषयपरक)
पर आधारित है। जैसे ही सीबीएसई आधिकारिक ब्लूप्रिंट जारी करेगा हम इस पेपर को अपडेट कर देंगे।
इस प्रश्न-पत्र में दो खण्ड हैं - खंड 'अ' और 'ब'।
खंड 'अ' में 45 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं जिनमें से के वल 40 प्रश्नों के ही उत्तर देने हैं।
खंड 'ब' में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं तथा प्रश्नों में आंतरिक विकल्प भी दिए गए हैं।
विद्वानों का यह कथन बहुत ठीक है कि विनम्रता के बिना स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं। इस बात को सब लोग मानते हैं कि आत्मसंस्कार के
लिए थोड़ी-बहुत मानसिक स्वतंत्रता परमावश्यक है चाहे उस स्वतंत्रता में अभिमान और नम्रता दोनों का मेल हो और चाहे वह नम्रता ही से
उत्पन्न हो। यह बात तो निश्चित है कि जो मनुष्य मर्यादापूर्वक जीवन व्यतीत करना चाहता है, उसके लिए वह गुण अनिवार्य है, जिससे
आत्मनिर्भरता आती है और जिससे अपने पैरों के बल खड़ा होना आता है। युवा को यह सदा स्मरण रखना चाहिए कि वह बहुत कम बातें
जानता है, अपने ही आदर्श से वह बहुत नीचे है और उसकी आकांक्षाएँ उसकी योग्यता से कहीं बढ़ी हुई हैं। उसे इस बात का ध्यान रखना
चाहिए कि वह अपने बड़ों का सम्मान करे, छोटों और बराबर वालों से कोमलता का व्यवहार करें, ये बातें आत्ममर्यादा के लिए आवश्यक हैं।
यह सारा संसार, जो कु छ हम हैं और जो कु छ हमारा है-हमारा शरीर, हमारी आत्मा, हमारे भोग, हमारे घर और बाहर की दशा, हमारे बहुत से
अवगुण और थोड़े गुण सब इसी बात की आवश्यकता प्रकट करते हैं कि हमें अपनी आत्मा को नम्र रखना चाहिए नम्रता से मेंरा अभिप्राय
दब्बूपन से नहीं है, जिसके कारण मनुष्य दूसरों का मुँह ताकता है जिससे उसका संकल्प क्षीण और उसकी प्रज्ञा मंद हो जाती है; जिसके कारण
वह आगे बढ़ने के समय भी पीछे रहता है और अवसर पड़ने पर चट-पट किसी बात का निर्णय नहीं कर सकता। मनुष्य का बेड़ा उसके अपने ही
हाथ में है, उसे वह चाहे जिधर ले जाए। सच्ची आत्मा वही हैं, जो प्रत्येक दशा में, प्रत्येक स्थिति के बीच अपनी राह आप निकालती हैं।
i. विनम्रता के बिना किसका अर्थ नहीं होता?
a. नम्रता का
b. परतंत्रता का
c. स्वतंत्रता का
d. दासता का
ii. मानसिक स्वतंत्रता किसके लिए आवश्यक है?
a. आत्मसंस्कार के लिए
b. नम्रता के लिए
c. दब्बूपन के लिए
d. मन के लिए
iii. आत्मनिर्भर मनुष्य कै सा नहीं रहता है?
a. परमुखापेक्षी
b. नम्र
c. स्वमुखापैक्षी
d. स्वावलम्बी
iv. दब्बूपन का क्या दुष्परिणाम होता है?
a. वह त्वरित निर्णय नहीं ले सकता
b. मनुष्य में विनम्रता आ जाती है
OR
सुख और शोक
अंधकार और आलोक
मोह और मत्सर
शांति और संघर्ष
आते-जाते बने रहें
तो आदमी को लगता है
वह जी रहा है अभी,
जब से पैदा हुआ है वह
कभी शोक से
शुरू से अब तक
एक और कोशिश
दर्शक
धीरज रखिए
देखिए
हमें दोनों एक संग रुलाने हैं
आप और वह दोनों
(कै मरा बस करो नहीं हुआ रहने दो परदे पर वक्त की कीमत है)
अब मुस्कु राएँगे हम
i. होंठों की कसमसाहट क्या अभिव्यक्त करती है?
a. सहजता को
b. मन की प्रसन्नता को
c. असमर्थता को
d. गंभीरता को
ii. कार्यक्रम का प्रस्तुतकर्ता परदे पर क्या दिखाने की बात करता है?
a. फू ली हुई बड़ी आँख
b. अपाहिज व्यक्ति का दुःख-दर्द
c. सभी विकल्प सही हैं
d. अपाहिज व्यक्ति के होंठों की पीड़ा
iii. प्रस्तुतकर्ता की दृष्टि में कार्यक्रम सफल कब माना जाएगा?
a. जब अपाहिज व्यक्ति और दर्शक की मनःस्थिति एक जैसी हो जाएगी
b. जब प्रस्तुतकर्ता स्वयं अपाहिज के दर्द को समझेगा
c. जब दर्शक उससे तादात्म्य कर लेगा
d. जब अपाहिज व्यक्ति का दुःख व्यक्त होगा
iv. अपाहिज की स्थिति का चित्रण करने वाले कार्यक्रम निर्माता का उद्देश्य क्या होता है?
a. दुःखी व पीड़ित व्यक्ति की व्यथा का वर्णन करना
b. पीड़ित व्यक्ति को न्याय दिलाना
यह विडंबना की ही बात है कि इस युग में भी जातिवाद के पोषकों की कमी नहीं है। इसके पोषक कई आधारों पर इसका समर्थन करते हैं।
समर्थन का एक आधार यह कहा जाता है कि आधुनिक सभ्य समाज 'कार्य-कु शलता' के लिए श्रम-विभाजन को आवश्यक मानता है, और
चूँकि जाति-प्रथा भी श्रम-विभाजन का ही दूसरा रूप है इसलिए इसमें कोई बुराई नहीं है। इस तर्क के संबंध में पहली बात तो यही
आपत्तिजनक है कि जाति-प्रथा श्रम-विभाजन के साथ-साथ श्रमिक-विभाजन का भी रूप लिए हुए है।
i. लेखक किस विडंबना की बात कह रहा हैं?
a. बेरोजगारी
b. सभ्य समाज का अभाव
c. कार्य-कु शलता का अभाव
d. जातिवाद को बढ़ावा देना
ii. जातिवाद के पोषक अपने समर्थन में क्या तर्क देते हैं?
a. कार्य कु शलता
b. श्रमिक विभाजन
c. सभ्य समाज
d. श्रम-विभाजन
iii. लेखक क्या आपत्ति दर्ज कर रहा है?
a. श्रमिक विभाजन
b. श्रमिकों का अनादर
c. श्रम विभाजन
d. श्रम का अभाव
iv. जातियाँ किस आधार पर विभाजित है?
a. नाम
b. कर्म
c. धर्म
d. पद
v. यह गदयांश किस पाठ से अवतरित है?
a. बाजार दर्शन
b. शिरीष के फू ल
c. नमक
d. श्रम विभाजन और जातिप्रथा
6. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
i. यशोधर बाबू के जीजाजी कहाँ रहते थे?
a. मुंबई में
b. दिल्ली में
c. अल्मोड़ा में
d. अहमदाबाद में
ii. यशोधर बाबू किस मंत्रालय में काम करते थे?
a. खेल मंत्रालय
b. वित्त मंत्रालय
Solution
Explanation: स्वतंत्रता का
ii. (a) आत्मसंस्कार के लिए
Explanation: परमुखापेक्षी
iv. (c) मनुष्य को अपने पैरों पर खड़े होने की कला आ जाती है
Explanation: आत्मसंस्कारित
vi. (b) उसकी आकांक्षाएँ उसकी योग्यताओं से बढ़ी हुई हैं।
Explanation: अव
ix. (b) क्योंकि उसका निर्णय स्थिर नहीं रह पाता।
Explanation: कर्मवीर
v. (d) जीवन की कठिनाइयों के प्रति
OR
i. (c) सुख और शोक, अंधकार और आलोक, मोह और मत्सर तथा शांति और संघर्ष को
Explanation: कवि ने सुख और शोक, अंधकार और आलोक, मोह और मत्सर तथा शांति और संघर्ष को जीवन का आधार माना
है, क्योंकि ये सभी परस्पर द्वंद्वात्मक हैं और जीवन इन्हीं द्वंद्वों से विकसित होता है।
Explanation: पैदा होने के बाद इंसान इसी उधेड़-बुन में रहता है कि वह जी रहा है और यही काल्पनिक विश्वास उसे जीवित
रखता है।
iii. (a) वह जिस ओर अपने पैर बढ़ाएगा, वैसा ही उसका परिणाम होगा
Explanation: गति और दुर्गति इसीलिए उसके पाँवों में हैं, क्योंकि स्पष्टतः वह जिस ओर अपने कर्मरत् कदम बढ़ाएगा, वैसा ही
उसका परिणाम होगा।
iv. (a) मनुष्य को अपनी चोट की याद आ गई है
Explanation: घावों के हरे होने से कवि का तात्पर्य यह है कि मनुष्य के मन में उसके द्वारा बिताए गए बुरे क्षणों की टीस बनी रहती
है।
v. (b) प्रकाश
Explanation: तृतीय
ii. (c) बोलचाल के शब्द
Explanation: तीन
iv. (a) इन डेप्थ रिपोर्ट
Explanation: निरंतर दिलचस्पी और सक्रियता विषय विशेषज्ञ बनने में सहायक होते है।
4. i. (c) असमर्थता को
Explanation: असमर्थता को
ii. (c) सभी विकल्प सही हैं
Explanation: श्रम-विभाजन
iii. (a) श्रमिक विभाजन
Explanation: कर्म
v. (a) बाजार दर्शन
Explanation: यशोधर बाबू के जीजाजी अहमदाबाद में रहते थे। वे बीमार थे और यशोधर बाबू उन्हें देखने जाना चाहते थे पर अपनी
पत्नी और बच्चों की नाराज़गी के कारण वे उन्हें देखने नहीं जा सके ।
Explanation: पहाड़गंज
iv. (c) तीस
Explanation: तीस
v. (c) कोल्हू का काम
Explanation: मराठी
vii. (b) लेखक को संकोच हो रहा था
Explanation: पाठ के अनुसार सिंधु घाटी सभ्यता का अद्वितीय वास्तुकौशल अनुष्ठानिक महाकुं ड से स्थापित होता है। सभ्यता का यह
निर्माण लगभग अपने मूल स्वरूप में है। इसीलिए यह निर्माण अद्वितीय है।
x. (a) पैव मार्ग
Explanation: महाकुं ड की ओर जाने वाली गली का पैव मार्ग रखा गया था।
खंड - ब (वर्णनात्मक प्रश्न)
7. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लेख लिखिये:
i. कं प्यूटर : आज की ज़रूरत
कं प्यूटर वास्तव में, विज्ञान द्वारा विकसित एक ऐसा यंत्र है, जो कु छ ही क्षणों में असंख्य गणनाएँ कर सकता है। कं प्यूटर ने मानव जीवन
को बहुत सरल बना दिया है। कं प्यूटर द्वारा रेलवे टिकटों की बुकिंग बहुत आसानी से और कम समय में की जा सकती है।
आज किसी भी बीमारी की जाँच करने, स्वास्थ्य का पूरा परीक्षण करने, रक्त-चाप एवं हृदय गति आदि मापने में इसका भरपूर प्रयोग किया
जा रहा है। रक्षा क्षेत्र में प्रयुक्त उपकरणों में कं प्यूटर का बेहतर प्रयोग उन्हें और भी उपयोगी बना रहा है। आज हवाई यात्रा में सुरक्षा का
मामला हो या यान उड़ाने की प्रक्रिया, कं प्यूटर के कारण सभी जटिल कार्य सरल एवं सुगम हो गए हैं। संगीत हो या फ़िल्म, कं प्यूटर की
मदद से इनकी गुणवत्ता को सुधारने में बहुत मदद मिली है। जहाँ कं प्यूटर से अनेक लाभ हैं, कं प्यूटर से कु छ हानियाँ भी हैं। कं प्यूटर पर
आश्रित होकर मनुष्य आलसी प्रवृत्ति का बनता जा रहा है। कं प्यूटर के कारण बच्चे आजकल घर के बाहर खेलों में रुचि नहीं लेते और इस
पर गेम खेलते रहते हैं। इस कारण से उनका शारीरिक और मानसिक विकास ठीक से नहीं हो पाता। फिर भी कं प्यूटर आज के जीवन की
आवश्यकता है। अगर हम इसका सही ढंग से प्रयोग करें, तो हम अपने जीवन में और तेजी से प्रगति कर सकते हैं ।
ii. प्रात:काल की सैर
प्रातः काल की सैर से मन प्रफु ल्लित तथा तन स्वस्थ्य रहता है। स्वस्थ व्यक्ति ही समर्थ होता है और यह सर्वमान्य सत्य है कि वही इच्छित
कार्य कर सकता है। वही व्यापार, सेवा, धर्म आदि हर क्षेत्र में सफल हो सकता है। व्यक्ति तभी स्वस्थ रह सकता है जब वह व्यायाम करे।
व्यायाम में खेल-कू द, नाचना, तैराकी, दौड़ना आदि होते हैं, परंतु ये तरीके हर व्यक्ति के लिए सहज नहीं होते। हर व्यक्ति की परिस्थिति व
शारीरिक दशा अलग होती है। ऐसे लोगों के लिए प्रात:काल की सैर से बढ़िया विकल्प नहीं हो सकता।प्रातः काल में सैर करने से हम आज
के प्रदूषित वातावरण में भी थोड़ी शुद्ध हवा ले सकते हैं।
यदि व्यक्ति नियमित रूप से प्रात:काल की सैर करे तो उसे अधिक फायदा ले सकता है।प्रातः सैर से मष्तिष्क को भी फायदा होता है। सैर
के समय निरर्थक चिंताओं से दूर रहना चाहिए। प्रात:कालीन सैर के लिए उपयुक्त स्थान का होना भी जरूरी है। घूमने का स्थान खुला व
साफ़-सुथरा और प्रदूषण रहित होना चाहिए। हरी घास पर नंगे पैर चलने से आँखों की रोशनी बढ़ती है, तथा शरीर में ताजगी आती है। इस
बात का ध्यान रखना चाहिए कि यह नियम सर्दी में लागू नहीं होता।
अत्यधिक ठं ड से नंगे पैर चलने से व्यक्ति बीमार हो सकता है। हरित क्षेत्र में सैर करनी चाहिए। इसके लिए नदियों-नहरों व खेतों के किनारे,
पार्क , बाग-बगीचे आदि भी उपयोगी स्थान माने गए हैं। खुली सड़कों पर वृक्षों के नीचे घूमा जा सकता है। यदि ये सब कु छ उपलब्ध न हों
तो खुली छत पर घूमकर लाभ उठाया जा सकता है। प्रात:कालीन सैर से तन-मन प्रसन्न हो सकता है। यह सस्ता व सर्वसुलभ उपाय है।
iii. प्राकृ तिक आपदाएँ
प्राकृ तिक आपदाएँ अनेक तरह की होती हैं, जैसे-हरिके न, सुनामी, सूखा, बाढ़, टायफू न, बवंडर, चक्रवात आदि, मौसम से संबंधित
प्राकृ तिक आपदाएँ है। दूसरी ओर भूस्खलन एवं बर्फ की सरकती चट्टानें ऐसी प्राकृ तिक आपदाएँ हैं, जिसमें स्थलाकृ ति परिवर्तित हो जाती
है। भूकं प एवं ज्वालामुखी प्लेट विवर्तनिकी के कारण आने वाली प्राकृ तिक आपदाएँ हैं। इन प्राकृ तिक आपदाओं के पीछे उल्लेखनीय
योगदान मानवीय गतिविधियों का भी होता है। मानव अपने विकास कार्यो के लिए प्राकृ तिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन करता है।
वैश्विक तापीकरण भी प्राकृ तिक आपदा का ही एक रूप है। वस्तुतः जनसंख्या वृद्धि, औद्योगिक क्रियाकलाप तथा प्रकृ ति के साथ
खिलवाड़ ऐसे मुख्य कारण हैं, जिनकेे कारण मानव समाज को प्राकृ तिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है।
प्राकृ तिक आपदाओं से बचने के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण उपाय यह है कि ऐसी तकनीकों को विकसित किया जाए, जिससे प्राकृ तिक
आपदाओं की सटीक भविष्यवाणी की जा सके , ताकि समय रहते जान-माल की सुरक्षा संभव हो सके । इसी उद्देश्य के तहत अंतरिक्ष
विज्ञान से इस क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलता मिली है। इसके अतिरिक्त प्राकृ तिक आपदा की स्थिति उपस्थित होने पर किस तरह उससे
निपटना चाहिए, इसके लिए आपदा प्रबन्धन सीखना अति आवश्यक है। इस उद्देश्य हेतु एक व्यवस्थित पाठ्यक्रम होना चाहिए तथा प्रत्येक
नागरिक के लिए इसका प्रशिक्षण अनिवार्य होना चाहिए।
iv. महानगरों में आवास-समस्या
मानव की तीन मूलभूत आवश्यकताएँ हैं-रोटी, कपड़ा और आवास। जिन देशों में इन तीनों आवश्यकताओं की पूर्ति सहज तरीके से हो
जाती है, वे देश संपन्न हैं। अतः आवास मानव की प्रमुख जरूरतों में से एक है। यह मनुष्य को स्थायित्व प्रदान करता है। आज के जीवन में
चाहे वह नगर हो, ग्राम हो या कस्बा हो, आवास की समस्या गंभीर होती जा रही है।गाँवों में आवास की समस्या उतनी भीषण नहीं है,
जितनी महानगरों में है।
महानगरों में रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा, सत्ता आदि का कें द्रीयकरण हो गया है, अत: वहाँ चारों दिशाओं से लोग बसने के लिए आ रहे हैं। इस
कारण वहाँ आवास की समस्या विकट होती जा रही है। इस समस्या का मुख्य कारण सरकार की अदूरदर्शिता है। सरकार ने देश के समग्र
विकास की नीति नहीं बनाई। सरकार ने देश के चंद क्षेत्रों में बड़े उद्योग-धंधों को प्रोत्साहन दिया। इन उद्योग-धंधों के साथ बड़ी संख्या में
सहायक इकाइयाँ लगीं। सरकार ने इन सहायक इकाइयों को अन्य क्षेत्रों में स्थापित करने में कोई सहयोग नहीं दिया। इसका परिणाम यह
हुआ कि बड़ी संख्या में लोगों का कें द्रण एक जगह ही हो गया। इस कारण बने महानगरों में आवास की समस्या उत्पन्न हो गई। दूसरे,
सरकार ने ऐसे क्षेत्रों में आवास संबंधी कोई स्पष्ट नीति भी नहीं बनाई।इसके समाधान के लिए सभी जगहों पर रोजगार और अन्य दैनिक
आवश्यकताओं की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि महानगरों में इन सब के लिए मारामारी ना हो।
8. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो के उत्तर दीजिये:
i. संवाद कहानी का महत्वपूर्ण भाग है। संवाद ही कहानी के , पात्र के चरित्र को विकसित करते हैं तथा उसको गति प्रदान करते हैं। अतः
कहानी लेखक का सदा ही यह प्रयास रहता है कि कहानी के संवाद स्वाभाविक हों और पाठकों तक वे दिलचस्प और आकर्षक रूप में
पहुँचें।
संवाद लिखते समय लेखक नहीं, पात्र संवाद बोलता है। पाठक लेखक से नहीं पात्र से, पात्र के चरित्र से जुड़ता है। अतः संवादों के माध्यम से
ही यह स्पष्ट होता है कि कौन बोल रहा है; किस स्तर का व्यक्ति बोल रहा है; उसकी पृष्ठभूमि क्या है; उसका व्यवसाय या कार्य क्या है आदि-
आदि। जो घटना या प्रतिक्रिया कहानीकार घटित होते नहीं दिखा सकता, उसे संवादों के माध्यम से ही सामने लाने में समर्थ होता है अतः
कहानी में संवादों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
ii. उलटा पिरामिड शैली समाचार लिखने की सबसे लोकप्रिय और प्रभावी शैली है। इस शैली में महत्वपूर्ण तथ्यों को पहले रखा जाता है और
फिर बाकी सूचनाओं को रखा जाता है। सभी जनसंचार माध्यमों में लगभग 90 प्रतिशत खबरें इसी शैली में लिखी जाती है। इस शैली में
स्टोरी का कोई निष्कर्ष नहीं होता है।
iii. संवाददाता को बीट लेखन करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए -
i. बीट लेखन विशेष प्रकार की रिपोर्टिंग होती है जिसके अंतर्गत संवाददाता को संबंधित विषय की गहरी जानकारी होनी चाहिए।
ii. रिपोर्टिंग से संबंधित विषय की तकनीकी भाषा -शैली पर भी उसका अधिकार होना चाहिए।
9. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो के उत्तर दीजिये:
i. मेक इन इंडिया
‘मेक इन इंडिया' सोच, जो अब एक मिशन है, का अर्थ है-हमारी आवश्यकताओ से संबद्ध अधिकाधिक वस्तुओं का निर्माण भारत में किया
जाना। दूसरे शब्दों में कहें, तो 'मेक इन इंडिया' मिशन ‘मेड इन इंडिया' के स्वर्णिम स्वप्न को पूर्ण करने का मिशन है। 'मेड इन इंडिया' उन्हीं
वस्तुओं पर अंकित किया जाता है, जिनका निर्माण हमारे देश में किया गया हो और जिन वस्तुओं का निर्माण देश में किया जाता है, उनकी
कीमत अपेक्षाकृ त कम रहती है। इस प्रकार इस दूरदर्शी अभियान का सबसे अधिक लाभ देशवासियों को ही होगा।
लगभग सभी प्रकार के जंक फू ड में कै लोरी की मात्रा बहुत अधिक होती है, जिससे अति पोषण की समस्या उत्पन्न हो जाती है। अधिक
कै लोरी के साथ-साथ जंक फू ड में नमक, ट्रांस फै ट, चीनी, परिरक्षक (प्रिजरवेटिव), वनस्पति घी, सोडा, कै फीन आदि भी अधिक मात्रा में
होते हैं, जबकि फाइबर बहुत कम होता है।
इन सभी से मोटापे का खतरा अत्यधिक बढ़ जाता है और मधुमेह, हृदय रोग, ब्लड प्रेशर, कब्ज, सिरदर्द, पेटदर्द आदि बीमारियाँ बच्चों को
छोटी उम्र में ही घेर लेती हैं। जंक फू ड के कारण बच्चों का बुद्धिलब्धि स्तर (आई क्यू) कमजोर होने लगता है, जिसका परिणाम मानसिक
विकलांगता के रूप में भी सामने आ सकता है।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि जंक फू ड का प्रयोग बच्चों के सुनहरे भविष्य में बहुत बड़ी रुकावट बन सकता है। जंक फू ड कम से कम
अथवा नहीं खाना चाहिए, ये अनेक प्रकार की बीमारियों को आमंत्रित करने का कार्य करता है।
10. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो के उत्तर दीजिये:
i. दिन ढलते ही कवि हृदय में व्याकु लता और चाल में शिथिलता का अनुभव करने लगता है इसके निम्न कारण हो सकते हैं-
i. प्रकृ ति और सांसारिक नियमों के अनुसार प्रत्येक प्राणी दिन ढलते ही अपने घर की ओर लौटता है क्योंकि वहाँ कोई न कोई उनकी
प्रतीक्षा करता रहता है जबकि कवि के पास ऐसा कोई कारण नहीं है।
ii. कवि निराश और उदास है इसलिए उसे घर लौटने का कोई उत्साह नहीं है।
बाज़ार उन्हें कभी भी आकर्षित नहीं कर पाता वे के वल अपनी जरुरत के सामान के लिए बाज़ार का उपयोग करते हैं। वे खुली आँखें,संतुष्ट
मन और मग्न भाव से बाजार जाते हैं।
भगतजी जैसे व्यक्ति समाज में शांति और व्यवस्था लाते हैं क्योंकि इस प्रकार के व्यक्तियों की दिनचर्या संतुलित होती है और ये बाज़ार के
आकर्षण में फँ सकर अधिक से अधिक वस्तुओं का संग्रह और संचय नहीं करते हैं जिसके फलस्वरूप मनुष्यों में होड़, अशांति के साथ
महँगाई भी नहीं बढ़ती। अत: समाज में भी शांति बनी रहती है।
iii. अवधूत का अर्थ है-सांसारिक बंधनों एवं विषय-वासनाओं से ऊपर उठा हुआ संन्यासी। शिरीष का वृक्ष अवधूत की भाँति वसंत के आने से
लेकर भाद्रपद मास तक बिना किसी परेशानी के पुष्पित होता रहता है।
जब ग्रीष्म ऋतु मे सारी पृथ्वी अग्निकुं ड की तरह जलने लगती है, लू के कारण हृदय भी सूखने लगता है, तो उस समय भी शिरीष का वृक्ष
वातावरण से अपने लिए पोषण सोखकर एक कालजयी अवधूत की तरह जीवन मे विजेता होने का दावा कर रहा होता है। वह संसार के
सभी प्राणियों को धैर्यशील, चिंतारहित एवं कार्यशील बने रहने के लिए प्रेरित करता है। उस पर वातावरण या बाहरी कारक अपना
दुष्प्रभाव नहीं छोड़ पाते। यही कारण है कि लेखक ने शिरीष को अवधूत कहा है।