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Class 12 - हिंदी कोर

प्रतिदर्श प्रश्नपत्र - 03 (2022-23)

Maximum Marks: 80

Time Allowed: 3 hours

General Instructions:

यह आदर्श प्रश्न पत्र सीबीएसई द्वारा सत्र 2022-23 के लिए जारी नवीनतम दिशानिर्देशों (40% दक्षता + 20% वस्तुपरक + 40% विषयपरक)
पर आधारित है। जैसे ही सीबीएसई आधिकारिक ब्लूप्रिंट जारी करेगा हम इस पेपर को अपडेट कर देंगे।
इस प्रश्न-पत्र में दो खण्ड हैं - खंड 'अ' और 'ब'।
खंड 'अ' में 45 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं जिनमें से के वल 40 प्रश्नों के ही उत्तर देने हैं।
खंड 'ब' में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं तथा प्रश्नों में आंतरिक विकल्प भी दिए गए हैं।

खंड अ (वस्तुपरक प्रश्न)


1. Read the text carefully and answer the questions:

विद्वानों का यह कथन बहुत ठीक है कि विनम्रता के बिना स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं। इस बात को सब लोग मानते हैं कि आत्मसंस्कार के
लिए थोड़ी-बहुत मानसिक स्वतंत्रता परमावश्यक है चाहे उस स्वतंत्रता में अभिमान और नम्रता दोनों का मेल हो और चाहे वह नम्रता ही से
उत्पन्न हो। यह बात तो निश्चित है कि जो मनुष्य मर्यादापूर्वक जीवन व्यतीत करना चाहता है, उसके लिए वह गुण अनिवार्य है, जिससे
आत्मनिर्भरता आती है और जिससे अपने पैरों के बल खड़ा होना आता है। युवा को यह सदा स्मरण रखना चाहिए कि वह बहुत कम बातें
जानता है, अपने ही आदर्श से वह बहुत नीचे है और उसकी आकांक्षाएँ उसकी योग्यता से कहीं बढ़ी हुई हैं। उसे इस बात का ध्यान रखना
चाहिए कि वह अपने बड़ों का सम्मान करे, छोटों और बराबर वालों से कोमलता का व्यवहार करें, ये बातें आत्ममर्यादा के लिए आवश्यक हैं।
यह सारा संसार, जो कु छ हम हैं और जो कु छ हमारा है-हमारा शरीर, हमारी आत्मा, हमारे भोग, हमारे घर और बाहर की दशा, हमारे बहुत से
अवगुण और थोड़े गुण सब इसी बात की आवश्यकता प्रकट करते हैं कि हमें अपनी आत्मा को नम्र रखना चाहिए नम्रता से मेंरा अभिप्राय
दब्बूपन से नहीं है, जिसके कारण मनुष्य दूसरों का मुँह ताकता है जिससे उसका संकल्प क्षीण और उसकी प्रज्ञा मंद हो जाती है; जिसके कारण
वह आगे बढ़ने के समय भी पीछे रहता है और अवसर पड़ने पर चट-पट किसी बात का निर्णय नहीं कर सकता। मनुष्य का बेड़ा उसके अपने ही
हाथ में है, उसे वह चाहे जिधर ले जाए। सच्ची आत्मा वही हैं, जो प्रत्येक दशा में, प्रत्येक स्थिति के बीच अपनी राह आप निकालती हैं।
i. विनम्रता के बिना किसका अर्थ नहीं होता?
a. नम्रता का
b. परतंत्रता का
c. स्वतंत्रता का
d. दासता का
ii. मानसिक स्वतंत्रता किसके लिए आवश्यक है?
a. आत्मसंस्कार के लिए
b. नम्रता के लिए
c. दब्बूपन के लिए
d. मन के लिए
iii. आत्मनिर्भर मनुष्य कै सा नहीं रहता है?
a. परमुखापेक्षी
b. नम्र
c. स्वमुखापैक्षी
d. स्वावलम्बी
iv. दब्बूपन का क्या दुष्परिणाम होता है?
a. वह त्वरित निर्णय नहीं ले सकता
b. मनुष्य में विनम्रता आ जाती है

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c. मनुष्य को अपने पैरों पर खड़े होने की कला आ जाती है
d. वह अपने कार्य स्वयं करने लगता है
v. आत्ममर्यादित व्यक्ति कै सा होता है?
a. आत्मसंस्कारित
b. अकर्मण्य
c. क्रोधी
d. दूसरों पर निर्भर
vi. युवा को किस बात का ध्यान रखना चाहिए?
a. उसकी योग्यताएँ उसकी आकांक्षाओं से बढ़ी हुई हैं।
b. उसकी आकांक्षाएँ उसकी योग्यताओं से बढ़ी हुई हैं।
c. उसकी योग्यताएँ उसकी आकांक्षाओं से बढ़ी हुई नहीं हैं।
d. उसकी आकांक्षाएँ उसकी योग्यताओं से बढ़ी हुई नहीं हैं।
vii. सच्ची आत्मा किसे कहा गया है-
a. जो हर दशा में उसका साथ नहीं छोडती है।
b. जो हर दशा में से अपनी राह नहीं नुकाल पाती है।
c. जो हर दशा में राह भटक जाती है।
d. जो हर दशा में से अपनी राह निकाल लेती है।
viii. अवगुण शब्द में प्रयुक्त उपसर्ग है-
a. व
b. अव
c. गुण
d. अ
ix. दब्बूपन व्यक्ति के विकास में बाधक है, कै से?
a. क्योंकि उसका निर्णय स्थिर हो जाता है।
b. क्योंकि उसका निर्णय स्थिर नहीं रह पाता।
c. क्योंकि वह अपने निर्णय स्वयं लेता है।
d. क्योंकि वह आत्मनिर्भर होता है।
x. गद्यांश के लिए सर्वाधिक उचित शीर्षक है।
a. दब्बूपन का महत्व
b. विनम्रता का महत्व
c. परतंत्रता का महत्व
d. दासता का महत्व
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2. Read the text carefully and answer the questions:

पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले!

पुस्तकों में है नहीं, छापी गई इसकी कहानी,

हाल इसका ज्ञात होता है न औरों की जुबानी,

अनगिनत राही गए इस राह से, उनका पता क्या,


पर गए कु छ लोग इस पर, छोड़ पैरों की निशानी,

यह निशानी मूक होकर भी बहुत कु छ बोलती है,

खोल इसका अर्थ, पंथी, पंथ का अनुमान कर ले!

पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले!

है अनिश्चित किस जगह पर, सरित-गिरि-गह्वर मिलेंगे,

है अनिश्चित किस जगह पर, बाग-बन सुंदर मिलेंगे,

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किस जगह यात्रा खत्म हो जाएगी, यह भी अनिश्चित,
है अनिश्चित, कब सुमन, कब कं टकों के सर मिलेंगे,

कौन सहसा छू ट जाएँगे, मिलेंगे कौन सहसा,


आ पड़े कु छ भी, रुके गा तू न, ऐसी आन कर ले!

पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले!


i. कवि ने बटोही को क्या सलाह दी है?
a. यात्रा को समाप्त करने की।
b. पथ की पहचान करने की।
c. कं टकों को पहचान करने की।
d. पुस्तकों की पहचान करने की। 
ii. हमें जीवन पथ पर चलने की की प्रेरणा किससे मिलती है?
a. मार्ग से 
b. मूक निशानी से 
c. पथ से 
d. लोगों से 
iii. कवि ने जीवन मार्ग में क्या-क्या अनिश्चितताएँ बताई हैं?
a. साथ चलने वाले लोगों का एक साथ छोड़ देना।
b. जीवन का कभी भी समाप्त होना।
c. नए यात्रियों का मिल जाना।
d. उपरोक्त सभी विकल्प सही हैं।
iv. काव्यांश के माध्यम से कवि ने क्या बनने की प्रेरणा दी है?
a. धर्मवीर 
b. कर्मवीर 
c. महानवीर 
d. युद्धवीर 
v. काव्यांश में कवि ने मानव को किसके प्रति सचेत किया है?
a. मानव के प्रति 
b. पथ के प्रति 
c. रास्ते के प्रति 
d. जीवन की कठिनाइयों के प्रति

OR

Read the text carefully and answer the questions:

सुख और शोक
अंधकार और आलोक
मोह और मत्सर
शांति और संघर्ष
आते-जाते बने रहें

तो आदमी को लगता है
वह जी रहा है अभी,

जब से पैदा हुआ है वह

मंशाएँ इसी तरह


उधेड़ रहा है, सी रहा है
और इसी में रमा हुआ है

कभी सुख से एक होता है

कभी शोक से

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कभी अंधकार से
कभी आलोक से
गति और दुर्गति इसीलिए

उसके पाँवों में है

और गति अगर कहीं है


तो सिर्फ़ उसके घावों में है

शुरू से अब तक

वे हरे हैं, जैसे के तैसे।


i. कवि ने जीने का आधार माना है
a. अंधकार और आलोक को
b. सुख और शोक को
c. सुख और शोक, अंधकार और आलोक, मोह और मत्सर तथा शांति और संघर्ष को
d. शांति और संघर्ष को
ii. पैदा होने के बाद इंसान इसी उधेड़बुन में जीवित रहता है कि वह
a. जी रहा है
b. जी क्यों रहा है
c. क्या वह जी रहा है
d. वह जी नहीं रहा है
iii. गति और दुर्गति इसीलिए उसके पाँवों में है कथन का भाव यह है कि
a. वह जिस ओर अपने पैर बढ़ाएगा, वैसा ही उसका परिणाम होगा
b. उसके पैर हमेशा बुरी राह की ओर बढ़ते हैं
c. उसके पैर दोनों ओर बढ़ने की क्षमता रखते हैं
d. उसके पैर हमेशा अच्छी राह की ओर बढ़ते हैं
iv. घावों के हरे होने से कवि का तात्पर्य है
a. मनुष्य को अपनी चोट की याद आ गई है
b. मनुष्य अपनी चोट की परवाह नहीं करता, इसलिए उसका घाव हरा हो गया है
c. मनुष्य के पैरों में लगी चोट टीस रही है
d. मनुष्य के जीवन में अनेक बुरे क्षण आए हैं, जिनकी टीस उसके मन में बनी हुई है
v. आलोक शब्द का पर्यायवाची शब्द है
a. तमिस्रा
b. प्रकाश
c. अवयव
d. ध्वांत
3. निम्नलिखित प्रश्नों में के उत्तर दीजिये:
i. आधुनिक युग में इंटरनेट पत्रकारिता का कौन-सा दौर चल रहा है?
a. द्वितीय
b. चतुर्थ
c. तृतीय
d. प्रथम
ii. कै से शब्द टी वी में सहज और उपयुक्त माने जाते हैं?
a. जो शब्द लोकप्रिय ना हो
b. कठिन शब्द
c. बोलचाल के  शब्द
d. जिनसे विद्वता झलके
iii. समाचार लेखन की उल्टा पिरामिड शैली के तहत लिखे गये समाचारो  के सुविधा की दृष्टि से मुख्यत: ________ हिस्सों में विभाजित किया
जाता है।

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a. चार
b. पाँच
c. दो
d. तीन
iv. तथ्यों, सूचनाओं तथा आंकड़ों की गहरी छानबीन करने वाली रिपोर्ट को ________ कहते हैं।
a. इन डेप्थ रिपोर्ट
b. विश्लेषणात्मक रिपोर्ट
c. खोजी रिपोर्ट
d. विवेचनात्मक रिपोर्ट
v. किसी भी विषय में निरंतर दिलचस्पी और सक्रियता आपको क्या बना सकती है?
a. विषय विशेषज्ञ 
b. लेखक 
c. स्तम्भ लेखक 
d. पाठक 
4. Read the text carefully and answer the questions:

फिर हम परदे पर दिखलाएँगे


फू ली हुई आँख की एक बड़ी तस्वीर
बहुत बड़ी तस्वीर
और उसके होंठों पर एक कसमसाहट भी
(आशा है आप उसे उसकी अपंगता की पीड़ा मानेंगे)

एक और कोशिश
दर्शक
धीरज रखिए

देखिए
हमें दोनों एक संग रुलाने हैं

आप और वह दोनों

(कै मरा बस करो नहीं हुआ रहने दो परदे पर वक्त की कीमत है)

अब मुस्कु राएँगे हम
i. होंठों की कसमसाहट क्या अभिव्यक्त करती है?
a. सहजता को
b. मन की प्रसन्नता को
c. असमर्थता को
d. गंभीरता को
ii. कार्यक्रम का प्रस्तुतकर्ता परदे पर क्या दिखाने की बात करता है?
a. फू ली हुई बड़ी आँख
b. अपाहिज व्यक्ति का दुःख-दर्द
c. सभी विकल्प सही हैं
d. अपाहिज व्यक्ति के होंठों की पीड़ा
iii. प्रस्तुतकर्ता की दृष्टि में कार्यक्रम सफल कब माना जाएगा?
a. जब अपाहिज व्यक्ति और दर्शक की मनःस्थिति एक जैसी हो जाएगी
b. जब प्रस्तुतकर्ता स्वयं अपाहिज के दर्द को समझेगा
c. जब दर्शक उससे तादात्म्य कर लेगा
d. जब अपाहिज व्यक्ति का दुःख व्यक्त होगा
iv. अपाहिज की स्थिति का चित्रण करने वाले कार्यक्रम निर्माता का उद्देश्य क्या होता है?
a. दुःखी व पीड़ित व्यक्ति की व्यथा का वर्णन करना
b. पीड़ित व्यक्ति को न्याय दिलाना

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c. संवेदनहीन समाज का चित्रण करना
d. कार्यक्रम की व्यावसायिक सफलता और लोकप्रियता
v. हमें दोनों एक संग रुलाने हैं पंक्ति में 'दोनो' शब्द किनके लिए आया है?
a. कवि और अपाहिज व्यक्ति
b. प्रस्तुतकर्ता और अपाहिज व्यक्ति
c. अपाहिज व्यक्ति और दर्शक
d. दर्शक और कवि
5. Read the text carefully and answer the questions:

यह विडंबना की ही बात है कि इस युग में भी जातिवाद के पोषकों की कमी नहीं है। इसके पोषक कई आधारों पर इसका समर्थन करते हैं।
समर्थन का एक आधार यह कहा जाता है कि आधुनिक सभ्य समाज 'कार्य-कु शलता' के लिए श्रम-विभाजन को आवश्यक मानता है, और
चूँकि जाति-प्रथा भी श्रम-विभाजन का ही दूसरा रूप है इसलिए इसमें कोई बुराई नहीं है। इस तर्क के संबंध में पहली बात तो यही
आपत्तिजनक है कि जाति-प्रथा श्रम-विभाजन के साथ-साथ श्रमिक-विभाजन का भी रूप लिए हुए है।
i. लेखक किस विडंबना की बात कह रहा हैं?
a. बेरोजगारी
b. सभ्य समाज का अभाव
c. कार्य-कु शलता का अभाव
d. जातिवाद को बढ़ावा देना
ii. जातिवाद के पोषक अपने समर्थन में क्या तर्क  देते हैं?
a. कार्य कु शलता
b. श्रमिक विभाजन
c. सभ्य समाज
d. श्रम-विभाजन
iii. लेखक क्या आपत्ति दर्ज कर रहा है?
a. श्रमिक विभाजन
b. श्रमिकों का अनादर
c. श्रम विभाजन
d. श्रम का अभाव
iv. जातियाँ किस आधार पर विभाजित है?
a. नाम
b. कर्म
c. धर्म
d. पद
v. यह गदयांश किस पाठ से अवतरित है?
a. बाजार दर्शन
b. शिरीष के फू ल
c. नमक
d. श्रम विभाजन और जातिप्रथा
6. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
i. यशोधर बाबू के जीजाजी कहाँ रहते थे?
a. मुंबई में
b. दिल्ली में
c. अल्मोड़ा में
d. अहमदाबाद में
ii. यशोधर बाबू किस मंत्रालय में काम करते थे?
a. खेल मंत्रालय
b. वित्त मंत्रालय

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c. गृह मंत्रालय
d. रक्षा मंत्रालय
iii. बिड़ला मंदिर से यशोधर बाबू कहाँ जाते थे?
a. सिनेमा घर
b. पहाड़गंज
c. गोल मार्के ट
d. घर
iv. दफ्तर के बाबुओं को अपनी सिल्वर वैडिंग के लिए यशोधर बाबू ने कु ल कितने रुपये दिए?
a. दस
b. बीस
c. तीस
d. पंद्रह
v. जूझ पाठ के आधार पर खेत का कौन-सा काम समाप्त होने के बाद लेखक ने माँ से पढ़ाई की बात की?
a. पानी लगाने का काम
b. बिजाई का काम
c. कोल्हू का काम
d. कटाई का काम
vi. जूझ उपन्यास मूलतः किस भाषा में रचित है?
a. अवधी
b. मराठी
c. ब्रज
d. गुजराती
vii. जूझ पाठ के आधार पर लेखक को स्कू ल में पहले दिन अपनी कक्षा में दीवार से पीठ सटाकर क्यों बैठाया गया?
a. इनमें से कोई भी नहीं
b. लेखक को संकोच हो रहा था
c. शरारती बच्चे उसकी धोती खींच रहे थे
d. खेती का कार्य करने के कारण उसकी पीठ में दर्द था
viii. सिंधु सभ्यता की खूबी क्या है?
a. सभ्यता-बोध
b. सौंदर्य-बोध
c. नागर-बोध
d. संस्कृ ति-बोध
ix. अतीत में दबे पाँव पाठ के अनुसार सिंधु घाटी सभ्यता का अद्वितीय वास्तुकौशल किससे स्थापित होता है?
a. महाकुं ड
b. किला
c. स्तूप
d. ज्ञानशाला
x. अतीत में दबे पाँव पाठ के आधार पर महाकुं ड की ओर जाने वाली गली का क्या नाम रखा गया?
a. पैव मार्ग
b. मोक्ष मार्ग
c. परी मार्ग
d. स्वर्ग मार्ग
खंड - ब (वर्णनात्मक प्रश्न)
7. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लेख लिखिये:
i. कं प्यूटर: आज की ज़रूरत
ii. प्रात:काल की सैर

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iii. प्राकृ तिक आपदाएँ
iv. महानगरों में आवास-समस्या
8. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो के उत्तर दीजिये:
i. कहानी में संवाद क्यों महत्वपूर्ण होते हैं?
ii. उलटा पिरामिड शैली क्या है?
iii. बीट लेखन के समय संवाददाता को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
9. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो के उत्तर दीजिये:
i. मेक इन इंडिया विषय पर एक आलेख लिखिए।
ii. सांप्रदायिकता का ज़हर पर एक फीचर लिखिए।
iii. जंक फू ड की समस्या पर एक फीचर लिखिए।
10. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो के उत्तर दीजिये:
i. दिन ढलने पर कवि के पद शिथिल होने और उर में विह्वलता का अनुभव होने के क्या कारण हैं? एक गीत के आधार पर लिखिए।
ii. कविता के बहाने सब घर एक कर देने के माने क्या होते हैं? स्पष्ट कीजिए।
iii. नारि हानि बिसेष छति नाहीं कहकर तुलसीदास ने जो सामाजिक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है, उस पर अपने विचार एक अनुच्छेद में व्यक्त
कीजिए।
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के साथ ठीक ऐसे ही पेपर बनाने के लिए Examin8 ऐप का उपयोग कर सकते हैं।
11. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो के उत्तर दीजिये:
i. फिराक की रुबाई में भाषा के विलक्षण प्रयोग किए गए है- स्पष्ट करें।
ii. पतंग कविता के आधार पर बच्चों के बारे में कवि ने क्या-क्या बताया है?
iii. उषा कविता के प्रतिपाद्य को स्पष्ट कीजिए।
12. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो के उत्तर दीजिये:
i. भक्तिन पाठ के आधार पर भक्तिन का चरित्र-चित्रण कीजिए।
ii. काले मेघा पानी दे के अनुसार लेखक किस विचारधारा को मानने वाला था? उस विचारधारा का उन पर क्या असर पड़ा?
iii. लुट्टन के राज-पहलवान बन जाने के बाद की दिनचर्या पर प्रकाश डालिए।
13. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो के उत्तर दीजिये:
i. लेखक ने पाठ में संके त किया है कि कभी-कभी बाज़ार में आवश्यकता ही शोषण का रूप धारण कर लेती है। क्या आप इस विचार से
सहमत हैं? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
ii. बाज़ार में भगत जी के व्यक्तित्व का कौन-सा सशक्त पहलू उभरकर आता है? क्या आपकी नज़र में उनका आचरण समाज में शांति-
स्थापित करने में मददगार हो सकता है?
iii. लेखक ने शिरीष के फू ल को अद्भुत अवधूत क्यों कहा है? शिरीष के फू ल पाठ के आधार पर कारणों का उल्लेख कीजिए।

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Class 12 - हिंदी कोर

प्रतिदर्श प्रश्नपत्र - 03 (2022-23)

Solution

खंड अ (वस्तुपरक प्रश्न)


1. i. (c) स्वतंत्रता का

Explanation: स्वतंत्रता का
ii. (a) आत्मसंस्कार के लिए

Explanation: आत्मसंस्कार के लिए


iii. (a) परमुखापेक्षी

Explanation: परमुखापेक्षी
iv. (c) मनुष्य को अपने पैरों पर खड़े होने की कला आ जाती है

Explanation: मनुष्य को अपने पैरों पर खड़े होने की कला आ जाती है


v. (a) आत्मसंस्कारित

Explanation: आत्मसंस्कारित
vi. (b) उसकी आकांक्षाएँ उसकी योग्यताओं से बढ़ी हुई हैं।

Explanation: उसकी आकांक्षाएँ उसकी योग्यताओं से बढ़ी हुई हैं।


vii. (d) जो हर दशा में से अपनी राह निकाल लेती है।

Explanation: जो हर दशा में से अपनी राह निकाल लेती है।


viii. (b) अव

Explanation: अव
ix. (b) क्योंकि उसका निर्णय स्थिर नहीं रह पाता।

Explanation: क्योंकि उसका निर्णय स्थिर नहीं रह पाता।


x. (b) विनम्रता का महत्व

Explanation: विनम्रता का महत्व


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2. i. (b) पथ की पहचान करने की।

Explanation: पथ की पहचान करने की।


ii. (b) मूक निशानी से 

Explanation: मूक निशानी से 


iii. (d) उपरोक्त सभी विकल्प सही हैं।

Explanation: उपरोक्त सभी विकल्प सही हैं।


iv. (b) कर्मवीर 

Explanation: कर्मवीर 
v. (d) जीवन की कठिनाइयों के प्रति

Explanation: जीवन की कठिनाइयों के प्रति

OR

i. (c) सुख और शोक, अंधकार और आलोक, मोह और मत्सर तथा शांति और संघर्ष को

Explanation: कवि ने सुख और शोक, अंधकार और आलोक, मोह और मत्सर तथा शांति और संघर्ष को जीवन का आधार माना
है, क्योंकि ये सभी परस्पर द्वंद्वात्मक हैं और जीवन इन्हीं द्वंद्वों से विकसित होता है।

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ii. (a) जी रहा है

Explanation: पैदा होने के बाद इंसान इसी उधेड़-बुन में रहता है कि वह जी रहा है और यही काल्पनिक विश्वास उसे जीवित
रखता है।
iii. (a) वह जिस ओर अपने पैर बढ़ाएगा, वैसा ही उसका परिणाम होगा

Explanation: गति और दुर्गति इसीलिए उसके पाँवों में हैं, क्योंकि स्पष्टतः वह जिस ओर अपने कर्मरत् कदम बढ़ाएगा, वैसा ही
उसका परिणाम होगा।
iv. (a) मनुष्य को अपनी चोट की याद आ गई है

Explanation: घावों के हरे होने से कवि का तात्पर्य यह है कि मनुष्य के मन में उसके द्वारा बिताए गए बुरे क्षणों की टीस बनी रहती
है।
v. (b) प्रकाश

Explanation: आलोक का पर्यायवाची शब्द प्रकाश होता है।


3. निम्नलिखित प्रश्नों में के उत्तर दीजिये:
i. (c) तृतीय

Explanation: तृतीय
ii. (c) बोलचाल के  शब्द

Explanation: टी वी में बोलचाल की भाषा के शब्द ही सहज और उपयुक्त माने गए हैं।


iii. (d) तीन

Explanation: तीन
iv. (a) इन डेप्थ रिपोर्ट

Explanation: इन डेप्थ रिपोर्ट


v. (a) विषय विशेषज्ञ 

Explanation: निरंतर दिलचस्पी और सक्रियता विषय विशेषज्ञ बनने में सहायक होते है। 
4. i. (c) असमर्थता को

Explanation: असमर्थता को
ii. (c) सभी विकल्प सही हैं

Explanation: सभी विकल्प सही हैं


iii. (a) जब अपाहिज व्यक्ति और दर्शक की मनःस्थिति एक जैसी हो जाएगी

Explanation: जब अपाहिज व्यक्ति और दर्शक की मनःस्थिति एक जैसी हो जाएगी


iv. (d) कार्यक्रम की व्यावसायिक सफलता और लोकप्रियता

Explanation: कार्यक्रम की व्यावसायिक सफलता और लोकप्रियता


v. (c) अपाहिज व्यक्ति और दर्शक

Explanation: अपाहिज व्यक्ति और दर्शक


5. i. (d) जातिवाद को बढ़ावा देना

Explanation: जातिवाद को बढ़ावा देना


ii. (d) श्रम-विभाजन

Explanation: श्रम-विभाजन
iii. (a) श्रमिक विभाजन

Explanation: श्रमिक विभाजन


iv. (b) कर्म

Explanation: कर्म
v. (a) बाजार दर्शन

Explanation: बाजार दर्शन


6. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
i. (d) अहमदाबाद में

Explanation: यशोधर बाबू के जीजाजी अहमदाबाद में रहते थे। वे बीमार थे और यशोधर बाबू उन्हें देखने जाना चाहते थे पर अपनी
पत्नी और बच्चों की नाराज़गी के कारण वे उन्हें देखने नहीं जा सके ।

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ii. (c) गृह मंत्रालय

Explanation: गृह मंत्रालय


iii. (b) पहाड़गंज

Explanation: पहाड़गंज
iv. (c) तीस

Explanation: तीस
v. (c) कोल्हू का काम

Explanation: कोल्हू का काम


vi. (b) मराठी

Explanation: मराठी
vii. (b) लेखक को संकोच हो रहा था

Explanation: लेखक को संकोच हो रहा था


viii. (b) सौंदर्य-बोध

Explanation: सौंदर्य-बोध ही सिंधु सभ्यता की खूबी है।


ix. (a) महाकुं ड

Explanation: पाठ के अनुसार सिंधु घाटी सभ्यता का अद्वितीय वास्तुकौशल अनुष्ठानिक महाकुं ड से स्थापित होता है। सभ्यता का यह
निर्माण लगभग अपने मूल स्वरूप में है। इसीलिए यह निर्माण अद्वितीय है।
x. (a) पैव मार्ग

Explanation: महाकुं ड की ओर जाने वाली गली का पैव मार्ग रखा गया था।
खंड - ब (वर्णनात्मक प्रश्न)
7. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लेख लिखिये:
i. कं प्यूटर : आज की ज़रूरत
कं प्यूटर वास्तव में, विज्ञान द्वारा विकसित एक ऐसा यंत्र है, जो कु छ ही क्षणों में असंख्य गणनाएँ कर सकता है। कं प्यूटर ने मानव जीवन
को बहुत सरल बना दिया है। कं प्यूटर द्वारा रेलवे टिकटों की बुकिंग बहुत आसानी से और कम समय में की जा सकती है।
आज किसी भी बीमारी की जाँच करने, स्वास्थ्य का पूरा परीक्षण करने, रक्त-चाप एवं हृदय गति आदि मापने में इसका भरपूर प्रयोग किया
जा रहा है। रक्षा क्षेत्र में प्रयुक्त उपकरणों में कं प्यूटर का बेहतर प्रयोग उन्हें और भी उपयोगी बना रहा है। आज हवाई यात्रा में सुरक्षा का
मामला हो या यान उड़ाने की प्रक्रिया, कं प्यूटर के कारण सभी जटिल कार्य सरल एवं सुगम हो गए हैं। संगीत हो या फ़िल्म, कं प्यूटर की
मदद से इनकी गुणवत्ता को सुधारने में बहुत मदद मिली है। जहाँ कं प्यूटर से अनेक लाभ हैं, कं प्यूटर से कु छ हानियाँ भी हैं। कं प्यूटर पर
आश्रित होकर मनुष्य आलसी प्रवृत्ति का बनता जा रहा है। कं प्यूटर के कारण बच्चे आजकल घर के बाहर खेलों में रुचि नहीं लेते और इस
पर गेम खेलते रहते हैं। इस कारण से उनका शारीरिक और मानसिक विकास ठीक से नहीं हो पाता। फिर भी कं प्यूटर आज के जीवन की
आवश्यकता है। अगर हम इसका सही ढंग से प्रयोग करें, तो हम अपने जीवन में और तेजी से प्रगति कर सकते हैं ।
ii. प्रात:काल की सैर
प्रातः काल की सैर से मन प्रफु ल्लित तथा तन स्वस्थ्य रहता है। स्वस्थ व्यक्ति ही समर्थ होता है और यह सर्वमान्य सत्य है कि वही इच्छित
कार्य कर सकता है। वही व्यापार, सेवा, धर्म आदि हर क्षेत्र में सफल हो सकता है। व्यक्ति तभी स्वस्थ रह सकता है जब वह व्यायाम करे।
व्यायाम में खेल-कू द, नाचना, तैराकी, दौड़ना आदि होते हैं, परंतु ये तरीके हर व्यक्ति के लिए सहज नहीं होते। हर व्यक्ति की परिस्थिति व
शारीरिक दशा अलग होती है। ऐसे लोगों के लिए प्रात:काल की सैर से बढ़िया विकल्प नहीं हो सकता।प्रातः काल में सैर करने से हम आज
के प्रदूषित वातावरण में भी थोड़ी शुद्ध हवा ले सकते हैं।
यदि व्यक्ति नियमित रूप से प्रात:काल की सैर करे तो उसे अधिक फायदा ले सकता है।प्रातः सैर से मष्तिष्क को भी फायदा होता है। सैर
के समय निरर्थक चिंताओं से दूर रहना चाहिए। प्रात:कालीन सैर के लिए उपयुक्त स्थान का होना भी जरूरी है। घूमने का स्थान खुला व
साफ़-सुथरा और प्रदूषण रहित होना चाहिए। हरी घास पर नंगे पैर चलने से आँखों की रोशनी बढ़ती है, तथा शरीर में ताजगी आती है। इस
बात का ध्यान रखना चाहिए कि यह नियम सर्दी में लागू नहीं होता।
अत्यधिक ठं ड से नंगे पैर चलने से व्यक्ति बीमार हो सकता है। हरित क्षेत्र में सैर करनी चाहिए। इसके लिए नदियों-नहरों व खेतों के किनारे,
पार्क , बाग-बगीचे आदि भी उपयोगी स्थान माने गए हैं। खुली सड़कों पर वृक्षों के नीचे घूमा जा सकता है। यदि ये सब कु छ उपलब्ध न हों
तो खुली छत पर घूमकर लाभ उठाया जा सकता है। प्रात:कालीन सैर से तन-मन प्रसन्न हो सकता है। यह सस्ता व सर्वसुलभ उपाय है।
iii. प्राकृ तिक आपदाएँ

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प्राकृ तिक आपदा को परिभाषित करते हुए कहा जा सकता है कि यह एक ऐसी प्राकृ तिक घटना है जिससे अनेक लोग प्रभावित हों और
उनका जीवन खतरे में हो। प्राकृ तिक आपदा एक असामान्य प्राकृ तिक घटना है, जो कु छ समय के लिए ही आती है, परंतु अपने विनाश के
चिह्न लंबे समय के लिए छोड़ जाती है।

प्राकृ तिक आपदाएँ अनेक तरह की होती हैं, जैसे-हरिके न, सुनामी, सूखा, बाढ़, टायफू न, बवंडर, चक्रवात आदि, मौसम से संबंधित
प्राकृ तिक आपदाएँ है। दूसरी ओर भूस्खलन एवं बर्फ की सरकती चट्टानें ऐसी प्राकृ तिक आपदाएँ हैं, जिसमें स्थलाकृ ति परिवर्तित हो जाती
है। भूकं प एवं ज्वालामुखी प्लेट विवर्तनिकी के कारण आने वाली प्राकृ तिक आपदाएँ हैं। इन प्राकृ तिक आपदाओं के पीछे उल्लेखनीय
योगदान मानवीय गतिविधियों का भी होता है। मानव अपने विकास कार्यो के लिए प्राकृ तिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन करता है।
वैश्विक तापीकरण भी प्राकृ तिक आपदा का ही एक रूप है। वस्तुतः जनसंख्या वृद्धि, औद्योगिक क्रियाकलाप तथा प्रकृ ति के साथ
खिलवाड़ ऐसे मुख्य कारण हैं, जिनकेे कारण मानव समाज को प्राकृ तिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है।

प्राकृ तिक आपदाओं से बचने के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण उपाय यह है कि ऐसी तकनीकों को विकसित किया जाए, जिससे प्राकृ तिक
आपदाओं की सटीक भविष्यवाणी की जा सके , ताकि समय रहते जान-माल की सुरक्षा संभव हो सके । इसी उद्देश्य के तहत अंतरिक्ष
विज्ञान से इस क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलता मिली है। इसके अतिरिक्त प्राकृ तिक आपदा की स्थिति उपस्थित होने पर किस तरह उससे
निपटना चाहिए, इसके लिए आपदा प्रबन्धन सीखना अति आवश्यक है। इस उद्देश्य हेतु एक व्यवस्थित पाठ्यक्रम होना चाहिए तथा प्रत्येक
नागरिक के लिए इसका प्रशिक्षण अनिवार्य होना चाहिए।
iv. महानगरों में आवास-समस्या
मानव की तीन मूलभूत आवश्यकताएँ हैं-रोटी, कपड़ा और आवास। जिन देशों में इन तीनों आवश्यकताओं की पूर्ति सहज तरीके से हो
जाती है, वे देश संपन्न हैं। अतः आवास मानव की प्रमुख जरूरतों में से एक है। यह मनुष्य को स्थायित्व प्रदान करता है। आज के जीवन में
चाहे वह नगर हो, ग्राम हो या कस्बा हो, आवास की समस्या गंभीर होती जा रही है।गाँवों में आवास की समस्या उतनी भीषण नहीं है,
जितनी महानगरों में है।

महानगरों में रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा, सत्ता आदि का कें द्रीयकरण हो गया है, अत: वहाँ चारों दिशाओं से लोग बसने के लिए आ रहे हैं। इस
कारण वहाँ आवास की समस्या विकट होती जा रही है। इस समस्या का मुख्य कारण सरकार की अदूरदर्शिता है। सरकार ने देश के समग्र
विकास की नीति नहीं बनाई। सरकार ने देश के चंद क्षेत्रों में बड़े उद्योग-धंधों को प्रोत्साहन दिया। इन उद्योग-धंधों के साथ बड़ी संख्या में
सहायक इकाइयाँ लगीं। सरकार ने इन सहायक इकाइयों को अन्य क्षेत्रों में स्थापित करने में कोई सहयोग नहीं दिया। इसका परिणाम यह
हुआ कि बड़ी संख्या में लोगों का कें द्रण एक जगह ही हो गया। इस कारण बने महानगरों में आवास की समस्या उत्पन्न हो गई। दूसरे,
सरकार ने ऐसे क्षेत्रों में आवास संबंधी कोई स्पष्ट नीति भी नहीं बनाई।इसके समाधान के लिए सभी जगहों पर रोजगार और अन्य दैनिक
आवश्यकताओं की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि महानगरों में इन सब के लिए मारामारी ना हो।
8. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो के उत्तर दीजिये:
i. संवाद कहानी का महत्वपूर्ण भाग है। संवाद ही कहानी के , पात्र के चरित्र को विकसित करते हैं तथा उसको गति प्रदान करते हैं। अतः
कहानी लेखक का सदा ही यह प्रयास रहता है कि कहानी के संवाद स्वाभाविक हों और पाठकों तक वे दिलचस्प और आकर्षक रूप में
पहुँचें।
संवाद लिखते समय लेखक नहीं, पात्र संवाद बोलता है। पाठक लेखक से नहीं पात्र से, पात्र के चरित्र से जुड़ता है। अतः संवादों के माध्यम से
ही यह स्पष्ट होता है कि कौन बोल रहा है; किस स्तर का व्यक्ति बोल रहा है; उसकी पृष्ठभूमि क्या है; उसका व्यवसाय या कार्य क्या है आदि-
आदि। जो घटना या प्रतिक्रिया कहानीकार घटित होते नहीं दिखा सकता, उसे संवादों के माध्यम से ही सामने लाने में समर्थ होता है अतः
कहानी में संवादों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
ii. उलटा पिरामिड शैली समाचार लिखने की सबसे लोकप्रिय और प्रभावी शैली है। इस शैली में महत्वपूर्ण तथ्यों को पहले रखा जाता है और
फिर बाकी सूचनाओं को रखा जाता है। सभी जनसंचार माध्यमों में लगभग 90 प्रतिशत खबरें इसी शैली में लिखी जाती है। इस शैली में
स्टोरी का कोई निष्कर्ष नहीं होता है।
iii. संवाददाता  को बीट लेखन करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए -
i. बीट लेखन विशेष प्रकार की रिपोर्टिंग होती है जिसके अंतर्गत संवाददाता को संबंधित विषय की गहरी जानकारी होनी चाहिए। 
ii. रिपोर्टिंग से संबंधित विषय की तकनीकी भाषा -शैली पर भी उसका अधिकार होना चाहिए। 
9. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो के उत्तर दीजिये:
i. मेक इन इंडिया
‘मेक इन इंडिया' सोच, जो अब एक मिशन है, का अर्थ है-हमारी आवश्यकताओ से संबद्ध अधिकाधिक वस्तुओं का निर्माण भारत में किया
जाना। दूसरे शब्दों में कहें, तो 'मेक इन इंडिया' मिशन ‘मेड इन इंडिया' के स्वर्णिम स्वप्न को पूर्ण करने का मिशन है। 'मेड इन इंडिया' उन्हीं
वस्तुओं पर अंकित किया जाता है, जिनका निर्माण हमारे देश में किया गया हो और जिन वस्तुओं का निर्माण देश में किया जाता है, उनकी
कीमत अपेक्षाकृ त कम रहती है। इस प्रकार इस दूरदर्शी अभियान का सबसे अधिक लाभ देशवासियों को ही होगा।

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प्रधानमंत्री ने 25 सितंबर, 2014 को नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में 'मेक इन इंडिया' मिशन का शुभारंभ करते हुए कहा था-"हम नहीं
चाहते कि किसी भी उद्योग को भारत छोड़कर जाने के लिए मजबूर होना पड़े। हम चाहते हैं कि हमारी कं पनियाँ बहुराष्ट्रीय कं पनियो की
तरह चमके ।" इस अवसर पर उन्होंने निवेशकों को यह आश्वस्त करते हुए कि सरकार उनका पैसा डूबने नही देगी, इस महत्त्वाकांक्षी मिशन
को ‘शेर के कदम' जैसा बतलाया था। श्री नरेंद्र मोदी के शब्दों में “उद्योगपतियों, शिक्षाविदों और नौजवानों की सोच में एकरूपता लाने की
आवश्यकता है। ऐसी आशा की जाती है कि आने वाले समय में इस अभियान से देशवासियों को हर स्तर पर लाभ मिलेगा और ‘मेक इन
इंडिया' अभियान स्तर पर अपनी पहचान बनाने में सफलता हासिल करेगा।
ii. सांप्रदायिकता का ज़हर
अपने धर्म अथवा सम्प्रदाय के अतिरिक्त किसी और धर्म अथवा सम्प्रदाय के प्रति बिना किसी उचित कारण के घृणा और नफ़रत के भाव
का होना,सम्प्रदायिकता कहलाता है। वर्तमान समय में देश में सांप्रदायिक सद्भावना की अत्यंत आवश्यकता है। देश में स्वतंत्रता से पूर्व ही
सांप्रदायिक दंगों ने भयावह रूप धारण कर लिया था। उस समय अनेक हिंदुओं एवं मुसलमानों को मौत के घाट उतार दिया गया था। देश
आज़ाद तो हुआ, परंतु दो टुकड़ों में बँट गया। हमारे शासकों ने भारत को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र की संज्ञा दी और पाकिस्तान बनने के बावजूद
करोड़ो बार सांप्रदायिक दंगे हुए। इन दंगों में लाखों निरीह लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा।
वर्ष 2002 में गुजरात के गोधरा में ट्रेन के दरवाज़े बंद कर पेट्रोल से आग लगाकर लगभग 250 लोगों को जिंदा जला दिया गया। इसके
पश्चात् गुजरात में सांप्रदायिक दंगों की आग फै ल गई और हज़ारों लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा। सितंबर, 2012 में सांप्रदायिक दंगा
करने वाले कु छ लोगों को आजीवन कारावास की सजा दी गई।
वास्तव में, सरकार किसी भी मूल्य पर अपना शासन बनाए रखना चाहती है। अतः वह अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के नाम पर कभी
मुसलमानों के लिए आरक्षण की बात करती है और कभी ईसाई अल्पसंख्यकों को संतुष्ट करती है। यदि  सरकार सत्ता की लिप्सा में अंधी न
हो, तो देश में तत्काल सांप्रदायिक सद्भावना स्थापित हो सकती है। सांप्रदायिकता का संबंध जितना धर्म से जुड़ता है, उससे अधिक
राजनीति से जुड़ता है।सही मायने में सम्प्रदायिकता का विष राजनीति द्वारा ही फै लाया जाता रहा है, लेकिन इसे धर्म पर थोप दिया जाता
आ रहा है।
स्वार्थी राजनीतिक तत्त्वों द्वारा अपने हितों की पूर्ति के लिए जनसामान्य के बीच धार्मिक उन्माद पैदा किया जाता है और फिर भड़की
सांप्रदायिकता की आग पर वे अपनी रोटियाँ सेंकते हैं। जब तक राजनीति की इच्छाशक्ति सुदृढ़ नहीं होगी, तब तक सांप्रदायिकता का
दानव हर समाज को लीलता रहेगा।
iii. जंक फू ड की समस्या
आधुनिक रहन-सहन और दौड़-धूप से भरी जिंदगी ने मनुष्य के जीवन में कई परिवर्तन किए हैं। आज लोगों के पास समय का अभाव है।
इस व्यस्त जिंदगी में सब कु छ फास्ट हो गया है और इसी जल्दबाजी ने मनुष्य को भोजन की एक नई शैली के जाल में फँ सा दिया है, जिसे
फास्ट फू ड या जंक फू ड कहते हैं। जंक फू ड उस प्रकार के खाने को कहते हैं, जो चंद मिनटों में बन कर तैयार हो जाता है, पर ये स्वास्थ्य के
लिए बहुत ही हानिकारक होता है। जंक फू ड़ के प्रति बच्चों के लगाव ने उनकी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को एक चुनौती के रूप में लाकर
देश के सामने खड़ा कर दिया है।
देश में चिकित्सक, शिक्षाविद्, अभिभावक सभी चितिंत हैं क्योंकि जंक फू ड के सेवन से बच्चे उन बीमारियों के शिकार हो रहे हैं, जो
अधिक उम्र के लोगों में हुआ करती थीं। जंक फू ड बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को बुरी तरह से प्रभावित करता है, जिसके
कारण उन्हें भविष्य में कई तरह की परेशानियाँ उठानी पड़ती हैं। जंक फू ड के अंतर्गत आलू के चिप्स, स्नैक्स, इंस्टैंट नूडल्स, कॉबनेट-पेय
पदार्थ, बर्गर, पिज्जा, मोमोज, फ्राइड चिकन आदि खाद्य पदार्थ शामिल किए जा सकते हैं।

लगभग सभी प्रकार के जंक फू ड में कै लोरी की मात्रा बहुत अधिक होती है, जिससे अति पोषण की समस्या उत्पन्न हो जाती है। अधिक
कै लोरी के साथ-साथ जंक फू ड में नमक, ट्रांस फै ट, चीनी, परिरक्षक (प्रिजरवेटिव), वनस्पति घी, सोडा, कै फीन आदि भी अधिक मात्रा में
होते हैं, जबकि फाइबर बहुत कम होता है।
इन सभी से मोटापे का खतरा अत्यधिक बढ़ जाता है और मधुमेह, हृदय रोग, ब्लड प्रेशर, कब्ज, सिरदर्द, पेटदर्द आदि बीमारियाँ बच्चों को
छोटी उम्र में ही घेर लेती हैं। जंक फू ड के कारण बच्चों का बुद्धिलब्धि स्तर (आई क्यू) कमजोर होने लगता है, जिसका परिणाम मानसिक
विकलांगता के रूप में भी सामने आ सकता है।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि जंक फू ड का प्रयोग बच्चों के सुनहरे भविष्य में बहुत बड़ी रुकावट बन सकता है। जंक फू ड कम से कम
अथवा नहीं खाना चाहिए, ये अनेक प्रकार की बीमारियों को आमंत्रित करने का कार्य करता है।
10. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो के उत्तर दीजिये:
i. दिन ढलते ही कवि हृदय में  व्याकु लता और चाल में शिथिलता का अनुभव करने लगता है इसके निम्न कारण हो सकते हैं-
i. प्रकृ ति और सांसारिक नियमों के अनुसार प्रत्येक प्राणी दिन ढलते ही अपने घर की ओर लौटता है क्योंकि वहाँ कोई न कोई उनकी
प्रतीक्षा करता रहता है जबकि कवि के पास ऐसा कोई कारण नहीं है।
ii. कवि निराश और उदास है इसलिए उसे घर लौटने का कोई उत्साह नहीं है।

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iii. कवि अपने मन की व्यथा को किसी के साथ बाँटना नहीं चाहता है इसलिए उसे घर लौटने की कोई जल्दी नहीं है। 
ii. सब घर एक कर देने का अर्थ है-आपसी भेद, अंतर एवं अलगाव बोध को समाप्त करके सब में एक जैसे अपनत्व की भावना का प्रसार
करना। बच्चे संभी घरों को अपने घर जैसा ही मानते हुए सब पर समान अधिकार जताते हैं। एक बच्चे की तरह कविता भी आपसी
भेदभाव भूलकर सबके बीच समानता की भावना को प्रचारित करती है।
iii. कवि तुलसीदास ने राम के मुख से कहलवाया है कि भाई के समक्ष नारी की हानि विशेष महत्त्व नहीं रखती। इस कथन से उस समय की
नारी की हीन अवस्था दृष्टिगोचर होती है। नारी मायका छोड़कर सदा के लिए ससुराल आती है, परंतु उसे सदैव दोयम दर्ज का ही समझा
जाता था। भाई का संबंध रक्तीय होने के कारण अधिक महत्त्वपूर्ण समझा जाता था। पत्नी के लिए राम का दृष्टिकोण पूर्णतया गलत है।
11. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो के उत्तर दीजिये:
i. कवि की भाषा तो उर्दू है, पर उन्होंने हिंदी व लोकभाषा का भी प्रयोग किया है। उनकी रचनाओं में हिंदी, उर्दू व लोकभाषा के मिश्रण के
विलक्षण प्रयोग हैं ऐसी ही भाषा गाँधी जी हिंदुस्तानी के रूप में पल्लवित करना चाहते थे। ये विलक्षण प्रयोग हैं - लोका देना, घुटनियों
कपड़े पिन्हाना, गेसुओं में कं घी करना, रूपवती मुखड़ा, नर्म दमक, जिदयाया बालक, रस की पुतली। माँ हाथ में आइना देकर बच्चे को
बहला रही है-

देख आईने में चाँद उतर आया है।


चाँद की परछाई भी चाँद ही हैं।
ii. कवि ने 'पतंग' कविता के आधार पर बताया है कि बच्चे कपास की तरह नरम व लचीले होते हैं। वे पतंग उड़ाते हैं तथा झुंड में रहकर
सीटियाँ बजाते हैं। वे छतों पर बेसुध होकर दौड़ते हैं तथा गिरने पर भयभीत नहीं होते। पतंग के साथ मानो वे स्वयं भी उड़ने लगते है।
iii. 'उषा' कविता की रचना नई कविता के विशिष्ट कवि शमशेर बहादुर सिंह ने की है। उषा का सौंदर्य मनमोहक है। इस समय की प्रकृ ति
अपने रूपाकाश को पल-पल परिवर्तित करती रहती है, जिसे कवि ने अत्यंत मनिहारी तथा सजीव रूप में चित्रित किया है। उषाकाल का
आकाश पवित्र, निर्मल तथा उज्ज्वल प्रतीत होता है। यह समय सृष्टि की नवगति का संदेशवाहक है। कवि ने बिंब तथा प्रतीकों के माध्यम से
उषाकाल के प्राकृ तिक-सौंदर्य में परिवर्तन को रोचकता के साथ दर्शाया है। प्रयोगवादी कविता में प्रकृ ति के साथ मानवीय चेतना को
एकाकार करना प्रभावित करता है।
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12. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो के उत्तर दीजिये:
i. 'भक्तिन' लेखिका की सेविका है। लेखिका ने उसके जीवन-संघर्ष का वर्णन किया है। उसके चरित्र की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
i. व्यक्तित्व- भक्तिन अधेड़ उम्र की महिला है। उसका कद छोटा व शरीर दुबला-पतला है। उसके होंठ पतले है तथा आँखें छोटी हैं।
ii. परिश्रमी- भक्तिन कर्मठ महिला है। ससुराल में वह बहुत मेहनत करती है। घर, खेत, पशुओं आदि का सारा कार्य वह अके ले करती है।
लेखिका के सारे कामकाज को वह पूरी कर्मठता से करती है और उसके हर कार्य में सहायता करती है।
iii. स्वाभिमानिनी- भक्तिन बेहद स्वाभिमानी थी। पिता की मृत्यु पर विमाता के कठोर व्यवहार से उसने मायके जाना छोड़ दिया। पति की
मृत्यु के बाद उसने किसी का पल्ला नहीं थामा तथा स्वयं मेहनत करके घर चलाया। जमींदार द्वारा अपमानित करने पर वह गाँव
छोड़कर शहर आ गई।
iv. महान सेविका- भक्तिन में सच्चे सेवक के सभी गुण थे। लेखिका ने उसे हनुमान जी से स्पर्द्धा करने वाली बताया है। वह छाया की तरह
लेखिका के साथ रहती है तथा उसका गुणगान करती है। वह उसके साथ जेल जाने के लिए भी तैयार है। वह युद्ध, यात्रा आदि में हर
समय उसके साथ रहना चाहती है।
ii. लेखक आर्य समाजी विचारधारा को मानने वाला था। आर्यसमाजी अंधविश्वासों पर सीधा प्रहार करते हैं। लेखक 'कु मार - सुधार सभा' का
उपमंत्री था | यह संस्था किशोरों को जाग्रत करती थी I इस कारण वह इंदर सेना द्वारा पानी माँगने को अंधविश्वास समझता था। लेखक
अंधविश्वासों के विरुद्ध लोगों को सजग करता था। लेखक का मानना था यदि इंद्र महाराज से इंदर सेना पानी दिलवा सकती है, तो खुद
अपने लिए पानी क्यों नहीं माँग सकती। इस अंधविश्वास के कारण ही ये सभी मुहल्लों का पानी नष्ट करवाते फिर रहे हैं। इन्हीं अंधविश्वासों
ने हमें अंग्रेज़ों का गुलाम बना दिया था। अतः लेखक अंधविश्वासों के विरुद्ध ही रहा करता था।
iii.  राज-पहलवान बनते ही लुट्टन की कीर्ति दूर-दूर तक फै ल गई। पौष्टिक भोजन मिलने से वह राज दरबार का दर्शनीय जीव बन गया।
ठाकु रबाड़े के सामने जब पहलवान गरजता- ‘महावीर’  तब लोग समझ जाते पहलवान बोल रहा है। मेलों में वह घुटने तक लंबा चोगा
पहनकर अस्त-व्यस्त पगड़ी बाँधकर मतवाले हाथी की तरह चलता था। मेले के दंगल में वह लैंगोट पहन, शरीर पर मिट्टी मलकर स्वयं को
साँड़ या भैंसा साबित करता रहता था।
13. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो के उत्तर दीजिये:

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i. हम इस बात से पूरी तरह सहमत हैं। दुकानदार कभी-कभी ग्राहक की आवश्यकताओं का भरपूर शोषण करते हैं जैसे कभी कभी
जीवनपयोगी वस्तुओं (चीनी, गैस, प्याज, टमाटर आदि) की कमी हो जाती है। उस समय दुकानदार मनचाहे दामों में इन चीजों की बिक्री
करते हैं। ग्राहक भी अपनी दैनिक आवश्कताओं के कारण सबकु छ जानते हुए बाजार के शोषण का शिकार बन जाता है।
ii. बाज़ार में भगत जी के व्यक्तित्व का यह सशक्त पहलू उभरकर सामने आता है कि उन्हें अपनी आवश्यकताओं का भली-भाॅंति ज्ञान हैं। वे
उतना ही कमाना चाहते हैं जितनी की उन्हें आवश्यकता है।

बाज़ार उन्हें कभी भी आकर्षित नहीं कर पाता वे के वल अपनी जरुरत के सामान के लिए बाज़ार का उपयोग करते हैं। वे खुली आँखें,संतुष्ट
मन और मग्न भाव से बाजार जाते हैं।

भगतजी जैसे व्यक्ति समाज में शांति और व्यवस्था लाते हैं क्योंकि इस प्रकार के व्यक्तियों की दिनचर्या संतुलित होती है और ये बाज़ार के
आकर्षण में फँ सकर अधिक से अधिक वस्तुओं का संग्रह और संचय नहीं करते हैं जिसके फलस्वरूप मनुष्यों में होड़, अशांति के साथ
महँगाई भी नहीं बढ़ती। अत: समाज में भी शांति बनी रहती है।
iii. अवधूत का अर्थ है-सांसारिक बंधनों एवं विषय-वासनाओं से ऊपर उठा हुआ संन्यासी। शिरीष का वृक्ष अवधूत की भाँति वसंत के आने से
लेकर भाद्रपद मास तक बिना किसी परेशानी के पुष्पित होता रहता है।

जब ग्रीष्म ऋतु मे सारी पृथ्वी अग्निकुं ड की तरह जलने लगती है, लू के कारण हृदय भी सूखने लगता है, तो उस समय भी शिरीष का वृक्ष
वातावरण से अपने लिए पोषण सोखकर एक कालजयी अवधूत की तरह जीवन मे विजेता होने का दावा कर रहा होता है। वह संसार के
सभी प्राणियों को धैर्यशील, चिंतारहित एवं कार्यशील बने रहने के लिए प्रेरित करता है। उस पर वातावरण या बाहरी कारक अपना
दुष्प्रभाव नहीं छोड़ पाते। यही कारण है कि लेखक ने शिरीष को अवधूत कहा है।

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