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Subject: िहंदी

Topic: तमु हमारी चोिटय क बफ को यूँ मत कुरेदो

Std: VIII

CB/VIII/2021-22 तुम हमारी चोिटय क बफ को यूँ मत कुरेदो 1 of 8


किवता का मल
ू भाव
तमु हमारी चोिटय क बफ को यूँ मत कुरदे ो यह किवता
हम शि बोध कराती है िक हम िकतने शि शाली और
परा मी ह । ये एक हक
ं ार है, दु मन एवं िवरोिधय को
अपना दम-खम िदखाने के िलए । ये एक ललकार है
हमारे दु मन के िलए िक हमसे टकराने क सोचना भी
मत नह तो हमसे बरु ा कोई नह होगा । ये किवता हमारे
आ मिव ास को बल बनाती है ।

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आिँ धय ने गोद म हमको ......सरू ज लजाया है न भल
ू ो!
किव भारत देश के दु मन को सचेत करते हए कह रहे ह िक
ऐ दु मन! हमसे टकराने से पहले ये मत भूलना िक िजन
आधँ ी-तफ
ू ान को देखकर तु हारी ह कापँ जाती है, उनम
तो हम खेल-कूदकर बड़े हए ह अथात िहमालय क गोद म
हम हसँ ते-खेलते बड़े हए ह । हमारे रा ते के काटँ े यानी
मिु कल हमारे साहस के आगे खदु झक ु जाती ह । हम ही ह
जो सागर मंथन करके अमतृ को बाहर िनकाल लाए । ये मत
भूलो िक हम भारितय के शौय का तेज इतना है िजसके आगे
सूरज भी शरमा जाता है ।
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वे हम तो ह िक इक हक
ं ार ........... छाप अपनी िव यापी!
किव भारत के दु मन से कह रहे ह िक तमु हम कमजोर समझने क गलती मत
करना । हम वही ह िजसके एक दहाड़ से सम त धरती कापँ उठी है । भगवान
िव णु ने वामन अवतार लेकर तीन डग म पूरी सिृ नाप डाली, हम उ ह भगवान
िव णु के अशं ह । हम उसी स ाट िव मािद य, अशोक, चं गु मौय, पृ वीराज
चौहान व वामी िववेकानंद के वंशज ह िज ह ने न िसफ भारत म बि क संपूण
िव म भारतीय स यता-सं कृित और वीरता का डंका बजा िदया था । उनके
िवजयरथ क धूल उड़कर सम त िव पर अपनी छाप छोड़ आए ह । सार यह है
िक हम उसी भारत देश के वासी ह, िजसक स यता और सं कृित ने सम त
िव भर म अपनी अिमट छाप छोड़ी है और अपनी स यता और सं कृित के
कारण हमने िव भर म अपना अि त व सबसे ऊँचा बनाया है ।

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व हो आई भक ृ ु िट ........... अहक
ं ारी ताज डोले !
किव दु मन को चेतावनी दते े हए कहते ह िक जब-जब हम
भारतवािसय क भौह टेढ़ी हइ तब-तब अचल पवत भी अपने
थान से डोलने लगे । दस िदशाओ ं क रखवाली करनेवाले
िद पाल और सवशि मान गजराज तक डोलने लगे । ओ भारत के
दु मनो! हम ोध मत िदलाओ । हमारे ोध से धरती, आकाश,
पाताल और न मंडल भी डोल उठे ह, बड़े से बड़े अ याचारी जो
घमंड से चूर थे, उनके घमंडी ताज तक हमारे ोध से डोल उठे ह ।
इसिलए ये बात याद रखना िक यिद हमारे ऊपर ोध सवार हो गया
तो चार ओर तहलका मच जाएगा । कोई िकतना भी अ याचारी या
आतंकवादी य न हो हम उसे िन तेनाबूत करके ही छोड़गे ।
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सयु श क तर-िशला पर ........... जलयान ठहरे ह हमारे !
किव दु मन को चेतावनी दते े हए कहते ह िक हम भारतीय ने अपनी
जीत और िवजय के गहरे िच प थर पर बनाए ह, ान के हर एक े
म हमने अपनी ान पी योित के उ जवल वज को लहराया है ।
सा ात काल क अगँ ड़ाइय के समान वेगवान जलतरगं म भी हमारे
जलयान िनडरता से ठहरे ह । अथात हम इतने साहसी ह िक समु क
उन भयंकर लहर म जो िक मौत के महुँ म भी ले जा सकती ह ऐसी
लहर म हमारे यु पोत आराम करते ह । इसिलए ऐ दु मन! तमु तो
हमसे टकराने के लायक भी नह हो ।

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म त योगी ह िक हम........... िवष िपया है औ िजए ह!
किव कहते ह िक हम भारतवासी म त योिगय के समान अपनी ही दिु नया म
म त ह । िजस कार एक योगी दूसर को सख ु देकर खदु को सख
ु ी महसूस
करता है उसी कार हम भी सबके सख ु म अपना सखु समझते ह । यह गणु हमारे
वभाव म है िक हम दूसर के सख ु को देखकर सखु ी और दूसर के दख
ु को
देखकर दखु ी होते ह । ओ भारत के दु मन! ये बात जान लो िक हमने ला य और
तांडव दोन कार के नृ य िकए ह । शंकर जी ने ला य नृ य करके सिृ का
सजृ न िकया है तो अ याचार बढ़ने पर लयंकारी तांडव नृ य करके सिृ का
िवनाश भी िकया है । हम उ ह मीराबाई और िशव के वंशज ह जो िवष पीने के
बाद भी िजदं ा थे । मीराबाई ने िवष पीकर अपनी कृ ण भि क परी ा दी और
भगवान िशव ने हलाहल िवष पीकर सिृ क र ा क ।

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ला य भी हमने िकए ह........... िक हम वालामख
ु ी ह!
किव दु मन से कहते ह िक हमारे देश क इस िम ी को चाहे तो धरती माँ
का दूध समझो, चाहे चंदन या के सर के समान सगु ंिधत य पदाथ, जो
भी समझना हो समझ लो लेिकन ये बात अ छी तरह जान लो िक यह
िम ी हमारे देश क है और हम इसके िलए ही जीते ह । इसिलए ओ भारत
के दु मन! तमु हमारी चोिटय क बफ को यूँ बार-बार कुरेदकर हमारे
ज म को हरा मत करो अ यथा हम शीतल वभाव वाले िहमवान क
तरह अपने ोध क वालामख ु ी से तु ह न कर दगे ।

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