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Class 10 Hindi Sparsh Chapter 4 Maithali Sharan Gupt PDF
Class 10 Hindi Sparsh Chapter 4 Maithali Sharan Gupt PDF
Class 10 Hindi Sparsh Chapter 4 Maithali Sharan Gupt PDF
Hindi Sparsh
Chapter 4 –मनुष्यत
3. कवि ने दधीचच कर्, आदद महतन व्यकय्ि कत उदतहतर दे कत मनषु ्यत के लिए क्त
संदेश दद्त है ?
उतयत : कवि ने दधीच्, कर् आहद महान व्जकत्र का उदाहरर दे कर मनयष्ता के ललए
्ह बताने का प्ास कक्ा है कक परोपकार के ललए अपना सि्सि, ्हाँ तक की अपने पार
तक न्यौािर करने को तै्ार रहना ्ाहहए। ्हाँ तक की दस
ू रर के हहत के ललए अपने
शरीर तक दान करने को तै्ार रहना ्ाहहए। दधीच् ने मानिता की रका के ललए अपनी
4. कवि ने ककन पंयकय्ि मे ्ह व्कय है कक हमे अहं कतत तदहय जीिन व्यीय कतनत
चतदहए?
उतयत: तनमनललिखत पंजकत्र मे अहं कार रहहत जीिन व्तीत करने की बात कही गई है -
रहो न भूल के कभी, मदांध तयचौ वितत मे ।
सनाथ जान आपको, करो न गि् च्तत मे ॥